बकाया सूचीबद्धता शुल्क की वसूली दिवाला प्रक्रिया के जरिये नहीं: एनसीएलएटी
नयी दिल्ली | राष्ट्रीय कंपनी विधि अपीलीय पंचाट (एनसीएलएटी) ने स्टॉक एक्सचेंज बीएसई की अपील को खारिज करते हुए कहा है कि किसी कंपनी के सूचीबद्धता शुल्क का बकाया दिवाला प्रक्रिया के जरिये नहीं वसूला जा सकता है। अपीलीय पंचाट ने अपने फैसले में कहा है कि सूचीबद्धता शुल्क की बकाया राशि असल में नियामकीय बकाया की श्रेणी में आती है और उसे दिवाला प्रक्रिया के माध्यम से परिचालन ऋण में से नहीं वसूला जा सकता है। एनसीएलएटी ने कहा है कि सूचीबद्धता शुल्क की वसूली का अधिकार बाजार नियामक सेबी को है। सेबी के पास पंजीकृत कंपनी होने से चूककर्ता फर्म का यह दायित्व बनता है कि बकाया शुल्क की वसूली के लिए निर्धारित नियमों का पालन करे। न्यायमूर्ति अनंत विजय सिंह और पंचाट की तकनीकी सदस्य श्रीषा मेरला की पीठ ने दिवालिया संहिता पर गठित समिति के सुझावों का जिक्र करते हुए कहा कि नियामकीय शुल्क की वसूली परिचालन ऋण के तौर पर नहीं की जा सकती है। इसके साथ ही अपीलीय पंचाट ने राष्ट्रीय कंपनी विधि पंचाट (एनसीएलटी) के 31 दिसंबर 2020 के उस आदेश को भी बरकरार रखा जिसमें बीएसई की अपील को ठुकराया गया था। बीएसई ने केसीसीएल प्लास्टिक लिमिटेड के खिलाफ वार्षिक सूचीबद्धता शुल्क बकाया होने के आधार पर दिवाला प्रक्रिया शुरू करने की अर्जी लगाई थी। बीएसई के मुताबिक, केसीसीएल ने वर्ष 2013-14 के बाद सूचीबद्धता शुल्क का भुगतान नहीं किया है।
Leave A Comment