पापात्मा होते हुये भी वाल्मीकि भगवत्प्राप्ति कर महापुरुष कैसे बन गये? जगदगुरु श्री कृपालु महाप्रभु जी के श्रीमुख से!!
जगदगुरु कृपालु भक्तियोग तत्वदर्शन - भाग 318
साधक का प्रश्न ::: पापात्मा होते हुए भी वाल्मीकि भगवत्प्राप्ति कर महापुरुष कैसे बन गये ?
जगदगुरुत्तम श्री कृपालु जी महाराज द्वारा दिया गया उत्तर ::: अरे ! सभी जीव सदा के पापात्मा हैं कोई वाल्मीकि ही नहीं। लेकिन जब भगवत्प्राप्ति कर लिया तो वाल्मीकि जैसे महापुरुष हो गये, वैसे ही तुलसीदास, सूरदास, मीरा सब महापुरुष हो गये। तो सब पापात्मा थे तब थे, बाद में तो सिद्ध कर रहे हैं तुलसीदास, महापुरुषों के दादा थे, 'वाल्मीकि भये ब्रह्म समाना' - इतनी बड़ी सीट दिया है वाल्मीकि को। ये तो भगवन्नाम की महिमा बताया है और बाकी रही बात पापी थे वाल्मीकि, तो कौन पापी नहीं था? तुलसीदास पापी नहीं थे क्या पहले? कि सूरदास नहीं थे? अरे सभी जीव पहले पापी होते हैं फिर भगवान् की शरण में जाकर के पाप समाप्त होके महापुरुष बनते हैं। खाली वाल्मीकि की बात क्या है? सूरदास की तो और निन्दा है। और स्वयं तुलसीदास की कितनी निन्दा है कि साँप पकड़ कर के गये अपनी श्रीमती के घर। लेकिन वह पहली लाइफ से क्या मतलब? महापुरुष हो गये तो बस फिर बात खत्म। सभी जीव अनन्त जन्मों के अनन्त पापों से युक्त हैं। वाल्मीकि का पाप क्या है? जब जीव अनन्त पापों से युक्त हैं। एक वाल्मीकि ही महापुरुष ऐसे हुए हैं जो रामावतार से पहले रामायण लिख गये हैं उनकी तो इतनी प्रशंसा है।
०० प्रवचनकर्ता ::: जगदगुरुत्तम श्री कृपालु जी महाराज
०० सन्दर्भ ::: 'प्रश्नोत्तरी' पुस्तक (भाग - 2)
०० सर्वाधिकार सुरक्षित ::: राधा गोविन्द समिति, नई दिल्ली के आधीन।
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