क्या है सेंंट्रल विस्टा ? कैसी होगी नई संसद....
नई दिल्ली स्थित संसद भवन की तस्वीर अब बदलने वाली है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने हाल ही में नए संसद भवन की नींव रखी है। कहा जा रहा है कि आजादी के 75 साल पूरे होने तक यह नई बिल्डिंग तैयार हो जाएगी। कहा जा रहा है कि नई इमारत अधिक बड़ी, आकर्षक और आधुनिक सुविधाओं वाली होगी। आइये जाने क्या है सेंट्रल विस्टा इलाका और कैसी होगी नई संसद।
दरअसल सेंट्रल विस्टा राजपथ के दोनों तरफ के इलाके को कहते हैं। राष्ट्रपति भवन से इंडिया गेट के करीब प्रिंसेस पार्क का इलाका इसके अंतर्गत आता है। सेंट्रल विस्टा के तहत राष्ट्रपति भवन, संसद, नॉर्थ ब्लॉक, साउथ ब्लॉक, उपराष्ट्रपति का घर आता है। इसके अलावा नेशनल म्यूजियम, नेशनल आर्काइव्ज, इंदिरा गांधी नेशनल सेंटर फॉर आट्र्स, उद्योग भवन, बीकानेर हाउस, हैदराबाद हाउस, निर्माण भवन और जवाहर भवन भी सेंट्रल विस्टा का ही हिस्सा हैं। सेंट्रल विस्टा रिडेवलपमेंट प्रोजेक्ट केंद्र सरकार के इस पूरे इलाके को रेनोवेट करने की योजना को कहा जाता है।
केंद्र सरकार की योजना संसद के अलावा इसके पास की सरकारी इमारतों को भी नए सिरे बनाने की थी। इन सभी भवनों को दिल्ली का सेंट्रल विस्टा कहा जाता है। इंडिया गेट से राष्ट्रपति भवन की ओर करीब 3 किलोमीटर का ये सीधा रास्ता और इसके दायरे मे आने वाली इमारतें जैसे कृषि भवन, निर्माण भवन से लेकर संसद भवन, नॉर्थ ब्लॉक, साउथ ब्लॉक, रायसीना हिल्स पर मौजूद राष्ट्रपति भवन तक का पूरा इलाका सेंट्रल विस्टा कहलाता है।
नए संसद भवन में लोकसभा का आकार मौजूदा से तीन गुना ज्यादा होगा। राज्यसभा का भी आकार बढ़ेगा। कुल 64 हजार 500 वर्गमीटर क्षेत्र में नए संसद भवन का निर्माण टाटा प्रोजेक्ट्स लिमिटेड की ओर से कराया जाएगा। नए संसद भवन का डिजाइन एचसीपी डिजाइन प्लानिंग एंड मैनेजमेंट प्राइवेट लिमिटेड ने तैयार किया है। सितंबर 2020 में टाटा प्रोजेक्ट्स ने नई इमारत के निर्माण की बोली जीती थी। इसकी लागत 861 करोड़ थी। इसका निर्माण सेंट्रल विस्टा रिडेवलपमेंट प्रोजेक्ट के तहत किया जाएगा। लोकसभा चैम्बर में 888 सदस्यों के बैठने की क्षमता होगी। जबकि राज्यसभा में 384 सीट होंगी।
ये इस बात को ध्यान में रखकर बनाई जाएगी कि भविष्य में दोनों सदनों के सदस्यों की संख्या बढ़ सकती है और परिसीमन का काम भी होना है, जो कि 2026 के लिए शेड्यूल्ड है। अभी लोकसभा की अनुमानित क्षमता 543 सदस्य और राज्यसभा की 245 सदस्य है। मौजूदा इमारत को देश की पुरातत्व धरोहर में बदल दिया जाएगा। माना जा रहा है कि इसका इस्तेमाल संसदीय कार्यक्रमों में भी किया जाएगा।
मौजूदा ढांचा 2021 में 100 साल पूरे कर लेगा। इसका निर्माण एडविन लुटियंस और हर्बर्ट बेकर ने किया था। इन दोनों को नई दिल्ली शहर की योजना और निर्माण का जिम्मा दिया गया था। उस समय इसे बनाने में छह साल और 83 लाख रुपये लगे थे।
सुप्रीम कोर्ट ने नई संसद समेत कई अहम सरकारी इमारतों वाले सेंट्रल विस्टा प्रोजेक्ट में किसी भी निर्माण पर फिलहाल रोक लगा रखी है। सुप्रीम कोर्ट की रोक का आधार सेंट्रल विस्टा प्रोजेक्ट को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर फैसला लंबित है। नई संसद और दूसरी इमारतों का निर्माण तभी शुरू हो सकेगा, जब कोर्ट उसे मंजूरी देगा।
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