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केप केनवरल. अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी नासा के लिए ड्रिल, वैक्यूम और अन्य प्रयोग उपकरणों के साथ एक निजी कंपनी का ‘लैंडर' रविवार को चंद्रमा की सतह पर उतरा। फायरफ्लाई एयरोस्पेस का ‘ब्लू घोस्ट' लैंडर चंद्रमा की कक्षा से उसकी सतह पर उतरा। फायरफ्लाई के मुख्य इंजीनियर विल कूगन ने कहा, लैंडिंग में सफलता प्राप्त की। हम चांद पर हैं।''
टेक्सास स्थित कंपनी फायरफ्लाई एयरोस्पेस ने इस अंतरिक्ष यान को विकसित किया है। एक दशक पहले स्थापित स्टार्टअप फायरफ्लाई को एक सहज, सीधी लैंडिंग ने ऐसा पहला निजी संगठन बना दिया है, जिसने अंतरिक्ष यान को चंद्रमा पर उतारा है। केवल पांच देशों रूस, अमेरिका, चीन, भारत और जापान ने ही ऐसी सफलता मिलने का अब तक दावा किया है।
दो अन्य कम्पनियों के ‘लैंडर' के भी इस सप्ताह के अंत में चंद्रमा पर उतरने की उम्मीद है।
लैंडिंग के आधे घंटे बाद, ‘ब्लू घोस्ट' ने सतह से तस्वीरें भेजनी शुरू कर दीं, पहली तस्वीर एक सेल्फी थी जो सूर्य की रोशनी के कारण कुछ धुंधली थी। फ्लोरिडा से जनवरी के मध्य में प्रक्षेपित किये गये 6 फुट 6 इंच (2 मीटर) लंबे ‘लैंडर' ने नासा के लिए चंद्रमा पर 10 प्रयोग किये। चंद्रमा की ओर जाते हुए, ‘ब्लू घोस्ट' ने अद्भुत तस्वीरें भेजीं। ‘लैंडर' ने चंद्रमा की कक्षा में चक्कर लगाने के बाद भी चंद्रमा की सतह के कई चित्र लिए।
- - बीजिंग। चीन ने शनिवार को तिब्बत स्वायत्त क्षेत्र में माउंट एवरेस्ट के मनोरम इलाके को फिर से खोल दिया। इसे जनवरी में आए भूकंप के बाद बंद कर दिया गया था। दुनिया की सबसे ऊंची चोटी के उत्तरी आधार शिविर डिंगरी में 6.8 तीव्रता का भूकंप आने के बाद सात जनवरी को इस क्षेत्र को बंद कर दिया गया था। भूकंप में 126 लोगों की मौत हो गई थी और 188 अन्य घायल हुए थे।तिब्बती भाषा में माउंट एवरेस्ट को ‘माउंट क्यूमोलंगमा' के नाम से जाना जाता है जो चीन और नेपाल के बीच सीमा का हिस्सा है। चीनी विज्ञान अकादमी के अंतर्गत माउंट क्यूमोलांगमा वायुमंडल एवं पर्यावरण अवलोकन और अनुसंधान स्टेशन के निदेशक मा वेकियांग ने कहा कि माउंट एवरेस्ट क्षेत्र भूकंप से प्रभावित नहीं हुआ था और कोई हिमस्खलन या भूवैज्ञानिक परिवर्तन नहीं देखा गया था। वेकियांग ने सरकारी समाचार एजेंसी शिन्हुआ से कहा, ‘‘इससे पता चलता है कि इस सुंदर क्षेत्र को फिर से खोलने के लिए आवश्यक सुरक्षित स्थितियां मौजूद हैं।
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वाशिंगटन. अमेरिका में संघीय एजेंसियों को कर्मचारियों के पदों को समाप्त करने के लिए योजनाएं विकसित करनी होंगी। राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के प्रशासन द्वारा भेजे गए एक परिपत्र में यह कहा गया है। इस परिपत्र में सरकारी कार्यबल को कम करने की राष्ट्रपति की कवायद पर जोर दिया गया है।
हजारों परिवीक्षाधीन कर्मचारियों को पहले ही नौकरी से निकाल दिया गया है और अब प्रशासन सिविल सेवा वाले अधिकारियों पर अपना ध्यान केंद्रित कर रहा है। परिपत्र के अनुसार एजेंसियों को 13 मार्च तक अपनी योजनाएं प्रस्तुत करने का निर्देश दिया गया है। इससे न केवल कर्मचारियों की छंटनी होगी बल्कि कई पद पूरी तरह से समाप्त हो जाएंगे। इसका परिणाम सरकारी कामकाज के तरीके में व्यापक बदलाव हो सकता है। -
बैंकाक. पूर्वी थाईलैंड में बुधवार तड़के एक चार्टर्ड बस पलट गई, जिससे 18 लोगों की मौत हो गई और 31 अन्य घायल हो गए। अधिकारियों ने यह जानकारी दी। यह दुर्घटना प्राचीनबुरी प्रांत में हुई। ये लोग उत्तरी थाईलैंड से नगर निकाय संबंधी अध्ययन दौरे के लिए तटीय रेयोग प्रांत की यात्रा पर रहे थे। भूमि परिवहन विभाग ने कहा कि वह सड़क दुर्घटना की जांच में पुलिस के साथ समन्वय करेगा तथा सभी सार्वजनिक परिवहन वाहनों का निरीक्षण तेज करेगा ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि वे सुरक्षा मानकों को पूरा करें। थाईलैंड में सड़क सुरक्षा एक बड़ी समस्या है। विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार सड़क दुर्घटनाओं में मौत के मामले में थाईलैंड 175 सदस्य देशों में नौवें स्थान पर है।
- लंदन. कर्नाटक की लेखिका, कार्यकर्ता और वकील बानू मुश्ताक के कहानी संग्रह 'हार्ट लैंप' को मंगलवार को यहां अंतरराष्ट्रीय बुकर पुरस्कार 2025 के लिए संभावित पुस्तकों की सूची में शामिल किया गया। दीपा भास्थी ने कन्नड़ से अंग्रेजी में इसका अनुवाद किया है। पहली बार किसी कन्नड़ पुस्तक को प्रतिष्ठित बुकर पुरस्कार 2025 के लिए संभावित पुस्तकों की सूची में शामिल किया गया है। मुश्ताक और भास्थी की 'हार्ट लैंप' के बारे में निर्णायकों ने कहा, समाज में हाशिये पर रहने वाले लोगों के जीवन को दर्शाती ये जीवंत कहानियां बहुत भावनात्मक और नैतिक महत्व रखती हैं। दक्षिण भारत के मुस्लिम समुदायों पर आधारित 12 कहानियां मूल रूप से 1990 से 2023 के बीच प्रकाशित हुईं। लेखिका ने इसे कन्नड़ भाषा के साहित्य के लिए बहुत बड़ा सम्मान बताया।
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न्यूयॉर्क/ अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने कहा कि उनकी सरकार भारत और चीन जैसे देशों पर जल्द जवाबी शुल्क लगाएगी। उन्होंने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की हाल की अमेरिका यात्रा के दौरान कही बात को फिर दोहराया।
ट्रंप शुक्रवार को वाणिज्य मंत्री हॉवर्ड लुटनिक के शपथ ग्रहण समारोह में बोल रहे थे।
ट्रंप ने वाशिंगटन में कहा, ''हम जल्द ही जवाबी शुल्क लगाएंगे। इसका मतलब है कि वे हमसे शुल्क लेते हैं, हम उनसे शुल्क लेते हैं। यह बहुत सरल है। कोई भी कंपनी या देश, जैसे भारत या चीन या अन्य कोई... वे जो भी शुल्क लेते हैं, उतना ही। हम निष्पक्ष होना चाहते हैं ... इसलिए जवाबी शुल्क। जवाबी का मतलब है, 'वे हमसे शुल्क लेते हैं, हम उनसे शुल्क लेते हैं'।'' इससे पहले ट्रंप ने मंगलवार को कहा था कि उन्होंने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को स्पष्ट कर दिया है कि भारत को वाशिंगटन के जवाबी शुल्कों से छूट नहीं दी जाएगी। उन्होंने कहा, ‘‘शुल्क के मुद्दे पर कोई भी मुझसे बहस नहीं कर सकता।''
ट्रंप ने ‘फॉक्स न्यूज' को दिए एक साक्षात्कार के दौरान ये टिप्पणियां कीं। फॉक्स न्यूज ने राष्ट्रपति ट्रंप और अरबपति एलन मस्क के साथ किया गया एक संयुक्त टेलीविजन साक्षात्कार मंगलवार रात को प्रसारित किया था। तेरह फरवरी को, व्हाइट हाउस में प्रधानमंत्री मोदी की ट्रंप के साथ द्विपक्षीय बैठक से कुछ घंटे पहले, अमेरिकी राष्ट्रपति ने जवाबी टैरिफ (शुल्क) की घोषणा की थी। इस योजना के तहत, ट्रंप प्रशासन प्रत्येक विदेशी व्यापार भागीदार पर लगभग बराबर का जवाबी शुल्क लगाएगा। - पेरिस. फ्रांस के राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों ने यूक्रेन के मुद्दे पर पेरिस में होने वाली यूरोपीय आपातकालीन बैठक से पहले अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के साथ फोन पर बातचीत की। राष्ट्रपति मैक्रों के कार्यालय ने इस बातचीत के बारे में ज्यादा जानकारी नहीं दी। मैक्रों ने यूरोपीय संघ के प्रमुख देशों और ब्रिटेन के नेताओं को ‘एलिसी पैलेस' में सोमवार को बुलाया था, जिससे इस बारे में चर्चा की जा सके कि यूक्रेन पर अमेरिकी कूटनीतिक हमले पर कैसे प्रतिक्रिया दी जाए। ट्रंप प्रशासन के शीर्ष अमेरिकी अधिकारियों ने पिछले सप्ताह पहली बार यूरोप की यात्रा की थी, जिसके बाद यह कयास लगाए जा रहे थे कि अमेरिका रूस के साथ अपने संबंधों को सुधारने के लिए तैयार है।
- वाशिंगटन. दुनिया में प्यार के संकेतों की तलाश कर रहे लोगों को लिए इस 'वैलेंटाइन डे' पर एफिल टॉवर पर इसका सबूत देखने को मिला, जहां एक युगल ने पेरिस की सड़कों से 674 सीढ़ियां ऊपर एक दूसरे को गले लगाया और एक दूसरे को चूमा। हालांकि, प्रेम का प्रदर्शन अलग-अलग स्थानों पर भी हुआ: रोमानिया के बुखारेस्ट में पार्क की बेंच पर एक जोड़े ने चुंबन किया। टोक्यो में एक मंदिर में पेड़ की टहनी पर दिल के आकार की पट्टिकाएं बांधी गईं। 'एसोसिएटेड प्रेस' के फोटोग्राफरों ने शुक्रवार को दुनिया भर में छुट्टियों के क्षणों को कैमरे में कैद किया। जर्मनी में लोग कोलोन में होहेनजोलर्न ब्रिज पर चले, जहां अनुमानित 500,000 "लव लॉक्स" लगे हुए थे, इन पैडलॉक पर प्रेमियों के शिलालेख उकेरे गए थे।
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म्यूनिख. यूक्रेन के राष्ट्रपति वोलोदिमीर जेलेंस्की ने शनिवार को कहा कि अब समय आ गया है कि ‘यूरोप की सशस्त्र सेना' बनाई जाए। जेलेंस्की ने साथ ही कहा कि रूस के खिलाफ उनके देश की लड़ाई ने साबित कर दिया है कि इसके लिए आधार पहले से ही मौजूद है। यूक्रेनी नेता ने कहा कि यूरोप इस संभावना से इंकार नहीं कर सकता कि ‘‘अमेरिका यूरोप को उन मुद्दों पर ‘नहीं' कह सकता है जो उसके लिए खतरा हैं''। उन्होंने कहा कि कई नेता लंबे समय से कह रहे हैं कि यूरोप को अपनी सेना की आवश्यकता है।
जेलेंस्की ने म्यूनिख सुरक्षा सम्मेलन में कहा, ‘‘मुझे वाकई में लगता है कि अब समय आ गया है। यूरोप की सशस्त्र सेनाओं का निर्माण किया जाना चाहिए। -
वाशिंगटन. अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने बृहस्पतिवार को कहा कि वह व्यापारिक साझेदारों से आयात पर व्यापक पारस्परिक शुल्क लगाने वाले आदेश पर हस्ताक्षर करेंगे। इस प्रावधान का मतलब है कि अमेरिका किसी देश से आयात की जाने वाली वस्तुओं पर वही शुल्क लगाएगा, जो वह देश अपने अमेरिकी आयात पर लगाता है। ट्रंप ने अपने सोशल मीडिया मंच 'ट्रुथ सोशल' पर एक पोस्ट में कहा, ''आज का दिन बड़ा है, पारस्परिक शुल्क !!! अमेरिका को फिर से महान बनाएं!!!'' हालांकि ट्रंप ने यह साफ नहीं किया है कि वह 'पारस्परिक' शब्द को किस तरह परिभाषित करते हैं और उनका आदेश किन उत्पादों पर लागू होगा। अगर विदेश व्यापार के शुल्कों में नाटकीय बढ़ोतरी हुई तो इससे विश्व अर्थव्यवस्था को तेज झटका लग सकता है, वृद्धि कम हो सकती है, जबकि महंगाई तेजी से बढ़ेगी। ट्रंप ने कहा कि इस तरह के शुल्क से घरेलू स्तर पर विनिर्माण क्षेत्र में नौकरियों का सृजन करने में मदद मिलेगी। दूसरी तरफ अधिकतर अर्थशास्त्रियों का कहना है कि अमेरिकी राष्ट्रपति अपने फैसलों से अमेरिकी उपभोक्ताओं पर कर वृद्धि करेंगे। ट्रंप पहले ही चीन के आयात पर 10 प्रतिशत का अतिरिक्त शुल्क लगा चुके हैं। उन्होंने अमेरिका के दो सबसे बड़े व्यापारिक साझेदारों- कनाडा और मेक्सिको पर भी शुल्क लगाने की तैयारी कर ली है, जो 30 दिनों के लिए निलंबित रहने के बाद मार्च में प्रभावी हो सकते हैं। ट्रंप ने इस्पात और एल्युमीनियम आयात पर भी शुल्क लगाया है जबकि कंप्यूटर चिप्स एवं दवाओं पर नए शुल्क के बारे में विचार कर रहे हैं। अमेरिका के इन फैसलों के खिलाफ यूरोपीय संघ, कनाडा और मेक्सिको भी जवाबी कदम उठाने की तैयारी कर रहे हैं। दूसरी ओर चीन ने अमेरिकी ऊर्जा, कृषि मशीनरी और बड़े इंजन वाले वाहनों पर शुल्क बढ़ाया है और गूगल के खिलाफ प्रतिस्पर्धा को नुकसान पहुंचाने की जांच शुरू की है।
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नई दिल्ली। संयुक्त राष्ट्र ने यूक्रेन-रूस संघर्ष को समाप्त करने के लिए किए जा रहे सभी प्रयासों का स्वागत किया है। साथ ही अमेरिका और रूस के नेताओं के बीच फोन पर हुई बातचीत को “सकारात्मक ” बताया है। संयुक्त राष्ट्र ने यह भी कहा कि अमेरिका और रूस जैसे बड़े देशों के बीच बातचीत का सकारात्मक प्रभाव हो सकता है।
संयुक्त राष्ट्र के महासचिव एंटोनियो गुटेरेस के उप प्रवक्ता फरहान हक ने बुधवार को कहा, “हम यूक्रेन में युद्ध समाप्त करने के लिए किए जा रहे किसी भी प्रयास की सराहना करेंगे, जिसमें रूस और यूक्रेन दोनों पक्ष शामिल हों। अगर वे दोनों एक प्रक्रिया में शामिल होने के लिए तैयार हैं, तो यह एक स्वागत योग्य कदम होगा।”फरहान हक ने कहा, “संयुक्त राज्य अमेरिका और रूस के बीच नियमित संपर्क से समस्या का समाधान निकालने का प्रयास किया जाएगा। हम इसे एक सकारात्मक पहल मानते हैं।”व्हाइट हाउस और क्रेमलिन ने बुधवार को अलग-अलग बयान जारी कर बताया कि अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप और रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के बीच फोन पर बातचीत हुई। ट्रंप ने सोशल मीडिया पर बताया कि वह और पुतिन इस बात पर सहमत हुए हैं कि वाशिंगटन और मॉस्को, यूक्रेन-रूस संघर्ष को समाप्त करने के लिए तुरंत सीधी बातचीत करेंगे।जब संयुक्त राष्ट्र से पूछा गया कि क्या वह इस वार्ता का हिस्सा बनेगा, तो फरहान हक ने कहा, “हमें देखना होगा कि हमें क्या भूमिका निभानी होगी। जैसा कि हम पिछले तीन वर्षों में कई बार कह चुके हैं, अगर दोनों पक्ष हमें बुलाएंगे, तो हम एक सकारात्मक भूमिका निभाने के लिए तैयार हैं।”ये प्रतिक्रिया अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप और रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के उस फोन कॉल के बाद सामने आई है जिसमें यूक्रेन युद्ध विराम को लेकर गहन मंत्रणा हुई है। यूक्रेन युद्ध को समाप्त करने के मिशन पर, अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने कहा है कि वह सऊदी अरब में रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन से मिलने की योजना बना रहे हैं।बुधवार सुबह पुतिन के साथ फोन पर बातचीत के बाद, अमेरिकी राष्ट्रपति ने वाशिंगटन में संवाददाताओं से कहा कि उनकी कई बैठकें होंगी, और “पहली बार हम सऊदी अरब में मिलेंगे”। इसके अलावा उन्होंने कहा, “हमें उम्मीद है कि वह यहां आएंगे, और मैं वहां (रूस) जाऊंगा।”पुतिन के साथ ट्रंप की लंबी बातचीत उनके दूसरे कार्यकाल की शुरुआत के बाद से उनकी पहली आधिकारिक बातचीत थी, और उन्होंने यूक्रेन के राष्ट्रपति वोलोडिमिर जेलेंस्की से भी बात की। ट्रुथ सोशल पोस्ट में, ट्रंप ने कहा कि अमेरिका युद्ध को समाप्त करने के लिए बातचीत को बढ़ावा देगा और एक वार्ता दल नियुक्त कर रहा है जिसमें विदेश मंत्री मार्को रुबियो और केंद्रीय खुफिया एजेंसी के निदेशक जॉन रैटक्लिफ शामिल हैं। - पेरिस. पढ़ाई के लिए फ्रांस का रुख करने वाले भारतीय छात्रों की संख्या इस साल बढ़कर रिकॉर्ड 10,000 के स्तर पर पहुंच जाएगी। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और फ्रांस के राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों की मुलाकात के बाद बुधवार को यहां दोनों देशों की ओर से जारी संयुक्त बयान में यह उम्मीद जताई गई है। बयान के मुताबिक, “मोदी और मैक्रों ने दोनों देशों के बीच व्यापार एवं निवेश संबंधों को बढ़ावा देने का आह्वान किया। उन्होंने हिंद-प्रशांत और विभिन्न वैश्विक मंचों एवं पहल में अपनी भागीदारी को और गहरा करने की प्रतिबद्धता भी जताई।” बयान के अनुसार, दोनों नेताओं ने पिछले साल अंतरराष्ट्रीय कक्षा योजना की सफल शुरुआत का स्वागत किया।इस योजना के तहत भारतीय छात्रों को फ्रांस में उनके चुने हुए पाठ्यक्रम में दाखिला देने से पहले, प्रतिष्ठित फ्रांसीसी विश्वविद्यालयों में फ्रांस की भाषा फ्रेंच सिखाई जाती है और स्थानीय कार्यप्रणाली के बारे में पढ़ाया जाता है। बयान में कहा गया है, “यह फ्रांस में भारतीय छात्रों की आमद बढ़ाने और 2030 तक उनकी संख्या 30,000 तक पहुंचाने का लक्ष्य हासिल करने के लिए अनुकूल परिस्थितियां बनाएगा। दोनों नेताओं ने फ्रांस में भारतीय छात्रों की बढ़ती संख्या का स्वागत किया, जिसके 2025 तक 10,000 के उच्च स्तर पर पहुंचने की उम्मीद है।” बयान के अनुसार, मोदी और मैक्रों ने भारत-फ्रांस प्रवासन और गतिशीलता साझेदारी समझौते (एमएमपीए) के तहत युवा पेशेवर योजना (वाईपीएस) के संचालन का भी स्वागत किया। इसमें कहा गया है कि यह योजना युवा पेशेवरों की दो-तरफा आवाजाही की सुविधा प्रदान करेगी, जिससे भारत और फ्रांस के लोगों के बीच दोस्ती का रिश्ता और मजबूत होगा। बयान के मुताबिक, मोदी और मैक्रों ने कौशल विकास, व्यावसायिक शिक्षा और प्रशिक्षण के क्षेत्र में सहयोग को बढ़ावा देने के लिए समझौता ज्ञापन (एमओयू) को जल्द से जल्द पूरा करने पर जोर दिया। इसमें कहा गया है कि मोदी और मैक्रों ने कृत्रिम मेधा (एआई) पर भारत-फ्रांस रोडमैप जारी किया, जो सुरक्षित, खुले, संरक्षित और भरोसेमंद एआई के विकास पर ध्यान केंद्रित करने के दोनों देशों के दृष्टिकोण पर आधारित है।
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पेरिस. विदेश सचिव विक्रम मिस्री ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और फ्रांस के राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों ने पेरिस से मारसेई की यात्रा के दौरान राष्ट्रपति विमान में द्विपक्षीय चर्चा की। उन्होंने कहा कि भारत-फ्रांस के संबंधों ने पूरी तरह से नई ऊंचाइयों को छुआ है। मिस्री ने फ्रांस में मीडिया को मोदी की यात्रा के बारे में जानकारी देते हुए कहा कि दोनों नेताओं ने यूरोप, पश्चिम एशिया और हिंद-प्रशांत क्षेत्र में हाल के भू-राजनीतिक घटनाक्रमों पर विचारों का आदान-प्रदान किया और वैश्विक तथा क्षेत्रीय महत्व के मुद्दों पर चर्चा की। मोदी और मैक्रों ने मंगलवार को पेरिस में एआई एक्शन समिट की सह-अध्यक्षता की, भारत-फ्रांस सीईओ फोरम में भाग लिया और बाद में शाम को मारसेई के लिए रवाना हुए। विदेश सचिव ने कहा कि वे ‘फ्रांसीसी राष्ट्रपति विमान' में मारसेई गए और इसे ‘राष्ट्रपति मैक्रों द्वारा एक असाधारण भाव अभिव्यक्ति, दोनों नेताओं के बीच गहरे व्यक्तिगत विश्वास और एक-दूसरे पर उनके असाधारण सम्मान का प्रतीक' बताया। मिस्री ने कहा, ‘‘आप कह सकते हैं कि भारत-फ्रांस के संबंधों ने सचमुच नई ऊंचाइयों को छुआ है।''
उन्होंने कहा कि कुछ द्विपक्षीय चर्चा मारसेई में भी हुई। उन्होंने कहा, ‘‘चर्चा में हमारी गहरी और विविधतापूर्ण रणनीतिक साझेदारी के सभी पहलुओं पर बात हुई।'' विदेश सचिव ने कहा कि उन्होंने रक्षा, अंतरिक्ष और असैन्य परमाणु सहयोग, स्वास्थ्य और लोगों के बीच आपसी संबंधों के क्षेत्रों में द्विपक्षीय सहयोग की समीक्षा की। उन्होंने कहा कि एआई दोनों पक्षों के बीच द्विपक्षीय चर्चा का ‘प्रमुख क्षेत्र' था। -
मारसेई. प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और फ्रांस के राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों ने बुधवार को दोनों देशों के बीच व्यापार और निवेश संबंधों को बढ़ाने का आह्वान करते हुए हिंद-प्रशांत क्षेत्र और विभिन्न वैश्विक मंचों एवं पहलों में अपनी सहभागिता को और प्रगाढ़ करने की प्रतिबद्धता जताई। दोनों नेताओं ने अपनी व्यापक बातचीत के बाद यह सुनिश्चित करने के लिए ठोस कार्रवाई करने की अपनी प्रतिबद्धता को भी रेखांकित किया कि वैश्विक एआई क्षेत्र सार्वजनिक हित में लाभकारी सामाजिक, आर्थिक, पर्यावरण संबंधी परिणाम प्रदान करे। दोनों नेताओं की यहां हुई बैठक के बाद जारी एक संयुक्त बयान में कहा गया कि वार्ता में द्विपक्षीय संबंधों के संपूर्ण आयामों के साथ-साथ प्रमुख वैश्विक और क्षेत्रीय मुद्दों को शामिल किया गया। दोनों नेताओं ने संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (यूएनएससी) में सुधार की तत्काल आवश्यकता पर जोर दिया और सुरक्षा परिषद के मामलों सहित विभिन्न वैश्विक मुद्दों पर निकटता से समन्वय करने पर सहमति व्यक्त की। फ्रांस के राष्ट्रपति मैक्रों ने यूएनएससी में भारत की स्थायी सदस्यता के लिए फ्रांस के दृढ़ समर्थन को दोहराया। दोनों नेताओं ने भारत-फ्रांस रणनीतिक साझेदारी के लिए अपनी सुदृढ़ प्रतिबद्धता दोहराई और इस बात पर गौर किया कि यह पिछले 25 वर्षों में क्रमिक तरीके से एक बहुआयामी संबंध में विकसित हुई है। प्रधानमंत्री मोदी ने कल शाम फ्रांस के राष्ट्रपति के विमान में पेरिस से मारसेई के लिए उड़ान भरी थी। उन्होंने द्विपक्षीय संबंधों के संपूर्ण आयाम पर और प्रमुख वैश्विक एवं क्षेत्रीय मुद्दों पर यहां चर्चा की। मारसेई में आगमन के बाद प्रतिनिधिमंडल स्तर की वार्ता हुई।
दोनों नेताओं ने रक्षा, असैन्य परमाणु ऊर्जा और अंतरिक्ष के रणनीतिक क्षेत्रों में सहयोग की समीक्षा की। उन्होंने प्रौद्योगिकी तथा नवाचार के क्षेत्रों में सहयोग मजबूत करने के तरीकों पर भी विचार-विमर्श किया। एक बयान में कहा गया कि हाल में संपन्न एआई एक्शन समिट और 2026 में आगामी भारत-फ्रांस नवाचार वर्ष की पृष्ठभूमि में साझेदारी का यह क्षेत्र और अधिक महत्वपूर्ण हो गया है। दोनों नेताओं ने व्यापार एवं निवेश संबंधों के विस्तार की भी वकालत की।
राष्ट्रपति मैक्रों ने मारसेई के निकट तटीय शहर कैसिस में प्रधानमंत्री के सम्मान में रात्रिभोज का भी आयोजन किया। प्रधानमंत्री ने राष्ट्रपति मैक्रों को भारत आने का निमंत्रण दिया। वार्ता के 10 परिणामों की सूची में एआई पर भारत-फ्रांस घोषणा, भारत-फ्रांस नवाचार वर्ष 2026 के लिए लोगो जारी करना, और भारत के विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग (डीएसटी) तथा फ्रांस के इंस्टीट्यूट नेशनल डि रिसर्च एन इंफॉर्मेटिक एट एन ऑटोमैटिक (आईएनआरआईए) फ्रांस के बीच इंडो-फ्रेंच सेंटर फॉर द डिजिटल साइंसेज की स्थापना के लिए आशय पत्र शामिल हैं। फ्रांसीसी स्टार्ट-अप इनक्यूबेटर स्टेशन एफ में 10 भारतीय स्टार्टअप की मेजबानी के लिए एक समझौते पर भी हस्ताक्षर किए गए, जबकि उन्नत मॉड्यूलर रिएक्टरों और छोटे मॉड्यूलर रिएक्टरों पर साझेदारी की स्थापना पर आशय की घोषणा पर हस्ताक्षर किए गए। अन्य परिणामों में ग्लोबल सेंटर फॉर न्यूक्लियर एनर्जी पार्टनरशिप (जीसीएनईपी) के साथ सहयोग के लिए परमाणु ऊर्जा विभाग (डीएई) तथा फ्रांस के कमिसारिएट ए एल'एनर्जी एटॉमिक एट ऑक्स एनर्जीज अल्टरनेटिव्स (सीएई) के बीच समझौता ज्ञापन का नवीनीकरण शामिल है। त्रिकोणीय विकास सहयोग पर एक संयुक्त आशय घोषणा पर हस्ताक्षर किए गए, जबकि दोनों नेताओं ने मारसेई में भारतीय वाणिज्य दूतावास का संयुक्त रूप से उद्घाटन किया, और पर्यावरण के क्षेत्र में पारिस्थितिक संक्रमण, जैव विविधता, वन, समुद्री मामले और मत्स्य पालन मंत्रालय एवं पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय के बीच आशय की घोषणा पर हस्ताक्षर किए गए। मोदी सोमवार को फ्रांस पहुंचे और मैक्रों के साथ आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस एक्शन समिट की सह-अध्यक्षता भी की। यह मोदी की फ्रांस की छठी यात्रा है और मैक्रों की जनवरी 2024 में भारत के 75वें गणतंत्र दिवस के मुख्य अतिथि के रूप में भारत यात्रा करने के बाद हो रही है। दोनों नेताओं ने यहां अंतरराष्ट्रीय थर्मोन्यूक्लियर प्रायोगिक रिएक्टर केंद्र का भी दौरा किया।
दोनों नेताओं ने न्यायसंगत और शांतिपूर्ण अंतरराष्ट्रीय व्यवस्था को बनाए रखने, वैश्विक चुनौतियों का समाधान करने और तकनीकी और आर्थिक क्षेत्रों सहित उभरते विकास के लिए दुनिया को तैयार करने के लिए उन्नत एवं प्रभावी बहुपक्षवाद के लिए अपने आह्वान को दोहराया। दोनों नेताओं ने विशेष रूप से संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में सुधार की तत्काल आवश्यकता पर बल दिया और सुरक्षा परिषद के मामलों सहित बहुपक्षीय मंचों पर निकटता से समन्वय करने पर सहमति व्यक्त की। दोनों नेताओं ने सामूहिक अत्याचारों के मामले में वीटो के उपयोग के विनियमन पर बातचीत को मजबूत करने पर सहमति व्यक्त की। उन्होंने दीर्घकालिक वैश्विक चुनौतियों और वर्तमान अंतरराष्ट्रीय घटनाक्रम पर व्यापक चर्चा की और बहुपक्षीय पहलों एवं संस्थानों के माध्यम से अपने वैश्विक और क्षेत्रीय जुड़ाव को विस्तार देने पर सहमति व्यक्त की। मोदी और मैक्रों ने 2024 में महत्वाकांक्षी रक्षा औद्योगिक रोडमैप की सहमति के अनुरूप वायु और समुद्री परिसंपत्तियों के सहयोग को जारी रखने का स्वागत किया। दोनों नेताओं ने भारत में स्कॉर्पीन पनडुब्बियों के निर्माण में सहयोग में प्रगति की सराहना की, जिसमें स्वदेशीकरण भी शामिल है, और विशेष रूप से डीआरडीओ द्वारा विकसित एयर इंडिपेंडेंट प्रोपल्शन (एआईपी) को पी75-स्कॉर्पीन पनडुब्बियों में एकीकृत करने तथा भविष्य की पी75-एएस पनडुब्बियों में एकीकृत लड़ाकू प्रणाली (आईसीएस) के संभावित एकीकरण के संबंध में किए गए विश्लेषणों की सराहना की। दोनों नेताओं ने 15 जनवरी 2025 को पी75 स्कॉर्पीन-श्रेणी परियोजना की छठी और अंतिम पनडुब्बी, आईएनएस वाघशीर के जलावतरण का भी स्वागत किया। दोनों पक्षों ने मिसाइल, हेलीकॉप्टर इंजन और जेट इंजन पर चल रही चर्चाओं का स्वागत किया। उन्होंने सफरान समूह में संबंधित संस्थाओं और उनके भारतीय समकक्षों के बीच उत्कृष्ट सहयोग का भी स्वागत किया। मोदी ने फ्रांसीसी सेना को पिनाक रॉकेट लांचर को करीब से देखने के लिए आमंत्रित किया और इस बात पर जोर दिया कि फ्रांस द्वारा इस प्रणाली का अधिग्रहण भारत-फ्रांस रक्षा संबंधों में एक और मील का पत्थर होगा। इसके अलावा, राष्ट्रपति मैक्रों ने ओसीसीएआर द्वारा प्रबंधित यूरोड्रोन मेल कार्यक्रम में भारत को पर्यवेक्षक के रूप में शामिल करने के निर्णय का स्वागत किया, जो रक्षा उपकरण कार्यक्रमों में हमारी साझेदारी की बढ़ती ताकत में एक और कदम है। बयान में कहा गया कि दोनों नेताओं ने मध्य-पूर्व और यूक्रेन में युद्ध सहित अंतरराष्ट्रीय मुद्दों पर विस्तृत बातचीत की। वे समन्वय करने और नियमित रूप से निकटता से जुड़े रहने के अपने प्रयासों को आगे बढ़ाने पर सहमत हुए। दोनों नेताओं ने भारत-पश्चिम एशिया-यूरोप कॉरिडोर (आईएमईसी) को लागू करने पर अधिक निकटता से मिलकर काम करने पर सहमति व्यक्त की और भूमध्य सागर में मारसेई की रणनीतिक स्थिति को स्वीकार किया। उन्होंने नई दिल्ली में आगामी भारत-यूरोपीय संघ शिखर सम्मेलन के मद्देनजर जल्द से जल्द यूरोपीय संघ-भारत संबंधों को मजबूत करने के महत्व को रेखांकित किया। उन्होंने ऑस्ट्रेलिया और संयुक्त अरब अमीरात के साथ त्रिपक्षीय प्रारूप में बढ़ते सहयोग की सराहना की। उन्होंने फ्रांस, भारत और संयुक्त अरब अमीरात के बीच हुए संयुक्त सैन्य अभ्यासों की सराहना की, साथ ही भारत, फ्रांस और ऑस्ट्रेलिया की एक-दूसरे के बहुपक्षीय सैन्य अभ्यासों में भागीदारी की भी सराहना की। दोनों नेताओं ने एक स्वतंत्र, खुले, समावेशी, सुरक्षित तथा शांतिपूर्ण समाज के प्रति अपनी साझा प्रतिबद्धता को रेखांकित किया। उन्होंने अंतरिक्ष क्षेत्र में द्विपक्षीय सहयोग को और प्रगाढ़ करने की अपनी इच्छा दोहराई।
दोनों नेताओं ने सीमा पार आतंकवाद सहित सभी रूपों में आतंकवाद की स्पष्ट निंदा की। उन्होंने आतंकवाद के वित्तपोषण नेटवर्क और सुरक्षित ठिकानों को नष्ट करने का आह्वान किया। वे इस बात पर भी सहमत हुए कि किसी भी देश को उन लोगों को सुरक्षित पनाहगाह नहीं देनी चाहिए जो आतंकवादी कृत्यों को वित्तपोषित करते हैं, उनका षड्यंत्र रचते हैं, उन्हें समर्थन देते हैं और अंजाम देते हैं। दोनों नेताओं ने सभी आतंकवादियों के खिलाफ ठोस कार्रवाई का भी आह्वान किया।
बयान में कहा गया कि उन्होंने नागरिक उड्डयन क्षेत्र में उन्नत द्विपक्षीय सहयोग के लिए एक व्यापक ढांचा बनाने के लिए चल रही चर्चाओं का स्वागत किया, जो कि उन्नत चरणों में है। साल 2024 में द्विपक्षीय व्यापार के रिकॉर्ड स्तर को देखते हुए, उन्होंने स्वीकार किया कि दोनों देशों के बीच व्यापार और निवेश की अपार संभावनाएं हैं। मोदी और मैक्रों ने फ्रांस और भारत में निवेश करने वाली कंपनियों के लिए मजबूत विश्वास बनाए रखने की आवश्यकता पर प्रकाश डाला। प्रधानमंत्री मोदी ने पेरिस ओलंपिक और पैरालंपिक 2024 के सफल आयोजन के लिए राष्ट्रपति मैक्रों को बधाई दी और 2036 में ओलंपिक और पैरालंपिक खेलों की मेजबानी के लिए भारत के प्रयासों के संदर्भ में आयोजन और सुरक्षा के संबंध में फ्रांस के अनुभव और विशेषज्ञता को साझा करने की इच्छा के लिए राष्ट्रपति मैक्रों को धन्यवाद दिया। -
पेरिस. प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने बुधवार को फ्रांस के राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों के साथ मारसेई शहर के ऐतिहासिक माजारग्वेज युद्ध कब्रिस्तान का दौरा किया और प्रथम विश्व युद्ध में बलिदान देने वाले भारतीय सैनिकों को श्रद्धांजलि दी। प्रधानमंत्री मोदी ने तिरंगे के रंग वाले फूलों से निर्मित पुष्पचक्र अर्पित किया। मैक्रों ने भी भारतीय सैनिकों को श्रद्धांजलि दी। प्रथम विश्व युद्ध के दौरान फ्रांसीसी सैनिकों के साथ कंधे से कंधा मिलाकर लड़ते हुए अपने प्राणों की आहुति देने वाले भारतीय सैनिकों को याद करते हुए मोदी ने हाथ जोड़कर और सिर झुकाते हुए उस ऐतिहासिक स्थल पर श्रद्धांजलि अर्पित की, जहां ‘भारतीय स्मारक' भी है। स्मारक पर बैंड की धुनों ने इस अवसर की गरिमा को और बढ़ा दिया। बाद में, दोनों नेताओं ने इस ऐतिहासिक कब्रिस्तान परिसर का दौरा किया और स्मारक पट्टिकाओं पर गुलाब के फूल चढ़ाए। इस कब्रिस्तान में बड़ी संख्या में भारतीय सैनिकों के स्मारक हैं। राष्ट्रमंडल युद्ध कब्र आयोग (सीडब्ल्यूजीसी) इस कब्रिस्तान का रखरखाव करता है। फ्रांस की तीन दिवसीय यात्रा पर आए मोदी ने मंगलवार को राष्ट्रपति मैक्रों के साथ ‘एआई एक्शन' शिखर सम्मेलन की सह-अध्यक्षता की और व्यापार जगत के दिग्गजों को संबोधित किया। मोदी 10 फरवरी को पेरिस पहुंचे थे। प्रथम विश्व युद्ध 1914-18 के दौरान, जबकि दूसरा विश्व युद्ध 1939-45 के दौरान हुआ था।
सीडब्ल्यूजीसी की वेबसाइट के अनुसार, ‘‘इस कब्रिस्तान में 1914-18 के युद्ध में जान गंवाने वाले 1,487 और 1939-45 के युद्ध में बलिदान देने वाले 267 जवानों के स्मारक हैं। 205 अन्य भारतीय जवानों की अंत्येष्टि की गई थी जिनकी याद में कब्रिस्तान के पीछे एक स्मारक बनाया गया है।'' शहर के चार कब्रिस्तानों का इस्तेमाल मुख्य रूप से मारसेई में मारे गए राष्ट्रमंडल बलों के अधिकारियों और सैनिकों को दफ़नाने के लिए किया गया था। शहर के पूर्वी हिस्से में स्थित सेंट पियरे कब्रिस्तान में 1914-16 में हिंदू सैनिकों और मज़दूरों के शवों का अंतिम संस्कार किया गया था। जुलाई 1925 में फील्ड मार्शल सर विलियम बर्डवुड ने माजारग्वेज भारतीय स्मारक का अनावरण किया था।
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नई दिल्ली। अमेरिका के विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) से हटने के कारण बर्ड फ्लू के प्रकोप से जुड़ी जानकारी साझा करने में कठिनाई हो रही है। डब्ल्यूएचओ के प्रवक्ता क्रिश्चियन लिंडमियर ने जिनेवा में एक प्रेस ब्रीफिंग में कहा कि अमेरिका के साथ कम्युनिकेशन एक बड़ी चुनौती बन गया है क्योंकि पारंपरिक संपर्क के तरीके अब खत्म हो चुके हैं। हालांकि, उन्होंने इस बारे में ज्यादा जानकारी नहीं दी।
वायरस के मानव-से-मानव संक्रमण के कोई सबूत नहींअप्रैल 2024 में अमेरिका में एच5एन1 बर्ड फ्लू का प्रकोप सामने आया था, जिसमें अब तक लगभग 70 लोग संक्रमित हो चुके हैं। इनमें ज्यादातर खेतों में काम करने वाले मजदूर हैं। अमेरिकी स्वास्थ्य एजेंसी सेंटर फॉर डिजीज कंट्रोल एंड प्रिवेंशन (सीडीसी) ने बताया कि अब तक इस वायरस के मानव-से-मानव संक्रमण के कोई सबूत नहीं मिले हैं और आम जनता के लिए जोखिम कम है। लेकिन जो लोग पक्षियों, मुर्गियों या मवेशियों के संपर्क में रहते हैं, उनमें संक्रमण का खतरा अधिक है।डब्ल्यूएचओ से अमेरिका के हटने के फैसले को लेकर चिंता जताई जा रहीडब्ल्यूएचओ से अमेरिका के हटने के फैसले को लेकर चिंता जताई जा रही है, खासकर नई बीमारियों और वायरस के बारे में जानकारी साझा करने के मामले में। राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने 20 जनवरी को अपने शपथ ग्रहण के दिन एक कार्यकारी आदेश पर हस्ताक्षर कर अमेरिका को डब्ल्यूएचओ से बाहर निकाल दिया।अमेरिका भविष्य में वायरस से जुड़ी महत्वपूर्ण जानकारी साझा करना बंद कर सकता हैअमेरिकी मीडिया रिपोर्टों के अनुसार, कुछ देशों ने इस बात को लेकर चिंता जताई है कि अमेरिका भविष्य में वायरस से जुड़ी महत्वपूर्ण जानकारी साझा करना बंद कर सकता है। ऐसा होने पर, किसी भी नए वायरस के प्रसार को रोकने में दिक्कतें आ सकती हैं। हाल ही में अमेरिकी राज्य नेवादा में डेयरी मवेशियों में बर्ड फ्लू का एक नया प्रकार मिला है, जिससे स्थिति और भी चिंताजनक हो गई है। वैज्ञानिकों को डर है कि यह संक्रमण और ज्यादा फैल सकता है।अमेरिका को डब्ल्यूएचओ को जरूरत से ज्यादा पैसा देना पड़ता थाट्रंप प्रशासन का मानना है कि डब्ल्यूएचओ ने कोविड महामारी को सही तरीके से नहीं संभाला और अमेरिका को संगठन को जरूरत से ज्यादा पैसा देना पड़ता था। ट्रंप ने कहा कि अमेरिका से अधिक धन लिया जाता था, जबकि चीन जैसे अन्य बड़े देश कम योगदान देते थे।अमेरिका लंबे समय से डब्ल्यूएचओ का सबसे बड़ा वित्तीय सहयोगी रहा है। 2022 और 2023 में अमेरिका ने संगठन को 1.28 अरब डॉलर दिए, जो जर्मनी के 400 मिलियन डॉलर अधिक था। डब्ल्यूएचओ को उम्मीद है कि अमेरिका इस फैसले पर फिर से विचार करेगा, जिससे दुनिया भर के लोगों का कल्याण होगा। -
ग्वाटेमाला सिटी. ग्वाटेमाला की राजधानी के बाहरी इलाके में सोमवार को एक बस के खाई में गिरने से कम से कम 55 लोगों की मौत हो गई। अधिकारियों ने यह जानकारी दी। सार्वजनिक मंत्रालय के जांच अधिकारियों ने बताया कि घटनास्थल से 53 शव बरामद किए गए हैं और सैन जुआन डी डिओस अस्पताल ने पुष्टि की है कि वहां लाए गए दो यात्रियों की भी मौत हो गई है। दमकल विभाग के प्रवक्ता एडविन विलाग्रान ने बताया कि कई वाहनों की टक्कर के कारण बस सड़क से फिसलकर गहरी खाई में गिर गई। इस घटना में अन्य लोग गंभीर रूप से घायल हो गए। बस प्रोग्रेसो से आ रही थी। एक अधिकारी ने बताया कि पीड़ितों में बच्चे भी शामिल हैं। राष्ट्रपति बर्नार्डो एरेवालो ने घटना पर शोक व्यक्त किया तथा एक दिन का राष्ट्रीय शोक घोषित किया है।
- सिंगापुर। सिंगापुर के प्रधानमंत्री लॉरेंस वोंग रविवार को ‘मार्सिलिंग राइज हाउसिंग एस्टेट' स्थित श्री शिव-कृष्ण मंदिर पहुंचे और वहां धार्मिक आयोजन में शामिल हुए। मंदिर में यह तीसरी बार धार्मिक आयोजन किया गया था। इससे पहले 1996 और 2008 में इसी तरह के समारोह आयोजित किए गए थे। इस धार्मिक आयोजन के जरिए यह सुनिश्चित किया जाता है कि मंदिर अध्यात्मिक गतिविधियों का केंद्र बिंदु बना रहे। इस धार्मिक आयोजन में 10,000 श्रद्धालु शामिल हुए। यह सिंगापुर का एकमात्र मंदिर है जहां श्री शिव-कृष्ण की प्रतिमाएं विराजमान हैं।समारोह सुबह सात बजे अनुष्ठानों के साथ शुरू हुआ और इसके लिए मुख्य भवन से लगभग 100 मीटर दूर टेंट लगाए गए थे। ‘द स्ट्रेट्स टाइम्स' की खबर में बताया गया कि इसके बाद सुबह आठ बजे कलश यात्रा निकाली गई और कलश में भरे जल को मंदिर लाया गया। मुख्य अतिथि के तौर पर शामिल हुए प्रधानमंत्री वोंग के साथ रक्षा मंत्री जकी मोहम्मद भी मौजूद थे। मंदिर के पदाधिकारियों ने उन्हें शॉल और माला भेंट की और मुख्य पुजारी नागराज शिवाचार्य ने प्रधानमंत्री वोंग को कलावा भी बांधा। इस दौरान करीब 800 स्वयंसेवकों ने सड़क यातायात प्रबंधन, सुरक्षा से लेकर मंदिर में सेवा का जिम्मा संभाला।
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नई दिल्ली। बांग्लादेश में सत्ता पलटने के बाद से ही हालात सुधरने का नाम नहीं ले रहे। बुधवार रात को एक बार फिर बांग्लादेश में हिंसा हुई। प्रदर्शनकारियों ने बांग्लादेश के राष्ट्रपति बंगबंधु शेख मुजीबुर्रहमान के आवास पर पहुंचकर जमकर तोड़फोड़ की।
प्रदर्शनकारियों ने इमारत में न केवल तोड़फोड़ की बल्कि उसे आग के हवाले भी कर दिया। इससे भी बात नहीं बनी तो बुलडोजर चलवा दिया और साथ ही साथ भड़काऊ नारे लगाए गए, भाषण दिया गया।प्रदर्शनकारियों की तरफ से आवामी लीग पर प्रतिबंध लगाने की मांग की गई है। हिंसक प्रदर्शनकारी यहीं नहीं रुके बल्कि कई हिंदुओं के घर भी निशाना बनाया गया है। ये तोड़फोड़, हिंसा उस समय की गई जब शेख हसीना अपने समर्थकों को ऑनलाइन संबोधित कर रहीं थी।पिता के घर पर हुए हमले को लेकर शेख हसीना ने कहा कि उनके पास अभी भी इतनी ताकत नहीं है कि वो राष्ट्रीय ध्वज, संविधान और उस आजादी को बुलडोजर से नष्ट कर सकें जिसे लाखों शहीदों के जीवन पर हासिल किया गया है। इसके साथ ही शेख हसीना ने कहा कि वो इमारत ध्वस्त कर सकते हैं लेकिन इतिहास नहीं। बुलडोजर से इतिहास नहीं मिटा करता। -
आर्लिंगटन .अमेरिका में पिछले सप्ताह हुई भीषण विमान दुर्घटना में मारे गए सभी 67 पीड़ितों के अवशेष बरामद कर लिए गए हैं। अधिकारियों ने मंगलवार को यह जानकारी दी। रीगन राष्ट्रीय हवाई अड्डे के पास हवा में एक विमान और हेलीकॉप्टर के बीच टक्कर हो गई थी। पोटोमैक नदी के निकट हुई इस दुर्घटना में दुर्घटनागस्त विमान का मलबा नदी में गिर गया था। अधिकारियों के हवाले से एक समाचार विज्ञप्ति में बताया गया कि मुख्य चिकित्सा परीक्षक अब भी कुछ अवशेषों की पहचान करने की कोशिश कर रहे हैं। मंगलवार को पोटोमैक नदी से मलबा हटाने का काम जारी रहा, जहां पिछले सप्ताह बुधवार की रात विमान दुर्घटनाग्रस्त हो गया था। हादसा उस वक्त हुआ जब अमेरिकन एयरलाइंस का विमान निकटवर्ती रोनाल्ड रीगन राष्ट्रीय हवाई अड्डा पर उतरने वाला था।
- स्टॉकहोम,। स्वीडन के पश्चिमी स्टॉकहोम में एक शिक्षा केंद्र पर हुई भारी गोलीबारी में हमलावर सहित कम से कम 11 लोगों की मौत हो गयी। अधिकारियों ने मरने वाले लोगों की संख्या में वृद्धि की आशंका जताई है। बुधवार तड़के हुई इस घटना में शामिल हमलावर के मकसद और घायलों की संख्या का पता नहीं चल पाया है। स्वीडन में विद्यालयों व शिक्षा केंद्रों पर इस तरह के हमले की घटनाएं न के बराबर होती है, जिस कारण इलाके में हड़कंप मच गया। पुलिस ने पहले कहा था कि इस घटना में मारे गये लोगों की संख्या का पता लगाना मुश्किल है।‘कैम्पस रिसबर्गस्का' नाम का यह स्कूल 20 वर्ष या उससे अधिक आयु के वयस्कों के लिए प्राथमिक व माध्यमिक शिक्षा कक्षाएं, अप्रवासियों के लिए स्वीडिश भाषा की कक्षाएं, बौद्धिक अक्षमताओं वाले बच्चों के लिए व्यावसायिक प्रशिक्षण और कार्यक्रम प्रदान करता है। यह स्कूल स्टॉकहोम से लगभग 200 किलोमीटर पश्चिम में ओरेब्रो के बाहरी इलाके में स्थित है।न्याय मंत्री गुन्नार स्ट्रोमर ने गोलीबारी को ‘एक ऐसी घटना करार दिया, जिसने पूरे समाज को झकझोर कर दिया है।' गोलीबारी मंगलवार दोपहर उस समय शुरू हुई जब कई छात्र राष्ट्रीय परीक्षा देने के बाद घर चले गए थे। गोलीबारी के बाद आस-पास की इमारतों में शरण लिए हुए विद्यार्थियों और स्कूल के अन्य हिस्सों को खाली करा दिया गया। अधिकारी मृतकों की पहचान करने में जुटे हैं और पुलिस ने बताया कि मृतकों की संख्या बढ़ सकती है।स्थानीय पुलिस के प्रमुख रॉबर्टो ईद फॉरेस्ट ने संवाददाताओं को बताया कि मृतकों में संदिग्ध हमलावर भी शामिल है। प्रधानमंत्री उल्फ क्रिस्टर्सन ने मंगलवार देर रात स्टॉकहोम में संवाददाताओं से कहा, “आज हमने पूरी तरह से निर्दोष लोगों के खिलाफ क्रूर, घातक हिंसा देखी है। यह स्वीडिश इतिहास में गोलीबारी की सबसे वीभत्स घटना है। कई सवाल अनुत्तरित हैं और मैं उन सवालों के जवाब भी नहीं दे सकता।” उन्होंने कहा, “लेकिन वह समय आएगा जब हम जानेंगे कि क्या हुआ था, कैसे हुआ था और इसके पीछे क्या मकसद हो सकता है। हमें अटकलें नहीं लगानी चाहिए।''
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गोमा (कांगो) .पूर्वी कांगो के सबसे बड़े शहर गोमा और उसके आस-पास के इलाकों में रवांडा समर्थित विद्रोहियों के खिलाफ कार्रवाई में एक सप्ताह में 773 लोग मारे गए हैं। कांगो के अधिकारियों ने शनिवार को यह जानकारी दी। विद्रोहियों ने गोमा पर कब्जा कर लिया था और वह अन्य क्षेत्रों पर भी कब्जा करने की कोशिश कर रहे थे जिसे सेना ने काफी हद तक नाकाम कर दिया और कुछ गांवों पर नियंत्रण हासिल कर लिया। कांगो सरकार के प्रवक्ता पैट्रिक मुयाया ने राजधानी किंशासा में संवाददाताओं को बताया कि 773 लोगों के मारे जाने और 2,880 लोगों के घायल होने की खबर है। घायलों का उपचार किया जा रहा है। उन्होंने बताया कि मृतकों की संख्या बढ़ सकती है। विद्रोहियों की ओर से पानी, बिजली आपूर्ति सहित बुनियादी सेवाओं को बहाल करने का वादा किए जाने के बाद शनिवार को सैकड़ों गोमा निवासी शहर लौट रहे थे। उन्होंने हथियारों के मलबे से अटे पड़े इलाकों को साफ किया। स्थानीय निवासी जीन मार्कस ने कहा, ‘‘मैं थक गया हूं और नहीं जानता कि कहां जाऊं। हर ओर सिर्फ मातम है।'' जीन के एक रिश्तेदार की संघर्ष में मौत हो गई है। कांगो के खनिज-समृद्ध पूर्वी क्षेत्र पर कब्जा करने की होड़ में लगे 100 से अधिक हथियारबंद समूहों में ‘एम23' सबसे ताकतवर है। इस क्षेत्र में खनिज का विशाल भंडार हैं। संयुक्त राष्ट्र के विशेषज्ञों के अनुसार, इस समूह को पड़ोसी देश रवांडा के सैनिकों का समर्थन प्राप्त है।
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नई दिल्ली। अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी नासा की अंतरिक्ष यात्री सुनीता विलियम्स ने एक नया रिकॉर्ड बनाया है। उन्होंने अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन (आईएसएस) के बाहर 5 घंटे 26 मिनट की स्पेसवॉक (अंतरिक्ष में चहलकदमी) पूरी की। इस उपलब्धि के साथ उनके कुल स्पेसवॉक का समय 62 घंटे 6 मिनट हो गया जिससे उन्होंने नासा की पूर्व अंतरिक्ष यात्री पैगी व्हिटसन का 60 घंटे 21 मिनट का रिकॉर्ड तोड़ दिया।
सुनीता विलियम्स और उनके सहयोगी बुच विल्मोर पिछले जून 2024 से आईएसएस पर फंसे हुए हैं। वे बोइंग के स्टारलाइनर अंतरिक्ष यान से आठ दिनों के मिशन पर गए थे लेकिन तकनीकी खराबी के कारण यह यान वापसी के लिए सुरक्षित नहीं रहा। इस वजह से दोनों को अब तक अंतरिक्ष में ही रुकना पड़ा है।नासा अब एलन मस्क की कंपनी स्पेसएक्स के साथ मिलकर दोनों अंतरिक्ष यात्रियों को सुरक्षित वापस लाने की योजना बना रहा है।हालांकि, स्पेसएक्स के नये अंतरिक्ष यान को तैयार होने में देरी हो रही है जिससे उनकी वापसी फिर से टल गई है। इससे पहले, अगस्त 2024 में नासा ने घोषणा की थी कि स्पेसएक्स फरवरी 2025 में उन्हें धरती पर वापस लाएगा लेकिन अब यह समय भी आगे बढ़ सकता है।इन कठिनाइयों के बावजूद, विलियम्स और विल्मोर अपने वैज्ञानिक कार्य जारी रखे हुए हैं। इस बार की स्पेसवॉक के दौरान उन्होंने आईएसएस के बाहरी हिस्से से खराब रेडियो संचार उपकरण हटाए और यह जांचने के लिए नमूने एकत्र किए कि वहां सूक्ष्मजीव (माइक्रोब्स) मौजूद हैं या नहीं। -
वाशिंगटन । डोनाल्ड ट्रंप ने शुक्रवार को डी-डॉलराइजेशन के खिलाफ अपना रुख स्पष्ट करते हुए ब्रिक्स देशों को सख्त चेतावनी दी। उन्होंने कहा कि अगर ब्रिक्स ने वैश्विक व्यापार में मुख्य मुद्रा के रूप में अमेरिकी डॉलर को हटाने की कोशिश की तो उनके निर्यात पर 100 फीसदी शुल्क लगा दिया जाएगा।
वैश्विक व्यापार में अमेरिकी डॉलर की भूमिका को स्वीकार करना होगा
एक रिपोर्ट के मुताबिक राष्ट्रपति ट्रंप ने बार-बार कहा कि ब्रिक्स देशों को वैश्विक व्यापार में अमेरिकी डॉलर की भूमिका को स्वीकार करना होगा या फिर आर्थिक नतीजे भुगतने पड़ेंगे। रिपोर्ट के मुताबिक यह पहली बार नहीं है जब राष्ट्रपति ट्रंप ने इस तरह की चेतावनी दी। इससे पहले अमेरिकी राष्ट्रपति चुनाव जीतने के कुछ सप्ताह बाद 30 नवंबर को उन्होंने यही धमकी दी थी।ब्रिक्स देशों का डॉलर से दूर जाने की कोशिश स्वीकार नहींराष्ट्रपति ट्रंप ने एक पोस्ट में लिखा, “यह विचार कि ब्रिक्स देश डॉलर से दूर जाने की कोशिश कर रहे हैं, जबकि हम खड़े होकर देख रहे हैं, खत्म हो चुका है।” एनडीटीवी ने अमेरिकी राष्ट्रपति की एक पोस्ट का हवाला देते हुए कहा, “हमें इन शत्रुतापूर्ण देशों से यह प्रतिबद्धता चाहिए कि वे न तो नई ब्रिक्स मुद्रा बनाएंगे, न ही शक्तिशाली अमेरिकी डॉलर की जगह पर किसी अन्य मुद्रा का समर्थन करेंगे, अन्यथा उन्हें 100 प्रतिशत टैरिफ का सामना करना पड़ेगा, उन्हें अद्भुत अमेरिकी अर्थव्यवस्था को अपना सामान बेचने से मना करना पड़ेगा।”ट्रंप ने शुक्रवार को अपने पोस्ट में लिखा, “वे किसी दूसरे बेवकूफ देश को खोज सकते हैं। इस बात की कोई संभावना नहीं है कि ब्रिक्स अंतरराष्ट्रीय व्यापार में या कहीं और अमेरिकी डॉलर की जगह ले लेगा, और जो भी देश ऐसा करने की कोशिश करेगा, उसे टैरिफ को नमस्ते और अमेरिका को अलविदा कहना चाहिए।”ब्रिक्स अमेरिकी डॉलर पर निर्भरता कम करने के तरीकों पर कर रहे हैं विचारकई सालों से ब्रिक्स समूह के देश अमेरिकी डॉलर पर निर्भरता कम करने के तरीकों पर विचार कर रहे हैं। रिपोर्ट में कहा गया कि भले ही समूह के पास अभी तक एक आम मुद्रा नहीं है, लेकिन इसके सदस्य देश जिनमें ब्राजील, रूस, भारत, चीन और दक्षिण अफ्रीका शामिल हैं, हाल ही में अपनी स्थानीय मुद्राओं में व्यापार को बढ़ावा दे रहे हैं। -
वाशिंगटन. अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने अवैध अप्रवासियों की सुनवाई-पूर्व हिरासत की अनुमति देने वाले अपने पहले कानून पर हस्ताक्षर कर दिए हैं। यह कानून चोरी, सेंधमारी जैसे अपराधों में आरोपित अवैध अप्रवासियों को सुनवाई से पहले हिरासत में रखने का अधिकार देता है। 'लेकेन राइली एक्ट' को पहले अमेरिकी संसद के दोनों सदन 'हाउस और सीनेट' में द्विदलीय समर्थन मिला था। ट्रंप ने 20 जनवरी को कार्यभार संभालने के बाद पहले विधेयक के तौर पर इस पर हस्ताक्षर किए हैं। ट्रंप ने कहा, "इस कानून के तहत, गृह सुरक्षा विभाग को उन सभी अवैध अप्रवासियों को हिरासत में लेने का अधिकार होगा जो चोरी, सेंधमारी, डकैती, पुलिस अधिकारी पर हमला, हत्या या गंभीर चोट से जुड़े अपराधों के लिए गिरफ्तार किए गए हैं।" यह कानून जॉर्जिया की 22 वर्षीय नर्सिंग छात्रा लेकेन राइली के नाम पर रखा गया है। छात्रा की वेनेजुएला के एक अवैध अप्रवासी ने हत्या कर दी थी। ट्रंप ने इसे 'ऐतिहासिक कानून' करार दिया। डेमोक्रेटिक पार्टी से सांसद डिक डर्बिन ने इस कानून की आलोचना करते हुए कहा कि यह संघीय सरकार की शक्तियों को कमजोर करता है और संविधान द्वारा निर्धारित आप्रवासन नीतियों के खिलाफ है। सीनेट में यह विधेयक 35 के मुकाबले 64 वोट से पारित हुआ, जबकि हाउस में इसे 156 के मुकाबले 263 मतों से मंजूरी मिली।