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190 से अधिक देशों ने प्राकृतिक पारिस्थितिक तंत्र को बहाल करने के लिए महत्वपूर्ण जैव विविधता संधि को स्वीकार किया

 नई दिल्ली।  190 से अधिक देशों ने प्राकृतिक पारिस्थितिकी तंत्र में सुधार करने के लिए ऐतिहासिक जैव विविधता संधि को स्‍वीकार किया है। मॉन्ट्रियल में संयुक्‍त राष्‍ट्र जैव विविधता सम्‍मेलन कॉप 15 में ये देश 2030 तक पृथ्‍वी के 30 प्रतिशत हिस्‍से की रक्षा करने पर स‍हमत हुए हैं। इन देशों ने प्राकृतिक विश्‍व के अस्तित्व के लिए चार व्यापक लक्ष्यों के तहत पारिस्थितिकी तंत्र के क्षरण से बचने के लिए 23 लक्ष्यों को प्राप्त करने का संकल्प लिया है। वैश्विक जैव विविधता फ्रेमवर्क के तहत ये देश वार्षिक तौर पर पांच सौ अरब डॉलर की लागत की हानिकारक सरकारी सब्सिडी की कटौती पर भी सहमत हुए हैं। ये देश उन सब्सिडियों की पहचान करने के लिए भी कृतसंकल्‍प हैं जो 2025 तक जैव विविधता के लिए हानिकारक हो सकती है। जैव विविधता योजना भारत को कृषि सब्सिडी पर राहत देती है। वैश्विक जैव विविधता फ्रेमवर्क भारत को कृषि सब्सिडी और कीटनाशक के प्रयोग को जारी रखने के मामले में राहत देता है। यह भारत की प्राकृतिक कृषि की प्राथमिकता रही है। भारत की ओर से वार्ता में शामिल पर्यावरण मंत्री भूपेन्‍द्र यादव ने इसे एक महत्‍वपूर्ण पल बताया।

 जैव विविधता की रक्षा करने के लिए इसके महत्‍व के मामले में जलवायु परिवर्तन पर वैश्विक जैव विविधता फ्रेमवर्क को पेरिस समझौते के बराबर माना जाता है। इसके अन्‍य लक्ष्‍यों में कीटनाशकों का प्रयोग आधा करना और विकसित से विकासशील देशों तक वार्षिक अंतर्राष्‍ट्रीय वित्‍तीय प्रवाह को 2025 तक कम से कम 20 अरब डॉलर तक और 2030 तक कम से कम 30 अरब डॉलर तक बढाना शामिल है।
 
 

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