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भारत-ऑस्ट्रेलिया व्यापार समझौता संपन्न, हजारों भारतीय उत्पादों को मिलेगी शुल्क-मुक्त पहुंच

नयी दिल्ली.  भारत और ऑस्ट्रेलिया ने अपने आर्थिक संबंधों को मजबूती देने के लिए शनिवार को आर्थिक सहयोग एवं व्यापार समझौते (इंडऑस ईसीटीए) पर हस्ताक्षर किए जिसके तहत ऑस्ट्रेलिया में भारत के 6,000 से अधिक व्यापक क्षेत्रों को शुल्क-मुक्त पहुंच मुहैया कराई जाएगी। इस समझौते को दोनों देश करीब चार महीने में लागू करेंगे। इसमें भारत के कपड़ा, चमड़ा, फर्नीचर, आभूषण और मशीनरी समेत करीब 6,000 क्षेत्रों को ऑस्ट्रेलिया के बाजार में शुल्क-मुक्त पहुंच मिलेगी। इंडऑस ईसीटीए पर वाणिज्य एवं उद्योग मंत्री पीयूष गोयल और ऑस्ट्रेलिया के व्यापार, पर्यटन एवं निवेश मंत्री डैन टेहन ने एक ऑनलाइन समारोह में दस्तखत किए। इस अवसर पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और ऑस्ट्रेलियाई प्रधानमंत्री स्कॉट मॉरिसन भी मौजूद थे। गोयल ने कहा कि यह समझौता द्विपक्षीय व्यापार को मौजूदा 27.5 अरब डॉलर से बढ़ाकर अगले पांच वर्षों में 45 से 50 अरब डॉलर तक पहुंचने में मददगार होगा। इससे अगले पांच से सात वर्षों में करीब 10 लाख रोजगार पैदा होने का भी अनुमान है जिसमें सर्वाधिक लाभ श्रम-प्रधान क्षेत्रों को मिलेगा। ऑस्ट्रेलिया इस समझौते के तहत पहले दिन से ही निर्यात के लगभग 96.4 प्रतिशत मूल्य पर भारत को शून्य शुल्क की पेशकश कर रहा है। इसमें ऐसे कई उत्पाद शामिल हैं, जिन पर वर्तमान में ऑस्ट्रेलिया में चार से पांच प्रतिशत का सीमा शुल्क लगता है। इस समझौते से कपड़ा और परिधान, चुनिंदा कृषि और मत्स्य उत्पाद, चमड़ा, जूते, फर्नीचर, खेल उत्पाद, आभूषण, मशीनरी, इलेक्ट्रिक सामान और रेलवे वैगन जैसे श्रम-प्रधान क्षेत्रों को विशेष लाभ होगा। इंडऑस ईसीटीए के लागू होने के पहले ही दिन 6,000 से अधिक व्यापक क्षेत्रों के भारतीय निर्यातकों को ऑस्ट्रेलियाई बाजार में तुरंत शुल्क-मुक्त पहुंच मिलेगी। ऑस्ट्रेलिया करीब 6,500 व्यापक क्षेत्रों में जबकि भारत 11,500 से अधिक व्यापक क्षेत्रों में कारोबार करता है। ऑस्ट्रेलिया कच्चे माल और मध्यवर्ती उत्पादों का अधिक निर्यात करता है जिससे भारत में कई उद्योगों को सस्ती दर पर कच्चा माल मिल सकेगा। इससे वे खासकर इस्पात, एल्युमिनियम और परिधान के क्षेत्र में प्रतिस्पर्धी बन सकेंगे। हालांकि संवदेनशील क्षेत्रों की सुरक्षा की खातिर भारत ने कई वस्तुओं को विशिष्ट श्रेणी में रखा है जिसमें ऑस्ट्रेलिया से होने वाले आयात पर कोई शुल्क रियायत नहीं दी जाएगी। ऐसे उत्पादों में दूध तथा अन्य डेयरी उत्पाद, खिलौने, सूरजमुखी, वनस्पति तेल, अखरोट, पिस्ता, प्लेटिनम, गेहूं, चावल, बाजरा, सेब, चीनी, ऑइल केक, सोना, चांदी, चना, आभूषण, लौह अयस्क और ज्यादातर चिकित्सा उपकरण शामिल हैं। गोयल ने कहा कि भारत के छात्रों को ऑस्ट्रेलिया में पढ़ाई पूरी करने के बाद दो से चार साल का कामकाजी वीजा मिलने के अलावा युवा पेशेवरों के लिए भी कामकाजी तथा अवकाश वीजा व्यवस्था की गई है। इस समझौते के तहत भारत ने भी ऑस्ट्रेलिया को 85 फीसदी से अधिक व्यापक क्षेत्रों को शुल्क मुक्त पहुंच दी है जिनमें कोयला, भेड़ का मांस, ऊन और विभिन्न धातुओं के अयस्क शामिल हैं। ऑस्ट्रेलिया से होने वाले आयात में करीब 74 फीसदी हिस्सेदारी कोयले की है जिस पर अभी 2.5 फीसदी शुल्क लगता है। भारत के लिए ऑस्ट्रेलिया 17वां सबसे बड़ा कारोबारी साझेदार है और ऑस्ट्रेलिया के लिए भारत नौंवा सबसे बड़ा साझेदार है। 2021 में भारत से वस्तुओं का निर्यात 6.9 अरब डॉलर का था और आयात 15.1 अरब डॉलर था।

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