पुन: संक्रमित होने के 30 दिन बाद ज्यादातर लोगों को कोविड जांच करवाने की जरूरत क्यों पड़ती है?
पर्थ (द कन्वरसेशन) ऑस्ट्रेलिया समेत दुनियाभर में कोरोना वायरस के ओमीक्रोन स्वरूप से लोगों के संक्रमित होने के साथ ही, उन लोगों के भी पुन: संक्रमित होने का खतरा है जो पहले कोविड से पीडि़त हो चुके हैं। यदि संक्रमण मुक्त होने के 30 दिन के भीतर आप पुन: संक्रमित होते हैं तो आपको दोबारा कोविड जांच करवाने या पृथक-वास में जाने की जरूरत नहीं है। कुछ देशों में आपको 90 दिन तक दोबारा जांच करवाने की जरूरत नहीं है जब तक कि आपके भीतर संक्रमण के कोई नए लक्षण नहीं हों। ऐसा क्यों होता है?
शरीर में ओमीक्रोन के 'इन्क्यूबेशन' की अवधि क्या है?
वायरस से संक्रमित होने और कोविड के लक्षण विकसित होने में एक से 14 दिन लगते हैं। इस समय को 'इन्क्यूबेशन' काल कहा जाता है। कुछ लोगों में संक्रमण के बाद पांचवें और छठे दिन से ही लक्षण दिखने लगते हैं। अध्ययन में सामने आया है कि ओमीक्रोन का 'मीडियन' (मध्य) इन्क्यूबेशन काल और भी कम है। अमेरिका और यूरोप में किये गए अध्ययन में पाया गया कि ओमीक्रोन का मीडियन इन्क्यूबेशन काल तीन दिन का है।
ओमीक्रोन से पुन: संक्रमण में वृद्धि
अनुसंधान में सामने आया है कि वायरस के पिछले स्वरूपों की तुलना में ओमीक्रोन उन लोगों को पुन: संक्रमित करने में अधिक सक्षम है जो पहले कोविड से पीडि़त हो चुके हैं। इम्पीरियल कॉलेज लंदन के एक दल ने अनुमान लगाया है कि डेल्टा की अपेक्षा ओमीक्रोन से, दोबारा संक्रमित होने का खतरा 5.4 गुना अधिक है। इसलिए जिन्हें ओमीक्रोन से पहले के स्वरूपों से कोविड हो चुका है उन्हें वायरस के डेल्टा स्वरूप की तुलना में ओमीक्रोन से पुन: संक्रमित होने का खतरा पांच गुना ज्यादा है।
दोबारा जांच कराने से पहले कब तक इंतजार करना चाहिए?
दुनियाभर में हुए अध्ययन से पता चला है कि एक बार संक्रमित होने के बाद 30-90 दिन तक आपको दोबारा जांच कराने की जरूरत नहीं है। वायरस से संक्रमित होकर ठीक होने के बाद ज्यादातर लोगों में कुछ प्रतिरक्षा विकसित हो जाती है इसलिए उन्हें इतने कम समय में पुन: संक्रमित होने का खतरा कम होता है। इटली में संक्रमण फैलने का केंद्र रहे एक स्थान पर किये गए अध्ययन में सामने आया कि जिन लोगों को कोविड हो चुका है, उन्हें पुन: संक्रमण होने पर कम से कम चार सप्ताह बाद दोबारा जांच करानी चाहिए। अध्ययन में सामने आया कि संक्रमण की पहली बार पुष्टि होने के बाद वायरस को शरीर से निकलने में औसतन 30 दिन का समय लगता है और पहली बार लक्षण आने के लगभग 36 दिन बाद शरीर संक्रमण मुक्त होता है।
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