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नई दिल्ली। हर घर तिरंगा वेबसाइट पर पांच करोड़ से अधिक तिरंगा सेल्फी अपलोड की जा चुकी हैं। केंद्र सरकार ने हाल ही में हर घर तिरंगा अभियान की घोषणा की थी। लोगों से देश के 75वें स्वतंत्रता दिवस को मनाने के लिए अपने घरों में तिरंगा फहराने के लिए कहा गया था। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 22 जुलाई को घरों में राष्ट्रीय ध्वज फहराकर हर घर तिरंगा अभियान में शामिल होने का आह्वान किया था। केंद्रीय संस्कृति मंत्री जी. किशन रेड्डी ने कहा है कि पांच करोड़ तिरंगा सेल्फी राष्ट्र को आगे रखने की सामूहिक प्रतिबद्धता को प्रदर्शित करती हैं।
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नयी दिल्ली. नई अंतरिक्ष नीति लाने की सरकार की तैयारियों के बीच अंतरिक्ष क्षेत्र में सक्रिय स्टार्टअप की सफलता के लिए बौद्धिक संपदा अधिकारों को लेकर स्पष्टता होना काफी अहम है। इस क्षेत्र के एक विशेषज्ञ ने इस पर जोर दिया है। अंतरिक्ष गतिविधियों में कारोबार को सुगम बनाने के लिए सरकार नई अंतरिक्ष नीति लाने की कोशिशों में जुटी हुई है। इस नीति से जुड़े विचार-विमर्श का दौर अंतिम चरण में है और इससे इस क्षेत्र में निजी कंपनियों के लिए काम करने का खाका तैयार होने की उम्मीद है। इंडियन स्पेस एसोसिएशन (इस्पा) के चेयरमैन जयंत पाटिल ने इस मुद्दे पर आयोजित एक बैठक को संबोधित करते हुए कहा कि अंतरिक्ष विधेयक को संसद की मंजूरी मिलने के बाद इसके क्रियान्वयन के लिए अंतरिक्ष नीति से कानूनी समर्थन मिलेगा। उन्होंने कहा कि अंतरिक्ष क्षेत्र में सक्रिय स्टार्टअप के लिए बौद्धिक संपदा अधिकारों का मसला बहुत परेशान कर रहा है। उन्होंने कहा, "क्या इन स्टार्टअप द्वारा विकसित उत्पादों का बौद्धिक संपदा अधिकार उनके पास ही रहेगा या वह सरकार के पास ही जाएगा? इस पहलू पर बहुत ध्यान देने की जरूरत है।" उन्होंने कहा, "सरकार के तौर पर बौद्धिक संपदा पर समूचा अधिकार उसका ही नहीं हो सकता है। अगर ऐसा होता है तो फिर स्टार्टअप के लिए वह अधिकार किसी काम का नहीं होगा।" सरकार ने दो साल पहले अंतरिक्ष क्षेत्र में शोध एवं विकास को बढ़ावा देने के लिए इसके दरवाजे निजी क्षेत्र के लिए खोल दिए थे। इस मौके पर भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) के पूर्व चेयरमैन ए एस किरण कुमार ने स्टार्टअप फर्मों से कहा कि उन्हें किसी भी उद्यम में आगे बढ़ने के पहले अपने उत्पादों के लिए खरीदारों एवं उपभोक्ताओं की पहचान करनी चाहिए।
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भुवनेश्वर. बंगाल की खाड़ी के ऊपर एक बार फिर हवा के निम्न दबाव का क्षेत्र बन रहा है, जिसके कारण ओडिशा की महानदी में ‘मध्यम बाढ़' के आसार बन रहे हैं, जबकि राज्य में पिछले एक सप्ताह से मूसलाधार बारिश जारी है। निम्न दबाव का क्षेत्र पश्चिम बंगाल में दीघा के पास तट को सुबह साढ़े 10 से साढ़े ग्यारह बजे के बीच पार कर गया, जिससे ओडिशा के कई तटीय, उत्तरी और दक्षिणी क्षेत्रों में भारी से बहुत भारी बारिश हुई है। मौसम विज्ञान केंद्र के अनुसार, बालासोर से लगभग 70 किमी उत्तर पूर्व में स्थित हवा का निम्न दबाव अब उत्तर-पश्चिम की ओर बढ़ रहा है और अगले 24 घंटों तक इसकी तीव्रता बनी रहेगी। विशेष राहत आयुक्त (एसआरसी) पी. के. जेना ने कहा कि महानदी के ऊपरी जलग्रहण क्षेत्र सहित राज्य के कुछ हिस्सों में बारिश तेज हो गयी है, इसलिए राज्य सरकार इस बार "मध्यम बाढ़" की आशंका जता रही है। एसआरसी ने कहा, ''हमें सोमवार शाम तक कटक के पास मुंडाली बैराज में लगभग 10.5 लाख क्यूसेक बाढ़ के पानी के प्रवाह की उम्मीद है। तदनुसार, हम महानदी में मध्यम बाढ़ की तैयारी कर रहे हैं।'' प्रशासन ने अगस्त 2019 में भी ऐसी ही स्थिति का सामना किया था।
जेना ने कहा कि वर्तमान में 9.5 लाख क्यूसेक पानी महानदी के निचले इलाके खैरमल के पास से बह रहा है और इसके मुंडाली तक पहुंचने में 24 घंटे लगेंगे। एसआरसी ने कहा, ''इसलिए, हम सोमवार शाम तक महानदी के आसपास मध्यम बाढ़ की उम्मीद कर रहे हैं, जब 10 लाख क्यूसेक से अधिक पानी इसमें पहुंचेगा।'' हालांकि, जिला अधिकारियों को निचले इलाकों से लोगों को निकालने के लिए कहा गया है।
स्थिति की समीक्षा करने वाले जेना ने कहा कि राष्ट्रीय आपदा मोचन बल (एनडीआरएफ), आडिशा राज्य आपदा मोचन बल (ओडीएआरएफ) और दमकलकर्मियों के 22 बचाव दलों को पुरी, खुर्दा, केंद्रपाड़ा, जगतसिंहपुर और कटक जिलों में भेजा गया है, क्योंकि इन स्थानों के संभावित कारणों से अधिक बाढ़ प्रभावित होने की संभावना है। आधिकारिक सूत्रों ने बताया कि महानदी की सहायक नदियां जैसे लूना, करंदिया, चित्रोत्ताला, दया, भार्गवी, रजुआ और मालागुनी में भी जलस्तर बढ़ गया है। -
भोपाल.मध्य प्रदेश के श्योपुर जिला स्थित कुनो-पालपुर राष्ट्रीय उद्यान में विदेश लाए गए चीतों को शुरुआती दिनों में रखने के लिए पांच वर्ग किलोमीटर के दायरे में बनाये गये बाड़े में घुसे चार तेंदुओं को भगाने के लिए दो हाथियों को तैनात किया जा रहा है। एक अधिकारी ने रविवार को यह जानकारी दी है। सतपुड़ा बाघ अभयारण्य के निदेशक एल कृष्णमूर्ति ने बताया कि दोनों हाथी अपने महावतों के साथ ट्रकों पर सवार होकर रविवार सुबह सतपुड़ा बाघ अभयारण्य से कुनो-पालपुर राष्ट्रीय उद्यान की करीब 800 किलोमीटर लंबी यात्रा पर निकल पड़े हैं। वन अधिकारियों के अनुसार, ऐसे प्रशिक्षित हाथियों का उपयोग विभिन्न कार्यों के लिए किया जाता है, जिसमें बेहोश करने के लिए जानवरों को घेरना और हमलावार जानवरों को भगाने सहित अन्य कार्य शामिल हैं। अधिकारियों ने बताया कि कुनो-पालपुर राष्ट्रीय उद्यान में चीतों को लाकर शुरू में रखने के लिए पांच वर्ग किलोमीटर के दायरे में बनाये गये बाड़े में छह तेंदुए घुस गये थे, जिनमें से दो को पिंजड़े में पकड़कर वहां से बाहर निकाल लिया गया है, जबकि चार अन्य को बाहर निकालने का प्रयास कई दिनों से जारी है। दुनिया के सबसे तेज दौड़ने वाला स्तनधारी चीता 70 साल पहले भारत में विलुप्त हो गया था और इन चीतों को अब मध्य प्रदेश के श्योपुर जिला स्थित कुनो-पालपुर राष्ट्रीय उद्यान में बसाने की योजना है। गौरतलब है कि चीतों को दक्षिण अफ्रीका एवं नामीबिया से अगले महीने तक भारत लाये जाने की उम्मीद है। -
श्रीनगर.श्रीनगर में रविवार को एक कार्यक्रम में 1850 मीटर से अधिक लंबा एक तिरंगा प्रदर्शित किया गया, जो देश का सबसे लंबा राष्ट्रीय ध्वज है। एक आधिकारिक प्रवक्ता ने यह जानकारी दी। उन्होंने बताया कि कार्यक्रम में करीब 5,000 लोग शामिल हुए।
जम्मू कश्मीर के उपराज्यपाल मनोज सिन्हा ने कहा कि इतने विशाल तिरंगे ने केंद्र शासित प्रदेश के इतिहास में एक उत्कृष्ट अध्याय जोड़ दिया है। आधिकारिक प्रवक्ता ने उन्हें उद्धृत करते हुए कहा कि आजादी के अमृत महोत्सव के तहत हर घर तिरंगा अभियान के तहत यहां बख्शी स्टेडियम में यह तिरंगा प्रदर्शित किया गया। प्रवक्ता ने कहा कि श्रीनगर जिला प्रशासन ने देश की आजादी की 75वीं वर्षगांठ पर सबसे लंबा राष्ट्रीय ध्वज प्रदर्शित कर एक राष्ट्रीय रिकार्ड बनाया है। समारोह की अध्यक्षता मुख्य सचिव अरूण कुमार मेहता ने की।
इस अवसर पर, मुख्य सचिव ने 1850 मीटर लंबा तिरंगा प्रदर्शित के लिए इस तरह के एक बड़े कार्यक्रम का आयोजन करने को लेकर जिला प्रशासन की कोशिशों की सराहना की। उन्होंने कहा कि यह नागरिकों में राष्ट्रवाद, बलिदान और बंधुत्व की भावना लाएगा। प्रवक्ता ने बताया कि इस झंडे को तैयार करने में 10 दिनों का वक्त लगा। -
नयी दिल्ली. नीति आयोग के पूर्व उपाध्यक्ष राजीव कुमार का मानना है कि राज्य सरकारों को अपनी राजकोषीय क्षमताओं से इतर ‘मुफ्त सौगात' नहीं देनी चाहिए। उन्होंने कहा कि क्षमता से बाहर जाकर उपहार या टिकाऊ उपभोक्ता सामान मुफ्त में देना कतई सही नहीं है। कुमार ने कहा कि पात्रता के आधार पर अंतरण भुगतान और सरकार की राजकोषीय क्षमता से इतर दी जाने वाली मुफ्त सौगातों में अंतर है। उन्होंने पीटीआई-भाषा के साथ साक्षात्कार में कहा, ‘‘मुफ्त उपहार या टिकाऊ उपभोक्ता सामान को सौगात में देने की प्रकृति ऐसी है, जिसकी जरूरत नहीं है। किसी भी मामले में ऐसा काम उन सरकारों को नहीं करना चाहिए जो राजकोषीय गतिरोधों से जूझ रही हों।'' कुमार ने कहा कि कराधान और वितरण के जरिये सरकार से भुगतान का अंतरण एक लोकतंत्र में हमेशा जरूरी होता है। उन्होंने कहा, ‘‘कोई भी अंतरण भुगतान जिसके प्रतिफल की सामाजिक दर निजी दर के प्रतिफल से अधिक है यानी जिसमें सकारात्मक प्रभाव हैं, उन्हें करना वाजिब है।'' कुछ राजनेताओं द्वारा भारत की मौजूदा आर्थिक स्थिति की तुलना श्रीलंका से किए जाने के बारे में पूछे जाने पर कुमार ने कहा, ‘‘ऐसी कोई भी तुलना कई स्तरों पर अनुचित और शरारती है।'' श्रीलंका गंभीर आर्थिक संकट से जूझ रहा है और भारत उसे आर्थिक सहायता दे रहा है। उन्होंने कहा कि नॉर्डिक देशों में सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) के अनुपात में कर का अनुपात लगभग 50 प्रतिशत है क्योंकि वे आम लोगों को सार्वजनिक सेवाएं एवं सामान मुहैया कराने में बहुत सारा पैसा खर्च करते हैं। उन्होंने कहा, ‘‘मुझे लगता है कि यह ऐसी बात नहीं है जिसपर हमें चर्चा या बहस करनी चाहिए।'' उन्होंने कहा, ‘‘आम आदमी, खासकर निचले तबके के लोगों के लिए सार्वजनिक वस्तुओं और सेवाओं की गुणवत्ता और पहुंच को बढ़ाना काफी अहम है।'' प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने हाल में सरकारों की तरफ से लोगों को मुफ्त उपहार देने की प्रवृत्ति को ‘रेवड़ी बांटना' बताते हुए इसकी आलोचना की है। उन्होंने इसे करदाताओं के पैसे की बर्बादी के साथ ही एक आर्थिक आपदा भी बताया है जो भारत के आत्मनिर्भर बनने के सफर पर असर डाल सकता है। जब उनसे तेलंगाना के मुख्यमंत्री के चंद्रशेखर राव के नीति आयोग के बारे में आए हालिया बयान के बारे में पूछा गया तो उन्होंने कहा कि राव अपनी राय रखने के लिए स्वतंत्र हैं। राव ने नीति आयोग को एक अनुपयोगी संस्था बताते हुए इसके संचालन परिषद की बैठक का पिछले हफ्ते बहिष्कार किया था। इस पर कुमार ने कहा, ‘‘सच तो यह है कि संचालन परिषद की बैठक में लगभग सभी राज्यों के मुख्यमंत्री शामिल हुए। यह दिखाता है कि तेलंगाना के मुख्यमंत्री की राय से अन्य राज्यों के मुख्यमंत्री इत्तेफाक नहीं रखते हैं।'' भारत की मौजूदा वृहद-आर्थिक स्थिति पर उन्होंने कहा कि किसी भी समय पूरे देश में मंदी आने का कोई डर नहीं है। उन्होंने कहा कि तकनीकी रूप से मंदी तब होती है जब कोई देश लगातार दो तिमाहियों में नकारात्मक वृद्धि का गवाह बनता है। कुमार ने कहा, ‘‘भारत के मामले में मैं ऐसा होते हुए नहीं देख रहा हूं। लिहाजा मेरे मन में यह पूरी तरह साफ है कि भारत किसी भी मंदी के दबाव का सामना नहीं करेगा। -
इंदौर। मध्य प्रदेश के झाबुआ मूल का कड़कनाथ मुर्गा डेढ़ दशक पहले विलुप्ति की ओर बढ़ रहा था, लेकिन नस्ल बचाने के वैज्ञानिक प्रयासों और जियोग्राफिकल इंडिकेशन्स (जीआई) का अहम तमगा मिलने के बाद इसके दिन बदल गए हैं। काले रंग के पौष्टिक मांस के लिए मशहूर यह कुक्कुट प्रजाति इस आदिवासी बहुल जिले से निकलकर देश के अधिकांश हिस्सों में फैल चुकी है। झाबुआ के कृषि विज्ञान केंद्र (केवीके) के प्रमुख डॉ. आईएस तोमर ने कहा,‘‘इन दिनों देश के लगभग हर राज्य के कुक्कुट पालन केंद्रों के संचालक कड़कनाथ मुर्गे की शुद्ध नस्ल के चूजों के लिए झाबुआ की अलग-अलग हैचरी (मशीन से अंडे सेकर इनसे चूजे निकालने का उपक्रम) का रुख कर रहे हैं।" उन्होंने बताया कि मांग में इजाफे के चलते झाबुआ में सरकारी, निजी और सहकारी स्तर पर कड़कनाथ के चूजों की कुल पैदावार बढ़कर 2.5 लाख के वार्षिक स्तर पर पहुंच चुकी है। तोमर ने बताया कि केवीके ने सरकार की एक परियोजना के तहत वर्ष 2009-10 में अध्ययन किया, तो पता चला कि मुर्गी पालन के सही तरीकों के प्रति आदिवासियों में जागरूकता के अभाव के कारण तब कड़कनाथ के चूजों की मृत्यु दर काफी अधिक थी। उन्होंने कहा कि अध्ययन से यह भी मालूम पड़ा कि आदिवासी क्षेत्रों में कड़कनाथ और दूसरी प्रजातियों के मुर्गे-मुर्गियों को साथ रखा जा रहा था जिससे इसकी संकर नस्लें पैदा हो रही थीं और कड़कनाथ के वजूद पर खतरा मंडरा रहा था। तोमर ने बताया कि इन तथ्यों के प्रकाश में आने पर केवीके ने झाबुआ में अपनी हैचरी शुरू की और कड़कनाथ की मूल नस्ल को बचाने तथा इसे बढ़ावा देने का बीड़ा उठाया। उन्होंने कहा कि स्थानीय आदिवासियों को इस मुर्गा प्रजाति को पालने के उचित तौर-तरीकों को लेकर प्रशिक्षित भी किया गया जिनमें इनका टीकाकरण और सही खुराक शामिल है। तोमर के मुताबिक, दूसरी मुर्गा प्रजातियों के चिकन के मुकाबले कड़कनाथ के काले रंग के मांस में चर्बी और कोलेस्ट्रॉल काफी कम होता है, जबकि इसमें प्रोटीन की मात्रा अपेक्षाकृत कहीं ज्यादा होती है। कुक्कुट उद्योग के जानकारों के मुताबिक, इन गुणों के चलते देश भर में बढ़ती मांग ने झाबुआ में ‘‘कड़कनाथ अर्थव्यवस्था" विकसित कर दी है और आदिवासी बहुल जिले में इसके चूजों, अंडों और मुर्गों से संबंधित कुल वार्षिक कारोबार चार करोड़ रुपये के आस-पास पहुंच चुका है। झाबुआ में कड़कनाथ के उत्पादन से जुड़ी एक सहकारी संस्था के प्रमुख विनोद मेड़ा ने कहा,‘‘हम देश भर के राज्यों के लोगों के साथ हर साल 20 से 25 लाख रुपये का कारोबार कर लेते हैं। इन दिनों करीब 1.5 किलोग्राम वजन का एक कड़कनाथ मुर्गा 1,000 से 1,200 रुपये के बीच बिक रहा है, जबकि पांच साल पहले यह मुर्गा 500 से 800 रुपये के बीच बिकता था।'' गौरतलब है कि घरेलू बाजार में झाबुआ के कड़कनाथ मुर्गे की प्रामाणिकता को तब बल मिला, जब देश की जियोग्राफिकल इंडिकेशन्स रजिस्ट्री ने वर्ष 2018 में "मांस उत्पाद तथा पोल्ट्री एवं पोल्ट्री मांस" की श्रेणी में कड़कनाथ चिकन के नाम भौगोलिक पहचान (जीआई) का चिह्न पंजीकृत किया था। झाबुआ मूल के कड़कनाथ मुर्गे को स्थानीय जुबान में "कालामासी" कहा जाता है। इसकी त्वचा और पंखों से लेकर मांस तक का रंग काला होता है। कड़कनाथ प्रजाति के जीवित पक्षी, इसके अंडे और इसका मांस दूसरी कुक्कुट प्रजातियों के मुकाबले महंगी दरों पर बिकता है।
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नयी दिल्ली. स्वतंत्रता दिवस के अवसर पर केंद्रीय सशस्त्र पुलिस बल (सीएपीएफ) और राज्य बलों के कुल 1,082 पुलिसकर्मियों को वीरता समेत सेवा पदक की विभिन्न श्रेणियों में सम्मानित किया गया। एक आधिकारिक बयान में रविवार को कहा कि 347 पुलिस पदक वीरता के लिए, विशिष्ट सेवा के लिए 87 राष्ट्रपति पुलिस पदक और सराहनीय सेवा के लिए 648 पुलिस पदक प्रदान किए गए। केन्द्रीय गृह मंत्रालय ने बताया कि वीरता के लिए 347 पदक में से 204 कर्मियों को जम्मू कश्मीर में वीरतापूर्ण कार्य करने के लिए, 80 पुलिसकर्मियों को वामपंथी चरमपंथ या नक्सल हिंसा प्रभावित स्थानों में वीरता का प्रदर्शन करने के लिए तथा 14 पुलिसकर्मियों को पूर्वोत्तर क्षेत्र में बहादुरी का परिचय देने के लिए सम्मानित किया गया। इस बार सबसे ज्यादा 109 वीरता पदक केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल (सीआरपीएफ) को मिले। इसके बाद जम्मू कश्मीर पुलिस को 108, सीमा सुरक्षा बल (बीएसएफ) को 19 तथा भारत-तिब्बत सीमा पुलिस (आईटीबीपी) तथा सशस्त्र सीमा बल (एसएसबी) को छह-छह पदक मिले। राज्य के पुलिस बलों में से 42 वीरता पदक महाराष्ट्र को दिए गए।
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भावनगर. गुजरात में भावनगर जिले में एक कार और एक डंपर के बीच हुई भिड़ंत में कार सवार एक परिवार के चार सदस्यों की मौत हो गई। पुलिस के एक अधिकारी ने रविवार को बताया कि हादसा शनिवार रात करीब 11 बजे जिले के वल्लभीपुर शहर के पास राजमार्ग पर हुआ। उन्होंने कहा कि कार सवार लोग सूरत से अमरेली जिले के झाड़किया गांव जा रहे थे कि तभी रास्ते में उनकी कार डंपर से टकरा गई। अधिकारी ने बताया कि दुर्घटना में एक दंपति और उनके 15 साल के बेटे की मौत हो गई तथा उनके 18 वर्षीय भतीजे को भावनगर के एक अस्पताल में मृत घोषित कर दिया गया।
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नयी दिल्ली. अंग्रेजी हुकूमत ने करीब 200 साल पहले कोयले की ढुलाई के लिए भारत में रेल लाइन बिछाने पर काम शुरू किया था और खनिजों एवं कोयले की ढुलाई के लिए यात्री गाड़ियों को भी रोक दिया जाता था। कोयला खनन के इतिहास को बयां करती एक पुस्तक में यह बात कही गई है। राजकमल प्रकाशन समूह के उपक्रम सार्थक बुक्स द्वारा प्रकाशित वरिष्ठ पत्रकार सुदीप ठाकुर की नयी किताब ‘दस साल : जिनसे देश की सियासत बदल गई' के अनुसार, अंग्रेजी हुकूमत को रेलवे की अहमियत पता थी जिसके जरिये वह हिन्दुस्तान के कोने-कोने से कीमती खनिज और कच्चा माल इंग्लैंड भेज रही थी और कोयला उसके लिए काला सोना साबित हो रहा था। पुस्तक में कहा गया है कि मालगाड़ियों की वजह से कई बार यात्री गाड़ियों को भी रोक दिया जाता था।
इसमें कैम्ब्रिज विश्वविद्यालय के लिए शोध करने वाले दिलीप सिमियन के हवाले से कहा गया है कि बिहार के धनबाद-झरिया के कोयला क्षेत्र में 1895 में रेल लाइन के बिछने के बाद से कोयला उत्पादन में बेतहाशा वृद्धि होने लगी। कोयले और रेलवे के संबंधों का जिक्र करते हुए पुस्तक में कहा गया है कि हकीकत यह है कि अंग्रेजों ने करीब 200 साल पहले भारत से कोयले की ढुलाई के लिए ही रेल लाइन बिछाने पर काम शुरू किया था। पुस्तक के अनुसार, ‘‘दरअसल 19वीं सदी के पूर्वार्ध में नील, चाय, अफीम और कपास के निर्यात के साथ ही बंगाल के रानीगंज क्षेत्र में कोयले का खनन शुरू हो चुका था। स्काटिश इतिहासकार और आईसीएस अधिकारी विलियम विल्सन हंटर का आकलन था कि दुनिया के अन्य हिस्सों की तरह कोयले का उत्पादन और रेलवे का विस्तार साथ-साथ हुआ।'' इसमें कहा गया है कि भारत में कोयले की खदानों की कहानी 250 साल पहले 1774 में ईस्ट इंडिया कंपनी के समय से शुरू होती है जब दामोदर नदी के पश्चिमी तट पर स्थित रानीगंज में कोयला भंडार खोजा गया था। किताब के अनुसार, पहली पंचवर्षीय योजना के मसौदे के मुताबिक, देश में करीब 6,500 करोड़ टन कोयले का भंडार था और इसका अधिकांश हिस्सा पश्चिम बंगाल और बिहार में जमीन के 2000 फुट नीचे था। तब देश के औद्योगीकरण के लिए इस कोयला भंडार को पर्याप्त माना गया था। पुस्तक में खास तौर पर धनबाद के झरिया क्षेत्र और पश्चिम बंगाल के रानीगंज कोयला क्षेत्र का उल्लेख किया गया है। इसमें कहा गया है कि इंदिरा गांधी के कार्यकाल में कोयला क्षेत्र के राष्ट्रीयकरण के बाद कोयला उत्पादन में वृद्धि तो हुई लेकिन खास तौर से धनबाद, झरिया क्षेत्र में कोयला को लेकर गैंगवार तेज हो गई। किताब के अनुसार, श्रमिकों की सुरक्षा का मुद्दा तो पहले से था और 27 दिसंबर 1975 को चासनाला की कोयला खदान में हुए हादसे की खबर से पूरा देश स्तब्ध रह गया था जब खदान से पानी निकालने के लिए पोलैंड और सोवियत संघ शक्तिपंप मंगवाए गए थे। कोई ठीक से समझ नहीं पा रहा था कि आखिर खदान के भीतर क्या हुआ। पुस्तक में कोयला खदान हादसों की पड़ताल करते हुए कहा गया है कि कोयला खदानों में अतीत में कई हादसे हुए जिनमें अनेक श्रमिकों की जान चली गई लेकिन चासनाला की दुर्घटना सबसे भयावह थी जिसमें 375 लोगों के मारे जाने की आधिकारिक पुष्टि हुई थी। इसमें कहा गया है कि झरिया, धनबाद कोयला क्षेत्र में श्रमिकों के शोषण के साथ लूट का सिलसिला साठ के दशक से शुरू हो गया था लेकिन 1970 का दशक आते-आते यह लूट कोयला खदान की समानांतर व्यवस्था में बदल गई थी। किताब के अनुसार, देश में 250 साल पहले शुरू हुई कोयले की अंतर्कथा जारी है। भाप वाले इंजनों की विदाई के बाद यह जरूर हुआ है कि रेलवे की कोयले पर सीधी निर्भरता खत्म हो गई है लेकिन सरकारी और निजी क्षेत्रों द्वारा कोयले का दोहन जारी रहने वाला है क्योंकि देश को बिजली, इस्पात और सीमेंट संयंत्रों के लिए इसकी जरूरत है।
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नयी दिल्ली. नागरिक उड्डयन मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया ने रविवार को राकेश झुनझुनवाला के निधन पर शोक व्यक्त करते हुए कहा कि उन्हें एक दशक से अधिक समय के बाद भारत को नयी उड़ान कंपनी ‘अकासा एयर' देने के लिए याद किया जाएगा। भारत के ‘वारेन बफे' कहे जाने वाले शेयर बाजार के दिग्गज निवेशक झुनझुनवाला का रविवार सुबह मुंबई में निधन हो गया। झुनझुनवाला का ‘नेटवर्थ' 5.8 अरब डॉलर (46,000 करोड़ रुपये) है। अकासा एयर में उनकी 40 प्रतिशत हिस्सेदारी है। सिंधिया ने सात अगस्त को मुंबई से अहमदाबाद के बीच अकासा एयर की पहली उड़ान को हरी झंडी दिखाई थी। अकासा एयर को सात जुलाई को नागर विमानन महानिदेशालय (डीजीसीए) की ओर से उड़ान संचालन प्रमाण पत्र मिला था। सिंधिया ने रविवार को कहा, ‘‘श्री राकेश झुनझुनवाला जी न केवल एक कुशल व्यवसायी थे, बल्कि भारत के विकास में भी निवेश करते थे। उन्हें एक दशक से अधिक समय के बाद भारत को नयी उड़ान कंपनी अकासा एयर देने के लिए याद किया जाएगा। मैं उनके परिवार और प्रियजनों के प्रति संवेदनाएं प्रकट करता हूं।'' झुनझुनवाला सात अगस्त को अकासा एयर की पहली उड़ान को हरी झंडी दिखाने के दौरान मुंबई हवाई अड्डे पर मौजूद थे। झुझुनवाला ने तब अपने संबोधन में कहा था, ‘‘मुझे आपको (सिंधिया) धन्यवाद देना चाहिए क्योंकि लोग कहते हैं कि भारत में बहुत खराब नौकरशाही है लेकिन नागरिक उड्डयन मंत्रालय ने हमें जो सहयोग दिया है, वह अविश्वसनीय है।'' उन्होंने कहा था कि दुनिया में कहीं भी किसी भी एयरलाइन की कल्पना किए जाने के बाद उसे 12 महीनों में मूर्त रूप नहीं दिया गया है। उन्होंने कहा, ‘‘आम तौर पर एक बच्चा नौ महीने में पैदा होता है, हमें 12 महीने लगे। नागरिक उड्डयन मंत्रालय के सहयोग के बिना यह संभव नहीं होता।
- नयी दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सोमवार को 76वें स्वतंत्रता दिवस पर तिरंगे की धारियों वाला सफेद रंग का साफा पहना। पारंपरिक कुर्ता और चूड़ीदार पायजामे के ऊपर नीले रंग का जैकेट तथा काले रंग के जूते पहने, प्रधानमंत्री ने लाल किले की प्राचीर से राष्ट्रीय ध्वज फहराया और लगातार नौवीं बार देश को संबोधित किया। इसी के साथ ही मोदी ने स्वाधीनता दिवस और गणतंत्र दिवस समारोहों में आकर्षक, चटकीले और रंग-बिरंगे साफे पहनने का सिलसिला जारी रखा। प्रधानमंत्री का साफा पीछे की ओर लंबा था तथा उस पर भी तिरंगे की धारियां बनी हुई थी।पिछली बार प्रधानमंत्री मोदी ने स्वतंत्रता दिवस पर धारीदार केसरिया साफा पहना था।74वें स्वतंत्रता दिवस पर ऐतिहासिक लाल किले पर आयोजित समारोह में प्रधानमंत्री मोदी ने केसरिया और क्रीम रंग का साफा पहना था। प्रधानमंत्री ने इसके साथ आधी बाजू वाला कुर्ता और चूड़ीदार पायजामा पहना था। उन्होंने केसरिया किनारी वाला सफेद गमछा भी डाल रखा था, जिसे उन्होंने कोविड-19 से बचाव के उपायों के तहत इस्तेमाल किया।वर्ष 2019 में लगातार दूसरी बार सत्ता में आने के बाद लाल किले से अपने पहले संबोधन में प्रधानमंत्री ने कई रंगों से बना साफा पहना था। यह लाल किले से उनका लगातार छठा संबोधन था।पहली बार देश की कमान संभालने के बाद जब ऐतिहासिक लाल किले से प्रधानमंत्री ने पहली बार देश को 2014 में संबोधित किया था तब उन्होंने गहरे लाल और हरे रंग का जोधपुरी बंधेज साफा पहना था।प्रधानमंत्री मोदी ने 2015 में पीले रंग का साफा पहना था, जिस पर बहुरंगी धारियां थीं, जबकि 2016 में उन्होंने गुलाबी और पीले रंग का लहरिया ‘टाई एंड डाई’ साफा चुना था।उन्होंने 2017 में सुनहरी धारियों वाला चटकीले लाल रंग का साफा पहना था।उन्होंने 2018 में केसरिया साफा पहना था। गणतंत्र दिवस समारोहों में भी कच्छ के लाल बांधनी साफे से लेकर पीले राजस्थानी साफे तक, प्रधानमंत्री मोदी के साफे लोगों का ध्यान आकर्षित करते रहे हैं।
- नयी दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 76वें स्वतंत्रता दिवस के मौके पर सोमवार को राजघाट जाकर राष्ट्रपिता महात्मा गांधी की समाधि पर उन्हें श्रद्धाजंलि अर्पित की।अपने सरकारी आवास से निकलने के बाद वह सीधे राजघाट पहुंचे और बापू की समाधि पर श्रद्धासुमन अर्पित किए। इससे पहले, उन्होंने ट्वीट कर देशवासियों को स्वतंत्रता दिवस की बधाई दी।
- नयी दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आजादी के 75 साल पूरे होने के मौके पर आजादी के आंदोलन और स्वतंत्रता के बाद राष्ट्र निर्माण में योगदान देने के लिए राष्ट्रपिता महात्मा गांधी, पंडित जवाहर लाल नेहरू, सरदार वल्लभभाई पटेल, वीर सावरकर और कई अन्य स्वतंत्रता सेनानियों एवं महापुरुषों को याद किया तथा उन्हें नमन किया।मोदी ने सोमवार को लाल किले की प्राचीर से राष्ट्र के नाम दिए संबोधन में कहा, ‘‘आजादी की जंग में गुलामी का पूरा कालखंड संघर्ष में बीता। हिंदुस्तान का कोई कोना और कोई काल ऐसा नहीं था, जब देशवासियों ने सैकड़ों साल तक जंग न लड़ी हो, यातानाएं न झेली हों। आज हम सब देशवासियों के लिए ऐसे हर महापुरुष को नमन करने का अवसर है।’’उन्होंने कहा, ‘‘हम सभी देशवासी पूज्य बापू जी, नेताजी सुभाष चंद्र बोस और वीर सावरकर को स्मरण करते हैं और उन्हें नमन करते हैं... यह देश मंगल पांडे, भगत सिंह, राजगुरू, सुखदेव, अशफाक उल्ला खान, राम प्रसाद बिस्मिल का कृतज्ञ है।’’प्रधानमंत्री ने कहा, ‘‘हम आजादी की लड़ाई लड़ने वाले और आजादी के बाद देश बनाने वाले राजेंद्र प्रसाद जी, नेहरू जी, श्यामा प्रसाद मुखर्जी, दीन दलाय उपाध्याय, जयप्रकाश नारायण और राम मनोहर लोहिया का स्मरण करते हैं।’’उन्होंने बिरसा मुंडा और कई आदिवासी नायकों के साथ-साथ रानी लक्ष्मी बाई और बेगम हजरत महल समेत कई महिला स्वतंत्रता सेनानियों को भी नमन किया।
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नई दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सोमवार को कहा कि भारत की तरक्की के लिए महिलाओं का सम्मान एक महत्वपूर्ण स्तंभ है और उन्होंने ‘नारी शक्ति’ का समर्थन करने की आवश्यकता पर जोर दिया।देश के 76वें स्वतंत्रता दिवस पर लाल किले की प्राचीर से अपने संबोधन में उन्होंने कहा कि यह महत्वपूर्ण है कि बोलने में और आचरण में ‘‘हम ऐसा कुछ न करें जो महिलाओं का सम्मान कम करता हो।’’प्रधानमंत्री मोदी ने कहा, ‘‘हमारे आचरण में विकृति आ गयी है और हम कभी-कभी महिलाओं का अपमान करते हैं। क्या हम अपने व्यवहार और मूल्यों में इससे छुटकारा पाने का संकल्प ले सकते हैं।’’प्रधानमंत्री ने कहा कि स्वतंत्रता के 75 वर्ष की यात्रा अनेक उतार-चढाव भरी रही है, लेकिन दुख-सुख के बावजूद देशवासियों ने हार नहीं मानी। उन्होंने कहा कि सैंकडों वर्ष की गुलामी भी देशवासियों की जिद नहीं तोड सकी। प्रधानमंत्री ने कहा कि आतंकवाद और छद्म युद्ध ने समय-समय पर चुनौती प्रस्तुत की। लेकिन इसके बावजूद देश आगे बढता रहा।श्री मोदी ने कहा कि भारत लोकतंत्र की जननी है।
श्री मोदी ने कहा कि पीडित, वंचित, दिव्यांगजनों सहित अंतिम छोर तक बैठे लोगों के कल्याण पर ध्यान दिया जा रहा है।श्री मोदी ने कहा कि इस समय देश के हर वर्ग के मन में आकांक्षा है, जो आगे बढना चाहता है, प्रगति चाहता है। प्रधानमंत्री ने कहा कि देश में सामूहिक चेतना का पुनर्जागरण हुआ है। यह हमारी सबसे बडी अमानत है।श्री मोदी ने कहा कि आज पूरे विश्व का भारत की तरफ देखने का नजरिया बदल रहा है, जो हमारी 75 वर्ष की संकल्प यात्रा का परिणाम है। प्रधानमंत्री ने कहा कि राजनीतिक स्थिरता और नीतियों में गतिशीलता के कारण ही भारत बदल रहा है। -
मुंबई। महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे ने आज मंत्रिमंडल में नव-नियुक्त मंत्रियों को उनके विभागों का आवंटन किया। मुख्यमंत्री ने सामान्य प्रशासन, शहरी विकास, सामाजिक न्याय और विशेष सहायता, राहत और पुनर्वास, सिंचाई, पर्यावरण और जलवायु परिवर्तन, अल्पसंख्यक मामले और वक्फ विभाग अपने पास रखे हैं।
अन्य महत्वपूर्ण विभाग-गृह, वित्त और नियोजन उप-मुख्यमंत्री देवेंद्र फडनवीस को दिए गए हैं। इसके अलावा विधि और न्याय, जल संसाधन, आवास, ऊर्जा और प्रोटोकॉल विभाग की जिम्मेदारी भी श्री फडनवीस को दी गई है1राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी के अनुमोदन से विभागों का आवंटन प्रभावी हो गया है।श्री राधाकृष्ण विखे पाटिल को राजस्व, पशुपालन और डेयरी विकास विभाग सौंपा गया है। श्री सुधीर मुंगन्तीवर वन, संस्कृति और मछली पालन का विभाग देखेंगे।राज्य में उच्च और तकनीकी शिक्षा का मंत्री श्री चंद्रकांत पाटिल को बनाया गया है। इसके अलावा वह कपडा और संसदीय मामलों के मंत्री भी होंगे।श्री गणेश महाजन को ग्रामीण विकास, पंचायती राज, चिकित्सा शिक्षा और खेल तथा युवा मामलों की जिम्मेदारी दी गई है। प्रोफेसर तानाजी सावंत को जन स्वास्थ्य और परिवार कल्याण विभाग का मंत्री बनाया गया है।राज्य में श्री अब्दुल सत्तार नए कृषि मंत्री होंगे। श्री दीपक केसरकर को स्कूल शिक्षा और मराठी भाषा विभाग का मंत्री बनाया गया है।श्री अतुल सावे को सहकारिता और अन्य पिछडा वर्ग कल्याण मंत्रालय सौंपा गया है। श्री शंभुराज देसाई को कैबिनेट मंत्री का दर्जा देकर आबकारी मंत्री बनाया गया है।श्री मंगल प्रभात लोढा कैबिनेट मंत्री होंगे और उन्हें पर्यटन, कौशल विकास तथा महिला और बाल विकास विभाग की जिम्मेदारी दी गई है। - बीड। महाराष्ट्र के बीड जिले में रविवार सुबह कार और टैंपो की भिड़ंत में छह लोगों की मौत हो गई। पुलिस ने यह जानकारी दी।उन्होंने कहा कि घटना सुबह करीब साढ़े पांच बजे मांजरसुंभा-पाटोदा राजमार्ग पर हुई।पुलिस के एक अधिकारी ने कहा कि प्रारंभिक सूचना के अनुसार केज तहसील के जीवाचिवड़ी गांव का रहने वाला एक परिवार विवाह समारोह में शामिल होने के लिए कार से पुणे जा रहा था, इसी दौरान उनकी कार और एक टैंपो के बीच टक्कर हो गई। अधिकारी ने कहा कि दुर्घटना में परिवार के पांच सदस्यों और एक अन्य व्यक्ति की मौत हो गई। दोनों वाहनों को अलग करने के लिए पुलिस को क्रेन का इस्तेमाल करना पड़ा। मृतकों की पहचान की जा रही है।
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चेन्नई। रेलवे स्वतंत्रता के 75 साल पूरे होने के उपलक्ष्य में सोमवार को 167 साल पुराने भाप इंजन की ‘हेरिटेज रन' आयोजित करेगा। यह दुनिया का ऐसा सबसे पुराना भाप इंजन है, जो अब भी कार्यशील है। रेलवे ने कहा कि ईआईआर-21 की एक विशेष सेवा चेन्नई एग्मोर और कोडंबक्कम रेलवे स्टेशनों के बीच 15 अगस्त को चलाई जाएगी। एक्सप्रेस ईआईआर-21 इंजन को मूल रूप से 1855 में इंग्लैंड से भारत भेजा गया था। 1909 में सेवा से हटने के बाद, इसे बिहार में जमालपुर कार्यशाला में 101 से अधिक वर्षों तक एक प्रदर्शनी के रूप में रखा गया। पेरम्बूर लोको वर्क्स ने 2010 में इंजन को पुन: चालू हालत में कर दिया। -
नयी दिल्ली। दिल्ली-एनसीआर में इस साल के पहले छह महीनों में कार्यालय स्थलों का किराया औसतन आठ फीसदी बढ़ा है। संपत्ति सलाहकार सैविल्स इंडिया ने अपनी हालिया रिपोर्ट ‘भारत मार्केट वॉच ऑफिस-एच1 2022' में यह जानकारी दी। इस रिपोर्ट में सैविल्स ने कहा है कि जनवरी से जून 2022 के बीच दिल्ली-एनसीआर में किराये पर लिए गए सकल कार्यालय स्थल 56 लाख वर्गफुट रहे जो वर्ष 2021 की पहली छमाही की तुलना में 194 फीसदी अधिक है। इसके मुताबिक, दिल्ली-एनसीआर में किराये पर लिए गए कार्यालय स्थलों में से करीब 64 फीसदी गुरुग्राम जबकि 34 फीसदी नोएडा में स्थित हैं। वहीं दिल्ली में इन स्थलों की मांग एक साल पहले की पहली छमाही के चार फीसदी से घटकर दो फीसदी रह गई। रिपोर्ट के मुताबिक, ‘‘शहर में औसत किराया सालाना आधार पर आठ फीसदी बढ़ा है। एमजी रोड और गुरुग्राम के सूक्ष्म बाजारों में किराया सर्वाधिक क्रमश: 20 फीसदी और 15 फीसदी बढ़ा।'' सैविल्स इंडिया में प्रबंध निदेशक (दिल्ली-एनसीआर) श्वेता साहनी ने कहा कि महामारी के प्रकोप के बाद अब दिल्ली-एनसीआर में वाणिज्यिक स्थलों को किराये पर लेने की गतिविधियों में तेजी आई है। उन्होंने कहा कि यह गति 2022 में आगे भी जारी रहने की उम्मीद है। हालांकि साल की पहली छमाही में दिल्ली-एनसीआर में कार्यालय स्थलों की नई आपूर्ति सालाना आधार पर 44 फीसदी घटकर 22 लाख वर्गफुट रही। -
अहमदाबाद। विदेश स्थित शैक्षणिक संस्थानों में दाखिला दिलाने के लिए गुजरात के अहमदाबाद में फर्जी अंकतालिका (मार्कशीट) बनाने के आरोप में शनिवार को विदेशी शिक्षा परामर्श कंपनी से जुड़े तीन लोगों को गिरफ्तार किया गया। पुलिस ने यह जानकारी दी। एक अधिकारी ने बताया कि कि अहमदाबाद में ‘यूनीवर्ल्ड एजुकेशन' नामक कंपनी के मालिक और उसके दो सहयोगियों को अंग्रेजी जैसे विषयों के अंकों में बदलाव करने के आरोप में गिरफ्तार किया गया। एलिस ब्रिज पुलिस थाना के निरीक्षक सुमित राजपूत ने कहा, ‘‘आरोपी पढ़ाई के लिए विदेश जाने के इच्छुक छात्रों की फर्जी अंकतालिका बनाते थे। वे अंग्रेजी जैसे विषयों के अंकों में बदलाव कर देते थे क्योंकि प्रवेश पाने के लिए इन विषयों में अधिक अंक होने चाहिए।'' उन्होंने कहा, ‘‘गुप्त सूचना के आधार पर कोचिंग सेंटर परिसर में छापेमारी के दौरान हमने गुजरात माध्यमिक एवं उच्च माध्यमिक शिक्षा बोर्ड और सौराष्ट्र विश्वविद्यालय की 31 अंकतालिकाएं बरामद कीं।'' राजपूत ने कहा कि आरोपी इस कार्य के लिए मोटी रकम लेते थे और इनके कब्जे से 23.75 लाख रुपये नकद, कंप्यूटर और मोबाइल फोन जब्त किए गए हैं। पुलिस ने कहा कि आरोपियों की पहचान मनीष जावेरी, जितेंद्र ठाकोर और नीरव वखारिया के रूप में हुई है।उन्होंने कहा कि इस सिलसिले में एक मामला दर्ज किया गया है।
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भोपाल/विदिशा। मध्यप्रदेश के विदिशा जिले में उफनती बेतवा नदी में 12 घंटे से अधिक समय तक रहने के बाद बचाई गई 35 वर्षीय सोनम दांगी ने शनिवार को कहा कि वह इस नदी पर बन रहे निर्माणाधीन पुल के एक खंभे में लगे लोहे के सरियों को पकड़ कर अपने आठ वर्षीय बेटे के चेहरे को याद करती रही और इसने उसे इस कठिन परिस्थिति का सामना करने की हिम्मत दी। एक अधिकारी ने बताया कि सोनम अपने भाई के साथ मोटरसाइकिल पर सवार होकर रक्षा बंधन मनाने के लिए अपने मायके पड़रिया गांव जा रही थी, तभी गुरुवार को करीब छह बजे बर्रीघाट पुल से मोटरसाइकिल से फिसलकर उफनती बेतवा नदी में गिर गई और काफी दूर बह गई।
उन्होंने बताया कि बर्रीघाट पुल विदिशा जिला मुख्यालय से करीब 40 किलोमीटर दूर है। सोनम ने बताया, ''मैं अपने भाई कल्लू दांगी के साथ रक्षाबंधन के मौके पर शाम करीब छह बजे बर्रीघाट पुल पार कर रही थी, तभी हमारी मोटरसाइकिल फिसल गई और मैं नदी में गिर गई।'' उन्होंने कहा कि मुझे नदी में गिरता देख मेरा भाई भी नदी में कूद गया, लेकिन पानी के तेज बहाव के कारण वह मुझे बचाने में नाकाम रहा। सोनम ने बताया कि घटनास्थल से करीब पांच किलोमीटर तक बह जाने के बाद मैं गंज गांव में निर्माणाधीन पुल की लोहे की कुछ सरियों में फंसकर अटक गई। महिला ने बताया, ''मैं निर्माणाधीन पुल के एक खंभे पर लगाए गए लोहे की सरियों में अटक गई और फिर मैं उन्हें पकड़ी रही। लेकिन रात होने के बाद मैं हिम्मत खोने लगी। आकाशीय बिजली और गरज के साथ तेज बारिश होती रही। लेकिन मुझे अपने आठ साल के बेटे का चेहरा याद आता रहा। मैंने खुद को हिम्मत दी कि मुझे अपने बच्चे के लिए जीना है।'' सोनम ने कहा कि मुझे सुबह करीब पांच बजे उस वक्त उम्मीद की किरण दिखाई दी जब बचावकर्मी मुझे बचाने के लिए नाव में सवार होकर आए। महिला ने बताया, ''लेकिन बचावकर्मियों की नाव मुझे सुरक्षित स्थान पर ले जाते समय पलट गई और मैं फिर से बह गई। इसके बाद मैं निर्माणाधीन पुल से लगभग पांच किलोमीटर दूर राजखेड़ा गांव में पेड़ की एक मोटी लकड़ी के सहारे नदी में अटक गयी, लेकिन अब मैंने लाइफ जैकेट पहन रखी थी। सोनम ने बताया कि आखिरकार मुझे वहां से बचा लिया गया।
महिला ने कहा, ''ग्रामीण और बचावकर्मी मुझे एक ट्यूब की मदद से सुरक्षित स्थान पर ले गए और फिर मैंने उस स्थान पर अपने भाई को राखी बांधी।'' सोनम ने बताया कि बचावकर्मी बाद में मुझे अस्पताल ले गए, जहां मेरी मेडिकल जांच की गई ।
गृह विभाग के अपर मुख्य सचिव डॉ. राजेश राजौरा ने शुक्रवार को बताया था कि सोनम के भाई को तत्काल बचा लिया गया था, लेकिन सोनम काफी तलाश करने के बाद रात 11 बजे बेतवा नदी के गंज स्थित एक निर्माणाधीन पुल के एक खंभे में लगे लोहे के सरियों के बीच मिली। राजौरा ने बताया कि रात्रि दो बजे से बचाव अभियान शुरू किया गया, लेकिन बेतवा नदी में बाढ़ एवं अत्यधिक बहाव के कारण बचाव में लगी मोटर नौका वहां तक नहीं पहुंच पा रही थी। उन्होंने बताया कि सुबह करीब साढ़े चार बजे पांचवें प्रयास में नौका एवं उसके साथ पांच तैराक वहां तक पहुंच गये, लेकिन जब वे महिला को लाइफ जैकेट पहनाकर वहां से ला रहे थे, तभी तेज बहाव के कारण मोटर नौका पलट गई। उन्होंने कहा कि सभी तैराक सुरक्षित बाहर आ गए, लेकिन महिला बह गई। राजखेड़ा में लोगों ने महिला को नदी में एक मोटी लकड़ी को पकड़े हुए देखा, जिसके बाद फिर ट्यूब के माध्यम से उसे किनारे पर लाया गया एवं उसे बचा लिया गया। -
विदिशा (मप्र) । मध्य प्रदेश के विदिशा जिले में एक तेज रफ्तार कार ने दो मोटरसाइकिल को टक्कर मार दी, जिसके कारण चार लोगों की मौत हो गई। ग्यारसपुर पुलिस थाने के निरीक्षक पंकज गीते ने बताया कि यह दुर्घटना शुक्रवार को जिला मुख्यालय से करीब 35 किलोमीटर दूर ग्यारसपुर में हुई। उन्होंने बताया कि हादसे के वक्त कुछ आवारा मवेशी सड़क पर बैठे थे और संभवत: इसी से यह हादसा हुआ। गीते ने बताया कि हादसे में एक मोटरसाइकिल पर सवार ऋषिराज कुशवाहा (37), उसके पुत्र विकास (12) एवं बेटी काजल (15) तथा दूसरी मोटरसाइकिल पर सवार राजा हिरदा (35) की मौत हो गई। उन्होंने बताया कि कुशवाहा की पत्नी कविता और हिरदा के साथ पीछे बैठी चांदनी हादसे में घायल हो गईं। उन्हें अस्पताल में भर्ती कराया गया है। अधिकारी ने बताया कि हादसे के बाद कार चालक वाहन सहित मौके से फरार हो गया। उसे पकड़ने के प्रयास किए जा रहे हैं।
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ग्वालियर (मप्र) ।' केंद्रीय नागरिक उड्डयन मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया ने शनिवार को कहा कि एविएशन टर्बाइन फ्यूल यानी हवाई ईंधन (एटीएफ) के दामों में गिरावट हो रही है और उसका फायदा विमानन क्षेत्र को मिलेगा। सिंधिया ने ग्वालियर में मीडिया से कहा, ‘‘एटीएफ के दामों में कमी आ रही है। यह गिरावट आगे भी जारी रहेगी, जिसका फायदा विमानन क्षेत्र को होगा। पहले एटीएफ के दाम तीन गुना बढ़े थे, उसकी तुलना में किराया 20-25 फीसदी ही बढ़ा।'' उन्होंने कहा, ‘‘सरकार ने घरेलू हवाई किराए पर लगाई गई सीमा 31 अगस्त से हटा दी। -
सुलतानपुर (उत्तर प्रदेश)। श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट, अयोध्या के महासचिव चम्पत राय ने कहा कि जन मानस दिसंबर, 2023 से श्रीरामलला के भव्य मंदिर का दर्शन कर सकेंगे। उन्होंने बताया कि मंदिर में शानदार नक्काशी करायी गयी है और उत्तर भारत में ऐसा विशाल भव्य मंदिर और कहीं नहीं होगा। सुलतानपुर में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के रक्षा बंधन उत्सव कार्यक्रम में भाग लेने आये राय ने शुक्रवार को कहा, ‘‘सुलतानपुर अयोध्या से नजदीक है इसलिए यहां के लोगों को दिसम्बर 23 में श्रीराम लला के दर्शन का न्योता दे रहा हूं।'' उन्होंने कार्य प्रगति की जानकारी देते हुए मंदिर निर्माण की तकनीकी जानकारी भी दी। उन्होंने बताया कि मंदिर निर्माण का कार्य बहुत अच्छी गति से आगे बढ़ रहा है और ऐसे में दिसम्बर 2023 तक मंदिर दर्शन करने योग्य हो जाएगा। उन्होंने बताया कि मंदिर निर्माण में लोहे का उपयोग नहीं हो रहा है और कांक्रीट के ऊपर पत्थर लगाए जा रहे हैं। राय ने कहा कि यह अतिशयोक्ति नहीं होगी कि जिस तरह की नक्काशी और डिजाइन से मंदिर बन रहा है कि श्रद्धालु देखते रह जायेंगे। -
चंडीगढ़। चंडीगढ़ विश्वविद्यालय ने यहां लहराते राष्ट्रध्वज के आकार में दुनिया की सबसे बड़ी मानव श्रृंखला बनाकर शनिवार को नया गिनीज वर्ल्ड रिकॉर्ड (जीडब्ल्यूआर) बनाया। विश्वविद्यालय द्वारा जारी एक विज्ञप्ति के अनुसार, चंडीगढ़ विश्वविद्यालय और अन्य विद्यालयों एवं महाविद्यालयों के कम से कम 5,885 छात्र, एनआईडी फाउंडेशन के स्वयंसेवक और अन्य गणमान्य व्यक्ति यहां चंडीगढ़ क्रिकेट स्टेडियम में लहराते झंडे वाली छवि की मानव श्रृंखला बनाने के लिए एकत्र हुए। यह उपलब्धि संयुक्त अरब अमीरात (यूएई) के पूर्व के रिकॉर्ड को तोड़कर प्राप्त की गई।
‘गिनीज वर्ल्ड रिकॉर्ड्स' के आधिकारिक निर्णायक स्वप्निल डांगरीकर ने कहा, ‘‘अबू धाबी, संयुक्त अरब अमीरात के ‘जेम्स एजुकेशन' का ‘लहराते राष्ट्रीय ध्वज की सबसे बड़ी मानव छवि' का पिछला विश्व रिकॉर्ड टूट गया है और आज के कार्यक्रम में एनआईडी फाउंडेशन एवं चंडीगढ़ फाउंडेशन ने एक नया विश्व रिकॉर्ड बनाया गया है।'' यूएई ने 2017 में 4,130 लोगों की मदद से लहराते राष्ट्रीय ध्वज की सबसे बड़ी मानव छवि बनाने का रिकॉर्ड बनाया था। इस कार्यक्रम में चंडीगढ़ के प्रशासक और पंजाब के राज्यपाल बनवारीलाल पुरोहित, केंद्रीय विदेश एवं संस्कृति राज्य मंत्री मीनाक्षी लेखी, एनआईडी के मुख्य संरक्षक और चंडीगढ़ विश्वविद्यालय के कुलपति सतनाम सिंह संधू और केंद्र शासित प्रदेश प्रशासन के अन्य वरिष्ठ अधिकारी मौजूद रहे। डांगरीकर ने राज्यपाल और विश्वविद्यालय के चांसलर को जीडब्ल्यूआर प्रमाणपत्र की एक प्रति सौंपी।
देश की स्वतंत्रता के 75 साल पूरे होने पर ‘आजादी का अमृत महोत्सव' के तहत चलाई जा रही ‘हर घर तिरंगा' मुहिम को मजबूती देने के लिए इस कार्यक्रम का आयोजन किया गया। इस अवसर पर राज्यपाल पुरोहित ने कहा कि इस उपलब्धि को हासिल करके चंडीगढ़ ने देश की स्वतंत्रता की 75वीं वर्षगांठ में पूरी दुनिया को एक बहुत अच्छा संदेश दिया है। पुरोहित ने कहा, ‘‘यह कार्यक्रम मेरी कल्पना से भी बड़ा बन गया है। मैं चंडीगढ़ विश्वविद्यालय के कुलपति और एनआईडी फाउंडेशन के प्रमुख संरक्षक सतनाम सिंह संधू को हार्दिक बधाई देता हूं, जिनकी टीम ने यह उपलब्धि हासिल की है।'' उन्होंने कहा, ‘‘एनआईडी फाउंडेशन और चंडीगढ़ विश्वविद्यालय लोगों को एक साथ लाने, देशभक्ति की भावना का जश्न मनाने और देश की आजादी के लिए सर्वोच्च बलिदान देने वालों को श्रद्धांजलि देने में जिस प्रकार सफल रहे हैं, वह अत्यंत सराहनीय है।


























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