भारतीय किसानों को जलवायु परिवर्तन से निपटने में सक्षम बनाने को 75 अरब डॉलर की जरूरत: आईएफएडी
नयी दिल्ली। भारत में छोटे किसानों को जलवायु परिवर्तन के प्रभाव से निपटने में सक्षम बनाने के लिए लगभग 75 अरब अमेरिकी डॉलर के निवेश की जरूरत है। अंतरराष्ट्रीय कृषि विकास कोष (आईएफएडी) के अध्यक्ष अल्वारो लारियो ने यह बात कही। उन्होंने कहा कि ग्रामीण क्षेत्रों में वित्त पहुंचाना दुनियाभर में और भारत में ग्रामीण समुदायों के लिए एक गंभीर चुनौती है। लारियो ने साक्षात्कार में कहा कि भारत में आईएफएडी के लिए तीन बड़े सवाल हैं, ''हम किसानों के लिए कृषि को अधिक लाभदायक कैसे बना सकते हैं, हम उत्पादकता को कैसे बढ़ा सकते हैं जबकि हम जलवायु झटकों से निपट रहे हैं और हम खाद्य सुरक्षा से पोषण सुरक्षा की ओर कैसे बढ़ सकते हैं।'' वैश्विक खाद्य संकट के जवाब में 1977 में स्थापित आईएफएडी एक विशेष संयुक्त राष्ट्र एजेंसी और अंतरराष्ट्रीय वित्तीय संस्थान है। यह ग्रामीण समुदायों में भुखमरी और गरीबी से निपटता है। ग्रामीण क्षेत्रों, खासकर छोटे और सीमांत किसानों पर जलवायु परिवर्तन के प्रभाव के बारे में पूछने पर लारियो ने कहा कि यह एक प्रमुख चिंता का विषय है। उन्होंने कहा, ''छोटे किसानों को कई तरह के जलवायु झटकों से निपटने के लिए कम से कम 75 अरब अमेरिकी डॉलर की आवश्यकता है।'' वित्त वर्ष 2015-16 की 10वीं कृषि जनगणना के अनुसार, दो हेक्टेयर से कम भूमि वाले छोटे और सीमांत किसान भारत के सभी किसानों का 86.2 प्रतिशत हैं, लेकिन उनके पास खेती की केवल 47.3 प्रतिशत भूमि है। उन्होंने कहा, ''भारत के मामले में हम मौसमी जल की कमी, बढ़ते तापमान, अधिक बार सूखे को देख रहे हैं। इसलिए ऐसे कई निवेश हैं जो वास्तव में वैश्विक स्तर पर इन छोटे किसानों की मदद कर सकते हैं।''
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