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नई दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में केंद्रीय मंत्रिमंडल ने बुधवार को हरित प्रौद्योगिकियों के लिए महत्वपूर्ण खनिज संसाधनों के लिए ‘राष्ट्रीय महत्वपूर्ण खनिज मिशन’ को मंजूरी दी। एनसीएमएम 16,300 करोड़ रुपये के व्यय वाला एक मिशन है। मिशन का प्रारंभिक चरण छह साल का होगा। इसके तहत 7 सालों में 34,300 करोड़ रुपए का निवेश किया जाएगा।
मिशन का उद्देश्य भारतीय सार्वजनिक उपक्रमों और निजी क्षेत्र की कंपनियों को विदेशों में महत्वपूर्ण खनिज संपत्ति हासिल करने और संसाधन संपन्न देशों के साथ व्यापार बढ़ाने के लिए प्रोत्साहित करना है।महत्वपूर्ण खनिज क्षेत्र में देश की आत्मनिर्भरता के लिए एक प्रभावी ढांचा स्थापित करने की आवश्यकता को देखते हुए वित्त मंत्री ने 23 जुलाई 2024 को 2024-25 के केंद्रीय बजट में क्रिटिकल मिनरल मिशन की स्थापना की घोषणा की थी।केंद्रीय मंत्रिमंडल द्वारा अनुमोदित ‘राष्ट्रीय महत्वपूर्ण खनिज मिशन’, मूल्य श्रृंखला के सभी चरणों को शामिल करेगा, जिसमें खनिज अन्वेषण, खनन, लाभकारी, प्रसंस्करण और अंतिम उत्पादों से पुनर्प्राप्ति शामिल है। यह मिशन देश के भीतर और इसके अपतटीय क्षेत्रों में महत्वपूर्ण खनिजों की खोज को तेज करेगा। इसका उद्देश्य महत्वपूर्ण खनिज खनन परियोजनाओं के लिए एक फास्ट ट्रैक नियामक अनुमोदन प्रक्रिया बनाना है।इसके अतिरिक्त मिशन महत्वपूर्ण खनिज अन्वेषण के लिए वित्तीय प्रोत्साहन प्रदान करेगा और ओवरबर्डन और टेलिंग्स से इन खनिजों की वसूली को बढ़ावा देगा। इसमें देश के भीतर महत्वपूर्ण खनिजों के भंडार के विकास का भी प्रस्ताव है।मिशन में खनिज प्रसंस्करण पार्कों की स्थापना और महत्वपूर्ण खनिजों के पुनर्चक्रण का समर्थन करने के प्रावधान शामिल हैं। यह महत्वपूर्ण खनिज प्रौद्योगिकियों में अनुसंधान को भी बढ़ावा देगा। यह महत्वपूर्ण खनिजों पर उत्कृष्टता केंद्र स्थापित करने का प्रस्ताव करेगा।वहीं, संपूर्ण-सरकारी दृष्टिकोण अपनाते हुए मिशन अपने उद्देश्यों को प्राप्त करने के लिए संबंधित मंत्रालयों, सार्वजनिक उपक्रमों, निजी कंपनियों और अनुसंधान संस्थानों के साथ मिलकर काम करेगा। -
भुवनेश्वर. खनन समूह वेदांता ने मंगलवार को कहा कि उसकी एक लाख करोड़ रुपये की एल्युमीनियम रिफाइनरी और स्मेल्टर (धातु को गलाने वाली) परियोजना ओडिशा के रायगड़ा जिले में स्थापित की जाएगी। कंपनी के चेयरमैन अनिल अग्रवाल ने कहा कि परियोजना का पहला चरण अगले तीन साल में चालू होने की उम्मीद है, जिसे बाद में विस्तारित किया जाएगा। वेदांता ने पिछले साल अक्टूबर में घोषणा की थी कि वह ओडिशा में 60 लाख टन सालाना क्षमता वाली एल्युमिना रिफाइनरी और 30 लाख टन प्रतिवर्ष क्षमता वाला हरित एल्युमीनियम संयंत्र स्थापित करने के लिए एक लाख करोड़ रुपये का निवेश करेगी। उस समय हालांकि यह नहीं बताया गया था कि इसे कहां स्थापित किया जाएगा।
राज्य के व्यापार सम्मेलन ‘उत्कर्ष ओडिशा-मेक इन ओडिशा' के मौके पर अग्रवाल ने कहा, ‘‘हम रायगड़ा जिले में 60 लाख टन प्रतिवर्ष क्षमता की एल्युमीनियम रिफाइनरी और 30 लाख टन सालाना क्षमता का एल्युमीनियम स्मेल्टर संयंत्र स्थापित करेंगे। इसके लिए कुल निवेश लगभग एक लाख करोड़ रुपये होगा।'' उन्होंने कहा कि खनन समूह को रायगड़ा जिले में सिजिमाली बॉक्साइट खदान मिली है, जिसे अब विकसित किया जा रहा है। अग्रवाल ने अक्टूबर में यहां मुख्यमंत्री मोहन चरण माझी के साथ अपनी बैठक के दौरान एक लाख करोड़ रुपये के निवेश से राज्य में एक एल्युमीना रिफाइनरी और एक एल्युमीनियम संयंत्र स्थापित करने का वादा किया था। अग्रवाल ने कहा कि वेदांता समूह ने पहले ही ओडिशा में एक लाख करोड़ रुपये से अधिक की राशि का महत्वपूर्ण निवेश किया है। कंपनी झारसुगुड़ा में 18 लाख टन प्रतिवर्ष क्षमता वाले स्मेल्टर संयंत्र और लांजीगढ़ में 35 लाख टन सालाना क्षमता वाली एल्युमीना रिफाइनरी का संचालन कर रही है। - मुंबई । महाराष्ट्र सरकार ने बढ़ते प्रदूषण की वजह से मुंबई महानगर पालिका क्षेत्र में डीजल-पेट्रोल गाड़ियों पर प्रतिबंध लगाने की तैयारी शुरू कर दी है। राज्य सरकार ने खराब होती वायु गुणवत्ता के मद्देनजर मुंबई महानगर क्षेत्र (MMR) में पेट्रोल और डीजल वाहनों पर प्रतिबंध पर स्टडी के लिए सात सदस्यीय समिति का गठन किया है, जो अगले 3 महीने में अपने सुझाव सौंपेगी। MMR में ठाणे, रायगढ़ और पालघर जिलों के क्षेत्र भी शामिल हैं।22 जनवरी को जारी सरकारी आदेश (GR) के अनुसार, भारतीय प्रशासनिक सेवा (IAS) के सेवानिवृत्त अधिकारी सुधीर कुमार श्रीवास्तव की अध्यक्षता वाली समिति इस संबंध में स्टडी कर तीन महीने के भीतर अपनी सिफारिशों के साथ रिपोर्ट प्रस्तुत करेगी।महाराष्ट्र के परिवहन आयुक्त, मुंबई के संयुक्त पुलिस आयुक्त (यातायात), महानगर गैस लिमिटेड के प्रबंध निदेशक, महाराष्ट्र राज्य विद्युत वितरण कंपनी लिमिटेड (महावितरण) के परियोजना प्रबंधक, सोसाइटी ऑफ इंडियन ऑटोमोबाइल मैन्युफैक्चरर्स (SIAM) के अध्यक्ष और संयुक्त परिवहन आयुक्त समिति में शामिल हैं। जीआर के अनुसार, समिति को क्षेत्र के विशेषज्ञों को फेलो सदस्य के रूप में शामिल करने और उनसे फीडबैक लेने के अधिकार दिए गए हैं।बंबई उच्च न्यायालय ने नौ जनवरी को स्वत: संज्ञान वाली एक जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए मुंबई में बढ़ते यातायात और बढ़ते प्रदूषण से जीवन पर पड़ने वाले दुष्प्रभाव को लेकर गंभीर चिंता व्यक्त की। उच्च न्यायालय ने कहा था कि वाहनों से निकलने वाला उत्सर्जन वायु प्रदूषण का प्रमुख स्रोत है और मुंबई में वाहनों की बढ़ती संख्या तथा प्रदूषण को नियंत्रित करने के मौजूदा उपाय अपर्याप्त साबित हो रहे हैं। इसका संज्ञान लेते हुए, राज्य सरकार ने MMR में पेट्रोल एवं डीजल से चलने वाले वाहनों पर प्रतिबंध लगाने, केवल सीएनजी एवं इलेक्ट्रिक वाहनों को अनुमति देने की व्यवहार्यता पर स्टडी करने और रिपोर्ट प्रस्तुत करने के लिए विशेषज्ञों की एक समिति गठित की। अदालत ने इस बात पर गहन स्टडी किए जाने की आवश्यकता पर बल दिया कि क्या डीजल और पेट्रोल से चलने वाले वाहनों को चरणबद्ध तरीके से समाप्त करना उचित होगा । अदालत ने बृहन्मुंबई नगर निगम (BMC) और महाराष्ट्र प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (MPCB) को यह सुनिश्चित करने का निर्देश दिया कि लकड़ी और कोयले का उपयोग करने वाली शहर की बेकरी प्राधिकारियों द्वारा निर्धारित एक वर्ष की समय-सीमा के बजाय छह महीने के भीतर गैस या अन्य हरित ईंधन का उपयोग करने लगें।
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नयी दिल्ली। देश की सबसे बड़ी पेट्रोलियम कंपनी इंडियन ऑयल कॉरपोरेशन (आईओसी) के अक्टूबर-दिसंबर तिमाही के शुद्ध लाभ में 64 प्रतिशत की गिरावट आई है। इसकी प्रमुख वजह भंडारण और विदेशी मुद्रा विनिमय पर नुकसान है। इसके चलते कंपनी ने ईंधन की रिकॉर्ड बिक्री से हुआ लाभ गंवा दिया। कंपनी ने सोमवार को शेयर बाजार को दी सूचना में कहा कि उसे वित्त वर्ष 2024-25 की तीसरी तिमाही (अक्टूबर-दिसंबर) में 2,873.53 करोड़ रुपये का एकल शुद्ध लाभ हुआ है, जो गत वित्त वर्ष 2023-24 की समान अवधि में 8,063.69 करोड़ रुपये था। हालांकि, जुलाई-सितंबर, 2024 की तुलना में कंपनी का लाभ बढ़ा है। जुलाई-सितंबर तिमाही में कंपनी ने 189.01 करोड़ रुपये का मुनाफा कमाया था।
आईओसी के निदेशक (वित्त) अनुज जैन ने कहा कि लाभ में गिरावट मुख्य रूप से भंडार और विदेशी मुद्रा विनिमय में हुए नुकसान की वजह से आई है। कंपनी को तीसरी तिमाही में भंडारण पर 7,800 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ। इसके अलावा विदेशी मुद्रा विनिमय के चलते उसे 1,900 करोड़ रुपये का घाटा हुआ। इसके अलावा क्रैक - कच्चे माल (कच्चे तेल) की लागत और तैयार उत्पाद की कीमत के बीच का अंतर - कम हो गया। उन्होंने कहा कि डीजल के लिए यह अक्टूबर-दिसंबर 2023 में 19.18 डॉलर प्रति बैरल से घटकर अक्टूबर-दिसंबर 2024 में 10.8 डॉलर प्रति बैरल हो गया। इसी तरह पेट्रोल के लिए यह 7.04 डॉलर प्रति बैरल से घटकर 3.63 डॉलर प्रति बैरल हो गया। आईओसी के चेयरमैन ए एस साहनी ने कहा कि कंपनी ने 2.61 करोड़ टन से अधिक की अपनी अबतक की किसी तिमाही की सबसे ऊंची बिक्री दर्ज की। यह गत वित्त वर्ष की समान अवधि की तुलना में 6.2 प्रतिशत अधिक है। इसकी वजह यह है कि कंपनी ने ईंधन बिक्री की अपनी मुख्य क्षमता पर पुनः ध्यान केंद्रित किया है। इस तिमाही में पेट्रोरसायन कारोबार में भी सात प्रतिशत की वृद्धि हुई, जबकि गैस कारोबार 24 प्रतिशत बढ़ा। साहनी ने कहा कि उद्योग में आईओसी की बाजार हिस्सेदारी अक्टूबर, 2024 तिमाही के 41.1 प्रतिशत से बढ़कर समीक्षाधीन तिमाही में 41.3 प्रतिशत हो गई। उन्होंने कहा कि कंपनी का ध्यान मुख्य तेल शोधन और विपणन के साथ ही पेट्रोरसायन कारोबार पर है, क्योंकि यह कंपनी के लिए नकदी का मुख्य स्रोत है। - नयी दिल्ली. चालू रबी सत्र 2024-25 में अबतक गेहूं की बुवाई का रकबा 2.77 प्रतिशत बढ़कर 324.38 लाख हेक्टेयर हो गया है। वहीं, तिलहन खेती का रकबा घट गया है। सोमवार को जारी कृषि मंत्रालय के आंकड़ों में यह जानकारी दी गई। मुख्य रबी (सर्दियों) फसल गेहूं की बुवाई पूरी हो गई है और अप्रैल से कटाई शुरू होगी।आंकड़ों के अनुसार, 27 जनवरी तक गेहूं का रकबा एक साल पहले के 315.63 लाख हेक्टेयर से बढ़कर 324.38 लाख हेक्टेयर हो गया। इस रबी मौसम में अबतक दलहन की बुवाई का रकबा 139.29 लाख हेक्टेयर से बढ़कर 142.49 लाख हेक्टेयर हो गया, जबकि मोटे अनाज की बुवाई 55.67 लाख हेक्टेयर पर स्थिर रही। हालांकि, तिलहनों की बुवाई का कुल रकबा 27 जनवरी तक घटकर 98.18 लाख हेक्टेयर रह गया, जबकि एक साल पहले की इसी अवधि में यह 108.52 लाख हेक्टेयर था। रबी फसलों की बुवाई का कुल रकबा पहले के 643.72 लाख हेक्टेयर से बढ़कर इस बार 655.88 लाख हेक्टेयर हो गया।
- मुंबई. भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) की एक रिपोर्ट में कहा गया है कि दिसंबर, 2019 से पिछले पांच साल में क्रेडिट कार्ड की संख्या दोगुनी से अधिक होकर लगभग 10.80 करोड़ हो गई है। इस दौरान डेबिट कार्ड की संख्या अपेक्षाकृत स्थिर रही है। सोमवार को जारी रिपोर्ट में कहा गया कि दिसंबर, 2024 के अंत में क्रेडिट कार्ड की संख्या दिसंबर, 2019 की तुलना में दोगुना से अधिक होकर लगभग 10.80 करोड़ हो गई। दिसंबर, 2019 में 5.53 करोड़ क्रेडिट कार्ड प्रचलन में थे। इसके उलट डेबिट कार्ड की संख्या अपेक्षाकृत स्थिर रही है, जो दिसंबर, 2019 के 80.53 करोड़ से मामूली बढ़कर दिसंबर, 2024 में 99.09 करोड़ से थोड़ी अधिक हो गई है। पिछले दशक में भारत में डिजिटल भुगतान तेजी से बढ़ा है। कैलेंडर वर्ष 2013 में 772 लाख करोड़ रुपये मूल्य के 222 करोड़ डिजिटल लेनदेन हुए थे, और यह 2024 में संख्या के लिहाज से 94 गुना बढ़कर 20,787 करोड़ लेनदेन और मूल्य के लिहाज से 3.5 गुना बढ़कर 2,758 लाख करोड़ रुपये तक पहुंच गया। दिसंबर, 2024 की भुगतान प्रणाली रिपोर्ट में कहा गया, ‘‘पिछले पांच वर्षों में भारत में डिजिटल भुगतान लेनदेन की मात्रा के लिहाज से 6.7 गुना और मूल्य के लिहाज से 1.6 गुना बढ़ा। यह पिछले पांच साल में डिजिटल भुगतान की मात्रा के लिहाज से 45.9 प्रतिशत की वार्षिक वृद्धि और मूल्य के लिहाज से 10.2 प्रतिशत की वार्षिक वृद्धि को दर्शाता है।
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नई दिल्ली। आरबीआई की भुगतान प्रणाली रिपोर्ट के अनुसार भारत के डिजिटल भुगतान में यूनिफाइड पेमेंट इंटरफेस (यूपीआई) की हिस्सेदारी 2019 में 34 प्रतिशत से बढ़कर 2024 में 83 प्रतिशत हो गई है, जिसमें पिछले पांच वर्षों में 74 प्रतिशत की उल्लेखनीय सीएजीआर (संचयी औसत वृद्धि दर) है। रिपोर्ट में कहा गया है कि इसके विपरीत, डिजिटल भुगतान मात्रा में आरटीजीएस, एनईएफटी, आईएमपीएस, क्रेडिट कार्ड, डेबिट कार्ड आदि जैसी अन्य भुगतान प्रणालियों की हिस्सेदारी इसी अवधि के दौरान 66 प्रतिशत से घटकर 17 प्रतिशत हो गई।
उपयोग में आसानी के कारण भारत में डिजिटल भुगतान की वृद्धिरिपोर्ट में बताया गया है कि अपनी उपयोगिता और उपयोग में आसानी के कारण भारत में डिजिटल भुगतान की वृद्धि में यूपीआई का सबसे महत्वपूर्ण योगदान रहा है। व्यापक स्तर पर, यूपीआई लेनदेन की मात्रा 2018 में 375 करोड़ से बढ़कर 2024 में 17,221 करोड़ हो गई, जबकि लेनदेन का कुल मूल्य 2018 में ₹5.86 लाख करोड़ से बढ़कर 2024 में ₹246.83 लाख करोड़ हो गया।रिपोर्ट में कहा गया है कि मात्रा और मूल्य के संदर्भ में यह क्रमशः 89.3 प्रतिशत और 86.5 प्रतिशत की पांच साल की सीएजीआर है।यूपीआई का सुरक्षित और वास्तविक समय भुगतानP2P (व्यक्ति-से-व्यक्ति) और P2M (व्यक्ति-से-व्यापारी) दोनों लेनदेन यूपीआई की सुरक्षित और वास्तविक समय भुगतान क्षमताओं का लाभ उठाते हैं, जिससे व्यक्तियों और व्यवसायों के लिए पारंपरिक, समय लेने वाली विधियों पर भरोसा किए बिना वित्तीय लेनदेन निष्पादित करना आसान हो जाता है। इसके अतिरिक्त UPI P2M लेनदेन की मात्रा 2023 के बाद से यूपीआई P2P लेनदेन की मात्रा को पार कर गई है, हालाँकि, मूल्य के संदर्भ में, UPI P2P लेनदेन का मूल्य अभी भी UPI P2M लेनदेन मूल्यों से अधिक है।भारत में डिजिटल भुगतान में अभूतपूर्व वृद्धिपिछले कुछ वर्षों में, यूपीआई की शानदार प्रगति और उपलब्ध डिजिटल भुगतान विकल्पों की प्रचुरता के कारण भारत में डिजिटल भुगतान में अभूतपूर्व वृद्धि देखी गई है। यही नहीं, 2024 में अकेले भारत ने 208.5 बिलियन डिजिटल भुगतान लेनदेन दर्ज किया। वहीं, 2019-24 में 500 रुपये से कम के लेनदेन मूल्यों के लिए UPI P2M 99 प्रतिशत की CAGR से बढ़ी। इसके विपरीत, इसी अवधि के दौरान यूपीआई पी2पी 56 प्रतिशत की सीएजीआर से बढ़ी।यूपीआई लाइट ने दिसंबर 2024 में प्रतिदिन 2.04 मिलियन लेनदेन दर्जनेशनल पेमेंट्स कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया (एनपीसीआई) की कम मूल्य वाली लेनदेन भुगतान पद्धति, यूपीआई लाइट ने दिसंबर 2024 में प्रतिदिन 2.04 मिलियन लेनदेन दर्ज किए, जिसका मूल्य 20.02 करोड़ रुपये था। आरबीआई की रिपोर्ट में कहा गया है, “जब पेटीएम और फोनपे ने क्रमशः 15 फरवरी, 2023 और 2 मई, 2023 को यूपीआई लाइट पेश किया, तो यूपीआई लाइट भुगतान मात्रा और मूल्यों में निरंतर वृद्धि देखी गई।डिजिटल भुगतान में अग्रणी है यूपीआईयूपीआई ने भारत को ‘सार्वजनिक भलाई’ के रूप में डिजिटल भुगतान समाधान प्रदान करने में अग्रणी बना दिया है। इस सार्वजनिक भलाई के दृष्टिकोण में अन्य अर्थव्यवस्थाओं द्वारा अपनाए जाने की क्षमता है, चाहे वे विकास के किसी भी चरण में हों। रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि यूपीआई और इसकी विशेषताएं सबसे छोटे मूल्य के लिए भुगतान प्रणाली के लोकतंत्रीकरण और पहले से वंचित क्षेत्रों में डिजिटल भुगतान की पहुंच पर सबक देती हैं। -
नई दिल्ली। भारत में क्रेडिट कार्ड धारकों की संख्या में लगातार इजाफा हो रहा है। दरअसल, आरबीआई की नई रिपोर्ट के अनुसार, दिसंबर 2019 में 5.53 करोड़ कार्ड प्रचलन में थे, जबकि दिसंबर 2024 के अंत तक क्रेडिट कार्ड की संख्या दोगुनी से अधिक होकर लगभग 10.80 करोड़ हो गई है।
इसके विपरीत, डेबिट कार्ड की संख्या अपेक्षाकृत स्थिर रही है, जो दिसंबर 2019 में 80.53 करोड़ से मामूली वृद्धि के साथ दिसंबर 2024 में 99.09 करोड़ से थोड़ा अधिक हो गई है।RBI की रिपोर्ट में कहा गया है कि कार्ड लेन-देन में भी इसी तरह की वृद्धि देखी गई है। CY2024 के दौरान, क्रेडिट और डेबिट कार्ड के माध्यम से क्रमशः 20.37 लाख करोड़ रुपये और 5.16 लाख करोड़ रुपये के 447.23 करोड़ और 173.90 करोड़ भुगतान लेनदेन हुए।रिपोर्ट में कहा गया है, “डेबिट कार्ड के इस्तेमाल में कमी आई है, लेकिन हाल के वर्षों में क्रेडिट कार्ड का इस्तेमाल साल-दर-साल आधार पर 15 प्रतिशत से अधिक बढ़ा है।” दिसंबर 2024 तक, भारत में वित्तीय परिदृश्य क्रेडिट और डेबिट कार्ड के व्यापक उपयोग से पूरे देश में 109.9 करोड़ कार्ड प्रचलन में हैं।सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों (PSB) द्वारा जारी किए गए क्रेडिट कार्ड दिसंबर 2019 के अंत तक 122.6 लाख से बढ़कर दिसंबर 2024 के अंत तक 257.61 लाख हो गए, जो 110 प्रतिशत से अधिक की वृद्धि है। आरबीआई की रिपोर्ट में कहा गया है, “निजी क्षेत्र के बैंक (PVB), जिनके पास दिसंबर 2024 में 766 लाख कार्ड के साथ 71 प्रतिशत बाजार हिस्सेदारी है, शहरी और संपन्न ग्राहकों सर्विस देने के लिए डिजिटल समाधान और सह-ब्रांडेड कार्ड की ओर बढ़े हैं।”इस बीच विदेशी बैंकों की संख्या में गिरावट देखी गई है – 65.79 लाख कार्ड से 45.94 लाख तक – और बाजार हिस्सेदारी में दिसंबर 2019 और दिसंबर 2024 के बीच 11.9 प्रतिशत से 4.3 प्रतिशत तक की गिरावट, संभवतः उच्च शुल्क और रूढ़िवादी उधार नीतियों के कारण।छोटे वित्त बैंकों (एसएफबी) ने दिसंबर 2024 के अंत तक 10.97 लाख कार्ड के साथ क्षेत्र में प्रवेश किया है, जो वंचितों को लक्षित करते हैं और वित्तीय समावेशन पर ध्यान केंद्रित करते हैं। 1 जनवरी 2019 से, RBI ने केवल EMV चिप और पिन-आधारित डेबिट और क्रेडिट कार्ड के उपयोग को अनिवार्य कर दिया है।साथ ही, भुगतान करने के लिए RuPay क्रेडिट कार्ड को UPI से जोड़ने की अनुमति देकर UPI के दायरे का विस्तार किया गया। इसके बाद, जमा खातों के अलावा, अनुसूचित वाणिज्यिक बैंकों द्वारा जारी पूर्व-स्वीकृत क्रेडिट लाइनों से हस्तांतरण की अनुमति देकर इसका विस्तार किया गया है। - -आयोजन का उद्घाटन जेएसपी के चेयरमैन नवीन जिन्दल ने किया-तकनीक-आधारित स्टील निर्माण को बढ़ावा देने के लिए हो रहा है यह भव्य आयोजन-इस कार्यक्रम में 50 से अधिक अग्रणी कंपनियों , दुनिया भर से 175 प्रतिनिधि और 60 से अधिक विशेषज्ञों की भागीदारी महत्वपूर्ण हैरायपुर। जिन्दल स्टील एंड पावर (जेएसपी) ने रायगढ़ प्लांट में तकनीक-आधारित स्टील निर्माण को बढ़ावा देने के लिए "जेएसपी टेक-कैटलिस्ट 2025" का भव्य आयोजन किया गया है। सोमवार से शुरू हुआ यह दो दिवसीय सम्मेलन और प्रदर्शनी स्टील निर्माण के भविष्य को आकार देने में आधुनिक तकनीक की भूमिका पर केंद्रित है। इस कार्यक्रम में 50 से अधिक अग्रणी कंपनियां भाग ले रही हैं, जिसमें दुनिया भर से 175 प्रतिनिधि और 60 से अधिक विशेषज्ञों की भागीदारी महत्वपूर्ण है।आयोजन में मैकिंजी, सैप, माइक्रोसॉफ्ट, गूगल, प्राइमेटल्स टेक्नोलॉजीज, मेटसो, रॉकवेल और एसएमएस ग्रुप सहित दुनियाभर की नामचीन कंपनियां हिस्सा ले रही हैं। इसमें आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस, डिजिटल ट्विन्स, आईओटी, रोबोटिक्स, एआर/वीआर और ब्लॉकचेन जैसी अत्याधुनिक तकनीक की 25 लाइव प्रदर्शनी भी लगाई गई है। साथ ही कार्यबल सशक्तिकरण, ग्रीन स्टील इनोवेशन और सप्लाई चेन ऑप्टिमाइजेशन जैसे विषयों पर केंद्रित विशेष सत्रों का आयोजन भी किया जा रहा है।सोमवार को आयोजन का उद्घाटन जेएसपी के चेयरमैन नवीन जिन्दल ने किया। इस अवसर पर उन्होंने कहा कि टील उद्योग आज एक ऐसे मोड़ पर है, जहां आधुनिक तकनीक, चुनौतियों को हल करने और दक्षता को बढ़ाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगी। जेएसपी में हम अपनी कार्य प्रथाओं और प्रक्रियाओं में एआई, आईओटी, और डिजिटल ट्विन्स जैसी उन्नत तकनीक को शामिल कर रहे हैं। टेक-कैटलिस्ट हमारे इंजीनियरों के लिए एक ऐसा मंच है, जहां वे इन तकनीकों को समझ सकते हैं और उन्हें स्मार्ट व ग्रीन स्टील निर्माण के लिए प्रयोग में ला सकते हैं।"जेएसपी टेक-कैटलिस्ट 2025" की शुरुआत मैकिंजी के वरिष्ठ साझेदार रजत गुप्ता ने विश्व स्तर पर तकनीक के विकास पर प्रकाश डालते हुए की। इसके साथ ही विभिन्न विषयों पर वक्ताओं ने संबोधित किया। इसमें आयरनएज: स्टील निर्माण की नई पहल , विषय पर प्राइमेटल्स टेकनोलॉजीज, एसएमस ग्रुप और मेटसो के वक्ताओं ने भाग लिया। ग्रीनफोर्ज: सस्टेनेबल स्टील मेकिंग में इनोवेशन, विषय पर आयोजित सत्र में हाइड्रोजन और सीसीयूएस तकनीकों पर चर्चा हुई। वर्कफोर्सएक्स: भविष्य के स्टील निर्माताओं को सशक्त बनाना, सैप, माइक्रोसॉफ्ट और डिटेक्ट टेक्नोलॉजीज के विशेषज्ञों ने इस सत्र में अपने विचार रखे। जेएसपी टेक-कैटलिस्ट 2025 को इस तरह तैयार किया गया है कि जेएसपी के इंजीनियर इंडस्ट्री 4.0 तकनीकों के व्यावहारिक इस्तेमाल और नवीनतम इनोवेशन के बारे में प्रत्यक्ष जानकारी प्राप्त कर सके।गौरतलब है कि जिन्दल स्टील एंड पावर (जेएसपी) एक अग्रणी उद्योग समूह है, जो स्टील, खनन और बुनियादी ढांचा क्षेत्र में अपनी बहुमूल्य सेवाएं प्रदान कर रहा है। पूरी सूझबूझ के साथ दुनिया भर में फैले अपने कारोबार में 12 बिलियन अमेरिकी डॉलर के निवेश के साथ जेएसपी आत्मनिर्भर भारत के निर्माण में योगदान कर रही है। कंपनी अपने कार्बन उत्सर्जन को कम करने और सस्टेनेबल प्रथाओं को अपनाने में अग्रणी रहने में प्रतिबद्ध है।
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नई दिल्ली । दावोस में आयोजित वर्ल्ड इकोनॉमिक फोरम (WEF) 2025 में भारत ने अपनी आर्थिक ताकत का प्रदर्शन करते हुए 20 लाख करोड़ रुपए से अधिक के निवेश प्रस्ताव हासिल किए। इन निवेशों से देश में तेजी से विकास और करोड़ों रोजगार के अवसर सृजित होने की उम्मीद है।
इस कड़ी में महाराष्ट्र ने सबसे बड़ी सफलता हासिल की। मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस के नेतृत्व में राज्य ने ₹15.7 लाख करोड़ के 61 समझौता ज्ञापनों (MoUs) पर हस्ताक्षर किए जिससे 16 लाख से अधिक रोजगार के अवसर सृजित होने की संभावना है। इसके अलावा, तेलंगाना ने मुख्यमंत्री रेवंत रेड्डी के नेतृत्व में ₹1.80 लाख करोड़ के 20 समझौतों पर हस्ताक्षर किए। केरल और उत्तर प्रदेश ने भी अपनी महत्वाकांक्षी योजनाओं को प्रस्तुत कर निवेशकों को आकर्षित किया।आईटी क्षेत्र की दिग्गज कंपनी इंफोसिस ने हैदराबाद में अपनी उपस्थिति बढ़ाने और 17,000 नए रोजगार सृजित करने की घोषणा की। आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री एन. चंद्रबाबू नायडू ने भी विभिन्न वैश्विक कंपनियों के सीईओ से मुलाकात कर राज्य में निवेश की संभावनाओं पर चर्चा की।केंद्रीय रेल और इलेक्ट्रॉनिक्स व आईटी मंत्री अश्विनी वैष्णव ने शिखर सम्मेलन में भारत के संतुलित विकास मॉडल पर जोर दिया। उन्होंने “मेक इन इंडिया, मेक फॉर द वर्ल्ड” की रणनीति के तहत भारत की उपलब्धियों को उजागर किया। वैष्णव ने कहा कि भारत जल्द ही सेमीकंडक्टर उद्योग के शीर्ष तीन डेस्टिनेशन में शामिल हो सकता है।वैष्णव ने भारत के उभरते आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) सेक्टर और वैश्विक विनिर्माण में उसकी भूमिका को भी उजागर किया। उन्होंने भारत को “यूज केस कैपिटल” बनाने की दिशा में काम करने और भारतीय कार्यबल को नई तकनीकों के लिए कुशल बनाने की सरकार की प्रतिबद्धता पर जोर दिया। - नयी दिल्ली राष्ट्रीय कंपनी कानून अपीलीय न्यायाधिकरण (एनसीएलएटी) ने व्हाट्सऐप और उसकी मूल कंपनी मेटा के बीच आंकड़ा साझा करने पर लगाई गई पांच साल की पाबंदी पर बृहस्पतिवार को रोक लगा दी। भारतीय प्रतिस्पर्धा आयोग (सीसीआई) ने नवंबर, 2024 में व्हाट्सऐप और मेटा की अन्य इकाइयों के बीच विज्ञापन के इरादे से आंकड़ा साझा करने पर पांच साल का प्रतिबंध लगा दिया था। इसके साथ ही मेटा पर अपने दबदबे की स्थिति के दुरुपयोग के लिए 213 करोड़ रुपये का जुर्माना भी लगाया था। मेटा ने सीसीआई के इस आदेश को एनसीएलएटी में चुनौती दी थी। अपीलीय न्यायाधिकरण ने प्रतिबंध के आदेश पर रोक लगाने के साथ ही जुर्माने पर भी रोक लगा दी है। हालांकि कंपनी को दो सप्ताह के भीतर जुर्माने की राशि का 50 प्रतिशत जमा करना होगा। न्यायाधिकरण ने सुनवाई के दौरान यह पाया कि पांच साल का प्रतिबंध लगाए जाने से त्वरित संदेश मंच व्हाट्सऐप के कारोबारी मॉडल का पतन हो सकता है। उसने कहा कि व्हाट्सऐप अपने उपयोगकर्ताओं को अपनी सेवाएं निःशुल्क दे रहा है। इसने कहा, "हमने देखा है कि उच्चतम न्यायालय ने 2021 की गोपनीयता नीति पर रोक लगाने का अंतरिम आदेश नहीं दिया है और डिजिटल व्यक्तिगत डेटा संरक्षण अधिनियम 2023 के भी लागू होने की संभावना है, जो आंकड़ा संरक्षण और साझा करने से संबंधित मुद्दों का ध्यान रख सकता है।" पीठ ने कहा, "हमारी प्रथम दृष्टया यह राय है कि पांच साल के प्रतिबंध लगाने वाले आदेश पर रोक लगाई जानी चाहिए।" इसने मामले की अगली सुनवाई के लिए 17 मार्च की तारीख मुकर्रर की। सीसीआई ने अपने आदेश में कहा था कि व्हाट्सऐप की 2021 की गोपनीयता नीति में किया गया अपडेट उपयोगकर्ताओं को आंकड़े के व्यापक संग्रह और मेटा समूह के भीतर इसे साझा करने के लिए सहमत होने के लिए अनुचित रूप से बाध्य करती है। मेटा ने सीसीआई के आदेश पर आंशिक रोक लगाने के एनसीएलएटी के निर्णय का स्वागत करते हुए कहा कि वह अगले कदमों का मूल्यांकन करेगी। मेटा के प्रवक्ता ने कहा, "हमारा ध्यान आगे की राह तलाशने पर रहेगा। वृद्धि और नवाचार के लिए लाखों व्यवसाय हमारे मंच पर निर्भर हैं। साथ ही लोग व्हाट्सऐप से उच्च गुणवत्ता वाले अनुभव की उम्मीद करते हैं।"
- नयी दिल्ली. आईडीबीआई बैंक के निदेशक मंडल ने राकेश शर्मा को तीन साल के लिए प्रबंध निदेशक और सीईओ के रूप में फिर से नियुक्त करने को मंजूरी दे दी है। आईडीबीआई बैंक ने बृहस्पतिवार को शेयर बाजार को दी सूचना में कहा कि निदेशक मंडल ने इस संबंध में रिजर्व बैंक की मंजूरी के अनुसार 19 मार्च, 2025 से तीन साल की अवधि के लिए उनकी फिर से नियुक्ति को मंजूरी दे दी है। वह 10 अक्टूबर, 2018 को प्रबंध निदेशक और सीईओ के रूप में आईडीबीआई बैंक में शामिल हुए।इससे पहले, उन्होंने 31 जुलाई, 2018 तक केनरा बैंक के प्रबंध निदेशक और सीईओ के रूप में तीन साल का कार्यकाल पूरा किया था।
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श्रीनगर. जम्मू-कश्मीर सरकार ने चिनार के पेड़ों के संरक्षण के लिए ‘डिजिटल ट्री आधार' कार्यक्रम शुरू किया है, जिसके तहत तेजी से हो रहे शहरीकरण के कारण खतरे का सामना कर रहे इन वृक्षों का एक व्यापक डाटाबेस तैयार किया जाएगा। इस पहल के तहत जम्मू-कश्मीर का सांस्कृतिक और पारिस्थितिक प्रतीक चिनार के पेड़ों को ‘जियो-टैग' और क्यूआर कोड से लैस किया जा रहा है, जो इसकी भौगोलिक स्थिति, स्वास्थ्य और बढ़ने के क्रम की जानकारी रिकॉर्ड करेंगे ताकि संरक्षणकर्ताओं को परिवर्तनों का पता लगाने और जोखिमपूर्ण कारकों को दूर करने में मदद मिले। इस अभियान में भौगोलिक सूचना प्रणाली (जीआईएस) समेत आधुनिक प्रौद्योगिकी का उपयोग किया जाएगा, ताकि चिनार के पेड़ों के संरक्षण के लिए एक व्यापक डेटाबेस बनाया जा सके। इस पहल का उद्देश्य चिनार के पेड़ों को शहरीकरण, वनों की कटाई और ठिकानों को होने वाले नुकसान आदि से बचाना है। इस परियोजना का नेतृत्व जम्मू-कश्मीर वन विभाग का जम्मू-कश्मीर वन अनुसंधान संस्थान (एफआरआई) कर रहा है। क्यूआर-आधारित डिजिटल प्लेट को सर्वेक्षण में शामिल प्रत्येक चिनार के पेड़ पर चिपकाया जाता है। प्रत्येक पेड़ को आधार जैसी एक विशिष्ट आईडी दी जाती है, जिसमें पेड़ का सर्वेक्षण किए जाने का वर्ष, वह किस जिले में स्थित है और आसान पहचान के लिए एक क्रमांक दिया जाता है। एफआरआई के परियोजना समन्वयक सैयद तारिक ने यहां कहा, चिनार हमारी संस्कृति का एक हिस्सा है। हम चिनार की कुल संख्या, उनकी स्थिति, उनकी ऊंचाई, परिधि आदि जानने के लिए एक सर्वेक्षण कर रहे हैं। इसलिए, हमने पेड़ों की जियो-टैगिंग की यह पहल की है। उन्होंने कहा कि अब तक लगभग 28,500 चिनार के पेड़ों की पहचान, सर्वेक्षण और उनके आंकड़ों को अद्यतन किया गया है तथा यह प्रक्रिया जारी है।
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नई दिल्ली। भारतीय कंपनियों ने चालू वित्त वर्ष के अप्रैल से दिसंबर की अवधि में 32 लाख करोड़ रुपये के निवेश का ऐलान किया है। यह पिछले साल के समान अवधि के आंकड़े 23 लाख करोड़ रुपये से 39 प्रतिशत अधिक है। रिपोर्ट में कहा गया कि मार्च 2024 तक 13.63 लाख करोड़ रुपये का वर्क-इन-प्रोग्रेस है, जो दिखाता है कि आने वाले वर्षों में तेज विकास देखने को मिलेगा।
वित्त वर्ष 24 के प्राथमिक डेटा में निजी सेक्टर का निवेश जीडीपी के 12.5 प्रतिशत रहने की उम्मीदरिपोर्ट में बताया गया कि वित्त वर्ष 23 में सरकारी निवेश जीडीपी के 4.1 प्रतिशत पर पहुंच गया था, जो कि वित्त वर्ष 12 के बाद सबसे अधिक है। वहीं, निजी सेक्टर का निवेश जीडीपी का 11.9 प्रतिशत रहा है और यह वित्त वर्ष 16 के बाद सबसे अधिक है। इस साल फरवरी के अंत में आने वाले वित्त वर्ष 24 के प्राथमिक डेटा में निजी सेक्टर का निवेश की जीडीपी का 12.5 प्रतिशत हो सकता है।बाह्य वाणिज्यिक उधार भारतीय कंपनियों की फंडिंग का मुख्य सोर्सबाह्य वाणिज्यिक उधार (ईसीबी) भारतीय कंपनियों की फंडिंग का मुख्य सोर्स है। सितंबर 2024 तक 190.4 अरब डॉलर के ईसीबी बकाया थे। इसमें पिछली तिमाही के मुकाबले वृद्धि देखने को मिली है। इसमें नॉन-रुपी और नॉन-एफडीआई घटकों की हिस्सेदारी 155 अरब डॉलर थी। इसे हेजिंग के जरिए अधिक स्थिरता मिलती है। इन उधारों में निजी कंपनियों की हिस्सेदारी 63 प्रतिशत (97.58 अरब डॉलर) है। इसमें से 74 प्रतिशत एक्सपोजर हेज है। वहीं, सरकारी कंपनियों की इसमें हिस्सेदारी 37 प्रतिशत (55.5 अरब डॉलर) है।सितंबर 2024 तक कुल ईसीबी का दो-तिहाई हिस्सा हेज किया जा चुका हैसितंबर 2024 तक कुल ईसीबी का दो-तिहाई हिस्सा हेज किया जा चुका है, जो दो साल पहले 55 प्रतिशत था। अनहेज्ड हिस्से में से कुछ सरकारी गारंटी द्वारा समर्थित हैं, जबकि अन्य नेचुरल हेज से लाभान्वित होते हैं, जहां उधारकर्ता विदेशी मुद्रा में कमाते हैं। रिपोर्ट में कहा गया है कि सितंबर 2024 तक नेचुरल हेज अनहेज्ड ईसीबी का लगभग 1.5 प्रतिशत था। -
नयी दिल्ली. प्रमुख वाहन विनिर्माता कंपनी मारुति सुजुकी इंडिया लिमिटेड (एमएसआईएल) ने अपने ब्रेजा मॉडल के लिए अभिनेता कार्तिक आर्यन को ब्रांड एम्बेसडर बनाया है। कंपनी ने मंगलवार को यह जानकारी दी। एमएसआईएल के वरिष्ठ कार्यकारी अधिकारी (विपणन एवं बिक्री) पार्थो बनर्जी ने यहां भारत मंडपम में वाहन प्रदर्शनी भारत मोबिलिटी ऑटो एक्सपो-2025 में कहा कि हम ऐसी कहानी बनाना चाहते थे जो हमारे ग्राहकों से जुड़ सके। इलेक्ट्रिक वाहन (ईवी) पर उन्होंने कहा, ‘‘इससे कार्बन उत्सर्जन में कमी लाई जा सकती है। हमें इस खंड में उतरने से पहले परिवेश तैयार करना होगा और फिर उसके बाद हम इस खंड में उत्पाद बेचेंगे।'' उन्होंने कहा, ‘‘ब्रेजा ने 12 लाख से ज्यादा इकाइयां बेचकर खुद को भारत की सबसे ज्यादा बिकने वाली कॉम्पैक्ट स्पोर्ट्स यूटिलिटी वाहन (एसयूवी) के रूप में स्थापित किया है। उल्लेखनीय रूप से, हमारे 36 प्रतिशत से ज्यादा ग्राहक पहली बार कार खरीद रहे हैं, जो युवा महत्वाकांक्षी भारतीयों के बीच ब्रेजा की मजबूत अपील को बताता है।''
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मुंबई. केंद्रीय सड़क परिवहन मंत्री नितिन गडकरी ने मंगलवार को कहा कि इस्पात और सीमेंट उद्योग के बीच ‘साठगांठ' देश और इसके बुनियादी ढांचे के विकास के लिए एक बड़ी समस्या है। बुनियादी ढांचे के विकास के लिए महत्वपूर्ण इन दोनों क्षेत्रों में बहुत कम कंपनियां हैं और ये साठगांठ के साथ काम करती हैं। उन्होंने यहां आईसीईआरपी 2025 को संबोधित करते हुए कहा, ''इस्पात और सीमेंट उद्योग कुछ लोगों के हाथों में हैं। वे हमेशा दरें तय करते हैं। उनके बीच साठगांठ देश के लिए एक बड़ी समस्या है।'' केंद्रीय मंत्री ने कहा कि फाइबर-प्रबलित प्लास्टिक (एफआरपी) इस्पात और सीमेंट कंपनियों की पकड़ को तोड़ने के लिए एक अच्छा विकल्प बन सकती हैं। उन्होंने इसके लिए हर संभव मदद की पेशकश की। उन्होंने कहा, ''वैकल्पिक सामग्री बनाने के लिए आपका समर्थन करने में मेरा काफी हित है।''
गडकरी ने एफआरपी कंपनियों से अपनी कीमतें कम करने का आग्रह किया ताकि अंतिम लागत अन्य स्थापित विकल्पों की तुलना में 20-25 प्रतिशत कम हो। मंत्री ने कहा कि एफआरपी का उपयोग बुनियादी ढांचे, विमानन, शिपिंग, सड़क निर्माण और मेट्रो रेल जैसे कई क्षेत्रों में किया जा सकता है। उन्होंने एफआरपी उद्योग के प्रतिभागियों से कहा कि यदि आप इस्पात की तुलना में दर को 20-25 प्रतिशत कम कर सकते हैं, तो यह देश के लिए वास्तव में अच्छी बात हो सकती है। -
महाकुंभ नगर. अदाणी समूह के चेयरमैन गौतम अदाणी मंगलवार को अपनी पत्नी प्रीति अदाणी के साथ महाकुंभ में आए और उन्होंने मीडिया से कहा कि उनका समूह उत्तर प्रदेश में अधिक से अधिक निवेश करने के लिए प्रतिबद्ध है। उन्होंने कहा, “उत्तर प्रदेश में भारी अवसर मौजूद हैं और प्रदेश सरकार विकास को लेकर जिस दिशा में काम कर रही है, उसमें अदाणी समूह का निरंतर योगदान रहेगा। अदाणी समूह उत्तर प्रदेश में अधिक से अधिक निवेश करने को लेकर प्रतिबद्ध है।” अदाणी ने महाकुंभ के अनुभव के बारे में कहा, “यहां की भव्यता और व्यवस्था के लिए मैं प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को देशवासियों की तरफ से धन्यवाद देता हूं।” उन्होंने कहा, “इस मेले में करोड़ों लोग आते हैं और यहां सफाई और अन्य व्यवस्थाएं मैनेजमेंट इंस्टीट्यूट और कॉरपोरेट हाउस के लिए शोध का विषय है। यहां आकर बहुत अद्भुत अनुभव हुआ।” प्रयागराज की यात्रा को लेकर अदाणी ने 'एक्स' पर लिखा, “अद्भुत, अद्वितीय एवं अलौकिक। प्रयागराज आकर ऐसा लगा मानो पूरी दुनिया की आस्था, सेवाभाव और संस्कृतियां यहीं मां गंगा की गोद में आकर समाहित हो गई हैं।” उद्योगपति ने अपने पोस्ट में लिखा, “कुंभ की भव्यता और दिव्यता सजीव बनाए रखने वाले सभी साधु, संत, कल्पवासी एवं श्रद्धालुओं की सेवा में तत्पर शासन-प्रशासन, सफाई कर्मियों और सुरक्षाबलों को मैं ह्रदय से धन्यवाद देता हूं। मां गंगा का आशीर्वाद हम सभी पर बना रहे।” अदाणी ने इस पोस्ट में महाप्रसाद बनाते हुए और इसका वितरण करते हुए अपनी फोटो और मटर छीलते हुए अपनी पत्नी की फोटो भी साझा की। अदाणी समूह के एक अधिकारी ने बताया कि गौतम अदाणी ने अपनी पत्नी और अदाणी फाउंडेशन की चेयरपर्सन प्रीति अदाणी के साथ गंगा में स्नान किया और पूजा अर्चना भी की। उन्होंने गंगा तट पर स्थित शंकर विमान मंडपम मंदिर में माथा टेका और हनुमान जी के दर्शन और पूजन किया। उल्लेखनीय है कि अदाणी समूह ने महाकुंभ मेले में प्रसाद वितरण के लिए इस्कॉन के साथ गठबंधन कर रखा है और गौतम अदाणी प्रसाद वितरण सेवा में सहभागी बनने के लिए प्रयागराज आए थे।
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नयी दिल्ली. करदाता मार्च का महीना करीब आते ही अक्सर कर बचाने वाले विभिन्न विकल्पों की तलाश में जुट जाते हैं, लेकिन विभिन्न विकल्पों के साथ यह जानना भी जरूरी है कि कर बचत की कौन सी योजना रिटर्न और जरूरत पड़ने पर तुरंत नकदी उपलब्ध कराने के मामले में बेहतर है। कर विशेषज्ञों का कहना है कि आयकर कानून की धारा 80सी के तहत शामिल किए गए कर बचत वाले विकल्पों में से ‘इक्विटी लिंक्ड सेविंग स्कीम' (ईएलएसएस) कहीं बेहतर विकल्प है। कर विशेषज्ञों का यह भी कहना है कि कर बोझ कम करने के लिए व्यक्ति को धारा 80सी के तहत 1.5 लाख रुपये की बचत करने के अलावा 80 डी (स्वास्थ्य बीमा) और धारा 80सीसीडी के तहत एनपीएस का भी लाभ उठाना चाहिए। राष्ट्रीय पेंशन प्रणाली (एनपीएस) में 50,000 रुपये के योगदान पर अतिरिक्त कर छूट का दावा किया जा सकता है। एनपीएस, ईएलएसएस, राष्ट्रीय बचत पत्र (एनएससी) एवं जीवन बीमा पॉलिसी (एलआईसी) जैसी विभिन्न कर बचत योजनाओं में से बेहतर विकल्प के बारे में पूछे जाने पर आनंद राठी वेल्थ लि. के उपाध्यक्ष चिंतक शाह ने कहा, ‘‘अगर आयकर कानून की धारा 80सी के तहत कर लाभ का दावा करने की बात आती है, तो मेरी पसंद इक्विटी लिंक्ड सेविंग्स स्कीम (ईएलएसएस) है।'' शाह ने कहा, ‘‘इसके दो प्रमुख कारण हैं...पहला, ईएलएसएस निवेश सीधे शेयर बाजारों से जुड़ा होता है और इसने ऐतिहासिक रूप से सालाना लगभग 11 से 12 प्रतिशत का दीर्घकालिक रिटर्न दिया है। दूसरा, ईएलएसएस के तहत ‘लॉक इन अवधि' केवल तीन साल की है। यानी तीन साल बाद आप अपनी राशि निकाल सकते हैं।'' उन्होंने कहा, ‘‘यह सुविधा निवेशकों को उपभोग जरूरतों के लिए अपनी निवेश राशि को निकालने या धारा 80सी के तहत लाभ उठाने के लिए एक नए ईएलएसएस में फिर से निवेश करने की अनुमति देती है। इस प्रकार, धन सृजन और कर दक्षता की क्षमता का यह मेल ईएलएसएस को एक आकर्षक विकल्प बनाता है।'' इस बारे में परामर्श कंपनी टैक्स कनेक्ट एडवाइजरी सर्विसेज एलएलपी में साझेदार विवेक जालान ने कहा, ‘‘निवेश विकल्प का चुनाव व्यक्ति के जोखिम लेने की क्षमता, जरूरत और लक्ष्य पर निर्भर करता है। जहां एनएससी, पीपीएफ जैसे उत्पादों पर ब्याज निश्चित होता है और इसकी घोषणा सरकार हर तीन महीने पर करती है, वहीं ईएलएसएस जैसे उत्पाद पर रिटर्न निश्चित नहीं है और उनका प्रदर्शन बाजार की स्थिति पर निर्भर करता है।'' उल्लेखनीय है कि 80सी के तहत आने वाले निवेश एवं बचत उत्पादों में ईएलएसएस, पीपीएफ (सार्वजनिक भविष्य निधि), सुकन्या समृद्धि योजना, एनएससी, जीवन बीमा आदि शामिल हैं। वहीं एनपीएस धारा 80सीसीडी के तहत आता है। पीपीएफ की ‘लॉक इन अवधि '15 साल है, जबकि एनएससी का ‘लॉक इन' समय पांच साल है। वहीं सुकन्या समृद्धि योजना के तहत ‘लॉक इन अवधि बच्ची के 18 साल पूरे होने तक तथा एलआईसी परिपक्वता अवधि तक होती है। अगर ब्याज और रिटर्न की बात की जाए तो पीपीएफ पर यह फिलहाल 7.1 प्रतिशत और एनएससी पर 7.70 प्रतिशत है। सुकन्या समृद्धि योजना के लिए 8.2 प्रतिशत और एलआईसी के मामले में यह पांच से छह प्रतिशत के आसपास बैठता है। धारा 80सी के अलावा अन्य कर बचत उपायों के बारे में पूछे जाने पर शाह ने कहा, ‘‘करदाता धारा 80सीसीडी (1बी) के तहत एनपीएस में 50,000 रुपये का योगदान करके, अतिरिक्त कर छूट का दावा कर सकते हैं। इससे उनकी कर योग्य आय और कम हो जाएगी।'' उन्होंने यह भी कहा कि हालांकि एनपीएस में निवेश लंबी अवधि के लिए होने से इसमें पूर्ण तरलता यानी नकदी का अभाव है। इसलिए व्यक्तियों को इसे अपनाने से पहले इस विकल्प का सोच-विचारकर मूल्यांकन करना चाहिए। इस बारे में जालान ने कहा, ‘‘एनपीएस में निवेश करने से व्यक्ति को 50,000 रुपये तक की अतिरिक्त कर बचत करने में मदद मिलती है। यह नई एवं पुरानी कर व्यवस्था के तहत आने वाले करदाताओं, कर्मचारियों और स्वरोजगार में लगे लोगों के लिए प्रमुख कर बचत योजनाओं में से एक है।'' उन्होंने कहा कि एनपीएस से आंशिक निकासी की सुविधा है जो निर्धारित परिस्थितियों और मानदंडों पर निर्भर करती है। साथ ही निकाली गई राशि स्व-अंशदान के 25 प्रतिशत तक होने पर कर छूट के लिए पात्र है। इसके अलावा 60 वर्ष या सेवानिवृत्ति तक पहुंचने पर एकत्रित एनपीएस कोष के 60 प्रतिशत की एकमुश्त निकासी पर कर छूट भी मिलती है। शेष 40 प्रतिशत राशि से पेंशन उत्पाद खरीदना होता है। अगर रिटर्न की बात की जाए तो पेंशन कोष विनियामक एवं विकास प्राधिकरण (पीएफआरडीए) के मुताबिक, एनपीएस के तहत इक्विटी में निवेश पर शुरू से लेकर अबतक 12 प्रतिशत से अधिक का रिटर्न मिला है। वहीं एनपीएस से सरकारी कर्मचारियों के मामले में रिटर्न 9.4 प्रतिशत तक मिला है। एक सवाल के जवाब में शाह ने कहा कि यह सुनिश्चित करना महत्वपूर्ण है कि करदाता सभी पात्र कटौतियों का पूरा उपयोग करे। पुरानी कर व्यवस्था को चुनने वालों के लिए इसमें धारा 80सी और 80डी (स्वास्थ्य बीमा और एहतियाती स्वास्थ्य देखभाल) के तहत अधिकतम कटौती शामिल है। इसके अलावा करदाता हाल में पूंजी बाजार में आई गिरावट से हुए नुकसान का भी दावा अपने रिटर्न में कर सकते हैं। इससे उन्हें अन्य पूंजीगत लाभ पर कर देनदारी कम करने में मदद मिल सकती है।
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नयी दिल्ली. बैटरी भंडारण और पुनर्चक्रण गतिविधियों के लिए समर्पित ‘भारत बैटरी शो' के पहले दिन आगंतुकों की संख्या दोगुनी से भी अधिक होकर 10,000 से ज्यादा रही है। इस समय चल रहे ‘भारत मोबिलिटी ग्लोबल एक्सपो 2025' के हिस्से के तौर पर तीन-दिवसीय 'भारत बैटरी शो' की शुरुआत रविवार को हुई। इसका आयोजन उद्योग निकाय 'इंडिया एनर्जी स्टोरेज अलायंस' (आईईएसए) कर रहा है। एक बयान के मुताबिक, बैटरी शो के पहले दिन 10,000 आगंतुक इसे देखने के लिए आए जबकि पिछले साल आयोजित पहले भारत बैटरी शो में पहले दिन 4,500 से अधिक आगंतुक आए थे। इसके मौजूदा संस्करण में 100 से अधिक कंपनियों एवं संगठनों ने बैटरी निर्माण और चार्जिंग बुनियादी ढांचे में नवीनतम उन्नत प्रौद्योगिकी को प्रदर्शित किया। भारत बैटरी शो में वाणिज्य एवं उद्योग, भारी उद्योग, विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी और नवीन एवं नवीकरणीय ऊर्जा सहित विभिन्न सरकारी मंत्रालयों के कई अधिकारियों ने शिरकत की। आईईएसए के अध्यक्ष देबी प्रसाद दास ने बयान में कहा कि भारत बैटरी शो उद्योग एवं सरकार के बीच सहयोग के एक महत्वपूर्ण मंच के रूप में कार्य करता है। यह भारतीय एवं वैश्विक हितधारकों के बीच व्यापार एवं विकास के नए अवसर पैदा करता है।
- नयी दिल्ली. इलेक्ट्रिक वाहन (ईवी) विनिर्माता वेव मोबिलिटी ने शनिवार को अपना सौर ऊर्जा से चलने वाले इलेक्ट्रिक वाहन ‘एवा' को 3.25 लाख रुपये की शुरुआती कीमत में पेश किया। तीन सीट वाले इस इलेक्ट्रिक वाहन को यहां आयोजित ‘भारत मोबिलिटी ग्लोबल एक्सपो 2025' में पेश किया गया। किफायती एवं छोटे आकार की ईवी मुहैया कराने के मकसद से विकसित इस वाहन को कंपनी ने तीन संस्करणों में पेश किया है। हालांकि शुरुआती 25,000 वाहनों की बुकिंग के लिए ही कंपनी ने यह खास कीमत रखी है। इस अवसर पर वेव मोबिलिटी के सह-संस्थापक एवं मुख्य कार्यपालक अधिकारी नीलेश बजाज ने कहा कि कंपनी इसका वाणिज्यिक उत्पादन अगले साल के मध्य से शुरू करना चाहती है। उन्होंने यह भी कहा कि वाहनों की आपूर्ति वर्ष 2026 की दूसरी छमाही में शुरू हो जाएगी। हालांकि इच्छुक ग्राहक इसकी प्री-बुकिंग अभी से कर सकते हैं। कंपनी के मुख्य परिचालन अधिकारी विलास देशपांडे ने कहा कि शुरुआत में इस वाहन को पुणे एवं बेंगलुरु जैसे चुनिंदा शहरों में उपलब्ध कराया जाएगा। उन्होंने कहा, "हम इसे देश के अन्य हिस्सों में चरणबद्ध ढंग से पेश करेंगे।
- नयी दिल्ली. जेएसडब्ल्यू एमजी मोटर इंडिया ने शनिवार को भारत में डी-खंड के पहले स्पोर्ट्स यूटिलिटी वाहन (एसयूवी) एमजी मैजेस्टर का अनावरण किया। वाहनों के आकार के आधार पर तय होने वाला डी-खंड एक मध्यम आकार का वाहन होता है जो कॉम्पैक्ट कारों से बड़ा लेकिन बड़े आकार वाली कारों से छोटा होता है। कंपनी ने कहा कि मैजेस्टर मॉडल एक नया डी-खंड का एसयूवी है, जिसमें शहरी और ऑफ-रोड ड्राइविंग की स्थितियों के लिए व्यापक आयाम हैं। इसके अलावा कंपनी ने आईएम5, आईएम6, एमजी एचएस और एमजी7 ट्रॉफी संस्करण सहित नौ वैश्विक मॉडलों की शृंखला भी प्रदर्शित की। आईएम5 एक लक्जरी सेडान है जबकि आईएम6 एक पूर्ण इलेक्ट्रिक एसयूवी है।जेएसडब्ल्यू एमजी मोटर इंडिया ने सीएएसई (कनेक्टेड, ऑटोनोमस, शेयर्ड और इलेक्ट्रिक) प्रौद्योगिकी में अपनी दक्षता के रूप में नए युग की प्रौद्योगिकी प्रदर्शित की हैं। इस अवसर पर जेएसडब्ल्यू एमजी मोटर इंडिया के मानद मुख्य कार्यपालक अधिकारी (सीईओ) राजीव छाबा ने कहा, “हम एक्सपो में ‘सीएएसई' प्रौद्योगिकियों में अपनी अग्रणी पहलों को प्रदर्शित करने के लिए उत्साहित हैं, जो परिवहन के भविष्य को आकार देने के लिए हमारी प्रतिबद्धता दर्शाता है। हमारा दृष्टिकोण परिवहन को एक टिकाऊ, कनेक्टेड और ग्राहक-केंद्रित अनुभव में बदलने के लिए उन्नत प्रौद्योगिकी का फायदा उठाने पर आधारित है।” कंपनी ने हाइब्रिड इलेक्ट्रिक वाहन (एचईवी), प्लग-इन हाइब्रिड इलेक्ट्रिक वाहन (पीएचईवी), बैटरी इलेक्ट्रिक वाहन (बीईवी) और परंपरागत दहन इंजन (आईसीई) मॉडल सहित कई पावरट्रेन विकल्पों का प्रदर्शन किया है।
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नई दिल्ली। अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (IMF) ने अपनी वर्ल्ड इकोनॉमिक आउटलुक (WEO) रिपोर्ट में कहा है कि भारत की अर्थव्यवस्था 2025 और 2026 में मजबूत 6.5 प्रतिशत आर्थिक विकास की दर से बढ़ने की उम्मीद है। आईएमएफ की यह भविष्यवाणी ऐसे समय आई है जब विश्व बैंक ने अगले वित्तीय वर्ष में भारत की अर्थव्यवस्था के 6.7 प्रतिशत की दर से बढ़ने का अनुमान लगाया है।
आईएमएफ के मुताबिक वैश्विक अर्थव्यवस्था स्थिर है लेकिन देशों के बीच विकास दर में बड़ा अंतर है। वैश्विक जीडीपी वृद्धि 2024 की तीसरी तिमाही में 0.1 प्रतिशत कम रही जो पिछले अक्टूबर के अनुमान से नीचे है। एशिया और यूरोप के कुछ देशों में कमजोर आर्थिक आंकड़ों के कारण यह गिरावट देखी गई। आईएमएफ के मुख्य अर्थशास्त्री पियरे-ओलिवियर गोरिंचास ने कहा, “वैश्विक विकास इस साल और अगले साल 3.3 प्रतिशत पर स्थिर रहने का अनुमान है। महामारी के बाद संभावित विकास दर कमजोर रही है। महंगाई में लगातार गिरावट हो रही है और यह इस साल 4.2 प्रतिशत और अगले साल 3.5 प्रतिशत तक आ सकती है।”अमेरिका की अर्थव्यवस्था मजबूत घरेलू मांग के चलते उम्मीद से बेहतर प्रदर्शन कर रही है, जबकि यूरोप को ऊर्जा की ऊंची कीमतों और धीमे विकास का सामना करना पड़ रहा है। वहीं उभरते बाजारों में चीन धीरे-धीरे रिकवरी कर रहा है। आईएमएफ ने कहा कि मौद्रिक नीतियों में बदलाव और महंगाई घटाने की प्रक्रिया में रुकावट से वित्तीय स्थिरता पर असर पड़ सकता है। नीतिगत स्थिरता बनाए रखने और महंगाई पर नियंत्रण के लिए केंद्रीय बैंकों को सतर्क रहना होगा। भारत में, आरबीआई की अगली बैठक पर सबकी नजर है क्योंकि महंगाई में कमी के चलते ब्याज दरों में कटौती की संभावना है।विश्व बैंक ने भी कहा है कि भारत की सेवा क्षेत्र की वृद्धि जारी रहेगी और सरकार द्वारा विनिर्माण क्षेत्र को बढ़ावा देने के प्रयास आर्थिक विकास को मजबूती देंगे। अगले दो वित्तीय वर्षों में भारत की विकास दर 6.7 प्रतिशत रहने का अनुमान है। -
नई दिल्ली। एसबीआई लाइफ इंश्योरेंस ने अक्टूबर-दिसंबर 2024 तिमाही में 551 करोड़ रुपए का शुद्ध मुनाफा दर्ज किया, जो पिछले साल की समान तिमाही के 321.75 करोड़ रुपए के मुनाफे से 71% अधिक है। कंपनी ने शेयर बाजार को दी गई जानकारी में बताया कि इस अवधि में प्रीमियम से शुद्ध आय 11% बढ़कर 24,827.54 करोड़ रुपए हो गई, जो एक साल पहले 22,316.47 करोड़ रुपए थी।
अप्रैल-दिसंबर 2024 अवधि यानि कि वित्त वर्ष 2025 के पहले 9 महीनों के वित्तीय आंकड़ों की बात करें तो इस दौरान SBI Life Insurance Company का शुद्ध मुनाफा सालाना आधार पर 48 प्रतिशत की वृद्धि के साथ 16 अरब रुपए हो गया। एक साल पहले यह 10.8 अरब रुपए था। इस बीच ग्रॉस रिटिन प्रीमियम एक साल पहले के 561.9 अरब रुपए की तुलना में 9 प्रतिशत बढ़कर 609.8 अरब रुपए हो गया।एसबीआई लाइफ के शेयर में तेजी17 जनवरी को SBI Life के शेयरों में तेजी है। बीएसई पर कीमत दिन में पिछले बंद भाव से 2.7 प्रतिशत तक उछलकर 1555.55 रुपए तक गई। कंपनी का मार्केट कैप 1.5 लाख करोड़ रुपए है। शेयर एक सप्ताह में 4 प्रतिशत चढ़ा है। कंपनी में दिसंबर 2024 के आखिर तक प्रमोटर्स के पास 55.38 प्रतिशत हिस्सेदारी थी। -
नयी दिल्ली। लक्जरी कार विनिर्माता बीएमडब्ल्यू इंडिया ने शुक्रवार को स्थानीय रूप से विनिर्मित अपना पहला इलेक्ट्रिक वाहन 'एक्स1' पेश किया जिसकी शुरुआती कीमत 49 लाख रुपये है।इस प्रीमियम एसयूवी को यहां आयोजित 'भारत मोबिलिटी ग्लोबल एक्सपो 2025' में पेश किया गया। बीएमडब्ल्यू एक्स1 लॉन्ग व्हीलबेस ऑल इलेक्ट्रिक मॉडल का उत्पादन बीएमडब्ल्यू ग्रुप के चेन्नई स्थित संयंत्र में स्थानीय रूप से किया गया है। इस मौके पर बीएमडब्ल्यू ग्रुप इंडिया के अध्यक्ष विक्रम पावा ने कहा, "यह नए भारत की बढ़ती आकांक्षाओं के लिए एकदम सही प्रीमियम एसयूवी है। बीएमडब्ल्यू की पहली 'मेक इन इंडिया' ईवी के रूप में एक्स1 लॉन्ग व्हीलबेस नवाचार और उत्कृष्टता के एक नए युग की शुरुआत करती है।" उन्होंने कहा कि बीएमडब्ल्यू इंडिया छोटी वित्तीय योजनाओं और नई सेवाओं के साथ एक व्यापक ईवी परिवेश के जरिये एक समग्र समाधान पेश कर रही है।
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नयी दिल्ली। वाहन कंपनी किआ इंडिया ने शुक्रवार को अपनी इलेक्ट्रिक एसयूवी ईवी6 का नया और उन्नत संस्करण प्रदर्शित किया।कंपनी ने यहां आयोजित 'भारत मोबिलिटी ग्लोबल एक्सपो 2025' में इस नवीनतम संस्करण को पेश किया। नई ईवी6 में डिजाइन, सुविधाएं और प्रदर्शन के मोर्चे पर बड़े सुधार का दावा किया गया है । नए मॉडल की बुकिंग शुक्रवार को शुरू हो गई जबकि कीमत का खुलासा मई, 2025 में किया जाएगा।इस इलेक्ट्रिक वाहन में 84 किलोवाट घंटा क्षमता वाली बैटरी है जिसकी रेंज 650 किलोमीटर से अधिक है। इसका फास्ट चार्जर 18 मिनट में ही 10 से 80 प्रतिशत तक चार्ज कर सकता है। किआ इंडिया के प्रबंध निदेशक एवं मुख्य कार्यपालक अधिकारी ग्वांगू ली ने कहा, "नयी ईवी6 के साथ हम भारतीय उपभोक्ताओं को पर्यावरण के प्रति जागरूक, अगली पीढ़ी की तकनीक की पेशकश करने में एक साहसिक कदम उठा रहे हैं।"