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- नयी दिल्ली.। अमेरिका में बॉन्ड पर प्रतिफल बढ़ने तथा इजराइल-हमास संघर्ष की वजह से पैदा हुई अनिश्चितता के चलते विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों (एफपीआई) ने अक्टूबर में अबतक भारतीय शेयर बाजारों से 12,000 करोड़ रुपये की निकासी की है। हालांकि, इस दौरान एफपीआई ने भारतीय बॉन्ड बाजार में 5,700 करोड़ रुपये से अधिक डाले भी हैं। मॉर्निंगस्टार इंडिया के एसोसिएट निदेशक एवं प्रबंधक शोध हिमांशु श्रीवास्तव ने कहा, ‘‘आगे चलकर भारतीय बाजारों में एफपीआई का निवेश न केवल वैश्विक मुद्रास्फीति और ब्याज दरों से, बल्कि इजराइल-हमास संघर्ष से जुड़े घटनाक्रमों से भी प्रभावित होगा।'' उन्होंने कहा कि भूराजनीतिक तनाव ऐसा जोखिम है जिसकी वजह से भारत जैसे उभरते बाजारों में विदेशी पूंजी का प्रवाह प्रभावित हो सकता है। डिपॉजिटरी के आंकड़ों के अनुसार, इस महीने 20 अक्टूबर तक एफपीआई ने 12,146 करोड़ रुपये के शेयर बेचे हैं। इससे पहले सितंबर में भी एफपीआई शुद्ध बिकवाल रहे थे और उन्होंने 14,767 करोड़ रुपये के शेयर बेचे थे। एफपीआई मार्च से अगस्त तक इससे पिछले छह माह के दौरान लगातार लिवाल रहे थे। इस दौरान उन्होंने शेयर बाजारों में 1.74 लाख करोड़ रुपये डाले थे। जियोजीत फाइनेंशियल सर्विसेज के मुख्य निवेश रणनीतिकार वी के विजयकुमार ने कहा कि एफपीआई की बिकवाली की प्रमुख वजह अमेरिका में बॉन्ड प्रतिफल का लगातार बढ़ना है। अमेरिका में बॉन्ड प्रतिफल (10 साल के लिए) 19 अक्टूबर को 17 साल के उच्चस्तर पांच प्रतिशत पर पहुंच गया है। इसके साथ ही इस साल अबतक शेयरों में एफपीआई का कुल निवेश 1.08 लाख करोड़ रुपये और बॉन्ड बाजार में 35,000 करोड़ रुपये से अधिक हो गया है।
- नयी दिल्ली। टाटा मोटर्स एक नया पेट्रोल पावरट्रेन विकसित कर रही है जिसका इस्तेमाल उसके प्रीमियम स्पोर्ट्स यूटिलिटी वाहनों (एसयूवी) हैरियर और सफारी में किया जाएगा। कंपनी के एक शीर्ष अधिकारी ने यह जानकारी दी। ये मॉडल अभी दो लीटर डीजल इंजन के साथ आते हैं।टाटा मोटर्स पैसेंजर व्हीकल्स के प्रबंध निदेशक शैलेश चंद्रा ने कहा कि इंजन बनाया जा रहा है और आगे चलकर इसे दो मॉडलों में पेश किया जाएगा। उन्होंने कहा कि कंपनी ने केवल डीजल पावरट्रेन पर ध्यान केंद्रित किया है, क्योंकि उस खंड में प्रतिवर्ष करीब दो लाख इकाई का 80 प्रतिशत बाजार डीजल पर निर्भर है। इस खंड में हैरियर और सफारी आती हैं। चंद्रा ने कहा, ‘‘ हमारा शुरुआत में डीजल पर ध्यान एक साधारण कारण से गया कि इस एसयूवी खंड के लिए दो लाख इकाई के बाजार का 80 प्रतिशत मूल रूप से डीजल है, जिसका मतलब है कि ग्राहक इसके बेहतर ‘टॉर्क' प्रदर्शन के कारण डीजल को पसंद करते हैं।'' प्रबंध निदेशक ने कहा कि कंपनी 1.5 लीटर जीडीआई इंजन पर काम कर रही है। कार्य प्रगति पर है। इसे उचित तरीके से विकसित किए जाने की आवश्यकता है और इसके अलावा उत्पाद को इंजन के साथ एकीकृत करना होगा। चंद्रा ने कहा, ‘‘ इसके अलावा हम क्षमता निर्माण पर भी काम कर रहे हैं। यह (पेट्रोल इंजन) थोड़ा दूर है लेकिन यह आने वाला है।'' टाटा मोटर्स ने पिछले सप्ताह क्रमशः 15.49 लाख रुपये और 16.19 लाख रुपये की शुरुआती कीमत के साथ हैरियर और सफारी के नए मॉडल पेश किए थे। हैरियर और सफारी के इन उन्नत संस्करणों को ग्लोबल एनसीएपी से शीर्ष सुरक्षा रेटिंग मिली है।
- नयी दिल्ली। वैश्विक आर्थिक अनिश्चितताओं और घटते निर्यात एवं आयात के बावजूद अमेरिका चालू वित्त वर्ष 2023-24 की पहली छमाही में भारत का सबसे बड़ा व्यापारिक भागीदार बनकर उभरा है। सरकारी आंकड़ों में यह बात सामने आई है। वाणिज्य मंत्रालय के शुरुआती आंकड़ों के अनुसार, अप्रैल-सितंबर, 2023 में भारत और अमेरिका के बीच द्विपक्षीय व्यापार 11.3 प्रतिशत घटकर 59.67 अरब डॉलर रह गया है, जो पिछले वित्त वर्ष की समान अवधि में 67.28 अरब डॉलर था। अप्रैल-सितंबर, 2023 में अमेरिका को निर्यात घटकर 38.28 अरब डॉलर हो गया, जो इससे पिछले साल समान अवधि में 41.49 अरब डॉलर था। अमेरिका से आयात भी घटकर 21.39 अरब डॉलर रह गया, जो पिछले साल की समान अवधि में 25.79 अरब डॉलर था। इसी तरह, भारत और चीन के बीच द्विपक्षीय व्यापार भी 3.56 प्रतिशत घटकर 58.11 अरब डॉलर रह गया।चालू वित्त वर्ष की पहली छमाही में चीन को निर्यात मामूली रूप से घटकर 7.74 अरब डॉलर रह गया, जो एक साल पहले समान अवधि में 7.84 अरब डॉलर था। चीन से आयात भी घटकर 50.47 अरब डॉलर पर आ गया, जो पिछले साल समान अवधि में 52.42 अरब डॉलर था। विशेषज्ञों का मानना है कि वैश्विक मांग में कमजोरी के कारण भारत और अमेरिका के बीच निर्यात तथा आयात में गिरावट आ रही है, लेकिन व्यापार वृद्धि जल्द सकारात्मक हो जाएगी। उन्होंने कहा कि इसके बावजूद आने वाले वर्षों में अमेरिका के साथ द्विपक्षीय व्यापार बढ़ाने का रुझान जारी रहेगा क्योंकि भारत और अमेरिका आर्थिक संबंधों को और मजबूत करने की कोशिश कर रहे हैं। भारतीय उद्योग परिसंघ (सीआईआई) की निर्यात व आयात (एक्जिम) पर राष्ट्रीय समिति के अध्यक्ष संजय बुधिया ने पहले कहा था भारतीय निर्यातकों को अमेरिका द्वारा ‘सामान्य तरजीह प्रणाली' (जीएसपी) लाभ की बहाली के लिए शीघ्र समाधान समय की मांग है क्योंकि इससे द्विपक्षीय व्यापार को और बढ़ावा मिलने में मदद मिलेगी। मुंबई स्थित निर्यातक खालिद खान ने कहा कि रुझान के अनुसार वैश्विक चुनौतियों के बावजूद अमेरिका, भारत का सबसे बड़ा व्यापारिक भागीदार बना रहेगा। लुधियाना के निर्यातक एस. सी. रल्हन ने कहा कि आने वाले वर्षों में भारत और अमेरिका के बीच व्यापार लगातार बढ़ेगा।
- नयी दिल्ली.। संकट प्रबंधन, साइबर मामले में जुझारू क्षमता और आपात स्थिति से निपटने की गतिविधियां अब मुख्यधारा में आ चुकी हैं और कंपनियां विभिन्न खतरों से निपटने के लिए इन क्षेत्रों में निवेश को प्राथमिकता दे रही हैं। पीडब्ल्यूसी इंडिया के एक सर्वे में यह बात कही गई है। भारत का ‘संकट और जुझारू क्षमता सर्वे 2023' के अनुसार, रैंसमवेयर जैसे बढ़ते साइबर खतरों के साथ-साथ अप्रत्याशित खतरे ने 96 प्रतिशत व्यवसायों को अपनी साइबर ढांचे को मजबूत करने के लिए प्रेरित किया है। इसमें कहा गया कि 97 प्रतिशत संगठन अप्रत्याशित घटनाओं को वास्तविक जोखिम के रूप में देखते हुए संकट प्रबंधन में महत्वपूर्ण निवेश करने के लिए तैयार हैं। रिपोर्ट के अनुसार, “सर्वेक्षण से संकेत मिलता है कि संकट प्रबंधन, साइबर मजबूती और आपात स्थिति का प्रबंधन मुख्यधारा में आ चुके हैं।” पीडब्ल्यूसी इंडिया ने कहा उसने इस सर्वे में दूरसंचार, औद्योगिक उत्पाद और विनिर्माण, वित्तीय सेवाएं, बैंकिंग और पूंजी बाजार, वाहन, शिक्षा, स्वास्थ्य सेवा और फार्मा जैसे विभिन्न क्षेत्रों के 112 संगठनों को शामिल किया है। सर्वेक्षण में कहा गया, “बदलाव की निरंतर और लगातार लहरों ने कंपनियों को , विशेषकर भारत में, रणनीतिक मजबूती की तत्काल जरूरत को पहचानने और उसपर कार्य करने के लिए प्रेरित किया है।” इसमें कहा गया, “व्यवधान का आंकड़ा 2019 के 80 प्रतिशत से बढ़कर 2023 में 98 प्रतिशत हो गया है। इसके चलते कंपनियां साइबर सुरक्षा को प्राथमिकता के साथ और मजबूत करने का प्रयास कर रही हैं।''
- मुंबई। एयर इंडिया की किफायती एयरलाइन एयर इंडिया एक्सप्रेस के प्रबंध निदेशक आलोक सिंह ने कहा है कि एयरलाइन कीमतों को लेकर संवेदनशील ग्राहकों और सैर-सपाटा करने वाले यात्रियों के मार्गों पर ध्यान केंद्रित करेगी। सिंह ने कहा कि एयर इंडिया एक्सप्रेस शुरुआत में पूरे देश में अपनी क्षमता विस्तार पर विचार नहीं कर रही है और इसके बजाय सबसे पहले मौजूदा मार्गों पर अपनी उपस्थिति मजबूत करेगी। एयर इंडिया एक्सप्रेस किफायती घरेलू एयरलाइन एयरएशिया इंडिया का खुद में विलय करने की प्रक्रिया में है। कंपनी ने पिछले सप्ताह अपनी नई ब्रांड पहचान का भी अनावरण किया था। टाटा समूह के स्वामित्व वाले एयर इंडिया समूह में एयर इंडिया, एयर इंडिया एक्सप्रेस, एआईएक्स कनेक्ट और विस्तार हैं। टाटा समूह भी अपने एयरलाइन कारोबार को एकीकृत करने की प्रक्रिया में है। इसके तहत टाटा संस और सिंगापुर एयरलाइंस में 51:49 अनुपात की हिस्सेदारी वाली विस्तार भी एआई इंडिया में विलय की प्रक्रिया में है। सिंह ने कहा, “एयर इंडिया एक्सप्रेस का ध्यान उन मार्गों पर होगा, जिनपर सैर-सपाटा करने वाले यात्री ज्यादा जाते हैं और मूल्य को लेकर संवेदनशील ग्राहक ज्यादा हैं।” उन्होंने कहा कि एयर इंडिया एक्सप्रेस नेटवर्क को इस तरह से संरचित किया जाएगा कि यह उन गंतव्यों के लिए उड़ान भरेगा जहां एयर इंडिया उड़ान नहीं भरती है क्योंकि वर्तमान में इसकी अलग-अलग प्राथमिकताएं हैं।
- नयी दिल्ली।' हॉटमेल के संस्थापक एवं निवेशक सबीर भाटिया ने कहा कि भारतीय उद्यमियों को पूरी दुनिया फतह करने की कोशिश नहीं करनी चाहिए क्योंकि उन्होंने भारतीय ग्राहकों के लिए लागत-दक्षता-आधारित व्यवसाय मॉडल तैयार किया है जो बाकी दुनिया की सोच से अलग है। भाटिया ने ‘पीटीआई-भाषा' से कहा, “यह दौड़ने से पहले चलना सीखने जैसा है। सीधे शब्दों में कहें तो...पूरी दुनिया पर फतह की कोशिश मत करो सिर्फ इसलिए कि आपने भारत को जीत लिया है...भारत में लोगों का सोचने का तरीका बाकी दुनिया के सोचने के तरीके से अलग है।'' भाटिया ने कहा कि भारतीय स्टार्टअप के पास कम लागत वाला अर्थशास्त्र है जबकि अमेरिकी स्टार्टअप का ध्यान इस बात पर है कि उनका समय कैसे बचे। उन्होंने कहा, ‘‘यहां बहुत सारे स्टार्टअप पश्चिमी व्यापार मॉडल की नकल कर रहे हैं और मुझे नहीं लगता कि यह भारत के लिए भी सही है क्योंकि पश्चिमी व्यापार मॉडल में मानवीय क्षमता की कमी है। भारत में मानवीय क्षमता की कोई कमी नहीं है।'
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नयी दिल्ली. देश में 86 ताप बिजली संयंत्रों के पास 18 अक्टूबर तक कोयले भंडार ‘गंभीर' स्तर पर था। इनमें से छह संयंत्र आयातित ईंधन पर आधारित हैं। केंद्रीय बिजली प्राधिकरण (सीईए) की एक रिपोर्ट से यह जानकारी मिली है। किसी बिजली संयंत्र में कोयला भंडार की स्थिति तब गंभीर मानी जाती है, जब उसके पास कोयले का भंडार सामान्य स्तर की तुलना में 25 प्रतिशत से भी कम रह जाता है। सीईए की 18 अक्टूबर 2023 की दैनिक रिपोर्ट के अनुसार, देश में निगरानी वाले 181 ताप बिजली संयंत्रों में से 86 में कोयला भंडार की स्थिति गंभीर हैं। इन 86 में से छह आयातित कोयला आधारित संयंत्र हैं। सीईए देश में 206 गीगावॉट की कुल स्थापित उत्पादन क्षमता वाले 181 कोयला आधारित ताप बिजली संयंत्रों की निगरानी करता है। रिपोर्ट के अनुसार, करीब 149 गीगावाट की कुल क्षमता वाले कोयला खानों से दूर स्थित 148 घरेलू कोयला-आधारित बिजली संयंत्रों के पास कोयला भंडार सामान्य स्तर के 29 प्रतिशत से कम है। इन 148 संयंत्रों के पास 18 अक्टूबर 2023 तक 4.35 करोड़ टन के मानक स्तर के मुकाबले लगभग 1.27 करोड़ टन कोयला था। वहीं 18 खानों के पास स्थित कोयला आधारित संयंत्रों की स्थिति बेहतर है। इन संयंत्रों के पास सामान्य स्तर की तुलना में 81 प्रतिशत कोयला है। इन 18 संयंत्रों की कुल बिजली उत्पादन क्षमता लगभग 40 गीगावाट है। विशेषज्ञों का मानना है कि आमतौर पर कोयला खानों के पास स्थित संयंत्रों में शुष्क ईंधन स्टॉक की स्थिति गंभीर नहीं होती है। वहीं जो संयंत्र कोयला खानों के पास नहीं हैं, उनके लिए कोयला दूरदराज से पहुंचाना पड़ता है। सीईए की निगरानी के तहत आने वाले 15 आयातित कोयला-आधारित बिजली संयंत्रों में कोयला भंडार की स्थिति बेहतर थी। इन संयंत्रों के पास सामान्य स्तर से 52 प्रतिशत कोयले का भंडार था। इन 15 आयातित कोयला आधारित संयंत्रों की कुल उत्पादन क्षमता 17 गीगावाट है।
रिपोर्ट से पता चला कि करीब 206 गीगावाट की कुल क्षमता वाले इन 181 बिजली संयंत्रों के पास 5.43 करोड़ टन के मानक स्तर के मुकाबले 2.04 करोड़ टन (आदर्श स्तर का 38 प्रतिशत) कोयला भंडार था। इन 181 संयंत्रों की दैनिक ईंधन आवश्यकता 28 लाख टन है। इस प्रकार उनके पास 18 अक्टूबर 2023 तक सात दिन से थोड़ा अधिक समय तक चलने वाला कोयला भंडार है। -
नयी दिल्ली. दिल्ली सरकार ने अपनी मौजूदा इलेक्ट्रिक वाहन (ईवी) नीति को इस साल 31 दिसंबर तक बढ़ा दिया है। परिवहन मंत्री कैलाश गहलोत ने शनिवार को यह जानकारी दी। गहलोत ने कहा कि मंत्रिमंडल ने मौजूदा नीति के विस्तार को मंजूरी दे दी है और इसके तहत सब्सिडी सहित सभी प्रोत्साहन जारी रहेंगे। गहलोत ने 'एक्स' पर एक पोस्ट में कहा, ''मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के नेतृत्व में दिल्ली मंत्रिमंडल ने मौजूदा दिल्ली इलेक्ट्रिक वाहन नीति को 31 दिसंबर या फिर दिल्ली ईवी नीति 2.0 की अधिसूचना तक, जो भी पहले हो, बढ़ाने की मंजूरी दे दी है।'' गहलोत ने कहा, ''मौजूदा नीति के तहत सब्सिडी सहित सभी प्रोत्साहन जारी रहेंगे। दिल्ली ईवी नीति 2.0 अंतिम चरण में है और आवश्यक मंजूरी के बाद जल्द ही इसे अधिसूचित किया जाएगा'' दिल्ली इलेक्ट्रिक वाहन नीति 2020 इस साल आठ अगस्त को समाप्त हो गई। दिल्ली में अगस्त 2020 में अधिसूचित इस नीति का लक्ष्य, 2024 तक ईवी की हिस्सेदारी को 25 प्रतिशत तक बढ़ाना है।
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नयी दिल्ली. केंद्रीय कपड़ा और वाणिज्य एवं उद्योग मंत्री पीयूष गोयल ने शनिवार को कहा कि अगले साल फरवरी में होने वाली व्यापार प्रदर्शनी 'भारत टेक्स 2024' भारत को कपड़ा क्षेत्र की वैश्विक महाशक्ति के रूप में पेश करेगी। इस प्रदर्शनी का आयोजन अगले साल 26-29 फरवरी को राजधानी दिल्ली में स्थित भारत मंडपम और यशोभूमि परिसरों में होगा। इसकी परिकल्पना दुनिया के सबसे बड़े कपड़ा मेले के रूप में की गई है। इसमें एक ही छत के नीचे संपूर्ण मूल्य श्रृंखला में फैले कपड़ा उत्पादों के विश्वसनीय आपूर्तिकर्ता के रूप में भारत की क्षमताएं प्रदर्शित की जाएंगी। गोयल ने इस व्यापार प्रदर्शनी (एक्सपो) से संबंधित एक कार्यक्रम को संबोधित करते हुए कहा, “भारत मंडपम या यशोभूमि से वास्तव में भारत को कपड़ा क्षेत्र में एक वैश्विक गंतव्य बनाने के हमारे प्रयास को एक बड़ा प्रोत्साहन मिलेगा। यह कार्यक्रम भारत को वास्तव में एक वैश्विक कपड़ा महाशक्ति के रूप में स्थापित करने जा रहा है।” गोयल ने कहा कि प्रदर्शनी क्षेत्र दो लाख मीटर क्षेत्र में फैला है और यह दुनिया की सबसे बड़ी कपड़ा प्रदर्शनी होगी। उन्होंने कहा कि दुनिया को यह दिखाने के लिए भारत टेक्स 2024 से बेहतर कोई मंच नहीं है कि भारत का वक्त आ चुका है। केंद्रीय मंत्री ने कहा, “हमारे बुनकरों के लिए, हमारे शिल्पकारों के लिए, हमारे हस्तशिल्प क्षेत्र के लिए, हमारे हथकरघा क्षेत्र के लिए, यह वास्तव में जो संभव है उसे प्रदर्शित करने का एक बहुत अच्छा तरीका बन सकता है।” उन्होंने उम्मीद जताई कि भारत टेक्स एक्सपो का आयोजन करीब आने तक ‘हैंडमेड इन इंडिया' भी एक जीवंत वेबसाइट बन चुकी होगी और बड़ी संख्या में हितधारक इससे जुड़े होंगे। इस मौके पर गोयल ने 'कस्तूरी कॉटन भारत' की वेबसाइट की भी शुरुआत की।
आधिकारिक बयान के अनुसार, यह वेबसाइट इस पहल से संबंधित आवश्यक जानकारी और अपडेट के लिए एक डिजिटल मंच प्रदान करती है। वेबसाइट बुनकरों के लिए पंजीकरण एवं अन्य प्रक्रियाओं पर प्रकाश डालती है जो ब्रांडेड भारतीय कपास को अनूठा बनाते हैं।” 'कस्तूरी कॉटन भारत' कपड़ा मंत्रालय, भारतीय कपास निगम, व्यापार निकायों और उद्योग की एक संयुक्त पहल है। यह भारतीय कपास की ब्रांडिंग और प्रमाणन की पूरी जिम्मेदारी लेकर स्व-नियमन के सिद्धांत पर काम करता है। -
नयी दिल्ली. जीओसीएल कॉरपोरेशन को विस्फोटकों की आपूर्ति करने के लिए सार्वजनिक क्षेत्र की कोल इंडिया लिमिटेड (सीआईएल) से 766 करोड़ रुपये का ऑर्डर मिला है। विस्फोटकों का उपयोग खनन क्षेत्रों में विस्फोट करने के लिए किया जाता है।
कंपनी ने शुक्रवार को जारी एक बयान में कहा कि यह ऑर्डर अक्टूबर, 2023 से अक्टूबर, 2025 यानी दो साल में पूरा किया जाएगा। बयान के मुताबिक, “कोल इंडिया से मिले 766 करोड़ रुपये के ऑर्डर के तहत उसे विस्फोटकों की थोक में आपूर्ति करनी है।” जीओसीएल कॉरपोरेशन खनन क्षेत्र की ढांचागत परियोजनाओं के लिए भी माल की आपूर्ति करती है। -
नयी दिल्ली. पर्सनल कम्प्यूटर विनिर्माता एचपी ने वैश्विक प्रौद्योगिकी कंपनी एप्पल की वरिष्ठ कार्यकारी अधिकारी इप्सिता दासगुप्ता को अपने भारतीय कारोबार का नया प्रमुख नियुक्त किया है। कंपनी ने एक बयान में कहा, “दासगुप्ता वरिष्ठ उपाध्यक्ष एवं प्रबंध निदेशक के रूप में भारत, बांग्लादेश और श्रीलंका में एचपी की रणनीति और लाभ-हानि से जुड़े सभी पहलुओं को देखेंगी।” इससे पहले दासगुप्ता एप्पल के मुख्यालय में एप्पल सर्विसेज की वरिष्ठ निदेशक (विपणन) के रूप में कार्यरत थीं। बयान के मुताबिक, दासगुप्ता 30 अक्टूबर को एचपी के साथ जुड़ेंगी और मुख्य वाणिज्यिक अधिकारी डेविड मैकक्वेरी के अधीन काम करेंगी। मैकक्वेरी ने कहा, “भारत एचपी के लिए एक प्रमुख वृद्धि क्षेत्र है और मैं इस गतिशील बाजार में अपनी रफ्तार को जारी रखने के लिए इप्सिता का स्वागत करते हुए रोमांचित हूं।” विभिन्न उद्योगों में 24 वर्षों का अंतर्राष्ट्रीय परिचालन अनुभव रखने वालीं दासगुप्ता ने कहा, “मैं एचपी इंडिया मार्केट के प्रबंध निदेशक की भूमिका निभाने के लिए रोमांचित और सम्मानित महसूस कर रही हूं और इस बाजार में अपनी क्षमता से काम करने के लिए प्रतिभाशाली टीम के साथ काम करने को उत्सुक हूं।
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नई दिल्ली। ब्याज दरों में तेजी के साथ साथ यूएस डॉलर इंडेक्स और बॉन्ड यील्ड में जबरदस्त इजाफे के बावजूद इस वर्ष सोने ने जुझारूपन दिखाते हुए बेहतर प्रदर्शन किया है। सोने ने इस साल अब तक 9 फीसदी जबकि पिछले एक साल में 20 फीसदी का रिटर्न दिया है। मिडिल ईस्ट में जारी सैन्य संघर्ष और अमेरिका में आगे ब्याज दरों में बढ़ोतरी की क्षीण होती संभावना के बीच इंटरनैशनल मार्केट में शुक्रवार यानी 20 अक्टूबर को सोने की कीमत बढ़कर अपने 3 महीने के उच्चतम स्तर पर पहुंच गई। स्पॅाट गोल्ड 0.2 फीसदी की मजबूती के साथ 1,978 डॉलर प्रति औंस दर्ज किया गया। 20 जुलाई के बाद यह स्पॉट गोल्ड का सबसे ऊपरी स्तर है। जबकि यूएस फ्यूचर्स 0.5 फीसदी बढ़कर 1,990 डॉलर प्रति औंस तक पहुंच गया।
घरेलू बाजार में एमसीएक्स (MCX) पर सोने का बेंचमार्क दिसंबर फ्यूचर्स भी 1 फीसदी से ज्यादा की तेजी के साथ 60,925 रुपये प्रति 10 ग्राम दर्ज किया गया। जबकि 5 अक्टूबर को बेंचमार्क कॉन्ट्रैक्ट 56,075 रुपये प्रति 10 ग्राम के निचले स्तर तक नीचे चला गया था।जानकारों के अनुसार ग्लोबल बैंकिंग संकट और अमेरिका में डेट-सीलिंग को लेकर बने गतिरोध ने अप्रैल, मई की शुरुआत में कीमतों को तगड़ा सपोर्ट किया। जिस वजह से उस समय इंटरनैशनल कीमतें अपने ऑल टाइम हाई के काफी करीब चली गई थी। इसी वर्ष 6 मई को स्पॉट गोल्ड 2,072.19 डॉलर प्रति औंस की ऊंचाई तक चला गया। जबकि 2020 में इसने 2,072.49 का ऑल टाइम हाई बनाया था। ठीक उसी तरह यूएस गोल्ड फ्यूचर्स (US gold futures) भी 6 मई को यह 2,085.40 की ऊंचाई तक जा पहुंचा । जबकि अगस्त 2020 में इसने 2,0892 का रिकॉर्ड हाई बनाया था।जबकि घरेलू बाजार में इसी वर्ष 6 मई को MCX पर सोने की कीमत 61,845 रुपये प्रति 10 ग्राम के अपने उच्चतम स्तर पर पहुंच गई थी।कीमतों में मौजूदा तेजी की वजह जियो पॉलिटिकल टेंशन है। लेकिन इन शॉर्ट-टर्म सपोर्ट को छोड़ दें तो विश्व के बड़े केंद्रीय बैकों खासकर चीन के केंद्रीय बैक की तरफ से आ रही खरीद ने इस साल अभी तक सोने को न सिर्फ औंधे मुंह गिरने से बचाया है बल्कि कीमतों को एक हद तक मजबूती बख्शी है।निर्मल बंग के कुणाल शाह के मुताबिक यूएस डॉलर इंडेक्स और बॉन्ड यील्ड में तेजी के बावजूद गोल्ड में मौजूदा तेजी की वजह इजरायल और हमास के बीच जारी सैन्य संघर्ष है लेकिन अमेरिका में ब्याज दरों में कटौती को लेकर जब स्थिति स्पष्ट होगी तब केंद्रीय बैंकों की खरीदारी सही मायने में सोने को तेजी देगी। उन स्थितियों में सोने में एक शानदार और टिकाऊ रैली देखी जा सकती है।ज्यादातर जानकार मान रहे हैं कि अगले साल दूसरी छमाही में अमेरिकी फेडरल रिजर्व ब्याज दरों में कटौती का सिलसिला शुरू कर सकता है।कहां तक जा सकती हैं कीमतें?कुणाल शाह के मुताबिक अगले साल की शुरुआत से ही सोने की कीमतों में शानदार तेजी शुरू हो सकती है। कैलेंडर ईयर 2024 के अंत तक इंटरनैशनल मार्केट में सोना 2,400 डॉलर प्रति औंस जबकि घरेलू बाजार में 70 हजार रुपये प्रति 10 ग्राम तक ऊपर जा सकता है। शाह मानते हैं कि केंद्रीय बैंकों की खरीद के साथ साथ फिजिकल और ईटीएफ बॉयिंग में आगे अच्छी खासी तेजी आएगी। अभी भी भारत और चीन जैसे देशों में मजबूत फिजिकल बाइंग आ रही है। हालांकि कीमतों में आई हालिया तेजी के बाद भारत में डीलर्स गोल्ड पर 4 डॉलर प्रति औंस तक का डिस्काउंट दे रहे हैं। उधर चीन में प्रीमियम घटकर 44 -49 डॉलर प्रति औंस रह गया है। - मुंबई। भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनियों (एनबीएफसी) से संबंधित कुछ नियमों का पालन नहीं करने पर एलएंडटी फाइनेंस लिमिटेड पर 2.5 करोड़ रुपये का जुर्माना लगाया है। आरबीआई ने शुक्रवार को कहा कि कंपनी का वैधानिक निरीक्षण करने के बाद आई रिपोर्ट से यह पता चला कि एनबीएफसी ने अपने खुदरा कर्जदारों को ऋण आवेदन पत्र/मंजूरी पत्र में विभिन्न श्रेणियों के उधारकर्ताओं से अलग-अलग ब्याज दरें वसूलने के जोखिम के वर्गीकरण और औचित्य का खुलासा नहीं किया। केंद्रीय बैंक ने कहा कि एनबीएफसी कर्ज मंजूरी के समय बताई गई दंडात्मक ब्याज दर से ज्यादा ब्याज वसूल की। उसने जुर्माना स्वरूप ब्याज दर में बदलाव के बारे में कर्जदारों को समय पर जानकारी देने पर विफल रही। इसमें कहा गया, “नोटिस पर कंपनी के जवाब, उसके द्वारा किए गए अतिरिक्त प्रस्तुतीकरण और व्यक्तिगत सुनवाई के दौरान किए गए मौखिक प्रस्तुतीकरण पर विचार करने के बाद, आरबीआई इस निष्कर्ष पर पहुंचा कि गैर-अनुपालन का आरोप… प्रमाणित हो गया है और मौद्रिक दंड लगाने की आवश्यकता है।”
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नयी दिल्ली। केंद्रीय खाद्य सचिव संजीव चोपड़ा ने भरोसा दिलाया है कि इस त्योहारी सत्र के दौरान चीनी और खाद्य तेलों सहित आवश्यक खाद्य वस्तुओं की कीमतें स्थिर रहेंगी। खाद्य सचिव- गेहूं, चावल, चीनी और खाद्य तेल जैसे प्रमुख आवश्यक खाद्य पदार्थों की घरेलू आपूर्ति और कीमतों के संदर्भ में मीडिया को जानकारी दे रहे थे। चोपड़ा ने यहां संवाददाताओं से कहा, त्योहारी मौसम के दौरान कीमतें स्थिर रहने की उम्मीद है। हम त्योहारी सत्र में (खाद्य वस्तुओं की कीमतों में) किसी भी तरह की बढ़ोतरी की उम्मीद नहीं कर रहे हैं। उम्मीद है कि अगले कुछ महीनों में कीमतें स्थिर रहेंगी।'' सचिव ने कहा कि सरकार ने मूल्य स्थिरीकरण सुनिश्चित करने के लिए हाल ही में कुछ फैसले लिए हैं।
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मुंबई। वैश्विक बाजारों के कमजोर रुख और विदेशी कोषों की निकासी के बीच स्थानीय शेयर बाजारों में बृहस्पतिवार को लगातार दूसरे दिन गिरावट आई। बीएसई का 30 शेयरों वाला सेंसेक्स 247.78 अंक या 0.38 प्रतिशत गिरकर 65,629.24 अंक पर बंद हुआ। दिन में कारोबार के दौरान यह 533.52 अंक या 0.80 प्रतिशत टूटकर 65,343.50 अंक पर आ गया था। नेशनल स्टॉक एक्सचेंज का निफ्टी 46.40 अंक या 0.24 प्रतिशत के नुकसान के साथ 19,624.70 अंक पर रहा।
सेंसेक्स की कंपनियों में सूचना प्रौद्योगिकी फर्म विप्रो के शेयर में करीब तीन प्रतिशत की गिरावट आई। एनटीपीसी, टेक महिंद्रा, जेएसडब्ल्यू स्टील, भारती एयरटेल, टाटा स्टील, टाटा कंसल्टेंसी सर्विसेज, आईसीआईसीआई बैंक, कोटक महिंद्रा बैंक और रिलायंस इंडस्ट्रीज के शेयर भी नुकसान में रहे। वहीं नेस्ले के शेयर में करीब चार प्रतिशत का उछाल आया। अल्ट्राटेक सीमेंट, इंडसइंड बैंक, लार्सन एंड टुब्रो और एक्सिस बैंक के शेयर भी फायदे में रहे। जियोजीत फाइनेंशियल सर्विसेज के शोध प्रमुख विनोद नायर ने कहा, ‘‘बढ़ते वैश्विक राजनीतिक तनाव के बीच स्थानीय बाजार मामूली गिरावट के साथ कारोबार कर रहे हैं। पश्चिम एशिया में तनाव से निपटने के वैश्विक प्रयासों से बाजार में कुछ उम्मीदें हैं, लेकिन कच्चे तेल की बढ़ती कीमतों ने उसे प्रभावित किया है। -
नयी दिल्ली. सरकार ने नेपाल, कैमरून और मलेशिया सहित सात देशों को 10,34,800 टन गैर-बासमती चावल के निर्यात की अनुमति दे दी है। विदेश व्यापार महानिदेशालय (डीजीएफटी) की बुधवार को जारी अधिसूचना के अनुसार, यह निर्यात राष्ट्रीय सहकारी निर्यात लि. (एनसीईएल) के जरिये किया जा सकता है। हालांकि, भारत ने घरेलू आपूर्ति बढ़ाने के लिए 20 जुलाई से गैर-बासमती चावल के निर्यात पर प्रतिबंध लगाया हुआ है, लेकिन कुछ देशों की खाद्य सुरक्षा जरूरत के मद्देनजर सरकार उनके लिए गैर-बासमती चावल के निर्यात की अनुमति देती है। सरकार ने नेपाल, कैमरून, कोटे डी आइवर, गिनी, मलेशिया, फिलिपीन और सेशल्स को गैर-बासमती चावल के निर्यात की अनुमति दी है। अधिसूचना के अनुसार, नेपाल को 95,000 टन, कैमरून को 1,90,000 टन, कोटे डी आइवर को 1,42,000 टन, गिनी को 1,42,000 टन, मलेशिया को 1,70,000 टन, फिलिपीन को 2,95,000 टन और सेशेल्स को 800 टन गैर-बासमती चावल का निर्यात किया जाएगा।
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नयी दिल्ली. तिरुपति स्थित महिला डेयरी किसानों के संगठन श्रीजा महिला मिल्क प्रोड्यूसर कंपनी (एसएमएमपीसीएल) को शिकागो के विश्व डेयरी शिखर सम्मेलन में डेयरी क्षेत्र में महिला सशक्तिकरण की दिशा में नवाचार के लिए पुरस्कार मिला है। श्रीजा इस पुरस्कार के लिए भारत से नामांकित तीन संस्थाओं में से एक थी। इसके अलावा राजस्थान के उदयपुर से संचालित आशा महिला दूध उत्पादक कंपनी लिमिटेड और गुजरात दूध और विपणन सहकारी संघ भी दावेदारों में शामिल थीं। वर्तमान में एसएमएमपीसीएल का परिचालन आंध्र प्रदेश, तेलंगाना और तमिलनाडु के 11 जिलों में फैला हुआ है। वह औसतन 5.5 लाख लीटर दूध की दैनिक खरीद करती है और इस वित्त वर्ष में उसका कारोबार करीब 1,000 करोड़ रुपये होने की उम्मीद है। एसएमएमपीसीएल के मुख्य कार्यपालक अधिकारी (सीईओ) जयतीर्थ चारी ने मंगलवार रात को यह पुरस्कार मिलने पर कहा, ‘‘महिला डेयरी किसानों के सशक्तिकरण के लिए वैश्विक मंच पर सम्मान पाना देश की महिला डेयरी किसानों और संगठन के लिए सबसे गौरवशाली पल है।'' केंद्रीय पशुपालन एवं डेयरी सचिव अलका उपाध्याय ने इस उपलब्धि के लिए राष्ट्रीय डेयरी विकास बोर्ड (एनडीडीबी), एनडीडीबी डेयरी सर्विसेज और श्रीजा मिल्क को बधाई दी। एनडीडीबी के अध्यक्ष मीनेश शाह ने कहा, ‘‘महिलाओं ने भारत में डेयरी की सफलता में एक अभिन्न भूमिका निभाई है और वैश्विक मंच पर उनके योगदान को स्वीकार किए जाना, केवल समय की बात है।'' चारी ने कहा कि अब श्रीजा मिल्क की नजर 1.5 लाख महिलाओं की सदस्यता, 6.5 लाख लीटर दूध की दैनिक खरीद और जल्द ही 'यूनिकॉर्न' क्लब में शामिल होने पर है।
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चेन्नई. दोपहिया और तिपहिया वाहनों की प्रमुख कंपनियों में से एक टीवीएस मोटर ने अपने उत्पाद खंड में विविधता लाते हुए मंगलवार को स्मार्टएक्सोनेक्ट तकनीक से लैस टीवीएस ज्यूपिटर-125 पेश किया। कंपनी की ओर से एक बयान में दावा किया कि टीवीएस ज्यूपिटर 125 स्मार्टएक्सोनेक्ट तकनीक के साथ उन्नत ‘कनेक्टेड फीचर्स' से लैस है। यह इस खंड में एक नया मील का पत्थर साबित होगा। कंपनी के वरिष्ठ उपाध्यक्ष अनिरुद्ध हलदर ने कहा कि आज की तेज-तर्रार दुनिया में एक-दूसरे से जुड़े रहना सुविधा से कहीं अधिक बन गया है... स्मार्टएक्सोनेक्ट के साथ बिल्कुल नए टीवीएस ज्यूपिटर-125 को इसी तरह से डिजाइन किया गया है...।
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कोरापुट (ओडिशा) .अभी तक अपनी गरीबी के लिए जाना जाने वाले ओडिशा का पिछड़ा कोरापुट जिला अब वैश्विक स्तर पर कॉफी का एक बड़ा केंद्र बनकर उभर रहा है। कोरापुट को हाल में आयोजित विश्व कॉफी सम्मेलन में बहुत सराहना मिली।
कॉफी बोर्ड के एक अधिकारी ने बताया कि इस जिले में नए बागवानों द्वारा उगाई गई कॉफी ने पिछले महीने बेंगलुरु में आयोजित पांचवें विश्व कॉफी सम्मेलन में कई पुरस्कार जीते। जिले में पैदा की जाने वाली कॉफी की एक किस्म को सर्वश्रेष्ठ ‘प्राकृतिक कॉफी' का पुरस्कार मिला। एक किस्म को ‘अर्ध-धुली कॉफी' श्रेणी में सर्वश्रेष्ठ चुना गया जबकि एक अन्य किस्म को ‘धुली कॉफी' की श्रेणी में पांचवां स्थान मिला। कोरापुट के जनजातीय विकास सहकारी निगम ओडिशा लिमिटेड (टीडीसीसीओएल) के जिला विपणन प्रबंधक आशुतोष नंदा ने कहा, ‘‘कोरापुट में पैदा की जाने वाली कॉफी की अरेबिका किस्म अपने विशिष्ट स्वाद और कम अम्लता सामग्री के लिए जानी जाती है, जिसके कारण इसमें स्थापित ब्रांड को कड़ी टक्कर देने की क्षमता है।'' कॉफी की खेती ने जिले में नंदपुर ब्लॉक के खुडुबू गांव में रहने वाले 38 वर्षीय सिद्धार्थ पांगी का जीवन बदल दिया है। पांगी जिले के कई अन्य लोगों की तरह पड़ोसी राज्य आंध्र प्रदेश में एक प्रवासी मजदूर के रूप में काम करता था। पांगी के परिवार में चार सदस्य हैं। पांगी ने चार साल पहले वन अधिकार अधिनियम के तहत मिली अपनी दो एकड़ जमीन पर कॉफी की खेती करने का फैसला किया और आज पांगी एवं उसका परिवार अपने आरामदायक जीवन का श्रेय कॉफी और काली मिर्च की खेती को देते हैं। उसने कहा, ‘‘मैंने कभी नहीं सोचा था कि कॉफी उगाने से मेरी आय इतनी बढ़ जाएगी कि मुझे प्रवासी मजदूर बनने की जरूरत नहीं पड़ेगी। मैंने 2022-23 में कॉफी के बीज बेचकर लगभग 70,000 रुपये और काली मिर्च बेचकर 60,000 रुपये कमाए।'' पांगी मक्का और बाजरा की खेती भी करता है। उसने कहा कि कॉफी और काली मिर्च की खेती से होने वाली आमदनी की मदद से उसने व्यावसायिक उद्देश्यों के लिए एक चार पहिया वाहन खरीद लिया, जिससे उसकी आय और बढ़ गई।
अधिकारियों ने कहा कि खुडुबू के लगभग 50 जनजातीय किसानों ने 2022-23 में 55 रुपये प्रति किलोग्राम पर 24 टन से अधिक कॉफी के बीज बेचकर सामूहिक रूप से 13 लाख रुपये से अधिक कमाए। कोरापुट में कॉफी बोर्ड के पूर्व वरिष्ठ संपर्क अधिकारी और अब कर्नाटक के कूर्ग में तैनात कॉफी बोर्ड अधिकारी अजीत राउत ने बताया कि कोरापुट में कॉफी की खेती सबसे पहले 1930 में जयपुर (ओडिशा) के तत्कालीन महाराजा राजबहादुर राम चंद्र देव ने शुरू करवाई थी। जयपुर जमींदारी के 1951 में समाप्त होने के बाद राज्य सरकार ने 1958 में मृदा संरक्षण विभाग के जरिए जिले की मचकुंड जल विद्युत परियोजना के मचकुंड बेसिन में गाद को रोकने के उपाय के रूप में कॉफी के बागान लगाए, लेकिन जिले को कॉफी बागानों के लिए एक गैर-पारंपरिक क्षेत्र नामित कर दिया गया। यह राउत के प्रयासों का ही परिणाम था कि जिला प्रशासन ने कोरापुट को कॉफी केंद्र में बदलने के लिए मई 2017 में कॉफी विकास न्यास की स्थापना की। जिले में अतिरिक्त 22,000 हेक्टेयर भूमि को कॉफी की पैदावार वाले क्षेत्र के अंतर्गत लाने के लक्ष्य के साथ इसकी खेती को पुनर्जीवित करने के लिए 10-वर्षीय खाका तैयार किया गया।
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नयी दिल्ली. भारत में इस्पात की मांग के 2023 में 1.8 प्रतिशत की समग्र वैश्विक वृद्धि के मुकाबले 8.6 प्रतिशत की ‘स्वस्थ वृद्धि' दर्ज करने की उम्मीद है। वर्ल्डस्टील ने मंगलवार को यह बात कही। वर्ल्ड स्टील एसोसिएशन (वर्ल्डस्टील) ने अनुमान लगाया गया है कि वैश्विक इस्पात मांग 2023 में 1.8 प्रतिशत बढ़ेगी। 2022 में इसमें 3.3 प्रतिशत की गिरावट आई थी। 2024 में मांग के 1.9 प्रतिशत बढ़कर 184.91 करोड़ टन तक पहुंचने की उम्मीद है। भारतीय अर्थव्यवस्था उच्च ब्याज दर के दबाव के बावजूद स्थिर बनी हुई है और इस्पात की मांग के कारण इसकी उच्च वृद्धि गति जारी रहने की उम्मीद है। वर्ल्डस्टील इकोनॉमिक्स कमेटी के चेयरमैन मैक्सिमो वेदोया ने कहा कि स्टील की मांग पर उच्च मुद्रास्फीति और ब्याज दर का असर दिख रहा है। उन्होंने कहा कि सख्त मौद्रिक नीति के विलंबित प्रभाव को ध्यान में रखते हुए, निकाय को 2024 में उन्नत अर्थव्यवस्थाओं में इस्पात की मांग में सुधार धीमा रहने की उम्मीद है। उभरती अर्थव्यवस्थाओं के विकसित देशों की तुलना में तेजी से बढ़ने की उम्मीद है।
- नयी दिल्ली। कृषि-प्रौद्योगिकी स्टार्टअप भारतरोहन ने मंगलवार को ड्रोन फसल निगरानी सेवाएं प्रदान करने के लिए इक्रिसेट के एग्री-बिजनेस इनक्यूबेटर (एबीआई) के साथ रणनीतिक सहयोग की घोषणा की है। हैदराबाद स्थित इंटरनेशनल क्रॉप्स रिसर्च इंस्टिट्यूट फॉर द सेमी-एरिड ट्रॉपिक्स (इक्रिसेट) ने केंद्र सरकार के विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग के समर्थन से वर्ष 2003 में एबीआई बनाया था, जबकि भारतरोहन किसानों के लिए ड्रोन-आधारित निर्णय समर्थन प्रणाली (डीएसएस) में माहिर है। इक्रिसेट के साथ इस साझेदारी में भारतरोहन को किसान उत्पादक संगठनों (एफपीओ) के साथ जुड़ने, किसानों की आजीविका को बेहतर बनाने के लिए ड्रोन फसल निगरानी सेवाएं प्रदान करने और एक जीवंत और टिकाऊ खाद्य आपूर्ति श्रृंखला सुनिश्चित करने का अवसर मिलेगा। भारतरोहण के मुख्य प्रौद्योगिकी अधिकारी (सीटीओ) ऋषभ चौधरी ने बयान में कहा, ‘‘यह साझेदारी हमें हमारी ‘हाइपर-स्पेक्ट्रल' तकनीक को आगे बढ़ाने, फसल निगरानी की सटीकता और दक्षता को बढ़ाने के लिए विशेषज्ञता और संसाधनों से लैस करती है। हम सिर्फ नवाचार नहीं कर रहे हैं; हम एक ऐसे भविष्य का नेतृत्व कर रहे हैं जहां कृषि अधिक स्मार्ट, कुशल और टिकाऊ होगी।'' चौधरी इस साझेदारी को किसानों और संपूर्ण कृषि उद्योग के लाभ के लिए हाइपर-स्पेक्ट्रल और मल्टी-स्पेक्ट्रल इमेजिंग प्रौद्योगिकियों के उपयोग में एक महत्वपूर्ण कदम के रूप में देखते हैं। हाइपर-स्पेक्ट्रल इमेजिंग, फसल फेनोटाइपिक डेटा एकत्र करने में एक आधारशिला है, जो बीमारी के आरंभ में ही इसका पता लगाने और फसल स्वास्थ्य की पहचान करने में सक्षम बनाती है।
- नयी दिल्ली। वेदांता समूह ने मंगलवार को कहा कि वह गुजरात में सेमीकंडक्टर चिप संयंत्र लगाने की अपनी योजना पर कायम है और इस संबंध में उसकी जापानी प्रौद्योगिकी कंपनियों के साथ भागीदारी को लेकर बातचीत चल रही है। वेदांता की सेमीकंडक्टर एवं डिस्प्ले इकाई के वैश्विक प्रबंध निदेशक आकर्ष के हेब्बर ने कहा है कि यह गुजरात में इलेक्ट्रॉनिक्स एवं विनिर्माण संयंत्र में निवेश करने की इच्छुक कंपनियों के लिए 80 अरब डॉलर का एक बड़ा अवसर है। हेब्बर अगले साल जनवरी में प्रस्तावित वाइब्रेंट गुजरात निवेश सम्मेलन के सिलसिले में जापान में आयोजित एक रोडशो में हिस्सा ले रहे थे। वेदांता ने बयान में कहा, ‘‘हेब्बर ने गुजरात के धोलेरा में सेमीकंडक्टर एवं डिस्प्ले संयंत्र लगाने की महत्वाकांक्षी योजना का जिक्र किया और जापानी कंपनियों को भारत का पहला इलेक्ट्रॉनिक्स विनिर्माण केंद्र बनाने में वेदांता के साथ मिलकर काम करने के लिए आमंत्रित किया।'' इस दौरान हेब्बर ने कहा कि इस विनिर्माण केंद्र में सैकड़ों छोटी एवं मझोली कंपनियों को आकर्षित करने की क्षमता है और यहां एक लाख से अधिक रोजगार अवसर पैदा हो सकते हैं। हेब्बर ने कहा, ‘‘इस इलेक्ट्रॉनिक्स विनिर्माण केंद्र में आकर निवेश करने का यह कंपनियों के लिए 80 अरब डॉलर का मौका है। वेदांता भारत में निवेश की इच्छुक जापानी कंपनियों के लिए सूत्रधार का काम करेगी।'' वेदांता ने गुजरात में 19.5 अरब डॉलर के भारी भरकम निवेश प्रस्ताव की योजना पिछले साल घोषित की थी। इसके लिए उसने ताइवानी सेमीकंडक्टर विनिर्माता फॉक्सकॉन के साथ साझेदारी में एक संयुक्त उद्यम भी स्थापित किया था। लेकिन फॉक्सकॉन ने इस साल खुद को इस उद्यम से अलग करने की घोषणा कर दी। इसके बाद भी वेदांता ने अपनी सेमीकंडक्टर विनिर्माण योजना पर आगे बढ़ने और नए साझेदार की तलाश जारी रहने की बात कही थी। लेकिन अभी तक वेदांता नए साझेदार की तलाश नहीं कर पाई है।
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नयी दिल्ली. सरकार ने रविवार को कहा कि वह बासमती चावल के न्यूनतम निर्यात मूल्य की समीक्षा पर गंभीरता से विचार कर रही है, जो इस समय 1,200 अमेरिकी डॉलर प्रति टन है। गौरतलब है कि अधिक मूल्य होने के कारण देश का निर्यात प्रभावित हुआ है।
चावल निर्यातक संघ मांग कर रहे हैं कि इस दर को घटाकर लगभग 850 अमेरिकी डॉलर प्रति टन किया जाना चाहिए। सरकार ने अगस्त में फैसला किया था कि बासमती चावल 1,200 डॉलर प्रति टन से कम कीमत पर निर्यात नहीं किया जाएगा। ऐसा बासमती चावल की आड़ में अवैध रूप से गैर-बासमती चावल के ''अवैध'' निर्यात को रोकने के लिए किया गया था। उपभोक्ता कार्य, खाद्य एवं सार्वजनिक वितरण मंत्रालय ने रविवार को एक बयान में कहा कि केंद्र सरकार ने चावल की घरेलू आपूर्ति को बढ़ावा देने और कीमतों पर अंकुश लगाने के लिए कई कदम उठाए हैं। बयान में आगे कहा गया, ''केंद्र सरकार बासमती चावल के लिए पंजीकरण-सह-आवंटन प्रमाणपत्र (आरसीएसी) जारी करने के लिए फ्री ऑन बोर्ड (एफओबी) मूल्य की समीक्षा पर कर रही है।'' बयान के मुताबिक चावल निर्यातक संघों से मिले आवेदनों में कहा गया कि उच्च एफओबी मूल्य भारत से बासमती चावल के निर्यात पर प्रतिकूल प्रभाव डाल रहा है। इसके बाद खाद्य और उपभोक्ता मामलों के मंत्री पीयूष गोयल ने बासमती चावल निर्यातकों के साथ एक बैठक की। मंत्रालय ने कहा कि इस बैठक में हुई चर्चा के आधार पर सरकार बासमती चावल के निर्यात के लिए एफओबी मूल्य की समीक्षा करने पर गंभीरता से विचार कर रही है। हालांकि, जब तक सरकार उचित निर्णय नहीं ले लेती, तब तक मौजूदा व्यवस्था जारी रहेगी। -
नई दिल्ली। देश की सबसे बड़ी पेट्रोलियम कंपनी इंडियन ऑयल कॉरपोरेशन (आईओसी) प्रमुख ऊर्जा कंपनी एनटीपीसी लिमिटेड के साथ संयुक्त उपक्रम (जेवी) में नवीकरणीय बिजली संयंत्र स्थापित करने के लिए 1,660.15 करोड़ रुपये का इक्विटी निवेश करेगी।आईओसी ने शेयर बाजार को बताया कि अपनी रिफाइनरियों की बिजली जरूरतों को पूरा करने के लिए उसने एनटीपीसी के साथ जून में 50:50 अनुपात में संयुक्त उद्यम कंपनी स्थापित की थी। कंपनी ने बताया कि 13 अक्टूबर को उसके निदेशक मंडल की बैठक में “नवीकरणीय ऊर्जा बिजली संयंत्रों की स्थापना के लिए संयुक्त उद्यम कंपनी की निवेश योजना को मंजूरी दे दी है। इस संयुक्त उद्यम कंपनी की इक्विटी शेयर पूंजी में 50 प्रतिशत हिस्सेदारी के लिए आईओसी 1,660.15 करोड़ रुपये तक का निवेश करेगी।’’
आईओसी ने दो जून को संयुक्त उद्यम कंपनी एनटीपीसी ग्रीन एनर्जी लिमिटेड (एनटीपीसी की पूर्ण स्वामित्व वाली अनुषंगी कंपनी) का गठन किया था।उस समय कंपनी ने कहा था, “इंडियन ऑयल रिफाइनरीज की सभी बिजली जरूरतों को पूरा करने के लिए इंडियन ऑयल एनटीपीसी ग्रीन एनर्जी प्राइवेट लिमिटेड नवीकरणीय ऊर्जा आधारित बिजली संयंत्रों का (जैसे सौर पीवी, पवन, ऊर्जा भंडारण या अन्य) विकास करेगी।” कंपनी का लक्ष्य आईओसी की रिफाइनरियों की बिजली जरूरतों को पूरा करने के लिए कम से कम 650 मेगावाट क्षमता पैदा करना है। -
नई दिल्ली। सरकार ने रविवार को कहा कि वह बासमती चावल के न्यूनतम निर्यात मूल्य की समीक्षा पर गंभीरता से विचार कर रही है, जो इस समय 1,200 अमेरिकी डॉलर प्रति टन है। गौरतलब है कि अधिक मूल्य होने के कारण देश का निर्यात प्रभावित हुआ है।
चावल निर्यातक संघ मांग कर रहे हैं कि इस दर को घटाकर लगभग 850 अमेरिकी डॉलर प्रति टन किया जाना चाहिए। सरकार ने अगस्त में फैसला किया था कि बासमती चावल 1,200 डॉलर प्रति टन से कम कीमत पर निर्यात नहीं किया जाएगा। ऐसा बासमती चावल की आड़ में अवैध रूप से गैर-बासमती चावल के ”अवैध” निर्यात को रोकने के लिए किया गया था।उपभोक्ता कार्य, खाद्य एवं सार्वजनिक वितरण मंत्रालय ने रविवार को एक बयान में कहा कि केंद्र सरकार ने चावल की घरेलू आपूर्ति को बढ़ावा देने और कीमतों पर अंकुश लगाने के लिए कई कदम उठाए हैं। बयान में आगे कहा गया, ”केंद्र सरकार बासमती चावल के लिए पंजीकरण-सह-आवंटन प्रमाणपत्र (आरसीएसी) जारी करने के लिए फ्री ऑन बोर्ड (एफओबी) मूल्य की समीक्षा पर कर रही है।”बयान के मुताबिक चावल निर्यातक संघों से मिले आवेदनों में कहा गया कि उच्च एफओबी मूल्य भारत से बासमती चावल के निर्यात पर प्रतिकूल प्रभाव डाल रहा है। इसके बाद खाद्य और उपभोक्ता मामलों के मंत्री पीयूष गोयल ने बासमती चावल निर्यातकों के साथ एक बैठक की। मंत्रालय ने कहा कि इस बैठक में हुई चर्चा के आधार पर सरकार बासमती चावल के निर्यात के लिए एफओबी मूल्य की समीक्षा करने पर गंभीरता से विचार कर रही है। हालांकि, जब तक सरकार उचित निर्णय नहीं ले लेती, तब तक मौजूदा व्यवस्था जारी रहेगी।