खाना पकाने की ऐसी आदत के कारण बढ़ रहा है कैंसर का खतरा, अधिकतर लोग रोजाना करते हैं ये बड़ी गलती
शरीर को स्वस्थ रखने के लिए पौष्टिक आहार के सेवन को सुनिश्चत करने के साथ भोजन के पकाने और रखरखाव को लेकर ध्यान देना बहुत आवश्यक माना जाता है। अक्सर हम सभी भोजन को पकाने के तरीके में कई ऐसी गलतियां करते रहते हैं जो कि हमारी सेहत के लिए गंभीर समस्याओं का कारण बन सकती है। खाने के तेल का गलत तरीके से इस्तेमाल ऐसा ही एक गंभीर विषय है। अधिकतर घरों में पूरी-पकौड़े जैसी ड्रीप फ्राई वाली चीजों के बनने के बाद बचे हुए तेल को दोबारा इस्तेमाल के लिए बचाकर रख दिया जाता है, पर क्या आप जानते हैं कि आपकी यह आदत पूरे परिवार के लिए बड़ी और गंभीर स्वास्थ्य समस्याओं का कारण बन सकती है?
अध्ययन में पाया गया है कि खाने के तेल को बार-बार गर्म करना कैंसर बढऩे के प्रमुख कारणों में से एक है। पहला तो यह शरीर में फ्री-रेडिकल्स को बढ़ावा देता है जो इंफ्लामेशन का कारण बनकर कई तरह की गंभीर बीमारियों को बढ़ाने वाली स्थिति है और दूसरा तेल को बार-बार गर्म करने से निकलने वाले धुंए में ऐसे हानिकारक तत्व होते हैं जिनसे सिगरेट के धुएं जैसा नुकसान हो सकता है। अ
क्या कहता है एफएसएसएआई?
भारतीय खाद्य सुरक्षा और मानक प्राधिकरण (एफएसएसएआई) के अनुसार खाना पकाने के तेल को दोबारा गर्म करने से उसमें से कई तरह के विषाक्त पदार्थ निकलते हैं, साथ ही इससे शरीर में मुक्त कणों की भी वृद्धि होती है, जिससे सूजन और कई तरह की क्रोनिक बीमारियां हो सकती हैं। एफएसएसएआई के दिशानिर्देशों के अनुसार,तेल का इस्तेमाल सिर्फ एक बार ही किया जाना चाहिए। बचे हुए तेल को दोबारा गर्म करना शरीर के लिए बहुत नुकसानदायक हो सकता है। तेजी से बढ़ती इंफ्लामेटरी बीमारियों के लिए इसे भी एक कारक के तौर पर देखा जा रहा है।
इसी तरह नेशनल लेबोरेटरी ऑफ मेडिसिन में प्रकाशित एक अध्ययन में शोधकर्ताओं ने बताया कि दुनियाभर में खाना पकाने के लिए वनस्पति तेलों को बार-बार गर्म करना एक बहुत ही सामान्य अभ्यास है। बार-बार खाना पकाने के तेल (आरसीओ) को गर्म करने से पॉलीसाइक्लिक एरोमैटिक हाइड्रोकार्बन (पीएएच) सहित कई प्रकार के यौगिक उत्पन्न होते हैं, जिनमें से कुछ को कार्सिनोजेनिक के रूप में वर्गीकृत किया गया है। कार्सिनोजेनिक कैंसर कारक तत्वों की श्रृंखला होती है।
शोधकर्ताओं ने पाया कि जब तेलों का पुन: उपयोग किया जाता है, तो इसमें ट्रांस फैटी एसिड की मात्रा बढ़ जाती है। तेल में मौजूद कुछ प्रकार के फैट्स, उच्च तापमान पर गर्म होने पर ट्रांस फैट में बदल जाते हैं। ट्रांस फैट्स को अस्वास्थ्यकर माना जाता है, इससे कोलेस्ट्रॉल के बढऩे का जोखिम अधिक होता है। यह स्थिति हृदय रोग के जोखिम को भी बढ़ा सकती हैं। इस बारे में सभी को सावधानी बरतते रहना चाहिए।
खाना पकाने के तेल को बार-बार गर्म करने से पॉलीसाइक्लिक एरोमैटिक हाइड्रोकार्बन (पीएएच) और एल्डिहाइड जैसे कार्सिनोजेनिक पदार्थों की मात्रा बढ़ जाती है, ये शरीर में सूजन और कैंसर जैसी समस्याओं को बढ़ाने वाली स्थिति मानी जाती है। तेलों के दोबारा इस्तेमाल को लेकर सावधानी बरतनी चाहिए। यही कारण है कि अक्सर स्वास्थ्य विशेषज्ञ सभी लोगों को बाहर की चीजों के कम सेवन की सलाह देते हैं। साथ ही घर पर भोजन बनाते समय भी इन बातों का खास ख्याल रखने की जरूरत होती है।
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