सबरीमाला मंदिर के वार्षिक उत्सव में श्रद्धालुओं को मंदिर में प्रवेश की अनुमति नहीं
सबरीमाला। कोविड-19 के प्रकोप को देखते हुए केरल के प्रसिद्ध सबरीमाला मंदिर में होने वाले वार्षिक उत्सव में इस बार श्रद्धालुओं को मंदिर में प्रवेश की अनुमति नहीं होगी।
यह उत्सव इस महीने की 29 तारीख से शुरू होना है। मंदिर प्राधिकरण ने बताया है कि नोवल कोरोना संक्रमण के कारण केवल उत्सव में पूजा की रस्में पूरी की जायेंगी। उत्सव के मद्देनजर जिला प्रशासन सबरीमाला पर पूरी नजर रखे हुए है, क्योंकि हर वर्ष इस अवसर पर बड़ी संख्या में श्रद्धालु यहां आते हैं। सबरीमला शैव और वैष्णवों के बीच की अद्भुत कड़ी है। मलयालम में सबरीमला का अर्थ होता है, पर्वत। वास्तव में यह स्थान सह्याद्रि पर्वतमाला से घिरे हुए पथनाथिटा जिले में स्थित है। पंपा से सबरीमला तक पैदल यात्रा करनी पड़ती है। यह रास्ता पांच किलोमीटर लम्बा है। सबरीमला में भगवान अयप्पन का मंदिर है। शबरी पर्वत पर घने वन हैं। इस मंदिर में आने के पहले भक्तों को 41 दिनों का कठिन व्रत का अनुष्ठान करना पड़ता है जिसे 41 दिन का मण्डलम कहते हैं। यहां वर्ष में तीन बार जाया जा सकता है- विषु (अप्रैल के मध्य में), मण्डलपूजा (मार्गशीर्ष में) और मलरविलक्कु (मकर संक्रांति में)।
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