50 करोड़ साल से महासागरों में बिना दिमाग के तैर रहा है ये जीव
जेलीफिश बीते 50 करोड़ साल से महासागरों में तैर रही हैं, वो भी बिना दिमाग के। जेलीफिश में मस्तिष्क के बजाए एक बेहद जबरदस्त तंत्रिका तंत्र होता है जो तुरंत सिग्नलों को एक्शन में बदलता है। इसीलिए जेलीफिश की कई प्रजातियों को दिमाग की जरूरत ही नहीं पड़ती।
इसे भले ही जेलीफिश कहा जाता हो, लेकिन असल में यह मछली नहीं है। यह मूंगों और एनीमोन के परिवार की सदस्य हैंै। इन्हें मेडुसोजोआ नाम से भी जाना जाता हैै। जेलीफिश के शरीर में 99 फीसदी पानी होता है। वयस्क इंसान के शरीर में करीब 63 फीसदी जल होता हैै। जेलीफिश के शरीर का सबसे बड़ा हिस्सा छत्रनुमा ऊपरी हिस्सा हैै। इसके जरिये जेलीफिश खुराक लेती हैै। धागे जैसे लटके रेशों की मदद से ये शिकार करती हैै। कुछ जेलीफिश में यह रेशे एक मीटर से भी ज्यादा लंबे भी हो सकते हैंै।
आमतौर पर लगता है कि जेलीफिश छोटी ही होती हैं, लेकिन ऐसा सोचना गलत हैै। एशियन नोमुरा जेलीफिश दिखने में भले ही बहुत रंगीन न हो, लेकिन ये काफी बड़ी भी होती हैै। इसके छातानुमा हिस्से का व्यास दो मीटर तक हो सकता है और वजन 200 किलोग्राम से भी ज्यादा। जेलीफिश खुद तैरकर दूसरी जगह नहीं जा पातींै। ये समुद्री लहरों के साथ ही बहती हैंै। लहरों की दिशा में बहते हुए जेलीफिश अपने शरीर को सिकोड़ती और फुलाती है, ऐसा करने से अधिकतम 10 किलोमीटर प्रतिघंटा की रफ्तार हासिल होती हैै। पानी में तैरती जेलीफिश भले ही बहुत खूबसूरत लगे, लेकिन इसकी कुछ प्रजातियां बहुत ही जहरीली होती हैंै। सबसे खतरनाक लायन्स मैन जेलीफिश होती है। इसके रेशे बेहद घातक जहर छोड़ते हैं। छोटे केकेड़े और मछली के लार्वा तो तुरंत मारे जाते हैं। लायंस मैन जेलीफिश का डंक इंसान को भी तिलमिला देता है। इसके डंक से त्वचा में लाल निशान पड़ जाते हैं और तेज जलन होने लगती है। बॉक्स जेलीफिश का डंक तो जान भी ले सकता है। पूर्वी ऑस्ट्रेलिया और पश्चिमी प्रशांत महासागर में पाई जाने वाली बॉक्स जेलीफिश को दुनिया के सबसे जहरीले जीवों में गिना जाता है।
जेलीफिश कई काम कर सकती है। शिकार को रिझाने या दूसरे जीवों को डराने के लिए यह चमकने लगती हैै। जेलीफिश के प्रजनन का तरीका बड़ा ही अनोखा है। यह पीढ़ी दर पीढ़ी बदलता भी हैै। जेलीफिश सेक्शुअल कोशिकाएं पैदा करती है और ये कोशिकाएं आपस में मिलकर लार्वा बनाती हैै। बाद से यह लार्वा जेलीफिश में बदलता हैै। कभी कभार समुद्री तटों पर जेलीफिश की बाढ़ आ जाती है। जीवविज्ञानी इसके लिए कछुओं के शिकार को जिम्मेदार ठहराते हैंै। कछुए और कुछ मछलियां जेलीफिश को खाती हैं, लेकिन अगर ये शिकारी ही खत्म हो जाएं तो जेलीफिश की संख्या तेजी से बढऩे लगती हैै।
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