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- पौधे हमेशा से मन को सुकून और शांति देते हैं। हमारे घर को प्राकृतिक सुंदरता प्रदान कर सकारात्मक ऊर्जा और शुद्ध वायु देते हैं । फेंगुशई की मानें तो कुछ पौधे ऐसे होते हैं जिनको घर में लगाने से आर्थिक समस्या दूर होती है और सुख-शांति आती है। आइए जानते हैं ऐसे ही पौधों के बारे में जो आपकी आर्थिक उन्नति में मददगार हो सकते हैं।मनी प्लांटज्योतिष के अनुसार मनी प्लांट का संबंध शुक्र ग्रह से है इसलिए मनी प्लांट के पौधे को आग्नेय दिशा यानी दक्षिण पूर्व में ही रखना शुभ माना गया है, यहां रखा मनी प्लांट सुख-सौभाग्य को बढ़ाता है। इसे लगाने से परिवार के लोगों में प्रेम बना रहता है और आर्थिक तंगी नहीं होती। मनी प्लांट को कभी भी उत्तर-पूर्व दिशा यानि ईशान कोण में ना रखें।बांस का पौधाबांस के पौधे को शुभ, सौभाग्य और लम्बी आयु का प्रतीक माना गया है। वास्तुविज्ञान के अनुसार यदि बांस के पौधे को दिशाओं के अनुरूप सही स्थान दिया जाए तो ये चमत्कारिक लाभ प्रदान करता है। बांस का अद्भुत पौधा नकारात्मक ऊर्जा को ख़त्म करता है,वहीं यह अपने आस-पास के वातावरण को भी शुद्ध करता है अत: इसे घर में अवश्य लगाना चाहिए। इसे लाल रिबन से बांधकर और कांच के बाउल में पानी डालकर रखना चाहिए। कांच के जार में छोटे आकार के बांस के पौधों को लाल धागे में बांधकर दुकान, प्रतिष्ठान में ईशान या उत्तरी दिशा में रखने से आर्थिक प्रगति होने लगती है। जीवन में धन की कभी कमी महसूस न हो इसके लिए 6 बांस के डंठल का प्रयोग आपको लाभ देगा।तुलसीदेवी लक्ष्मी का स्वरुप तुलसी को घर के उत्तर, ईशान या पूर्व दिशा में लगाने से माँ लक्ष्मी की कृपा बनी रहती है, जीवन में धन-धान्य की कभी कमी नहीं होती। घर के आंगन में या छत पर तुलसी को रोज सुबह-शाम जल चढ़ाएं। शाम को तुलसी के पास घी का दीपक जलाएं ऐसा करने से घर में सुख-समृद्धि का आगमन होता है एवं धन की कमी नहीं रहती।लिली का पौधासकारात्मक ऊर्जा से भरपूर यह पौधा घर के लोगों में खुशियां, सौहार्द बढ़ाता है। लिली के पौधे की खासियत है कि इसे घर में लगाने से घर के सदस्यों का व्यवहार आपस में अच्छा रहता है। इसलिए इस पौधे को अपने घर के लिविंग रुम या फिर मेडिटेशन वाले कमरे में लगाना चाहिए।आर्थिक उन्नति के लिए सफ़ेद लिली को घर की दक्षिण-पूर्व दिशा में रखना चाहिए।मनीट्री या क्रासुलाफेंगशुई के अनुसार छोटे-छोटे गोल पत्ते वाले जेड पौधे को घर या ऑफिस में रखना बहुत शुभ होता है,धन लाभ होता है और सुख-समृद्धि में वृद्धि होती है। इसे दरवाज़े के पास प्रवेशद्वार पर अंदर की ओर लगाना चाहिए। कहते हैं यह पौधा चुंबक की तरह पैसों एवं सकारात्मक ऊर्जा को अपनी ओर खींचता है।---
- ज्यादातर घरों में पूजा घर में बहुत से भगवान की प्रतिमाएं या तस्वीरें देखने को मिलती हैं। जाने-अनजाने हम एक के बाद एक भगवान की तस्वीरें पूजा घर में रखते जाते हैं, लेकिन ऐसा करना शुभ नहीं होता है। साथ ही शास्त्रों के अनुसार पूजा करते समय भी कुछ बातों का ध्यान रखना चाहिए। पूजा करने की विधि कैसी हो इस प्रकार के विषय में अधिकांश लोगों को जानकारी नहीं होती। इसलिए घर में पूजा स्थान पर होने वाले दोष आपको इससे मिलने वाले फल से वंचित रख सकते हैं। घर में की जाने वाली पूजा का सम्पूर्ण फल पाने के लिए आप पूजा स्थान से जुड़ीं जानकारियों को अच्छे से समझकर उनका उपयोग करें।1. पूजागृह में दो शिवलिंग, तीन गणेश, दो शंख, दो सूर्य प्रतिमा, तीन देवी प्रतिमा, दो गोमती चक्र या दो शालिग्राम का पूजन नहीं करना चाहिए।2. घर में 9 इंच (22 सेंटीमीटर) या उससे छोटी प्रतिमा होनी चाहिए। इससे बड़ी प्रतिमा घर के लिए शुभ नहीं होती है। उसे मंदिर में ही स्थापित करना चाहिए।3. देवी की 1 बार, सूर्य की 7 बार, गणेश की 3 बार, विष्णु की 4 बार तथा शिव की आधी परिक्रमा करनी चाहिए।4. आरती करते समय भगवान विष्णु के समक्ष 12 बार, सूर्य के समक्ष 7 बार, दुर्गा के समक्ष 9 बार, शंकर के समक्ष 11 बार और गणेश के समक्ष 4 बार आरती घुमानी चाहिए।5. पूजा करते समय बिना आसन के भूमि पर नहीं बैठना चाहिए।6. शास्त्रों के अनुसार घर में पूजा करने का स्थान ईशान कोण में होना चाहिए। उत्तर दिशा और पूर्व दिशा के बीच का भाग ईशान कोण होता है। ईशान कोण को शुभ कार्यों के लिए सबसे उत्तम दिशा माना गया है। इस दिशा में पूजा के मंदिर को स्थापित करें।7.पूजा स्थल में गणेश जी की स्थापना अवश्य करें। इसके लिए एक सुपारी पर लाल धागे (मौली) को लपेट लें और कुमकुम से तिलक कर एक कटोरी में थोड़े चावल रखकर स्थापित करें।8. पूजा स्थल में एक कोने में बंद पात्र में गंगाजल अवश्य रखना चाहिए।9. एक तांबे के छोटे से लोटे में जल को पूजा स्थल में अवश्य रखना चाहिए। प्रतिदिन इस पात्र का जल बदलना चाहिए व पुराने जल को पीपल के पेड़ या तुलसी के पौधे में डाल सकते हैं।ॉ10. पूजा करने के स्थान पर भूलकर भी अपने पित्र देव (स्वर्गीय माता, पिता या गुरु) की फोटो न लगाए। उनका स्थान अलग रखें।11. पूजा स्थल में कूड़ा-कचरा एकत्रित न होने दें। प्रतिदिन पूजा घर की सफाई करें।12. अगर आपने पूजा घर में कोई मूर्ति की स्थापना की हुई है तो ध्यान दें, मूर्ति का कोई भी हिस्सा खंडित नहीं होना चाहिए। मूर्ति खंडित होने पर तुरंत उसे वहां से हटा दें। खंडित मूर्ति को बहते जल में विसर्जित कर सकते हैं।13. पूजा के समय यदि संभव हो तो शुद्ध देसी गाय के घी का प्रयोग करें, व भोग लगाने के लिए अग्नि में गाय के गोबर के कंडो (ऊपलों) का ही प्रयोग करना उत्तम माना गया है।14. पूजा-पाठ के समय दीपक कभी भी बुझना नहीं चाहिए, शास्त्रों में यह एक बड़ा अपशगुन माना गया है।15. पूजा-पाठ के समय गुग्गल युक्त धूपबत्ती का प्रयोग करें। गुग्गल घर के वातावरण को शुद्ध और घर से नकारात्मक ऊर्जा या बुरे दोष को दूर करती है।16. रात्रि को सोते समय पूजा स्थल को लाल पर्दे द्वारा ढंक दें व सुबह होने पर पर्दे को हटा दें।
- सेहत को सबसे बड़ी संपत्ति कहा गया है क्योंकि दुनिया के तमाम सुख हों लेकिन व्यक्ति का शरीर बीमारियों से जकड़ा हो तो उसके लिए कोई भी चीज सुख नहीं दे सकती है। सेहत के खराब होने के पीछे कई तरह के कारण होते हैं और इसमें एक प्रमुख कारण वास्तु दोष भी हैं। इसके चलते दवाइयां लेने के बाद भी बीमारी ठीक होते नजर नहीं आती हैं। वास्तु शास्त्र के मुताबिक गलत जगह पर रखीं दवाइयां न केवल घर के लोगों की सेहत में सुधार नहीं होने देतीं, बल्कि उन्हें हमेशा किसी न किसी बीमारी का शिकार बनाए रखती हैं।इन जगहों पर कभी न रखें दवाइयांघर के वायव्य कोण यानी उत्तर और पश्चिम के कोण वाली दिशा में कभी भी दवाइयां न रखें। इससे दवाओं का असर बहुत धीमे होता है। वहीं दक्षिण पूर्व या दक्षिण दिशा में दवाएं रखने की गलती कभी न करें। ऐसा करना आपको कभी स्वस्थ ही नहीं रहने देगा। इसी तरह किचन में और खासतौर पर प्लेटफॉर्म पर दवाइयां न रखें। ऐसा करने से व्यक्ति को जीवन भर कोई न कोई बीमारी के चलते दवाइयों पर ही निर्भर रहना पड़ता है।जानें दवाइयां रखने की सही जगहघर में हमेशा ईशान कोण यानी कि उत्तर- पूर्व में दवाएं रखें। यहां फस्ट एड किट रखना भी अच्छा होता है। इससे व्यक्ति हमेशा सेहतमंद रहता है और यदि वह बीमार हो भी जाए तो जल्दी ठीक भी हो जाता है।
- इंसान नींद की अवस्था में कई तरह के सपने देखता है। कुछ सपने स्मरण में नहीं रहते हैं जबकि कुछ सपने ऐसे भी होते हैं जो याद रहते हैं। स्वप्न शास्त्र के अनुसार हर कुछ सपने शुभ फल देते हैं। वहीं कुछ सपने अशुभ संकेत भी देते हैं। सपने में पानी देखना भी एक शुभ स्वप्न होता है। आइए जानते हैं सपने में पानी देखने का अर्थ.....सपने में बारिश देखनास्वप्न शास्त्र के अनुसार सपने में बारिश होते देखना शुभ संकेत देता है। यह सपना करियर में सफलता का शुभ संकेत देता है। ऐसे सपने का मतलब ये भी होता है कि भविष्य में घर में लक्ष्मी की आगमन होने वाला है।सपने में नदी देखनास्वप्न शास्त्र के मुताबिक अगर कोई नदी सपने में देखता है तो उसे शुभ फल प्राप्त होता है। इसके अलावा सपने में खुद को पानी में तैरते देखना भी शुभ है। ऐसे सपने भविष्य में मनोकामना पूर्ति का संकेत देते हैं।सपने में बाढ़ का पानी देखनासपने में बाढ़ का पानी देखना शुभ संकेत माना जाता है। स्वप्न शास्त्र के मुताबिक इसका अर्थ है कि जल्द ही कोई शुभ समाचार मिलने वाला है। वहीं सपने में गंदा पानी देखना शुभ नहीं माना जाता है।सपने में कुंए का पानी देखनास्वप्न शास्त्र के मुताबिक सपने में कुंए का पानी देखना शुभ है। ऐसा सपना अचानक धन प्राप्ति का संकेत देता है। साथ ही सपने में साफ पानी देखना भी शुभ संकेत देता है। इसका अर्थ होता है कि नौकरी-व्यापार में तरक्की हो सकती है।
- कुछ ही हफ्तों में गर्मी के मौसम की दस्तक हो जाएगी और इसके साथ ही शुरू होगा रसीले आम का इंतजार। आम को फलों का राजा कहा जाता है और पूरे देश में इसे बेहद चाव से खाया जाता है, लेकिन शहरीकरण की वजह से कई लोग आम के पेड़ को घर में नहीं उगा सकते, लेकिन अब ऐसी दिक्कतें शायद आपको नहीं आएगी।घर के गमले में उगाएं आमआम के फल में में प्रोटीन, फाइबर, विटामिन ए, विटामिन सी, कार्बोहाइड्रेट जैसे कई न्यूट्रिएंट्स पाए जाते हैं और ये पाचन से जुड़ी बीमारियों और कैंसर तक में कारगर है। ऐसे में हम आपको गमले में आम उगाने का तरीका बता रहे हैं। आप इसकी पैदावार अपनी बालकनी और छत पर कर सकते हैं.ग्राफ्टिंग तकनीक का करें इस्तेमालआम के पौधे को गमले में उगाने के लिए आपको ग्राफ्टिंग तकनीक का इस्तेमाल करना होगा, क्योंकि रोपाई के तरीके से आम आने में काफी वक्त लगता है। पहले आम के बीच को जमीन की मिट्टी में डालकर कुछ दिनों में पौधा उगने का इंतजार करें। इसके बाद पुराने फलदार पेड़ से 10 इंच की टहनी काट लें और चाकू से नीचे का हिस्सा छील लें।कटी हुई टहने से निकलेगा पौधाइसके बाद जमीन में लगाए गए पौधे के ऊपर का एक हिस्सा दो इंच काट लें और उसकी परत का छील लें, इसके बाद दूसरी काटी हुई टहनी को उसपर लगा लें और फिर प्लास्टिक से बांघ लें। ऐसा करने से करीब एक महीने में आम का पौधा तैयार हो जाएगा। फिर इसे जमीन की मिट्टी से बाहर निकालकर गमले में लगा लें।मिट्टी तैयार करने का तरीकाआम के पौधे के लिए मिट्टी तैयार करने के लिए कुछ सावधानी जरूर बरतें नहीं तो पौधा सूख सकता है। जमीन की उपजाऊ मिट्टी में गोबर की खाद और नीम की खली मिलाकर तैयार कर लें, इससे पौधे की ग्रोथ अच्छी रहती है।कुछ सावधानियां भी हैं जरूरीगमले में पौधा लगाने के बाद कुछ महीनों में इसकी ग्रोथ काफी ज्यादा ग्रोथ हो जाती है और नीम की खली की वजह से इसमें कीड़े भी नहीं लगते। अगर पत्ते का रंग पीला हो जाए तो इसमें नीम का तेल का छिड़काव करें, इससे पौधे नही सूखेंगे। मिट्टी की नमी बरकरार रहनी जरूरी है, ऐसे में नियमित तौर पर पानी डालते रहें।एक से दो साल में उगेंगे आमगमला 15 से 20 इंच का रखें ताकी पौधे की जड़ों का समुचित विकास हो सके, ऐसा करने से पौधे को भरपूर पोषण मिलेगा और एक से दो साल के अंदर आप ताजे, मीठे और रसीले आमों का स्वाद ले सकेंगे।
- फाल्गुन कृष्ण पक्ष की एकादशी विजया एकादशी कहलाती है। इस एकादशी का व्रत रखने से कार्यों में सफलता मिलती है। इस साल विजया एकादशी 27 फरवरी, रविवार के दिन है। धार्मिक मान्यताओं के मुताबिक इस दिन भगवान विष्णु की पूजा की जाती है। इस दिन की गई भगवान विष्णु की उपासना से हर कामना पूरी होती है। साथ ही भयानक विपत्तियों से भी छुटकारा मिल जाता है। आइए जानते हैं कि विजया एकादशी शुभ मुहूर्त और क्या करें.विजया एकादशी के दिन शुभ योगपंचांग के मुताबिक फल्गुन कृष्ण पक्ष की एकादशी तिथि 26 फरवरी, सुबह 10 बजकर 39 मिनट से शुरू होगी। जो कि 27 फरवरी सुबह 8 बजकर 12 मिनट तक रहेगी। विजया एकादशी का व्रत 27 फरवरी को रखा जाएगा। इस बार विजया एकादशी पर सर्वार्थसिद्धि योग बन रहा है. यह योग एकादशी के दिन 8 बजकर 49 मिनट से शुरू होगा, जो कि अगले दिन सुबह 6 बजकर 48 मिनट तक रहेगा। धार्मिक मान्यता है कि सर्वार्थसिद्धि योग में किए गए व्रत से कार्य में सिद्धि प्राप्त होती है। इसके अलावा इस दिन त्रिपुष्कर योग भी बन रहा है। त्रिपुष्कर योग सुबह 8 बजकर 49 मिनट से लेकर अगले दिन सुबह 5 बजकर 42 मिनट तक रहेगा। वहीं इस दिन अभिजीत मुहूर्त दोपहर 12 बजकर 11 मिनट से लेकर 12 बजकर 57 मिनट तक है।विजया एकादशी पर क्या करेंएक कलश पर भगवान श्री हरी की स्थापना करें। इसके बाद भगवान का पूजन करें। माथे पर सफेद चंदन या गोपी चंदन लगाकर पूजन करें। भगवान को पंचामृत, पुष्प और ऋतु फल अर्पित करें। इस दिन उपवास करना अच्छा होता है। शाम के वक्त भगवान की आरती जरूर करें। अगले दिन सुबह उसी कलश का और अन्न वस्त्र आदि का दान करें। विजया एकादशी व्रत के दौरान दिन चावल और भारी खाद्य का सेवन ना करें। रात्रि के समय पूजा उपासना का विशेष महत्व होता है। क्रोध न करें, कम बोलें और आचरण पर नियंत्रण रखें।
- वास्तु किसी व्यक्ति के स्वास्थ्य और धन और उसके रहने की जगह को समान रूप से प्रभावित करता है. घर की वास्तुकला और फर्नीचर सदस्यों के स्वास्थ्य को प्रभावित करने में प्रमुख भूमिका निभाते हैं. हम सभी एक स्वस्थ जीवन के साथ एक शांतिपूर्ण घर चाहते है. कुछ वास्तु टिप्स को आजमाने से हमें सुखद और शांत ऊर्जा मिल सकती है. काम पर एक थकाऊ दिन के बाद हम मानसिक शांति और आराम के लिए घर पर रहना चाहते हैं. ऐसे में आप कुछ वास्तु टिप्स फॉलो कर सकते हैं. ये बीमारी, मानसिक पीड़ा, नकारात्मक ऊर्जा को रोकने और अच्छे स्वास्थ्य और मन की शांति को बढ़ावा देने में मदद करते हैं.सामान्य वास्तु टिप्सउत्तर-पूर्व दिशा में प्रतिदिन मोमबत्ती या दीपक जलाएं. ये अच्छे स्वास्थ्य को बढ़ावा देता है.नल का लगातार टपकना नकारात्मक ऊर्जा पैदा करता है. ये स्वास्थ्य के लिए अच्छा नहीं. सुनिश्चित करें कि आपके घर में नल टपकता न हो.सीढ़ियों के नीचे की जगह को टॉयलेट, स्टोर या किचन के रूप में इस्तेमाल करने से नर्वस सिकनेस और दिल की बीमारियां हो सकती हैं.पढ़ाई या काम करते समय उत्तर या पूर्व की ओर मुंह करें. ये अच्छी याददाश्त को बढ़ावा देता है.तुलसी के पौधे लगाने से घर में वायु शुद्ध होती है. कैक्टस और कांटेदार पौधे घर पर लगाने से बचें. ये आपकी बीमारी और तनाव को बढ़ा सकते हैं.अपने घर के उत्तर-पूर्वी कोने में सीढ़िया या शौचालय का निर्माण न करें. ये स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं का कारण बनता है और बच्चों के विकास में बाधा डालता है.बेडरूम वास्तु टिप्सदक्षिण-पश्चिम दिशा में एक मास्टर बेडरूम शारीरिक और मानसिक स्थिरता सुनिश्चित करता है. उत्तर-पूर्व दिशा में कभी भी बेडरूम का निर्माण न करें. ये स्वास्थ्य समस्याओं का कारण बनता है.सोते समय हमेशा दक्षिण दिशा में सिर करके लेटें. ये एक शांतिपूर्ण और स्वस्थ जीवनशैली को बढ़ावा देता है. उत्तर दिशा में सिर करके सोना सही नहीं है क्योंकि इससे तनाव और दर्द होता है.गर्भपात की संभावना को रोकने के लिए गर्भवती महिला को उत्तर-पूर्व दिशा में सोने से बचना चाहिए.प्रकाश की किरणों के नीचे सोने से बचें क्योंकि इससे अवसाद, सिरदर्द और स्मृति हानि होती है.अपना बिस्तर शीशे के सामने न रखें. इससे बुरे सपने आते हैं.कभी भी अपने बेड को शौचालय की दीवार के साथ संरेखित न करें, क्योंकि इससे नकारात्मक ऊर्जा आती है.अच्छी नींद लेने के लिए मोबाइल फोन और अन्य गैजेट्स को बिस्तर से दूर रखें.स्वास्थ्य और रसोई वास्तु टिप्सरसोई घर के लिए दक्षिण-पूर्व दिशा को अच्छा माना जाता है.पूर्व दिशा खाना पकाने और खाने के लिए सबसे अच्छी दिशा मानी जाती है, क्योंकि ये प्रभावी पाचन और अच्छे स्वास्थ्य को बढ़ावा देती है.शौचालय और रसोई एक साथ बनाने से बचें. दोनों को एक दूसरे से कुछ दूरी पर रखें.
- पौष्टिक भोजन हमें स्वाद के साथ अच्छा स्वास्थ्य भी देता है। परंतु सिर्फ अच्छा या स्वादिष्ट भोजन ही अच्छे स्वास्थ्य के लिए पर्याप्त नहीं है। वास्तुशास्त्र में भोजन करने के लिए दिशाओं का निर्धारण किया गया है। आप भोजन कौन सी दिशा में कर रहे हैं? इसका वास्तु के अनुसार बहुत महत्व है और आपके स्वास्थ्य और शरीर पर भी इसका अनुकूल और प्रतिकूल असर पड़ता है। वास्तु शास्त्र के अनुसार यदि घर की सही दिशा में बैठकर भोजन किया जाए तो इससे परिवार के सदस्यों की सेहत अच्छी बनी रहती है। यदि भोजन गलत दिशा में बैठकर किया जाए तो स्वास्थ्य संबंधी कई समस्याएं उत्पन्न हो सकती है। वास्तुशास्त्र के अनुसार उन दिशाओं का संबंध देवताओं और ऊर्जा से माना जाता है। इस आधार पर भोजन करते समय दिशा का ध्यान रखना बेहद जरूरी है। आइए जानते हैं कौन सी दिशा में मुख करके भोजन करना उत्तम माना जाता है।पूर्व दिशा में मुख करके भोजन करना उत्तमवास्तु शास्त्र के अनुसार पूर्व या उत्तर पूर्व दिशा में मुख करके भोजन करना उत्तम माना जाता है। पूर्व दिशा की ओर मुख करके भोजन करने से रोग और मानसिक तनाव दूर होते है। दिमाग को स्फूर्ति मिलती है। पूर्व या उत्तर पूर्व दिशा में मुख करके भोजन अच्छी तरह से पचता है जिससे आपका स्वास्थ्य ठीक रहता है। पूर्व दिशा में मुख करके भोजन करने से आयु में भी वृद्धि होती है।छात्र करें उत्तर दिशा की पर मुख करके भोजनवास्तु शास्त्र के अनुसार जो लोग धन, विद्या या अन्य ज्ञान अर्जन करना चाहते हैं उन्हें उत्तर दिशा की ओर मुख करके भोजन करना चाहिए। विद्यार्थियों और प्रतियोगी परीक्षा की तैयारी कर रहे लोगों का इस दिशा में भोजन करना लाभदायक है। यदि आप अपने करियर की शुरुआत कर रही हैं जो लोग अपने करियर के प्रारंभिक अवस्था में हैं, उनको भी उत्तर दिशा में मुख करके ही भोजन करना चाहिए।नौकरीपेशा के लिए भोजन की पश्चिम दिशा उत्तमवास्तु शास्त्र के अनुसार पश्चिम दिशा लाभ की दिशा मानी जाती है। को लोग व्यवसाय से जुड़े हैं या कोई नौकरी कर रही हैं या फिर जो लोग लेखन, शोध या शिक्षा के क्षेत्र से जुड़े हैं उनको पश्चिम दिशा की ओर मुख करके भोजन करना चाहिए।दक्षिण दिशा में भोजनवास्तु नियम के अनुसार दक्षिण दिशा यम की दिशा मानी जाती है। इस दिशा में भोजन करने से आयु का ह्रास होता है। और आप कई प्रकार की समस्या से घिर सकते हैं। लेकिन अगर समूह में बैठकर भोजन कर रहे हैं तो किसी भी दिशा का कोई असर नहीं पड़ता है।भोजन कक्ष की दिशाचूंकि भोजन का संबंध हमारी सेहत से है। इसलिए भोजन कक्ष की दिशा भी वास्तु के अनुसार बहुत मायने रखती है वास्तु शास्त्र के अनुसार घर में भोजन कक्ष या डाइनिंग रूम की उत्तम दिशा पश्चिम दिशा है। अतः घर की पश्चिम दिशा में बना डाइनिंग हॉल शुभ प्रभाव देने वाला होता है। इस दिशा में भोजन करने से भोजन से जुड़ी सभी आवश्यकताएं पूर्ण होती हैं और स्वास्थ्य अच्छा रहता है। यदि पश्चिम दिशा में डाइनिंग हॉल संभव नहीं है तो उत्तर-पूर्व या पूर्व दिशा दूसरा विकल्प है।
- स्वप्न अवचेतन मन में चल रहे विचारों के अलावा भविष्य की घटनाओं का भी इशारा देते हैं। स्वप्न शास्त्र में हर तरह के सपने के शुभ-अशुभ मतलब बताए गए हैं। कुछ सपने ऐसे होते हैं, जिनका आना जिंदगी में सुख-संपत्ति, वैभव-ऐश्वर्य आने का साफ संकेत होता है। स्वप्न शास्त्र के अनुसार सब तो नहीं लेकिन कुछ सपने ऐसे जरूर होते हैं जो हमारे भविष्य से जुड़े हुए होते हैं। अक्सर हमें कई बार बहुत डरावने सपने आते हैं, लेकिन जरूरी नहीं सभी डरावने सपने अशुभ संकेत देते हैं। वास्तव में बहुत से ऐसे डरावने सपने हैं जो हमे शुभ संकेत देते हैं। आइए जानते ऐसे कौन से डरावने सपने हैं जो शुभ संकेत देते हैं।यदि दिखाई दे कोई जलता हुआ व्यक्तिस्वप्नशास्त्र के अनुसार यदि सपने में आपको कोई जलता हुआ व्यक्ति दिखाई देता है तो यह स्वप्न संकेत आपके धन लाभ से जुड़ा हुआ है। इसका अर्थ है कि आपको शीघ्र ही धन लाभ होने वाला है।यदि दिखे किसी करीबी की मृत्युयदि आपको सपने में किसी करीबी की मृत्यु दिखाई देती है तो स्वयं यह संकेत देता है कि उस व्यक्ति के ऊपर जो भी संकट आया है वो टल गया है और उस व्यक्ति की आयु बढ़ गई है।यदि स्वप्न में दिखे आत्महत्याअगर सपने में खुद को या फिर किसी और को आत्महत्या करते हुए देखें तो यह शुभ संकेत है। अगर ऐसा सपना देखने वाला व्यक्ति काफी समय से बीमार है तो इस स्वप्न संकेत के आधार पर वह शीघ्र ही स्वस्थ हो सकता है।स्वप्न में दिखे अर्थी या शव यात्रायदि स्वप्न में आपको अर्थी या कोई शवयात्रा दिखती है तो स्वप्न शास्त्र के अनुसार आपका भाग्य जागने वाला है। यदि कोई रुग्ण व्यक्ति ऐसा स्वप्न देखे तो इसका अर्थ है वह जल्द ही सही होने वाला है।स्वप्न में देखें खुद का कटा हुआ सिर या चोटस्वप्न शास्त्र के अनुसार अगर सपने में आपने खुद का कटा हुआ सिर देखते हैं तो इसका मतलब है आपको आर्थिक लाभ प्राप्त होगा। यदि सपने में सिर पर चोट लगे देखने का अर्थ है कि काफी समय से आपका जो धन रुका हुआ है वो आपको जल्द ही वापस मिल सकता है या फिर आप जिस काम में प्रयासरत हैं उसमें आपको सफलता मिलने वाली है।
- मोर शब्द के उल्लेख के साथ ही हमारे सामने नीले, हरे और बैंगनी रंग के सुंदर रंगों का इंद्रधनुष उभर आता है. मोर न केवल भारत का राष्ट्रीय पक्षी है बल्कि वास्तु के अनुसार इसे बहुत भाग्यशाली भी माना जाता है. विशेषज्ञों के अनुसार मोर पंख (Peacock feathers) सकारात्मकता का प्रतीक माना जाता है. ये शरीर और स्वास्थ्य पर अच्छा प्रभाव डालता है. प्राचीन काल में शरीर से विष को दूर करने के लिए मोर पंख का इस्तेमाल औषधि के रूप में किया जाता था. प्राचीन काल से ही मोर पंख को घर में रखना बहुत शुभ माना जाता है. वास्तु के अनुसार भी मोर पंख घर से कई प्रकार के वास्तु दोषों को दूर करता है और सकारात्मक ऊर्जा को आकर्षित करता है, इसलिए वास्तु (Vastu) में मोर पंख बहुत (Peacock feathers Upay) उपयोगी माना गया है. आइए जानें आप मोर पंख के कौन से उपाय आजमा सकते हैं.सुखी दांपत्य जीवन के लिएपति-पत्नी के बीच मनमुटाव आज के दौर में एक आम बात हो गई है. वैवाहिक जीवन में किसी न किसी दिन विवाद की स्थिति बनी रहती है. ऐसे में शयन कक्ष में पूर्व या उत्तर दिशा में दीवार पर दो मोर पंख एक साथ लगाने से दांपत्य जीवन से जुड़ी परेशानियां खत्म होंगी साथ ही रिश्तों में मधुरता आएगी.परेशानियों को दूर करने के लिएकाल सर्प दोष सहित राहु-केतु कुंडली में कई प्रकार के दुष्प्रभाव उत्पन्न करता है. इससे जातक को कई तरह की परेशानियों का सामना करना पड़ता है. ऐसे में माना जाता है कि अगर जातक अपनी कुंडली से इस अशुभ प्रभाव को खत्म करना चाहता है तो शयन कक्ष की पश्चिम दीवार पर मोर पंख लगाना चाहिए. ऐसा माना जाता है कि ऐसा करने से घर की नकारात्मकता दूर होने के साथ-साथ ढेर सारे फायदे भी मिलते हैं.आर्थिक तंगी को दूर करने के लिएमान्यता है कि अगर आपको पैसों की समस्या है, तो इसके लिए भी मोर पंख का उपाय आपकी आर्थिक तंगी को दूर करने में मददगार है. घर की तिजोरी में दक्षिण-पूर्व कोने में मोर पंख को रख दें. इससे आर्थिक समस्या दूर हो जाती है. इसके अलावा रुके हुए धन की भी प्राप्ति होती है. इससे रुके हुए काम भी पूरे हो जाते हैं.काम में रुकावट दूर करने के लिएवास्तु शास्त्र के अनुसार अगर आपके काम में लगातार रुकावट आती है और कोई काम समय पर पूरा नहीं होता है तो सामान्य दिनों में अपने घर के पूजा स्थल में पांच मोर पंख रखें और उनकी रोजाना पूजा करें. 21वें दिन इन मोरपंखों को अलमारी में रखें ऐसा माना जाता है कि ऐसा करने से अटके हुए काम भी होने लगेंगे.किताब रखने के फायदेवहीं जिन बच्चों का पढ़ाई में मन नहीं लगता है उनकी मेज पर सात मोर पंख रखने से लाभ होगा. इसके अलावा शुभ फल के लिए किसी किताब या डायरी में मोर पंख जरूर रखना चाहिए.
- हम सभी अपने समूह में किसी ऐसे व्यक्ति को जानते होगें जिसे हर चीज बड़े ही आसानी से मिल जाती है. ये अपनी ओर अच्छे वाइब्स, सफलता, खुशी, प्रसिद्धि, शक्ति और धन को आकर्षित करते हैं. कोई फर्क नहीं पड़ता कि भले ही ये चीजों में पीछे रह गए हों परिणाम हमेशा सकारात्मक होते हैं. अगर आप सोच रहे हैं कि ये कैसे संभव है. इन्हें इतना सौभाग्य कहां से मिलता है. इसमें ज्योतिष (Astro Tips) की भूमिका हो सकती है. ज्योतिष (astrology) के अनुसार के इन 4 राशियों (Zodiac Signs) के जातक किस्मत के धनी होते हैं. आइए जानें कौन सी हैं ये राशियां.सिंह राशिसिंह राशि के जातक किस्मत के धनी होते हैं. ये हमेशा जैसा चाहते हैं वैसा ही सर्वश्रेष्ठ प्राप्त करते हैं. ये हमेशा खुशी और सकारात्मकता को आकर्षित करते हैं. ये आशावादी और आशावान होते हैं. इनकी कड़ी मेहनत का हमेशा अच्छा फल मिलता है और इनके जीवन में बेहद सफल होने की संभावना होती है. इनके रिश्ते और काम का जीवन खुश और व्यवस्थित होता है.कुंभ राशिकुंभ राशि के जातकों को वो सब मिलता है जो वे चाहते हैं. हालांकि इसके लिए इन्हें थोड़ी अधिक मेहनत करनी पड़ सकती है. लेकिन परिणाम हमेशा इनके पक्ष में होते हैं. कुंभ राशि के जातक खुशमिजाज लोग होते हैं. वे जहां भी रहते हैं वहां खुशियां फैलाने में विश्वास रखते हैं. इनके पास एक अच्छा अनुभव होता है और ये कई चीजों में भाग्यशाली होते हैं.वृषभवृषभ राशि के जातकों को भी सौभाग्य की प्राप्ति होती है. ये भाग्यशाली होते हैं. वृषभ राशि के जातक आमतौर पर जो चाहते हैं उसे हासिल करने के लिए कड़ी मेहनत करते हैं. मेहनत के साथ इनकी किस्मत का मेल इन्हें सफल बनाता है.तुलातुला राशि के जातक एक अच्छे लीडर होते हैं. इन्हें सौभाग्य की प्राप्ति होती है. इनके भाग्य का प्रभाव इनकी टीम पर भी पड़ता है. इन्हें सर्वोत्तम परिणाम, सकारात्मक प्रतिक्रियाएं मिलती हैं. ये हमेशा उच्च उपलब्धियों के लिए तैयार रहते हैं. तुला राशि के लोग आशावादी और आत्मविश्वासी होते हैं. यही वजह है कि इनका भाग्य हर बार इनका साथ देता है. तुला राशि वालों को किसी और की तुलना में अधिक मेहनत करने में कोई परेशानी नहीं होती है. इस वजह से इन्हें सफलता भी मिलती है.
- जीवन में धन का अहम स्थान है. कई लोगों को इसके लिए बहुत अधिक मेहनत करना पड़ता है. लाइफ में कई बार ऐसा भी होता है कि पैसा पास में आने पर भी टिकता नहीं है. धन, तरक्की और आर्थिक संमृद्धि के लिए वास्तु शास्त्र के कुछ नियम कारगर साबित होते हैं. ऐसे में जानते हैं कि वास्तु शास्त्र के मुताबिक घर की दिशा को किस प्रकार सजाना चाहिए.पूर्व, उत्तर और पूरब-उत्तर दिशा में कुबेर यंत्रभगवान कुबेर धन और समृद्धि के देवता हैं. वास्तु शास्त्र के अनुसार उत्तर-पूर्व दिशा पर कुबेर देवता आधिपत्य रहता है. ऐेसे में इस दिशा में किसी प्रकार का के रैक, जूते-चप्पल और फर्नीचर नहीं रखना चाहिए. घर के उत्तरी हिस्से की दीवार पर कुबेर यंत्र या दर्पण लगाने से आर्थिक स्थिति अच्छी रहती है.दक्षिण-पश्चिम में रखें तिजोरीघर के दक्षिण-पश्चिम दिशा में धन या तिजोरी रखना चाहिए. इसके अलावा इस दिशा में आभूषण और महत्वपूर्ण दस्तावेज रख सकते हैं. वास्तु शास्त्र के मुताबिक इस दिशा में रखी गई चीज कई गुना बढ़ जाती है.उत्तर-पूर्व में रखें एक्वेरियमघर के भीतर उत्तर पूर्व दिशा में छोटी वस्तुओं के रखने से सकारात्मक ऊर्जा बरकरार रहती है. साथ भी धन का आगमन होता है. वास्तु के अनुसार इस दिशा में एक्वेरियम रखना शुभ होता है.दक्षिण-पश्चिम में नहीं होना चाहिए शौचालयवास्तु शास्त्र के अनुसार शौचालय नहीं बनवाने पर आर्थिक नुकसान होता रहता है. साथ ही सेहत ही अच्छी नहीं रहती है. शौचालय हमेशा घर के उत्तर-पश्चिम या उत्तर पूर्व में होना चाहिए. दक्षिण-पश्चिम में शौचालय नहीं बनवाना चाहिए. इसके अलावा जहां तक संभव हो शौचालय और स्नानघर अलग से बनवाए जाने चाहिए.
- मां लक्ष्मी की कृपा बनी रहे, इसके लिए उनकी भक्ति में जुटे श्रद्धालु हर तरीके से उन्हें प्रसन्न करने की कोशिश करते हैं. वे उनकी पूजा-अर्चना ( Worship of Lord Laxmi ) में कोई कमी नहीं छोड़ते हैं. साथ ही श्रद्धालु माता लक्ष्मी को प्रसन्न करने के लिए व्रत भी रखते हैं. कभी-कभी इतना सब करने के बावजूद अक्सर लोग धन की कमी या धन की हानि जैसी बड़ी समस्या का सामना करते हैं. दरअसल, इसके पीछे वास्तु दोष भी हो सकता है. वास्तुशास्त्र में कई ऐसे नियम बनाए गए हैं, जिनकी अनदेखी वास्तु दोष का कारण बन सकती है. इन दोषों की वजह से लाइफ और काम में नेगेटिविटी भरा माहौल बना रहता है. ऐसे में आर्थिक और शारीरिक दोनों तरह की परेशानियां बनी रहती है.कहते हैं कि वास्तुशास्त्र में ऐसे चीजें बताई गई हैं, जिनके मुताबिक देवी-देवताओं को भी प्रसन्न किया जा सकता है. हम आपको उत्तर दिशा में ऐसी चीजें रखने के बारे में बताने जा रहे हैं, जिनसे मां लक्ष्मी को प्रसन्न किया जा सकता है. जानें..प्रवेश द्वारघर को वास्तुशास्त्र के मुताबिक व्यवस्थित करना बहुत शुभ माना जाता है. कहते हैं कि घर का मुख्य द्वार अगर सही दिशा में न हो, तो कई तरह की दिक्कतें प्रभावित व्यक्ति का पीछा कभी नहीं छोड़ती. मान्यता है कि घर का मुख्य या प्रवेश द्वार सदैव उत्तर दिशा में होना चाहिए. वहीं अगर घर का प्रवेश द्वार उत्तर दिशा में हो, तो इससे भी मां लक्ष्मी की कृपा बनी रहती है और व्यक्ति को धन की कमी भी सताती नहीं है.शीशाघर में मौजूद शीशे से जुड़ा वास्तु दोष भी समस्याओं का कारण बन सकता है. कहते हैं कि अगर शीशा सही दिशा में नहीं लगाया जाए, तो इससे भी धन की कमी हो सकती है. वास्तु के मुताबिक घर का शीशा उत्तर दिशा में होना चाहिए. घर में मौजूद शीशे को उत्तर दिशा में लगाना बहुत शुभ माना जाता है.मनी प्लांटघर में मनी प्लांट लगाना काफी शुभ माना जाता है. मान्यताओं के मुताबिक घर में लगाया गया मनीप्लांट जितनी तेजी से बढ़ता है, उस घर में उतनी ही तेजी से सुख-समृद्धि और धन भी बढ़ता है. इतना ही नहीं, मनी प्लांट लगाने से घर में सकारात्मक ऊर्जा का भी वास होता है और घर के मुखिया की कई चिंताएं दूर हो जाती हैं. ध्यान रहे कि मनी प्लांट घर में उत्तर दिशा में लगाएं।
- हिंदू धर्म में उगते सूरज को जल चढ़ाने की परंपरा सदियों से चली आ रही है। शास्त्रों के अनुसार सूर्य को अघ्र्य देते समय कुछ बातों का ध्यान रखना होता है। ऐसा माना जाता है कि सूर्य को अघ्र्य देते समय अगर ये गलतियां हो जाएं तो भगवान प्रसन्न होने के स्थान पर क्रोधित हो जाते हैं। सूर्य को शांति और शालीनता का प्रतीक माना जाता है। इसलिए सूर्य को जल चढ़ाते समय कुछ बातों का ध्यान रखना चाहिए।ऐसे करें सूर्य को जल अर्पित करें-सूर्यदेव को जल चढ़ाने के लिए स्नान के बाद तांबे के बर्तन से सूर्य को अघ्र्य दें ।-सूर्य को जल चढ़ाने से पहले पानी में लाल फूल, कुमकुम और चावल भी अवश्य डालें और जल अर्पित करें।-सूर्य को अघ्र्य देते समय जल की गिरती धार के साथ सूर्य की किरणों को अवश्य देखना चाहिए।-पूर्व दिशा की ओर मुंह करके ही सूर्य को जल अर्पित करना चाहिए।-इस बात का ध्यान रखें कि जल आपके पैरों तक न पहुंचें।-जल चढ़ाते समय सूर्य मंत्र का जाप करते रहना चाहिए।जल चढ़ाते समय न करें ये गलतियां-सूर्य को जल चढ़ाने का सबसे उत्तम समय सुबह का होता है।-जल चढ़ाते समय जूते-चप्पल नहीं पहनने चाहिए। नंगे पैर सूर्य को जल अर्पित करें।-जल अर्पित करते समय इस बात का ध्यान रखें कि पानी आपके पैरों में न जाए। इन बातों का ध्यान न रखने पर अशुभ फल मिल सकते हैं।प्रतिदिन सूर्य के जल अर्पित करने के फायदे-जिन लोगों की कुंडली में सूर्य कमजोर है, उन्हें प्रतिदिन सूर्य को जल चढ़ाना चाहिए। इससे उनका आत्म विश्वास मजबूत होता है। सूर्य को जल देने से समाज में मान-प्रतिष्ठा में वृद्धि होती है। सूर्य को जल अर्पित करते समय अपना मुख पूर्व दिशा की ओर रखें।-ज्योति शास्त्र में सूर्य को आत्मा का कारक बताया गया है। इसलिए आत्मशुद्धि और आत्मबल को बढ़ाने के लिए नियमित रूप से सूर्य को जल देना चाहिए। इससे शरीर ऊर्जावान बनता है।-अगर आपको नौकरी में परेशानी हो रही है तो नियमित रूप से सूर्य को जल देने से अधिकारियों का सहयोग मिलने लगता है और मुश्किलें दूर हो सकती हैं।-सूर्य को जल देने के लिए तांबे के पात्र का इस्तेमाल करना अच्छा होता है।सूर्य को जल चढ़ाने से पहले पानी में एक चुटकी रोली और लाल फूलों के साथ जल अर्पित करें। सूर्य देवता को जल अर्पित करते समय 11 बार ऊं सूर्याय नम: का जाप करना चाहिए।
- भारत में वास्तुशास्त्र के मुताबिक चीजों को घर और ऑफिस में व्यवस्थित करना प्रचलित है। वहीं चीन में भी फेंगशुई के तहत चीजों को रखने के लिए कुछ नियम बनाए गए हैं। इन नियमों का पालन करने से घर में सुख और समृद्धि भरा माहौल बना रहता है। मान्यता है कि फेंगशुई से जुड़ी चीजों को घर में रखने से धन की कमी भी नहीं होती है। कहते हैं कि इनसे घर में मौजूद नेगेटिविटी दूर होती है और रुकावट भी दूर होती हैं। घर में फेंगशुई से जुड़ी चीजें लगाने से खुशहाली भी आती है। हालांकि, इन चीजों को लगाने के लिए सही तरीका पता होना चाहिए.। आज हम आपको फेंगशुई कछुए को घर में रखने के लाभ बताने जा रहे हैं।मान्यता है कि ऐसे कछुए जीवन में सुख और समृद्धि लाते हैं। ये शक्ति के प्रतीक होते हैं और सुरक्षा का प्रतिनिधित्व करते हैं। माना जाता है कि ऐसे कुछए घर में मौजू नकारात्मकता को खींच लेते हैं।नकारात्मकता खत्म होती हैफेंगशुई कछुए को घर में रखने से नेगेटिविटी खत्म होती है। कहते हैं कि इसे घर के मेन गेट के पास रखना चाहिए। कहते हैं कि भगवान विष्णु ने एक समय पर कछुए के रूप में अवतार लिया था और इसे कूर्म अवतार के नाम से जाता है। इसलिए कछुए को घर में रखने से उनकी कृपा बनी रहती है।ऑफिस के लिएअगर आप फेंगशुई कछुए को ऑफिस में रखते हैं, तो इससे दो लाभ होंगे। एक तो आपको धन की कमी सताएगी नहीं और दूसरा अगर रुके हुए काम जैसी परेशानी का सामना का सामना कर रहे हैं, तो ये समस्या भी दूर हो सकती है। कहते हैं कि इसे लगाने से कार्य संपन्न होते हैं और व्यक्ति को हर दिशा में सफलता मिलती है।रिश्तों में मजबूतीअक्सर ऐसा होता है कि आपसी तालमेल के बावजूद पति और पत्नी में अक्सर झगड़े होते रहते हैं। ये झगड़े इस कदर बढ़ जाते हैं कि रिश्ता खत्म होने की कगार पर आ जाता है। इस स्थिति में फेंगशुई कछुओं की मदद ली जा सकती है। पति पत्नी के बीच रिश्ते मजबूत करने के लिए बेडरूम में इन कछुओं को रखा जा सकता है।स्टूडेंट्स के लिएअगर आपका बच्चे का पढऩे में मन नहीं लग रहा है या फिर मेहनत के बावजूद रिजल्ट अच्छे नहीं आ रहे हैं, तो आप इसके लिए फेंगशुई वास्तुशास्त्र की मदद ले सकते हैं। पढऩे की जगह पर फेंगशुई कछुए को रखें। कहते हैं कि इससे प्रभावित बच्चे का मन शांत होगा और वह पढ़ाई में ठीक से ध्यान लगा पाएगा।
- हिंदी महीनों में फाल्गुन मास का नाम आते ही लोगों के मन में एक नई उमंग और उत्साह आ जाता है क्योंकि इसी पावन मास में रंगों का त्योहार होली मनाया जाता है। यह पावन मास न सिर्फ होली बल्कि शिव की साधना के लिए सबसे बड़ी रात्रि यानि महाशिवरात्रि के लिए भी जाना जाता है। पंचांग के आखिरी महीना फाल्गुन मास इस साल फाल्गुन मास 17 फरवरी 2022 से शुरु होकर 18 मार्च तक रहेगा। इस पावन मास का न सिर्फ धार्मिक-आध्यात्मिक बल्कि मनोवैज्ञानिक महत्व भी है, जो कि हमें कठिन से कठिन परिस्थितियों के बीच सकारात्मक रहने का संदेश देता है। इस पावन फाल्गुन मास में पूजा और दान का काफी महत्व होता है।फाल्गुन मास का धार्मिक महत्व-फाल्गुन मास में भगवान विष्णु और शिव दोनों की साधना से जुड़े दो बड़े पर्व आते हैं। फाल्गुन मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी के दिन जहां महाशिवरात्रि का पर्व आता है। जिसमें भगवान शिव की पूजा रात्रि के समय एक बार या चार बार की जा सकती है। रात्रि के चार प्रहर होते हैं और हर प्रहर में शिव पूजा की जा सकती है।-इसी प्रकार फाल्गुन शुक्ल एकादशी को भगवान विष्णु का आशीर्वाद दिलाने वाली आमलकी एकादशी का व्रत आता है।-फाल्गुन मास में भगवान कृष्ण की साधना-आराधना का विशेष महत्व है। इस मास में भगवान कृष्ण के तीन स्वरूप - बाल कृष्ण, युवा कृष्ण और गुरु कृष्ण की पूजा की जा सकती है। ऐसे में जिन लोगों की संतान सुख की चाह है, उन्हें बाल कृष्ण की और जिन्हें दांपत्य जीवन में प्रेम और सामंजस्य की चाह है, उन्हें युवा कृष्ण की और जिन्हें जीवन में मोक्ष और वैराग्य की तलाश है, उन्हें गुरू कृष्ण की साधना करनी चाहिए।फाल्गुन मास का दानफाल्गुन मास में दान का बहुत ज्यादा धार्मिक महत्व है। इस महीने में अपनी क्षमता के अनुसार गरीबों को दान और पितरों के निमित्त तर्पण आदि अवश्य करना चाहिए। फाल्गुन मास में शुद्ध घी, तिल, सरसों का तेल, मौसमी फल आदि का दान अत्यंत ही पुण्य फल प्रदान करने वाला माना गया है।फाल्गुन मास के प्रमुख पर्वविजया एकादशी - 26 फरवरीमहाशिवरात्रि - 01 मार्चफाल्गुन अमावस्या - 02 मार्चफुलैरा दूज - 04 माचआमलकी एकादशी - 14 मार्चहोलिका दहन - 17 मार्चहोली - 18 मार्च ।
- हिंदू धर्म में पूर्णिमा की पूजा और व्रत का शुरू से ही खास महत्व रहा है। धार्मिक मान्यता है कि पूर्णिमा के दिन देवी देवता धरती पर आते हैं, ऐसे में इस दिन पूजा-पाठ करने से विशेष फल की प्राप्ति होती है। हर माह के आखिरी दिन को पूर्णिमा होती है। हर माह की पूर्णिमा का अपना अलग-अलग महत्व होता है। ऐसे में इस माह माघ में पडऩे वाली पूर्णिमा को माघी पूर्णिमा या माघ पूर्णिमा कहा जाता है, इस दिन स्नान-दान आदि का खास महत्व होता है। इस साल माघ माह की पूर्णिमा 16 फरवरी, बुधवार के दिन मनाई जाएगी। ज्योतिषियों के मुताबिक इस बार माघ पूर्णिमा पर खास संयोग बन रहे हैं। अगर इन दिन खास उपाए किए जाएं तो मां लक्ष्मी की कृपा प्राप्त होगी।माघ पूर्णिमा पर संयोग और शुभ मुहूर्तहिंदू पंचाग के अनुसार माघ पूर्णिमा के दिन स्नान दान करने का मुहूर्त 16 फरवरी को सुबह 9 बजकर 42 मिनट से रात 10 बजकर 55 मिनट तक है। स्नान के बाद दान करने खासा फलदायी होगा। ज्योतिष के अनुसार माघ पूर्णिमा को कर्क राशि में चंद्रमा और आश्लेषा नक्षत्र की युति होने से शोभन योग बन रहा है। ये योग काफी शुभ माना गया है। इस दिन ही दोपहर को 12 बजकर 35 मिनट से 1 बजकर 59 मिनट तक राहुकाल होता है। इस वक्त में शुभ कार्य नहीं होना चाहिए।माघ पूर्णिमा पर करें ये उपाय1- अगर आप मानसिक शांति चाहते हैं तो पूर्णिमा के दिन चंद्रोदय के समय उसको कच्चे दूध में चीनी और चावल डालकर “ॐ स्रां स्रीं स्रौं स: चन्द्रमसे नम:” या ” ॐ ऐं क्लीं सोमाय नम:. ” के मंत्र का जप करते हुए अर्घ्य देना चाहिए।2- अगर आप आर्थिक तंगी से परेशान हैं और इससे मुक्ति चाहते हैं तो इस दिन मां लक्ष्मी को 11 कौडिय़ां अर्पित करें। इन कौडिय़ों पर हल्दी से तिलक कर पूजा भी करें और अगले दिन इनको लाल कपड़े में बांधकर वहां रखें जहां आप पैसे रखते हों।3- माघ पूर्णिमा के दिन मां लक्ष्मी को खीर का भोग लगाएं और पूजा के बाद मंत्रों का जाप आदि करें। इसके साथ ही तुलसी में घी का दीपक जलाएं।4- शास्त्रों के अनुसार इस दिन पीपल के वृक्ष में लक्ष्मी का आगमन होता है। ऐसे में स्नान करके सुबह पीपल पर जल चढ़ाएं और पूजा करें, इससे मां लक्ष्मी सभी कष्टों को दूर करती हैं।5- पूर्णिमा की रात को माता लक्ष्मी के आगमन के लिए पूर्णिमा की सुबह-सुबह स्नान कर तुलसी को भोग, दीपक और जल अवश्य चढ़ाएं और मां की आराधना व जाप करें।
- देव भूमि उत्तराखंड अपने सुंदर पहाड़ों के लिए काफी मशहूर है। यहां चार धाम तो हैं ही साथ ही ऐसे तमाम मंदिर हैं जो विज्ञान के लिए भी अजूबा हैं। लोग यहां ट्रेकिंग करने भी जाते हैं और आनंद लेने भी। कुछ-कुछ मंदिर तो ऐसे हैं जिनके नियम काफी अलग हैं। ऐसा ही एक मंदिर चमोली जिले में स्थित है। जो बंशी नारायण मंदिर के नाम से लोकप्रिय है।साल में एक दिन खुलता है यह मंदिरइस मंदिर की खास बात ये है कि यह मंदिर पूरे साल में केवल रक्षा बंधन के दिन ही केवल 12 घंटे के लिए खोला जाता है। इस दिन का श्रद्धालु बड़ी बेसब्री से इंतजार करते हैं। रक्षाबंधन के दिन दूरदराज के प्रदेशों से भी यहां भगवान के दर्शन के लिए श्रद्धालुओं की भारी भीड़ पहुंचती है।सूरज की रोशनी में खुलता है मंदिररक्षाबंधन वाले दिन इस मंदिर के कपाट श्रद्धालुओं के लिए सिर्फ दिन के समय ही खोले जाते हैं। मतलब जब तक सूर्य की रोशनी है, तब तक ही मंदिर के कपाट खुले रहते हैं, उसके बाद जैसे ही सूर्यास्त होने लगता है, तब मंदिर के कपाट बंद कर दिए जाते हैं।भगवान वामन ने लिया था ऐसा रूपकहा जाता है कि विष्णु अपने वामन अवतार से मुक्ति के बाद सबसे पहले इसी स्थान पर प्रकट हुए थे। इसके बाद से देव ऋषि नारद भगवान नारायण की यहां पर पूजा करते हैं। इसी वजह से यहां पर भूलोक के मनुष्यों को सिर्फ एक दिन के लिए पूजा का अधिकार मिला है.। वहीं एक अन्य कथा के अनुसार राजा बलि ने भगवान विष्णु से आग्रह किया कि वह उनके द्वारपाल बने। भगवान ने इस आग्रह को स्वीकार किया। इसके बाद राजा बलि के साथ पाताल लोक चले गए। कई दिनों तक जब भगवान विष्णु के दर्शन लक्ष्मी जी को नहीं हुए तो उन्होंने नारद मुनि को उन्हें ढूंढने को कह। नारद ने उन्हें बताया कि वह पाताल लोक में हैं और राजा बलि के द्वारपाल बने हुए हैं। इसके बाद नारद मुनि ने माता लक्ष्मी को विष्णु भगवान की मुक्ति के लिए श्रावण मास की पूर्णिमा के दिन राजा बलि को रक्षासूत्र बांधने का उपाय सुझाया। कहा जाता है कि नारद मुनि के सुझाव पर माता लक्ष्मी ने अमल किया और उन्होंने राजा बलि को रक्षासूत्र बांध कर भगवान विष्णाु को मुक्त कराया। जिसके बाद वह इसी स्थान पर एकत्रित हुए। वहीं वर्गाकार गर्भगृह वाले बंशीनारायण मंदिर के विषय में एक अन्य मान्यता यह भी है कि यहां वर्ष में 364 दिन नारद मुनि भगवान नारायण की पूजा करते हैं। श्रावण मास की पूर्णिमा के दिन माता लक्ष्मी के साथ नारद मुनि भी पातल लोक गए थे, इस वजह से केवल उस दिन वह मंदिर में नारायण की पूजा न कर सके। जिसके बाद आम लोगों को उस दिन पूजा करने का अधिकार मिला।भगवान को बांधा जाता है रक्षासूत्रप्रत्येक वर्ष स्थानीय महिलाएं वंशीनारायण मंदिर आती हैं और भगवान को राखी बांधती हैं। यह माना जाता है कि वंशीनारायण मंदिर पांडवों के काल में निर्मित हुआ था। वहीं यहां की फुलवारी की दुर्लभ प्रजाति के फूलों से उनकी पूजा होती है। गांव के लोग रक्षा सूत्र भगवान की कलाई पर बांधते हैं। वहीं बंशी नारायण मंदिर के पुजारी राजपूत जाति के होते हैं।
- सनातन धर्म में ही नहीं, अपितु अन्य धर्मों में भी स्वास्तिक को परम पवित्र और मंगल करने वाला चिन्ह माना गया है। इसमें सभी धर्मों एवं समस्त प्राणियों के कल्याण की भावना निहित है इसलिए आदिकाल से ही प्रत्येक शुभ और कल्याणकारी कार्य में स्वास्तिक का चिन्ह सर्वप्रथम प्रतिष्ठित करने का नियम है। सत्य, शाश्वत, शांति, अनंतदिव्य, ऐश्वर्य, सम्पन्नता एवं सौंदर्य का प्रतीक माना जाने वाला यह मांगलिक चिन्ह बहुत ही शुभ है। इसी कारण किसी भी मांगलिक कार्य के शुभारंभ से पहले स्वास्तिक चिन्ह बनाकर स्वस्तिवाचन करने का विधान है।गणेश पुराण में कहा गया है कि स्वास्तिक गणेशजी का ही स्वरूप है, इसलिए सभी शुभ, मांगलिक और कल्याणकारी कार्यों में इसकी स्थापना अनिवार्य है। इसमें सारे विघ्नों को हरने और अमंगल दूर करने की शक्ति निहित है। जो इसकी प्रतिष्ठा किए बिना मांगलिक कार्य करता है,वह कार्य निर्विघ्न सफल नहीं होता। शास्त्रानुसार स्वास्तिक की आठ भुजाएं-पृथ्वी, अग्नि, जल, वायु, आकाश, मस्तिष्क भाव आदि की प्रतीक गई हैं। मुख्य चार भुजाएं चारों दिशाओं,चार वेदों एवं चार पुरुषार्थ जिनमें धर्म, अर्थ, काम, मोक्ष शामिल है ।वास्तु दोष होता है दूरस्वास्तिक वास्तुदोष निवारण के लिए एक कारगर उपाय है क्योंकि इसकी चारों भुजाएं चारों दिशाओं की प्रतीक होती हैं और इसीलिए इस चिन्ह को बना कर चारों दिशाओं को एक समान शुद्ध किया जा सकता है। यदि आपके घर में या व्यवसायिक स्थल पर किसी प्रकार का कोई वास्तुदोष है तो यहां की नकारात्मक ऊर्जा को समाप्त करने के लिए पूर्व, उत्तर-पूर्व या उत्तर दिशा में स्वास्तिक का चिन्ह बनाना चाहिए। इसकी जगह आप अष्टधातु या तांबे का स्वास्तिक भी लगा सकते हैं। अपने बच्चों का ध्यान पढ़ाई में लगाने के लिए पश्चिम-दक्षिण-पश्चिम में स्वास्तिक बनाएं। यह उनकी शिक्षा में अच्छा प्रदर्शन कराने में सहायक होगा।
- इस बार कुंभ संक्रांति 13 फरवरी को पड़ रही है। इस दिन दिन त्रिपुष्कर और प्रीति योग का निर्माण भी हो रहा है। कुंभ संक्रांति के दौरान गंगा में स्नान करना विशेष रूप से त्रिवेणी में जहां गंगा और यमुना का संगम होता है, अत्यधिक शुभ माना जाता है। कुंभ संक्रांति का भी मकर संक्रांति के समान ही महत्व बताया गया है।एक वर्ष में 12 संक्रांति होती हैं। सूर्य सभी 12 राशियों में विचरण करता है। जब ये ग्रह एक से दूसरी राशि में जाता है तो इसे संक्रांति कहते हैं। जिस राशि में सूर्य आता है, उसी के नाम से संक्रांति होती है। सूर्य का राशि परिवर्तन होने से इस दिन भगवान सूर्य की विशेष पूजा करनी चाहिए साथ ही इस दिन स्नान-दान जैसे शुभ काम करने की भी परंपरा ग्रंथों में बताई गई है। कुंभ संक्रांति का भी मकर संक्रांति के समान ही महत्व बताया गया है। आइए जानते हैं कुंभ संक्रांति के मुहूर्त और उपाय के बारे में।कुंभ संक्रांति 2022 मुहूर्तकुंभ संक्रांति आरंभ: 13 फरवरी, रविवार, प्रात: 03:41 बजेपुण्यकाल आरंभ: 13 फरवरी, रविवार, प्रात: 07:01 मिनट सेपुण्यकाल समाप्त: 13 फरवरी, रविवार, दोपहर12:35 मिनट पर.महापुण्यकाल: 13 फरवरी, रविवार, प्रात: 07:01 बजे से प्रात: 08:53 तककुंभ संक्रांति पर इन उपायों से दूर होगी दरिद्रता-कुंभ संक्रांति के दिन ब्रह्ममुहूर्त में उठकर स्नान और दान पुण्य करने से धन-धान्य में वृद्धि होती है।-सूर्यदेव को जल का अघ्र्य देने और मंत्र जाप आदि से सुख-समृद्धि की प्राप्ति होती है।-गरीबों को या किसी ब्राह्मण को दान में गेहूं, तांबा, कंबल, गरम कपड़े, लाल वस्त्र या लाल फूल का दान देने से कुंडली में सूर्य की स्थिति मजबूत होती है और दोष दूर होता है।- संक्रांति के अवसर सूर्योदय पूर्व स्नान करने से पाप मिटते हैं और दरिद्रता दूर होती है। जो लोग संक्रांति पर स्नान करते हैं, उनको ब्रह्म लोक में स्थान प्राप्त होता है।कुंभ संक्रांति पर करें सूर्य देव की पूजाज्योतिष शास्त्रों के अनुसार सूर्य को ग्रहों का देवता और आत्मा का कारक माना जाता है। लिहाजा सूर्य के कुंभ राशि में प्रवेश यानी कुंभ संक्रांति के अवसर पर पवित्र नदियों या कुंड में स्नान करना बेहद शुभ माना जाता है। कुंभ संक्रांति के दिन सूर्य देव को अघ्र्य देने के साथ ही उनकी विधि-विधान से पूजा करने का भी विशेष महत्व है। पूजा के बाद सूर्य भगवान की आरती और स्तुति करना भी शुभ होता है। इसके अलावा सूर्य चालीसा का पाठ करना फलदायी माना जाता है। इससे सूर्यदेव की कृपा बनी रहती है और व्यक्ति सभी कष्टों से मुक्त हो जाता है।
- किसी भी मनुष्य अथवा देवता की कुल 16 कलाएं होती हैं। भगवान विष्णु भी इन सभी 16 कलाओं के धारक हैं। इसके अतिरिक्त चन्द्रमा को भी महादेव की कृपा से 16 कलाएं प्राप्त हैं और माता दुर्गा के पास भी कुल 16 कलाएं हैं। हालांकि चंद्र एवं मां दुर्गा की कलाएं श्रीहरि की कलाओं से भिन्न हैं। कलाओं का अर्थ एक प्रकार से गुण होता है। वैसे तो भगवान विष्णु के गुण तो अनंत हैं, किन्तु ये 16 गुण (कला) उनके प्रधान गुण माने जाते हैं। ये हैं:श्री (लक्ष्मी),भू (भूमि),कीर्ति (प्रसिद्धि),वाणी (वाक् क्षमता) ,लीला (चमत्कार),कांति (तेज),विद्या (ज्ञान),विमला (निर्मल स्वाभाव),उत्कर्षिणि (किसी को प्रेरित करने की क्षमता),विवेक (अपने ज्ञान एवं परिस्थिति के अनुसार निर्णय लेना),कर्मण्यता (कर्मठ),योगशक्ति (ईश्वर से जुड़ जाना),विनय (शिष्टता),सत्य (सदैव सच बोलने वाला),आधिपत्य (प्रभाव) और अनुग्रह (दूसरों का कल्याण और क्षमा करना)।भगवान विष्णु के अवतार श्रीराम त्रेतायुग के अंतिम चरण में जन्में। उनके अवतार का उद्देश्य संसार को राक्षस और रावण से मुक्त कर एक मर्यादित समाज की स्थापना करना था। उस उद्देश्य के लिए केवल 12 कलाएं ही पर्याप्त थीं, इसी कारण वो केवल 12 कलाओं के साथ जन्में। इसी कारण उन्हें मर्यादा पुरुषोत्तम कहा गया।वहीं श्रीकृष्ण द्वापर के बिलकुल अंतिम चरण में जन्में। उनका उद्देश्य संसार में धर्म की पुनस्र्थापना करना था। इस काल में भगवान विष्णु को अपनी सभी कलाओं की आवश्यकता थी। इसी कारण वे अपनी सभी 16 कलाओं के साथ अवतरित हुए। उसी कारण उन्हें पूर्णावतार अथवा परमावतार कहा गया।माना जाता है कि भगवान कल्कि कलियुग के बिलकुल अंतिम चरण में अवतरित होंगे और उनका उद्देश्य संसार से सभी पापियों का नाश करना होगा। कलियुग के अंतिम चरण में, उन परिस्थियों में अपने उद्देश्य को पूर्ण करने के लिए श्रीहरि को केवल अपनी 4 कलाओं की आवश्यता होगी। यही कारण है कि भगवान कल्कि श्रीहरि की केवल 4 कलाओं के साथ जन्म लेंगे। इसका अर्थ ये नहीं कि उनका महत्व श्रीकृष्ण या श्रीराम से कम है। सभी अवतारों का महत्व अपने-अपने युग में समान ही है।
- घर या फ्लैट खरीदते समय वास्तु शास्त्र काफी महत्वपूर्ण माना जाता है। इन दिनों वास्तु पर विचार करना इसलिए भी महत्वपूर्ण है क्योंकि लेआउट, दिशाओं में कभी-कभी वास्तु का अभाव होता है। दरअसल विशेष व्यक्ति वर्ग के बीच एक बुनियादी धारणा है कि अपार्टमेंट के लिए वास्तु पर विचार करने की आवश्यकता नहीं है। लेकिन वास्तविकता यह है कि किसी भी स्थान के लिए वास्तु का पालन किया जाना चाहिए चाहे वह एक स्वतंत्र घर हो या एक फ्लैट। छोटी से छोटी वस्तु भी आपके घर में ऊर्जा के प्रवाह को बदल सकती है। खिड़कियां आपके घर में बहने वाली ऊर्जा को काफी हद तक प्रभावित कर सकता है। वास्तु परंपरा के अनुसार, खिड़कियों को सही ढंग से रखना महत्वपूर्ण है क्योंकि वे हमारे घरों में प्रकाश, वायु और ऊर्जा लाते हैं। यही कारण है कि खिड़कियों की सही स्थिति के नियमों और दिशाओं को जानना महत्वपूर्ण है।पश्चिम और दक्षिण दिशा में खिड़कियांयदि आप पश्चिम या दक्षिण दिशा में खिड़कियां बनाना चाहते हैं, तो इन दिशाओं में छोटी खिड़कियां रखना सबसे अच्छा है। लेकिन यदि पश्चिम दिशा या दक्षिण दिशा में जगह चौड़ी या खुली हुई है तो ऐसे में उधर खिड़कियां नहीं बनानी चाहिए।इस दिशा में लगाएं बड़ी खिड़कियांवास्तु शास्त्र के अनुसार यदि आप उत्तर पूर्व या पूर्व दिशा में खिड़की लगाते हैं, तो वह बड़ी होनी चाहिए। इससे आपके घर में ताजी हवा और सूर्य कि प्रचुर मात्र तो मिलेगी साथ ही सकारात्मक ऊर्जा का भी प्रवाह रहेगा।सम संख्या में लगाएं खिड़कियांवास्तु शास्त्र के अनुसार घर की खिड़कियों को सकारात्मकता का स्रोत माना जाता है, जिससे घर की उन्नति होती है। जब भी घर बनावाएं, उसमें सम संख्या में खिड़कियों को लगवाएं। घर में खिड़कियों की संख्या 4, 6, 8, 10 जैसी सम संख्या में होनी चाहिए।दो पल्ले वाली खिड़कियां होती हैं शुभवास्तु शास्त्र के अनुसार खिड़कियों के पल्ले अंदर की ओर खुलने वाले होने चाहिए। और खिड़कियां दो पल्ले वाली होनी चाहिए। वास्तु के अनुसार इसका अर्थ हैं कि आपके घर के अंदर ऊर्जा का प्रवाह बाहर से अंदर की हो रहा है।दक्षिण- पश्चिम दिशा में नहीं होनी चाहिए खिड़कियांवास्तु शास्त्र के अनुसार घर की दक्षिण- पश्चिम दिशा में खिड़की होने से स्वास्थ्य में परेशानी होती है। इस वजह से इस दिशा में खिड़की लगाना वर्जित है।
- वर्क फ्रॉम होम के दौरान लोगों को काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ता है, क्योंकि घर का वातावरण अलग होता है। ऐसे में काम पर ध्यान केंद्रित करना और भी मुश्किल होता है। अक्सर लोग अपने आसपास रखी चीजों से डिस्ट्रैक्ट हो जाते हैं या सही जगह पर नहीं बैठते हैं। ऐसे में काम के प्रति उत्साह होने के बावजूद लोग काम के प्रति ऑर्गेनाइज्ड नहीं महसूस करते हैं। नींद आना और काम पर ध्यान केंद्रित न कर पाना बहुत स्वभाविक होता है। ऐसे में प्रोडक्टिविटी बढ़ाने के लिए आप वास्तु के ये टिप्स फॉलो कर सकते हैं।जॉब के हिसाब से चुनें डेस्क डायरेक्शनअगर आप लेखन, बैंक, व्यवसाय प्रबंधन या खातों जैसे व्यवसायों में हैं तो आपके लिए उत्तर दिशा में बैठना फायदेमंद रहेगा। वहीं अगर आपकी नौकरी कंप्यूटर प्रोग्रामिंग, शिक्षा, ग्राहक सेवा, तकनीकी सेवा, कानून या चिकित्सा से संबंधित है तो आपके लिए पूर्व दिशा में बैठना सबसे अच्छा है। इस तरह आपका मन काम में लगा रहेगा, ऊर्जा का स्तर ऊंचा रहेगा और नकारात्मक ऊर्जा आपके काम में बाधा नहीं बनेंगी। उत्तर-पश्चिम दिशा से बचने की सलाह दी जाती है क्योंकि इस दिशा में बैठने से मन की एकाग्रता शक्ति कम हो जाती है।टेबल-कुर्सी की व्यवस्थाबैठने के लिए इस्तेमाल की जाने वाली कुर्सी के पीछे एक दीवार होनी चाहिए क्योंकि वास्तु के अनुसार इसे शुभ माना जाता है। कुर्सी के पीछे कभी भी खिड़की या दरवाजा नहीं होना चाहिए और आपकी कुर्सी-टेबल के ठीक ऊपर बीम नहीं होना चाहिए, क्योंकि इससे आर्थिक नुकसान हो सकता है।वास्तु शास्त्र के अनुसार टेबल पर फाइलें, कागज का ढेर या अन्य घरेलू सामान रखने से काम की गुणवत्ता प्रभावित होती है और नकारात्मक ऊर्जा बढ़ती है। नकारात्मक ऊर्जा के बढऩे से आप तनाव में रहेंगे और काम समय पर खत्म नहीं हो पाएगा। कांच के टॉप वाली टेबल से बचें क्योंकि इससे नकारात्मक ऊर्जा उत्पन्न होती है जो आपके काम को धीमा कर सकती है। ऐसी मेज को आप हरे या सफेद कपड़े से ढंक सकते हैं।वर्कस्टेशन की लाइटजिस कमरे में आप अपना वर्कस्टेशन स्थापित करने की प्लान बना रहे हैं, उस कमरे की रोशनी पर विचार करना महत्वपूर्ण है। ये आपके काम और मूड को प्रभावित कर सकता है। बहुत तेज या बहुत कम रोशनी आंखों को नकारात्मक रूप से प्रभावित कर सकती है। साथ ही प्रकाश की कमी से वास्तु दोष उत्पन्न होते हैं और वहां नकारात्मक ऊर्जा का संचार होने लगता है। ये प्रगति में भी बाधा डाल सकता है, काम में बाधा डाल सकता है और बहस का कारण बन सकता है।पौधे रखेंवर्कस्टेशन को सुंदर और सकारात्मक बनाने के लिए आप इंडोर प्लांट्स रख सकते हैं। मनी प्लांट, बांस , सफेद लिली और रबर के पौधे पूर्व या उत्तर दिशा में रखे जाने पर न केवल उस स्थान को सुशोभित करते हैं बल्कि लाभकारी भी माने जाते हैं। हालांकि अपने कार्यस्थल पर कभी भी सूखे और कांटेदार पौधे न रखें क्योंकि ये निराशा का संकेत देते हैं। हरा रंग सुख, समृद्धि और पवित्रता का प्रतीक है। ये सकारात्मक ऊर्जा के स्तर को बढ़ाता है और मन पर शांत प्रभाव डालता है।
- वास्तु शास्त्र में घर में सकारात्मकता बढ़ाने और नकारात्मकता दूर करने के कई नियम और उपाय बताए गए हैं। वास्तु में पिरामिड का अपना महत्व होता है. आइए जानें घर में पिरामिड रखने के लाभ।-वास्तु शास्त्र के अनुसार घर में पिरामिड होना अच्छा माना जाता है। घर में पिरामिड रखने से घर के सदस्यों की आय में वृद्धि होती है और समृद्धि बनी रहती है। पिरामिड को उस जगह पर रखें जहां घर के सदस्य सबसे ज्यादा समय बिताते हैं।-पिरामिड में अपने आप में बहुत अधिक ऊर्जा होती है। इसलिए अगर कोई थका हुआ व्यक्ति कुछ समय के लिए पिरामिड के पास या पिरामिड के आकार की जगह जैसे मंदिर में बैठता है, तो उसकी थकान दूर हो जाती है। ये मन को शांत रखने में मदद करता है।-वास्तु शास्त्र के अनुसार पिरामिड को उत्तर दिशा में रखने से धन लाभ और आर्थिक स्थिति में भी सुधार होता है। ये आर्थिक समस्याओं को दूर करने में मदद करता है। ये मानसिक तनाव को दूर करता है।-वास्तु शास्त्र के अनुसार पिरामिड शरीर को एक नई शक्ति देकर एकाग्रता को बढ़ाता है। इससे आप मन लगाकर काम कर पाते हैं। बच्चों के स्टेडी टेबल पर क्रिस्टल का पिरामिड रख सकते हैं। इससे बच्चों की एकाग्रता बढ़ती है और वे मन लगाकर पढ़ाई कर पाते हैं।-घर में चांदी, पीतल या तांबे का पिरामिड रखना सबसे अच्छा माना जाता है, लेकिन अगर आप इतना महंगा पिरामिड नहीं खरीद सकते हैं, तो आप लकड़ी का बना पिरामिड भी रख सकते हैं, लेकिन कभी भी लोहे, एल्यूमीनियम या प्लास्टिक का पिरामिड नहीं रखें। साथ ही पिरामिड की तस्वीर न लगाएं, इससे कोई फायदा नहीं होगा।
- वास्तु शास्त्र की तरह की फेंगशुई शास्त्र में धन और तरक्की संबंधी कई उपायों को बताया गया है। धन लाभ और तरक्की के लिए लोग कई तरह के उपाय करते हैं। फेंगशुई शास्त्र में ऊंट का शो-पीस लाइफ के मुश्किल समय को काटने में मदद करता है। फेंगशुई शास्त्र के अनुसार, अगर बिजनेस में लाभ नहीं हो रहा या कर्मचारी काम करने से जी चुराते हैं तो व्यापार में लाभ और प्रोड्क्टिविटी को बढ़ाने के लिए ऊंट को लगाना शुभ होता है।इसी तरह फेंगशुई के अनुसार, अगर व्यक्ति को करियर में लगातार असफलताओं का सामना करना पड़ रहा है या कड़ी मेहनत के बावजूद भी अपेक्षित रिजल्ट की प्राप्ति नहीं हो रही है। मान्यता है कि इस स्थिति में अपने स्टडीरूम या ऑफिस में ऊंट की मूर्ति को लगाने से शुभ लाभ मिलते हैं। कहा जाता है कि ऊंट की मूर्ति लगाने के बाद आप जो भी काम करते हैं, उनमें आपका फोकस बढ़ जाता है और करियर संबंधी दिक्कतें दूर हो जाती हैं।मान्यता है कि अगर घर में धन संबंधी दिक्कत है तो ऊंट के जोड़े को घर में लाकर रखने से धन का आगमन तेजी से होता है। कहते हैं कि ऐसा करने से धीरे-धीरे आर्थिक स्थिति सुधरने लगती है। घर में पॉजिटिव और खुशनुमा माहौल रखने के लिए एक, दो या कई ऊंट की तस्वीर या ऊंट के जोड़ों की मूर्ति को घर पर उत्तर-पश्चिम दिशा में लगाना चाहिए। कहते हैं कि ऐसा करने से घर के सदस्यों को मानसिक तौर पर शांति मिलती है।फेंगशुई के अनुसार, जीवन में आ रही मुश्किलों से बचने के लिए भी ऊंट की मूर्ति रखना शुभ माना जाता है। कहते हैं कि ऊंट की मूर्ति व्यक्ति की सहन-शक्ति बढ़ाती है। जिससे व्यक्ति सही निर्णय लेने में सफल होता है।