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- वाशिंगटन। अमेरिका में भारतीय मूल के वैज्ञानिक के नेतृत्व वाली टीम ने एक नयी प्रणाली विकसित की जिसकी मदद से मंगल ग्रह पर मौजूद नमकीन पानी से ऑक्सीजन और हाइड्रोजन ईंधन प्राप्त किया जा सकता है।वैज्ञानिकों का मानना है कि इस प्रणाली से भविष्य में मंगल ग्रह और उसके आगे अंतरिक्ष की यात्राओं में रणनीतिक बदलाव आएगा। अनुसंधानकर्ताओं ने रेखांकित किया कि मंगल ग्रह बहुत ठंडा है, इसके बावजूद पानी जमता नहीं है जिससे बहुत संभावना है कि उसमें बहुत अधिक नमक (क्षार) हो जिससे उससे हिमांक तापमान में कमी आती है। उन्होंने कहा कि बिजली की मदद से पानी के यौगिक को ऑक्सजीन और हाइड्रोजन ईंधन में तब्दील करने के लिए पहले पानी से उसमें घुली लवन को अलग करना पड़ता है जो इतनी कठिन परिस्थिति में बहुत लंबी और खर्चीली प्रक्रिया होने के साथ मंगल ग्रह के वातावरण के हिसाब से खतरनाक भी होगी। अनुसंधानकर्ताओं की इस टीम का नेतृत्व अमेरिका स्थित वाशिंगटन विश्वविद्यालय में प्रोफेसर विजय रमानी ने किया और उन्होंने इस प्रणाली का परीक्षण मंगल के वातावरण की परिस्थितयों के हिसाब से शून्य से 36 डिग्री सेल्सियस के नीचे के तापमान में किया। रमानी ने कहा, ''मंगल की परिस्थिति में पानी को दो द्रव्यों में खंडित करने वाले हमारा 'इलेक्ट्रोलाइजर' मंगल ग्रह और उसके आगे के मिशन की रणनीतिक गणना को एकदम से बदल देगा। यह प्रौद्योगिकी पृथ्वी पर भी सामान रूप से उपयोगी है जहां पर समुद्र ऑक्सीजन और ईंधन (हाइड्रोजन) का व्यवहार्य स्रोत है।'' उल्लेखनीय है कि अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंस नासा द्वारा भेजे गए फिनिक्स मार्स लैंडर ने 2008 में मंगल पर मौजूद पानी और वाष्प को पहली बार 'छुआ और अनुभव' किया था। लैंडर ने बर्फ की खुदाई कर उसे पानी और वाष्प में तब्दील किया था। उसके बाद से यूरोपीय अंतरिक्ष एजेंसी के मार्स एक्सप्रेस ने मंगल ग्रह पर कई भूमिगत तलाबों की खोज की है जिनमें पानी मैग्निशियम परक्लोरेट क्षार की वजह से तरल अवस्था में है।रमानी की टीम द्वारा किए गए अनुसंधान को जर्नल प्रोसिडिंग ऑफ नेशनल एकेडमी ऑफ साइंस (पीएनएएस) में जगह दी गई है। अनुसंधानकर्ताओं ने रेखांकित किया कि मंगल ग्रह पर अस्थायी तौर पर भी रहने के लिए अंतरिक्ष यात्रियों को पानी और ईंधन सहित कुछ जरूरतों का उत्पादन लाल ग्रह पर ही करना पड़ेगा। नासा का पर्सविरन्स रोवर इस समय मंगल ग्रह की यात्रा पर है और वह अपने साथ ऐसे उपकरणों को ले गया है जो उच्च तापमान आधारित विद्युत अपघटन (इलेक्ट्रालिसिस) का इस्तेमाल करेंगे। हालांकि, रोवर द्वारा भेजे गए उपकरण 'मार्स ऑक्सीजन इन-सिटू रिर्सोस यूटिलाइजेशन एक्सपेरिमेंट' (मॉक्सी) वातावरण से कार्बन डॉइ ऑक्साइड लेकर केवल ऑक्सीजन बनाएगा। अनुसंधानकर्ताओं का दावा है कि रमानी की प्रयोगशाला में तैयार प्रणाली, मॉक्सी के बराबर ऊर्जा इस्तेमाल कर 25 गुना अधिक ऑक्सीजन का उत्पादन कर सकती है, इसके साथ ही यह हाइड्रोजन ईंधन का भी उत्पादन करती है जिसका इस्तेमाल अंतरिक्ष यात्री वापसी के लिए कर सकते हैं।
- मियामी (अमेरिका)। अमेरिका के मियामी में एक इमारत की चौथी मंजिल की खिड़की से गिरी बच्ची की जान ताड़ के पेड़ के कारण बच गई। मियामी के दमकल और बचाव विभाग के कैप्टन इगनाटिअस कैरोल ने बताया कि इमारत के बाहर ताड़ के एक पेड़ के कारण बच्ची की जान बच गयी।बच्ची सोमवार तड़के इमारत की खिड़की से नीचे गिरी, लेकिन पेड़ के कारण उसके गिरने की गति धीमी हो गई और वह झाडिय़ों में जाकर गिरी। कैरोल ने 'डब्ल्यूपीएलजी' टेलीविजन चैनल को बताया कि मियामी के लिटिल हवाना में घटनास्थल पर जब बचाव टीम पहुंची, तो बच्ची को उसके एक रिश्तेदार गोद में लिए हुए थे और बच्ची रो रही थी। इसके बाद बच्ची को उपचार के लिए अस्पताल ले जाया गया। मियामी पुलिस के कमांडर फ्रेडी क्रूज ने बताया कि जांच अधिकारी पता लगा रहे हैं कि किन परिस्थितियों में बच्ची इमारत से नीचे गिरी और मामले में उसके अभिभावकों की भूमिका की भी पड़ताल की जा रही है।
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न्यूयॉर्क। दुनिया में कोविड-19 के कहर के बीच डिक्शनरी डॉट कॉम ने सोमवार को पेंडेमिक (महामारी) शब्द को वर्ष 2020 का शब्द घोषित किया। दुनियाभर में कहर बरपाने वाले कोरोना वायरस संक्रमण को विश्व स्वास्थ्य संगठन ने पेंडेमिक (महामारी) शब्द घोषित किया था। यह शब्द खूब चर्चित हुआ और बच्चे अपने माता-पिता से पूछने लगे कि पेंडेमिक क्या होती है। इस सबके चलते डिक्शनरी डॉट कॉम ने सोमवार को इस शब्द को वर्ष 2020 का शब्द घोषित किया। वरिष्ठ अनुसंधान संपादक जॉन केली ने बताया कि 11 मार्च को इंटरनेट पर इस शब्द की खोज 13,500 प्रतिशत से अधिक बढ़ गई। महीने दर महीने इसकी खोज एक हजार प्रतिशत अधिक बढ़ती गई। -
लाहौर। पाकिस्तान के पंजाब प्रांत में सोमवार को बस और वैन के बीच आमने-सामने हुई जबरदस्त टक्कर के बाद वैन में आग लग गई, जिसमें 13 लोगों की जलकर मौत हो गई जबकि 17 अन्य घायल हो हुए। यह दुर्घटना लाहौर से करीब 75 किलोमीटर दूर नारंग मंडी के कलाखटाई रोड पर हुई।
बचावकर्मियों के मुताबिक, कोहरे के कारण खराब दृश्यता के चलते वैन की बस से आमने-सामने की टक्कर हो गई। बचाव दल के प्रवक्ता ने कहा, टक्कर होने के बाद वैन पूरी तरह जल गई। बचावकर्मी मौके पर पहुंचे और घायलों को अस्पताल पहुंचाया। उन्होंने कहा कि 13 यात्रियों की झुलसकर मौत हो गई जबकि घायल हुए अन्य 17 लोगों की हालत नाजुक बनी हुई है। उन्होंने बताया कि बस से टक्कर होने पर वैन के गैस सिलेंडर में धमाका हो गया और आग लग गई। पंजाब प्रांत के मुख्यमंत्री उस्मान बजदार ने लोगों की मौत पर शोक व्यक्त किया और अधिकारियों को घायलों के उपचार के लिए बेहतर सुविधाएं उपलब्ध कराने के निर्देश दिए। - गजनी। अफगानिस्तान के केन्द्रीय प्रांत गजनी में रविवार को हुए एक कार बम विस्फोट में अफगानस्तिान सुरक्षा बल के कम से कम 30 लोगों की मौत हो गई और बल के 24 सदस्य घायल हो गए हैं। हताहतों की संख्या में वृद्धि हो सकती है।स्थानीय अधिकारियों के अनुसार विस्फोट का लक्ष्य सार्वजनिक सुरक्षा बल का एक परिसर था। इसके चारों ओर आवासीय परिसर भी विस्फोट से क्षतिग्रस्त हो गए। अभी तक किसी ने हमले की जिम्मेदारी नहीं ली है। बम हमले की रविवार को हुई एक अन्य घटना में पूर्वी प्रांत जाबुल में एक व्यक्ति की मौत हो गई और 23 अन्य घायल हुए हैं।कतर की राजधानी दोहा में विद्रोही तालिबान और सरकार के बीच चल रही शांति वार्ता के बावजूद अफगानिस्तान में बीते कुछ महीनों में कई कार बम विस्फोट हुए हैं।----
- लिबोर्न (फ्रांस)। साल 2020 लगभग पूरा ही कोरोना वायरस संबंधी महामारी के साए में निकल गया। अब दुनियाभर के बच्चों के सपनों को पूरा करने वाला त्योहार क्रिसमस करीब है और बच्चों ने अपने प्रिय सांता क्लॉज को चि_ियां भेज अपनी इच्छाएं और मन की बात बताई है। इन पत्रों में बच्चों ने जो बातें लिखी हैं, वे बताती हैं कि इस महामारी ने बच्चों के मन पर भी बहुत बुरा असर डाला है और एक अनजाना सा डर उनके भीतर समा गया है।सांता को भेजे जाने वाले पत्र फ्रांस के एक डाकघर में आते हैं। इन पत्रों को छांटने वाले लोगों का कहना है कि हर तीन में से एक पत्र में कोरोना वायरस संबंधी महामारी का जिक्र है। पांच साल की अलीना ने किसी बड़े व्यक्ति की मदद से भेजे पत्र में सांता से आगे के दरवाजे से आने का अनुरोध किया और कहा कि पीछे के दरवाजे से केवल दादा-दादी आते हैं ताकि वे इस वायरस से बचे रह सकें। ताइवान के रहने वाले नन्हे जिम ने सांता को भेजे गए अपने लिफाफे में एक फेस मास्क भी डाल दिया और लिखा आई लव यू । दस वर्षीय लोला ने सांता को लिखा कि उसकी आंटी को फिर से कैंसर न हो और यह वायरस भी खत्म हो जाए। लोला ने आगे लिखा, मां मेरी देखभाल करती हैं और कभी-कभी मुझे उनके लिए डर लगता है। उसने सांता से भी अपना ध्यान रखने को कहा।दक्षिण-पश्चिम फ्रांस के एक डाकघर में इस वर्ष सांता को लिखे हजारों पत्र, कार्ड, नोट आ रहे हैं जहां इन पत्रों को छांटा जाता है और उनका जवाब भेजा जाता है। नन्हे जो ने इस बार सांता से केवल एक म्यूजिक प्लेयर और अम्यूजमेंट पार्क की टिकट मांगी है क्योंकि "कोविड-19 के कारण यह साल पहले से अलग है।" जो ने लिखा, "संक्रमण से बचे रहने के लिए ही मैं इस बार आपसे ज्यादा कुछ नहीं मांग रहा हूं।"दुनिया के किसी भी कोने से "पेर नोएल" यानी फादर सांता को लिखा कोई भी पत्र अपना रास्ता फ्रांस के बोर्डो क्षेत्र के इस डाकघर तक बना ही लेता है। सांता के नाम पर आने वाली सारी डाक 1962 से इस डाकघर में आती हैं। नवंबर-दिसंबर के महीनों में पत्रों के ढेर को छांटने का काम सांता के सहयोगी माने जाने वाले लोग करते हैं जिन्ह एल्फ कहा जाता है।एल्फ जमीला हाजी ने बताया कि 12 नवंबर को पहला पत्र खोलते ही पता चल गया था कि इस महामारी ने बच्चों पर कितना असर डाला है। उन्होंने कहा कि आम तौर पर बच्चे खिलौने और गैजेट मांगते थे, लेकिन इस बार बच्चे वैक्सीन, दादा-दादी के पास जाने की और जीवन सामान्य होने की मांग कर रहे हैं। हर तीन में से एक पत्र में महामारी का जिक्र किया गया है। हर रोज 12 हजार पत्रों के जवाब देते हुए ये 60 एल्फ कहते हैं कि कुछ पत्र उन्हें हिलाकर रख देते हैं।बाल मनोवैज्ञानिक एमा बैरन का कहना है कि जन्मदिन, छुट्टियां और त्योहार जैसे मौके बच्चों के बचपन को एक स्वरूप देते हैं। इस महामारी के बीच 25 दिसंबर को यह क्रिसमस बच्चों के लिए बहुत महत्वपूर्ण है। बच्चे ही नहीं, इस महामारी ने बड़ों को भी मानसिक रूप से काफी परेशान किया है और कई वयस्कों ने बचपन के बाद शायद पहली बार सांता को पत्र लिखा है। इस संबंध में 77 वर्षीय एक बुजुर्ग ने लिखा," मैं अकेला रहता हूं और लॉकडाउन मेरे लिए बहुत मुश्किल है।" इस संबंध में एक और वयस्क ने सांता को लिखा," इस साल आपका काम काफी मुश्किल होगा।" उन्होंने कहा, "आपको पूरी दुनिया में सितारे चमकाने होंगे ताकि सभी के मन को शांति मिले और हमारी आत्माओं को पुनर्जीवन मिले ताकि हम सपने देख सकें और इस दुनिया में खुशी से रह सकें।"
- लाहौर। गुरु नानक देव की 551वीं जयंती पर ननकाना साहिब में होने वाले उत्सव में हिस्सा लेने के लिए शुक्रवार को वाघा बॉर्डर के जरिए 600 से ज्यादा भारतीय सिख श्रद्धालु यहां पहुंचे। ननकाना साहिब सिख धर्म के संस्थापक की जन्म स्थली है।इससे संबंधित मुख्य कार्यक्रम पंजाब प्रांत के गुरुद्वारा जन्मस्थान ननकाना साहिब में 30 नवंबर को आयोजित किया जाएगा। इवेक्यूइ ट्रस्ट प्रॉपर्टी बोर्ड के प्रवक्ता आसिफ हाशमी ने बताया, यहां वाघा बॉर्डर के जरिए 602 भारतीय सिख श्रद्धालु बाबा गुरु नानक की 551वीं जयंती का उत्सव मनाने के लिए ननकाना साहिब पहुंचे हैं। श्रद्धालु 10 दिनों की यात्रा के दौरान प्रांत के अन्य गुरुद्वारों के भी दर्शन करेंगे। भारतीय उच्चायोग के दो सदस्य आर बी सोहरन और संतोष कुमार श्रद्धालुओं का स्वागत करने के लिए इस्लामाबाद से वाघा पहुंचे थे।
- इस्लामाबाद। पाकिस्तान की कैबिनेट ने शुक्रवार को बलात्कार विरोधी दो अध्यादेशों को मंजूरी दे दी है जिसमें दोषी की सहमति से बलात्कारियों को रासायनिक रूप से बधिया करने और बलात्कार के मामलों की सुनवाई के लिए विशेष अदालतों के गठन को मंजूरी दी गयी है। एक मीडिया रिपोर्ट से यह जानकारी मिली।रासायनिक बधिया या केमिकल कास्ट्रेशन एक रासायनिक प्रक्रिया है जिससे व्यक्ति के शरीर में रसायनों की मदद से एक निश्चित अवधि या हमेशा के लिए यौन उत्तेजना कम या खत्म की जा सकती है।डॉन न्यूज की खबर के मुताबिक, गुरुवार को संघीय कानून मंत्री फारूक नसीम की अध्यक्षता में विधि मामलों पर कैबिनेट समिति की बैठक में बलात्कार विरोधी (जांच और सुनवाई) अध्यादेश 2020 और आपराधिक कानून (संशोधन) अध्यादेश 2020 को मंजूरी दी गई। मंगलवार को संघीय कैबिनेट ने अध्यादेशों को सैद्धांतिक रूप से मंजूरी दे दी थी। पहली बार अपराध करने वाले या अपराध दोहराने वाले अपराधियों के लिए रासायनिक बधियाकरण को पुनर्वास के उपाय के तरह माना जाएगा और इसके लिए दोषी की सहमति ली जाएगी।कानून मंत्री नसीम के मुताबिक अंतरराष्ट्रीय कानून के तहत बधिया करने से पहले दोषी की सहमति लेना अनिवार्य है। उन्होंने कहा कि यदि सहमति लिए बिना रासायनिक बधियाकरण का आदेश दिया जाता है तो दोषी आदेश को अदालत के समक्ष चुनौती दे सकता है। मंत्री ने कहा कि अगर कोई दोषी बधिया करने के लिए सहमत नहीं होगा तो उस पर पाकिस्तान दंड संहिता (पीपीसी) के अनुसार कार्रवाई की जाएगी जिसके तहत अदालत उसे मौत की सजा, आजीवन कारावास या 25 साल की जेल की सजा दे सकती है। उन्होंने कहा कि सजा का फैसला अदालत पर निर्भर करता है। न्यायाधीश रासायनिक बधियाकरण या पीपीसी के तहत सजा का आदेश दे सकते हैं। नसीम ने कहा कि अदालत सीमित अवधि या जीवनकाल के लिए बधिया का आदेश दे सकती है ।अध्यादेशों में बलात्कार के मामलों में सुनवाई कराने के लिए विशेष अदालतों के गठन का भी प्रावधान है। विशेष अदालतों के लिए विशेष अभियोजकों की भी नियुक्ति की जाएगी। प्रस्तावित कानूनों के अनुसार, एक आयुक्त या उपायुक्त की अध्यक्षता में बलात्कार विरोधी प्रकोष्ठों का गठन किया जाएगा ताकि प्राथमिकी, चिकित्सा जांच और फोरेंसिक जांच का शीघ्र पंजीकरण सुनिश्चित किया जा सके। इसमें आरोपी द्वारा बलात्कार पीडि़त से जिरह पर भी रोक लगा दी गई है। केवल जज और आरोपी के वकील ही पीडि़त से जिरह कर सकेंगे।---
- बीजिंग। चीन ने कहा है कि वह चांद की सतह से नमूने एकत्र करने के लिए आज अपना पहला मानवरहित यान भेजेगा जो धरती पर लौटकर आएगा। चाइना नेशनल स्पेस एडमिनिस्ट्रेशन ने कहा कि 'लॉंग मार्च-5 रॉकेट' के ईंधन संबंधी प्रक्रिया सोमवार को शुरू हो गई जो वर्तमान में चीन का सबसे बड़ा प्रक्षेपण यान है। 'चांग ए-5' अंतरिक्ष यान को रॉकेट पृथ्वी-चंद्रमा स्थानांतरण कक्षा में भेजेगा। यह सुबह के समय चीन के हैनान प्रांत स्थित वेनचांग अंतरिक्ष यान प्रक्षेपण स्थल से रवाना होगा। शिन्हुआ समाचार एजेंसी ने कहा कि यह यान चांद की सतह से नमूने एकत्र करेगा और पृथ्वी पर लौटकर आएगा।--
- लंदन। इस वर्ष का बुकर पुरस्कार स्कॉटलैंड के लेखक 44 वर्षीय डगलस स्टूआर्ट को उनके पहले ही उपन्यास शुग्गी बैन को दिया गया है। पुरस्कार के रूप में 50 हजार पाउंड की राशि दी जाती है। यह उपन्यास एक ऐसे लड़के के जीवन पर आधारित है, जो 1980 के दशक में ग्लासगो में पला-बढ़ा और जिसकी मां नशे की समस्या से जूझ रही है। स्टूआर्ट ने अपना यह उपन्यास अपनी मां को समर्पित किया है जिसकी मृत्यु तब हुई जब वह केवल 16 साल के थे। इस साल के बुकर पुरस्कार के प्रतियोगियों में से चुने गए कुछ लेखकों में भारतीय मूल की लेखिका अवनी दोषी भी शामिल थीं।बुकर पुरस्कार की शुरूआत 1969 में हुई थी और इसे अंग्रेजी में लिखे जाने वाले कथा साहित्य के लिए प्रमुख पुरस्कार माना जाता है। इससे पहले के पुरस्कार विजेताओं में भारतीय मूल के सलमान रुशदी शामिल हैं।
- सुमार्ता (इंडोनेशिया। यदि किसी की छत पर अचानक से आकर एक पत्थर गिर जाए और फिर इसी पत्थर की बदौलत मकान में रहने वाला शख्स मालामाल हो जाए, तो आप इसे क्या कहेंगे.... किस्मत का जागना या फिर कुछ और। दरअसल ऐसा ही कुछ वाकया इंडोनेशिया के सुमार्ता में देखने में आया है। हम बताते हैं कि यह पूरा मामला क्या है....33 साल के जोसुआ हुतागलुंग इंडोनेशिया में रहते हैं और ताबूत बनाने का काम करते हैं। रोजाना की तरह वे अपने काम में लगे हुए थे और ताबूत बना रहे थे कि अचानक से उन्होंने अपने लिविंग रूम में कुछ गिरने की आवाज सुनी। वे दौड़कर वहां पहुंचे तो देखा कि घर की छत में छेद है और एक गर्म पत्थर जमीन में धंसा हुआ है। दरअसल यह पत्थर नहीं, बल्कि उल्कापिंड का एक टुकड़ा था। जांच में यह दुर्लभ उल्कापिंड का टुकड़ा 4 अरब साल से भी ज्यादा पुराना बताया गया। 2.1 किलोग्राम वजन के इस टुकड़े की कीमत लगभग 14 लाख पाउंड यानी 10 करोड़ रुपए आंकी गई। दरअसल उल्कापिंड काफी खास होते हैं और उनकी कीमत 857 डॉलर प्रति ग्राम है। जोसुआ हुतागलुंग 3 बच्चों के पिता हैं और और वे इस रकम के हकदार बने हैं। उन्होंने इस रकम का कुछ हिस्सा अपने समुदाय के लिए एक चर्च बनवाने में खर्च करने का फैसला लिया है।
- लंदन। ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी द्वारा विकसित कोविड-19 टीका 56-69 आयु समूह के लोगों तथा 70 साल से अधिक के बुजुर्गों की रोग प्रतिरोधक क्षमता में महत्वपूर्ण सुधार करने में कारगर रहा है।इस टीके से संबंधित यह जानकारी गुरुवार को पत्रिका लैंसेट में प्रकाशित हुई जिसका विकास भारतीय सीरम संस्थान के साथ मिलकर किया जा रहा है। अध्ययन में 560 स्वस्थ वयस्कों को शामिल किया गया और पाया गया कि सीएचएडीओएक्स 1 एनकोव-19 नाम का यह टीका युवा वयस्कों की तुलना में अधिक आयु समूह के लोगों के लिए अधिक उत्साहजनक है। इसका मतलब है कि यह टीका अधिक आयु समूह के लोगों में कोरोना वायरस के खिलाफ रोग प्रतिरोधक क्षमता विकसित कर सकता है।अनुसंधानकर्ताओं ने उल्लेख किया कि यह निष्कर्ष उत्साहजनक है क्योंकि अधिक आयु समूह के लोगों को कोविड-19 संबंधी जोखिम अधिक होता है। इसलिए कोई ऐसा टीका होना चाहिए जो अधिक आयु समूह के लोगों के लिए कारगर हो। ऑक्सफोर्ड टीका समूह से जुड़े डॉक्टर महेशी रामासामी ने अधिक आयु समूह के लोगों में टीके के अच्छे परिणामों पर खुशी व्यक्त की। ब्रिटेन ऑक्सफोर्ड टीके की 10 करोड़ खुराक का पहले ही ऑर्डर दे चुका है।
- लंदन। ऑक्सफोर्ड विश्वविद्यालय छात्र संघ से जुड़े भारतीय मूल के छात्र सहित कुछ अन्य छात्रों ने परिसर को मांसाहार मुक्त बनाने का अभियान शुरू किया है ताकि विश्वविद्यालय अपने कार्बन उत्सर्जन को कम करने के लक्ष्य को प्राप्त कर सके।ऑक्सफोर्ड विश्वविद्यालय के वोरसेस्टर कॉलेज के विहान जैन ने दो अन्य सहपाठियों के साथ मिलकर एक प्रस्ताव तैयार किया है और छात्र संघ से अनुरोध किया है कि विश्वविद्यालय के भोजन से बीफ और मांस हटा दिया जाए। इस प्रस्ताव पर हाल ही में हुए मतदान के दौरान 31 लोगों ने पक्ष में, नौ लोगों ने विपक्ष में वोट डाला जबकि 13 लोग अनुपस्थित रहे। प्रस्ताव में कहा गया है, ब्रिटेन का प्रतिष्ठित विश्वविद्यालय होने के नाते पूरा देश ऑक्सफोर्ड नेतृत्व की ओर आस लगाए बैठा हुआ है, लेकिन ऑक्सफोर्ड ने जलवायु परिवर्तन में नेतृत्व नहीं दिखाया है। उसमें कहा गया है कि संस्थान अपने भोजन और परिसर के अन्य रेस्तरां में बीफ और मांस का भोजन बंद करने से कार्बन उत्सर्जन को लेकर 2030 के अपने लक्ष्य को प्राप्त कर सकेगा। इस प्रस्ताव के पारित होने का अर्थ है कि छात्र संघ अब सक्रियता से विश्वविद्यालय और अन्य कॉलेजों में मांसाहारी भोजन में कमी लाने या उसे बंद करने की दिशा में काम करेगा।
- मॉस्को। रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने मंगलवार को ब्रिक्स देशों से कोरोना वायरस का टीका विकसित करने के लिए संयुक्त प्रयास का आह्वान किया है। उन्होंने सुझाव दिया कि रूस द्वारा विकसित कोविड-19 के टीके स्पुतनिक-5 का उत्पादन चीन और भारत में किया जा सकता है, जो पांच देशों के समूह के सदस्य हैं।पुतिन ने वीडियो कॉन्फ्रेंस के जरिए 12वें ब्रिक्स शिखर सम्मेलन को संबोधित करते हुए कहा, "हमारा मानना है कि ब्रिक्स देशों द्वारा टीकों के विकास और अनुसंधान के लिए केंद्र की स्थापना को गति देना महत्वपूर्ण है, जिसे हम अपने दक्षिण अफ्रीकी दोस्तों की पहल पर करने के लिए सहमत हुए थे।" इस शिखर सम्मेलन में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, चीनी राष्ट्रपति शी चिनफिंग, ब्राजील के राष्ट्रपति जेयर बोलसोनारो और दक्षिण अफ्रीका के राष्ट्रपति सिरिल रामफोसा ने भाग लिया। इसकी मेजबानी राष्ट्रपति पुतिन ने की।'स्पुतनिक न्यूज' के मुताबिक, पुतिन ने कहा कि रूस का स्पुतनिक-5 टीका जो अगस्त में पंजीकृत किया गया था, उसका उत्पादन ब्रिक्स के दो सदस्य देशों चीन और भारत में किया जा सकता है। पुतिन ने कहा, ''रूसी प्रत्यक्ष निवेश कोष ने स्पुतनिक-5 वैक्सीन के नैदानिक परीक्षणों के संचालन को लेकर अपने ब्राज़ीली और भारतीय साझेदारों के साथ समझौते किए हैं। इसने चीन और भारत में दवा कंपनियों के साथ एक समझौता भी किया है ताकि इन देशों में टीके का उत्पादन शुरू किया जा सके, जिससे न केवल उनकी जरूरतें पूरी होंगी, बल्कि वे अन्य देशों की भी मदद कर सकेंगे।'' गौरतलब है कि 11 अगस्त को रूस कोरोना वायरस के टीके को पंजीकृत कराने वाला दुनिया का पहला देश बन गया, जिसका नाम स्पुतनिक-5 है। गामालेया रिसर्च इंस्टीट्यूट ने इस टीके को विकसित किया है, जबकि रूसी प्रत्यक्ष निवेश कोष (आरडीआईएफ) विदेशों में इस टीके के उत्पादन और संवर्धन में निवेश कर रहा है। वेक्टर रिसर्च सेंटर द्वारा निर्मित एक अन्य रूसी टीका एपिकोरोनावैक अक्टूबर में पंजीकृत किया गया था।
- टोक्यो। जापान के प्रधानमंत्री योशीहिदे सुगा और ऑस्ट्रेलिया के प्रधानमंत्री स्कॉट मॉरिसन ने दक्षिण चीन सागर और प्रशांत द्वीपीय देशों में चीन के बढ़ते प्रभाव का मुकाबला करने के लिए एक ऐतिहासिक रक्षा समझौते पर हस्ताक्षर किए हैं।अमरीका, भारत, जापान और ऑस्ट्रेलिया के क्वाड गठबंधन के विदेश मंत्रियों के टोक्यो में हाल में हुए सम्मेलन के कुछ ही सप्ताह बाद यह पारस्परिक समझौता हुआ है। इसमें जापानी और ऑस्ट्रेलियाई सैनिकों को एक-दूसरे के यहां जाने और प्रशिक्षण पाने की सुगमता होगी और वे संयुक्त अभियान आयोजित कर सकेंगे। ऑस्ट्रेलिया के प्रधानमंत्री ने कहा है कि इस संधि से दोनो देशों के बीच रक्षा संबंध और सहयोग और मजबूत होगा।----
- मेक्सिको सिटी। पश्चिमी मेक्सिको में गैस से भरे एक ‘डबल-ट्रैंकर ट्रक' के अनियंत्रित होकर पलट जाने से उसमें आग लग गई और फिर विस्फोट हो गया। इस घटना में ट्रक चालक के अलावा आसपास के वाहनों में सवार कम से कम 12 लोगों की मौत हो गई। अधिकारियों ने बताया कि वहां आसपास के वाहनों में बैठे लोगों को बाहर निकलने का समय ही नहीं मिला और वे जिंदा ही जल गए। अभियोजन कार्यालय ने बताया कि आसपास खड़े तीन वाहनों में सवार लोगों के शवों के टुकड़े सड़क पर बिखरे पड़े दिखे। मेक्सिको में पिछले कुछ वर्षों में ऐसे ट्रकों से कई सड़क हादसों की घटनाएं हुई हैं।
- जेनेवा। यह गुलाबी हीरा "द स्पिरिट ऑफ द रोज़" के नाम से जाना जाता है। बाजार में इसकी कीमत काफी अधिक है क्योंकि दुनिया भर में गुलाबी हीरे की सप्लाई करने वाली खान बंद हो चुकी है और यह हीरा दुर्लभ श्रेणी में आ गया है। एक बेहद दुर्लभ, बैंगनी-गुलाबी रंग के हीरे की नीलामी रिकॉर्ड करीब 1.9 अरब रुपयों में हुई है। स्विट्जरलैंड के जेनेवा में इस नायाब हीरे की नीलामी सोथेबी ने की। इस हीरे की खोज रूस की खान में हुई थी और हीरे की सुंदरता और विशिष्टता के कारण इसे "प्रकृति का एक सच्चा चमत्कार" भी कहा जाता है।"द स्पिरिट ऑफ द रोज़" नामक 14.83 कैरेट का यह हीरा रूस में पाए जाने वाले सबसे बड़े गुलाबी क्रिस्टल में से एक है। इसका आकार अंडाकार है। सोथेबी के मुताबिक अनुमान लगाया जा रहा था कि यह दो करोड़ 33 लाख अमेरिकी डॉलर से लेकर तीन करोड़ 80 लाख अमेरिकी डॉलर के बीच कीमत पाएगा। इस हीरे की बोली की शुरुआत एक करोड़ 60 लाख अमेरिकी डॉलर से शुरू हुई और दो करोड़ 10 लाख अमेरिकी डॉलर पर जाकर रुकी। कमीशन मिलाकर यह हीरा रिकॉर्ड कीमत पर बिका. इस हीरे के खरीदार ने टेलीफोन पर बोली लगाई और उसने अपनी पहचान नहीं जाहिर की।हाल के सालों में यह देखा गया है कि प्राकृतिक रूप से रंगीन हीरे न केवल पसंद किए जाते हैं, बल्कि दुनिया के सबसे अमीर लोगों द्वारा भी खरीदे जाते हैं। सफेद हीरे के उलट ये पत्थर जाली की एक विशेष परत से सुसज्जित हैं जो रंग को प्रभावित करने वाले प्रकाश को रोकने में सक्षम है। दुनिया के सबसे प्रसिद्ध गुलाबी हीरे ऑस्ट्रेलिया की प्रमुख अर्जेल खदान में पाए जाते हैं और यहां से सबसे अधिक आपूर्ति की जाती है. हालांकि, हाल के दिनों में खदान में इस तरह के गुलाबी हीरे का खनन लगभग बंद हो गया है, जिसके कारण खदान में खनन रोक दिया गया है।गुलाबी हीरे को जुलाई 2017 में रूसी हीरा निर्माता अलरोसा ने एक खदान से पाया था। यह ताइपेई, हांगकांग और सिंगापुर जैसे प्रमुख शहरों में भी प्रदर्शित किया गया है। यूरोप के सबसे बड़े ऑनलाइन हीरा व्यापारी टोबियास कोरमंड कहते हैं, "जैसे कि गुलाबी हीरे समय के साथ और अधिक दुर्लभ हो जाते हैं, भाग्यशाली खरीदार के लिए यह बढ़ती कीमतों के कारण आने वाले सालों में बहुत ही आकर्षक साबित होगा। सोथेबी का कहना है कि अब तक बिकने वाले दस सबसे महंगे हीरों में से पांच गुलाबी रंग के हीरे थे।
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तुर्कमेनिस्तान के राष्ट्रपति ने जो अपने फेवरेट कुत्ते के लिए किया उसे सुनकर आप जरुर अचंभित हो जाएंगे। दरअसल, तुर्कमेनिस्तान के राष्ट्रपति गुरबांगुली बेर्दयमुखमेदोव ने अपने फेवरेट कुत्ते की करीब 19 फुट की ऊंची मूर्ति देश की राजधानी के चौराहे पर बनवा डाली। 2007 तुर्कमेनिस्तान की सत्ता पर काबिज गुरबांगुली बेर्दयमुखमेदोव ने बीते बुधवार को अलबी प्रजाति के इस कुत्ते की इस मूर्ति का बकायदा औपचारिक अनावरण किया। इस मूर्ति की खासियत है कि ये कुत्ते की मूर्ति सोने से कोटेड है।
जिस कुत्ते की ये प्रतिमा है उसे मध्य एशियाई अलबी प्रजाति के रूप में जाना जाता है, इसका यहां सम्मान किया जाता है। इस नस्ल के कुत्ते यहीं पैदा होते हैं इसलिए उन्हें तुर्कमेनिस्तान के राष्ट्रीय पहचान से भी जोड़ कर देखा जाता है। सोने से कोटेड इस मूर्ति के बारे में तुर्कमेनिस्तान सरकार ने बताया कि इस कुत्ते की मूर्ति कांसे से बनाई गई है और इस पर 24 कैरेट सोने की परत चढ़ाई गई है। मूर्ति की ऊंचाई 19 फुट की है। फोटो और वीडियो के अनुसार जो अब इंटरनेट पर वायरल हो रही है उसके अनुसार कुत्ते की प्रतिमा अनावरण समारोह में गीत, नृत्य और एक वास्तविक अलाबाई पिल्ला भी शामिल हुआ। न्यूयॉर्क की एक पोस्ट के अनुसार, कैनाइन प्रतिमा के नीचे के पेडस्टल में एक रैपराउंड एलईडी स्क्रीन है, जिसमें विभिन्न सेटिंग्स में चारों ओर दौड़ते कुत्ते की देश की प्यारी नस्ल दिखाई दे रही है। -
इस देश में है यह दिलचस्प नियम
अपने देश से किसी अन्य देश में जाने के लिए जो सबसे जरूरी दस्तावेज होता है, वो है पासपोर्ट। इससे अंतरराष्ट्रीय यात्रा कर रहे व्यक्ति की पहचान और राष्ट्रीयता प्रमाणित होती है, लेकिन ध्यान रहे कि अगर बिना पासपोर्ट के आप किसी और देश में दाखिल हुए और पकड़े गए तो वहां के कानून के हिसाब से आपको सख्त से सख्त सजा दी जाएगी। आपको जानकर हैरानी होगी कि ब्रिटेन की महारानी अकेली ऐसी ब्रितानी हैं, जिन्हें पासपोर्ट की कोई जरूरत नहीं होती है। वह बिना पासपोर्ट के ही सभी देशों की यात्रा कर सकती हैं। हालांकि उनके पास कुछ गोपनीय दस्तावेज होते हैं, जो अपने आप में पासपोर्ट के समान होते हैं।
अगर आप सोच रहे होंगे कि पासपोर्ट का चलन तो पिछले 100 साल में ही शुरू हुए हैं तो आप पूरी सच्चाई नहीं जानते। बीबीसी की एक रिपोर्ट के मुताबिक, फारस के राजा आर्थरजेक्सीज प्रथम ने एक अधिकारी को एक प्रपत्र दिया था, जिसके आधार पर वह पूरे जूडिया में बिना किसी रोक-टोक के यात्रा कर सकता था। इसका जिक्र नेहेमियाह की पुस्तक में मिलता है।
पासपोर्ट पर तस्वीरों का चलन प्रथम विश्व युद्ध के बाद शुरू हुआ था। उससे पहले पासपोर्ट पर उसके धारक की तस्वीर नहीं होती थी। इसके पीछे वजह ये बताई जाती है कि जर्मनी के एक जासूस ने नकली अमेरिकी पासपोर्ट के सहारे ब्रिटेन में प्रवेश कर लिया था। आपको जानकर हैरानी होगी कि पहले जो पासपोर्ट जारी किए जाते थे, उसपर अपनी पसंदीदा तस्वीर लगाने की इजाजत होती थी। इतना ही नहीं, लोगों को अपने परिवार के पूरे सदस्यों के साथ वाली यानी ग्रुप फोटो भी लगाने की इजाजत थी।
पॉलिनेशियाई संप्रभु देश टोंगा में एक समय था जब गैर-नागरिकों को पासपोर्ट बेचे जाते थे, जिसकी कीमत 20 हजार डॉलर यानी आज के हिसाब से करीब 14 लाख 94 हजार होती थी। दरअसल, वहां के दिवंगत राजा तौफा आहातुपु चतुर्थ ने देश की आमदनी बढ़ाने के लिए ऐसा किया था। अमेरिका में ऐसा नियम है कि अगर आपका वजन बहुत अधिक कम या ज्यादा हो गया तो आपको नया पासपोर्ट बनवाना पड़ेगा। इसके अलावा अगर आपने अपने चेहरे की सर्जरी करवाई है, चेहरे पर टैटू बनवाया है या चेहरे से टैटू हटवाया है, तो भी आपके लिए नया पासपोर्ट बनवाना जरूरी हो जाता है। - लॉस एंजिलिस। शोधार्थियों ने सूती कपड़े का ऐसा पुन: इस्तेमाल किया जाने वाला मास्क विकसित किया है जो एक घंटे सूरज की रोशनी में रहने पर 99.99 प्रतिशत जीवाणु और वायरस को मार सकता है। अलग अलग तरह के कपड़ों से बनते वाले मास्क खांसते और छींकते वक्त निकलने वाली बूंदों को रोकते हैं जिससे कोविड-19 समेत अन्य बीमारियों के प्रसार को कम करने में मदद मिल सकती है। ''एसीएस अप्लाइड मटेरियल एंड इंटरफेसेज '' जर्नल में प्रकाशित एक अध्ययन के मुताबिक, मास्क पर लगे जीवाणु और वायरस संक्रामक हो सकते हैं। अमेरिका में कैलिफोर्निया विश्वविद्यालय के शोधार्थियों ने एक नया सूती कपड़ा विकसित किया है जो सूरज की रोशनी में आने पर '' प्रतिक्रियाशील ऑक्सीजन स्पाइजेस '' (आरओएस) छोड़ती है जो कपड़े पर लगे सूक्ष्म विषाणुओं को मार देती है और यह धोने योग्य, पुन: इस्तेमाल योग्य और लगाने के लिए सुरक्षित रहता है। उन्होंने कहा कि कोई व्यक्ति दोपहर के भोज के समय सूरज की रोशनी में अपने मास्क को रखकर जीवाणु मुक्त कर सकता है । टीम ने पाया कि रोज बंगाल डाइ से बना कपड़ा फोटोसैनेटाइजर के तौर पर सूरज की रोशनी में आने पर एक घंटे में उसपर लगे 99.99 प्रतिशत जीवाणुओं को मार देता है और 30 मिनट के अंदर टी7 '' बैक्टरियाफैज '' को 99.99 फीसदी सक्रिय कर देता है। टी7 बैक्टरियाफैज के बारे में माना जाता है कि यह वायरस कुछ कोरोना वायरस की तुलना में आरओएस के लिए अधिक प्रतिरोधी है।
- नई दिल्ली। हीरे की अंगूठी का अपना एक अलग क्रेज है। हीरे की क्लियरिटी औक रंग के हिसाब से इसकी कीमत भी तय होती है। कई बार इसकी कीमत करोड़ो में पहुंच जाती है। जी हां, यह सच है और ऐसा ही एक उदाहरण जिनेवा में देखने को मिला है। यहां पर हीरे एक अंगूठी 20 करोड़ रुपए से अधिक कीमत पर बिकी है ! इतनी कीमत में कई ऑडी-मर्सिडीज कार आ सकती है !जिनेवा में एक नीलामी में एक अंगूठी को 20 करोड़ रुपये से भी ज्यादा में बेचा गया। इसमें जड़ा हुआ एक दुर्लभ बैंगनी रंग के हीरे के कारण इसकी कीमत ने इतनी ऊंचाई को छुआ है। यह एक वल्र्ड रिकॉर्ड भी है। इसे कुल 2.77 मिलियन अमेरिकी डॉलर यानी भारतीय मूल्य में 20 करोड़ (20,67,45,875.00) में बेचा गया।समाचार एजेंसी एएनआई की रिपोर्ट के मुताबिक 1.05 कैरेट के हीरे को प्लेटिनम और सोने की अंगूठी पर जड़ा गया है। इस हीरे के बेहद खास रंग की वजह से इसे इतनी ऊंची कीमत पर बेचा गया। फैंसी फिंगर रिंग को टियारा जेम्स और ज्वैलरी डीएमसीसी ने खरीदा था, जो दुबई के भारतीय एक्सपर्ट आशीष विजय जैन के स्वामित्व में थी।आम तौर पर हीरे का रंग सफेद होता है। इसलिए लाल रंग के हीरे को बेहद दुर्लभ माना जाता है। यही वजह है कि यह सबसे महंगा होता है। जेमोलॉजिस्ट लाल हीरे के बनने की वजह का पता लगाने के लिए लंबे समय से इस पर रिसर्च और बहस कर रहे हैं। इसके बाद, कुछ लोग इस निष्कर्ष पर पहुंचे कि लाल रंग हीरे की संरचना में ग्लाइडिंग परमाणुओं की उपस्थिति के कारण होता है। इसके निर्माण के दौरान, एक हीरा अपने परमाणु संरचना को बदल देता है, जिससे मणि को एक विशेष रंग मिलता है।
- दुबई। बहरीन के प्रिंस खलीफा बिन सलमान अल खलीफा का बुधवार को निधन हो गया। वह 84 वर्ष के थे।खलीफा, विश्व में सबसे ज्यादा समय तक सेवा देने वाले प्रधानमंत्रियों में से एक थे जिन्होंने अपने राष्ट्र की सरकार का कई दशकों तक नेतृत्व किया। साल 2011 की अरब क्रांति के दौरान भ्रष्टाचार के आरोपों के चलते उन्हें हटाने की मांग भी उठी थी। बहरीन की सरकारी समाचार एजेंसी ने उनके निधन की घोषणा की और कहा कि अमेरिका के मेयो क्लिनिक में खलीफा का इलाज चल रहा था। प्रिंस खलीफा की ताकत और संपत्ति की झलक इस छोटे से देश में चहुंओर दिखाई पड़ती है। देश के शासक के साथ उनका चित्र कई दशकों तक सरकारी दीवारों की शोभा बढ़ाता रहा। खलीफा का अपना एक निजी द्वीप था जहां वह विदेशी आगंतुकों से मुलाकात करते थे। प्रिंस, खाड़ी देशों में नेतृत्व करने की पुरानी परंपरा का प्रतिनिधित्व करते थे जिसमें सुन्नी अल खलीफा परिवार के प्रति समर्थन जताने वालों को पुरस्कृत किया जाता था। हालांकि उनके तौर तरीकों को 2011 के विरोध प्रदर्शन के दौरान चुनौती मिली थी।-----
- लंदन। दुनिया भर में सरकारों द्वारा कोविड-19 का प्रसार रोकने के लिये उपाय के तौर पर लागू किए गए 'लॉकडाउन' को कोलिंस शब्दकोश ने वर्ष 2020 का शब्द घोषित किया है। शब्दकोश के मुताबिक लॉकडाउन को यात्रा, सामाजिक मेलजोल और सार्वजनिक स्थानों पर पहुंच पर लगाई गई सख्त पाबंदी के तौर पर परिभाषित किया गया है।कोलिंस ने कहा, "हमारे कोशकार ने लॉकडाउन का चयन साल के शब्द के तौर पर किया क्योंकि दुनिया भर के अरबों लोगों का यह साझा अनुभव था जिन्होंने कोविड-19 के प्रसार के खिलाफ जंग में सामूहिक भूमिका अदा की।" कोलिंस में भाषा सामग्री परामर्शदाता हेलन न्यूजटीड ने कहा, "भाषा हमारे आसपास की दुनिया को परिलक्षित करती है और 2020 में वैश्विक महामारी का प्रभुत्व रहा।" उन्होंने कहा, "लॉकडाउन ने हमारे काम करने, पढऩे, खरीदारी और सामाजिक मेलजोल के तरीके को प्रभावित किया। बहुत से देश लॉकडाउन के दूसरे चरण को लागू करने जा रहे हैं और यह साल का ऐसा शब्द नहीं है जिसका जश्न मनाया जाए लेकिन यह संभवत: दुनिया के अधिकतर हिस्सों के लिये वर्ष का निचोड़ है।" शब्दकोश ने कहा कि उसने वर्ष 2020 के दौरान 2.5 करोड़ से भी ज्यादा बाद लॉकडाउन शब्द का इस्तेमाल दर्ज किया जबकि इससे पहले के साल में इसे सिर्फ 4000 बार दर्ज किया गया था। साल के 10 शीर्ष शब्दों की कोलिंस की सूची में महामारी से जुड़े कई शब्द हैं जिसमें फरलो या अस्थायी रूप से कर्मचारियों की छंटनी, 'सेल्फ आइसोलेट' (खुद पृथकवास में रहना) आदि शामिल हैं।शब्द कोरोना वायरस भी इस सूची में शामिल है जिसमें असाधारण रूप से 35 हजार गुना की बढ़ोतरी देखी गई। इसे विषाणुओं के ऐसे समूह के रूप में परिभाषित किया गया है जो श्वसन तंत्र में कोविड-19 समेत संक्रामक बीमारी की वजह बनता है। हालांकि सामाजिक दूरी, सामाजिक प्रभाव- व्यवहार और मानव जीवन का तरीका- भी इस सूची में शामिल है। शब्दकोश के मुताबिक 2020 में हालांकि सिर्फ महामारी से संबंधित शब्द ही चर्चा में नहीं थी।मेक्जिट या प्रिंस हैरी और उनकी पत्नी मेगन का शाही परिवार से अलग होने के फैसले के लिये इस्तेमाल किया जाना वाला शब्द भी बेहद चर्चा में रहा। कोलिंस के मुताबिक 'ब्लैक लाइव्स मैटर' शब्द ने भी 2020 में काफी सुर्खियां बटोरीं।---
- नई दिल्ली। अमेरिका में वैज्ञानिकों ने कुछ ऐसे रासायनिक यौगिकों का पता लगाया है, जो कोरोना वायरस को मानवीय कोशिकाओं में प्रवेश करने और अपने जैसे और वायरस पैदा करने के लिए आवश्यक दो प्रोटीन को बाधित करने में सक्षम हैं।इस यौगिक की मदद से कोविड-19 का प्रभावी टीका बनाने में मदद मिल सकती है। कोविड-19 के लिए जिम्मेदार सार्स-कोव-2 वायरस कई चरणों में शरीर पर हमला करता है। यह पहले फेफड़ों में प्रवेश करता है और मानवीय शरीर के कोशिका तंत्र पर कब्जा करके अपने जैसे कई वायरस पैदा कर देता है। ये दोनों शुरुआती चरण संक्रमण के लिहाज से अहम हैं। 'साइंस एडवांसेज पत्रिका में प्रकाशित नए अध्ययन में पाया गया कि कई मौजूदा रासायनिक यौगिक मानव कोशिकाओं में संक्रमण के लिए आवश्यक लाइजोसोमल प्रोटीज कैथेप्सीन एल प्रोटीन और कोशिकाओं में और वायरस पैदा करने में अहम भूमिका निभाने वाले मुख्य प्रोटीज एप्रो को बाधित कर सकते हैं। अमेरिका स्थित यूनिवर्सिटी ऑफ साउथ फ्लोरिडा हेल्थ में एसोसिएट प्रोफेसर यू चेन ने कहा कि यदि वैज्ञानिक इन दोनों प्रक्रियाओं को रोकने या बहुत हद तक काबू करने में सक्षम यौगिकों को विकसित कर लें, तो इससे कोरोना वायरस संक्रमण के उपचार में मदद मिल सकती है। यह अनुसंधान करने वाली टीम में यूनिवर्सिटी ऑफ एरिजोना के अनुसंधानकर्ता भी शामिल हैं।---
- -लोगों से कहा- आपने अमेरिका के लिए नया दिन सुनिश्चित कियावाशिंगटन। अमेरिका में उपराष्ट्रपति निर्वाचित कमला हैरिस ने अमेरिकियों से कहा कि उन्होंने जो बाइडेन को राष्ट्रपति के तौर पर निर्वाचित करके अमेरिका के लिए नया दिन सुनिश्चित किया है।भारतीय मूल की कमला हैरिस(56) ने परिणामों की घोषणा के बाद देशवासियों को पहली बार संबोधित करते हुए कहा, जनता के पास बेहतर भविष्य के निर्माण की ताकत है। उन्होंने शनिवार को डेलावेयर के विलमिंग्टन में कहा, आपने स्पष्ट संदेश दिया। आपने उम्मीद, एकता, शालीनता, विज्ञान और सत्य को चुना। आपने अमेरिका के लिए नया दिन सुनिश्चित किया। हैरिस ने अपनी मां श्यामला गोपालन के बारे में कहा कि जब वह पहली बार अमेरिका आई थीं, तो उन्होंने इस पल के बारे में नहीं सोचा होगा।गौरतलब है कि भारतवंशी कमला देवी हैरिस ने अमेरिका की निर्वाचित उपराष्ट्रपति बनकर इतिहास रच दिया है। वह अमेरिका में इस पद के लिए निर्वाचित होने वाली पहली महिला हैं। यही नहीं, हैरिस देश की पहली भारतवंशी, अश्वेत और अफ्रीकी अमेरिकी उपराष्ट्रपति होंगी। राष्ट्रपति चुनाव के लिए डेमोक्रेटिक पार्टी की ओर से उम्मीदवार रहे जो बाइडेन ने अगस्त में उपराष्ट्रपति पद की उम्मीदवार के रूप में हैरिस को चुना था। राष्ट्रपति पद के अपने सपनों को हैरिस ने चुनाव प्रचार हेतु वित्तीय संसाधनों के अभाव का हवाला देते हुए त्याग दिया था। अपने पूर्व प्रतिद्वंद्वी बाइडेन की किसी समय हैरिस कटु आलोचक थीं। 56 वर्षीय हैरिस सीनेट के तीन एशियाई अमेरिकी सदस्यों में से एक हैं।हैरिस ने कई मिसालें कायम की है। वह सान फ्रांसिस्को की डिस्ट्रिक्ट अटॉर्नी बनने वाली पहली महिला, पहली भारतवंशी और पहली अफ्रीकी अमेरिकी हैं। ओबामा के कार्यकाल में वह फीमेल ओबामा के नाम से लोकप्रिय थीं। कैलिफोर्निया के ओकलैंड में 20 अक्टूबर 1964 को जन्मी कमला देवी हैरिस की मां श्यामला गोपालन 1960 में भारत के तमिलनाडु से यूसी बर्कले पहुंची थीं, जबकि उनके पिता डोनाल्ड जे हैरिस 1961 में ब्रिटिश जमैका से इकोनॉमिक्स में स्नातक की पढ़ाई करने यूसी बर्कले आए थे। यहीं अध्ययन के दौरान दोनों की मुलाकात हुई और मानव अधिकार आंदोलनों में भाग लेने के दौरान उन्होंने विवाह करने का फैसला कर लिया।हाई स्कूल के बाद हार्वर्ड यूनिवर्सिटी से पढ़ाई करने वाली कमला अभी सात ही बरस की थीं, जब उनके माता-पिता एक दूसरे से अलग हो गए। कमला और उनकी छोटी बहन माया अपनी मां के साथ रहीं और उन दोनों के जीवन पर मां का बहुत प्रभाव रहा। हालांकि वह दौर अश्वेत लोगों के लिए सहज नहीं था। कमला और माया की परवरिश के दौरान उनकी मां ने दोनों को अपनी पृष्ठभूमि से जोड़े रखा और उन्हें अपनी साझा विरासत पर गर्व करना सिखाया। वह भारतीय संस्कृति से गहरे से जुड़ी रहीं।कमला ने अपनी आत्मकथा 'द ट्रुथ्स वी होल्ड' में लिखा है कि उनकी मां को पता था कि वह दो अश्वेत बेटियों का पालन पोषण कर रही हैं और उन्हें सदा अश्वेत के तौर पर ही देखा जाएगा, लेकिन उन्होंने अपनी बेटियों को ऐसे संस्कार दिए कि कैंसर अनुसंधानकर्ता और मानवाधिकार कार्यकर्ता श्यामला और उनकी दोनों बेटियों को ' श्यामला एंड द गल्र्स' के नाम से जाना जाने लगा। हार्वर्ड विश्वविद्यालय में अध्ययन के बाद हैरिस ने कैलिफोर्निया विश्वविद्यालय से कानून की पढ़ाई की। वह 2003 में सान फ्रांसिस्को की शीर्ष अभियोजक बनीं। वह 2010 में कैलिफोर्निया की अटॉर्नी बनने वाली पहली महिला और पहली अश्वेत व्यक्ति थीं। हैरिस 2017 में कैलिफोर्निया से जूनियर अमेरिकी सीनेटर चुनी गईं। कमला ने 2014 में जब अपने साथी वकील डगलस एम्पहॉफ से विवाह किया तो वह भारतीय, अफ्रीकी और अमेरिकी परंपरा के साथ साथ यहूदी परंपरा से भी जुड़ गईं।




















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