'सपनों के स्वर’ के विमोचन संग वरिष्ठ साहित्यकार शिवकुमार यादव सम्मानित
0- मेरे 'सपनों के स्वर’ को स्वर पाटन की पृष्ठभूमि ने ही दिया: शिवकुमार यादव
0- साहित्य जगत की सर्वाधिक कठिन विधा है कविता लेखन: अनिल कालेले
रायपुर। मंच पर अगर नाटक दृश्य माध्यम है तो संगोष्ठी श्रव्य माध्यम, लेकिन कविता अपने लय के कारण दृश्य के साथ श्रव्य माध्यम भी है और साहित्य जगत की सर्वाधिक कठिन विधा भी। 81 वर्ष की आयु में भी शिवकुमार यादव कविता लेखन को लेकर उतने उत्साही, सक्रिय और जुनूनी है, जितने युवावस्था में रहे होंगे। यादव के काव्य संग्रह ‘सपनों के स्वर’ के विमोचन समारोह में इस आशय के विचार महाराष्ट्र मंडल के वरिष्ठ सभासद व 86 वर्षीय रंगसाधक अनिल श्रीराम कालेले ने कहे। इस मौके पर उन्होंने वरिष्ठ साहित्यकार व कवि शिवकुमार यादव को शाल- श्रीफल और स्मृति चिह्न देकर सम्मानित किया। हिंदी साहित्य समिति के उद्भव से लेकर अब तक सक्रिय रहे कवि भूषण पटेल भी इस अवसर पर शाल- श्रीफल और प्रतीक चिह्न से सम्मानित किए गए।
शिव कुमार ने संगोष्ठी को संबोधित करते हुए कहा कि पाटन मेरे लिए एक शब्द नहीं, सपना है। मेरे काव्य संग्रह ‘सपनों के स्वर’ को स्वर पाटन की पृष्ठभूमि ने ही दिया है। पाटन में रहकर मुझे आगे बढ़ने की प्रेरणा मिली। यहां के हवा- पानी में जादू है… अपनेपन का जादू। पाटन निवास के दरमियान पत्रिका ‘अरुणिमा’ के प्रकाशन ने मुझे संबल दिया, जिसकी बदौलत मेरी प्रथम कृति ‘अनुभूतियों के पंख’ का सृजन हुआ। पाटन की यशस्वी भूमि में दूसरा काव्य संग्रह ‘सपनों के स्वर’ का विमोचन हो रहा है। यह मेरे जीवन का अविस्मरणीय पल हैं।
हिंदी साहित्य समिति पाटन के अध्यक्ष हेमंत देवांगन ने कवि शिवकुमार यादव की जीवन यात्रा और पाटन को उसकी उपादेयता पर प्रकाश डाला और स्पष्ट किया की सन 1965 से 67 तक शिवकुमार के आगमन से पाटन में क्या-क्या शैक्षणिक, सांस्कृतिक परिवर्तन हुए। हेमंत ने ‘सपनों के स्वर’ की पंक्तियों का पठन कर उसकी समीक्षा भी की। विशेष अतिथि प्रसन्न निमोणकर ने भी ‘सपनों के स्वर’ की विविधता लिए हुए चुनिंदा कविताओं का पाठ किया।
स्वामी आत्मानंद सभागार पाटन में आयोजित कार्यक्रम को व्यंग्यकार विनोद साव ने संबोधित किया। महाराष्ट्र मंडल के सचेतक रविंद्र ठेंगड़ी ने स्वरचित कविताओं का पाठ कर तालियां बटोरीं। कार्यक्रम की अध्यक्षता योगेश निक्की भाले ने की। कार्यक्रम का संयोजन हेमंत देवांगन ने किया। मंच का संचालन योगेश शर्मा व भास्कर सावर्णी ने और आभार प्रदर्शन सतीश जायसवाल ने किया। इस मौके पर बड़ी संख्या में साहित्य प्रेमी श्रोता उपस्थित रहे।
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