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मार्च 2024 तक जनऔषधि केंद्रों की संख्या बढ़ाकर 10,000 करने की योजना

नयी दिल्ली.  सरकार ने शनिवार को कहा कि उसकी योजना मार्च 2024 तक प्रधानमंत्री भारतीय जनऔषधि केंद्रों (पीएमबीजेके) की संख्या बढ़ाकर 10,000 करने की है। जनऔषधि केंद्रों के जरिये सस्ती कीमतों पर गुणवत्तापूर्ण दवाएं उपलब्ध कराई जाती हैं। एक आधिकारिक बयान के मुताबिक, पिछले आठ वर्षों में पीएमबीजेपी के जरिये लगभग 18,000 करोड़ रुपये की बचत की गई है। सरकार ने देश भर के 766 जिलों में से 743 जिलों को शामिल करते हुए 9,000 से अधिक केंद्रों को चालू किया है। पीएमबीजेके में ऐसी दवाओं को बेचा जाता है, जिनकी कीमत ब्रांडेड दवाओं की तुलना में 50 प्रतिशत से 90 प्रतिशत तक कम होती है। इन केंद्रों पर 1,759 दवाएं और 280 सर्जरी उपकरण उपलब्ध हैं। रसायन और उर्वरक मंत्रालय के औषधि विभाग ने नवंबर 2008 में इन केंद्रों की शुरुआत की थी और पीएमबीजेपी ने दिसंबर 2017 में 3,000 केंद्र खोलने का लक्ष्य हासिल किया था। मार्च 2020 में इन केंद्रों की संख्या बढ़कर 6,000 हो गई। आधिकारिक बयान में कहा गया, ''पिछले वित्त वर्ष में केंद्रों की संख्या 8,610 से बढ़कर अब 9,000 हो गई है। सरकार ने देश भर के 766 में से 743 जिलों को शामिल करते हुए 9,000 से अधिक केंद्रों के साथ पीएमबीजेपी की पहुंच को व्यापक बनाया है।'' बयान में आगे कहा गया, ''सरकार ने मार्च 2024 तक प्रधानमंत्री भारतीय जनऔषधि केंद्रों (पीएमबीजेके) की संख्या बढ़ाकर 10,000 करने का लक्ष्य रखा है।'' जनऔषधि केंद्रों के जरिये वित्त वर्ष 2021-22 में 893.56 करोड़ रुपये मूल्य की दवाओं एवं चिकित्सा उपकरणों की बिक्री की गई थी। इस तरह ब्रांडेड दवाओं की तुलना में देशवासियों के 5,300 करोड़ रुपये बचाने में मदद मिली।
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