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नई दिल्ली। अमेरिकी राष्ट्रपति डॉनल्ड ट्रंप ने सोमवार को बड़ा ऐलान किया। उन्होंने अपने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ट्रुथ सोशल पर लिखा कि अब विदेशों में बनी हर फिल्म पर 100 फीसदी टैरिफ लगेगा। उनका कहना है कि दूसरे देशों ने अमेरिका का मूवी-मेकिंग बिजनेस चुरा लिया है, जो कि बच्चे के हाथ से कैंडी छीनने जैसा है। ट्रंप ने इस पोस्ट में कैलिफोर्निया को खास तौर पर निशाना बनाया। उन्होंने वहां के गवर्नर को कमजोर और नाकाम बताया।
ट्रंप ने दावा किया कि उनका मकसद है कि अमेरिका में फिर से फिल्में बनें, जिससे जॉब्स बढ़ें और इंडस्ट्री मजबूत हो।हॉलीवुड का बुरा हाल, विदेशी ऑफर्स का असरट्रंप ने दावा किया कि उनका मकसद अमेरिका में फिर से फिल्मों का निर्माण कराना है, ताकि रोजगार बढ़े और इंडस्ट्री मजबूत हो।उन्होंने मई में भी हॉलीवुड की हालत पर चिंता जताई थी। उस समय कहा था कि अमेरिकी मूवी इंडस्ट्री “बहुत तेजी से मर रही है”, क्योंकि विदेशी देश टैक्स छूट और कैश रिबेट देकर अमेरिकी फिल्ममेकर्स को आकर्षित कर रहे हैं। ट्रंप ने इसे राष्ट्रीय सुरक्षा का मुद्दा बताते हुए कहा था कि यह “प्रोपेगैंडा का हिस्सा” है। तब उन्होंने वाणिज्य विभाग जैसी अमेरिकी एजेंसियों को टैरिफ लागू करने का अधिकार देने की बात कही थी।फर्नीचर इंडस्ट्री का भी बुरा हाल: ट्रंपइसके साथ ही ट्रंप ने कहा कि उत्तरी कैरोलिना की फर्नीचर इंडस्ट्री भी बुरे दौर से गुजर रही है। उन्होने ट्रुथ सोशल पर लिखा कि उत्तरी कैरोलिना का फर्नीचर इंडस्ट्री पूरी तरह खत्म हो गया है। चीन और कुछ अन्य देशों ने अमेरिकी व्यापारियों से यह उद्योग छीन लिया है। इसलिए जो भी देश अमेरिका में फर्नीचर नहीं बनाएगा उसके सामान पर भारी टैरिफ लगाया जाएगा। ट्रंप ने यह भी कहा कि इस बारे में और डिटेल बाद में शेयर किए जाएंगे। -
काठमांडू. 'जेन-जेड' विरोध प्रदर्शनों के दौरान नेपाल की विभिन्न जेलों से भागे 7,700 से अधिक कैदी या तो वापस लौट आए हैं या उन्हें उनके संबंधित हिरासत केंद्रों में वापस लाया गया है। प्राधिकारियों ने रविवार को यह जानकारी दी। जेल प्रबंधन विभाग के अधिकारियों के अनुसार, आठ और नौ सितंबर को 'जेन-जेड' विरोध प्रदर्शनों के दौरान, देश भर के हिरासत केंद्रों से कुल 14,558 कैदी भाग गए थे। सुरक्षा बलों के साथ झड़प के दौरान दस कैदियों की मौत हो गई है, जबकि 7,735 कैदी जेलों में लौट आए हैं। कुछ कैदी स्वेच्छा से वापस लौट आये हैं, जबकि अन्य को सुरक्षा बलों ने गिरफ्तार कर लिया है।
हालांकि, विभिन्न जेलों से 6,813 कैदी अभी भी फरार हैं। सरकार ने फरार कैदियों की गिरफ्तारी के लिए अभियान शुरू कर दिया है। -
संयुक्त राष्ट्र.विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने कहा कि भारत अपने विकल्प का चुनाव करने की स्वतंत्रता हमेशा कायम रखेगा और यह समकालीन विश्व में तीन प्रमुख सिद्धांत 'आत्मनिर्भरता', 'आत्मरक्षा' और 'आत्मविश्वास पर आगे बढ़ रहा है। जयशंकर ने शनिवार को संयुक्त राष्ट्र महासभा के 80वें उच्चस्तरीय सत्र को संबोधित करते हुए कहा, ‘‘भारत के लोगों की ओर से नमस्कार।'' वैश्विक नेताओं को संबोधित करते हुए उन्होंने कहा कि भारत समकालीन विश्व में तीन प्रमुख सिद्धांत 'आत्मनिर्भरता', 'आत्मरक्षा' और 'आत्मविश्वास- के सिद्धांत पर आगे बढ़ रहा है। विदेश मंत्री ने कहा कि 'आत्मनिर्भरता' का अर्थ है, ‘‘अपनी क्षमताएं बढ़ाना, अपनी ताकत बढ़ाना और अपनी प्रतिभा को आगे बढ़ने देना।'' उन्होंने कहा, ‘‘चाहे विनिर्माण क्षेत्र में हो, अंतरिक्ष कार्यक्रमों में हो, दवाइयों के उत्पादन में हो या डिजिटल अनुप्रयोगों में हो, हम इसके परिणाम देख ही रहे हैं। भारत में निर्माण और नवाचार से विश्व को भी लाभ होता है।'' जयशंकर ने ‘आत्मरक्षा' पर विस्तार से बात करते हुए कहा कि भारत अपने लोगों की रक्षा और देश व विदेश में उनके हितों को सुरक्षित रखने के लिए प्रतिबद्ध है। उन्होंने कहा, ‘‘ इसका मतलब आतंकवाद को कतई बर्दाश्त नहीं करना , हमारी सीमाओं की मजबूत सुरक्षा, विभिन्न देशों के साथ साझेदारी कायम करना और विदेश में अपने समुदाय की सहायता करना है।'' उन्होंने कहा कि ‘आत्मविश्वास' का तात्पर्य है कि सबसे अधिक आबादी वाले देश, और तेजी से बढ़ती प्रमुख अर्थव्यवस्था के रूप में, ‘‘हमें पता हो कि फिलहाल हम कहां है और भविष्य में हमें कहां होना है। भारत अपने विकल्प का चुनाव करने की स्वतंत्रता हमेशा कायम रखेगा और हमेशा ग्लोबल साउथ की आवाज बना रहेगा।'' जयशंकर ने कहा कि ऐसे समय में जब यूक्रेन और पश्चिम एशिया में दो अहम संघर्ष जारी हैं तो यह प्रश्न अवश्य पूछा जाना चाहिए कि क्या संयुक्त राष्ट्र अपेक्षाओं पर खरा उतरा है। उन्होंने कहा, "हममें से प्रत्येक के पास शांति और समृद्धि में योगदान देने का अवसर है। संघर्षों के मामले में, विशेष रूप से यूक्रेन और गाजा में यहां तक कि उन देशों ने भी संघर्ष का प्रभाव महसूस किया है जो सीधे तौर पर इसमें शामिल नहीं हैं।'' विदेश मंत्री ने कहा, ‘‘जो राष्ट्र सभी पक्षों के साथ तालमेल बिठा सकते हैं उन्हें समाधान खोजने के लिए आगे आना चाहिए। भारत शत्रुता समाप्त करने का आह्वान करता है और शांति बहाल करने में मदद करने वाली किसी भी पहल का समर्थन करेगा।'' उन्होंने कहा कि ऊर्जा और खाद्य सुरक्षा, विशेष रूप से 2022 के बाद से संघर्ष और व्यवधान की सबसे अधिक शिकार रही हैं। जयशंकर ने व्यापार के मुद्दे पर भी अपने विचार रखे। उन्होंने कहा, अब हम शुल्क में अस्थिरता और अनिश्चित बाज़ार का सामना कर रहे हैं। परिणामस्वरूप, जोखिम से बचना अहम होता जा रहा है, चाहे वह आपूर्ति के सीमित स्रोतों से हो या किसी खास बाजार पर अत्यधिक निर्भरता से।'' उनकी यह टिप्पणी दुनिया भर के देशों पर अमेरिका द्वारा शुल्क लगाए जाने की पृष्ठभूमि में आई है। ट्रंप प्रशासन ने भारत पर 50 प्रतिशत शुल्क लगाया है, जिसमें 25 प्रतिशत शुल्क रूस से तेल की खरीद पर लगाया गया है।
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आइजोल. मिजोरम की सबसे बुजुर्ग महिला लालनेइहसांगी का वृद्धावस्था संबंधी बीमारियों के कारण यहां एक अस्पताल में निधन हो गया। वह 108 वर्ष की थीं। उनके परिवार ने यह जानकारी दी। महिला के परिवार ने बताया कि शनिवार शाम करीब सात बजकर 55 मिनट पर आइज़ोल के ‘एबेनेजर मेडिकल सेंटर' में उनका निधन हो गया। अंतिम संस्कार रविवार अपराह्न करीब एक बजे आइजोल के खटला मोहल्ले में उनके आवास पर किया जाएगा। लालनेइहसांगी को स्थानीय लोग प्यार से ‘पी बुआंगी' कहते थे। उन्हें 13 सितंबर को समाज कल्याण मंत्री लालरिनपुई ने मिजोरम की सबसे बुजुर्ग महिला घोषित किया था। आइजोल के वेंघलुई इलाके में जन्मी और पली-बढ़ी लालनेइहसांगी 14 अप्रैल को 108 वर्ष की हो गईं।
उन्होंने कोलकाता के बेहाला गर्ल्स होम में काम किया था, जिसके कारण उन्होंने पुनर्वास केंद्र में काम करने वाली मिजो समुदाय की पहली महिला होने का गौरव हासिल किया। समाज में उनके योगदान के लिए उन्हें 2022 में ‘वुमेन ऑफ सब्सटेंस' पुरस्कार से सम्मानित किया . - वॉशिंगटन। अमेरिका और कोलंबिया के बीच तनाव उस समय और बढ़ गया, जब अमेरिकी विदेश विभाग ने घोषणा की कि वह लैटिन अमेरिकी देश कोलंबिया के राष्ट्रपति गुस्तावो पेत्रो का वीज़ा रद्द कर रहा है। यह फैसला न्यूयॉर्क में हुए एक प्रदर्शन के बाद लिया गया, जिसमें पेत्रो ने अमेरिकी सैनिकों से राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के आदेश को न मानने की अपील की थी। विदेश विभाग ने सोशल मीडिया पर कहा, “हम पेत्रो का वीज़ा उनके लापरवाह और भड़काऊ कृत्यों के कारण रद्द करेंगे।” पेत्रो संयुक्त राष्ट्र महासभा के वार्षिक अधिवेशन में भाग लेने के लिए आए थे। शुक्रवार को गाज़ा युद्ध के खिलाफ पास में आयोजित एक प्रदर्शन के दौरान उन्होंने कहा, “मैं अमेरिका की सेना के सभी सैनिकों से कहता हूं, अपनी बंदूकें मानवता पर न तानो” और ट्रंप के आदेशों की अवज्ञा करो।” यह स्पष्ट नहीं है कि इस फैसले के चलते पेत्रो को अमेरिका से अपेक्षित समय से पहले लौटना पड़ा या नहीं। विदेश विभाग ने यह भी स्पष्ट नहीं किया कि वीज़ा रद्द होने से उनकी भविष्य की यात्राओं पर असर पड़ेगा या नहीं।
- वाशिंगटन,। अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने शनिवार को कहा कि वह ओरेगॉन के पोर्टलैंड शहर में सेना भेजेंगे, तथा ‘‘घरेलू आतंकवादियों'' से निपटने में जरूरत पड़ने पर इसके इस्तेमाल की अनुमति देंगे। उन्होंने सोशल मीडिया पर लिखा कि वह रक्षा विभाग को निर्देश दे रहे हैं कि वह ‘‘युद्धग्रस्त पोर्टलैंड की रक्षा के लिए आवश्यकतानुसार सैनिक उपलब्ध कराए।'' ट्रंप ने कहा कि यह निर्णय अमेरिकी आव्रजन और सीमा शुल्क प्रवर्तन संस्थानों की सुरक्षा के लिए आवश्यक था, जिसे उन्होंने ‘‘एंटीफा और अन्य घरेलू आतंकवादियों के निशाने पर'' बताया। रूढ़िवादी कार्यकर्ता चार्ली किर्क की हत्या के बाद से, राष्ट्रपति ट्रंप ने ‘रैडिकल लेफ्ट'' का सामना करने के अपने प्रयासों को तेज कर दिया है, जिसे वे देश की राजनीतिक हिंसा की समस्याओं के लिए जिम्मेदार मानते हैं। उन्होंने गर्मियों में लॉस एंजिलिस में नेशनल गार्ड और सक्रिय-ड्यूटी वाली मरीन को तैनात किया था।पोर्टलैंड स्थित आव्रजन एवं सीमा शुल्क प्रवर्तन (आईसीई) केंद्र लगातार प्रदर्शनों का निशाना रहा है, जिससे कई बार हिंसक झड़पें भी हुईं। कुछ संघीय एजेंट घायल हुए हैं और कई प्रदर्शनकारियों पर हमले का आरोप लगाया गया है। वहीं टेनेसी में मेमफिस, नेशनल गार्ड सैनिकों की संख्या बढ़ाने के लिए तैयारी कर रहा है और शुक्रवार को रिपब्लिकन गवर्नर बिल ली ने कहा कि ये शहर में अपराध का मुकाबला करने में योगदान देंगे।
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संयुक्त राष्ट्र.विदेश मंत्री एस जयशंकर ने बृहस्पतिवार को कहा कि आतंकवाद विकास के लिए "लगातार खतरा" बना हुआ है। उन्होंने इस बात पर ज़ोर दिया कि दुनिया को आतंकवादी गतिविधियों के प्रति न तो सहिष्णुता दिखानी चाहिए और न ही उन्हें सहयोग देना चाहिए। यहां जी-20 विदेश मंत्रियों की बैठक को संबोधित करते हुए जयशंकर ने कहा कि जो देश किसी भी मोर्चे पर आतंकवादियों के खिलाफ कार्रवाई करते हैं, वे "समग्र रूप से अंतरराष्ट्रीय समुदाय की बड़ी सेवा" करते हैं। अंतरराष्ट्रीय शांति और वैश्विक विकास के बीच संबंधों पर बोलते हुए उन्होंने कहा कि हाल के दिनों में दोनों में गिरावट आई है। उन्होंने कहा, "विकास के लिए एक निरंतर खतरा आतंकवाद है जो शांति में बाधा डालने वाला है।" उन्होंने कहा, "यह जरूरी है कि दुनिया आतंकवादी गतिविधियों के प्रति न तो सहिष्णुता दिखाए और न ही उन्हें सहयोग दे।" जयशंकर ने कहा कि जैसे-जैसे दुनिया संघर्ष, आर्थिक दबाव और आतंकवाद का सामना कर रही है, बहुपक्षवाद और संयुक्त राष्ट्र की सीमाएं स्पष्ट दिखाई दे रही हैं। उन्होंने कहा, "बहुपक्षवाद में सुधार की आवश्यकता पहले कभी इतनी अधिक नहीं थी।" उन्होंने कहा कि आज अंतराष्ट्रीय हालात राजनीतिक और आर्थिक दोनों ही दृष्टि से अस्थिर है। जयशंकर ने कहा, "जी-20 के सदस्य के रूप में हमारी विशेष जिम्मेदारी है कि हम इसकी स्थिरता को मजबूत करें तथा इसे अधिक सकारात्मक दिशा प्रदान करें, जो कि वार्ता और कूटनीति के माध्यम से आतंकवाद का दृढ़तापूर्वक मुकाबला करके तथा मजबूत ऊर्जा एवं आर्थिक सुरक्षा की आवश्यकता को समझकर सर्वोत्तम ढंग से किया जा सकता है।"
- काठमांडू. नेपाल की प्रधानमंत्री सुशीला कार्की ने मंगलवार को निर्वाचन आयोग के अधिकारियों के साथ आम चुनाव की तैयारियों पर चर्चा की। कार्की (73) के 12 सितंबर को नेपाल का प्रधानमंत्री बनने के साथ देश में जारी राजनीतिक अनिश्चितता का दौर खत्म हो गया। भ्रष्टाचार और सोशल मीडिया पर प्रतिबंध के मुद्दे को लेकर युवाओं के नेतृत्व में अपनी सरकार के खिलाफ प्रदर्शनों के बाद केपी शर्मा ओली को प्रधानमंत्री पद से हटना पड़ा था। राष्ट्रपति रामचंद्र पौडेल ने प्रधानमंत्री कार्की की सिफारिश पर प्रतिनिधि सभा को भंग कर दिया और नए चुनाव कराने के लिए पांच मार्च की तारीख की घोषणा की। अधिकारियों के अनुसार, सिंह दरबार स्थित प्रधानमंत्री कार्यालय में हुई बैठक के दौरान प्रधानमंत्री कार्की और कार्यवाहक मुख्य निर्वाचन आयुक्त राम प्रसाद भंडारी के नेतृत्व में एक प्रतिनिधिमंडल ने आवश्यक कानूनी संशोधनों, चुनाव प्रबंधन, संसाधन जुटाने और अन्य संबंधित मुद्दों पर विचारों का आदान-प्रदान किया। बैठक में शामिल कानून मंत्री अनिल कुमार सिन्हा ने संवाददाताओं को बताया कि चर्चा का मुख्य विषय चुनाव तैयारियों में बाधा उत्पन्न करने वाले किसी भी मुद्दे की पहचान करना और उसका समाधान करना था। बैठक के बाद मीडिया से बातचीत में निर्वाचन आयोग के प्रवक्ता नारायण प्रसाद भट्टराई ने इसे आम चुनाव की तैयारियों के संबंध में सरकार के साथ प्रारंभिक बातचीत बताया। उन्होंने कहा कि सरकार और निर्वाचन आयोग दोनों इस बात पर सहमत हुए कि नए चुनाव निर्धारित समय पर कराए जाने चाहिए।
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नई दिल्ली। संयुक्त अरब अमीरात (यूएई) ने अफ्रीका और एशिया के नौ देशों के नागरिकों के लिए टूरिस्ट और वर्क वीजा पर अस्थायी रोक लगा दी है। हालांकि इस पर अभी तक कोई आधिकारिक पुष्टि नहीं हुई है, लेकिन एक आंतरिक इमिग्रेशन सर्कुलर से यह जानकारी सामने आई है। यह कदम सुरक्षा, स्वास्थ्य और माइग्रेशन को लेकर बढ़ती चिंताओं के बीच उठाया गया माना जा रहा है।
UAE Visa Ban से कौन-कौन से देश प्रभावित हैंसर्कुलर के अनुसार, 2026 से निम्न देशों के नागरिक यूएई में नए टूरिस्ट वीजा या वर्क परमिट के लिए आवेदन नहीं कर पाएंगे:अफगानिस्तानलीबियायमनसोमालियालेबनानबांग्लादेशकैमरूनसूडानयूगांडाध्यान देने वाली बात यह है कि यह केवल वीजा रोक है, यात्रा पर पूरी पाबंदी नहीं। जिन लोगों के पास पहले से वैध यूएई वीजा है, वे यूएई में कानूनी रूप से रह सकते हैं या काम कर सकते हैं।यूएई सरकार ने अभी तक आधिकारिक कारण नहीं बताया है, लेकिन रिपोर्ट्स में कुछ मुख्य वजहें सामने आई हैं:अधिकारियों ने कहा है कि यह कदम संभावित खतरों से बचाव के लिए है। इसमें फर्जी दस्तावेज़, आतंकवाद संबंधी खतरे और अवैध प्रवास जैसी समस्याओं को ध्यान में रखा गया है।कुछ देशों के साथ द्विपक्षीय तनाव भी इस नीति को प्रभावित कर सकते हैं। यूएई कभी-कभी अपनी वीजा नीतियों के माध्यम से कूटनीतिक संदेश भी देता है। COVID-19 महामारी के बाद स्वास्थ्य सुरक्षा को लेकर वीजा प्रक्रिया में सतर्कता बनी हुई है। कुछ देशों में स्वास्थ्य जांच की कमी और कमजोर स्वास्थ्य व्यवस्थाओं के कारण जोखिम देखा गया है। -
न्यूयॉर्क. विदेश मंत्री एस जयशंकर ने सोमवार को यहां अमेरिकी विदेश मंत्री मार्को रुबियो से मुलाकात की तथा ‘‘वर्तमान चिंता'' के विभिन्न द्विपक्षीय और अंतरराष्ट्रीय मुद्दों पर चर्चा की।। दोनों नेताओं के बीच यह बातचीत ऐसे समय हुई, जब संयुक्त राष्ट्र महासभा (यूएनजीए) का उच्च-स्तरीय 80वां सत्र शुरू होने वाला है। लोटे न्यूयॉर्क पैलेस में रुबियो और जयशंकर के बीच यह बैठक रूस से तेल की खरीद को लेकर अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप द्वारा भारत पर 25 प्रतिशत अतिरिक्त टैरिफ लगाए जाने के बाद, आमने-सामने की पहली मुलाकात है। इसके साथ ही भारत पर अमेरिका द्वारा लगाया गया टैरिफ बढ़कर 50 प्रतिशत हो गया है। जयशंकर ने सोशल मीडिया पर कहा, ‘‘आज सुबह न्यूयॉर्क में विदेश मंत्री मार्को रुबियो से मिलकर अच्छा लगा। हमारी बातचीत में वर्तमान चिंता के कई द्विपक्षीय और अंतरराष्ट्रीय मुद्दों पर चर्चा हुई। प्राथमिकता वाले क्षेत्रों में प्रगति के लिए निरंतर जुड़ाव के महत्व पर सहमति बनी। हम संपर्क में बने रहेंगे।'' दोनों नेता पिछली बार जुलाई में वाशिंगटन में क्वाड विदेश मंत्रियों की बैठक के लिए मिले थे। यह द्विपक्षीय बैठक ऐसे दिन हुई, जब भारत और अमेरिका के बीच व्यापार समझौते को अंतिम रूप देने को लेकर भी बातचीत होने वाली है। केंद्रीय वाणिज्य एवं उद्योग मंत्री पीयूष गोयल के नेतृत्व में एक प्रतिनिधिमंडल सोमवार को न्यूयॉर्क में अमेरिकी पक्ष से मुलाकात करेगा। वाणिज्य और उद्योग मंत्रालय ने एक बयान में कहा, ‘‘प्रतिनिधिमंडल का उद्देश्य पारस्परिक रूप से लाभकारी व्यापार समझौते पर शीघ्र निष्कर्ष निकालने के लिए चर्चा को आगे बढ़ाना है।'' बयान में कहा गया है कि 16 सितंबर को अमेरिकी व्यापार प्रतिनिधि कार्यालय के अधिकारियों की भारत यात्रा के दौरान व्यापार समझौते के विभिन्न पहलुओं पर सकारात्मक चर्चा हुई थी और इस संबंध में प्रयास तेज करने का निर्णय लिया गया था। विदेश मंत्री जयशंकर संयुक्त राष्ट्र महासभा के उच्च-स्तरीय सत्र में हिस्सा लेने के लिए रविवार को न्यूयॉर्क पहुंचे थे। वह सत्र के इतर द्विपक्षीय और बहुपक्षीय बैठकें करेंगे और 27 सितंबर को आम बहस में यूएनजीए मंच से राष्ट्रीय वक्तव्य देंगे।
- लंदन. ब्रिटेन, ऑस्ट्रेलिया, कनाडा ने अमेरिका और इजराइल के विरोध को दरकिनार करते हुए फलस्तीनी राष्ट्र को औपचारिक रूप से मान्यता देने की रविवार को पुष्टि की। राष्ट्रमंडल में शामिल और इजराइल के लंबे समय से सहयोगी इन देशों की यह पहल गाजा में जारी युद्ध में इजराइल की हरकतों के प्रति बढ़ते आक्रोश को दर्शाती है। इस बीच, इजराइल के प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू ने कहा कि फलस्तीनी राष्ट्र की स्थापना "नहीं होगी।" उन्होंने विदेशी नेताओं पर हमास को "इनाम" देने का आरोप लगाया। उन्होंने कहा, "ऐसा नहीं होगा। जॉर्डन नदी के पश्चिम में फलस्तीनी राष्ट्र की स्थापना नहीं होगी।"ब्रिटेन के प्रधानमंत्री केअर स्टॉर्मर इजराइल के खिलाफ कड़ा रुख नहीं अपनाने के लिए अपनी सत्तारूढ़ लेबर पार्टी में भारी दबाव का सामना कर रहे थे। ब्रिटिश प्रधानमंत्री ने कहा कि इस कदम का उद्देश्य फलस्तीनियों और इजराइलियों के बीच शांति की उम्मीदों को जिंदा रखना है। हालांकि, उन्होंने कहा कि यह हमास के लिए कोई तोहफा नहीं है। स्टार्मर ने एक वीडियो संदेश में कहा, “मैं शांति और द्वि-राष्ट्र समाधान की आशा को पुनर्जीवित करने के लिए इस महान देश के प्रधानमंत्री के रूप में स्पष्ट रूप से कहता हूं कि ब्रिटेन औपचारिक रूप से फलस्तीन राष्ट्र को मान्यता देता है।” उन्होंने कहा, “हमने 75 साल से भी पहले इजराइल राष्ट्र को यहूदी लोगों की मातृभूमि के रूप में मान्यता दी थी। आज हम उन 150 से अधिक देशों में शामिल हो गए हैं, जो फलस्तीनी राष्ट्र को भी मान्यता देते हैं। यह फलस्तीनी और इजराइली लोगों के लिए एक बेहतर भविष्य की प्रतिज्ञा है।” जुलाई में स्टॉर्मर ने कहा था कि अगर इजराइल गाजा पट्टी में संघर्ष-विराम के लिए सहमत नहीं होता है, तो ब्रिटेन फलस्तीनी राष्ट्र को मान्यता देगा। इस सप्ताह संयुक्त राष्ट्र महासभा में फ्रांस समेत और अधिक देशों के ऐसा करने की उम्मीद है। ब्रिटेन की तरह फ्रांस भी सुरक्षा परिषद के पांच स्थायी सदस्यों में शामिल है। आस्ट्रेलियाई प्रधानमंत्री एंथनी अल्बानीज ने अपने बयान में कहा कि रविवार को तीन देशों की ओर से की गईं घोषणाएं “द्वि-राष्ट्र समाधान को नयी गति देने के समन्वित अंतरराष्ट्रीय प्रयास का हिस्सा हैं।” फलस्तीन के राष्ट्रपति महमूद अब्बास ने ब्रिटेन की घोषणा का स्वागत करते हुए कहा कि यह अंतरराष्ट्रीय कानून के अनुरूप न्यायपूर्ण शांति कायम करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण व आवश्यक कदम है। ब्रिटेन ने अमेरिका के विरोध को दरकिनार करते हुए यह कदम उठाया है। कुछ दिन पहले अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने ब्रिटेन की यात्रा के दौरान इस योजना से असहमति जताई थी। ट्रंप ने कहा था, “इस मामले पर मैं प्रधानमंत्री (स्टॉर्मर) से असहमत हूं।”अमेरिका और इजराइल सरकार के साथ-साथ विभिन्न आलोचकों ने इस योजना की निंदा करते हुए कहा है कि यह हमास और आतंकवाद को बढ़ावा देगी। आलोचकों का तर्क है कि मान्यता देना अनैतिक और एक खोखला कदम है, क्योंकि फलस्तीनी लोग दो क्षेत्रों- वेस्ट बैंक और गाजा- में विभाजित हैं, जिनकी कोई मान्यता प्राप्त अंतरराष्ट्रीय राजधानी नहीं है। पिछले 100 वर्षों में पश्चिम एशिया की राजनीति में फ्रांस और ब्रिटेन की ऐतिहासिक भूमिका रही है। प्रथम विश्व युद्ध में ओटोमन साम्राज्य की हार के बाद दोनों देशों ने इस क्षेत्र का विभाजन किया था। इस विभाजन के परिणामस्वरूप, तत्कालीन फलस्तीन पर ब्रिटेन का शासन स्थापित हुआ। ब्रिटेन ने ही 1917 में बैल्फोर घोषणापत्र भी तैयार किया था, जिसमें “यहूदी लोगों के लिए एक राष्ट्र” की स्थापना का समर्थन किया गया था। हालांकि, घोषणापत्र के दूसरे भाग को दशकों से काफी हद तक नजरअंदाज किया गया है। इसमें कहा गया है कि “ऐसा कुछ भी नहीं किया जाएगा, जिससे फलस्तीनी लोगों के नागरिक व धार्मिक अधिकारों पर प्रतिकूल प्रभाव पड़े।” लंदन में स्थित रॉयल यूनाइटेड सर्विसेज इंस्टीट्यूट में पश्चिम एशिया सुरक्षा के वरिष्ठ अनुसंधान विद बुर्कू ओजेलिक ने कहा, “फ्रांस और ब्रिटेन के लिए फलस्तीन को मान्यता देना महत्वपूर्ण है, क्योंकि पश्चिम एशिया में इन दोनों देशों की विरासत रही है।” उन्होंने कहा, “लेकिन मुझे लगता है कि फलस्तीन के मामले में अमेरिका को साथ लिये बिना जमीनी स्तर पर बहुत कम बदलाव आएगा।” ब्रिटेन में फलस्तीनी मिशन के प्रमुख हुसम जोमलोट ने ‘बीबीसी' से कहा कि मान्यता देने से औपनिवेशिक काल की एक गलती सुधर जाएगी। जोमलोट ने कहा, “मुझे लगता है कि आज ब्रिटेन…
- काठमांडू. नेपाल की प्रधानमंत्री सुशीला कार्की ने रविवार को अंतरिम सरकार में पांच नये मंत्रियों को शामिल किया। इसके साथ ही कार्की के मंत्रिमंडल में सदस्यों की संख्या बढ़कर नौ हो गई। राष्ट्रपति कार्यालय के सूत्रों के अनुसार, कार्की की सिफारिश के बाद राष्ट्रपति रामचन्द्र पौडेल ने अनिल कुमार सिन्हा, महावीर पुन, संगीता कौशल मिश्रा, जगदीश खरेल और मदन परियार को नया मंत्री नियुक्त किया। इन मंत्रियों का शपथ ग्रहण समारोह सोमवार को राष्ट्रपति भवन में होगा।सूत्रों के अनुसार, सिन्हा को उद्योग एवं वाणिज्य, पुन को शिक्षा, विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी, मिश्रा को स्वास्थ्य एवं जनसंख्या, खरेल को सूचना एवं संचार और परियार को कृषि मंत्रालय का प्रभार दिया जाएगा। इसके साथ ही अब मंत्रिमंडल में नौ मंत्री हो गए हैं, जिनमें प्रधानमंत्री भी शामिल हैं, जिन्होंने कई महत्वपूर्ण विभाग अपने पास रखे हैं।
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न्यूयॉर्क/वाशिंगटन. अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के प्रशासन ने स्पष्ट किया है कि एच-1बी वीजा के लिए एक लाख अमेरिकी डॉलर का नया शुल्क नये आवेदकों के लिए है और उन्हें इस शुल्क का एकमुश्त भुगतान करना होगा। यह स्पष्टीकरण अमेरिका में काम कर रहे हज़ारों पेशेवरों के लिए बड़ी राहत की बात है जो इस नए नियम से प्रभावित होने को लेकर चिंतित हैं, इनमें बड़ी संख्या में भारतीय हैं । अमेरिकी नागरिकता एवं आव्रजन सेवा (यूएससीआईएस) ने शनिवार को एक बयान में कहा कि राष्ट्रपति ट्रंप का नया एच-1बी वीज़ा शुल्क केवल नये आवेदकों पर लागू होगा। ट्रंप प्रशासन ने यह भी स्पष्ट किया है कि 21 सितंबर की प्रभावी घोषणातिथि से पहले जमा किया गया एच1 बी वीजा आवेदन इससे प्रभावित नहीं होगा। इसके अलावा वर्तमान में अमेरिका से बाहर रहने वाले वीज़ा धारकों को भी देश में दोबारा प्रवेश के लिए शुल्क का भुगतान करने की आवश्यकता नहीं है। व्हाइट हाउस की प्रवक्ता टेलर रोजर्स ने बताया, ‘‘राष्ट्रपति ट्रंप ने अमेरिकी कामगारों को प्राथमिकता देने का वादा किया था और यह समझदारी भरा कदम उसी का परिणाम है। उन्होंने कहा, ‘‘यह उन अमेरिकी व्यवसायों को भी निश्चितता प्रदान करता है जो वास्तव में हमारे महान देश में बेहद कुशल कामगारों को लाना चाहते हैं, लेकिन प्रणाली की गड़बड़ी के कारण उन्हें आगे नहीं आने दिया जा रहा है।'' व्हाइट हाउस के एक अधिकारी ने बताया कि एक लाख अमेरिकी डॉलर का शुल्क एकमुश्त है जो केवल नये आवेदन पर लागू होता है। ‘‘यह केवल नए वीज़ा पर लागू होता है, नवीनीकरण या मौजूदा वीज़ा धारकों पर नहीं...।'' यूएससीआईएस निदेशक जोसेफ एडलो ने एक ज्ञापन में कहा कि ट्रंप की ओर से शुक्रवार को जारी की गई घोषणा केवल उन पर लागू होगी जो अब आवेदन करेंगे। यह घोषणा उन लोगों पर लागू नहीं होती है जो "उद्घोषणा की प्रभावी तिथि से पहले दायर किये गये आवेदनों के लाभार्थी हैं, वर्तमान में स्वीकृत आवेदनों के लाभार्थी हैं, या जिनके पास वैध रूप से जारी एच-1बी गैर-आप्रवासी वीज़ा हैं।
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न्यूयॉर्क/वाशिंगटन. अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने शुक्रवार को एक घोषणापत्र पर हस्ताक्षर किए जिसके तहत एच1बी वीजा शुल्क को सालाना 100,000 अमेरिकी डॉलर तक बढ़ा दिया जाएगा। ट्रंप के इस कदम से अमेरिका में काम करने वाले भारतीय पेशेवरों पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ने की आशंका है।
व्हाइट हाउस के स्टाफ सचिव विल शार्फ ने कहा कि एच1बी गैर-प्रवासी वीजा कार्यक्रम देश की वर्तमान आव्रजन प्रणाली में "सबसे अधिक दुरुपयोग की जाने वाली वीजा" प्रणालियों में से एक है। उन्होंने कहा कि इससे उन उच्च कुशल कामगारों को अमेरिका में आने की अनुमति दी जाती है जो उन क्षेत्रों में काम करते हैं जहां अमेरिकी काम नहीं करते। ट्रंप प्रशासन ने कहा कि 100,000 डॉलर का शुल्क यह सुनिश्चित करने के लिए लगाया गया है कि देश में लाए जा रहे लोग “वास्तव में अत्यधिक कुशल” हों और अमेरिकी कामगारों का स्थान नहीं लें। इस कदम का उद्देश्य अमेरिकी कामगारों की सुरक्षा और यह सुनिश्चित करना है कि कंपनियों के लिए ‘वास्तव में असाधारण लोगों' को नियुक्त करने और उन्हें अमेरिका लाने का रास्ता साफ हो। ट्रंप ने वाणिज्य मंत्री हॉवर्ड लुटनिक की मौजूदगी में ओवल ऑफिस में घोषणापत्र पर हस्ताक्षर करते हुए कहा, ‘‘ हमें कामगारों की जरूरत है, हमें बेहतरीन कामगारों की जरूरत है और इससे यह सुनिश्चित होगा की ऐसा ही हो।'' लुटनिक ने कहा कि रोजगार आधारित ग्रीन कार्ड कार्यक्रम के तहत प्रति वर्ष 281,000 लोगों को प्रवेश मिलता है, तथा वे लोग औसतन प्रति वर्ष 66,000 अमेरिकी डॉलर कमाते हैं, तथा सरकारी सहायता कार्यक्रमों में शामिल होने की उनकी संभावना पांच गुना अधिक होती है। उन्होंने कहा, ‘‘ तो हम निचले चतुर्थक (बॉटम क्वार्टाइल) वर्ग को, औसत अमेरिकी से नीचे दर्जे पर भर्ती कर रहे थे। यह अतार्किक था, दुनिया का एकमात्र देश जो निचले चतुर्थक वर्ग को भर्ती कर रहा था।'' लुटनिक ने कहा,‘‘ हम ऐसा करना बंद करने जा रहे हैं। हम शीर्ष पर केवल असाधारण लोगों को ही लेंगे न कि उन लोगों को जो अमेरिकियों से नौकरियां छीनने की कोशिश कर रहे हैं। वे व्यवसाय शुरू करेंगे और अमेरिकियों के लिए नौकरियां पैदा करेंगे। और इस कार्यक्रम के तहत अमेरिका के खजाने के लिए 100 अरब अमेरिकी डॉलर से ज़्यादा धनराशि जुटाई जाएगी।'' ट्रंप ने कहा कि देश इस राशि का इस्तेमाल करों में कटौती और कर्ज चुकाने में करेगा। ट्रंप ने कहा, ‘‘ हमें लगता है कि यह बहुत सफल होगा।'' लुटनिक ने कहा कि 1,00,000 अमेरिकी डॉलर का शुल्क सालाना लिया जाएगा।
इस कदम का उन भारतीय कर्मचारियों पर गहरा असर पड़ेगा जिन्हें प्रौद्योगिकी क्षेत्र की कंपनी और अन्य कंपनियां एच1बी वीजा पर नियुक्त करती हैं। ये वीज़ा तीन साल के लिए वैध होते हैं और इन्हें अगले तीन साल के लिए नवीनीकृत किया जा सकता है। -
लॉस एंजिलिस. ग्रैमी पुरस्कार से सम्मानित गीतकार ब्रेट जेम्स का नॉर्थ कैरोलिना में एक विमान दुर्घटना में निधन हो गया। वह 57 वर्ष के थे। अधिकारियों ने यह जानकारी दी। अमेरिका के ‘फेडरल एविएशन एडमिनिस्ट्रेशन (एफएए)' ने प्रारंभिक रिपोर्ट में कहा कि तीन लोगों को लेकर जा रहा छोटा विमान बृहस्पतिवार दोपहर को फ्रैंकलिन के जंगलों में ‘अज्ञात परिस्थितियों में' दुर्घटनाग्रस्त हो गया। नॉर्थ कैरोलिना राज्य राजमार्ग गश्ती दल ने एक बयान में कहा कि इस हादसे में कोई भी जीवित नहीं बचा।
एफएए के अनुसार, जेम्स एक सिरस एसआर22टी विमान में सवार थे, जो उनके कानूनी नाम ब्रेट जेम्स कॉर्नेलियस के नाम से पंजीकृत था। यह पता नहीं चल पाया है कि वह पायलट थे या नहीं। गश्ती दल ने उनकी मृत्यु की पुष्टि की। जेम्स को 2020 में ‘नैशविले सॉन्ग राइटर्स हॉल ऑफ फ़ेम' में शामिल किया गया था। संगठन ने एक ऑनलाइन बयान पोस्ट कर शोक व्यक्त किया। उन्हें अन्य सम्मानों के अलावा, 2006 में सर्वश्रेष्ठ देशी गीत के लिए ग्रैमी पुरस्कार मिला था। जेम्स की ऑनलाइन ग्रैंड ओले ओप्री जीवनी के अनुसार, उनके 500 से अधिक गाने रिकॉर्ड किए गए थे। -
ब्रसेल्स. यूरोप में ‘चेक-इन' और ‘बोर्डिंग प्रणाली' को निशाना बनाकर किए गए एक साइबर हमले से हवाई यातायात बाधित हुआ जिससे यूरोप के कुछ शीर्ष हवाई अड्डों पर यात्रियों को देरी का सामना करना पड़ा। अधिकारियों ने शनिवार को यह जानकारी दी। ब्रसेल्स हवाई अड्डे की तरफ से बताया गया कि इस हमले का मतलब है कि वहां केवल हस्तचालित माध्यम से ‘चेक-इन' और ‘बोर्डिंग' ही संभव थी, और इस घटना का उड़ान कार्यक्रमों पर ‘बड़ा प्रभाव' पड़ रहा है। एक बयान में कहा गया, ‘‘शुक्रवार रात 19 सितंबर को चेक-इन और बोर्डिंग प्रणाली के सेवा प्रदाता के खिलाफ एक साइबर हमला हुआ, जिससे ब्रसेल्स हवाई अड्डे सहित कई यूरोपीय हवाई अड्डे प्रभावित हुए।'' बर्लिन के ब्रैंडेनबर्ग हवाई अड्डे के अधिकारियों ने कहा कि यात्री प्रबंधन प्रणाली से जुड़े एक सेवा प्रदाता पर शुक्रवार शाम को (साइबर) हमला हुआ, जिससे हवाई अड्डा संचालकों को प्रणाली से कनेक्शन काट देना पड़ा। यूरोप के सबसे व्यस्त लंदन स्थित हीथ्रो हवाई अड्डे ने कहा कि एक तकनीकी समस्या के कारण चेक-इन और बोर्डिंग प्रणाली से जुड़ा एक सेवा प्रदाता प्रभावित हुआ। हीथ्रो ने एक बयान में कहा, ‘‘कोलिन्स एरोस्पेस, जो दुनिया भर के कई हवाई अड्डों पर कई एयरलाइन के लिए चेक-इन और बोर्डिंग प्रणाली प्रदान करता है, एक तकनीकी समस्या का सामना कर रहा है जिससे रवाना होने वाले यात्रियों को देरी हो सकती है।'' हवाई अड्डों ने यात्रियों को उनकी उड़ान की स्थिति जांचने की सलाह दी है और किसी भी असुविधा के लिए खेद व्यक्त किया। वर्ष 2018 में स्थापित, कोलिन्स एक अमेरिकी विमानन और रक्षा प्रौद्योगिकी कंपनी है जो आरटीएक्स कॉर्प की सहायक कंपनी है, जिसे पहले रेथियॉन टेक्नोलॉजीज के नाम से जाना जाता था। कंपनी की प्रणाली यात्रियों के लिए सीधे चेक-इन की सुविधा प्रदान नहीं करती है, बल्कि ऐसी तकनीक प्रदान करती है जिससे यात्री एक कियोस्क से स्वयं चेक-इन कर सकते हैं, बोर्डिंग पास और बैग टैग प्रिंट कर सकते हैं तथा अपना सामान स्वयं भेज सकते हैं। लंदन के दूसरे सबसे व्यस्त हवाई अड्डे ‘गैटविक' के पास स्थित कोलिन्स के ब्रिटिश बेस पर टिप्पणी के लिए अभी कोई उपलब्ध नहीं था।
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काठमांडू. नेपाली सेना की सुरक्षा में नौ दिन बिताने के बाद अपदस्थ प्रधानमंत्री के. पी. शर्मा ओली सैन्य बैरक से निकलकर एक निजी आवास चले गए। ‘जेन-जेड' का विरोध प्रदर्शन हिंसक होते ही ओली बैरक में चले गए थे और उन्होंने नौ सितंबर को पद छोड़ दिया था। यह बैरक संभवतः काठमांडू के उत्तर में शिवपुरी वन क्षेत्र में है।
‘जेन जेड' उस पीढ़ी को कहा जाता है जो 1997 से 2012 के बीच पैदा हुई है।नेपाल सेना के सूत्रों ने पुष्टि की है कि नेपाली कम्युनिस्ट पार्टी (एकीकृत मार्क्सवादी-लेनिनवादी) (सीपीएन-यूएमएल) के अध्यक्ष नौ दिन सेना की सुरक्षा में रहने के बाद एक निजी स्थान पर चले गए हैं। हालांकि अभी उनके रहने के स्थान की जानकारी सार्वजनिक नहीं की गई है। मीडिया की खबरों के अनुसार, ओली काठमांडू से 15 किलोमीटर पूर्व में भक्तपुर जिले के गुंडू इलाके में एक निजी घर में रहने चले गए हैं। विरोध प्रदर्शन के दूसरे दिन नौ सितंबर को ‘जेन जेड' प्रदर्शनकारियों ने भक्तपुर के बालकोट में उनके आवास को जलाकर राख कर दिया था। ‘जेन जेड' प्रदर्शनकारियों द्वारा नौ सितंबर को ही बालकोट में प्रधानमंत्री कार्यालय को आंशिक रूप से जला दिया था और उस समय ओली नेपाल के प्रधानमंत्री के आधिकारिक आवास पर थे। हालांकि नेपाल की सेना की मदद से ओली सुरक्षित बच निकले और सेना ने उन्हें बचाने के लिए एक हेलीकॉप्टर भेजा था। -
ह्यूस्टन/ भारत और अमेरिका ने वाशिंगटन डीसी में भारतीय दूतावास द्वारा आयोजित एक विशेष कार्यक्रम में अंतरिक्ष साझेदारी के नए चरण की शुरुआत का संकेत दिया, जहां अधिकारियों और अंतरिक्ष यात्रियों ने इस पर जोर दिया कि कैसे दशकों का सहयोग अब चंद्रमा और मंगल मिशनों का मार्ग प्रशस्त कर रहा है। ‘‘भारत-अमेरिका अंतरिक्ष साझेदारी : भविष्य की भागीदारी की सीमाएं'' शीर्षक से यह कार्यक्रम सोमवार को इंडिया हाउस में आयोजित हुआ। इसमें हाल की उपलब्धियों का जश्न मनाया गया, जिनमें नासा-इसरो के संयुक्त निसार उपग्रह और एक्सिओम मिशन-4 शामिल हैं, जिसने भारतीय अंतरिक्ष यात्री शुभांशु शुक्ला को अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन तक पहुंचाया। अमेरिका में भारत के राजदूत विनय क्वात्रा ने इस साझेदारी को ‘‘वैज्ञानिक अन्वेषण, प्रौद्योगिकी विकास और वाणिज्यिक सहयोग को आगे बढ़ाने वाला एक गतिशील मंच'' बताया। उन्होंने कहा कि भारत का अंतरिक्ष कार्यक्रम कम लागत में नवोन्मेष में एक वैश्विक अग्रणी के रूप में उभरा है और अमेरिका के साथ संयुक्त प्रयास आने वाले दशकों में मानव अंतरिक्ष उड़ानों की सीमाओं को और आगे ले जा सकते हैं। अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी नासा की अर्थ साइंस डिवीजन की निदेशक डॉ. कैरन सेंट जर्मेन ने निसार मिशन को ‘‘अंतरराष्ट्रीय सहयोग का एक आदर्श उदाहरण'' बताया, जिसने यह दिखाया कि विशेषज्ञता के सहयोग से कैसे वैज्ञानिक उपलब्धियों को आगे बढ़ाया जा सकता है। कार्यक्रम में नासा की अंतरिक्ष यात्री सुनीता विलियम्स, निक हेग और बुच विलमोर के साथ शुभांशु शुक्ला भी वर्चुअल रूप से शामिल हुए। शुक्ला ने कहा कि उनकी यात्रा ‘‘अंतरराष्ट्रीय साझेदारियों की शक्ति और वैश्विक अंतरिक्ष अन्वेषण में भारत की बढ़ती भूमिका का प्रमाण है।'' दूतावास की प्रेस विज्ञप्ति के अनुसार, इस कार्यक्रम में सरकार, अंतरिक्ष एजेंसियों, उद्योग, शिक्षाविदों और विचारक समूहों के प्रतिनिधियों ने भाग लिया।
- मॉस्को.।'' रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने बुधवार को प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को जन्मदिन की बधाई दी और भारत एवं रूस के बीच साझेदारी को मजबूत करने में उनके ‘विपुल व्यक्तिगत योगदान' की सराहना की। पुतिन ने रूसी मंत्रिमंडल के साथ एक वीडियो कॉन्फ्रेंस में कहा,‘‘मैंने अभी-अभी भारत के प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी से बात की। मैंने आप सभी की ओर से हमारे मित्र, भारत के प्रधानमंत्री को उनके 75वें जन्मदिन पर बधाई दी।'' पुतिन ने कहा, ‘‘प्रधानमंत्री मोदी की सरकार पूरी तरह से स्वतंत्र और संप्रभु नीति पर चल रही है। और, इससे भी महत्वपूर्ण बात यह है कि यह आर्थिक क्षेत्र में उत्कृष्ट परिणाम हासिल कर रही है।'' टेलीविजन पर प्रसारित खबर में पुतिन ने ‘‘दोनों देशों में द्विपक्षीय मैत्रीपूर्ण संबंधों पर राष्ट्रीय सहमति" का उल्लेख किया, जो विभिन्न दलीय सीमाओं से ऊपर है। पुतिन ने अपने मंत्रिमंडल के सदस्यों से कहा, ‘‘मैं यह बताना चाहूंगा कि आधुनिक और समकालीन इतिहास में, सटीक रूप से कहें तो, सोवियत संघ के समय से लेकर नए रूस के युग तक, भारत और रूस के बीच संबंध असाधारण रूप से भरोसेमंद और मैत्रीपूर्ण रहे हैं।'' उन्होंने बताया कि प्रधानमंत्री मोदी की सरकार मास्को और नयी दिल्ली के बीच मैत्री की नीति को जारी रख रही है और उसका विस्तार कर रही है। अपने कैबिनेट सहयोगी को यह बताने के बाद कि उन्होंने “आप सभी की ओर से” मोदी को बधाई दी, पुतिन ने कहा, “और उनकी (मोदी की) ओर से, मैं पूरे रूसी नेतृत्व को शुभकामनाएं देना चाहता हूं।” इस बातचीत के बाद मोदी ने कहा कि भारत दोनों देशों के बीच विशेष एवं विशेषाधिकार प्राप्त रणनीतिक साझेदारी को और मजबूत करने के लिए प्रतिबद्ध है। मोदी ने ‘एक्स' पर पोस्ट किया, ‘‘मेरे 75वें जन्मदिन पर आपके फोन कॉल और हार्दिक शुभकामनाओं के लिए मेरे दोस्त राष्ट्रपति पुतिन आपको धन्यवाद।'' उन्होंने लिखा, ‘‘हम अपनी विशेष एवं विशेषाधिकार प्राप्त रणनीतिक साझेदारी को और मज़बूत करने के लिए प्रतिबद्ध हैं। भारत यूक्रेन संघर्ष के शांतिपूर्ण समाधान के लिए हर संभव योगदान देने को तैयार है।''
- मॉस्को/लंदन।. रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन, इजराइल के प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू और ब्रिटेन के पूर्व प्रधानमंत्री ऋषि सुनक सहित कई विश्व नेताओं ने बुधवार को प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को उनके 75वें जन्मदिन पर बधाई दी। प्रधानमंत्री मोदी का जन्म 17 सितंबर, 1950 को गुजरात के वडनगर के एक छोटे से कस्बे में हुआ था।रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने मोदी को जन्मदिन पर बधाई दी और मॉस्को तथा नयी दिल्ली के बीच साझेदारी को मज़बूत करने में उनके ‘‘अत्यंत व्यक्तिगत योगदान'' की सराहना की। क्रेमलिन वेबसाइट पर प्रकाशित एक संदेश में रूसी नेता ने कहा, ‘‘आपने सरकार के प्रमुख के रूप में अपने कार्यों के माध्यम से अपने देशवासियों का उच्च सम्मान और विश्व मंच पर अत्यधिक अधिकार अर्जित किया है।'' उन्होंने कहा कि मोदी के नेतृत्व में भारत ने सामाजिक, आर्थिक, वैज्ञानिक और तकनीकी क्षेत्रों में भी प्रभावशाली उपलब्धियां हासिल की हैं। पुतिन ने कहा, ‘‘आप हमारे देशों के बीच विशेष रणनीतिक साझेदारी को मजबूत करने तथा विभिन्न क्षेत्रों में पारस्परिक रूप से लाभकारी रूसी-भारतीय सहयोग विकसित करने में बड़ा व्यक्तिगत योगदान दे रहे हैं।'' इससे एक दिन पहले, अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने प्रधानमंत्री मोदी को फोन किया तथा उन्हें जन्मदिन की बधाई दी। इसे शुल्क (टैरिफ) के मुद्दे पर दोनों देशों के मध्य तनाव के बीच भारत के साथ संबंध सुधारने के अमेरिकी प्रयासों के हिस्से के रूप में एक महत्वपूर्ण संकेत के रूप में देखा जा रहा है। ट्रंप ने कहा कि मोदी बहुत अच्छा काम कर रहे हैं और उन्होंने यूक्रेन में युद्ध समाप्त करने में प्रधानमंत्री के सहयोग के लिए उन्हें धन्यवाद दिया। इजराइली प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू ने बुधवार को मोदी को जन्मदिन की शुभकामनाएं देते हुए उन्हें ‘‘अच्छा मित्र'' बताया। उन्होंने कहा, ‘‘आपने अपने जीवन में भारत के लिए बहुत कुछ किया है, और हमने मिलकर भारत और इज़राइल की दोस्ती में बहुत कुछ हासिल किया है।'' ‘डीडी न्यूज' द्वारा ‘एक्स' पर पोस्ट किए गए एक वीडियो में इजराइली प्रधानमंत्री ने कहा, ‘‘मैं आपसे जल्द ही मिलने की उम्मीद करता हूं, क्योंकि हम अपनी साझेदारी और दोस्ती को और भी ऊंचाइयों पर ले जा सकते हैं। जन्मदिन मुबारक हो मेरे दोस्त।'' एक वीडियो संदेश में माइक्रोसॉफ्ट के सह-संस्थापक बिल गेट्स ने प्रधानमंत्री के ‘‘अच्छे स्वास्थ्य और निरंतर शक्ति'' की कामना की और कहा कि वह भारत की ‘‘शानदार प्रगति'' का नेतृत्व कर रहे हैं और ‘वैश्विक विकास'' में योगदान दे रहे हैं। उन्होंने कहा कि गेट्स फाउंडेशन भारत सरकार के साथ हमारी साझेदारी को बहुत महत्व देता है।उन्होंने कहा, ‘‘हम सब मिलकर विकसित भारत की दिशा में प्रगति का समर्थन कर रहे हैं और वैश्विक दक्षिण के देशों के लिए सीख और नवाचार साझा कर रहे हैं।'' भारतीय मूल के पूर्व ब्रिटिश प्रधानमंत्री ऋषि सुनक ने कहा कि ‘‘प्रधानमंत्री मोदी को उनके 75वें जन्मदिन की शुभकामनाएं देते हुए मुझे बहुत खुशी हो रही है।'' उन्होंने एक वीडियो संदेश में कहा, ‘‘इस अनिश्चित समय में, हम सभी को अच्छे दोस्तों की जरूरत है और मोदी जी हमेशा मेरे और ब्रिटेन के अच्छे दोस्त रहे हैं। मुझे ब्रिटेन-भारत संबंधों को लगातार मजबूत होते देखकर खुशी हो रही है।'' उन्होंने कहा, ‘‘एक ब्रिटिश-भारतीय परिवार से होने के नाते, इस रिश्ते का मेरे दिल में हमेशा एक खास स्थान रहेगा।'' उन्होंने कहा कि वह जी20 शिखर सम्मेलन के लिए प्रधानमंत्री के रूप में 2023 की अपनी भारत यात्रा को ‘‘स्नेहपूर्वक'' याद रखेंगे। सुनक ने कहा, ‘‘यह विश्व मंच पर भारत की प्रतिष्ठा के अनुरूप एक शानदार आयोजन था। मोदी जी, मैं आपको जन्मदिन की हार्दिक शुभकामनाएं देता हूं और जल्द ही आपसे मिलने के लिए उत्सुक हूं।'' मोदी को शुभकामनाएं देते हुए आस्ट्रेलियाई प्रधानमंत्री एंथनी अल्बानीज ने कहा कि उनके देश को भारत के साथ इतनी मजबूत मित्रता साझा करने पर गर्व है। उन्होंने कहा, ‘‘हम आस्ट्रेलिया में भारतीय समुदाय के योगदान के लिए आभारी हैं।'' भूटान के प्रधानमंत्री शेरिंग तोबगे ने भी प्रधानमंत्री मोदी को जन्मदिन की शुभकामनाएं दीं और उनके ‘‘अच्छे स्वास्थ्य, खुशहाली और दीर्घायु'' की कामना की। न्यूजीलैंड के प्रधानमंत्री क्रिस्टोफर लक्सन, म्यांमा के राष्ट्रपति मिन आंग हलिंग, गुयाना के राष्ट्रपति इरफान अली और डोमिनिका के प्रधानमंत्री रूजवेल्ट स्केरिट सहित अन्य नेताओं ने भी मोदी को जन्मदिन पर शुभकामनाएं दीं।
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काठमांडू. नेपाल में भारत के राजदूत नवीन श्रीवास्तव ने नवनियुक्त अंतरिम प्रधानमंत्री सुशीला कार्की से यहां सिंह दरबार स्थित उनके कार्यालय में मंगलवार को मुलाकात की और उन्हें प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी का बधाई संदेश दिया। नेपाल के विदेश मंत्रालय ने ‘एक्स' पर पोस्ट किया कि राजदूत श्रीवास्तव ने प्रधानमंत्री मोदी की ओर से अपने नेपाली समकक्ष को अंतरिम सरकार की नेता के रूप में उनकी नियुक्ति पर दिया गया बधाई संदेश दिया। अपने बधाई संदेश में प्रधानमंत्री मोदी ने ‘‘दोनों पड़ोसी देशों के बीच सहयोग और मैत्री के घनिष्ठ संबंधों को और मजबूत करने के लिए मिलकर काम करने की भारत की प्रतिबद्धता व्यक्त की।" कार्की रविवार को नेपाल की पहली महिला प्रधानमंत्री बनीं। इसके साथ ही, भ्रष्टाचार और सोशल मीडिया पर सरकारी प्रतिबंध को लेकर युवाओं के विरोध प्रदर्शनों के बाद प्रधानमंत्री के पी शर्मा ओली के इस्तीफे के पश्चात कई दिनों से जारी राजनीतिक अनिश्चितता का अंत हो गया। नयी सरकार को पांच मार्च, 2026 को नया चुनाव कराना है।
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- काठमांडू.। नेपाल के राष्ट्रपति रामचंद्र पौडेल ने कार्यवाहक प्रधानमंत्री सुशीला कार्की की ओर से नियुक्त तीन मंत्रियों को पद की शपथ दिलाई। देश की पहली महिला प्रधानमंत्री कार्की (73) ने रविवार को पदभार संभाला था। उन्होंने उसी दिन कुलमन घीसिंग, रामेश्वर खनाल और ओम प्रकाश आर्यल को अपने मंत्रिमंडल में शामिल किया था। तीन मंत्रियों का शपथ ग्रहण समारोह यहां महाराजगंज क्षेत्र में शीतल निवास स्थित राष्ट्रपति कार्यालय में आयोजित किया गया। पूर्व वित्त सचिव खनल को वित्त मंत्री के रूप में शपथ दिलाई गई है, जबकि नेपाल विद्युत प्राधिकरण के पूर्व प्रबंध निदेशक घीसिंग ने तीन विभागों ऊर्जा, जल संसाधन एवं सिंचाई; भौतिक अवसंरचना एवं परिवहन; और शहरी विकास का कार्यभार संभाला है। पेशे से वकील आर्यल ने गृह मंत्री और विधि, न्याय एवं संसदीय मामलों के मंत्री के रूप में शपथ ली है।शपथ ग्रहण समारोह के तुरंत बाद, उन्होंने अपने-अपने पदभार ग्रहण कर लिए।सोशल मीडिया पर प्रतिबंध और कथित भ्रष्टाचार के खिलाफ ‘जेन जेड' समूह के व्यापक विरोध प्रदर्शनों के बाद प्रधानमंत्री के पी शर्मा ओली ने गत मंगलवार को इस्तीफा दे दिया जिससे पैदा हुई राजनीतिक अनिश्चितता कार्की द्वारा 12 सितंबर को शपथ लिए जाने साथ ही समाप्त हो गई थी। ओली के इस्तीफे की मांग करते सैकड़ों प्रदर्शनकारियों द्वारा उनके कार्यालय में घुस जाने के कुछ ही देर बाद मंगलवार को उन्हें इस्तीफा देना पड़ा था। देशव्यापी विरोध प्रदर्शन में कम से कम 72 लोग मारे गए हैं। ‘जेन जेड' उस पीढ़ी को कहा जाता है जो 1997 से 2012 के बीच पैदा हुई है। यह वह युवा वर्ग है जो तकनीक, इंटरनेट और सोशल मीडिया के साथ बड़ा हुआ है। इन्हें डिजिटल नेटिव्स भी कहा जाता है क्योंकि ये लोग आधुनिक प्रौद्योगिकी के तहत अने वाले स्मार्टफोन, इंटरनेट और सोशल मीडिया के उपयोग में महारथ रखते हैं।
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ह्यूस्टन/न्यूयॉर्क. । अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने भारतीय मूल के होटल प्रबंधक चंद्र मौली ‘बॉब' नागमल्लैया को एक ‘‘सम्मानित व्यक्ति'' बताया, जिनकी पिछले सप्ताह डलास में सिर कलम कर बेरहमी से हत्या कर दी गई थी। ट्रंप ने कहा कि अपराधी पर सख्त से सख्त कार्रवाई की जाएगी। ट्रंप ने कहा कि इस मामले में आरोपी के खिलाफ ‘फर्स्ट-डिग्री मर्डर' का मुकदमा चलाया जाएगा।
टेक्सास प्रांत में 10 सितंबर को ‘डाउनटाउन सुइट्स' होटल में वॉशिंग मशीन को लेकर हुए विवाद के बाद, मूल रूप से कर्नाटक निवासी चंद्र मौली ‘बॉब' नागमल्लैया की उनके सहकर्मी योर्डानिस कोबोस-मार्टिनेज (37) ने उनकी पत्नी और बेटे के सामने सिर कलम कर हत्या कर दी थी। इस घटना पर अपनी पहली प्रतिक्रिया में ट्रंप ने जो बाइडन नीत पूर्ववर्ती सरकार की आव्रजन नीतियों की कड़ी आलोचना की और हमलावर को ‘‘अवैध अप्रवासी'' बताया, जिसे उनके अनुसार देश से पहले ही निकाल देना चाहिए था। ट्रंप ने रविवार को अपने सोशल मीडिया मंच ‘ट्रुथ सोशल' पर पोस्ट कर कहा, ‘‘टेक्सास के डलास में चंद्र नागमल्लैया की हत्या की भयावह खबर मिली। वह एक सम्मानित व्यक्ति थे, जिन्हें उनकी पत्नी और बेटे के सामने बेरहमी से मार दिया गया। यह हत्या क्यूबा से आए एक अवैध प्रवासी ने की, जिसे कभी हमारे देश में होना ही नहीं चाहिए था।” उन्होंने आगे कहा कि पुलिस हिरासत में मौजूद इस अपराधी पर “कानून के अनुसार सबसे सख्त कार्रवाई की जाएगी और उस पर ‘फर्स्ट-डिग्री मर्डर' का मुकदमा चलेगा।” ट्रंप ने बताया कि आरोपी पहले भी बच्चों के यौन शोषण, कार चोरी और जबरन बंधक बनाने जैसे गंभीर अपराधों में गिरफ्तार हो चुका है। उन्होंने कहा कि क्यूबा ने इस ‘‘खतरनाक अपराधी'' को अपने देश में वापस लेने से इनकार कर दिया जिसके बाद उसे अमेरिकी आव्रजन एवं सीमा शुल्क विभाग (आईसीई) की हिरासत से रिहा कर दिया गया। ट्रंप ने इसके लिए पूर्व राष्ट्रपति जो बाइडन को जिम्मेदार ठहराया और कहा, “निश्चित रहें, मेरे कार्यकाल में इन अवैध प्रवासी अपराधियों के प्रति नरमी नहीं बरती जाएगी। गृह मंत्री क्रिस्टी नोएम, अटॉर्नी जनरल पैम बॉन्डी, बॉर्डर प्रमुख टॉम होमन और मेरी सरकार के कई अन्य लोग अमेरिका को फिर से सुरक्षित बनाने के लिए बेहद प्रभावी तरीके से काम कर रहे हैं।” सांसद राजा कृष्णमूर्ति ने नागमल्लैया की हत्या पर गहरा दुख व्यक्त करते हुए कहा कि यह घटना बेहद चौंकाने वाली है। उन्होंने कहा कि नागमल्लैया एक मेहनती भारतीय-अमेरिकी नागरिक थे। उन्होंने कहा, ‘‘मेरी गहरी संवेदनाएं उनके परिवार के साथ हैं। अपराधी को कानून के अनुसार सख्त से सख्त सजा मिलनी चाहिए।'' - काठमांडू. नेपाल में पिछले सप्ताह हुए सरकार विरोधी हिंसक प्रदर्शनों के दौरान विभिन्न जेलों से भागे 3,700 से अधिक कैदियों को फिर से गिरफ्तार कर लिया गया है। पुलिस ने रविवार को यह जानकारी दी। नेपाल पुलिस के प्रवक्ता, उप महानिरीक्षक (डीआईजी) बिनोद घिमिरे ने बताया कि रविवार दोपहर तक 3,723 कैदियों को वापस जेलों में लाया जा चुका है। हालांकि, उन्होंने 10,320 कैदियों के अब भी फरार रहने के मद्देनजर लोगों से सतर्क रहने का आग्रह किया है। उप महानिरीक्षक ने बताया कि कुछ कैदी स्वेच्छा से लौट आए, जबकि भारतीय पुलिस ने भारत में प्रवेश करने की कोशिश करने वालों को गिरफ्तार करने में मदद की। डीआईजी घिमिरे ने बताया कि नेपाली सेना, नेपाल पुलिस और सशस्त्र पुलिस बल जेल से फरार हुए कैदियों को गिरफ्तार करने के लिए अभियान चला रहे हैं।
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काठमांडू. नेपाल के प्रमुख राजनीतिक दलों और वकीलों के शीर्ष निकाय ने राष्ट्रपति के संसद भंग करने के फैसले की कड़ी आलोचना की और इस कदम को ‘‘असंवैधानिक, मनमाना'' तथा लोकतंत्र के लिए एक गंभीर झटका बताया है। यह आलोचना शुक्रवार को अंतरिम प्रधानमंत्री सुशीला कार्की की अध्यक्षता में पहली कैबिनेट बैठक में प्रतिनिधि सभा को भंग करने की सिफारिश किए जाने और राष्ट्रपति रामचंद्र पौडेल द्वारा इसे तुरंत मंजूरी दिए जाने के बाद आई। राष्ट्रपति कार्यालय द्वारा जारी एक नोटिस के अनुसार, प्रतिनिधि सभा 12 सितंबर, 2025 की रात 11 बजे से भंग हो गई है। इसमें कहा गया कि राष्ट्रपति ने नए संसदीय चुनाव कराने की तारीख 21 मार्च, 2026 तय की है। सभी प्रमुख राजनीतिक दलों ने संसद भंग करने के इस कदम की निंदा की है।
इस कदम को अस्वीकार करते हुए, देश की सबसे बड़ी राजनीतिक पार्टी, नेपाली कांग्रेस ने चेतावनी दी कि संविधान का उल्लंघन करने वाली कोई भी कार्रवाई अस्वीकार्य होगी। समाचार पोर्टल ‘माय रिपब्लिका' की रिपोर्ट के अनुसार, शनिवार को नेपाली कांग्रेस की केंद्रीय कार्यकारी समिति की बैठक में यह निष्कर्ष निकला कि संसद भंग करने के फैसले ने देश की लोकतांत्रिक उपलब्धियों को खतरे में डाल दिया है।'' नेपाली कांग्रेस के महासचिव विश्व प्रकाश शर्मा ने कहा कि संविधान का कोई भी उल्लंघन गंभीर सवाल खड़े करता है। सीपीएन-यूएमएल के महासचिव शंकर पोखरेल ने इस कदम को ‘'चिंताजनक'' बताया।
नेपाल कम्युनिस्ट पार्टी (एकीकृत मार्क्सवादी-लेनिनवादी) के नेता के हवाले से समाचार पोर्टल ने कहा, ‘‘अतीत में, संसद को भंग करने के अधिकतर सरकारों के प्रयासों को असंवैधानिक बताकर चुनौती दी गई थी। विडंबना यह है कि वही आवाजें अब संसद को भंग करने का समर्थन कर रही हैं। हमें सतर्क रहना चाहिए।'' सीपीएन (माओवादी केंद्र) ने भी प्रतिनिधि सभा को भंग करने के फैसले पर असहमति व्यक्त की।
पार्टी प्रवक्ता और उपाध्यक्ष अग्नि प्रसाद सपकोटा ने कहा कि यह फैसला देश के संवैधानिक ढांचे के खिलाफ है। नेपाल बार एसोसिएशन (एनबीए) ने शुक्रवार देर रात एक बयान में कहा कि ‘‘मनमाने'' तरीके से संसद को भंग करना संवैधानिक सर्वोच्चता को कमजोर करता है और संविधानवाद के मूल पर प्रहार करता है।

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