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मुंबई. जीएसटी दरों में की गई कटौती का फायदा उठाते हुए ग्राहकों ने त्योहारी मौसम में न सिर्फ अपने जमकर वाहन खरीदे बल्कि उन्होंने इस छूट का इस्तेमाल ऊंचे मॉडल और बेहतर ब्रांड की गाड़ियां खरीदने में भी किया। एक अध्ययन रिपोर्ट में यह निष्कर्ष पेश किया गया है। बाजार अनुसंधान मंच 'स्मिटेनपल्स एआई' की तरफ से कराए गए इस अध्ययन से यह पता चलता है कि खरीदारों के लिए एसयूवी लोकप्रिय विकल्प बनी हुई है जबकि बुनियादी ढांचे की कमियों के बावजूद पर्यावरण के प्रति जागरूकता इलेक्ट्रिक वाहनों के प्रति लोगों के रुझान में तेजी से वृद्धि का कारण रही। ‘जीएसटी कटौती के बाद कार खरीद के व्यवहार' पर किया गया यह अध्ययन अक्टूबर महीने में देश के बड़े, मझोले व छोटे शहरों में 5,000 से अधिक लोगों के बीच किया गया। अध्ययन में कहा गया, ‘‘जीएसटी कर में कटौती से वाहनों की मांग को रफ्तार मिली। हालांकि ग्राहकों ने कर कटौती से वाहनों की कीमतों में आई गिरावट का फायदा उठाने के बजाय कहीं ‘प्रीमियम' वाहन खरीदने पर जोर दिया। करीब 79 प्रतिशत उत्तरदाताओं ने कहा कि वे जीएसटी बचत का इस्तेमाल उच्च मॉडल, बेहतर ब्रांड या प्रीमियम ऐड-ऑन खरीदने में कर रहे हैं।'' इसके मुताबिक, 60 प्रतिशत से अधिक लोगों ने अपने पसंदीदा वाहन ब्रांड के थोड़े ऊंचे संस्करण को खरीदने की मंशा जताई जबकि 46 प्रतिशत लोग पहले ही हैचबैक की जगह एसयूवी जैसे बड़े आकार वाली वाहन श्रेणी का रुख कर चुके थे। अध्ययन के अनुसार, त्योहारों के दौरान एसयूवी की बिक्री सबसे अधिक रही। वहीं पर्यावरणीय जागरूकता के कारण ईवी को लेकर भी दिलचस्पी तेजी से बढ़ रही है। 67 प्रतिशत उत्तरदाताओं ने कहा कि बैटरी संबंधी चिंताओं और बैटरी बदलने पर आने वाली ऊंची लागत के बावजूद पारिस्थितिक लाभ ईवी के प्रति रुचि को बढ़ा रहे हैं। स्मिटेन पल्सएआई के सह-संस्थापक स्वागत सारंगी ने कहा, ‘‘जीएसटी दरों में कटौती ने कारों को किफायती बनाने से कहीं अधिक भूमिका निभाई है। इसने मध्यवर्गीय खरीदारों की आकांक्षाओं को एक नई उड़ान दी है।
- नयी दिल्ली. राउरकेला स्थित राष्ट्रीय प्रौद्योगिकी संस्थान (एनआईटी) और तुर्की स्थित अजरबैजान स्टेट यूनिवर्सिटी ऑफ इकोनॉमिक्स के शोधकर्ताओं ने इस बात का अध्ययन किया है कि किस प्रकार डिजिटल उपकरण और नवीकरणीय ऊर्जा 27 विकासशील देशों में कृषि उत्पादकता और स्थिरता में बदलाव ला सकते हैं। अनुसंधान दल ने भारत सहित 27 विकासशील देशों को शामिल करते हुए अध्ययन किया है, जिसमें यह बताया गया है कि किस प्रकार इंटरनेट का उपयोग, मोबाइल कनेक्टिविटी, नवीकरणीय ऊर्जा, कृषि भूमि और उर्वरक की खपत सामूहिक रूप से तेजी से बदलती दुनिया में खाद्य उत्पादन की प्रकृति को आकार देते हैं। शोध के निष्कर्ष प्रतिष्ठित “टेक्नोलॉजी एनालिसिस एंड स्ट्रेटेजिक मैनेजमेंट” जर्नल में प्रकाशित हुए हैं। एनआईटी-राउरकेला के मानविकी एवं सामाजिक विज्ञान विभाग के प्रोफेसर नारायण सेठी के अनुसार, वर्तमान प्रौद्योगिकी-संचालित परिवेश में प्रगति का कोई भी पहलू डिजिटल प्रौद्योगिकियों से अछूता नहीं है। सेठी ने कहा, “हम किस प्रकार संवाद करते हैं और काम करते हैं, से लेकर हम किस प्रकार भोजन का उत्पादन करते हैं और अपनी ऊर्जा आवश्यकताओं को पूरा करते हैं, सब कुछ इंटरनेट और नवीकरणीय ऊर्जा द्वारा संचालित क्रांति का अनुभव कर रहा है। कृषि में इंटरनेट ने खाद्यान्न उत्पादन, विपणन और उपभोग के तरीके को बदल दिया है। किसान अब अपनी उपज बेचने से पहले बाजार भाव देख सकते हैं, ऑनलाइन उर्वरकों की कीमतों की तुलना कर सकते हैं और टिकाऊ खेती की तकनीकें सीख सकते हैं।” शोध दल ने वर्ष 2000 से 2021 तक 27 विकासशील देशों के कृषि-संबंधी आंकड़ों का विश्लेषण करने के लिए उन्नत अर्थमितीय विधियों का उपयोग किया। ये देश हैं: भारत, अर्जेंटीना, चीन, पाकिस्तान, घाना, मलेशिया, टोगो, बांग्लादेश, इंडोनेशिया, नाइजीरिया, थाईलैंड, बोलीविया, निकारागुआ, ट्यूनीशिया, बोत्सवाना, जॉर्डन, तुर्की, श्रीलंका, पनामा, तंजानिया, कोस्टा रिका, मैक्सिको, फिलिपीन, केन्या, डोमिनिकन गणराज्य, मोजाम्बिक और अल साल्वाडोर। शोधकर्ताओं ने पाया कि इंटरनेट का उपयोग, मोबाइल फोन और नवीकरणीय ऊर्जा, प्रत्येक व्यक्तिगत रूप से कृषि उत्पादकता को बढ़ाते हैं।
- मुंबई. एयरलाइन कंपनी एयर इंडिया के प्रबंध निदेशक आलोक सिंह ने मंगलवार को कहा कि उसकी किफायती सेवा एयर इंडिया एक्सप्रेस के बेड़े में अगले कैलेंडर वर्ष में 20 से 24 विमान शामिल किए जा सकते हैं। एयर इंडिया के बेड़े में फिलहाल 110 विमान हैं जिनमें एयरबस 320/321, बोइंग 737 व 737 मैक्स शामिल हैं। एयर इंडिया एक्सप्रेस के पहले रेट्रोफिटेड विमान के प्रदर्शन के लिए यहां आयोजित एक कार्यक्रम में सिंह ने कहा, ‘‘ हम अगले कैलेंडर वर्ष में 20 से 24 विमान लाने की योजना बना रहे हैं।'' उन्होंने कहा कि हालांकि यह आपूर्ति श्रृंखला और बोइंग विनिर्माण सुविधा में उत्पादन की प्रगति पर निर्भर करेगा। सिंह ने कहा कि एयर इंडिया एक्सप्रेस अब घरेलू बाजार में अपनी उपस्थिति मजबूत करने की कोशिश कर रही है। इस क्षेत्र के अंतरराष्ट्रीय नेटवर्क की तुलना में तेजी से बढ़ने की उम्मीद है।
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नई दिल्ली। सोने और चांदी के भाव में गिरावट लगातार जारी है। घरेलू सर्राफा बाजार में आज बुधवार के कारोबार को देखा जाए तो सोना 2,250 रुपये से लेकर 2,460 रुपये प्रति 10 ग्राम तक सस्ता हो गया है। इस गिरावट के कारण देश के ज्यादातर सर्राफा बाजारों में 24 कैरेट सोना आज 1,20,810 रुपये से लेकर 1,20,960 रुपये प्रति 10 ग्राम के स्तर पर कारोबार कर रहा है। इसी तरह 22 कैरेट सोना आज 1,10,740 रुपये से लेकर 1,10,890 रुपये प्रति 10 ग्राम के बीच बिक रहा है। चांदी की कीमत में भी गिरावट आने के कारण ये चमकीली धातु दिल्ली सर्राफा बाजार में आज 1,50,900 रुपये प्रति किलोग्राम के स्तर पर बिक रही है। दिल्ली में आज 24 कैरेट सोना 1,20,960 प्रति 10 ग्राम के स्तर पर कारोबार कर रहा है, जबकि 22 कैरेट सोने की कीमत 1,10,890 रुपये प्रति 10 ग्राम दर्ज की गई है।
वहीं देश की आर्थिक राजधानी मुंबई में 24 कैरेट सोना 1,20,810 रुपये प्रति 10 ग्राम और 22 कैरेट सोना 1,10,740 रुपये प्रति 10 ग्राम के स्तर पर बिक रहा है। इसी तरह अहमदाबाद में 24 कैरेट सोने की रिटेल कीमत 1,20,860 रुपये प्रति 10 ग्राम और 22 कैरेट सोने की कीमत 1,10,790 रुपये प्रति 10 ग्राम दर्ज की गई है। इन प्रमुख शहरों के अलावा चेन्नई में 24 कैरेट सोना आज 1,20,810 रुपये प्रति 10 ग्राम की कीमत पर और 22 कैरेट सोना 1,10,740 रुपये प्रति 10 ग्राम की कीमत पर बिक रहा है।कोलकाता में भी 24 कैरेट सोना 1,20,810 रुपये प्रति 10 ग्राम और 22 कैरेट सोना 1,10,740 रुपये प्रति 10 ग्राम के स्तर पर कारोबार कर रहा है।लखनऊ के सर्राफा बाजार में 24 कैरेट सोना आज 1,20,960 रुपये प्रति 10 ग्राम के स्तर पर और 22 कैरेट सोना 1,10,890 रुपये प्रति 10 ग्राम के स्तर पर बिक रहा है। पटना में 24 कैरेट सोने की कीमत 1,20,860 रुपये प्रति 10 ग्राम के स्तर पर है, जबकि 22 कैरेट सोना 1,10,790 रुपये प्रति 10 ग्राम के स्तर पर बिक रहा है। जयपुर में 24 कैरेट सोना 1,20,960 रुपये प्रति 10 ग्राम और 22 कैरेट सोना 1,10,890 रुपये प्रति 10 ग्राम के स्तर पर बिक रहा है। देश के अन्य राज्यों की तरह कर्नाटक, तेलंगाना और ओडिशा के सर्राफा बाजार में भी आज सोना सस्ता हुआ है। इन तीनों राज्यों की राजधानियों बेंगलुरु, हैदराबाद और भुवनेश्वर में 24 कैरेट सोना 1,20,810 रुपये प्रति 10 ग्राम के स्तर पर कारोबार कर रहा है। इसी तरह इन तीनों शहरों के सर्राफा बाजारों में 22 कैरेट सोना 1,10,740 रुपये प्रति 10 ग्राम के स्तर पर बिक रहा है। -
नयी दिल्ली. देश का औद्योगिक उत्पादन विनिर्माण क्षेत्र के अच्छे प्रदर्शन के दम पर सितंबर में चार प्रतिशत बढ़ा है। मंगलवार को जारी आधिकारिक आंकड़ों में यह जानकारी मिली। औद्योगिक उत्पादन सूचकांक (आईआईपी) के संदर्भ में मापा गया औद्योगिक उत्पादन सितंबर 2024 में 3.2 प्रतिशत बढ़ा था। राष्ट्रीय सांख्यिकी कार्यालय (एनएसओ) ने अगस्त, 2025 के लिए औद्योगिक उत्पादन के वृद्धि के आंकड़ों को चार प्रतिशत के अस्थायी अनुमान से संशोधित कर 4.1 प्रतिशत कर दिया है। एनएसओ के नवीनतम आंकड़ों के अनुसार, विनिर्माण क्षेत्र का उत्पादन सितंबर, 2025 में 4.8 प्रतिशत बढ़ा जबकि सितंबर, 2024 में यह चार प्रतिशत बढ़ा था। खनन उत्पादन में 0.4 प्रतिशत की गिरावट आई जबकि एक साल पहले इसमें 0.2 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज की गई थी। बिजली उत्पादन में सितंबर 2025 में 3.1 प्रतिशत की वृद्धि हुई जबकि एक साल पहले इसी अवधि में इसमें 0.5 प्रतिशत की वृद्धि हुई थी। वित्त वर्ष 2025-26 की अप्रैल-सितंबर अवधि (पहली छमाही) के दौरान देश के औद्योगिक उत्पादन में तीन प्रतिशत की वृद्धि हुई, जबकि 2024-25 की पहली छमाही में यह 4.1 प्रतिशत रही थी।
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चांदी 6,250 रुपये टूटी
नयी दिल्ली. अमेरिका-चीन व्यापार तनाव कम होने के बीच सुरक्षित निवेश के विकल्प के रूप में मांग कम होने के कारण मंगलवार को राष्ट्रीय राजधानी के सर्राफा बाजार में सोने की कीमतें 4,100 रुपये गिरकर 1,21,800 रुपये प्रति 10 ग्राम रह गईं और वैश्विक बाजारों में 4,000 डॉलर प्रति औंस से नीचे आ गईं। अखिल भारतीय सर्राफा संघ के अनुसार, सोमवार को सोने की कीमत 1,25,900 रुपये प्रति 10 ग्राम पर बंद हुई थी। स्थानीय सर्राफा बाजार में, 99.5 प्रतिशत शुद्धता वाला सोना भी 4,100 रुपये गिरकर 1,21,200 रुपये प्रति 10 ग्राम (सभी करों सहित) रह गया, जो पिछले बंद भाव 1,25,300 रुपये प्रति 10 ग्राम पर था। एचडीएफसी सिक्योरिटीज के वरिष्ठ विश्लेषक (जिंस) सौमिल गांधी ने कहा, ‘‘मंगलवार को सोने में और गिरावट आई और सुरक्षित निवेश मांग में कमी के कारण यह और बढ़ गई। बिकवाली तेज हो गई और सोने की कीमतें तीन सप्ताह के निचले स्तर पर आ गईं।'' उन्होंने कहा, ‘‘इस गिरावट का कारण तकनीकी बिक्री है।' चांदी की कीमतों में भी मंगलवार को 6,250 रुपये की भारी गिरावट दर्ज की गई और यह 1,45,000 रुपये प्रति किलोग्राम (सभी करों सहित) रह गई। संघ के अनुसार, चांदी की कीमत सोमवार को 1,51,250 रुपये प्रति किलोग्राम पर बंद हुई थी। अंतरराष्ट्रीय बाजारों में, हाजिर सोना दबाव में रहा और 94.36 डॉलर या 2.37 प्रतिशत की गिरावट के साथ 3,887.03 डॉलर प्रति औंस रह गया। पिछले सत्र में, यह 132.02 डॉलर या 3.21 प्रतिशत की गिरावट के साथ 4,000 डॉलर के स्तर से नीचे बंद हुआ था। मिराए एसेट शेयरखान में जिंस और मुद्रा के प्रमुख प्रवीण सिंह ने कहा, ‘‘अमेरिका-चीन व्यापार समझौते के आशावाद के कारण सुरक्षित निवेश मांग में कमी के कारण हाजिर सोना दबाव में कारोबार कर रहा है।'' इस बीच, अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप और उनके चीनी समकक्ष शी चिनफिंग संभावित अनुवर्ती बैठकों के साथ व्यापार समझौते की रूपरेखा को अंतिम रूप देने के लिए तैयार हैं। ट्रंप ने जापान के साथ व्यापार समझौते पर भी भरोसा जताया, जिससे सर्राफा कीमतों पर असर पड़ा। प्रवीण सिंह ने कहा, ‘‘निवेशक बुधवार को अमेरिकी फेडरल ओपन मार्केट कमेटी के नीतिगत नतीजे का इंतजार कर रहे हैं, जहां केंद्रीय बैंक द्वारा ब्याज दरों में 0.25 प्रतिशत अंक की कटौती की व्यापक उम्मीद है।'' हाजिर चांदी में भी भारी गिरावट देखी गई और यह 2.85 प्रतिशत टूटकर दिन के कारोबार के निचले स्तर 45.56 डॉलर प्रति औंस रह गई। एचडीएफसी सिक्योरिटीज के सौमिल गांधी ने कहा, ‘‘हमारा मानना है कि सोने में सुधार जारी रहेगा, 5-10 प्रतिशत की गिरावट की संभावना है, क्योंकि इस साल कीमत में 50 प्रतिशत से ज्यादा बढ़ोतरी के बाद बड़े कारोबारी मुनाफावसूली करेंगे। -
नई दिल्ली। केंद्रीय इलेक्ट्रॉनिक्स एवं सूचना प्रौद्योगिकी मंत्री अश्विनी वैष्णव ने मंगलवार को कहा कि भारत में इलेक्ट्रॉनिक्स कंपोनेंट मैन्युफैक्चरिंग के विकास से इलेक्ट्रॉनिक्स सेक्टर में रोजगार के अवसर बढ़ेंगे। केंद्रीय मंत्री वैष्णव ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर एक पोस्ट में जानकारी देते हुए कहा, “सितंबर 2025 में स्मार्टफोन एक्सपोर्ट ने 1.8 अरब डॉलर का नया रिकॉर्ड बनाया।”
उन्होंने आगे कहा कि भारत से निर्यात होने वाले सभी सामानों की लिस्ट में इलेक्ट्रॉनिक्स आइटम अब तीसरे स्थान पर हैं। भारत में इलेक्ट्रॉनिक्स कंपोनेंट मैन्युफैक्चरिंग के बढ़ने से इलेक्ट्रॉनिक्स सेक्टर में ग्रोथ से हजारों नई नौकरियां पैदा होंगी।इंडिया सेलुलर एंड इलेक्ट्रॉनिक्स एसोसिएशन की हालिया रिपोर्ट में जानकारी दी गई थी कि भारत का स्मार्टफोन निर्यात बीते वर्ष की समान अवधि की तुलना में 95 प्रतिशत बढ़कर 1.8 अरब डॉलर को पार कर गया है।आईसीईए के चेयरमैन पंकज मोहिंद्रू ने निर्यात में हो रही इस लगातार बढ़ोतरी को लेकर कहा था कि यह प्रदर्शन दिखाता है कि भारत के मोबाइल फोन मैन्युफैक्चरिंग इकोसिस्टम की नींव मजबूत हो रही है।इससे पहले, केंद्रीय मंत्री वैष्णव ने इलेक्ट्रॉनिक्स घटक विनिर्माण योजना (ईसीएमएस) के तहत 5,532 करोड़ रुपए की 7 परियोजनाओं के पहले चरण की मंजूरी की घोषणा की। योजना के तहत 36,559 करोड़ रुपए मूल्य के कलपुर्जों का उत्पादन होगा और 5,100 से अधिक प्रत्यक्ष नौकरियां सृजित होंगी।इलेक्ट्रानिक्स एवं आईटी मंत्रालय द्वारा दी गई जानकारी के अनुसार, अब मल्टी-लेयर प्रिंटेड सर्किट बोर्ड (पीसीबी), एचडीआई पीसीबी, कैमरा मॉड्यूल, कॉपर क्लैड लैमिनेट और पॉलीप्रोपाइलीन फिल्म्स भारत में ही बनाई जाएंगी।ईसीएमएस को घरेलू और वैश्विक दोनों कंपनियों से अच्छी प्रतिक्रिया मिली है। 1.15 लाख करोड़ रुपए के निवेश भारत के इलेक्ट्रॉनिक्स सेक्टर में अब तक की सबसे बड़ी निवेश प्रतिबद्धता है।इन योजनाओं के आर्थिक और औद्योगिक प्रभावों की बात करें तो योजनाओं से मैन्युफैक्चरिंग के अलावा, रिसर्च एंड डेवलपमेंट में भी हाई-स्किल वाली नौकरियों के अवसर पैदा होंगे। साथ ही, देश की आयात पर से निर्भरता घटेगी और घरेलू बाजारों में उत्पादों की कीमत भी कम होंगी। -
नई दिल्ली। भारत के कोयला क्षेत्र को समर्पित एक ऐतिहासिक पहल के तहत साउथ ईस्टर्न कोलफील्ड्स लिमिटेड (एसईसीएल), जो कोल इंडिया लिमिटेड (सीआईएल) की सहायक कंपनी है, ने डाक विभाग, छत्तीसगढ़ परिमंडल के सहयोग से इंडिया पोस्ट का विशेष आवरण (Special Cover) जारी किया। यह आवरण कोल इंडिया की स्वर्ण जयंती (50 वर्ष) तथा एसईसीएल की रूबी जयंती (40 वर्ष) के उपलक्ष्य में जारी किया गया। इस अवसर पर एक विशेष निरस्तीकरण कैशे (Special Cancellation Cachet) का भी अनावरण किया गया।
यह समारोह सरकार की “स्पेशल कैंपेन 5.0” पहल के अंतर्गत आयोजित किया गया, जिसमें श्री पी. एम. प्रसाद, अध्यक्ष, कोल इंडिया लिमिटेड, तथा श्री हरीश दुःहान, अध्यक्ष-सह-प्रबंध निदेशक, साउथ ईस्टर्न कोलफील्ड्स लिमिटेड प्रमुख अतिथि के रूप में उपस्थित थे। इस अवसर पर कार्यपालक निदेशकगण, मुख्य सतर्कता अधिकारी तथा डाक विभाग, छत्तीसगढ़ डाक परिमंडल के वरिष्ठ अधिकारी भी सम्मिलित हुए।यह विशेष आवरण एक संग्रहणीय डाक-फिलेटेलिक निर्गम है, जो कोल इंडिया के पाँच दशकों की अभूतपूर्व उपलब्धियों तथा एसईसीएल की चार दशकों की परिचालन उत्कृष्टता और नवाचार को अमर करता है। यह आवरण भारत की औद्योगिक प्रगति और संस्थागत विरासत के बीच गहरे संबंध का प्रतीक है।स्पेशल कैंपेन 5.0 के अंतर्गत यह पहल सरकार की संस्थागत स्वच्छता, अभिलेख प्रबंधन की दक्षता तथा सार्वजनिक उपक्रमों की ऐतिहासिक उपलब्धियों को स्मरणीय बनाने की प्रतिबद्धता को रेखांकित करती है।1975 में स्थापित कोल इंडिया लिमिटेड, जो विश्व की सबसे बड़ी कोयला उत्पादक कंपनी है, देश की ऊर्जा सुरक्षा की रीढ़ रही है। यह भारत की कोयला आवश्यकता का 70 प्रतिशत से अधिक आपूर्ति करती है। अपने स्वर्ण जयंती वर्ष में, कोल इंडिया ने उत्पादन, प्रेषण और ओवरबर्डन हटाने के क्षेत्र में अभूतपूर्व उपलब्धियाँ दर्ज कीं, जिससे वित्त वर्ष 2024–25 में भारतीय कोयला क्षेत्र द्वारा 1 अरब टन कोयला उत्पादन का ऐतिहासिक मील का पत्थर हासिल किया गया।यह विशेष आवरण भारत की ऊर्जा आत्मनिर्भरता की दिशा में यात्रा तथा देश की कोयला उद्योग की राष्ट्र निर्माण के प्रति अटूट प्रतिबद्धता का गौरवपूर्ण प्रतीक है। - नयी दिल्ली. रिलायंस जियो ने सितंबर 2025 में नए ग्राहक जोड़ने में अग्रणी बने रहते हुए इस महीने 2,12,662 वायरलाइन ग्राहक और 32.49 लाख मोबाइल कनेक्शन जोड़े। ट्राई की सोमवार को जारी रिपोर्ट में यह जानकारी दी गई। सार्वजनिक क्षेत्र की कंपनी बीएसएनएल ने भी सितंबर में नए मोबाइल ग्राहक जोड़ने के मामले में भारती एयरटेल पर अपनी बढ़त बनाए रखी। फिक्स्ड वायरलेस ब्रॉडबैंड ग्राहक आधार में वृद्धि के साथ रिलायंस जियो का कुल ग्राहक आधार पहली बार 50 करोड़ को पार कर गया। इसका कुल ग्राहक आधार 50.64 करोड़ से अधिक रहा। बीएसएनएल ने मोबाइल ग्राहक आधार के मामले में भारती एयरटेल पर अपनी बढ़त बनाए रखी।दूरसंचार नियामक ट्राई की सितंबर, 2025 की मासिक ग्राहक रिपोर्ट के अनुसार, सार्वजनिक क्षेत्र की बीएसएनएल ने 5.24 लाख ग्राहक जोड़े, जबकि भारती एयरटेल ने 4.37 लाख ग्राहक जोड़े। वोडाफोन आइडिया (वीआई), सार्वजनिक क्षेत्र की कंपनी एमटीएनएल और रिलायंस कम्युनिकेशंस के मोबाइल ग्राहकों की संख्या में गिरावट जारी रही। वीआई ने 7.44 लाख मोबाइल ग्राहक, एमटीएनएल ने 56,928 और आरकॉम ने 13 ग्राहक गंवाएं.
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नई दिल्ली। सरकार ने कहा है कि भारत को अगली पीढ़ी की संचार तकनीकों में वैश्विक अग्रणी बनाने के लिए तेज़ी से कदम उठाए जा रहे हैं।तेजी से हो रहे 5G नेटवर्क के विस्तार और अपनाने के बाद अब सरकार का ध्यान “भारत 6G विज़न” के तहत 6G तकनीक विकसित करने पर है, जिसका लक्ष्य वर्ष 2030 तक भारत को उन्नत दूरसंचार नवाचार का केंद्र बनाना है।
सरकार के अनुसार, भारत का 6G विज़न सस्ती, टिकाऊ और सर्व-सुलभ कनेक्टिविटी के सिद्धांतों पर आधारित है। इसका उद्देश्य है कि हर नागरिक उच्च गति की इंटरनेट सेवा का लाभ उठा सके, साथ ही देश में स्थानीय अनुसंधान और नवाचार को बढ़ावा दिया जा सके।यह पहल विकसित भारत 2047 के लक्ष्य से भी जुड़ी हुई है।6G तकनीक वायरलेस संचार का अगला बड़ा कदम है, जो 5G से लगभग 1000 गुना तेज़ और लगभग शून्य विलंब (zero latency) वाली डेटा ट्रांसफर सुविधा प्रदान करेगी। इससे रिमोट सर्जरी, एडवांस रोबोटिक्स, स्मार्ट सिटीज़ और वर्चुअल रियलिटी जैसे रियल-टाइम अनुप्रयोगों को बढ़ावा मिलेगा।सरकार ने 6G विकास को समर्थन देने के लिए कई पहलें शुरू की हैं। इसमें दो उन्नत टेस्टबेड — 6G टेराहर्ट्ज़ (THz) टेस्टबेड और एडवांस ऑप्टिकल कम्युनिकेशन टेस्टबेड — शामिल हैं, जिनका उद्देश्य शोध और नवाचार को बढ़ावा देना है।इसके अलावा, देशभर के शैक्षणिक संस्थानों में 100 से अधिक 5G लैब्स स्थापित की गई हैं ताकि 6G के लिए पारिस्थितिकी तंत्र तैयार किया जा सके और उद्योग तथा अकादमिक जगत के बीच सहयोग को मजबूत किया जा सके।अब तक 6G नेटवर्क से जुड़े 104 अनुसंधान प्रस्तावों को मंजूरी दी जा चुकी है, जिससे भारत की अनुसंधान दिशा वैश्विक 6G रोडमैप के अनुरूप हो सके।स्वदेशी अनुसंधान को प्रोत्साहित करने के लिए सरकार ने “टेलीकॉम टेक्नोलॉजी डेवलपमेंट फंड (TTDF)” भी शुरू किया है। इसके तहत अब तक 115 प्रोजेक्ट्स, जिनकी कुल कीमत ₹310 करोड़ से अधिक है, को मंजूरी मिल चुकी है।इस विज़न की दिशा में एक बड़ा कदम है “भारत 6G एलायंस (B6GA)” का गठन — जो सरकार, उद्योग, शैक्षणिक संस्थानों और अनुसंधान संगठनों के संयुक्त प्रयास से बना है। इसका उद्देश्य एक आत्मनिर्भर और वैश्विक स्तर पर प्रतिस्पर्धी दूरसंचार पारिस्थितिकी तंत्र का निर्माण करना है। -
नई दिल्ली। भारत की सबसे बड़ी बीमा कंपनी, जीवन बीमा निगम (LIC) ने शनिवार को कहा कि अदाणी समूह (Adani Group) की कंपनियों में उसके निवेश स्वतंत्र रूप से और बोर्ड-स्वीकृत नीतियों के अनुसार किए गए हैं। LIC ने यह भी स्पष्ट किया कि ऐसे निवेश निर्णयों में वित्त मंत्रालय की वित्तीय सेवा विभाग या किसी अन्य सरकारी संस्था की कोई भूमिका नहीं है।
LIC ने बताया कि उसने सालों में विभिन्न कंपनियों में निवेश निर्णय केवल उनके मौलिक आधार और विस्तृत जांच-पड़ताल (due diligence) के बाद लिए हैं। कंपनी के अनुसार, भारत की टॉप 500 कंपनियों में उसके निवेश का मूल्य 2014 से दस गुना बढ़कर 1.56 लाख करोड़ रुपये से 15.6 लाख करोड़ रुपये तक पहुंच गया है, जो मजबूत फंड प्रबंधन का संकेत देता है।LIC ने Adani समूह में अपने निवेश को लेकर विदेशी मीडिया की रिपोर्ट का खंडन किया है। जीवन बीमा निगम ने कहा कि उसके निवेश निर्णय पूरी तरह से स्वतंत्र रूप से, बोर्ड-स्वीकृत नीतियों और विस्तृत ड्यू डिलिजेंस के आधार पर लिए जाते हैं।LIC ने स्पष्ट किया कि उसके सभी निवेश निर्णय नियमानुसार और हितधारकों के सर्वोत्तम हित में लिए जाते हैं। इस कदम का उद्देश्य LIC की निर्णय प्रक्रिया और भारत के वित्तीय क्षेत्र की मजबूत नींव की छवि को प्रभावित करना नहीं होना चाहिए।यह बयान अमेरिका के अखबार The Washington Post में प्रकाशित रिपोर्ट के बाद आया है, जिसमें आरोप लगाया गया था कि LIC को इस साल Adani समूह में निवेश करने के लिए प्रेरित किया गया था, जबकि समूह अमेरिकी जांच और कर्ज दबाव का सामना कर रहा था। रिपोर्ट में LIC द्वारा मई 2025 में Adani Ports & SEZ (APSEZ) में 570 मिलियन डॉलर निवेश का उल्लेख किया गया था, जिसे भारत की सबसे उच्च ‘AAA’ क्रेडिट रेटिंग प्राप्त है।LIC ने यह भी स्पष्ट किया कि उसके निवेश निर्णयों में वित्त मंत्रालय या अन्य किसी सरकारी संस्था की कोई भूमिका नहीं है। LIC भारत का सबसे बड़ा संस्थागत निवेशक है, जिसके पास 41 ट्रिलियन रुपये से अधिक ($500 बिलियन) की संपत्ति है। यह 351 सूचीबद्ध कंपनियों में निवेश करता है और सरकारी बांड तथा कॉर्पोरेट ऋण में भी भारी निवेश है, जिससे उसका पोर्टफोलियो काफी विविध है।LIC का Adani समूह में कुल निवेश उसके कुल कर्ज का 2% से कम है। वहीं, Reliance Industries, ITC और Tata समूह LIC के सबसे बड़े निवेश हैं। LIC Adani के शेयरों का 4% हिस्सा रखता है, जबकि Reliance में 6.94%, ITC में 15.86%, HDFC बैंक में 4.89%, SBI में 9.59% और TCS में 5.02% निवेश है। -
नयी दिल्ली. एनटीपीसी लिमिटेड ने शनिवार को कहा कि पतरातू परियोजना में 800 मेगावाट इकाई का परीक्षण संचालन पूरा होने के साथ उसकी स्थापित क्षमता बढ़कर 84,849 मेगावाट हो गई है। एनटीपीसी ने शेयर बाजार को बताया कि उसकी सहायक कंपनी पतरातू बिजली उत्पादन निगम लिमिटेड ने यूनिट-1 (800 मेगावाट) का परीक्षण संचालन सफलतापूर्वक पूरा कर लिया है। कंपनी ने कहा, ''पतरातू बिजली उत्पादन निगम लिमिटेड के पतरातू सुपर थर्मल पावर प्रोजेक्ट, चरण-1 (3x800 मेगावाट) की इकाई-1 (800 मेगावाट) ने सफलतापूर्वक परीक्षण संचालन पूरा कर लिया है और 16 अक्टूबर से एनटीपीसी समूह की स्थापित क्षमता में शामिल हो गई है।'' इसके साथ ही, एनटीपीसी समूह की कुल स्थापित क्षमता 84,849 मेगावाट तक पहुंच गई है।
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नई दिल्ली। भारतीय रिजर्व बैंक ने एक नया ड्राफ्ट सर्कुलर जारी किया है, जिसमें भारतीय कंपनियों को घरेलू या विदेशी फर्मों में पूरा या कंट्रोलिंग स्टेक खरीदने के लिए बैंकों द्वारा लोन की राशि बढ़ाने का प्रस्ताव दिया गया है। केंद्रीय बैंक की ओर से इन मानदंडों को 1 अप्रैल 2026 से लागू करने का प्रस्ताव दिया गया है।
बैंक द्वारा दिया जाने वाला यह लोन शॉर्ट-टर्म फाइनेंशियल रीस्ट्रक्चरिंग के बजाय लॉन्ग-टर्म वैल्यू बनाने वाले स्ट्रैटेजिक इन्वेस्टमेंट का हिस्सा होगाबैंक द्वारा दिया जाने वाला यह लोन शॉर्ट-टर्म फाइनेंशियल रीस्ट्रक्चरिंग के बजाय लॉन्ग-टर्म वैल्यू बनाने वाले स्ट्रैटेजिक इन्वेस्टमेंट का हिस्सा होगा। हालांकि, आरबीआई ने एक्वायर करने वाली कंपनियों को लेकर यह भी स्पष्ट किया है कि यह कंपनियां लिस्टेड होनी चाहिए और इनकी नेट वर्थ भी अच्छी होनी चाहिए, जिसके लिए इन कंपनियों के पिछले तीन वर्ष का प्रॉफिट रिकॉर्ड भी ध्यान रखा जाएगा।आरबीआई के ड्राफ्ट के अनुसार, “बैंक अधिग्रहण मूल्य का अधिकतम 70 प्रतिशत फंड कर सकता है। अधिग्रहण मूल्य का कम से कम 30 प्रतिशत हिस्सा अधिग्रहण करने वाली कंपनी को अपने धन का इस्तेमाल कर इक्विटी के रूप में फंड करना होगा।”आरबीआई द्वारा इस तरह के एक्विजिशन फाइनेंस में किसी बैंक के कुल एक्सपोजर को उसके टियर-I कैपिटल के 10 प्रतिशत तक सीमित करने का प्रस्ताव दिया गया हैआरबीआई द्वारा इस तरह के एक्विजिशन फाइनेंस में किसी बैंक के कुल एक्सपोजर को उसके टियर-I कैपिटल के 10 प्रतिशत तक सीमित करने का प्रस्ताव दिया गया है। सर्कुलर में कहा गया है कि बैंक सीधे एक्वायरिंग कंपनी को ही लोन दे सकते हैं या इस कंपनी द्वारा टारगेट एंटिटी को खरीदने के लिए सेट अप किए गए स्टेप-डाउन स्पेशल पर्पस व्हीकल (एसपीवी) को लोन दिया जा सकता है।केंद्रीय बैंक का कहना है कि लोन देने वाले बैंकों के पास एक्विजिशन फाइनेंस पर एक पॉलिसी होनी चाहिएइसके अलावा, केंद्रीय बैंक का कहना है कि लोन देने वाले बैंकों के पास एक्विजिशन फाइनेंस पर एक पॉलिसी होनी चाहिए। इस तरह की पॉलिसी में उधार लेने वालों की एलिजिबिलिटी, सिक्योरिटी, रिस्क मैनेजमेंट, मार्जिन और मॉनिटरिंग टर्म्स की लिमिट, नियर और शर्तों की जानकारी मौजूद होनी चाहिए। केंद्रीय बैंक ने प्रस्ताव दिया है कि बैंकों को यह सुनिश्चित करने की जरूरत होगी कि एक्वायरिंग कंपनी और एक्विजिशन के लिए बनाई गई एसपीवी नॉन-बैंकिंग फाइनेंशियल कंपनियां या अल्टरनेटिव इन्वेस्टमेंट फंड जैसे फाइनेंशियल इंटरमीडियरी न हो।बैंकों को यह भी वेरिफाई करने की जरूरत होगी कि एक्वायर करने वाली कंपनी और टारगेट कंपनी आपस में रिलेटेड पार्टी न होंबैंकों को यह भी वेरिफाई करने की जरूरत होगी कि एक्वायर करने वाली कंपनी और टारगेट कंपनी आपस में रिलेटेड पार्टी न हों। नियमों के अनुसार, टारगेट कंपनी की एक्विजिशन वैल्यू बाजार नियामक सेबी के नियमों के तहत तय की जानी चाहिए। इसके अलावा, क्रेडिट असेस्मेंट के लिए बैंकों को दोनों कंपनियों की कम्बाइन्ड बैलेंसशीट को चेक करना होगा। -
नई दिल्ली। भारतीय शेयर बाजार शुक्रवार के कारोबारी सत्र में लाल निशान में बंद हुआ। बाजार के ज्यादातर सूचकांक लाल निशान में बंद हुए। कारोबार के अंत में सेंसेक्स 344.52 अंक या 0.41 प्रतिशत की गिरावट के साथ 84,211.88 और निफ्टी 96.25 अंक या 0.37 प्रतिशत की कमजोरी के साथ 25,795.15 पर था।
बाजार में गिरावट का नेतृत्व बैंकिंग शेयरों ने किया। निफ्टी बैंक 0.65 प्रतिशत की गिरावट के साथ बंद हुआ। ऑटो, आईटी, पीएसयू बैंक, फाइनेंशियल सर्विसेज, फार्मा, एफएमसीजी, मीडिया, प्राइवेट बैंक और इन्फ्रा इंडेक्स लाल निशान में बंद हुए। मेटल, रियल्टी, एनर्जी और कमोडिटीज हरे निशान में थे।लार्ज कैप के साथ मिडकैप और स्मॉलकैप में भी बिकवाली देखी गई। निफ्टी मिडकैप 100 इंडेक्स 140 अंक या 0.24 प्रतिशत की तेजी के साथ 59,231.20 और निफ्टी स्मॉलकैप 100 इंडेक्स 0.21 प्रतिशत या 38.10 अंक की कमजोरी के साथ 18,253.35 पर था।सेंसेक्स पैक में भारती एयरटेल, आईसीआईसीआई बैंक, बीईएल, सन फार्मा, आईटीसी, टाटा स्टील, एमएंडएम और ट्रेंट टॉप गेनर्स थे। एचयूएल, अल्ट्राटेक सीमेंट, कोटक महिंद्रा बैंक, टाइटन, एचडीएफसी बैंक, एक्सिस बैंक, एनटीपीसी, बजाज फिनसर्व, मारुति सुजुकी और एसबीआई टॉप लूजर्स थे।एसबीआई सिक्योरिटीज के टेक्निकल और डेरिवेटिव्स रिसर्च प्रमुख सुदीप शाह ने कहा कि यह लगातार दूसरा कारोबारी सत्र था, जब बाजार बुलिश टोन के बाद गिरावट के साथ बंद हुआ, जो दिखाता है कि बाजार में बिकवाली का दबाव बना हुआ है। उन्होंने आगे कहा कि बाजार की मौजूदा संरचना बताती है कि किसी भी नए संकेत के मौजूद न होने के कारण ट्रेडर्स सतर्क बने हुए हैं। आने वाले सत्र काफी अहम होंगे, जो बताएंगे कि यह एक छोटी-अवधि की कमजोरी है या एक बड़ा कंसोलिडेशन है।भारतीय शेयर बाजार की शुरुआत सपाट हुई थी। सुबह करीब 9 बजकर 32 मिनट पर सेंसेक्स 62.31 अंक या 0.07 प्रतिशत की मामूली गिरावट के साथ 84,494.09 स्तर पर था। वहीं, निफ्टी 50 इंडेक्स 8.45 अंक या 0.03 प्रतिशत की गिरावट के साथ 25,882.95 स्तर पर था। -
नई दिल्ली। भारत का विदेशी मुद्रा भंडार 17 अक्टूबर को समाप्त सप्ताह में 4.5 अरब डॉलर बढ़कर 702.3 अरब डॉलर हो गया। यह जानकारी भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) द्वारा शुक्रवार को जारी आंकड़ों में दी गई। केंद्रीय बैंक के अनुसार, समीक्षा अवधि में भारत का गोल्ड रिजर्व, जो कि विदेशी मुद्रा भंडार का हिस्सा होता है, 6.2 अरब डॉलर बढ़कर 108.5 अरब डॉलर हो गया है। इसमें बढ़ोतरी की वजह सोने की कीमतों में इजाफा होना और केंद्रीय बैंक द्वारा खरीद का बढ़ना है।
फॉरेन करेंसी एसेट्स, जो कि विदेशी मुद्रा भंडार का सबसे बड़ा हिस्सा होती हैं, 1.7 अरब डॉलर गिरकर 570.4 अरब डॉलर हो गई हैं। ये एसेट्स यूरो, पाउंड और येन जैसी मुद्राओं के मूल्य में बदलाव से प्रभावित होती हैं।आरबीआई के आंकड़ों के अनुसार, इस सप्ताह के दौरान अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ) में भारत की रिजर्व पॉजिशन 3 करोड़ डॉलर घटकर 4.62 अरब डॉलर रह गई है।बाजार विश्लेषकों के अनुसार, विदेशी मुद्रा भंडार में गोल्ड रिजर्व की हिस्सेदारी बढ़कर 14.7 प्रतिशत हो गई है, जो कि कई दशकों का उच्चतम स्तर है।बीते एक दशक में देश के विदेशी मुद्रा भंडार में गोल्ड की हिस्सेदारी दोगुनी हो गई है, जो कि पहले 7 प्रतिशत थी।मॉर्गन स्टेनली की एक रिपोर्ट के अनुसार, आरबीआई ने 2024 से अपने गोल्ड रिजर्व में लगभग 75 टन की वृद्धि की है, जिससे कुल गोल्ड होल्डिंग 880 टन हो गई है, जो अब भारत के कुल विदेशी मुद्रा भंडार का लगभग 14 प्रतिशत है।भारत दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा सोने का उपभोक्ता है और अपनी मांग पूरी करने के लिए आयात पर निर्भर है। सोना खरीदना भारतीय संस्कृति में गहराई से निहित है। इसे निवेश एवं प्रतिष्ठा के प्रतीक के तौर पर भी देखा जाता है। -
नई दिल्ली। केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने शुक्रवार को कहा कि भारत में त्योहारी सीजन में खुदरा बिक्री इस साल अपने ऑल-टाइम हाई पर पहुंच गई है, जो जीएसटी दरों को कम करने सहित हालिया आर्थिक नीतियों के प्रभाव को दर्शाता है। गाजियाबाद में नए सीजीएसटी भवन के उद्घाटन समारोह में बोलते हुए, वित्त मंत्री सीतारमण ने कहा कि अगली पीढ़ी के जीएसटी सुधार इस प्रणाली को और भी अधिक कुशल, न्यायसंगत और विकास केंद्रीय बनाएंगे।
मुझे विश्वास है कि निरंतर सुधारों, समर्पण और टीम वर्क के साथ, हम राजस्व, अनुपालन और सेवा वितरण में नई ऊंचाइयों को छुएंगेवित्त मंत्री ने कहा, “मुझे विश्वास है कि निरंतर सुधारों, समर्पण और टीम वर्क के साथ, हम राजस्व, अनुपालन और सेवा वितरण में नई ऊंचाइयों को छुएंगे।” कॉन्फेडरेशन ऑफ ऑल इंडिया ट्रेडर्स (कैट) के अनुसार, इस दीपावली के दौरान खुदरा बिक्री 6.05 लाख करोड़ रुपए तक पहुंच गई – जो पिछले साल के 4.25 लाख करोड़ रुपए से 25 प्रतिशत अधिक है।65,000 करोड़ रुपए सेवाओं पर खर्च किए गए, जिससे यह भारत के व्यापारिक इतिहास में सबसे बड़ा दीपावली कारोबार सीजन बन गयाकुल बिक्री में से लगभग 5.40 लाख करोड़ रुपए वस्तुओं पर और 65,000 करोड़ रुपए सेवाओं पर खर्च किए गए, जिससे यह भारत के व्यापारिक इतिहास में सबसे बड़ा दीपावली कारोबार सीजन बन गया।वित्त मंत्री सीतारमण ने कहा, “ये आंकड़े हमें क्या बताते हैं कि हमारी आर्थिक नीतियों – जिसमें हाल ही में जीएसटी दरों को कम करना भी शामिल है – का सार्थक प्रभाव पड़ रहा है।”वित्त मंत्री सीतारमण ने आगे कहा कि अगली पीढ़ी का जीएसटी करदाताओं को अलग महसूस होना चाहिएवित्त मंत्री ने आगे कहा, “अच्छे काम करते रहें, सुधारों की गति बनाए रखें और हमेशा याद रखें कि हमारा अंतिम लक्ष्य ईमानदार करदाताओं का जीवन आसान बनाना है।” वित्त मंत्री सीतारमण ने आगे कहा कि अगली पीढ़ी का जीएसटी करदाताओं को अलग महसूस होना चाहिए। उन्हें यह महसूस होना चाहिए कि उनके साथ सम्मानजनक व्यवहार किया जा रहा है, क्योंकि वे देश के करदाता हैं।केंद्रीय मंत्री ने कहा, “प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा शुरू किया गया ‘जीएसटी बचत उत्सव’ वास्तव में ‘डबल दीपावली’ थाकेंद्रीय मंत्री ने कहा, “प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा शुरू किया गया ‘जीएसटी बचत उत्सव’ वास्तव में ‘डबल दीपावली’ था।” ई-कॉमर्स ने भी अच्छा प्रदर्शन किया, जिसमें वॉल्यूम में सालाना आधार पर 24 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज की गई, जबकि सकल व्यापारिक मूल्य में 23 प्रतिशत की वृद्धि हुई।( -
नई दिल्ली। भारत भर में सूर्य देव को समर्पित चार दिनों का छठ पूजा का भव्य त्योहार धूमधाम से मनाए जाने की तैयारी चल रही है। 25 अक्टूबर से शुरू हो रहे इस त्योहार से जुड़े पारंपरिक रीति-रिवाजों में लगभग 150 मिलियन भक्त शामिल हो रहे हैं।
कन्फेडरेशन ऑफ ऑल इंडिया ट्रेडर्स (कैट) के अनुसार, इस वर्ष छठ पूजा से देश में लगभग 38,000 करोड़ रुपए का व्यापार होने की उम्मीद की जा रही है। बीते वर्ष छठ पूजा को लेकर यह आंकड़ा 31,000 करोड़ था, जो कि 7000 करोड़ रुपए की वृद्धि को दिखाता है। जबकि इससे पहले 2023 में यही आंकड़ा 27,000 करोड़ रुपए था, जो कि छठ से जुड़े व्यापार में समय के साथ हो रही बढ़ोतरी को दर्शाता है।कैट की ओर से कहा गया है कि केवल दिल्ली में बिक्री इस वर्ष 6,000 करोड़ रुपए के आंकड़े को पार कर जाने की उम्मीद है।छठ पूजा का यह त्योहार मुख्य रूप से बिहार, झारखंड, उत्तर प्रदेश, पश्चिम बंगाल, छत्तीसगढ़, दिल्ली, उत्तराखंड, हरियाणा, महाराष्ट्र, विदर्भ और मध्य प्रदेश में रह रहे लोगों द्वारा मनाया जाता है। इसके अलावा, देश के अलग-अलग राज्यों में रह रहे लाखों पूर्वांचली लोग भी इस पर्व को मनाते हैं।कैट के सेक्रेटरी जनरल प्रवीण खंडेलवाल ने कहा कि छठ पूजा के त्योहार से जुड़े मुख्य सामान में सूप, दौरा, बांस की टोकरियां, मिट्टी के दीये, गन्ना, केला, नारियल, सेब, नींबू जैसे फल, गेहूं और चावल का आटा, पारंपरिक ठेकुआ जैसी मिठाइयां, खजूर, पूजा का सामान, साड़ियां, पारंपरिक कपड़े, सजावट का सामान, दूध, घी, बर्तन, टेंट और मेहमाननवाजी की सेवाएं शामिल हैं।उन्होंने आगे बताया कि साड़ियां, लहंगा-चुनरी, महिलाओं के लिए सलवार-कुर्ता और कुर्ता-पायजामा, पुरुषों के लिए धोती जैसे पारंपरिक कपड़े अधिक से अधिक मात्रा में खरीदे जा रहे हैं, जिससे स्थानीय व्यापारियों और छोटे उद्योगों को फायदा हो रहा है। इसके अलावा, हाथ से बनी स्वदेशी वस्तुओं की बिक्री में भी उछाल देखा जा रहा है।खंडेलवाल ने कहा, “छठ पूजा केवल एक धार्मिक त्योहार नहीं है, बल्कि यह भारतीय संस्कृति का एक अहम हिस्सा है। यह पर्व सामाजिक सद्भाव और समर्पण का प्रतीक है। यह व्यापार को भी बढ़ावा देता है और सीधे स्थानीय उत्पादकों को फायदा पहुंचाता है, जिससे पीएम मोदी के ‘वोकल फॉर लोकल’ और ‘आत्मनिर्भर भारत’ विजन को मजबूती मिलती है।” -
नयी दिल्ली. मारुति सुजुकी इंडिया लिमिटेड की कॉम्पैक्ट एसयूवी जिम्नी 5-डोर ने भारत से कुल एक लाख इकाई का निर्यात का आंकड़ा पार कर लिया है। कंपनी ने बृहस्पतिवार को बयान में कहा कि जिम्नी 5-डोर का निर्यात भारत में पेश होने के तुरंत बाद 2023 में शुरू हो गया था। इसका जापान, मेक्सिको और ऑस्ट्रेलिया सहित 100 से अधिक देशों में निर्यात किया जा रहा है। जापान मे इसे ‘जिम्नी नोमेड' के नाम से निर्यात किया जाता है। जनवरी, 2025 से इस मॉडल ने पेश होने के कुछ ही दिन में 50,000 से अधिक ऑर्डर हासिल कर लिए हैं। कंपनी ने कहा कि उसकी कुल निर्यात मात्रा 2024-25 में 3.32 लाख इकाई रही जबकि 2023-24 में यह 2.83 लाख इकाई थी। कंपनी के प्रबंध निदेशक एवं मुख्य कार्यपालक अधिकारी (सीईओ) हिसाशी ताकेउची ने कहा, ‘‘ जिम्नी की विश्वस्तर पर आधी सदी से अधिक पुरानी विरासत है। जिम्नी 5-डोर का एक लाख निर्यात का आंकड़ा पार करना मारुति सुजुकी के लिए गौरव की बात है।'' उन्होंने आगे कहा कि मारुति सुजुकी द्वारा जिम्नी के साथ 16 अन्य मॉडल का निर्यात किया जाता है। सालाना आधार पर वृद्धि भारत के विश्वस्तरीय मोटर वाहन विनिर्माण के केंद्र के रूप में उभरने को दर्शाती है।
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नयी दिल्ली. इलेक्ट्रिक मोबिलिटी समाधान प्रदाता मोइविंग ने 700 इलेक्ट्रिक छोटे वाणिज्यिक वाहनों के बेड़े को पट्टे पर लेने के लिए टाटा मोटर्स वाणिज्यिक वाहनों के प्रमुख डीलरों के साथ साझेदारी की है। मोइविंग ने बृहस्पतिवार को यह जानकारी दी। कंपनी ने बयान में कहा कि ये वाहन दिल्ली एनसीआर, मुंबई, पुणे, चेन्नई, हैदराबाद, बैंगलोर और कोलकाता सहित 10 से ज्यादा शहरों में तैनात किए जाएंगे। इनका काम ऑनलाइन खरीदारी, सामान पहुंचाने और रोजमर्रा की चीजों के आपूर्ति में मदद करना होगा। मोइविंग ने कहा कि टाटा मोटर्स के प्रमुख वाणिज्यिक वाहन विक्रेता पास्कोस, जोहर मोटर्स और भंडारी ऑटोमोबाइल्स के साथ साझेदारी के तहत वह 700 इलेक्ट्रिक छोटे वाणिज्यिक वाहनों (ई-एससीवी) को पट्टे पर लेगी। मोइविंग के संस्थापक और मुख्य कार्यपालक अधिकारी (सीईओ) विकास मिश्रा ने कहा, ‘‘हमें टाटा मोटर्स के साथ काम करके बहुत अच्छा अनुभव हुआ है और हम इन वाहनों को विभिन्न उपयोग और क्षेत्रों में लगाने के लिए उत्सुक हैं।''
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नयी दिल्ली. वित्तीय-प्रौद्योगिकी कंपनी भारतपे ने बृहस्पतिवार को अजीत कुमार को अपना मुख्य प्रौद्योगिकी अधिकारी (सीटीओ) नियुक्त करने की घोषणा की। उनकी नियुक्ति 23 अक्टूबर, 2025 से प्रभावी होगी। कुमार पंकज गोयल का स्थान लेंगे, जिन्होंने इस वर्ष मई में पद छोड़ दिया था।
अजीत कुमार के पास 19 से अधिक वर्षों का अनुभव है और वह हाल ही में पेटीएम में सीनियर वाइस प्रेसिडेंट ऑफ इंजीनियरिंग के पद पर कार्यरत थे। कंपनी ने एक बयान में कहा कि अपनी नई भूमिका में कुमार भारतपे की प्रौद्योगिकी रणनीति और नवाचार एजेंडा का नेतृत्व करेंगे। - नयी दिल्ली, । भारतीय स्टेट बैंक (एसबीआई) को विश्व बैंक/आईएमएफ की वार्षिक बैठक के दौरान आयोजित एक कार्यक्रम में न्यूयॉर्क स्थित ग्लोबल फाइनेंस से दो प्रतिष्ठित पुरस्कार प्राप्त हुए हैं। देश के सबसे बड़े ऋणदाता बैंक ने दो खिताब (‘वर्ल्ड्स बेस्ट कंज्यूमर बैंक 2025' और ‘बेस्ट बैंक इन इंडिया 2025') जीते। एसबीआई ने बृहस्पतिवार को जारी बयान में कहा कि यह दोहरी मान्यता बैंक की नवाचार, वित्तीय समावेशन और ग्राहक उत्कृष्टता के प्रति प्रतिबद्धता को दर्शाते हुए वैश्विक बैंकिंग क्षेत्र में उसकी अग्रणी स्थिति को और मजबूत करती है। एसबीआई के चेयरमैन सीएस शेट्टी ने कहा कि 52 करोड़ ग्राहकों को सेवा देना और रोजाना 65,000 नए ग्राहकों को जोड़ना प्रौद्योगिकी और डिजिटलीकरण में बड़े निवेश की मांग करता है।
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नयी दिल्ली. सार्वजनिक क्षेत्र की कंपनी एनएमडीसी ने बुधवार को कहा कि उसने तत्काल प्रभाव से लौह अयस्क ढेलों (लम्प) और उसके फाइन्स की कीमतों में क्रमशः 550 रुपये और 500 रुपये प्रति टन की कटौती की है। देश की सबसे बड़ी लौह अयस्क खनन कंपनी ने एक नियामकीय सूचना में कहा कि उसने लम्प अयस्क की कीमत 5,550 रुपये प्रति टन और फाइन्स की कीमत 4,750 रुपये प्रति टन तय की है। लम्प अयस्क या उच्च श्रेणी के लौह अयस्कों में 65.5 प्रतिशत लौह तत्व होता है, जबकि फाइन्स निम्न श्रेणी के अयस्क होते हैं जिनमें 64 प्रतिशत या उससे कम लौह तत्व होता है। एक अगस्त को घोषित अंतिम मूल्य संशोधन में, एनएमडीसी ने लम्प की दर 6,100 रुपये प्रति टन और फाइंस की दर 5,250 रुपये प्रति टन तय की थी। 22 अक्टूबर से लागू होने वाली कीमतों में रॉयल्टी, जिला खनिज निधि (डीएमएफ), राष्ट्रीय खनिज अन्वेषण ट्रस्ट (डीएमईटी) शामिल हैं और उपकर, वन परमिट शुल्क, पारगमन शुल्क, जीएसटी, पर्यावरण उपकर और अन्य कर शामिल नहीं हैं। बाजार अनुसंधान फर्म बिगमिंट ने कहा, ‘‘पिछले दो महीनों से लौह अयस्क की कीमतों की समीक्षा नहीं की गई थी। घरेलू इस्पात बाजार, जो एक उपभोक्ता बाजार है, भारी दबाव में रहा, क्योंकि कीमतों में लगातार गिरावट जारी रही।'' लौह अयस्क, इस्पात निर्माण में उपयोग किए जाने वाले प्रमुख कच्चे माल में से एक है, और इसकी कीमतों में किसी भी उतार-चढ़ाव का इस्पात की कीमतों पर सीधा प्रभाव पड़ता है, जो एक मिश्र धातु है जिसका व्यापक रूप से निर्माण, बुनियादी ढांचा, वाहन और रेलवे जैसे क्षेत्रों में उपयोग किया जाता है। इस्पात मंत्रालय के अंतर्गत हैदराबाद स्थित एनएमडीसी भारत के कुल लौह अयस्क उत्पादन में लगभग 20 प्रतिशत का योगदान देती है।
- नई दिल्ली। भारत के आईटी सेक्टर में भर्तियों में वित्त वर्ष 26 की पहली छमाही में तेजी देखी गई है और इस दौरान टेक्नोलॉजी कंपनियों में कैंपस भर्तियां 25 प्रतिशत बढ़ी हैं। यह जानकारी बुधवार को जारी हुई एक रिपोर्ट में दी गई। चालू वित्त वर्ष की पहली छमाही में पिछले वित्त वर्ष की समान अवधि के मुकाबले इंजीनियरिंग, टेक्निकल और एआई प्रोफाइल की मांग में 27 प्रतिशत का इजाफा देखने को मिला है। वहीं, कंपनसेशन में 5 प्रतिशत का सुधार हुआ है।कैंपस भर्तियां बेंगलुरु, हैदराबाद, पुणे और एनसीआर में केंद्रित हैं, जबकि टियर-2 शहरों में प्लेसमेंट 7% बढ़े हैंटैलेंट और टेक्नोलॉजी विशेषज्ञ कंपनी एडेको ग्रुप ने अपनी रिपोर्ट में कहा, “अधिकांश कैंपस भर्तियां बेंगलुरु, हैदराबाद, पुणे और राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र में की जा रही हैं, साथ ही कोयंबटूर, उदयपुर, नागपुर, विशाखापत्तनम और इंदौर जैसे टियर-2 शहरों में प्लेसमेंट में 7 प्रतिशत की वृद्धि हुई है।”कंपनियां स्थिर प्रबंधकीय भर्तियों और नए कर्मचारियों की उत्पादकतापूर्ण तैनाती पर जोर दे रही हैंरिपोर्ट में कहा गया कि कंपनियां स्थिर, प्रबंधकीय भर्तियों को प्राथमिकता दे रही हैं, ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि नए कर्मचारियों को केवल बेंच पर ही रहने देने के बजाय, उत्पादकता पूर्वक तैनात किया जा सके। रिपोर्ट के मुताबिक, अब ज्यादातर कंपनियां “हायर-एंड-ट्रेनिंग” मॉडल की जगह “ट्रेन और फिर हायर” मॉडल पर काम कर रही हैं।आईटी भर्ती धारणा अभी भी पुनर्संतुलन के दौर में है, जो सतर्क होते हुए भी लक्ष्य-केंद्रित हैएडेको इंडिया के निदेशक और व्यावसायिक प्रमुख, प्रोफेशनल स्टाफिंग, संकेत चेंगप्पा ने कहा कि आईटी भर्ती धारणा अभी भी पुनर्संतुलन के दौर में है, जो सतर्क होते हुए भी लक्ष्य-केंद्रित है। कंपनियां पैमाने की बजाय स्किल की गहराई को प्राथमिकता दे रही हैं और क्लाउड, डेटा और एआई-आधारित क्षमताओं पर ध्यान केंद्रित कर रही हैं और साथ ही वर्कफोर्स की क्षमता को सक्रिय परियोजना पाइपलाइनों के साथ जोड़ रही हैं। हालांकि, कैंपस भर्ती में तेजी आई है, लेकिन असली चुनौती यह सुनिश्चित करना है कि इंजीनियरिंग प्रतिभा बाजार के लिए तैयार हो।”हम आईटी, शैक्षणिक और सरकारी संस्थाओं के साथ मिलकर अनुकूलित अप-स्किलिंग और री-स्किलिंग समाधान दे रहे हैंचेंगप्पा ने आगे कहा कि इसी समस्या का समाधान करने के लिए, “हम आईटी कंपनियों, शैक्षणिक संस्थानों और सरकारी निकायों के साथ मिलकर काम कर रहे हैं ताकि अनुकूलित अप-स्किलिंग और री-स्किलिंग समाधान प्रदान किया जा सकें।” वर्तमान में आईटी इंडस्ट्री एआई भूमिकाओं, क्लाउड कंप्यूटिंग, साइबर सुरक्षा, क्रॉस-डोमेन इंजीनियरों, एमएलओपीएस इंजीनियरों और डेटा इंजीनियरिंग में 45-50 प्रतिशत मांग-आपूर्ति के अंतर से जूझ रहा है।
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नई दिल्ली। भारत के ऑटो सेक्टर में 2025 की तीसरी तिमाही (जुलाई-सितंबर अवधि) में रिकॉर्ड 4.6 अरब डॉलर की डील हुई हैं और इस दौरान कुल 30 लेनदेन हुए हैं। यह जानकारी बुधवार को एक रिपोर्ट में दी गई। ग्रांट थॉर्नटन भारत की रिपोर्ट के अनुसार, यह उछाल मुख्य रूप से टाटा मोटर्स द्वारा इवेको एसपीए के 3.8 अरब डॉलर के अधिग्रहण से आया था, जो 2025 की तीसरी तिमाही में कुल विलय और अधिग्रहण (एम एंड ए) मूल्य का 95 प्रतिशत था।
रणनीतिक अधिग्रहणकर्ताओं और निजी निवेशकों, दोनों ने भविष्य के लिए तैयार मोबिलिटी प्लेटफॉर्म पर ध्यान केंद्रित कियारिपोर्ट में आगे कहा गया है कि ऑटो सेक्टर में इस तिमाही में वैश्विक विस्तार, विद्युतीकरण और आपूर्ति श्रृंखला के पुनर्मूल्यांकन की दिशा में एक रणनीतिक बदलाव देखा गया। रणनीतिक अधिग्रहणकर्ताओं और निजी निवेशकों, दोनों ने भविष्य के लिए तैयार मोबिलिटी प्लेटफॉर्म पर ध्यान केंद्रित किया।रिपोर्ट के अनुसार, तिमाही आधार पर वॉल्यूम में कोई बदलाव नहीं हुआ और सितंबर तिमाही का वॉल्यूम जून तिमाही के लगभग समान रहारिपोर्ट के अनुसार, तिमाही आधार पर वॉल्यूम में कोई बदलाव नहीं हुआ है। यह सितंबर तिमाही में जून तिमाही के करीब ही रही हैं। विलय और अधिग्रहण गतिविधियां में क्रॉस बॉर्डर कंसोलिडेशन की संख्या अधिक रही, जबकि प्राइवेट इक्विटी (पीई) का फोकस टेक सेगमेंट जैसे इलेक्ट्रिक मोबिलिटी, फ्लीट मोबिलिटी और मोबिलिटी-एस-ए-सर्विस (एमएएएस) पर रहा। 2025 की तीसरी तिमाही में विलय और अधिग्रहण की कुल सात डील हुई हैं, जिनकी वैल्यू 4.1 अरब डॉलर था। इस दौरान वैल्यू में दूसरी तिमाही के मुकाबले 1,234 प्रतिशत की वृद्धि देखी गई है। वहीं, कुल डील में क्रॉस बॉर्डर की हिस्सेदारी 71 प्रतिशत थी और वैल्यू में 99 प्रतिशत की हिस्सेदारी थी।समीक्षा अवधि के दौरान, प्राइवेट इक्विटी ने 531 मिलियन डॉलर की 23 डील की है, इसमें से 70 प्रतिशत डील 10 मिलियन डॉलर से कम की थींसमीक्षा अवधि के दौरान, प्राइवेट इक्विटी ने 531 मिलियन डॉलर की 23 डील की है। इसमें से 70 प्रतिशत डील 10 मिलियन डॉलर से कम की थीं। इंटरनेशनल फाइनेंस कॉरपोरेशन (आईएफसी) द्वारा समर्थित इलेक्ट्रिक बस ऑपरेटरों में 137 मिलियन डॉलर के निवेश ने शहरी विद्युतीकरण और मल्टीमॉडल ट्रांसपोर्ट इन्फ्रास्ट्रक्चर में निवेशकों का विश्वास और मजबूत किया है। 2025 की तीसरी तिमाही में सार्वजनिक बाजार की गतिविधियां धीमी रहीं, और कोई बड़ा आईपीओ या क्यूआईपी दर्ज नहीं किया गया। हालांकि, निवेशकों का ध्यान 2026 में अपेक्षित टोयोटा आईपीओ पर बना हुआ है, जिससे निवेश प्रवाह को नया रूप मिलने और सेक्टरोल रुचि में नई जान आने की उम्मीद है। -
नई दिल्ली। भारत के आईटी सेक्टर में भर्तियों में वित्त वर्ष 26 की पहली छमाही में तेजी देखी गई है और इस दौरान टेक्नोलॉजी कंपनियों में कैंपस भर्तियां 25 प्रतिशत बढ़ी हैं। यह जानकारी बुधवार को जारी हुई एक रिपोर्ट में दी गई। चालू वित्त वर्ष की पहली छमाही में पिछले वित्त वर्ष की समान अवधि के मुकाबले इंजीनियरिंग, टेक्निकल और एआई प्रोफाइल की मांग में 27 प्रतिशत का इजाफा देखने को मिला है। वहीं, कंपनसेशन में 5 प्रतिशत का सुधार हुआ है।
टैलेंट और टेक्नोलॉजी विशेषज्ञ कंपनी एडेको ग्रुप ने अपनी रिपोर्ट में कहा, “अधिकांश कैंपस भर्तियां बेंगलुरु, हैदराबाद, पुणे और राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र में की जा रही हैं, साथ ही कोयंबटूर, उदयपुर, नागपुर, विशाखापत्तनम और इंदौर जैसे टियर-2 शहरों में प्लेसमेंट में 7 प्रतिशत की वृद्धि हुई है।”रिपोर्ट में कहा गया कि कंपनियां स्थिर, प्रबंधनीय भर्तियों को प्राथमिकता दे रही हैं, ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि नए कर्मचारियों को केवल बेंच पर ही रहने देने के बजाय, उत्पादकतापूर्वक तैनात किया जा सके। रिपोर्ट के मुताबिक, अब ज्यादातर कंपनियां “हायर-एंड-ट्रेनिंग” मॉडल की जगह “ट्रेन और फिर हायर” मॉडल पर काम कर रही हैं।एडेको इंडिया के निदेशक और व्यावसायिक प्रमुख, प्रोफेशनल स्टाफिंग, संकेत चेंगप्पा ने कहा कि आईटी भर्ती धारणा अभी भी पुनर्संतुलन के दौर में है, जो सतर्क होते हुए भी लक्ष्य-केंद्रित है। कंपनियां पैमाने की बजाय स्किल की गहराई को प्राथमिकता दे रही हैं और क्लाउड, डेटा और एआई-आधारित क्षमताओं पर ध्यान केंद्रित कर रही हैं और साथ ही वर्कफोर्स की क्षमता को सक्रिय परियोजना पाइपलाइनों के साथ जोड़ रही हैं। हालांकि, कैंपस भर्ती में तेजी आई है, लेकिन असली चुनौती यह सुनिश्चित करना है कि इंजीनियरिंग प्रतिभा बाजार के लिए तैयार हो।”चेंगप्पा ने आगे कहा कि इसी समस्या का समाधान करने के लिए, “हम आईटी कंपनियों, शैक्षणिक संस्थानों और सरकारी निकायों के साथ मिलकर काम कर रहे हैं ताकि अनुकूलित अप-स्किलिंग और री-स्किलिंग समाधान प्रदान किए जा सकें।” वर्तमान में आईटी इंडस्ट्री एआई भूमिकाओं, क्लाउड कंप्यूटिंग, साइबर सुरक्षा, क्रॉस-डोमेन इंजीनियरों, एमएलओपीएस इंजीनियरों और डेटा इंजीनियरिंग में 45-50 प्रतिशत मांग-आपूर्ति के अंतर से जूझ रहा है।




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