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नए वर्ष 2022 से सभी की उम्मीदें हैं कि यह साल सुख-शांति का तोहफा लेकर आए। साल 2021 की चुनौतियों की यादें आने वाले साल का हाल जानने को और उत्सुक बना रही हैं। इस जिज्ञासा के समाधान में हम यहां प्रस्तुत कर रहे हैं ज्योतिष और अंक ज्योतिष के विशेषज्ञों की राय में आगामी वर्ष। वैदिक ज्योतिष शास्त्र में कुल 12 राशियों का वर्णन किया गया है। हर राशि का स्वामी ग्रह होता है। ग्रह-नक्षत्रों की चाल से राशिफल का आकंलन किया जाता है। ग्रहों की चाल से साल 2022 कुछ राशि वालों के लिए शुभ तो कुछ राशि वालों के लिए अशुभ रहेगा। ग्रहों की चाल का सभी राशियों पर प्रभाव पड़ता है। आइए जानते हैं सभी राशियों के लिए कैसा रहेगा साल 2022। आगे पढ़ें मेष से लेकर मीन राशि तक का हाल...
मेष राशि
वर्ष के प्रथम पंद्रह दिन (15 जनवरी) तक मन परेशान हो सकता है। 16 जनवरी से मानसिक शांति मिलेगी। आत्मविश्वास में वृद्धि होगी। मान-सम्मान की प्राप्ति होगी। नौकरी के लिए किए गए प्रयासों के सार्थक परिणाम भी मिलेंगे। संतान की ओर से सुखद समाचार मिल सकते हैं। 12 अप्रैल को राहु के राशि परिवर्तन से व्यर्थ के भय से परेशान हो सकते हैं। कार्यों में अवांछित व्यवधान आ सकते हैं। 13 अप्रैल से शुभ कार्यों में खर्च बढ़ सकते हैं। घर-परिवार में मांगलिक कार्य हो सकते हैं। भवन के रखरखाव तथा सौंदर्यीकरण के कार्यों पर खर्च बढ़ सकते हैं। शैक्षिक कार्यों पर भी ध्यान देना चाहिए। 29 अप्रैल से मन में उतार-चढ़ाव रहेंगे। संतान के स्वास्थ्य का ध्यान रखें। आय में वृद्धि के साधन बन सकते हैं। आय संतोषजनक रहेगी। 3 जुलाई के उपरांत किसी भवन या संपत्ति में निवेश कर सकते हैं। दिनचर्या व्यवस्थित रहेगी। कारोबार में मित्रों का सहयोग भी मिल सकता है। शासन-सत्ता का सहयोग भी मिलेगा। स्वास्थ्य के मद्देनजर खानपान के प्रति सचेत रहें।
वृष राशि-
वर्ष के प्रारम्भ में मन अशांत रहेगा। 15 जनवरी से माता के स्वास्थ्य में सुधार होगा। नौकरी में कोई अतिरिक्त जिम्मेदारी भी मिल सकती है। परिश्रम भी अधिक रहेगा। वाणी में मधुरता बनाए रखने के प्रयास करें। 26 फरवरी के बाद कार्यों में कठिनाइयां आ सकती हैं। 27 मार्च से शैक्षिक कार्यों में सुधार होगा। 12 अप्रैल के बाद नौकरी में स्थान परिवर्तन की संभावना बन रही है। तरक्की के योग भी बन रहे हैं। आय में वृद्धि होगी। लेखनादि बौद्धिक कार्यों में व्यस्तता बढ़ सकती है।
बौद्धिक कार्यों से आय के साधन भी बन सकते हैं। वाहन सुख में वृद्धि हो सकती है। परिवार में सुख-शांति रहेगी। 29 अप्रैल से नौकरी में शासन-सत्ता का सहयोग मिलेगा। माता के स्वास्थ्य का ध्यान रखें। परिवार से अलग भी रहना पड़ सकता है। खर्चों में कमी आ सकती है। नौकरी में परिवर्तन के अवसर भी मिल सकते हैं, 13 जुलाई के बाद परिवर्तन की संभावना बन रही है। परिवार के स्वास्थ्य का भी ध्यान रखें। चिकित्सीय खर्च बढ़ सकते हैं।
मिथुन राशि-
वर्ष के प्रारम्भ में मन परेशान रहेगा। धैर्यशीलता में कमी हो सकती है। स्वास्थ्य समस्या भी हो सकती है। 15 जनवरी के उपरांत नौकरी में कार्यक्षेत्र में कठिनाइयां आ सकती हैं। वाणी में मधुरता बनाए रखने के प्रयास करते रहें। अफसरों से व्यर्थ के वाद-विवाद से बचें। नौकरी में कुछ अतिरिक्त जिम्मेदारी मिल सकती है। 13 फरवरी से कार्यक्षेत्र में सुधार हो सकता है। कारोबार की स्थिति में भी सुधार होगा। 6 अप्रैल के बाद किसी मित्र के सहयोग से नौकरी के अवसर भी मिल सकते हैं। आय में वृद्धि होगी।
नौकरी में अफसरों का सहयोग मिलेगा। घर-परिवार में धार्मिक कार्य हो सकते हैं। पारिवारिक जीवन सुखमय रहेगा। 29 अप्रैल से कार्यक्षेत्र में परिवर्तन के योग बन रहे हैं। वाहन सुख में वृद्धि हो सकती है। यात्रा में कमी आएगी। आय का कोई अन्य साधन भी बन सकता है। कुछ रुके हुए कार्य भी पूर्ण होंगे। स्वास्थ्य के प्रति भी सचेत रहना चाहिए। परिवार की सुख-सुविधाओं की वृद्धि के लिए खर्च बढ़ सकते हैं। शैक्षिक कार्यों के सुखद परिणाम भी मिलेंगे।
कर्क राशि-
वर्ष के प्रारम्भ में मानसिक परेशानियां हो सकती हैं। 15 जनवरी से धैर्यशीलता में कमी आएगी। संयत रहें। मीठे खानपान के प्रति रुझान बढ़ सकता है। 17 जनवरी से पिता के स्वास्थ्य का ध्यान रखें। 27 फरवरी से स्वास्थ्य में सुधार होगा। वाहन सुख में वृद्धि हो सकती है। कारोबार में आय की स्थिति में भी सुधार हो सकता है। 12 अप्रैल से राजनीतिक महत्वाकांक्षा की पूर्ति होगी, परंतु रहन-सहन अव्यवस्थित हो सकता है। माता के स्वास्थ्य का ध्यान रखें। 13 अप्रैल से शैक्षिक कार्यों में सुधार होगा। धर्म के प्रति श्रद्धा भाव बढ़ेगा। बौद्धिक कार्यों में व्यस्तता बढ़ सकती है। आय में वृद्धि होगी। नौकरी में तरक्की के अवसर मिल सकते हैं। मन प्रसन्न रहेगा। 29 अप्रैल के उपरांत शैक्षिक कार्यों या बौद्धिक कार्यों के लिए विदेश यात्रा के योग बन रहे हैं। यात्रा लाभप्रद रहेगी। नौकरी में यात्राएं अधिक रहेंगी। शनि की ढैया के कारण कार्यों में व्यवधान आ सकते हैं। संचित धन में कमी आ सकती है। स्वास्थ्य का भी ध्यान रखें।
सिंह राशि-
सिंह राशि वालों के जीवन में वर्ष 2022 के प्रारम्भ में मानसिक शांति रहेगी। आत्मविश्वास से परिपूर्ण रहेंगे। 15 जनवरी के उपरांत मन परेशान हो सकता है। स्वास्थ्य का ध्यान रखें। क्रोध पर नियंत्रण रखें। खर्चों में वृद्धि हो सकती है। 26 फरवरी के बाद किसी भवन या संपत्ति के रखरखाव पर खर्च बढ़ सकते हैं। नौकरी में तरक्की के भी मार्ग प्रशस्त हो सकते हैं। कारोबार पर ध्यान दें। कुछ कठिनाइयां आ सकती हैं। मित्रों का सहयोग मिल सकता है। 1 अप्रैल से कारोबार में सुधार होगा। पिता के स्वास्थ्य में सुधार होगा। 12 अप्रैल से कोई नया कारोबार शुरू हो सकता है। 13 अप्रैल के बाद घर-परिवार में कोई धार्मिक/मांगलिक कार्य हो सकते हैं। भवन के सौंदर्यीकरण के कार्यों पर खर्च बढ़ सकते हैं। 29 अप्रैल से नौकरी में कठिनाइयों का सामना करना पड़ सकता है। कार्यभार में वृद्धि हो सकती है। मानसिक परेशानियां भी बढ़ सकती हैं। भाई-बहनों से विवाद की स्थिति से बचें। रहन-सहन अव्यवस्थित हो सकता है।
कन्या राशि-
कन्या राशि वालों के लिए वर्ष के प्रारम्भ में आत्मविश्वास भरपूर रहेगा, परंतु पारिवारिक समस्याएं भी परेशान कर सकती हैं। कार्यक्षेत्र में परिश्रम अधिक, लेकिन सफलता कम रहेगी। रहन-सहन कष्टमय हो सकता है। 15 जनवरी से मन में नकारात्मक विचारों से बचें। संयत रहें। व्यर्थ के क्रोध से बचें। 7 मार्च से पिता के स्वास्थ्य का ध्यान रखें। कारोबार पर पूरा ध्यान दें। 12 अप्रैल से अपने स्वास्थ्य का भी ध्यान रखें। आय में कठिनाइयां आ सकती हैं। खर्चों में वृद्धि होगी। 13 अप्रैल से कुछ मानसिक शांति मिल सकती है।
दाम्पत्य सुख में वृद्धि होगी। शैक्षिक कार्यों में सुधार होगा। लेखनादि बौद्धिक कार्यों में व्यस्तता बढ़ेगी। आय में सुधार होगा। 29 अप्रैल के बाद शैक्षिक कार्यों या बौद्धिक कार्यों के लिए विदेश यात्रा पर जा सकते हैं। 4 जून के पश्चात किसी कारोबार के सिलसिले में विदेश जा सकते हैं। विदेश यात्रा लाभप्रद रहेगी। कुछ पुराने मित्रों का भी सहयोग मिल सकता है। सुस्वादु खानपान के प्रति रुझान भी बढ़ सकता है।
तुला राशि
वर्ष के प्रारम्भ में मन में नकारात्मक विचारों से बचें। संयत रहें। व्यर्थ के वाद-विवाद से बचें। 15 जनवरी से रहन-सहन अव्यवस्थित हो सकता है। नौकरी में इच्छाविरुद्ध कोई अतिरिक्त जिम्मेदारी मिल सकती है। परिश्रम अधिक रहेगा। 26 फरवरी के बाद भवन सुख में वृद्धि हो सकती है, परंतु पिता के स्वास्थ्य का ध्यान भी रखें। कारोबार में वृद्धि होगी। 12 अप्रैल के बाद कार्यक्षेत्र में कठिनाई आ सकती है। मन अशांत रहेगा।
शैक्षिक कार्यों में व्यवधान आ सकते हैं। सचेत रहें। खर्चों में वृद्धि होगी। कुटुंब/परिवार में धार्मिक कार्य होंगे। धन की प्राप्ति होगी। मित्रों का सहयोग भी मिलेगा। 29 अप्रैल से शैक्षिक और शोधादि कार्यों में सफलता मिलेगी। शैक्षिक कार्यों के लिए विदेश यात्रा के योग भी बन रहे हैं। परिवार से अलग रहना पड़ सकता है। आय में कमी आ सकती है। नौकरी में परिवर्तन के योग भी बन रहे हैं। कार्यक्षेत्र में परिवर्तन भी हो सकता है। किसी दूसरे स्थान पर भी जाना पड़ सकता है। जीवनसाथी के स्वास्थ्य का ध्यान रखें।
वृश्चिक राशि
वर्ष के प्रारम्भ में आत्मविश्वास तो भरपूर रहेगा, परंतु मन परेशान भी हो सकता है। परिवार में व्यर्थ के वाद-विवाद से बचें। 15 जनवरी के बाद नौकरी में कोई अतिरिक्त कार्य मिल सकता है। किसी मित्र का सहयोग मिलेगा। 13 फरवरी से माता के स्वास्थ्य का ध्यान रखें। पिता का सान्निध्य मिल सकता है। 12 अप्रैल के बाद से किसी पुराने मित्र से भेंट हो सकती है। आय का नया साधन बन सकता है। भवन या संपत्ति सुख में वृद्धि भी हो सकती है।
शैक्षिक कार्यों में सफलता मिलेगी। नौकरी में तरक्की के अवसर भी मिल सकते हैं। धर्म के प्रति श्रद्धाभाव भी रहेगा। आय में वृद्धि होगी। 29 अप्रैल से शनि की ढैया प्रारम्भ हो जाएगी। कार्यों में व्यवधान आएंगे। अनियोजित खर्चों में वृद्धि होगी। मित्रों से मतभेद बढ़ सकते हैं। पिता के स्वास्थ्य का भी ध्यान रखें। नौकरी में यात्राएं भी अधिक रहेंगी। यात्रा खर्च भी अधिक रहेंगे। संतान की ओर से सुखद समाचार मिल सकते हैं।
धनु राशि
वर्ष के प्रारम्भ में मन अशांत हो सकता है। धैर्यशीलता बनाए रखने के प्रयास करें। 16 जनवरी से संतान के स्वास्थ्य में सुधार होगा। नौकरी में कार्यभार में वृद्धि हो सकती है। परिवार में व्यर्थ के वाद-विवाद से बचें। 13 फरवरी के उपरांत नौकरी में तरक्की के अवसर मिल सकते हैं। स्थान परिवर्तन भी संभव है। 7 मार्च से कारोबार की स्थिति में सुधार होना चाहिए। 12 अप्रैल से शैक्षिक कार्यों पर ध्यान दें। व्यवधान आ सकते हैं।
13 अप्रैल से माता के सुख में वृद्धि होगी। धार्मिक कार्यों में खर्च बढ़ सकते हैं। भवन के सौंदर्यीकरण के कार्यों में खर्च बढ़ सकते हैं। 29 अप्रैल से शनि की साढ़ेसाती की समाप्ति होगी। नौकरी में कार्यक्षेत्र की स्थिति में सुधार होगा। परिस्थितियां अनुकूल बनेंगी, परंतु संतान के स्वास्थ्य का ध्यान रखने की जरूरत है। नौकरी में यात्राएं बढ़ सकती हैं। परिवार का साथ रहेगा। अपने स्वास्थ्य का भी ध्यान रखें। चिकित्सीय खर्च भी बढ़ सकते हैं।
मकर राशि
वर्ष के प्रारम्भ में आत्मविश्वास तो भरपूर रहेगा, परंतु कारोबार में व्यवधान से परेशान हो सकते हैं। 15 जनवरी से धैर्यशीलता में कमी आ सकती है। परिवार में शांति बनाए रखने के प्रयास करें। माता के स्वास्थ्य का ध्यान रखें। परिश्रम अधिक रहेगा। मित्रों से वाद-विवाद से बचें। किसी भवन या संपत्ति में निवेश भी कर सकते हैं। 28 फरवरी से संतान के स्वास्थ्य में सुधार हो सकता है। वाहन सुख में वृद्धि होगी। माता-पिता का सान्निध्य मिलेगा।
7 मार्च के बाद किसी मित्र से कारोबार का प्रस्ताव मिल सकता है।धन-लाभ के अवसर मिलेंगे। 12 अप्रैल से माता के स्वास्थ्य का ध्यान रखें। आय में व्यवधान आ सकते हैं। 13 अप्रैल से बृहस्पति अपनी स्वराशि में प्रवेश करके तृतीय भाव में आ जाएंगे। शिक्षा व बौद्धिक कार्यों में व्यस्तता बढ़ सकती है। धर्म के प्रति श्रद्धा भाव बढ़ेगा। नौकरी में तरक्की के अवसर मिल सकते हैं। आय में वृद्धि हो सकती है। 29 अप्रैल को शनि के राशि परिवर्तन से उतरती साढ़ेसाती रहेगी। विदेश यात्रा के अवसर मिल सकते हैं।
कुंभ राशि
वर्ष के प्रारम्भ में मन अशांत रहेगा। लगती हुई साढ़ेसाती से खर्च की अधिकता रहेगी। कार्यों में व्यवधान और धैर्यशीलता में कमी रहेगी। 15 जनवरी से खर्चों में वृद्धि हो सकती है। अपने स्वास्थ्य और जीवनसाथी के स्वास्थ्य का ध्यान रखें। नौकरी में कठिनाइयों का सामना करना पड़ सकता है। 13 फरवरी से स्थिति में सुधार होगा। 27 फरवरी के बाद नौकरी में कोई अतिरिक्त जिम्मेदारी मिल सकती है। परिश्रम रहेगा। अपने स्वास्थ्य का ध्यान रखें।
12 अप्रैल के बाद कार्यक्षेत्र की स्थिति में सुधार होगा। नौकरी में तरक्की के अवसर मिलेंगे। आय में वृद्धि होगी। बंधु-बांधवों का सहयोग मिलेगा। विदेश यात्रा की योजना बन सकती है। 13 अप्रैल से वृहस्पति के राशि परिवर्तन से धन की स्थिति में सुधार होगा। मित्रों का सहयोग मिलेगा। कुटुंब/परिवार में धार्मिक कार्य होंगे। 29 अप्रैल से शनि आपकी राशि में प्रवेश करेंगे। साढ़ेसाती का प्रभाव रहेगा। नौकरी में परिवर्तन के योग हैं। कार्यक्षेत्र में भी परिवर्तन संभव। परिवार से दूर रहना पड़ सकता है।
मीन राशि
वर्ष के प्रारम्भ में आत्मविश्वास में कमी रहेगी। शैक्षिक कार्यों में व्यवधान आ सकते हैं। 15 जनवरी से धैर्यशीलता में कमी आ सकती है। स्वास्थ्य का भी ध्यान रखें। किसी मित्र के सहयोग से आय में वृद्धि हो सकती है। परिवार में व्यर्थ के वाद-विवाद से बचें। माता के स्वास्थ्य का ध्यान रखें। 27 फरवरी से संतान के स्वास्थ्य के प्रति भी सचेत रहें। किसी संपत्ति से धन लाभ हो सकता है। 7 मार्च के बाद किसी कारोबार में निवेश कर सकते हैं। व्यावसायिक कार्यों में व्यस्तता बढ़ सकती है।
रहन-सहन अव्यवस्थित रहेगा। पारिवारिक जीवन कष्टमय हो सकता है। 12 अप्रैल के बाद से शैक्षिक कार्यों में सुधार होगा। आत्मविश्वास में वृद्धि होगी। धर्म के प्रति श्रद्धाभाव रहेगा। 29 अप्रैल से शनि के राशि परिवर्तन से साढ़ेसाती की शुरुआत हो जाएगी। खर्चों में वृद्धि होगी। संचित धन में कमी आएगी। नौकरी में स्थान परिवर्तन हो सकता है। बनते कार्यों में कठिनाइयां आ सकती हैं। बंधु-बांधवों से विरोध भी हो सकता है। स्वास्थ्य के प्रति सचेत रहें।
-- - वास्तुशास्त्र के अनुसार जिस स्थान पर हरे-भरे पौधे लगे होते हैं वहां पर सकारात्मकता का वास होता है, लेकिन घर में पौधे लगाने से पहले कुछ बातों को ध्यान में रखना भी आवश्यक होता है। वास्तु में जहां कुछ पौधे समृद्धि में वृद्धि करने वाले माने गए हैं तो वहीं कुछ पौधो को घर में लगाना वर्जित माना गया है। आज जानते हैं ऐसे ही कुछ पौधों के बारे में जो घर में नकारात्मकता लाते हैं। ऐसे पौधों को घर से तुरंत हटा देना चाहिए।कपास का पौधा-वैसे तो बहुत कम ऐसा होता है कि लोग कपास का पौधा अपने घर में रखते हों लेकिन कई बार साज-सजावट के लिए लोग कपास का पौधा अपने घर में ले आते हैं, क्योंकि इसके फूल देखने में बहुत अच्छे लगते हैं। माना जाता है कि घर में कपास का पौधा लगाने से घर में नकारात्मक ऊर्जा का प्रवाह बढ़ता है।बबूल का पौधा-वास्तु शास्त्र कहता है कि बबूल का पेड़ घर में या घर के आस-पास भी नहीं होना चाहिए। यह एक कांटेदार वृक्ष होता है, जो नकारात्मक ऊर्जा के प्रवाह में वृद्धि का कारण बन सकता है। इस पेड़ के कारण दुर्भाग्य और दरिद्रता का सामना करना पड़ सकता है। परिवार के सदस्यों में वाद-विवाद की स्थिति बनी रहती है और मानसिक रोगों के पनपने की आशंका रहती है। वास्तु के अनुसार घर में कोई भी ऐसा पेड़ या पौधा नहीं लगाना चाहिए जो कांटेदार हो या जिसमें दूध निकलता हो। ऐसे पौधे आपके जीवन में परेशानियों का कारण बन सकते हैं।मेहंदी का पौधा-वास्तु के अनुसार, घर में मेहंदी का पौधा नहीं लगाना चाहिए। मेहंदी एक भीनी सुगंध छोड़ती है। इसलिए माना जाता है कि इसकी सुगंध से नकारात्मक शक्तियां आकर्षित होती हैं। इस पौधे को जहां भी लगाया जाता है, वहां पर नकारात्मक ऊर्जा का प्रवाह होता है जो आपके जीवन में तरक्की व सुख-शांति में बाधा उत्पन्न कर सकता है।इमली का पौधा-घर में कई बार इमली का पौधा उग जाता है। वास्तु के अनुसार, इमली का पौधा भी घर में नहीं लगाना चाहिए। इस पौधे में नकारात्मक ऊर्जा का वास होता है। यदि आप कोई भूमि खरीद रहे हैं और उस पर इमली का पेड़ है तो ऐसी जमीन को खरीदने और उस पर मकान बनाने से भी बचना चाहिए।घर से तुरंत हटा दें ऐसे पौधे-कई बार पौधे की आयु पूर्ण हो जाने या फिर सही देखभाल न हो पाने के कारण पौधे मुरझा जाते हैं या फिर पूरी तरह से सूख जाते हैं। वास्तु कहता है कि मुरझाए और सूखे हुए पौधों के कारण नकारात्मक ऊर्जा बढ़ती है। इसलिए यदि घर में मुरझाए पौधे हैं तो उनकी उचित देखभाल करनी चाहिए और यदि पौधे सूख गए हैं तो उन्हें तुरंत घर से हटा दें।बोनसाई-वास्तु कहता है कि घर में बोनसाई का पौधा नहीं लगाना चाहिए। माना जाता है कि यह पौधा घर में लगाने से तरक्की में बाधा आती है और प्रगति रुक जाती है।
- हिन्दू पंचांग के अनुसार पौष मास के कृष्ण पक्ष की एकादशी को सफला एकादशी कहते हैं। इस वर्ष साल कि अंतिम एकादशी के रूप में यह एकादशी 30 दिसंबर को मनाई जाएगी। इस दिन भगवान श्री हरि विष्णु जी और माता लक्ष्मी की पूजा की जाती है। ऐसा माना जाता है कि सफला एकादशी का व्रत करने से व्यक्ति को एक हजार वर्षों की तपस्या से प्राप्त पुण्य के समान फल की प्राप्ति होती है। इस व्रत को करने से व्यक्ति के सभी दुखों का नाश होता है और जीवन में सुख-समृद्धि आती है। सफला एकादशी का महत्व सनातन शास्त्र में विस्तार से बताया गया है। एकादशी में रात्रि जागरण का विधान है। ऐसा माना जाता है कि एकादशी के दिन जागरण करने और भगवान विष्णु की पूजा करने से व्यक्ति को मरणोपरांत मोक्ष की प्राप्ति होती है। अगर आप भी भगवान विष्णु की कृपा प्राप्त कर चाहते हैं तो नीचे दिए गए मंत्रों का जाप अवश्य करे।सफला एकादशी का शुभ मुहूर्तएकादशी तिथि प्रारम्भ - 29 दिसंबर, 2021 बुधवार दोपहर 04:12 मिनट सेएकादशी तिथि समाप्त -30 दिसंबर 2021 गुरुवार दोपहर 01: 40 मिनट तकसफला एकादशी व्रत का पारण मुहूर्त- 31 दिसंबर 2021, शुक्रवार प्रात: 07:14 मिनट से प्रात: 09:18 मिनट तकविष्णु मंत्र1. ॐ नमो भगवते वासुदेवाय2.ॐ ह्रीं श्री लक्ष्मीवासुदेवाय नमः3.ॐ नमो नारायणलक्ष्मी विनायक मंत्रदन्ताभये चक्र दरो दधानं, कराग्रगस्वर्णघटं त्रिनेत्रम्।धृताब्जया लिंगितमब्धिपुत्रया, लक्ष्मी गणेशं कनकाभमीडे।।धन-वैभव प्राप्ति हेतु मंत्रॐ भूरिदा भूरि देहिनो, मा दभ्रं भूर्या भर। भूरि घेदिन्द्र दित्ससि।ॐ भूरिदा त्यसि श्रुत: पुरूत्रा शूर वृत्रहन्। आ नो भजस्व राधसि।।विष्णु के पंचरूप मंत्रॐ अं वासुदेवाय नम:ॐ आं संकर्षणाय नम:ॐ अं प्रद्युम्नाय नम:ॐ अ: अनिरुद्धाय नम:ॐ नारायणाय नम:ॐ ह्रीं कार्तविर्यार्जुनो नाम राजा बाहु सहस्त्रवान।यस्य स्मरेण मात्रेण ह्रतं नष्टं च लभ्यते।।
- आज के बदलते समय में हर कोई सुखी वैवाहिक जीवन की कामना करता है. जीवन को हंसी-खुशी के साथ बिताना चाहता है. हालांकि, वर्तमान समय में हर शादी के साथ ऐसा संभव नहीं है. संदेह, झगड़े और समझ की कमी एक रिश्ते में विवादों को जन्म देती है जो एक सुखी वैवाहिक जीवन के लिए हानिकारक है. हम इस स्थिति से उबरने के लिए बहुत प्रयास करते हैं लेकिन मनचाहा परिणाम नहीं मिलता है. हर बीतते दिन के साथ कलह बढ़ती ही जाती है. अगर हम कुछ वास्तु टिप्स को ध्यान में रखते हैं, तो हम अपने वैवाहिक जीवन को फिर से खुशहाल बना पाएंगे. वास्तु टिप्स न सिर्फ दांपत्य जीवन को खुशहाल बनाएंगे बल्कि पति-पत्नी के बीच आपसी प्रेम भी बढ़ेगा. आइए जानें वैवाहिक जीवन को सुखी बनाने के लिए कौन से वास्तु टिप्स अपना सकते हैं.वैवाहिक जीवन को सुखी बनाने के वास्तु टिप्सबेडरूम की खिड़कीबेडरूम में खिड़की होनी चाहिए क्योंकि इससे कपल के बीच तनाव कम होता है और रिश्ते में आपसी प्यार बना रहेगा.शीशाबेडरूम में शीशा रखना वास्तु के अनुसार अच्छा और सही माना जाता है. इससे पति-पत्नी के बीच अनबन कम होती है और उनके बीच प्यार बढ़ता है.इलेक्ट्रॉनिक सामान से दूरीबेडरूम में कभी भी इलेक्ट्रॉनिक उपकरण न रखें क्योंकि ये वास्तु के अनुसार सकारात्मक ऊर्जा को कम करता है. ये आपके रिश्ते को प्रभावित करता है.कांटेदार फूल ना रखेंअपने शयन कक्ष में कभी भी मुरझाया हुआ और कंटीला पौधा न रखें. इससे पति-पत्नी के बीच तनाव बढ़ता है.सोने की सही मुद्रापत्नी को हमेशा अपने पति के बाईं ओर सोना चाहिए और उन्हें एक बड़ा तकिया इस्तेमाल करना चाहिए. इससे उनके बीच आपसी प्यार बढ़ता है.सही रंगों का इस्तेमालपति-पत्नी जिस कमरे में सोते हैं उसका रंग हल्का गुलाबी या हल्का हरा होना चाहिए. कभी भी गहरे रंग का इस्तेमाल न करें. हल्का गुलाबी और हल्का हरा रंग सुखद माना जाता है. ये रंग तनाव को कम करने और पार्टनर को करीब लाने में मदद करते हैं.शयन कक्ष में देवी-देवताओं की तस्वीर न लगाएंजिस कमरे में पति-पत्नी सोते हों, वहां देवी-देवताओं की तस्वीर न लगाएं. कपल को अपने पैरों की ओर बहते पानी की एक बड़ी तस्वीर लगानी चाहिए. बहता पानी प्रेम का प्रतीक है.मनी प्लांट रखेंवास्तु के अनुसार मनी प्लांट को रखना शुभ माना जाता है क्योंकि ये शुक्र का प्रतीक है. ये पति-पत्नी के रिश्ते को मधुर बनाता है और उनके बीच प्यार बढ़ता है.
- हम सभी आर्थिक प्रगति की कामना करते हैं. इसके लिए दिन-रात परिश्रम करते हैं. कुछ लोग नौकरी करके पैसा कमाते हैं जबकि कुछ लोग पैसा कमाने के लिए व्यवसाय का विकल्प चुनते हैं. कई लोगों का सपना होता है कि वे अपना व्यवसाय करें और पैसा कमाएं क्योंकि एक व्यवसाय धन और स्वतंत्रता दोनों प्रदान करता है. हालांकि, हम में से बहुत से लोग इतने भाग्यशाली नहीं हैं कि जिनका व्यवसाय हो. इसके अलावा, बहुत कुछ वास्तु शास्त्र पर निर्भर करता है. साथ ही अपना खुद का व्यवसाय करने की कड़ी मेहनत पर भी निर्भर करता है.बहुत से लोग अपने काम पर फोकस नहीं कर पाते हैं. इतना कि कई लोग अपनी दुकान देर से खोलते हैं और जल्दी बंद कर देते हैं. ये तब और भी बुरा हो जाता है जब वे ग्राहकों को गंभीरता से नहीं लेते. ये सब बुरी नजर और व्यापार में बाधा के कारण होता है. इसके अलावा वास्तु दोष भी ऐसी स्थिति का एक प्राथमिक कारण है.अगर आप भी उन लोगों में से हैं जो कार्यस्थल पर ध्यान केंद्रित नहीं कर पा रहे हैं और चिंतित रहते हैं तो आप कुछ वास्तु टिप्स आजमा सकते हैं. इन्हें अपनाकर आप अपने कार्यस्थल से वास्तु दोष को दूर कर सकते हैं. साथ ही काम पर फोकस करने में भी मदद मिलेगी. इससे व्यापार में समृद्धि आएगी और धन का आगमन भी होगा.कार्यस्थल पर एकाग्र रहने के उपाय12 गोमती चक्र लें और इसे लाल कपड़े में अच्छी तरह बांधकर कार्यस्थल या अपनी दुकान के प्रवेश द्वार पर लटका दें. इससे व्यापार या काम में आने वाली कोई भी बाधा दूर होगी. आप व्यवसाय में फोकस रहेंगे. व्यापार में भी उन्नति होगी.रविवार के दिन पांच नींबू काटकर अपने कार्यस्थल पर रखें. इसके साथ एक मुट्ठी काली मिर्च और एक मुट्ठी पीली सरसों डालें. अगले दिन जब आप दुकान पर जाएं तो इन चीजों को लेकर किसी सुनसान जगह पर छोड़ दें. इससे बुरी नजर दूर हो जाएगी और कार्यस्थल पर भी आपका ध्यान बढ़ने लगेगा.अपने कार्यस्थल या दुकान पर पहुंचने के बाद सुनिश्चित करें कि आप इसे दैनिक आधार पर ठीक से साफ करते हैं. दिन की शुरुआत भगवान की पूजा या कुछ पवित्र मंत्रों का पाठ करके करते हैं. इससे आपका दिमाग शांत रहेगा और आप शांति का अनुभव करेंगे.एक और उपाय जो आप कर सकते हैं वह है- शनिवार के दिन पीपल के पेड़ से एक पत्ता तोड़कर अगरबत्ती से उसकी पूजा करें. कार्यस्थल पर इसे अपनी सीट के नीचे रखें. ऐसा सात शनिवार तक करते रहें और एक बार जब आप सात पत्ते इकट्ठा कर लें तो इन्हें किसी तालाब या कुएं में फेंक दें. इससे आपको कार्यस्थल पर एकाग्र रहने में मदद मिलेगी और आप समृद्ध भी होने लगेंगे.अगर आपको लगता है कि किसी के कारण आपके व्यवसाय में किसी प्रकार की बाधा आ रही है. आप कार्यस्थल पर ध्यान केंद्रित नहीं करते हैं, तो आपको पूरी फिटकरी लेकर दुकान में 31 बार सर्कुलर मोशन में घुमानी चाहिए. इसके बाद दुकान से बाहर आएं और एक चौराहे पर जाएं और इसे उत्तर दिशा में फेंक दें. बिना पीछे देखे वापस दुकान पर आ जाएं. इससे आपके व्यापार में आ रही बाधा को दूर करने में मदद मिलेगी और व्यापार में पहले से अधिक वृद्धि होगी. साथ ही, आप कार्यस्थल पर भी एकाग्र रहेंगे और आप अपने काम का आनंद लेना शुरू कर देंगे.
- व्यक्ति की हथेली पर रेखाओं के अलावा कई तरह के निशान बने हुए होते हैं। यह निशान भी कई तरह के होते हैं जिससे व्यक्ति के स्वभाव और उसके भाग्य के बारे में बताते हैं। आज हम आपको हथेली पर बने एक खास तरह के चिन्ह के बारे में बताने जा रहे हैं। कई लोगों की हथेलियों पर त्रिभुज का निशान बन हुआ होता है। हस्तरेखा ज्योतिष शास्त्र में इस त्रिभुज का विशेष महत्व होता है। हथेली पर त्रिभुज का अलग-अलग जगह पर बना होना एक संकेत को दर्शाता है।हथेली पर बड़ा त्रिभुज का निशानजिन लोगों की हथेली पर अगर बड़े आकार का त्रिभुज बनता है तो इस मतलब होता है कि ऐसा व्यक्ति मन से बहुत ही कोमल स्वभाव का होता है। ऐसे लोग दूसरों का कभी भी बुरा नहीं सोचते हैं। ऐसे लोग हर समय अन्य दूसरों के मदद करने के लिए तैयार रहते हैं।चंद्र रेखा के ऊपर बना त्रिभुजजिन लोगों की हथेली पर चंद्र रेखा पर त्रिभुज के सामान को निशान बना होता है तो ऐसा व्यक्ति अपने जीवन में विदेश यात्रा जरूर करता है। ऐसे लोग नौकरी के सिलसिले में विदेश की यात्राएं करते हैं। इस तरह के लोगों में नेतृत्व क्षमता बहुत अधिक भरी हुई होती है। ये लोग जीवन का भरपूर आनंद प्राप्त करते हैं।शुक्र पर्वत पर त्रिभुज का निशानजिन व्यक्तियों की हथेली पर त्रिभुज का निशान बना हुआ होता है वे लोग बहुत ही आकर्षक होते हैं। ऐसे लोग सभी का ध्यान अपनी तरफ खींचते हैं। ये लोग बहुत ही बुद्धिमान होते है और अपनी बुद्धि कौशल से समस्याओं का निवारण फौरन कर देते हैं।आयु रेखा पर बना त्रिभुज का निशानजिन लोगों की आयु रेखा से मिलकर त्रिभुज क निशान बनता है ऐसे लोग बहुत ही दीर्घायु के होते हैं। ऐसे लोग अपने जीवनकाल में बहुत कम ही बीमार पड़ते हैं।मस्तिष्क रेखा पर त्रिभुजजब भी किसी व्यक्ति की मस्तिष्क रेखा से मिलती हुई कोई रेखा त्रिभुज का निशान बनाता है तो ऐसे लोग बहुत ही भाग्याशाली माने जाते हैं। ये लोग उच्च शिक्षा को ग्रहण करते हुए प्रसाशनिक सेवा में नौकरी करते है। इनका समाज में काफी मान सम्मान होता है।-
- हिन्दू धर्म की मानें तो प्रदोष व्रत का बहुत अधिक महत्व है। त्रयोदशी तिथि पर प्रदोष व्रत रखा जाता है। प्रदोष व्रत महीने में 2 बार पड़ते हैं। एक शुक्ल पक्ष में और एक कृष्ण पक्ष में। प्रदोष व्रत भगवान शंकर को समर्पित होता है। प्रदोष व्रत पर विधि-विधान से भगवान शंकर की पूजा- अर्चना करने से व्यक्ति की सभी मनोकामनाएं पूरी हो जाती हैं। प्रदोष व्रत में प्रदोष काल में पूजा की जाती है । साल 2021 का आखिरी प्रदोष व्रत 31 दिसंबर, शुक्रवार को पड़ेगा। शुक्रवार को पड़ने वाले प्रदोष व्रत को शुक्र प्रदोष व्रत कहा जाता है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार सप्ताह के सातों दिन के प्रदोष व्रत का अपना विशेष महत्व होता है। आइए जानते हैं इस साल का अंतिम प्रदोष व्रत कब पड़ेगा और क्या है इस व्रत को कारण का लाभ और पूजा विधिशुक्र प्रदोष व्रततिथि: 31 दिसंबर, 2021, शुक्रवारपौष, कृष्ण त्रयोदशी प्रारम्भ: 31 दिसंबर 2021, प्रात: 10:39 बजे सेपौष, कृष्ण त्रयोदशी समाप्त: 1 जनवरी 2022, प्रातः 07:17 तकप्रदोष काल- 31 दिसंबर 2021, सायं 05:35 से रात्रि 08:19 मिनट तकप्रदोष व्रत की पूजा विधिप्रदोष व्रत के दिन स्नान-ध्यान आदि से निवृत्त होने के बाद पूजा घर में जल का छिड़काव करें।इसके उपरांत अपने हाथ में धन, पुष्प, आदि रखकर विधि-विधान से प्रदोष व्रत करने का संकल्प लें।प्रदोष वाले दिन भगवान शिव के मंत्र जप आदि करें।इसके उपरांत सूर्यास्त के समय एक बार पुनः स्नान करें।स्नान के बाद भगवान शिव का षोडशोपचार तरीके से पूजन करें।प्रदोष व्रत की कथा पढ़ें। पूजा के बाद प्रसाद वितरित करने के बाद स्वयं प्रसाद ग्रहण कर व्रत का पारण करें।शुक्र प्रदोष व्रत करने के लाभसाल का अंतिम प्रदोष व्रत शुक्रवार के दिन पड़ रहा है, इसलिए इसे शुक्र प्रदोष व्रत कहते हैं। मान्यता है कि शुक्र प्रदोष व्रत को करने पर व्यक्ति को सौभाग्यशाली होने का वरदान प्राप्त होता है। उसे जीवन में किसी चीज का अभाव नहीं रहता है और उसके परिवार में हमेशा सुख और समृद्धि कायम रहती है। प्रदोष व्रत से सुख-समृद्धि, आजीवन आरोग्यता और लंबी आयु का आशीर्वाद मिलता है, कार्य विशेष में सफलता प्राप्त होती है।
- यदि आप भी घर में विंड चाइम्स लगाने के शौकीन हैं, तो फेंगसुई के कुछ नियमों को जान लें। माना जाता है कि सही दिशा में और सही विंड चाइम्स घर में नकारात्मक उर्जा को दूर करती हैं। बाज़ार में मिलने वाली विंड चाइम्स कई प्रकार की होती हैं जैसे लकड़ी, मेटल, मिट्टी इत्यादि। लेकिन दिशा के तत्व के अनुसार इन्हें लगाना लाभदायक होता है। पूर्व और दक्षिण-पूर्व(आग्नेय) एवं दक्षिण दिशा काष्ठ तत्व से संबंध रखती है इसलिए इन दिशाओं में पॉजिटिव एनर्जी को एक्टिव करने के लिए वुडन विंड चाइम लगाना अधिक प्रभावशाली रहेगा। घर की पश्चिमी,उत्तर-पश्चिम(वायव्य) और उत्तर दिशा में टांगने के लिए धातु से बने विंड चाइम घर के वातावरण में सौहार्द एवं शांति बनाए रखने में सहायक होंगे इसी प्रकार उत्तर-पूर्व(ईशान) तथा मध्य स्थान के लिए मिट्टी, क्रिस्टल या सिरेमिक से बनी विंड चाइम लगाने से परिवार के सदस्यों को कामयाबी हासिल करने में मदद मिलती है। घर के दक्षिण-पश्चिम(नैऋत्य) क्षेत्र में इन्हें टांगने से आपसी संबंधों में मजबूती व मधुरता आती है। इस दिशा में आप लकड़ी, मिट्टी या धातु से बनी पवन घंटी लगा सकते हैं।मुख्य द्वार- यदि प्रवेश द्वार के पास कोई वास्तुदोष है तो उसके निवारण के लिए चार छड़ी वाली विंड चाइम मेनगेट पर लगानी चाहिए। इसे दरवाज़े पर परदे के पास इस प्रकार लटकाना चाहिए ताकि आने-जाने से हिलकर यह मधुर ध्वनि उत्पन्न कर सके। इससे वातावरण में सकारात्मक ऊर्जा के स्तर में वृद्धि होती है।स्टडी रूम- बीमारियों से बचने के लिए एवं अध्ययन कक्ष के वास्तु दोष को दूर करने के लिए पांच छड़ वाली विंडचाइम लगाना बेहतर विकल्प है इससे हर क्षेत्र में सफलता मिलती है। इसी प्रकार यदि आपके बच्चे लापरवाह हैं और मनमर्ज़ी करते हों तो उनके कमरे में छह रॉड वाली विंड चाइम लटकाने से लाभ मिलेगा।ड्राइंग रूम- यहां पर छह रॉड वाली विंड चाइम उस स्थान पर लगानी चाहिए जहां से मेहमानों का प्रवेश होता हो। आगंतुकों का प्रवेश होने से जब विंड चाइम के टकराने से जो ध्वनि उत्पन्न होगी उससे आने वाले अतिथि का व्यवहार आपके अनुकूल हो जाएगा।कार्यालय में- आठ छड़ी वाली विंड चाइम का प्रयोग आप अपने ऑफिस में कर सकते हैं, यदि काम में मन नहीं लगता है या रुकावटें बहुत आती हों तो आठ छड़ी वाली विंड चाइम आपकी इस समस्या को दूर करने में सहायक हो सकती है।रिश्तों को बनाएं मजबूत- परिवार में प्यार और अपनापन बढ़ाने के लिए नौ छड़ वाली विंड चाइम का प्रयोग आपको लाभ देगा। इससे न केवल घर में ऊर्जा का प्रवाह बना रहेगा बल्कि निराशा और उदासीनता भी धीरे-धीरे समाप्त हो जाएगी।
- कर्क राशिइस राशि की लड़कियां स्वभाव से काफी सरल होती हैं. इनका स्वभाव काफी हंसमुख होता है, इसलिए ये बहुत आसानी से किसी का भी दिल जीत लेती हैं. इनकी कंपनी को इनके पार्टनर भी एन्जॉय करते हैं. इनकी खूबी होती है कि खुद को किसी भी माहौल में आसानी से ढाल सकती हैं. इनके पास धन और दौलत की कभी कोई कमी नहीं होती.मकर राशिइस राशि की लड़कियां काफी संस्कारी होती हैं. साथ ही भाग्यशाली भी होती हैं. ये जो चाहती हैं, उसे आसानी से प्राप्त कर लेती हैं. इनकी किस्मत का असर इनके पति के जीवन पर भी पड़ता है. इसकी वजह से उनकी अच्छी खासी तरक्की होती है. ऐसे में इन लड़कियों को गुड लक चैंप के तौर पर देखा जाता है. अपने अच्छे व्यवहार से ये ससुराल के सभी लोगों का दिल आसानी से जीत लेती हैं.कुंभ राशिइस राशि की लड़किया काफी जिम्मेदार होती हैं. ये अपने जीवन में किसी भी कर्तव्य से पीछे नहीं हटतीं, इस कारण ये न सिर्फ पति को प्रिय होती हैं, बल्कि ससुराल के हर सदस्य की फेवरेट होती हैं. ये जहां जाती हैं, वहां लक्ष्मी बनकर समृद्धि लेकर जाती हैं. इन्हें सबसे खूब प्यार और मान सम्मान प्राप्त होता है.मीन राशिमीन राशि की लड़कियां रिश्ते की अहमियत को अच्छे से समझती हैं, इस कारण ये हर रिश्ते को बखूबी निभाने का हुनर जानती हैं. अपने इस गुण की वजह से घर का हर सदस्य इनसे खुश रहता है. ये जहां जाती हैं, पूरे परिवार को जोड़कर रखती हैं.-
- हिंदू कैलेंडर के मुताबिक मार्गशीर्ष मास समाप्त होने के बाद पौष के महीने की शुरुआत होती है. 19 दिसंबर 2021 को मार्गशीर्ष महीना समाप्त हो रहा है, ऐसे में 20 दिसंबर 2021 से पौष के महीने (Paush Month) की शुरुआत हो जाएगी. पौष का महीना 17 जनवरी 2022 तक चलेगा. वैसे तो हर नए महीने के साथ नए व्रत और त्योहार भी आते हैं, लेकिन पौष माह के व्रत और त्योहार को लेकर लोगों के मन में ज्यादा उत्सुकता होती है क्योंकि इसी माह में अंग्रेजी के नए साल की भी शुरुआत होती है.बता दें कि पौष के महीने को शास्त्रों में बहुत महत्वपूर्ण स्थान दिया गया है. इस माह में नारायण के अलावा सूर्य देव की उपासना का विशेष महत्व माना गया है. पूजा पाठ और दान पुण्य के अलावा इस माह को पितृ को मुक्ति दिलाने वाला महीना माना जाता है. इस कारण तमाम लोग पौष के महीने में पिंडदान करते हैं. इसी माह में साल का सबसे छोटा दिन आता है, साथ ही लोहड़ी और मकर संक्रान्ति जैसे त्योहार पड़ते हैं. सूर्य भी पौष के महीने से ही उत्तरायण हो जाते हैं. यहां जानिए पौष के महीने में आने वाले खास त्योहारों की पूरी लिस्ट.पौष के महीने में आने वाले व्रत और त्योहार– 21 दिसंबर, मंगलवार को साल का सबसे छोटा दिन होगा.– 22 दिसंबर बुधवार को अखुरथ संकष्टी चतुर्थी है. ये दिन गणपति को समर्पित माना जाता है.– 25 दिसंबर को क्रिसमस डे है. ईसाई लोगों के बीच इस दिन को बड़े दिन के रूप में मनाया जाता है क्योंकि इसी दिन ईसाह मसीह का जन्म हुआ था.– 26 दिसंबर को भानु सप्तमी और कालाष्टमी मनाई जाएगी. इस दिन सप्तमी और अष्टमी एक दिन ही पड़ेगी .– 27 दिसंबर को मंडल पूजा है.– पौष मास की पहली एकादशी 30 दिसंबर को पड़ेगी. इसे सफला एकादशी के नाम से जाना जाता है. शास्त्रों में सभी एकादशी के व्रत भगवान विष्णु को समर्पित माने गए हैं और इसे श्रेष्ठ व्रतों में से एक माना गया है.– 31 दिसंबर को प्रदोष व्रत है. प्रदोष का व्रत शिव जी के लिए रखा जाता है. इस व्रत को सभी कामनाओं को पूरा करने वाला व्रत माना जाता है. शुक्रवार होने के कारण इस दिन शुक्र प्रदोष व्रत रखा जाएगा.– 1 जनवरी से साल 2022 को मासिक शिवरात्रि का व्रत रखा जाएगा. इसी दिन अंग्रेजी साल की शुरुआत भी होगी. ये व्रत शिव जी के प्रिय व्रतों में से एक है. शादी में आ रही बाधाओं को दूर करने के लिए इस दिन का व्रत रखना चाहिए.– 2 जनवरी को दर्श अमावस्या है. इस दिन पितरों की आत्मा की शांति के लिए दान, स्नान और पूजा-पाठ आदि किया जाता है.– 4 जनवरी को चंद्र दर्शन पर्व है.– 6 जनवरी को गणेश जी को समर्पित विनायक चतुर्थी का व्रत रखा जाएगा.– 7 जनवरी को स्कंन्द षष्ठी है. दक्षिण भारत में इसका विशेष महत्व है.– 9 जनवरी को शुक्ल पक्ष की भानु सप्तमी मनाई जाएगी. इसी दिन सिख समुदाय के गुरु गोविंद सिंह की जयंती भी मनाई जाएगी.– 10 जनवरी को शाकंभरी उत्सव है. साथ ही मासिक दुर्गाष्टमी मनाई जाएगी.– 12 जनवरी को मासिक कार्तिगाई है. 12 जनवरी को ही स्वामी विवेकानंद जयंती भी है.– 13 जनवरी को वैकुंठ एकादशी का व्रत रखा जाता है. इसे पौष पुत्रदा एकादशी के नाम से भी जाना जाता है. माना जाता है कि एकादशी के दिन भगवान विष्णु जी की पूजा से समस्त पापों से मुक्ति मिलती है.– 13 जनवरी को लोहड़ी का त्योहार मनाया जाएगा.– 14 जनवरी को देशभर में मकर संक्रांति मनाई जाएगी. 14 जनवरी को ही रोहिणी व्रत और कूर्म द्वादशी है.– 15 जनवरी को शनि त्रयोदशी, बिहू और प्रदोष व्रत रखा जाएगा.– 17 जनवरी को पौष पूर्णिमा है. इसके बाद 18 जनवरी से माघ के महीने की शुरुआत हो जाएगी.
- वास्तु के लिहाज से कुछ चीजों का बार-बार हाथ से गिरना शुभ नहीं माना जाता. ये आने वाली मुश्किलों का संकेत भी हो सकता है. यहां जानिए किस चीज के गिरने का क्या मतलब होता है.वास्तु के अनुसार नमक का बार बार हाथ से गिरना आपके परिवार पर शुक्र और चंद्रमा के नकारात्मक प्रभाव को दर्शाता है. इससे घर में धन हानि के साथ मानसिक तनाव की स्थिति पैदा हो सकती है. ये आपके घर में वास्तुदोष का संकेत भी हो सकता है.गैस पर चढ़ा हुआ दूध गिरना अच्छा नहीं माना जाता है. न ही किसी और तरीके से भी दूध को गिरना चाहिए. दूध का बार बार गिरना परिवार में नकारात्मक शक्तियों के आसपास होने का प्रतीक होता है.बार बार काली मिर्च का गिर कर बिखर जाना भी अशुभ माना जाता है. इसका दांपत्य जीवन पर खराब असर पड़ता है. ऐसे में पति और पत्नी के बीच तनाव की स्थितियां पैदा होती हैं.तेल का संबन्ध शनिदेव से माना गया है. कभी कभार तेल का गिरना सामान्य बात है, लेकिन अगर ये अक्सर होता है, तो ये शनिदेव की नाराजगी का संकेत हो सकता है. ऐसे में आपके परिवार पर कई तरह की मुश्किलें आ सकती हैं.अन्न का अक्सर हाथ से गिरना इस बात का संकेत है कि अन्नपूर्णा देवी आपसे रुष्ट हैं. ऐसे में आपको उनसे क्षमा याचना करनी चाहिए और अन्न की बर्बादी को रोकना चाहिए.
- वास्तु दोष आपको आर्थिक, मानसिक और शारीरिक रूप से प्रभावित कर सकता है। ये आपको अधिक चिंतित और बोझिल बनाता है, जबकि अगर आपके घर के अंदर वास्तु शास्त्र का ठीक से पालन किया जाता है, तो आप समाज में सम्मान और पैसा प्राप्त करते हैं। इसके अलावा आपके रिश्ते भी आपके घर में पनपते हैं। यही कारण है कि दुनिया भर में बहुत सारे लोग वास्तु शास्त्र के अनुसार बताए गए नियमों का पालन करते हैं। वास्तु के अनुसार अपने घरों में कुछ जगहों पर जूते या सैंडल पहनने से भी वास्तु दोष हो सकता है। आपने शायद इस पर विचार नहीं किया होगा, लेकिन ये सच है। आइए जानें वास्तु के अनुसार घर में किन जगहों पर जूते नहीं रखने चाहिए।स्टोर रूमस्टोर रूम में हम अपनी जरूरतों के समान को रखते हैं। ये जगह भोजन और आपूर्ति के स्रोत की तरह है जिसकी हमें जरूरत होती है। जरूरत के समय ये हमें जरूरी चीजों की आपूर्ति कराता है। इसलिए ये एक बहुत ही शुभ स्थान है और ऐसा माना जाता है कि इस स्थान पर चप्पल या जूते पहनने से आपके आवश्यक संसाधनों की अपर्याप्त आपूर्ति हो सकती है।तिजोरीजिस स्थान पर धन रखते हैं उसे तिजोरी भी कहते हैं। इस स्थान को बहुत शुभ माना जाता है। लोग इस जगह को धन की देवी लक्ष्मी का आशीर्वाद मानते हैं और यही कारण है कि वास्तु शास्त्र तिजोरी के आसपास जूते नहीं पहनने का सुझाव देता है। अगर आप ऐसा करते हैं तो इसे अशुभ और देवी लक्ष्मी के लिए अपमानजनक माना जाता है। ऐसा करना संकट और कई अन्य समस्याओं का कारण बन सकता है।रसोईघररसोईघर में हम खाना पकाते हैं जहां खाने से संबंधित कई सामग्री मौजूद होती है। ये हमें स्वस्थ रखने में मदद करती है। स्वास्थ्य समस्याओं और वास्तु दोष से बचने के लिए आपको अपने रसोई घर से जूते और अन्य चप्पल को दूर रखना चाहिए। इससे देवी अन्नपूर्णा नाराज हो सकती हैं। अगर आप रसोई में जूते पहनते हैं, तो ये आपके जीवन में बाधाओं को उत्पन्न करता है।मंदिरमंदिर आपके पूरे परिवार के लिए सकारात्मकता का स्रोत होता है। इसलिए जैसे घरों के बाहर स्थित मंदिरों में लोग पूजा करते समय जूते पहनने से परहेज करते हैं। वैसे ही हमारे घरों में स्थित मंदिर पवित्र होते हैं और उनका समान रूप से सम्मान किया जाना चाहिए। अगर आप मंदिर में चप्पल पहनते हैं तो देवी-देवता नाराज और क्रोधित हो जाते हैं। धन की हानि, स्वास्थ्य की हानि और जीवन में कई समस्याओं का सामना करना पड़ सकता है।
- हिन्दू धर्म में पेड़ पौधों की पूजा का प्रावधान है। बहुत से ऐसे पौधे हैं जिन्हें घरों में लगाकर उनकी पूजा की जाती है। माना जाता है कि इन पौधों के रहने से घर में हमेशा बरकत होती है। ऐसा ही एक पौधा है लक्ष्मणा का, जो धनलक्ष्मी का कारक है। माना जाता है कि इस पौधे के घर में रहने से कभी भी धन की कमी नहीं होती है।लक्ष्मणा का पौधा मिलना बहुत दुर्लभ है परंतु यदि प्रयास किया जाए तो मिल भी जाता है। यह बेल की तरह होता है। इसके पत्ते पान या पीपल के पत्ते की तरह होते हैं। ग्रामीण क्षेत्र में इसे गूमा गू कहते हैं और वैद्य वर्ग इसे लक्ष्मण बूटी कहते हैं। कुछ इसे अपराजिता का पौधा ही मानते हैं। यह पौधा भी कई तरह से लाभदायी होता है। घर में किसी भी बड़े गमले में इसे लगाया जा सकता है। आइये जानते हैं इस पौधे को लगाने के क्या हैं लाभ।1. लक्ष्मणा का पौधा भी श्वेत अपराजिता के पौधे की तरह धनलक्ष्मी को आकर्षित करनेमें सक्षम है। कहते है कि जिस भी घर में सफेद पलाश और लक्षमणा का पौधा होता है, वहां जिंदगी भर किसी भी प्रकार से धन, दौलत की कमी नहीं रहती है।2. दोनों ही पौधों के आयुर्वेद और तंत्रशास्त्र में कई और भी चमत्कारिक प्रयोग बताए गए हैं। श्वेत लक्ष्मण का प्रयोग में लाया जाता है।3. आयुर्वेदाचार्यों अनुसार यह फोड़े फुंसी, खांसी, मूत्र रोग, कान में सूजन एवं जलन, जिगर का रोग, जख्म घेंघा, सफेद दाग, पथरी, सूजाक, त्वचार रोग, सिरदर्द, आधा शीशी, माइग्रेन आदि रोगों के इलाज में लाभदायक है।
- भारत को मंदिरों का देश कहा जाता है। इनमें से कई मंदिर इतने भव्य और प्राचीन हैं कि वहां पर सालभर श्रद्धालुओं की भीड़ लगी रहती है। श्रद्धालुओं के आने से मंदिरों को बड़ी मात्रा में दान मिलता ह। जिसे दान-पुण्य के दूसरे कामों में खर्च किया जाता है। आइए जानते हैं कि संपत्ति के मामले में भारत के सबसे अमीर मंदिर कौन से हैं-----पद्भनाभ स्वामी मंदिर, केरल- भारत के सबसे अमीर मंदिरों की सूची में यह पहले नंबर पर है। केरल की राजधानी तिरुवनंतपुरम में बने इस मदिर की देखभाल त्रावणकोर का पूर्व शाही परिवार करता है. इस मंदिर के खजाने में करीब 20 अरब डॉलर की संपत्तियां हैं। इस मंदिर के गर्भग्रह में भगवान विष्णु की सोने की बड़ी मूर्ति है, जिसकी कीमत करीब 500 करोड़ रुपये है।-तिरुपति बालाजी मंदिर, आंध्र प्रदेश- सबसे अमीर मंदिरों की सूची में यह देश में दूसरे स्थान पर है। यहां पर करीब 650 करोड़ रुपये का दान हर साल आता है। मंदिर में बना लड्डू का प्रसाद बेचने से ही हर साल मंदिर को लाखों रुपये की कमाई हो जाती है। यह मंदिर भगवान वेंकटेश्वर को समर्पित है, जिन्हें विष्णुजी का अवतार माना जाता है। माना जाता है कि इस मंदिर के बैंक खातों में करीब 14 हजार करोड़ रुपये जमा हैं।-शिरडी का साईं बाबा मंदिर- महाराष्ट्र में शिरडी का साईं बाबा मंदिर संपत्ति के मामले में देश में तीसरे स्थान पर आता है। मंदिर के बैंक खाते में कई किलो सोने और चांदी समेत करीब 1800 करोड़ रुपये जमा हैं। इस मंदिर में हर साल करीब 350 करोड़ रुपये का दान आता है।-वैष्णो देवी मंदिर- उत्तर भारत का सबसे प्रमुख मंदिर है, जिसकी यात्रा के लिए हर साल लाखों यात्री जम्मू-कटरा पहुंचते हैं। माना जाता है कि इस मंदिर को हर साल दान के रूप में श्रद्धालुओं से 500 करोड़ रुपये मिलते हैं। जिससे वहां पर यात्रियों के लिए सुख-सुविधाएं विकसित की जाती हैं।-सबरीमाला अयप्पा मंदिर, केरल- यह मंदिर भी देश के अमीर मंदिरों की सूची में शामिल है। माना जाता है कि यात्रा सीजन में हर साल करीब 12 करोड़ यात्री वहां पर दर्शनों के लिए पहुंचते हैं। जिससे मंदिर को सालाना करीब 250 करोड़ रुपये की कमाई हो जाती है। इस धनराशि को मंदिर से जुड़े धर्म-पुण्य के कामों में खर्च किया जाता है।-----
- शनि के बाद सबसे ज्यादा मुश्किलें देने वाला ग्रह राहु को माना गया है. यदि कुंडली में राहु खराब हो तो जिंदगी में बहुत सारी मुश्किलें झेलनी पड़ती हैं. कह सकते हैं कि जिंदगी बहुत दुख में गुजरती है. राहु डेढ़ साल में राशि बदलते हैं और हमेशा उल्टी चाल ही चलते हैं. इस साल राहु ने कोई राशि परिवर्तन नहीं किया लेकिन अगले साल 12 अप्रैल को वे राशि बदलकर मेष राशि में प्रवेश करेंगे. वे 18 साल बाद इस राशि में प्रवेश करेंगे और 4 राशि वालों के लिए बेहद शुभ साबित होंगे.इन राशि वालों के लिए शुभ है राहु गोचरमिथुन (Gemini): मिथुन राशि के जातकों के लिए राहु का मेष राशि में प्रवेश बेहद शुभ साबित होगा. उनकी आय बढ़ेगी. इससे आर्थिक स्थिति में मजबूती आएगी. आय के नए स्त्रोत बनेंगे. हर योजना सफल होगी. कुल मिलाकर यह समय खूब तरक्की और पैसे दिलाने वाला साबित होगा.कर्क (Cancer): कर्क राशि के जातकों के लिए राहु का राशि परिवर्तन कमाई भी कराएगा और खर्चे भी कराएगा. हालांकि ये खर्चे आपके लिविंग स्टैंडर्ड को बेहतर करेंगे और आपको खुशी देंगे. करियर अच्छा रहेगा. बस दुश्मनों से बचकर रहें.तुला (Libra): तुला राशि के जातकों को मेष राशि के राहु अचानक धन लाभ कराएंगे. करियर अच्छा होगा. जो लोग अपनी पसंद की नौकरी पाने के लिए कोशिशें कर रहे थे, राहु उनकी इच्छा पूरी कर देंगे. प्रमोशन भी मिल सकता है.वृश्चिक (Scorpio): वृश्चिक राशि के जातकों को यह गोचर वर्कप्लेस पर जमकर लाभ दिलाएगा. मेहनत का पूरा फल मिलेगा, साथ ही लोग आपके काम करने के तरीके की तारीफ करेंगे. प्रमोशन-इंक्रीमेंट मिलने के प्रबल योग हैं. व्यापार में भी बड़ा लाभ मिल सकता है.
- हर कोई अमीर बनना चाहता है लेकिन पैसों की तंगी पीछा ही नहीं छोड़ती है. यदि आपके साथ भी ऐसा ही होता है तो खरमास में कुछ उपाय कर लें. ये उपाय पैसों की तंगी से निजात दिलाने में बहुत कारगर हैं. खरमास 16 दिसंबर से शुरू हो गया है और 14 जनवरी 2022 तक रहेगा. इस दौरान सूर्य धनु राशि में रहेंगे और उनके कमजोर होने के कारण शुभ काम वर्जित रहेंगे. लेकिन इस एक महीने में किए गए कुछ खास काम आपको मालामाल कर सकते हैं.पैसों की तंगी से निजात पाने के उपायएकादशी का व्रत: पैसों की तंगी दूर करने के लिए सबसे अहम चीज है कि मां लक्ष्मी की कृपा बनी रहे. इसके लिए भगवान विष्णु की पूजा-अर्चना करना, एकादशी का व्रत करना बहुत लाभ पहुंचाता है. खरमास में एकादशी का व्रत करना बहुत लाभ पहुंचाता है. इससे मृत्यु के बाद मोक्ष भी मिलता है और जीवन में सुख-समृद्धि-खुशहाली आती है. यदि सफलता पाना चाहते हैं तो हमेशा एकादशी का व्रत करें.पीपल के पेड़ की पूजा: खरमास में पीपल के पेड़ की पूजा करना बहुत पुण्य और लाभ देता है. शाम के समय पीपल के पेड़ के नीचे दीपक भी लगाना चाहिए. इससे सारी परेशानियां दूर होती हैं और कुछ ही दिन में आर्थिक स्थिति पर फर्क नजर आने लगता है.लक्ष्मी जी की पूजा: वैसे तो तुलसी के पौधे पर जल चढ़ाना, उसकी पूजा करना, शाम को दीपक लगाना ढेरों फायदे देता है. लेकिन खासतौर पर खरमास में ऐसा करना आपके और पूरे परिवार के लिए खुशियां लाएगा. इससे मां लक्ष्मी भी कृपा करती हैं.लक्ष्मी स्तोत्र का पाठ: धन की देवी मां लक्ष्मी को प्रसन्न करने के लिए लक्ष्मी स्तोत्र का पाठ करना बहुत फायदा देता है. यह पाठ अपार धन दिलाने वाला और खूब सफलता दिलाने वाला है.-
- साल 2021 जाने वाला है और नया साल शुरू होने वाला है. यदि आप भी चाहते हैं कि आने वाला साल आपके लिए बेहद सफलतादायी साबित हो तो इसके लिए एक बहुत अच्छा मौका मिलने वाला है. 30 दिसंबर को सफला एकादशी है. इस दिन एक खास काम करने से भगवान विष्णु प्रसन्न होते हैं और खूब तरक्की देते हैं. सफलता पाने के उपाय करने के लिए इस दिन को बेहद खास माना गया है. इसके अलावा यह साल 2021 की आखिरी एकादशी भी है....इसलिए कहते हैं सफला एकादशीपौष महीने के कृष्ण पक्ष की एकादशी को सफला एकादशी कहते हैं. धर्म और ज्योतिष के मुताबिक इस दिन व्रत रखने से व्यक्ति को हर काम में सफलता मिलती है. इस दिन व्रत-पूजा करने वालों पर भगवान विष्णु की विशेष कृपा रहती है. पुराणों के मुताबिक महाभारत से पहले पांडवों ने भी सफला एकादशी का व्रत किया था.ये है शुभ मुहूर्त और पूजा विधिसफला एकादशी 29 दिसंबर की दोपहर 04:12 बजे से शुरू होगी और 30 दिसंबर की दोपहर 01:40 बजे तक रहेगी. यानि कि पूजा करने के लिए शुभ समय दोपहर 1 बजे से पहले रहेगा. लेकिन व्रत का पारणा 31 दिसंबर को सुबह 07:14 बजे से 09:18 मिनट तक रहेगी. सफला एकादशी के दिन व्रती को सुबह स्नान करने के बाद भगवान विष्णु के दर्शन करके व्रत का संकल्प लेना चाहिए. इस व्रत में भगवान विष्णु के अच्युत रूप की पूजा करना सबसे ज्यादा शुभ माना गया है.पूजन के लिए भगवान को हल्दी-अक्षत अर्पित करें. फिर धूप-दीप दिखाएं. फल, पंचामृत, नारियल, सुपारी, आंवला, अनार और लौंग आदि अर्पित करें. कोशिश करें कि व्रत के दिन ज्यादा से ज्यादा समय तक श्री हरि का नाम भजें. इसके अलावा व्रत के अगले दिन गरीबों को भोजन कराएं.
- मार्ग शीर्ष शुक्ल पक्ष त्रयोदशी 16 दिसम्बर 2021 दिन गुरुवार को दिन में 2:27 बजे, ग्रहो में राजा की पदवी प्राप्त सूर्य देव का गोचरीय संचरण मूल नक्षत्र एवं धनु राशि मे प्रारम्भ होगा। इसी के साथ खरमास हो जाएगा आरम्भ। विवाह आदि के लिए शुभ मुहूर्तों का हो जाएगा अभाव।एक संवत्सर में अर्थात एक वर्ष में बारह राशियों पर भ्रमण करते हुए सूर्य बारह संक्रांति करते हैं। सूर्य देव जब एक राशि से दूसरी राशि मे प्रवेश करते है तो यह स्थिति संक्रांति अर्थात गोचर कहलाती है। अपनी बारह संक्रांतियों के दौरान जहाँ सूर्य वर्ष में एक बार एक माह के लिए अपनी उच्च स्थिति में रहकर अपने सम्पूर्ण फल में उच्चता प्रदान करते हैं, और एक बार अपनी राशि सिंह में स्वगृही रहकर भी अपने सभी कारक तत्वों, आधिपत्य अर्थात प्रभावों में संपूर्णता प्रदान करते है तो, वही एक माह के लिए अपनी नीच स्थिति को प्राप्त करते हुए निम्न फल भी प्रदान करते हैं।शुक्र ग्रह की राशि तुला में सूर्य की स्थिति सबसे कमजोर होती है। अपने इसी स्वाभाविक संचरण के क्रम में जब सूर्य का गोचरीय संचरण देव गुरु बृहस्पति की राशियों धनु एवं मीन में होता है तब वह मास ,खरमास या धनुर्मास कहलाता है। खरमास में विवाह आदि महत्वपूर्ण शुभ कार्य नही किये जाते हैं परंतु भगवत आराधना की दृष्टिकोण से यह मास अति उत्तम मास होता है। इस प्रकार इस अवधि में जहाँ शुभ और मांगलिक कार्य वर्जित रहते है वही आत्मचिन्तन और ईश आराधना के लिए श्रेष्ठ समय होता है। क्योंकि इन दोनों राशियों के तथा इस महिने के अधिपति देव गुरु बृहस्पति के होने से भगवद् भक्ति तथा शुभफल की प्राप्ति के लिए सर्वोत्तम महिने के रूप में मान्य है।इस वर्ष 16 दिसम्बर दिन गुरूवार को सूर्य देव वृश्चिक राशि का परित्याग कर दिन में 2 बजकर 27 मिनट पर धनु राशि पर आरूढ़ हो जायेंगे और इसी के साथ ही खरमास आरम्भ हो जाएगा । सूर्य देव 14 जनवरी 2021 दिन शुक्रवार को रात में 8 बजकर 34 मिनट तक धनु राशि मे गोचरीय संचरण करते रहेंगे । इस प्रकार लगभग एक महीने तक सूर्यदेव धनु राशि पर गोचरीय संचरण करते रहेगे । तत्पश्चात 14 जनवरी दिन शुक्रवार को रात में 8 बजकर 34 मिनट पर धनु राशि को छोड़कर शनि देव की राशि मकर में प्रवेश करेगे। इसी के साथ एक महिने से चल रहे धनुर्मास अर्थात खरमास का समापन हो जाएगा। मकर राशि मे प्रवेश करने के साथ ही सूर्य देव उत्तरायण की गति प्रारम्भ करते है । और इसी के साथ विवाह आदि शुभ कार्यो के लिए शुभ मुहूर्त्त मिलने लगते है।खरमास में निम्न कार्य किये जा सकते हैंदो ग्रह ,सूर्य ,चन्द्रमा और बृहस्पति में से किसी दो ग्रहो का बल प्राप्त होने से पुंसवन, सीमन्तोन्यन, प्रसूति स्नान, जातकर्म, अन्नप्राशन, विपणीव्यापार, पशुओं की खरीद और विक्रय, भूमि क्रय- विक्रय, हलप्रवहण, धान्य स्थापन, भृत्य कर्मारम्भ, शस्त्रधारण, शय्या- उपभोग, आवेदन पत्र लेखन, इष्टिका निर्माण, इष्टिकादहन, रक्त वर्ण और कृष्ण वस्त्र धारण, रत्नधारण, जलयन्त्र- कर्म, मुकदमा सम्बन्धी कार्य, वाद्य कलारम्भ, शल्यकर्म, नृत्यकलारम्भ, धान्यछेदन, वृक्षारोपण, कार्यारम्भ, नौकरी प्रारम्भ,आभूषण निर्माण इत्यादि कार्य करने योग्य हैं ।अविहित अर्थात जो कार्य नही किये जा सकते हैं :-वरवरण, कन्यावरण, विवाह सम्बन्धी समस्त कार्य, वधूप्रवेश, द्विरागमन, गृहारम्भ, गृहप्रवेश, वेदारम्भ, उपनयन, मुण्डन, दत्तक पुत्र ग्रहण, विद्यारम्भ, देव प्रतिष्ठा, कर्णवेध, जलाशय- वाटिका आरम्भ इत्यादि कार्य अविहित हैं।
- सूर्य देव ने वृश्चिक राशि से धनु राशि में प्रवेश कर लिया है। ज्योतिष में सूर्य देव को सभी ग्रहों का राजा कहा जाता है। सूर्य के शुभ होने पर व्यक्ति का भाग्योदय हो जाता है। सूर्य देव 16 दिसंबर से 14 जनवरी 2021 तक धनु राशि में ही विराजमान रहेंगे। सूर्य को आत्मा, पिता, मान- सम्मान, सफलता, प्रगति एवं सरकारी और गैर सरकारी क्षेत्र में उच्च सेवा का कारक ग्रह माना जाता है।मेष राशि-शुभ परिणाम प्राप्त होंगे।इस दौरान आप शत्रुओं पर विजय प्राप्त करेंगे।कार्यस्थल पर आपको मान-सम्मान प्राप्त होगा।आर्थिक स्थिति पहले से बेहतर होगी।स्वास्थ्य में सुधार होगा।वैवाहिक जीवन सुखद रहेगा।धन- लाभ होगा, जिससे आर्थिक पक्ष मजबूत होगा।मिथुन राशि-शुभ समाचार प्राप्त होंगे।इस दौरान पारिवारिक रिश्तों में मधुरता बढ़ेगी।नौकरी की तलाश कर रहे लोगों को शुभ परिणाम मिल सकता है।आत्मविश्वास में बढ़ोतरी होगी।दांपत्य जीवन सुखद रहेगा।धन लाभ होगा, जिससे आर्थिक पक्ष मजबूत होगा।कर्क राशि-कर्क राशि के लिए यह समय शुभ कहा जा सकता है।धन से जुड़े मामलों में सफलता हासिल होगी।समाज में मान-सम्मान बढ़ेगा।पद- प्रतिष्ठा में वृद्धि होगी।निवेश करने का प्लान बना रहे हैं तो यह आपके लिए लाभकारी साबित होगा।लेन- देन के लिए समय शुभ है।
- हिंदू धर्म में पूजा आदि का अधिक महत्व है। तो वहीं पूजा करने के नियमों भी उतने ही खास माने जाते हैं। सनातन धर्म से संबंध रखने वाले लगभग लोग जानते ही होंगे कि पूजा में दीया जलाना आदि कितना महत्वपूर्ण माना जाता है। हिंदू धर्म में कोई भी पर्व हो किसी में मिट्टी में या फिर आटे के दीये प्रज्जवलित करने की परंपरा रही है। आज हम जानते हैं कि आटे के दीये जलाने के पीछे कौन सा धार्मिक कारण छिपा है।मान्यता है कि अन्य दीपकों की तुलना में आटे के दीप अधिक शुभ और पवित्र होता है। इस दीप को मां अन्नपूर्णा का आशीष स्वत: ही प्राप्त हो जाता है। माना जाता है कि देवी दुर्गा , पवनपुत्र हनुमान, देवों के देव महादेव भगवान शंकर, श्री हरि विष्णु, श्री राम, श्री कृष्ण के मंदिरों में आटे के दीपक जलाने से कामना की पूर्ति शीघ्र होती है। तो वहीं मुख्य रूप से तांत्रिक क्रियाओं में आटे के दीयों का उपयोग किया जाता है।अगर किसी के जीवन में निम्न संबंधी कोई परेशानी हो तो उसके निवारण के लिए आटे के दीप जलाने चाहिए। जैसे- कर्ज से मुक्ति, शीघ्र विवाह, नौकरी, बीमारी, संतान प्राप्ति , खुद का घर, गृह कलह, पति-पत्नी में विवाद, जमीन जायदाद, कोर्ट कचहरी म ेंविजय, झूठे मुकदमे तथा घोर आर्थिक संकट आदि।आटे के दीये प्रज्जवलित करने से पहले इस बात का भी ध्यान रखना चाहिए कि वे घटती और बढ़ती संख्या में हों। एक दीप से शुरूआत कर उस 11 तक ले जाया जाता है। उदाहरण के तौर पर जैसे संकल्प के पहले दिन 1 फिर 2, 3, ,4 , 5 और 11 तक दीप जलाने के बाद 10, 9, 8, 7 ऐसेफिर घटतेक्रम में दीप लगाए जाते हैं।आटे में हल्दी मिला व गुंथ कर हाथों से उसे दीप का आकार दिया जाता है। फिर उसमें घी का तेल डाल कर बत्ती सुलगाई जाती है। ज्योतिष शास्त्री के अनुसार मन्नत पूरी होने के बाद एक साथ आटे के सारे संकल्पितदीये मंदिर में जाकर लगाने चाहिए। ध्यान रखें कि अगर दीप की संख्या पूरी हो ने से पहले ही कामना पूरी हो जाए तो क्रम को खंडित न करें। संकल्प के अनुसार ही सारे दीये जलाएं।---------
- भारत में दो विश्वप्रसिद्ध सूर्य मंदिर हैं। एक है, देश के पूर्वी छोर पर उड़ीसा राज्य में स्थित प्रसिद्ध कोणार्क सूर्य मंदिर और दूसरा है, देश के पश्चिमी छोर पर गुजरात राज्य में पाटन से 30 किलोमीटर दक्षिण में स्थित मोढेरा सूर्य मंदिर। मेहसाणा जिले में पुष्पावती नदी के किनारे स्थित यह मंदिर अपने उत्कृष्ट वास्तुशिल्प के लिए विश्व में प्रसिद्ध है।पूरे मंदिर में उत्कीर्ण नक्काशी परम्परा और धार्मिक आस्था का नायाब समन्वय है। यह मंदिर एक समय में पूजा-अर्चना, नृत्य और संगीत से भरपूर जाग्रत मंदिर था। पाटन, गुजरात के सोलंकी शासक सूर्यवंशी थे और सूर्यदेव को कुलदेवता के रूप में पूजते थे। इसलिए सोलंकी राजा भीमदेव ने सन 1026 ईस्वी में इस सूर्य मंदिर की स्थापना कराई थी।इस मंदिर का न्याधार (स्तंभ के नीचे की चौकी) उल्टे कमल पुष्प के समान है। उल्टे कमल रूपी आधार के ऊपर लगे फलकों पर असंख्य हाथियों की मूर्तियां बनी हुई हैं। इसे गज पेटिका कहा जाता है। इन्हें देख ऐसा प्रतीत होता है, मानो असंख्य हाथी अपनी पीठ पर सूर्य मंदिर को धारण किए हुए हैं। मंदिर की संरचना ऐसी की गई है कि विषवों के समय, यानी 21 मार्च व 21 सितम्बर के दिन सूर्य की प्रथम किरणें गर्भगृह में स्थित मूर्ति के ऊपर पड़ती हैं। यह मंदिर तीन मुख्य भागों में बंटा है। प्रथम भाग है- गर्भगृह तथा एक मंडप से सुसज्जित मुख्य मंदिर, जिसे गूढ़ मंडप भी कहा जाता है। अन्य दो भाग हैं- सभा मंडप और एक बावड़ी। जब मंदिर का प्रतिबिम्ब इस बावड़ी के जल पर पड़ता है, तब वह दृश्य सम्मोहित कर देता है। बावड़ी की सीढ़ियां अनोखे ज्यामितीय आकार में बनाई गई हैं। सीढ़ियों पर छोटे-बड़े 108 मंदिर बने हैं। इनमें कई मंदिर भगवान गणेश और शिव को समर्पित हैं। सूर्य मंदिर के ठीक सामने की सीढ़ियों पर शेषशैया पर विराजमान भगवान विष्णु का मंदिर है। एक मंदिर शीतला माता का भी है। मंदिर के गर्भगृह के चारों ओर परिक्रमा पथ है। इसका सभामंडप एक अष्टभुजीय कक्ष है। इसमें 52 स्तंभ हैं, जो वर्ष के 52 सप्ताहों को दर्शाते हैं।कैसे पहुंचेंनिकटतम हवाई अड्डा अहमदाबाद है। निकटतम रेलवे स्टेशन अहमदाबाद है, जो लगभग 102 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। अहमदाबाद से ही यहां के लिए बस व टैक्सी की सुविधा उपलब्ध है।
- हिंदू धर्म में वास्तु शास्त्र का बहुत महत्व है। मकान मुख्य रूप से वास्तु सिद्धांतों को ध्यान में रखकर बनाए जाते हैं। यह प्राचीन भारतीय विज्ञान पारंपरिक मान्यताओं और मूल्यों के आधार पर सुरक्षित वास्तु नियमों को निर्धारित करता है, प्रत्येक नियम वास्तु कानून के अनुसार घर और उसके रहने वालों पर सीधा प्रभाव डालता है। वास्तु उपाय धन, स्वास्थ्य और रिश्तों की समस्याओं को दूर करने में मदद करते हैं, और नया घर, भवन या कार्यालय बनाते या खरीदते समय वास्तु सिद्धांतों को लागू करना बहुत महत्वपूर्ण है। यदि आपने अभी तक अपने घर में वास्तु लागू नहीं किया है और जीवन में समस्या का सामना कर रहे हैं, तो आप कुछ वस्तु टिप्स अपनाकर अपनी परेशानी दूर कर सकते हैं। तो चलिए आज हम जानते हैं घर के दक्षिण-पश्चिम दिशा के लिए वास्तु उपाय-दक्षिण पश्चिम दिशा के लिए वास्तु उपायघर के मुख्य द्वार के लिए घर के दक्षिण पश्चिम दिशा का उपयोग अनुचित माना जाता है, इसके नकारात्मक परिणाम होते हैं। हालांकि, वास्तु शास्त्र के अनुसार, दक्षिण पश्चिम दिशा के लिए वास्तु के उपाय नकारात्मक प्रभावों को कम करने और घर के चारों ओर सकारात्मक ऊर्जा को बढ़ाने में मदद कर सकता है।चूंकि घर के दक्षिण-पश्चिम क्षेत्र में बड़े स्थान नुकसान पहुंचा सकते हैं, इसलिए इनसे बचना चाहिए। इसके बजाय, सकारात्मक ऊर्जा को प्रोत्साहित करने के लिए अपने घर के उत्तर-पूर्व क्षेत्र में खुली जगह बनानी चाहिए।सुनिश्चित करें कि घर के दक्षिण-पश्चिम कोने में भूमिगत पानी की टंकी न रखें। इसके बजाय, अपने घर के चारों ओर ऊर्जा का संतुलन बनाने के लिए घर के दक्षिण-पश्चिम की ओर एक ऊपरी पानी की टंकी का निर्माण करें।वास्तु के अनुसार हमेशा दक्षिण-पश्चिम कोने में अलमारी, वाशिंग मशीन और सोफे जैसे भारी सामान रखें। यह उपाय आपके घर के अंदर नकारात्मक ऊर्जा को जमा होने से रोकने में आपकी मदद करेगा।घर की दक्षिण-पश्चिम दिशा में शौचालय के दरवाजे हमेशा बंद रखने से नकारात्मक ऊर्जा आपके घर में प्रवेश नहीं करेगी।कभी भी दक्षिण-पश्चिम कोने में घर का विस्तार करने का प्रयास न करें क्योंकि दक्षिण-पश्चिम कोने में अतिरिक्त जगह नकारात्मक ऊर्जा के प्रवाह को बढ़ा सकती है। हालांकि, यदि कोई अन्य विकल्प नहीं है, तो आप दोष को ठीक करने के लिए दीवारों पर पीतल, लकड़ी या तांबे की वास्तु स्ट्रिप्स स्थापित कर सकते हैं।कभी भी दक्षिण-पश्चिम दिशा में बोरवेल न लगाएं। यदि ऐसा संभव न हो, तो इसे लाल रंग से रंग दें और इसके ऊपर राहु यंत्र स्थापित करें।
- हम जब किसी से मिलते हैं या किसी का अभिवादन करते हैं तो नमस्कार, प्रणाम या राम-राम कहते हैं। किसी को अभिवादन करना हमारी संस्कृति ही नहीं सभी संस्कृतियों का अभिन्न अंग है। और यह परम्पराएं किसी कारण से बनी होती है। जैसे किसी को राम-राम बोलने की परंपरा। पुराने समय में गांव हो या शहर सभी जगह अभिवादन हेतु भगवान का नाम लिया जाता था। आज भी कई गांव ऐसे हैं जहां एक दूसरे को अभिवादन करने के लिए राम-राम कहते हैं। लेकिन जरा सोचिए भगवान राम का नाम अभिवादन करते समय एक बार भी तो ले सकते हैं लेकिन ऐसा नहीं है। हम किसी को अभिवादन करते समय भगवान राम के नाम का उपयोग 2 बार किया जाता है। आखिर इसके पीछे का रहस्य क्या है। चलिए आपको बताते हैं।राम शब्द की व्युत्पत्तिराम शब्द संस्कृत के दो धातुओं, रम् और घम से बना है। रम् का अर्थ है रमना या निहित होना और घम का अर्थ है ब्रह्मांड का खाली स्थान। इस प्रकार राम का अर्थ सकल ब्रह्मांड में निहित या रमा हुआ तत्व यानी चराचर में विराजमान स्वयं ब्रह्म। शास्त्रों में लिखा है, “रमन्ते योगिनः अस्मिन सा रामं उच्यते” अर्थात, योगी ध्यान में जिस शून्य में रमते हैं उसे राम कहते हैं।अभिवादन के समय राम नाम 2 बार क्यों बोलते हैं'राम-राम' शब्द जब भी अभिवादन करते समय बोल जाता है तो हमेशा 2 बार बोला जाता है। इसके पीछे एक वैदिक दृष्टिकोण माना जाता है। वैदिक दृष्टिकोण के अनुसार पूर्ण ब्रह्म का मात्रिक गुणांक 108 है। वह राम-राम शब्द दो बार कहने से पूरा हो जाता है,क्योंकि हिंदी वर्णमाला में ''र" 27वां अक्षर है।'आ' की मात्रा दूसरा अक्षर और 'म' 25वां अक्षर, इसलिए सब मिलाकर जो योग बनता है वो है 27 + 2 + 25 = 54, अर्थात एक “राम” का योग 54 हुआ। और दो बार राम राम कहने से 108 हो जाता है जो पूर्ण ब्रह्म का द्योतक है। जब भी हम कोई जाप करते हैं तो हमे 108 बार जाप करने के लिए कहा जाता है। लेकिन सिर्फ "राम-राम" कह देने से ही पूरी माला का जाप हो जाता है।क्या है 108 का महत्वशास्त्रों के अनुसार माला के 108 मनको का संबंध व्यक्ति की सांसो से माना गया है। एक स्वस्थ व्यक्ति दिन और रात के 24 घंटो में लगभग 21600 बार श्वास लेता है। माना जाता है कि 24 घंटों में से 12 घंटे मनुष्य अपने दैनिक कार्यों में व्यतीत कर देता है और शेष 12 घंटों में व्यक्ति लगभग 10800 बार सांस लेता है। शास्त्रों के अनुसार एक मनुष्य को दिन में 10800 ईश्वर का स्मरण करना चाहिए। लेकिन एक सामान्य मनुष्य के लिए इतना कर पाना संभव नहीं हो पाता है। इसलिए दो शून्य हटाकर जप के लिए 108 की संख्या शुभ मानी गई है। जिसके कारण जाप की माला में मनको की संख्या भी 108 होती है।108 का वैज्ञानिक महत्वयहां हम अगर वैज्ञानिक तथ्य की बात करें तो 108 मनके की माला और सूर्य की कलाओं का एक दूसरे से संबंध माना गया है। वैज्ञानिक तथ्य के अनुसार एक वर्ष में सूर्य 216000 कलाएं बदलता हैं। इसमें वह छह माह उत्तरायण रहता है और छह माह दक्षिणायन रहता है। इस तरह से छः माह में सूर्य की कलाएं 108000 बार बदलती हैं। इसी तरह से अंत के तीन शून्य को अगर हटा दिया जाए तो 108 की संख्या बचती है। 108 मनको को सूर्य की कलाओं का प्रतीक माना जाता है।'राम' शब्द के संदर्भ में स्वयं गोस्वामी तुलसीदास जी ने लिखा:करऊँ कहा लगि नाम बड़ाई।राम न सकहि नाम गुण गाई ।।स्वयं राम भी 'राम' शब्द की व्याख्या नहीं कर सकते,ऐसा राम नाम है। 'राम' विश्व संस्कृति के अप्रतिम नायक है। वे सभी सद्गुणों से युक्त है। वे मानवीय मर्यादाओं के पालक और संवाहक है। अगर सामाजिक जीवन में देखें तो- राम आदर्श पुत्र, आदर्श भाई, आदर्श मित्र, आदर्श पति, आदर्श शिष्य के रूप में प्रस्तुत किए गए हैं। अर्थात् समस्त आदर्शों के एक मात्र न्यायादर्श 'राम' है।
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हर लड़की चाहती है कि जब उसकी शादी होकर वो ससुराल जाए तो वहां उसे खूब प्यार मिले. उसे परिवार की सदस्य की तरह डील किया जाए और उसका भी अन्य सदस्यों की तरह पूरा सम्मान किया जाए. लेकिन हर लड़की को ये सुख नसीब नहीं होता. ज्योतिष की मानें तो ऐसा कुछ ग्रहों की बदौलत होता.
कुंडली में मौजूद ग्रहों की स्थिति पक्ष में न होने पर लड़की को ससुराल में बार बार अपमानित होना पड़ता है. परिवार में बार बार क्लेश की स्थिति बन जाती है. पूरी तरह खुद को समर्पित कर देने के बावजूद उन्हें वो सम्मान प्राप्त नहीं होता, जिसकी वो हकदार हैं. यहां जानिए उन ग्रहों के बारे में जो जीवन में उथल पुथल की वजह बनते हैं, साथ ही इन समस्याओं से मुक्ति पाने के उपाय के बारे में.
1- मंगल
मंगल को क्रोधी ग्रह माना जाता है. क्लेश, झगड़ा और गुस्से का कारक मंगल को ही माना गया है. मंगल की अशुभ स्थिति जीवन में अमंगल की वजह बनती है. यदि किसी लड़की की कुंडली में मंगल की अशुभ स्थिति बनी हो, तो उसे जीवन में कई तरह की चुनौतियों का सामना करना पड़ता है.
उपाय : मंगलवार की अशुभ स्थिति को शुभ बनाने के लिए लिए आप मंगलवार के दिन हनुमान बाबा की पूजा करें. हनुमान चालीसा का पाठ करें. अगर संभव हो तो हर मंगल को सुंदरकांड का पाठ करें. लाल मसूर की दाल, गुड़ आदि का दान करें.
2- शनि
शनि अगर शुभ स्थिति में हों, तो जीवन बना देते हैं, लेकिन शनि की अशुभ स्थिति जीवन को तहस नहस कर डालती है. अगर किसी लड़की की कुंडली में शनि की स्थिति ठीक न हो, तो ससुराल में उसके साथ बर्ताव अच्छा नहीं होता. उसे काफी मुश्किलों का सामना करना पड़ता है.
उपाय : हर शनिवार को पीपल के पेड़ के नीचे सरसों के तेल का दीपक जलाएं. शनिवार के दिन सरसों के तेल, काले तिल, काली दाल, काले वस्त्र आदि का दान करें. शनि चालीसा का पाठ करें.
3- राहु और केतु
राहु और केतु दोनों ग्रहों को पाप ग्रहों की श्रेणी में रखा जाता है. जब ये अशुभ होते हैं तो मानसिक तनाव की वजह बनते हैं, साथ ही कई बार व्यक्ति को बेवजह कलंकित होना पड़ता है. राहु को ससुराल का कारक भी माना गया है. ऐसे में किसी लड़की की कुंडली में राहु और केतु की अशुभ स्थिति शादी के बाद उसके जीवन को बुरी तरह से प्रभावित करती है.
उपाय : राहु को शांत रखने के लिए माथे पर चंदन का तिलक लगाएं. महादेव का पूजन करें और घर में चांदी का ठोस हाथी रखें. वहीं केतु को शांत रखने के लिए भगवान गणेश की पूजा करें. चितकबरे कुत्ते या गाय को रोटी खिलाएं. -
हस्तरेखा विज्ञान में राहु रेखाओं के बारे में विस्तार से जानकारी दी गई है। जो रेखाएं राहु के क्षेत्र से गुजरती हों और आड़ी भी हों वे राहु रेखाएं होती हैं। राहु रेखाएं व्यक्ति के जीवन में समस्याएं पैदा करती हैं। इसी कारण से राहु रेखाएं परेशानी की रेखा भी कही जाती हैं। यदि राहु रेखाएं जीवन रेखा को नहीं छू रही हैं तो ये परेशानी की रेखाएं होती हैं। इससे पता चलता है कि व्यक्ति मानसिक रूप परेशान है। ये रेखाएं व्यक्ति की चिंता को दर्शाती हैं, लेकिन यदि ये रेखाएं लंबी होकर राहु क्षेत्र से गुजरती हैं तो ये रेखाएं पूरी तरह से राहु की रेखाएं कहलाती हैं। इन रेखाओं का असर केवल मानसिक स्तर पर नहीं होता बल्कि व्यक्ति के पूरे जीवन को प्रभावित करती हैं। राहु रेखाएं हल्की, मध्यम और बहुत मोटी हो सकती हैं। यदि राहु की रेखाएं बहुत हल्की हैं तो जीवन में परेशानी बेहद कम होंगी और व्यक्ति इन समस्याओं को आराम से झेल लेता है। मध्यम राहु रेखाएं थोड़ा ज्यादा कष्ट देती हैं, लेकिन मोटी राहु रेखाएं व्यक्ति के जीवन में उथल-पुथल मचा देती हैं। राहु की रेखाएं जितनी लंबी होंगी, उसका असर जीवन में उतना ही लंबा होता है।
राहु रेखाएं जहां-जहां तक पहुंचती हैं उनका प्रभाव जीवन के उस हिस्से तक पड़ता है। राहु रेखाएं जितनी लंबी होती हैं उतनी ही परेशानी होती है। यदि राहु रेखा लंबी होकर विवाह रेखा से टकरा जाए तो ऐसे लोगों का वैवाहिक अनुभव बेहद दुखद रहता है। इस तरह के लोगों का वैवाहिक जीवन कष्टमय होता है। हस्तरेखा के अनुसार एक रेखा का प्रभाव दो से चार महीने तक होता है, लेकिन यदि रेखाएं बहुत गहरी हैं तो इनका असर दो से ढाई साल तक रहता है। यदि राहु रेखा से टकराकर भाग्य रेखा रुक जाए तो ऐसे व्यक्ति का काम-धंधा पूरी तरह से चौपट हो जाता है। यदि राहु रेखा टकराने के बाद भाग्य रेखा आगे बढ़ती रही तो ऐसे व्यक्ति समस्याओं से जल्दी बाहर आ जाता है। इस स्थिति में राहु रेखा व्यक्ति के जीवन को प्रभावित तो करती हैं, लेकिन इसके बाद आगे का जीवन व्यक्ति फिर से खड़ा हो जाता है। लेकिन यदि राहु से टकराने के बाद भाग्य रेखा आगे ना बढ़े तो व्यक्ति का जीवन अच्छा नहीं रहता। इस तरह के लोगों का काम-धंधा लगभग बंद हो जाता है।