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- लंदन। ब्रिटेन में कोरोना वायरस की एक किस्म में म्युटेशन हो गई है और ये मूल किस्म से ज्यादा तेजी से संक्रमण फैला रहा है। ब्रिटेन की सरकार ने इसे बेकाबू घोषित कर दिया है। आखिर कितना खतरा है इस बदले हुए कोरोना वायरस से?ब्रिटेन और अमेरिका में कोरोना वायरस का टीका लगने की शुरुआत होने से महामारी के खिलाफ लड़ाई में दुनिया भर में उम्मीद जगने लगी थी। लेकिन ब्रिटेन में फैल रही कोरोना वायरस की एक नई किस्म ने यूरोप में हड़कंप मचा दिया है और दुनिया के दूसरे कोनों में चिंता की एक लहर को जन्म दे दिया है।ब्रिटेन की सरकार ने कहा है कि वायरस की यह नई किस्म इतनी तेजी से फैल रही है की ये 'बेकाबू' हो गई है। स्थिति को देखते हुए आयरलैंड, जर्मनी, फ्रांस, इटली, नीदरलैंड्स और बेल्जियम जैसे देशों ने ब्रिटेन से आने वाली उड़ानें रद्द कर दी हैं।क्या है वायरस की नई किस्म?वैज्ञानिकों का मानना है कि वायरस की नई किस्म में कम से कम 17 महत्वपूर्ण बदलाव हैं। सबसे महत्वपूर्ण बदलाव स्पाइक प्रोटीन में आया है। ये वो प्रोटीन होता है जिसका इस्तेमाल वायरस हमारे शरीर की कोशिकाओं में घुसने के लिए करता है। ब्रिटेन के स्वास्थ्य अधिकारियों का कहना है कि वायरस की ये नई किस्म पहले वाली किस्म के मुकाबले 70 प्रतिशत ज्यादा संक्रामक है।ब्रिटेन के एक शहर में फाईजर-बायोएनटेक की वैक्सीन की दो खुराकों में से पहली खुराक लेने के लिए एक केंद्र में प्रवेश करते हुए लोग। ब्रिटेन के स्वास्थ्य सचिव मैट हैनकॉक ने वायरस के नए स्ट्रेन को 'बेकाबू' बताया है। जानकारों का कहना है कि वायरसों में म्युटेशन होना बहुत सामान्य है और हमेशा ऐसा नहीं होता कि बदला हुआ वायरस पहले वायरस से ज्यादा खतरनाक ही हो, लेकिन चूंकि यह नई किस्म ज्यादा तेजी से संक्रमण को फैला रही है, इसलिए इस पर नजर रखना जरूरी है।क्या मौजूदा वैक्सीन इस पर असर करेंगी?नए स्ट्रेन को ले कर सबसे बड़ा सवाल यह उठ रहा है कि जिन वैक्सीनों को लगाना शुरू किया जा चुका है क्या वो इस नए स्ट्रेन के खिलाफ भी असरदार होंगी या बेअसर हो जाएंगी? वैज्ञानिकों का कहना है कि अभी इसके बारे में चिंता का समय नहीं आया है क्योंकि अमूमन वैक्सीनें शरीर के इम्यून सिस्टम को वायरस के कई पहलुओं से लडऩे के लिए तैयार करती हैं।ऐसे में अगर वायरस के कुछ हिस्सों में म्युटेशन भी हो जाती है तो भी संभव है कि वैक्सीन उसका मुकाबला कर लेगी, लेकिन सजग रहने की आवश्यकता है क्योंकि अगर वायरस पूरी तरह से म्यूटेट हो गया तो संभव है कि वैक्सीन उसके आगे बेअसर हो जाए।
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काठमांडू। नेपाल में पांचवीं सदी के पवित्र पशुपतिनाथ मंदिर को कोविड-19 महामारी के चलते नौ महीने बंद रहने के बाद बुधवार को श्रद्धालुओं के लिये खोल दिया गया। पशुपतिनाथ मंदिर नेपाल का सबसे बड़ा मंदिर है। यह बागमती नदी के किनारे स्थित है। नेपाल और भारत से हजारों लोग रोजाना इसके दर्शन के लिये आते हैं। नेपाल सरकार ने कोरोना वायरस की रोकथाम के लिये मार्च में लॉकडाउन लागू किया था। तब से मंदिर परिसर में श्रद्धालुओं के प्रवेश पर पाबंदी लगी थी। पशुपति मंदिर एरिया ट्रस्ट के प्रमुख प्रदीप ढकाल ने कहा कि काठमांडू के बाहरी इलाके में स्थित मंदिर को फिर से खोलने के लिये विशेष सुरक्षा प्रबंध किये गए हैं। बुधवार को सैंकड़ों श्रद्धालु शिव मंदिर में प्रवेश के लिये इसके दक्षिणी द्वार पर कतारबद्ध नजर आए। मंदिर में प्रवेश के दौरान श्रद्धालुओं लिये मास्क पहनना और हाथों को सैनिटाइज करना अनिवार्य है। इसके बाद उन्हें एक कक्ष से गुजरना होगा जहां, तापमान मापने वाले स्वचालित कैमरे लगे हुए हैं। मुख्य मंदिर परिसर में प्रवेश से पहले श्रद्धालुओं को तरल साबुन से अपने हाथ धोने होंगे। ढकाल ने कहा कि श्रद्धालुओं को सभी स्वास्थ्य सुरक्षा नियमों का पालन करने के बाद मंदिर में प्रार्थना की अनुमति दी जाएगी। - बीजिंग। चीन का चंद्रयान 'चांग ई 5' चांद की सतह से चट्टानों और मलबे के नमूने सफलतापूर्वक एकत्रित करने के बाद अब धरती पर आने को तैयार है। इस तरह का प्रयास करीब 45 वर्षों में पहली बार किया जा रहा है तथा चीन के वैज्ञानिकों ने अपने इस यान के धरती पर उतरने के लिए सभी जरूरी तैयारियां कर ली हैं।'चीन राष्ट्रीय अंतरिक्ष प्रशासन' ने बताया कि 'चांग ई 5' यान के आर्बिटर के अलग होने से पहले इसे इसके मार्ग पर प्रशस्त करने के लिए बुधवार सुबह इसके इंजनों को चालू कर दिया गया। इसकी सभी प्रणाली उम्मीद के मुताबिक काम कर रही हैं। चीन की आधिकारिक शिन्हुआ समाचार एजेंसी ने इस कार्य से जुड़े बियान हानचेंग के हवाले से बताया कि आकार में छोटा होने, अंधेरा और भारी बर्फ आच्छादित होने के कारण वापसी यान के धरती पर आने की प्रक्रिया काफी जटिल है। 'चांग ई 5' ने करीब दो किलोग्राम नमूने एकत्र किए हैं। यह एक दिसंबर को चांद की सतह पर उतरा था। उसने चांद की सतह के ऊपर तथा सतह में करीब दो मीटर छेद कर नमूने एकत्र किए। 'चांग ई 5' चांद की सतह पर पहुंचने वाला चीन का तीसरा यान है। यह चीन के महत्वाकांक्षी अंतरिक्ष कार्यक्रम की कड़ी का हालिया अभियान है। अभियान के तहत भेजा गया 'चांग ई 4' चंद्रमा के सुदूरवर्ती क्षेत्र में पहुंचने वाला पहला यान था। इससे पहले पूर्व सोवियत संघ द्वारा भेजे गये रोबोट वाले लूना 24 अंतरिक्ष यान के जरिये वैज्ञानिकों को चांद से लाये गये नमूने प्राप्त हुए थे।
- मास्को। ये पूरी घटना रूस की है। 59 साल का एक व्यक्ति सांस लेने में दिक्कत होने की शिकायत लेकर डॉक्टर के पास पहुंचा। व्यक्ति का कहना था कि वो अपनी दाईं नासिका से सांस नहीं ले पा रहा था। इलाज के दौरान डॉक्टरों ने जब व्यक्ति के नाक की जांच की तो वो भी हैरान रह गए। इस व्यक्ति के नाक में एक सिक्का फंसा हुआ था जिसकी वजह से उसे सांस लेने में तकलीफ हो रही थी।डॉक्टरों के पूछने पर व्यक्ति ने बताया कि जब वो छह साल का था तो उसने गलती से अपनी नाक में सिक्का फंसा लिया था। डांट पडऩे की डर से उसने ये बात अपनी मां को नहीं बताई। इसके बाद वो खुद भी भूल गया कि उसकी नाक में सिक्का फंसा है।इसके बाद ये व्यक्ति 50 साल तक इसी तरह बिना किसी दिक्कत के सांस लेता रहा। आधी सदी से भी ज्यादा का समय गुजर जाने के बाद व्यक्ति को जब सांस लेने में तकलीफ हुई तो वो डॉक्टर के पास आया। अस्पताल में डॉक्टरों ने उसकी नाक की स्कैनिंग की जिसमें कुछ सिक्केनुमा चीज फंसी दिखाई दी। इतने सालों से नाक में सिक्का फंसे रहने की वजह से इसके चारों तरफ पत्थर जैसी संरचना हो गई थी। इसकी वजह से ये व्यक्ति सांस नहीं ले पा रहा था। डॉक्टरों ने बड़ी सावधानी से ऑपरेशन के जरिए इस सिक्के को नाक से बाहर निकाला।ये सिक्का जब व्यक्ति की नाक में फंसा था तब इसकी कीमत एक पैसे के आसपास थी। व्यक्ति की नाक से ये सिक्का 53 साल बाद निकाला गया। ऑपरेशन करने वाले डॉक्टर का कहना है कि ऑपेरशन सफल रहा और व्यक्ति को अस्पताल से छुट्टी दे दी गई है। ये व्यक्ति अब आराम से सांस ले सकता है।इससे पहले 2015 में कुछ ऐसी ही खबर आई थी जब 51 साल के स्टीव ईस्टन की छींक में खिलौने का एक टुकड़ा निकला था। स्टीव जब 7 साल के थे तो ये टुकड़ा उनकी नाक मे फंस गया था। उनके माता-पिता उन्हें उस समय अस्पताल ले गए थे लेकिन डॉक्टर इसे नाक से नहीं निकाल पाए। इसकी वजह से ईस्टन को अक्सर सिरदर्द और सूंघने में तकलीफ होती थी। उन्होंने कहा कि वो इस बात से पूरी तरह से अनजान थे कि टुकड़ा 44 सालों से उनकी नाक में फंसा था, लेकिन एक दिन छींक आने पर वह टुकड़ा अपने आप ही बाहर निकल आया।-----
- न्यूयॉर्क। अमेरिका के नवनिर्वाचित राष्ट्रपति जो बाइडन और उप-राष्ट्रपति कमला हैरिस को प्रतिष्ठित टाइम पत्रिका ने अमेरिकी परिदृश्य को बदलने के लिए '2020 पर्सन ऑफ द ईयर' चुना है।पत्रिका ने अपने वार्षिक प्रतिष्ठित सम्मान के लिए इन दोनों डेमोक्रेटिक नेताओं को चुना है। उसने अन्य अंतिम चरण के अन्य दावेदारों- अग्रिम मोर्चे पर काम करने वाले स्वास्थ्यकर्मियों और नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ एलर्जी एंड इंफेक्शियस डिजीज के निदेशक डॉ. एंथनी फौसी, मूवमेंट फॉर रेसियल जस्टिस और अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प के ऊपर इन दोनों को तरजीह दी।पत्रिका न कहा, अमेरिकी कहानी को बदलने के लिए, यह दिखाने के लिए कि सहानुभूति की ताकत विभाजन की उग्रता से अधिक है, एक पीडि़त दुनिया को ठीक करने की दृष्टि साझा करने के लिए जो बाइडन और कमला हैरिस को टाइम का 2020 पर्सन ऑफ द ईयर चुना गया है। टाइम ने फौसी, स्वास्थ्य कर्मियों और मूवमेंट फॉर रेसियल जस्टिस के आयोजकों को '2020 गार्जियंस ऑफ द ईयर' नामित किया हैं, जो लोकतंत्र के पवित्र आदर्शों की रक्षा के लिए खुद आगे डटे रहे।कॉन्फ्रेंसिंग प्लेटफॉर्म जूम के सीईओ एरिक युआन को टाइम के बिजनेसपर्सन ऑफ द ईयर के रूप में नामित किया गया है। दक्षिण कोरियाई बॉय बैंड बीटीएस को एंटरटेनर ऑफ द ईयर और अमेरिकी बास्केटबॉल खिलाड़ी लेब्रोन जेम्स को एथलीट ऑफ द ईयर नामित किया गया। टाइम ने कहा कि यह "उल्लेखनीय" है कि पिछले साल स्वीडिश जलवायु संरक्षण कार्यकर्ता ग्रेटा थनबर्ग को पर्सन ऑफ द ईयर के रूप में नामित किया गया था जो यह सम्मान पाने वाली सबसे कम उम्र की शख्स थीं। इसके एक साल बाद, इस सम्मान के लिए 78 वर्षीय बाइडन को चुना गया, इस सम्मान के लिए चुने गए सबसे बुजुर्ग व्यक्तियों में से एक हैं।टाइम ने कहा, "बाइडन खुद को नई पीढ़ी के नेताओं के लिए एक पुल बताते हैं। उन्होंने 56 वर्षीय कमला हैरिस को उप राष्ट्रपति की उम्मीदवार के रूप में चुनने में एक महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाई। हैरिस उप राष्ट्रपति पद के लिए निर्वाचित होने वाली पहली महिला हैं, जो जमैका के रहने वाले पिता और एक भारतीय मां की बेटी हैं।टाइम ने कहा कि फ्रेंकलिन डेलानो रूजवेल्ट के बाद से हर निर्वाचित राष्ट्रपति को उनके कार्यकाल के किसी वर्ष में पर्सन ऑफ द ईयरÓ चुना जाता रहा है, उनमें से लगभग एक दर्जन को यह सम्मान राष्ट्रपति चुनाव वाले वर्ष में दिया गया है। टाइम ने कहा, "यह पहली बार है जब हमने एक उपराष्ट्रपति को शामिल किया है। नस्लीय न्याय के लिए चले एक बहुत बड़े संघर्ष के बाद और इतिहास के सबसे महत्त्वपूर्ण चुनावों में से एक में जीत हासिल कर बाइडन-हैरिस की जोड़ी ने एक मजबूत संदेश दिया है।ÓÓ
- वाशिंगटन। नासा ने चंद्रमा पर इंसान को भेजने के अपने अभियान के लिए एक भारतवंशी राजा जॉन वुरपुतूर चारी सहित 18 अंतरिक्षयात्रियों का चयन किया है।अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी नासा ने अपने चंद्र अभियान के लिए बुधवार को 18 अंतरिक्षयात्रियों के नामों की घोषणा की। इनमें आधी संख्या महिलाओं की है। नासा इन्हें अपने आर्टमिस चंद्र अभियान के लिए प्रशिक्षित करेगा। अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी ने कहा कि नासा के इस अभियान के तहत 2024 में चांद की सतह पर पहली बार कोई महिला कदम रखेगी और इस दशक के अंत तक चंद्रमा पर इंसानों के रहने के लिए अनुकूल माहौल तैयार किया जाएगा।चारी (43) यूएस एयर फोर्स एकेडमी, एमआईटी और यूएस नवल टेस्ट पायलट स्कूल से स्नातक हैं, और इस सूची में वह भारतीय मूल के एकमात्र अंतरिक्ष यात्री हैं। नासा ने उन्हें 2017 एस्ट्रोनॉट कैंडिडेट क्लास के लिए चुना था। अगस्त 2017 में वह इसमें शामिल हुए थे और अपना शुरुआती प्रशिक्षण पूरा किया। अब वह अभियान के लिए पूरी तरह तैयार हैं।फ्लोरिडा में नासा के केनेडी स्पेस सेंटर में उप राष्ट्रपति माइक पेंस ने बुधवार को कहा, मेरे अमेरिकी साथियों मैं आपको भविष्य के वे नायक दे रहा हूं जो हमें आर्टमिस जेनरेशनÓ के जरिए चांद और उससे भी आगे ले जाएंगे।पेंस ने राष्ट्रीय अंतरिक्ष परिषद की बैठक में इन अंतरिक्ष यात्रियों के नामों की घोषणा करते हुए कहा, यह सोचना रोमांचकारी है कि चांद की सतह पर उतरने वाला अगला इंसान और पहली महिला उनमें से होगी जिनके नाम हमने यहां पढ़े हैं....। आर्टमिस जेनरेशन भविष्य के अभियान के नायकों का प्रतिनिधित्व करता है। चीफ एस्ट्रोनॉट पैट फोरेस्टर ने कहा, चांद की सतह पर चलना हमारे लिए किसी सपने के साकार होने जैसा होगा। अभियान में किसी भी तरह की भूमिका निभाना हमारे लिए गौरव की बात होगी।आर्टमिस टीम में अलग-अलग पृष्ठभूमि, विशेषज्ञता और अनुभव वाले अंतरिक्ष यात्री शामिल हैं। समूह में अधिकतर सदस्यों की उम्र 30 से 35 या 40 से 45 के बीच है। सबसे अनुभवी सदस्य 55 साल के और सबसे युवा सदस्य 32 साल के हैं। चुने गए अंतरिक्ष यात्री नासा को आगामी आर्टमिस मिशन में मदद करेंगे। एजेंसी अपने वाणिज्यिक सहयोगियों के साथ अगले साल इसकी शुरुआत करेगी। इसके तहत मानवों के उतरने के लिए लैंडिंग सिस्टम, प्रशिक्षण में मदद, हार्डवेयर संबंधी जरूरतों और प्रौद्योगिकी सहयोग पर काम होगा।
- नई दिल्ली। इस समय दुनिया के कई देश बढ़ती जनसंख्या की वजह से बेहद परेशान हैं। जनसंख्या नियंत्रण को लेकर कई तरह के प्रयोग और कानून भी बनाए गए हैं। वहीं, दुनिया में एक ऐसा देश है जहां पर ज्यादा बच्चे पैदा करने पर माताओं को स्वर्ण पदक और हर महीने आर्थिक मदद दी जाती है. है न आश्चर्य की बात।दरअसल कजाकिस्तान में जनसंख्या बहुत कम है। इसीलिए यहां की सरकार ज्यादा बच्चे होने पर नागरिकों की आर्थिक मदद करती है। कजाकिस्तान में ज्यादा बच्चे पैदा करने वाली मांओं को हीरो मदर्स के मेडल से नवाजा जाता है। कजाकिस्तान सरकार 6 बच्चे पैदा करने वाली मांओं को रजत पदक देती है। वहीं, 7 या उससे ज्यादा बच्चे पैदा करने वाली मांओं को स्वर्ण पदक दिया जाता है। इसके साथ ही पदक जीतने वाली महिलाओं को जीवनभर सरकार से तरफ से मासिक भत्ता भी दिया जाता है। इसके अलावा जिन मांओं के चार बच्चे हैं, उनको बच्चों के 21 साल के होने तक मासिक भत्ता दिया जाता है। स्वर्ण पदक जीतने वाली मांओं को हर महीने एक लाख 44 हजार टेंगे (370 अमेरिकी डॉलर या 26 हजार 270 रुपए) मिलते हैं.ज्यादा बच्चे पैदा करने पर पदक और आर्थिक मदद देनी सोवियत संघ के समय में शुरू हुई थी। सोवियत संघ ने 1944 में मदर हीरोइन अवॉर्ड शुरू किया था। यह अवॉर्ड उन मांओं को दिया जाता था, जिनके 10 से अधिक बच्चे होते थे।
- -17 दिसंबर को मोदी-हसीना करेंगे उद्घाटनगुवाहाटी/कूचबिहार। पश्चिम बंगाल के हल्दीबाड़ी और बांग्लादेश स्थित चिलहटी के बीच रेल मार्ग 55 साल बाद 17 दिसंबर को पुन: खोला जाएगा और भारत तथा बांग्लादेश के प्रधानमंत्री इसका उद्घाटन करेंगे।उत्तर पूर्व फ्रंटियर रेलवे (एनएफआर) के एक अधिकारी ने गुरुवार को यह जानकारी दी। वर्ष 1965 में भारत तथा तत्कालीन पूर्वी पाकिस्तान के बीच रेल संपर्क टूटने के बाद कूचबिहार स्थित हल्दीबाड़ी और उत्तरी बांग्लादेश के चिलहटी के बीच रेलवे लाइन बंद कर दी गई थी। एनएफआर के मुख्य जनसंपर्क अधिकारी सुभानन चंदा ने कहा, "प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और उनकी बांग्लादेशी समकक्ष शेख हसीना, 17 दिसंबर को हल्दीबाड़ी-चिलहटी रेल मार्ग का उद्घाटन करेंगे।" उन्होंने कहा कि रेल मार्ग बहाल करने के लिए चिलहटी से हल्दीबाड़ी तक एक मालगाड़ी जाएगी जो एनएफआर के कटिहार डिवीजन में आता है। कटिहार मंडलीय रेलवे प्रबंधक रविंदर कुमार वर्मा ने कहा कि विदेश मंत्रालय ने मंगलवार को अधिकारियों को रेल मार्ग बहाल होने से अवगत कराया। एनएफआर ने कहा कि हल्दीबाड़ी रेलवे स्टेशन से अंतरराष्ट्रीय सीमा तक की दूरी साढ़े चार किलोमीटर है और बांग्लादेश में चिलहटी से सीमा तक की दूरी साढ़े सात किलोमीटर के आसपास है। वर्मा ने बुधवार को हल्दीबाड़ी स्टेशन का दौरा करने के बाद कहा कि इस मार्ग पर जब यात्री सेवा शुरू हो जाएगी तो लोग सिलीगुड़ी के पास स्थित जलपाईगुड़ी से कोलकाता, सात घंटे में पहुंच सकेंगे और इससे पूर्व के यात्रा समय में पांच घंटे की कमी आएगी।-
- अबू धाबी । इमारत गिराने का भी विश्व रिकॉर्ड बनाया जाता है, यह हाल ही में सामने आया है। गिरीज बुक ऑफ वल्र्ड रिकॉर्ड ने अपने फेसबुक पेज में 8 दिसंबर को एक वीडियो शेयर किया है जिसमें 144 मंजिला को गिराते हुए दिखाया गया है। इस वीडियो को 7 हजार से अधिक रिएक्शन और 500 से ज्यादा कमेंट्स मिल चुके हैं।मामला यूएई के अबू धाबी का है , जहां 144 मंजिला इमारत को सिर्फ 10 सेकंड में गिरा दिया गया। इस इमारत का नाम गिनीज बुक ऑफ वल्र्ड रिकॉर्ड में दर्ज हो चुका है। दरअसल इतने कम समय में इतनी ऊंची इमारत दुनिया में अब तक नहीं गिराई गई थी। सच में इमारत का वीडियो लोगों को हैरानी में डालने वाला है।इस 165 मीटर ऊंचे टॉवर को नियंत्रित डायनामाइट लगाकर जमींदोज किया गया। यह मीना प्लाजा का हिस्सा थी। इस इमारत को गिराने के लिए 915 किलो विस्फोटक को 3 हजार से अधिक डेटोनेटर के जरिए सक्रिय किया गया और उसके बाद केवल 10 सेकंड में ही यह इमारत नष्ट हो गई। इस वीडियो में महज चंद सेकंड में इमारत ढहती नजर आ रही है। गिरते समय चारों ओर धूल का गुबार उड़ रहा था । इसे देखकर लोगों ने वायु प्रदूषण के प्रति भी चिंता व्यक्त की।
- ओटावा। कनाडा ने 16 वर्ष के अधिक उम्र के लोगों के लिए फाइजर के कोरोना टीके के उपयोग को मंजूरी दे दी है। इसके साथ ही कनाडा में लोगों को अगले सप्ताह से टीका लगाये जाने की संभावना बढ़ गई है। कनाडा के नियामक हेल्थ कनाडा ने कहा है कि टीके की सुरक्षा और उसके असर के संबंध में आंकडों की स्वतंत्र रूप से समीक्षा पूरी कर ली गई है।कनाडा के प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रुडो ने कहा है कि फाइजर के टीके की शुरूआती खुराक 14 वितरण केन्द्रों पर अगले सप्ताह पहुंच जायेगी। अमरीका और बेल्जियम से दो लाख 49 हजार टीकों के खुराक की पहली खेप कनाडा भेजी जा रही है।
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एम्सटरडम। नीदरलैंड में मंगलवार को दो अलग-अलग शहरों में स्थित पोलिश सुपरमार्केट में विस्फोट हुआ, जिससे ये बुरी तरह क्षतिग्रस्त हो गए। पुलिस ने बताया कि इन विस्फोट में कोई घायल नहीं हुआ। ये धमाके एम्सटरडम के पास स्थित शहर आल्समीर और उत्तरी ब्रेबैंट प्रांत के एक छोटे शहर स्थित स्टोर में हुए। हालांकि, यह तत्काल स्पष्ट नहीं हो सका कि दोनों विस्फोट में आपस में कोई संबंध है अथवा नहीं? दोनों स्टोर को नाम बीडरोनका है। एम्सटरडम पुलिस ने आल्समीर में हुए विस्फोट के चश्मदीदों से सामने आने की अपील की। यह विस्फोट तड़के करीब तीन बजे हुआ। इसके चलते स्टोर बुरी तरह क्षतिग्रस्त हो गया और आसपास की इमारतों को भी भारी नुकसान पहुंचा। आल्समीर के महापौर ने कहा कि यह चमत्कार ही है कि कोई घायल नहीं हुआ। इस बीच, आल्समीर में मंगलवार को फोरेंसिक जांचकर्ताओं ने मलबे से साक्ष्य एकत्र किए। पुलिस ने कहा कि उत्तरी ब्रेबैंट प्रांत के हीस्विजक और डीनथर के स्टोर में हुए विस्फोट के बाद आसपास रहने वाले करीब 20 लोगों को ऐहतियात के तौर पर वहां से हटाया गया। नीदरलैंड में कई पोलिश स्टोर हैं जोकि पोलैंड के श्रमिकों की खरीदारी करने के पंसदीदा स्थान हैं। - लंदन। ब्रिटेन, कोविड वैक्सीन का इस्तेमाल करने वाला विश्व का पहला देश बन गया है। फाइजर और बायोटैक द्वारा विकसित कोविड वैक्सीन मंगलवार को ब्रिटेन में शुरु कर दी गई। इस महामारी से विश्व में 15 लाख लोगों की मृत्यु हुई है और वैश्विक अर्थव्यवस्था बुरी तरह प्रभावित हुई है।ब्रिटेन के लगभग 70 अस्पतालों में 80 वर्ष से अधिक के बुजुर्गों और स्वास्थ्य कर्मियों को ये वैक्सीन दी गई है। सरकार ने प्राथमिकता के आधार पर दिशा-निर्देश जारी किए हैं। ये वैक्सीन 21 दिन के अंतराल में दो इंजेक्?शनों के जरिए दी जाएगी। दूसरी खुराक के सात दिन बाद शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता में समग्र सुधार होगा। अभी तक यह जानकारी नहीं है कि यह क्षमता कितने दिन बरकरार रहेगी।
- कोमो (इटली)। पति और पत्नी के बीच लड़ाई आम बात है। कभी -कभी यह लड़ाई काफी खतरनाक भी हो जाती है। लेकिन क्या आपने कभी सुना है कि लड़ाई के बाद अपना गुस्सा शांत करने के लिए पति पैदल ही घर से निकल पड़े और उसे पता ही नहीं चले कि उसने गुस्से गुस्से में 450 किमी का सफर तय कर लिया है। यह सच है और ऐसा ही एक मामला इटली में सामने आया है।इंडिपेंटडेंट की एक रिपोर्ट के अनुसार इटली के कोमो शहर में रहने वाले 48 साल के एक शख्स ने ऐसा ही कदम उठाया है। यह शहर स्विटजरलैंड की सीमा के पास ही स्थित है। इस शख्स की पत्नी से लड़ाई हुई और फिर वह अपने घर से तूफान की तरह पैदल ही निकल पड़ा। अपने गुस्से को शांत करने के लिए वह चलता रहा चलता रहा और वह अपने कोमो शहर से चलते चलते 426 किमी दूर फानो शहर पहुंच गया। फिर भी उसका सफर खत्म नहीं हुआ और 30 किमी और चलकर जब एड्रियाटिक शहर पहुंचा तो पुलिस ने उसे गिरफ्तार कर लिया। दरअसल कोविड 19 के चलते रात में लाइट कफ्र्यू लागू था और उस शख्स ने इसका उल्लंघन किया था। उस शख्स ने जब अपने यूं पैदल चलने की वजह बताई तो पुलिस वालों को विश्वास नहीं हुआ। पुलिस ने जांच पड़ताल की तो सारा मामला सामने आया। दरअसल पति के घर नहीं पहुंचने पर उसकी पत्नी ने गुमसुदगी की रिपोर्ट लिखाई थी। उस शख्स ने पुलिस को बताया कि वह खुद को शांत करने के लिए ही पैदल घर से निकल पड़ा था। रास्ते में कई अनजान लोगों ने उसे खाना खिलाया। अपने इस सफर में वह शख्स एक दिन में करीब 64 किमी पैदल चला। इतनी दूरी तय करने के कारण वह काफी थक गया था और उसका शरीर ठंडा पड़ गया था।पुलिस ने आखिरकार उसकी पत्नी को खबर दी और वह फानो शहर में पति को लेने के लिए पहुंची। जुर्माने के तौर पर पत्नी ने करीब 36 हजार रुपए चुकाए क्योंकि उस शख्स ने नाइट कफ्र्यू के नियम का उल्लंघन किया था।-------------
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पेशावर। पाकिस्तान के खैबर पख्तूनख्वा प्रांत में मिनी बस और ट्रक की आमने-सामने से हुई टक्कर में बच्चों और एक महिला समेत कम से कम सात लोगों की मौत हो गई और 12 अन्य जख्मी हुए हैं। पुलिस ने बताया कि सीमेंट की बोरियों से लदा ट्रक एक गाड़ी को ओवर टेक करने की कोशिश कर रहा था लेकिन विपरीत दिशा से आ रही एक मुसाफिर बस से उसकी आमने-सामने टक्कर हो गई। पुलिस के एक अधिकारी ने बताया कि बचाव दल घटनास्थल पर पहुंच गया हैं और मिनी बस से शवों और घायलों को निकाल लिया गया है। घायलों को तत्काल जिला मुख्यालय अस्पताल नौशेरा में भर्ती कराया गया है।
- बीजिंग। चीन के दक्षिण पश्चिम इलाके में स्थित एक कोयले की खदान में कार्बन मोनो-ऑक्साइड गैस रिसने की वजह से कम से कम 18 खदान मजदूरों की मौत हो गई। यह जानकारी चीन के सरकारी टेलीविजन चैनल ने दी है।चैनल ने बताया कि चोंगकिंग स्थित डियाशिडोंग कोयला खदान में शुक्रवार को हुए हादसे के बाद एक मजदूर को जिंदा निकाला गया जबकि पांच अन्य की तलाश की जा रही है। उल्लेखनीय है कि चीन का कोयला खनन उद्योग दुनिया में सबसे खतरनाक माना जाता है, जहां सालाना पांच हजार से अधिक मजदूरों की मौत हो जाती है।
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कैलिफोर्निया। कोरोना वायरस ने सभी जिंदगी को मुश्किल बना दिया है, लेकिन इंसान ऐसी चीज है जो हर मुश्किल का हल निकाल ही लेता है। आप देख रहे होंगे कि आपके आस-पास कोरोना काल में खूब शादियां हो रही हैं लेकिन क्या हो अगर मैं आपसे कहूं एक ऐसी शादी भी हुई जब शादी से कुछ समय पहले ही पता चला कि दुल्हन कोरोना पॉजीटिव है। जी हां, ऐसा हुआ भी और इसके बावजूद भी उसकी शादी हो गई।
दक्षिणी कैलिफोर्निया के एक जोड़े को अपनी शादी के कुछ समय पहले ही अपनी शादी में कुछ बदलाव करने पड़े, जब सबको पता चला कि दुल्हन ने कोरोनो पॉजीटिव है। उन्होंने फैसला लिया कि वो कोरोना वायरस को उनकी शादी के रास्तें में नहीं आने देंगे। दोनों ने अलग-अलग मंजिलों पर खड़े होकर शादी की रस्मों को पूरा किया।
दुल्हन दूसरी मंजिल पर थी और दूल्हा ग्राउंड फ्लोर पर जब दोनों ने आई डू कहा। शादी में सभी मेहमान आपस में छह फीट की दूरी बनाए खड़े थे और कुछ रिश्तेदारों ने तो अपनी गाड़ी में से ही इस अद्भुत शादी का आनंद लिया। कोरोना काल में हुई शादी अपन आप साल 2020 की तरह काफी अलग रही। - कोलोराडो। भारतीय मूल की अमरीकी बालिका गीतांजलि राव को टाइम मैगजीन ने पहली बार किड ऑफ द इयर चुना है। उन्हें यह पुरस्कार प्रौद्योगिकी के इस्तेमाल से दूषित पेयजल से लेकर अफीम की लत छुड़ाने और साइबर बुलिंग की समस्याओं से निपटने के लिए मिला है।कोलोराडो की 15 वर्षीय गीतांजलि को पांच हजार उम्मीदवारों में से चुना गया है। टाइम के लिये उनका साक्षात्कार एकेडमी अवार्ड विजेता हॉलीवुड अभिनेत्री एंजेलिना जोली ने किया। 11 वर्ष की आयु में गीतांजली राव ने डिस्कवरी थ्री एम साइंटिस्ट चैलेंज जीता था और उन्हें अपने अनूठे प्रयासों के लिए फोब्र्स ने थर्टी अंडर थर्टी सूची में शामिल किया था। उनका नवीनतम अविष्कार कृत्रिम बुद्धिमता प्रौद्योगिकी पर आधारित काइंडली नाम का एक ऐप है जिससे शुरुआती अवस्था में ही साइबर बुलिंग का पता लगाया जा सकता है।इसी क्रम में राव ने टेथीस नाम का एक अप्लीकेशन तैयार किया है जिसमें कार्बन नैनोट्यूब जी सहायता से पानी में सीसे की मिलावट की जांच की जा सकती है।----
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बीजिंग। चीन का एक अंतरिक्ष यान चंद्रमा से चट्टान के नमूने पृथ्वी पर लाने के उद्देश्य से चंद्रमा की सतह पर उतरा। चीन की सरकार ने यह जानकारी दी। वर्ष 1970 के बाद से चंद्रमा से नमूने एकत्र करने का यह पहला अभियान है। चीन के राष्ट्रीय अंतरिक्ष प्रशासन की ओर से कहा गया कि ‘चांगए-5' अंतरिक्ष यान, निर्धारित स्थान पर रात 11 बजे (जीएमटी अपराह्न तीन बजे) के कुछ देर बाद सफलतापूर्वक उतरा। लैंडर को 24 नवंबर को हैनान द्वीप से प्रक्षेपित किया गया था। चंद्रमा पर भेजा गया लैंडर दो दिन में सतह से दो किलोग्राम चट्टान और धूल के नमूने एकत्र करेगा। इसके बाद नमूनों को कक्षा में भेजा जाएगा और वहां से इन नमूनों को ‘रिटर्न कैप्सूल' के जरिए पृथ्वी पर लाया जाएगा। योजना के अनुसार, महीने के मध्य तक अंतरिक्ष यान मंगोलिया में उतरेगा। यदि यह अभियान सफल रहता है तो 1970 के बाद से चंद्रमा से चट्टान के ताजा नमूने एकत्र करने वाला यह पहला सफल अभियान होगा।
- लंदन। ब्रिटेन, दवा कंपनी फाइजर-बायोएनटेक के कोविड-19 टीके को मंजूरी देने वाला पहला देश बन गया है। इससे घातक कोरोना वायरस को काबू करने के लिए व्यापक पैमाने पर टीकाकरण की शुरुआत का मार्ग प्रशस्त हो गया है।ब्रिटेन की दवा और स्वास्थ्य उत्पाद नियामक एजेंसी (एमएचआरए) ने बताया कि यह टीका उपयोग में लाने के लिए सुरक्षित है। दावा किया गया था कि यह टीका कोरोना वायरस की रोकथाम के लिए 95 प्रतिशत तक असरदार रहा है। प्रसिद्ध और प्रमुख अमेरिकी दवा कंपनी फाइजर और जर्मन कंपनी बायोएनटेक ने साथ मिलकर इस टीके को विकसित किया है। कंपनी ने हाल में दावा किया था कि परीक्षण के दौरान उसका टीका सभी उम्र, नस्ल के लोगों पर कारगर रहा। ब्रिटेन सरकार ने एमएचआरए को कंपनी द्वारा मुहैया कराए गए आंकड़ों पर गौर कर यह देखने को कहा था कि क्या यह गुणवत्ता, सुरक्षा और असर के मामले में सभी मानकों पर खरा उतरता है। ब्रिटेन को 2021 के अंत तक दवा की चार करोड़ खुराक मिलने की संभावना है। इतनी खुराक से देश की एक तिहाई आबादी का टीकाकरण हो सकता है।ब्रिटेन के स्वास्थ्य मंत्री मैट हैंकॉक ने पिछले महीने कहा था कि नियामक से मंजूरी मिल जाने पर राष्ट्रीय स्वास्थ्य सेवा (एनएचएस) टीकाकरण करने के लिए तैयार है। एनएचएस के पास टीकाकरण का व्यापक अनुभव है और उसके पास सारी व्यवस्थाएं भी हैं। टीके का उत्पादन बायोएनटेक के जर्मनी स्थित केंद्रों के साथ ही फाइजर की बेल्जियम स्थित यूनिट में किया जाएगा।
- वाशिंगटन। अमेरिका में भारतीय मूल के वैज्ञानिक के नेतृत्व वाली टीम ने एक नयी प्रणाली विकसित की जिसकी मदद से मंगल ग्रह पर मौजूद नमकीन पानी से ऑक्सीजन और हाइड्रोजन ईंधन प्राप्त किया जा सकता है।वैज्ञानिकों का मानना है कि इस प्रणाली से भविष्य में मंगल ग्रह और उसके आगे अंतरिक्ष की यात्राओं में रणनीतिक बदलाव आएगा। अनुसंधानकर्ताओं ने रेखांकित किया कि मंगल ग्रह बहुत ठंडा है, इसके बावजूद पानी जमता नहीं है जिससे बहुत संभावना है कि उसमें बहुत अधिक नमक (क्षार) हो जिससे उससे हिमांक तापमान में कमी आती है। उन्होंने कहा कि बिजली की मदद से पानी के यौगिक को ऑक्सजीन और हाइड्रोजन ईंधन में तब्दील करने के लिए पहले पानी से उसमें घुली लवन को अलग करना पड़ता है जो इतनी कठिन परिस्थिति में बहुत लंबी और खर्चीली प्रक्रिया होने के साथ मंगल ग्रह के वातावरण के हिसाब से खतरनाक भी होगी। अनुसंधानकर्ताओं की इस टीम का नेतृत्व अमेरिका स्थित वाशिंगटन विश्वविद्यालय में प्रोफेसर विजय रमानी ने किया और उन्होंने इस प्रणाली का परीक्षण मंगल के वातावरण की परिस्थितयों के हिसाब से शून्य से 36 डिग्री सेल्सियस के नीचे के तापमान में किया। रमानी ने कहा, ''मंगल की परिस्थिति में पानी को दो द्रव्यों में खंडित करने वाले हमारा 'इलेक्ट्रोलाइजर' मंगल ग्रह और उसके आगे के मिशन की रणनीतिक गणना को एकदम से बदल देगा। यह प्रौद्योगिकी पृथ्वी पर भी सामान रूप से उपयोगी है जहां पर समुद्र ऑक्सीजन और ईंधन (हाइड्रोजन) का व्यवहार्य स्रोत है।'' उल्लेखनीय है कि अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंस नासा द्वारा भेजे गए फिनिक्स मार्स लैंडर ने 2008 में मंगल पर मौजूद पानी और वाष्प को पहली बार 'छुआ और अनुभव' किया था। लैंडर ने बर्फ की खुदाई कर उसे पानी और वाष्प में तब्दील किया था। उसके बाद से यूरोपीय अंतरिक्ष एजेंसी के मार्स एक्सप्रेस ने मंगल ग्रह पर कई भूमिगत तलाबों की खोज की है जिनमें पानी मैग्निशियम परक्लोरेट क्षार की वजह से तरल अवस्था में है।रमानी की टीम द्वारा किए गए अनुसंधान को जर्नल प्रोसिडिंग ऑफ नेशनल एकेडमी ऑफ साइंस (पीएनएएस) में जगह दी गई है। अनुसंधानकर्ताओं ने रेखांकित किया कि मंगल ग्रह पर अस्थायी तौर पर भी रहने के लिए अंतरिक्ष यात्रियों को पानी और ईंधन सहित कुछ जरूरतों का उत्पादन लाल ग्रह पर ही करना पड़ेगा। नासा का पर्सविरन्स रोवर इस समय मंगल ग्रह की यात्रा पर है और वह अपने साथ ऐसे उपकरणों को ले गया है जो उच्च तापमान आधारित विद्युत अपघटन (इलेक्ट्रालिसिस) का इस्तेमाल करेंगे। हालांकि, रोवर द्वारा भेजे गए उपकरण 'मार्स ऑक्सीजन इन-सिटू रिर्सोस यूटिलाइजेशन एक्सपेरिमेंट' (मॉक्सी) वातावरण से कार्बन डॉइ ऑक्साइड लेकर केवल ऑक्सीजन बनाएगा। अनुसंधानकर्ताओं का दावा है कि रमानी की प्रयोगशाला में तैयार प्रणाली, मॉक्सी के बराबर ऊर्जा इस्तेमाल कर 25 गुना अधिक ऑक्सीजन का उत्पादन कर सकती है, इसके साथ ही यह हाइड्रोजन ईंधन का भी उत्पादन करती है जिसका इस्तेमाल अंतरिक्ष यात्री वापसी के लिए कर सकते हैं।
- मियामी (अमेरिका)। अमेरिका के मियामी में एक इमारत की चौथी मंजिल की खिड़की से गिरी बच्ची की जान ताड़ के पेड़ के कारण बच गई। मियामी के दमकल और बचाव विभाग के कैप्टन इगनाटिअस कैरोल ने बताया कि इमारत के बाहर ताड़ के एक पेड़ के कारण बच्ची की जान बच गयी।बच्ची सोमवार तड़के इमारत की खिड़की से नीचे गिरी, लेकिन पेड़ के कारण उसके गिरने की गति धीमी हो गई और वह झाडिय़ों में जाकर गिरी। कैरोल ने 'डब्ल्यूपीएलजी' टेलीविजन चैनल को बताया कि मियामी के लिटिल हवाना में घटनास्थल पर जब बचाव टीम पहुंची, तो बच्ची को उसके एक रिश्तेदार गोद में लिए हुए थे और बच्ची रो रही थी। इसके बाद बच्ची को उपचार के लिए अस्पताल ले जाया गया। मियामी पुलिस के कमांडर फ्रेडी क्रूज ने बताया कि जांच अधिकारी पता लगा रहे हैं कि किन परिस्थितियों में बच्ची इमारत से नीचे गिरी और मामले में उसके अभिभावकों की भूमिका की भी पड़ताल की जा रही है।
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न्यूयॉर्क। दुनिया में कोविड-19 के कहर के बीच डिक्शनरी डॉट कॉम ने सोमवार को पेंडेमिक (महामारी) शब्द को वर्ष 2020 का शब्द घोषित किया। दुनियाभर में कहर बरपाने वाले कोरोना वायरस संक्रमण को विश्व स्वास्थ्य संगठन ने पेंडेमिक (महामारी) शब्द घोषित किया था। यह शब्द खूब चर्चित हुआ और बच्चे अपने माता-पिता से पूछने लगे कि पेंडेमिक क्या होती है। इस सबके चलते डिक्शनरी डॉट कॉम ने सोमवार को इस शब्द को वर्ष 2020 का शब्द घोषित किया। वरिष्ठ अनुसंधान संपादक जॉन केली ने बताया कि 11 मार्च को इंटरनेट पर इस शब्द की खोज 13,500 प्रतिशत से अधिक बढ़ गई। महीने दर महीने इसकी खोज एक हजार प्रतिशत अधिक बढ़ती गई। -
लाहौर। पाकिस्तान के पंजाब प्रांत में सोमवार को बस और वैन के बीच आमने-सामने हुई जबरदस्त टक्कर के बाद वैन में आग लग गई, जिसमें 13 लोगों की जलकर मौत हो गई जबकि 17 अन्य घायल हो हुए। यह दुर्घटना लाहौर से करीब 75 किलोमीटर दूर नारंग मंडी के कलाखटाई रोड पर हुई।
बचावकर्मियों के मुताबिक, कोहरे के कारण खराब दृश्यता के चलते वैन की बस से आमने-सामने की टक्कर हो गई। बचाव दल के प्रवक्ता ने कहा, टक्कर होने के बाद वैन पूरी तरह जल गई। बचावकर्मी मौके पर पहुंचे और घायलों को अस्पताल पहुंचाया। उन्होंने कहा कि 13 यात्रियों की झुलसकर मौत हो गई जबकि घायल हुए अन्य 17 लोगों की हालत नाजुक बनी हुई है। उन्होंने बताया कि बस से टक्कर होने पर वैन के गैस सिलेंडर में धमाका हो गया और आग लग गई। पंजाब प्रांत के मुख्यमंत्री उस्मान बजदार ने लोगों की मौत पर शोक व्यक्त किया और अधिकारियों को घायलों के उपचार के लिए बेहतर सुविधाएं उपलब्ध कराने के निर्देश दिए। - गजनी। अफगानिस्तान के केन्द्रीय प्रांत गजनी में रविवार को हुए एक कार बम विस्फोट में अफगानस्तिान सुरक्षा बल के कम से कम 30 लोगों की मौत हो गई और बल के 24 सदस्य घायल हो गए हैं। हताहतों की संख्या में वृद्धि हो सकती है।स्थानीय अधिकारियों के अनुसार विस्फोट का लक्ष्य सार्वजनिक सुरक्षा बल का एक परिसर था। इसके चारों ओर आवासीय परिसर भी विस्फोट से क्षतिग्रस्त हो गए। अभी तक किसी ने हमले की जिम्मेदारी नहीं ली है। बम हमले की रविवार को हुई एक अन्य घटना में पूर्वी प्रांत जाबुल में एक व्यक्ति की मौत हो गई और 23 अन्य घायल हुए हैं।कतर की राजधानी दोहा में विद्रोही तालिबान और सरकार के बीच चल रही शांति वार्ता के बावजूद अफगानिस्तान में बीते कुछ महीनों में कई कार बम विस्फोट हुए हैं।----
- लिबोर्न (फ्रांस)। साल 2020 लगभग पूरा ही कोरोना वायरस संबंधी महामारी के साए में निकल गया। अब दुनियाभर के बच्चों के सपनों को पूरा करने वाला त्योहार क्रिसमस करीब है और बच्चों ने अपने प्रिय सांता क्लॉज को चि_ियां भेज अपनी इच्छाएं और मन की बात बताई है। इन पत्रों में बच्चों ने जो बातें लिखी हैं, वे बताती हैं कि इस महामारी ने बच्चों के मन पर भी बहुत बुरा असर डाला है और एक अनजाना सा डर उनके भीतर समा गया है।सांता को भेजे जाने वाले पत्र फ्रांस के एक डाकघर में आते हैं। इन पत्रों को छांटने वाले लोगों का कहना है कि हर तीन में से एक पत्र में कोरोना वायरस संबंधी महामारी का जिक्र है। पांच साल की अलीना ने किसी बड़े व्यक्ति की मदद से भेजे पत्र में सांता से आगे के दरवाजे से आने का अनुरोध किया और कहा कि पीछे के दरवाजे से केवल दादा-दादी आते हैं ताकि वे इस वायरस से बचे रह सकें। ताइवान के रहने वाले नन्हे जिम ने सांता को भेजे गए अपने लिफाफे में एक फेस मास्क भी डाल दिया और लिखा आई लव यू । दस वर्षीय लोला ने सांता को लिखा कि उसकी आंटी को फिर से कैंसर न हो और यह वायरस भी खत्म हो जाए। लोला ने आगे लिखा, मां मेरी देखभाल करती हैं और कभी-कभी मुझे उनके लिए डर लगता है। उसने सांता से भी अपना ध्यान रखने को कहा।दक्षिण-पश्चिम फ्रांस के एक डाकघर में इस वर्ष सांता को लिखे हजारों पत्र, कार्ड, नोट आ रहे हैं जहां इन पत्रों को छांटा जाता है और उनका जवाब भेजा जाता है। नन्हे जो ने इस बार सांता से केवल एक म्यूजिक प्लेयर और अम्यूजमेंट पार्क की टिकट मांगी है क्योंकि "कोविड-19 के कारण यह साल पहले से अलग है।" जो ने लिखा, "संक्रमण से बचे रहने के लिए ही मैं इस बार आपसे ज्यादा कुछ नहीं मांग रहा हूं।"दुनिया के किसी भी कोने से "पेर नोएल" यानी फादर सांता को लिखा कोई भी पत्र अपना रास्ता फ्रांस के बोर्डो क्षेत्र के इस डाकघर तक बना ही लेता है। सांता के नाम पर आने वाली सारी डाक 1962 से इस डाकघर में आती हैं। नवंबर-दिसंबर के महीनों में पत्रों के ढेर को छांटने का काम सांता के सहयोगी माने जाने वाले लोग करते हैं जिन्ह एल्फ कहा जाता है।एल्फ जमीला हाजी ने बताया कि 12 नवंबर को पहला पत्र खोलते ही पता चल गया था कि इस महामारी ने बच्चों पर कितना असर डाला है। उन्होंने कहा कि आम तौर पर बच्चे खिलौने और गैजेट मांगते थे, लेकिन इस बार बच्चे वैक्सीन, दादा-दादी के पास जाने की और जीवन सामान्य होने की मांग कर रहे हैं। हर तीन में से एक पत्र में महामारी का जिक्र किया गया है। हर रोज 12 हजार पत्रों के जवाब देते हुए ये 60 एल्फ कहते हैं कि कुछ पत्र उन्हें हिलाकर रख देते हैं।बाल मनोवैज्ञानिक एमा बैरन का कहना है कि जन्मदिन, छुट्टियां और त्योहार जैसे मौके बच्चों के बचपन को एक स्वरूप देते हैं। इस महामारी के बीच 25 दिसंबर को यह क्रिसमस बच्चों के लिए बहुत महत्वपूर्ण है। बच्चे ही नहीं, इस महामारी ने बड़ों को भी मानसिक रूप से काफी परेशान किया है और कई वयस्कों ने बचपन के बाद शायद पहली बार सांता को पत्र लिखा है। इस संबंध में 77 वर्षीय एक बुजुर्ग ने लिखा," मैं अकेला रहता हूं और लॉकडाउन मेरे लिए बहुत मुश्किल है।" इस संबंध में एक और वयस्क ने सांता को लिखा," इस साल आपका काम काफी मुश्किल होगा।" उन्होंने कहा, "आपको पूरी दुनिया में सितारे चमकाने होंगे ताकि सभी के मन को शांति मिले और हमारी आत्माओं को पुनर्जीवन मिले ताकि हम सपने देख सकें और इस दुनिया में खुशी से रह सकें।"