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- बाराबंकी/अयोध्या/बस्ती/संभल (उप्र). उत्तर प्रदेश के बाराबंकी, अयोध्या और बस्ती जिलों में मंगलवार को प्रशासनिक अधिकारियों ने हेलीकॉप्टर से कांवड़ियों पर पुष्पवर्षा की। बाराबंकी जिले के रामनगर स्थित महाभारत कालीन शिव मंदिर ‘महादेवा' में मंगलवार को श्रद्धा का खास रूप देखने को मिला। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के निर्देश पर जिलाधिकारी शशांक त्रिपाठी तथा पुलिस अधीक्षक अर्पित विजयवर्गीय ने महादेवा में पूजन-अर्चन एवं जलाभिषेक के लिए आए शिव भक्तों और कांवड़ियों पर हेलीकॉप्टर से पुष्प वर्षा की। मंदिर के मुख्य पुजारी वीरेंद्र कुमार अवस्थी ने इस पहल की सराहना की है।महाभारत काल से जुड़े इस तीर्थ स्थल पर लाखों श्रद्धालु नंगे पांव कांवड़ यात्रा करके पहुंचते हैं और शिव जी का जलाभिषेक कर मनोवांछित फल की कामना करते हैं। लोटे में जल, बेलपत्र और पुष्प समेत पूजन सामग्री लेकर पहुंचने वाले ये श्रद्धालु ‘बम-बम भोले' और ‘हर हर महादेव' का जयकारा लगाते हुए पूरे वातावरण को भक्तिमय बना देते हैं। हेलीकॉप्टर से पुष्प वर्षा के दौरान प्रशासन ने श्रद्धालुओं की सुरक्षा के लिए पुख्ता इंतजाम किए थे। भगवान श्रीराम की जन्मभूमि अयोध्या में जिलाधिकारी निखिल टीकाराम फुंडे और वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक गौरव ग्रोवर ने हेलीकॉप्टर से यहां आने वाले शिव भक्तों/कांवड़ियों पर पुष्प वर्षा की।उन्होंने हनुमानगढ़ी मंदिर, नागेश्वरनाथ मंदिर, दर्शन मार्ग, सरयू घाट, लता मंगेशकर चौक और राम मंदिर के ऊपर हेलीकॉप्टर से कांवड़ियों पर गेंदे और गुलाब की पंखुड़ियां बरसाईं। अधिकारियों ने बताया कि हेलीकॉप्टर से पुष्प वर्षा को लोगों ने अपने मोबाइल कैमरों में कैद किया। अधिकारियों ने बताया कि इस कदम का उद्देश्य उन श्रद्धालुओं की धार्मिक आस्था का सम्मान करना है जो बड़ी संख्या में नंगे पैर चलकर मंदिर में जलाभिषेक और अन्य अनुष्ठान करने आते हैं। बस्ती में, मंडलायुक्त अखिलेश सिंह और पुलिस उप महानिरीक्षक (डीआईजी) संजीव त्यागी ने पुलिस लाइन से हेलीकॉप्टर द्वारा भदेश्वर नाथ मंदिर और कांवड़ यात्रा मार्गों का हवाई निरीक्षण किया। उन्होंने कांवड़ियों की सुरक्षा व्यवस्था, मार्ग परिवर्तन, अवरोधकों आदि का जायजा लिया। हवाई निरीक्षण के दौरान भदेश्वर नाथ मंदिर, अमहट, फुटहिया और अन्य स्थानों पर कांवड़ यात्रा के मार्गों पर कांवड़ियों पर पुष्प वर्षा की गई।संभल जिले में, मुस्लिम समुदाय के लोगों ने कांवड़ियों पर पुष्प वर्षा की। शहर बम-बम भोले और हर-हर महादेव के जयकारों से गूंज उठा। संभल थाना क्षेत्र के अंतर्गत चौधरी सराय पुलिस चौकी पर पुलिस अधीक्षक (एसपी) कृष्ण कुमार, सीओ आलोक भाटी ने मुस्लिम समुदाय के लोगों के साथ मिलकर कांवड़ियों पर गुलाब के फूल बरसाए। श्रद्धापूर्वक कांवड़ लेकर आ रहे शिवभक्तों को फल भी वितरित किए गए। एसपी कृष्ण कुमार ने कहा कि जिस तरह से मुस्लिम समुदाय ने शिविर लगाकर कांवड़ लेकर आ रहे शिवभक्तों पर पुष्प वर्षा की और फल वितरित किए, वह भाईचारे की मिसाल पेश करता है। श्रद्धाभाव के साथ कांवड़ लेकर आ रहे शिवभक्तों को फलों का वितरण किया गया। थाना असमोली क्षेत्र के जोया मार्ग स्थित मनौटा पुल पर सीओ कुलदीप कुमार, एसडीएम विकास चंद्र एवं निरीक्षक राजीव कुमार मलिक ने भी कांवड़ियों पर पुष्पवर्षा की।
- नयी दिल्ली. राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) प्रमुख मोहन भागवत ने मंगलवार को लोगों से भारतीयता को आत्मसात करने और दुनिया को उन सभी समस्याओं का समाधान दिखाने का आह्वान किया, जिनका वह सामना कर रही है। भागवत ने यहां एक कार्यक्रम को संबोधित करते हुए कहा कि भौतिकवाद के कारण विश्व अनेक समस्याओं का सामना कर रहा है और अब वह इनके उत्तर के लिए भारत की ओर देख रहा है, क्योंकि पिछले 2,000 वर्षों में लोगों के जीवन में खुशी और संतोष लाने के लिए पश्चिमी विचारों पर आधारित सभी प्रयास विफल हो गए हैं।उन्होंने कहा कि दुनिया में विज्ञान और आर्थिक क्षेत्र में हुई सभी प्रगतियों ने विलासिता की चीजें ला दीं और लोगों का जीवन आसान बना दिया, लेकिन दुखों का अंत नहीं कर सकीं। इग्नू और अखिल भारतीय अणुव्रत न्यास की ओर से संयुक्त रूप से आयोजित इस कार्यक्रम में भागवत ने कहा, "शोषण बढ़ा, गरीबी बढ़ी। गरीब और अमीर के बीच की खाई दिन-ब-दिन बढ़ती जा रही है।" उन्होंने कहा, "प्रथम विश्व युद्ध के बाद शांति की वकालत करते हुए कई किताबें लिखी गईं, भविष्य में फिर से युद्ध न हो, इसके लिए राष्ट्र संघ का गठन किया गया, लेकिन द्वितीय विश्व युद्ध छिड़ गया। द्वितीय विश्व युद्ध के बाद संयुक्त राष्ट्र संघ का गठन हुआ। लेकिन आज हम सोच रहे हैं कि क्या तीसरा विश्व युद्ध होगा।" भागवत ने कहा कि भारतीयता ही आज दुनिया के सामने मौजूद सभी समस्याओं का एकमात्र समाधान है।आरएसएस प्रमुख ने कहा, "भारत का होने का क्या अर्थ है? भारतीयता नागरिकता नहीं है। बेशक, नागरिकता आवश्यक है। लेकिन, भारत का हिस्सा बनने के लिए भारत का स्वभाव होना जरूरी है। भारत का स्वभाव पूरे जीवन के बारे में सोचता है। हिंदू दर्शन में चार पुरुषार्थ हैं...मोक्ष जीवन का अंतिम लक्ष्य है।" उन्होंने कहा कि इसी धर्म के अनुशासन के कारण भारत कभी सबसे समृद्ध राष्ट्र था और दुनिया इसे जानती है। भागवत ने कहा, "इसलिए दुनिया भारत की ओर देखती है और उम्मीद करती है कि यह उन्हें एक नया रास्ता दिखाएगा। हमें दुनिया को रास्ता दिखाना होगा। इसके लिए हमें अपना 'राष्ट्र' तैयार करना होगा, जिसकी शुरुआत खुद से और अपने परिवार से होगी।" उपस्थित लोगों से परिवर्तन के लिए तैयार रहने का आह्वान करते हुए भागवत ने कहा, "हम जो इतिहास जानते हैं, वह पश्चिम द्वारा पढ़ाया जाता है। मैं सुन रहा हूं कि हमारे देश के पाठ्यक्रम में कुछ बदलाव किए जा रहे हैं।" आरएसएस प्रमुख ने कहा, "उनके (पश्चिमी देशों के) लिए, भारत का कोई अस्तित्व नहीं है। यह विश्व मानचित्र पर तो दिखाई देता है, लेकिन उनके विचारों में नहीं। अगर आप किताबों में देखेंगे, तो आपको चीन और जापान ही मिलेंगे, भारत नहीं।"
- पिथौरागढ़. उत्तराखंड के पिथौरागढ़ जिले में लिपुलेख दर्रे के जरिए कैलाश मानसरोवर की तीर्थयात्रा पर गया 47 सदस्यों का दूसरा जत्था मंगलवार को भारत लौट आया। यात्रा की नोडल एजेंसी कुमांउ मंडल विकास निगम के एक अधिकारी ने बताया कि श्रद्धालुओं का दूसरा जत्था तिब्बत में अपनी यात्रा पूरी कर सुबह सवा 10 बजे लिपुलेख पहुंचा। उन्होंने बताया कि धुंध भरे मौसम के बीच लिपुलेख में श्रद्धालुओं का स्वागत भारत तिब्बत सीमा पुलिस के जवानों ने किया । अधिकारी ने बताया कि श्रद्धालुओं को बूंदी में रात्रि विश्राम करना था लेकिन पंचायत चुनाव के कारण उन्हें गुंजी शिविर में ठहराया जाएगा । तिब्बत गए दूसरे जत्थे में कुल 48 श्रद्धालु थे हांलांकि, उसमें शामिल पूर्व केंद्रीय राज्य मंत्री मीनाक्षी लेखी यात्रा के दौरान घोड़े से गिरकर घायल होने के कारण दो दिन पहले ही भारत लौट आयी थीं। इस साल लिपुलेख के जरिए पांच जत्थों में करीब 250 श्रद्धालु कैलाश मानसरोवर यात्रा पर जा रहे हैं ।
- नयी दिल्ली. भारतीय शहर बाढ़, बढ़ते तापमान और अन्य जलवायु संबंधी जोखिमों के प्रति लगातार संवेदनशील होते जा रहे हैं और 2050 तक मजबूत और कम कार्बन उत्सर्जन वाले बुनियादी ढांचे के निर्माण के लिए 2,400 अरब डॉलर से अधिक के निवेश की आवश्यकता होगी। मंगलवार को जारी विश्व बैंक की एक रिपोर्ट में यह कहा गया है। रिपोर्ट में कहा गया है कि भारतीय शहरों में आर्थिक वृद्धि के केंद्र बनने की काफी संभावनाएं हैं और 2030 तक 70 प्रतिशत नई नौकरियां शहरों से आएंगी। ‘भारत में मजबूत और समृद्ध शहरों की ओर' शीर्षक से जारी रिपोर्ट में कहा गया है, ‘‘प्रतिकूल मौसम की घटनाओं के प्रभावों से निपटने और भविष्य में अरबों डॉलर के नुकसान को रोकने के लिए शहरों को समय पर कदम उठाने की आवश्यकता है।'' आवास एवं शहरी मामलों के मंत्रालय के साथ साझेदारी में तैयार की गईइस रिपोर्ट में कहा गया है कि ‘‘वर्षा से संबंधित बाढ़ से होने वाला वार्षिक आर्थिक नुकसान वर्तमान में चार अरब डॉलर आंका गया है। अगर कोई सुधारात्मक कदम नहीं उठाये गये, तो 2030 तक यह बढ़कर पांच अरब डॉलर और 2070 तक 14 से 30 अरब डॉलर के बीच हो सकता है।'' रिपोर्ट के अनुसार, शहरों का ज्यादातर विस्तार ‘बाढ़ प्रभावित और अत्यधिक गर्मी से प्रभावित संवेदनशील क्षेत्रों' में हो रहा है। रिपोर्ट में दिल्ली, चेन्नई, सूरत और लखनऊ को, खासकर संवेदनशील क्षेत्रों में बस्तियों के विस्तार के कारण अधिक तापमान के प्रभावों और बाढ़ के जोखिमों के प्रति सबसे अधिक संवेदनशील शहरों में चिह्नित किया गया है। इसमें कहा गया है, ‘‘दिल्ली में, बढ़ते तापमान और शहरी बाढ़ से जुड़े जोखिम हैं। गर्मी का दबाव भी बढ़ने की आशंका है। 1983 और 2016 के बीच, भारत के 10 सबसे बड़े शहरों में खतरनाक स्तर के तापमान के संपर्क में 71 प्रतिशत की वृद्धि हुई और यह सालाना 4.3 अरब से बढ़कर 10.1 अरब व्यक्ति-घंटे हो गया।'' रिपोर्ट में गर्मी से लोगों की मृत्यु पर चिंता जताई गई है।इसमें कहा गया है, ‘‘अगर उत्सर्जन मौजूदा स्तर पर जारी रहा, तो 2050 तक गर्मी से संबंधित मौतों की सालाना संख्या 1,44,000 से बढ़कर 3,28,000 से ज्यादा हो सकती है। अधिक तापमान से दबाव की स्थिति के कारण भारत के प्रमुख शहरों में लगभग 20 प्रतिशत कार्य घंटे बर्बाद हो सकते हैं।'' रिपोर्ट में कहा गया है कि केवल तापमान में कमी लाने के उपायों से ही भारत के सकल घरेलू उत्पाद में 0.4 प्रतिशत तक की वृद्धि हो सकती है और 2050 तक सालाना 1,30,000 लोगों की जान बचाई जा सकती है।
- भोपाल. अभिनेता अनुपम खेर ने मंगलवार को अपनी फिल्म ‘‘तन्वी द ग्रेट'' की विशेष प्रदर्शन के दौरान मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री मोहन यादव से मुलाकात की। एक अधिकारी ने यह जानकारी दी। उन्होंने बताया कि इस अवसर पर फिल्म की अभिनेत्री शुभांगी दत्त और बाल कलाकार विराज अग्रवाल भी मौजूद थे। मुख्यमंत्री यादव ने खेर को एक महान उद्देश्य वाली फिल्म बनाने के लिए बधाई दी, जबकि अभिनेता-निर्देशक ने उन्हें अपनी पुस्तक ‘‘डिफरेंट बट नो लेस'' भेंट की।
- गुवाहाटी. श्रीमंत शंकरदेव कलाक्षेत्र सोसाइटी ने मंगलवार को राष्ट्रपति भवन पुस्तकालय को संरक्षण और प्रदर्शन के लिए पांच प्राचीन 'संचीपत' पांडुलिपियों का संग्रह सौंपा। अधिकारियों ने यह जानकारी दी। उन्होंने बताया कि एक समारोह के दौरान कलाक्षेत्र के सचिव सुदर्शन ठाकुर ने पांडुलिपियां राष्ट्रपति भवन की सचिव दीप्ति उमाशंकर को सौंपीं। एक आधिकारिक विज्ञप्ति में कहा गया है कि गुवाहाटी स्थित श्रीमंत शंकरदेव कलाक्षेत्र सोसाइटी ने 'संचीपत' पांडुलिपियों को एकत्र करने के लिए असम के विभिन्न 'सत्रों' (वैष्णव मठों) के साथ समन्वय किया। प्रस्तुत पांडुलिपियों में महापुरुष श्रीमंत शंकरदेव द्वारा रचित 'कीर्तन घोष' शामिल है। भागवत पुराण के 10वें स्कंध पर आधारित श्रीमंत शंकरदेव का काव्यात्मक अनुवाद 'आदि दशम' भी दान में दिया गया है। ठाकुर ने कहा, "उम्मीद है कि इस महत्वपूर्ण कदम से असमिया भाषा की समृद्ध विरासत को नयी गति मिलेगी।
- नई दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी बुधवार को यूनाइटेड किंगडम की आधिकारिक यात्रा पर जा रहे हैं। इस यात्रा के दौरान वह यूनाइटेड किंगडम के प्रधानमंत्री कीर स्टारमर के साथ चर्चा करेंगे। वह राजा चार्ल्स तृतीय से भी मुलाकात करेंगे। यात्रा के दौरान, भारत और यूनाइटेड किंगडम दोनों के व्यापारिक नेताओं के साथ बातचीत की भी योजना है। विदेश सचिव विक्रम मिस्री ने मंगलवार को विदेश मंत्रालय की प्रेस वार्ता के दौरान यह जानकारी दी।विदेश सचिव ने कहा कि पदभार ग्रहण करने के बाद से यह प्रधानमंत्री की यूनाइटेड किंगडम की चौथी यात्रा होगी। इससे पहले वह 2015 और 2018 में भी ब्रिटेन की यात्रा कर चुके हैं, और 2021 में ग्लासगो में आयोजित COP26 शिखर सम्मेलन में भी वहां गए थे। पिछले वर्ष ही, प्रधानमंत्री मोदी और प्रधानमंत्री स्टारमर दो बार मिल चुके हैं, पहली बार पिछले साल रियो डी जेनेरियो में G20 शिखर सम्मेलन के दौरान, और हाल ही में, पिछले महीने जून में, कनाडा के कनानसकीस में G7 शिखर सम्मेलन के दौरान। वह कई बार फ़ोन पर भी संपर्क में रहे हैं। यह यात्रा, यद्यपि छोटी है, दोनों नेताओं को द्विपक्षीय संबंधों के सम्पूर्ण आयाम की समीक्षा करने तथा इसे और मजबूत करने के तरीकों पर चर्चा करने का अवसर प्रदान करेगी, साथ ही क्षेत्रीय और वैश्विक प्रासंगिकता वाले मुद्दों पर भी चर्चा होगी।विक्रम मिस्री ने बताया कि भारत-ब्रिटेन साझेदारी को 2021 में व्यापक रणनीतिक साझेदारी में उन्नत किया गया था और तब से नियमित रूप से उच्च-स्तरीय राजनीतिक आदान-प्रदान हुए हैं। दोनों पक्ष इस साझेदारी को और भी उच्च स्तर पर ले जाने के लिए प्रतिबद्ध हैं। शिखर-स्तरीय बैठकों के अलावा, विदेश मंत्री और उनके समकक्ष, ब्रिटिश विदेश सचिव के स्तर पर नियमित बैठकें होती हैं, और मंत्रिस्तरीय स्तर पर कई अन्य संस्थागत तंत्र भी हैं, जो रणनीतिक मुद्दों, वित्तीय, आर्थिक, ऊर्जा संबंधी मुद्दों के साथ-साथ विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी से संबंधित मुद्दों से निपटते हैं। समकालीन समय में, व्यापार, प्रौद्योगिकी, अनुसंधान, शिक्षा, नवाचार और ज्ञान अर्थव्यवस्था के क्षेत्र हमारे द्विपक्षीय सहयोग के प्रमुख स्तंभ बनकर उभरे हैं।उन्होंने आगे कहा कि उदाहरण के लिए, प्रौद्योगिकी सुरक्षा पहल, जिसकी एक वर्षगांठ होने वाली है पर पिछले साल हस्ताक्षर किए गए थे और यह इस बात का एक प्रमुख संकेतक है कि हम महत्वपूर्ण और उभरती प्रौद्योगिकियों के क्षेत्र में अपने संबंधों को किस दिशा में ले जा रहे हैं। साउथेम्प्टन विश्वविद्यालय ने हाल ही में, पिछले सप्ताह ही, गुरुग्राम में अपना परिसर खोला है, और यह नई शिक्षा नीति के तहत भारत में परिसर खोलने वाला पहला विदेशी विश्वविद्यालय है। अन्य देशों के विश्वविद्यालयों के अलावा, कई अन्य ब्रिटिश विश्वविद्यालय भी इसी नीति के तहत भारत में परिसर खोलने पर विचार कर रहे हैं।
- 0- ओडिशा, छत्तीसगढ़, मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र और गुजरात में सबसे अधिक मामलों की पुष्टिनई दिल्ली। राष्ट्रीय सिकल सेल मिशन के अंतर्गत लक्षित 7 करोड़ की तुलना में अब तक 6 करोड़ लोगों की सिकल सेल रोग (SCD) के लिए जांच की जा चुकी है। जांच किए गए लोगों में से 2.15 लाख को यह बीमारी होने की पुष्टि हुई है, जबकि 16.7 लाख लोगों को इसके वाहक (कैरियर) के रूप में चिह्नित किया गया है। साथ ही, विभिन्न राज्यों द्वारा अब तक 2.6 करोड़ स्वास्थ्य कार्ड भी वितरित किए जा चुके हैं।मध्य प्रदेश, गुजरात, राजस्थान, तेलंगाना, कर्नाटक और उत्तराखंड जैसे राज्यों ने अपने निर्धारित लक्ष्यों की तुलना में उच्च जांच प्रतिशत हासिल कर उल्लेखनीय प्रगति दिखाई है। वहीं, ओडिशा, छत्तीसगढ़, मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र और गुजरात में सबसे अधिक मामलों की पुष्टि हुई है।सिकल सेल रोग की जांच के लिए प्रमाणित “पॉइंट ऑफ केयर टेस्टिंग (POCT)” किट्स का उपयोग किया जा रहा है, जो त्वरित, विश्वसनीय और पुष्टि योग्य परिणाम प्रदान करते हैं।इसके अतिरिक्त, सभी भागीदार राज्यों से प्राप्त आंकड़ों को एकीकृत करने के लिए एक समर्पित डैशबोर्ड और सिकल सेल डिजीज पोर्टल की स्थापना की गई है।भविष्य की प्राथमिकताओं में बाकी बच्चे लक्ष्यों को पूरा करने के लिए स्क्रीनिंग प्रक्रिया को और तेज़ करना साथ ही रोगी और कैरियर के रूप में चिह्नित लोगों को उचित परामर्श और मिल रही सेवाएं सुनिश्चित करना शामिल है।उल्लेखनीय है कि राष्ट्रीय सिकल सेल एनीमिया उन्मूलन मिशन का शुभारंभ 1 जुलाई 2023 को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा मध्य प्रदेश के शहडोल में किया गया था। इस मिशन का उद्देश्य वर्ष 2047 तक भारत से सिकल सेल एनीमिया को समाप्त करना है। इसके तहत प्रभावित जनजातीय क्षेत्रों में 0 से 40 वर्ष की आयु के 7 करोड़ लोगों की सार्वभौमिक जांच को वित्तीय वर्ष 2025-26 तक पूरा करना और केंद्र एवं राज्य सरकारों के सहयोग से जागरूकता और परामर्श सेवाएं प्रदान करना लक्ष्य है।
- नई दिल्ली। उत्तराखंड में चारधाम यात्रा जारी है। इस बार गंगोत्री, यमुनोत्री, केदारनाथ, बदरीनाथ और हेमकुंड साहिब में भारी संख्या में श्रद्धालु दर्शन के लिए पहुंच रहे हैं। चारधाम यात्रा में अब तक 39 लाख से अधिक तीर्थयात्रियों ने दर्शन किए हैं, जो एक नया रिकॉर्ड है।उत्तराखंड सरकार में पर्यटन मंत्री सतपाल महाराज ने इस उपलब्धि के बारे में प्रेस कॉन्फ्रेंस के माध्यम से जानकारी दी। उन्होंने कहा, “चारधाम यात्रा के लिए गंगोत्री, यमुनोत्री, केदारनाथ धाम और बदरीनाथ धाम के लिए कुल 47 लाख 27 हजार 619 श्रद्धालुओं ने रजिस्ट्रेशन कराए हैं। साथ ही हेमकुंड साहिब के लिए 2 लाख, 16 हजार, 960 श्रद्धालुओं ने ऑनलाइन और ऑफलाइन रजिस्ट्रेशन कराया है। चारधाम यात्रा के लिए अब तक 49 लाख, 41 हजार, 527 श्रद्धालुओं ने ऑनलाइन और ऑफलाइन रजिस्ट्रेशन कराए हैं।”उत्तराखंड में चल रही चारधाम यात्रा में इस बार रिकॉर्ड संख्या में तीर्थयात्री पहुंच रहे हैं। पर्यटन मंत्री सतपाल महाराज ने बताया कि अब तक यमुनोत्री धाम में 5 लाख, 73 हजार, 812, गंगोत्री धाम में 6 लाख, 47 हजार, 571, केदारनाथ धाम में 13 लाख, 91 हजार, 348, बदरीनाथ धाम में 11 लाख, 63 हजार, 867, और हेमकुंड साहिब में 2 लाख, 16 हजार, 305 श्रद्धालुओं ने दर्शन किए हैं। कुल मिलाकर, सभी धामों में 39 लाख, 92 हजार, 903 तीर्थयात्री दर्शन कर चुके हैं।मंत्री सतपाल महाराज ने इस उपलब्धि पर खुशी जताते हुए कहा, “इस रिकॉर्ड को लिम्का बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड में दर्ज कराने की योजना है, जिससे उत्तराखंड का नाम इतिहास में दर्ज हो।” पर्यटन मंत्री सतपाल महाराज ने हरिद्वार में अंतरराष्ट्रीय एयरपोर्ट बनाए जाने को लेकर भी जानकारी दी। उन्होंने कहा कि हरिद्वार में अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डा बनने से इसे लंदन और न्यूयॉर्क जैसे शहरों से जोड़ा जा सकेगा।इससे विशेष रूप से भारतीय मूल के लोग अपने पूर्वजों की अस्थियों को गंगा में प्रवाहित करने के लिए आसानी से हरिद्वार पहुंच सकेंगे। मंत्री ने बताया कि हरिद्वार चार धाम यात्रा का प्रवेश द्वार है, और यहां हवाई अड्डा बनने से तीर्थयात्रियों को सुविधा होगी। इसके लिए दो स्थानों को चिन्हित किया गया है, लेकिन अंतिम निर्णय अभी लिया जाना बाकी है।
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नयी दिल्ली. सरकार ने मंगलवार को कहा कि वर्ष 2024 में साइबर अपराधियों के कारण लोगों को 22,845.73 करोड़ रुपये से अधिक का नुकसान उठाना पड़ा, जो इससे पहले के साल की तुलना में लगभग 206 प्रतिशत की आश्चर्यजनक वृद्धि है। गृह राज्य मंत्री बंडी संजय कुमार ने लोकसभा में यह जानकारी दी।
कुमार ने एक प्रश्न के लिखित उत्तर में कहा कि मंत्रालय द्वारा संचालित राष्ट्रीय साइबर अपराध रिपोर्टिंग पोर्टल (एनसीआरपी) और नागरिक वित्तीय साइबर धोखाधड़ी रिपोर्टिंग और प्रबंधन प्रणाली (सीएफसीएफआरएमएस) के अनुसार, 2024 में पूरे देश में साइबर धोखाधड़ी के कारण नागरिकों को होने वाले नुकसान की कुल राशि 22,845.73 करोड़ रुपये थी जो इससे पहले के वर्ष में 7,465.18 करोड़ रुपये थी। उनके मुताबिक, 2024 में साइबर अपराधियों द्वारा की गई वित्तीय धोखाधड़ी की 36,37,288 घटनाएं एनसीआरपी और सीएफसीएफआरएमएस पर दर्ज की गईं, जबकि पिछले वर्ष ऐसी 24,42,978 घटनाएं घटी थीं। मंत्री द्वारा साझा किए गए आंकड़ों के अनुसार, वर्ष 2022 में एनसीआरपी पर पिछले वर्ष की तुलना में 127.44 प्रतिशत की वृद्धि के साथ 10,29,026 साइबर अपराध दर्ज किए गए, वहीं 2023 में 15,96,493 घटनाएं दर्ज की गईं, जो 55.15 प्रतिशत की वृद्धि दर्शाती हैं। -
नयी दिल्ली. प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने उप राष्ट्रपति पद से जगदीप धनखड़ के इस्तीफे के बाद मंगलवार को कहा कि उन्हें कई भूमिकाओं में देश की सेवा का मौका मिला है और वह उनके उत्तम स्वास्थ्य की कामना करते हैं। प्रधानमंत्री मोदी ने ‘एक्स' पर पोस्ट किया, ‘‘श्री जगदीप धनखड़ जी को भारत के उपराष्ट्रपति सहित कई भूमिकाओं में देश की सेवा करने का अवसर मिला है। मैं उनके उत्तम स्वास्थ्य की कामना करता हूं।'' धनखड़ ने सोमवार शाम स्वास्थ्य कारणों का हवाला देते हुए अपने पद से इस्तीफा दे दिया।
राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू को भेजे अपने त्यागपत्र में धनखड़ ने कहा कि वह ‘‘स्वास्थ्य देखभाल को प्राथमिकता देने'' के लिए तत्काल प्रभाव से पद छोड़ रहे हैं। -
नयी दिल्ली. राज्यसभा में मंगलवार को उपराष्ट्रपति एवं सभापति जगदीप धनखड़ के इस्तीफे की आसन की ओर से घोषणा की गयी, जिन्होंने सोमवार रात अपना त्यागपत्र राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू के पास भेजा था। उच्च सदन की बैठक एक बार के स्थगन के बाद दोपहर बारह बजे जब शुरू हुई तो पीठासीन अध्यक्ष घनश्याम तिवाड़ी ने कहा कि उन्हें एक आवश्यक सूचना सदन को देनी है। तिवाड़ी ने कहा कि गृह मंत्रालय ने संविधान के अनुच्छेद 67 (ए) के तहत उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ के तत्काल प्रभाव से इस्तीफे की 22 जुलाई 2025 को एक अधिसूचना जारी की है। उपराष्ट्रपति पद से धनखड़ के स्वास्थ्य कारणों का हवाला देते हुए पद से इस्तीफा देने के एक दिन बाद मंगलवार को राज्यसभा के उपसभापति हरिवंश ने सदन की सुबह की कार्यवाही की अध्यक्षता की। उपराष्ट्रपति राज्यसभा के पदेन सभापति होते हैं। आमतौर पर धनखड़ दिन की शुरुआत में राज्यसभा की कार्यवाही की अध्यक्षता करते थे। धनखड़ ने सोमवार रात को राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू को अपना इस्तीफा भेजा था। मुर्मू को भेजे अपने त्यागपत्र में धनखड़ ने कहा कि वह ‘‘स्वास्थ्य देखभाल को प्राथमिकता देने'' के लिए तत्काल प्रभाव से पद छोड़ रहे हैं। धनखड़ ने राष्ट्रपति को लिखे पत्र में कहा, "स्वास्थ्य देखभाल को प्राथमिकता देने और चिकित्सीय सलाह का पालन करने के लिए, मैं संविधान के अनुच्छेद 67 (ए) के अनुसार, तत्काल प्रभाव से भारत के उपराष्ट्रपति पद से इस्तीफा दे रहा हूं।" धनखड़ (74) ने अगस्त 2022 में उपराष्ट्रपति का पदभार संभाला था और उनका कार्यकाल 2027 तक था। उनका इस्तीफा संसद के मानसून सत्र के पहले दिन आया। हाल में उनकी दिल्ली स्थित अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) में एंजियोप्लास्टी हुई थी और इस वर्ष मार्च में उन्हें कुछ दिनों के लिए अस्पताल में भर्ती कराया गया था।
- ठाणे. महाराष्ट्र के ठाणे जिले में एक व्यक्ति ने 23 वर्षीय महिला को आपत्तिजनक वीडियो के जरिए ब्लैकमेल कर उससे कथित तौर पर 1.11 लाख रुपये वसूल लिये। पुलिस ने सोमवार को यह जानकारी दी। उन्होंने बताया कि इस संबंध में अज्ञात व्यक्ति के खिलाफ मामला दर्ज किया गया है।महिला आठ जुलाई को ‘इंस्टाग्राम रील्स' देखते समय ‘यूके मैरिज ब्यूरो' शीर्षक वाले एक पोस्ट पर गई और उसके साथ दिए गए लिंक पर क्लिक किया, जिसमें उपयोगकर्ताओं को दोस्त बनाने में मदद करने का झांसा दिया गया था। काशिमीरा थाने के एक अधिकारी ने कहा, ‘‘पीड़िता के लिंक पर क्लिक करते ही उपयोगकर्ता ‘राहुल यूके (यूके बॉय)' नाम के एक व्यक्ति का व्हॉट्सऐप चैट खुल गया।'' इसके बाद पीड़िता ने उस नंबर पर मैसेज किया और एक व्यक्ति से बातचीत शुरू की जिसके बाद दोनों दोस्त बन गए। ऑनलाइन बातचीत के दौरान, दोनों ने एक दूसरे से निजी जानकारी साझा की।बाद में उस व्यक्ति ने महिला को वीडियो कॉल पर कपड़े उतारने के लिए कहा और उसकी जानकारी के बिना उसका वीडियो रिकॉर्ड कर लिया। अधिकारी ने कहा, ‘‘एक मिनट के भीतर ही वीडियो कॉल कट हो गई।''इसके बाद, उस व्यक्ति ने महिला को बताया कि वह मुंबई आ रहा है और उससे मिलेगा।अधिकारी ने बताया कि 11 जुलाई को उसने महिला को फोन करके दावा किया कि वह मुंबई पहुंच गया है लेकिन ‘‘हवाई अड्डे के अधिकारियों ने उसे पकड़ लिया है और खुद को बचान के लिए उसे पैसों की जरूरत है।'' इसके बाद, उस व्यक्ति ने महिला से धन राशि की मांग की।अधिकारी ने बताया कि जब पीड़िता ने धन राशि भेजने में असमर्थता जताई तो आरोपी ने वह वीडियो भेज दिया जो उसने महिला के कपड़े उतारते समय रिकॉर्ड किया था। पुलिस ने बताया कि इसके बाद उस व्यक्ति ने महिला को ब्लैकमेल करना शुरू कर दिया और धन राशि नहीं देने पर वीडियो को सोशल मीडिया पर प्रसारित करने की धमकी दी। अधिकारी ने बताया कि पीड़िता ने डिजिटल भुगतान के जरिए 30 से ज्यादा बार अलग-अलग खातों में 1,11,000 रुपये भेज दिए। उन्होंने कहा, ‘‘रुपये भेजने के बाद महिला ने उससे संपर्क करने की कोशिश की लेकिन संपर्क नहीं हो पाया।'' बाद में महिला ने उसका नंबर को ब्लॉक कर दिया और अपने परिवार के सदस्यों से बातचीत के बाद काशिमीरा थाने में शिकायत दर्ज कराई। अधिकारी ने बताया कि पुलिस ने 18 जुलाई को अज्ञात व्यक्ति के खिलाफ भारतीय न्याय संहिता की धारा 318(4) (धोखाधड़ी) और 308 (वसूली) के तहत प्राथमिकी दर्ज कर ली। उन्होंने बताया कि मामले की जांच जारी है।
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नयी दिल्ली. तमिल सुपरस्टार और उत्साही रेसर अजित कुमार 20 जुलाई को इटली में जीटी4 यूरोपियन सीरीज रेस में भाग लेते समय दुर्घटना के शिकार हो गए। दुर्घटना के बाद उन्होंने कर्मचारियों को कार का मलबा साफ करने में मदद की। यह हादसा सीरीज के दूसरे दौर में मिसानो ट्रैक पर हुआ। जीटी4 यूरोपियन सीरीज़ के आधिकारिक एक्स पेज ने दुर्घटना के बाद का एक वीडियो पोस्ट किया है। अभिनेता (54) एक खड़ी कार से टकरा गए लेकिन उन्हें कोई चोट नहीं आई। वीडियो के नीचे लिखा है, ‘‘नुकसान के साथ दौड़ से बाहर, लेकिन फिर भी सफाई में (मलबा हटाने में) मदद करके खुश हैं। अजित कुमार के प्रति पूर्ण सम्मान।'' एक कमेंटेटर को यह कहते हुए सुना गया है,‘‘अजित कुमार कार से बाहर, रेस से बाहर हो गये। इस साल हमने उनसे पहली बार इतनी बड़ी क्षति देखी है। वह एक बेहतरीन चैंपियन हैं।'' ‘मनकथा', ‘बिल्ला', ‘वरलारू', ‘वाली' और ‘विश्वासम' जैसी हिट फिल्मों के लिए मशहूर अजित कुमार ने जर्मनी और मलेशिया में आयोजित रेस समेत विभिन्न रेसों में भाग लिया है। उन्होंने 2003 फॉर्मूला एशिया बीएमडब्ल्यू चैंपियनशिप के साथ-साथ 2010 फॉर्मूला 2 चैंपियनशिप में भी भाग लिया था। अभिनेता को इस साल भारत सरकार द्वारा पद्म भूषण से सम्मानित किया गया, जो तीसरा सर्वोच्च नागरिक सम्मान है। उन्होंने हाल में तमिल फिल्म ‘गुड बैड अग्ली' में काम किया है। वैसे उनकी किसी अगली फिल्म की अभी घोषणा नहीं हुई है।
- गोंडा/ उत्तर प्रदेश में गोंडा जिले के वजीरगंज क्षेत्र में सोमवार देर शाम खेत में काम करते समय करंट की चपेट में आने से दो सगे भाइयों समेत तीन युवकों की मौत हो गई। पुलिस ने यह जानकारी दी। पुलिस सूत्रों ने यहां बताया कि वजीरगंज थाना क्षेत्र के परसिया निवासी अंजनी कुमार तिवारी के खेत में हाईटेंशन लाइन का खंभा लगा हुआ है। पास में स्थित सरकारी नलकूप के लिए स्थापित ट्रांसफार्मर से खेत की बाड़ में लगे कंटीले तारों में दिन में बारिश होने के कारण करंट आ गया। आज देर शाम खेत की जोताई करते समय तिवारी का छोटा बेटा शिवम (17) करंट की चपेट में आ गया। शिवम को बचाने के प्रयास में उसका बड़ा भाई सत्य नारायण (19) और उनका दोस्त रवि पांडेय (22) भी हाईटेंशन लाइन के करंट की चपेट में आ गए। परिणामस्वरूप तीनों की मौके पर ही मौत हो गई।सूत्रों ने बताया कि सूचना पाकर मौके पर पहुंची पुलिस ने शवों को पोस्टमार्टम के लिए भेज दिया। मामले में प्रथम दृष्टया विद्युत विभाग की लापरवाही सामने आ रही है। प्रारंभिक जांच में यह बात सामने आई है कि बिजली के खंभे के तार के संपर्क से खेत में फैले कंटीले तारों में करंट प्रवाहित हो गया था। देवीपाटन मंडल के मुख्य विद्युत अभियंता यदुनाथ यथार्थ ने बताया कि घटना की जानकारी प्राप्त हुई है और अधिशासी अभियंता से इस संबंध में विस्तृत जांच रिपोर्ट तलब की गई है। उन्होंने कहा कि अगर विभागीय लापरवाही पाई जाती है तो दोषियों के विरुद्ध नियमानुसार कार्रवाई की जाएगी। अभियंता यथार्थ मामले की गंभीरता को देखते हुए उच्चाधिकारियों को अवगत करा दिया गया है और जांच के बाद आगे की कार्रवाई सुनिश्चित की जाएगी।
- नई दिल्ली। भारतीय नौसेना में जल्द ही एक और एंटी-सबमरीन वॉरफेयर शैलो वॉटर क्राफ्ट ‘अजय’ शामिल होगा। सोमवार को‘अजय’ का जलावतरण हुआ। 21 जुलाई को कोलकाता स्थित गार्डन रीच शिपबिल्डर्स एंड इंजीनियर्स (जीआरएसई) शिपयार्ड में इस परियोजना को लांच किया गया। ‘अजय’ भारतीय नौसेना का एक अत्याधुनिक पोत बनने जा रहा है।यह पोत हुल माउंटेड सोनार और लो फ्रीक्वेंसी वेरिएबल डेप्थ सोनार जैसे अत्याधुनिक सेंसर से सुसज्जित है। इसकी मारक क्षमता में उन्नत टॉरपीडो, पनडुब्बी रोधी रॉकेट्स, एनएसजी-30 गन और 12.7 मिमी एसआरसीजी गन शामिल हैं। यह पोत डीजल इंजनों द्वारा संचालित है और वाटर जेट्स से चलता है। गार्डन रीच शिपबिल्डर्स एंड इंजीनियर्स द्वारा यह स्वदेशी रूप से डिजाइन किया गया है। अब गार्डन रीच शिपबिल्डर्स एंड इंजीनियर्स द्वारा की इस एंटी-सबमरीन वॉरफेयर शैलो वॉटर क्राफ्ट का निर्माण भी किया जा रहा है।सोमवार को ‘अजय’ के जलावतरण के अवसर पर भारतीय नौसेना के चीफ ऑफ मटेरियल वाइस एडमिरल किरण देशमुख मुख्य अतिथि के रूप में उपस्थित रहे। पारंपरिक नौसैनिक परंपरा के अनुसार, प्रिया देशमुख ने पोत का जलावतरण किया। इस अवसर पर भारतीय नौसेना और जीआरएसई के वरिष्ठ अधिकारी भी उपस्थित रहे। इस श्रेणी के पहले पोत ‘अर्नाला’ को 18 जून 2025 को नौसेना में शामिल किया गया था, जबकि दूसरे पोत की डिलीवरी अगस्त 2025 में प्रस्तावित है।यह युद्धपोत भारतीय नौसेना की अंडर वॉटर निगरानी, पनडुब्बी रोधी युद्ध क्षमता और समुद्र में माइन बिछाने की क्षमता को सशक्त करेगा। रक्षा विशेषज्ञों का मानना है कि एंटी-सबमरीन वॉरफेयर शैलो वॉटर क्राफ्ट ‘अजय’ का जलावतरण भारतीय नौसेना की स्वदेशी पोत निर्माण, हथियार, सेंसर, संचार और इलेक्ट्रॉनिक युद्ध प्रणालियों में आत्मनिर्भरता की दिशा में निरंतर प्रयासों का प्रतीक है। 80 प्रतिशत से अधिक स्वदेशी सामग्री के साथ यह पोत ‘आत्मनिर्भर भारत’ और ‘मेक इन इंडिया’ पहल का उत्कृष्ट उदाहरण भी है। यह भारतीय पोत हिंद महासागर क्षेत्र में भारत की समुद्री सुरक्षा को और सशक्त करेगा।
- नई दिल्ली। बिहार देश का पहला राज्य बन गया, जिसके सभी मतदान केंद्रों (पीएस) पर 1,200 से कम मतदाता होंगे। मतदान केंद्रों पर लंबी कतारों को रोकने के लिए बिहार में 12,817 नए मतदान केंद्र बढ़ाए गए।बिहार वोटर लिस्ट पुनरीक्षण (एसआईआर) के 24 जून के आदेश (पृष्ठ 2, बिंदु 6/7 और पृष्ठ 7, बिंदु 2 (क)) के अनुसार, प्रत्येक मतदान केंद्र पर 1,500 मतदाताओं की पहले की अधिकतम सीमा को घटाकर अब प्रति मतदान केंद्र पर 1,200 मतदाता कर दिया गया है। 12,817 नए मतदान केंद्र बढ़ाने के बाद राज्य में मतदान केंद्रों की कुल संख्या 77,895 से बढ़कर 90,712 हो जाएगी। बिहार की इस प्रमुख उपलब्धि का अनुसरण अन्य राज्यों और संघ राज्य क्षेत्रों में भी किया जाना है।मुख्य कार्यकारी अधिकारी, जिला मुख्य कार्यकारी अधिकारी, निर्वाचन अधिकारी और बीएलओ ने सभी राजनीतिक दलों के प्रतिनिधियों के साथ बैठकें कीं और उन 29.62 लाख मतदाताओं की विस्तृत सूची साझा की है जिनके फॉर्म अभी तक प्राप्त नहीं हुए हैं। साथ ही उन लगभग 43.93 लाख मतदाताओं की भी लिस्ट शेयर की गई जो अपने पते पर नहीं मिले। सभी 12 प्रमुख राजनीतिक दलों से भी अनुरोध किया गया है कि वे अपने जिला अध्यक्षों और लगभग 1.5 लाख बीएलए के माध्यम से इन शेष मतदाताओं से संपर्क करें।यह सुनिश्चित करना है कि राजनीतिक दलों सहित संपूर्ण चुनाव मशीनरी एक मिशन मोड में एक साथ काम करे, ताकि 1 अगस्त को प्रकाशित होने वाली ड्रॉफ्ट मतदाता सूची से कोई भी पात्र मतदाता छूट न जाए। 1 अगस्त से कोई भी आम जनता एसआईआर आदेश के अनुसार ड्रॉफ्ट मतदाता सूची में किसी के नाम जोड़ने, हटाने और सुधार के लिए आपत्तियां दर्ज कर सकता है। इसके लिए पूरा एक महीना उपलब्ध होगा।बिहार के 7,89,69,844 मतदाताओं में से 7,16,03,218 यानी 90.67 प्रतिशत गणना प्रपत्र प्राप्त हो चुके हैं। डिजिटल गणना प्रपत्र 7,08,59,670 या 89.73 प्रतिशत हैं। जहां 43,92,864 या 5.56 प्रतिशत मतदाता अपने पते पर नहीं मिले तो वहीं 16,55,407 या 2.1 प्रतिशत मृत वोटर पाए गए। अब तक स्थायी रूप से स्थानांतरित मतदाताओं की संख्या 19,75,231 या 2.5 प्रतिशत है। एक से अधिक स्थानों पर नामांकित मतदाता 7,50,742 या 0.95 प्रतिशत हैं, जबकि अप्राप्त वोटर (जिन निर्वाचकों का पता नहीं चल पा रहा है) 11,484 यानी 0.01 प्रतिशत हैं। कुल सम्मिलित निर्वाचक 7,59,96,082 यानी 96.23 प्रतिशत हैं। अब सिर्फ 29,62,762 या 3.77 प्रतिशत मतदाताओं के गणना प्रपत्र प्राप्त होने शेष हैं।
- नई दिल्ली। दिल्ली विधानसभा का इस बार का मानसून सत्र पूरी तरह पेपरलेस होगा। विधानसभा अध्यक्ष विजेंद्र गुप्ता ने सोमवार को विधानसभा परिसर में नेशनल ई-विधान एप्लिकेशन (नेवा) ट्रेनिंग सेंटर का उद्घाटन किया। यह तीन दिवसीय कार्यक्रम 21 से 23 जुलाई तक चलेगा, जिसमें सभी विधायकों को नेवा के उपयोग की ट्रेनिंग दी जाएगी।विजेंद्र गुप्ता ने पत्रकारों से बातचीत में कहा कि नेवा के जरिए विधानसभा की कार्यवाही को कागज रहित बनाया जाएगा। उन्होंने बताया, “21, 22 और 23 जुलाई को दो बैचों में विधायकों को ट्रेनिंग दी जाएगी। यह कदम विधायी प्रक्रिया को आधुनिक और पारदर्शी बनाने में महत्वपूर्ण साबित होगा।” उन्होंने बताया कि नेवा के माध्यम से विधायकों को सवाल-जवाब, बिल पेश करने और चर्चा करने की प्रक्रिया सिखाई जाएगी। संसदीय कार्य मंत्रालय के विशेषज्ञ प्रशिक्षक इस ट्रेनिंग को संचालित करेंगे।विजेंद्र गुप्ता ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के ‘वन नेशन, वन एप्लिकेशन’ के सपने का जिक्र करते हुए कहा, “दिल्ली विधानसभा ने 100 दिनों में नेवा को लागू कर एक मिसाल कायम की है। विधानसभा को सोलर ऊर्जा से युक्त करने का काम भी लगभग पूरा हो चुका है। आने वाले दिनों में यह विधानसभा पेपरलेस और सोलर ऊर्जा से संचालित होगी।”उन्होंने कहा, “मुझे भी ट्रेनिंग लेनी है। सभी विधायकों को इस नई तकनीक को अपनाने के लिए तैयार होना होगा। इस विधायी प्रक्रिया में तेजी आएगी और हम दिल्ली की जनता के हित के लिए कदम जल्दी से उठा पाएंगे। अब इस दिशा में सभी विधायकों को कमर कस लेने की जरूरत है।”गौरतलब हो, पेपरलेस विधानसभा का मतलब है कि विधानसभा की कार्यवाही को पूरी तरह डिजिटल माध्यम से संचालित किया जाता है, जिसमें कागज का उपयोग न्यूनतम या शून्य होता है। नेशनल ई-विधान एप्लिकेशन (नेवा) जैसे डिजिटल प्लेटफॉर्म के जरिए विधायी प्रक्रियाएं, जैसे बिल पेश करना, सवाल-जवाब, चर्चा और दस्तावेज साझा करना, इलेक्ट्रॉनिक रूप से होती हैं। इससे समय और संसाधनों की बचत होती है, साथ ही पर्यावरण का संरक्षण भी होता है, साथ ही कार्यवाही अधिक पारदर्शी और तेज होती है। दिल्ली विधानसभा इस दिशा में नेवा के उपयोग से पेपरलेस बन रही है। (
- नयी दिल्ली. सेवानिवृत्ति कोष निकाय ईपीएफओ के साथ मई महीने में शुद्ध रूप से 20.06 लाख सदस्य जुड़े जो अबतक का सबसे ऊंचा आंकड़ा है। इन सदस्यों में 9.42 लाख नए कर्मचारी भी शामिल हैं। सोमवार को जारी आधिकारिक आंकड़ों के मुताबिक, मई, 2025 का यह आंकड़ा अप्रैल, 2025 की तुलना में 4.79 प्रतिशत और मई, 2024 के मुकाबले 2.84 प्रतिशत अधिक है। श्रम मंत्रालय ने बयान में कहा कि मई का यह आंकड़ा अप्रैल, 2018 में ईपीएफओ से जुड़ने वाले अंशधारकों की निगरानी शुरू होने के बाद से दर्ज सबसे अधिक बढ़ोतरी है।केंद्रीय श्रम एवं रोजगार मंत्री मनसुख मांडविया ने कहा कि मई, 2025 में कर्मचारी भविष्य निधि संगठन (ईपीएफओ) से जुड़ने वाले शुद्ध सदस्यों की यह संख्या भारत के संगठित रोजगार परिदृश्य की बढ़ती ताकत का प्रमाण है। मांडविया ने कहा, ‘‘यह ऐतिहासिक उपलब्धि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के दूरदर्शी नेतृत्व और युवा-समर्थक, श्रमिक-समर्थक सुधारों की दिशा में सरकार की अटूट प्रतिबद्धता का प्रत्यक्ष परिणाम है।'' मई, 2025 में ईपीएफओ से लगभग 9.42 लाख नए सदस्य जुड़े जो अप्रैल, 2025 की तुलना में 11.04 प्रतिशत अधिक है। नए अंशधारकों की संख्या में यह वृद्धि रोज़गार के बढ़ते अवसरों, कर्मचारी लाभ के बारे में बढ़ती जागरूकता और ईपीएफओ के सफल संपर्क कार्यक्रमों का नतीजा है। इन आंकड़ों का एक उल्लेखनीय पहलू 18-25 आयु वर्ग के कर्मचारियों की बड़ी संख्या है। ईपीएफओ ने इस महीने 18-25 आयु वर्ग में 5.60 लाख नए अंशधारक जोड़े, जो मई, 2025 में जुड़े कुल नए सदस्यों का 59.48 प्रतिशत है। इस महीने में 18-25 आयु वर्ग में जुड़े नए सदस्यों की संख्या अप्रैल, 2025 की तुलना में 14.53 प्रतिशत अधिक है।इसके अलावा, मई, 2025 में 18-25 आयु वर्ग की शुद्ध वृद्धि 8.73 लाख रही, जो अप्रैल के मुकाबले 15.10 प्रतिशत और मई, 2024 के मुकाबले 0.11 प्रतिशत अधिक है। इस आंकड़े से पता चलता है कि संगठित कार्यबल में शामिल होने वाले अधिकांश व्यक्ति युवा हैं और उनमें भी पहली बार नौकरी करने वालों की संख्या अधिक है। पहले ईपीएफओ से बाहर हो गए लगभग 16.11 लाख सदस्य मई में फिर से इसका हिस्सा बन गए। यह अप्रैल, 2025 की तुलना में 2.12 प्रतिशत और मई, 2024 की तुलना में 14.27 प्रतिशत अधिक है। इन सदस्यों ने अपनी नौकरी बदली और ईपीएफओ के दायरे में शामिल नियोक्ताओं के साथ फिर से जुड़ गए। इन कर्मचारियों ने भविष्य निधि के अंतिम निपटान के लिए आवेदन करने के बजाय अपनी संचित राशि को स्थानांतरित करने का विकल्प चुना। मई, 2025 में लगभग 2.62 लाख नई महिला सदस्य भी ईपीएफओ में शामिल हुईं, जो अप्रैल की तुलना में 7.08 प्रतिशत और सालाना आधार पर 5.84 प्रतिशत की वृद्धि है। महिला सदस्यों की संख्या में वृद्धि अधिक समावेशी और विविध कार्यबल की ओर व्यापक बदलाव का संकेत है।आलोच्य महीने में ईपीएफओ से शुद्ध रूप से जुड़ने वाले कर्मचारियों की संख्या में शीर्ष पांच राज्यों एवं केंद्रशासित प्रदेशों की हिस्सेदारी लगभग 12.03 लाख नौकरियों के साथ 59.98 प्रतिशत रही। सभी राज्यों में महाराष्ट्र ने इस दौरान अकेले 20.33 प्रतिशत नए सदस्य जोड़े। इसके अलावा कर्नाटक, तमिलनाडु, गुजरात, हरियाणा, दिल्ली, उत्तर प्रदेश और तेलंगाना में भी मई के दौरान कुल शुद्ध सदस्य वृद्धि पांच प्रतिशत से अधिक रही।
- नयी दिल्ली/ केंद्र सरकार ने सोमवार को स्वीकार किया कि जल बंटवारे को लेकर आशंकाओं के कारण नदियों को आपस में जोड़ने के कार्यक्रम को लेकर संबंधित राज्यों के बीच आम सहमति बनाना सबसे चुनौतीपूर्ण कार्य है। जल शक्ति राज्य मंत्री राज भूषण चौधरी ने एक सवाल के लिखित जवाब में राज्यसभा में कहा कि नदियों को आपस में जोड़ने की परियोजनाओं की सफलता अंतरराज्यीय समझौते पर निर्भर करती है। उन्होंने कहा, ‘‘जल-बंटवारे को लेकर राज्यों की आशंकाओं के कारण, उनके बीच आम सहमति बनाना सबसे चुनौतीपूर्ण कार्य है।''उन्होंने कहा कि राष्ट्रीय परिप्रेक्ष्य योजना के तहत नदियों को आपस में जोड़ने की 30 परियोजनाओं को चिह्नित किया गया, जिनमें से पांच को कार्यान्वयन के लिए प्राथमिकता दी गई है। इसमें केन-बेतवा लिंक परियोजना भी शामिल है, जो वर्तमान में निर्माणाधीन है। इस परियोजना का लक्ष्य मध्यप्रदेश और उत्तर प्रदेश में 10.6 लाख हेक्टेयर से अधिक भूमि को सिंचाई सुविधा प्रदान करना और लगभग 62 लाख लोगों को पेयजल उपलब्ध कराना है। इससे 103 मेगावाट जलविद्युत और 27 मेगावाट सौर ऊर्जा भी उत्पन्न होगी। उन्होंने बताया कि बिहार में कोसी-मेची संपर्क योजना से 2.1 लाख हेक्टेयर से अधिक भूमि की सिंचाई के लिए अतिरिक्त मानसून जल का उपयोग किए जाने और कोसी नदी के निचले इलाकों में बाढ़ के प्रभाव को कम करने की उम्मीद है।
- कोलकाता/ वाइस एडमिरल किरण देशमुख ने सोमवार को कहा कि बढ़ती सामरिक प्रतिस्पर्धा, संसाधन नियंत्रण और सुरक्षा चुनौतियों के युग में भारतीय नौसेना राष्ट्रीय शक्ति प्रदर्शन, कूटनीति और क्षेत्रीय स्थिरता का एक आवश्यक साधन बन गई है। नौसेना के ‘चीफ आफ मैटेरियल्स' देशमुख ने कहा कि हिंद महासागर क्षेत्र और उसके बाहर भू-राजनीतिक वातावरण को आकार देने में भारतीय नौसेना की भूमिका निरंतर महत्वपूर्ण होती जा रही है। वह रक्षा क्षेत्र के सार्वजनिक उपक्रम ‘गार्डन रीच शिपबिल्डर्स एंड इंजीनियर्स लिमिटेड' (जीआरएसई) द्वारा भारतीय नौसेना के लिए निर्मित ‘एंटी-सबमरीन वारफेयर शैलो वाटर क्राफ्ट' की श्रृंखला के आठवें पोत का जलावतरण किए जाने के अवसर पर बोल रहे थे। उन्होंने कहा, ‘‘बढ़ती सामरिक प्रतिस्पर्धा, संसाधन नियंत्रण और सुरक्षा चुनौतियों के युग में, भारतीय नौसेना राष्ट्रीय शक्ति प्रदर्शन, कूटनीति और क्षेत्रीय स्थिरता का एक आवश्यक साधन बन गई है।'' ‘अजय' नामक इस युद्धपोत का जलावतरण यहां एक समारोह में वाइस एडमिरल किरण देशमुख की पत्नी प्रिया देशमुख ने किया। यह भारतीय नौसेना के लिए गार्डन रीच शिपबिल्डर्स एंड इंजीनियर्स (जीआरएसई) लिमिटेड द्वारा निर्मित पनडुब्बी रोधी युद्ध उथले जल पोतों की श्रृंखला का आठवां और अंतिम जहाज है।उन्होंने कहा, ‘‘चूंकि वैश्विक शक्तियां इस क्षेत्र में अपना दबदबा बनाने का प्रयास कर रही हैं, जहां 80 प्रतिशत वैश्विक व्यापार होता है, इसलिए भारतीय नौसेना को उभरते समुद्री खतरों के लिए पसंदीदा सुरक्षा साझेदार होने तथा एचएडीआर (मानवीय सहायता और आपदा राहत) मिशन के मामले में प्रथम प्रतिक्रियाकर्ता होने की अपनी प्रतिष्ठा बनाए रखने की आवश्यकता है।'' वाइस एडमिरल देशमुख ने कहा कि इन आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए भारतीय नौसेना भारतीय पोत निर्माण उद्योग के माध्यम से विविध भूमिकाओं वाले बड़ी संख्या में जहाजों का निर्माण कर रही है, जो देश भर के विभिन्न शिपयार्ड की ऑर्डर बुक से स्पष्ट है, जो आत्मनिर्भरता को प्रमुखता देता है। उन्होंने जीआरएसई की भूमिका की सराहना की, जिसने देश के सभी शिपयार्ड में सबसे अधिक युद्धपोतों का निर्माण किया है। जीआरएसई देश के प्रमुख रक्षा शिपयार्ड में से एक के रूप में उभरा है, जिसने भारतीय नौसेना और तटरक्षक बल के लिए 110 से अधिक युद्धपोतों का निर्माण किया है। उन्होंने कहा कि भारत दुनिया के उन कुछ देशों में से एक है जो आधुनिक युद्धपोत, पारंपरिक और परमाणु पनडुब्बियां और विमानवाहक पोत बनाते हैं।जीआरएसई के अध्यक्ष एवं प्रबंध निदेशक कमोडोर (सेवानिवृत्त) पी. आर. हरि ने कहा कि जहाज ‘अजय' उन 16 पनडुब्बी रोधी युद्धक उथले जल जहाजों में से एक है, जिनका निर्माण नौसेना के लिए दो शिपयार्ड द्वारा किया जा रहा है, जिनमें से आठ-आठ जीआरएसई और एक सहयोगी शिपयार्ड द्वारा बनाए जा रहे हैं। उन्होंने कहा, ‘‘पिछला ‘अजय', जो हमारे देश का पहला स्वदेशी युद्धपोत था, साढ़े छह दशक पहले जीआरएसई द्वारा बनाया गया था और सितंबर 1961 में भारतीय नौसेना में शामिल किया गया था।'' उन्होंने कहा कि वर्तमान जहाज ‘अजय' तीसरी पीढ़ी का युद्धपोत है। जीआरएसई के एक अधिकारी ने बताया कि कोलकाता की इस कंपनी ने भारतीय नौसेना के लिए ऐसे आठ पोत का निर्माण किया है। उन्होंने बताया कि ये बहुउद्देश्यीय युद्धपोत हैं और कई तरह के अभियानों में हिस्सा ले सकते हैं। अधिकारी ने यह भी कहा कि ये जहाज कम गहराई वाले जलक्षेत्र में संचालन के हिसाब से तैयार किए गए हैं, इसलिए ये तटीय इलाकों में आसानी से काम कर सकते हैं। उन्होंने कहा, ‘‘77.6 मीटर लंबे और 10.5 मीटर चौड़े ये युद्धपोत तटीय जल क्षेत्र में सतह के नीचे पूरी तरह से निगरानी करने और तलाश एवं बचाव अभियान के संचालन में भी सक्षम हैं।''
- नयी दिल्ली/ दिल्ली की एक अदालत ने कहा है कि विवाह के समय दी गई हर वस्तु को स्त्रीधन नहीं कहा जा सकता। अदालत ने साथ ही एक कार समेत अन्य वस्तुएं वापस मांगने वाली महिला की याचिका खारिज कर दी। न्यायिक मजिस्ट्रेट सोनिका घरेलू हिंसा से महिलाओं के संरक्षण अधिनियम के तहत महिला द्वारा दायर याचिका पर सुनवाई कर रही थीं। स्त्रीधन चल या अचल संपत्ति होती है, जो किसी महिला को उसके जीवनकाल में, विवाह से पहले, विवाह के समय या बच्चे के जन्म के समय प्राप्त होती है।बारह जुलाई को दिए आदेश में अदालत ने कहा, ‘‘वर्तमान याचिका के साथ संलग्न दस्तावेजों सहित रिकार्ड के अवलोकन के बाद, इस स्तर पर यह निष्कर्ष नहीं निकाला जा सकता कि वर्तमान याचिका के साथ संलग्न दहेज सामग्री की सूची में उल्लिखित कार सहित सभी वस्तुएं याचिकाकर्ता को स्त्रीधन सामग्री के रूप में दी गई थीं।' अदालत ने कहा कि स्वामित्व साबित करने के लिए कोई प्रथम दृष्टया सबूत, जैसे बिल, तस्वीरें या गवाहों के हलफनामे, उपलब्ध नहीं हैं। आदेश में कहा गया, "इसके अलावा, विवाह के समय दी गई प्रत्येक वस्तु को याचिकाकर्ता का स्त्रीधन नहीं कहा जा सकता, क्योंकि कुछ वस्तुएं उपहार की श्रेणी में आती हैं।'' अदालत ने कहा कि जब मामले में मुकदमा अभी शुरू होना बाकी है, तो स्त्रीधन की वस्तुओं को वापस करने का आदेश एक असत्यापित सूची के आधार पर पारित नहीं किया जा सकता, खासकर स्वामित्व को लेकर लंबित विवाद के दौरान। महिला की याचिका खारिज करते हुए, अदालत ने कहा कि वह अपने दावों के समर्थन में उचित साक्ष्य प्रस्तुत करने के अधीन, अंतिम निर्णय के समय राहत का अनुरोध कर सकती है।
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नयी दिल्ली. दिल्ली की एक अदालत ने कहा है कि विवाह के समय दी गई हर वस्तु को स्त्रीधन नहीं कहा जा सकता। अदालत ने साथ ही एक कार समेत अन्य वस्तुएं वापस मांगने वाली महिला की याचिका खारिज कर दी। न्यायिक मजिस्ट्रेट सोनिका घरेलू हिंसा से महिलाओं के संरक्षण अधिनियम के तहत महिला द्वारा दायर याचिका पर सुनवाई कर रही थीं। स्त्रीधन चल या अचल संपत्ति होती है, जो किसी महिला को उसके जीवनकाल में, विवाह से पहले, विवाह के समय या बच्चे के जन्म के समय प्राप्त होती है। बारह जुलाई को दिए आदेश में अदालत ने कहा, ‘‘वर्तमान याचिका के साथ संलग्न दस्तावेजों सहित रिकार्ड के अवलोकन के बाद, इस स्तर पर यह निष्कर्ष नहीं निकाला जा सकता कि वर्तमान याचिका के साथ संलग्न दहेज सामग्री की सूची में उल्लिखित कार सहित सभी वस्तुएं याचिकाकर्ता को स्त्रीधन सामग्री के रूप में दी गई थीं।' अदालत ने कहा कि स्वामित्व साबित करने के लिए कोई प्रथम दृष्टया सबूत, जैसे बिल, तस्वीरें या गवाहों के हलफनामे, उपलब्ध नहीं हैं। आदेश में कहा गया, "इसके अलावा, विवाह के समय दी गई प्रत्येक वस्तु को याचिकाकर्ता का स्त्रीधन नहीं कहा जा सकता, क्योंकि कुछ वस्तुएं उपहार की श्रेणी में आती हैं।'' अदालत ने कहा कि जब मामले में मुकदमा अभी शुरू होना बाकी है, तो स्त्रीधन की वस्तुओं को वापस करने का आदेश एक असत्यापित सूची के आधार पर पारित नहीं किया जा सकता, खासकर स्वामित्व को लेकर लंबित विवाद के दौरान। महिला की याचिका खारिज करते हुए, अदालत ने कहा कि वह अपने दावों के समर्थन में उचित साक्ष्य प्रस्तुत करने के अधीन, अंतिम निर्णय के समय राहत का अनुरोध कर सकती है।
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नई दिल्ली। केरल के पूर्व मुख्यमंत्री और मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (माकपा) के वरिष्ठ नेता वेलिक्ककतु शंकरन अच्युतानंदन का तिरुवनंतपुरम में सोमवार को निधन हो गया। वह 101 वर्ष के थे और लंबी बीमारी के कारण महीने भर से से तिरुवनंतपुरम के एसयूटी अस्पताल में भर्ती थे।
वीएस के नाम से प्रसिद्ध अच्युतानंदन माकपा के संस्थापक सदस्य थे और 2006 से 2011 तक वह केरल के मुख्यमंत्री रहे। वह 1985 से 2009 तक तक माकपा पोलित ब्यूरो के सदस्य रहे और उसके बाद पार्टी की केंद्रीय समिति के सदस्य बने। केरल विधान सभा के इतिहास में वह सबसे अधिक 15 वर्ष तक नेता प्रतिपक्ष रहे। वह सात बार विधान सभा के लिए चुने गए। उनका पार्थिव शरीर मंगलवार को आलप्पुबा ले जाया जाएगा और बुधवार को उनका अंतिम संस्कार होगा। अच्युतानंद का जन्म 1923 में आलप्पुबा जिले के पुन्नपरा के एक खेतिहर मजदूर परिवार में हुआ था। पिछले आठ दशक से वह केरल में श्रमिकों के अधिकारों, भूमि सुधारों और सामाजिक न्याय के लिए काम करते रहे। एस्पिनवॉल कंपनी में काम करते समय उन्होंने कॉयर मजदूरों को संगठित कर पहली बार मजदूर संघ बनाया।वीएस 1940 मे कम्युनिस्ट पार्टी में शामिल हो गए, जब वह केवल 17 साल के थे। उन्होंने त्रावणकोर कार्षका थोषिलाली संघ की स्थापना में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाई। अच्युतानंदन ने कुट्टनाड में जमींदारों के हाथों बुरी तरह शोषित हो रहे कृषि श्रमिकों के उत्थान में भी अहम किरदार अदा किया। त्रावणकोर के दीवान के खिलाफ चलाए गए पुन्नपरा-वयलर विद्रोह के दौरान उन्हें गिरफ्तार कर लिया गया तथा भयानक यातनाएं दी गईं। माकपा ने एक बयान में कहा, ‘सार्वजनिक वक्ता के तौर पर वीएस को श्रोताओं को साथ सीधे जुड़ने में महारत हासिल थी। बेहद कम खर्च वाली जीवनशैली और सामाजिक न्याय के लिए अडिग प्रतिबद्धता वाले अच्युतानंदन केरल की राजनीति पर अमिट छाप छोड़ गए हैं। उनके निधन से पार्टी और कम्युनिस्ट आंदोलन को बहुत क्षति पहुंची है।’ - नयी दिल्ली। अपने मुखर व्यक्तित्व के लिए जाने जाने वाले जगदीप धनखड़ ने शक्तियों के पृथक्करण के मुद्दे पर न्यायपालिका पर तीखा प्रहार किया और उपराष्ट्रपति के रूप में अपने कार्यकाल के दौरान लगभग हर दिन राज्यसभा में विपक्ष के साथ उनका टकराव होता था। धनखड़ (74) ने सोमवार को सभापति के रूप में राज्यसभा में एक महत्वपूर्ण दिन बिताने के बाद स्वास्थ्य कारणों का हवाला देते हुए उपराष्ट्रपति पद से इस्तीफा दे दिया। उन्होंने इसी महीने एक कार्यक्रम में कहा था कि "ईश्वर" ने चाहा तो वह "सही समय" पर सेवानिवृत्त हो जाएंगे। इस वर्ष मार्च में कुछ दिनों के लिए उन्हें एम्स में भर्ती कराया गया था और कुछ अवसरों पर उनकी हालत ठीक नहीं दिखी थी, लेकिन संसद सहित सार्वजनिक कार्यक्रमों में वह अक्सर ऊर्जावान ही दिखे। कार्यकाल समाप्त होने से लगभग दो वर्ष पहले धनखड़ ने ऐसे वक्त इस्तीफा दे दिया, जब दिन में राज्यसभा में सरकार के लिए घटनाक्रम आश्चर्यजनक रहा, क्योंकि न्यायमूर्ति यशवंत वर्मा को हटाने के लिए विपक्ष द्वारा प्रायोजित प्रस्ताव का नोटिस उन्हें सौंपा गया और उन्होंने सदन में इसका उल्लेख किया। यह घटनाक्रम सत्तारूढ़ गठबंधन के लिए एक झटका है, जिसने लोकसभा में इसी तरह का नोटिस प्रायोजित किया था और विपक्ष को भी इसमें शामिल किया था।धनखड़ 2022 के उपराष्ट्रपति चुनाव में भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) नीत राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) के उम्मीदवार थे। वह वीवी गिरि और आर वेंकटरमन के बाद, अपने कार्यकाल के दौरान इस्तीफा देने वाले भारत के तीसरे उपराष्ट्रपति हैं। गिरि और वेंकटरमन ने राष्ट्रपति चुनाव लड़ने के लिए उपराष्ट्रपति पद से इस्तीफा दे दिया था।धनखड़ इतिहास में एकमात्र ऐसे उपराष्ट्रपति के रूप में भी जाने जाएंगे, जिनके खिलाफ विपक्ष ने उच्च सदन के सभापति के रूप में "पक्षपातपूर्ण" आचरण अपनाने का आरोप लगाया और उन्हें हटाने के लिए नोटिस लाया। नोटिस को उपसभापति हरिवंश ने खारिज कर दिया था। नोटिस को नज़रअंदाज़ करते हुए, धनखड़ ने इसे "जंग लगा हुआ" सब्जी काटने वाला चाकू बताया था, जिसका इस्तेमाल बाईपास सर्जरी के लिए किया गया। जनता दल और कांग्रेस से जुड़े रहे धनखड़ लगभग एक दशक के अंतराल के बाद 2008 में भाजपा में शामिल हुए थे। उन्होंने राजस्थान में जाट समुदाय को अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) का दर्जा देने सहित पिछड़ा वर्ग से संबंधित अन्य मुद्दों की वकालत की। वर्ष 2019 में पश्चिम बंगाल के राज्यपाल के रूप में उनकी आश्चर्यजनक नियुक्ति ने उन्हें राजनीतिक सुर्खियों में वापस ला दिया, लेकिन वह राजनीति की हलचल से दूर नहीं रहे और राज्य की सत्तारूढ़ तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) के साथ उनका अक्सर टकराव होता रहा। धनखड़ ने राज्यसभा में व्यवधान से लेकर बिना चर्चा के विधेयक पारित होने के आरोपों तक, कई मुद्दों पर विपक्ष को आड़े हाथों लिया। उन्होंने खास तौर पर उन शीर्ष वकीलों पर निशाना साधा, जो विपक्षी दलों, खासकर कांग्रेस का प्रतिनिधित्व करने वाले राज्यसभा सदस्य भी हैं। पेशे से वकील, धनखड़ ने न्यायपालिका पर भी निशाना साधा, खासकर शक्तियों के पृथक्करण के मुद्दे पर।उन्होंने राष्ट्रीय न्यायिक नियुक्ति आयोग अधिनियम को रद्द करने के उच्चतम न्यायालय के फैसले की कड़ी आलोचना की, जिसमें उच्चतम न्यायालय और उच्च न्यायालय के न्यायाधीशों की नियुक्ति की कॉलेजियम प्रणाली को पलटने की कोशिश की गई थी। भारत के तत्कालीन प्रधान न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ की उपस्थिति में उन्होंने दोनों सदनों द्वारा लगभग सर्वसम्मति से पारित कानून को रद्द करने के लिए शीर्ष अदालत पर सवाल उठाया था। उन्होंने सांसदों की भी आलोचना करते हुए कहा था कि जब कानून को रद्द किया गया, तो सांसदों की तरफ से विरोध का एक स्वर तक नहीं उभरा। वर्ष 1990 में राजस्थान उच्च न्यायालय द्वारा वरिष्ठ अधिवक्ता के रूप में नामित धनखड़ ने मुख्य रूप से उच्चतम न्यायालय में वकालत की थी और उनके मुकदमेबाजी के क्षेत्र में इस्पात, कोयला, खनन और अंतरराष्ट्रीय वाणिज्यिक मध्यस्थता शामिल थे। वकील के रूप में, वह अभिनेता सलमान खान से जुड़े काला हिरण मामले से जुड़े थे और उन्हें ज़मानत दिलाने में अहम भूमिका निभाई थी। जुलाई 2019 में पश्चिम बंगाल के राज्यपाल का पद संभालने तक, उन्होंने देश के विभिन्न उच्च न्यायालयों में विभिन्न मामलों में पैरवी की। अध्यात्म और ध्यान में भी गहरी रुचि रखने वाले धनखड़ ने जनता दल के साथ अपनी राजनीतिक यात्रा शुरू की और 1989 में बोफोर्स घोटाले के मुद्दे के तूल पकड़ने के बीच आयोजित लोकसभा चुनाव में राजस्थान के झुंझुनू से जीत दर्ज की। धनखड़ ने प्रधानमंत्री चंद्रशेखर के कार्यकाल में संसदीय कार्य राज्य मंत्री के रूप में काम किया।धनखड़ राजनीति में अपने शुरुआती सफर में देवीलाल से प्रभावित थे और बाद में प्रधानमंत्री पीवी नरसिम्हा राव के कार्यकाल के दौरान कांग्रेस में शामिल हो गए। राजस्थान विधानसभा के सदस्य के रूप में कार्यकाल खत्म होने के बाद, धनखड़ ने अपने कानूनी करियर पर ध्यान केंद्रित किया और उच्चतम न्यायालय में वकील के रूप में प्रैक्टिस की। उपराष्ट्रपति पद के लिए राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) उम्मीदवार के रूप में उनका नाम घोषित करते हुए, भाजपा ने उन्हें "किसान पुत्र" बताया था। राजनीतिक हलकों में यह कदम राजनीतिक रूप से महत्वपूर्ण जाट समुदाय तक पहुंच बनाने के उद्देश्य से देखा गया था, जिसने जून 2020 में शुरू किए गए कृषि सुधार उपायों के खिलाफ साल भर चले किसानों के प्रदर्शन में बड़ी संख्या में भाग लिया था। उपराष्ट्रपति चुने जाने के बाद, धनखड़ ने राष्ट्रीय राजधानी, हरियाणा और राजस्थान में किसानों के कई समूहों से मुलाकात की और उनसे कृषि से आगे बढ़कर खाद्य प्रसंस्करण और विपणन क्षेत्र में कदम रखने का आग्रह किया ताकि उनकी आय बढ़े। एक मौके पर, उनके शब्द मोदी सरकार की तीखी आलोचना जैसे लग रहे थे।दिसंबर 2024 में मुंबई में आईसीएआर-सीआईआरसीओटी के शताब्दी वर्ष के उपलक्ष्य में आयोजित एक समारोह में बोलते हुए धनखड़ ने कहा था, "कृषि मंत्री जी, मैं आपसे अनुरोध करता हूं कि कृपया मुझे बताएं कि किसान से क्या वादा किया गया था? वादा पूरा क्यों नहीं किया गया? वादा पूरा करने के लिए हमें क्या करना चाहिए?" उन्होंने कहा, "पिछले साल भी एक आंदोलन हुआ था, इस साल भी एक आंदोलन हुआ है।"धनखड़ ने कहा, "समय का पहिया घूम रहा है, हम कुछ नहीं कर रहे हैं। पहली बार मैंने भारत को बदलते देखा है। पहली बार मुझे एहसास हो रहा है कि भारत का विकास हमारा सपना नहीं, बल्कि हमारा लक्ष्य है। भारत दुनिया में इतनी ऊंचाई पर कभी नहीं था।" धनखड़ ने किसानों से बात करते हुए कहा था, "जब ऐसा हो रहा है, तो मेरा किसान क्यों परेशान और पीड़ित है? किसान ही असहाय है।"राजस्थान के झुंझुनू जिले के किठाना गांव में 18 मई, 1951 को जन्मे धनखड़ ने चित्तौड़गढ़ के सैनिक स्कूल में छात्रवृत्ति पर शिक्षा प्राप्त की।
























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