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तियानजिन (चीन). प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने सोमवार को शंघाई सहयोग संगठन (एससीओ) के वार्षिक शिखर सम्मेलन में कहा कि पहलगाम में हुआ भयावह आतंकवादी हमला न केवल भारत के लिए एक झटका था बल्कि मानवता में विश्वास रखने वाले हर देश के लिए एक खुली चुनौती भी था। पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ और चीन के राष्ट्रपति शी चिनफिंग की उपस्थिति में मोदी ने यह भी जोर देकर कहा कि एससीओ को आतंकवाद पर ‘‘दोहरे मानदंडों'' को स्पष्ट रूप से और सर्वसम्मति से नकारना चाहिए। उन्होंने कहा, ‘‘यह मानवता के प्रति हमारा कर्तव्य है।''
पाकिस्तान का नाम लिए बिना मोदी ने कहा कि यह सवाल उठना स्वाभाविक है: ‘‘क्या कुछ देशों द्वारा आतंकवाद का खुला समर्थन हमें स्वीकार्य हो सकता है?'' प्रधानमंत्री ने कहा कि भारत पिछले चार दशकों से आतंकवाद का दंश झेल रहा है।
उन्होंने कहा, ‘‘कई माताओं ने अपनी संतानें खो दीं और कई बच्चे अनाथ हो गए। हाल में हमने पहलगाम में आतंकवाद का एक बेहद घृणित रूप देखा।'' उन्होंने कहा, ‘‘यह हमला न केवल भारत की अंतरात्मा पर एक आघात था, बल्कि यह हर उस देश, हर उस व्यक्ति के लिए एक खुली चुनौती था जो मानवता में विश्वास रखता है।'' प्रधानमंत्री ने कहा कि एससीओ को आतंकवाद से निपटने के लिए एकजुट होकर काम करना चाहिए।
उन्होंने कहा, ‘‘हमें स्पष्ट रूप से और सर्वसम्मति से कहना होगा कि आतंकवाद पर कोई भी दोहरा मापदंड स्वीकार्य नहीं होगा। हमें आतंकवाद के सभी रूपों और रंगों का मिलकर विरोध करना चाहिए।'' मोदी ने पहलगाम हमले के बाद भारत के साथ खड़े होने वाले मित्र देशों के प्रति भी आभार व्यक्त किया।
उन्होंने कहा कि आतंकवाद, अलगाववाद और उग्रवाद किसी भी राष्ट्र की शांति, समृद्धि और स्थिरता के लिए बड़ी चुनौतियां हैं। उन्होंने कहा कि एससीओ का क्षेत्रीय आतंकवाद-रोधी ढांचा आतंकवाद से निपटने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकता है। प्रधानमंत्री ने ‘कनेक्टिविटी' (संपर्क) के महत्व पर भी प्रकाश डाला।
उन्होंने कहा कि हमारा मानना है कि संपर्क के हर प्रयास में संप्रभुता और क्षेत्रीय अखंडता का सम्मान किया जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि संप्रभुता को दरकिनार करने वाली ‘कनेक्टिविटी' विश्वास और अर्थ खो देती है।
प्रधानमंत्री ने कहा कि एससीओ सदस्य देश वैश्विक संस्थाओं में सुधार के लिए आपसी सहयोग बढ़ा सकते हैं।
उन्होंने कहा, ‘‘हम सर्वसम्मति से संयुक्त राष्ट्र में सुधार का आह्वान कर सकते हैं।''
प्रधानमंत्री ने ‘ग्लोबल साउथ' के विकास को सुनिश्चित करने पर भी जोर दिया। उन्होंने कहा कि ‘ग्लोबल साउथ' की आकांक्षाओं को पुराने ढांचों में सीमित रखना भावी पीढ़ियों के साथ घोर अन्याय है। ‘ग्लोबल साउथ' से तात्पर्य उन देशों से है जिन्हें अक्सर विकासशील, कम विकसित अथवा अविकसित के रूप में जाना जाता है और ये मुख्य रूप से अफ्रीका, एशिया और लातिन अमेरिका में स्थित हैं। भारत की विकास यात्रा पर प्रकाश डालते हुए मोदी ने कहा कि देश ‘‘रिफॉर्म, परफॉर्म और ट्रांसफॉर्म'' (सुधार, प्रदर्शन और परिवर्तन) के मंत्र के साथ आगे बढ़ रहा है। उन्होंने कहा कि चाहे कोविड-19 महामारी हो या वैश्विक आर्थिक अस्थिरता, हमने हर चुनौती को अवसर में बदलने की कोशिश की है। -
न्यूयॉर्क/वाशिंगटन. अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने सोमवार को दावा किया कि भारत ने अब शुल्क में कटौती कर इसे नाममात्र करने की पेशकश की है, ''लेकिन अब इसमें देर हो चुकी है।'' उन्होंने कहा कि भारत अपना ज्यादातर तेल और सैन्य सामान रूस से खरीदता है और अमेरिका से बहुत कम खरीदता है। ट्रंप ने ट्रुथ सोशल पर एक पोस्ट में कहा, ''बहुत कम लोग यह जानते हैं कि हम भारत के साथ बहुत थोड़ा व्यापार करते हैं, लेकिन वे हमारे साथ बहुत ज्यादा व्यापार करते हैं।'' उन्होंन कहा, ''भारत अपने सबसे बड़े ग्राहक अमेरिका को भारी मात्रा में सामान बेचता है, लेकिन हम उन्हें बहुत कम बेचते हैं। अब तक यह पूरी तरह से एकतरफा रिश्ता रहा है, और यह कई दशकों से चला आ रहा है।'' ट्रंप ने कहा कि इसका कारण यह है कि भारत ने अब तक हमसे इतने ज्यादा शुल्क वसूले हैं, किसी भी देश से ज़्यादा, कि हमारी कंपनियां भारत में सामान नहीं बेच पा रही हैं। उन्होंने कहा, ''भारत अपना ज्यादातर तेल और सैन्य उत्पाद रूस से खरीदता है, अमेरिका से बहुत कम। उन्होंने अब अपने शुल्क को पूरी तरह से कम करने की पेशकश की है, लेकिन अब देर हो चुकी है। उन्हें ऐसा सालों पहले कर देना चाहिए था। ये लोगों के सोचने के लिए बस कुछ साधारण तथ्य हैं।'' ट्रंप की यह टिप्पणी ऐसे समय में आई है, जब प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने तियानजिन में शंघाई सहयोग संगठन शिखर सम्मेलन के मौके पर रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन और चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग के साथ द्विपक्षीय वार्ता की। ट्रंप प्रशासन ने भारत पर 25 प्रतिशत जवाबी शुल्क और रूस से तेल खरीदने के कारण 25 प्रतिशत अतिरिक्त शुल्क लगाया है। इस तरह भारत पर लगाया गया कुल शुल्क 50 प्रतिशत हो गया है, जो दुनिया में सबसे ज्यादा हैं। भारत ने अमेरिका द्वारा लगाए गए शुल्क को अनुचित बताया है।
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तियानजिन (चीन). शंघाई सहयोग संगठन (एससीओ) का 25 वां शिखर सम्मेलन रविवार रात यहां चीनी राष्ट्रपति शी चिनफिंग द्वारा आयोजित एक विशाल भोज के साथ औपचारिक रूप से शुरू हुआ, जिसमें प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन समेत अन्य नेता शामिल हुए। शी चिनफिंग ने अपनी पत्नी पेंग लियुआन के साथ चीन के बंदरगाह शहर तियानजिन में अंतरराष्ट्रीय मेहमानों के स्वागत के लिए भोज का आयोजन किया। इस वर्ष का शिखर सम्मेलन 10 सदस्यीय समूह का सबसे बड़ा आयोजन है क्योंकि चीन ने संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंटोनियो गुतारेस सहित 20 विदेशी नेताओं और 10 अंतरराष्ट्रीय संगठनों के प्रमुखों को आमंत्रित किया है। शिखर बैठक सोमवार को एक विशेष रूप से नामित सम्मेलन केंद्र में आयोजित की जाएगी, जिसे 10 सदस्यीय समूह के नेता, आमंत्रित नेताओं के साथ, संबोधित करेंगे। शनिवार को शी चिनफिंग से मोदी की मुलाकात और अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के विभिन्न देशों पर नए शुल्क लगाए जाने की पृष्ठभूमि में प्रधानमंत्री मोदी के भाषण पर उत्सुकता से नजर रखी जाएगी। माना जा रहा है कि इस बैठक से संबंधों के लिए नया खाका तैयार होगा। स्वागत भोज पर अपने संबोधन में शी ने कहा कि एससीओ पर क्षेत्रीय शांति और स्थिरता की रक्षा करने तथा बढ़ती अनिश्चितताओं और तेज परिवर्तन की दुनिया में विभिन्न देशों के विकास को बढ़ावा देने की बड़ी जिम्मेदारी है। शी ने विश्वास व्यक्त किया कि सभी पक्षों के सम्मिलित प्रयासों से शिखर सम्मेलन पूर्णतः सफल होगा तथा एससीओ निश्चित रूप से और भी बड़ी भूमिका निभाएगा, सदस्य देशों के बीच एकता और सहयोग को बढ़ावा देने में अधिक योगदान देगा, ‘ग्लोबल साउथ' की ताकत को एकजुट करेगा तथा मानव सभ्यता की और अधिक प्रगति को बढ़ावा देगा। ‘ग्लोबल साउथ' का संदर्भ आर्थिक रूप से कमजोर देशों के समूह के लिए दिया जाता है।
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तियानजिन (चीन). प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और चीन के राष्ट्रपति शी चिनफिंग के बीच रविवार को सार्थक बैठक हुई और दोनों नेताओं के बीच द्विपक्षीय संबंधों को आगे बढ़ाने पर एक अहम सहमति बनी। चीन की कम्युनिस्ट पार्टी (सीपीसी) के एक वरिष्ठ पदाधिकारी ने यह जानकारी दी। सरकारी समाचार एजेंसी शिन्हुआ की खबर के अनुसार, सीपीसी केंद्रीय समिति के राजनीतिक ब्यूरो की स्थायी समिति के सदस्य और शी के करीबी काई क्वी ने कहा कि चीन मित्रता बढ़ाने, पारस्परिक रूप से लाभकारी सहयोग बढ़ाने, मतभेदों का उचित ढंग से समाधान करने और चीन-भारत संबंधों को दुरूस्त करने तथा इन्हें और प्रगाढ़ करने के लिए भारत के साथ काम करने को तैयार है। मोदी और शी की बैठक पर विदेश मंत्रालय की ओर से जारी एक प्रेस विज्ञप्ति में कहा गया कि प्रधानमंत्री ने चीन की कम्युनिस्ट पार्टी के पोलित ब्यूरो की स्थायी समिति के सदस्य काई के साथ भी बैठक की। प्रधानमंत्री ने द्विपक्षीय संबंधों के लिए अपने दृष्टिकोण को काई के साथ साझा किया तथा दोनों नेताओं के दृष्टिकोण को साकार करने के लिए उनका समर्थन मांगा। काई ने द्विपक्षीय आदान-प्रदान बढ़ाने तथा दोनों नेताओं (मोदी और शी) के बीच बनी सहमति के अनुरूप संबंधों को और बेहतर बनाने की चीनी पक्ष की इच्छा दोहराई।
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तियानजिन (चीन). प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने रविवार को म्यांमा की सैन्य सरकार के प्रमुख वरिष्ठ जनरल मिन आंग ह्लाइंग से कहा कि भारत को उम्मीद है कि म्यांमा में आगामी चुनाव निष्पक्ष और समावेशी तरीके से होंगे, जिसमें सभी पक्ष शामिल होंगे। मोदी ने तियानजिन में शंघाई सहयोग संगठन (एससीओ) शिखर सम्मेलन से इतर ह्लाइंग से मुलाकात की।
प्रधानमंत्री ने वरिष्ठ जनरल से यह भी कहा कि भारत ‘‘म्यांमा नीत और म्यांमा के नेतृत्व वाली शांति प्रक्रिया'' का समर्थन करता है। विदेश मंत्रालय ने कहा, ‘‘प्रधानमंत्री ने आशा व्यक्त की कि म्यांमा में आगामी चुनाव निष्पक्ष और समावेशी तरीके से होंगे।'' मंत्रालय ने एक बयान में कहा, ‘‘उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि भारत म्यांमा के नेतृत्व वाली शांति प्रक्रिया का समर्थन करता है, जिसके लिए शांतिपूर्ण बातचीत और परामर्श ही आगे बढ़ने का एकमात्र रास्ता है।'' मोदी ने यह भी कहा कि भारत अपनी 'पड़ोस पहले', 'एक्ट ईस्ट' और 'हिंद-प्रशांत' नीतियों के तहत म्यांमा के साथ संबंधों को महत्व देता है। विदेश मंत्रालय ने कहा, ‘‘ दोनों नेताओं ने द्विपक्षीय संबंधों की समीक्षा की और विकास साझेदारी, रक्षा एवं सुरक्षा, सीमा प्रबंधन और सीमा व्यापार के मुद्दों सहित द्विपक्षीय सहयोग के कई पहलुओं पर आगे बढ़ने के तरीकों पर चर्चा की।'' विदेश सचिव विक्रम मिसरी ने प्रेस वार्ता में कहा कि सुरक्षा और सीमा मुद्दों पर भी चर्चा हुई। म्यांमा भारत के रणनीतिक महत्व के पड़ोसियों में से एक है और इसकी 1,640 किलोमीटर लंबी सीमा उग्रवाद प्रभावित नगालैंड और मणिपुर सहित कई पूर्वोत्तर राज्यों के साथ लगती है। - तियानजिन (चीन). प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने चीन के राष्ट्रपति शी चिनफिंग से कहा कि भारत आपसी विश्वास, सम्मान और संवेदनशीलता के आधार पर चीन के साथ अपने संबंधों को आगे बढ़ाने के लिए प्रतिबद्ध है। दोनों नेताओं ने द्विपक्षीय संबंधों को पुन: संयोजित करने के लिए व्यापक वार्ता की। मोदी ने टेलीविजन पर प्रसारित अपने वक्तव्य की शुरुआत में कहा कि 2.8 अरब लोगों का कल्याण भारत और चीन के बीच द्विपक्षीय सहयोग से जुड़ा है। उत्तरी चीन के इस शहर में शंघाई सहयोग संगठन (एससीओ) के वार्षिक शिखर सम्मेलन के इतर दोनों नेताओं के बीच यह बातचीत अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के नेतृत्व वाले प्रशासन की शुल्क संबंधी नीति से पैदा हुई उथल पुथल की पृष्ठभूमि में हुई।मोदी दो देशों की अपनी यात्रा के दूसरे चरण में शनिवार शाम जापान से यहां पहुंचे। यह मई 2020 में शुरू हुए पूर्वी लद्दाख सीमा विवाद के बाद मोदी की चीन की पहली यात्रा है। प्रधानमंत्री ने पिछले साल अक्टूबर में रूस के कजान में चीन के राष्ट्रपति के साथ वार्ता की थी जो भारत एवं चीन के बीच पूर्वी लद्दाख में गतिरोध समाप्त करने के लिए एक समझौते पर पहुंचने के कुछ दिनों बाद हुई थी। प्रधानमंत्री ने कहा कि पिछले वर्ष की (सीमा से सैनिकों की) वापसी प्रक्रिया के बाद सीमा पर शांति और स्थिरता है तथा दोनों देशों के बीच सीधी उड़ानें पुनः शुरू की जा रही हैं। प्रधानमंत्री ने कैलाश मानसरोवर यात्रा के फिर से शुरू होने का भी उल्लेख किया। उन्होंने कहा कि सीमा प्रबंधन पर हमारे विशेष प्रतिनिधियों के बीच सहमति थी।भारत और चीन के बीच सीमा से संबंधित मुद्दों को सुलझाने के लिए 'सीमा मुद्दे पर विशेष प्रतिनिधियों' का तंत्र है। मोदी ने कहा, ‘‘हम आपसी विश्वास, सम्मान और संवेदनशीलता के आधार पर अपने सहयोग को आगे बढ़ाने के लिए प्रतिबद्ध हैं।'' प्रधानमंत्री ने शंघाई सहयोग संगठन (एससीओ) की चीन द्वारा सफलतापूर्वक अध्यक्षता किए जाने पर शी को बधाई भी दी। अभी इस बारे में जानकारी नहीं मिली है कि मोदी और शी के बीच बैठक में विशिष्ट रूप से क्या बातचीत हुई।तियानजिन की अपनी यात्रा से पहले मोदी ने कहा था कि विश्व आर्थिक व्यवस्था में स्थिरता लाने के लिए भारत और चीन का मिलकर काम करना महत्वपूर्ण है। जापान के समाचार पत्र ‘द योमिउरी शिंबुन' के साथ एक साक्षात्कार में मोदी ने कहा था कि भारत और चीन के बीच स्थिर और सौहार्दपूर्ण द्विपक्षीय संबंधों का क्षेत्रीय एवं वैश्विक शांति और समृद्धि पर सकारात्मक प्रभाव पड़ सकता है। मोदी ने शुक्रवार को प्रकाशित साक्षात्कार में कहा, “विश्व अर्थव्यवस्था में मौजूदा अस्थिरता को देखते हुए, दो प्रमुख अर्थव्यवस्थाओं के रूप में भारत और चीन का विश्व आर्थिक व्यवस्था में स्थिरता लाने के लिए मिलकर काम करना महत्वपूर्ण है।” मोदी की चीन यात्रा चीनी विदेश मंत्री वांग यी की भारत यात्रा के एक पखवाड़े से भी कम समय बाद हो रही है। विदेश मंत्री एस जयशंकर और राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल के साथ वांग की व्यापक वार्ता के बाद दोनों पक्षों ने ‘‘स्थिर, सहयोगात्मक और दूरदर्शी'' संबंधों के लिए कई कदम उठाए जाने की घोषणा की थी। इन कदमों में विवादित सीमा पर संयुक्त रूप से शांति बनाए रखना, सीमा पर व्यापार को फिर से खोलना और सीधी उड़ान सेवाओं को जल्द से जल्द फिर से शुरू करना शामिल था।
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नई दिल्ली। रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने कहा है कि 31 अगस्त से चीन के तियानजिन में शुरू हो रहा शंघाई सहयोग संगठन (एससीओ) शिखर सम्मेलन संगठन में नई ताकत का संचार करेगा।शिखर सम्मेलन और बीजिंग में चीन के स्वतंत्रता दिवस समारोह में भाग लेने के लिए चीन की अपनी यात्रा की पूर्व संध्या पर एक लिखित साक्षात्कार में पुतिन ने कहा कि यह शिखर सम्मेलन समकालीन चुनौतियों और खतरों का सामना करने की एससीओ की क्षमता को मजबूत करेगा और साझा यूरेशियाई क्षेत्र में एकजुटता को मजबूत करेगा।
उन्होंने कहा, “यह सब एक अधिक न्यायसंगत बहुध्रुवीय विश्व व्यवस्था को आकार देने में मदद करेगा।” पुतिन ने कहा, “एससीओ का आकर्षण इसके सरल लेकिन शक्तिशाली सिद्धांतों में निहित है। ये सिद्धांत संस्थापक दर्शन के प्रति दृढ़ प्रतिबद्धता, समान सहयोग के लिए खुलापन, किसी तीसरे पक्ष को निशाना न बनाना और प्रत्येक राष्ट्र की राष्ट्रीय विशेषताओं और विशिष्टता का सम्मान हैं।”उन्होंने कहा, “इन मूल्यों को अपनाते हुए, एससीओ एक अधिक न्यायसंगत, बहुध्रुवीय विश्व व्यवस्था को आकार देने में योगदान देता है, जो अंतरराष्ट्रीय कानून पर आधारित है और संयुक्त राष्ट्र की केंद्रीय समन्वयकारी भूमिका है।”रूसी राष्ट्रपति ने कहा, “इस वैश्विक दृष्टिकोण का एक प्रमुख तत्व यूरेशिया में समान और अविभाज्य सुरक्षा की एक संरचना का निर्माण है, जिसमें एससीओ सदस्य देशों के बीच घनिष्ठ समन्वय भी शामिल है।”एक रिपोर्ट के मुताबिक, पुतिन ने विश्वास व्यक्त करते हुए कहा कि तियानजिन शिखर सम्मेलन एससीओ के इतिहास में एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर साबित होगा। रूस चीनी अध्यक्षता द्वारा घोषित प्राथमिकताओं का पूरा समर्थन करता है, जो एससीओ को मजबूत करने, सभी क्षेत्रों में सहयोग को गहरा करने और वैश्विक मंच पर संगठन की भूमिका को बढ़ाने पर केंद्रित हैं।पुतिन ने कहा, “मुझे विश्वास है कि हमारे संयुक्त प्रयासों से, हम एससीओ को नई गति प्रदान करेंगे और समय की मांग के अनुसार इसका आधुनिकीकरण करेंगे।”गौरतलब हो, चीन 2024-2025 तक एससीओ की अध्यक्षता करेगा। 2025 में, एससीओ शिखर सम्मेलन तियानजिन में आयोजित किया जाएगा। तियानजिन शिखर सम्मेलन 31 अगस्त से 1 सितंबर तक आयोजित होगा। -
संयुक्त राष्ट्र. संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद ने अमेरिका और उसके करीबी सहयोगी इजराइल की मांगों को स्वीकार करते हुए दक्षिणी लेबनान में लगभग पांच दशक बाद संयुक्त राष्ट्र शांति सेना को समाप्त करने के लिए बृहस्पतिवार को सर्वसम्मति से निर्णय लिया। दक्षिणी लेबनान से सेना को 2026 के अंत तक हटा लिया जाएगा।
‘लेबनान में संयुक्त राष्ट्र अंतरिम बल' (यूएनआईएफआईएल) का गठन 1978 में इजराइल के आक्रमण के बाद किया गया था। उसका उद्देश्य दक्षिणी लेबनान से इजराइली सैनिकों की वापसी की निगरानी करना था और 2006 में इज़राइल तथा उग्रवादी समूह हिज़्बुल्ला के बीच एक महीने तक चले युद्ध के बाद इसके मिशन का विस्तार किया गया। संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में स्वीकृत प्रस्ताव के तहत यूएनआईएफआईएल को 2026 के अंत तक समाप्त कर दिया जाएगा। लेबनान सरकार के परामर्श से 10,800 सैन्य और नागरिक कर्मियों तथा साजोसामान को हटाने की प्रक्रिया तुरंत शुरू होगी जो एक वर्ष के भीतर पूरी हो जाएगी। - बीजिंग. उत्तर कोरियाई नेता किम जोंग उन अगले सप्ताह चीन की राजधानी बीजिंग में एक सैन्य परेड में भाग लेंगे। उत्तर कोरिया और चीन के सरकारी मीडिया ने बृहस्पतिवार को यह जानकारी दी। यह किम जोंग उन की दुर्लभ विदेश यात्रा मानी जा रही है क्योंकि वह आम तौर पर विदेश यात्रा नहीं करते हैं। चीन द्वितीय विश्व युद्ध की समाप्ति की 80वीं वर्षगांठ पर सैन्य परेड का आयोजन कर रहा है।
- वाशिंगटन. अमेरिका की अर्थव्यवस्था में जून तिमाही में तेजी आई है। दूसरे अग्रिम अनुमान में आर्थिक वृद्धि दर अप्रैल-जून तिमाही में सालाना आधार पर 3.3 प्रतिशत रही। वाणिज्य विभाग ने बृहस्पतिवार को कहा कि 2025 की जनवरी-मार्च तिमाही में जीडीपी (सकल घरेलू उत्पाद) में 0.5 प्रतिशत की गिरावट रहने के बाद जून तिमाही में 3.3 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज की गयी है। विभाग ने शुरू में आर्थिक वृद्धि दर तीन प्रतिशत रहने का अनुमान जताया था।मार्च तिमाही में जीडीपी में आई गिरावट तीन साल में अमेरिकी अर्थव्यवस्था की पहली गिरावट थी। मुख्यतः आयात में वृद्धि के कारण ऐसा हुआ। इसका कारण कंपनियों ने ट्रंप के शुल्क के अमल में आने से पहले विदेशी सामान तेजी से आयात किए। वहीं दूसरी तिमाही में यह रुख उम्मीद के मुताबिक पलट गया। आयात में 29.8 प्रतिशत की गिरावट आई, जिससे अप्रैल-जून तिमाही में वृद्धि दर में तेजी आई। वाणिज्य विभाग ने कहा कि जून तिमाही में उपभोक्ता खर्च और निजी निवेश उसके पहले अनुमान से थोड़ा अधिक मजबूत रहे।
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न्यूयॉर्क/वाशिंगटन. ट्रंप प्रशासन ने अमेरिका में विदेशी छात्रों और मीडियाकर्मियों के लिए वीजा की अवधि सीमित करने का प्रस्ताव रखा है। आंतरिक सुरक्षा विभाग (डीएचएस) ने बुधवार को एक प्रेस विज्ञप्ति में कहा कि यदि प्रस्तावित नियम को अंतिम रूप दिया जाता है तो विदेशी छात्रों समेत कुछ वीजा धारकों के अमेरिका में रहने की अवधि सीमित हो जाएगी। साल 1978 से, विदेशी छात्रों को ‘एफ' वीजा के तहत अनिर्दिष्ट अवधि के लिए अमेरिका में प्रवेश दिया जाता रहा है। डीएचएस ने कहा कि अन्य वीजा के विपरीत एफ वीजा धारकों को बिना किसी अतिरिक्त जांच-पड़ताल के अनिश्चित समय तक अमेरिका में रहने की अनुमति होती है। डीएचएस प्रवक्ता ने कहा, "लंबे समय से, पिछले प्रशासनों ने विदेशी छात्रों और अन्य वीजा धारकों को अमेरिका में लगभग अनिश्चितकाल तक रहने की अनुमति दी है, जिससे सुरक्षा जोखिम पैदा हुआ है, करदाताओं के पैसे की भारी हानि हुई है, और अमेरिकी नागरिकों को नुकसान हुआ है।" प्रवक्ता ने कहा, "यह नया प्रस्तावित नियम कुछ वीजा धारकों के अमेरिका में रहने की अवधि को सीमित कर इस दुरुपयोग को हमेशा के लिए समाप्त कर देगा।" विदेशी मीडिया कर्मी पांच साल के लिए जारी किए गए ‘आई' वीजा के तहत अमेरिका में काम कर सकते हैं, जिसे कई बार बढ़ाया जा सकता है। हालांकि नए नियम के तहत प्रारंभिक अवधि 240 दिन तक के लिए निर्धारित की जाएगी।
- न्यूयॉर्क. पॉप गायिका टेलर स्विफ्ट और फुटबॉल खिलाड़ी ट्रैविस केल्सी ने मंगलवार को घोषणा की कि उन्होंने सगाई कर ली है। इंस्टाग्राम पर पांच तस्वीरों वाली एक संयुक्त पोस्ट में, दोनों ने अपनी सगाई का खुलासा किया। स्विफ्ट और केल्सी दो साल से प्रेम संबंध में थे। यह स्पष्ट नहीं है कि दोनों की सगाई कब और कहां हुई। केल्सी और स्विफ्ट के रिश्ते को हाल में जारी छह-भाग वाली ईएसपीएन डॉक्यूमेंट्री "द किंगडम" में प्रमुखता से दिखाया गया है।
- तोक्यो. जापान में भारत के राजदूत सिबी जॉर्ज ने सोमवार को प्रतिनिधि सभा के अध्यक्ष फुकुशिरो नुकागा से मुलाकात की और द्विपक्षीय विशेष रणनीतिक और वैश्विक साझेदारी को और मजबूत करने के तरीकों पर चर्चा की। सोशल मीडिया पर एक पोस्ट में, यहां भारतीय दूतावास ने कहा कि उन्होंने “मानव संसाधन आदान-प्रदान में सहयोग को प्रगाढ़ करने सहित भारत-जापान विशेष रणनीतिक और वैश्विक साझेदारी को और मजबूत करने के तरीकों पर चर्चा की”।इसमें कहा गया है कि जॉर्ज ने भारत-जापान वित्तीय संबंधों को आगे बढ़ाने पर सुमितोमो मित्सुई ट्रस्ट ग्रुप के समूह अध्यक्ष तोरु ताकाकुरा के साथ भी “सार्थक चर्चा” की। दूतावास ने बताया कि उन्होंने तोक्यो में त्सुकिजी होंगवानजी मंदिर के धार्मिक मामलों के उप-प्रमुख तोमोहिरो किमुरा से भी मुलाकात की और भारत और जापान के बीच बौद्ध आदान-प्रदान को मजबूत करने के प्रयासों पर चर्चा की। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी 15वें भारत-जापान वार्षिक शिखर सम्मेलन में भाग लेने के लिए 29 - 30 अगस्त तक जापान की यात्रा पर रहेंगे। प्रधानमंत्री के रूप में यह मोदी की आठवीं जापान यात्रा होगी। इस यात्रा के दौरान, मोदी और जापानी प्रधानमंत्री शिगेरू इशिबा भारत और जापान के बीच विशेष रणनीतिक और वैश्विक साझेदारी की समीक्षा करेंगे।
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न्यूयॉर्क. अमेरिका में रिपब्लिकन पार्टी की नेता निक्की हेली ने कहा कि भारत को रूसी तेल पर ट्रंप की बात को गंभीरता से लेना चाहिए। साथ ही हेली ने कहा कि भारत को समाधान खोजने के लिए व्हाइट हाउस के साथ काम करना चाहिए। हेली ने सोशल मीडिया पर एक पोस्ट में कहा, ‘‘ व्यापार संबंधी मतभेदों और रूसी तेल आयात जैसे मुद्दों से निपटने के लिए कठोर बातचीत की आवश्यकता है।'' उन्होंने ‘एक्स' पर उस लेख का एक अंश पोस्ट किया, जो उन्होंने पिछले सप्ताह न्यूजवीक के लिए लिखा था। यह लेख राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप द्वारा भारतीय वस्तुओं पर 50 प्रतिशत शुल्क लगाए जाने के बाद दोनों देशों के बीच संबंधों में आए तनाव पर था। हेली को दोनों देशों के बीच शुल्क को लेकर तनाव के बीच भारत का पक्ष लेने के लिए अपनी पार्टी के भीतर आलोचना का सामना करना पड़ रहा है। अपने लेख में हेली ने कहा, ‘‘ भारत रूस से भारी तेल खरीद रहा है, जिसे लेकर ट्रंप निशाना साध रहे हैं, जो सही है। इससे व्लादिमीर पुतिन को यूक्रेन के खिलाफ युद्ध के लिए धन जुटाने में मदद मिल रही है।'' हालांकि, उन्होंने यह भी कहा कि भारत के साथ एक ‘‘ अहम स्वतंत्र और लोकतांत्रिक साझेदार की तरह व्यवहार किया जाना चाहिए, न कि चीन जैसे विरोधी की तरह।'' हेली ने विश्व के दो सबसे बड़े लोकतंत्रों, भारत और अमेरिका के बीच दशकों पुरानी ‘मित्रता और सद्भावना' पर प्रकाश डाला। उन्होंने कहा, ‘‘यह मौजूदा उथल-पुथल से आगे बढ़ने के लिए एक ठोस आधार प्रदान करता है।"
हेली ने कहा कि अमेरिका और भारत को ‘‘सबसे महत्वपूर्ण बात, यानी हमारे साझा लक्ष्यों को नज़रअंदाज़ नहीं करना चाहिए। चीन का सामना करने के लिए अमेरिका के पास भारत के रूप में एक मित्र होना चाहिए।'' हेली ने अपने लेख में कहा, ‘‘ भारत अकेले ही चीन जैसे पैमाने पर उन उत्पादों का निर्माण करने की क्षमता रखता है, जिनका यहां (अमेरिका में) शीघ्रता से या कुशलतापूर्वक उत्पादन नहीं किया जा सकता।'' साउथ कैरोलिना की पूर्व गवर्नर हेली, ट्रंप के राष्ट्रपति के तौर पर पहले कार्यकाल में संयुक्त राष्ट्र में अमेरिकी राजदूत थीं और अमेरिकी प्रशासन में कैबिनेट स्तर के पद पर नियुक्त होने वाली पहली भारतीय-अमेरिकी बनीं। -
वाशिंगटन. अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने अपने करीबी सहयोगी सर्जियो गोर को भारत में अमेरिका का अगला राजदूत नामित किया है। सर्जियो गोर वर्तमान में ‘व्हाइट हाउस प्रेसिडेंशियल पर्सनल ऑफिस' के निदेशक हैं। यह कदम व्यापार संबंधी मुद्दों को लेकर दोनों देशों के बीच संबंधों में आई दरार के बीच उठाया गया है।
राष्ट्रपति ट्रंप ने 38 वर्षीय गोर को महत्वपूर्ण राजदूत पद के लिए नामित करने की घोषणा करते हुए कहा कि वह (गोर) दक्षिण और मध्य एशियाई मामलों के लिए विशेष दूत के रूप में भी काम करेंगे। ट्रंप ने सोशल मीडिया पर एक पोस्ट में कहा, ‘‘विश्व के सबसे अधिक जनसंख्या वाले क्षेत्र के लिए, यह महत्वपूर्ण है कि मेरे पास कोई ऐसा व्यक्ति हो जिस पर मैं पूरी तरह भरोसा कर सकूं कि वह मेरे एजेंडे को पूरा करेगा और 'अमेरिका को फिर से महान बनाने' में हमारी मदद करेगा। '' गोर ने 2024 के राष्ट्रपति चुनाव के लिए ट्रंप के अभियान की राजनीतिक कार्रवाई समिति (पीएसी) में एक प्रमुख भूमिका निभाई थी और नए प्रशासन में राजनीतिक नियुक्तियों की जांच करने का काम सौंपे जाने के बाद उनका प्रभाव कई गुना बढ़ गया। इस साल जनवरी में, भारत में अमेरिका के तत्कालीन राजदूत एरिक गार्सेटी ने अपने पद से इस्तीफा दे दिया था। एरिक गार्सेटी मई 2023 से जनवरी 2025 तक भारत में अमेरिका के राजदूत थे। अमेरिकी उपराष्ट्रपति जेडी वेंस, विदेश मंत्री मार्को रुबियो और वाणिज्य मंत्री हॉवर्ड लुटनिक ने गोर को भारत में अगला राजदूत नामित करने के ट्रंप के फैसले का स्वागत किया है। ट्रंप ने सोशल मीडिया पर एक पोस्ट में कहा, ‘‘मुझे यह घोषणा करते हुए प्रसन्नता हो रही है कि मैं सर्जियो गोर को भारत गणराज्य में हमारे अगले राजदूत और दक्षिण एवं मध्य एशियाई मामलों के लिए विशेष दूत के रूप में नियुक्त कर रहा हूं।'' उन्होंने कहा, ‘‘प्रेसिडेंशियल पर्सनल के निदेशक के तौर पर सर्जियो और उनकी टीम ने रिकॉर्ड समय में अमेरिका की संघीय सरकार के हर विभाग में लगभग 4,000 'अमेरिका फर्स्ट' समर्थकों की नियुक्ति की है। सीनेट से पुष्टि होने तक सर्जियो अपनी मौजूदा भूमिका में व्हाइट हाउस में बने रहेंगे। '' उन्होंने लिखा, ‘‘सर्जियो मेरे अच्छे दोस्त हैं, जो कई वर्षों से मेरे साथ रहे हैं। उन्होंने मेरे ऐतिहासिक राष्ट्रपति अभियानों में काम किया, मेरी किताबें प्रकाशित कीं और हमारे आंदोलन को समर्थन देने वाले सबसे बड़े सुपर पीएसी में से एक को चलाया। '' वहीं गोर ने अपनी पहली प्रतिक्रिया में सोशल मीडिया पर एक पोस्ट में लिखा, ‘‘ राष्ट्रपति ट्रंप ने भारत में अगला अमेरिकी राजदूत तथा दक्षिण और मध्य एशिया मामलों के लिए विशेष दूत नामित करने के लिए मुझ पर जो भरोसा और विश्वास जताया है, उसके लिए मैं आभारी हूं। अमेरिका का प्रतिनिधित्व करना मेरे जीवन का सबसे बड़ा सम्मान होगा।'' अमेरिकी विदेश मंत्री मार्को रुबियो ने गोर की नियुक्ति को लेकर कहा, मैं राष्ट्रपति के इस फैसले से उत्साहित हूं कि उन्होंने गोर को भारत में हमारा अगला राजदूत नामित किया है। वह अमेरिका के एक बेहतरीन प्रतिनिधि साबित होंगे, खासकर उस रिश्ते में जो हमारे लिए दुनिया के सबसे अहम संबंधों में से एक है। - वाशिंगटन।: अंतरिक्ष में गोपनीय प्रयोग करने के लिए गुरुवार रात एक और अमेरिकी सैन्य ‘मिनी शटल’ प्रक्षेपित हुआ। स्पेसएक्स द्वारा प्रक्षेपित, इस अंतरिक्ष यान ने फ्लोरिडा के केप कैनावेरल से अकेले ही उड़ान भरी। यह, एक्स-37बी नामक परीक्षण यान की आठवीं ऐसी उड़ान है। यूएस स्पेस फोर्स के अनुसार, यह बिना जीपीएस के लेज़र संचार और सुरक्षित नौवहन का परीक्षण करेगा।
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मॉस्को. भारत और रूस ने अपने द्विपक्षीय व्यापार को ‘‘संतुलित और टिकाऊ तरीके'' से बढ़ाने का बृहस्पतिवार को संकल्प लिया तथा विदेश मंत्री एस जयशंकर ने गैर-शुल्क (टैरिफ) बाधाओं एवं नियामक अड़चनों को ‘‘तेजी से'' दूर करने की आवश्यकता को रेखांकित किया। दोनों देशों द्वारा रूस को भारतीय निर्यात बढ़ाने सहित द्विपक्षीय व्यापार को बढ़ाने का यह संकल्प, व्यापार और टैरिफ पर अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की नीतियों को लेकर भारत-अमेरिका संबंधों में बढ़ती दूरी के बीच लिया गया है। जयशंकर ने अपने रूसी समकक्ष सर्गेई लावरोव के साथ व्यापक वार्ता के बाद संयुक्त प्रेस वार्ता में कहा, ‘‘हमारा मानना है कि भारत और रूस के बीच संबंध द्वितीय विश्वयुद्ध के बाद दुनिया के सबसे प्रमुख संबंधों में से एक रहे हैं।'' उन्होंने कहा, ‘‘भू-राजनीतिक स्थिति, जन भावनाएं और नेतृत्व संपर्क इसके प्रमुख प्रेरक बने रहेंगे।''
जयशंकर, रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन की नवंबर या दिसंबर में होने वाली भारत यात्रा के विभिन्न पहलुओं को अंतिम रूप देने के लिए मंगलवार को मॉस्को पहुंचे। अपनी बातचीत में, जयशंकर और लावरोव ने आतंकवाद से निपटने के तरीकों पर भी विचार-विमर्श किया।
जयशंकर ने कहा, ‘‘आतंक के मुद्दे पर, हमने आतंकवाद के सभी रूपों और अभिव्यक्तियों के खिलाफ संयुक्त रूप से लड़ने का संकल्प लिया।'' उन्होंने कहा, ‘‘मैंने आतंकवाद को कतई बर्दाश्त नहीं करने की नीति अपनाने के भारत के दृढ़ संकल्प और सीमा पार आतंकवाद से अपने नागरिकों की रक्षा करने के हमारे संप्रभु अधिकार से अवगत कराया।'' जयशंकर की टिप्पणियों से ऐसा प्रतीत हुआ कि उनकी बातचीत का मुख्य केंद्र द्विपक्षीय व्यापार को बढ़ावा देना है। विदेश मंत्री ने कहा, ‘‘हमने रूस को भारत के निर्यात को बढ़ाने समेत, संतुलित और टिकाऊ तरीके से द्विपक्षीय व्यापार का विस्तार करने की अपनी साझा महत्वाकांक्षा की पुष्टि की।'' उन्होंने कहा, ‘‘इसके लिए गैर-शुल्क बाधाओं और नियामक बाधाओं को तुरंत दूर करने की आवश्यकता है। फार्मास्यूटिकल्स, कृषि और वस्त्र जैसे क्षेत्रों में रूस को भारतीय निर्यात बढ़ाने से निश्चित रूप से मौजूदा असंतुलन को दूर करने में मदद मिलेगी।'' जयशंकर ने कहा, ‘‘उर्वरकों की दीर्घकालिक आपूर्ति सुनिश्चित करने के लिए भी कदम उठाए गए। भारतीय कुशल श्रमिक, विशेष रूप से आईटी, निर्माण और इंजीनियरिंग क्षेत्र में, रूस की श्रम आवश्यकताओं को पूरा कर सकते हैं और सहयोग को प्रगाढ़ कर सकते हैं।'' उन्होंने कहा कि व्यापार और निवेश के माध्यम से ऊर्जा सहयोग को बनाए रखना भी महत्वपूर्ण है। विदेश मंत्री ने रूसी सेना में सेवा दे रहे कुछ भारतीयों का मुद्दा भी उठाया।
उन्होंने कहा, ‘‘हालांकि, कई लोगों को रिहा कर दिया गया है, फिर भी कुछ मामले लंबित हैं और कुछ लोग लापता हैं। हमें उम्मीद है कि रूसी पक्ष इन मामलों को शीघ्रता से सुलझाएगा।'' बैठक में, जयशंकर और लावरोव ने वैश्विक शासन में सुधार के लिए भारत और रूस की साझा प्रतिबद्धता की पुष्टि की। दोनों पक्षों ने यूक्रेन, पश्चिम एशिया और अफग़ानिस्तान में स्थिति पर भी विचार-विमर्श किया।
जयशंकर ने कहा, ‘‘मैं कहना चाहता हूं कि भारत का दृष्टिकोण मतभेदों को सुलझाने के लिए बातचीत और कूटनीति को आवश्यक मानता है।'' इससे पहले, जयशंकर ने अपने संबोधन में कहा, ‘‘आज की बैठक ने हमें न केवल अपने राजनीतिक संबंधों पर चर्चा करने का, बल्कि हमारे द्विपक्षीय संबंधों की समीक्षा करने का भी मौका दिया है। इसलिए, मैं राजनीति, व्यापार, आर्थिक निवेश, रक्षा, विज्ञान और प्रौद्योगिकी पर विचारों का आदान-प्रदान तथा निश्चित तौर पर लोगों के बीच संपर्क की आशा करता हूं।'' उन्होंने कहा, ‘‘हमारे नेता पिछले साल जुलाई में 22वें वार्षिक शिखर सम्मेलन के लिए मिले थे, और उसके बाद कजान में भी मिले। अब हम साल के अंत में होने वाले वार्षिक शिखर सम्मेलन की तैयारी कर रहे हैं। उन्होंने हमेशा हमें हमारी विशेष और विशेषाधिकार प्राप्त रणनीतिक साझेदारी को आगे बढ़ाने के लिए मार्गदर्शन किया है।'' रूसी विदेश मंत्रालय के अनुसार, दोनों पक्ष बैठक के दौरान द्विपक्षीय सहयोग को बढ़ावा देने के वर्तमान और भविष्य के अवसरों पर विशेष ध्यान देंगे। मंत्रालय ने कहा, ‘‘बैठक का एजेंडा परिवहन, साजोसामान, बैंकिंग और वित्तीय संपर्कों और शृंखलाओं को सुगम बनाने पर केंद्रित होगा जो बैरी देशों के किसी भी प्रतिकूल दबाव से मुक्त होंगे, साथ ही परस्पर समझौतों में राष्ट्रीय मुद्राओं के उपयोग को भी बढ़ाएंगे।'' इसने कहा कि परिवहन, ऊर्जा, कृषि, विज्ञान और प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में सहयोग बढ़ाना भी एजेंडे में होगा। जयशंकर की यह यात्रा ऐसे समय में हो रही है जब अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप द्वारा भारतीय वस्तुओं पर टैरिफ (शुल्क) दोगुना कर कुल 50 प्रतिशत कर दिए जाने के बाद भारत-अमेरिका संबंधों में तनाव पैदा हो गया है। इस टैरिफ में रूसी कच्चा तेल खरीदने पर 25 प्रतिशत का अतिरिक्त शुल्क भी शामिल है। नयी दिल्ली में, विदेश मंत्रालय ने जयशंकर की मॉस्को यात्रा पर कहा, ‘‘इस यात्रा का उद्देश्य दीर्घकालिक और वक्त की कसौटी पर कसी गई भारत-रूस विशेष और विशेषाधिकार प्राप्त रणनीतिक साझेदारी को और मजबूत करना है।'' जयशंकर ने बुधवार को रूस के प्रथम उप प्रधानमंत्री डेनिस मंटुरोव के साथ व्यापक वार्ता की थी। ऐसा समझा जाता है कि दोनों पक्षों ने यूक्रेन संघर्ष पर भी विचार-विमर्श किया।
भारत लगातार बातचीत और कूटनीति के माध्यम से रूस-यूक्रेन संघर्ष को समाप्त करने का आह्वान करता रहा है। -
नयी दिल्ली. भारत ने लिपलेख दर्रे के माध्यम से सीमा व्यापार फिर से शुरू करने के उसके और चीन के फैसले पर नेपाल की आपत्ति को बुधवार को स्पष्ट रूप से खारिज करते हुए कहा कि इस क्षेत्र पर काठमांडू का दावा उचित नहीं है। भारत और चीन ने मंगलवार को लिपुलेख दर्रे और दो अन्य व्यापारिक दर्रों के माध्यम से सीमा व्यापार फिर से शुरू करने पर सहमति व्यक्त की। नेपाल के विदेश मंत्रालय ने लिपुलेख दर्रे के माध्यम से सीमा व्यापार फिर से शुरू करने के इस कदम पर बुधवार को आपत्ति जताते हुए कहा था कि यह क्षेत्र नेपाल का अविभाज्य हिस्सा है। नेपाल ने 2020 में एक राजनीतिक मानचित्र जारी करके एक सीमा विवाद पैदा कर दिया था जिसमें कालापानी, लिंपियाधुरा और लिपुलेख को नेपाल का हिस्सा दिखाया गया था। भारत ने इन दावों का कड़ा खंडन किया था। विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रणधीर जायसवाल ने नेपाल के इस क्षेत्र पर दावों को खारिज कर दिया।
उन्होंने कहा, ‘‘हमने लिपुलेख दर्रे के माध्यम से भारत और चीन के बीच सीमा व्यापार को फिर से शुरू करने से संबंधित नेपाल के विदेश मंत्रालय की टिप्पणियों पर गौर किया है।'' जायसवाल ने कहा, ‘‘इस संबंध में हमारी स्थिति सुसंगत और स्पष्ट रही है। लिपुलेख दर्रे के जरिए भारत और चीन के बीच सीमा व्यापार 1954 में शुरू हुआ था और दशकों तक जारी रहा है।'' उन्होंने कहा कि हाल के वर्षों में कोविड-19 और अन्य घटनाओं के कारण यह व्यापार बाधित हुआ था। अब दोनों पक्ष इसे फिर से शुरू करने पर सहमत हुए हैं। विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता ने कहा, ‘‘क्षेत्रीय दावों के संबंध में हमारा मानना है कि ऐसे दावे न तो उचित हैं और न ही ऐतिहासिक तथ्यों तथा साक्ष्यों पर आधारित हैं। क्षेत्रीय दावों का कोई भी एकतरफा कृत्रिम विस्तार अस्वीकार्य है।'' जायसवाल ने कहा, ‘‘भारत वार्ता और कूटनीति के माध्यम से लंबित सीमा मुद्दों के समाधान हेतु नेपाल के साथ सार्थक बातचीत के लिए तैयार है। -
नई दिल्ली। पाकिस्तान की सुप्रीम कोर्ट ने पूर्व प्रधानमंत्री इमरान खान की 9 मई, 2023 के दंगों से संबंधित 8 मामलों में दाखिल जमानत याचिका मंजूर कर ली है। इमरान खान और उनकी पार्टी पीटीआई के नेताओं, समर्थकों और देश की राजनीति के लिए यह निर्णय बेहद अहम है।
इमरान खान की तरफ से सलमान सफदर जबकि पंजाब के विशेष अभियोजक जुल्फिकार नकवी ने राज्य का प्रतिनिधित्व कियापाकिस्तान के मुख्य न्यायाधीश (सीजेपी) याह्या अफरीदी की अध्यक्षता वाली तीन सदस्यीय पीठ, जिसमें न्यायमूर्ति मुहम्मद शफी सिद्दीकी और मियांगुल हसन औरंगजेब भी शामिल थे, ने गुरुवार को याचिकाओं पर सुनवाई फिर से शुरू की। इमरान खान की तरफ से सलमान सफदर जबकि पंजाब के विशेष अभियोजक जुल्फिकार नकवी ने राज्य का प्रतिनिधित्व किया। सुनवाई के दौरान मुख्य न्यायाधीश अफरीदी ने नकवी से पूछा, “आपने लाहौर उच्च न्यायालय का फैसला पढ़ा होगा। क्या जमानत के मामले में अंतिम टिप्पणी की जा सकती है?”12 अगस्त को सुनवाई में मुख्य न्यायाधीश ने लाहौर हाईकोर्ट की कुछ टिप्पणियों पर सवाल उठाए और कहा कि सुप्रीम कोर्ट कानूनी निष्कर्षों पर टिप्पणी नहीं करेगा12 अगस्त को सुनवाई के दौरान, मुख्य न्यायाधीश ने लाहौर उच्च न्यायालय द्वारा की गई कुछ टिप्पणियों पर सवाल उठाए थे और कहा था कि सर्वोच्च न्यायालय किसी भी पक्ष के मामले को प्रभावित न करने के लिए कानूनी निष्कर्षों पर कोई टिप्पणी नहीं करेगा। मुख्य न्यायाधीश ने अपना दूसरा प्रश्न पूछते हुए कहा, “इसी अदालत (लाहौर उच्च न्यायालय) ने एक संदिग्ध को षड्यंत्र के आरोप में जमानत दी थी। क्या इस मामले में वरीयता का सिद्धांत लागू नहीं होगा?” अभियोजक ने जवाब दिया कि जमानत के मामले में अदालत की टिप्पणी हमेशा अंतरिम प्रकृति की होती है। उन्होंने तर्क दिया, “अदालत की टिप्पणी का मुकदमे पर कोई प्रभाव नहीं पड़ता।”अभियोजक ने अदालत से अनुरोध किया कि वह उन्हें मामले के गुण-दोष पर सहायता करने की अनुमति देअभियोजक ने अदालत से अनुरोध किया कि वह उन्हें मामले के गुण-दोष पर सहायता करने की अनुमति दे। मुख्य न्यायाधीश अफरीदी ने कहा, “हम किसी को भी मामले के गुण-दोष पर बहस करने की अनुमति नहीं देंगे। आप केवल षड्यंत्र (आरोप) से संबंधित कानूनी सवालों के ही जवाब दे सकते हैं।” इसके बाद मुख्य न्यायाधीश ने अपना फैसला सुनाया। पीटीआई ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर किए पोस्ट में सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले को ‘इमरान खान की जीत’ बताया है।नवंबर 2024 में लाहौर की एक आतंकवाद-रोधी अदालत ने 9 मई, 2023 के दंगों से संबंधित मामलों में इमरान खान को जमानत देने से इनकार कर दिया थानवंबर 2024 में लाहौर की एक आतंकवाद-रोधी अदालत ने 9 मई, 2023 के दंगों से संबंधित मामलों में इमरान खान को जमानत देने से इनकार कर दिया था। लाहौर उच्च न्यायालय (एलएचसी) ने भी 24 जून को इमरान खान की जमानत याचिका खारिज कर दी थी। इसके बाद जेल में बंद पीटीआई नेता ने अपने वकीलों के माध्यम से सर्वोच्च न्यायालय में जमानत की याचिका दाखिल की थी। इमरान खान पर कई अन्य मामले भी चल रहे हैं, जिनमें सरकारी उपहारों से संबंधित 19 करोड़ पाउंड के भ्रष्टाचार मामले में, वह अगस्त 2023 से जेल में बंद हैं।( -
काबुल. उत्तर-पश्चिमी अफगानिस्तान में ईरान से लौट रहे कम से कम 79 लोगों की बस दुर्घटना में मौत हो गई। एक अधिकारी ने यह जानकारी दी। अधिकारी ने बताया कि मृतकों में 19 बच्चे भी शामिल हैं।
गृह मंत्रालय के प्रवक्ता अब्दुल मतीन कानी ने ‘एसोसिएटेड प्रेस' को बताया कि दुर्घटना में दो लोग घायल भी हुए हैं। ‘टोलो न्यूज' ने अधिकारी के हवाले से बताया कि दुर्घटना मंगलवार रात स्थानीय समयानुसार लगभग साढ़े आठ बजे हेरात प्रांत में हुई। उन्होंने बताया कि बस एक ट्रक और एक मोटरसाइकिल से जा टकराई, जिससे भीषण आग लग गई और कई लोगों की मौके पर ही मौत हो गई। पिछले कुछ महीनों में लगभग 18 लाख अफगानिस्तानी नागरिकों को ईरान से जबरन वापस भेजा गया है। -
काठमांडू । भारत के विदेश सचिव विक्रम मिसरी ने सोमवार को नेपाल की दो-दिवसीय यात्रा पूरी कर ली। इस दौरान उन्होंने देश के शीर्ष नेतृत्व से मुलाकात की और द्विपक्षीय सहयोग के विभिन्न क्षेत्रों में प्रगति पर चर्चा की। नेपाल के अपने समकक्ष अमृत बहादुर राय के निमंत्रण पर यहां पहुंचे मिसरी ने यात्रा के दौरान राष्ट्रपति रामचंद्र पौडेल, प्रधानमंत्री के. पी. शर्मा ओली और विदेश मंत्री आरजू राणा देउबा से मुलाकात की। भारतीय दूतावास ने सोमवार को एक प्रेस विज्ञप्ति में कहा, ‘‘उन्होंने (मिसरी ने) उन्हें (नेपाल के इन नेताओं को) भारत के नेतृत्व की ओर से शुभकामनाएं दीं और दोनों देशों के बीच पारस्परिक रूप से लाभकारी द्विपक्षीय सहयोग के विभिन्न पहलुओं में हो रही प्रगति के बारे में जानकारी दी।'' इसमें कहा गया है कि मिसरी ने प्रधानमंत्री ओली को प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की ओर से पारस्परिक रूप से सुविधाजनक तिथियों पर भारत आने का औपचारिक निमंत्रण भी सौंपा। उन्होंने रविवार को राय के साथ व्यापक चर्चा की और विभिन्न द्विपक्षीय पहलों में हुई प्रगति की समीक्षा की तथा आगे सहयोग के अवसरों पर चर्चा की।
- वाशिंगटन।, यूक्रेन के राष्ट्रपति वोलोदिमीर जेलेंस्की और अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने आशा व्यक्त की कि ‘व्हाइट हाउस' (अमेरिका के राष्ट्रपति का आधिकारिक आवास एवं कार्यालय) में यूक्रेनी और यूरोपीय नेताओं के बीच सोमवार की महत्वपूर्ण वार्ता रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के साथ उस त्रिपक्षीय वार्ता का मार्ग प्रशस्त कर सकती है, जिससे रूस-यूक्रेन युद्ध समाप्त किया जा सके। अमेरिकी नेता ट्रंप रूस-यूक्रेन युद्ध को शीघ्र समाप्त कराने की कोशिशों में जुटे हैं।ट्रंप ने शुक्रवार को रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन से मुलाकात की थी और कहा था कि अब यह जिम्मेदारी जेलेंस्की पर है कि वह उन रियायतों पर सहमत हों, जिनसे युद्ध समाप्त हो सकता है। इसी के परिप्रेक्ष्य में सोमवार को जल्दबाजी में यह बैठक बुलाई गई।ट्रंप ने जेलेंस्की, पुतिन और ट्रंप के बीच संभावित त्रिपक्षीय वार्ता का जिक्र करते हुए कहा, ‘‘अगर आज सब ठीक रहा तो हम त्रिपक्षीय वार्ता करेंगे।...हम रूस के साथ काम करेंगे, हम यूक्रेन के साथ काम करेंगे।'' जेलेंस्की ने भी त्रिपक्षीय वार्ता के लिए अपनी प्रतिबद्धता जताई।उन्होंने कहा, ‘‘जैसा कि राष्ट्रपति (ट्रंप) ने कहा है, हम त्रिपक्षीय वार्ता के लिए तैयार हैं।... यह त्रिपक्षीय वार्ता को लेकर एक अच्छा संकेत है। मुझे लगता है कि यह बहुत अच्छा है।'' ट्रंप, जेलेंस्की के साथ आमने-सामने की बातचीत करेंगे। इसके बाद दोनों नेता यूरोपीय आयोग की अध्यक्ष उर्सुला वॉन डेर लेयेन, फ्रांस के राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों, ब्रिटेन के प्रधानमंत्री केअर स्टॉर्मर, जर्मन चांसलर फ्रेडरिक मर्ज, इटली की प्रधानमंत्री जॉर्जिया मेलोनी, फिनलैंड के राष्ट्रपति अलेक्जेंडर स्टब और नाटो महासचिव मार्क रूट से मिलेंगे। ए
- काठमांडू, नेपाल के प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली 16-17 सितंबर को भारत की आधिकारिक यात्रा पर जा सकते हैं। काठमांडू में विदेश मंत्रालय के सूत्रों ने सोमवार को यह जानकारी दी। सूत्रों ने बताया कि इस यात्रा के दौरान व्यापार, पर्यटन, सूचना प्रौद्योगिकी, संपर्क, पनबिजली और सीमा जैसे कई बड़े मुद्दों पर चर्चा की जाएगी। विदेश मंत्री के प्रेस सलाहकार एकराज पाठक ने बताया कि विदेश मंत्रालय प्रस्तावित उच्च-स्तरीय दौरे के लिए एजेंडा और यात्रा कार्यक्रम को अंतिम रूप देने की दिशा में काम कर रहा है। विदेश मंत्री आरजू राणा देउबा ने सोमवार को कहा कि नेपालगंज और दिल्ली के बीच सीधी उड़ानें प्रधानमंत्री ओली की आगामी भारत यात्रा के दौरान एजेंडे में शीर्ष पर होंगी। देउबा प्रधानमंत्री ओली के साथ भारत जाने वाले प्रतिनिधिमंडल का हिस्सा हो सकती हैं। उन्होंने विदेश मंत्रालय में शीर्ष नेताओं, सांसदों और उद्योगपतियों के साथ बैठक में कहा, “पश्चिमी नेपाल के नेपालगंज शहर और नयी दिल्ली के बीच सीधा हवाई संपर्क हमारे एजेंडे में शीर्ष पर होगा।” देउबा ने कहा, “अगर ऐसा हुआ, तो निश्चित रूप से पश्चिमी नेपाल की तस्वीर बदल जाएगी।” उन्होंने कहा कि सरकार ने इस उद्देश्य के लिए क्षेत्र में आवश्यक बुनियादी ढांचे को मजबूत करने के वास्ते जरूरी जमीनी कार्य पहले ही कर लिया है। विदेश मंत्री ने दावा किया कि नेपालगंज और दिल्ली के बीच प्रस्तावित सीधी उड़ान से पश्चिमी नेपाल के लगभग 25 जिलों के लोगों को फायदा होगा। उन्होंने कहा कि अगर हम नेपालगंज और दिल्ली के बीच सीधी उड़ान शुरू करते हैं, तो नेपालगंज तिब्बत स्थित कैलाश-मानसरोवर का प्रवेश द्वार बन सकता है। नेपाल पांच भारतीय राज्यों (सिक्किम, पश्चिम बंगाल, बिहार, उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड) के साथ 1,850 किलोमीटर से अधिक लंबी सीमा साझा करता है। वह माल और सेवाओं के परिवहन के लिए भारत पर बहुत अधिक निर्भर है। नेपाल, क्षेत्र में भारत के समग्र सामरिक हितों के संदर्भ में भी महत्वपूर्ण है। दोनों देशों के नेताओं ने अपने संबोधन में अक्सर सदियों पुराने “रोटी-बेटी के रिश्ते” का जिक्र किया है।
- ब्रसेल्स. जर्मन चांसलर फ्रेडरिक मर्ज ने इस सप्ताह के उत्तरार्ध में अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप और रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के बीच होने वाली बैठक से पहले ट्रंप, यूक्रेन के राष्ट्रपति वोलोदिमीर जेलेंस्की, उत्तरी अटलांटिक संधि संगठन (नाटो) के महासचिव और कई यूरोपीय नेताओं को बुधवार को प्रस्तावित एक ऑनलाइन बैठक के लिए आमंत्रित किया। यूरोप और यूक्रेन को डर है कि उनकी अनुपस्थिति में ट्रंप और पुतिन के बीच समझौता हो सकता है।अलास्का में शुक्रवार को ट्रंप और रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के बीच होने वाले शिखर सम्मेलन में न तो जेलेंस्की और न ही यूरोपीय नेताओं को आमंत्रित किया गया है। जर्मन चांसलर ने एक बयान में कहा कि ऑनलाइन बैठक ‘‘रूस पर दबाव बनाने के लिए कार्रवाई के आगे के विकल्पों'' के साथ-साथ ‘‘संभावित शांति वार्ता की तैयारी और क्षेत्रीय दावों और सुरक्षा के संबंधित मुद्दों'' पर केंद्रित होगी। यूरोपीय आयोग ने पुष्टि की है कि अध्यक्ष उर्सुला वॉन डेर लेयेन शिखर सम्मेलन से पहले ‘‘चांसलर मर्ज द्वारा आयोजित बैठक में'' हिस्सा लेंगी। बर्लिन स्थित चांसलर कार्यालय ने बताया कि ब्रिटेन, फिनलैंड, फ्रांस, इटली और पोलैंड के नेताओं ने भी ‘इस चर्चा में शामिल' होने पर सहमति दे दी है। यूक्रेन और यूरोप में उसके समर्थक इस बात पर जोर दे रहे हैं कि ट्रंप और पुतिन शिखर सम्मेलन में उनकी गैर मौजूदगी में भूमि विनिमय का निर्णय नहीं ले सकते, लेकिन यूरोपीय देशों का मानता है कि रूस द्वारा यूक्रेन की जीती हुई जमीन पर से नियंत्रण छोड़े जाने की संभावना नहीं है। ट्रंप ने सुझाव दिया है कि शांति समझौते में ‘‘कुछ क्षेत्रों की अदला-बदली'' शामिल हो सकती है, लेकिन यूरोपीय देशों का मानना है कि रूस किसी भी प्रकार की अदला-बदली की पेशकश नहीं करेगा। गत सप्ताहांत में अमेरिकी और यूरोपीय सुरक्षा सलाहकारों के बीच यूक्रेन पर हुई बातचीत के बाद, यूरोपीय संघ के विदेश मंत्रियों ने सोमवार को बैठक की।
- वाशिंगटन/न्यूयॉर्क. अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने सोमवार को कहा कि रूसी तेल खरीदने के लिए भारत पर लगाए गए अमेरिकी शुल्क की वजह से पहले से ही खराब चल रही मास्को की अर्थव्यवस्था को “बड़ा झटका” लगा है। ट्रंप ने भारत को रूस का “सबसे बड़ा या दूसरा सबसे बड़ा तेल खरीदार” बताया। ट्रंप ने व्हाइट हाउस में एक संवाददाता सम्मेलन को संबोधित करते हुए दावा किया कि कई देशों पर अमेरिकी शुल्क लगाने के कारण जारी वैश्विक दबावों से रूस की अर्थव्यवस्था गंभीर रूप से प्रभावित हुई है। उन्होंने कहा, ‘‘मुझे लगता है कि रूस को अपने देश के निर्माण में फिर से जुट जाना चाहिए। यह एक विशाल देश है... रूस में अच्छा प्रदर्शन करने की अपार क्षमता है। वे अच्छा प्रदर्शन नहीं कर रहे हैं। उनकी अर्थव्यवस्था इस समय अच्छा प्रदर्शन नहीं कर रही है क्योंकि इससे वह बुरी तरह प्रभावित हुई है।'' ट्रंप ने परोक्ष तौर पर भारत की ओर स्पष्ट इशारा करते हुए कहा, ‘‘जब अमेरिका के राष्ट्रपति उनके सबसे बड़े या दूसरे सबसे बड़े तेल खरीदार से कहते हैं कि अगर आप रूस से तेल खरीदते हैं तो हम आप पर 50 प्रतिशत शुल्क लगाएंगे, तो यह एक बड़ा झटका है।'' ट्रंप ने भारत पर 25 प्रतिशत शुल्क के अलावा के रूस से तेल आयात को लेकर बतौर जुर्माना 25 प्रतिशत अतिरिक्त शुल्क लगाया है, जिसके परिणामस्वरूप कुल शुल्क 50 प्रतिशत हो गया है। ट्रंप शुक्रवार को अलास्का में रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन से मुलाकात करेंगे, जहां उन्हें "सार्थक बातचीत" की उम्मीद है। उन्होंने कहा, ‘‘मुझे लगा कि यह बहुत सम्मानजनक है कि रूस के राष्ट्रपति हमारे देश आ रहे हैं, बजाय इसके कि हम उनके देश या किसी तीसरे पक्ष के यहां जाएं। लेकिन मुझे लगता है कि हमारी बातचीत उपयोगी होगी। उन्होंने कहा कि वह बैठक के बाद यूरोपीय नेताओं से बात करेंगे। ट्रंप ने यूक्रेन के राष्ट्रपति वोलोदिमिर जेलेंस्की के साथ बातचीत की अपनी योजना का भी ज़िक्र किया। उन्होंने कहा, ‘‘अगली बैठक जेलेंस्की और पुतिन, या जेलेंस्की और पुतिन और मेरे बीच होगी। अगर उन्हें जरूरत होगी तो मैं वहां मौजूद रहूंगा, लेकिन मैं दोनों नेताओं के बीच एक बैठक तय करना चाहता हूं।