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नई दिल्ली। आलू, प्याज और टमाटर की कीमतों में उछाल से सितंबर में घर का बना खाना एक साल पहले की तुलना में महंगा हो गया। शुक्रवार को जारी एक रिपोर्ट में यह बात कही गई।
घरेलू रेटिंग एजेंसी क्रिसिल की रिपोर्ट के अनुसार, सितंबर 2023 में शाकाहारी भोजन की लागत 28.1 रुपये से सितंबर में 11 प्रतिशत बढ़कर 31.3 रुपये हो गई। यह अगस्त में 31.2 रुपये से थोड़ी ही अधिक हुई।‘रोटी, राइस, रेट’ नामक इस रिपोर्ट में वृद्धि के लिए सब्जियों की कीमतों में बढ़ोतरी को जिम्मेदार ठहराया गया है, जो थाली की लागत का 37 प्रतिशत हिस्सा है।इसमें कहा गया, ‘‘ सितंबर में प्याज, आलू तथा टमाटर की कीमतें क्रमश: 53 प्रतिशत, 50 प्रतिशत और 18 प्रतिशत बढ़ीं। इसकी वजह प्याज तथा आलू की कम आवक, जबकि भारी बारिश से आंध्र प्रदेश और महाराष्ट्र में टमाटर का उत्पादन प्रभावित रहना रही।’’रिपोर्ट में कहा गया, उत्पादन में कमी से दालों की कीमतों में पिछले साल की तुलना में 14 प्रतिशत की वृद्धि हुई, जबकि साल की शुरुआत में कीमतों में कटौती के कारण ईंधन की कीमतों में 11 प्रतिशत की गिरावट आई।मांसाहारी थाली भोजन की लागत पिछले वर्ष की तुलना में दो प्रतिशत घटकर 59.3 रुपये हो गई, जबकि ‘ब्रॉयलर’ (मांस) की कीमतों में 13 प्रतिशत की गिरावट आई जिसका इस थाली में 50 प्रतिशत योगदान है। रिपोर्ट में कहा गया कि अगस्त की तुलना में मांसाहारी भोजन की कीमत स्थिर रही। -
मुंबई. पश्चिम एशिया में तनाव बढ़ने से पैदा हुई चिंता के बीच घरेलू स्तर पर शेयर बाजारों में बृहस्पतिवार को चौतरफा बिकवाली हुई और मानक सूचकांक दो प्रतिशत से अधिक टूट गए। सेंसेक्स में 1,769 अंक और निफ्टी में 547 अंक की भारी गिरावट दर्ज की गई। विश्लेषकों ने कहा कि विदेशी कोषों की सतत निकासी और कच्चे तेल की बढ़ती कीमतों ने निवेशकों की धारणा को प्रभावित किया। यह शेयर बाजार में गिरावट का लगातार चौथा दिन रहा। बड़ी गिरावट के बीच निवेशकों की संपत्ति एक ही दिन में 9.78 लाख करोड़ रुपये घट गई। बीएसई का 30 शेयरों पर आधारित सूचकांक सेंसेक्स 1,769.19 अंक यानी 2.10 प्रतिशत गिरकर 82,497.10 अंक पर बंद हुआ। कारोबार के दौरान एक समय यह 1,832.27 अंक टूटकर 82,434.02 अंक पर आ गया था। नेशनल स्टॉक एक्सचेंज का निफ्टी भी 546.80 अंक यानी 2.12 प्रतिशत का गोता लगाते हुए 25,250.10 अंक पर आ गया। सेंसेक्स की कंपनियों में से लार्सन एंड टुब्रो, रिलायंस इंडस्ट्रीज, एक्सिस बैंक, एशियन पेंट्स, टाटा मोटर्स, बजाज फाइनेंस, मारुति, बजाज फिनसर्व, कोटक महिंद्रा बैंक, टाइटन, अदाणी पोर्ट्स और एचडीएफसी बैंक में खासी गिरावट दर्ज की गई। बाजार की चौतरफा गिरावट का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि सेंसेक्स की 30 कंपनियों में से अकेले जेएसडब्ल्यू स्टील ही बढ़त लेने में सफल रही। जियोजीत फाइनेंशियल सर्विसेज के शोध प्रमुख विनोद नायर ने कहा, ‘‘इजराइल पर ईरान की तरफ से बैलिस्टिक मिसाइल दागे जाने के बाद घरेलू बाजारों में तेज गिरावट आई। दरअसल, अब इजराइल की तरफ से तेल उत्पादक ईरान पर जवाबी कार्रवाई करने की आशंका बढ़ गई है जो इस संघर्ष को बड़ा रूप दे सकता है।'' नायर ने कहा, ‘‘वायदा एवं विकल्प (एफएंडओ) खंड के लिए सेबी के नए नियमों ने भी बाजार में सौदों की संख्या कम होने से जुड़ी चिंता बढ़ाने का काम किया है। इसके साथ चीन में बाजार का मूल्यांकन आकर्षक होने से विदेशी निवेशकों ने अब अपनी पूंजी का रुख उधर मोड़ दिया है जिससे भारतीय शेयरों पर दबाव बढ़ गया है।'' शेयर बाजार के आंकड़ों के मुताबिक, विदेशी संस्थागत निवेशकों (एफआईआई) ने मंगलवार को 5,579.35 करोड़ रुपये मूल्य के शेयरों की शुद्ध बिकवाली की थी। व्यापक बाजार में बीएसई मिडकैप सूचकांक 2.27 प्रतिशत की बड़ी गिरावट पर रहा जबकि स्मालकैप सूचकांक में 1.84 प्रतिशत की गिरावट दर्ज की गई। क्षेत्रवार सूचकांकों में रियल्टी खंड में 4.49 प्रतिशत की सर्वाधिक गिरावट रही। पूंजीगत उत्पाद खंड 3.18 प्रतिशत और वाहन खंड 2.94 प्रतिशत के नुकसान में रहे। एक भी सूचकांक सकारात्मक दायरे में रहने में नाकाम रहा। एचडीएफसी सिक्योरिटीज के उप प्रमुख (खुदरा शोध) देवर्ष वकील ने कहा, "विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों और एफआईआई के भारत से निकलकर चीन का रुख करने की आशंकाएं हावी रहीं। चीन की तुलना में घरेलू बाजारों के अधिक मूल्यांकन से इसे बल मिला।" एशिया के अन्य बाजारों में हांगकांग के हैंगसेंग में गिरावट रही जबकि जापान का निक्की बढ़त के साथ बंद हुआ। चीन के शेयर बाजार सार्वजनिक अवकाश होने से सप्ताह के बाकी दिनों के लिए बंद रहेंगे। यूरोप के ज्यादातर बाजार दोपहर में गिरावट के साथ कारोबार कर रहे थे। बुधवार को अमेरिकी बाजार मामूली बढ़त के साथ बंद हुए थे। पश्चिम एशिया में तनाव बढ़ने के बीच वैश्विक तेल मानक ब्रेंट क्रूड 1.37 प्रतिशत बढ़कर 74.91 डॉलर प्रति बैरल पर पहुंच गया। महात्मा गांधी जयंती के अवसर पर बुधवार को शेयर बाजार बंद रहे थे। मंगलवार को बीएसई सेंसेक्स 33.49 अंक गिरकर 84,266.29 अंक और एनएसई निफ्टी 13.95 अंक की मामूली गिरावट के साथ 25,796.90 अंक पर बंद हुआ था।
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गुवाहाटी. प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने असम में ‘ऑयल इंडिया लिमिटेड' द्वारा चार संपीड़ित बायो-गैस (सीबीजी) संयंत्र के निर्माण के लिए बुधवार को आधारशिला रखी। यह कार्यक्रम देशभर में सीबीजी के कई संयंत्रों के लिए नींव रखने के समारोह का हिस्सा था, जिसकी अध्यक्षता प्रधानमंत्री मोदी ने नयी दिल्ली से डिजिटल माध्यम से की। इस कार्यक्रम का उद्देश्य स्वच्छ भारत दिवस के मौके पर एक सतत और पर्यावरण अनुकूल ऊर्जा परिदृश्य को बढ़ावा देना है। असम में ये संयंत्र गुवाहाटी, जोरहाट, शिवसागर और तिनसुकिया में बनाए जाएंगे।
ऑयल इंडिया लिमिटेड ने एक बयान में कहा कि कंपनी की पेट्रोलियम और प्राकृतिक गैस मंत्रालय के साथ मिलकर सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रम (पीएसयू) में निवेश या निजी उद्यमियों के साथ साझेदारी के जरिए 2024-25 तक 25 सीबीजी संयंत्र स्थापित करने की योजना है। -
नई दिल्ली। सार्वजनिक क्षेत्र का भारतीय स्टेट बैंक (एसबीआई) चालू वित्त वर्ष में खोलेगा 600 नई शाखाएं,) चालू वित्त वर्ष (2024-25) में 600 नई शाखाएं खोलने की तैयारी कर रहा है। बैंक के चेयरमैन सी एस शेट्टी ने कहा है कि एसबीआई आवासीय टाउनशिप सहित उभरते क्षेत्रों में कारोबार के अवसरों का लाभ उठाने के लिए देशभर में 600 नई शाखाएं खोलेगा। शेट्टी ने बातचीत में कहा, “हमारे पास शाखा विस्तार की मजबूत योजनाएं हैं…यह मुख्य रूप से उभरते क्षेत्रों पर केंद्रित होगी। बहुत सी आवासीय कॉलोनियां हमारे दायरे में नहीं हैं। चालू वित्त वर्ष में हम लगभग 600 शाखाएं खोलने की योजना बना रहे हैं।”
एसबीआई ने पिछले वित्त वर्ष (2023-24) में 137 नई शाखाएं खोली थीं। इनमें से 59 शाखाएं ग्रामीण क्षेत्र में थीं। एसबीआई की देशभर में मार्च, 2024 तक 22,542 शाखाएं थीं। एसबीआई के देशभर में 65,000 एटीएम और 85,000 बैंकिंग प्रतिनिधि भी हैं। उन्होंने कहा, “हम लगभग 50 करोड़ ग्राहकों को सेवा प्रदान करते हैं और हमें यह कहते हुए गर्व होता है कि हम प्रत्येक भारतीय, और उससे भी महत्वपूर्ण बात, प्रत्येक भारतीय परिवार के बैंकर हैं।” जमाकर्ताओं को आकर्षित करने के लिए भारतीय स्टेट बैंक आवर्ती जमा (RD) और SIP के संयुक्त उत्पाद सहित नवीन उत्पाद लाने पर विचार कर रहा है। - नयी दिल्ली. प्रसाधन तथा स्वास्थ्य संबंधी उत्पाद बेचने वाली ‘डायरेक्ट सेलिंग' क्षेत्र की प्रमुख कंपनी एमवे ने माइकल नेल्सन को अपना अध्यक्ष एवं मुख्य कार्यपालक अधिकारी (सीईओ) नियुक्त किया है। यह नियुक्ति तत्काल प्रभाव से लागू होगी। कंपनी ने बयान में कहा, नेल्सन, मिलिंद पंत की जगह लेंगे जो जनवरी 2019 से सीईओ के रूप में कार्यरत थे। नेल्सन का एमवे में तीन दशकों से अधिक का अनुभव लेकर आ रहे हैं। वह रणनीति, आपूर्ति श्रृंखला, मानव संसाधन और प्रौद्योगिकी संबंधी कई महत्वपूर्ण नेतृत्वकारी भूमिकाएं निभा चुके हैं। एमवे निदेशक मंडल के सह-प्रमुख स्टीव वान एन्देल ने कहा, ‘‘ ...हमें पूरा विश्वास है कि वह एमवे को वर्तमान तथा भविष्य में उद्योग में अग्रणी बने रहने, वृद्धि करने और फलने-फूलने के लिए आवश्यक अनुभव लाएंगे।'' बयान में कहा गया, पूर्व सीईओ मिलिंद पंत के जाने पर एमवे निदेशक मंडल उन्हें भविष्य के लिए शुभकामनाएं देता है।
- नयी दिल्ली. जापान की सोनी ग्रुप कॉरपोरेशन और सोनी पिक्चर्स एंटरटेनमेंट (एसपीई) ने रवि आहूजा को अध्यक्ष एवं मुख्य कार्यपालक अधिकारी (सीईओ) नियुक्त करने की मंगलवार को घोषणा की। उनकी नियुक्ति दो जनवरी 2025 से प्रभावी होगी। सोनी समूह ने बयान में कहा, एसपीई के ग्लोबल टेलीविजन स्टूडियोज के वर्तमान चेयरमैन, अध्यक्ष एचं मुख्य परिचालन अधिकारी (सीओओ) आहूजा एसपीई के अध्यक्ष एवं सीईओ टोनी विन्सीक्वेरा की जगह लेंगे। इसमें कहा गया, विन्सीक्वेरा दिसंबर 2025 के अंत तक गैर-कार्यकारी अध्यक्ष के रूप में एसपीई के लिए सलाहकार की भूमिका में बने रहेंगे। बयान में कहा गया, आहूजा सोनी ग्रुप कॉर्पोरेशन के चेयरमैन एवं सीईओ केनिचिरो योशिदा और सोनी ग्रुप कॉर्पोरेशन के अध्यक्ष, सीओओ एवं मुख्य वित्त अधिकारी (सीएफओ) हिरोकी तोतोकी के अधीन काम करेंगे। आहूजा सोनी पिक्चर्स टेलीविजन (एसपीटी) के सभी निर्माण व्यवसायों और ग्लोबल टेलीविजन स्टूडियोज के चेयरमैन के रूप में स्टूडियो के भारत व्यवसाय की देखरेख के लिए 2021 में एसपीई में शामिल हुए थे। सोनी ग्रुप कॉरपोरेशन के चेयरमैन एवं सीईओ केनिचिरो योशिदा ने कहा, ‘‘ रवि 2021 में एसपीई में शामिल होने के बाद से टोनी नीत दल के केंद्र में रहे हैं....'' उन्होंने कहा, ‘‘ रवि अपने साथ दुनिया की कुछ सबसे सफल मनोरंजन कंपनियों में काम करने का वर्षों का अनुभव लेकर आए हैं। हम एसपीई के अध्यक्ष एवं सीईओ के रूप में उनके साथ और निकटता से काम करने को उत्सुक हैं।''
- वाणिज्यिक एलपीजी की कीमत 48.5 रुपये प्रति सिलेंडर बढ़ीनयी दिल्ली. विमान ईंधन या एटीएफ की कीमत 6.3 प्रतिशत की कटौती के बाद मंगलवार को इस साल के निचले स्तर पर आ गई। वहीं, होटलों तथा रेस्तरां में इस्तेमाल होने वाले वाणिज्यिक एलपीजी (19 किलोग्राम) की कीमत में 48.5 रुपये प्रति सिलेंडर की बढ़ोतरी की गई है। अंतरराष्ट्रीय तेल कीमतों के रुझान के अनुरूप मासिक आधार पर इसकी कीमत में यह वृद्धि की गई है। सरकारी ईंधन खुदरा विक्रेताओं के अनुसार, राष्ट्रीय राजधानी में एविएशन टर्बाइन फ्यूल (एटीएफ) की कीमत 5,883 रुपये प्रति किलोलीटर या 6.29 प्रतिशत घटकर 87,597.22 रुपये प्रति किलोलीटर हो गई। यह विमान ईंधन की इस साल सबसे कम कीमत है। इसमें लगातार दूसरी बार कटौती से विमानन कंपनियों का बोझ कम करने में मदद मिलेगी, जिनकी परिचालन लागत में ईंधन का हिस्सा करीब 40 प्रतिशत होता है। इससे पहले एक सितंबर को कीमतों में 4,495.5 रुपये प्रति किलोलीटर या 4.58 प्रतिशत की कटौती की गई थी। एटीएफ की कीमत मुंबई में मंगलवार को 87,432.78 रुपये प्रति किलोलीटर से घटाकर 81,866.13 रुपये प्रति किलोलीटर हो गई। स्थानीय करों के आधार पर कीमतें हर राज्य में अलग-अलग होती हैं। इसके साथ ही तेल कंपनियों ने वाणिज्यिक एलपीजी की कीमत 48.5 रुपये बढ़ाकर 1,740 रुपये प्रति 19 किलोग्राम सिलेंडर कर दी है। कीमतों में लगातार तीसरी बार मासिक वृद्धि की गई। इससे पहले एक अगस्त को कीमतों में 6.5 रुपये प्रति सिलेंडर और एक सितंबर को 39 रुपये प्रति सिलेंडर की बढ़ोतरी की गई थी। वाणिज्यिक एलपीजी सिलेंडर (19 किलोग्राम) की कीमत अब मुंबई में 1,692.50 रुपये, कोलकाता में 1,850.50 रुपये और चेन्नई में 1,903 रुपये हो गई है। हालांकि, घरेलू इस्तेमाल में आने वाले रसोई गैस सिलेंडर की कीमत 803 रुपये प्रति 14.2 किलोग्राम पर यथावत है। सार्वजनिक क्षेत्र की इंडियन ऑयल कॉरपोरेशन (आईओसी), भारत पेट्रोलियम कॉरपोरेशन लिमिटेड (बीपीसीएल) और हिंदुस्तान पेट्रोलियम कॉरपोरेशन लिमिटेड (एचपीसीएल) हर महीने की पहली तारीख को बेंचमार्क अंतरराष्ट्रीय ईंधन की औसत कीमत और विदेशी विनिमय दर के आधार पर एटीएफ तथा रसोई गैस की कीमतों में संशोधन करती हैं। पेट्रोल और डीजल की कीमतें स्थिर बनी हुई हैं। मार्च के मध्य में कीमतों में दो रुपये प्रति लीटर की कटौती की गई थी। दिल्ली में पेट्रोल की कीमत 94.72 रुपये प्रति लीटर है जबकि डीजल की कीमत 87.62 रुपये प्रति लीटर है।
- नयी दिल्ली. माल एवं सेवा कर (जीएसटी) का सितंबर महीने में सकल संग्रह सालाना आधार पर 6.5 प्रतिशत बढ़कर करीब 1.73 लाख करोड़ रुपये रहा। सरकार की तरफ से मंगलवार को जारी आंकड़ों में यह जानकारी दी गई। पिछले साल सितंबर में जीएसटी राजस्व 1.63 लाख करोड़ रुपये था। हालांकि, मासिक आधार पर जीएसटी संग्रह में कमी आई है। अगस्त, 2024 में कुल संग्रह 1.75 लाख करोड़ रुपये रहा था। पिछले महीने घरेलू लेनदेन से सकल जीएसटी 5.9 प्रतिशत बढ़कर लगभग 1.27 लाख करोड़ रुपये हो गया। इसके अलावा वस्तुओं के आयात से प्राप्त राजस्व आठ प्रतिशत बढ़कर 45,390 करोड़ रुपये हो गया। समीक्षाधीन अवधि में जीएसटी विभाग ने 20,458 करोड़ रुपये के रिफंड जारी किए जो एक साल पहले की समान अवधि की तुलना में 31 प्रतिशत अधिक है। रिफंड राशि को समायोजित करने के बाद सितंबर में शुद्ध जीएसटी राजस्व 1.53 लाख करोड़ रुपये रहा। यह एक साल पहले की समान अवधि के मुकाबले 3.9 प्रतिशत अधिक है। इसके साथ ही चालू वित्त वर्ष की पहली छमाही (अप्रैल-सितंबर अवधि) में जीएसटी संग्रह 9.5 प्रतिशत बढ़कर 10.87 लाख करोड़ रुपये से अधिक हो गया। कर विशेषज्ञों का कहना है कि सितंबर में कर संग्रह मासिक आधार पर सुस्त पड़ने के बावजूद आने वाले महीनों में त्योहारों के दौरान कर संग्रह बेहतर हो सकता है। पीडब्ल्यूसी इंडिया में साझेदार प्रतीक जैन ने कहा कि दरों को युक्तिसंगत बनाने की कवायद को देखते हुए जीएसटी परिषद को इस पर बारीकी से गौर करने की जरूरत हो सकती है। हालांकि, त्योहारी मौसम आने से अगले कुछ महीनों में संग्रह बेहतर हो सकता है। डेलॉयट इंडिया में साझेदार एम एस मणि ने कहा कि आने वाले महीनों के लिए जीएसटी राजस्व पर उत्सुकता से नजर रखी जाएगी क्योंकि वे आर्थिक वृद्धि के भी संकेतक हैं और उन्हें जीडीपी आंकड़ों से जोड़कर देखा जा सकता है। सलाहकार फर्म टैक्स कनेक्ट एडवाइजरी सर्विसेज में साझेदार विवेक जालान ने उम्मीद जताई कि मौजूदा स्थिति में जीएसटी परिषद की अगली बैठक में राजस्व वृद्धि पर कुछ दूरदर्शी उपाय देखने को मिलेंगे।
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मुंबई. देश का चालू खाते का घाटा अप्रैल-जून तिमाही में मामूली रूप से बढ़कर 9.7 अरब डॉलर यानी सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) का 1.1 प्रतिशत हो गया। एक साल पहले की समान अवधि में यह 8.9 अरब डॉलर यानी जीडीपी का एक प्रतिशत था। भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने सोमवार को चालू खाते से संबंधित ये आंकड़े जारी किए।
पिछली जनवरी-मार्च तिमाही में चालू खाता 4.6 अरब डॉलर यानी जीडीपी के 0.5 प्रतिशत अधिशेष की स्थिति में था। रिजर्व बैंक ने चालू खाता घाटे में सालाना आधार पर बढ़ोतरी के लिए वस्तु व्यापार में फासला बढ़ने को जिम्मेदार बताया है। वस्तु व्यापार अंतराल चालू वित्त वर्ष की पहली तिमाही में 65.1 अरब डॉलर दर्ज किया गया जो पिछले साल की समान तिमाही में 56.7 अरब डॉलर था। आरबीआई ने कहा कि समीक्षाधीन तिमाही में शुद्ध सेवा प्राप्तियां एक साल पहले के 35.1 अरब डॉलर से बढ़कर 39.7 अरब डॉलर हो गईं। इसके साथ ही कंप्यूटर सेवाओं, कारोबारी सेवाओं, यात्रा सेवाओं और परिवहन सेवाओं में वृद्धि देखी गई है। हालांकि आलोच्य अवधि में शुद्ध विदेशी पोर्टफोलियो निवेश में बड़ी गिरावट दर्ज की गई। यह एक साल पहले के 15.7 अरब डॉलर की तुलना में सिर्फ 90 करोड़ डॉलर रहा। वित्त वर्ष 2024-25 की पहली तिमाही में विदेशों से लिए गये वाणिज्यिक उधार (ईसीबी) के तहत शुद्ध प्रवाह घटकर 1.8 अरब डॉलर रहा जो एक साल पहले इसी अवधि में दर्ज 5.6 अरब डॉलर से कम था। जून तिमाही में विदेशों में रह रहे भारतीयों की तरफ से भेजे गए धन में भी उछाल दर्ज किया गया। इस दौरान विदेश से भारत भेजे गया धन अप्रैल-जून 2023 के 27.1 अरब डॉलर से बढ़कर 29.5 अरब डॉलर हो गया। आरबीआई ने कहा कि शुद्ध प्रत्यक्ष विदेशी निवेश प्रवाह भी बीती तिमाही में बढ़कर 6.3 अरब डॉलर हो गया जबकि पिछले साल की समान अवधि में यह 4.7 अरब डॉलर था। प्राथमिक आय खाते पर शुद्ध निकासी के तहत निवेश आय का भुगतान बढ़कर 10.7 अरब डॉलर हो गया जो पिछले साल की समान अवधि में 10.2 अरब डॉलर था। अप्रैल-जून 2024 में प्रवासी भारतीयों की जमाओं में शुद्ध प्रवाह चार अरब डॉलर रहा जो एक साल पहले 2.2 अरब डॉलर था। आरबीआई ने कहा कि चालू वित्त वर्ष की पहली तिमाही में भुगतान संतुलन के आधार पर विदेशी मुद्रा भंडार 5.2 अरब डॉलर बढ़ गया जबकि पिछले वित्त वर्ष की पहली तिमाही में यह 24.4 अरब डॉलर था। - नयी दिल्ली। सरकार ने सार्वजनिक भविष्य निधि (पीपीएफ) एवं अन्य लघु बचत योजनाओं पर चालू वित्त वर्ष 2024-25 की तीसरी तिमाही के लिए ब्याज दरों में कोई भी बदलाव नहीं करने की सोमवार को घोषणा की। इस तरह सरकार ने तीन तिमाहियों से ब्याज दरों में कोई बदलाव नहीं किया है। पिछली बार वित्त वर्ष 2023-24 की चौथी तिमाही के लिए कुछ योजनाओं की दरों में बदलाव किया गया था। वित्त मंत्रालय ने अपनी एक अधिसूचना में कहा, ‘‘वित्त वर्ष 2024-25 की तीसरी तिमाही (एक अक्टूबर से 31 दिसंबर, 2024 तक) के लिए विभिन्न लघु बचत योजनाओं पर ब्याज दरें दूसरी तिमाही (एक जुलाई से 30 सितंबर, 2024 तक) के लिए अधिसूचित दरों के समान ही रहेंगी।'' अधिसूचना के मुताबिक, सुकन्या समृद्धि योजना के तहत जमा पर पहले की तरह 8.2 प्रतिशत की दर से ब्याज मिलेगा जबकि तीन साल की सावधि जमा पर ब्याज दर 7.1 प्रतिशत रहेगी। इसके अलावा पीपीएफ और डाकघर बचत जमा योजना के लिए ब्याज दरें भी क्रमश: 7.1 प्रतिशत और चार प्रतिशत पर बनी रहेंगी। किसान विकास पत्र पर ब्याज दर 7.5 प्रतिशत होगी तथा यह निवेश 115 महीनों में परिपक्व होगा। वहीं राष्ट्रीय बचत पत्र (एनएससी) पर ब्याज दर 7.7 प्रतिशत रहेगी। अक्टूबर-दिसंबर तिमाही में भी डाकघर मासिक आय योजना के निवेशकों को पहले की तरह 7.4 प्रतिशत की दर से ब्याज मिलेगा। सरकार डाकघरों और बैंकों द्वारा संचालित इन लघु बचत योजनाओं के लिए हर तिमाही में ब्याज दरों को अधिसूचित करती है।
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नयी दिल्ली. सार्वजनिक क्षेत्र के भारतीय स्टेट बैंक (एसबीआई) के चेयरमैन सी एस शेट्टी ने कहा है कि जमाकर्ताओं को आकर्षित करने के लिए बैंक आवर्ती जमा और एसआईपी के संयुक्त उत्पाद सहित नवोन्मेषी उत्पाद लाने पर विचार कर रहा है। उन्होंने कहा कि अर्थव्यवस्था की प्रगति के साथ, ग्राहक वित्तीय रूप से अधिक जागरूक और मांग करने वाले बन रहे हैं, और उन्होंने नवीन निवेश साधनों की तलाश शुरू कर दी है। शेट्टी ने कहा कि आज ग्राहक मूल्य प्रस्ताव पर ध्यान दे रहे हैं, क्योंकि वित्तीय साक्षरता बढ़ रही है और परिसंपत्ति आवंटन की अवधारणा को अधिक महत्व मिलेगा। उन्होंने कहा, “जाहिर है, कोई भी व्यक्ति जोखिम वाली परिसंपत्ति में अपना सब कुछ नहीं लगाना चाहता...बैंकिंग उत्पाद हमेशा इसका हिस्सा रहेंगे। इसलिए, हम ऐसे उत्पाद लाने की कोशिश कर रहे हैं जो उन्हें आकर्षित करें।” एसबीआई चेयरमैन ने कहा, “हम कुछ पारंपरिक उत्पादों जैसे आवर्ती जमा, जो वास्तव में एक पारंपरिक एसआईपी है, में नवीनता लाने का प्रयास कर रहे हैं... हो सकता है, हम सावधि जमा/आवर्ती जमा और एसआईपी दोनों को मिलाकर एक संयुक्त उत्पाद दे सकें जो डिजिटल रूप से सुलभ हो सके।” उन्होंने कहा कि बैंक नई पीढ़ी के बीच जमा उत्पादों को लोकप्रिय बनाने के लिए इन नवाचारों पर विचार कर रहा है। इसके अलावा, उन्होंने कहा कि बैंक ने जमा जुटाने के लिए बड़े पैमाने पर एक पहुंच कार्यक्रम शुरू किया है। शेट्टी ने कहा, “जैसा कि मैंने कहा, हमारे लिए जमा जुटाना एक फ्रेंचाइजी का काम है। हमारे पास देशभर में सबसे ज़्यादा संख्या में भौतिक शाखाएं हैं। हम पहुंच कार्यक्रम शुरू करके अपनी विशाल भौतिक पहुंच का लाभ उठा रहे हैं, जहां ग्राहकों से संपर्क किया जाता है। आज, एसबीआई की ओर से हर उपभोक्ता तक पहुंचने का प्रयास किया जा रहा है, चाहे वे मौजूदा ग्राहक हों या नए ग्राहक।
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नयी दिल्ली. जीएसटी नेटवर्क (जीएसटीएन) ने रविवार को कहा कि जुलाई और अगस्त, 2017 के मासिक रिटर्न के आंकड़े पोर्टल पर बहाल कर दिए गए हैं। ये माल एवं सेवा कर (जीएसटी) लागू होने के शुरुआती महीने थे। जीएसटीएन ने पिछले सप्ताह कहा था कि वह अपनी आंकड़ा नीति को लागू कर रहा है, जिसके अनुसार करदाताओं के आंकड़े केवल सात साल के लिए ही रखे जाएंगे। इस प्रकार, करदाताओं के लिए जीएसटी रिटर्न के आंकड़े सात साल से अधिक समय तक उपलब्ध नहीं होंगे और उन्हें अभिलेखागार (आर्काइव) में रखा जाएगा। ऐसे में एक अगस्त, 2024 को जुलाई, 2017 के आंकड़े और एक सितंबर, 2024 को अगस्त, 2017 के आंकड़े अभिलेखागार में रखे गए। दूसरी ओर उद्योग जगत ने इस नीति को लागू करने से पहले कुछ और समय मांगा था, ताकि वे भविष्य के लिए जीएसटी पोर्टल से अपने प्रासंगिक आंकड़े डाउनलोड कर सकें। इस अनुरोध पर विचार करते हुए जीएसटीएन ने रविवार को कहा कि 2017-18 के जीएसटी रिटर्न फिर से उपलब्ध करा दिए गए हैं। जीएसटी एक जुलाई, 2017 को लागू हुआ था।
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नयी दिल्ली.सरकार ने शनिवार को गैर-बासमती सफेद चावल के निर्यात पर लगे पूर्ण प्रतिबंध को हटा दिया। इसके साथ, इस पर 490 डॉलर प्रति टन का न्यूनतम मूल्य तय किया और इसे निर्यात शुल्क से भी छूट दे दी है। घरेलू आपूर्ति को बढ़ावा देने के लिए गैर-बासमती सफेद चावल के निर्यात पर 20 जुलाई, 2023 से प्रतिबंध लगा दिया गया था। विदेश व्यापार महानिदेशालय (डीजीएफटी) ने अधिसूचना में कहा, “गैर-बासमती सफेद चावल (अर्ध-मिल्ड या पूर्ण रूप से मिल्ड चावल, चाहे पॉलिश किया हुआ हो या नहीं) के लिए निर्यात नीति को प्रतिबंधित से मुक्त में संशोधित किया गया है, जो तत्काल प्रभाव से और अगले आदेश तक लागू रहेगा। यह 490 अमेरिकी डॉलर प्रति टन के एमईपी (न्यूनतम निर्यात मूल्य) के अधीन है।” यह कदम ऐसे समय उठाया गया है कि जब देश में सरकारी गोदामों में चावल का पर्याप्त भंडार है और खुदरा कीमतें भी नियंत्रण में हैं। सरकार ने गैर-बासमती सफेद चावल को निर्यात शुल्क से छूट दे दी है, जबकि उसना चावल पर शुल्क घटाकर 10 प्रतिशत कर दिया है। वित्त मंत्रालय के तहत आने वाले राजस्व विभाग ने शुक्रवार को जारी एक अधिसूचना में कहा कि उसने ‘ब्राउन राइस' और धान पर निर्यात शुल्क भी घटाकर 10 प्रतिशत कर दिया है। चावल की इन किस्मों के साथ-साथ गैर-बासमती सफेद चावल पर निर्यात शुल्क अब तक 20 प्रतिशत था।
अधिसूचना में कहा गया है कि नई दरें 27 सितंबर, 2024 से प्रभावी हो गई हैं। इसी महीने सरकार ने निर्यात को बढ़ावा देने और किसानों की आय बढ़ाने के लिए बासमती चावल के न्यूनतम निर्यात मूल्य को समाप्त कर दिया था। देश ने चालू वित्त वर्ष में अप्रैल-जुलाई के दौरान 18.9 करोड़ डॉलर मूल्य का गैर-बासमती सफेद चावल निर्यात किया है। पिछले वित्त वर्ष (2023-24) में यह 85.25 करोड़ डॉलर था। प्रतिबंध के बावजूद सरकार मालदीव, मॉरीशस, संयुक्त अरब अमीरात (यूएई) और अफ्रीकी देशों जैसे मित्र देशों को निर्यात की अनुमति दे रही थी। भारत सरकार ने अन्य देशों को उनकी खाद्य सुरक्षा आवश्यकताओं को पूरा करने तथा उनकी सरकारों के अनुरोध के आधार पर निर्यात की अनुमति दी। चावल की इस किस्म की भारत में व्यापक खपत है। वैश्विक बाजारों में भी इसकी मांग है। विशेष रूप से उन देशों में जहां बड़ी संख्या में भारतीय प्रवासी हैं। -
नई दिल्ली। केंद्र ने शुक्रवार को गैर-बासमती सफेद चावल के निर्यात पर प्रतिबंध तत्काल प्रभाव से हटा दिया। एक अधिसूचना में यह जानकारी दी गई। सरकार ने जुलाई 2023 में चावल की घरेलू आपूर्ति सुनिश्चित करने और कीमतों को नियंत्रण में रखने के लिए प्रतिबंध लगाया था।निर्यातकों ने पाबंदी हटाने के फैसले की सराहना की और इसे क्षेत्र के लिए अहम करार दिया। ‘राइस विला’ के सीईओ सूरज अग्रवाल ने कहा, ‘‘गैर-बासमती सफेद चावल के निर्यात पर प्रतिबंध हटाने का भारत का साहसिक फैसला कृषि क्षेत्र के लिए परिवर्तनकारी है।’’ अधिसूचना में कहा गया है कि सरकार ने ‘पारब्वॉइल्ड’ चावल पर निर्यात शुल्क भी 20 प्रतिशत से घटाकर 10 प्रतिशत कर दिया है।
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नयी दिल्ली। अंबुजा सीमेंट ने बृहस्पतिवार को अलायंस फॉर इंडस्ट्री डीकॉर्बोनाइजेशन (एएफआईडी) में शामिल होने की घोषणा की। इस गठबंधन का मकसद उद्योगों में कार्बन कटौती को प्रोत्साहित करना है। अरबपति कारोबारी गौतम अदाणी की अगुवाई वाले अदाणी समूह की इकाई अंबुजा समूह पेरिस समझौते के अनुसार शुद्ध शून्य कार्बन उत्सर्जन के लक्ष्य को तेजी से हासिल करने के लिए इस वैश्विक गठबंधन में शामिल हुई है। कंपनी ने बयान में बताया कि अंबुजा सीमेंट एएफआईडी का हिस्सा बनने वाली दुनिया की पहली सीमेंट विनिर्माता है। कंपनी देश की दूसरी सबसे बड़ी सीमेंट विनिर्माता है और उसका लक्ष्य 2050 तक शुद्ध शून्य के लक्ष्य को हासिल करना है। अंबुजा सीमेंट के गैर-कार्यकारी निदेशक करण अदाणी ने कहा कि यह अंबुजा के लिए अपनी स्थिरता यात्रा में एक और महत्वपूर्ण कदम है। उन्होंने कहा कि इस गठजोड़ से कंपनी को वैश्विक अनुभवों का लाभ मिलेगा।
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नयी दिल्ली. एसएंडपी ग्लोबल रेटिंग्स ने चालू वित्त वर्ष 2024-25 के लिए भारत का वृद्धि अनुमान 6.8 प्रतिशत पर मंगलवार को बरकरार रखा और कहा कि उसे उम्मीद है कि आरबीआई अपनी अक्टूबर की मौद्रिक नीति समीक्षा में ब्याज दरों में कटौती शुरू कर देगा। एशिया प्रशांत के आर्थिक परिदृश्य में एसएंडपी ग्लोबल रेटिंग्स ने वित्त वर्ष 2025-26 के लिए जीडीपी वृद्धि दर का अनुमान 6.9 प्रतिशत पर बरकरार रखा है। इसमें कहा गया कि भारत में ठोस वृद्धि से भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) मुद्रास्फीति को अपने लक्ष्य के अनुरूप लाने पर ध्यान केंद्रित कर सकेगा। रेटिंग एजेंसी ने कहा, ‘‘ भारत में अप्रैल-जून तिमाही में उच्च ब्याज दरों ने शहरी मांग को प्रभावित किया और सकल घरेलू उत्पाद की वृद्धि दर धीमी रही। हालांकि, यह समूचे वित्त वर्ष 2024-25 के लिए हमारे सकल घरेलू उत्पाद के 6.8 प्रतिशत की दर के अनुमान के अनुरूप है।'' इससे पिछले वित्त वर्ष 2023-24 में भारतीय अर्थव्यवस्था 8.2 प्रतिशत की दर से बढ़ी थी।
एसएंडपी ने कहा, हमारा परिदृश्य यथावत बना हुआ है। हम उम्मीद करते हैं कि आरबीआई जल्द से जल्द अक्टूबर में दरों में कटौती शुरू कर देगा और चालू वित्त वर्ष (मार्च 2025 में समाप्त होने वाले) में दो बार दरों में कटौती की योजना बनाएगा।'' एसएंडपी का अनुमान है कि चालू वित्त वर्ष में मुद्रास्फीति औसतन 4.5 प्रतिशत रहेगी।
सरकार ने आरबीआई को मुद्रास्फीति को दोनों तरफ दो प्रतिशत घट-बढ़ के साथ चार प्रतिशत पर रखने का लक्ष्य दिया है। आरबीआई की ब्याज दर निर्धारित करने वाली मौद्रिक नीति समिति की बैठक सात से नौ अक्टूबर को होने वाली है। मुद्रास्फीति को नियंत्रण में रखने के लिए केंद्रीय बैंक ने फरवरी 2023 से नीतिगत दर को 6.5 प्रतिशत पर यथावत रखा है। अमेरिकी केंद्रीय बैंक फेडरल रिजर्व ने भी अपनी नीतिगत ब्याज दर में 0.50 प्रतिशत की कटौती की है। इसके बाद आरबीआई के अगले महीने इसमें 0.25 प्रतिशत की कटौती करने की उम्मीद है।
- नयी दिल्ली. श्रमबल सर्वेक्षण की वार्षिक रिपोर्ट के अनुसार जुलाई, 2023 से जून, 2024 तक 15 वर्ष और उससे अधिक आयु के व्यक्तियों के लिए बेरोजगारी दर 3.2 प्रतिशत पर स्थिर बनी हुई है। बेरोजगारी दर (यूआर) को श्रमबल में मौजूद व्यक्तियों के बीच बेरोजगार व्यक्तियों के प्रतिशत के रूप में परिभाषित किया जाता है। सोमवार को जारी रिपोर्ट में कहा गया कि पुरुषों के लिए यूआर में जुलाई 2023-जून 2024 के दौरान सालाना आधार पर मामूली गिरावट हुई। यह आंकड़ा 3.3 प्रतिशत से घटकर 3.2 प्रतिशत हो गया। इसी अवधि में महिलाओं के बीच यूआर 2.9 प्रतिशत से बढ़कर 3.2 प्रतिशत हो गया।जुलाई 2023 - जून 2024 के दौरान 15 वर्ष और उससे अधिक आयु के व्यक्तियों के लिए सामान्य स्थिति में श्रमबल भागीदारी दर (एलएफपीआर) 60.1 प्रतिशत थी। यह आंकड़ा पिछले साल 57.9 प्रतिशत था। समीक्षाधीन अवधि में यह आंकड़ा पुरुषों के लिए 78.8 प्रतिशत और महिलाओं के लिए 41.7 प्रतिशत था। सामान्य स्थिति में 15 वर्ष से अधिक आयु की महिलाओं के लिए एलएफपीआर दर जुलाई, 2022 - जून, 2023 के 37.0 प्रतिशत से बढ़कर जुलाई, 2023 - जून, 2024 के दौरान 41.7 प्रतिशत हो गई है।
- नयी दिल्ली. केंद्रीय दूरसंचार मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया ने सोमवार को कहा कि दूरसंचार कंपनियों ने पिछले दो वित्त वर्षों (2022-24) में 4जी और फिर 5जी में जाने के लिए 4.56 लाख करोड़ रुपये से अधिक का पूंजीगत व्यय किया है। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व वाली राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) सरकार के तीसरे कार्यकाल के पहले 100 दिन की उपलब्धियों पर सिंधिया ने कहा कि सार्वजनिक क्षेत्र की बीएसएनएल 2025 के मध्य तक 4जी सेवा के लिए एक लाख टावर की स्थापना का काम पूरा कर लेगी। उन्होंने कहा कि मंत्रालय 4जी सेवाएं शुरू करने की समयसीमा और उनकी कारोबारी रणनीति के बारे में सरकारी दूरसंचार कंपनी के निर्णय में हस्तक्षेप नहीं करेगा। मंत्री ने कहा कि पिछले 10 वर्षों में वॉयस कॉल की दरें 94 प्रतिशत घटकर 51 पैसे प्रति मिनट से 3.5 पैसे रह गई हैं, तथा एक जीबी इंटरनेट डाटा की कीमत 97 प्रतिशत घटकर 297 रुपये प्रति जीबी से 8.75 पैसे रह गई है। मोबाइल सेवाओं पर शुल्क वृद्धि के प्रभाव के बारे में पूछे जाने पर सिंधिया ने कहा, “3जी से 4जी और 4जी से 5जी की ओर बढ़ते हुए, दूरसंचार कंपनियों ने पिछले दो वित्त वर्षों में ही 4.26 लाख करोड़ रुपये से अधिक का पूंजीगत व्यय किया है। यदि आप अधिक निवेश करते हैं तो आपको लाभ अवश्य मिलेगा।” मंत्री ने कहा कि राजग सरकार के पिछले 10 साल के कार्यकाल में कनेक्टिविटी बढ़ी है, जबकि शुल्क में भारी कमी आई है। जुलाई में सभी निजी कंपनियों द्वारा शुल्क वृद्धि करने के बाद बीएसएनएल के ग्राहकों की संख्या में 29.47 लाख से अधिक की वृद्धि हुई, जबकि निजी दूरसंचार कंपनियों - एयरटेल, वीआईएल और जियो ने कुल मिलाकर 38.65 लाख मोबाइल ग्राहक खो दिए। सिंधिया ने कहा कि दूरसंचार मंत्रालय बीएसएनएल की कारोबारी रणनीति के फैसले में हस्तक्षेप नहीं करेगा। उच्चतम न्यायालय द्वारा समायोजित सकल राजस्व (एजीआर) पर वीआईएल की याचिका खारिज किए जाने के बाद दूरसंचार क्षेत्र की वित्तीय स्थिति के बारे में पूछे जाने पर सिंधिया ने कहा कि चार कंपनियों के साथ यह क्षेत्र बेहद मजबूत है। सिंधिया ने कहा कि भारत विश्वस्तर पर छठा देश बन गया है जिसने अपनी 4जी प्रौद्योगिकी स्थापित कर ली है।
- नयी दिल्ली/ कृषि मंत्रालय ने सोमवार को कहा कि चालू खरीफ (ग्रीष्म) सत्र 2024-25 में अबतक धान की बुवाई का रकबा 2.22 प्रतिशत बढ़कर 413.50 लाख हेक्टेयर हो गया है। एक साल पहले की समान अवधि में यह 404.50 लाख हेक्टेयर था।मुख्य खरीफ फसल धान की बुवाई जून से दक्षिण-पश्चिम मानसून की शुरुआत के साथ शुरू होती है और सितंबर से कटाई होती है। मंत्रालय ने बयान में कहा कि इसके अलावा चालू सत्र में 23 सितंबर तक दलहन की बुवाई का रकबा बढ़कर 128.58 लाख हेक्टेयर हो गया, जो पिछले साल इसी अवधि में 119.28 लाख हेक्टेयर था। चालू सत्र में अबतक अरहर और मूंग की बुवाई का रकबा बढ़कर क्रमश: 46.50 लाख हेक्टेयर और 35.46 लाख हेक्टेयर हो गया है, जबकि उड़द की बुवाई का रकबा थोड़ा घटकर यानी 30.73 लाख हेक्टेयर रह गया है। मोटे अनाज और श्री अन्न (बाजरा) की बुवाई का रकबा एक साल पहले की समान अवधि के 186.07 लाख हेक्टेयर से बढ़कर 192.55 लाख हेक्टेयर हो गया। मोटे अनाजों में मक्का की बुवाई का रकबा 84.65 लाख हेक्टेयर से बढ़कर 88.06 लाख हेक्टेयर हो गया।तिलहन की बुवाई का रकबा इस खरीफ सत्र में अब तक मामूली रूप से बढ़कर 193.84 लाख हेक्टेयर हो गया है, जो एक साल पहले की समान अवधि में 190.92 लाख हेक्टेयर था। नकदी फसलों में, गन्ने की बुवाई का रकबा मामूली रूप से बढ़कर 57.68 लाख हेक्टेयर हो गया, जो पिछले साल की समान अवधि में 57.11 लाख हेक्टेयर था, कपास का रकबा 123.71 लाख हेक्टेयर से बढ़कर 112.76 लाख हेक्टेयर हो गया, जबकि जूट-मेस्ता का रकबा 6.67 लाख हेक्टेयर से घटकर 5.74 लाख हेक्टेयर रह गया। सभी खरीफ फसलों के लिए कुल बुवाई का रकबा पिछले साल की समान अवधि के 1,088.26 लाख हेक्टेयर की तुलना में बढ़कर 1,104.63 लाख हेक्टेयर पर रहा।
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नई दिल्ली। भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड (सेबी) ने सोमवार को उद्योगपति अनिल अंबानी के पुत्र अनमोल अंबानी पर रिलायंस होम फाइनैंस मामले में सामान्य प्रयोजन के कॉरपोरेट ऋण को मंजूरी देते समय उचित जांच-परख की प्रक्रिया का पालन नहीं करने के लिए एक करोड़ रुपये का जुर्माना लगाया। इसके अलावा, नियामक ने रिलायंस हाउसिंग फाइनेंस के मुख्य जोखिम अधिकारी (सीआरओ) कृष्णन गोपालकृष्णन पर 15 लाख रुपये का जुर्माना लगाया है। सेबी ने अपने आदेश में कहा कि दोनों को 45 दिन के भीतर जुर्माना जमा कराना होगा। यह आदेश तब आया जब अगस्त में सेबी ने रिलायंस होम फाइनैंस लिमिटेड के कोष की हेराफेरी से जुड़े एक मामले में अनिल अंबानी और 24 अन्य को पांच साल के लिए प्रतिभूति बाजार से प्रतिबंधित कर दिया था। साथ ही उनपर 25 करोड़ रुपये का जुर्माना भी लगाया गया था।
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नई दिल्ली। केंद्रीय वित्त एवं कॉरपोरेट मामलों की मंत्री निर्मला सीतारमण ने रविवार को यहां कहा कि 2047 तक विकसित भारत के लक्ष्य को हासिल करने के लिए देश सही राह पर बढ़ रहा है और संस्थागत क्षमता निर्माण इसमें महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा।‘विकसित भारत 2047’ राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) सरकार का रोडमैप है, जिसका लक्ष्य 2047 तक देश को एक विकसित राष्ट्र बनाना है। 2047 में भारत की आजादी के 100 वर्ष पूरे हो जाएंगे।
वित्तमंत्री ने कहा कि केंद्र ने रक्षा क्षमताओं में आत्मनिर्भरता बढ़ाने के लिए कोई कसर नहीं छोड़ी है। उन्होंने कहा, “हमें अपने बैंकों, समग्र बुनियादी ढांचे, बाजार में कंपनियों की स्थिति पर भी ध्यान देना होगा और भारतीय अर्थव्यवस्था के डिजिटलीकरण को प्राथमिकता देनी होगी।” उन्होंने कहा, “यदि आप यह देख रहे हैं कि भारत का भविष्य क्या है और हम विकसित भारत 2047 के लक्ष्य तक कैसे पहुंचेंगे तो हम सही रास्ते पर हैं। हमने अपनी राष्ट्रीय सुरक्षा को प्राथमिकता दी है।” -
नयी दिल्ली. डेलॉयट दक्षिण एशिया के मुख्य कार्यपालक अधिकारी (सीईओ) रोमल शेट्टी ने कहा है कि भारत निराशाजनक वैश्विक परिदृश्य के बीच एक चमकता स्थान बना हुआ है। उन्होंने कहा कि देश विपरीत परिस्थितियों के बावजूद चालू वित्त वर्ष (2024-25) में सात प्रतिशत की वृद्धि दर्ज कर सकता है। भारत में ‘बिग फोर' अकाउंटिंग और परामर्श कंपनियों के सबसे युवा सीईओ शेट्टी ने कहा कि मुद्रास्फीति काफी हद तक नियंत्रण में है, ग्रामीण मांग में वृद्धि हुई है और वाहनों की बिक्री में सुधार हो रहा है। उन्होंने कहा, “हमारा मानना है कि हम वृद्धि के मामले में (चालू वित्त वर्ष में) 7-7.1 प्रतिशत के दायरे में रहेंगे। आपके सामने कई प्रतिकूल परिस्थितियां हैं, कई अनुकूल परिस्थितियां हैं... लेकिन तथ्य यह है कि वैश्विक स्तर पर जो कुछ भी हो रहा है, उसके बावजूद भारत अब भी बेहतर स्थिति में है, लेकिन हम यह नहीं कह सकते कि हम दुनिया से अलग हैं।” उन्होंने कहा कि पश्चिम एशिया और यूक्रेन में भू-राजनीतिक संकट तथा पश्चिमी दुनिया में मंदी का सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) की वृद्धि पर असर पड़ेगा। डेलॉयट के अनुमानों के अनुसार, अगले वित्त वर्ष (2025-26) में वृद्धि दर 6.7 प्रतिशत रहने की संभावना है। पिछले वित्त वर्ष 2023-24 में भारतीय अर्थव्यवस्था 8.2 प्रतिशत की दर से बढ़ी थी। शेट्टी ने कहा कि उन्हें उम्मीद है कि नरेन्द्र मोदी सरकार 3.0 निजीकरण सहित आर्थिक सुधारों को उसी गति से जारी रखेगी और सरकारी विभागों के भीतर काम पूरा करने के लिए जबर्दस्त प्रयास किए जाएंगे। दुनिया की पांचवीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था भारत इस दशक के भीतर पांच हजार अरब डॉलर तक विस्तारित होकर तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बन जाएगा। कच्चे तेल की कीमत में गिरावट कुछ मायनों में भारत के लिए अच्छी बात है, क्योंकि भारत कई चीजों का शुद्ध आयातक है और अमेरिकी फेडरल रिजर्व द्वारा ब्याज दरों में कटौती भारत के लिए सकारात्मक होगी। शेट्टी ने कहा कि भारत विश्व की सेवा राजधानी बनेगा और देश को उत्पादकता बढ़ाने के लिए कृषि में प्रौद्योगिकी के उपयोग पर ध्यान केंद्रित करना होगा तथा ऐसे विशिष्ट क्षेत्रों की तलाश करनी होगी जहां भारत विश्वस्तर पर अपना प्रभुत्व स्थापित कर सके।
- नयी दिल्ली. देश का बागवानी उत्पादन 2023-24 में सालाना आधार पर मामूली रूप से 0.65 प्रतिशत घटकर 35.32 करोड़ टन रहने का अनुमान है। शनिवार को जारी सरकार के तीसरे अग्रिम अनुमान में यह बात कही गई। आम, केला, नींबू, अंगूर और कस्टर्ड सेब के अधिक उत्पादन से 2023-24 (जुलाई-जून) में फलों का उत्पादन 2.29 प्रतिशत बढ़कर 11.27 करोड़ टन होने की उम्मीद है। कृषि मंत्रालय ने हालांकि कहा कि सेब, खट्टे फल, अमरूद, लीची, अनार और अनानास का उत्पादन गिरने की आशंका है। इसमें कहा गया कि सब्जियों का उत्पादन 20.58 करोड़ टन रहने का अनुमान है, जिसमें टमाटर, गोभी, फूलगोभी और कई अन्य सब्जियों में वृद्धि से आलू और प्याज जैसे प्रमुख खाद्य पदार्थों में कमी की भरपाई हो जाएगी। प्याज का उत्पादन 242.4 लाख टन रहने की उम्मीद है। आलू का उत्पादन 5.70 करोड़ टन रहने की संभावना है। बिहार और पश्चिम बंगाल में कम उत्पादन के कारण यह आंकड़ा सालाना आधार पर गिरावट दर्शाता है। टमाटर का उत्पादन 4.38 प्रतिशत बढ़कर 213.2 लाख टन होने का अनुमान है। इसी तरह शहद, फूल, बागानी फसलों, मसालों और सुगंधित और औषधीय पौधों में इस साल वृद्धि का संकेत है।
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नई दिल्ली। आयकर विभाग ने शनिवार को कहा कि उसने विवाद समाधान योजना ‘विवाद से विश्वास 2.0’ को अधिसूचित किया है। यह योजना 31 दिसंबर, 2024 को या उससे पहले घोषणा पत्र दाखिल करने वाले करदाताओं के लिए उसके बाद दाखिल करने वालों की तुलना में कम निपटान राशि की पेशकश करती है।वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने अपने बजट भाषण में आयकर विवादों के मामले में लंबित अपीलों को हल करने के लिए प्रत्यक्ष कर ‘विवाद से विश्वास’ योजना 2024 की घोषणा की। यह योजना एक अक्टूबर, 2024 से लागू होगी।
इसके अलावा, योजना को सक्षम करने के लिए नियम और प्रपत्र भी अधिसूचित किए गए हैं। केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड (सीबीडीटी) ने एक बयान में कहा कि इस योजना में ‘पुराने अपीलकर्ता’ की तुलना में ‘नए अपीलकर्ता’ के लिए कम निपटान राशि का प्रावधान है। इस योजना में 31 दिसंबर 2024 को या उससे पहले घोषणा दाखिल करने वाले करदाताओं के लिए उसके बाद दाखिल करने वालों की तुलना में कम निपटान राशि का प्रावधान है। चार अलग-अलग प्रपत्र अधिसूचित किए गए हैं। प्रपत्र-1: घोषणाकर्ता द्वारा घोषणा और वचनबद्धता दाखिल करने के लिए प्रपत्र। प्रपत्र-2: निर्दिष्ट प्राधिकारी द्वारा जारी किए जाने वाले प्रमाणपत्र के लिए प्रपत्र।प्रपत्र-3: घोषणाकर्ता द्वारा भुगतान की सूचना के लिए प्रपत्र। प्रपत्र-4: निर्दिष्ट प्राधिकारी द्वारा कर बकाया के पूर्ण और अंतिम निपटान के लिए आदेश। योजना में यह भी प्रावधान है कि प्रत्येक विवाद के लिए फॉर्म-1 अलग से दाखिल किया जाएगा, बशर्ते कि जहां अपीलकर्ता और आयकर प्राधिकारी दोनों ने एक ही आदेश के संबंध में अपील दाखिल की हो, ऐसे मामले में एकल फॉर्म-1 दाखिल किया जाएगा। भुगतान की सूचना फॉर्म-3 में दी जानी है और इसे अपील, आपत्ति, आवेदन, रिट याचिका, विशेष अनुमति याचिका या दावे को वापस लेने के प्रमाण के साथ निर्दिष्ट प्राधिकारी को प्रस्तुत किया जाना है।फॉर्म-1 और फॉर्म-3 को घोषणाकर्ता द्वारा इलेक्ट्रॉनिक रूप से प्रस्तुत किया जाएगा। ये फॉर्म आयकर विभाग के ई-फाइलिंग पोर्टल पर उपलब्ध कराए जाएंगे। यह योजना मुकदमेबाजी को कम करने की दिशा में एक कदम है। -
नई दिल्ली। फाइनेंस और इन्वेस्टमेंट सर्विस देने वाली कंपनी आईआईएफएल फाइनेंस के शेयरों में शुक्रवार, 20 सितंबर, 2024 को शानदार तेजी देखी गई। आज के कारोबार में कंपनी के शेयर 7 प्रतिशत से ज्यादा की तेजी के साथ बंद हुए। आईआईएफएल फाइनेंस के शेयरों में उछाल भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) द्वारा कंपनी के गोल्ड लोन बिजनेस पर प्रतिबंध हटाने के बाद आया।
BSE पर, आईआईएफएल फाइनेंस के शेयर 7.37 प्रतिशत की उछाल के साथ 530.75 रुपये पर बंद हुआ। दिन के दौरान यह 13.39 प्रतिशत बढ़कर 560.50 रुपये पर पहुंच गया था। इस शेयर का 52 सप्ताह का हाई 683.78 रुपये है।NSE पर, कंपनी के शेयर 6.15 प्रतिशत चढ़कर 526.50 रुपये पर पहुंच गए। इंट्रा-डे में शेयर 13 प्रतिशत बढ़कर 560.60 रुपये पर पहुंच गया। कंपनी का बाजार मूल्यांकन (MCap) 1,548.91 करोड़ रुपये बढ़कर 22,516.66 करोड़ रुपये हो गया।मात्रा के संदर्भ में, दिन के दौरान बीएसई पर कंपनी के 16.40 लाख शेयरों और एनएसई पर 451.97 लाख शेयरों का कारोबार हुआ।RBI ने गोल्ड लोन बिजनेस से हटाया बैनआईआईएफएल फाइनेंस ने एक एक्सचेंज फाइलिंग में कहा, “हम आपको सूचित करना चाहते हैं कि भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ने 19 सितंबर 2024 की अपनी सूचना के माध्यम से आईआईएफएल फाइनेंस लिमिटेड (“कंपनी”) के गोल्ड लोन बिजनेस पर लगाए गए प्रतिबंधों को हटा लिया है।”कंपनी पर केंद्रीय बैंक ने ये प्रतिबंध 4 मार्च, 2024 को लगाए गए थे, जिसने आईआईएफएल फाइनेंस को अपने किसी भी गोल्ड लोन को मंजूरी देने, वितरित करने, आवंटित करने/प्रतिभूतिकरण करने/बेचने से रोक दिया था।हम उच्चतम अनुपालन मानकों को बनाए रखने के लिए प्रतिबद्धआईआईएफएल फाइनेंस ने एक बयान में कहा, “RBI का निर्णय तुरंत प्रभावी है और कंपनी को सभी प्रासंगिक कानूनों और विनियमों के अनुपालन में गोल्ड लोन की मंजूरी, वितरण, आवंटन, प्रतिभूतिकरण और बिक्री फिर से शुरू करने की अनुमति देता है। आईआईएफएल फाइनेंस ने आगे कहा, “कंपनी उच्चतम अनुपालन मानकों को बनाए रखने के लिए प्रतिबद्ध है और यह सुनिश्चित करना जारी रखेगी कि उठाए गए सुधारात्मक कदम टिकाऊ बने रहें।”आईआईएफएल फाइनेंस लिमिटेड भारत में एक विविध गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनी (NBFC) है, जो होम लोन, गोल्ड लोन, बिजनेस लोन और माइक्रोफाइनेंस सहित कई उत्पादों में विशेषज्ञता रखती है। FY24 तक, कंपनी ने प्रबंधन के तहत कुल संपत्ति (AUM) लगभग 76,700 करोड़ रुपये है, जो FY20 में 37,900 करोड़ रुपये थी। वर्तमान में कंपनी 4,800 शाखाओं का संचालन करती है, जो FY20 में 2,300 थीं। 80 लाख से अधिक ग्राहक आधार के साथ, आईआईएफएल विशेष रूप से होम लोन, गोल्ड लोन और माइक्रो फाइनेंस के साथ विभिन्न व्यावसायिक क्षेत्रों में मजबूत पकड़ रखती है।