प्रतिदिन स्वयं के द्वारा किये गए कर्मों को भगवान को समर्पित करने के नियम का सही-सही स्वरूप क्या है?
जगदगुरु कृपालु भक्तियोग तत्वदर्शन - भाग 277
साधक का प्रश्न ::: अगर सबेरे उठकर भगवान से प्रार्थना करें हाथ जोड़ के, आज मेरे हाथ से जो भी कर्म हो व आपके निमित्त हो। इस प्रकार दिन भर काम करते रहें और फिर रात को सोते समय भी ऐसा कहें कि आज जो भी कर्म मेरे हाथ से हो गये हैं, वह आपके निमित्त हैं। तो वो माने जायेंगे क्या?
जगदगुरुत्तम श्री कृपालु जी महाराज द्वारा दिया गया उत्तर ::: न, न, न, जीरो बटे सौ। ऐसे तो हर कोई एक्टिंग में कह दे कि हमने जो कुछ पाप किया है, वो आपको अर्पित है और फिर पाप किये जाओ और फिर हमने जो पाप किया है वो आपको अर्पित हो। ये नहीं होता। कर्म करते समय भगवान का स्मरण हो और उनको अर्पण हो। सबेरे उठकर कर लिया, रात को सोते समय कर लिया - ऐसे काम नहीं होगा। हर समय भगवान का स्मरण होना चाहिये, उसकी साइंस ये है। हर कर्म भगवान को अर्पित करो मतलब हर समय उनका स्मरण होता रहे। स्मरण से फायदा होगा। बोलने-वोलने से नहीं। वो तो ऐसे ही है जैसे संसार में बोलते हैं न सॉरी, थैंक्यू। दिन भर बोलते रहते हैं, भीतर से उसका कोई संबंध नहीं। एक वाक्य बोल देने से काम बन जायेगा?
०० प्रवचनकर्ता ::: जगदगुरुत्तम श्री कृपालु जी महाराज
०० सन्दर्भ ::: 'प्रश्नोत्तरी' पुस्तक, भाग - 3, प्रश्न संख्या 31
०० सर्वाधिकार सुरक्षित ::: राधा गोविन्द समिति, नई दिल्ली के आधीन।
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(1) www.jkpliterature.org.in (website)
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(3) Sanatan Vedik Dharm - Jagadguru Kripalu Parishat (App)
(4) Kripalu Nidhi (App)
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