बिना पैसों और प्लानिंग के एक साल में घूम लिया पूरा देश
नई दिल्ली। घूमना-फिरना ऐसा शौक है, जो लोगों को सदियों से लुभाता रहा है। लोग पैदल और जानवरों पर बैठकर दुनिया के अलग-अलग हिस्सों की सैर करते रहे हैं। आजकल की बात करें तो यह घूमना-फिरना एक उद्योग के रूप में बदल गया है, जिसे टूरिज्म सेक्टर कहते हैं। मौजूदा समय में अगर आप घूमने निकलते हैं तो सैकड़ों रुपये से लेकर लाखों रुपये तक खर्च हो सकते हैं. लेकिन मुंबई एक युवक ने बिना एक भी पैसा खर्च किए पूरा हिंदुस्तान घूम लिया है और अब वह दुनिया की सैर करने की योजना बना रहा है।
अपने मन का नहीं कर पा रहे थे रजत
द बेटर इंडिया की रिपोर्ट के मुताबिक मुंबई के इस युवक का नाम रजत शुक्ला है। 24 वर्षीय रजत शुक्ला का जन्म अयोध्या में हुआ और वे मुंबई में पले-बढ़े हैं। पढ़ाई के बाद वे जर्नलिस्ट बन गए और कई बड़े मीडिया हाउसेज़ में काम किया है। अच्छी खासी नौकरी के बावजूद उनके मन में हमेशा ये कसक रहती थी कि वे भागमभाग में वह नहीं कर पा रहे हैं, जो वह करने के लिए आए हैं। आखिरकार उन्होंने अपने मन की बात सुनने का फैसला किया और नेचर ट्रैकिंग की ओर मुड़ गए। वे नई -नई जगहों पर जाते और प्रकृति के साथ समय बताते। इसके साथ ही उन्होंने मुंबई के आसपास साइकिलिंग करना भी शुरू कर दिया।
ट्रक में लिफ्ट लेकर कोलकाता पहुंच गए
रजत शुक्ला बताते हैं कि 8 जनवरी 2021 की रात को वे मुंबई के पास एक ट्रैकिंग पूरी करके अपने घर जाने के लिए मुंबई के बदलापुर रेलवे स्टेशन पर खड़े थे। इसी बीच उनके मन में आया कि वे घर जाने के बजाय दूसरे ट्रैक पर निकल पड़ें। दूसरा ट्रैकिंग पॉइंट कसारा, स्टेशन से करीब 90 किलोमीटर दूर था। वे स्टेशन से बाहर निकले और कसारा की ओर पैदल चलने लगे। कुछ दूर चलने पर उन्हें सड़क पर एक ट्रक आता हुआ दिखाई दिया। उन्होंने ट्रक चालक से कसारा तक लिफ्ट मांगी। ट्रक चालक ने हंसते हुए कहा कि वह कोलकाता जा रहा है। कहे तो कसारा क्या कोलकाता छोड़ देगा। रजत शुक्ला मुस्कराते हुए उसके ट्रक में बैठ गए। कुछ दूर आगे जाने के बाद उन्होंने कसारा के बजाय कोलकाता जाने का फैसला कर लिया।
ड्राइवर ने सोने-भोजन में की मदद
रजत शुक्ला के मुताबिक, उसके पास पैसों की कमी थी, लेकिन ड्राइवर ने उसकी बहुत मदद की। उसने न केवल ट्रक में उसके सोने का इंतजाम किया बल्कि भोजन भी खिलाया। बदले में रजत शुक्ला ने हेल्परी के काम में ड्राइवर की मदद कर दी। कुछ दिन कोलकाता में घूमने के बाद वह लिफ्ट मांग-मांगकर दार्जिंलिंग पहुंचा और वहां से नेपाल चला गया।
नेपाल से लौटने के बाद वह लिफ्ट मांग-मांग कर बिहार, यूपी, हरियाणा, पंजाब होते हुए कश्मीर घूम आया। अपनी इस यात्रा में रजत शुक्ला को तमाम दिक्कतें भी आईं, लेकिन अपने बेहद साधारण जीवन और योजना से वे सब दिक्कतों पर काबू पाते चले गए। वे कहते हैं, उनके पास पैसों का घोर अभाव था। इसलिए जितना हो सका, वे पैदल चले। रास्ते में किसी ने लिफ्ट दे दी तो उसकी गाड़ी में बैठ लिए।
कई बार भूखे पेट भी सोना पड़ा
कई बार वे रास्ते में काम कर रहे लोगों की मदद कर देते हैं। उनमें से कई लोग उन्हें भोजन करवा देते और साथ में भोजन भी खिला देते। कई बार उन्हें भोजन नहीं मिला तो भूखे भी सोए। साथ ही रात में सोने की जगह न मिलने पर अपने साथ मौजूद मैट को उचित जगह देखकर बिछा देते और वहीं सो जाते। कश्मीर से वापसी कर वे राजस्थान, गुजरात पार करते हुए वे दोबारा मुंबई पहुंचे। इसके बाद उन्होंने कर्नाटक, केरल, तमिलनाडु, आंध्र प्रदेश और तेलंगा राज्यों का भ्रमण किया। इस दौरान विभिन्न राज्यों की संस्कृति, परंपराओं, पर्यावरण के साथ वहां की समस्याओं को भी करीब से देखा। वे अब देश में ट्रैवलिंग को प्रमोट करने में जुटे हैं। इसके साथ ही अब वे दुनिया के भ्रमण पर निकलने की भी तैयारी कर रहे हैं।
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