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नया आयकर विधेयक 2025 लोकसभा में पेश होगा, 1 अप्रैल 2026 से होगा लागू

नई दिल्ली।  नया आयकर विधेयक, 2025 गुरुवार को लोक सभा में पेश किया जा सकता है। इसमें छह दशक पुराने कर कानून को सरल बनाने के लिए ‘कर वर्ष’ की अवधारणा लागू करने तथा परिभाषाओं के स्थान पर फॉर्मूला लाने का प्रस्ताव है। मगर विधेयक में कर की दर में किसी तरह का बदलाव नहीं किया गया है।
 संसद से पारित होने के बाद यह 1 अप्रैल, 2026 से लागू होगा और आयकर अधिनियम, 1961 की जगह लेगा। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने कहा था कि आयकर विधेयक, 2025 को लाने का उद्देश्य आयकर कानून को संक्षिप्त, सरल और पढ़ने-समझने में आसान बनाना है।
उन्होंने कहा, ‘आयकर कानून 1961 में पारित हुआ था और बीते 60 साल में इसमें कई बार संशोधन किए गए। संशोधनों के कारण आयकर कानून की भाषा काफी जटिल हो गई और करदाताओं के लिए अनुपालन की लागत भी बढ़ गई। साथ ही प्रत्यक्ष कर अधिकारियों की कार्यक्षमता पर भी इससे असर पड़ रहा है।’ मौजूदा कानून में 823 पृष्ठ हैं जो अब घटकर 622 रह जाएंगे। वित्त वर्ष में अप्रैल से लेकर 12 महीने की अवधि का उल्लेख ‘कर वर्ष’ के रूप में किया गया है।
टैक्स कॉन्सेप्ट एडवाइजरी सर्विसेज में पार्टनर विवेक जालान ने कहा, ‘मौजूदा कानून में स्रोत पर कर कटौती (टीडीएस) और स्रोत पर कर संग्रह (टीसीएस) से संबंधित 71 धाराएं हैं जिन्हें नए विधेयक में 11 धाराओं में समेट दिया गया है।’
वेतन से मानक कटौती, ग्रेच्युटी, अवकाश के लिए भुगतान (लीव इनकैशमेंट), पेंशन आदि कटौतियों को नए विधेयक में धारा 19 में एक ही जगह दिया गया है। पहले इसका उल्लेख अलग-अलग धाराओं में किया गया था। विधेयक में एक महत्त्वपूर्ण प्रावधान शामिल किया गया है जो वर्चुअल डिजिटल परिसंपत्ति क्षेत्र में कराधान को नया स्वरूप दे सकता है। टैक्स कनेक्ट एडवाइजरी सर्विसेज के जालान ने कहा, ‘प्रस्तावित विधेयक में अन्य स्रोतों से आय के अंतर्गत संपत्ति की परिभाषा में वर्चुअल डिजिटल परिसंपत्ति को भी शामिल किया गया है, जिससे इस तरह की संपत्तियों के लेनदेन पर कर लगाया जा सकेगा। इसका वर्चुअल डिजिटल परिसंपत्ति क्षेत्र पर प्रभाव पड़ सकता है।’नांगिया एंडरसन एलएलपी में पार्टनर संदीप झुनझुनवाला ने कहा, ‘सेवा अनुबंधों से आय, मार्क-टू-मार्केट (एमटीएम) घाटे की स्वीकार्यता का प्रावधान, लागत या शुद्ध वसूली योग्य मूल्य में से जो भी कम हो, उस पर इन्वेंट्री का मूल्यांकन जैसे नए खंड अब नए विधेयक में शामिल कर लिए गए हैं। अभी तक ये सब आय गणना और डिजिटल मानकों के अंतर्गत आते हैं।’ \झुनझुनवाला ने कहा, ‘व्यावसायिक पूंजीगत परिसंपत्तियों को समाप्त करने पर हुई कारोबारी आय को अल्पकालिक पूंजीगत हानि की भरपाई मान कर उसी हिसाब से कर लगाने की अनुमति वाले कुछ प्रावधानों को अब व्यवसाय या पेशे के लाभ और प्राप्तियां (पीजीबीपी) गणना खंड में शामिल किया गया है। इन प्रावधानों की व्याख्या समय-समय पर न्यायालयों ने की है।’ 

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