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- नयी दिल्ली.दक्षिण कोरिया की इलेक्ट्रॉनिक कंपनी सैमसंग ने फाउंडेशन फॉर इनोवेशन एंड टेक्नोलॉजी ट्रांसफर (एफआईटीटी), आईआईटी दिल्ली, इलेक्ट्रॉनिक्स व सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय और भारत में संयुक्त राष्ट्र के साथ रणनीतिक साझेदारी के तहत प्रमुख सीएसआर पहल ‘सॉल्व फॉर टुमॉरो' के तीसरे संस्करण के विजेताओं की घोषणा की है। प्रेस विज्ञप्ति के अनुसार, असम के गोलाघाट के इको टेक इनोवेटर का दल इसका विजेता रहा। उसने पीने योग्य पानी तथा उसकी स्वच्छता तक समान पहुंच सुनिश्चित करने पर एक प्रौद्योगिकी मॉडल पेश किया था। वहीं कर्नाटक के उडुपी की एमईटीएएल ने भूजल से आर्सेनिक हटाने के लिए एक प्रौद्योगिकी विकसित की। सैमसंग साउथवेस्ट एशिया के अध्यक्ष एवं मुख्य कार्यपालक अधिकारी (सीईओ) जे बी पार्क और भारत में संयुक्त राष्ट्र के रेजिडेंट कोऑर्डिनेटर शोम्बी शार्प ने इन दलों को प्रमाण पत्र और ‘ट्रॉफी' प्रदान की। जे बी पार्क ने कहा, ‘‘ हमारी प्रमुख कॉर्पोरेट सामाजिक उत्तरदायित्व (सीएसआर) पहल के जरिये हमारा लक्ष्य युवा सोच-समझ को सशक्त बनाना है। उन्हें आवश्यक उपकरण, मार्गदर्शन तथा अवसर प्रदान करना है, जिससे वे अपने समुदाय तथा पर्यावरण की गंभीर चुनौतियों का समाधान कर सकें।'' इस प्रतियोगिता के आखिरी दौर के लिए 22 छात्रों के 10 दलों का चयन किया गया था। इन्हें ‘समुदाय व समावेश' तथा ‘पर्यावरण तथा स्थिरता' पर आधारित विषयों पर अपने विचार प्रस्तुत करने थे। निर्णायक मंडल के समक्ष इनके मॉडल पेश करने थे। निर्णायक मंडल में आईआईटी दिल्ली, इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय तथा सैमसंग अनुसंधान व विकास के सदस्य शामिल थे।
- नयी दिल्ली। नीति आयोग के पूर्व मुख्य कार्यपालक अधिकारी (सीईओ) अमिताभ कांत ने सोमवार को कहा कि भारत को 2030 तक 750 गीगावाट नवीकरणीय ऊर्जा क्षमता का लक्ष्य रखना चाहिए और स्वच्छ ऊर्जा निर्यातक बनना चाहिए। कांत ने यहां एक गोलमेज चर्चा में कहा कि स्वच्छ ऊर्जा के लिए वैश्विक कोष की कोई कमी नहीं है, लेकिन भारत को नवीकरणीय ऊर्जा परियोजनाओं के लिए निजी निवेश आकर्षित करने को एस्क्रो खातों जैसी मजबूत वित्तीय प्रणाली स्थापित करने की जरूरत है। उन्होंने जोर देकर कहा कि यह बहुत महत्वपूर्ण है कि भारत रूस-यूक्रेन युद्ध, पश्चिम एशिया संघर्ष और अमेरिका तथा यूरोपीय देशों से व्यापार बाधाओं सहित कई वैश्विक संकट के बीच अपने एजेंडा को आगे बढ़ाने में सक्षम हो। कांत ने कहा कि भारत का एजेंडा एकदम स्पष्ट होना चाहिए कि हम 180 अरब डॉलर मूल्य के जीवाश्म ईंधन के आयातक हैं, और हमें स्वच्छ ऊर्जा का निर्यातक बनना चाहिए। उन्होंने कहा कि देश को 500 गीगावाट क्षमता से आगे बढ़कर 750 गीगावाट नवीकरणीय ऊर्जा क्षमता तक पहुंचने का लक्ष्य तय करना चाहिए।
- नयी दिल्ली. भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) के अंतरिक्ष मिशन को पांच दशक से अधिक समय तक सहयोग प्रदान करने के बाद, भारत की सबसे बड़ी इंजीनियरिंग कंपनी लार्सन एंड टूब्रो (एलएंडटी) ने अब अंतरराष्ट्रीय बाजार, विशेष रूप से अगले अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन (आईएसएस) पर अपनी नजरें टिका दी हैं। एलएंडटी पहले जेफ बेजोस की ब्लू ओरिजिन के साथ कक्षीय प्रक्षेपण क्षमता और अंतरिक्ष में रहने से जुड़ी सामग्री की आपूर्ति के लिए बातचीत कर रही थी, लेकिन उसमें कुछ समस्या आ गई। एलएंडटी प्रिसिजन इंजीनियरिंग एंड सिस्टम्स के उपाध्यक्ष विकास खिता ने कहा, ‘‘अब यह बातचीत नासा के साथ की जा रही है। इसलिए, हमें उम्मीद है कि जब अमेरिका को अपने अगले अंतरिक्ष स्टेशन की आवश्यकता होगी, तो भारतीय कंपनियां आपूर्ति श्रृंखला में भूमिका निभाएंगी।'' जियोस्पेशियल वर्ल्ड द्वारा आयोजित उद्योग सम्मेलन के अवसर पर खिता ने कहा कि कंपनी स्पेस पोर्ट, स्पेस पार्क और विनिर्माण क्लस्टर के निर्माण में भी रुचि रखती है। उन्होंने कहा कि इन क्षेत्रों को 2020 में सरकार द्वारा अंतरिक्ष क्षेत्र को निजी भागीदारी के लिए खोलने के बाद बढ़ावा मिलने की उम्मीद है। उन्होंने कहा, ‘‘व्यावसायिक दृष्टि से, हम 2033 तक अंतरिक्ष अर्थव्यवस्था के कारोबार में पांच गुना वृद्धि की उम्मीद कर रहे हैं।'' एलएंडटी, इसरो की हर परियोजना के लिए उपकरणों के उत्पादन में शामिल रही है, जिसमें चंद्रयान, गगनयान और मंगल ऑर्बिटर मिशन शामिल हैं। हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड-एलएंडटी कंसोर्टियम पांच ध्रुवीय उपग्रह प्रक्षेपण यान (पीएसएलवी) का भी निर्माण कर रहा है।
- नयी दिल्ली. ऑनलाइन ऑर्डर पर खानपान के उत्पाद पहुंचाने वाली कंपनी जोमैटो के मुख्य कार्यपालक अधिकारी (सीईओ) दीपिंदर गोयल ने रविवार को कहा कि मॉल को ‘डिलीवरी पार्टनर (ऑर्डर पर खान-पान के उत्पाद पहुंचाने वाले प्रतिनिधि) के प्रति अधिक मानवीय' होने की जरूरत है। उन्होंने जोमैटो के लिए ऑर्डर लेने वाले डिलीवरी प्रतिनिधि के रूप में अपने अनुभव को साझा किया।सोशल मीडिया पोस्ट पर अपना अनुभव साझा करते हुए गोयल ने कहा, “अपने दूसरे ऑर्डर के दौरान, मुझे एहसास हुआ कि हमें सभी डिलीवरी साझेदारों के लिए काम करने की स्थिति को बेहतर बनाने के लिए मॉल के साथ मिलकर काम करने की जरूरत है। ...और मॉल को भी डिलीवरी साझेदारों के प्रति ज़्यादा मानवीय होने की ज़रूरत है। आप क्या सोचते हैं?” उन्होंने अपना अनुभव साझा करते हुए एक वीडियो भी पोस्ट किया।उन्होंने कहा, हम हल्दीराम से ऑर्डर लेने गुरुग्राम के एंबियंस मॉल पहुंचे। हमें दूसरे प्रवेश द्वार से जाने के लिए कहा गया, लेकिन बाद में पता चला कि वे मुझे सीढ़ियों से जाने के लिए कह रहे हैं। डिलीवरी पार्टनर के लिए कोई लिफ्ट तो नहीं है, यह सुनिश्चित करने के लिए हम फिर से मुख्य प्रवेश द्वार से अंदर गए।” गोयल ने कहा कि वह सीढ़ियों से तीसरी मंजिल पर गए तो उन्हें पता चला कि डिलीवरी साझेदार मॉल में प्रवेश नहीं कर सकते और उन्हें ऑर्डर प्राप्त करने के लिए सीढ़ियों पर इंतजार करना पड़ता है। जोमैटो के सीईओ ने कहा, “अपने साथी डिलीवरी साझेदारों के साथ मौज-मस्ती की और उनसे बहुमूल्य प्रतिक्रियाएं भी प्राप्त कीं। उन्होंने कहा कि जब सीढ़ी के सुरक्षाकर्मी वहां से हटे तो वह अंततः ऑर्डर लेने के लिए अंदर घुसने में सफल हो गए।
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मुंबई. भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) की इस सप्ताह होने वाली द्विमासिक मौद्रिक नीति समीक्षा बैठक में प्रमुख ब्याज दर रेपो में कटौती की संभावना नहीं है। विशेषज्ञों ने यह राय जताई है। उनका कहना है कि खुदरा मुद्रास्फीति अब भी चिंता का विषय बनी हुई है, तथा पश्चिम एशिया संकट के और बिगड़ने की संभावना है, जिसका असर कच्चे तेल और जिंस कीमतों पर पड़ेगा। इस महीने की शुरुआत में सरकार ने भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) की दर-निर्धारण समिति - मौद्रिक नीति समिति (एमपीसी) का पुनर्गठन किया। इसमें तीन नए नियुक्त बाहरी सदस्यों के साथ पुनर्गठित समिति सोमवार को अपनी पहली बैठक शुरू करेगी। एमपीसी के चेयरमैन आरबीआई गवर्नर शक्तिकान्त दास बुधवार (नौ अक्टूबर) को तीन दिन की बैठक के नतीजों की घोषणा करेंगे। भारतीय रिजर्व बैंक ने फरवरी, 2023 से रेपो दर को 6.5 प्रतिशत पर यथावत रखा है। विशेषज्ञों का मानना है कि दिसंबर में ही इसमें कुछ ढील की गुंजाइश है। सरकार ने केंद्रीय बैंक को यह सुनिश्चित करने का काम सौंपा है कि उपभोक्ता मूल्य सूचकांक (सीपीआई) आधारित खुदरा मुद्रास्फीति चार प्रतिशत (दो प्रतिशत ऊपर या नीचे) पर बनी रहे। वर्तमान परिप्रेक्ष्य में, विशेषज्ञों का मानना है कि आरबीआई संभवतः अमेरिकी फेडरल रिजर्व का अनुसरण नहीं करेगा, जिसने बेंचमार्क दरों में 0.5 प्रतिशत की कमी की है। आरबीआई कुछ अन्य विकसित देशों के केंद्रीय बैंकों का भी अनुसरण नहीं करेगा, जिन्होंने ब्याज दरों में कमी की है। बैंक ऑफ बड़ौदा के मुख्य अर्थशास्त्री मदन सबनवीस ने कहा, “हमें रेपो दर या एमपीसी के रुख में किसी बदलाव की उम्मीद नहीं है। इसका कारण यह है कि सितंबर और अक्टूबर में मुद्रास्फीति पांच प्रतिशत से ऊपर रहेगी और मौजूदा कम मुद्रास्फीति आधार प्रभाव के कारण है। इसके अलावा, मुख्य मुद्रास्फीति धीरे-धीरे बढ़ रही है।” सबनवीस ने कहा कि इसके अलावा, हाल ही में ईरान-इजराइल संघर्ष और भी गहरा सकता है, और यहां अनिश्चितता है। “इसलिए, नए सदस्यों के लिए भी यथास्थिति सबसे संभावित विकल्प है। मुद्रास्फीति के पूर्वानुमान को 0.1-0.2 प्रतिशत तक कम किया जा सकता है और सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) अनुमान में किसी बदलाव की संभावना नहीं है। केंद्रीय बैंक ने पिछली बार फरवरी, 2023 में रेपो दर को बढ़ाकर 6.5 प्रतिशत किया था और तब से, उसने दर को उसी स्तर पर बनाए रखा है। इक्रा की मुख्य अर्थशास्त्री अदिति नायर ने कहा कि शुरुआती पहली तिमाही में जीडीपी वृद्धि एमपीसी के अनुमान से कम रहने और दूसरी तिमाही में खुदरा मुद्रास्फीति के कम रहने के अनुमान को देखते हुए हमारा मानना है कि अक्टूबर, 2024 की नीतिगत समीक्षा में रुख को बदलकर ‘तटस्थ' करना उचित हो सकता है। उन्होंने कहा कि इसके बाद रेपो दर में दिसंबर, 2024 और फरवरी, 2025 में 0.25 प्रतिशत की कटौती हो सकती है। सिग्नेचर ग्लोबल (इंडिया) लि. के संस्थापक एवं चेयरमैन प्रदीप अग्रवाल ने कहा कि रियल एस्टेट उद्योग और डेवलपर समुदाय के साथ घर खरीदार ब्याज दरों में कटौती की उम्मीद कर रहे हैं, लेकिन केंद्रीय बैंक संभवत: लगातार दसवीं बार ब्याज दरों को यथावत रखेगा।
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नई दिल्ली। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने कहा कि आने वाले दशक में जीवन स्तर में तेज सुधार होगा और यह वास्तव में भारतीयों के लिए जीवन जीने का एक युग होगा। कौटिल्य आर्थिक सम्मेलन के तीसरे संस्करण को संबोधित करते हुए सीतारमण ने कहा कि भारत के युवा लोग, खपत में बढ़त और नवोन्मेष उन ताकतों में हैं, जो भारत के इस युग को आकार देंगे।वित्त मंत्री ने कहा कि पिछले 10 साल के दौरान की गई आर्थिक व ढांचागत सुधार की कवायदों का असर आने वाले वर्षो में दिखेगा, क्योंकि अर्थव्यवस्था से कोविड-19 वैश्विक महामारी का असर कम हो जाएगा।’उद्घाटन सत्र में उन्होंने कहा, ‘अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ) के अनुमानों के अनुसार हमें 2,730 डॉलर की प्रति व्यक्ति आय तक पहुंचने में 75 साल लगे, लेकिन इसमें 2,000 अमेरिकी डॉलर और जोड़ने में केवल 5 साल लगेंगे।’सम्मेलन के थीम ‘द इंडियन एरा’के बारे में बात करते हुए वित्त मंत्री ने कहा कि भारत में खपत स्वाभाविक तौर पर आगामी दशकों में बढ़ेगी क्योंकि अभी 43 फीसदी आबादी 24 साल से कम उम्र की है, जिसके खपत व्यवहार का अभी पूरी तरह से दोहन होना है। उन्होंने कहा कि यह सुनिश्चित करना कि भारत के युवा संज्ञानात्मक रूप से सक्षम, भावनात्मक रूप से मजबूत और शारीरिक रूप से दुरुस्त हो, हमारी प्रमुख नीतिगत प्राथमिकता है।
भारत के युग को आकार देने में वित्त मंत्री ने बढ़ते मध्यवर्ग की भूमिका का उल्लेख करते हुए कहा कि यह अधिक खपत, विदेशी निवेश की आवक और गतिशील बाजार की राह प्रशस्त करेगा। उन्होंने कहा कि भारत की नवोन्मेष की क्षमता परिपक्व होगी और आने वाले दशकों में इसमें सुधार होगा।भारत की वित्तीय व्यवस्था की सराहना करते हुए वित्त मंत्री ने कहा कि भारत के वित्तीय बाजार ने एक सक्षम व्यवस्था विकसित की है, जिसका संकट प्रबंधन, नियामकीय और प्रशासनिक मानक विकसित बाजारों की तरह है।सीतारमण ने कहा कि वैश्विक भू-राजनीतिक बदलाव भारत के लिए फायदे के हिसाब से संरचनात्मक ताकत के रूप में काम कर सकता है और इससे रणनीतिक सामंजस्य वाले देशों के साथ मजबूत आपूर्ति श्रृंखला विकसित हो सकती है।उन्होंने कहा, ‘भारत को नई अंतरराष्ट्रीय व्यवस्था से लाभ होगा, जो आज की दुनिया की शक्ति के वितरण को बेहतर ढंग से प्रतिबिंबित करने के लिए खुद को बदल रही है।’सीतारमण ने कहा कि भारत वैश्विक चुनौतियों के बावजूद अपनी 1.4 अरब की आबादी (जो वैश्विक कुल का 18 फीसदी है) के लिए कुछ वर्षों में प्रति व्यक्ति आय को दोगुना करने का प्रयास करेगा। मंत्री ने कहा कि विकसित भारत विचारों, प्रौद्योगिकी तथा संस्कृति के जीवंत आदान-प्रदान का केंद्र बनकर न केवल भारतीयों के लिए बल्कि शेष विश्व के लिए भी समृद्धि लाएगा। वित्त मंत्री ने कहा कि 2000 दशक के शुरुआत में चीन जैसे उभरते बाजार तुलनात्मक रूप से ज्यादा आसानी से बढ़े क्योंकि अनुकूल वैश्विक व्यापार और निवेश का वातावरण था। यह भारत के लिए चुनौती और अवसर दोनों है।उन्होंने कहा कि 2047 में जब भारत स्वतंत्रता के 100 साल पूरे करेगा, भारत का नया काल शुरू होगा, जिसमें विकसित देशों जैसी स्थितियां होंगी। वित्त मंत्री ने कहा कि विकसित भारत से न सिर्फ भारतीयों में संपन्नता आएगी, बल्कि विचारों, प्रौद्योगिकी और संस्कृति के आदान प्रदान से शेष विश्व के लिए भी यह समृद्धि लाएगा। -
नई दिल्ली। सरकार ने भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) के डिप्टी गवर्नर एम राजेश्वर राव का कार्यकाल एक साल के लिए बढ़ा दिया है। सूत्रों ने चार अक्टूबर के सरकारी आदेश का हवाला देते हुए बताया कि मंत्रिमंडल की नियुक्ति समिति (एसीसी) ने नौ अक्टूबर, 2024 से एक साल की अवधि के लिए या अगले आदेश तक राव की फिर से नियुक्ति को मंजूरी दे दी है।एसीसी की अध्यक्षता प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी करते हैं। राव को अक्टूबर, 2020 में तीन साल की अवधि के लिए आरबीआई के डिप्टी गवर्नर के रूप में नियुक्त किया गया था। राव को नवंबर, 2016 में आरबीआई के कार्यकारी निदेशक के रूप में पदोन्नत किया गया था। कोचीन विश्वविद्यालय से अर्थशास्त्र स्नातक और मास्टर ऑफ बिजनेस एडमिनिस्ट्रेशन की डिग्री प्राप्त राव 1984 में केंद्रीय बैंक में शामिल हुए थे।
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नई दिल्ली। भारत के विदेशी मुद्रा भंडार ने पहली बार 700 अरब डॉलर का रिकॉर्ड स्तर पार कर लिया है। इसमें लगातार सातवें हफ्ते बढ़ोतरी दर्ज की गई है। यह वृद्धि RBI की तरफ से डॉलर की खरीद और वैल्यूएशन में बढ़ोतरी की वजह से आई है।
रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया (RBI) के आंकड़ों के अनुसार, 27 सितंबर 2024 को समाप्त हुए हफ्ते में विदेशी मुद्रा भंडार 12.6 अरब डॉलर बढ़कर 704.89 अरब डॉलर हो गया, जो जुलाई 2023 के मध्य के बाद सबसे बड़ी साप्ताहिक वृद्धि है। भारत अब चीन, जापान और स्विट्जरलैंड के बाद 700 अरब डॉलर से अधिक विदेशी भंडार रखने वाला दुनिया का चौथा देश बन गया है।2013 में कमजोर आर्थिक स्थिति के कारण विदेशी निवेशकों के मोहभंग हुआ और विदेशी मुद्रा भंडार में कमी आई। लेकिन उसके बाद से भारत अपने विदेशी मुद्रा भंडार में बढ़ोतरी हो रही है। तब से सख्त महंगाई दर में नियंत्रण, उच्च आर्थिक विकास और कम वित्तीय घाटे ने विदेशी निवेशकों को आकर्षित किया है और विदेशी मुद्रा भंडार में इजाफा हुआ है। 2024 में अब तक विदेशी निवेशों से भारत के भंडार में 30 अरब डॉलर की वृद्धि हुई है।रुपया और आरबीआई की भूमिकाRBI की तरफ से 4.8 अरब डॉलर की खरीद और 7.8 अरब डॉलर के वैल्यूएशन गेन से यह वृद्धि दर्ज की गई। वैल्यूएशन गेन अमेरिकी ट्रेजरी यील्ड्स में गिरावट, कमजोर डॉलर और सोने की कीमतों में वृद्धि के कारण हुआ। RBI ने रुपये को एक सीमित ट्रेडिंग रेंज में बनाए रखने के लिए बाजार में दोनों ओर हस्तक्षेप किया है, जिससे यह उभरते बाजारों की मुद्राओं में सबसे स्थिर बना रहा। पिछले महीने RBI गवर्नर शक्तिकांत दास ने कहा था कि अधिक अस्थिरता से अर्थव्यवस्था को कोई लाभ नहीं होता है। -
नई दिल्ली। आलू, प्याज और टमाटर की कीमतों में उछाल से सितंबर में घर का बना खाना एक साल पहले की तुलना में महंगा हो गया। शुक्रवार को जारी एक रिपोर्ट में यह बात कही गई।
घरेलू रेटिंग एजेंसी क्रिसिल की रिपोर्ट के अनुसार, सितंबर 2023 में शाकाहारी भोजन की लागत 28.1 रुपये से सितंबर में 11 प्रतिशत बढ़कर 31.3 रुपये हो गई। यह अगस्त में 31.2 रुपये से थोड़ी ही अधिक हुई।‘रोटी, राइस, रेट’ नामक इस रिपोर्ट में वृद्धि के लिए सब्जियों की कीमतों में बढ़ोतरी को जिम्मेदार ठहराया गया है, जो थाली की लागत का 37 प्रतिशत हिस्सा है।इसमें कहा गया, ‘‘ सितंबर में प्याज, आलू तथा टमाटर की कीमतें क्रमश: 53 प्रतिशत, 50 प्रतिशत और 18 प्रतिशत बढ़ीं। इसकी वजह प्याज तथा आलू की कम आवक, जबकि भारी बारिश से आंध्र प्रदेश और महाराष्ट्र में टमाटर का उत्पादन प्रभावित रहना रही।’’रिपोर्ट में कहा गया, उत्पादन में कमी से दालों की कीमतों में पिछले साल की तुलना में 14 प्रतिशत की वृद्धि हुई, जबकि साल की शुरुआत में कीमतों में कटौती के कारण ईंधन की कीमतों में 11 प्रतिशत की गिरावट आई।मांसाहारी थाली भोजन की लागत पिछले वर्ष की तुलना में दो प्रतिशत घटकर 59.3 रुपये हो गई, जबकि ‘ब्रॉयलर’ (मांस) की कीमतों में 13 प्रतिशत की गिरावट आई जिसका इस थाली में 50 प्रतिशत योगदान है। रिपोर्ट में कहा गया कि अगस्त की तुलना में मांसाहारी भोजन की कीमत स्थिर रही। -
मुंबई. पश्चिम एशिया में तनाव बढ़ने से पैदा हुई चिंता के बीच घरेलू स्तर पर शेयर बाजारों में बृहस्पतिवार को चौतरफा बिकवाली हुई और मानक सूचकांक दो प्रतिशत से अधिक टूट गए। सेंसेक्स में 1,769 अंक और निफ्टी में 547 अंक की भारी गिरावट दर्ज की गई। विश्लेषकों ने कहा कि विदेशी कोषों की सतत निकासी और कच्चे तेल की बढ़ती कीमतों ने निवेशकों की धारणा को प्रभावित किया। यह शेयर बाजार में गिरावट का लगातार चौथा दिन रहा। बड़ी गिरावट के बीच निवेशकों की संपत्ति एक ही दिन में 9.78 लाख करोड़ रुपये घट गई। बीएसई का 30 शेयरों पर आधारित सूचकांक सेंसेक्स 1,769.19 अंक यानी 2.10 प्रतिशत गिरकर 82,497.10 अंक पर बंद हुआ। कारोबार के दौरान एक समय यह 1,832.27 अंक टूटकर 82,434.02 अंक पर आ गया था। नेशनल स्टॉक एक्सचेंज का निफ्टी भी 546.80 अंक यानी 2.12 प्रतिशत का गोता लगाते हुए 25,250.10 अंक पर आ गया। सेंसेक्स की कंपनियों में से लार्सन एंड टुब्रो, रिलायंस इंडस्ट्रीज, एक्सिस बैंक, एशियन पेंट्स, टाटा मोटर्स, बजाज फाइनेंस, मारुति, बजाज फिनसर्व, कोटक महिंद्रा बैंक, टाइटन, अदाणी पोर्ट्स और एचडीएफसी बैंक में खासी गिरावट दर्ज की गई। बाजार की चौतरफा गिरावट का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि सेंसेक्स की 30 कंपनियों में से अकेले जेएसडब्ल्यू स्टील ही बढ़त लेने में सफल रही। जियोजीत फाइनेंशियल सर्विसेज के शोध प्रमुख विनोद नायर ने कहा, ‘‘इजराइल पर ईरान की तरफ से बैलिस्टिक मिसाइल दागे जाने के बाद घरेलू बाजारों में तेज गिरावट आई। दरअसल, अब इजराइल की तरफ से तेल उत्पादक ईरान पर जवाबी कार्रवाई करने की आशंका बढ़ गई है जो इस संघर्ष को बड़ा रूप दे सकता है।'' नायर ने कहा, ‘‘वायदा एवं विकल्प (एफएंडओ) खंड के लिए सेबी के नए नियमों ने भी बाजार में सौदों की संख्या कम होने से जुड़ी चिंता बढ़ाने का काम किया है। इसके साथ चीन में बाजार का मूल्यांकन आकर्षक होने से विदेशी निवेशकों ने अब अपनी पूंजी का रुख उधर मोड़ दिया है जिससे भारतीय शेयरों पर दबाव बढ़ गया है।'' शेयर बाजार के आंकड़ों के मुताबिक, विदेशी संस्थागत निवेशकों (एफआईआई) ने मंगलवार को 5,579.35 करोड़ रुपये मूल्य के शेयरों की शुद्ध बिकवाली की थी। व्यापक बाजार में बीएसई मिडकैप सूचकांक 2.27 प्रतिशत की बड़ी गिरावट पर रहा जबकि स्मालकैप सूचकांक में 1.84 प्रतिशत की गिरावट दर्ज की गई। क्षेत्रवार सूचकांकों में रियल्टी खंड में 4.49 प्रतिशत की सर्वाधिक गिरावट रही। पूंजीगत उत्पाद खंड 3.18 प्रतिशत और वाहन खंड 2.94 प्रतिशत के नुकसान में रहे। एक भी सूचकांक सकारात्मक दायरे में रहने में नाकाम रहा। एचडीएफसी सिक्योरिटीज के उप प्रमुख (खुदरा शोध) देवर्ष वकील ने कहा, "विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों और एफआईआई के भारत से निकलकर चीन का रुख करने की आशंकाएं हावी रहीं। चीन की तुलना में घरेलू बाजारों के अधिक मूल्यांकन से इसे बल मिला।" एशिया के अन्य बाजारों में हांगकांग के हैंगसेंग में गिरावट रही जबकि जापान का निक्की बढ़त के साथ बंद हुआ। चीन के शेयर बाजार सार्वजनिक अवकाश होने से सप्ताह के बाकी दिनों के लिए बंद रहेंगे। यूरोप के ज्यादातर बाजार दोपहर में गिरावट के साथ कारोबार कर रहे थे। बुधवार को अमेरिकी बाजार मामूली बढ़त के साथ बंद हुए थे। पश्चिम एशिया में तनाव बढ़ने के बीच वैश्विक तेल मानक ब्रेंट क्रूड 1.37 प्रतिशत बढ़कर 74.91 डॉलर प्रति बैरल पर पहुंच गया। महात्मा गांधी जयंती के अवसर पर बुधवार को शेयर बाजार बंद रहे थे। मंगलवार को बीएसई सेंसेक्स 33.49 अंक गिरकर 84,266.29 अंक और एनएसई निफ्टी 13.95 अंक की मामूली गिरावट के साथ 25,796.90 अंक पर बंद हुआ था।
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गुवाहाटी. प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने असम में ‘ऑयल इंडिया लिमिटेड' द्वारा चार संपीड़ित बायो-गैस (सीबीजी) संयंत्र के निर्माण के लिए बुधवार को आधारशिला रखी। यह कार्यक्रम देशभर में सीबीजी के कई संयंत्रों के लिए नींव रखने के समारोह का हिस्सा था, जिसकी अध्यक्षता प्रधानमंत्री मोदी ने नयी दिल्ली से डिजिटल माध्यम से की। इस कार्यक्रम का उद्देश्य स्वच्छ भारत दिवस के मौके पर एक सतत और पर्यावरण अनुकूल ऊर्जा परिदृश्य को बढ़ावा देना है। असम में ये संयंत्र गुवाहाटी, जोरहाट, शिवसागर और तिनसुकिया में बनाए जाएंगे।
ऑयल इंडिया लिमिटेड ने एक बयान में कहा कि कंपनी की पेट्रोलियम और प्राकृतिक गैस मंत्रालय के साथ मिलकर सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रम (पीएसयू) में निवेश या निजी उद्यमियों के साथ साझेदारी के जरिए 2024-25 तक 25 सीबीजी संयंत्र स्थापित करने की योजना है। -
नई दिल्ली। सार्वजनिक क्षेत्र का भारतीय स्टेट बैंक (एसबीआई) चालू वित्त वर्ष में खोलेगा 600 नई शाखाएं,) चालू वित्त वर्ष (2024-25) में 600 नई शाखाएं खोलने की तैयारी कर रहा है। बैंक के चेयरमैन सी एस शेट्टी ने कहा है कि एसबीआई आवासीय टाउनशिप सहित उभरते क्षेत्रों में कारोबार के अवसरों का लाभ उठाने के लिए देशभर में 600 नई शाखाएं खोलेगा। शेट्टी ने बातचीत में कहा, “हमारे पास शाखा विस्तार की मजबूत योजनाएं हैं…यह मुख्य रूप से उभरते क्षेत्रों पर केंद्रित होगी। बहुत सी आवासीय कॉलोनियां हमारे दायरे में नहीं हैं। चालू वित्त वर्ष में हम लगभग 600 शाखाएं खोलने की योजना बना रहे हैं।”
एसबीआई ने पिछले वित्त वर्ष (2023-24) में 137 नई शाखाएं खोली थीं। इनमें से 59 शाखाएं ग्रामीण क्षेत्र में थीं। एसबीआई की देशभर में मार्च, 2024 तक 22,542 शाखाएं थीं। एसबीआई के देशभर में 65,000 एटीएम और 85,000 बैंकिंग प्रतिनिधि भी हैं। उन्होंने कहा, “हम लगभग 50 करोड़ ग्राहकों को सेवा प्रदान करते हैं और हमें यह कहते हुए गर्व होता है कि हम प्रत्येक भारतीय, और उससे भी महत्वपूर्ण बात, प्रत्येक भारतीय परिवार के बैंकर हैं।” जमाकर्ताओं को आकर्षित करने के लिए भारतीय स्टेट बैंक आवर्ती जमा (RD) और SIP के संयुक्त उत्पाद सहित नवीन उत्पाद लाने पर विचार कर रहा है। - नयी दिल्ली. प्रसाधन तथा स्वास्थ्य संबंधी उत्पाद बेचने वाली ‘डायरेक्ट सेलिंग' क्षेत्र की प्रमुख कंपनी एमवे ने माइकल नेल्सन को अपना अध्यक्ष एवं मुख्य कार्यपालक अधिकारी (सीईओ) नियुक्त किया है। यह नियुक्ति तत्काल प्रभाव से लागू होगी। कंपनी ने बयान में कहा, नेल्सन, मिलिंद पंत की जगह लेंगे जो जनवरी 2019 से सीईओ के रूप में कार्यरत थे। नेल्सन का एमवे में तीन दशकों से अधिक का अनुभव लेकर आ रहे हैं। वह रणनीति, आपूर्ति श्रृंखला, मानव संसाधन और प्रौद्योगिकी संबंधी कई महत्वपूर्ण नेतृत्वकारी भूमिकाएं निभा चुके हैं। एमवे निदेशक मंडल के सह-प्रमुख स्टीव वान एन्देल ने कहा, ‘‘ ...हमें पूरा विश्वास है कि वह एमवे को वर्तमान तथा भविष्य में उद्योग में अग्रणी बने रहने, वृद्धि करने और फलने-फूलने के लिए आवश्यक अनुभव लाएंगे।'' बयान में कहा गया, पूर्व सीईओ मिलिंद पंत के जाने पर एमवे निदेशक मंडल उन्हें भविष्य के लिए शुभकामनाएं देता है।
- नयी दिल्ली. जापान की सोनी ग्रुप कॉरपोरेशन और सोनी पिक्चर्स एंटरटेनमेंट (एसपीई) ने रवि आहूजा को अध्यक्ष एवं मुख्य कार्यपालक अधिकारी (सीईओ) नियुक्त करने की मंगलवार को घोषणा की। उनकी नियुक्ति दो जनवरी 2025 से प्रभावी होगी। सोनी समूह ने बयान में कहा, एसपीई के ग्लोबल टेलीविजन स्टूडियोज के वर्तमान चेयरमैन, अध्यक्ष एचं मुख्य परिचालन अधिकारी (सीओओ) आहूजा एसपीई के अध्यक्ष एवं सीईओ टोनी विन्सीक्वेरा की जगह लेंगे। इसमें कहा गया, विन्सीक्वेरा दिसंबर 2025 के अंत तक गैर-कार्यकारी अध्यक्ष के रूप में एसपीई के लिए सलाहकार की भूमिका में बने रहेंगे। बयान में कहा गया, आहूजा सोनी ग्रुप कॉर्पोरेशन के चेयरमैन एवं सीईओ केनिचिरो योशिदा और सोनी ग्रुप कॉर्पोरेशन के अध्यक्ष, सीओओ एवं मुख्य वित्त अधिकारी (सीएफओ) हिरोकी तोतोकी के अधीन काम करेंगे। आहूजा सोनी पिक्चर्स टेलीविजन (एसपीटी) के सभी निर्माण व्यवसायों और ग्लोबल टेलीविजन स्टूडियोज के चेयरमैन के रूप में स्टूडियो के भारत व्यवसाय की देखरेख के लिए 2021 में एसपीई में शामिल हुए थे। सोनी ग्रुप कॉरपोरेशन के चेयरमैन एवं सीईओ केनिचिरो योशिदा ने कहा, ‘‘ रवि 2021 में एसपीई में शामिल होने के बाद से टोनी नीत दल के केंद्र में रहे हैं....'' उन्होंने कहा, ‘‘ रवि अपने साथ दुनिया की कुछ सबसे सफल मनोरंजन कंपनियों में काम करने का वर्षों का अनुभव लेकर आए हैं। हम एसपीई के अध्यक्ष एवं सीईओ के रूप में उनके साथ और निकटता से काम करने को उत्सुक हैं।''
- वाणिज्यिक एलपीजी की कीमत 48.5 रुपये प्रति सिलेंडर बढ़ीनयी दिल्ली. विमान ईंधन या एटीएफ की कीमत 6.3 प्रतिशत की कटौती के बाद मंगलवार को इस साल के निचले स्तर पर आ गई। वहीं, होटलों तथा रेस्तरां में इस्तेमाल होने वाले वाणिज्यिक एलपीजी (19 किलोग्राम) की कीमत में 48.5 रुपये प्रति सिलेंडर की बढ़ोतरी की गई है। अंतरराष्ट्रीय तेल कीमतों के रुझान के अनुरूप मासिक आधार पर इसकी कीमत में यह वृद्धि की गई है। सरकारी ईंधन खुदरा विक्रेताओं के अनुसार, राष्ट्रीय राजधानी में एविएशन टर्बाइन फ्यूल (एटीएफ) की कीमत 5,883 रुपये प्रति किलोलीटर या 6.29 प्रतिशत घटकर 87,597.22 रुपये प्रति किलोलीटर हो गई। यह विमान ईंधन की इस साल सबसे कम कीमत है। इसमें लगातार दूसरी बार कटौती से विमानन कंपनियों का बोझ कम करने में मदद मिलेगी, जिनकी परिचालन लागत में ईंधन का हिस्सा करीब 40 प्रतिशत होता है। इससे पहले एक सितंबर को कीमतों में 4,495.5 रुपये प्रति किलोलीटर या 4.58 प्रतिशत की कटौती की गई थी। एटीएफ की कीमत मुंबई में मंगलवार को 87,432.78 रुपये प्रति किलोलीटर से घटाकर 81,866.13 रुपये प्रति किलोलीटर हो गई। स्थानीय करों के आधार पर कीमतें हर राज्य में अलग-अलग होती हैं। इसके साथ ही तेल कंपनियों ने वाणिज्यिक एलपीजी की कीमत 48.5 रुपये बढ़ाकर 1,740 रुपये प्रति 19 किलोग्राम सिलेंडर कर दी है। कीमतों में लगातार तीसरी बार मासिक वृद्धि की गई। इससे पहले एक अगस्त को कीमतों में 6.5 रुपये प्रति सिलेंडर और एक सितंबर को 39 रुपये प्रति सिलेंडर की बढ़ोतरी की गई थी। वाणिज्यिक एलपीजी सिलेंडर (19 किलोग्राम) की कीमत अब मुंबई में 1,692.50 रुपये, कोलकाता में 1,850.50 रुपये और चेन्नई में 1,903 रुपये हो गई है। हालांकि, घरेलू इस्तेमाल में आने वाले रसोई गैस सिलेंडर की कीमत 803 रुपये प्रति 14.2 किलोग्राम पर यथावत है। सार्वजनिक क्षेत्र की इंडियन ऑयल कॉरपोरेशन (आईओसी), भारत पेट्रोलियम कॉरपोरेशन लिमिटेड (बीपीसीएल) और हिंदुस्तान पेट्रोलियम कॉरपोरेशन लिमिटेड (एचपीसीएल) हर महीने की पहली तारीख को बेंचमार्क अंतरराष्ट्रीय ईंधन की औसत कीमत और विदेशी विनिमय दर के आधार पर एटीएफ तथा रसोई गैस की कीमतों में संशोधन करती हैं। पेट्रोल और डीजल की कीमतें स्थिर बनी हुई हैं। मार्च के मध्य में कीमतों में दो रुपये प्रति लीटर की कटौती की गई थी। दिल्ली में पेट्रोल की कीमत 94.72 रुपये प्रति लीटर है जबकि डीजल की कीमत 87.62 रुपये प्रति लीटर है।
- नयी दिल्ली. माल एवं सेवा कर (जीएसटी) का सितंबर महीने में सकल संग्रह सालाना आधार पर 6.5 प्रतिशत बढ़कर करीब 1.73 लाख करोड़ रुपये रहा। सरकार की तरफ से मंगलवार को जारी आंकड़ों में यह जानकारी दी गई। पिछले साल सितंबर में जीएसटी राजस्व 1.63 लाख करोड़ रुपये था। हालांकि, मासिक आधार पर जीएसटी संग्रह में कमी आई है। अगस्त, 2024 में कुल संग्रह 1.75 लाख करोड़ रुपये रहा था। पिछले महीने घरेलू लेनदेन से सकल जीएसटी 5.9 प्रतिशत बढ़कर लगभग 1.27 लाख करोड़ रुपये हो गया। इसके अलावा वस्तुओं के आयात से प्राप्त राजस्व आठ प्रतिशत बढ़कर 45,390 करोड़ रुपये हो गया। समीक्षाधीन अवधि में जीएसटी विभाग ने 20,458 करोड़ रुपये के रिफंड जारी किए जो एक साल पहले की समान अवधि की तुलना में 31 प्रतिशत अधिक है। रिफंड राशि को समायोजित करने के बाद सितंबर में शुद्ध जीएसटी राजस्व 1.53 लाख करोड़ रुपये रहा। यह एक साल पहले की समान अवधि के मुकाबले 3.9 प्रतिशत अधिक है। इसके साथ ही चालू वित्त वर्ष की पहली छमाही (अप्रैल-सितंबर अवधि) में जीएसटी संग्रह 9.5 प्रतिशत बढ़कर 10.87 लाख करोड़ रुपये से अधिक हो गया। कर विशेषज्ञों का कहना है कि सितंबर में कर संग्रह मासिक आधार पर सुस्त पड़ने के बावजूद आने वाले महीनों में त्योहारों के दौरान कर संग्रह बेहतर हो सकता है। पीडब्ल्यूसी इंडिया में साझेदार प्रतीक जैन ने कहा कि दरों को युक्तिसंगत बनाने की कवायद को देखते हुए जीएसटी परिषद को इस पर बारीकी से गौर करने की जरूरत हो सकती है। हालांकि, त्योहारी मौसम आने से अगले कुछ महीनों में संग्रह बेहतर हो सकता है। डेलॉयट इंडिया में साझेदार एम एस मणि ने कहा कि आने वाले महीनों के लिए जीएसटी राजस्व पर उत्सुकता से नजर रखी जाएगी क्योंकि वे आर्थिक वृद्धि के भी संकेतक हैं और उन्हें जीडीपी आंकड़ों से जोड़कर देखा जा सकता है। सलाहकार फर्म टैक्स कनेक्ट एडवाइजरी सर्विसेज में साझेदार विवेक जालान ने उम्मीद जताई कि मौजूदा स्थिति में जीएसटी परिषद की अगली बैठक में राजस्व वृद्धि पर कुछ दूरदर्शी उपाय देखने को मिलेंगे।
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मुंबई. देश का चालू खाते का घाटा अप्रैल-जून तिमाही में मामूली रूप से बढ़कर 9.7 अरब डॉलर यानी सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) का 1.1 प्रतिशत हो गया। एक साल पहले की समान अवधि में यह 8.9 अरब डॉलर यानी जीडीपी का एक प्रतिशत था। भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने सोमवार को चालू खाते से संबंधित ये आंकड़े जारी किए।
पिछली जनवरी-मार्च तिमाही में चालू खाता 4.6 अरब डॉलर यानी जीडीपी के 0.5 प्रतिशत अधिशेष की स्थिति में था। रिजर्व बैंक ने चालू खाता घाटे में सालाना आधार पर बढ़ोतरी के लिए वस्तु व्यापार में फासला बढ़ने को जिम्मेदार बताया है। वस्तु व्यापार अंतराल चालू वित्त वर्ष की पहली तिमाही में 65.1 अरब डॉलर दर्ज किया गया जो पिछले साल की समान तिमाही में 56.7 अरब डॉलर था। आरबीआई ने कहा कि समीक्षाधीन तिमाही में शुद्ध सेवा प्राप्तियां एक साल पहले के 35.1 अरब डॉलर से बढ़कर 39.7 अरब डॉलर हो गईं। इसके साथ ही कंप्यूटर सेवाओं, कारोबारी सेवाओं, यात्रा सेवाओं और परिवहन सेवाओं में वृद्धि देखी गई है। हालांकि आलोच्य अवधि में शुद्ध विदेशी पोर्टफोलियो निवेश में बड़ी गिरावट दर्ज की गई। यह एक साल पहले के 15.7 अरब डॉलर की तुलना में सिर्फ 90 करोड़ डॉलर रहा। वित्त वर्ष 2024-25 की पहली तिमाही में विदेशों से लिए गये वाणिज्यिक उधार (ईसीबी) के तहत शुद्ध प्रवाह घटकर 1.8 अरब डॉलर रहा जो एक साल पहले इसी अवधि में दर्ज 5.6 अरब डॉलर से कम था। जून तिमाही में विदेशों में रह रहे भारतीयों की तरफ से भेजे गए धन में भी उछाल दर्ज किया गया। इस दौरान विदेश से भारत भेजे गया धन अप्रैल-जून 2023 के 27.1 अरब डॉलर से बढ़कर 29.5 अरब डॉलर हो गया। आरबीआई ने कहा कि शुद्ध प्रत्यक्ष विदेशी निवेश प्रवाह भी बीती तिमाही में बढ़कर 6.3 अरब डॉलर हो गया जबकि पिछले साल की समान अवधि में यह 4.7 अरब डॉलर था। प्राथमिक आय खाते पर शुद्ध निकासी के तहत निवेश आय का भुगतान बढ़कर 10.7 अरब डॉलर हो गया जो पिछले साल की समान अवधि में 10.2 अरब डॉलर था। अप्रैल-जून 2024 में प्रवासी भारतीयों की जमाओं में शुद्ध प्रवाह चार अरब डॉलर रहा जो एक साल पहले 2.2 अरब डॉलर था। आरबीआई ने कहा कि चालू वित्त वर्ष की पहली तिमाही में भुगतान संतुलन के आधार पर विदेशी मुद्रा भंडार 5.2 अरब डॉलर बढ़ गया जबकि पिछले वित्त वर्ष की पहली तिमाही में यह 24.4 अरब डॉलर था। - नयी दिल्ली। सरकार ने सार्वजनिक भविष्य निधि (पीपीएफ) एवं अन्य लघु बचत योजनाओं पर चालू वित्त वर्ष 2024-25 की तीसरी तिमाही के लिए ब्याज दरों में कोई भी बदलाव नहीं करने की सोमवार को घोषणा की। इस तरह सरकार ने तीन तिमाहियों से ब्याज दरों में कोई बदलाव नहीं किया है। पिछली बार वित्त वर्ष 2023-24 की चौथी तिमाही के लिए कुछ योजनाओं की दरों में बदलाव किया गया था। वित्त मंत्रालय ने अपनी एक अधिसूचना में कहा, ‘‘वित्त वर्ष 2024-25 की तीसरी तिमाही (एक अक्टूबर से 31 दिसंबर, 2024 तक) के लिए विभिन्न लघु बचत योजनाओं पर ब्याज दरें दूसरी तिमाही (एक जुलाई से 30 सितंबर, 2024 तक) के लिए अधिसूचित दरों के समान ही रहेंगी।'' अधिसूचना के मुताबिक, सुकन्या समृद्धि योजना के तहत जमा पर पहले की तरह 8.2 प्रतिशत की दर से ब्याज मिलेगा जबकि तीन साल की सावधि जमा पर ब्याज दर 7.1 प्रतिशत रहेगी। इसके अलावा पीपीएफ और डाकघर बचत जमा योजना के लिए ब्याज दरें भी क्रमश: 7.1 प्रतिशत और चार प्रतिशत पर बनी रहेंगी। किसान विकास पत्र पर ब्याज दर 7.5 प्रतिशत होगी तथा यह निवेश 115 महीनों में परिपक्व होगा। वहीं राष्ट्रीय बचत पत्र (एनएससी) पर ब्याज दर 7.7 प्रतिशत रहेगी। अक्टूबर-दिसंबर तिमाही में भी डाकघर मासिक आय योजना के निवेशकों को पहले की तरह 7.4 प्रतिशत की दर से ब्याज मिलेगा। सरकार डाकघरों और बैंकों द्वारा संचालित इन लघु बचत योजनाओं के लिए हर तिमाही में ब्याज दरों को अधिसूचित करती है।
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नयी दिल्ली. सार्वजनिक क्षेत्र के भारतीय स्टेट बैंक (एसबीआई) के चेयरमैन सी एस शेट्टी ने कहा है कि जमाकर्ताओं को आकर्षित करने के लिए बैंक आवर्ती जमा और एसआईपी के संयुक्त उत्पाद सहित नवोन्मेषी उत्पाद लाने पर विचार कर रहा है। उन्होंने कहा कि अर्थव्यवस्था की प्रगति के साथ, ग्राहक वित्तीय रूप से अधिक जागरूक और मांग करने वाले बन रहे हैं, और उन्होंने नवीन निवेश साधनों की तलाश शुरू कर दी है। शेट्टी ने कहा कि आज ग्राहक मूल्य प्रस्ताव पर ध्यान दे रहे हैं, क्योंकि वित्तीय साक्षरता बढ़ रही है और परिसंपत्ति आवंटन की अवधारणा को अधिक महत्व मिलेगा। उन्होंने कहा, “जाहिर है, कोई भी व्यक्ति जोखिम वाली परिसंपत्ति में अपना सब कुछ नहीं लगाना चाहता...बैंकिंग उत्पाद हमेशा इसका हिस्सा रहेंगे। इसलिए, हम ऐसे उत्पाद लाने की कोशिश कर रहे हैं जो उन्हें आकर्षित करें।” एसबीआई चेयरमैन ने कहा, “हम कुछ पारंपरिक उत्पादों जैसे आवर्ती जमा, जो वास्तव में एक पारंपरिक एसआईपी है, में नवीनता लाने का प्रयास कर रहे हैं... हो सकता है, हम सावधि जमा/आवर्ती जमा और एसआईपी दोनों को मिलाकर एक संयुक्त उत्पाद दे सकें जो डिजिटल रूप से सुलभ हो सके।” उन्होंने कहा कि बैंक नई पीढ़ी के बीच जमा उत्पादों को लोकप्रिय बनाने के लिए इन नवाचारों पर विचार कर रहा है। इसके अलावा, उन्होंने कहा कि बैंक ने जमा जुटाने के लिए बड़े पैमाने पर एक पहुंच कार्यक्रम शुरू किया है। शेट्टी ने कहा, “जैसा कि मैंने कहा, हमारे लिए जमा जुटाना एक फ्रेंचाइजी का काम है। हमारे पास देशभर में सबसे ज़्यादा संख्या में भौतिक शाखाएं हैं। हम पहुंच कार्यक्रम शुरू करके अपनी विशाल भौतिक पहुंच का लाभ उठा रहे हैं, जहां ग्राहकों से संपर्क किया जाता है। आज, एसबीआई की ओर से हर उपभोक्ता तक पहुंचने का प्रयास किया जा रहा है, चाहे वे मौजूदा ग्राहक हों या नए ग्राहक।
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नयी दिल्ली. जीएसटी नेटवर्क (जीएसटीएन) ने रविवार को कहा कि जुलाई और अगस्त, 2017 के मासिक रिटर्न के आंकड़े पोर्टल पर बहाल कर दिए गए हैं। ये माल एवं सेवा कर (जीएसटी) लागू होने के शुरुआती महीने थे। जीएसटीएन ने पिछले सप्ताह कहा था कि वह अपनी आंकड़ा नीति को लागू कर रहा है, जिसके अनुसार करदाताओं के आंकड़े केवल सात साल के लिए ही रखे जाएंगे। इस प्रकार, करदाताओं के लिए जीएसटी रिटर्न के आंकड़े सात साल से अधिक समय तक उपलब्ध नहीं होंगे और उन्हें अभिलेखागार (आर्काइव) में रखा जाएगा। ऐसे में एक अगस्त, 2024 को जुलाई, 2017 के आंकड़े और एक सितंबर, 2024 को अगस्त, 2017 के आंकड़े अभिलेखागार में रखे गए। दूसरी ओर उद्योग जगत ने इस नीति को लागू करने से पहले कुछ और समय मांगा था, ताकि वे भविष्य के लिए जीएसटी पोर्टल से अपने प्रासंगिक आंकड़े डाउनलोड कर सकें। इस अनुरोध पर विचार करते हुए जीएसटीएन ने रविवार को कहा कि 2017-18 के जीएसटी रिटर्न फिर से उपलब्ध करा दिए गए हैं। जीएसटी एक जुलाई, 2017 को लागू हुआ था।
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नयी दिल्ली.सरकार ने शनिवार को गैर-बासमती सफेद चावल के निर्यात पर लगे पूर्ण प्रतिबंध को हटा दिया। इसके साथ, इस पर 490 डॉलर प्रति टन का न्यूनतम मूल्य तय किया और इसे निर्यात शुल्क से भी छूट दे दी है। घरेलू आपूर्ति को बढ़ावा देने के लिए गैर-बासमती सफेद चावल के निर्यात पर 20 जुलाई, 2023 से प्रतिबंध लगा दिया गया था। विदेश व्यापार महानिदेशालय (डीजीएफटी) ने अधिसूचना में कहा, “गैर-बासमती सफेद चावल (अर्ध-मिल्ड या पूर्ण रूप से मिल्ड चावल, चाहे पॉलिश किया हुआ हो या नहीं) के लिए निर्यात नीति को प्रतिबंधित से मुक्त में संशोधित किया गया है, जो तत्काल प्रभाव से और अगले आदेश तक लागू रहेगा। यह 490 अमेरिकी डॉलर प्रति टन के एमईपी (न्यूनतम निर्यात मूल्य) के अधीन है।” यह कदम ऐसे समय उठाया गया है कि जब देश में सरकारी गोदामों में चावल का पर्याप्त भंडार है और खुदरा कीमतें भी नियंत्रण में हैं। सरकार ने गैर-बासमती सफेद चावल को निर्यात शुल्क से छूट दे दी है, जबकि उसना चावल पर शुल्क घटाकर 10 प्रतिशत कर दिया है। वित्त मंत्रालय के तहत आने वाले राजस्व विभाग ने शुक्रवार को जारी एक अधिसूचना में कहा कि उसने ‘ब्राउन राइस' और धान पर निर्यात शुल्क भी घटाकर 10 प्रतिशत कर दिया है। चावल की इन किस्मों के साथ-साथ गैर-बासमती सफेद चावल पर निर्यात शुल्क अब तक 20 प्रतिशत था।
अधिसूचना में कहा गया है कि नई दरें 27 सितंबर, 2024 से प्रभावी हो गई हैं। इसी महीने सरकार ने निर्यात को बढ़ावा देने और किसानों की आय बढ़ाने के लिए बासमती चावल के न्यूनतम निर्यात मूल्य को समाप्त कर दिया था। देश ने चालू वित्त वर्ष में अप्रैल-जुलाई के दौरान 18.9 करोड़ डॉलर मूल्य का गैर-बासमती सफेद चावल निर्यात किया है। पिछले वित्त वर्ष (2023-24) में यह 85.25 करोड़ डॉलर था। प्रतिबंध के बावजूद सरकार मालदीव, मॉरीशस, संयुक्त अरब अमीरात (यूएई) और अफ्रीकी देशों जैसे मित्र देशों को निर्यात की अनुमति दे रही थी। भारत सरकार ने अन्य देशों को उनकी खाद्य सुरक्षा आवश्यकताओं को पूरा करने तथा उनकी सरकारों के अनुरोध के आधार पर निर्यात की अनुमति दी। चावल की इस किस्म की भारत में व्यापक खपत है। वैश्विक बाजारों में भी इसकी मांग है। विशेष रूप से उन देशों में जहां बड़ी संख्या में भारतीय प्रवासी हैं। -
नई दिल्ली। केंद्र ने शुक्रवार को गैर-बासमती सफेद चावल के निर्यात पर प्रतिबंध तत्काल प्रभाव से हटा दिया। एक अधिसूचना में यह जानकारी दी गई। सरकार ने जुलाई 2023 में चावल की घरेलू आपूर्ति सुनिश्चित करने और कीमतों को नियंत्रण में रखने के लिए प्रतिबंध लगाया था।निर्यातकों ने पाबंदी हटाने के फैसले की सराहना की और इसे क्षेत्र के लिए अहम करार दिया। ‘राइस विला’ के सीईओ सूरज अग्रवाल ने कहा, ‘‘गैर-बासमती सफेद चावल के निर्यात पर प्रतिबंध हटाने का भारत का साहसिक फैसला कृषि क्षेत्र के लिए परिवर्तनकारी है।’’ अधिसूचना में कहा गया है कि सरकार ने ‘पारब्वॉइल्ड’ चावल पर निर्यात शुल्क भी 20 प्रतिशत से घटाकर 10 प्रतिशत कर दिया है।
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नयी दिल्ली। अंबुजा सीमेंट ने बृहस्पतिवार को अलायंस फॉर इंडस्ट्री डीकॉर्बोनाइजेशन (एएफआईडी) में शामिल होने की घोषणा की। इस गठबंधन का मकसद उद्योगों में कार्बन कटौती को प्रोत्साहित करना है। अरबपति कारोबारी गौतम अदाणी की अगुवाई वाले अदाणी समूह की इकाई अंबुजा समूह पेरिस समझौते के अनुसार शुद्ध शून्य कार्बन उत्सर्जन के लक्ष्य को तेजी से हासिल करने के लिए इस वैश्विक गठबंधन में शामिल हुई है। कंपनी ने बयान में बताया कि अंबुजा सीमेंट एएफआईडी का हिस्सा बनने वाली दुनिया की पहली सीमेंट विनिर्माता है। कंपनी देश की दूसरी सबसे बड़ी सीमेंट विनिर्माता है और उसका लक्ष्य 2050 तक शुद्ध शून्य के लक्ष्य को हासिल करना है। अंबुजा सीमेंट के गैर-कार्यकारी निदेशक करण अदाणी ने कहा कि यह अंबुजा के लिए अपनी स्थिरता यात्रा में एक और महत्वपूर्ण कदम है। उन्होंने कहा कि इस गठजोड़ से कंपनी को वैश्विक अनुभवों का लाभ मिलेगा।
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नयी दिल्ली. एसएंडपी ग्लोबल रेटिंग्स ने चालू वित्त वर्ष 2024-25 के लिए भारत का वृद्धि अनुमान 6.8 प्रतिशत पर मंगलवार को बरकरार रखा और कहा कि उसे उम्मीद है कि आरबीआई अपनी अक्टूबर की मौद्रिक नीति समीक्षा में ब्याज दरों में कटौती शुरू कर देगा। एशिया प्रशांत के आर्थिक परिदृश्य में एसएंडपी ग्लोबल रेटिंग्स ने वित्त वर्ष 2025-26 के लिए जीडीपी वृद्धि दर का अनुमान 6.9 प्रतिशत पर बरकरार रखा है। इसमें कहा गया कि भारत में ठोस वृद्धि से भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) मुद्रास्फीति को अपने लक्ष्य के अनुरूप लाने पर ध्यान केंद्रित कर सकेगा। रेटिंग एजेंसी ने कहा, ‘‘ भारत में अप्रैल-जून तिमाही में उच्च ब्याज दरों ने शहरी मांग को प्रभावित किया और सकल घरेलू उत्पाद की वृद्धि दर धीमी रही। हालांकि, यह समूचे वित्त वर्ष 2024-25 के लिए हमारे सकल घरेलू उत्पाद के 6.8 प्रतिशत की दर के अनुमान के अनुरूप है।'' इससे पिछले वित्त वर्ष 2023-24 में भारतीय अर्थव्यवस्था 8.2 प्रतिशत की दर से बढ़ी थी।
एसएंडपी ने कहा, हमारा परिदृश्य यथावत बना हुआ है। हम उम्मीद करते हैं कि आरबीआई जल्द से जल्द अक्टूबर में दरों में कटौती शुरू कर देगा और चालू वित्त वर्ष (मार्च 2025 में समाप्त होने वाले) में दो बार दरों में कटौती की योजना बनाएगा।'' एसएंडपी का अनुमान है कि चालू वित्त वर्ष में मुद्रास्फीति औसतन 4.5 प्रतिशत रहेगी।
सरकार ने आरबीआई को मुद्रास्फीति को दोनों तरफ दो प्रतिशत घट-बढ़ के साथ चार प्रतिशत पर रखने का लक्ष्य दिया है। आरबीआई की ब्याज दर निर्धारित करने वाली मौद्रिक नीति समिति की बैठक सात से नौ अक्टूबर को होने वाली है। मुद्रास्फीति को नियंत्रण में रखने के लिए केंद्रीय बैंक ने फरवरी 2023 से नीतिगत दर को 6.5 प्रतिशत पर यथावत रखा है। अमेरिकी केंद्रीय बैंक फेडरल रिजर्व ने भी अपनी नीतिगत ब्याज दर में 0.50 प्रतिशत की कटौती की है। इसके बाद आरबीआई के अगले महीने इसमें 0.25 प्रतिशत की कटौती करने की उम्मीद है।
- नयी दिल्ली. श्रमबल सर्वेक्षण की वार्षिक रिपोर्ट के अनुसार जुलाई, 2023 से जून, 2024 तक 15 वर्ष और उससे अधिक आयु के व्यक्तियों के लिए बेरोजगारी दर 3.2 प्रतिशत पर स्थिर बनी हुई है। बेरोजगारी दर (यूआर) को श्रमबल में मौजूद व्यक्तियों के बीच बेरोजगार व्यक्तियों के प्रतिशत के रूप में परिभाषित किया जाता है। सोमवार को जारी रिपोर्ट में कहा गया कि पुरुषों के लिए यूआर में जुलाई 2023-जून 2024 के दौरान सालाना आधार पर मामूली गिरावट हुई। यह आंकड़ा 3.3 प्रतिशत से घटकर 3.2 प्रतिशत हो गया। इसी अवधि में महिलाओं के बीच यूआर 2.9 प्रतिशत से बढ़कर 3.2 प्रतिशत हो गया।जुलाई 2023 - जून 2024 के दौरान 15 वर्ष और उससे अधिक आयु के व्यक्तियों के लिए सामान्य स्थिति में श्रमबल भागीदारी दर (एलएफपीआर) 60.1 प्रतिशत थी। यह आंकड़ा पिछले साल 57.9 प्रतिशत था। समीक्षाधीन अवधि में यह आंकड़ा पुरुषों के लिए 78.8 प्रतिशत और महिलाओं के लिए 41.7 प्रतिशत था। सामान्य स्थिति में 15 वर्ष से अधिक आयु की महिलाओं के लिए एलएफपीआर दर जुलाई, 2022 - जून, 2023 के 37.0 प्रतिशत से बढ़कर जुलाई, 2023 - जून, 2024 के दौरान 41.7 प्रतिशत हो गई है।