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पंडित प्रकाश उपाध्याय से जानें आज का स्वास्थ्य राशिफल, जानें सेहत के लिहाज से कैसा रहेगा आज का दिन
मेषआज के दिन आपका स्वास्थ्य बहुत अच्छा रहेगा। आज कोई बड़ी बीमारी परेशानी का कारण नहीं बनने वाली है। शायद आज आपको सिर में दर्द और शरीर में हल्का दर्द हो सकता है।वृषभआपको सबसे पहले अपने स्वास्थ्य का ध्यान रखना चाहिए। इस राशि कुछ लोगों को आज पेट में संक्रमण और सीने में तकलीफ़ की शिकायत हो सकती है।मिथुनमिथुन राशि के जातकों को सुबह की सैर के दौरान सावधानी बरतनी चाहिए। आपको अपने जीवन में ज्यादा स्ट्रेस लेने की जरूरत नहीं है। आज आपको पर्याप्त मात्रा में पानी पीना चाहिए।कर्ककर्क राशि के कुछ लोगों को आज सांस लेने में कठिनाई हो सकती है। वहीं, कुछ लोग आज पाचन संबंधी समस्याओं और सीने में तकलीफ की शिकायत कर सकते हैं।सिंहआज के दिन आपको स्वास्थ्य संबंधी चिंताओं को धीरे-धीरे पीछे छोड़ना है। सिंह राशि के लोग सांस संबंधी समस्याओं और के साथ ही शरीर से जुड़ी अन्य समस्याओं के शिकार हो सकते हैं।कन्याआपका आज का दिन बेहतर बीत सकता है बसर्ते आपको इसके लिए जंक और प्रोसेस्ड फूड्स को पूरी तरह से त्यागना पड़ेगा। साथ-साथ धूम्रपान से बचें और पर्याप्त मात्रा में पानी पिएं।तुलाआज के दिन आपको कुछ छोटी-मोटी बीमारियां परेशान कर सकती हैं। इसके लिए खांसी, माइग्रेन या गले में दर्द की समस्या हो सकती है।वृश्चिकइस राशि की गर्भवती महिलाओं के लिए एडवेंचर स्पोर्ट्स करना आज के लिए वर्जित हैं। आज के दिन सीढ़ियां चढ़ते समय आपको सावधान रहना चाहिए। धनुधनुधनु राशि के कुछ लोगों को आज हार्ट से जुड़ी परेशानियों से पीड़ित हो सकते हैं। आपको अपने खान-पान का बहुत ध्यान रखना चाहिए। आज के दिन शराब से दूर रहें।मकरआज के दिन आपको गले या कान के संक्रमण से होकर गुजरना पड़ सकता है। आज के दिन शराब से दूर रहें और देर रात तक गाड़ी चलाने से बचें।कुंभआज के दिन आपको अपनी शारीरिक गतिविधियों पर ध्यान देने की जरूरत है। इस राशि की महिलाओं को पीठ दर्द या माइग्रेन की समस्या हो सकती है।मीनमीन राशि के लोगों को सुबह जल्दी उठकर बाहर टहलना चाहिए ताकि ताजी और शुद्ध हवा में उन्हें मानसिक शांति मिल सके। - पुरी के तर्ज पर कलानगरी सरायकेला में आयोजित होने वाली प्रभु जगन्नाथ के रथ यात्रा की तैयारी अंतिम चरण में है। प्रभु जगन्नाथ के आकर्षक रथ का निर्माण कार्य किया जा रहा है। यहां 7 जुलाई को रथयात्रा होगी जो पुरी (ओड़िशा) के तर्ज पर प्रभु जगन्नाथ, भाई बलभद्र व बहन सुभद्रा रथ पर आरूढ़ होकर मौसीबाड़ी रवाना होंगे। यहां रथयात्रा तथा पूजा परंपरा पुरी की विश्वविख्यात रथयात्रा के तर्ज पर ही आयोजित होती है। रथ यात्रा के मौसी बाड़ी जाने तथा लौटने के क्रम में बीच रास्ते में एक दिन बड़दांडो में विश्राम करने की परंपरा यहां के रथयात्रा को अन्य रथयात्रा से काफी अलग रुप में प्रदर्शित करता है।एकांतवास में प्रभु का चल रहा है उपचार : स्नान पूर्णिमा पर अत्यधिक स्नान से प्रभु जगन्नाथ, बलभद्र व देवी सुभद्रा बीमार होकर एकांतवास में चले गये हैं। इसके बाद उन्हें मन्दिर के अणसर गृह में रखा गया है जहां महाप्रभु की गुप्त सेवा की जा रही है। सेवायतों द्वारा मंदिर के अणसर गृह में पूजा-अर्चना के साथ फल-मूल का भोग लगाया जा रहा है साथ ही देसी नुस्खे से महाप्रभु का उपचार भी शुरू कर दिया गया है। बीमार भगवान का जड़ी बूटियों से देशी उपचार किया जा रहा है। रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने के लिए जड़ी-बूटियों का काढ़ा पिलाया जा रहा है। देशी नुस्खों से उनका इलाज करने के साथ-साथ विभिन्न प्रकार के जड़ी-बूटियों का काढ़ा और प्रसाद के रुप में मौसमी फलों का जूस दिया जा रहा है। इस दौरान भक्तों को महाप्रभु दर्शन नहीं दे रहे हैं। परंपरा के अनुसार अणसर दशमी के दिन भगवान जगन्नाथ, बलभद्र व देवी सुभद्र को जंगल की दस जड़ी-बुटी से तैयार दवा खिलाया गया। दस अलग-अलग जड़ी-बुटी से तैयार होने के कारण ही इस दवा का नाम दशमूली दवा पडा। परंपरा के अनुसार इस दवा को खाने के दो-तीन दिन बाद प्रभु जगन्नाथ, बलभद्र व देवी सुभद्रा के स्वस्थ्य में सुधार होने लगेगी और नेत्र उत्सव पर भक्तों को दर्शन देंगे। इस वर्ष सात जुलाई को नेत्र उत्सव व रथ यात्रा पर प्रभु के दर्शन होंगे। सात जुलाई को रथयात्रा के दिन प्रभु जगन्नाथ, बलभद्र व देवी सुभद्रा पूरी तरह से स्वस्थ होकर भक्तों को दर्शन देंगे।नेत्र उत्सव पर प्रभु नवयौवन रूप में देंगे दर्शन : सात जुलाई की सुबह प्रभु का नेत्र उत्सव किया जायेगा। इसके साथ ही प्रभु अपने नवयौवन रूप में भक्तों को दर्शन देंगे। इसी दिन शाम को प्रभु जगन्नाथ की रथयात्रा निकाली जायेगी। रथ पर सवार होकर प्रभु जगन्नाथ गुंडिचा मंदिर मौसीबाड़ी के लिये रवाना होंगे।नेत्र उत्सव सह नवयौवन रूप के दर्शन : 07 जुलाई की सुबहगुंडिचा रथयात्रा : 07 जुलाई की शामनवमी संध्या दर्शन : 14 जुलाईबाहुड़ा रथ यात्रा : 15 जुलाई
- हस्तरेखा शस्त्र के अनुसार, व्यक्ति की हथेली की रेखाओं से प्रेम, व्यापार, भाग्य, धन और सेहत का पता लगाया जा सकता है। हाथों की रेखाओं से कई शुभ योगों का निर्माण भी होता है। हाथों में योग बनना लाभकारी माना जाता है। योगों का शुभ प्रभाव जीवन की मुश्किलों को कम कर देता है। कुछ शुभ योग भाग्यशाली किस्मत की ओर इशारा भी करते हैं। आइए जानते हैं रेखाओं से बने ऐसे ही कुछ शुभ योगों के बारे में-शंख योगजब हथेली में अंगूठे का भाग यानी शुक्र पर्वत अच्छा होता है और वहां से कोई रेखा निकलकर सूर्य पर्वत की ओर और दूसरी रेखा शनि पर्वत पर जाकर मिलती है, तब इससे शंख योग का निर्माण होता है। हथेली में शंख योग बनने से व्यक्ति को हर क्षेत्र में सफलता हासिल होती है। जीवन में धन-धान्य की कमी नहीं रहती है। ऐसे लोग मुश्किल परिस्थितियों को भी अच्छे से संभालना जानते हैं।शुभ कर्तरी योगशुभ कर्तरी योग तब बनता है जब हथेली के बीच का हिस्सा बाकी हिस्सों के मुकाबले दबा हो और भाग्य रेखा शनि पर्वत तक जाती हो। साथ ही गुरु और सूर्य पर्वत भी अच्छी स्थिति में हो। जिन व्यक्तियों के हाथ में शुभ कर्तरी योग पाया जाता है वे आर्थिक रूप से समृद्ध रहते हैं और जीवन में खूब तरक्की भी करते हैं।भाग्य योगजब भाग्य रेखा गुरु पर्वत या चंद्र पर्वत से शुरू होती है और दिखने में लंबी, स्पष्ट और डार्क नजर आती है तब भाग्य योग बनता है। हथेली में भाग्य योग बनने पर व्यक्ति को सफलता हासिल करने में ज्यादा मेहनत नहीं करनी पड़ती है। वहीं, ऐसे व्यक्ति खूब धन-दौलत भी कमाते हैं।गजलक्ष्मी योगहाथों की लकीरों से बना गजलक्ष्मी योग बेहद ही शुभ माना जाता है। जब मणिबंध से शुरू भाग्य रेखा शनि पर्वत तक जाती है और सूर्य रेखा गाढ़ी और स्पष्ट दिखती है तब गजलक्ष्मी योग का निर्माण होता है। जिन लोगों के हाथ में गजलक्ष्मी योग पाया जाता है, वे बेहद ही भाग्यशाली माने जाते हैं। ऐसे लोगों को व्यापार में खूब कामयाबी मिलती है और इन्हें ज्यादा आर्थिक दिक्कतें नहीं झेलनी पड़ती है।
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पंडित प्रकाश उपाध्याय से जानें आज का स्वास्थ्य राशिफल, जानें सेहत के लिहाज से कैसा रहेगा आज का दिन
मेषआज के दिन आप लोगों को बारिश में होने वाली बीमारियों जैसे डेंगू, मलेरिया और वायरल बुखार से बचने की जरूरत है। इससे आंखों से जुड़े संक्रमण भी हो सकते हैं।वृषभआज के दिन आपको स्वास्थ्य पर जरूर ध्यान देना चाहिए। आज आपको पुरानी स्वास्थ्य समस्याओं में लाभ देखने को मिल सकता है। इससे सेहत पर अच्छा असर पड़ सकता है।मिथुनआपके लिए आज अपने स्वास्थ्य को प्राथमिकता देने की जरूरत है। आज के दिन आप लोगों को संक्रमण फैलने के साथ ही पेट से जुड़ी समस्याएं भी हो सकती है।कर्कआज के दिन आप लोगों को फेफड़े, छाती और गले से जुड़े कुछ मामूली संक्रमण का सामना करना पड़ सकता है। आज आपको वायरल बुखार और गले के संक्रमण की समस्या हो सकती है।वृषभआज आपका स्वास्थ्य काफी अच्छा रह सकती है। आज के दिन आपको तंबाकू उत्पादों के सेवन करने से बचना चाहिए। इससे गंभीर बीमारियां हो सकती हैं।कन्याआज के दिन आपको ज्यादा तनाव लेने से बचना चाहिए। दिल या किडनी की समस्या वाले लोगों को आज ज्यादा सावधान रहना चाहिए।तुलाआज आपका स्वास्थ्य वास्तव में अच्छा बीत सकता है। आज के दिन आपको फलों का जूस, नींबू पानी आदि पीना चाहिए। इससे शरीर में इलेक्ट्रोलाइट्स का स्तर बैलेंस रहता है।वृश्चिकआज के दिन आप लोगों को ज्यादा प्रेशर लेने से बचना चाहिए। इससे मेंटल हेल्थ पर बुरा असर पड़ सकता है। इससे आपको तनाव और डिप्रेशन भी हो सकता है।मकरआज के मकर राशि के जातकों अपनी डाइट पर ज्यादा ध्यान देने की जरूरत है। ऐसे में आपको डाइट में खीरे, हरी सब्जियां और फलों का ज्यादा सेवन करना चाहिए।कुंभकुंभ राशि के जातकों को आज अपनी सेहत का ध्यान रखना चाहिए। आज के दिन आपको एक्सरसाइज करनी चाहिए, जिसमें कार्डियो और एरोबिक्स को जरूर शामिल करना चाहिए।मीनअगर आप अपने स्वास्थ्य को लेकर लापरवाही करते हैं तो इससे शरीर से जुड़ी कई समस्याएं हो सकती हैं। इससे सेहत पर बुरा असर पड़ सकता है। - पंडित प्रकाश उपाध्यायभारतीय संस्कृति में कुछ वृक्ष ऐसे हैं जो पूजनीय माने जाते हैं जिनमें बरगद, पीपल और नीम का पेड़ प्रमुख है। वैसे तो हर पेड़ का अपना महत्व है, लेकिन नीम के पेड़ का औषधीय के साथ-साथ धार्मिक महत्व भी है। ज्योतिष शास्त्र में नीम का संबंध शनि और केतु से जोड़ा गया है। इसलिए दोनो ग्रहों की शांति के लिए घर में नीम का पेड़ लगाना चाहिए। नीम की लकड़ी से हवन करने से शनि की शांति होती है और इसके पत्तों को जल में डालकर स्नान करने से केतु संबंधित समस्याएं दूर होती हैं। प्रकृति को प्रत्यक्ष ईश्वर माना जाता है। यदि आपके घर में वास्तु संबंधी कोई समस्या है तो पेड़ पौधों को सही दिशा में लगाना चाहिए। आइए जानते है नीम के पेड़ से जुड़े उपाय और यह क्या लाभ प्रदान करते हैं।नकारात्मकता से मुक्ति
नीम के पेड़ को दुर्गा मां का स्वरूप माना जाता है। कई स्थानों पर निमरी देवी और शीतला माता भी कहते हैं और उनकी पूजा करते हैं। मान्यता है कि नीम की पत्तियों का धुआ घर में किया जाए तो इससे नकारात्मक ऊर्जा नहीं आती।
शनि-केतु का प्रभाव कम
ज्योतिष शास्त्र में नीम का संबंध शनि और केतु से जोड़ा गया है। इसलिए दोनो ग्रहों की शांति के लिए अपने घर में नीम का पेड़ लगाना चाहिए। नीम की पत्तियां नहाने के पानी में डालकर स्नान करने से केतु ग्रह शांत होता है,वहीं नीम की माला पहनने से शनि के अशुभ प्रभाव को भी काम करता है।
वायव्य कोण में लगाएं पेड़
नीम के पेड़ में साक्षात मंगल देव का वास होता है। नीम का पेड़ हमेशा घर के दक्षिण दिशा या वायव्य कोण में लगाएं, इससे घर में अमंगलकारी संकट दूर होंगे।
इन राशि के लिए शुभकारी
राशि चक्र की दो राशियां मकर और कुंभ राशि के जातकों को घर में या उसके आसपास नीम का पेड़ जरूर लगाना चाहिए। ये उनके लिए बहुत शुभफलदायी होता है, इससे उनके जीवन में मान सम्मान के पथ को अग्रसर करेगा। -
पंडित प्रकाश उपाध्याय
वैदिक ज्योतिष शास्त्र के अनुसार ग्रह एक निश्चित अंतराल पर एक से दूसरी राशि में परिवर्तन करते हैं जिससे कई तरह के शुभ और अशुभ दोनों ही तरह के योगों का निर्माण होता है। ग्रह समय-समय पर अपनी स्वराशि, मित्र और शत्रु ग्रहों की राशि में प्रवेश करते हैं, जिसका प्रभाव सभी राशियों के जातकों पर पड़ता है। आपको बता दें कि महान, साहसी और पराक्रमी ग्रह भूमिपुत्र मंगल 12 जुलाई को अपने मित्र की राशि वृषभ राशि में प्रवेश करेंगे। वृषभ राशि के स्वामी ग्रह शुक्रदेव होते हैं और इनका मंगल से मित्रता का संबंध होता है। ऐसे में कुछ राशि के जातकों को 12 जुलाई के बाद भाग्य का अच्छा साथ मिलेगा, धन लाभ के अच्छे अवसर मिलेंगे और समाज में मान-सम्मान की प्राप्ति होगी। आइए जानते हैं कौन-कौन सी हैं भाग्यशाली राशियां जिनके ऊपर मंगलदेव की कृपा बनेगी।वृषभ राशिमंगल का गोचर आपकी राशि से लग्न भाव में होगा ऐसे में आपके लिए मंगल का गोचर बहुत ही लाभकारी साबित होगा। इस दौरान आपके आत्मविश्वास में बढ़ोतरी देखने को मिलेगी। बुद्धि और विवेक के बल पर आप बड़े से बड़ा कार्य बहुत ही आसानी से करने में कामयाब रहेंगे। 12 जुलाई के बाद आपका अच्छा समय शुरू होगा। आपको अतिरिक्त धन कमाने का अवसर मिलेगा। आपकी आय में वृद्धि देखने को मिलेगी। अधूरे कार्य पूरे होंगे। आपके साहस और पराक्रम में वृद्धि देखने को मिलेगी। मिले अवसरों को अपने फायदे में बदलने में कामयाब होंगे।मेष राशि12 जुलाई को मंगल का गोचर आपकी राशि से दूसरे भाव यानी धन और वाणी के स्थान पर होगा। ऐसे में मंगल ग्रह का राशि परिवर्तन बहुत ही शुभ फलदायी साबित होगा। अब से आपकी आर्थिक स्थिति में लगातार बदलाव देखने को मिलेगा। आपको आर्थिक मोर्चे पर अतिरिक्त धन कमाने के अवसर मिलेंगे। आप जिस योजना पर बहुत समय से लगे हुए थे अब उसमें कामयाबी मिलेगी। आपके साहस और पराक्रम में वृद्धि देखने को मिलेगी। लोग आपकी प्रशंसा करेंगे और लोगों को अपनी तरफ आकर्षित करने में कामयाब होंगे।कुंभ राशिमंगल का अपने मित्र शुक्रदेव की राशि वृषभ में गोचर कुंभ राशि के जातकों को लाभ दिलाने में कामयाब होगा। आपकी राशि से यह गोचर चौथे भाव में होगा। इस तरह से 12 जुलाई के बाद से आपकी सुख-सुविधाओं में वृद्धि देखने को मिलेगा। मंगल के वृषभ राशि में गोचर के दौरान आपको जमीन-जायदाद से जुड़े मसलों में अच्छी सफलताएं मिलेगी। जो लोग जमीन से संबंधित कार्यों में लिप्त है उन्हे अच्छा लाभ मिल सकता है। वहीं करियर में अच्छी तरक्की भी मिलेगी और आर्थिक पक्ष मजबूत रहेगा। अटके हुए धन की वापसी संभव है। धन लाभ के बेहतरीन मौके आपको मिलेंगे। - बालोद से पंडित प्रकाश उपाध्यायघर में तुलसी का पौधा रखना शुभ माना जाता है और ऐसा करने से कई लाभ होते हैं। लेकिन क्या आप जानते हैं कि घर में तुलसी का पौधा रखने के कुछ नियम भी होते हैं? मान्यताओं के अनुसार इन नियमों का पालन न करने से घर में नकारात्मक्ता फैलती है। आइए इस लेख में जानते हैं कि घर में तुलसी का पौधा किस दिशा में नहीं रखना चाहिए और ऐसा करने से क्या नकारात्मक परिणाम हो सकते हैं।किस दिशा में लगाएं तुलसी का पौधा?दक्षिण दिशा: दक्षिण दिशा यमराज की दिशा मानी जाती है। इस दिशा में तुलसी का पौधा रखने से नकारात्मक ऊर्जा उत्पन्न हो सकती है और परिवार के सदस्यों के स्वास्थ्य पर बुरा प्रभाव पड़ सकता है।उत्तर-पश्चिम दिशा: उत्तर-पश्चिम दिशा राहु की दिशा मानी जाती है। इस दिशा में तुलसी का पौधा रखने से धन हानि हो सकती है और परिवार में कलह-कलेश हो सकते हैं।तुलसी का पौधा रखने की सही दिशापूर्व दिशा: पूर्व दिशा सूर्योदय की दिशा मानी जाती है। यह दिशा सकारात्मक ऊर्जा के लिए शुभ मानी जाती है। पूर्व दिशा में तुलसी का पौधा रखने से धन-वैभव और सुख-समृद्धि प्राप्त होती है।उत्तर-पूर्व दिशा: उत्तर दिशा कुबेर की दिशा मानी जाती है। यह दिशा धन और समृद्धि के लिए शुभ मानी जाती है। उत्तर दिशा में तुलसी का पौधा रखने से धन-दौलत में वृद्धि होती है और परिवार में खुशहाली आती है।ईशान कोण: ईशान कोण भगवान शिव का स्थान माना जाता है। यह दिशा ज्ञान और विद्या के लिए शुभ मानी जाती है। ईशान कोण में तुलसी का पौधा रखने से विद्या-बुद्धि में वृद्धि होती है और परिवार में तरक्की होती है।तुलसी के पौधे के पास नहीं होना चाहिए अंधेराजी हां, तुलसी का पौधा घर में रखना शुभ होता है मगर इसका ध्यान रखना चाहिए कि ये पौधे को हमेशा ऐसे स्थान पर रखें जहां से दिन में भी धूप आता हो। अगर आपके घर में तुलसी का पौधा ऐसे स्थान पर रखा हुआ है जहां हमेशा अंधेरा रहता हो, तो इसे अच्छा नहीं माना जाता है।तुलसी के पौधे से जुड़े अन्य नियमकोशिश करें कि तुलसी का पौधा गमले या किसी छोटे बर्तन में न लगाकर हमेशा जमीन पर ही लगाएं। इस पौधे को नियमित रूप से पानी देना बेहद शुभ माना जाता है। यही कारण है कि बहुत से लोग सूर्य देवता को अर्घ देते समय तुलसी के पौधे के पास ही रहते हैं। साथ ही अगर संभव हो तो तुलसी के पौधे के पास दीपक जलाएं इसे शुभ माना जाता है।तुलसी के पत्तों को तोड़ते समय "ॐ तुलसी देवी नमः" का मंत्र जरूर बोलना चाहिए।
- पंडित प्रकाश उपाध्यायकलावा को रक्षा सूत्र भी कहा जाता है, हिंदू धर्म में कलावा अत्यंत महत्वपूर्ण माना जाता है। हिन्दू धर्म में प्रत्येक धार्मिक कर्म यानी पूजा-पाठ, उद्घाटन, यज्ञ, हवन, संस्कार आदि के पूर्व पुरोहितों द्वारा यजमान के दाएं हाथ में मौली बांधी जाती है। ज्योतिष शास्त्र के अनुसार जीवन में आने वाले संकट और परेशानियों से छुटकारा पाने के लिए कलावा या रक्षा सूत्र बांधा जाता है, कलावा बांधने से व्यक्ति पर त्रिदेवों और तीन महादेवियों की कृपा होती है, तीन देवियों मां लक्ष्मी, मां सरस्वती तथा महाकाली से धन सम्पति, विद्या-बुद्धि और शक्ति मिलती है।कलावा किस हाथ में बांधना चाहिए?कलावा किस हाथ में बांधे इस बारे में भी नियम है, जो कि पुरुषों और महिलाओं के लिए अलग-अलग हैं. पुरुषों और कुंवारी कन्याओं को दाहिने हाथ में और विवाहित महिलाओं को हमेशा बाएं हाथ में कलावा बांधने चाहिए।कलावा कलाई पर कितनी बार लपेटनी चाहिए?कलावा बंधवाते समय इस बात का ध्यान रखें कि आपकी कलाई पर इसे तीन, पांच या सात बार लपेटा गया हो. कलावा बांधते समय कभी भी हाथ खाली नहीं होना चाहिए ऐसे में जिस हाथ में कलावा बांधा जा रहा है उसमें एक सिक्का रखें तथा उसके बाद दूसरे हाथ को सिर पर रखें। कलावा बांधने के बाद वह सिक्का कलावा बांधने वाले व्यक्ति, पंडित जी को दे दें।किस दिन खोलना चाहिए कलावा?रक्षा सूत्र या कलावा किसी भी दिन या किसी भी समय नहीं खोलना चाहिए, क्योंकि इसे बांधने से जातक की रक्षा होती है। कलावा या रक्षा सूत्र खोलने के लिए मंगलवार या शनिवार का दिन सबसे सही माना जाता है। पुराना कलावा खोलने के बाद पूजा घर में बैठकर दूसरा कलावा बांध लेना शुभ होता है।पुराना कलावा कहां रखें?पुराना कलावा खोलने के बाद उसे यहां-वहां कहीं भी नहीं फेंकना चाहिए, कलावा निकालकर या तो पीपल के पेड़ के नीचे रखें या फिर किसी बहते पानी में प्रवाहित करना चाहिए।कलावा और आयुर्वेदस्वास्थ्य के दृष्टि से भी रक्षासूत्र को बहुत ही महत्वपूर्ण माना जाता है. इससे कई प्रकार के शारीरिक पीड़ाएं दूर रहती हैं. आयुर्वेद शास्त्र में बताया गया है कि शरीर के कई मुख्य नसें हमारी कलाई से होकर निकलती हैं, ऐसे में जब इस स्थान पर रक्षासूत्र बांधा जाता है, तब इसके दबाव से त्रिदोष अर्थात वात, पित्त और कफ से जुड़ी समस्या कई हद तक दूर रहती है. इसके साथ मधुमेह, हृदय रोग, रक्तचाप इत्यादि जैसी गंभीर बीमारियों पर भी बहुत हद तक नियंत्रण पाया जा सकता है ।ज्योतिष दृष्टि से कैसे उपयोगी है रक्षासूत्र?ज्योतिष शास्त्र में भी रक्षासूत्र के विषय में विस्तार से जानकारी दी गई है. बताया गया है कि कलाई पर लाल या केसरी रंग का रक्षासूत्र बांधने से कुंडली में मंगल का अशुभ प्रभाव कम होने लगता है और जातक को सुख-समृद्धि की प्राप्ति होती है. कुछ ज्योतिष विद्वान काले रंग का धागा धारण करने की सलाह देते हैं. कुछ लोग इसे कलाई पर तो कुछ पैर में बांधते हैं. बता दें कि इसे शनि ग्रह का प्रतीक माना जाता है और इससे शनि ग्रह का अशुभ प्रभाव कम हो जाता है।कलावा बांधने के फायदे तथा महत्व▪️तीन धागों का यह सूत्र त्रिदेवों व त्रिशक्तियों को समर्पित हो जाता है। इस रक्षा-सूत्र को संकल्पपूर्वक बांधने से व्यक्ति पर मारण, मोहन, विद्वेषण, उच्चाटन, भूत-प्रेत और जादू-टोने का असर नहीं होता।▪️यह मौली किसी देवी या देवता के नाम पर भी बांधी जाती है जिससे संकटों और विपत्तियों से व्यक्ति की रक्षा होती है। यह मंदिरों में संकल्प के लिए भी बांधी जाती है।▪️मौली बांधने से त्रिदेव- ब्रह्मा, विष्णु व महेश तथा तीनों देवियों- लक्ष्मी, पार्वती व सरस्वती की कृपा प्राप्त होती है। ब्रह्मा की कृपा से कीर्ति, विष्णु की कृपा से रक्षा तथा शिव की कृपा से दुर्गुणों का नाश होता है। इसी प्रकार लक्ष्मी से धन, दुर्गा से शक्ति एवं सरस्वती की कृपा से बुद्धि प्राप्त होती है।▪️ कलावा बांधने से उसके पवित्र और शक्तिशाली बंधन होने का अहसास होता रहता है और इससे मन में शांति तथा पवित्रता बनी रहती है। व्यक्ति के मन और मस्तिष्क में बुरे विचार नहीं आते तथा वह गलत रास्तों पर नहीं भटकता है। कई अवसरों पर इससे व्यक्ति पाप कार्य करने से बच जाता है।▪️ कमर पर बांधा गये रक्षा सूत्र के संबंध में विद्वान लोग कहते हैं कि इससे सूक्ष्म शरीर स्थिर रहता है तथा कोई दूसरी बुरी आत्मा आपके शरीर में प्रवेश नहीं कर सकती है। बच्चों को अक्सर कमर में मौली बांधी जाती है। यह काला धागा भी होता है। इससे पेट में किसी भी प्रकार के रोग नहीं होते।
- पंडित प्रकाश उपाध्यायकभी - कभी किसी न किसी कारणवश व्यक्ति जमीन जायदाद के विवादों में उलझ जाता है । जब ये परेशानियां बढ़ने लगती हैं तो व्यक्ति थक जाता है, जिसका असर शारीरिक व मानसिक स्थिति दोनों पर पड़ता है। ऐसे में ज्योतिष में कुछ उपाय बताए गए हैं, जिनके करने से जमीन-जायदाद के विवादों से मुक्ति मिल सकती है। ये उपाय न केवल जमीन जायदाद के विवादों को सुलझता है बल्कि आगे चलकर कोई समस्या न हो, इसका भी रास्ता बनाता है। आइए जानते हैं इन उपायों के बारे में..गाय को खिलाएं गुड़ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, अगर जमीन जायदाद के विवादों ने आपको परेशान कर रखा है तो रविवार के दिन गौशाला में जाकर लाल गाय को गुड़ खिलाएं। ध्यान रहे कि गुड़ को गाय के सामने फेंके नहीं, बल्कि उसको अपने हाथों से खिलाएं। इसके बाद गाय को प्रणाम करें और उसके चरण स्पर्श करके अपनी समस्या से अवगत कराएं, यह उपाय लगातार करते रहें। अचानक आप देखेंगे कि आपको जमीन जायदाद के विवादों से मुक्ति मिल जाएगी।भोजन दान का उपायअपना घर हो और जमीन संबंधित विवादों से मुक्ति के लिए शुक्रवार के दिन गरीब व जरूरतमंद लोगों को खाना खिलाएं। साथ ही उनको दान-दक्षिणा के साथ अच्छे से विदा करें। ऐसा करने से धीरे-धीरे भूमि से संबंधित विवादों से आपको मुक्ति मिल जाएगी और आपका अपना घर हो, यह सपना भी पूरा हो जाएगा। इस उपाय के करने से शुक्र ग्रह के दोषों से भी मुक्ति मिलती है।क्षेत्रपाल देवता की करें पूजाजमीन जायदाद से संबंधित विवादों से मुक्ति के लिए क्षेत्रपाल की पूजा करना लाभकारी बताया गया है। क्षेत्रपाल को खेतरपाल भी कहा जाता है और भूमि व जमीन के रखवाली के लिए इनकी पूजा की जाती है। जिस क्षेत्र में आप रहते हैं, उसके एक अलग ही क्षेत्रपाल होते हैं, इनकी हर रोज पूजा-पाठ करने से जमीन-जायदाद के विवादों से मुक्ति मिलती है, यह जमीन-जायदाद के मामले में न्याय के देवता माने जाते हैं।भूमि विवाद में आजमकार देखें ये टोटकेकाफी दिनों से संपत्ति संबंधी विवाद चल रहा है तो किसी भी माह की शुक्ल पक्ष में एक पत्थर पर थोड़ा सा शहद लगा दें और उसको कपड़े से बांध दें। इसके बाद शुक्ल पक्ष के मंगलवार के दिन बहते पानी यानी नदी में प्रवाहित कर दें, ऐसा करने से आपको जल्द से जल्द इन विवादों से छुटकारा मिल जाएगा और शुभ समाचार की प्राप्ति होगी।मां के आशीर्वाद से पूरे होंगे सभी कामज्योतिष शास्त्र के अनुसार, अगर जमीन खरीदने-बेचने या अपना बनाने में कोई समस्या आ रही है तो चैत्र या शारदीय नवरात्र के पहले दिन से दुर्गा मंत्रों का जप करना चाहिए और नौ दिन तक मां भगवती का ध्यान करते रहना चाहिए। साथ ही माता की विधिवत पूजन करें और उनको अपनी समस्याओं से अवगत कराएं। ऐसा करने से भूमि व जमीन संबंधित समस्याओं का अंत होगा और आपका मकान बनने का सपना भी मां के आशीर्वाद से पूरा होगा।नोट : इन उपायों का विज्ञान और तर्क से कोई नाता नहीं है। ये तमाम उपाय लोक मान्यताओं और ज्योतिष के ग्रंथों पर आधारित हैं। जिनकी श्रद्धा हो आजमाकर देख सकते हैं।
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पंडित प्रकाश उपाध्याय
शनि अपनी स्वराशि कुंभ राशि में वक्री होने जा रहे हैं। शनि 29 जून की मध्यरात्रि वक्री होंगे और नवंबर तक इसी अवस्था में रहेंगे। ऐसे में आने वाला समय मेष, वृषभ सिंह समेत 5 राशि के जातकों के लिए बहुत ही शुभ फलदायी रहने वाला है। इन 5 राशियों पर शनि की शुभ दृष्टि रहेगी। जिससे शनि इन राशियों को धन संपत्ति लाभ दिलाएंगे। आइए जानते हैं शनि की वकी चाल किन 5 राशियों के लिए रहेगी मेहरबान-मेष राशिशनि आपकी राशि से 11 भाव में वक्री होने जा रहे हैं। ऐसे में शनि आपको अच्छा आर्थिक लाभ दिलाने के साथ साथ आपको आपके भाई -बहनों का पूरा सहयोग दिलाएंगे। समाज में आपकी प्रतिष्ठा में बढ़ोतरी होगी। आपके दोस्त आपको कॅरिअर में उन्नति दिलाने के लिए पूरी मदद करेंगे। शनि आपकी सभी इच्छाओं को भी पूरी करेंगे।वृषभ राशिशनि वृषभ राशि के जातकों के 10वें भाव में वक्री होने जा रहे हैं। आने वाला समय आपके कॅरिअर के लिए बहुत ही शुभ फल देने वाला रहेगा। आपको सरकारी कामकाज में बड़ी सफलता मिलने के भी योग बन रहे हैं। अधिकारी वर्ग आप पर भरोसा करेंगे और आप पर बड़ी जिम्मेदारियां सौंपी जा सकती हैं। समाज में आपका एक अलग दायरा बढ़ेगा। आपको कोई बड़ी सफलता भी नवंबर तक मिल सकती है जिससे आपकी आय में पहले से कहीं ज्यादा वृद्धि होगी। इस अवधि में आपके धन संपत्ति के भी योग बन रहे हैं।सिंह राशिसिंह राशि के जातकों के लिए शनि की वक्री अवस्था बहुत ही लाभकारी साबित होने वाली है। इस समय आपकी राशि में उन्नति मिलने के योग हैं। इतना ही नहीं आपको अपने कॅरिअर और वित्तीय जीवन में भी बड़ी सफलता मिलने के योग हैं। इस राशि के जो लोग खुद का व्यापार करते हैं उन्हें इस क्षेत्र में अच्छा पैसा मिलने के योग हैं। यह समय आपके रुके हुए काम या योजनाओं को फिर से शुरू करने में मददगार रहेगा। इस दौरान आपको कोई विशेष लाभ भी मिल सकता है। वैवाहिक जीवन में जो समस्याएं चल रही थी वह सभी समाप्त हो जाएंगे। यदि आपका धन कहीं फंसा हुआ है तो आपको अपना रुका धन वापस मिल जाएगा।धनु राशिधनु राशि के जातकों को अपने कॅरिअर में तेजी से सफलता मिलने लगेगी। कार्यक्षेत्र में आपको सहकर्मियों से पूरा लाभ और सफलता मिलेगी। आपकी नौकरी में पकड़ मजबूत होगी। आपको कुछ क्षेत्रों में तेजी से सफलता मिलने की संभावना है। कार्यक्षेत्र में आपको हर कदम पर अपना सहकर्मियों से सहायता मिलेगी। जिससे आपकी प्रतिष्ठा बढ़ेगी। आपको इस दौरान पूरी किस्मत का साथ मिलेगा। साथ ही आपको अपनी मेहनत का पूरा फल मिलेगा। शनि आपको धन संपत्ति का बड़ा लाभ भी दिलाएंगे।मकर राशिमकर राशि के जातकों के लिए शनि का वक्री होना बहुत ही शुभ साबित होने वाला है। इस दौरान आपकी आर्थिक स्थिति पहले से काफी ज्यादा मजबूत हो जाएगा। शनि वक्री अवस्था में आपको धन की अच्छी बचत कराएंगे। जिससे आपका बैंक खाते में धन की वृद्धि मिलने के योग हैं। नई संपत्ति खरीदने के लिए समय बहुत ही शुभ रहने वाला है। आप अपने परिवार में सुख सुविधाओं का भरपूर आनंद लेंगे। प्रेम संबंधों के लिए भी शनि का वक्री होना लाभकारी रहेगा। इस राशि के लोगों को समाज में उच्च सम्मान प्राप्त होगा। इसके अलावा आप लोगों को बहुत आसानी से प्रभावित कर पाएंगे। - हिंदू धर्म में शास्त्रों के अनुसार कुछ परंपराएं ऐसी मानी गई हैं, जिनका सख्ती से पालन किया जाना जरूरी माना जाता है ! जन्म से लेकर मृत्यु तक हिंदू धर्म में कई संस्कार या परंपराएं बताई गई हैं ! इन्ही परंपराओं में विशेष है सूतक और पातक. ! सूतक और पातक का अब भी हर हिंदू धर्म में पालन किया जाता है ! माना जाता है कि इन नियमों का घर के हर सदस्य को पालन करना होता है. !सूतक :-सूतक का सम्बन्ध "जन्म के" निम्मित से हुई अशुद्धि से है !जन्म के अवसर पर जो नाल काटा जाता है और जन्म होने की प्रक्रिया में अन्य प्रकार की जो हिंसा होती है, उसमे लगने वाले दोष/पाप के प्रायश्चित स्वरुप "सूतक" माना जाता है !जन्म के बाद नवजात की पीढ़ियों को हुई अशुचिता :-3 पीढ़ी तक - 10 दिन4 पीढ़ी तक - 10 दिन5 पीढ़ी तक - 6 दिनध्यान दें :- एक रसोई में भोजन करने वालों के पीढ़ी नहीं गिनी जाती ... वहाँ पूरा 10 दिन का सूतक माना है !प्रसूति (नवजात की माँ) को 45 दिन का सूतक रहता है !प्रसूति स्थान 1 माह तक अशुद्ध है ! इसीलिए कई लोग जब भी अस्पताल से घर आते हैं तो स्नान करते हैं !अपनी पुत्री :-पीहर में बच्चे को जन्म दे तो हमे 3 दिन का,ससुराल में जन्म दे तो उन्हें 10 दिन का सूतक रहता है ! और हमे कोई सूतक नहीं रहता है !नौकर-चाकर :-अपने घर में बच्चे को जन्म दे तो 1 दिन का,बाहर बच्चे को जन्म दे तो हमे कोई सूतक नहीं !पालतू पशुओं का :-घर के पालतू गाय, भैंस, घोड़ी, बकरी इत्यादि को घर में बच्चा होने पर हमे 1 दिन का सूतक रहता है !किन्तु घर से दूर-बाहर जन्म होने पर कोई सूतक नहीं रहता !बच्चा देने वाली गाय, भैंस और बकरी का दूध, क्रमशः 15 दिन, 10 दिन और 8 दिन तक "अभक्ष्य/अशुद्ध" रहता है !पातक :-पातक का सम्बन्ध "मरण के" निम्मित से हुई अशुद्धि से है !मरण के अवसर पर दाह-संस्कार में इत्यादि में जो हिंसा होती है, उसमे लगने वाले दोष/पाप के प्रायश्चित स्वरुप "पातक" माना जाता है !मरण के बाद हुई अशुचिता :-3 पीढ़ी तक - 12 दिन4 पीढ़ी तक - 10 दिन5 पीढ़ी तक - 6 दिनध्यान दें :- जिस दिन दाह-संस्कार किया जाता है, उस दिन से पातक के दिनों की गणना होती है, न कि मृत्यु के दिन से !-यदि घर का कोई सदस्य बाहर/विदेश में है, तो जिस दिन उसे सूचना मिलती है, उस दिन से शेष दिनों तक उसके पातक लगता है !-अगर 12 दिन बाद सूचना मिले तो स्नान-मात्र करने से शुद्धि हो जाती है !-किसी स्त्री के यदि गर्भपात हुआ हो तो, जितने माह का गर्भ पतित हुआ, उतने ही दिन का पातक मानना चाहिए !-घर का कोई सदस्य मुनि-आर्यिका-तपस्वी बन गया हो तो, उसे घर में होने वाले जन्म-मरण का सूतक-पातक नहीं लगता है ! किन्तु स्वयं उसका ही मरण हो जाने पर उसके घर वालों को 1 दिन का पातक लगता है !-किसी अन्य की शवयात्रा में जाने वाले को 1 दिन का, मुर्दा छूने वाले को 3 दिन और मुर्दे को कन्धा देने वाले को 8 दिन की अशुद्धि जाननी चाहिए !-घर में कोई आत्मघात कर ले तो 6 महीने का पातक मानना चाहिए !-यदि कोई स्त्री अपने पति के मोह/निर्मोह से जल मरे, बालक पढाई में फेल होकर या कोई अपने ऊपर दोष देकर मरता है तो इनका पातक बारह पक्ष याने 6 महीने का होता है !उसके अलावा भी कहा है कि :-जिसके घर में इस प्रकार अपघात होता है, वहाँ छह महीने तक कोई बुद्धिमान मनुष्य भोजन अथवा जल भी ग्रहण नहीं करता है ! वह मंदिर नहीं जाता और ना ही उस घर का द्रव्य मंदिर जी में चढ़ाया जाता है ! (क्रियाकोष १३१९-१३२०)-अनाचारी स्त्री-पुरुष के हर समय ही पातक रहता है-सूतक-पातक की अवधि में "देव-शास्त्र-गुरु" का पूजन, प्रक्षाल, आहार आदि धार्मिक क्रियाएं वर्जित होती हैं !-इन दिनों में मंदिर के उपकरणों को स्पर्श करने का भी निषेध है !-यहाँ तक की गुल्लक में रुपया डालने का भी निषेध बताया है !किन्तु :-ये कहीं नहीं कहा कि सूतक-पातक में मंदिर जाना वर्जित है या मना है !सूतक-पातक के नियम : --1. सूतक और पातक में अन्य व्यक्तियों को स्पर्श न करें।2. कोई भी धर्मकृत्य अथवा मांगलिक कार्य न करें तथा सामाजिक कार्य में भी सहभागी न हों।3. अन्यों की पंगत में भोजन न करें।4. किसी के घर न जाएं और ना ही किसी भी प्रकार का भ्रमण करें। घर में ही रहकर नियमों का पालन करें।5. किसी का जन्म हुआ है तो शुद्धि का ध्यान रखते हुए भगवान का भजन करें और यदि कोई मर गया है तो गरुढ़ पुराण सुनकर समय गुजारें।6. सूतक या पातक काल समाप्त होने पर स्नान तथा पंचगव्य (गाय के दूध, दही, घी, गोमूत्र और गोबर का मिश्रण) सेवन कर शुद्ध हो जाएं।7. सूतक पातक की अवधि में देव शास्त्र गुरु, पूजन प्राक्षाल, आहार आदि धार्मिक क्रियाएं वर्जित होती है।8. जिस व्यक्ति या परिवार के घर में सूतक-पातक रहता है, उस व्यक्ति और परिवार के सभी सदस्यों को कोई छूता भी नहीं है। वहां का अन्न-जल भी ग्रहण नहीं करता है। वह परिवार भी मंदिर सहित किसी के घर नहीं जा सकता है और न किसी का भोग, पानी या प्रसाद नही ग्रहण करना चाहिए ।
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हिंदू धर्म में पूजा-पाठ का विशेष महत्व है। ज्योतिष शास्त्र में दीपक प्रज्वलित के कुछ खास नियम बताए हैं। मान्यता है कि किसी भी पूजा को आरंभ करने से पहले दीपक जलाना चाहिए, तभी पूजा पूरी मानी जाती है। किसी भी पूजा-पाठ के समय दीपक जलाने की परंपरा का पालन हर किसी को करना चाहिए, लेकिन क्या आप जानते हैं कि दीपक जलाने के भी कुछ नियम होते हैं। मान्यता है कि इन नियमों का पालन करने से लोगों को पूजा-पाठ का पुण्य फल मिलता है व मनोकामना पूर्ण होती है।
जानें पूजा करते समय दीपक की बत्ती से जुड़े वास्तु नियम व उसके प्रभावों के बारे में-
1. दीपक जलाते समय बत्ती का मुख सदैव पूर्व या उत्तर की ओर रखना चाहिए। पूजा में घी का दीपक जलाने के बाद तुरंत बाद ही अन्य तेल का दीपक नहीं जलाना चाहिए।
2. पूर्व की ओर बत्ती का मुख रखने से स्वास्थ्य लाभ होता है तथा तनाव कम होता है।
3. उत्तर की ओर बत्ती का मुख रखने समृद्धि आती है तथा ज्ञान में वृद्धि होती है।
4. पश्चिम की ओर बत्ती का मुख रखने से जीवन में बाधाएं आती हैं व चिंता बढ़ती है।
5. दक्षिण दिशा की ओर बत्ती का मुख रखने से हानि हो सकती है तथा रुकावटें भी आती हैं।
6. हिंदू धर्म के अनुसार दीपक को पूजा स्थल के बीचों बीच और भगवान की मूर्ति या प्रतिमा के सामने रखना चाहिए।
7. तेल के दीपक में लाल बत्ती का प्रयोग करना शुभ होता है और घर के दीपक के लिए रूई की बाती का प्रयोग करना लाभकारी माना गया है। -
- पं. प्रकाश उपाध्याय
शनि देव की चाल किस्मत पलट सकती है। कुंडली में मजबूत शनि की स्थिति रंक को राजा बना सकती है तो शनि की बुरी नजर कष्ट भी दे सकती है। शनि देव आने वाले 5 महीनों में कुंभ राशि में ही विराजमान रहकर गोचर करेंगे। वहीं, कुछ दिनों के भीतर ही शनि मार्गी से वक्री होने जा रहे हैं। शनि देव 29 जून को उलटी चाल में चलना शुरू करेंगे। शनि की वक्री चाल 15 नवंबर तक रहने वाली है। आइए जानते हैं कुंभ राशि में विराजमान शनि वक्री होकर किन राशियों की किस्मत पलटने वाले हैं-
वृश्चिक राशि
आने वाले 5 महीने तक कुंभ राशि में विराजमान शनि वृश्चिक राशि वालों के लिए फायदेमंद साबित हो सकते हैं। इस राशि के जातकों को आर्थिक लाभ होने की संभावना है। व्यापारियों को कई अच्छे इन्वेस्टर्स मिल सकते हैं। लव लाइफ में थोड़े बहुत उतार-चढ़ाव रहेंगे, जिन्हें बातचीत करके निपटाया जा सकता है। करियर लाइफ में कई टास्क मिल सकते हैं, जो आपकी ग्रोथ में मदद कर सकते हैं।
तुला राशि
शनि की चाल आने वाले 5 महीने में तुला राशि के लोगों के लिए लाभकारी साबित हो सकती है। शनि के शुभ प्रभाव से कई कार्यो में सफलता मिलेगी। समाज में आपकी पद-प्रतिष्ठा बढ़ेगी। आर्थिक मामलों में आपको सोच समझकर डिसीजन लेने की जरूरत है। वहीं, इन्वेस्टमेंट के कई नए ऑप्शन इस दौरान आपको मिल सकते हैं।
कन्या राशि
कन्या राशि वालों के लिए कुंभ राशि में विराजमान शनि आने वाले 5 महीनों में गुड न्यूज ला सकते हैं। आपकी लाइफ में पॉजिटिविटी बनी रहेगी। सेहत में थोड़ा बहुत उतार-चढ़ाव बना रहेगा। इसलिए हेल्थ पर ध्यान देने की जरूरत है। स्टूडेंट्स को कोई गुड न्यूज भी मिल सकती है। वहीं, परिवार के सदस्यों के साथ घूमने भी जा सकते हैं। आर्थिक स्थिति भी अच्छी रहने वाली है।
शनि की बुरी नजर किस पर?
शनि की वक्री चाल के बुरे प्रभाव के कारण 4 राशियों को संभलकर रहने की जरूरत है। मीन राशि, मकर राशि, कुंभ राशि और मेष राशि वालों को शनि ग्रह की उलटी चाल कष्ट दे सकती है। -
- पं. प्रकाश उपाध्याय
वास्तुशास्त्र का हिंदू धर्म में विशेष महत्व है। वास्तुदोष के लगने पर आर्थिक, मानसिक और शारीरिक समस्याओं का सामना करना पड़ सकता है। वास्तु शास्त्र में धन संचय व आर्थिक उन्नति के लिए कुछ उपाय बताए हैं। कई बार व्यक्ति को परेशानियों और मजबूरियों के कारण कर्ज लेना पड़ता है। कई बार हम कर्ज ले लेते हैं लेकिन उसे चुका नहीं पाते हैं। लाख कोशिशों के बाद भी कर्ज चुकाना बाकी रह जाता है। ऐसे में वास्तु शास्त्र में कुछ उपाय बताए गए हैं जिन्हें अपनाने से कर्ज से मुक्ति पा सकते हैं।
आइए जानते हैं, धन-लाभ के लिए वास्तु के उपाय-
-वास्तु शास्त्र के अनुसार, कर्ज से मुक्ति पाने के लिए मुख्य द्वार के पास एक और छोटा-सा द्वार लगाना चाहिए।
- वास्तु के अनुसार कर्ज से जल्द से जल्द मुक्ति पाने के लिए घर या दुकान की उत्तर दिशा में धन रखना चाहिए। मान्यता है कि ऐसा करने से कर्ज से मुक्ति मिलने के साथ ही धन लाभ भी होता है।
- घर के दक्षिण-पश्चिम हिस्से में बना बाथरूम भी व्यक्ति पर कर्ज का बोझ बढ़ता है। इसलिए घर की इस दिशा में बाथरूम नहीं बनवाना चाहिए।
- धन-लाभ के लिए घर या दुकान की उत्तर-पूर्व दिशा में कांच लगाना शुभ माना जाता है। लेकिन कांच लाल, सिंदूरी या मैरून रंग का नहीं होना चाहिए।
-वास्तु शास्त्र के अनुसार, कर्ज की किस्त चुकाने के लिए मंगलवार का दिन चुनना चाहिए। मान्यता है कि इस दिन पैसा लौटाने से कर्ज जल्दी उतर जाता है। -
- पं. प्रकाश उपाध्याय
हस्तरेखा शस्त्र के अनुसार, व्यक्ति की हथेली की रेखाओं से प्रेम, व्यापार, भाग्य, धन और सेहत का पता लगाया जा सकता है। हाथों की रेखाओं से कई शुभ योगों का निर्माण भी होता है। हाथों में योग बनना लाभकारी माना जाता है। योगों का शुभ प्रभाव जीवन की मुश्किलों को कम कर देता है। कुछ शुभ योग भाग्यशाली किस्मत की ओर इशारा भी करते हैं। आइए जानते हैं रेखाओं से बने ऐसे ही कुछ शुभ योगों के बारे में-
शंख योग
जब हथेली में अंगूठे का भाग यानी शुक्र पर्वत अच्छा होता है और वहां से कोई रेखा निकलकर सूर्य पर्वत की ओर और दूसरी रेखा शनि पर्वत पर जाकर मिलती है, तब इससे शंख योग का निर्माण होता है। हथेली में शंख योग बनने से व्यक्ति को हर क्षेत्र में सफलता हासिल होती है। जीवन में धन-धान्य की कमी नहीं रहती है। ऐसे लोग मुश्किल परिस्थितियों को भी अच्छे से संभालना जानते हैं।
शुभ कर्तरी योग
शुभ कर्तरी योग तब बनता है जब हथेली के बीच का हिस्सा बाकी हिस्सों के मुकाबले दबा हो और भाग्य रेखा शनि पर्वत तक जाती हो। साथ ही गुरु और सूर्य पर्वत भी अच्छी स्थिति में हो। जिन व्यक्तियों के हाथ में शुभ कर्तरी योग पाया जाता है वे आर्थिक रूप से समृद्ध रहते हैं और जीवन में खूब तरक्की भी करते हैं।
भाग्य योग
जब भाग्य रेखा गुरु पर्वत या चंद्र पर्वत से शुरू होती है और दिखने में लंबी, स्पष्ट और डार्क नजर आती है तब भाग्य योग बनता है। हथेली में भाग्य योग बनने पर व्यक्ति को सफलता हासिल करने में ज्यादा मेहनत नहीं करनी पड़ती है। वहीं, ऐसे व्यक्ति खूब धन-दौलत भी कमाते हैं।
गजलक्ष्मी योग
हाथों की लकीरों से बना गजलक्ष्मी योग बेहद ही शुभ माना जाता है। जब मणिबंध से शुरू भाग्य रेखा शनि पर्वत तक जाती है और सूर्य रेखा गाढ़ी और स्पष्ट दिखती है तब गजलक्ष्मी योग का निर्माण होता है। जिन लोगों के हाथ में गजलक्ष्मी योग पाया जाता है, वे बेहद ही भाग्यशाली माने जाते हैं। ऐसे लोगों को व्यापार में खूब कामयाबी मिलती है और इन्हें ज्यादा आर्थिक दिक्कतें नहीं झेलनी पड़ती है। - - पं. प्रकाश उपाध्यायप्रत्येक माह की पूर्णिमा तिथि जगत के पालनकर्ता श्री हरि विष्णु भगवान और माता लक्ष्मी को समर्पित होती है। लेकिन शास्त्रों के अनुसार वैशाख पूर्णिमा सभी में श्रेष्ठ मानी गई है। वैशाख मास की पूर्णिमा को वैशाखी पूर्णिमा, पीपल पूर्णिमा या बुद्ध पूर्णिमा के नाम से जाना जाता है। इस दिन विशेष रूप से पीपल के पौधे और वृक्ष की पूजा जल चढ़ाकर पूजा की जाती है और परिवार के मंगल, उन्नति, विकास और समृद्धि की कामना की जाती है। भगवान बुद्ध को इसी पावन तिथि के दिन बिहार के पवित्र तीर्थ स्थान बोधगया में बोधि वृक्ष के नीचे बुद्धत्व की प्राप्ति हुई थी।वैशाख पूर्णिमा के दिन हज़ारों श्रद्धालु पवित्र तीर्थ स्थलों में स्नान,दान कर पुण्य अर्जित करते हैं। पूर्णिमा के दिन पवित्र नदियों में स्नान करने का विशेष महत्त्व माना गया है। स्कन्द पुराण के अनुसार वैशाख पूर्णिमा का महत्त्व इसलिए भी बढ़ जाता है क्योंकि वैशाख मास को ब्रह्मा जी ने सब मासों में उत्तम सिद्ध किया है। अतः यह मास भगवान विष्णु को अति प्रिय है।पंचांग के अनुसार, वैशाख पूर्णिमा की तिथि की शुरुआत 22 मई को शाम 06 बजकर 47 मिनट पर होगी और वहीं, इसका समापन अगले दिन यानी 23 मई को शाम 07 बजकर 22 मिनट पर होगा। ऐसे में वैशाख पूर्णिमा व्रत 23 मई को किया जाएगा।क्या है पुष्करणी और उसकी महिमास्कन्द पुराण के अनुसार पूर्व काल में वैशाख मास की एकादशी तिथि को अमृत प्रकट हुआ, द्वादशी को भगवान विष्णु ने उसकी रक्षा की, त्रयोदशी को श्रीविष्णु ने देवताओं को सुधापान कराया तथा चतुर्दशी को देवविरोधी दैत्यों का संहार किया और वैशाख की पूर्णिमा के दिन ही समस्त देवताओं को उनका साम्राज्य प्राप्त हो गया। अतः देवताओं ने प्रसन्न होकर इन तीन तिथियों को वर दिया -'वैशाख मास की ये तीन शुभ तिथियां मनुष्य के समस्त पापों का नाश करने वाली तथा सब प्रकार के सुख प्रदान करने वाली हों'। वैशाख के शुक्ल पक्ष त्रयोदशी से लेकर पूर्णिमा तक की तिथियां 'पुष्करणी ' कही गयीं हैं,ये बड़ी पवित्र और शुभकारक हैं एवं सब पापों का क्षय करने वाली हैं।इनमें स्नान, प्रभु का ध्यान एवं दान-पुण्य करने से पूरे माह स्नान का फल मिल जाता है । महीने भर नियम निभाने में असमर्थ प्राणी यदि उक्त तीन दिन भी कामनाओं का संयम कर सके तो उतने से ही पूर्ण फल को पाकर भगवान विष्णु के धाम में आनंद का अनुभव करता है। जो मनुष्य वैशाख मास में अंतिम तीन दिन गीता का पाठ करता है,उसे प्रतिदिन अश्वमेघ यज्ञ का फल प्राप्त होता है ऐसा शास्त्रों का कथन है।जो इन तीन दिनों में विष्णुसहस्त्र नाम का पाठ करता है उसे भगवान विष्णु की असीम कृपा प्राप्त होती है।धर्मराज की पूजावैशाख माह की पूर्णिमा के दिन मृत्यु के देवता धर्मराज के निमित्त भी व्रत रखने का विधान है। इस दिन जल से भरा हुआ कलश,छाता ,जूते,पंखा,सत्तू,पकवान आदि दान करना चाहिए । इस दिन किया गया दान गोदान के समान फल देने वाला होता है और ऐसा करने से धर्मराज प्रसन्न होकर आशीर्वाद प्रदान करते हैं।
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- पं. प्रकाश उपाध्याय
हस्तरेखा शास्त्र के अनुसार, हथेली की रेखाओं के अलावा शरीर के अलग-अलग अंगों पर बने तिलों का भी विशेष महत्व होता है। व्यक्ति के हाथ में कई रेखाएं होती हैं। हथेली की रेखाओं से व्यक्ति के भविष्य और स्वभाव का पता चलता है। तिल से भी व्यक्ति के भाग्य, तरक्की और स्वभाव की जानकारी मिलती है।
आइए जानते हैं शरिर में मौजूद तिल के शुभ और अशुभ फल के बारे में----
हस्तरेखा शास्त्र के अनुसार, अनामिका अंगुली के नीचे मौजूद बुध पर्वत पर बना तिल व्यक्ति को नुकसान और कष्ट पहुंचाता है।
हस्तरेखा शास्त्र के अनुसार, सूर्य पर्वत यानी अनामिका अंगुली के नीचे जगह पर तिल होने का अर्थ है कि सरकारी मामलों या सरकारी नौकरी में कष्ट हो सकता है।
जिन लोगों के अंगूठे पर तिल का निशान होता है। ऐसा माना जाता है कि वह न्याय का साथ देने वाले होते हैं और उन्हें वैवाहिक जीवन में कष्टों का सामना करना पड़ता है।
माना जाता है कि अनामिका अंगुली पर तिल होता है वह सरकारी क्षेत्र में उपलब्धि और मान-सम्मान प्राप्त करते हैं।
शनि पर्वत के ऊपर बना तिल व्यक्ति के मान-सम्मान और सुख संपत्ति का संकेत देता है। माना जाता है कि शनि पर्वत के ऊपर बना तिल व्यक्ति को सुखी और धनवान रहने का इशारा देता है।
जिन व्यक्तियों की सबसे छोटी अंगुली के ऊपर तिल का निशान होता है। हस्तरेखा शास्त्र के अनुसार, ऐसे लोग को पैतृक संपत्ति मिलने का योग रहता है।
हस्तरेखा शास्त्र के अनुसार, हथेली पर गुरू पर्वत के ऊपर तिल का अर्थ होता है कि व्यक्ति के जीवन में धन की कमी नहीं होगी। ऐसे लोगों का जीवन सुख-सुविधाओं से भरा होता है। -
- पं. प्रकाश उपाध्याय
घर की पॉजिटिविटी बढ़ाने के लिए साफ-सफाई का खास ध्यान रखना चाहिए। लेकिन अक्सर घर की अच्छे से क्लीनिंग करने के बावजूद छत और कोनों पर लगे जले को नजरअंदाज कर देते हैं। जिससे घर में वास्तुदोष उत्पन्न हो सकता है। कहा जाता है कि घर में मकड़ी का जाला ज्यादा लगने से परिवार के सदस्यों को लाइफ में कई दिक्कतों का सामना करना पड़ सकता है। घर में हमेशा धन की तंगी रह सकती है। कार्यों में बाधाए आ सकती हैं। परिजनों के स्वभाव में आलस्य, चिड़चिड़ापन और नेगेटिविटी बढ़ सकती है। आइए विस्तार से जानते हैं घर में मकड़ी का जाला लगे रहने से क्या प्रभाव पड़ता है?
वास्तु के नियम :
-वास्तु के अनुसार, बेडरूम में मकड़ी का जाला लगने से मानसिक तनाव बढ़ता है। पति-पत्नी के बीच हमेशा अनबन की स्थिति बनी रहती है और वैवाहिक जीवन में दिक्कतों का सामना करना पड़ सकता है।
-वास्तु के मुताबिक, लंबे समय तक घर के कोनों पर मकड़ी का जाला लगने से परिवार के सदस्यों को धन से जुड़ी दिक्कतें बनी रहती है और धीरे-धीरे धन हानि होने लगता है।
-घर के मंदिर में भी मकड़ी का जाला कभी न लगने दें। भगवान की तस्वीरों की साफ-सफाई का खास ध्यान रखें। मान्यता है कि मंदिर में जाला लगना व्यक्ति के दुर्भाग्य का कारण बन सकता है।
-किचन में मकड़ी का जाला लगना भी अशुभ होता है। मान्यता है कि इससे परिवार के सदस्यों को हमेशा किसी न किसी से बीमारी का सामना करना पड़ता है। इसलिए किचन में गैस और सिंक के नीचे लगे जाले को समय-समय पर साफ करते रहें।
मकड़ी का जाला बढ़ाता है वास्तु दोष
मान्यता है कि घर में मकड़ी का जाला लगने से वास्तु दोष उत्पन्न होता है। जिसके कारण पारिवारिक जीवन में अक्सर तनाव की स्थिति बन सकती है। इससे बच्चों के स्वास्थ्य भी प्रभावित होता है। घर-परिवार में अशांति का माहौल रहता है। इससे जीवन में सुख-समृद्धि की कभी आती है। इसलिए घर में कोनों पर मकड़ी का जाला दिखने पर इसे तुरंत हटा दें। - -पं. प्रकाश उपाध्यायअंक ज्योतिष द्वारा अंकों के माध्यम से व्यक्ति के विषय एवं उसके भविष्य को जानने का प्रयास किया जाता है। यदि किसी व्यक्ति का जन्म 23 अप्रैल को हुआ है तो उसकी जन्म तारीख के अंकों का योग 2+3=5 आता है। यानि 5 उस व्यक्ति का मूलांक कहा जाएगा। अगर किसी की जन्मतिथि दो अंकों यानी 11 है तो उसका मूलांक 1+1= 2 होगा। अंक शास्त्र के माध्यम से जानते हैं आज यानी शुक्रवार 3 मई को आपका मूलांक, शुभ अंक और लकी रंग कौन सा है।मूलांक 1पेशेवर कार्यों में आपको अच्छी सफलता मिलने की संभावना है। काम के सिलसिले में छोटी यात्राएं संभव हैं। लेकिन सेहत के लिहाज से आज का दिन मिलाजुला रहने वाला होगा। प्रेम जीवन जीने वाले जातकों के बीच कुछ मतभेद पनप सकते हैं।शुभ अंक- 35शुभ रंग- गहरा लालमूलांक 2(अगर आपका जन्म किसी भी महीने की 2, 11, 20 या 29 तारीख को हुआ है तो मूलांक 2 होगा)नौकरीपेशा जातकों को लिए दिन शानदार रहेगा। ऑफिस में आपके काम की तारीफ होगी। आप कोई भी काम करें तो उसमें एकाग्रता जरूर बना कर रखें। प्रेम संबंधों में सावधानी रखें और गुस्से को काबू में रखें।शुभ अंक - 31शुभ रंग - बैंगनीमूलांक 3आज आपके करियर में उछाल देखने को मिल सकता है। आप अपने कौशल के बल पर कोई भी मुकाम हासिल करने में कामयाब रहेंगे। पार्टनर की तरफ आपका रूझान बढ़ेगा। व्यापार करने वाले जातकों अच्छा मुनाफा हासिल हो सकता है।शुभ अंक - 26शुभ रंग - लेमनमूलांक 4नौकरीपेशा जातकों को कुछ मुश्किलों का सामना करना पड़ सकता है। अपने साथी के प्रति मन में कुछ ख्याल आ सकते हैं जिसको आपको जरूर पूरा करना होगा। आपके द्वारा बनाई गई योजनाएं कारगर साबित होंगी। शिक्षा के लिए किए जाने वाले प्रयास सफल होंगे।शुभ अंक - 15शुभ रंग - नारंगीमूलांक 5नौकरी के बेहतर अवसर आपको मिल सकते हैं। जिसमें वेतनवृद्धि और प्रमोशन के योग भी है। जीवन शैली में बदलाव आ सकता है। किसी खास व्यक्ति से आपकी मुलाकात हो सकती है। अचानक धन लाभ भी होगा जिसमें आपका किसी को दिया हुआ उधार धन वापस मिल सकता है। दिनभर सकारात्मक नजरिया बना रहेगा। पार्टनर संग रिश्ते बेहतर रहेंगे।शुभ अंक - 17शुभ रंग- पीलामूलांक 6धार्मिक कार्यों के प्रति आपका रूझान बढ़ेगा। आत्मविश्वास में बढ़ोतरी होगी जिससे आप मुश्किल से मुश्किल काम बहुत ही आसानी से करने में कामयाब रहेंगे। कुछ पारिवारिक समस्याओं से जूझना पड़ सकता है जिसमें आपको तालमेल बनाकर चलना होगा। आपकी सेहत में कुछ नुकसान होने का अंदेशा है।शुभ अंक - 10शुभ रंग - गुलाबीमूलांक 7आज आपको किसी तरह की खुशखबरी सुनने को मिल सकती है। धर्म-कर्म की तरफ आपका रूझान बढ़ सकता है। दिन लाभ से भरा रह सकता है। परिवार के सदस्यों की जररूतों को ध्यान में रखते हुए आपके कुछ एक्ट्रा खर्चें हो सकते हैं।शुभ अंक - 6शुभ रंग - लालमूलांक 8पूरा दिन सकारात्मकता से भरा रहने वाला होगा। कार्यक्षेत्र में आपको मान-सम्मान और प्रतिष्ठा मिलेगी। कला कौशल के बल पर आप आज मुश्किल से मुश्किल काम को आसानी से करने में कामयाब होंगे। परिवार के सदस्यों का अच्छा साथ मिलेगा।शुभ अंक - 1शुभ रंग - नीलामूलांक 9आज का दिन आपके लिए मिलाजुला रहने वाला होगा। कार्यों में तेजी आएगी। काम के सिलसिले में यात्राएं कर सकते हैं। जीवनसाथी का अच्छा साथ मिलने से मन में चल रही किसी समस्या से छुटकारा मिल सकता है। आज आपको आवेश में आकर कोई भी काम नहीं करना है।शुभ अंक-15शुभ रंग - सफेद
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-पं. प्रकाश उपाध्याय
वास्तु शास्त्र के अनुसार, हमारी दिनचर्या में कई ऐसी आदतों के बारे में बताया गया है, जो व्यक्ति के जीवन में नेगेटिविटी का कारण बन सकता है। साथ ही इन गलत आदतों से वास्तु दोष भी लगता है। इन्हीं आदतों में से एक बिस्तर पर बैठकर भोजन करना भी शामिल है। जिसकी वजह से व्यक्ति को जीवन में कई दिक्कतों का सामना करना पड़ता है।-----------------आइए जानते हैं कि वास्तु में बिस्तर पर बैठकर भोजन करना शुभ होता है या अशुभ...
बिस्तर पर भोजन करने के नुकसान :
-वास्तु के अनुसार, बिस्तर पर बैठकर खाना खाने से घर में दरिद्रता का वास होता है।
-ऐसा करने से जातक को आर्थिक तंगी का सामना करना पड़ता है।
-मान्यता है कि बिस्तर पर बैठकर भोजन करने से मां लक्ष्मी नाराज हो जाती है।
-बिस्तर पर बैठकर खाना खाने से घर में नकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है और वास्तु दोष भी उत्पन्न होता है।
-यह भी कहा जाता है कि बिस्तर पर बैठकर भोजन करने से राहु अशुभ फल देते हैं और घर में अशांति फैली रहती है।
-ऐसा करने से मां अन्नपूर्णा नाराज हो सकती हैं। इसलिए बिस्तर पर बैठकर भोजन करें।
भोजन से जुड़े वास्तु टिप्स :
-रात में डिनर के बाद गंदे बर्तन तुरंत साफ कर देना चाहिए। मान्यता है कि किचन को गंदा रखने से मां अन्न पूर्णा रुष्ट हो सकती हैं।
-वास्तु के अनुसार, हमेशा जमीन में बैठकर पालथी मार कर आराम से भोजन करना चाहिए।
-इसके अलावा आप डाइनिंग टेबल पर भी बैठकर खाना खा सकते हैं।
-भोजन करते समय हमेशा उत्तर या पूर्व दिशा की ओर मुंह करके बैठना चाहिए। -
-पं. प्रकाश उपाध्याय
देवगुरु बृहस्पति को ज्योतिष में विशेष स्थान प्राप्त है। देवगुरु बृहस्पति की कृपा से व्यक्ति का भाग्योदय होना तय है। देवगुरु बृहस्पति को गुरु को ज्ञान, शिक्षक, संतान, बड़े भाई, शिक्षा, धार्मिक कार्य, पवित्र स्थल, धन, दान, पुण्य और वृद्धि आदि का कारक ग्रह कहा जाता है। बृहस्पति ग्रह 27 नक्षत्रों में पुनर्वसु, विशाखा, और पूर्वा भाद्रपद नक्षत्र के स्वामी होते हैं। देवगुरु बृहस्पति 1 मई को राशि परिवर्तन करेंगे। इस दिन देवगुरु बृहस्पति मेष राशि से वृषभ राशि में प्रवेश करेंगे। ज्योतिष गणनाओं के अनुसार देवगुरु वृषभ राशि में प्रवेश कर कुछ राशि वालों पर विशेष कृपा करेंगे तो कुछ राशि वालों को सावधान रहने की आवश्यकता होगी। आइए जानते हैं गुरु के राशि परिवर्तन करने से कैसा रहेगा सभी राशियों का हाल। पढ़ें मेष से लेकर मीन राशि तक का हाल...
वृषभ राशि-
धन- लाभ होगा, जिससे आर्थिक पक्ष मजबूत होगा।
व्यवसाय में लाभ के योग बनेंगे।
भाई-बहन से मदद मिल सकती है।
साहस और पराक्रम में वृद्धि होगी।
मान- सम्मान और पद- प्रतिष्ठा में वृद्धि होगी।
जीवनसाथी के साथ समय व्यतीत करने का अवसर मिलेगा।
कार्यों में सफलता के योग बन रहे हैं।
भाग्य का साथ मिलेगा।
नौकरी और व्यापार के लिए समय शुभ रहेगा।
आपके द्वारा किए गए कार्यों की सराहना होगी।
परिवार के सदस्यों के साथ समय व्यतीत करने का अवसर मिलेगा।
दांपत्य जीवन में सुख का अनुभव करेंगे।
परिवार से अचानक शुभ समाचार की प्राप्ति हो सकती है।
सिंह राशि-
नौकरी और व्यापार के लिए समय शुभ है।
मान- सम्मान मिलेगा।
कार्यों में सफलता मिलेगी।
दांपत्य जीवन सुखमय रहेगा।
परिवार के सदस्यों के साथ समय व्यतीत करेंगे।
आपको शुभ परिणाम प्राप्त होंगे।
नौकरी की तलाश कर रहे लोगों को शुभ समाचार मिल सकता है।
प्रमोशन या आर्थिक लाभ के भी योग बनेंगे।
किसी नए काम की शुरुआत के लिए सूर्य गोचर लाभकारी रहेगा।
शिक्षा के क्षेत्र से जुड़े लोगों के लिए ये समय किसी वरदान से कम नहीं है।
लेन- देन के लिए समय शुभ है।
कन्या राशि-
इस दौरान पारिवारिक रिश्तों में मधुरता बढ़ेगी।
नौकरी की तलाश कर रहे लोगों को शुभ परिणाम मिल सकता है।
आत्मविश्वास में बढ़ोतरी होगी।
दांपत्य जीवन सुखद रहेगा।
धन लाभ होगा, जिससे आर्थिक पक्ष मजबूत होगा।
धन से जुड़े मामलों में सफलता हासिल होगी।
समाज में मान-सम्मान बढ़ेगा।
पद- प्रतिष्ठा में वृद्धि होगी।
निवेश से लाभ होगा। -
-पं. प्रकाश उपाध्याय
रसोई घर या किचन की ऊर्जा सकारात्मक होना बेहद जरूरी है। वहीं, कई बार हम जाने-अनजाने में रसोई घर में ऐसी चीज रख देते हैं, जिनसे नेगेटिव ऊर्जा का संचार होता है। किचन की नेगेटिव एनर्जी आपके भोजन को भी प्रभावित कर सकती है, जिससे स्वास्थ्य पर भी असर पड़ सकता है। इसलिए खुद को और परिवार को स्वस्थ रखने और घर में सकारात्मक ऊर्जा बढ़ाने के लिए किचन में रखी इन चीजों को आज ही बाहर निकाल दें-
किचन में क्या नहीं रखना चाहिए?
1- कभी भी किचन में ज्यादा समय तक गुथा हुआ आटा नहीं रखना चाहिए। फ्रिज या किचन में रात भर के लिए गुथा हुआ आटा रखने से राहु और शनि के बुरा प्रभाव झेलने पड़ सकते हैं साथ ही नेगेटिव ऊर्जा भी बढ़ जाती है।
2- कुछ लोग अपने किचन को सजाने के लिए शीशे का इस्तेमाल करते हैं। वहीं, किचन में लगा कांच का शीशा नेगेटिव ऊर्जा का कारण बन सकता है। रसोई घर में आईना लगाने से घर की सुख-शांति छिन सकती है।
3- किचन में गंदगी नकारात्मक ऊर्जा का कारण बनती है। वहीं, कभी भी रात में किचन में झूठे बर्तन नहीं छोड़ने चाहिए। रातभर किचन में झूठे बर्तन रखने से मां लक्ष्मी नाराज हो सकती हैं और आपकी आर्थिक स्थिति भी डगमगा सकती है।
4- कुछ लोगों को किचन में दवाइयां रखने की आदत होती है। घर के रसोई में दवाइयां रखने से घर के सदस्यों खासतौर पर मुखिया की सेहत पर बुरा असर पड़ सकता है। इसलिए रसोई घर में दवाइयां न रखें।
5- घर के किचन में टूटे और चटके हुए बर्तन नहीं रखने चाहिए। टूटे-फूटे बर्तनों का इस्तेमाल करने से भाग्य पर ताला लग सकता है और बनते हुए काम भी बिगड़ सकते हैं। -
-पं. प्रकाश उपाध्याय
सनातन धर्म में चैत्र नवरात्रि का अत्यधिक धार्मिक महत्व है। इन 9 शुभ दिन पर भक्त उपवास रखते हैं और दशमी तिथि पर पारण करते हैं। नवरात्रि एक साल में चार बार आती है, जिसमें चैत्र नवरात्रि और शारदीय नवरात्रि का खास महत्व है। नवरात्रि व्रत के दौरान कुछ चीजों को करने से माँ दुर्गा नाराज हो सकती हैं और आर्थिक स्थिति भी प्रभावित हो सकती है। इसलिए व्रत रखा हो या नहीं 9-17 अप्रैल तक भूलकर भी न करें ये काम-
चैत्र नवरात्रि में क्या न करें?
1. गंदगी और अंधेरा- ध्यान रखें चैत्र नवरात्रि के इन 9 दिनों तक घर में गंदगी या किसी भी कोने में अंधेरा न रहे। माना जाता है की जहां अंधेरा या गंदगी का वास होता है वहां, माता लक्ष्मी और माँ दुर्गा का आगमन नहीं होता है।
2. बाल और नाखून न काटें- चैत्र नवरात्रि के 9 दिनों तक बाल और नाखून काटने से बचें। माना जाता है की नवरात्रि के दौरान नाखून या बाल कटवाने से माँ दुर्गा नाराज हो सकती हैं।
3. काले वस्त्र- धर्मिक मान्यताओं के अनुसार, किसी भी शुभ अवसर या फिर पूजा-पाठ के दौरान काले रंग के कपड़े नहीं पहनने चाहिए। इसलिए चैत्र नवरात्रि के 9 दिन काले रंग के कपड़े पहनने से बचें। दुर्गा माता की असीम कृपा पाने के लिए इस दिन लाल, गुलाबी, पीले या हरे रंग के वस्त्र धारण करना अत्यंत शुभ रहेगा।
4. मास-मदिरा- चैत्र नवरात्रि के दौरान भूलकर भी मास-मदिरा का सेवन नहीं करना चाहिए। इन दिनों तामसिक भोजन का सेवन करने से माता दुर्गा और धन की देवी माँ लक्ष्मी नराज हो सकती हैं।
5. अपमान- कोशिश करें की इन दिनों आप किसी का दिल न दुखाएं और वाद-विवाद से भी बचें। किसी का भी अपमान करने से बचें और न ही किसी का मजाक उड़ाएं। -
-पं. प्रकाश उपाध्याय
इस साल 9 अप्रैल से बेहद शुभ संयोग में चैत्र नवरात्रि की शुरुआत हो रही है और इसका समापन 17 अप्रैल को होगा। हर साल चैत्र माह शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि से चैत्र नवरात्रि का आरंभ होता है। नवरात्रि के नौ दिनों में मां दुर्गा के मां शैलपुत्री, मां ब्रह्माचारिणी, मां चंद्रघंटा, मां कुष्मांडा, स्कंदमाता, मां कात्यायनी, कालरात्रि, मां महागौरी और देवी सिद्धिदात्री समेत 9 स्वरूपों की पूजा-आराधना का बड़ा महत्व है। नवरात्रि के पहले दिन कलश स्थापना की जाती है और इसके बाद मां शैलपुत्री की पूजा-आराधना की जाती है। नवरात्रि में मां दुर्गा का आशीर्वाद पाने के लिए शुभ मुहूर्त में कलश स्थापना, विधि-विधान से पूजन के साथ पूजा में कुछ विशेष चीजों को जरूर शामिल करना चाहिए। आइए जानते हैं-
चैत्र नवरात्रि का शुभ मुहूर्त : चैत्र माह के प्रतिपदा तिथि का आरंभ 8 अप्रैल को रात 11 बजकर 50 मिनट पर होगा और 9 अप्रैल को रात 8 बजकर 30 मिनट पर समाप्त होगा। इसलिए उदयाथिति के अनुसार, नवरात्रि के पहले दिन यानी 9 अप्रैल को कलश स्थापना की जाएगी।
कलश स्थापना का शुभ मुहूर्त : इस दिन सुबह 5 बजकर 52 मिनट से लेकर 10 बजकर 4 मिनट तक पहला कलश स्थापना मुहूर्त बन रहा है। इसके बाद 11 बजकर 45 मिनट से दोपहर 12 बजकर 35 मिनट तक घट स्थापना कर सकेंगे।
नवरात्रि की पूजन सामग्री : इसके अलावा मां दुर्गा की पूजा के लिए तस्वीर, लाल रंग का कपड़ा, फल, फूल,माला, आम का पत्ता, लौंग, सुपारी, इलायची, बंदनवार, हल्दी की गांठ, रोली, मौली, कमल गट्टा, सूखा नारियल, नैवेध, शहद, घी, शक्कर, पंचमेवा, जावित्री, गंगाजल, दूध, दही, नवग्रह पूजन के लिए रंग-बिरंगे चावल, धूप-दीप, वस्त्र और पूजा की थाली समेत सभी सामग्री एकत्रित कर लें।
मां दुर्गा की श्रृंगार सामग्री : मां दुर्गा को श्रृंगार सामग्री अर्पित करने के लिए लाल चुनरी, लाल चूड़ियां, सिंदूर, बिंदी, काजल, मेहंदी, शीशा, बिछिया, इत्र, मंगलसूत्र, लिपस्टिक, नथ, गजरा, कंघी, कान की बली समेत 16 श्रृंगार की सामग्री रख लें।
कलश स्थापना की सामग्री : कलश स्थापित करने के लिए मिट्टी का घड़ा, मिट्टी, मिट्टी का ढक्कन, नारियल, जल, गंगाजल, मिट्टी का दीपक, हल्दी-अक्षत और लाल रंग का वस्त्र चाहिए।
कलश स्थापना की विधि:
नवरात्रि के पहले दिन सुबह जल्दी उठें। स्नानादि के बाद साफ वस्त्र धारण करें।
इसके बाद घर के मंदिर को साफ करें। मंदिर को फूलों से सजाएं।
घट स्थापना के लिए एक मिट्टी के कलश में पानी भरकर रख दें।
कलश में सिक्का, सुपारी, आम का पत्ते जरूर डालें।
इसके बाद एक लाल कपड़ा बिछाकर उसपर चावल का ढेर बनाएं।
अब चावल के ढेर पर कलश स्थापित करें। कलश पर कलावा बांध दें।
इसके साथ ही कलश पर स्वास्तिक भी बनाएं।
फिर एक मिट्टी के बर्तन में मिट्टी और जौ मिलाएं। इसमें थोड़ा पानी छिड़कें और इसे भी स्थापित कर दें।
अब मंदिर में मां दुर्गा की प्रतिमा रखें। सभी देवी-देवताओं कआ आह्वान करें।
सबसे पहले गणेश जी की पूजा करें और सभी मां दुर्गा समेत सभी देवी-देवताओं की आरती करें।
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-पं. प्रकाश उपाध्याय
घर में पॉजिटिव एनर्जी बनी रहती है तो धन-धान्य भी बढ़ता है। घर की नेगेटिव एनर्जी तरक्की में बाधा उत्पन्न कर सकती है। नकारात्मक ऊर्जा बढ़ने से सुख-समृद्धि पर भी बुरा प्रभाव पड़ता है। वहीं, वास्तु शास्त्र के अनुसार, कुछ आसान उपायों की मदद से घर की नेगेटिव एनर्जी को कम किया जा सकता है।
अपने घर की सुख-समृद्धि को बढ़ाने के लिए रोज करें ये काम-
1. घर को साफ-सुथरा रखें: घर में मौजूद गंदगी निगेटिव एनर्जी अट्रैक्ट करती है। इसलिए हमेशा अपने घर को साफ-सुथरा रखने की कोशिश करें। वहीं, फालतू समान इकट्ठा करके न रखें। कबाड़ को आज ही घर से बाहर करें।
2. दीपक जलाएं: घर के प्रवेशद्वार पर संध्या के समय रोज दीपक जलाएं, जिससे सकारात्मक ऊर्जा घर में प्रवेश कर सके। मान्यता है संध्या के समय मुख्य द्वार पर दीपक जलाने से मां लक्ष्मी का आगमन होता है।
3. तोरण लगाएं: घर से नेगेटिव एनर्जी को दूर भागने के लिए आम के पत्तों का तोरण बनाकर मुख द्वार पर लगाएं। ध्यान रखें की तोरण में इस्तेमाल किए गए पत्ते हरे-भरे होने चाहिए न की कटे-फटे।
4. नमक: अगर आपके घर में हर रोज क्लेश का माहौल बना रहता है तो हो सकता है इसके पीछे निगेटिव एनर्जी हो। इसलिए पानी में नामक मिलाकर पोंछा लगाने से घर की नकारात्मक ऊर्जा खत्म हो सकती है।
5- सूर्य को जल दें: रोजाना सूर्य को जल देने से कुंडली में सूर्य ग्रह को मजबूत बनाया जा सकता है। सूर्य ग्रह का संबंध मान-सम्मान और पद-प्रतिष्ठा से माना जाता है।
6- तुलसी पूजन: तुलसी जी को रोजाना अर्घ्य दें और सुबह-शाम इनके समक्ष घी का दीपक जलाएं। तुलसी जी मां लक्ष्मी जी का रूप मानी जाती हैं। वहीं, शुक्रवार का व्रत रखने और लक्ष्मी सूक्तम का पाठ करने से भी आर्थिक दिक्कतों से राहत मिल सकती है।