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. आज हम आपको भगवान शिव के एक ऐसे अनोखे मंदिर के बारे में बताने जा रहे हैं जो दिन में दो बार गायब हो जाता है। जी हाँ, गुजरात में स्थित स्तंभेश्वर मंदिर को 'गायब मंदिर' भी कहा जाता है। देश-विदेश से शिव भक्त अपनी मनोकमना पूर्ण होने की कामना के साथ इस मंदिर में आते हैं। आइए जानते हैं भगवान भोलेनाथ के इस अद्भुत मंदिर के बारे में
स्तंभेश्वर मंदिर गुजरात के जम्बूसार तहसील में कवि कंबोई गांव में स्थित है। यह मंदिर वडोदरा से लगभग 40 किलोमीटर दूर स्थित होने के कारण वडोदरा के पास सबसे लोकप्रिय दार्शनिक स्थलों में से एक है। यह मंदिर लगभग 150 साल पुराना है और इसे 'गायब मंदिर' भी कहा जाता है। सालभर मंदिर में भक्तों का तांता लगा रहता है। खासतौर पर सावन के महीने में इस मंदिर में हजारों की संख्या में श्रद्धालु दूर-दूर से महादेव के दर्शन करने के लिए यहां आते हैं।स्कन्द पुराण में दिए गए उल्लेख के अनुसार स्तम्भेश्वर मंदिर को भगवान कार्तिकेय के ताड़कासुर नाम के राक्षस को नष्ट करने के बाद स्थापित किया था। कहा जाता है कि राक्षस ताड़कासुर भगवान शिव का बहुत बड़ा भक्त था। उसने भगवान को प्रसन्न करने के लिए घोर तपस्या कीऔर भोलेनाथ ने उसकी भक्ति से प्रसन्न होकर उसे एक वरदान मांगने को कहा। तब ताड़कासुर ने आशीर्वाद माँगा कि भगवान शिव के छह दिन के पुत्र के अलावा कोई भी उसे मार न सके। उसकी इच्छा पूरी होने के बाद, ताड़कासुर ने तीनों लोकों में हाहाकार मचा दिया। तब ताड़कासुर के अत्याचार को समाप्त करने के लिए भगवान शिव ने अपने तीसरे नेत्र की ज्वाला से भगवान कार्तिकेय की रचना की। ताड़कासुर को मारने वाले भगवान कार्तिकेय भी उसकी शिव भक्ति से प्रसन्न थे। इसलिए, प्रशंसा के संकेत के रूप में, उन्होंने उस स्थान पर एक शिवलिंग स्थापित किया जहां ताड़कासुर का वध किया गया था।एक अन्य संस्करण के अनुसार, ताड़कासुर को मारने के बाद भगवान कार्तिकेय खुद को दोषी महसूस कर रहे थे क्योंकि ताड़कासुर राक्षस होने के बाद भी भगवान शिव का भक्त था। तब भगवान विष्णु ने कार्तिकेय को यह कहते हुए सांत्वना दी कि आम लोगों को परेशान करके रहने वाले राक्षस को मारना गलत नहीं है। हालाँकि, भगवान कार्तिकेय शिव के एक महान भक्त को मारने के अपने पाप से मुक्त होना चाहते थे। इसलिए, भगवान विष्णु ने उन्हें शिव लिंग स्थापित करने और क्षमा के लिए प्रार्थना करने की सलाह दी।मंदिर के गायब होने के पीछे है यह वजहस्तंभेश्वर मंदिर के गायब होने के पीछे की वजह प्राकृतिक है। दरअसल, यह मंदिर समुद्र के किनारे से कुछ मीटर की दूरी पर स्थित है। इसलिए दिन में समुद्र का स्तर इतना बढ़ जाता है कि मंदिर जलमग्न हो जाता है। फिर कुछ देर में जल का स्तर घट जाता है तो मंदिर फिर से दिखाई देने लगता है। चूंकि समुद्र का स्तर दिन में दो बार बढ़ जाता है इसलिए मंदिर हमेशा सुबह और शाम के समय कुछ देर के लिए गायब हो जाता है। इस नज़ारे को देखने के लिए श्रद्धालु दूर-दूर से इस मंदिर में आते हैं। -
हर व्यक्ति सुख-समृद्धि की चाहत करता है. कुछ लोग घर में सुख-शांति और समृद्धि के लिए कई तरह के उपाय भी करते हैं. परंतु कई बार इससे भी सफलता नहीं मिलती है. क्या आप जानते हैं कि फेंगशुई टिप्स के जरिए आप भी जीवन में सुख-शांति और समृद्धि ला सकते हैं. दरअसल फेंगशुई में कुछ टिप्स बताए गए हैं जिसके जरिए वास्तु दोष दूर साकारात्मक ऊर्जा ला सकते हैं. आइए जानते हैं फेंगशुई के कुछ खास टिप्स.
सुख-समृद्धि के लिए फेंगशुई के टिप्स
-फेंगशुई के मुताबिक सौभाग्य के लिए घर के फिट पॉट में 8 गोल्डन फिश और काले रंग की मछली रखनी चाहिए. एक्वेरियम को हमेशा ड्रॉइंग रूम में ही रखना चाहिए.
-फेंगशुई में ड्रैगन को समृद्धि का कारक माना गया है. माना जाता है कि इसे घर की पूरब दिशा में रखने से तरक्की के साथ-साथ धन की प्राप्ति होती है. इसके अलावा इससे घर की निगेटिविटी खत्म होती है.
-फेंगशुई के अनुसार, घर में कछुआ रखने से कामयाबी और खुशहाली आती है. माना जाता है कि कछुआ घर या ऑफिस की उत्तर दिशा में रखना शुभ है. कछुआ लोहे के अलावा अन्य किसी धातु का बना होना चाहिए.
-फेंगशुई में लाफिंग बुद्धा को आर्थिक सफलता का प्रतीक माना गया है. ऐसे में इसे घर या ऑफिस की उत्तर दिशा में रखने से आर्थिक स्थिति अच्छी होती है.
-फेंगशुई में तीन टांग वाला मेंढक बेहद बेहद शुभ माना गया है. मान्यता है कि इसे घर या ऑफिस की उत्तर दिशा या मुख्य द्वार में लगाने से धन-वैभव में वृद्धि होती है. साथ ही तरक्की के रास्ते मिलते हैं. - होली के पांचवे दिन रंग पंचमी का पर्व मनाया जाता है. ये पर्व चैत्र मास की कृष्ण पक्ष की पंचमी तिथि को सेलिब्रेट होता है.रंगपंचमी का पर्व वैसे तो महाराष्ट्र, राजस्थान, गुजरात और मध्यप्रदेश समेत देश के कई हिस्सों में मनाया जाता है, लेकिन मध्यप्रदेश के इंदौर की रंगपंचमी पूरे देश में प्रसिद्ध है. इस दिन इंदौर में बहुत बड़ा जुलूस निकलता है. इस जुलूस में लाखों की तादाद में लोग शामिल होते हैं और आसमान में गुलाल उड़ाया जाता है. उड़ते रंग और गुलाल का ये दृश्य बहुत मनमोहक होता है. इस साल रंग पंचमी 2022 का पर्व 22 मार्च मंगलवार को मनाया जाएगा. ऐसे में यहां जानिए रंग पंचमी का महत्व और इस दिन से जुड़ी खास बातें.ये है रंग पंचमी का महत्वरंग पंचमी के दिन अबीर और गुलाल को आसमान की ओर फेंका जाता है. ये गुलाल उस दिन देवी देवताओं को अर्पित किए जाते हैं. मान्यता है कि रंग बिरंगे गुलाल की खूबसूरती देखकर देवता काफी प्रसन्न होते हैं और इससे पूरा वातावरण सकारात्मक हो जाता है. ऐसे में आसमान में फेंका गुलाल जब वापस लोगों पर गिरता है तो इससे व्यक्ति के तामसिक और राजसिक गुणों का नाश होता है, उसके भीतर की नकारात्मकता का अंत होता है और सात्विक गुणों में वृद्धि होती है.राधा कृष्ण के पूजन का दिनरंग पंचमी को राधा कृष्ण के पूजन का दिन माना जाता है और उन्हें अबीर और गुलाल अर्पित किया जाता है. कहा जाता है कि इससे व्यक्ति की कुंडली में मौजूद बड़े बड़े दोष भी समाप्त हो जाते हैं और जीवन प्यार से भर जाता है. इस दिन माता लक्ष्मी और श्रीहरि की पूजा का भी विधान है, इस कारण तमाम जगहों पर रंग पंचमी को श्रीपंचमी के नाम से भी जाना जाता है.ऐसे करें पूजनरंग पंचमी के दिन आप राधा कृष्ण या लक्ष्मी नारायण जिसकी भी पूजा करते हों, उनकी तस्वीर को उत्तर दिशा में एक चौकी पर रखें. चौकी पर तांबे का कलश पानी भरकर रखें. फिर रोली, चंदन, अक्षत, गुलाब के पुष्प, खीर, पंचामृत, गुड़ चना आदि का भोग लगाएं. भगवान को गुलाल अर्पित करें और आसन पर बैठकर ‘ॐ श्रीं श्रीये नमः’ मंत्र का जाप स्फटिक या कमलगट्टे की माला से करें. विधिवत पूजन के बाद आरती करें और क्षमा याचना करें और उनसे परिवार पर कृपा बनाए रखने की प्रार्थना करें. कलश में रखे जल को घर के हर कोने में छिड़कें. जिस स्थान पर तिजोरी या धन रखने की व्यवस्था है, वहां जरूर छिड़कें. मान्यता है कि इससे घर में बरकत आती है.
- चैत्र नवरात्रि हिंदू कैलेंडर के पहले महीने चैत्र मासमें मनाई जाती है. इस साल 2 अप्रैल से चैत्र नवरात्रि शुरू होंगे. इन नौ दिनों का हिंदू धर्म में विशेष महत्व है. चैत्र नवरात्रि (Chaitra Navratri) हिंदू नव वर्ष की शुरुआत का प्रतीक भी है. नौ दिनों के दौरान मां दुर्गा के नौ रूपों की पूजा की जाती है. क्योंकि ये नौ दिन ‘चैत्र’ के महीने में पड़ते हैं, इसलिए इसे चैत्र नवरात्रि (Navratri) कहा जाता है. पंचांग के अनुसार इस साल 2 अप्रैल से 11 अप्रैल तक चैत्र नवरात्रि का पर्व मनाया जाएगा. इस दौरान विधि-विधान से मां दुर्गा के नौ रूपों की पूजा की जाती है. नवरात्रि में बहुत लोग व्रत भी करते हैं.चैत्र घटस्थापना का शुभ मुहूर्तचैत्र नवरात्रि में घटस्थापना 2 अप्रैल को होगी. हिंदू कैलेंडर के अनुसार प्रतिपदा 1 अप्रैल को सुबह 11:53 बजे से शुरू होकर 2 अप्रैल को 11:58 बजे समाप्त होगी.घटस्थापना का शुभ मुहूर्त 2 अप्रैल को सुबह 6.10 बजे से 8.31 बजे तक रहेगा. घटस्थापना अभिजीत मुहूर्त इसी दिन दोपहर 12 बजे से 12.50 बजे तक रहेगा.राहुकाल2 अप्रैल को सुबह 9.17 बजे से 10.51 बजे तक राहुकाल रहेगा. हिंदू शास्त्रों के अनुसार इस अवधि में कोई भी शुभ कार्य नहीं किया जाता है.कलश स्थापना की विधिकलश स्थापना के लिए आपको मिट्टी के बर्तन (कलश), पवित्र स्थान से लाई गई मिट्टी, गंगाजल, आम या अशोक के पत्ते, सुपारी, चावल, नारियल, लाल धागा, लाल कपड़ा और फूल की आवश्यकता होती है. नवरात्रि के पहले दिन कलश की स्थापना की जाती है. कलश स्थापना से पहले मंदिर को अच्छी तरह साफ कर लें और लाल कपड़ा बिछा दें. इसके बाद इस कपड़े पर कुछ चावल रख दें. जौ को मिट्टी के चौड़े बर्तन में बो दें. अब इस पर पानी से भरा कलश रखें. कलश पर कलावा बांधें. इसके अलावा कलश में सुपारी, एक सिक्का और अक्षत डालें. अब ऊपर लाल चुनरी में लपेटा हुआ नारियल रखें और अशोक या आम के पत्ते रखें. मां दुर्गा का ध्यान करें. इसके बाद दीप जलाकर पूजा शुरू करें.पूजा का पहला दिननवरात्रि के पहले दिन मां शैलपुत्री की पूजा की जाती है. मां दुर्गा का प्रथम रूप मानी जाने वाली शैलपुत्री सौभाग्य और शांति की देवी हैं. कहा जाता है नवरात्रि के पहले दिन मां शैलपुत्री की पूजा करने से सभी प्रकार के सुख और मनोवांछित फल की प्राप्ति होती है.
- हर व्यक्ति की इंटेलिजेंस का स्तर अलग-अलग होता है. कुछ लोग बेहद बुद्धिमान होते हैं और कुछ लोग आसान सी बात भी बहुत देर में समझ पाते हैं. ज्योतिष की मानें तो इंटेलीजेंस का संबंध व्यक्ति की राशि से भी होता है. कुछ खास राशियां ऐसी होती हैं, जिनकी इंटेलीजेंस का स्तर बहुत ऊंचा होता है, यहां तक कि आम लोगों के लिए इसे समझ पाना भी मुश्किल होता है. हालांकि इंटेलीजेंस 2 तरह की होती है. पहली विश्लेषणात्क और दूसरी इमोशनल-प्रैक्टिकल इंटेलीजेंस.आइए जानते हैं कि ज्योतिष के अनुसार किन राशियों के जातक बेहद बुद्धिमान होते हैं.वृश्चिक : वृश्चिक राशि के जातक बेहद इंटेलिजेंट होते हैं. इनकी परसेप्शनल इंटेलीजेंस यानी कि इमोशनल और प्रैक्टिकल बुद्धिमत्ता जबरदस्त होती है. ये लोग जल्दी से दूसरों की भावनाओं को भांप लेते हैं और उसके मुताबिक तेजी से कदम उठाते हैं.कुंभ : कुंभ राशि के जातकों की भी परसेप्शनल इंटेलीजेंस तगड़ी होती है. वे सामने वाले के कदम को पहले ही भांप जाते हैं और जब तक वो कोई स्टेप लेता है या उसका तोड़ निकाल चुके होते हैं. इसीलिए इन लोगों को मात देना बहुत मुश्किल होता है. इतना ही नहीं इनका आईक्यू सबसे तेज होता है. लिहाजा वे हमेशा कुछ न कुछ नया ढूंढते रहते हैं और उसे तर्क सहित साबित करके ही दम लेते हैं.मेष : मेष राशि के जातकों की बात करें तो इनका इंट्यूशन बहुत तेज होता है. ये भविष्य में होने वाली घटनाओं का अंदाजा लगा लेते हैं. साथ ही इनमें गजब का आत्मविश्वास भी होता है. इस कारण वे खूब सफल होते हैं.वृषभ : वृषभ राशि के जातक जमीन से जुड़े, मेहनती और व्यवस्थित जीवन जीने के आदि होते हैं. आमतौर पर लोग इनकी दिमागी क्षमता का अंदाजा नहीं लगा पाते हैं, जबकि ये लोग न केवल बहुत ऊंचा सोचते हैं, बल्कि उसे पाकर ही दम लेते हैं.
- होली के त्योहार का एक खास महत्व है। होली का यह पावन पर्व फाल्गुन मास की पूर्णिमा के अगले दिन पूरे हर्षोल्लास के साथ मनाया जाता है। रंग खेलने से ठीक पहले फाल्गुन पूर्णिमा की रात में होलिका दहन किया जाता है। ऐसे में 2022 में होलिका दहन 17 मार्च को होगा जबकि रंग वाली होली 18 मार्च , शुक्रवार को मनाई जाएगी। वैसे भी भारत की होली पूरी दुनिया में मशहूर है। ब्रज की होली तो पूरी दुनिया में प्रसिद्ध है। होली को राधा-कृष्ण का त्योहार कहा जाता है। फुलेरा दूज से होली की शुरुआत हो चुकी है । मथुरा-वृंदावन की होली देखने के लिए तो दुनिया के कोने-कोने से लोग आते हैं। यहाँ इस दौरान होली के कई रूप देखने को मिलते हैं। होली के दिन रंगों में सराबोर होने के साथ यदि आप अपनी सुख समृद्धि के लिए कुछ विशेष उपाय करेंगे तो आपके घर धन की बरसात होगी। आइए जानते हैं क्या है ये उपाय-00 घर के मुख्यद्वार पर होली के दिन लाल, हरे, गुलाबी और पीले रंग से रंगोली सजाएं। इससे परिवार में खुशियों का आगमन होगा।00 होली के दिन गणेश जी की पूजा का विधान है। इस दिन भगवान गणेश को ठंडाई का भोग लगाएं और इसके बाद उसे प्रसाद के रूप में सबको बांट दें। ऐसा करने से भाग्योदय होता है और किस्मत साथ देने लगती है।00 होली को राधा कृष्ण का पर्व माना जाता है। इसलिए होली के दिन राधा-कृष्ण की मूर्ति स्थापित कर उनकी पूजा करें और उन्हें गुलाबी रंग का गुलाल अर्पित करें। ऐसा करने से आपका दंपती जीवन खुशनुमा बना रहेगा।00 यदि आपके घर में कोई झण्डा लगा है तो होली के दिन उस झंडे को जरूर बदलें, ऐसा करने से घर में सुख समृद्धि आएगी और मान-प्रतिष्ठा में वृद्धि होगी।00 यदि आप चाहते हैं घर में धन की कमी न हो और आर्थिक रूप से उन्नति की चाह हो तो घर या दफ्तर की पूर्व दिशा में उगते हुए सूरज की तस्वीर लगाएं। इससे आपको लाभ की प्राप्ति होगी। इस उपाय से धन के साथ प्रतिष्ठा भी प्राप्त होगी।
- हिंदू पंचांग के अनुसार होलिका दहन के दूसरे दिन धुलंडी को पूरे हर्षोउल्लास के साथ लोग रंग खेलते हैं,लेकिन क्या आप जानते हैं कि हर रंग का हमारे मन और शरीर से बहुत गहरा नाता है वहीं रंग हमारी भावनाओं को भी दर्शाते हैं। हमारे आस-पास मौजूद रंगों के अनुसार व्यक्ति शारीरिक व मानसिक रूप से प्रभावित होता है। ज्योतिष की दृष्टि से देखें तो कई रंग हमारे लिए बहुत लकी होते हैं तो वहीं कई रंग हमारे लिए अशुभ भी रहते हैं। यदि होली खेलने के लिए आप अपनी राशि के अनुरूप रंग चुनेंगे तो यह आपके लिए शुभ रहेगा और जीवन में सुख-समृद्धि व सफलता के द्वार भी खुलेंगे।मेष एवं वृश्चिक राशि-इन दोनों राशियों के स्वामी मंगल हैं। अतः इन राशि के जातकों के लिए होली खेलने में लाल, पीले, गुलाबी और केसरिया रंग का इस्तेमाल करना अच्छा रहेगा। ऐसा करने से आपको मानसिक शांति मिलेगी एवं पति-पत्नी के बीच संबंध भी मधुर बनेंगे।वृषभ एवं तुला राशि-इन दोनों राशियों के स्वामी शुक्र हैं। जन्म कुंडली में शुक्र ग्रह की प्रसन्नता के लिए इस राशि के जातकों को क्रीम, गुलाबी, हरा, फिरोजी या सिल्वर रंग या इससे मिलते-जुलते रंगों से होली खेलना बहुत शुभ रहेगा। ऐसा करने से आपको अपने कार्यक्षेत्र में सफलता मिलेगी।मिथुन एवं कन्या राशि-इन दोनों राशियों के स्वामी बुध है अतः जन्म कुंडली में बुध के अशुभ प्रभाव को कम करके शुभता में वृद्धि के लिए इन राशि वाले जातकों को हरा,नीला,जामुनी व सी ग्रीन कलर को होली के लिए चुनना लाभकारी होगा। ऐसा करने से आपके जीवन में नई ऊर्जा शक्ति एवं बौद्धिक क्षमता का विकास होगा। पति-पत्नी का दांपत्य जीवन सुखमय रहेगा।कर्क राशि-इस राशि के स्वामी चंद्रमा है। चंद्रदेव की प्रसन्नता के लिए कर्क राशि के जातकों को अपनी राशि के अनुसार सिल्वर, गुलाबी, क्रीम, लाल या सैफ्रॉन कलर की गुलाल एवं रंगों से होली खेलना श्रेष्ठ रहेगा। ऐसा करने से आपके मान-सम्मान में वृद्धि होगी एवं तरक्की के नए अवसर भी प्राप्त होंगे।सिंह राशि-इस राशि के स्वामी सूर्य देव है जो सभी ग्रहों और राशियों के भी स्वामी माने गए हैं। जन्म कुंडली में सूर्य जनित दोषों से मुक्ति तथा उनकी प्रसन्नता के लिए इस राशि के जातकों को लाल,केसरिया,गुलाबी,पीले या इससे मिलते हुए रंगो से होली खेलना बेहद शुभ रहेगा। इन रंगों का गुलाल उड़ाने से जहां आपके विचारों में सकारात्मक वृद्धि होगी वहीं आपका स्वास्थ्य भी ठीक रहेगा।धनु एवं मीन राशि-इस राशि के स्वामी बृहस्पति हैं। इनकी अशुभता में कमी और शुभता में वृद्धि के लिए इस राशि के जातकों को पीले,लाल,गुलाबी या केसरिया रंग से होली खेलने से जन्म कुंडली में बृहस्पति जन्म दोष शांत होंगे। इन रंगों के प्रयोग से धर्म-कर्म के मामलों में आस्था बढ़ेगी परिवार का माहौल खुशनुमा रहेगा।
- क्या आप जानते हैं कि पान का पत्ता (Pann ka Patta) आपके सिर दर्द की दवा बन सकता है. जी हां, अगर आपके सिर में असहनीय दर्द हो रहा है तो आप भी पान के पत्ते का इस्तेमाल कर सकते हैं. माना जाता है कि अगर पान के पत्ते को बांधकर आप अपने सिर से बांध लेंगे तो आपको इस दर्द से छुटकारा मिलेगा. इसके अलावा खुजली और घाव में ये पत्ता काफी इस्तेमाल होता है.पान के पत्ते में होते हैं कई औषधीय गुणआपने देखा होगा कि अक्सर लोग खाने के बाद पान खाने का शौक रखते हैं साथ ही पूजा-पाठ में भी खूब पान के पत्ते का इस्तेमाल किया जाता है, लेकिन ये सेहत से संबंधित कई परेशानियों को दूर करने में भी उपयोगी है. दरअसल, इसमें कई औषधीय गुण पाए जाते हैं, जो स्वास्थ्य संबंधी समस्या के लिए अच्छे होते हैं.पिंपल्स में भी कारगार है पान का पत्तादरअसल, पान में एंटी-इंफ्लेमेटरी और एंटी बैक्टीरियल गुण होते हैं, जो पिंपल्स को हटाने में असरदार होते हैं. इसके लिए आप कुछ पान के पत्ते लें और उसे पीसकर पेस्ट बना लें. अब इसमें 2 चुटकी हल्दी और एलोवेरा जेल मिक्स कर दें. इसके बाद इसको लगाएं और 20 मिलन बाद चेहरे को धो लें.पान के पत्ते से खुजली होगी दूरइसके अलावा अगर आपको किसी भी प्रकार की खुजली होती है तो इसमें भी पान का पत्ता काफी फायदेमंद है. माना जाता है कि खुजली दूर करने के लिए आप नहाने के पानी में पान के पत्ते का रस निकालकर डालें. इसमें मौजूद एंटीइंफ्लेमेटरी गुण खुजली से राहत दिलाने में असरदार साबित होंगे.
- वास्तु शास्त्र के मुताबिक घर या दफ्तर में पौधे लगाना शुभ माना जाता है. दरअसल पेड़-पौधों से निकलने वाली सकारात्मक ऊर्जा सुख-शांति और समृद्धि लाती है. वास्तु शास्त्र के जानकार मानते हैं कि घर या दफ्तर में पेड़-पौधे लगाने से भाग्य अच्छा होता है. इसके साथ ही जीवन में सकारात्मक ऊर्जा का प्रभाव बढ़ता है. बांस का पौधा चमत्कारी माना गया है. वास्तु के मुताबिक बांस का पौधा किस्मत को चमकाने के लिए खास माना जाता है. परंतु, अगर वास्तु के मुताबिक ये सही दिशा में नहीं है तो आर्थिक स्थिति प्रभावित होती है. ऐसे में जानते हैं बांस से जुड़े खास वास्तु टिप्स.बांस का पौधा लगाते वक्त रखें खास बातों का ध्यान-वास्तु शास्त्र के अनुसार अगर घर में बांस का पौधा लगाते हैं तो इसे खिड़की के पास या ऐसी जगह पर ना रखें जहां धूप आती हो, क्योंकि धूप में ये पौधा खराब हो जाएगा जिसका घर की आर्थिक स्थिति पर सीधा असर पड़ेगा.-बांस का पौधा लगाने के लिए सबसे अच्छी दिशा पूरब है. इस दिशा में बांस का पौधा लगाने से घर में सुख-शांति बनी रहती है. साथ ही घर के लोगों की आर्थिक स्थिति अच्छी रहती है.-वास्तु शास्त्र के अनुसार, 2-3 फीट की ऊचाई तक बढ़ने वाले बांस के पौधे शुभ होते हैं. दफ्तर में बांस का पौधा लगाने से वातावरण शुद्ध रहता है. साथ ही नकारात्मक ऊर्जा दूर होती है. इसके अलावा ऑफिस में लगाए गए बांस के पौधे का पानी सप्ताह में एक बार जरूर बदल दें. ऐसा करने से आर्थिक स्थिति मजबूत होती है.-बांस का पौधा लगाने से बीमारियां दूर होती हैं और शरीर स्वस्थ रहता है. साथ ही बांस के पौधे को बेडरूम में भी रखा जा सकता है. ये दांपत्य जीवन में मधुरता आती है.-बांस के पौधे को कांच के गमले या बाउल में पानी डालकर उसे लाल रंग के रिबन से बांधकर रखना चाहिए. करियर में सफलता पाने के लिए स्टडी रूम में 4 बांस के पौधे लगाएं.-
- होली का त्योहार आने में कुछ ही दिन शेष रह गए हैं। हिंदू धर्म में होली और इससे पहले होलिका दहन का विशेष महत्व है। होलिका दहन बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतीक है। इस साल होलिका दहन 17 मार्च 2022 को किया जाएगा। जबकि इसके अगले दिन यानी 18 मार्च को होली का त्योहार मनाया जाएगा। होली के दिन काली हल्दी के टोटके से जीवन की तमाम समस्या का निदान मिल सकता है। आइए जानते हैं कि होली के दिन काली हल्दी के टोटके किस प्रकार किए जाते हैं।होली के दिन काली हल्दी के टोटके-होली की रात को किसी चांदी के डब्बे में काली हल्दी, नागकेसर और सिंदूर को साथ में मिलाकर मां लक्ष्मी के चरणों का पास रख दें। कुछ देर के बाद इसे तिजोरी या धन रखने के स्थान पर रख दें। इस टोटके से धन रुकन लगेगा। साथ ही रुपए-पैसों की किल्लत भी दूर होगी।-अगर किसी कारण से शनि या राहु-केतु जैसे ग्रहों से जीवन में परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है तो ऐसे में होली की रात में काली हल्दी पीसकर उसमें रक्त चंदन मिलाकर टीका लगाएं। ऐसा करने से शनि, राहु और केतु की पीड़ा से मुक्ति मिल जाएगी।-अगर मानसिक तनाव बना रहता है तो इसे दूर करने के लिए होली की रात शुभ मुहूर्त में काली हल्दी को कटोरी में रखकर मां लक्ष्मी के सामने रखें। इसके बाद इसे धूप-दीप दिखाकर धागे में पिरोकर गले में धारण करें। ऐसा करने से मानसिक परेशानियों से छुटकारा मिलने लगेगा।-काली हल्दी की माला पहनने से नजर दोष दूर होते हैं। साथ ही ग्रहों का दुष्प्रभाव भी खत्म होने लगता है। इतना ही नहीं, अगर किसी प्रकार के टोने-टोटका का भी खतरा टल जाता है।-अगर बहुत कोशिश करने के बावजूद भी बिजनेस में आर्थिक उन्नति नहीं हो रही है तो ऐसे में होली कि दिन शुभ मुहूर्त में व्यापार वाले स्थान पर हल्दी को पीसकर उसमें केसर और गंगाजल मिलाकर व्यापार स्थल पर स्वास्तिक का चिह्न बनाएं। ऐसा करने से धीरे-धीरे व्यापार में आर्थिक प्रगति होने लगेगी।-होली की रात काली हल्दी को सिंदूर में रखकर उसे धूप दिखाकर कुछ सिक्के रखकर लाल कपड़े में लपेटकर धन वाले स्थान पर रख दें। काली हल्दी के इस टोटके से धन में वृद्धि होने लगती है।
- हर इंसान चाहता है कि उसके घर में हमेशा सुख-शांति बनी रहे. साथ ही परिवार के सदस्य आपस में हंसते-खेलते हुए शांतिपूर्ण जीवन व्यतीत करें. कहते हैं कि जब परिवार में सुख-शांति रहती है तो सुकून मिलता है. इसके साथ ही शांत और खुशहाल घर में धन की देवी लक्ष्मी का भी वास होता है. वहीं जिस घर या परिवार में आपसी कलह-क्लेश और झगड़े होते हैं, वहां रहने वालों की मानसिक स्थिति बुरी तरह से प्रभावित हो जाती है. ऐसे में इससे निजात पाने के लिए शास्त्रों अचूक और प्रभावी उपाय बताए गए हैं.पारिवारिक कलह को दूर करने के लिए खास हैं ये उपाय-अगल घर में बराबर लड़ाई-झगड़े होते रहते हैं और चाहकर उससे छुटकारा नहीं मिल रहा है तो ऐसे में केसर का उपाय लाभकारी हो सकता है. इसके लिए चुटकी भर केसर को पानी में डालकर स्नान करें. इसके अलावा केसर का दूध पीन से मानसिक शांति बनी रहती है.-लगातार 7 मंगलवार हनुमानजी के मंदिर में जाकर या घर में ही उनकी तस्वीर के सामने पांच मुखी दीपक जलाएं. इसके साथ अष्टगंध ही जलाएं. ऐसा करने से घर में सुख-शांति बनी रहेगी और सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता रहेगा.-गृह क्लेश को दूर करने के लिए रात में सोने से पहले एक गाय के घी में एक टुकड़ा डूबोकर उसे जलाएं. कपूर को पीतल के बर्तन जलाने से अधिक लाभ मिलेगा. इसके अलावा सप्ताह में एक दिन घर में गुग्गुल भी जला सकते हैं. ऐसा करने से घर में शांति का माहौल बरकरार रहता है. साथ ही मानसिक शांति मिलती है.-घर में पोछा लगाते वस्त पानी में थोड़ा सा नमक मिला लें. ऐसा करने से घर से नकारात्मक ऊर्जा भाग जाती है और घर के सदस्य खुशहाल रहने लगते हैं. इसके अलावा जिस घर में अक्सर कलह होती है, वहां हर महीने सत्यनारायण भगवान की कथा कराना चाहिए. दरअसल ऐसा करने से घर में सुख-समृद्धि बनी रहती है और मन प्रसन्न रहता है.
- फाल्गुन पूर्णिमा की तिथि को होलिका दहन किया जाता है. मान्यता है कि इस दिन होलिका दहन और पूजा के बाद ही भोजन ग्रहण करना चाहिए. होलिका दहन के अगले दिन रंग-अबीर वाली होली खेली जाती है. होलिका दहन को बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतीक माना जाता है. धार्मिक मान्यता है को होलिका दहन से आस-पास की नाकारात्मक शक्तियां नष्ट हो जाती हैं. इस बार होलिका दहन 17 मार्च को है. वहीं रंगवाली होली 18 मार्च को खेली जाएगी. ऐसे में पंचांग के मुताबिक जानते हैं होलिका दहन की तारीख और 3 खास उपाय.होली पर बनेगा खास संयोगज्योतिष शास्त्र के मुताबिक इस बार होली का त्योहार खास रहने वाला है. दरअसल इस दिन कई शुभ योग बन रहे हैं. इस बार होली के दिन अमृत योग, सर्वार्थ सिद्धि योग, वृद्धि योग और ध्रुव योग बनने वाला है. इसके साथ ही गुरु और बुध का आदित्य योग बनेगा. आदित्य योग में होली की पूजा करने से घर में सुख-शांति और समृद्धि आती है.होलिका की राख के उपाय-अगर घर में बहुत ज्यादा लड़ाई-झगड़े होते रहते हैं या घर की निगेटिव एनर्जी को दूर करना चाहते हैं तो होलिका की राख की पोटली बना लें. इसके बाद इसे शुभ मुहूर्त में घर के अलग-अलग हिस्से में रख दें. ऐसा करने से घर में व्याप्त नकारात्मक ऊर्जा नष्ट हो जाएगी.-अगर घर के बच्चे या किसी सदस्य को बहुत जल्द नजर लग जाती है अथवा कोई व्यक्ति महेशा बीमार रहता है तो इसके लिए होलिका की राख को किसी कपड़े में बांधकर व्यक्ति के सिर से 7 बार घुमाएं. ऐसा करने के बाद उसे मिट्टी के अंदर गाड़ दें.-आर्थिक समस्या को दूर करने के लिए होलिका की राख को लाल रंग के कपड़े में बांध लें. इसके बाद इसे तिजोरी या धन वाले स्थान पर रखें. इसके अलावा इसे पर्स की छोटी पॉकेट में भी रख सकते हैं. साथ ही कोई भी कार्य शुरू करने से पहले इस राख का टीका लगाएं. ऐसा करने से सारे काम पूरे होंगे और जीवन में धन की स्थिति अच्छी रहेगी.
- हर साल फाल्गुन मास की पूर्णिमा तिथि (Phalguna Purnima) को होलिका दहन किया जाता है. होलिका दहन (Holika Dahan) को बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतीक माना जाता है. इसके अगले दिन प्रतिपदा तिथि पर रंगों और गुलाल से होली (Holi with Colors) खेली जाती है. लेकिन क्या आप जानते हैं कि होली खेलने की ये परंपरा कैसे शुरू हुई. पौराणिक कथाओं में रंगों की होली का संबन्ध श्रीकृष्ण और राधारानी से संबन्धित बताया गया है. कहा जाता है कि श्रीकृष्ण ने ही अपने ग्वालों के साथ इस प्रथा को शुरू किया था. यही वजह है कि होली के त्योहार (Holi Festivals) को आज भी ब्रज में अलग ढंग से ही मनाया जाता है. यहां लड्डू होली, फूलों की होली, लट्ठमार होली, रंगों की होली आदि कई तरह की होली खेली जाती हैं और ये कार्यक्रम होली से कुछ दिनों पहले से शुरू हो जाता है. इस बार होली का पर्व 18 मार्च को मनाया जाएगा. यहां जानिए कि आखिर रंगों की होली खेलने का ये चलन कैसे शुरू हुआ.ये है कथारंगों की होली के पीछे श्रीकृष्ण की शरारत की एक कथा है. श्रीकृष्ण का रंग सांवला था और राधारानी बहुत गोरी थीं. इस बात की शिकायत वो अक्सर अपनी यशोदा मैया से करते थे और उनकी मैया इस बात पर जोर से हंस देती थीं. एक बार उन्होंने श्रीकृष्ण से कहा वे राधा को जिस रंग में देखना चाहते हैं, वो रंग राधा के चेहरे पर लगा दें. नटखट कन्हैया को मैया का सुझाव बहुत पसंद आया और उन्होंने ग्वालों के साथ मिलकर कई तरह के रंग तैयार किए और बरसाना पहुंच कर राधा और उनकी सखियों को इससे रंग दिया. नटखट कन्हैया की ये शरारत सभी को आनंद दे रही थी और सभी ब्रजवासी खूब हंस रहे थे. माना जाता है कि इसी दिन से होलिका दहन के बाद रंगों की होली खेलने का चलन शुरू हो गया. लोग रंग बिरंगे गुलाल से होली खेलकर इस उत्सव को सेलिब्रेट करते हैं.जीवन में उत्साह भरते हैं रंगआपके नीरस जीवन में ये रंग उत्साह भरने का काम करते हैं और लोगों के बीच सकारात्मकता का भाव लेकर आते हैं. लाल रंग प्रेम का प्रतीक माना जाता है और हरा रंग समृद्धि का सूचक है. पीला रंग शुभ माना गया है और नीला रंग श्रीकृष्ण का रंग माना गया है. इस तरह रंगों से होली खेलकर हमारा मन आनंदित हो जाता है. ये त्योहार लोगों के मन से कटुता को समाप्त कर प्रेम भर देता है. वैसे तो होली का ये पर्व भारत के अधिकांश हिस्सों में मनाया जाता है, लेकिन ब्रज की होली आज भी पूरे विश्व में प्रसिद्ध है. इसे राधाकृष्ण के सच्चे प्रेम के प्रतीक के तौर पर सेलिब्रेट किया जाता है.
- होली से कुछ दिनों पहले फाल्गुन के महीने (Phalguna Month) में शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि को रंगभरी एकादशी (Rangbhari Ekadashi) कहा जाता है. आमतौर पर सभी एकादशी पर नारायण की पूजा होती है, लेकिन ये एकमात्र ऐसी एकादशी है, जिसमें नारायण के साथ महादेव और माता पार्वती की भी पूजा की जाती है. उन पर रंग और गुलाल डालकर होली खेली जाती है. इस दिन आंवले के पेड़ की भी पूजा की जाती है, इसलिए इस एकादशी को आमलकी एकादशी (Amalaki Ekadashi) और आंवला एकादशी के नाम से भी जाना जाता है. इस बार रंगभरी एकादशी 14 मार्च को है. यहां जानिए रंगभरी एकादशी से महादेव और माता पार्वती का संबन्ध कैसे जुड़ा और क्यों उनके साथ होली खेलने की परंपरा शुरू हुई.इस दिन हुआ था माता पार्वती का गौनाकहा जाता है कि महाशिवरात्रि पर माता पार्वती से विवाह करने के बाद महादेव ने रंगभरी एकादशी के दिन ही माता पार्वती का गौना करवाया था. मान्यता है कि इस दिन वो पहली बार उन्हें लेकर काशी विश्वनाथ होते हुए कैलाश पर्वत पर पहुंचे थे. उस समय बसंत का मौसम होने की वजह से चारों ओर से प्रकृति मुस्कुरा रही थी. महादेव के भक्तों ने माता पार्वती का स्वागत रंगों और गुलाल से किया था. साथ ही उन पर रंग बिरंगे फूलों की वर्षा की थी. तब से ये दिन अत्यंत शुभ हो गया और इस दिन महादेव और माता पार्वती की पूजा और उनके साथ होली खेलने का चलन शुरू हो गया.काशी में निकलता है भव्य डोलारंगभरी एकादशी के दिन आज भी वाराणसी में उत्सव का माहौल होता है. हर साल इस मौके पर बाबा विश्वनाथ माता पार्वती का भव्य डोला निकाला जाता है. इस मौके पर बाबा विश्वनाथ माता गौरी के साथ नगर भ्रमण करते हैं और उनके भक्त रंग और गुलाल डालकर उनका स्वागत करते हैं. इसके बाद काशी विश्वनाथ मंदिर में उनकी विशेष पूजा-अर्चना की जाती है.शोक समापन का दिनहिंदू समाज में जब किसी की मृत्यु हो जाती है, तो शादीशुदा बेटी किसी बड़े त्योहार से पहले अपने मायके मिठाई लेकर त्योहार उठाने के लिए जाती है. इसके बाद मृत्यु के शोक को समाप्त करके फिर से परिवार में शुभ कार्य शुरू किए जा सकते हैं. होली से कुछ दिन पड़ने वाली रंगभरी एकादशी को शोक समापन के लिहाज से काफी शुभ दिन माना जाता है.
- हर साल रंगों की होली (Holi) खेलने से पहले होलिका दहन किया जाता है. माना जाता है कि होलिका दहन (Holika Dahan) बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतीक है. इस मौके पर आहुति देना शुभ माना जाता है. मान्यता है कि होलिका दहन की अग्नि में आहुति देने से जीवन की नकारात्मकता समाप्त होती है. इस बार होली का त्योहार 18 मार्च 2022 को मनाया जाएगा. भद्राकाल (Bhadra Kaal) होने की वजह से होलिका दहन 17 और 18 मार्च की आधी रात को होगा. माना जाता है कि होलिका दहन के दौरान अगर कुछ उपाय किए जाएं तो जीवन की तमाम समस्याओं का अंत हो जाता है. यहां जानिए इन उपायों के बारे में.सुख समृद्धि के लिएकहा जाता है कि होलिका दहन के समय अगर अनाज की आहुति दी जाए तो परिवार में सुख समृद्धि बनी रहती है. ऐसे में आप भुट्टे के दाने, उड़द, गेहूं, मसूर, चना, चावल या जौ में किसी एक चीज को चढ़ा सकते हैं.आर्थिक संकट से छुटकारा पाने के लिएअगर आपके परिवार में आर्थिक संकट है तो आपको देसी घी में भीगे हुए दो बताशे, दो लौंग और एक पान के पत्ते की आहुति देनी चाहिए. इससे घर में धीरे धीरे धन का संकट समाप्त होने लगता है और आर्थिक समस्याएं दूर हो जाती हैं.विवाह की अड़चनों को दूर करने के लिएअगर आपके तमाम प्रयासों के बाद भी विवाह की बात कहीं नहीं बन पा रही है, तो शादी की अड़चनों को दूर करने के लिए एक पान के पत्ते पर एक साबुत बताशा और हल्दी की साबुत गांठ रखकर होलिका दहन की अग्नि में आहुति दें. इसके साथ महादेव और माता पार्वती का ध्यान करें और उनसे इस समस्या को दूर करने की प्रार्थना करें.बीमारी से छुटकारा पाने के लिएबीमारी से छुटकारा पाने के लिए होलिका दहन की रात में एक सफेद कपड़े में 11 गोमती चक्र, नागकेसर के 21 जोड़े तथा 11 कौड़ियां बांधें और कपड़े पर हरसिंगार व चन्दन का इत्र लगाएं. इसके बाद रोगी के सिर से सात बार उतारें. होली के अगले दिन इसे शिव मंदिर में रख आएं. इस उपाय को बहुत गुपचुप तरीके से करें. इससे काफी फायदा मिलेगा.लंबी आयु के लिएअपनी लंबाई का काला धागा नापें. इसे दो से तीन बार उसी लंबाई के बराबर लपेटकर तोड़ लें. होलिका दहन करते समय अग्नि में ये धागा भी डाल दें. इससे आपकी सारी बलाएं कट जाएंगी और लंबी आयु मिलेगी.
- फाल्गुन मास (Phalguna Month) की पूर्णिमा तिथि (Purnima Tithi) को होलिका दहन किया जाता है. इसके अगले दिन धुलेंडी का पर्व मनाया जाता है, जिसमें रंगों की होली खेली जाती है. हिंदू धर्म ग्रन्थों के अनुसार, होलिका दहन (Holika Dahan) पूर्णिमा तिथि में सूर्यास्त के बाद करना चाहिए. लेकिन अगर इस बीच भद्राकाल (Bhadra Kaal) हो, तो भद्राकाल में होलिका दहन नहीं करना चाहिए. इसके लिए भद्राकाल के समाप्त होने का इंतजार करना चाहिए. होलिका दहन के लिए भद्रामुक्त पूर्णिमा तिथि का होना जरूरी है. शास्त्रों में भद्राकाल को अशुभ माना गया है. मान्यता है कि इसमें किया गया कोई भी काम सफल नहीं होता और उसके अशुभ परिणाम मिलते हैं. इस बार भी पूर्णिमा तिथि दो दिन है, साथ ही पूर्णिमा तिथि पर भद्राकाल होने के कारण लोगों में होली और होलिका दहन को लेकर संशय की स्थिति है. यहां जानिए किस दिन मनाई जाएगी होली और क्या है होलिका दहन के शुभ समय .ये है होलिका दहन का शुभ समयपूर्णिमा तिथि 17 मार्च 2022 को दोपहर 01:29 बजे से शुरू होकर 18 मार्च दोपहर 12:52 मिनट तक रहेगी. वहीं 17 मार्च को 01:20 बजे से भद्राकाल शुरू हो जाएगा और देर रात 12:57 बजे तक रहेगा. ऐसे में शाम के समय होलिका दहन नहीं किया जा सकेगा. चूंकि होलिका दहन के लिए रात का समय उपर्युक्त माना गया है, ऐसे में 12:57 बजे भद्राकाल समाप्त होने के बाद होलिका दहन संभव हो सकेगा. इसके लिए शुभ समय 12:58 बजे से लेकर रात 2:12 बजे तक है. इसके बाद ब्रह्म मुहूर्त की शुरुआत हो जाएगी.जानें होली की सही तिथिइस बार होली की तिथि को लेकर भी लोगों के मन में संशय की स्थिति है. पूर्णिमा तिथि 17 मार्च से शुरू होकर 18 मार्च को दोपहर 12:52 मिनट तक रहेगी. इसके बाद प्रतिपदा तिथि लग जाएगी. प्रतिपदा तिथि 19 मार्च को दोपहर 12:13 बजे तक रहेगी. रंगों की होली प्रतिपदा तिथि में खेली जाती है. ऐसे में कुछ लोग रंगोत्सव के लिए 18 मार्च को सही तिथि मान रहे हैं, वहीं कुछ लोग 19 मार्च को, क्योंकि 19 मार्च को उदय काल में प्रतिपदा तिथि होगी. लेकिन इस मामले में ज्योतिष विशेषज्ञ डॉ. अरविंद मिश्र की मानें तो पूर्णिमा तिथि में चंद्रमा का महत्व होता है, इसलिए इसमें उदय काल का महत्व नहीं माना जाता. इसलिए पूर्णिमा तिथि 17 मार्च को ही मान्य होगी. 17 मार्च की रात को होलिका दहन के बाद 18 मार्च को प्रतिपदा तिथि में रंगों की होली खेली जा सकती है. इसके अलावा कुछ जगहों पर 18 और 19 मार्च को दोनों दिन रंगों की होली खेली जाएगी.
- होली का त्योहार देशभर में धूमधाम से मनाया जाता है. होली से एक दिन पहले होलिका दहन किया जाता है. ये त्योहार फाल्गुन मास की पूर्णिमा के दिन मनाया जाता है. इस साल होली (Holi 2022) का त्योहार 17 मार्च को मनाया जाएगा. इस दिन लोग होलिका दहन से पहले विधि विधान से होलिका की पूजा करते हैं. होलिका (Holika Dahan) की अग्नि में घर की सभी समस्याओं को दहन करने की प्रार्थना करते हैं. होलिका को रोली, धूप, फूल, गुड़, हल्दी, बताशे, गुलाल और नारियल जैसी चीजें अर्पित की जाती है. इस दिन होलिका दहन (Holi) की पौराणिक कथा का पाठ करने का भी बहुत महत्व होता है. इस दौरान कथा का पाठ पढ़ने या सुनने से घर में सुख-समृद्धि आती है.होलिका दहन की कथाहोलिका की कहानी मुख्य रूप से भगवान विष्णु के नरसिंह अवतार और भक्त प्रहलाद से जुड़ी है. मान्यताओं के अनुसार विष्णु के एक भक्त प्रहलाद का जन्म एक असुर परिवार में हुआ था. प्रहलाद भगवान विष्णु का भक्त था. हिरण्यकश्यप को भगवान के प्रति उसकी भक्ति पसंद नहीं थी. हालांकि प्रहलाद किसी और चीज की चिंता किए बिना भक्ति में लीन रहते थे.हिरण्यकश्यप को ये पसंद नहीं आया और उसने प्रहलाद को कई तरह से प्रताड़ित किया. हिरण्यकश्यप ने कई बार प्रहलाद को मारने की कोशिश की लेकिन भगवान विष्णु के प्रभाव के कारण हमेशा असफल रहा. फिर हिरण्यकश्यप ने अपनी बहन होलिका से बात की. होलिका को वरदान था कि वह आग में नहीं जल सकती है. होलिका के पास एक ऐसा वस्त्र था जो आग में नहीं जल सकता था. होलिका ने वस्त्र पहना और प्रहलाद के साथ अग्नि में बैठ गई.हालांकि प्रहलाद सुरक्षित रहा और होलिका जलकर राख हो गई थी. इसी कथा को ध्यान में रखते हुए होलिका दहन की प्रथा शुरू हुई और अब तक चल रही है. इस खुशी में अगले दिन रंगों से होली खेली जाती है. होलिका पूजा के दौरान इस कथा को पढ़ने का विधान है. ऐसा माना जाता ही अगर ये कथा पूरी श्रद्धा से पढ़ी जाए तो भगवान आपकी सभी मनोकामनाएं पूरी करते हैं.होली के दिन लोग रंगों से क्यों खेलते हैं?होली के त्योहार से जुड़ी कई कहानियां हैं. ऐसी ही एक और कहानी है. माना जाता है कि भगवान कृष्ण राधा के गांव बरसाने गए और राधा और सभी गोपियों के साथ होली खेली. अगले दिन बरसाने के लोग नंदगांव में होली मनाते हैं. इस परंपरा के चलते बरसाने और नंदगांव के लोग आज भी रंगों की होली के साथ-साथ लट्ठमार होली भी खेलते हैं.
- रंगों से जुड़े वास्तु नियम बताने जा रहे हैं, जिन्हें बेडरूम के लिए अपनाकर आप अपने रिश्ते और घर में सुख एवं समृद्धि भरा माहौल बना सकते हैं. जानें आपको बेडरूम के लिए रंगों से जुड़ी किन बातों का विशेष ध्यान रखना चाहिए.लाल रंग न कराएंकहते हैं कि बेडरूम में किसी भी तरह की ऐसी चीज को नहीं लगाना चाहिए, जो लाल रंग की हो. इसमें कमरे का लैंप, नाइट बल्ब और कमरे में किया हुआ कलर शामिल है. कमरे में लाल रंग करवाने से क्रोध और आक्रामकता बढ़ती है और इसी कारण लाल रंग को बेडरूम में न किए जाने की सलाह दी जाती है. अगर आप बेडरूम में नाइट बल्ब का इस्तेमाल करना चाहते हैं, तो उसका कलर नीला चूज करें.हल्के रंग कराएंबेडरूम घर का एक अहम हिस्सा होता है, यहां भी ऐसा कलर करवाना चाहिए, जो मन को शांति दे. कई बार लोग अपने फर्नीचर के मुताबिक बेडरूम का कलर चुनते हैं, लेकिन वास्तु के मुताबिक ये नुकसानदायक साबित हो सकता है. बेडरूम में हमेशा हल्के रंगों को करना चाहिए. इससे नेगेटिव एनर्जी दूर रहती है और पॉजिटिव माहौल बना रहता है. आप बेडरूम में हल्का हरा, गुलाबी या फिर लाइट ब्लू कलर करवा सकते हैं.पर्दों का रंगबेडरूम में लगाए जाने वाले पर्दों का रंग भी रिश्ते के लिए बहुत अहम माना जाता है. कहते हैं कि इन पर्दों का रंग भी हल्का होना चाहिए. आप बेडरूम के लिए सफेद, नारंगी, क्रीम या फिर पीले रंग के पर्दे चुन सकते हैं. मान्यता है कि पर्दों का कलर भी बेडरूम में पॉजिटिविटी लाता है और इस कारण पति-पत्नी के बीच मिठास भी बनी रहती है, इसलिए यहां पर हल्के रंग के ही पर्दों को लगाएं.बेडरूम में इन रंगों का करें इस्तेमाल, रिश्ते में रहेगी मिठासरंगों से जुड़े वास्तु नियम बताने जा रहे हैं, जिन्हें बेडरूम के लिए अपनाकर आप अपने रिश्ते और घर में सुख एवं समृद्धि भरा माहौल बना सकते हैं. जानें आपको बेडरूम के लिए रंगों से जुड़ी किन बातों का विशेष ध्यान रखना चाहिए.लाल रंग न कराएंकहते हैं कि बेडरूम में किसी भी तरह की ऐसी चीज को नहीं लगाना चाहिए, जो लाल रंग की हो. इसमें कमरे का लैंप, नाइट बल्ब और कमरे में किया हुआ कलर शामिल है. कमरे में लाल रंग करवाने से क्रोध और आक्रामकता बढ़ती है और इसी कारण लाल रंग को बेडरूम में न किए जाने की सलाह दी जाती है. अगर आप बेडरूम में नाइट बल्ब का इस्तेमाल करना चाहते हैं, तो उसका कलर नीला चूज करें.हल्के रंग कराएंबेडरूम घर का एक अहम हिस्सा होता है, यहां भी ऐसा कलर करवाना चाहिए, जो मन को शांति दे. कई बार लोग अपने फर्नीचर के मुताबिक बेडरूम का कलर चुनते हैं, लेकिन वास्तु के मुताबिक ये नुकसानदायक साबित हो सकता है. बेडरूम में हमेशा हल्के रंगों को करना चाहिए. इससे नेगेटिव एनर्जी दूर रहती है और पॉजिटिव माहौल बना रहता है. आप बेडरूम में हल्का हरा, गुलाबी या फिर लाइट ब्लू कलर करवा सकते हैं.पर्दों का रंगबेडरूम में लगाए जाने वाले पर्दों का रंग भी रिश्ते के लिए बहुत अहम माना जाता है. कहते हैं कि इन पर्दों का रंग भी हल्का होना चाहिए. आप बेडरूम के लिए सफेद, नारंगी, क्रीम या फिर पीले रंग के पर्दे चुन सकते हैं. मान्यता है कि पर्दों का कलर भी बेडरूम में पॉजिटिविटी लाता है और इस कारण पति-पत्नी के बीच मिठास भी बनी रहती है, इसलिए यहां पर हल्के रंग के ही पर्दों को लगाएं.
- इस समय लोगों का दिल फिल्म 'पुष्पा' पर आया हुआ है । इस फिल्म के गानों से लेकर एक्टर अल्लू अर्जुन की एक्टिंग तक ने लोगों को अपना दीवाना बना दिया है । लाल चंदन की तस्करी पर बनी इस फिल्म ने गजब पॉपुलरिटी पाई है । लाल चंदन अंतरराष्ट्रीय बाजार में जितना कीमती है । धर्म और ज्योतिष में भी इसकी उतनी ही अहमियत है । जिस पर लाल चंदन के टोटके-उपाय तो किस्मत बदलने की ताकत रखते हैं ।बहुत प्रभावशाली हैं लाल चंदन के टोटकेलाल चंदन को रक्त चंदन भी कहते हैं । कारोबार में तरक्की से लेकर, वास्तु दोष दूर करने, ढेर सारा पैसा कमाने, घर में सुख-समृद्धि, शांति लाने और शत्रु को मात देने जैसे तमाम कामों में लाल चंदन के टोटके बेहद कारगर माने जाते रहे हैं। इसके अलावा तंत्र-मंत्र के लिए तो लाल चंदन बहुत उपयोगी है। अधिकांश तंत्र प्रयोगों में लाल चंदन का उपयोग होता है।हर तरह के कष्ट दूर करने का उपाय: यदि लाल चंदन की माला से मां काली के सिद्ध मंत्रों का जाप करें तो जीवन का बड़े से बड़ा कष्ट भी दूर हो जाता है।सुख-समृद्धि पाने का उपाय: यदि हर शुक्रवार को मां लक्ष्मी की पूजा करें और उनका लाल चंदन से तिलक करें तो मां लक्ष्मी बहुत जल्दी प्रसन्न होकर खूब सुख-समृद्धि देती हैं।कारोबार में तरक्की पाने का उपाय: हर मंगलवार को पीपल के 11 पत्तों में लाल चंदन से राम-राम लिखकर हनुमान मंदिर में चढ़ाने से कुछ ही दिन में कारोबार दिन दूनी और रात चौगुनी तरक्की करेगा, लेकिन कोशिश करें कि यह उपाय ऐसे करें कि कोई आपको देखे नहीं।वास्तु दोष दूर करने के उपाय: लाल चन्दन के चूरा, अश्वगंधा और गोखरूचूर्ण में कपूर मिलाकर 40 दिन तक लगातार घर में हवन करने से बड़े से बड़ा दोष दूर हो जाता है। घर में सकारात्मक बढ़ेगी और चौतरफा फायदा होगा। घर में एक के बाद एक खुशियां आएंगी।शत्रु को मात देने का उपाय: भोज पत्र के ऊपर लाल चंदन से शत्रु का नाम लिखें और पत्र को शहद में डुबों दें। इससे शत्रु से होने वाली परेशानी खत्म हो जाएगी।अपार पैसा पाने का उपाय: कड़ी मेहनत के बाद भी मनमाफिक धन कमाने में सफल नहीं हो पा रहे हैं तो मंगलवार को लाल चंदन, लाल गुलाब के फूल और रौली को लाल कपड़े में बांधकर पैसे रखने की जगह पर रख दें। हर 6 महीने में ऐसा करते रहें। माना जाता है कि इससे धन की आवक बढ़ेगी और हमेशा मालामाल बने रहेंगे।सफलता पाने का उपाय: लाल चंदन का तिलक लगाने से आत्मविश्वास बढ़ता है और हर काम में सफलता मिलने लगती है।
- महकता हुआ घर सकारात्मकता तो देता ही है, साथ ही परिवार के सदस्यों के लिए भी अच्छे होते हैं. वास्तु में ऐसे ही कुछ खुशबूदार पौधों के बारे में बताया गया है. जिन्हें घर में सही दिशा में लगाने से करियर में तरक्की, सुख-समृद्धि और सफलता का कारण बनता है.रजनीगंधा का पौधा बहुत ही प्रभावी माना गया है. कहते हैं इसे लगाते ही घर में कमाई के कई नए रास्ते खुलने शुरू हो जाते हैं.रजनीगंधा पौधे को ट्यूबरोज के नाम से भी जानते हैं. रजनीगंधा के फूलों की माला देवी-देवताओं को अर्पित की जाती है. वास्तु शास्त्र में इसे बेहद शुभ पौधे के रूप में जाना जाता है. घर में सही दिशा में लगाने से इसके कई लाभ मिलते हैं.रजनीगंधा का पौधा घर की पूर्व या उत्तर दिशा में लगाने से घर में बरकत होती है. और धन की आवक बढ़ती है. घर की पूर्व या उत्तर दिशा में इस पौधे को लगाने से परिवार के सदस्यों की खूब तरक्की होती है. वास्तु शास्त्र के अनुसार घर के आंगन में रजनीगंधा का पौधा रखने से पति-पत्नी के रिश्ते मजबूत होते हैं. और दोनों के बीत प्यार बढ़ता है. कहते हैं कि रजनीगंधा पौधा घर के कई वास्तु दोषों को दूर करता है और सकारात्मकता लाता है.
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महाशिवरात्रि के पर्व का हिंदू धर्म में विशेष महत्व है। शिवरात्रि का पर्व भगवान शिव को समर्पित है। मान्यतानुसार शिवरात्रि के दिन ही भगवान शिव और माता पार्वती का विवाह हुआ था । इस दिन भगवान शिव की पूरे विधि-विधान के साथ पूजा अर्चना की जाती है और साथ ही व्रत उपवास करने का विधान है। इस दिन किए गए अनुष्ठानों, पूजा व व्रत का विशेष लाभ मिलता है।
इस साल शिव-शक्ति के मिलन का महापर्व महाशिवरात्रि शिव योग में मनाई जा रही है,साथ में चतुर्ग्रही योग भी बनेगा। यह पर्व फाल्गुन कृष्ण चतुर्दशी 1 मार्च,मंगलवार को है । चतुर्दशी मुहूर्त एक मार्च सुबह 03:16 से शुरू होकर देर रात्रि 1 बजे समाप्त होगा। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार इस दिन विधि-विधान से भगवान शिव की पूजा-अर्चना करने से मनोवांछित फल की प्राप्ति होती है और सभी कष्टों का निवारण होता है।चार प्रहर की पूजा का महत्वमहाशिवरात्रि के दिन चार प्रहर की पूजा का विधान है। मान्यता है कि चार प्रहर की पूजा करने से व्यक्ति जीवन के सभी पापों से मुक्त हो जाता है। धर्म,अर्थ काम और मोक्ष की प्राप्ति होती है। चार पहर की पूजा संध्याकाल यानि प्रदोष वेला से शुरू होकर अगले दिन ब्रह्ममुहूर्त तक की जाती है। पहले प्रहर में दूध से शिव के ईशान स्वरूप को,दूसरे प्रहर में दही से अघोर स्वरुप को,तीसरे प्रहर में घी से वामदेव रूप को और चौथे प्रहर में शहद से सद्योजात स्वरुप को अभिषेक कर पूजन करें। महाशिवरात्रि की रात महासिद्धिदायिनी है इसलिए इस महारात्रि में की गई पूजा-अर्चना विशेष पुण्य प्रदान करती है। अगर कोई शिवभक्त चार बार पूजन और अभिषेक न कर सके और पहले प्रहर में एक बार ही पूजन कर लें,तो भी उसको कष्टों से मुक्ति मिलती है।पहला पहर1 मार्च शाम 6:23 से 9:31 तकदूसरा पहररात्रि 9:32 से 12:39 तकतीसरा पहरमध्यरात्रि 12:40 से सुबह 3:47 तकचौथा पहरमध्य रात्रि बाद 3:48 से अगले दिन सुबह 6:54 तककैसे करें शिव पूजाश्रद्धा भाव से महाशिवरात्रि का व्रत सात्विक रहते हुए विधिपूर्वक रखकर शिवपूजन,शिवकथा,शिव चालीसा,शिवस्रोंतों का पाठ और 'ॐ नमः शिवाय'का जप करते हुए रात्रि जागरण करने से अश्वमेघ के समान फलों की प्राप्ति होती है। व्रत के दूसरे दिन पुनः प्रातः शिवलिंग पर जलाभिषेक कर ब्राह्मणों को यथाशक्ति दक्षिणा आदि दें।रुद्राभिषेक करना शुभदायकइस दिन रुद्राभिषेक करना शुभदायक होगा। इस दुर्लभ योग में भगवान शिव की आराधना करने पर दोष भी दूर हो सकेंगे और कष्टों से मुक्ति मिलेगी। इस दिन कई प्रकार के धार्मिक अनुष्ठान जैसे रूद्राभिषेक और महामृत्युंजय मंत्र का जाप किया जाता है। इस मंत्र के जाप से कई कष्टों का निवारण होता है।महाशिवरात्रि की पूजा विधिशिव रात्रि को भगवान शंकर को पंचामृत से स्नान करा कराएं। केसर के 8 लोटे जल चढ़ाएं। पूरी रात को दीपक जलाकर रखें। चंदन का तिलक लगाएं, बेलपत्र, भांग,गन्ने का रस, धतूरा, तुलसी, जायफल, कमल गट्टे, फल, मिठाई, मीठा पान इत्र और दक्षिणा चढ़ाए। इसके बाद खीर का भोग लगाकर प्रसाद बांटें. ओम नमो भगवते रूद्राय, ओम नम: शिवाय रूद्राय् शम्भवाय् भवानीपतये नमो नम: मंत्र का जाप करें। इस दिन शिव पुराण का पाठ जरूर करें। अगर इस दिन जागरण हो तो अति उत्तम है।महाशिवरात्रि पूजा का महत्वइस दिन काले तिलों सहित स्नान करके व व्रत रखकर रात्रि में भगवान शिव की विधिवत आराधना करना कल्याणकारी माना जाता है। दूसरे दिन अर्थात अमावस के दिन मिष्ठान्नादि सहित बाह्मणों तथा शारीरिक रुप से असमर्थ लोगों को भोजन देने के बाद ही स्वयं भोजन करना चाहिए। यह व्रत महा कल्याणकारी होता है और अश्वमेध यज्ञ तुल्य फल प्राप्त होता है। -
हिंदी पंचांग के आखिरी महीने फाल्गुन की शुरुआत हो चुकी है और फाल्गुन मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि को महाशिवरात्रि का त्योहार देशभर में धूमधाम से मनाया जाएगा। इस दौरान हर एक श्रद्धालु की यही कोशिश रहती है कि वे भोलेनाथ भगवान शिव को प्रसन्न कर उनका आशीर्वाद प्राप्त कर सकें। वैसे तो देशभर में शिव जी के कई प्रसिद्ध मंदिर और शिवालय हैं, लेकिन भगवान शिव के 12 ज्योतिर्लिंगों का अपना अलग ही महत्व है। पुराणों और धार्मिक मान्यताओं के मुताबिक इन 12 स्थानों पर जो शिवलिंग मौजूद हैं उनमें ज्योति के रूप में स्वयं भगवान शिव विराजमान हैं। यही कारण है कि इन्हें ज्योतिर्लिंग कहा जाता है। ऐसी मान्यता है कि इन ज्योतिर्लिंगों के दर्शन मात्र से ही श्रद्धालुओं के सभी पाप दूर हो जाते हैं। आइये जानते हैं इन 12 ज्योतिर्लिंग की महिमा.....
1. सोमनाथ ज्योतिर्लिंग, गुजरातगुजरात के सौराष्ट्र में अरब सागर के तट पर स्थित है देश का पहला ज्योतिर्लिंग जिसे सोमनाथ के नाम से जाना जाता है। शिव पुराण के अनुसार जब चंद्रमा को प्रजापति दक्ष ने क्षय रोग का श्राप दिया था तब इसी स्थान पर शिव जी की पूजा और तप करके चंद्रमा ने श्राप से मुक्ति पाई थी। ऐसी मान्यता है कि स्वयं चंद्र देव ने इस ज्योतिर्लिंग की स्थापना की थी।2. मल्लिकार्जुन ज्योतिर्लिंग, आंध्र प्रदेशआंध्र प्रदेश में कृष्णा नदी के किनारे श्रीशैल पर्वत पर स्थित है मल्लिकार्जुन ज्योतिर्लिंग। इसे दक्षिण का कैलाश भी कहते हैं और माना जाता है कि इस ज्योतिर्लिंग के दर्शन मात्र से सभी कष्ट दूर हो जाते हैं।3. महाकालेश्वर ज्योतिर्लिंग, मध्य प्रदेशमध्य प्रदेश के उज्जैन में क्षिप्रा नदी के तट पर स्थित है महाकालेश्वर ज्योतिर्लिंग। ये एकमात्र दक्षिणमुखी ज्योतिर्लिंग है जहां रोजाना प्रात: होने वाली भस्म आरती विश्व भर में प्रसिद्ध है।4. ओंकारेश्वर ज्योतिर्लिंग, मध्य प्रदेशओंकारेश्वर ज्योतिर्लिंग मध्यप्रदेश के मालवा क्षेत्र में स्थित है और नर्मदा नदी के किनारे पर्वत पर स्थित है। मान्यता है कि तीर्थ यात्री सभी तीर्थों का जल लाकर ओंकारेश्वर में अर्पित करते हैं तभी उनके सारे तीर्थ पूरे माने जाते हैं।5. केदारनाथ ज्योतिर्लिंग, उत्तराखंडकेदारनाथ ज्योतिर्लिंग उत्तराखंड में अलखनंदा और मंदाकिनी नदियों के तट पर केदार नाम की चोटी पर स्थित है। यहां से पूर्वी दिशा में श्री बद्री विशाल का बद्रीनाथधाम मंदिर है। मान्यता है कि भगवान केदारनाथ के दर्शन किए बिना बद्रीनाथ की यात्रा अधूरी और निष्फ्ल है।6. भीमाशंकर ज्योतिर्लिंग, महाराष्ट्रभीमाशंकर ज्योतिर्लिंग, महाराष्ट्र में पुणे से करीब 100 किलोमीटर दूर डाकिनी में स्थित है। यहां स्थित शिवलिंग काफी मोटाई लिए हुए है, इसलिए इसे मोटेश्वर महादेव भी कहा जाता है।7. विश्वनाथ ज्योतिर्लिंग, उत्तर प्रदेशउत्तर प्रदेश के वाराणसी शहर जिसे धर्म नगरी काशी के नाम से जाना जाता है। यहीं पर गंगा नदी के तट पर स्थित है बाबा विश्व नाथ का मंदिर जिसे विश्वनाथ ज्योतिर्लिंग के नाम से जाना जाता है। ऐसी मान्यता है कि कैलाश छोड़कर भगवान शिव ने यहीं अपना स्थाई निवास बनाया था।8. त्र्यंबकेश्वर ज्योतिर्लिंग, महाराष्ट्रत्र्यंबकेश्वर ज्योतिर्लिंग महाराष्ट्रा के नासिक से 30 किलोमीटर दूर पश्चिम में स्थित है। गोदावरी नदी के किनारे स्थित यह मंदिर काले पत्थरों से बना है। शिवपुराण में वर्णन है कि गौतम ऋषि और गोदावरी की प्रार्थना पर भगवान शिव ने इस स्थान पर निवास करने निश्चय किया और त्र्यंबकेश्वर नाम से विख्यात हुए।9. वैद्यनाथ ज्योतिर्लिंग, झारखंडवैद्यनाथ ज्योतिर्लिंग झारखंड के देवघर में स्थित है। यहां के मंदिर को वैद्यनाथधाम के नाम से जाना जाता है। कहा जाता है कि एक बार रावण ने तप के बल से शिव को लंका ले जाने की कोशिश की, लेकिन रास्ते में व्यवधान आ जाने से शर्त के अनुसार शिव जी यहीं स्थापित हो गए। इसलिए इस क्षेत्र की अलग ही महिमा है।10. नागेश्वल ज्योतिर्लिंग, गुजरातनागेश्वथर मंदिर गुजरात में बड़ौदा क्षेत्र में गोमती नदी. द्वारका के करीब स्थित है। धार्मिक पुराणों में भगवान शिव को नागों का देवता बताया गया है और नागेश्वर का अर्थ होता है नागों का ईश्वर। कहते हैं कि भगवान शिव की इच्छा अनुसार ही इस ज्योतिर्लिंग का नामकरण किया गया है। यहां पर भक्त भगवान शिव में चांदी के नाग समर्पित करते हैं। .11. रामेश्वर ज्योतिर्लिंग, तमिलनाडुभगवान शिव का 11वां ज्योतिर्लिंग तमिलनाडु के रामनाथम नामक स्थान में हैं। ऐसी मान्यता है कि रावण की लंका पर चढ़ाई करने से पहले भगवान राम ने जिस शिवलिंग की स्थापना की थी, वही रामेश्वर के नाम से विश्व विख्यात हुआ।12. घृष्णेवश्वृर ज्योतिर्लिंग, महाराष्ट्रघृष्णेवश्वृर ज्योतिर्लिंग महाराष्ट्र के संभाजीनगर के समीप दौलताबाद के पास स्थित है। भगवान शिव के 12 ज्योतिर्लिंगों में से यह अंतिम ज्योतिर्लिंग है। इस ज्योतिर्लिंग को घुश्मेश्वर के नाम से भी जाना जाता है। - वास्तु शास्त्र में घर की हर दिशा का अपना महत्व है। घर में रखी कोई भी वस्तु तभी शुभ फल देती है जब उसे सही दिशा या सही जगह पर रखा जाए। वास्तु के अनुसार घर का इंटीरियर दिशा के अनुसार होना चाहिए। उत्तर दिशा के स्वामी कुबेर देवता हैं। इसलिए इस दिशा में कुछ विशेष ध्यान देने की जरूरत है। वास्तु के अनुसार घर की उत्तर दिशा दोषों से मुक्त होनी चाहिए। ऐसा होने पर घर धन-धान्य से भरा रहता है। वहीं इसके विपरीत यदि घर वास्तु के अनुसार नहीं बना हो मतलब घर की हर चीज की दिशा वास्तु के अनुसार नहीं हो तो घर में बेवजह क्लेश होता है और दरिद्रता छा जाती है, जिससे मां लक्ष्मी रूठ कर चलीं जातीं हैं। आइए जानते हैं इस दिशा में क्या रखना चाहिए, ताकि धन के देवता कुबेर की विशेष कृपा बनी रहे।-घर की तिजोरीधन और समृद्धि के देवता कुबेर उत्तर दिशा के स्वामी हैं। इसलिए उत्तर दिशा में घर की तिजोरी रखने से घर में कभी पैसे की कमी नहीं होगी और घर में हमेशा बरकत बनी रहेगी।-नीले रंग का पिरामिडवास्तु शास्त्र के अनुसार घर की उत्तर दिशा में नीले रंग का पिरमिड लगाना चाहिए। ऐसा करने से आपका घर धन-धान्य से भरा रहेगा। यदि हो सके तो घर की उत्तर दिशा की दीवारों को नीले रंग से पेंट करवा दें।भगवान गणेश और मां लक्ष्मी की मूर्तिहर घर में मंदिर और भगवान की प्रतिमा देखने को मिलेगी , लेकिन इसकी सही दिशा भी जरूरी है। वास्तु शास्त्र के अनुसार घर की पूर्व-उत्तर दिशा में भगवान गणेश और मां लक्ष्मी की मूर्ति जरूर रखनी चाहिए। इसके अलावा इस स्थान की साफ-सफाई का विशेष ध्यान रखें। ऐसा करने से घर में रुपए-पैसों की तंगी नहीं रहेगी।-तुलसी या आंवले का पौधावास्तुशास्त्र के अनुसार घर में आर्थिक संपन्नता बनाए रखने के लिए घर की उत्तर दिशा में तुलसी का पौधा या आंवले का पेड़ लगाने से लाभ होता है। साथ ही उत्तर दिशा में पानी की व्यवस्था रखने से घर में धन का प्रवाह होता रहता है।
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एक मार्च को महाशिवरात्रि का पर्व मनाया जाएगा। यह त्योहार हिन्दू धर्म में बहुत हर्ष और उल्लास के साथ मनाया जाता है। महाशिवरात्रि पर भगवान शिव की पूजा अर्चना की जाती है। मान्यता है कि इस दिन शिव जी और माता पार्वती का विवाह हुआ था। महाशिवरात्रि पर शिव जी के भक्त निर्जला व्रत रखते हैं, क्योंकि इसका बहुत विशेष महत्व बताया गया है। माता पार्वती और शिव जी भक्तों की मनोकामनाएं पूरी करते हैं। साथ ही सभी संकट दूर हो जाते हैं। माना जाता है कि अगर शिव की आराधना किसी भी रुप में हो कल्याणकारी होती है। इस पर्व के मौके पर अगर आप अपनी राशि के अनुसार शिव जी का पूजन करेंगे, तो आपको विशेष लाभ होगा, साथ ही सभी मनोकामनाएं भी पूरी होंगी।
मेष राशि: मेष राशि वाले लोग तांबे के लोटे में जल लें और उसमें थोड़ा सा गुड़ मिलाएं.। इस गुड़ और जल से भगवान शिव का अभिषेक करें। इसके साथ ही मेष राशि वालों को लाल फूल भी अर्पित करने चाहिए।वृषभ राशि: वृषभ राशि के लोगों को चांदी या स्टील के लोटे में दूध और जल के मिश्रण से शिवलिंग का अभिषेक करना चाहिए। साथ ही इस राशि के लोगों को शिवलिंग पर सफेद चंदन, दही, सफेद फूल, चावल, सफेद चंदन और अर्पित करने चाहिए। तांबे बर्तन से दूध समर्पित नहीं करते हैं।मिथुन राशि: मिथुन राशि के लोगों को शिव जी की पूजा 3 बिल्व पत्रों से करनी चाहिए। मिथुन राशि के लोग शिवलिंग का अभिषेक गन्ने के रस से कर सकते हैं। शिवलिंग का गन्ने के रस से अभिषेक करने से विशेष लाभ होगा और शिव जी की कृपा बरसती है।कर्क राशि: कर्क राशि वाले लोगों को घी से शिव जी का अभिषेक करना चाहिए। कर्क राशि के लोग अगर कच्चे दूध से भगवान शिव पर अर्पित करेंगे तो उनको मनचाही मनोकामना में सहायता मिलेगी। साथ ही सफेद चंदन से शिव जी का तिलक भी करें।सिंह राशि: सिंह राशि के लोगों को भगवान शिव का अभिषेक गुड़ और जल के मिश्रण से करना चाहिए। अगर आप शिव जी को गेहूं अर्पित करेंगे तो आपको विशेष लाभ होगा।कन्या राशि: कन्या राशि के लोगों को भगवान शिव को प्रसन्न करने के लिए गन्ने के रस से अभिषेक करना चाहिए। शिवलिंग पर बेलपत्र और भांग के पत्ते चढ़ाने भी चाहिए।तुला राशि: तुला राशि के लोगों को शिवरात्रि पर इत्र, फूलों से सुगंधित जल या तेल से शिव का अभिषेक करना चाहिए क्योंकि इससे भगवान शिव की कृपा प्राप्त होती है। तुला राशि के लोगों को शिव जी को शहद भी अर्पित करना चाहिए इससे लाभ होता है।वृश्चिक राशि: वृश्चिक राशि वाले लोगों को अगर भगवान शिव को प्रसन्न करना है तो पंचामृत से शिव जी का अभिषेक करें। पंचामृत से अभिषेक करने से शिव जी बहुत जल्द प्रसन्न हो जाते हैं।धनु राशि: इस राशि के लोगों को केसर या हल्दी युक्त दूध भगवान शिव का अभिषेक करना चाहिए। साथ ही बेल पत्र और पीले फूल अर्पित करने चाहिए।मकर राशि: इस राशि वाले भगवान शिव की कृपा प्राप्त करने के लिए काले तिल से भगवान शिव का अभिषेक करना चाहिए।कुंभ राशि: कुंभ राशि वाले लोगों को भगवान शिव पर काले तिल अर्पित करने चाहिए और गंगाजल से अभिषेक करना चाहिए। ऐसा करने से सभी संकट दूर होते हैं।मीन राशि: मीन राशि वाले लोगों को शिवलिंग का अभिषेक करते समय पीले रंग के फूल अर्पित करने चाहिए और शिव जी को पीले रंग का भोग भी लगाना चाहिए।----- - पौधे हमेशा से मन को सुकून और शांति देते हैं। हमारे घर को प्राकृतिक सुंदरता प्रदान कर सकारात्मक ऊर्जा और शुद्ध वायु देते हैं । फेंगुशई की मानें तो कुछ पौधे ऐसे होते हैं जिनको घर में लगाने से आर्थिक समस्या दूर होती है और सुख-शांति आती है। आइए जानते हैं ऐसे ही पौधों के बारे में जो आपकी आर्थिक उन्नति में मददगार हो सकते हैं।मनी प्लांटज्योतिष के अनुसार मनी प्लांट का संबंध शुक्र ग्रह से है इसलिए मनी प्लांट के पौधे को आग्नेय दिशा यानी दक्षिण पूर्व में ही रखना शुभ माना गया है, यहां रखा मनी प्लांट सुख-सौभाग्य को बढ़ाता है। इसे लगाने से परिवार के लोगों में प्रेम बना रहता है और आर्थिक तंगी नहीं होती। मनी प्लांट को कभी भी उत्तर-पूर्व दिशा यानि ईशान कोण में ना रखें।बांस का पौधाबांस के पौधे को शुभ, सौभाग्य और लम्बी आयु का प्रतीक माना गया है। वास्तुविज्ञान के अनुसार यदि बांस के पौधे को दिशाओं के अनुरूप सही स्थान दिया जाए तो ये चमत्कारिक लाभ प्रदान करता है। बांस का अद्भुत पौधा नकारात्मक ऊर्जा को ख़त्म करता है,वहीं यह अपने आस-पास के वातावरण को भी शुद्ध करता है अत: इसे घर में अवश्य लगाना चाहिए। इसे लाल रिबन से बांधकर और कांच के बाउल में पानी डालकर रखना चाहिए। कांच के जार में छोटे आकार के बांस के पौधों को लाल धागे में बांधकर दुकान, प्रतिष्ठान में ईशान या उत्तरी दिशा में रखने से आर्थिक प्रगति होने लगती है। जीवन में धन की कभी कमी महसूस न हो इसके लिए 6 बांस के डंठल का प्रयोग आपको लाभ देगा।तुलसीदेवी लक्ष्मी का स्वरुप तुलसी को घर के उत्तर, ईशान या पूर्व दिशा में लगाने से माँ लक्ष्मी की कृपा बनी रहती है, जीवन में धन-धान्य की कभी कमी नहीं होती। घर के आंगन में या छत पर तुलसी को रोज सुबह-शाम जल चढ़ाएं। शाम को तुलसी के पास घी का दीपक जलाएं ऐसा करने से घर में सुख-समृद्धि का आगमन होता है एवं धन की कमी नहीं रहती।लिली का पौधासकारात्मक ऊर्जा से भरपूर यह पौधा घर के लोगों में खुशियां, सौहार्द बढ़ाता है। लिली के पौधे की खासियत है कि इसे घर में लगाने से घर के सदस्यों का व्यवहार आपस में अच्छा रहता है। इसलिए इस पौधे को अपने घर के लिविंग रुम या फिर मेडिटेशन वाले कमरे में लगाना चाहिए।आर्थिक उन्नति के लिए सफ़ेद लिली को घर की दक्षिण-पूर्व दिशा में रखना चाहिए।मनीट्री या क्रासुलाफेंगशुई के अनुसार छोटे-छोटे गोल पत्ते वाले जेड पौधे को घर या ऑफिस में रखना बहुत शुभ होता है,धन लाभ होता है और सुख-समृद्धि में वृद्धि होती है। इसे दरवाज़े के पास प्रवेशद्वार पर अंदर की ओर लगाना चाहिए। कहते हैं यह पौधा चुंबक की तरह पैसों एवं सकारात्मक ऊर्जा को अपनी ओर खींचता है।---