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ऊर्जा जरूरतों से निपटने के लिए उद्योग जगत, अनुसंधान निकायों से एकजुट पहल की मोदी की अपील

नयी दिल्ली.  प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भारत की ऊर्जा जरूरतों को पूरा करने और सतत विकास के लिए ‘सर्कुलर इकोनॉमी' को बढ़ावा देने के वास्ते उद्योग, शैक्षणिक और अनुसंधान संगठनों से समेकित प्रयास की शनिवार को अपील की। मोदी ने भविष्य के भारत और दुनिया की मांगों की जरूरतें पूरी करने के लिए पारंपरिक ज्ञान से लेकर छात्रों की रुचि, कौशल सेट और दक्षताओं की मैपिंग तक विभिन्न क्षेत्रों में कृत्रिम बुद्धिमत्ता जैसे वैज्ञानिक दृष्टिकोण तथा प्रौद्योगिकी के इस्तेमाल की आवश्यकता पर प्रकाश डाला। प्रधानमंत्री मोदी यहां वैज्ञानिक और औद्योगिक अनुसंधान परिषद (सीएसआईआर) सोसाइटी की बैठक में यह टिप्पणी की। प्रधानमंत्री सीएसआईआर के अध्यक्ष होते हैं। एक आधिकारिक बयान के अनुसार, मोदी ने वैज्ञानिक समुदाय से भारत को एक वैश्विक नेता बनाने के उद्देश्य से ‘विजन-2047' की ओर कदम उठाने को कहा। उन्होंने वैज्ञानिक समुदाय से अनाज और बाजरे की नई किस्मों में प्रोटीन की मात्रा बढ़ाने के लिए तकनीकी समाधान लाने का आह्वान किया, ताकि उपज और पोषण सामग्री में सुधार किया जा सके। प्रधानमंत्री ने सीएसआईआर की पिछले 80 वर्षों की यात्रा के दस्तावेजीकरण के महत्व पर प्रकाश डाला, जो अब तक हुई प्रगति की समीक्षा में मदद कर सकता है और कमियों की पहचान कर उन्हें दूर किया जा सकता है। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि प्रौद्योगिकी को आम आदमी तक पहुंचाने के लिए वैज्ञानिक, वाणिज्यिक और सामाजिक घटकों का एक एकीकृत दृष्टिकोण अपनाया जाना चाहिए। मोदी ने वैज्ञानिक समुदाय के अग्रणी लोगों से वैज्ञानिक अनुसंधान और विकास को बढ़ावा देने में मदद के लिए ‘एक व्यक्ति, एक प्रयोगशाला' का दृष्टिकोण अपनाने को कहा। प्रधानमंत्री ने यह भी सुझाव दिया कि सभी प्रयोगशालाओं का एक वर्चुअल शिखर सम्मेलन नियमित रूप से आयोजित किया जा सकता है, जिसमें वे एक-दूसरे के अनुभव से नई चीजें सीख सकते हैं। इससे पहले, अपने उद्घाटन भाषण में, विज्ञान और प्रौद्योगिकी मंत्री डॉ जितेंद्र सिंह ने इस बात पर प्रकाश डाला कि जब भारत ने इस वर्ष आजादी के 75 साल पूरे किये तो सीएसआईआर ने 80 साल पूरे कर लिये हैं। उन्होंने उद्योग, शिक्षा और अनुसंधान के एकीकरण, तालमेल और निर्मूलीकरण पर जोर दिया।
सीएसआईआर के महानिदेशक डॉ एन कलाईसेल्वी ने सीएसआईआर की हालिया उपलब्धियों और योगदान पर एक प्रस्तुति दी। उन्होंने भारत की पहली हाइड्रोजन फ्यूएल सेल बस, जम्मू-कश्मीर में बैंगनी क्रांति की शुरुआत और भारत के समृद्ध पारंपरिक ज्ञान पर आधारित नवाचार को बढ़ावा देने के लिए टीकेडीएल पुस्तकालय खोलने के प्रयासों पर भी प्रकाश डाला।

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