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-पं. प्रकाश उपाध्याय
कड़ी मेहनत करने के बाद भी व्यक्ति को सफलता हाथ नहीं लगती है। जीवन में आर्थिक तंगी के साथ ही खराब सेहत का भी सामना करना पड़ता है। परिवार के सदस्यों के बीच अनबन रहती है। ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, घर में वास्तु दोष होने पर भी व्यक्ति आर्थिक, मानसिक व शारीरिक कष्टों का सामना करता है। वास्तु शास्त्र की मानें तो अगर आपको मेहनत करने के बाद भी सफलता नहीं मिल रही है, तो अपने घर की दक्षिण पश्चिम दिशा की जांच करें। वहां हरा, नीला या काला रंग या इस रंग के सोफे, पर्दे तो नहीं हैं। यदि हैं, तो तुरंत हटा दें और वहां पीला रंग कर दें।
जानें घर से वास्तु दोष दूर करने व जीवन में खुशहाली लाने के आसान उपाय-
● सीढ़ी बनाने के लिए उत्तम दिशाएं हैं-दक्षिण, पश्चिम व दक्षिण पश्चिम। उत्तर, पूर्व तथा उत्तर -पूर्व में कभी सीढ़ी नहीं बनानी चाहिए। यह सीढ़ी बहुत खराब फल देती है। परिवार की उन्नति को रोक देती है। घर के मुखिया पर इसका नकारात्मक असर पड़ता है।
● सीढ़ी हमेशा क्लॅाकवाइज होनी चाहिए। सीढ़ी में स्टेप्स की संख्या हमेशा विषम होनी चाहिए। सीढ़ियों के नीचे कुछ नहीं बनाना चाहिए।
● सुबह उठकर अपना बिस्तर तह करके जरूर रखें।
● दरवाजे के पीछे कपड़े ना टांगें।
● बेडरूम में चप्पल ना उतारें। जूते-चप्पल फैलाकर ना रखें।
● टूटा हुआ शीशा बिलकुल नहीं रखें। गोल या अंडाकार शीशा लगाना नहीं चाहिए और साथ ही शीशे के सामने शीशा कभी नहीं लगाना चाहिए।
● आप अपने गल्ले को दक्षिण अथवा पश्चिम दिशा में कर लें।
● रात को किचन और बाथरूम में एक बर्तन में पानी भरकर रखें और सुबह उसे फेंक दें। गल्ले में केसर से स्वस्तिक बनाएं।
● एक नमक की डली भी गल्ले में रखें और इसको नियमित अंतराल पर बदलते रहें। गल्ले को नियमित रूप से धूप दिखाएं। -
-पं. प्रकाश उपाध्याय
सुख-संपदा व ऐश्वर्य आदि के कारक शुक्र ग्रह एक निश्चित अवधि में एक राशि से दूसरी राशि में गोचर करते हैं। शुक्र राशि बदलने के साथ ही नक्षत्र परिवर्तन भी करते हैं। द्रिकपंचांग के अनुसार, 28 दिसंबर 2023, गुरुवार को शुक्र सुबह 01 बजकर 02 मिनट पर अनुराधा नक्षत्र में प्रवेश करेंगे। शुक्र अनुराधा नक्षत्र में 17 फरवरी 2024 में रहेंगे और फिर अभिजीत नक्षत्र में गोचर करेंगे। अनुराधा नक्षत्र के स्वामी शनि हैं। ज्योतिष शास्त्र में शनि को न्यायदेवता व कर्मफलदाता माना गया है। शुक्र के नक्षत्र परिवर्तन का प्रभाव मेष से लेकर मीन राशि तक पर पड़ेगा।
जानें शुक्र नक्षत्र परिवर्तन का किन राशियों को होगा सबसे ज्यादा फायदा-
वृषभ राशि-
शुक्र अनुराधा नक्षत्र में गोचर करके सातवें भाव में प्रवेश करेंगे। यह भाव पार्टनर, शादी-ब्याह और पार्टनरशिप में व्यापार के लिए जाना जाता है। शुक्र के नक्षत्र परिवर्तन से वृषभ राशि के जातकों को भाग्य का साथ मिलेगा, जिससे कई अटके काम बन सकते हैं। वैवाहिक जीवन की परेशानियां दूर हो जाएंगी। सिंगल जातकों को विवाह प्रस्ताव भी आ सकते हैं।
कर्क राशि-
कर्क राशि वालों के लिए शुक्र का अनुराधा नक्षत्र में प्रवेश करना बहुत ही लाभकारी रहने वाला है। इस अवधि में आपकी आय में वृद्धि के साथ कार्यों में सफलता हासिल होगी। आपको भूमि, भवन व वाहन सुख भी मिल सकता है। निवेश के लिए यह अवधि आपके लिए अनुकूल रहने वाली है।
सिंह राशि
सिंह राशि वालों के लिए शुक्र नक्षत्र परिवर्तन शुभ रहने वाला है। इस अवधि में आपके वैवाहिक जीवन की परेशानियां खत्म हो सकती हैं। करियर के लिए भी यह समय शुभ रहने वाला है। आप अपनों के साथ समय बिताएंगे। व्यापारियों को मुनाफा हो सकता है। आपके आत्मविश्वास में वृद्धि होगी। आप महत्वपूर्ण निर्णय लेने में भी सफल रहेंगे। आय के नवीन साधन सामने आएंगे। अपनों का साथ मिलेगा। -
-पं. प्रकाश उपाध्याय
कुंडली में ग्रहों की स्थिति काफी महत्वपूर्ण मानी जाती है, जिसका प्रभाव व्यक्ति के जीवन पर भी पड़ता है। सभी ग्रहों की अपनी विशेषताएं हैं। गुरु ग्रह का संबंध प्रेम, विवाह, सुख-समृद्धि और वैभव से होता है। ऐसे में गुरु की दशा बिगड़ने पर या कुंडली में गुरु कमजोर होने पर जीवन में कई दिक्कतों का सामना करना पड़ सकता है। इसलिए गुरु की स्थिति को मजबूत बनाने के लिए इन इजी टिप्स को अपनाएं।
गुरु को मजबूत कैसे बनाएं?
1. अपनी फाइनेंशियल सिचुएशन को सुधारने के लिए आपको हर बृहस्पतवार के दिन पीले कपड़े पहनने चाहिए और गुरु को मजबूत बनाए रखने के लिए पीली चीजों का दान भी करना चाहिए।
2. अपने घर की दरिद्रता दूर करना चाहते हैं तो हर गुरुवार प्रभु विष्णु और माता लक्ष्मी की पूरे विधि-विधान से पूजा करें। इससे गुरु दोष का बुरा प्रभाव भी कम होगा।
3. आर्थिक तंगी से निजात पाने और गुरु को मजबूत बनाने के लिए गुरुवार को विष्णु सहस्त्रनाम का पाठ करें।
4. अगर आपकी कुंडली में गुरु दोष है, जिसके चलते आर्थिक और निजी जिंदगी में दिक्कतें झेलनी पड़ रही हैं तो गुरुवार के दिन पानी में एक-दो चुटकी हल्दी मिलाकर नहाएं।
5. ॐ नमो भगवते वासुदेवाय नमः मंत्र का 108 बार रोजाना जाप करने से जीवन के कष्टों को दूर कर कुंडली में गुरु की स्थिति को सुधारा जा सकता है।
6. गुरु के बुरे प्रभाव से बचने के लिए और विवाह की रुकावटें दूर करने के लिए गुरुवार के दिन केले के पेड़ की पूजा करें। पेड़ की जड़ के समक्ष घी के पांच दीपक जलाएं। चने और गुड़ का भोग लगाएं। इसके बाद भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी की साथ में विधिवत पूजा करें। -
-पं. प्रकाश उपाध्याय
नकारात्मक ऊर्जा के अशुभ प्रभावों से बचने के लिए घर के अलावा वाहन के वास्तु का भी खास ध्यान रखना चाहिए। इससे पॉजिटिविटी बढ़ती है। वास्तु के अनुसार, मान्यता है कि गाड़ी में गलत वास्तु के कारण नकारात्मक ऊर्जा में वृद्धि होती है, जिससे व्यक्ति को जीवन में कई बार अप्रिय घटनाओं का सामना करना पड़ सकता है।
आइए जानते हैं वाहन की नेगेटिविटी से छुटकारा पाने के लिए वास्तु के विशेष नियम...
भगवान की प्रतिमा
वास्तु के अनुसार, सकारात्मक ऊर्जा बढ़ाने के लिए गाड़ी के डैशबोर्ड पर गणेशजी, दुर्गा माता या शिवजी की प्रतिमा जरूर रखें। मान्यता है कि इससे वास्तु दोष दूर होता है और देवी-देवताओं की कृपा से सभी दुख-संकट दूर होते हैं।
कछुआ
वास्तु के मुताबिक, नेगेटिविटी दूर करने के लिए गाड़ी में काला कछुआ रख सकते हैं। ऐसा करना बहुत मंगलकारी माना जाता है।
पानी की बोतल
वास्तु के अनुसार, गाड़ी में पानी की बोतल जरूर रखना चाहिए। मान्यता है कि इससे मन स्पष्ट और जागरूक रहता है और कार के अंदर की नकारात्मक ऊर्जा दूर होती है।
मोर का पंख
कार में मोर का पंख, शिवजी का डमरू या मां दुर्गा की चुनरी रखना बेहद शुभ माना जाता है। मान्यता है कि इससे नकारात्मक ऊर्जा दूर होती है और जीवन के सभी बाधाएं टल जाती हैं, लेकिन ध्यान रखें कि एल्कोहल का सेवन करके इन्हें फॉलो करने से किसी भी उपाय के पॉजिटिव रिजल्ट नहीं मिलते हैं।
क्रिस्टल स्टोन
गाड़ी में नेचुरल स्टोन या क्रिस्टल स्टोन रखना शुभ माना जाता है। मान्यता है कि इससे कार में सकारात्मक ऊर्जा बरकरार रहती है।
चाइनीज सिक्के
कार में गोल्डन कलर के चाइनीज सिक्कों को रखना भी बेहद शुभ माना गया है। मान्यता है कि यह गाड़ी के रंग, इंटीरियर और साइज के बीच संतुलन बनाए रखता है और वाहन का वास्तुदोष दूर होता है।
कार में ना रखें ये चीजें
वास्तु के मुताबिक, कार में कभी भी टूटी-फूटी चीजों को नहीं रखना चाहिए और ना ही गाड़ी में ज्यादा गंदगी फैली होनी चाहिए। इसके साथ ही कार के शीशों की साफ-सफाई का खास ध्यान रखें। -
-पं. प्रकाश उपाध्याय
कुंडली में ग्रहों की स्थिति का शुभ-अशुभ प्रभाव से व्यक्ति को जीवन में अच्छे-बुरे परिणाम मिलते रहते हैं। ऐसे ही कुंडली में शनिदेव की अशुभ स्थिति सबसे कष्टकारी मानी जाती है। मान्यता है कि शनिदेव की बुरी दृष्टि से जातक का जीवन दुख और बाधाओं से घिरा रहता है। जीवन में खुशियां दूर-दूर तक नजर नहीं आती है और व्यक्ति को जीवन में आर्थिक तंगी का सामना करना पड़ता है। रत्न शास्त्र में कई ऐसे रत्नों के बारे में बताया गया है, जिससे कुंडली के कमजोर ग्रहों को मजबूत बनाया जा सकता है। शनि के प्रकोप से बचने के लिए भी कई रत्न बहुत लाभकारी माने जाते हैं।
आइए जानते हैं कुंडली में शनि का दुष्प्रभाव कम करने के खास रत्न...
फिरोजा रत्न: कुंडली में शनि ग्रह को मजबूत करने के लिए फिरोजा रत्न धारण करना बेहद शुभ माना गया है। इस रत्न को पहनने से गुरु ग्रह भी मजबूत होता है। इस रत्न से कॉन्फिडेंस बढ़ता है। गृह-क्लेश से मुक्ति मिलती है। इसे शुक्रवार, गुरुवार और शनिवार को धारण किया जा सकता है। फिरोजा रत्न को चांदी या पंच धातु की अंगूठी में पहनने से ज्यादा लाभ होता है।
लाजवर्त रत्न
शनि के प्रकोप से बचने के लिए लाजवर्त रत्न भी पहनना मंगलकारी माना गया है। इस रत्न से कुंडली में शनि, राहु और केतु तीनों ग्रहों के अशुभ प्रभावों से छुटकारा मिलता है और जीवन के सभी कष्ट दूर होते हैं। मान्यता है कि इस रत्न को धारण करने से नौकरी-कारोबार में आ रही बाधाओं से मुक्ति मिलती है। लाजवर्त को शनिवार के दिन चांदी की अंगूठी में पहनना शुभ माना गया है।
नीलम रत्न
ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, शनि की महादशा, साढ़ेसाती और ढैय्या के अशुभ प्रभावों से बचने के लिए नीलम रत्न धारण करना बहुत लाभकारी माना जाता है। मान्यता है कि इससे स्वास्थ्य में आ रही दिक्कतें दूर होती हैं। मन की एकाग्रता बढ़ती है। इस रत्न को शनिवार के दिन धारण करना शुभ होता है। -
-पं. प्रकाश उपाध्याय
हाथों पर मौजूद रेखाओं से करियर, लव लाइफ, विवाह और स्वास्थ्य जैसे कई टॉपिक्स के बारे में पता लगाया जा सकता है। हथेली पर मौजूद रेखाओं से कई योग भी बनते हैं। हथेली की रेखाओं से बने कुछ योग काफी शुभ माने जाते हैं। इन योग के निर्माण से व्यक्ति को जीवन में कामयाबी और धन लाभ के कई अवसर भी प्राप्त होते हैं। आइए जानते हैं ऐसे ही कुछ योगों के बारे में-
गजलक्ष्मी योग
हाथों की लकीरों से बना गजलक्ष्मी योग बेहद ही शुभ माना जाता है। जब मणिबंध से शुरू भाग्य रेखा शनि पर्वत तक जाती है और सूर्य रेखा गाढ़ी और स्पष्ट दिखती है तब गजलक्ष्मी योग का निर्माण होता है। जिन लोगों के हाथ में गजलक्ष्मी योग पाया जाता है, वे बेहद ही भाग्यशाली माने जाते हैं। ऐसे लोगों को व्यापार में खूब कामयाबी मिलती है और इन्हें ज्यादा आर्थिक दिक्कतें नहीं झेलनी पड़ती है।
भाग्य योग
जब भाग्य रेखा गुरु पर्वत या चंद्र पर्वत से शुरू होती है और दिखने में लंबी, स्पष्ट और डार्क नजर आती है तब भाग्य योग बनता है। हथेली में भाग्य योग बनने पर व्यक्ति को सफलता हासिल करने में ज्यादा मेहनत नहीं करनी पड़ती है। वहीं, ऐसे व्यक्ति खूब धन-दौलत भी कमाते हैं।
शुभ कर्तरी योग
शुभ कर्तरी योग तब बनता है जब हथेली के बीच का हिस्सा बाकी हिस्सों के मुकाबले दबा हो और भाग्य रेखा शनि पर्वत तक जाती हो। साथ ही गुरु और सूर्य पर्वत भी अच्छी स्थिति में हो। जिन व्यक्तियों के हाथ में शुभ कर्तरी योग पाया जाता है वे आर्थिक रूप से समृद्ध रहते हैं और जीवन में खूब तरक्की भी करते हैं। -
-पं. प्रकाश उपाध्याय
हिंदू धर्म में कार्तिक माह का बहुत महत्व ज्यादा महत्व है। इस माह में शुक्ल पक्ष की एकादशी को भगवान विष्णु चार महीने की निद्रा के बाद जागते हैं, उनके जागने के बाद ही सभी तरह के शुभ और मांगलिक कार्य फिर से शुरू होते हैं। इसके साथ ही हिंदू पंचांग के अनुसार कार्तिक माह के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि को ही तुलसी और शालिग्राम जी का विवाह किया जाता है। मान्यता है कि तुलसी विवाह संपन्न करवाने से कन्यादान के समान फल की प्राप्ति होती है और मोक्ष के द्वार खुल जाते हैं। साथ ही तुलसी जी और शालिग्राम की कृपा से विवाह में आने वाली बाधाएं भी दूर होती हैं। शादीशुदा जीवन में भी खुशियां बनी रहती हैं। ऐसे में चलिए जानते हैं इस साल कब है तुलसी विवाह...
तुलसी विवाह 2023 कब है ?
देवउठनी एकादशी के दिन तुलसी विवाह किया जाता है। इस साल 23 नवंबर को देवउठनी एकादशी को है, इसलिए 23 नवंबर को ही तुलसी विवाह मनाया जाएगा। इसी दिन भगवान शालिग्राम और माता तुलसी का विवाह किया जाएगा।
तुलसी विवाह 2023 मुहूर्त
कार्तिक माह के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि 22 नवंबर को रात 11.03 बजे से शुरू हो रही है। इसका समापन 23 नवंबर की रात 09.01 बजे होगा। एकादशी तिथि पर रात्रि पूजा का मुहूर्त शाम 05.25 से रात 08.46 तक है। आप चाहें तो इस मुहूर्त में तुलसी विवाह संपन्न करा सकते हैं।
तुलसी विवाह की पूजा विधि
तुलसी विवाह के लिए सबसे पहले लकड़ी की एक साफ चौकी पर आसन बिछाएं।
गमले को गेरू से रंग दें और चौकी के ऊपर तुलसी जी को स्थापित करें।
दूसरी चौकी पर भी आसन बिछाएं और उस पर शालिग्राम को स्थापित करें।
दोनों चौकियों के ऊपर गन्ने से मंडप सजाएं।
अब एक कलश में जल भरकर रखें और उसमें पांच या फिर सात आम के पत्ते लगाकर पूजा स्थल पर स्थापित करें।
फिर शालिग्राम व तुलसी के समक्ष घी का दीपक प्रज्वलित करें और रोली या कुमकुम से तिलक करें।
तुलसी पर लाल रंग की चुनरी चढ़ाएं, चूड़ी,बिंदी आदि चीजों से तुलसी का श्रृंगार करें।
इसके बाद सावधानी से चौकी समेत शालिग्राम को हाथों में लेकर तुलसी की सात परिक्रमा कराएं।
पूजा संपन्न होने के बाद तुलसी व शालिग्राम की आरती करें और उनसे सुख सौभाग्य की कामना करें।
साथ ही प्रसाद सभी में वितरित करें।
तुलसी विवाह का महत्व
मान्यता है कि तुलसी विवाह करने से कन्यादान के समान फल की प्राप्ति होती है, इसलिए यदि किसी व्यक्ति की कन्या न हो तो उसे तुलसी विवाह करके कन्या दान का पुण्य जरूर कमाना चाहिए। जो व्यक्ति विधि-विधान के साथ तुलसी विवाह संपन्न करता है उसके मोक्ष प्राप्ति के द्वार खुल जाते हैं। साथ ही तुलसी और भगवान शालिग्राम का विधिवत पूजन करने से मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं। -
-पं. प्रकाश उपाध्याय
घर में पौधे लगाते समय दिशा का खास ध्यान रखना चाहिए। पेड़-पौध की हरियाली से घर की सुंदरता तो बढ़ती हैं, लेकिन कुछ बातों का ख्याल रखने से घर वास्तु दोषों से छुटकारा मिलता है और घर में सुख-समृद्धि औऱ खुशहाली आती है। पौधे लगाते समय दिशा पर जरूर ध्यान दें और कोई भी पौधा गलत दिशा में न लगाएं। वास्तु के मुताबिक, ऐसा करने से व्यक्ति के जीवन पर नकारात्मक प्रभाव पड़ता है। ऐसे में आइए जानते हैं पेड़-पौधे से जुड़ी वास्तु के नियम...
पूर्व या उत्तर-पूर्व दिशा में लगाएं ये पौधे
वास्तु के अनुसार, घर के पूर्व या उत्तर-पूर्व दिशा में तुलसी, केला, आंवला, गेंदा,शमी, हरी दूब, मनी प्लांट, धनिया, हल्दी, लिली और पुदीना का पौधा लगाना शुभ माना जाता है। मान्यता है कि इन पौधों को लगाने से घर का वास्तु दोष दूर होता है और घर में मां लक्ष्मी का वास होता है।
उत्तर दिशा
वास्तु के मुताबिक, घर उत्तर दिशा में नीले रंग के फूल देने वाले पौधों को लगाना चाहिए। मान्यता है कि ऐसा करने से व्यक्ति के जीवन मे सकारात्मकता बढ़ती हैं और घर में खुशहाली का माहौल रहता है और करियर में भी खूब सफलता मिलती है।
दक्षिण या पश्चिम दिशा में लगाएं ये पौधे
वास्तु शास्त्र के अनुसार,पीपल पेड़ को घर से कहीं दूर खुले स्थान पश्चिम दिशा की तरफ लगाना चाहिए। इस दिशा में मोगरा और चमेली का फूल लगाना भी बेहद शुभ माना जाता है। मान्यता है कि ऐसा करने से जीवन में तरक्की के खूब अवसर मिलते हैं और जीवन सुख-सुविधाओं में व्यतीत होता है।
उत्तर-पश्चिम दिशा
वास्तु के अनुसार घर के उत्तर-पश्चिम दिशा में बेल का पेड़ लगाना बेहद शुभ होता है। मान्यता है कि इस दिशा में बेल का पौधा लगाने से घर की नेगेटिविटी दूर होती है। वास्तुदोष से छुटकारा मिलता है और सुख-सौभाग्य में वृद्धि होती है।
दक्षिण-पूर्व दिशा
मान्यता है कि घर के दक्षिण-पूर्व दिशा में लाल रंग के फूल देने वाले पौधों को लगाना चाहिए। इन पौधों को घर में लगाने जातक का समाज में मान-सम्मान और यश, कीर्ति बढ़ती है।
-Mobael no-9406363514 -
-पं. प्रकाश उपाध्याय
साल 2023 अब खत्म होने वाला है और नया साल 2024 का हर किसी को बेसब्री से इंतजार है। साल 2024 में ग्रह-नक्षत्रों की स्थिति में बड़े परिवर्तन देखने को मिलेंगे। गुरु वर्तमान में मेष राशि में वक्री अवस्था में विराजमान हैं और 31 दिसंबर 2023 को वक्री से मार्गी होंगे। गुरु की सीधी चाल का प्रभाव सभी 12 राशियों पर पड़ेगा। गुरु को ज्योतिष शास्त्र में सुख-संपदा, वैभव, धन व ऐश्वर्य आदि का कारक माना गया है। गुरु ग्रह की मार्गी स्थिति कुछ राशि वालों के जीवन में सुख-सुविधाओं में वृद्धि लेकर आएगी। जानें गुरु के मार्गी होने का किन राशियों पर पड़ेगा शुभ प्रभाव-
मेष राशि
मेष राशि वालों के लिए गुरु की मार्गी चाल अत्यंत लाभकारी रहने वाली है। साल 2024 में गुरु मेष राशि वालों को मान-सम्मान, धन व करियर में तरक्की प्रदान कर सकते हैं। गुरु ग्रह के प्रभाव से आपके अटके हुए काम संपन्न होंगे। आर्थिक स्थिति में सुधार होगा। भाग्य का पूरा साथ मिलेगा। कई महत्वपूर्ण फैसले लेने में भी सफल हो सकते हैं।
सिंह राशि
सिंह राशि वालों के लिए गुरु का मार्गी होना शुभ संकेत दे रहा है। गुरु के प्रभाव से आपको किस्मत का पूरा साथ मिलेगा। भाग्यवश कुछ काम बनेंगे। धन लाभ के नए अवसर सामने आएंगे। कार्यक्षेत्र में सफलता मिल सकती है। निवेश का लाभ मिल सकता है। गुरु ग्रह के मार्गी होने से आपको सुखद समाचार की प्राप्ति हो सकती है। कुल मिलाकर साल 2024 आपके लिए बहुत शुभ रहने वाला है।
धनु राशि
धनु राशि वालों के लिए गुरु ग्रह की सीधी चाल अत्यंत लाभकारी सिद्ध हो सकती है। गुरु के मार्गी होने से आपको संतान सुख की प्राप्ति हो सकती है। परिवार का माहौल सुख-शांति वाला रहेगा। साल 2024 में आपको नए साधनों से धन की प्राप्ति होगी। पुराने मार्ग से भी रुपए-पैसे आएंगे। करियर में नई उपलब्धि मिल सकती है। -
-पं. प्रकाश उपाध्याय
भाई दूज का त्योहार भाई-बहन के प्रेम का प्रतीक है। हिंदू पंचांग के अनुसार, हर साल कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की द्वितीया तिथि को भाई दूज मनाया जाता है। दिवाली का पंचदिवसीय पर्व धनतेरस से प्रारंभ होकर भाईदूज के दिन समाप्त होता है। लेकिन इस साल दो दिन अमावस्या तिथि होने के कारण दिवाली का पर्व छह दिन का पड़ा है। क्योंकि दिवाली व गोवर्धन पूजा के बीच में एक दिन का अंतर पड़ा था। आमतौर पर गोवर्धन पूजा दिवाली के अगले दिन ही की जाती है।
----जानें भाई दूज के दिन तिलक करने का शुभ मुहूर्त, डेट, इतिहास व महत्व-
भाई दूज कब है
द्वितीया तिथि 14 नवंबर को दोपहर 02 बजकर 36 मिनट से प्रारंभ होगी और 15 नवंबर को दोपहर 01 बजकर 47 मिनट पर समाप्त होगी। इस साल भाई दूज 15 नवंबर 2023, बुधवार को मनाया जाएगा।
भाई दूज 2023 पर तिलक करने के शुभ मुहूर्त---
लाभ - उन्नति: 10:44 ए एम से 12:04 पी एम
अमृत - सर्वोत्तम: 12:04 पी एम से 01:25 पी एम
शुभ - उत्तम: 02:46 पी एम से 04:07 पी एम
लाभ - उन्नति: 07:07 पी एम से 08:46 पी एम
शुभ - उत्तम: 10:25 पी एम से 12:05 ए एम, नवम्बर 15
अमृत - सर्वोत्तम: 12:05 ए एम से 01:44 ए एम, नवम्बर 15
भाई दूज का इतिहास
हिंदू पौराणिक कथाओं के अनुसार, भगवान कृष्ण नरकासुर को हराने के बाद अपनी बहन सुभद्रा से मिलने गए थे। सुभद्रा ने मिठाइयों और फूलों से उनका स्वागत किया और उनके माथे पर तिलक लगाया। तभी से इस दिन भाई दूज मनाया जाने लगा। एक अन्य कहानी के अनुसार, मृत्यु के देवता यम अपनी बहन यमुना से मिलने गए, जिन्होंने तिलक समारोह के साथ उनका स्वागत किया। तब यम ने निर्णय लिया कि इस दिन जो कोई भी अपनी बहन से तिलक और मिठाई ग्रहण करेगा उसे दीर्घायु का आशीर्वाद दिया जाएगा।
भाई दूज का महत्व
भाई का अर्थ है भाई और दूज का अर्थ है अमावस्या के बाद का दूसरा दिन। भाई दूज पर बहनें अपने भाइयों को टीका करके उनके लंबे और खुशहाल जीवन की कामना करती हैं। भाई अपनी बहनों को उपहार प्रदान करते हैं। भाई दूज को भाऊ बीज, भाई दूज, भात्र द्वितीया और भतरु द्वितीया के नाम से भी जाना जाता है। पश्चिम बंगाल में भाई दूज को भाई फोटा के रूप में मनाया जाता है। दक्षिण भारत में, यम द्वितीया मनाई जाती है, जबकि महाराष्ट्र में उसी दिन भाऊ बीज मनाया जाता है। -
-पं. प्रकाश उपाध्याय
पांच दिवसीय दिवाली पर्व के चौथे दिन गोवर्धन पूजा की जाती है। यह पर्व कार्तिक माह के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि को मनाया जाता है। इस दिन घरों में गोवर्धन पर्वत बनाया जाता है और भगवान श्रीकृष्ण की प्रतिमा बनाई जाती है। इसके बाद शाम के समय गोवर्धन पर्वत और भगवान श्रीकृष्ण की पूजा होती है और उन्हें अन्नकूट और कढ़ी चावल का भोग लगाया जाता है। इस साल दिवाली 12 नवंबर की है, लेकिन गोवर्धन पूजा की तिथि को लेकर लोगों में भ्रम की स्थिति उत्पन्न हो गयी है। आइए आपको बताते हैं कि किस दिन गोवर्धन पूजा की जाएगी और पूजा का शुभ समय क्या है।
ये है सही डेट और शुभ मुहूर्त
इस बार कार्तिक माह के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि की शुरुआत 13 नवंबर दिन सोमवार को दोपहर 02 बजकर 56 मिनट से हो रही है और समापन अगले दिन 14 नवंबर दिन मंगलवार को दोपहर 02 बजकर 36 मिनट पर होगा। हिंदू धर्म में उदया तिथि को विशेष महत्व दिया जाता है। ऐसे में गोवर्धन पूजा का पर्व 14 नवंबर को मनाया जाएगा। द्रिक पंचांग के अनुसार, शुभ गोवर्धन पूजा प्रात:काल मुहूर्त 14 नवंबर को सुबह 6:43 बजे से 08:52 बजे के बीच है। ऐसे में गोवर्धन पूजा के लिए दो घंटे नौ मिनट तक पूजा का मुहूर्त रहेगा। गोवर्धन पर घर के आंगन में गोबर से गोवर्धन बनाकर पूजा की जाती है। गोवर्धन पूजा को प्रकृति की पूजा भी कहा जाता है, इसकी शुरुआत स्वयं भगवान श्री कृष्ण ने की थी।
गोवर्धन पूजा पर बन रहे ये योग
इस बार गोवर्धन पूजा के दिन शुभ योग बन रहे हैं। गोवर्धन पूजा पर शोभन योग प्रात:काल से लेकर दोपहर 01 बजकर 57 मिनट तक है। उसके बाद से अतिगंड योग शुरू हो जाएगा। अतिगंड योग शुभ नहीं होता है। हालांकि शोभन योग को एक शुभ योग माना जाता है। इसके अलावा गोवर्धन पूजा के दिन सुबह से ही अनुराधा नक्षत्र होगी।
गोवर्धन पूजा विधि
गोवर्धन पूजा के दिन सुबह जल्दी उठकर स्नानादि करें। फिर शुभ मुहूर्त में गाय के गोबर से गिरिराज गोवर्धन पर्वत की आकृति बनाएं और साथ ही पशुधन यानी गाय, बछड़े आदि की आकृति भी बनाएं। इसके बाद धूप-दीप आदि से विधिवत पूजा करें। भगवान कृष्ण को दुग्ध से स्नान कराने के बाद उनका पूजन करें। इसके बाद अन्नकूट का भोग लगाएं।
गोवर्धन पूजा का महत्व
गोवर्धन पूजा प्रकृति को समर्पित पर्व है। माना जाता है कि इस दिन भगवान श्रीकृष्ण ने इंद्रदेव का घमंड तोड़ा था और गोवर्धन पर्वत को अपनी कनिष्ठा उंगली पर गोवर्धन पर्वत को उठाकर ब्रजवासियों की जान बचाई थी । लोगों को प्रकृति की सेवा और पूजा करने का संदेश दिया था। ये दिन कार्तिक मास की शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा का दिन था। तभी से इस दिन गोवर्धन पर्वत की पूजा की जाती है और भगवान को सभी तरह की मौसमी सब्जियों से तैयार अन्नकूट का भोग लगाया जाता है। -
दीवाली पर माँ लक्ष्मी, सरस्वती एवं गणेशजी की पूजा की जाती है। इन दिन इन तीनों देवी-देवताओं की विशेष पूजा-अर्चना कर उनसे सुख-समृद्धि, बुद्धि तथा घर में शांति, तरक्की का वरदान माँगा जाता है। दीवाली पर देवी-देवताओं की पूजा में कुछ विशेष बातों का ध्यान रखा जाता है जो निम्न प्रकार हैं-
पूजन सामग्रीदीवाली पूजा के सामान की लगभग सभी चीजें घर में ही मिल जाती हैं। कुछ अतिरिक्त चीजों को बाहर से लाया जा सकता है। ये वस्तुएं हैं- लक्ष्मी, सरस्वती व गणेश जी का चित्र या प्रतिमा, रोली, कुमकुम, चावल, पान, सुपारी, लौंग, इलायची, धूप, कपूर, अगरबत्तियां, मिट्टी तथा तांबे के दीपक, रुई, कलावा (मौलि), नारियल, शहद, दही, गंगाजल, गुड़, धनिया, फल, फूल, जौ, गेहूँ, दूर्वा, चंदन, सिंदूर, घृत, पंचामृत, दूध, मेवे, खील, बताशे, गंगाजल, यज्ञोपवीत (जनेऊ), श्वेत वस्त्र, इत्र, चौकी, कलश, कमल गट्टे की माला, शंख, आसन, थाली, चांदी का सिक्का, देवताओं के प्रसाद हेतु मिष्ठान्न (बिना वर्क का)पूजन विधिदीवाली की पूजा में सबसे पहले एक चौकी पर सफेद वस्त्र बिछा कर उस पर माँ लक्ष्मी, सरस्वती व गणेश जी का चित्र या प्रतिमा को विराजमान करें। इसके बाद हाथ में पूजा के जलपात्र से थोड़ा-सा जल लेकर उसे प्रतिमा के ऊपर निम्न मंत्र पढ़ते हुए छिड़कें। बाद में इसी तरह से स्वयं को तथा अपने पूजा के आसन को भी इसी तरह जल छिड़ककर पवित्र कर लें।ॐ अपवित्र: पवित्रो वा सर्वावस्थां गतोपि वा।य: स्मरेत् पुण्डरीकाक्षं स: वाह्याभंतर: शुचि:॥इसके बाद माँ पृथ्वी को प्रणाम करके निम्न मंत्र बोलें तथा उनसे क्षमा प्रार्थना करते हुए अपने आसन पर विराजमान हों।पृथ्विति मंत्रस्य मेरुपृष्ठः ग ऋषिः सुतलंछन्दः कूर्मोदेवता आसने विनियोगः॥ॐ पृथ्वी त्वया धृता लोका देवि त्वं विष्णुना धृता।त्वं च धारय माँ देवि पवित्रं कुरु चासनम्॥पृथिव्यै नमः आधारशक्तये नमःइसके बाद "ॐ केशवाय नमः, ॐ नारायणाय नमः, ॐ माधवाय नमः" कहते हुए गंगाजल का आचमन करेंध्यान व संकल्पइस पूरी प्रक्रिया के बाद मन को शांत कर आँखें बंद करें तथा माँ को मन ही मन प्रणाम करें। इसके बाद हाथ में जल लेकर पूजा का संकल्प करें। संकल्प के लिए हाथ में अक्षत (चावल), पुष्प और जल ले लीजिए। साथ में एक रूपए (या यथासंभव धन) का सिक्का भी ले लें। इन सब को हाथ में लेकर संकल्प करें, कि मैं अमुक व्यक्ति अमुक स्थान व समय पर माँ लक्ष्मी, सरस्वती तथा गणेशजी की पूजा करने जा रहा हूं, जिससे मुझे शास्त्रोक्त फल प्राप्त हों। इसके बाद सबसे पहले भगवान गणेशजी व गौरी का पूजन कीजिए। तत्पश्चात कलश पूजन करें, फिर नवग्रहों का पूजन कीजिए। हाथ में अक्षत और पुष्प ले लीजिए, और नवग्रह स्तोत्र बोलिए। इसके बाद भगवती षोडश मातृकाओं का पूजन किया जाता है। इन सभी के पूजन के बाद 16 मातृकाओं को गंध, अक्षत व पुष्प प्रदान करते हुए पूजन करें। पूरी प्रक्रिया मौलि लेकर गणपति, माता लक्ष्मी व सरस्वती को अर्पण कर और स्वयं के हाथ पर भी बंधवा लें। अब सभी देवी-देवताओं के तिलक लगाकर स्वयं को भी तिलक लगवाएं। इसके बाद माँ महालक्ष्मी की पूजा आरंभ करें।माँ को रिझाने के लिए करें श्रीसूक्त, लक्ष्मीसूक्त व कनकधारा स्रोत का पाठ सबसे पहले भगवान गणेशजी, लक्ष्मीजी का पूजन करें। उनकी प्रतिमा के आगे 7, 11 अथवा 21 दीपक जलाएं तथा माँ को श्रृंगार सामग्री अर्पण करें। माँ को भोग लगा कर उनकी आरती करें। श्रीसूक्त, लक्ष्मीसूक्त व कनकधारा स्रोत का पाठ करें। इस तरह से आपकी पूजा पूर्ण होती है।क्षमा-प्रार्थनापूजा पूर्ण होने के बाद माँ से जाने-अनजाने हुए सभी भूलों के लिए क्षमा-प्रार्थना करें। उन्हें कहें- माँ न मैं आह्वान करना जानता हूँ, न विसर्जन करना। पूजा-कर्म भी मैं नहीं जानता। हे परमेश्वरि! मुझे क्षमा करो। मन्त्र, क्रिया और भक्ति से रहित जो कुछ पूजा मैंने की है, हे देवि! वह मेरी पूजा सम्पूर्ण हो। यथा-सम्भव प्राप्त उपचार-वस्तुओं से मैंने जो यह पूजन किया है, उससे आप भगवती श्रीलक्ष्मी प्रसन्न हों। (सभी आध्यात्मिक जानकारियों के लिये हमारे फेसबुक पेज श्रीजी की चरण सेवा के साथ जुड़े रहें।)दीपावली की लक्ष्मीजी की कथाहमारी लोक संस्कृति में दीपावली त्योहार और माता लक्ष्मी की बड़ी सौंधी सी कथा प्रचलित है। एक बार कार्तिक मास की अमावस को लक्ष्मीजी भ्रमण पर निकलीं। चारों ओर अंधकार व्याप्त था। वे रास्ता भूल गईं। उन्होंने निश्चय किया कि रात्रि वे मृत्युलोक में गुजार लेंगी और सूर्योदय के पश्चात बैकुंठधाम लौट जाएंगी, किंतु उन्होंने पाया कि सभी लोग अपने-अपने घरों में द्वार बंद कर सो रहे हैं।तभी अंधकार के उस साम्राज्य में उन्हें एक द्वार खुला दिखा जिसमें एक दीपक की लौ टिमटिमा रही थी। वे उस प्रकाश की ओर चल दीं। वहां उन्होंने एक वृद्ध महिला को चरखा चलाते देखा। रात्रि विश्राम की अनुमति माँग कर वे उस बुढ़िया की कुटिया में रुकीं।वृद्ध महिला लक्ष्मीदेवी को बिस्तर प्रदान कर पुन: अपने कार्य में व्यस्त हो गई। चरखा चलाते-चलाते वृद्धा की आंख लग गई। दूसरे दिन उठने पर उसने पाया कि अतिथि महिला जा चुकी है किंतु कुटिया के स्थान पर महल खड़ा था। चारों ओर धन-धान्य, रत्न-जेवरात बिखरे हुए थे।कथा की फलश्रुति यह है कि माँ लक्ष्मीदेवी जैसी उस वृद्धा पर प्रसन्न हुईं वैसी सब पर हों। और तभी से कार्तिक अमावस की रात को दीप जलाने की प्रथा चल पड़ी। लोग द्वार खोलकर लक्ष्मीदेवी के आगमन की प्रतीक्षा करने लगे।किंतु मानव समाज यह तथ्य नहीं समझ सका कि मात्र दीप जलाने और द्वार खोलने से महालक्ष्मी घर में प्रवेश नहीं करेंगी। बल्कि सारी रात परिश्रम करने वाली वृद्धा की तरह कर्म करने पर और अंधेरी राहों पर भटक जाने वाले पथिकों के लिए दीपकों का प्रकाश फैलाने पर घरों में लक्ष्मी विश्राम करेंगी। ध्यान दिया जाए कि वे विश्राम करेंगी, निवास नहीं। क्योंकि लक्ष्मी का दूसरा नाम ही चंचला है। अर्थात् अस्थिर रहना उनकी प्रकृति है।इस दीपोत्सव पर कामना करें कि राष्ट्रीय एकता का स्वर्णदीप युगों-युगों तक अखंड बना रहे। हम ग्रहण कर सकें नन्हे-से दीप की कोमल-सी बाती का गहरा-सा संदेश कि बस अंधकार को पराजित करना है और नैतिकता के सौम्य उजास से भर उठना है।न क्रोधो न च मात्सर्य न लोभो ना शुभामति:भवन्ति कृत पुण्यानां भक्तानां सूक्त जापिनाम्॥अर्थात् लक्ष्मी सूक्त का पाठ करने वाले की क्रोध, मत्सर, लोभ व अन्य अशुभ कर्मों में वृत्ति नहीं रहती। वे सत्कर्मों की ओर प्रेरित होते हैं।गणेश जी की आरतीजय गणेश जय गणेश जय गणेश देवा,माता जाकी पार्वती, पिता महादेवा॥१॥एक दंत दयावंत चार भुजाधारी।माथे पर तिलक सोहे, मुसे की सवारी॥२॥पान चढ़े फूल चढ़े और चढ़े मेवा।लड्डुवन का भोग लगे, संत करे सेवा॥३॥अंधन को आंख देत, कोढ़ियन को काया।बांझन को पुत्र देत, निर्धन को माया॥४॥सुर श्याम शरण आये सफल कीजे सेवा।जय गणेश देवा, जय गणेश जय गणेश॥५॥----------:::×:::----------लक्ष्मीजी की आरतीॐ जय लक्ष्मी माता मैया जय लक्ष्मी माता।तुमको निसदिन सेवत, हर विष्णु विधाता॥ॐ॥उमा, रमा, ब्रम्हाणी, तुम जग की माता।सूर्य चद्रंमा ध्यावत, नारद ऋषि गाता॥ॐ॥दुर्गारूप निरंजन, सुख संपत्ति दाता।जो कोई तुमको ध्याता, ऋद्धि सिद्धी धन पाता॥ॐ॥तुम ही पाताल निवासनी, तुम ही शुभदाता।कर्मप्रभाव प्रकाशनी, क्षभवनिधि की त्राता॥ॐ॥जिस घर तुम रहती हो, ताँहि में हैं सद्गुण आता।सब सभंव हो जाता, मन नहीं घबराता॥ॐ॥तुम बिन यज्ञ ना होता, वस्त्र न कोई पाता।खान पान का वैभव, सब तुमसे आता॥ॐ॥शुभ गुण मंदिर, सुंदर क्षीरनिधि जाता।रत्न चतुर्दश तुम बिन, कोई नहीं पाता॥ॐ॥महालक्ष्मी जी की आरती, जो कोई नर गाता।उर आंनद समाता, पाप उतर जाता॥ॐ॥----------:::×:::---------- -
-पं. प्रकाश उपाध्याय
12 नवंबर को दिवाली या दीपावली का त्योहार मनाया जाएगा। इस बार की दिवाली काफी खास और पुण्यदायक रहेगी। दिवाली पर लगभग 500 सालों के बाद पांच राज योग मिलकर अद्भुत महासंयोग बना रहे हैं। दिवाली पर गजकेसरी योग, सौभाग्य योग, आयुष्मान योग, बुधादित्य राजयोग और शश महापुरुष राजयोग का निर्माण होगा, जो शुक्र, शनि, चंद्रमा, गुरु और बुध की स्थिति के कारण बनेंगे। राजयोगों के निर्माण से दिवाली का दिन कुछ राशियों के लिए लाभदायक साबित होगी। इसलिए आइए जानते हैं दिवाली पर कौन सी राशियां लकी रहने वाली हैं-
मेष राशि
इस साल की दिवाली मेष राशि वालों के लिए बेहद ही लाभदायक मानी जा रही है। दिवाली पर बने राजयोग से आय में वृद्धि होने की संभावना है। जॉब कर रहे लोगों को अच्छा बोनस मिल सकता है। व्यापारियों के लिए दिन बेहद ही सुखद माना जा रहा है। सेहत और धन के मामले में भाग्यशाली रहने वाले हैं। पूरी श्रद्धा के साथ मां लक्ष्मी की पूजा करें।
धनु राशि
दिवाली पर बना पांच राजयोग का अद्भुत संयोग धनु राशि के लोगों के लिए फायदेमंद माना जा रहा है। आपको कोई शुभ समाचार प्राप्त हो सकता है। मां लक्ष्मी की कृपा से सुख-समृद्धि का आगमन होगा। दिवाली से ही आपके अच्छे दिनों की शुरुआत होगी। व्यापारियों के लिए दिन समृद्धि वाला माना जा रहा है।
मिथुन राशि
मिथुन राशि के लोगों के लिए इस बार की दिवाली बेहद ही खास रहने वाली है। आपको अपने किसी प्रिय परिजन या दोस्त से कोई उपहार मिल सकता है। नौकरी करने वालों का भाग्य साथ देगा। सेहत अच्छी रहेगी। वहीं, व्यापारियों को कोई बड़ा मुनाफा हाथ लग सकता है। मां लक्ष्मी का अभिषेक कच्चे दूध से करें। -
-पं. प्रकाश उपाध्याय
हिंदू धर्म को मानने वाले लोगों को दिवाली के त्योहार का बेसब्री से इंतजार रहता है। इस साल दिवाली या दीपावली 12 नवंबर 2023, रविवार को है। दिवाली के दौरान लोग अपने प्रियजनों को उपहार देते हैं और अपने घरों को रोशनी से सजाते हैं। दिवाली का त्योहार धनतेरस से प्रारंभ होकर भाईदूज के दिन समाप्त होता है। दिवाली के दिन शाम को शुभ मुहूर्त में महालक्ष्मी पूजा की जाती है। मां महालक्ष्मी, मां महाकाली और मां सरस्वती, मां लक्ष्मी के स्वरूप हैं जिनकी दिवाली के दौरान पूजा की जाती है। लक्ष्मी पूजा में कमल के फूल का बहुत महत्व है। जानें लक्ष्मी पूजा में कमल के फूल का महत्व-
लक्ष्मी पूजन में कमल के फूल का महत्व
अष्टकमल यानी आठ कमल के फूल मां लक्ष्मी को बहुत अतिप्रिय हैं। हिंदू पौराणिक कथाओं के अनुसार, मां लक्ष्मी का अवतार कमल के फूल से हुआ था। इसलिए लक्ष्मी पूजा के दौरान मां को आठ कमल के फूल चढ़ाए जाते हैं। अगर लक्ष्मी पूजा के दौरान कमल के फूल उपलब्ध नहीं हैं, तो भक्त मां लक्ष्मी को गुड़ भी चढ़ा सकते हैं।
लक्ष्मी पूजन मंत्र: ॐ श्रीं ह्रीं श्रीं कमले कमलालये प्रसीद प्रसीद।
श्रीं ह्रीं श्रीं ॐ महालक्ष्मी नमः॥
मां लक्ष्मी बीज मंत्र: लक्ष्मी बीज मंत्र एक शक्तिशाली मंत्र है जो जीवन से धन की कमी को दूर कर सकता है। मान्यता है कि मां लक्ष्मी को 8 कमल के फूल चढ़ाने और लक्ष्मी बीज मंत्र का जाप करने से भक्तों को कर्ज से मुक्ति मिलती है। ऐसा माना जाता है कि जब हम लक्ष्मी बीज मंत्र का जाप करते हैं तो बुद्धि तेज होती है और जीवन में सुख और समृद्धि का आगमन होता है।
दिवाली लक्ष्मी पूजन विधि:
1. सबसे पहले ईशान कोण या उत्तर दिशा में साफ-सफाई के बाद स्वास्तिक बनाएं। एक कटोरी चावल रखें। लकड़ी के पाट पर लाल कपड़ा बिछाएं और उस पर माता लक्ष्मी की मूर्ति या तस्वीर रखें। ध्यान रहे कि माता लक्ष्मी की तस्वीर में गणेश जी और कुबेर जी की भी तस्वीर रहे।
2. सभी मूर्तियों या तस्वीरों पर जल छिड़ककर पवित्र करें।
3. अब कुश के आसन पर बैठकर माता लक्ष्मी, भगवान गणेश और कुबेर जी को वस्त्र, आभूषण, गंध, पुष्प, धूप, दीप, अक्षत और अंत में दक्षिणा चढ़ाएं।
4. माता लक्ष्मी सहित सभी देवी-देवताओं के मस्तक पर हल्दी, रोली और चावल लगाएं।
5. पूजा करने के बाद भोग या प्रसाद चढ़ाएं।
6. अंत में खड़े होकर देवी-देवताओं की आरती उतारें। आरती करने के बाद उस पर जल फेर दें।
8. पूजा के बाद घर के आंगन और मेनगेट में दीये जलाएं। एक दीपक यम के नाम का भी जलाना चाहिए। - धनतेरस पर इस बार पांच विशेष महायोग पड़ने से यह त्योहार बेहद सुख समृद्धि भरा हैं। लगभग 59 वर्षों के बाद धनतेरस पर गजकेसरी योग, कतरी शश योग, हर्ष उभयचारी योग, दुर्धर योग, धनलक्ष्मी योग बन रहे हैं। जो कि त्योहार के हिसाब से बेहद उत्तम माने जा रहे हैं। 59 वर्ष बाद इस बार धनतेरस पर पांच विशेष योग बन रहे हैं। इसके अतिरिक्त शुक्रवार का दिन तथा चंद्रमा और शुक्र ग्रह के एक साथ गोचर करने से भी त्योहार पर अद्भुत संयोग बना रहे हैं।धनतेरस पर हस्त नक्षत्र का शुभ संयोग बन रहा है। इसमें महामुहूर्त पर जमकर खरीदारी होने की संभावना है।पौराणिक मान्यताओं के अनुसार का र्तिक कृष्णपक्ष त्रयोदशी भगवान विष्णु के अंशावतार और देवताओं के वैद्य भगवान धन्वन्तरि का समुद्र से प्राकट्य पर्व है। इस दिन आयुर्वेद के जन्मदाता भगवान धन्वंतरि की पूजन कर यम दीप प्रज्ज्वलित कर दान किया जाता है। इस पूजन से असामायिक मृत्यु भय से मुक्त होकर व्यक्ति सुख समृद्धि आरोग्यता को प्राप्त करता है।यह पर्व शिव-पार्वती व्रत पूजन प्रदोष व्यापिनी कोषाध्यक्ष कुबेर के पूजन विधि अनुसार मनाने का विधान है। पंचांग के अनुसार धनतेरस का शुभ मुहूर्त इस साल 10 नवंबर को दोपहर 11बजकर48 मिनट से शुरू होकर 11 नवंबर को दोपहर 1 बजकर 32 मिनट पर समापन होगा। इसलिए प्रदोष काल संध्या पूजन का विशेष महत्व है। 10 नवंबर को धनतेरस शुक्रवार को आ रहा है। इसे कामेश्वरी जयंती भी कहते हैं।कन्या राशि के चंद्रमा, धनतेरस पर्व पर सोना चांदी, इलेक्ट्रोनिक आयटम, वस्त्र, नौकरी-व्यावसायिक, वाहन, प्रापर्टी को इस दिन करने से सुख समृद्धि प्राप्त होती है।
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10 नवंबर को धनतेरस मनाया जाएगा। कार्तिक माह के कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि की शुरुआत शुक्रवार को दिन के 11:47 बजे से हो रही है। समापन शनिवार को दोपहर 1:13 बजे होगा। धनतेरस के दिन भगवान धनवंतरी, लक्ष्मी और कुबेर की पूजा की जाती है। इस दिन सोने, चांदी सहित घरेलू उपयोग की चीजें खरीदना शुभ माना जाता है। ऐसी मान्यता है कि इस दिन भूमि, भवन, वाहन सहित अन्य नए सामानों के खरीदने से घर में सुख-समृद्धि आती है।
भगवान कुबेर और लक्ष्मी को सफेद मिष्ठान का लगाएं भोग
-पं. प्रकाश उपाध्याय
धनतेरस पर खरीदारी का शुभ मुहूर्त 10 नवम्बर को दिन में 11:47 बजे से 11 नवम्बर दोपहर 1:13 बजे तक रहेगा। खरीदारी के लिए दोनों दिन को शुभप्रद माना गया है। इस अवधि में किसी भी समय पूजा की जा सकती है। धनतेरस के दिन भगवान धनवंतरी, मां लक्ष्मी और कुबेर की पूजा होती है। पूजा में घी का दीपक जलाएं और पुष्प, फल चढ़ाने के बाद पूजा शुरू करें। इस दौरान भगवान कुबेर और लक्ष्मी को सफेद मिष्ठान का भोग लगाएं। धन्वंतरी को पीले रंग के मिष्ठान का भोग लगाना चाहिए।
धनतेरस पूजन विधि
धनतेरस की शाम के समय उत्तर दिशा में कुबेर, धनवंतरी भगवान और मां लक्ष्मी की पूजा की जाती है। पूजा के समय घी का दीपक जलाएं। कुबेर को सफेद मिठाई और भगवान धनवंतरी को पीली मिठाई चढ़ाएं। पूजा करते समय कुबेर मंत्र का जाप करना चाहिए। फिर धनवंतरी स्तोत्र का पाठ करना चाहिए। इसके बाद भगवान गणेश और माता लक्ष्मी की पूजा करना चाहिए। माता लक्ष्मी और भगवान गणेश को भोग लगाएं और फूल चढ़ाना चाहिए। धनतरेस की शाम घर के बाहर मुख्य द्वार पर और आंगन में दीप जलाने की प्रथा भी है। शास्त्रों में वर्णित है की कार्तिक कृष्ण पक्ष त्रयोदशी की रात यम देवता का पूजन कर दक्षिण दिशा की ओर भेंट करता है उसे अकाल मृत्यु का भय नहीं रहता है। इसलिए इस दिन घर के बाहर दक्षिण दिशा की ओर दीप जलाकर रखा जाता है। -
-पंडित प्रकाश उपाध्याय
कुछ ही दिनों में दिवाली का त्योहार शुरू होने जा रहा है। 12 नवंबर के दिन दीपोत्सव का त्योहार पूरे जोरों-शोरों से मनाया जाएगा। दिवाली से पहले ही लोग साफ-सफाई शुरू कर देते हैं और तरह-तरह की चीजों से घर की सजावट करते हैं। वहीं, दिवाली पर मुख्य तौर पर मां लक्ष्मी की विधिवत पूजा की जाती है। वहीं, वास्तु दोष से बचने और धन वृद्धि के लिए घर से कुछ चीजों को बाहर निकाल देना ही बेहतर रहेगा।
1. वस्तु विद्या के मुताबिक, घर में बंद घड़ी का होना बैड लक का कारण बना सकता है। इसलिए दीवाली से पहले ही बंद घड़ी को सही करवा लें या घर से बाहर निकाल दें।
2. घर में सूखे और कांटेदार पेड़-पौधे नहीं रखना चाहिए। इससे घर में निगेटिव एनर्जी बढ़ती है और करियर क्षेत्र में दिक्कतें आनी शुरू हो जाती हैं।
3. लक्ष्मी माता का आशीर्वाद पाना चाहते हैं तो फटे पुराने कपड़े घर से बाहर निकाल दें।
4. घर के मंदिर में कभी भी देवी-देवताओं की जली या टूटी हुई मूर्तियां नहीं रखनी चाहिए। मंदिर में देवी देवताओं की फटी-कटी तस्वीर भी अशुभ माना जाता है।
5. खराब, पुराने ताले रखने से आर्थिक दिक्कतें परेशान कर सकती हैं। इसलिए दिवाली से पहले ही बिना चाबी वाले और खराब तालों को घर से बाहर निकाल दें।
6. कभी भी घर में टूटा हुआ कांच नहीं रखना चाहिए। ये नेगेटिव एनर्जी का सेंटर बनता है। वहीं, कांच में दरार आ जाने पर भी इसे बदलना या बाहर कर देना बेहतर रहेगा।
7. घर में टूटे-हुए बर्तन रखना भी अच्छा नहीं माना जाता है। इसलिए अगर आप गुड लक अट्रैक्ट करना चाहते हैं तो अपने घर में टूटे हुए बर्तन न रखें।
8. घर में मकड़ी के जाले दरिद्रता का कारण बन सकते हैं। ऐसा कहते हैं कि घर में जाले लग जाए तो व्यक्ति के भाग्य पर भी ताला लग जाता है।
9. आर्थिक दिक्कतों को दूर करना चाहते हैं तो पुराने जूते चप्पल भी घर में इकट्ठा करके न रखें।
10. महाभारत या फिर युद्ध की पेंटिंग घर में लगाना शुभ नहीं मानी जाती है। घर में ऐसी पेंटिंग लगाने से कलह-क्लेश का माहौल बनता है साथ ही परिवार के सदस्यों की सेहत भी प्रभावित हो सकती है।-Mobael No-9406363514
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कुंडली में राहु की अशुभ स्थिति के कारण जातक को जीवन में कई कष्टों का सामना करना पड़ता है। राहु के बुरे असर से जातक की मानसिक स्वास्थ्य प्रभावित होता है। मन अशांत रहा है। व्यक्ति अक्सर असंमजस की स्थिति में रहता है और सभी कार्यों में आत्मविश्वास की कमी महसूस होती है। इस स्थिति में रत्न शास्त्र में कई ऐसे रत्नों के बारे में बता गया है, जिसे धारण करने से व्यक्ति राहु दोष से मुक्ति मिलती है और जीवन में सुख-समृद्धि और खुशहाली आती है। चलिए जानते हैं इस खास रत्न के बारे में...
गोमेद रत्न: रत्न शास्त्र के अनुसार, गोमेद रत्न धारण करने से राहु के अशुभ दोषों से छुटकारा मिलता है। इस रत्न को पहनने से व्यक्ति सकारात्मक ऊर्जा से भरपूर रहता हैं और जातक में आत्मविश्वास की कमी नहीं होती है। इस रत्न को पहनने से मानसिक तनाव दूर होता है और कुंडली में राहु की स्थिति मजबूत होती है, जिससे तरक्की की राह में आने वाली बाधाएं दूर होती हैं। शत्रुओं से राहत मिलती है और जीवन में सुख-शांति बनी रहती है। मान्यता है कि गोमेद धारण करने से जातक को बुरी नजर भी नहीं लगती है। अगर आप भी इन समस्याओं से गुजर रहे हैं तो ज्योतिषाचार्य की सलाह लेकर गोमेद पहन सकते हैं।
गोमेद धारण करने के नियम
गोमेद हमेशा सिल्वर अंगूठी या पेंडेंट में धारण करना चाहिए।
इस रत्न को आर्दा, शतभिषा या स्वाति नक्षत्र में पहनना शुभ माना जाता है।
गोमेद पहनने से पहले शुक्रवार के दिन इसे गंगाजल, दूध और शहद के घोल में डाल दें।
शनिवार के दिन स्नानादि के बाद अंगूठी को साफ कपड़े से पोछ लें।
'ऊँ रां राहवे' मंत्र का 108 बार जाप करते हुए गोमेद अंगूठी मध्यमा उंगली में धारण कर लें। -
-पंडित प्रकाश उपाध्याय
ज्योतिष विद्या के अनुसार ग्रहों और राशियों का आंकलन करके व्यक्ति पर पड़ने वाले शुभ और अशुभ प्रभाव का पता लगाया जाता है। वहीं, हाथ में बनी रेखाओं से भी आप अपने भविष्य से जुड़ी कुछ जानकारियां हासिल कर सकते हैं। वहीं, हाथ पर कई रेखाएं और उभरे हुए हिस्से होते हैं, जिनसे कुछ विशेष योग का निर्माण भी होता है। ऐसा ही एक योग है शंख योग, जो बहुत ही लाभकारी माना जाता है। जब हथेली में अंगूठे का भाग यानी शुक्र पर्वत अच्छा होता है और वहां से कोई रेखा निकलकर सूर्य पर्वत की ओर और दूसरी रेखा शनि पर्वत पर जाकर मिलती है तब इससे शंख योग का निर्माण होता है।
हथेली में शंख योग के लाभ
व्यक्ति की हथेली पर शंकर योग बना बेहद ही शुभकारी माना जाता है। ऐसे लोग अपने जीवन में सफलता की ऊंचाइयां हासिल करते हैं। इन्हें जीवन में खूब मान-सम्मान भी मिलता है। जिस व्यक्ति के हाथ में ये योग होता है, उसे जीवन में धन-धान्य की कमी नहीं रहती है। वहीं, ऐसे लोग मुश्किल परिस्थितियों को अच्छे से संभालना जानते हैं। जिन व्यक्तियों की हथेली में शंख योग का निर्माण होता है, उन्हें अच्छे जीवनसाथी मिलते हैं। ऐसे लोगों का पूजा-पाठ करने में भी मन लगता है।
पाते हैं सफलता
हथेली में शंख योग बनने से व्यक्ति को हर क्षेत्र में सफलता हासिल होती है। चाहे वह निजी जीवन हो या प्रोफेशनल लाइफ, शंख योग बनने के कारण किसी भी काम को ये सरलता और निपुणता के साथ पूरा करते हैं। ऐसे व्यक्ति अपनी बातों के जरिये लोगों का मन मोह लेते हैं। - हिंदू धर्म में दिवाली के त्योहार बड़े धूमधाम से मनाया जाता है। दिवाली के कुछ दिन पहले से ही घर की साफ-सफाई शुरू हो जाती है। धार्मिक मान्यता है कि साफ-सुथरे घर में मां लक्ष्मी का वास होता है।इस साल 12 नवंबर को दिवाली मनाई जाएगी। दिवाली के दिन क्लीनिंग का ध्यान रखने के साथ घर की सजावट में फेंगशुई की कुछ खास बातों का ध्यान रखना चाहिए। मान्यता है कि फेंगशुई के इन नियमों का पालन करने से मां लक्ष्मी प्रसन्न होती है,जिससे घर में सुख-समृद्धि और खुशहाली आती है। परिवार के किसी भी सदस्यों को धन की तंगी का सामना नहीं करना पड़ता है और सभी कार्यों में सफलता मिलती है। आइए जानते हैं कि दिवाली के डेकोरेशन के दौरान फेंगशुई के किन नियमों का पालन करना चाहिए?मुख्यद्वार और प्रवेशद्वार की सजावट:दिवाली की सजावट के दौरान प्रवेश द्वार पर आम के पत्तों का बंदनवार लगाएं और मां लक्ष्मी के पद चिन्ह लगाएं। इसके अलावा मुख्य द्वार पर स्वास्तिक जरूर बनाएं।मोरपंख लगाएं:फेंगशुई के अनुसार, दिवाली के दिन मोरपंख से पूजा-स्थल की सजावट करने से घर में सुख-समृद्धि आती है। मोर पंख को घर के दक्षिण पूर्व दिशा में रखना शुभ माना जाता है।कछुआ:दिवाली के दिन घर के मंदिर में धातु से निर्मित फेंगशुई कछुआ स्थापित कर सकते हैं। मान्यता है कि ऐसा करने से घर में बरकत आती है और जातक को कभी धन की तंगी नहीं रहती है।पिरामिड रखें:दिवाली के दिन आप घर में पिरामिड रख सकते हैं। मान्यता है कि घर में तांबे या पीतल का पिरामिड रखने से आर्थिक स्थिति में सुधार आता है। धन को लेकर समस्याएं दूर होती हैं।क्लीनिंग टिप्स:दिवाली के दिन घर के ईशान कोण और ब्रह्म स्थान की साफ-सफाई का खास ध्यान रखना चाहिए। इन जगहों पर कोई भी चीज बिखरी हुई नहीं होनी चाहिए और ना ही कोई गंदगी होनी चाहिए।
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-पंडित प्रकाश उपाध्याय
आर्थिक रूप से समृद्ध रहने के लिए आपको घर में वास्तु का विशेष ध्यान रखना चाहिए। अघर आपके घर में वास्तु के हिसाब से चीजें नहीं हैं, तो इसकी वजह से कई दिक्कतें आ सकती हैं। ऐसा माना जाता है कि घर पर सुबह के समय वास्तु के हिसाब से काम करने से पॉजिटिव एनर्जी आती हैं और इससे आपको आर्थिक लाभ भी होता है। अगर आप सुबह के समय घर पर वास्तु के हिसाब से कुछ काम नहीं करते हैं, तो इससे कई नुकसान हो सकते हैं। अगर आप अपने जीवन से नेगेटिव एनर्जी को खत्म करना चाहते हैं और आर्थिक रूप से खुद को मजबूत बनाना चाहते हैं, तो सुबह नहाने के बाद घर पर ये काम जरूर करें। ऐसा करने से आपको धन लाभ होता है और जीवन में शांति बनी रहती है।
घर पर नहाने के बाद वास्तु के हिसाब से काम करने से आपको कई फायदे मिलते हैं। अगर आप नहाने के बाद वास्तु के हिसाब से काम करते हैं, तो इससे आपके जीवन में धनलाभ होता है और पॉजिटिव एनर्जी बनी रहती है। सुबह नहाने के बाद हिंदू धर्म के लोग अपने आराध्य भगवान की पूजा जरूर करते हैं। अगर आप सुबह स्नान करने के बाद ये काम करते हैं, तो आपको धन लाभ होगा और जीवन में शांति बनी रहेगी-
सुबह स्नान करने के बाद घर में गंगाजल से छिड़काव करना बहुत शुभ माना जाता है। सुबह स्नान करने के बाद घर में गंगाजल का छिड़काव करने से घर में सुख समृद्धि बनी रहती है। स्नान के बाद घर के मुख्य द्वार पर गंगाजल का छिड़काव करने से आर्थिक हानि नहीं होती है और सकारात्मक एनर्जी का प्रवाह होता है।
स्नान करने के बाद घर में हल्दी का छिड़काव करने से सकारात्मक ऊर्जा का प्रवाह होता है और शांति बनी रहती है। अगर आप घर में सुख और समृद्धि चाहते हैं, तो नहाने के बाद घर के मुख्य द्वार पर हल्दी के पानी का छिड़काव करना चाहिए।
घर में सुख समृद्धि बनाए रखने के लिए सुबह स्नान करने के बाद नमक पानी का छिड़काव करना चाहिए। ऐसा करने से घर में नकारात्मक ऊर्जा नहीं रहती है और धन लाभ होता है। -
-पंडित प्रकाश उपाध्याय
हथेलियों पर बनने वाले कई शुभ योग जातक के धन-संपन्न और खुशहाल जीवन का संकेत देते हैं। मान्यता है कि हथेलियों पर मौजूद यह रेखाएं ऐसे शुभ योग का निर्माण करती हैं, जिससे जातक के धन और सुख-सौभाग्य में खूब वृद्धि होती है और ऐसे लोगों को जीवन में कभी धन की तंगी का सामना नहीं करना पड़ता है। व्यक्ति अचल संपत्ति का मालिक होता है और समाज में उन्हें खूब मान-सम्मान मिलता है।
हथेलियों पर बनने वाले बेहद शुभ योग के बारे में जानते हैं---
अमला योग
हथेली पर सूर्य, चंद्रमा और शुक्र पर्वत ऊंचा होने के साथ चंद्र पर्वत से कोई रेखा बुध पर्वत तक जाने पर अमला योग बनता है। मान्यता है कि जिन लोगों की हथेली पर अमला योग बनता है वह भौतिक सुख-संपदा का मालिक होता है और समाज में उसकी खूब यश-कीर्ति बढ़ती है।
लक्ष्मी योग
मान्यता है कि जिन लोगों की हथेली पर शुक्र पर्वत पर कमल का निशान बनता है, उसे लक्ष्मी योग कहा जाता है। ऐसे लोग आर्थिक मामलों में बहुत भाग्यशाली होते हैं। इनके पास कभी भी धन-वैभव की कमी नहीं होती है और जीवन सुखमय व्यतीत होता है।
भाग्य योग
हथेलियों पर भाग्य रेखा लंबी और स्पष्ट हों। साथ ही भाग्य रेखा की शुरुआत चंद्र पर्वत या गुरु पर्वत से हो, तो ऐसे लोगों की हथेली पर भाग्य योग बनता है। मान्यता है कि हथेली पर भाग्य योग बनने से जातक को कार्य-व्यापार में अपार सफलता मिलती है और वैवाहिक जीवन में खुशहाली रहती है।
गजलक्ष्मी योग
यदि हथेली की भाग्य रेखा मणिबंध से शुरू होकर शनि पर्वत तक जाती है। साथ ही सूर्य रेखा बिल्कुल स्पष्ट और गहरी हो, तो इस योग को गजलक्ष्मी योग कहा जाता है। मान्यता है कि हथेली पर गजलक्ष्मी योग बनने से व्यक्ति अपने जीवन में खूब तरक्की करता है और अकूत संपत्ति का मालिक होता है। -
-पंडित प्रकाश उपाध्याय
शादीशुदा महिलाएं करवा चौथ का व्रत अपनी सुहाग की सलामती के लिए रखती हूं इस साल करवा चौथ का व्रत 1 नवंबर यानि बुधवार के दिन रखा जाएगा। करवा चौथ का निर्जला व्रत का पारण चंद्रमा को अर्घ्य देने के बाद किया जाता है। वहीं, करवा चौथ की पूजा के दौरान करवा चौथ की कथा का पाठ करना बेहद जरूरी माना जाता है। इसलिए लिए जानते हैं करवा चौथ की पूजा का शुभ मुहूर्त और करवा चौथ की कथा-
करवा चौथ पर दुर्लभ संयोग
करवा चौथ पर 3 शुभ योग का इस साल निर्माण होगा। शिव योग, सर्वार्थ सिद्धि योग और परिघ योग के शुभ संयोग में करवा चौथ मनाया जाएगा। सुबह 6:32 से सर्वार्थ सिद्धि योग की शुरुआत होगी, जो अगले दिन सुबह 4:34 तक रहेगा। वहीं, 2 बजकर 05 मिनट तक दोपहर के समय परिघ योग रहेगा, जिसके बाद से शिव योग की शुरुआत हो जाएगी। शिव योग अगले दिन तक रहने वाला है। करवा चौथ के दिन इस साल मृगशिरा नक्षत्र का निर्माण भी होगा।
करवा चौथ मुहूर्त
कार्तिक कृष्ण पक्ष चतुर्थी तिथि की शुरुआत: रात 09:30, 31 अक्टूबर 2023 से
कार्तिक कृष्ण पक्ष चतुर्थी तिथि का समापन: रात 09:19, 01 नवंबर 2023 तक
पूजा का शुभ मुहूर्त: शाम 05:44 से रात 07:02 तक, 01 नवंबर
करवा चौथ पर चांद निकालने का समय: रात 08:26, 01 नवंबर
करवा चौथ व्रत कथा
एक साहूकार के 7 लड़के और 1 लड़की थी। कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि पर सेठानी, उसकी बहुओं और बेटी ने करवा चौथ का व्रत रखा था। रात के दौरान साहूकार के लड़के भोजन करने लगे तो उन्होंने अपनी बहन से भी भोजन करने का आग्रह किया। फिर बहन ने अपने भाई को बताया की आज उसने करवा चौथ का व्रत रखा है और चंद्रमा को अर्घ्य देकर ही व्रत का पारण कर सकती है। भाइयों से अपनी बहन की ये हालत देखी नहीं जा रही थी। फिर सबसे छोटा भी दूर पेड़ पर एक दीपक जलाकर चलनी की ओट में रख देता है। वो दीपक ऐसा प्रतीत होता जैसे की चतुर्थी का चांद हो। उसे देख कर सातों भाइयों की एकलौती बहन अर्घ्य देकर भोजन करने बैठ जाती है। जैसे ही वह पहला टुकड़ा मुंह में डालती है, उसे छींक आ जाती है। दूसरा टुकड़े में बाल निकल आता है और तीसरा टुकड़ा मुंह में डालती है तभी पति के मौत की खबर उसे मिलती है। वह बेहद दुखी हो जाती है।
तब उसकी भाभी सच्चाई बताती है कि उसके साथ ऐसा क्यों हुआ। व्रत गलत तरीके से टूटने के कारण देवता उससे नाराज हो गए हैं। इस पर करवा संकल्प लेती है कि वह अपने पति का अंतिम संस्कार नहीं करेगी और अपने सतीत्व से उन्हें पुनर्जीवित करके रहेगी। वह पूरे एक साल तक अपने पति के शव के पास बैठी रहती है और देखभाल करती है। उसके ऊपर उगने वाली सूईनुमा घास को वह इकट्ठा करती जाती है।
एक साल बाद फिर चौथ का दिन जब आता है तब वह व्रत रखती है और शाम को सुहागिनों से अनुरोध करती है कि 'यम सूई ले लो, पिय सूई दे दो, मुझे भी अपनी जैसी सुहागिन बना दो' लेकिन हर कोई मना कर देती है। आखिर में एक सुहागन उसकी बात मान लेती है। इस तरह से उसका व्रत पूरा होता है और उसके सुहाग को नए जीवन का आर्शिवाद मिलता है। करवा चौथ की कथा को अलग-अलग तरीकों से कई सुहागिन महिलाएं करवा चौथ के दिन पढ़ती हैं। -
-पंडित प्रकाश उपाध्याय
हिंदू धर्म में कार्तिक मास का बहुत महत्व है. इस माह को सर्वश्रेष्ठ माना गया है. इस माह में हिंदू धर्म के सभी प्रमुख त्योहार पड़ते हैं. आइये जानते हैं आखिर ये मास इतना खास और विशेष क्यों है.
कार्तिक मास को स्नान के विए बहुत विशेष माना गया है. इस माह में किसी भी पवित्र नदी में स्नान करना बहुत फलदायी होता है. साल 2023 में कार्तिक मास की शुरुआत 29 अक्टूबर 2023, रविवार के दिन से शुरु हो रही है. कार्तिक मास 27 नंवबर तक चलेगा. कार्तिक मास का समापन कार्तिक पूर्णिमा के दिन होता है. इस दिन लोग विशेष तौर पर गंगा में स्नान करने जाते हैं.
कार्तिक मास का महत्व
हिंदू धर्म में कार्तिक मास का बहुत विश्ष महत्व है. इस मास में श्री विष्णु जी के साथ तुलसी की भी पूजा अर्चना की जाती है. इस मास में स्नान, दान, दीप करने से कष्टों से छुटकारा मिलता है. पूरे कार्तिक के महीने में सुबह जल्दी उठकर स्नान करने से विशेष फल की प्राप्ति होती है.
कार्तिक मास क्यों है विशेष
कार्तिक मास में तामसिक भोदन का सेवन नहीं करना चाहिए. इस माह में प्याज, लहसुन,मांस और मदिरा का सेवन बिलकुल नहीं करना चाहिए, कार्तिक का महिना पूजा के लिए बेहदशुभ माना जाता है. इस मास में लक्ष्मी जी कृपा प्राप्त करने का समय होता है. कार्तिक मास चातुर्मास का आखिरी और चौथा महिना होता है. कार्तिक मास में स्नान, दान, पूजा-पाठ का विशेष पहत्व है. इसीलिए इस माह में नियमों का पालन अवश्य करना चाहिए.
कार्तिक मास में पड़ने वाले प्रमुख त्योहार
करवाचौथ
अहोई अष्टमी
रामा एकादशी
धनतेरस
काली चौदस
दिवाली
कार्तिक अमावस्या
गोवर्धन पूजा
भाई दूज
छठ पूजा
गोपा अष्टमी
देवउठनी एकादशी
तुलसी विवाह
देव दिवाली
कार्तिक पूर्णिमा - बालोद से पंडित प्रकाश उपाध्यायइस महीने 30 अक्तूबर को राहु और केतु अपना राशि परिवर्तन करने वाले हैं। राहु इस समय मेष राशि में बृहस्पति के साथ विराजमान होकर गुरु चांडाल योग का निर्माण कर रहे हैं और 30 अक्तूबर को मेष राशि से निकलकर मीन राशि में प्रवेश करेंगे। राहु एक मायावी ग्रह है और हमेशा वक्री गति से ही चलता है। आइए जानते हैं राहु के इस राशि परिवर्तन से 12 राशियों पर क्या प्रभाव पड़ेगा....मेष राशिमेष राशि के जातकों के लिए राहु का गोचर अब द्वादश भाव से होगा। इस भाव से मनुष्य के खर्चे, हानि, एकांत, आध्यात्मिक यात्रा और कारावास का विचार किया जाता है। राहु के इस गोचर के दौरान जातक के शत्रु गुप्त साजिश करेंगे। इस समय खर्च अत्यधिक बढ़ जाएंगे और आमदनी सीमित मात्रा में ही रहेगी। अगर जातक दिल से जुड़ी बीमारी से पीडि़त है तो इस गोचर में जातक को सावधान रहना होगा। शरीर में चोट भी लग सकती है। इसके अलावा वैवाहिक जीवन में भी राहु के कारण थोड़े तनाव की स्थिति दिखाई पड़ रही है।वृषभ राशिराहु के इस गोचर से वृष राशि के जातक लंबे समय से जिस योजना पर काम कर रहे हैं वह अब फलीभूत होने की कगार पर होगी। राहु के इस गोचर से अनियंत्रित खर्चों पर लगाम लगेगी। परिवार में मांगलिक कार्यों का आयोजन होगा। स्वास्थ्य की दृष्टि से भी राहु का यह गोचर अनुकूल रहेगा। वृष राशि के जातक राहु के इस गोचर में किसी नए कार्य का शुभारंभ कर सकते हैं। अगर आप काफी समय से अपने किसी बिजनेस पार्टनर के साथ कोई नई कंपनी खोलना चाहते थे तो अब यह संभव हो जाएगा। राहु के इस गोचर में आप संपत्ति का क्रय भी कर सकते हैं।मिथुन राशिमिथुन राशि के जातकों के लिए राहु के इस गोचर से कार्यस्थल पर प्रभाव पड़ेगा। भाग्य में वृद्धि होगी और प्रमोशन भी किया जा सकता है। राजनीति और सरकारी सेवा में कार्यरत जातकों के लिए राहु का गोचर बढिय़ा रहेगा। राजनीति में मान और सम्मान बढ़ेगा। अगर आप पैतृक व्यवसाय संभाल रहे हैं तो राहु आपके धन की वृद्धि करने वाला होगा। हालांकि इस समय आपको अपनी वाणी में थोड़ी मधुरता रखनी होगी । राहु के प्रभाव से आपके शत्रु बलहीन हो जाएंगे और आप उन पर विजय प्राप्त करेंगे। अगर आप कार्य क्षेत्र बदलना चाहते हैं तो राहु के प्रभाव से ऐसा संभव है।कर्क राशिकर्क राशि के जातकों के लिए राहु का गोचर नवम भाव यानी कि धर्म के भाव से होगा। राहु के इस गोचर काल में जातक की संगत कुछ गलत लोगों की हो सकती है इसलिए सज्जनों की संगति करें और अपने आसपास के माहौल पर नजर बना कर रखें। किसी भी मित्र पर अत्यधिक भरोसा करना हानिकारक साबित हो सकता है। इस गोचर काल में आपके साहस और पराक्रम में वृद्धि होगी। यात्राओं से आपको लाभ होगा ,जनसंचार से जुड़े मामलों में फायदा होगा और शेयर मार्केट में भी आप अच्छा पैसा बनाने में सफल रहेंगे। जो छात्र रिसर्च में लगे हुए हैं उनके लिए भी राहु सफलता के नए रास्ते खोलने वाला होगा।सिंह राशिराहु के इस गोचर के कारण सिंह राशि के जातकों को आर्थिक संबंधी दिक्कतों का सामना करना पड़ सकता है। इस समय आपको विशेष रूप से सलाह दी जाती है कि अपने ससुराल पक्ष के साथ किसी भी प्रकार का कोई आर्थिक लेनदेन न करें और किसी को अधिक धन उधार भी नहीं दें। राहु के इस गोचर के दौरान आपको अपनी वाणी पर विशेष ध्यान रखना होगा। खासतौर से अगर आप जनसंचार के क्षेत्र में काम कर रहे हैं। व्यापारी वर्ग के लिए राहु का गोचर आय के नए रास्ते खोलने वाला होगा राहु का यह गोचर आपकी नौकरी में परिवर्तन का भी संकेत कर रहा है। स्वास्थ्य संबंधी कठिनाइयों से आपका सामना हो सकता है। इस दौरान अपनी आंखों का और अपने कंधों का विशेष रूप से ख्याल रखें।कन्याकन्या राशि के जातकों के लिए राहु का गोचर सप्तम भाव से यानी की पत्नी और साझेदारी के भाव से होगा। इस भाव में विराजमान राहु की दृष्टि आपके लाभ स्थान आपके लग्न स्थान और आपके तीसरे भाव पर होगी। राहु का यह गोचर आपके लिए शुभ और अशुभ दोनों प्रभाव देने वाला रहेगा। इस समय आपको अपनी पत्नी की सेहत को लेकर सावधान रहने की आवश्यकता है। आपको सलाह दी जाती है कि आपका वैवाहिक जीवन में आप किसी भी तनाव को उपस्थित नहीं होने दें। और ससुराल पक्ष के साथ किसी भी प्रकार का कोई लेनदेन नहीं करें। व्यापारी वर्ग के लिए राहु का यह गोचर नई कंपनी शुरू करने वाला, धन की व्यवस्था करवाने वाला और आय में वृद्धि करने वाला रहेगा। इस समय आपके मित्र आपके लिए फायदेमंद साबित होंगे। हालांकि राहु की दृष्टि लग्न भाव पर भी आ रही है इसलिए कार्यों में देरी होना और शरीर में आलस की वृद्धि होना यह दो अवगुण आपके चरित्र में देखे जा सकते हैं। अगर परिवार में कोई पैतृक संपत्ति का विवाद चल रहा था ,अगर भाई बहनों के साथ कोई मनमुटाव था तो राहु का यह गोचर आपको उन सब मामलों से बाहर निकलने का काम करेगा। आपका जीवन एक नई व्यवस्था में जाएगा। हालांकि उस व्यवस्था को स्वीकार करने में आपको समय लगेगा लेकिन अंततोगत्वा राहु के इस गोचर से आपके जीवन में सकारात्मक परिणाम आएंगे जो भविष्य में आपके लिए सुखद होंगे।तुला राशिराहु का गोचर तुला राशि के जातकों के लिए सबसे पहले तो उनकी नौकरी को बदलवाने का काम करेगा। इसके अलावा आपके वैवाहिक जीवन में जो तनाव, निराशा और अंधकार के बादल थे वह धीरे-धीरे हट जाएंगे। आपको बृहस्पति का शुभ फल प्राप्त होगा। राहु के इस गोचर से आप अपने शत्रुओं का संपूर्ण नाश करने में समर्थ होंगे और स्वास्थ्य की दृष्टि से भी यह गोचर अच्छा होगा। कार्यस्थल पर आपका मान सम्मान होगा। अगर आप लेखक हैं, मीडिया से जुड़े हुए हैं या फिर राजनीतिक सलाहकार हैं तो भी राहु का यह गोचर आपकी बुद्धि में वृद्धि करेगा। तुला राशि के जातकों को राहु के इस गोचर से कुछ ऐसे स्थानों से भी धन प्राप्त हो सकता है जिसकी आपने कभी उम्मीद नहीं की होगी।वृश्चिक राशिवृश्चिक राशि के जातकों के लिए राहु के इस गोचर के कारण आपको अपने प्रेम संबंधों में बहुत समझदारी के साथ आगे बढऩा होगा। विद्यार्थी वर्ग को अपनी संगत की ओर ध्यान देना होगा। अगर आप शेयर मार्केट में पैसा लगाते हैं तो किसी फाइनेंस एक्सपर्ट की सलाह पर ही पैसा लगाए। इस समय आपके कार्यों में आपको थोड़ी रुकावट महसूस होगी। भाग्य का साथ आपको काम मिलेगा हालांकि व्यापारी वर्ग के लिए राहु का यह गोचर एक से अधिक स्रोत बनाने का कार्य भी कर सकता है। अगर आपके पारिवारिक जीवन के लिहाज से देखें तो राहु का यह गोचर थोड़ा मानसिक कष्ट देता हुआ दिखाई पड़ रहा है।धनु राशिराहु के इस गोचर के कारण धनु राशि के जातकों के मानसिक कष्ट में वृद्धि हो सकती है। छोटी-छोटी बातों को लेकर आप अत्यधिक गहन चिंतन में जा सकते हैं जिसके कारण आपकी मानसिक शक्ति पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ेगा। अष्टम भाव पर राहु की दृष्टि वैवाहिक और व्यापारिक दृष्टि से उचित नहीं जान पड़ती। राहु के गोचर के कारण अचानक से कोई स्वास्थ्य कष्ट या कोई दुर्घटना जैसी चीज सामने आ सकती है। अगर आप आयात निर्यात से जुड़े हैं तो आपको मुनाफे में कमी दिखाई पड़ सकती है। राहु के इस गोचर के कारण आपका पारिवारिक माहौल तनावपूर्ण हो सकता है।मकर राशिराहु का यह गोचर मकर राशि के जातकों के जीवन में बहुत अत्यधिक बदलाव लेकर के आने वाला है। इस समय आपकी यात्राएं अधिक होगी और उन यात्राओं से लोग आपको पहचानेंगे, आपका सम्मान होगा और आपके लेखन में एक अलग ही प्रकार का रस उत्पन्न हो जाएगा। जिन जातकों का विवाह नहीं हुआ है उनके विवाह की संभावनाएं बनेगी। आपके जनसंचार और वाणी कौशल में एक अभूतपूर्व विस्तार राहु का यह गोचर देने वाला है। राहु का यह गोचर धार्मिक दृष्टि से भी आपके जीवन में परिवर्तन लाने वाला होगा।कुंभ राशिराहु के गोचर के कारण इस राशि के जातक को पारिवारिक संपत्ति प्राप्त होने के योग दिखाई दे रहे हैं। हालांकि, आपको अपने व्यवहार में थोड़ी और अधिक कार्य कुशलता लाने की आवश्यकता है। काफी समय से आपके शत्रु आपको परेशान कर रहे थे तो राहु की कृपा से आप अपने शत्रुओं का मर्दन करने में समर्थ होंगे। हालांकि, हृदय रोग से जुड़ी कोई बीमारी अगर आपको है तो आपको उसमें सावधान रहना होगा। राजनीति ,मीडिया, जनसंचार सिनेमा और लेखन से जुड़े लोगों को राहु अच्छा खासा फायदा देने वाला है। खासतौर से अगर आप लेखक हैं तो इस समय आपकी किताब प्रकाशित भी हो सकती है और उससे आपको अच्छी खासी प्रसिद्धि भी प्राप्त होगी।मीन राशिराहु के गोचर के कारण इस राशि के जातकों को यात्राओं से प्रसिद्धि प्राप्त होगी। आपको अपने भाइयों और मित्रों से धन प्राप्त होगा और सरकारी नौकरी की तैयारी कर रहे जातकों को सफलता प्राप्त होने की उम्मीद है। जिन लोगों का विवाह नहीं हो रहा है उनके विवाह होने की संभावना बनेगी। आपके जीवन में कर्म और धर्म का एक अद्भुत मेल होगा और धार्मिक यात्राओं में साधु संतों की संगत आपको अपने जीवन के प्रति एक नए नजरियों को देने का कार्य करेगी। अपनी पत्नी के साथ कहीं बाहर घूमने के लिए भी जा सकते हैं । वैवाहिक जीवन में भी खुशियों का संचार होगा और आनंदमय जीवन रहेगा।