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 'सिर्फ एक भूल' से तबाह हो गया इस एक्ट्रेस का कॅरियर
मुंबई।  बॉलीवुड में अपने काम से लोगों के दिलों पर राज करने वाले कलाकारों को सितारा कहा जाता है, लेकिन कई बार ये तारे इस कदर टूटते हैं कि बॉलीवुड से उनका नाम-ओ-निशान मिट जाता है। ऐसी ही कलाकार हैं आशा सचदेव, जिनका फिल्मी कॅरिअर 'सिर्फ एक भूल' से तबाह हो गया। 
 आशा सचदेव ने बॉलीवुड के एक से बढक़र एक सुपरस्टार के साथ काम किया।  कई दमदार रोल भी निभाए, लेकिन एक गलत फैसले ने उनका कॅरिअर ही खत्म कर दिया। उन्होंने कुछ शुरुआती फिल्मों में मुख्य अभिनेत्री के रूप में भी काम किया, जिनमें हिट जासूसी फिल्म एजेंट विनोद (1977) और थ्रिलर फिल्म वो मैं नहीं, शामिल हैं ।  उन्होंने 1978 में प्रियतमा के लिए सर्वश्रेष्ठ सहायक अभिनेत्री का फिल्मफेयर पुरस्कार जीता । वह हिफाजत (1973) और एक ही रास्ता (1977) जैसी सफल फिल्मों में मुख्य अभिनेत्री थीं। गाना "जिस काम को दोनों आये है" उन पर और जितेन्द्र पर फिल्माया गया था। फिल्म एक ही रास्ता का गाना किशोर कुमार और आशा भोसले द्वारा गाया गया और राजेश रोशन द्वारा संगीतबद्ध किया गया , साथ ही द बर्निंग ट्रेन का मोहम्मद रफी और आशा भोंसले द्वारा गाया गया लोकप्रिय कव्वाली गीत "पल दो पल का" भी लोकप्रिय है।
 सिर्फ एक गाने ने दिलाई शोहरत
 द बर्निंग टेन बॉलीवुड  ऐसी फिल्म थी, जिसे न सिर्फ ट्रेन में शूट किया गया, बल्कि ट्रेन में आग लगने पर बनी यह फिल्म दर्शकों को भी काफी पसंद आई थी।  इस फिल्म में एक्ट्रेस आशा सचदेव के काम ने तो दर्शकों का दिल जीत लिया था।  दरअसल, आशा सचदेव फिल्म के एक गाने पल दो पल का साथ हमारा, में नजर आई थीं, लेकिन वह इससे ही खासी मशहूर हो गई थी। 
 30 साल तक आशा ने  काम किया  
 आशा सचदेव ने  करीब 30 साल तक फिल्मी दुनिया में काम किया।  उनकी बेहतरीन फिल्मों की बात करें तो लिस्ट में 'महबूबा' और 'एक ही रास्ता'  शामिल हैं।  वहीं, फिल्म 'प्रियतमा' के लिए उन्हें 1978 के दौरान फिल्मफेयर का बेस्ट सपोर्टिंग एक्ट्रेस का अवॉर्ड भी मिला था। 
 एक गलती ने तबाह कर दिया करिअर
 जब आशा सचदेव का करिअर बुलंदी पर था, तब उन्होंने एक ऐसी गलती कर दी कि मायानगरी में उनका करिअर ही खत्म हो गया।  दरअसल, आशा को एक बी ग्रेड फिल्म बिंदिया और बंदूक में लीड रोल का ऑफर मिला।  आशा ने बिना सोचे-समझे इस फिल्म के लिए हामी भर दी।  यह फिल्म बुरी तरह फ्लॉप रही, जिसका असर आशा के करिअर पर भी पड़ा। बड़े एक्टर्स और डायरेक्टर्स ने उनसे दूरी बना ली। मजबूरी में उन्हें बॉलीवुड को अलविदा कहना पड़ा। टेलीविजऩ में, उन्होंने शुरुआती सोप ओपेरा, बुनियाद (1986) में काम किया, और 2008 में, वह अभिनेता रंजीत के साथ सब टीवी पर टीवी श्रृंखला, जुगनी चली जालंधर में भी दिखाई दीं ।
असली नाम ये है
आशा सचदेव का असली नाम नफीसा सुल्तान है।  अभिनेत्री रंजना सचदेव और संगीतकार अहमद अली खान (आशिक हुसैन) की बेटी आशा सचदेव ने तलाक के बाद अपने सौतेले पिता के नाम से अपना स्टेज नाम अपनाया। गायक अनवर हुसैन उनके भाई हैं और अपने पिता की दूसरी शादी के माध्यम से वह अभिनेता अरशद वारसी की सौतेली बहन हैं । आज से 67 साल की हो गईं हैं। फिल्मी परदे पर काम करने का जुनून अब भी बरकरार हैं, लेकिन उन्हें अच्छी भूमिकाएं नहीं मिल पा रही हैं। 
 

 

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