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रीठा-आंवला और शिकाकाई ऐसी चीज है जिसका इस्तेमाल हमारी दादी और नानी के समय से हो रहा है. पहले के समय में बालों को काला, घना और लंबा बनाने के लिए इसका इस्तेमाल किया जाता था. आजकल आप बेशक कितने ही महंगे शेंपू का इस्तेमाल कर लें, लेकिन सभी में केमिकल का इस्तेमाल किया जाता है, जो किसी न किसी रूप में बालों को नुकसान पहुंचाता है. लेकिन रीठा-आंवला और शिकाकाई जड़ीबूटियां हैं, जो प्राकृतिक रूप से बालों को फायदा पहुंचाती हैं. कहा जाता है कि बालों में इनका इस्तेमाल करने से कुछ ही दिनों में बालों की सेहत में सुधार होने लगता है. साथ ही असमय होने वाली तमाम समस्याओं से राहत मिलती है.
हेयर फॉल रोके
बालों के झड़ने की समस्या आजकल कॉमन हो चुकी है. इसका कारण गलत खानपान, केमिकलयुक्त प्रोडक्ट का इस्तेमाल, हीटिंग टूल्स का अधिक इस्तेमाल और प्रदूषण आदि को माना जाता है. बारिश के मौसम में ये समस्या और भी ज्यादा बढ़ जाती है. अगर आप रीठा-आंवला और शिकाकाई का इस्तेमाल करते हैं, तो आपकी ये परेशानी काफी हद तक कंट्रोल हो सकती है. रीठा-आंवला और शिकाकाई बालों की ग्रोथ को भी बेहतर करता है और बालों को हेल्दी बनाता है.
असमय बाल सफेद होने से रोके
अगर आपके बाल समय से पहले ही सफेद होने लगे हैं, तो भी आपके लिए रीठा-आंवला और शिकाकाई काफी काम की चीज है. इन तीनों जड़ीबूटियों का मेल आपके बालों को काला बनाए रखने में मददगार माना जाता है. ये आपके सफेद बालों की ग्रोथ को रोकता है. इससे असमय सफेद बालों की समस्या कंट्रोल होती है.
डैंड्रफ और दोमुंहे बालों से छुटकारा
रीठा-आंवला और शिकाकाई बालों में डैंड्रफ की समस्या को भी दूर करते हैं. इसके अलावा दोमुंहे बालों की परेशानी भी ठीक करते हैं. इसे लगाने से बालों को पोषण मिलता है. बाल शाइनी और मजबूत होते हैं.
लगाने का तरीका
रीठा-आंवला और शिकाकाई को बालों की जरूरत के हिसाब से बराबर की मात्रा में लें और थोड़ा पानी डालकर गाढ़ा पेस्ट बना लें. रातभर तक इसे अच्छी तरह से भीगने दें. सुबह इसे बालों पर लगाएं. - ख़ुशी का सीधा संबंध मन-मस्तिष्क एवं भावनाओं से होता है। जब हम अपनी पसंद का कोई काम करते हैं या हमारी कोई इच्छा पूरी हो जाती है तो हमें ख़ुशी की अनुभूति होती है और ये ख़ुशियों की अनुभूति हमारे मस्तिष्क में हैप्पी हॉर्मोन से नियंत्रित होती हैं। हैप्पी हॉर्मोन चार प्रकार के होते हैं, डोपामाइ न, सेरोटोनिन, ऑक्सीटोसिन और एंडोर्फिंस। इन चारों हॉर्मोन की अलग-अलग जि़म्मेदारी है, जिनके नियमित और संतुलित स्राव से आप खुश रहते हैं, जो मानसिक स्वास्थ्य के लिए बहुत ज़रूर है। इन हॉर्मोन को कैसे बढ़ा सकते हैं, जानिए।डोपामाइन हॉर्मोनइस हॉर्मोन का स्राव तब होता है जब हमारे मस्तिष्क को यह संकेत मिलता है कि हमें पुरस्कार या सराहना मिली है। यदि हमने कोई लक्ष्य स्थापित किया है और वह पूरा हो रहा है या हो गया है, तब डोपामाइन हॉर्मोन का स्राव होता है। इसके घटने पर हम कम प्रेरणा महसूस करते हैं, किसी काम को करने या आनंद लेने में रुचि कम हो जाती है।इसे ऐसे बढ़ाएं...नए छोटे-छोटे लक्ष्य बनाएं और धीरे-धीरे उन्हें पूरा करने की कोशिश करें। उद्देश्य पढ़ाई, नौकरी या किसी प्रकार की सफलता हासिल करने से संबंधित हो सकते हैं। ऐसे काम करें जिससे तारीफ़ मिले। छोटी-छोटी जीत या सफलता का उत्सव मनाने से भी डोपामाइन हॉर्मोन बढ़ता है। इसके अलावा किसी कार्य में असफलता मिली है तो निराश होने के बजाय दोबारा कोशिश करें। ख़ुद पर ध्यान दें, सेहत का ख्याल रखें और पसंद का भोजन करें।सेरोटोनिन हॉर्मोनये हॉर्मोन मूड को स्थिर रखने का कार्य करता है। आपके पाचन, नींद की क्रिया और हड्डी की सेहत भी नियंत्रित करता है। इतना ही नहीं, यह तनाव, अवसाद और चिंता को दूर करने का भी काम करता है। आप रोज़ाना कैसा महसूस करते हैं, इसमें सेरोटोनिन हॉर्मोन की अहम भूमिका होती है। लिहाज़ा जब भी मन उदास लगे तो सेरोटोनिन हॉर्मोन बढ़ाने की कोशिश करें।इसे ऐसे बढ़ाएं....रोज़ नियम से व्यायाम करें, जिससे आपका आत्मविश्वास बढ़ेगा। हमेशा सकारात्मक पहलुओं पर ध्यान केंद्रित करें। यदि आप किसी काम में विफल होते हैं और उसके बारे में ही सोचते रहेंगे तो सेरोटोनिन हॉर्मोन का स्तर कम होता जाएगा। आपने जो खोया है उस पर ध्यान न देते हुए जो हासिल किया है उस पर ध्यान देंगे तो हॉर्मोन का स्राव बढ़ेगा। इसके अलावा रोज़ कुछ नया करने की कोशिश करने के लिए ख़ुद को चुनौती दें।ऑक्सीटोसिन हॉर्मोनये लव हॉर्मोन के नाम से भी जाना जाता है, जिसके बढऩे से रिश्तों में विश्वास और प्रेम बढ़ता है। अभिभावकों और बच्चों के रिश्तों को मज़बूत करने में भी इसका महत्व है। स्पर्श, जैसे बच्चे को स्तनपान कराते वक़्त, किसी को गले लगाने से या पालतू के साथ खेलने से भी इस हॉर्मोन का स्राव बढ़ता है।इसे ऐसे बढ़ाएं...दोस्तों और परिवार के साथ समय बिताएं और हो सके तो उन्हें गले लगाकर प्रेम ज़ाहिर करें। घर में बच्चे हैं तो उनके साथ खेलें। योग या व्यायाम करने से भी ऑक्सीटोसिन हॉर्मोन बढ़ता है। अपनों के लिए कुछ अच्छा कर सकते हैं, जैसे कि उपहार दें या किसी की मदद भी कर सकते हैं। इसके अलावा खाने की ख़ुशबू और स्वाद से भी हॉर्मोन का स्तर बढ़ाया जा सकता है।एंडोर्फिंस हॉर्मोन...यह तनाव और दर्द के स्तर को कम करने के लिए जाना जाता है। ये मन को ख़ुशी देने का काम करता है। जब शरीर में इसका स्राव कम होने लगता है तो अच्छा महसूस नहीं होता और मन उदास रहने लगता है। यह हॉर्मोन तनाव, अवसाद और चिंता को दूर करने के लिए बहुत ज़रूरी है।इसे ऐसे बढ़ाएं...हंसने के बहाने ढूंढें। ऐसे लोगों का साथ चुनें जो आपको हंसाएं और ख़ुश महसूस कराएं। जब आप हंसते हैं तो एंडोर्फिंस हॉर्मोन का स्राव तेज़ी से होता है। संगीत सुनें और उसके साथ-साथ थिरकें। जोक्स पढ़ें या कॉमेडी शो देखें। पसंद का भोजन खाएं, पसंद के काम करें और घूमना पसंद है तो उसके लिए समय निकालें। व्यायाम डोपामाइन, सेरोटोनिन और ऑक्सीटोसिन हॉर्मोन के साथ-साथ एंडोर्फिंस भी बढ़ाता है।
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खराब जीवनशैली और अनहेल्दी खानपान का हमारे स्वास्थ्य पर बहुत ही बुरा प्रभाव पड़ता है. हमारी कुछ आदतें हमें तेजी से बुढ़ापे की ओर धकेलती हैं. इसमें नींद की कमी, अनहेल्दी डाइट, व्यायाम न करना, तनाव लेना और कैफीन अधिक मात्रा में लेना आदि शामिल है, लेकिन अगर हेल्थ का सही से ध्यान रखा जाए तो अधिक उम्र के बावजूद भी खुद को हेल्दी और फिट रखा जा सकता है. हाल ही में एक व्यक्ति ने अपना 102 वां जन्मदिन मनाया. ये आज भी बहुत ही हेल्दी और फिट हैं. उन्होंने अपने लंबी उम्र का सीक्रेट साझा किया है.
आइए जानें वे कौन सी चीजें हैं जिनके कारण वे आज भी इतने हेल्दी हैं---
एक रिपोर्ट के अनुसार हैरी गैम्पर नाम के एक बुजुर्ग 102 साल के हैं. ये द्वितीय विश्व युद्ध के रिटायर पायलट हैं. हैरी गैम्पर द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान आरएएफ पायलट थे. वे डी-डे लैंडिंग में मौजूद थे. हैरी गैम्प का जन्म 1920 में हुआ था. फ्रांस और जर्मनी में उनकी सेवा के लिए इन्हें पदक से सम्मानित भी किया जा चुका है. हैरी गैम्प ने अटलांटिक की लड़ाई में अहम भूमिका निभाई थी. इन्होंने आरएएफ में पायलट होने के दौरान 1,000 घंटे उड़ान भरी थी. हैरी गैम्प की शादी 1983 में हुई थी. उनके दो बेटे हैं. कोराना काल के दौरान 2020 वे अपना 100 वां जन्मदिन धूमधाम से नहीं मना पाए थे.
हैरी गैम्पर की लंबी उम्र का राज बढिय़ा शराब, हेल्दी और म्यूजिक है. हैरी गैम्पर ने एक इंटरव्यू के दौरान बताया कि मेरा जीवन काफी सुंदर है और मैंने हमेशा काफी अच्छी तरह से अपनी लाइफ को जिया है. मुझे कला, संगीत, अच्छा भोजन और बेहतरीन शराब बहुत ही पसंद है. ये सारी चीजें और आसपास के लोग जीवन में सबसे ज्यादा मायने रखते हैं. यही मेरी लंबी उम्र का राज हैं.
अध्ययन के अनुसार उम्रदराज लोगों पर लंबी उम्र का सीक्रेट जानने के लिए एक अध्ययन भी किया गया है. यूके स्थित सीबीडी कंपनी ईडन गेट ने एक अध्ययन में लंबी उम्र के सिक्रेट का पता लगाया था. इस अध्ययन में ये पता लगाया कि कौन सी तीन चीजें खाकर व्यक्ति लंबी उम्र तक जी सकता है. इन तीन चीजों में ऑलिव ऑयल, रेड वाइन और चॉकलेट शामिल है. ऑलिव ऑयल में हेल्दी फैट होता है. इसमें एंटीऑक्सीडेंट और एंटी इंफ्लेमेटरी गुण होते हैं. ये हार्ट डिसीस और स्ट्रोक जैसी समस्याओं से बचाते हैं. रेड वाइन में एंटीऑक्सीडेंट गुण होते हैं. ये हदय को स्वस्थ रखते हैं. चॉकलेट ब्रेन फंक्शन को बूस्ट करने का काम करती है. ये भी उम्र को बढ़ाती है. - फ्राइड राइस एक एशियाई भोजन है जिसे बहुत ही आसान तरीके से तवा या फिर पैन में स्टिर - फ्राई करके तैयार किया जाता है। कम मेहनत से तैयार इस रेसिपी को तैयार करने में मात्र 10 मिनट का समय ही लगता है। इस रेसिपी को आप अपने मनपसंदीदा डिश के साथ खा सकते हैं। चलिए देखते हैं फ्राइड राइस बनाने की विधि।मुख्य सामग्री-----------1 कप उबला हुआ चावलमुख्य पकवान के लिए1 कप कटा हुआ प्याज1 कप सेमजरूरत के अनुसार लहसुन1 कप गाजरजरूरत के अनुसार नमक1/2 छोटी चम्मच चिली पाउडर1/2 छोटी चम्मच चिली फ्लैक्स1/2 छोटी चम्मच सिरका1 छोटी चम्मच टमाटर सॉसजब प्याज अच्छी तरह से भूल जाए तब उसमें कटे हुए गाजर बींस डाल कर दो से 3 मिनट तक उसे भूने। अब इसमें नमक मिर्ची पाउडर चिल्ली फ्लेक्स फ्राइड राइस मसाला केचप और विनेगर डालें अब सभी सामग्री को अच्छी तरह से मिला लें। अब तैयार हुए मसाले में पके हुए चावल को डालकर इसे अच्छी तरह से मिला ले और ढक्कन बंद करके एक या 2 मिनट के लिए इसे पकने दें ताकि मसाले का फ्लेवर चावल में अच्छी तरह से घुस जाए। तैयार है गरमा गरम फ्राइड राइस इसे धनिया की पत्ती से गार्निश करके गरमागरम सर्व करें।
- मस्तिष्क एक मांसपेशी की तरह है, आप इसका जितना अधिक उपयोग करते हैं, यह उतना ही मज़बूत होता जाता है। शरीर की किसी भी मांसपेशी की तरह मस्तिष्क को भी स्वस्थ रहने के लिए व्यायाम की आवश्यकता होती है। परंतु 60 की उम्र के बाद मस्तिष्क की गति धीमी पडऩे लगती है। ख़ासतौर पर तब जब बुज़ुर्ग अपनी सारी जि़म्मेदारियों से ख़ुद को मुक्त कर लेते हैं। शरीर के साथ-साथ दिमाग़ को आराम मिलता है, लेकिन इसके कारण उनकी सोचने-समझने की क्षमता प्रभावित होती है। दिमाग़ को जितना व्यस्त रखेंगे यह उतना ही स्वस्थ रहेगा। ऐसे में कुछ दिमाग़ी व्यायाम नियमित रूप से करना फ़ायदेमंद होगा।पहेलियां सुलझाएंशब्द, वर्ग पहेली जैसी पहेलियां सुलझाने की कोशिश करें। इससे संज्ञानात्मक कौशल (कॉग्निटिव स्किल) का विस्तार होगा और समस्या का समाधान ढूंढने की क्षमता बढ़ेगी। इसके अलावा, पहेलियां विश्राम और तनाव प्रबंधन में भी मदद करती हैं। पर इस बात का ध्यान रखें कि कागज़ पर मौजूद पहेलियां ही हल करनी हैं। जब पेन कपड़कर पहेलियां सुलझाएंगे तो दिमाग़ और हाथ, दोनों की कसरत साथ-साथ होगी और समन्वय बनेगा।कला और शिल्पहाथों से कुछ बनाना न केवल कल्पना करने का अच्छा ज़रिया है, बल्कि दिमाग़ और हाथों का समन्वय बनाने के लिहाज़ से भी ये प्रभावी कसरत है। पेंटिंग करें, मिट्टी के खिलौने बनाएं, सिलाई, बुनाई करें या कोई क्राफ्ट बना सकते हैं। यदि देखकर या पढ़कर इसे बनाते हैं तो बेहतर परिणाम मिलेंगे क्योंकि इससे आंखों, हाथों और मस्तिष्क के बीच समन्वय बनेगा।वाद्य यंत्र से तालमेलसंगीत भावनाओं को संतुलित करता है, एकाग्रता और याद्दाश्त बढ़ाने में मदद करता है। ऐसे में साठ की उम्र के बाद संगीत के साथ समय बिताएं। साथ में वाद्य यंत्र बजाएं। कोई ऐसा आसान वाद्य यंत्र चुनें जिसे बजाने में अधिक ऊर्जा न लगे, जैसे कि हार्मोनियम। संगीत सुनने और वाद्य यंत्र बजाने से चिंता, तनाव और अवसाद भी कम होगा।शतरंज खेलेंशतरंज एक ऐसा खेल है जो मानसिक स्वास्थ्य में सुधार कर सकता है। शतरंज गहराई से सोचने और खोज करने की प्रवृत्ति को बढ़ाता है। यह विशेष रूप से एकाग्रता से जूझ रहे वृद्ध वयस्कों के लिए फ़ायदेमंद है। शतरंज के साथ-साथ लूडो और सांप-सीढ़ी भी खेल सकते हैं।
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एलोवेरा का कई तरह के ब्यूटी प्रोडक्ट्स में इस्तेमाल किया जाता है. ये त्वचा और बालों को स्वस्थ बनाए रखने में मदद करता है. ये त्वचा और बालों संबंधित कई समस्याओं से छुटकारा दिलाता है. ये बालों को मुलायम बनाने में मदद करता है. इसमें कई तरह के पोषक तत्व होते हैं. ये बालों को गहराई से पोषण देने का काम करता है. ये रूखे, सुस्त और बेजान बालों की समस्या से राहत दिलाने का काम करता है. आप एलोवेरा का इस्तेमाल करके कई तरह के हेयर मास्क बना सकते हैं. इन हेयर मास्क को बनाना बहुत ही आसान है. एलोवेरा हेयर मास्क आप किन सामग्री को इस्तेमाल करके बना सकते हैं आइए जानें.
एलोवेरा जेल का इस्तेमाल करें
इसके लिए आपको केवल एलोवेरा जेल की जरूरत होगी. एक बाउल में एलोवेरा जेल लें. इसे पतला करने के लिए इसमें पानी मिला सकते हैं. इसे अपने बालों के साथ- साथ स्कैल्प पर भी लगाएं. इसे 20 से 30 मिनट के लिए लगा रहने दें. इसके बाद बालों को माइल्ड शैंपू से धो लें. ये हेयर मास्क आपके बालों को हेल्दी और चमकदार बनाने में मदद करता है.
एलोवेरा और नारियल तेल का हेयर मास्क
इस हेयर मास्क को बनाने के लिए एक बाउल में दो चम्मच एलोवेरा जेल लें. इसमें 2 चम्मच नारियल तेल मिलाएं. इन दोनों चीजों को अच्छे से मिलाएं. इस मिश्रण को बालों के साथ-साथ स्कैल्प पर लगाएं. इससे कुछ देर तक स्कैल्प की मसाज करें. इस हेयर मास्क को बालों में 30 से 40 मिनट के लिए लगा रहने दें. इसके बाद बालों को माइल्ड शैंपू से धो लें. आप हफ्ते में इस हेयर मास्क का इस्तेमाल 1 से 2 बार कर सकते हैं. ये आपके बालों को मुलायम बनाने में मदद करेगा.
एलोवेरा और दही का हेयर मास्क
एक बाउल में दो बड़े चम्मच दही लें. इसमें 3 से 4 चम्मच एलोवेरा जेल मिलाएं. इन दोनों चीजों को एक साथ मिलाएं. इस हेयर मास्क को स्कैल्प के साथ-साथ बालों पर भी लगाएं. इसे 30 से 40 मिनट के लिए बालों में लगा रहने दें. इसके बाद बालों को माइल्ड शैंपू से धो लें. आप इस हेयर मास्क का इस्तेमाल हफ्ते में 1 से 2 बार कर सकते हैं.
एलोवेरा और केले का हेयर मास्क
इस हेयर पैक को बनाने के लिए एक ब्लेंडर में एक पके केले को छोटे-छोटे टुकड़ों में काटकर डालें. इसमें 2 से 3 चम्मच एलोवेरा जेल मिलाएं. इन दोनों चीजों को अच्छे से मिलाएं. इस हेयर मास्क को बालों और स्कैल्प पर लगाएं. बालों को बन में बांधे. इसे 30 से 40 मिनट के लिए ऐसे ही लगा रहने दें. इसके बाद बालों को माइल्ड शैंपू से धो लें. -
सावन का महीना चल रहा है। ऐसे में भोलेबाबा के भक्तों ने भोलेबाबा को प्रसन्न करने के लिए व्रत रखे हुए हैं। व्रत के दौरान फलाहार करने के लिए लोग कई चीजों को अपनी डाइट में शामिल करते हैं। ऐसे में आपने भी अगर व्रत रखा हुआ है लेकिन रूटीन चीजों से फलाहरा करते -करते बोर हो गए हैं तो इस सावन ट्राई करें फलाहारी अप्पे।
फलाहारी अप्पे एक बढ़िया फू़ड रेसिपी है जो बेहद कम समय में बनकर तैयार हो जाती है। इस रेसिपी की खासियत यह है कि ये स्वादिष्ट होने के साथ हेल्दी फूड आइटम भी है। तो आइए देर किस बात की जान लेते हैं फलहारी अप्पे बनाने के लिए आपको फॉलो करने होंगे क्या-क्या कुकिंग टिप्स।
फलाहारी अप्पे बनाने के लिए सामग्री-
-सूजी- 1 कप
-दही- 1/2 कप
-टमाटर कटा- 1
-खीरा कटा- 1
-धनिया पत्ती - 2 टेबलस्पून
-हरी मिर्च कटी- 2-3
-सेंधा नमक- स्वादानुसार
-सादा नमक- जरूरत के मुताबिक (वैकल्पिक)
-तेल- 4 टेबलस्पून
फलाहारी अप्पे बनाने की विधि-
फलाहारी अप्पे बनाने के लिए सबसे पहले सूजी को एक कड़ाही में डालकर ड्राई रोस्ट कर लें। इसके बाद एक बड़े मिक्सिंग बाउल में सूजी डालकर उसमें बारीक कटे टमाटर और खीरा, बारीक कटा हरा धनिया, हरी मिर्च, सेंधा नमक और सादा नमक स्वादानुसार डालकर सभी चीजों को अच्छी तरह से मिक्स कर लें। इसके बाद मिश्रण में दही डालकर अच्छे से मिलाने के बाद 10 मिनट के लिए सूजी फूलने के लिए अलग रख दें। 10 मिनट के बाद मिश्रण को एक बार और फेंट लें।
अब अप्पे का सांचा लें और उसे मीडियम आंच पर गर्म करने के बाद हर खाने में तेल डाल दें। इसके बाद चम्मच या कटोरी की मदद से हर खाने में अप्पे का पेस्ट डालें और ढक दें। जब अप्पे एक तरफ से पक जाएं तो उन्हें पलटकर दूसरी साइड से सेक लें। आपके टेस्टी फलाहारी अप्पे बनकर तैयार हो चुके हैं। इन्हें गर्मागर्म दही या चटनी के साथ सर्व करें। - बारिश में कुछ चटपटा खाने का मन हो रहा हो तो आलू- भिंडी मसाला सब्जी ट्राई कर सकते हैं।इसके लिए आपको लेना होगा- भिंडी- 3 कप ( 1/2 इंच के टुकड़े में कटी हुई), आलू- 1 कप (कटा हुआ), नमक- स्वादानुसार, तेल- 3 बड़े चम्मच, जीरा- 1 छोटा चम्मच, प्याज़- 1/2 कप (बारीक कटा हुआ), अदरक का पेस्ट- 1/2 छोटा चम्मच (किसी हुई), लहसुन पेस्ट- 1/2 छोटा चम्मच, टमाटर- 1/2 कप (बारीक कटा या प्यूरी), हल्दी पाउडर- 1/2 छोटा चम्मच, धनिया पाउडर- 1 छोटा चम्मच, लाल मिर्च पाउडर- 1 छोटा चम्मच, गरम मसाला पाउडर- 1/2 छोटा चम्मच, अमचूर पाउडर- 1/4 छोटा चम्मच।ऐसे बनाएंपैन में एक बड़ा चम्मच तेल मध्यम आंच पर गर्म करें। इसमें भिंडी और थोड़ा-सा नमक डालकर भूनें। बीच-बीच में चलाते रहें। जब भिंडी का रंग गहरा हो जाए और ये पक जाए तो प्लेट में निकाल लें। इसी पैन में एक बड़ा चम्मच तेल गर्म करें। इसमें आलू और थोड़ा-सा नमक डालकर पकने तक भूनें। इसे भिंडी की प्लेट में निकाल लें। अब इसी पैन में एक बड़ा चम्मच तेल गर्म करके जीरा तड़काएं। इसमें प्याज़ डालकर सुनहरा भूरा होने तक भूनें। अदरक और लहसुन का पेस्ट डालकर भूनें। टमाटर मिलाकर पकाएं। हल्दी पाउडर, लाल मिर्च पाउडर, धनिया पाउडर, अमचूर और गरम मसाला पाउडर मिलाकर तीस से चालीस मिनट तक पकाएं। जब यह तेल छोडऩे लगे तो इसमें भिंडी और आलू मिलाकर तीन-चार मिनट तक पकाएं। तैयार भिंडी-आलू की सब्जी को रोटी या पराठे के साथ परोसें।
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काबुली पुलाव एक अफगानी व्यंजन है, जो मटन और चावल से बनाया जाता है। ऊपर से डाले गए सूखे मेवों के कारण पुलाव स्वाद से भरपूर होता है। चावल पकाते समय डाला गया मटन से इसका स्वाद बढ़ जाता है। इसे लंच या डिनर के लिए तैयार किया जा सकता है। आप इसे तब भी बना सकते हैं, जब आप घर पर छोटी-सी पार्टी रखना चाहते हों। मटन को पहले मसालों में अलग से पकाया जाता है और फिर मसाले और चावल के साथ फिर से पकाया जाता है। कबाब और रायते के साथ काबुली पुलाव का स्वाद लाजवाब होता है। इसे अपने परिवार को परोसें और खूब तारीफें बटोरें। यह बनाने में आसान रेसिपी है और आप घर पर काबुली पुलाव के शाही स्वाद का स्वाद ले सकते हैं।
काबुली पुलाव बनाने की सामग्री-
600 ग्राम मटन
2 चम्मच नमक
4 लौंग लहसुन
1/2 कप चीनी
10 ग्राम किशमिश
10 ग्राम बादाम
1 बड़ा चम्मच जीरा
8 हरी मिर्च
1 ग्राम जीरा पाउडर
1/2 कप दही
700 ग्राम बासमती चावल
4 कप पानी
1 प्याज
2 गाजर
1 बड़ा चम्मच पिसी हुई हरी इलायची
10 ग्राम काजू
10 ग्राम पिस्ता
4 बड़े चम्मच रिफाइंड तेल
1 बड़ा चम्मच कटा हुआ लहसुन
1 छोटा चम्मच धनिया पाउडर
10 ग्राम गरम मसाला पाउडर
काबुली पुलाव बनाने की विधि-
अपना खुद का काबुली पुलाव बनाने के लिए, एक पैन लें और उसमें मटन, 3 कप पानी, आधा प्याज, नमक, लहसुन की कली, आधा गरम मसाला डालें। मिश्रण को तब तक पकाएं जब तक कि मटन नर्म न हो जाए। एक बार हो जाने के बाद, मटन को स्टॉक से अलग करें और एक तरफ रख दें। एक बाउल लें और उसमें बासमती चावल डालें। ठंडे पानी से अच्छी तरह धो लें और फिर पर्याप्त पानी में लगभग 25-30 मिनट के लिए भिगो दें। दूसरा पैन लें और उसमें एक कप पानी, चीनी, गाजर, इलायची पाउडर, बादाम, काजू, पिस्ता डाल दें। लगभग 3 मिनट तक लगातार चलाते हुए पकाएं। साथ ही एक अलग पैन में खाना पकाने का तेल, साबुत जीरा, आधा प्याज, 5 ग्राम गरम मसाला और हरी मिर्च डालें। सब कुछ अच्छी तरह से सुनहरा होने तक तलें। उसी पैन में पका हुआ मटन, नमक, लहसुन, जीरा पाउडर, दही और धनिया पाउडर डालें। लगभग 5 मिनट तक पकाएं। मटन स्टॉक और भीगे हुए चावल डालने का समय आ गया है। सभी चीजों को तब तक पकाएं जब तक कि चावल अच्छे से पक न जाएं। पहले तले हुए सूखे मेवे से गार्निश करें। इसे एक और 15 मिनट के लिए उबलने दें। आपका काबुली पुलाव परोसने के लिए तैयार है। - बढ़ते प्रदूषण की वजह से लोगों को आजकल एलर्जी से परेशान होना पड़ता है । इसका सबसे बड़ा लक्षण लगातार छींक आना हो सकता है। क्या आप भी इस बड़ी शारीरिक समस्या से जूझ रहे हैं, तो इन घरेलू नुस्खों को करें ट्राई....हल्दीऔषधीय गुणों से भरपूर हल्दी को पुराने समय से एक एंटीबैक्टीरियल एजेंट के रूप में इस्तेमाल किया जा रहा है। आप डस्ट एलर्जी की प्रॉब्लम से राहत के लिए रोजाना कच्ची हल्दी वाला दूध पी सकते हैं।ग्रीन टीये भी एक एंटीबैक्टीरियल एजेंट है, जो इम्यूनिटी को बूस्ट करने का काम करता है। इसे रोजाना पीने से आपकी डस्ट एलर्जी की प्रॉब्लम ही नहीं कई हेल्थ प्रॉब्लम्स दूर होंगी। इससे आपकी स्किन भी ग्लो करेगी।शहदये एक ऐसा सुपरफूड, जो एंटीऑक्सीडेंट्स और एंटीबैक्टीरियल गुणों से भरपूर होता है। इसी कारण ये एलर्जी के लक्षणों को भी कम करता है। आप चाहे, तो रोजाना शहद वाली गर्म पानी पीकर इस प्रॉब्लम को कम कर सकते हैं।दालचीनीये एक तरह से देसी दवा की तरह काम करता है, जिसे नुस्खे दादी-नानी के जमाने से काम में लिए जा रहे हैं। एलर्जी के लक्षणों को कम करने में इम्यूनिटी का रोल अहम रहता है और आप दालचीनी से इम्यून सिस्टम को मजबूत कर सकते हैं।----
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बारिश का मौसम आ चुका है और इस मौसम की सबसे खराब चीज यह लगती है कि इस मौसम में आप चाहे जितनी बार अपने कपड़े धो लें, उनमें से महक आने की जगह उनमें से तीखी दुर्गंध आती है. ऐसा हवा में नमी के कारण होता है जो कि हर प्रकार के कपड़ों को अपना निशाना बनाती है. हालांकि अगर उन कपड़ों को धूप में थोड़ी देर के लिए डाल दिया जाए तो वह स्मेल खत्म हो जाती है लेकिन कई लोग कपड़ों से आने वाली इस स्मेल से परमानेंट छुटकारा पाना चाहते हैं. अगर आप भी बारिश के मौसम में कपड़ों से आने वाली इस दुर्गंध से छुटकारा पाना चाहते हैं तो नीचे बताई हुई ट्रिक्स आजमा सकते हैं--
मशीन में कपड़े इकट्ठा ना करें
अक्सर देखा जाता है हममे से कई लोग कपड़े यूज में आ जाने के बाद सीधे मशीन में ही कपड़े डाल देते हैं. यानी कि कपड़े उतारे और सीधे मशीन में फेंक दिए ताकि धोते समय कपड़े इकट्ठे करने की मेहनत ना करनी पड़े. अगर आप ऐसा करते हैं तो मॉनसून में आपके कपड़ों से बदबू ही आएगी क्योंकि समय के साथ दुर्गंध बढ़ती जाती है. स्मेल से बचने के लिए कपड़ों को हैंगर पर लटकाएं या फिर खुली जगह में रखें. कपड़े धोने की टोकरी या वॉशिंग मशीन में ढेर लगाकर नहीं रखें.
नींबू का रस
नींबू की प्रकृति अम्लीय होती है इसलिए यह मटमैली गंध पैदा करने वाले कवक को खत्म कर सकता है. कपड़ों को स्मेल से बचाने के लिए बस पानी में नींबू का रस मिलाएं और उसमें कपड़ों को डाल दें और फिर धो लें. या फिर इस घोल को कपड़ों पर उस जगह लगाएं जहां से दुर्गंध आती है. इसके बाद पानी से धो लें.
सिरका
घर में रखा सिरका खाने की चीजों में उपयोग होने के अलावा कपड़ों की दुर्गंध को दूर करने में भी प्रयोग आता है. दरअसल, सिरका की प्रकृति भी अम्लीय होती है और यह दुर्गंध फैलाने वाली वैक्टीरिया को मारता है. कपड़ों की स्मेल दूर करने के लिए दुर्गंध वाली सतह पर सिरका डालें और फिर कपड़े को सादा पानी से धो लें. आप देखेंगे कि कपड़े की दुर्गंध जा चुकी है.
मीठा सोडा
मीठा सोडा कपड़ों से आने वाली स्मेल और दुर्गंध पैदा करने वाले वैक्टीरिया को करता है. इसलिए एक बाल्टी पानी में 1 चम्मच मीठा सोडा डालें और कपड़ों को थोड़ी देर के लिए उसमें गला दें. इसके बाद उन्हें सादा पानी से धो लें.
अपनी अलमारी में चॉक या सिलिकॉन पाउच रखें
चॉक या सिलिकॉन पाउच कपड़ों की दुर्गंध को अब्जॉर्ब कर सकते हैं इसलिए अपने कपड़ों को सूखा और खुशबूदार बनाने के लिए अलमारी में चाक या सिलिकॉन पाउच की रखें. ऐसा करने से कपड़ों में बदबू नहीं आएगी.
कमरे में सुखाएं कपड़े
बारिश में सूरज कम निकलता है इसलिए कपड़े मशीन में सुखाने की अपेक्षा अच्छी वेंटिलेशन वाली जगह पर सुखाएं. अगर वेंटिलेशन के लिए खिड़की ना हो तो कमरे में कपड़े डालें और पंखा चालू कर दें.
अच्छे डिटर्जेंट का उपयोग करें
कपड़े धोने के लिए अच्छे खुशबूदार डिटर्जेंट का प्रयोग करें. कपड़े को लगभग 10-15 मिनट के लिए फैब्रिक सॉफ्नर में भिगोएं जिससे स्मेल नहीं आएगी.
कपड़ों को सूखी जगह पर रखें
कपड़ों में नमी के कारण स्मेल आने लगती है इसलिए कपड़ों को स्मेल से बचाने के लिए कपड़ों को सूखी जगह पर रखें. इससे न सिर्फ आपके कपड़े बदबू से बचेंगे बल्कि उनमें अच्छी महक भी आएगी.
लंबे समय तक यूज ना करें
कपड़ों के ज्यादा प्रयोग ना करें. कई बार लोग कपड़ों को एक से अधिक बार पहन लेते हैं जिससे उनमें बैक्टीरिया उत्पन्न हो जाते हैं और उनसे दुर्गंध आने लगती है. -
बचपन में मिला उचित पोषण न सिर्फ बच्चे का शारीरिक और मानसिक विकास करने में मदद करता है बल्कि उसकी कद-काठी बढ़ाने में भी मदद करता है। अगर किसी वजह से आपको लगता है कि अपके बच्चे की हाइट उसके उम्र के बच्चों से कम रह गई है तो समय रहते इन घरेलू नुस्खों की मदद लें।
बच्चे की हाइट बढ़ाने के लिए अपनाएं ये घरेलू नुस्खे-
खेलकूद है जरूरी-
आज के समय में माता-पिता दोनों ही कामकाजी हैं, जिसकी वजह से वे बच्चों को उचित वक्त और खेलकूद के लिए बाहर नहीं ले जा पाते हैं। जिसकी वजह से न सिर्फ बच्चे तनाव का शिकार हो रहे हैं बल्कि उनकी हाइट भी कहीं न कहीं प्रभावित हो रही है। ऐसे में बच्चों को शाम में कुछ वक्त के लिए बाहर जरूर खेलने के लिए भेजें ।
साइकलिंग करें-
बच्चों को रोजाना कुछ देर साइकलिंग के लिए जरूर भेजें। साइकलिंग करने से बच्चों का शरीर एक्टिव बनने के साथ टांगों और पैरों की एक्सरसाईज भी होगी, जिससे शरीर की मासपेशियां खुलती हैं और लंबाई धीरे-धीरे बढ़ने लगती है।
हैंगिंग एक्सरसाइज-
हाइट बढ़ाने के लिए लटकना सबसे बेहतरीन एक्सरसाइज है। ये हाथों की ताकत को बढ़ाती है और शरीर के ऊपरी हिस्से की मांसपेशियों को उत्तेजित करती है। इससे बॉडी को टोन करने और शेप देने में भी मदद मिलती है। टोन और शेप आने से हाइट बढ़ने में भी मदद मिल सकती है।
टो टचिंग-
पीठ और पिंडलियों की मांसपेशियों को उत्तेजित करने के लिए टो टचिंग सबसे आसान एक्सरसाइज है। इससे जांघों की मांसपेशियों की मालिश होती है। बच्चे से टो टचिंग एक्सरसाइज करने के लिए कहें। कम उम्र से ही बच्चा ये एक्सरसाइज करेगा, तो उसकी हाइट जल्दी बढ़ जाएगी। -
बच्चों का मन चंचल होता है और एकाग्रता की कमी के कारण वह अपनी क्षमताओं का पूरा प्रदर्शन नहीं कर पाते। बच्चों की पढ़ाई भी इसी कारण प्रभावित हो सकती है। ऐसे में माता-पिता का चिंतित होना स्वाभाविक है। वास्तु शास्त्र में कुछ ऐसे उपाय बताए गए हैं, जिन्हें अपनाने से बच्चों का मन भटकाव की स्थिति से दूर होता है और उनमें एकाग्रता बढ़ सकती है। आइए जानते हैं सकारात्मक परिणाम देने वाले इन उपायों के बारे में।
सबसे पहले बच्चे जहां पढ़ाई करते हैं उस स्थान या कमरे पर विशेष ध्यान दें। जहां बच्चा पढ़ता है वहां बिल्कुल भी गंदगी नहीं होनी चाहिए। बच्चों के स्टडी रूम में ज्यादा सामान भरा हुआ नहीं होना चाहिए। बच्चों के कमरे में शीशा ऐसी जगह न लगा हो जहां पुस्तकों पर उसकी परछाई आती हो। स्टडी रूम में हरे रंग के पर्दे लगाएं, इससे बच्चों में एकाग्रता बढ़ती है। बच्चे के रूम या स्टडी टेबल पर मां सरस्वती की प्रतिमा या चित्र लगाएं। दौड़ते हुए घोड़े, उगते हुए सूर्य का चित्र भी लगा सकते हैं। स्टडी रूम में हल्का हरा या पीले रंग का प्रयोग करें। कमरे में चटक रंग बच्चे का मन पढ़ाई से भटका सकता है। बच्चों को मां सरस्वती और भगवान श्रीगणेश के बीज मंत्रों का जाप कराएं। बच्चों के स्टडी कक्ष के गेट पर नीम की कुछ डालियां बांध दें। इससे स्टडी रूम में सकारात्कमक और शुद्ध हवा प्रवाहित होती है। बच्चे के माथे पर केले के वृक्ष की मिट्टी का तिलक लगाएं। बच्चों से धार्मिक पुस्तकों, कलम व शिक्षा सामग्री का दान कराएं। विद्यार्थियों को चाहिए कि वह अपनी पुस्तकों में मोर पंख रखें। बच्चों को प्रतिदिन गायत्री मंत्र का जाप कराएं। बच्चे को हमेशा पूर्व दिशा की ओर मुख कर पढ़ने बैठाएं। हर गुरुवार मंदिर में जाकर भगवान श्री हरि विष्णु के समक्ष घी का दीपक प्रज्ज्वलित करें। -
नई दिल्ली। अगर आप अगस्त के महीने में दक्षिण भारत घूमने की योजना बना रहे हैं, तो इंडियन रेलवे कैटरिंग एंड टूरिज्म कॉरपोरेशन (आईआरसीटीसी) आपके लिए एक खास टूर पैकेज लेकर आया है। इस पैकेज के तहत आपको दक्षिण भारत में रामेश्वरम, कन्याकुमारी, मदुरै, तिरुवनंतपुरम जैसी सुंदर जगहों पर घूमने का मौका मिल रहा है। इस टूर पैकेज की जानकारी खुद आईआरसीटीसी ने अपने ट्विटर हैंडल के जरिए दी है। आईआरसीटीसी के इस टूर पैकेज का नाम साउथर्न डिवाइन टेंपल बाय फ्लाइट है। इस पैकेज के अंतर्गत आपको फ्लाइट से यात्रा करने का मौका मिल रहा है। आईआरसीटीसी भारतीय रेलवे की एक सहायक कंपनी है जो भारतीय रेलवे के खानपान, पर्यटन और ऑनलाइन टिकटिंग परिचालन को संभालती है।
आईआरसीटीसी का ये टूर पैकेज कुल 6 दिन और 5 रातों का है। आईआरसीटीसी ने अपने ऑफिशियल ट्विटर हैंडल से ट्वीट करते हुए बताया है कि इस पैकेज के तहत आपको मदुरै, त्रिवेंद्रम, विशाखापट्टनम और कई दूसरी खूबसूरत जगहों पर घूमने का मौका मिल रहा है।इस पैकेज की शुरुआत 12 अगस्त, 2022 से होगी। पैकेज के तहत आपकी यात्रा की फ्लाइट विशाखापट्टनम एयरपोर्ट से मिलेगी। फ्लाइट में आपको कंफर्ट क्लास में यात्रा करने का मौका मिल रहा है। वहीं रुकने की व्यवस्था आईआरसीटीसी द्वारा एसी होटल में की जाएगी। यात्रियों को आईआरसीटीसी द्वारा ब्रेकफास्ट और डिनर की सुविधा मिलेगी। यात्रा के दौरान आपको इंश्योरेंस की सुविधा भी मिल रही है।अगर आप आईआरसीटीसी के इस टूर पैकेज के तहत अकेले यात्रा करने का प्लान बना रहे हैं, तो आपको 43,330 रुपये खर्च करने होंगे। दो लोगों के साथ सफर करने पर ये किराया प्रति व्यक्ति 33,770 रुपये है। वहीं तीन लोगों के साथ यात्रा करने पर आपको प्रतिव्यक्ति 32,350 रुपये का भुगतान करना होगा। -
वेट लॉस या फिट रहने के लिए टिप्स अपनाते रहते हैं, तो अपने वर्कआउट प्लान में साइकिलिंग भी शामिल कर लें। रोजाना साइकिलिंग करके के कई जबरदस्त फायदे हैं। योग और एक्सरसाइज की तरह की साइकिलिंग करना भी एक फिजिकल एक्टिविटी है, जिससे हार्ट और फेफड़े दोनों स्वस्थ रहते हैं। सिर्फ इतना ही नहीं सुबह के समय साइकिलिंग करने से शरीर में दिनभर एनर्जी बनी रहती है और रात को बहुत अच्छी नींद आती है।
रात को आएगी अच्छी नींद
अगर आप सुबह सुबह कुछ देर तक साइकिलिंग करतें हैं, तो रात को आपको अच्छी नींद आएगी। वैसे तो सुबह-सुबह साइकिल चलाने से आपको थोड़ी थकान महसूस हो सकती है, लेकिन वह कुछ देर की ही होगी। उसके बाद सारा दिन एनर्जी से भरा रहेगा।
बीमारियों से रहेंगे दूर
साइकिल चलाने से बॉडी के इम्यून सेल्स ज्यादा एक्टिव रहते हैं और ऐसे में व्यक्ति कम बीमार पड़ता है।
बढ़ेगी मेमोरी
साइकिलिंग करने वालों के ब्रेन सेल्स काफी ज्यादा एक्टिव रहते हैं। उनकी मेमोरी आम लोगों की तुलना में ज्यादा होती है। साइकिलिंग करने से बॉडी में नए ब्रेन सेल्स भी बनते रहते हैं।
हार्ट रहता है हेल्दी
साइकलिंग करने से हार्ट स्वस्थ रहता है। साइकिलिंग करने से पूरे बॉडी में ब्लड सर्कुलेशन सही तरीके से होता है।
वजन घटाने में मददगार
नियमित रूप से साइकिलिंग जैसी एक्सारसाइज करने से शरीर में कैलोरी और फैट कम करने में मदद मिलती है जिससे फिगर स्लिम रहता है और वजन नहीं बढ़ता।
फेफड़े होते हैं मजबूत
साइकिलिंग करते समय आप सामान्यि की तुलना में गहरी सांसें लेते हैं और ज्या दा मात्रा में ऑक्सीलजन ग्रहण करते हैं। इसके चलते शरीर में रक्त संचार भी बढ़ जाता है और साथ ही फेफड़ों के अंदर तेजी से हवा अंदर और बाहर होती है। इससे फेफड़ों की क्षमता में भी सुधार होता है और फेफड़ों में मजबूती आती है।
स्किन क्वालिटी अच्छी करता है
एक्सरसाइज के तौर पर ही कुछ घंटे साइकिलिंग करने से ब्लड सेल्स और स्किन में ऑक्सीजन की पर्याप्त पूर्ति होने से त्वचा सेहतमंद और ग्लोइंग होती है। -
फिट और हेल्दी रहने के लिए फिजिकली एक्टिव रहना भी बेहद जरूरी है। रेग्युलर एक्सरसाइज करने से आपको कई बीमारियों से मुक्ति मिल सकती है। जैसे, मोटापा, दिल की बीमारियों, मानसिक बीमारी, डायबिटीज जैसी बीमारियों से बचाने में मदद कर सकती है। अपनी जीवन शैली को बेहतर बनाने और ज्यादातर हेल्थ इश्यूज से दूर रहने के लिए साइकिल की सवारी करना सबसे अच्छे तरीकों में से एक है। साइकिल चलाना सभी उम्र के लोगों के लिए फायदेमंद है। यह भी एक ऐसी एक्सरसाइज है, जो आपकी फिजिकल और मेंटल हेल्थ का ख्याल रखती है। रेग्युलर साइकिल चलाने से हृदय रोग जैसे उच्च रक्तचाप, कोलेस्ट्रॉल, स्ट्रोक और दिल के दौरे की संभावना को कम किया जा सकता है। इससे आपका दिल हेल्दी रहता है।
वेट लॉस और स्ट्रेस बस्टर
शोध के अनुसार, एक्सरसाइज से प्रति सप्ताह कम से कम 8,400 किलो जूल (करीब 2,000 कैलोरी) बर्न हो सकती है, जबकि एक घंटे साइकिल चलाने से लगभग 1,200 किलोजूल बर्न होता है, जो लगभग 300 कैलोरी होता है। जब आप दिन में दो बार साइकिल चलाते हैं, तो आपके द्वारा जलाए गए किलोजूल जल्दी जुड़ जाते हैं। ब्रिटिश शोध के अनुसार, हर दिन आधे घंटे की साइकिल चलाने से एक साल में लगभग पांच किलोग्राम वसा जल जाएगी। इस तरह वेट कंट्रोल या वेट लॉस के लिए साइकिल चलाना एक प्रभावी तरीका माना जाता है। यह मेटाबॉलिज्म लेवल को बढ़ाने के लिए भी जाना जाता है। इसके अलावा साइकिल चलाने से चिंता, तनाव और स्त्रेस लेवल भी कम होता है। साइकिलिंग से बॉडी स्ट्रॉन्ग होती है। पुराने ऑस्टियो आर्थराइटिस वाले लोगों के लिए साइकिल बहुत फायदेमंद है।
साइकिल चलाने का बेस्ट टाइम
कोई भी किसी भी समय साइकिल चला सकता है लेकिन आप अगर ज्यादा फायदा लेना चाहते हैं, तो सुबह के समय साइकिल चलाना बहुत फायदेमंद है। साइकिल चलाने से अधिकतम ऊर्जा और लाभ प्राप्त करने के लिए, सुबह साइकिल चलाना सबसे अच्छा है। यह सुबह को एक नई और सकारात्मक शुरुआत देगा। ग्लूकोज का स्तर आमतौर पर सुबह 15-20% कम होता है, इसलिए सवारी करने का यह सबसे अच्छा समय है क्योंकि यह वसा को कम करने और वजन को कंट्रोल करने में मददगार है।
किन लोगों को नहीं चलानी चाहिए साइकिल
जिन लोगों के घुटने या हाथ में चोट है, उन्हें साइकिल चलाने से बचना चाहिए। अस्थमा और घुटने की समस्या या दर्द से पीड़ित व्यक्तियों को साइकिल नहीं चलानी चाहिए। जब कोई व्यक्ति व्यायाम करता है, तो वे अधिक हवा में सांस लेते हैं, हृदय गति बढ़ती है, जो अस्थमा को बढ़ा सकती है। -
गर्मियों में बढ़ते तापमान का न केवल शरीर पर बुरा प्रभाव पड़ता है बल्कि दिमाग पर भी पड़ता है. इस मौसम में कई बार तनाव, थकान और चिड़चिड़पन होता है. इस मौसम में बहुत से लोगों का मूड ज्यादातर समय खराब ही रहता है. मस्तिष्क को पर्याप्त ऑक्सीजन और हाइड्रेशन न मिलने पर दिमाग इस तरह से रिएक्ट करता है. इस कारण बात-बात पर गुस्सा आना, चिड़चिड़ापन और तनाव होने लगता है. ऐसे में जरूरी है गर्मी और उमस भरे मौसम में स्ट्रेस को कम करने के लिए कुछ टिप्स फॉलो करें. ये टिप्स तनाव और चिड़चिड़ेपन को कम करने में मदद करेंगे.
नाश्ता स्किप न करें
कई बार हम जल्दबाजी में नाश्ता स्किप कर देते हैं. नियमित रूप से नाश्ता करें. ये मेटाबॉलिज्म को बूस्ट करता है. इससे ब्लड शुगर लेवल कंट्रोल में रहता है. ये मूड को सही बनाए रखने में मदद करता है. नियमित रूप से नाश्ता करने से आप दिनभर ऊर्जावान रहते हैं. ये गर्मियों के महीने में स्ट्रेस को कम करता है.
संतुलित भोजन करें
गर्मियों के मौसम में पानी से भरपूर फूड्स का सेवन करना चाहिए. इस मौसम में आपको तरबूज, आम और खीरे आदि का सेवन करना चाहिए. ये फूड्स पोषक तत्व से भरपूर होते हैं. इनमें फाइबर भरपूर मात्रा में होता है. ये पाचन तंत्र को स्वस्थ रखने में मदद करते हैं. ये तनाव और घबराहट को दूर करने में मदद करते हैं. गाजर या केल जैसी ताजी सब्जियां खाएं. इनमें विटामिन सी भरपूर मात्रा में होता है. ये इम्युनिटी बढ़ाने में मदद करता है. ये स्ट्रेस को कम करने में मदद करते हैं.
तनाव से बचने के लिए अच्छी नींद लें
नींद हमारे शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य के लिए जरूरी है. सही से नींद न लेने के कारण तनाव की समस्या हो जाती है. इसलिए अच्छी नींद लेना अच्छे स्वास्थ्य के लिए भी बहुत जरूरी है.
जिंक से भरपूर फूड्स का सेवन करें
जिंक एक एंटीऑसीडेंट के रूप में काम करता है. ये शरीर को फ्री रेडिकल्स से बचाने में मदद करता है. ये सेरोटोनिन और डोपामाइन जैसे न्यूरोट्रांसमीटर के बनने में मदद करता है. ये मूड को अच्छा बनाता है. जिंक की कमी डिप्रेशन और तनाव का कारण बन सकती है. आप अपनी डाइट में जिंक से भरपूर फूड्स शामिल कर सकते हैं. आप डाइट में रेड मीट, फिश, पोल्ट्री और बीन्स शामिल कर सकते हैं. ये फूड्स तनाव को कम करते हैं.
अधिक पानी पिएं
भीषण गर्मी में डिहाइड्रेशन होना आम है. इस मौसम में पर्याप्त मात्रा में पानी पीना बहुत ही जरूरी है. पानी की कमी सिरदर्द और थकान का कारण बन सकती है. इसलिए इस कारण आपको थका हुए महसूस होता है. इसलिए इस मौसम में पर्याप्त मात्रा में पानी पिएं. पानी के अलावा पानी से भरपूर फूड्स और फल और सब्जियों के जूस का सेवन करें. इससे आप लंबे समय तक भरा हुआ महसूस करते हैं. इससे आपको थकान भी नहीं होती है. -
केला स्वास्थ्य के लिए बहुत फायदेमंद माना जाता है। इसमें संपूर्ण पोषक तत्व होते हैं जो हमारे शरीर को ताकत और भरपूर न्यूट्रिशन देते हैं। यही कारण है कि जिम जाने वाले लोग ज्यादातर केला खाना पसंद करते हैं। लेकिन क्या आप जानते हैं कि केला आपके बालों की खूबसूरती बढ़ाने के काम भी आ सकता है। केले से बनाए गए मास्क को बालों में लगाना बहुत गुणकारी होता है। केले में कैल्शियम, आयरन और पोटैशियम भरपूर मात्रा में होता है और ये सभी बालों के विकास के लिए अच्छे माने जाते हैं। आखिर लंबे, काले-घने और रेशमी बाल किस लड़की की चाह नहीं होती। ऐसे में केला आपके लिए फायदेमंद साबित हो सकता है। आइए जान लेते हैं बालों के लिए केले को किस तरह से इस्तेमाल किया जा सकता है।
केले से बनाएं हेयर मास्क -
1. केला और सरसों का तेल - केले और सरसों के तेल का पैक तैयार करने के लिए 1 केला लें और इसे अच्छी तरह से मैश कर लें। अब इसमें कुछ बूंदें सरसों तेल की मिलाकर इसे बालों में लगाएं और लगभग आधा घंटे तक छोड़ दें। उसके बाद शैंपू से बालों को धो लें।
2. केला और एवोकाडो - बालों को चमकदार और मुलायम बनाने के लिए केला और एवोकाडो का मास्क लगा सकते हैं। इसके लिए केले को मैश कर लें और इसमें एवोकाडो का पेस्ट मिलाएं और लगभग 20 मिनट तक बालों में लगा छोड़ दें।
3. केला और अंडा - सबसे पहले एक अंडा फोड़ लें और उसमें केला मैश करके डालें। अब इसमें 4-5 चम्मच दूध और शहद की कुछ बूंदें डालकर अच्छे से मिला लें। अब इस पैक को बालों की जड़ो में लगा लें और कुछ देर तक लगाकर छोड़ दें। बाद में शैंपू से बालों को धो लें।
4. केला और दही - केले को मैश कर उसमें दही मिलाएं और बालों में लगाकर छोड़ दें। बाद में बालों को शैंपू से धो लें और उनमें कंडीशनर भी लगा लें।
5. केला और पपीता - बालों को मुलायम बनाने के लिए आप केले और पपीते का पैक बनाकर लगा सकती हैं। केले को अच्छे से मैश कर लें और साथ ही पपीते को भी। इसका महीन पेस्ट बनाने के लिए इसे मिक्सी में भी चला सकते हैं। अब इस मिश्रण में शहद की कुछ बूंदें मिलाकर बालों में लगाएं। -
बालों का झड़ना और स्कैल्प की खुजली किसी को पसंद नहीं होती है. बालों संबंधित समस्याओं से निपटने के लिए लोग बहुत से तरीके आजमाते हैं. ऐसे में लोग महंगे ब्यूटी प्रोडक्ट्स का इस्तेमाल करते हैं. हेयर ट्रीटमेंट लेते हैं. इनका असर बालों में लंबे समय तक नहीं रहता है. ऐसे में हेल्दी फूड्स भी एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं. हेल्दी फूड्स बालों को गहराई से पोषण देने का काम करते हैं. लंबे और स्वस्थ बालों के लिए आप कई तरह के हेल्दी फूड्स डाइट शामिल कर सकते हैं. आइए जानें आपको कौन से फूड्स डाइट में शामिल करने चाहिए.
अंडा
रोजाना एक अंडे का नियमित रूप से सेवन करें. अंडे में प्रोटीन औ बायोटीन होता है. ये बालों को बढ़ाने का काम करता है. ये बालों को लंबा और घना बनाने में मदद करता है. इसलिए हेल्दी बालों के लिए आप अंडे का सेवन कर सकते हैं.
पालक
पालक में आयरन, विटामिन्स और फॉलेट होता है. ये बालों को गहराई से पोषण देता है. ये बालों को हेल्दी बनाए रखने का काम करता है. इसका सेवन करने से सिर में ब्लड सर्कुलेशन में सुधार होता है. ये बालों को लंबा और घना बनाने में मदद करता है.
सोयाबीन
सोयाबीन का सेवन बालों के लिए बहुत अच्छा होता है. इसका नियमित सेवन करने से बालों को मजूबत और घना बनाने में मदद मिलती है. सोयाबीन का सेवन आप कई तरह से कर सकते हैं. आप फ्राई करके या करी में शामिल कर सकते हैं. ये स्वादिष्ट होने के साथ बहुत ही हेल्दी भी होता है.
सूखे मेवे और बीज
सूखे मेवों का इस्तेमाल कई तरह डेजर्ट में किया जाता है. ये बहुत ही स्वदिष्ट और हेल्दी होते हैं. इनमें ओमेगा-3 होता है. आप अखरोट, बादाम, चिया सीड्स, कद्दू के बीज और लौकी के बीज आदि डाइट में शामिल कर सकते हैं. ये बालों को लंबा और घना बनाने में मदद करते हैं. इसलिए हेल्दी बालों के लिए इन्हें डाइट में जरूर शामिल करें.
एवोकैडो
एवोकैडो बालों संबंधित कई समस्याओं से बचाने का काम करता है. इसमें विटामिन ई भरपूर मात्रा में होता है. ये बालों को जड़ से मजबूत और घना बनाता है.
होल ग्रेन
होल ग्रेन बालों के लिए बहुत ही लाभदायक होता है. इसमें बायोटीन, आयरन, जिंक और विटामिन बी होता है. ये बालों को मजबूत बनाता है.
शकरकंद
शकरकंद में बीटा कैरोटीन होता है. इसमें विटामिन ए होता है. इसका सेवन करने से बालों को मजबूत बनाने में मदद मिलती है. शकरकंद बालों को घना बनाती है. -
गर्मियों के मौसम में आप स्किन को ग्लोइंग बनाने के लिए कितनी ही चीजों का इस्तेमाल करते हैं लेकिन कभी-कभी ऐसा होता है कि इन केमिकल बेस्ड प्रॉडक्ट्स का साइड इफेक्ट हो जाता है। खासतौर पर इंस्टेंट देने का प्रॉमिस करने वाले ज्यादातर प्रॉडक्ट्स में ब्लीच वाले केमिकल होते हैं, जो सब पर असर नहीं करते। इससे चेहरा क्लियर तो लगता है लेकिन कुछ ही दिनों में आपको पिम्पल्स होने लग जाते हैं। ऐसे में बहुत जरूरी है कि आप इंस्टेंट ग्लो के लिए नेचुरल चीजों का इस्तेमाल करें।
दही से फेशियल यानी यॉगर्ट फेशियल करने का तरीका --
क्लीनिंग
सबसे पहले दही से फेशियल करने के लिए चेहरे को किसी भी केमिकल फेसवॉश से क्लीन करें। इसके बाद एक चम्मच दही में आधा चम्मच एलोवेरा जेल मिला लें। अब इससे चेहरे पर 30 सेकंड तक मसाज करें। इसके बाद इसे नॉर्मल पानी से धो लें। आपको फेसवॉश का इस्तेमाल नहीं करना है।
स्क्रबिंग
दही से स्क्रबिंग करने के लिए आपको दो चम्मच दही में आधा चम्मच चावल का आटा मिलाना है। इसे अच्छी तरह मिलाकर चेहरे पर स्क्रबिंग करें। आपको हल्के हाथों से स्क्रबिंग करनी है। 2-3 मिनट तक स्क्रबिंग करने के बाद चेहरे को धो लें।
स्टीम लें
स्टीम लेने के लिए आप फेशियल स्टीमर का इस्तेमाल कर सकते हैं लेकिन अगर आपके पास स्टीमर नहीं है, तो आप एक पतीले में पानी उबाल लें। अब इसे किसी सेफ जगह रख दें। अब आपको एक तौलिया लेना है, इससे चेहरे को ढक दें और पानी की तरफ मुंह करके दो मिनट तक भाप लें। ध्यान रखें कि चेहरे को पतीले के ज्यादा पास न करें। यह तरीका थोड़ा रिस्की है, खासकर अगर आपके घर में बच्चे या पालतू जानवर हैं। ऐसे में आप एक तौलिए को गरम पानी में डालकर इसे निचोड़ लें और चेहरे पर रख लें।
अब मसाज करें
मसाज करने के लिए आपको पिसी आधा चम्मच चीनी में दो चम्मच दही डालकर चेहरे पर मसाज करना है। इससे आपकी स्किन से ब्लैकहेड्स और व्हाइटहेड्स रिमूव हो जाएंगे। अब चेहरे को पानी से धो लें।
फेस मास्क
अब फेस मास्क बनाने के लिए आपको चार चम्मच दही में एक चुटकी हल्दी, एलोवेरा जेल मिलाना है। इसे चेहरे पर 20 मिनट के लिए लगाकर धो दें। आपको चेहरा खिला-खिला लगेगा। - रायपुर । हमारी सेहत पर खान-पान और मौसम का बहुत ज्यादा प्रभाव पड़ता है। आयुर्वेद चिकित्सा पद्धति में शरीर को त्रिदोषात्मक यानि वात, पित्त और कफ दोष माना गया है जिनके सामान्य अवस्था में रहने से शरीर स्वस्थ रहता है तथा इनमें बदलाव होने से बीमारी होती है । शासकीय आयुर्वेद कॉलेज, रायपुर के सह-प्राध्यापक डॉ. संजय शुक्ला ने बताया कि गर्मियों में लू लगने के साथ ही दूषित जल या भोजन से पेट से संबंधित अनेक रोग जैसे उल्टी, दस्त, डायरिया, पीलिया और टायफाइड होने की संभावना रहती है। इसलिए बाजार में खुले में बिकने वाले पेय एवं खाद्य पदार्थों के सेवन में परहेज करना चाहिए । गर्मियों के मौसम में गरम, खटाई, तीखा, नमकीन, तला-भुना, तेज मिर्च-मसालेदार, उड़द दाल, मैदा और बेसन से बने खाद्य पदार्थों, फास्ट-फूड, मांसाहार और शराब का सेवन सेहत के लिए नुकसानदायक होता है। इसलिए इनका परहेज करना चाहिए। इस मौसम में शारीरिक स्वच्छता आवश्यक है, इसलिए सुबह और शाम ठंडे पानी से स्नान करना चाहिए।डॉ. संजय शुक्ला ने बताया कि आयुर्वेद के अनुसार ग्रीष्म ऋतु में शरीर में पित्त दोष की अधिकता रहती है इसलिए व्यक्ति को पित्तशामक आहार और अनुशासित दिनचर्या का पालन करना चाहिए। चूंकि गर्मियों में सूर्य की तपिश बहुत ज्यादा होती है, फलस्वरूप लोगों में डिहाइड्रेशन, थकान, घबराहट और बेहोशी जैसे लक्षण दिखाई देते हैं। शरीर में पानी एवं अन्य इलेक्ट्रोलाइट्स मिनरल्स की मात्रा संतुलित रखने के लिए आयुर्वेद में हल्का, सुपाच्य, मधुर रस वाले स्वच्छ ठंडा या उबाले हुए तरल पेय पदार्थों के सेवन करने का निर्देश है। गर्मियों में पीसा जीरा और नमक मिलाकर मठा यानि छाछ, दही की लस्सी, दूध, कच्चे आम का जलजीरा, नींबू की शिकंजी या शरबत, घर में बनी ठंडाई, गन्ने का रस, बेल का शरबत, नारियल पानी, मौसमी एवं ताजे फलों का रस इत्यादि पीना चाहिए। गर्मियों के समय भोजन में पुराने जौ, पुराने चांवल, खिचड़ी, मूंग की दाल, गेहूं की रोटी, सत्तू, रायता, सब्जियों में चौलाई, करेला, बथुआ, मुनगा, परवल, भिंडी, तरोई, पुदीना, टमाटर, खीरा, ककड़ी, अदरक, प्याज, आंवला का मुरब्बा इत्यादि को शामिल करना चाहिए। इसके अलावा तरबूज, खरबूज, मौसंबी, संतरा, अनार, शहतूत, आंवला इत्यादि का प्रयोग हितकारी है। डॉ. शुक्ला ने बताया कि गर्मियों के मौसम में सूर्योदय से पहले पैदल चलना, हल्का व्यायाम, योगाभ्यास और तैराकी इत्यादि करना चाहिए। चूंकि इस मौसम में लू (तेज बुखार) लगने की ज्यादा संभावना रहती है, इसलिए यथासंभव ठंडी जगह पर रहना चाहिए तथा धूप में निकलने के पहले संतुलित और सुपाच्य भोजन तथा पर्याप्त पानी का सेवन जरूर करना चाहिए। गर्म लू से बचाव के लिए शरीर, सिर, कान आदि को सूती कपड़े से ढांक लें। सूर्य की तेज किरणों के कारण चेहरे और शरीर में सन-बर्न होने तथा त्वचा से संबंधित अन्य रोग होने का खतरा होता है।
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छाछ का इस्तेमाल कई तरह के व्यंजनों को बनाने के लिए किया जाता है. ये स्वास्थ्य के लिए बहुत अच्छा होता है. गर्मियों में छाछ का सेवन लोकप्रिय रूप से किया जाता है. ये शरीर को हाइड्रेटेड रखने का काम करता है. ये शरीर को ठंडक पहुंचाता है. छाछ न केवल स्वास्थ्य के लिए बल्कि त्वचा और बालों के लिए भी फायदेमंद है. बालों को पोषण देने और त्वचा को हेल्दी बनाए रखने के लिए आप कई तरह से इसका इस्तेमाल कर सकते हैं. इसमें लैक्टिक एसिड, विटामिन ए, डी और बी 12, अल्फा हाइड्रॉक्सी एसिड, कैल्शियम, प्रोटीन और पोटैशियम जैसे पोषक तत्व होते हैं. ये त्वचा संबंधित कई समस्याओं को दूर करने का काम करता है.
छाछ और बेसन का फेस पैक
छाछ का इस्तेमाल आप एक बेहतरीन फेस पैक के रूप में कर सकते हैं. इसके लिए छाछ, बेसन, खीरे का रस और हल्दी पाउडर को मिलाकर एक फेस पैक बना लें. इसे चेहरे पर 15 मिनट के लिए लगा रहने दें. इसके बाद त्वचा को सादे पानी से धो लें.
छाछ और संतरे के पाउडर का फेस पैक
इस फेस पैक को बनाने के लिए बाउल में 1 चम्मच संतरे के पाउडर को लें. इसमें 3 से 5 चम्मच छाछ डाल दें. इसे अच्छी तरह मिलाएं. इस फेस पैक को चेहरे और गर्दन पर लगाएं. इसे त्वचा पर कुछ देर के लिए लगा रहने दें. इसके बाद त्वचा को सादे पानी से धो लें. ये फेस पैक दाग-धब्बों को दूर करने में मदद करता है. आप संतरे का पाउडर बनाने के लिए संतरे के छिलकों को धूप में सूखा कर ग्राइंड कर सकते हैं.
छाछ और शहद का फेस पैक
इस फेस पैक को बनाने के लिए 1 चम्मच छाछ में 1 चम्मच शहद मिलाएं. इसे अच्छे से मिलाएं. इस फेस पैक को त्वचा पर लगाएं. इसे त्वचा पर 20 से 30 मिनट के लिए लगा रहने दें. इसके बाद त्वचा को सादे पानी से धो लें. ये फेस पैक त्वचा पर निखार लाने का काम करता है.
सनटैन हटाने के लिए
एक कोटरी में 1 चम्मच बेसन, एक चुटकी हल्दी पाउडर और 3 चम्मच छाछ मिलाएं. इस फेस पैक को त्वचा पर 15 मिनट के लिए लगा रहने दें. इसके बाद इसे सादे पानी से धो लें.
बालों की डैंड्रफ दूर करने के लिए छाछ
बालों की रूसी दूर करने के लिए भी आप छाछ का इस्तेमाल कर सकते हैं. एक कप छाछ में 2 नींबू का रस मिलाएं. इसे अच्छे से मिलाएं. अब इस मिश्रण से बालों और बालों की जड़ों में मसाज करें. इस मिश्रण के 30 मिनट के लिए लगा रहने दें. इसके बाद बालों को माइल्ड शैंपू से धो लें. - आज के समय में असंतुलित खानपान और भागदौड़ भरी जीवनशैली के कारण दिल से जुड़ी बीमारियां लोगों में तेजी से बढ़ रही हैं। हार्ट से जुड़ी बीमारियों के लक्षण दिखने पर सही कदम उठाने से आप इसके जोखिम को कम कर सकते हैं। कई बार लोगों को सीने में दर्द, सांस लेने में तकलीफ जैसी समस्याएं होती हैं लेकिन लोग इसे सामान्य समझकर अनदेखा कर देते हैं। ऐसा करना सेहत के लिए खतरनाक हो सकता है। कई मामलों में हार्ट अटैक की समस्या हार्ट ब्लॉकेज के कारण ही होती है। सही समय पर हार्ट ब्लॉकेज के लक्षणों को पहचानकर इलाज और बचाव बहुत जरूरी है।हार्ट में ब्लॉकेज के लक्षणविशेषज्ञों के अनुसार इस समस्या को एट्रियोवेंट्रिकुलर ब्लॉक या कंडक्शन डिसऑर्डर भी कहा जाता है। इस समस्या में दिल की धड़कन कम हो जाती है और हार्ट शरीर में सही ढंग से ब्लड पंप नहीं कर पाता है। हार्ट ब्लॉकेज के लक्षण दिखने पर मरीज को तुरंत डॉक्टर से संपर्क कर जरूरी इलाज लेना चाहिए। अगर इस समस्या को नजरंदाज किया गया तो आगे चलकर मरीज की समस्याएं बढ़ सकती हैं और उसे हार्ट अटैक, हार्ट फेलियर की समस्या का खतरा बढ़ जाता है। हार्ट में ब्लॉकेज की समस्या 3 चरणों में होती है। पहले चरण में मरीज को कोई खास लक्षण नहीं दिखता है लेकिन दूसरे और तीसरे चरण में पहुंचने पर लक्षण भी बढ़ जाते हैं। हार्ट में ब्लॉकेज होने पर दिखने वाले कुछ प्रमुख लक्षण इस प्रकार से हैं।1. बेहोशी, चक्कर आना और शरीर घूमना।2. अत्यधिक थकान और कमजोरी।3. सीने में दर्द (शुरुआत में हल्का दर्द लेकिन समय के साथ दर्द बढऩा)।4. सांस लेने में तकलीफ या तेजी से सांस चलना।5. दिल की धड़कन अनियमित होना।6. दौडऩे या एक्सरसाइज करने में परेशानी।7. मतली और उल्टी की समस्या।हार्ट ब्लॉकेज से बचाव के टिप्सहार्ट ब्लॉकेज की समस्या से बचाव के लिए आपको इन बातों का ध्यान जरूर रखना चाहिए।-शरीर में कोलेस्ट्रॉल का स्तर न बढऩे दें।-खानपान संतुलित और पौष्टिक रखें।-नियमित रूप से व्यायाम करें।-सही समय पर भोजन करें और अच्छी नींद लें।-शराब का सेवन करने से बचें।-हार्ट के बीमारियों से बचने के लिए स्मोकिंग करने से बचें।--------
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आधुनिक जीवनशैली और अनियमित दिनचर्या व खानपान के कारण एक बड़ी आबादी जीवनशैली से जुड़ी बीमारियों जैसे मधुमेह, उच्च रक्तचाप, हृदय रोग और कैंसर जैसे रोगों से जूझ रहा है। आश्चर्यजनक तौर पर अब यह रोग किशोरों और युवाओं को भी अपनी चपेट में ले रहा है। जीवनशैली से जुड़े इन रोगों के लिए मुख्यतौर पर अनुवांशिक और खानपान से जुड़ी आदतें व अनियमित दिनचर्या जिम्मेदार हैं। आमतौर पर लोगों में वसा युक्त भोजन, फास्ट फूड, मांसाहार, शराब और धूम्रपान का सेवन बढ़ रहा है, जिसके शौकीन ज्यादातर किशोर और युवा भी हैं। इसके अलावा फसलों में कीटनाशकों का अधिकाधिक उपयोग, प्रदूषण और शारीरिक श्रम या व्यायाम का आभाव, मोटापा भी इन रोगों के मरीजों की संख्या बढ़ा रहा है। शासकीय आयुर्वेद कॉलेज रायपुर के सह-प्राध्यापक डॉ. संजय शुक्ला ने बताया कि जीवनशैली से जुड़े रोगों से बचाव संयमित दिनचर्या और संतुलित खानपान से ही हो सकता है। आज की पीढ़ी खानपान और दिनचर्या के प्रति लगातार लापरवाही बरत रहे हैं फलस्वरूप कम उम्र में ही लोग उच्च रक्तचाप, मधुमेह और हृदय रोगों का शिकार हो रहे हैं। युवाओं में इन बीमारियों का प्रमुख कारण मोटापा भी है जो जंक फूड, डिब्बाबंद खाद्य पदार्थों, कोल्ड ड्रिंक्स, शराब और मांसाहार के कारण बढ़ रहा है। किशोर और युवा लगातार इलेक्ट्रॉनिक गैजेट्स के गिरफ्त में रहते हैं फलस्वरूप वे रात में देर तक जगते हैं, जिसका प्रभाव उनके मानसिक स्वास्थ्य पर भी पड़ता है।
शोध से यह पता चला है कि मानसिक स्वास्थ्य का असर सीधे तौर पर इन जीवनशैली से जुड़ी बीमारियों में होता है। इन रोगों के उपचार के लिए आजीवन दवाईयां और चिकित्सक के परामर्श में रहने तथा नियंत्रित खानपान और संयमित दिनचर्या अपनाने की जरूरत होती है। आमतौर पर यह देखा जाता है कि उच्च रक्तचाप, मधुमेह और हृदय रोगों के मरीज बिना चिकित्सक के परामर्श के दवाईयां बंद कर देते हैं, फलस्वरूप उन्हें आपात स्थितियों का सामना करना पड़ता है। कई बार यह लापरवाही जानलेवा साबित होती है। लोगों को यह जागरूक होने की जरूरत है कि उपरोक्त बीमारियां जड़ से खत्म नहीं होती, बल्कि दवाओं, संतुलित खानपान और नियमित व्यायाम व योग के द्वारा नियंत्रित होती है अतएव सावधानी बरतें।डॉ. संजय शुक्ला ने बताया कि चूंकि ये बीमारियां मनो-दैहिक यानि शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य से जुड़ी हैं, इसलिए इन रोगों के बचाव में आयुर्वेद और योग कारगर हैं। इस पद्धति में विभिन्न ऋतुओं के लिए खानपान और दिनचर्या निर्धारित है, जिसको अपनाने तथा पंचकर्म, रसायन चिकित्सा, आचार रसायन, नियमित व्यायाम, योग व ध्यान के द्वारा जीवनशैली गत रोगों से बचाव संभव है। मधुमेह, उच्च रक्तचाप और हृदय रोगों के बचाव के लिए शाकाहारी भोजन जिसमें मिश्रित अनाज की रोटी, अरहर या मूंग की दाल, कोदो या ब्राउन चावल, करेला, सहजन यानि मुनगा, तरोई, हरी तरकारी, करी पत्ते, अदरक, मेथी, लहसुन, गुणमार, जामुन, आंवला इत्यादि का सेवन करना चाहिए तथा वसायुक्त खाद्य पदार्थ, जंकफूड, कोल्डड्रिंक्स, मांसाहार, मद्मपान और धूम्रपान का परहेज आवश्यक है। इसके अलावा शक्कर और नमक का संतुलित मात्रा में उपयोग करना चाहिए। आयुर्वेद चिकित्सा पद्धति में इन रोगों के बचाव और नियंत्रण के लिए अनेक प्रकार के रसायन और औषधियां भी उपलब्ध है जिसका प्रयोग आयुर्वेद चिकित्सा विशेषज्ञों के मार्गदर्शन एवं परामर्श में किया जाना चाहिए। - स्वस्थ शरीर और सेहतमंद मस्तिष्क के लिए योगासन बहुत फायदेमंद होता है। योग से कई तरह की शारीरिक और मानसिक समस्याएं दूर की जा सकती हैं। योग इम्युनिटी मजबूत कर सर्दी, जुकाम आदि से राहत दिलाने के साथ ही बड़ी से बड़ी बीमारियों में भी असरदार होता है। योगासन का गलत तरीके से अभ्यास या योग से पहले और बाद की गतिविधियों की सही जानकारी न होने से शरीर पर योग का असर उल्टा भी हो सकता है। कई लोग योगा तो करते हैं लेकिन वह फिर भी रोगग्रस्त हो जाते हैं। इसकी एक वजह योग को सही तरीके से न करना है।योग के बाद पानी न पिएंयोगाभ्यास के तुरंत बाद पानी नहीं पीना चाहिए। योग के बाद पानी पीने से गले में कफ की समस्या हो जाती है। ऐसे में योग करने के बाद कुछ देर इंतज़ार करने का बाद ही पानी पिएं।योग के बाद तुरंत नहाएं नहींयोग करने से शरीर की बहुत सी ऊर्जा खर्च हो जाती है और शरीर का तापमान बढ़ जाता है। इसलिए योगाभ्यास के तुरंत बाद नहाना नहीं चाहिए, इससे सर्दी-जुकाम जैसी बीमारियां हो सकती हैं।योग के बाद तुरंत कुछ खाएं नहींयोग करने के तुरंत बाद खाना नहीं खाना चाहिए। योगासन के अभ्यास के कम से कम आधे घंटे बाद ही कुछ खाएं। ध्यान रखें कि हैवी डाइट न लेकर हल्का खाना ही खाएं। योगासन से पहले भी भोजन नहीं करना चाहिए। इससे अपच की समस्या हो सकती है।बीमारी में योग न करेंनियमित योगाभ्यास करते हैं लेकिन कभी बीमार हो जाएं तो योग न करें। ये आपके सेहत के लिए नुकसानदायक हो सकता है। बीमारी में शरीर कमजोर और थकावट रहती है। योगासन करने से ऊर्जा खर्च होती हैं। ऐसे में इस स्थिति में योग न करें। डॉक्टरी सलाह के बाद योग करने की अनुमति पर अभ्यास कर सकते हैं।




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