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नयी दिल्ली. फिच रेटिंग्स ने मंगलवार को चालू वित्त वर्ष 2024-25 के लिए भारत की वृद्धि दर का अनुमान बढ़ाकर 7.2 प्रतिशत कर दिया है। मार्च में उसने इसके सात प्रतिशत रहने का अनुमान लगाया था। रेटिंग एजेंसी ने उपभोक्ता खर्च में सुधार और निवेश में वृद्धि का हवाला देते हुए अनुमान में संशोधन किया। वित्त वर्ष 2025-26 और 2026-27 के लिए फिच ने क्रमशः 6.5 प्रतिशत और 6.2 प्रतिशत की वृद्धि दर का अनुमान लगाया है। फिच ने अपनी वैश्विक आर्थिक परिदृश्य रिपोर्ट में कहा, ‘‘ हमारा अनुमान है कि वित्त वर्ष 2024-25 में भारतीय अर्थव्यवस्था में 7.2 प्रतिशत की मजबूत वृद्धि होगी।'' फिच का अनुमान आरबीआई के अनुमान के अनुरूप है। भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने इस महीने की शुरुआत में अनुमान लगाया था कि ग्रामीण मांग में सुधार और मुद्रास्फीति में नरमी से चालू वित्त वर्ष में भारतीय अर्थव्यवस्था 7.2 प्रतिशत की दर से बढ़ेगी। रेटिंग एजेंसी ने कहा कि निवेश में वृद्धि जारी रहेगी, लेकिन हाल की तिमाहियों की तुलना में यह वृद्धि धीमी रहेगी, जबकि उपभोक्ता विश्वास बढ़ने के साथ उपभोक्ता खर्च में सुधार होगा। क्रय प्रबंधकों के सर्वेक्षण के आंकड़े चालू वित्त वर्ष की शुरुआत में निरंतर वृद्धि की ओर इशारा करते हैं। इसने कहा कि आने वाले मानसून के मौसम के सामान्य रहने के संकेत वृद्धि को बढ़ावा देंगे और मुद्रास्फीति को कम अस्थिर बनाएंगे। हालांकि हाल ही में भीषण गर्मी ने जोखिम उत्पन्न किया है। गत वित्त वर्ष 2023-24 में भारतीय अर्थव्यवस्था 8.2 प्रतिशत बढ़ी थी।
- नयी दिल्ली। अमेजन इंडिया ने अपनी सब्जियों तथा फलों की सेवा ‘अमेजन फ्रेश' का विस्तार अंबाला, औरंगाबाद, होशियारपुर, धारवाड़, ऊना, सूरी जैसे 130 से अधिक शहरों में किया है। इस सेवा में फल, सब्जियां, ठंडे उत्पाद, सौंदर्य, शिशु, व्यक्तिगत देखभाल का सामान और पालतू पशु उत्पाद आदि की एक विस्तृत श्रृंखला शामिल है। यह सेवा ग्राहकों को ‘अमेजन डॉट इन' पर अपने समर्पित ऐप-इन-ऐप के जरिये सुगम खरीदारी का अनुभव देगी। इसमें दोबारा खरीदने और ‘रिमाइंडर' का विकल्प भी है जिससे यह सुनिश्चित किया जा सके कि चेकआउट के दौरान ग्राहक अक्सर खरीदी गई वस्तुओं को न भूलें। अमेजन फ्रेश इंडिया के निदेशक श्रीकांत श्री राम ने कहा कि अमेजन फ्रेश भारत में किराना खरीदारी को नया रूप दे रही है।
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नई दिल्ली। ब्रिटेन मई में चीन को पछाड़कर भारत का चौथा सबसे बड़ा निर्यात बाजार बन गया। पिछले साल मई में वह भारत का छठा सबसे बड़ा निर्यात बाजार था।
वाणिज्य विभाग के आंकड़ों से पता चला है कि मई में भारत से ब्रिटेन को निर्यात करीब एक तिहाई बढ़कर 1.37 अरब डॉलर हो गया और चीन को निर्यात 1.33 अरब डॉलर ही रहा। उस महीने में अलग-अलग क्षेत्र के निर्यात आंकड़े नहीं थे मगर पिछले कुछ महीनों का रुझान बताता है कि ब्रिटेन को मशीनरी, खाद्य उत्पाद, दवा, कपड़ा, आभूषण, लोहे एवं इस्पात का ज्यादा निर्यात किया गया।सरकारी आंकड़े बताते हैं कि भारत के शीर्ष 10 निर्यात बाजारों में मई के दौरान निर्यात बढ़ा, जबकि पिछले एक साल से ज्यादा समय तक वहां के लिए निर्यात कम होता जा रहा था। मई में देश से निर्यात हुए कुल सामान में से 52 फीसदी इन्हीं 10 देशों को गया।मई में भारत का वस्तु निर्यात 9.13 फीसदी बढ़कर 38 अरब डॉलर हो गया। वैश्विक मांग में उतार-चढ़ाव और अर्थव्यवस्थाओं की रफ्तार में कमीबेशी के बीच पिछले कई महीनों तक निर्यात में सुस्ती रही थी मगर मई में अच्छी वृद्धि हुई।अमेरिका को निर्यात में 13 फीसदी इजाफा हुआ और वह भारत का सबसे बड़ा निर्यात साझेदार बना रहा। उसके बाद संयुक्त अरब अमीरात (यूएई) को निर्यात में 19 फीसदी वृद्धि दर्ज की गई। नीदरलैंड भारत का तीसरा सबसे बड़ा निर्यात साझेदार है और मई में वहां के लिए निर्यात 44 फीदी चढ़कर 2.19 अरब डॉलर हो गया।भारत से चीन को निर्यात में पिछले महीने केवल 3 फीसदी इजाफा हुआ। सऊदी अरब को निर्यात में 8.46 फीसदी, सिंगापुर को 4.64 फीसदी, बांग्लादेश को 13.47 फीसदी, जर्मनी को 6.74 फीसदी और फ्रांस को निर्यात में 36.94 फीसदी बढ़ोतरी रही।भारत ने जिन 10 देशों से सबसे ज्यादा आयात करता है, उनमें से केवल 2 देशों से आयात में कमी आई। मई में सऊदी अरब से आयात में 4.11 फीसदी और स्विट्जरलैंड से आयात में 32.33 फीसदी कमी दर्ज की गई। मई में भारत का कुल वस्तु आयात 7.7 फीसदी बढ़कर 61.91 अरब डॉलर हो गया।रूस से होने वाला आयात 18 फीसदी बढ़कर 7.1 अरब डॉलर हो गया, जिसकी बड़ी वजह वहां के तेल पर भारत की निर्भरता है।चीन के बाद भारत सबसे ज्यादा आयात इसी देश से करता है और यह सिलसिला मई में भी जारी रहा। पिछले महीने चीन से आयात 2.81 फीसदी बढ़कर 8.48 अरब डॉलर हो गया।स्विट्जरलैंड से मुख्य तौर पर सोने का आयात होता है। मई में वहां से भारत को आयात करीब एक तिहाई घटकर 1.52 अरब डॉलर रह गया। मई में अमेरिका से आयात 0.4 फीसदी, यूएई से 18 फीसदी, इराक से 58.68 फीसदी), दक्षिण कोरिया से 13 फीसदी और सिंगापुर से आयात 8.78 फीसदी बढ़ा। इंडोनेशिया से आयात में 23.36 फीसदी कमी आई। देश के कुल वस्तु आयात में इन 10 देशों की हिस्सेदारी करीब 61 फीसदी है। -
नयी दिल्ली. म्यूचुअल फंड उद्योग ने चालू वित्त वर्ष (वित्त वर्ष 2024-25) के पहले दो महीनों (अप्रैल-मई) में 81 लाख से अधिक निवेशक खाते जोड़े हैं। इसका मुख्य कारण लगातार विपणन प्रयास, सेलिब्रिटी से प्रचार और वितरण नेटवर्क का समर्पित कार्य है। स्टॉक ट्रेडिंग मंच ट्रेडजिनी के मुख्य परिचालन अधिकारी (सीओओ) त्रिवेश डी ने कहा कि इसके अलावा सावधि जमाओं (एफडी) के बारे में बदलती धारणाएं तथा आय के स्तर में वृद्धि और वित्तीय बाजारों तक पहुंच ने भी नए निवेशकों की संख्या में वृद्धि में योगदान दिया है। सावधि जमा योजनाएं अब म्यूचुअल फंड की तुलना में प्रतिस्पर्धी प्रतिफल नहीं देती हैं। उन्होंने कहा कि इसके साथ ही म्यूचुअल फंड के लिए संभावनाएं मजबूत बनी हुई हैं, जिसे शेयर बाजार में चल रही तेजी, ठोस जोखिम प्रबंधन प्रथाओं, निरंतर निवेशक शिक्षा और लगातार विपणन प्रयासों से समर्थन मिल रहा है। विशेषज्ञों ने कहा कि इसके अलावा, उद्योग में अच्छी वृद्धि जारी रहेगी क्योंकि बचतकर्ता अपने दीर्घकालिक लक्ष्यों के लिए धन सृजन हेतु वैकल्पिक रास्ते तलाश रहे हैं। पीजीआईएम इंडिया म्यूचुअल फंड के सीबीओ अभिषेक तिवारी ने कहा, ‘‘जैसे-जैसे भारत की प्रति व्यक्ति आय बढ़ेगी, निवेशक ऐसे परिसंपत्ति वर्गों में पैसा बचाना चाहेंगे, जिनमें मुद्रास्फीति को मात देने और संपत्ति बनाने की क्षमता है। जैसे-जैसे म्यूचुअल फंड की पहुंच बढ़ेगी, यह उद्योग स्तर पर उच्च फोलियो आधार में तब्दील हो जाएगा।'' एसोसिएशन ऑफ म्यूचुअल फंड्स इन इंडिया (एम्फी) के आंकड़ों के अनुसार, उद्योग के म्यूचुअल फंड फोलियो की संख्या मई के अंत में 18.6 करोड़ थी, जो मार्च के अंत में दर्ज 17.78 करोड़ से 4.6 प्रतिशत या 81 लाख अधिक है। फोलियो व्यक्तिगत निवेशक खातों को दी जाने वाली संख्या होती है। एक निवेशक के कई फोलियो हो सकते हैं।
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मुंबई. भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) को लंदन के प्रमुख प्रकाशन ‘सेंट्रल बैंकिंग' ने 2024 के लिए सर्वश्रेष्ठ जोखिम प्रबंधक के पुरस्कार से सम्मानित किया है। रिजर्व बैंक ने रविवार को सोशल मीडिया मंच ‘एक्स' पर पोस्ट किया कि उसे अपनी जोखिम संस्कृति और जागरूकता में सुधार के लिए सर्वश्रेष्ठ जोखिम प्रबंधक का पुरस्कार दिया गया। केंद्रीय बैंक ने कहा कि यह पुरस्कार आरबीआई की तरफ से कार्यकारी निदेशक मनोरंजन मिश्रा ने ग्रहण किया।
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नयी दिल्ली. भारत में घरेलू एयर कंडीशनर (रूम एसी) का बाजार वित्त वर्ष 2028-29 तक 12 प्रतिशत की सालाना दर से बढ़कर 50,000 करोड़ रुपये तक पहुंच सकता है। टाटा समूह की कंपनी वोल्टास ने अपनी हालिया वार्षिक रिपोर्ट में यह बात कही है। एसी की अग्रणी कंपनी वोल्टास ने कहा कि घरेलू और अग्रणी विदेशी कंपनियों की उपस्थिति के कारण भारतीय घरेलू एसी बाजार में प्रतिस्पर्धा ‘तेज' हो गई है। बढ़ती गर्मी, बढ़ती खर्च योग्य आमदनी तथा उपभोक्ता वित्त तक आसान पहुंच के साथ बेहतर जीवनशैली की चाह जैसे कारकों से घरेलू एसी खंड की वृद्धि को बढ़ावा मिलने की संभावना है। वोल्टास ने कहा, ‘‘भारतीय घरेलू एसी बाजार के 2028-29 तक 12 प्रतिशत की सालाना दर से बढ़कर 50,000 करोड़ रुपये तक पहुंचने की संभावना है।'' वोल्टास ने 2023-24 में 20 लाख से अधिक एसी बेचे। कंपनी के अनुसार, यह किसी भी ब्रांड द्वारा एक वर्ष में बेची गई एसी की अबतक की सबसे अधिक संख्या थी। कंपनी ने कहा, “वोल्टास ने एक जनवरी, 2024 से 20 अप्रैल, 2024 तक मात्र 110 दिन की अवधि में 10 लाख एसी बेचे हैं।” इस सत्र में कई कंपनियों की एसी बिक्री अप्रैल और मई में दोगुना से अधिक हो गई है। भीषण गर्मी के दौरान पारा 45 डिग्री के आसपास पहुंचने के बीच बिक्री में जबर्दस्त उछाल देखने को मिला है। घरेलू एसी के अलावा, वाणिज्यिक एयर कंडीशनिंग (सीएसी) में भी प्रतिस्पर्धा बढ़ने जा रही है। अब अग्रणी विदेशी कंपनियों ने इस क्षेत्र पर ध्यान केंद्रित करना शुरू कर दिया है। इससे पहले, उपभोक्ता इलेक्ट्रॉनिक्स एवं उपकरण विनिर्माता संघ ने कहा था कि इस साल उसे घरेलू एसी की रिकॉर्ड बिक्री की उम्मीद है, जिससे 2024 में वार्षिक बिक्री लगभग 1.4 करोड़ इकाई हो जाएगी।
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नयी दिल्ली. खादी प्राकृतिक इमल्शन और डिस्टेंपर पेंट को सरकारी गुणवत्ता आश्वासन निकाय राष्ट्रीय परीक्षण शाला (एनटीएच) ने भारतीय मानक के अनुरूप प्रमाणित किया गया है। खाद्य एवं उपभोक्ता मामलों के मंत्रालय ने रविवार को कहा कि एनटीएच द्वारा किए गए व्यापक परीक्षण ने पुष्टि की है कि इमल्शन पेंट कड़े बीआईएस 15489:2013 मानकों को पूरा करता है, जबकि डिस्टेंपर पेंट बीआईएस 428:2013 मानकों का अनुपालन करता है। खादी एवं ग्रामोद्योग आयोग (केवीआईसी) द्वारा निर्मित ये पेंट अनुप्रयोग गुणों, पतलापन, सूखने में लगने वाले समय और सफाई के परीक्षण में सफल रहे। मंत्रालय ने कहा कि ये पेंट चार घंटे से भी कम समय में सूख गए और एक समान तथा चिकनी फिनिश दी। उन्होंने कहा कि ये उत्पाद सफेद रंग में उपलब्ध हैं, जिन्हें अन्य रंगों में भी रंगा जा सकता है। बयान में कहा गया है कि पिछले वर्ष तीन लाख लीटर से अधिक पेंट और डिस्टेंपर बेचे गए। मंत्रालय ने हालांकि तुलनात्मक आंकड़े नहीं दिए। केवीआईसी एक वैधानिक निकाय है जो गांव आधारित उद्योगों को बढ़ावा देता है।
- नयी दिल्ली। घरेलू मोर्चे पर किसी प्रमुख संकेतक के अभाव में इस सप्ताह शेयर बाजारों की दिशा वैश्विक रुख पर निर्भर करेगी। कम कारोबारी सत्रों वाले सप्ताह के दौरान बाजार मुख्य रूप से विदेशी निवेशकों की गतिविधियों से दिशा लेगा। विश्लेषकों ने यह राय जताई है। इसके अलावा वैश्विक स्तर पर ब्रेंट कच्चे तेल के दाम और डॉलर के मुकाबले रुपये का उतार-चढ़ाव भी बाजार की दृष्टि से महत्वपूर्ण रहेगा। स्वस्तिका इन्वेस्टमार्ट लि. के शोध प्रमुख संतोष मीणा ने कहा, ‘‘यह सप्ताह कम कारोबारी सत्रों वाला है और किसी बड़े संकेतक का अभाव है। हालांकि, बजट को लेकर चर्चा के बीच हमें क्षेत्र विशेष के शेयरों में गतिविधियां देखने को मिल सकती हैं। मुख्य रूप से बाजार का रुख मानसून की प्रगति तथा संस्थागत निवेशकों के प्रवाह पर निर्भर करेगा।'' उन्होंने कहा कि वैश्विक मोर्चे पर चीन के आंकड़े, डॉलर सूचकांक का उतार-चढ़ाव तथा अमेरिका में बॉन्ड प्रतिफल बाजार की दृष्टि से महत्वपूर्ण रहेगा। सोमवार को ‘बकरीद' के मौके पर शेयर बाजार बंद रहेंगे।रेलिगेयर ब्रोकिंग लिमिटेड के वरिष्ठ उपाध्यक्ष (शोध) अजित मिश्रा ने कहा, ‘‘सोमवार की अवकाश के कारण यह कम कारोबारी सत्रों वाला सप्ताह है। सप्ताह के दौरान बाजार भागीदारों की निगाह वैश्विक बाजारों, विशेषरूप से अमेरिकी बाजार पर रहेगी।'' बीते सप्ताह बीएसई का 30 शेयरों वाला सेंसेक्स 299.41 अंक या 0.39 प्रतिशत के लाभ में रहा। वहीं नेशनल स्टॉक एक्सचेंज का निफ्टी 175.45 अंक या 0.75 प्रतिशत चढ़ गया। सेंसेक्स 13 जून को 77,145.46 अंक के अपने सर्वकालिक उच्चस्तर पर पहुंचा, जबकि निफ्टी ने 14 जून को 23,490.40 अंक के अपने नए शिखर को छुआ। मोतीलाल ओसवाल फाइनेंशियल सर्विसेज के खुदरा शोध प्रमुख सिद्धार्थ खेमका ने कहा, ‘‘घरेलू बाजार सोमवार को बंद रहेंगे, जबकि वैश्विक स्तर पर निवेशकों की निगाह बैंक ऑफ इंग्लैंड के ब्याज दर को लेकर निर्णय पर रहेगी।'' खेमका ने कहा, ‘‘हमें उम्मीद है कि सकारात्मक वृहद रुझान, सरकारी खर्च जारी रहने और नीतिगत मोर्चे पर निरंतरता की उम्मीद के बीच बाजार में तेजी का रुख कायम रहेगा।''
- नयी दिल्ली,। भारतीय उद्योग परिसंघ (सीआईआई) के नए अध्यक्ष संजीव पुरी का मानना है कि 2024-25 के आगामी पूर्ण बजट में मुद्रास्फीति के उच्चस्तर को देखते हुए सबसे निचले स्लैब के लोगों के लिए आयकर राहत पर विचार करने की आवश्यकता है। पुरी ने भूमि, श्रम, बिजली और कृषि से संबंधित सभी सुधारों को सफलतापूर्वक आगे बढ़ाने के लिए केंद्र और राज्यों के बीच आम सहमति बनाने को एक संस्थागत मंच बनाने का भी सुझाव दिया। उद्योग मंडल ने कहा कि उसे नहीं लगता कि गठबंधन राजनीति की मजबूरियां प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के तीसरे कार्यकाल में सुधारों में बाधक बनेंगी। इसके बजाय उसका मानना है कि भारतीय अर्थव्यवस्था का प्रदर्शन और पिछले दो कार्यकाल में नीतियों की सफलता इस प्रक्रिया में तेजी लाने के लिए आधार तैयार करेगी। वित्त वर्ष 2024-25 के पूर्ण बजट से उम्मीदों के बारे में पूछे जाने पर पुरी ने कहा, ‘‘मोटे तौर पर, मैं इस समय कहूंगा कि सार्वजनिक पूंजीगत व्यय, राजकोषीय प्रगति पथ का पालन, सामाजिक बुनियादी ढांचे में निवेश के लिए रूपरेखा, हरित कोष और ग्रामीण क्षेत्र में अधिक निवेश...ये व्यापक सिद्धान्त हैं।'' खाद्य पदार्थों, विशेषकर सब्जियों और विनिर्मित वस्तुओं की कीमतों में वृद्धि के कारण मई में थोक मुद्रास्फीति लगातार तीसरे महीने बढ़कर 2.61 प्रतिशत हो गई है। थोक मूल्य सूचकांक (डब्ल्यूपीआई) आधारित मुद्रास्फीति इससे पिछले महीने 1.26 प्रतिशत पर थी। मई, 2023 में शून्य से नीचे 3.61 प्रतिशत थी। पुरी ने कहा कि सीआईआई का अनुमान है कि मानसून अच्छा रहने की वजह से उपभोक्ता मूल्य सूचकांक आधारित मुद्रास्फीति इस साल 4.5 प्रतिशत के आसपास रहेगी। कर के बारे में पूछे जाने पर उन्होंने कहा कि हमारा सुझाव है कि इस मोर्चे पर सरलीकरण की प्रक्रिया जारी रहनी चाहिए। उन्होंने कहा कि पूंजीगत लाभ को लेकर कुछ सुझाव हैं। ‘‘यह विभिन्न माध्यमों पर अलग-अलग है। क्या इसे सुसंगत किया जा सकता है।'
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नई दिल्ली। वित्त मंत्रालय ने वित्त वर्ष 2024-25 के पूर्ण बजट के लिए व्यापार एवं उद्योग संघों से प्रत्यक्ष व अप्रत्यक्ष करों और उनका अनुपालन बोझ कम करने के लिए कानूनों में बदलाव के संबंध में सुझाव आमंत्रित किए हैं। व्यापार एवं उद्योग संघों को अपने सुझाव 17 जून तक मंत्रालय को भेजने हैं।
वित्त वर्ष 2024-25 का पूर्ण बजट जुलाई के अंत में संसद में पेश किए जाने की उम्मीद है। इस साल चुनावी साल होने से फरवरी में अंतरिम बजट ही पेश किया गया था। वित्त मंत्रालय के मुताबिक, इन सुझावों में शुल्क संरचना, कर दरों में परिवर्तन और प्रत्यक्ष एवं अप्रत्यक्ष करों पर कर आधार को व्यापक बनाने के विचार शामिल हो सकते हैं, ताकि इसके लिए आर्थिक औचित्य दिया जा सके।सीमा शुल्क एवं उत्पाद शुल्क में परिवर्तन के लिए व्यापार और उद्योग जगत को उत्पादन, कीमतों और सुझाए गए बदलावों के राजस्व निहितार्थ के बारे में प्रासंगिक सांख्यिकीय जानकारी के साथ अपनी मांगों को उचित ठहराना होगा। इसके साथ ही उलटे शुल्क ढांचे में सुधार के अनुरोध को उत्पाद के विनिर्माण के प्रत्येक चरण में मूल्य संवर्धन से समर्थित करना होगा। उलटे शुल्क ढांचे में तैयार माल पर लगने वाले शुल्क से अधिक शुल्क कच्चे माल पर लगता है।प्रत्यक्ष करों के संबंध में मंत्रालय ने कहा कि सुझाव अनुपालन कम करने, कर निश्चितता प्रदान करने और मुकदमेबाजी कम करने पर भी हो सकते हैं। इसमें कहा गया कि मध्यम अवधि में सरकार की नीति कर प्रोत्साहन, कटौतियों तथा छूटों को चरणबद्ध तरीके से समाप्त करने तथा साथ ही कर दरों को युक्तिसंगत बनाने की है। -
नई दिल्ली। देश की अग्रणी इलेक्ट्रिक कार कंपनी टाटा मोटर्स (Tata Motors) की पंच ईवी (Punch EV) और नेक्सॉन ईवी (Nexon EV) को भारत-एनकैप क्रैश टेस्ट में 5-स्टार रेटिंग मिली है।
स्वदेशी इलेक्ट्रिक वाहन विनिर्माता भारत के नए कार मूल्यांकन कार्यक्रम (Bharat Ncap) के अंतर्गत प्रमाण पत्र हासिल करने वाली देश की पहली कंपनी है। इस कार्यक्रम के तहत क्रैश टेस्ट और सुरक्षा सुविधाओं और तकनीक पर वाहन का प्रदर्शन देखा जाता है और उसके आधार पर स्टार रेटिंग दी जाती है।टाटा पैसेंजर इलेक्ट्रिक मोबिलिटी और टाटा मोटर्स पैसेंजर व्हीकल्स के प्रबंध निदेशक शैलेश चंद्रा ने कहा, ‘हम सरकार के सख्त सुरक्षा मानदंडों का स्वागत करते हैं। इस परीक्षण के लिए वाहन भेजने वाली पहली कंपनी होने और भारत एनकैप प्रणाली में सबसे पहले पहुंचकर शानदार नतीजा हासिल करने पर हमें गर्व है। देश का सबसे सुरक्षित वाहन पंच ईवी बनाने पर हमें खुशी है और नेक्सॉन ईवी ने 5-स्टार सुरक्षा रेटिंग के साथ अपनी विरासत बरकरार रखी है।’कंपनी ने कहा कि पंच ईवी (Punch EV) ने वयस्क यात्री सुरक्षा के लिए 32 अंक में से 31.46 अंक और बाल यात्री सुरक्षा के लिए 49 अंक में से 45 अंक हासिल किए हैं। आज तक किसी भी अन्य वाहन को इतना स्कोर नहीं मिला है। नेक्सॉन ईवी ने भी वयस्क यात्री सुरक्षा में 32 में से 29.86 अंक और बाल यात्री सुरक्षा पैमाने पर 49 में से 44.95 अंक हासिल किया है।केंद्रीय भूतल परिवहन एवं राजमार्ग मंत्री नितिन गडकरी ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर कंपनी को बधाई देते हुए लिखा, ‘पंच ईवी और नेक्सॉन ईवी के लिए भारत एनकैप से 5-स्टार रेटिंग के लिए धन्यवाद @tataev @TataMotors। इस तरह यह भारतीय वाहन बाजार में 5 स्टार रेटिंग वाली पहली ईवी बन गई है।’गडकरी ने कहा कि भारत में भविष्य की मोबिलिटी में इलेक्ट्रिक वाहनों की प्रमुख भूमिका होगी और दमदार भारत एनकैप रेटिंग ग्राहकों को सुरक्षित वाहन चुनने में काफी मददगार साबित होगी। उन्होंने कहा कि यह रेटिंग बताती है कि वाहन यात्रियों के लिए बहुत सुरक्षित है।भूतल परिवहन एवं राजमार्ग मंत्रालय ने कारों के क्रैश परीक्षण के लिए स्वदेशी स्टार-रेटिंग प्रणाली शुरू की है। इसके तहत देखा जाता है कि वाहन टक्कर में कितने सुरक्षित रहते हैं और उसी के हिसाब से 1 से 5 स्टार तक दिए जाते हैं। यह रेटिंग प्रणाली स्वैच्छिक है और 1 अक्टूबर 2023 से लागू हो चुकी है।भारत एनकैप के तहत वाहन कंपनी स्वेच्छा से कार भेजती हैं, जिनका क्रैश परीक्षण वाहन उद्योग के मानक 197 के प्रोटोकॉल के अनुसार होता है। यह कार्यक्रम उन यात्री वाहनों के लिए है, जिनमें ड्राइवर के अलावा सवारियों के लिए 8 से अधिक सीटें न हों और वाहन का कुल वजन 3,500 किलोग्राम से अधिक न हो। किसी खास वैरिएंट के केवल बेस मॉडल का ही परीक्षण होता है।कारों को तीन पैमानों पर जांचते हैं और फिर 1 से 5 स्टार तक रेटिंग देते हैं। इन पैमानों में वयस्क सवारी की सुरक्षा, सवार बच्चों की सुरक्षा और वाहन में मौजूद सुरक्षा सहायक तकनीक शामिल हैं। पहले दो पैमानों में तीन अलग-अलग परीक्षण होते हैं। इनमें फ्रंटल ऑफसेट परीक्षण भी शामिल है, जहां 63 किलोमीटर प्रति घंटा की रफ्तार से आ रहे वाहन की भिड़ंत एक बैरियर से कराई जाती है, जो सामने से आ रहे वाहन की 40 फीसदी बॉडी के बराबर होता है। वाहन को 50 किलोमीटर की रफ्तार पर साइड से भी भिड़ाया जाता है और अंत में 29 किलोमीटर प्रति घंटे की गति से किसी खंभे से टकराया जाता है।गडकरी ने पिछले साल अगस्त में यह टेस्ट शुरू करते हुए कहा था कि भारत एनकैप देश के वाहन उद्योग को आत्मनिर्भर बनाने का अहम जरिया होगा, जिसका मकसद भारत को दुनिया का अग्रणी वाहन विनिर्माण केंद्र बनाना है। -
नई दिल्ली। खाद्य वस्तुओं खासकर सब्जियों और विनिर्मित वस्तुओं की कीमतों में वृद्धि के कारण थोक मुद्रास्फीति मई में लगातार तीसरे महीने बढ़कर 2.61 प्रतिशत हो गई। थोक मूल्य सूचकांक (डब्ल्यूपीआई) आधारित मुद्रास्फीति अप्रैल में 1.26 प्रतिशत थी। मई 2023 में यह शून्य से नीचे 3.61 प्रतिशत रही थी।
वाणिज्य एवं उद्योग मंत्रालय ने शुक्रवार को एक बयान में कहा, ‘‘ मई 2024 में मुद्रास्फीति बढ़ने का मुख्य कारण खाद्य वस्तुओं, खाद्य उत्पादों के विनिर्माण, कच्चे पेट्रोलियम तथा प्राकृतिक गैस, खनिज तेल, अन्य विनिर्माण आदि की कीमतों में वृद्धि रहा।’’आंकड़ों के अनुसार, खाद्य वस्तुओं की मुद्रास्फीति मई में 9.82 प्रतिशत बढ़ी, जबकि अप्रैल में यह 7.74 प्रतिशत थी। मई में सब्जियों की महंगाई दर 32.42 प्रतिशत रही, जो अप्रैल में 23.60 प्रतिशत थी। प्याज की महंगाई दर 58.05 प्रतिशत, जबकि आलू की महंगाई दर 64.05 प्रतिशत रही। दालों की महंगाई दर मई में 21.95 प्रतिशत रही।ईंधन एवं बिजली क्षेत्र में मुद्रास्फीति 1.35 प्रतिशत रही, जो अप्रैल के 1.38 प्रतिशत से मामूली कम है। विनिर्मित उत्पादों में मुद्रास्फीति 0.78 प्रतिशत रही, जो अप्रैल में शून्य से नीचे 0.42 प्रतिशत थी। थोक मूल्य सूचकांक में मई में वृद्धि महीने के खुदरा मुद्रास्फीति के आंकड़ों के विपरीत है।इस सप्ताह की शुरुआत में जारी आंकड़ों के अनुसार मई में खुदरा मुद्रास्फीति घटकर 4.75 प्रतिशत पर आ गई जो एक साल का सबसे निचला स्तर है। भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) मौद्रिक नीति तैयार करते समय मुख्य रूप से खुदरा मुद्रास्फीति को ध्यान में रखता है। आरबीआई ने इस महीने की शुरुआत में लगातार आठवीं बार ब्याज दर को यथावत रखने का फैसला किया था। - नयी दिल्ली.। भारत 2024 की जुलाई-सितंबर तिमाही के लिए अपने रोजगार परिदृश्य के मामले में वैश्विक स्तर पर छठे स्थान पर है। देश में 30 प्रतिशत कंपनियां अगले तीन महीनों में अपने कर्मचारियों की संख्या बढ़ाने की योजना बना रही हैं। कार्यबल समाधान कंपनी मैनपावरग्रुप के एक वैश्विक सर्वेक्षण में यह बात कही गई। ‘भारत के शुद्ध रोजगार परिदृश्य' (एनईओ) की गणना छंटनी की योजना बनाने वाले नियोक्ताओं की संख्या को नियुक्ति की योजना बनाने वाले नियोक्ताओं से घटाकर की गई। इससे सामने आया कि 30 प्रतिशत कंपनियां अगले तीन महीनों में अपने कर्मचारियों की संख्या बढ़ाने की योजना बना रही हैं। भारत अपने रोजगार परिदृश्य के लिए वैश्विक स्तर पर छठे स्थान पर है, जो वैश्विक औसत से आठ अंक ऊपर है। यह सर्वेक्षण 42 देशों में किया गया है। वैश्विक स्तर पर, कोस्टा रिका में जुलाई-सितंबर के लिए सबसे मजबूत 35 प्रतिशत नियुक्ति की उम्मीद है। इसके बाद स्विट्जरलैंड में 34 प्रतिशत, ग्वाटेमाला में 32 प्रतिशत, मेक्सिको में 32 प्रतिशत और दक्षिण अफ्रीका में 31 प्रतिशत कंपनियां अगले तीन महीनों में भर्तियां करने की योजना बना रही है। दूसरी ओर, अर्जेंटीना और रोमानिया में सबसे कम तीन प्रतिशत एनईओ दर्ज किया गया।मैनपावरग्रुप रोजगार परिदृश्य सर्वेक्षण के नवीनतम संस्करण में भारत में 3,150 नियोक्ताओं से उनकी तीसरी तिमाही की नियुक्ति संबंधी मंशा के बारे में पूछा गया। मैनपावरग्रुप के भारत तथा पश्चिम एशिया के प्रबंध निदेशक संदीप गुलाटी ने कहा, ‘‘ वैश्विक मंदी का असर भारत के आईटी क्षेत्र पर काफी समय से पड़ रहा है। इस सर्वेक्षण में आंकड़े एकत्रित करते समय आम चुनाव के कारण देश में राजनीतिक अनिश्चितता का माहौल बना हुआ था और स्पष्ट रूप से नियोक्ता अपने अल्पकालिक संसाधन नियोजन में सावधानी बरत रहे थे।'' हालांकि, रियल एस्टेट क्षेत्र में निवेशकों की रुचि बढ़ी है और आवासीय क्षेत्र में 1.1 अरब अमेरिकी डॉलर का पूंजी प्रवाह हुआ है। कुल मिलाकर उत्तर भारत में नियुक्ति की संभावना सबसे अधिक 36 प्रतिशत रही। इसके बाद पश्चिम में 31 प्रतिशत, दक्षिण में 30 प्रतिशत और पूर्व में 21 प्रतिशत नियोक्ताओं ने भर्ती करने की इच्छा व्यक्त की। आम धारणा के विपरीत करीब 68 प्रतिशत नियोक्ता अगले दो साल में कृत्रिम मेधा (एआई) और मशीन लर्निंग को अपनाने के कारण कर्मचारियों की संख्या बढ़ाने की योजना बना रहे हैं। इसका नेतृत्व संचार सेवा क्षेत्र, वित्तीय और रियल एस्टेट, उद्योग व सामग्री तथा सूचना प्रौद्योगिकी क्षेत्र करेंगे।
- नयी दिल्ली।. महिंद्रा समूह के मुख्य कार्यपालक अधिकारी (सीईओ) एवं प्रबंध निदेशक अनीश शाह ने मंगलवार को कहा कि उद्योग जगत को उम्मीद है कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी नीत सरकार के तीसरे कार्यकाल में भी वृद्धि को बढ़ाने वाली नीतियां जारी रहेंगी और गठबंधन राजनीति इसमें गतिरोधक नहीं बनेगी। विकास एजेंडा को जारी रखने के अलावा उद्योग को उम्मीद है कि सरकार चार प्रमुख क्षेत्रों...विश्व के लिए विनिर्माण, महिलाओं के नेतृत्व में विकास, कृषि आधारित समृद्धि, और स्थिरता पर ध्यान केंद्रित करेगी । शाह ने कहा कि निजी पूंजीगत व्यय जो सरकारी पूंजीगत व्यय से पीछे रहा है उसके केंद्र में स्थिर सरकार के बने रहने से बढ़ने की उम्मीद है। शाह उद्योग चैंबर फिक्की के अध्यक्ष भी हैं।उन्होंने कहा, ‘‘ उद्योग के नजरिये से स्थिरता सकारात्मक है। सकारात्मक बात यह भी है कि इस सरकार ने दीर्घावधि वृद्धि के लिए पूंजीगत व्यय पर अधिक ध्यान केंद्रित किया है।'' गठबंधन राजनीति की मजबूरियों, जैसे कि भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) को हाल के आम चुनाव में स्पष्ट बहुमत नहीं मिलने से वृद्धि में बाधा आने के सवाल पर उन्होंने कहा कि ऐसा नहीं है। शाह ने कहा, ‘‘ यदि हम पिछले 20 या 30 वर्षों पर नजर डालें तो हमारे यहां कई गठबंधन सरकारें रहीं और अर्थव्यवस्था निरंतर प्रगति करती रही। हां, हम अब और अधिक तेजी से प्रगति की मांग कर सकते हैं, लेकिन पिछले 10 साल में जो कदम उठाए गए हैं और मंत्रालयों में भी जो स्थिरता है... उसे देखते हुए इस बात का विश्वास काफी बढ़ गया है कि वृद्धि का एजेंडा आगे भी जारी रहेगा।'' सरकार से विशिष्ट अपेक्षाओं के बारे में पूछे जाने पर शाह ने कहा, ‘‘ एक मैं कहूंगा कि उनकी विकासोन्मुखी नीतियों को जारी रखा जाएगा और दूसरा (चार) विशिष्ट क्षेत्रों में तेजी लाई जाएगी।'' इनमें लागत कम करके विनिर्माण पर ध्यान केंद्रित करना और उच्च गुणवत्ता वाले उत्पादों के उत्पादन को प्रोत्साहित करने के उद्देश्य से कारोबार सुगमता को बढ़ावा देना शामिल है। उन्होंने कहा कि दूसरा क्षेत्र जिस पर ध्यान देने की आवश्यकता है....वह है महिलाओं के नेतृत्व वाला विकास। विनिर्माण में महिलाओं की भागीदारी को बढ़ावा देना महत्वपूर्ण है। शाह ने कहा, ‘‘ यह ऐसा मामला है जिसमें कॉरपोरेट क्षेत्र की भी बराबर की भूमिका है।''शाह ने कृषि आधारित समृद्धि पर जोर दते हुए कहा कि उद्योग को उम्मीद है कि सरकार कृषि उत्पादकता में सुधार, बर्बादी को कम करने और मशीनीकरण को बढ़ावा देने के लिए कदम उठाएगी। स्थायित्व के महत्व को रेखांकित करते हुए शाह ने कहा कि उद्योग जगत इस बात की भी उम्मीद कर रहा है कि सरकार हरित अर्थव्यवस्था पर ध्यान केंद्रित करते हुए टिकाऊ शहरी बुनियादी ढांचे के निर्माण के लिए कदम उठाएगी।
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मुंबई । वित्तीय उद्योग क्षेत्र के दिग्गज उदय कोटक ने सोमवार को कहा कि ज्यादातर व्यवसायी सत्ता में बैठे लोगों के सामने सच बोलने में सावधानी बरतते हैं और प्रासंगिक मुद्दों पर अपनी बात नहीं रखते हैं। बजाज समूह के पूर्व मानद चेयरमैन राहुल बजाज के जीवन पर आधारित किताब 'हमारा राहुल' के विमोचन के अवसर पर कोटक ने याद दिलाया कि कैसे दिवंगत अरबपति कारोबारी ने कई बार बोलने की दुर्लभ क्षमता दिखाई थी। निजी क्षेत्र के ऋणदाता कोटक महिंद्रा बैंक के संस्थापक कोटक ने कहा, ''अधिकांश व्यवसायी इस बात को लेकर बहुत सावधान रहते हैं कि कैसे बोलना है।'' उन्होंने विशिष्ट उदाहरणों का जिक्र किया जब बजाज ने ऐसा किया। ऐसा ही अवसर एक पुरस्कार समारोह का था, जहां बजाज ने केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह की उपस्थिति में व्यवसायियों में बोलने के डर के बारे में चिंता जताई थी। कोटक ने कहा कि उन्होंने (बजाज) वह बात कही, जो किसी में कहने की हिम्मत नहीं थी, लेकिन जो हर किसी के दिमाग में थी। वह सच बोलने से कभी नहीं डरते थे।
- मुंबई,। दबाव वाली आवासीय परियोजनाओं में फंसे कर्ज की वसूली दर चालू वित्त वर्ष में बेहतर होने की उम्मीद है। घरों की कीमतें बढ़ने के अलावा नियमों में बदलाव से भी इसमें मदद मिलने की संभावना है। सोमवार को एक रिपोर्ट में यह उम्मीद जताई गई। घरेलू रेटिंग एजेंसी क्रिसिल ने अपनी रिपोर्ट में कहा कि वित्त वर्ष 2024-25 में फंसी हुई आवासीय परियोजनाओं से कर्ज की वसूली दर बढ़कर 16-18 प्रतिशत हो जाने का अनुमान है जबकि पिछले वित्त वर्ष में यह आंकड़ा 11 प्रतिशत था। रेटिंग एजेंसी ने कहा, ‘‘आवासीय रियल एस्टेट क्षेत्र में स्वस्थ मांग और घरों की कीमतों में बढ़ोतरी के अलावा ऐसी परियोजनाओं में नई जान फूंकने में निवेशकों एवं प्रवर्तकों की दिलचस्पी बढ़ने से तनावग्रस्त परियोजनाओं की व्यवहार्यता में सुधार आने से ऐसा होगा।'' इसके साथ ही क्रिसिल ने कहा कि रियल एस्टेट परियोजनाओं के लिए भारतीय दिवाला एवं ऋणशोधन अक्षमता बोर्ड (आईबीबीआई) के नियमों में हाल ही में किए गए संशोधनों से भी मध्यम अवधि में दबाव वाली रियल एस्टेट परिसंपत्तियों के समाधान को मजबूती मिलेगी। इस साल फरवरी में दिवाला नियम में किया गया संशोधन कई परियोजनाओं और समूह के अंतर-संबंधों को शामिल करते हुए उन्हें पूरी कंपनी से अलग करके व्यक्तिगत परियोजनाओं का समाधान करने में सक्षम बनाता है। क्रिसिल के मुताबिक, देश के शीर्ष छह शहरों में आवासीय क्षेत्रों में स्वस्थ आर्थिक वृद्धि और मांग में उछाल के बीच आवासीय मांग में 10-12 प्रतिशत वृद्धि का अनुमान है। इसके अलावा खाली पड़े घरों की कम संख्या भी एआरसी (संपत्ति पुनर्निर्माण कंपनियों) को प्रवर्तकों या बाहरी निवेशकों के समर्थन से अटकी परियोजनाओं को तेजी से चालू करने में मदद करेगी। क्रिसिल के वरिष्ठ निदेशक मोहित मखीजा ने कहा कि पिछले दो वित्त वर्षों में कीमतों में उल्लेखनीय वृद्धि और आवासीय अचल संपत्ति की अच्छी मांग के कारण 3.3 करोड़ वर्ग फुट क्षेत्र की खाली पड़ी इकाइयों को बढ़े हुए बाजार मूल्यों पर बेचे जाने की संभावना है।
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ताइपे.भारत का पर्सनल कंप्यूटर (पीसी) बाजार बाकी दुनिया से बेहतर है और लोगों तक उपकरणों की कम पहुंच ताइवान की प्रमुख प्रौद्योगिकी कंपनी आसुस के लिए वृद्धि का अच्छा अवसर दे रही है। कंपनी के वरिष्ठ अधिकारियों ने यह बात कही है। ताइवानी पीसी विनिर्माता ने भारतीय बाजार में सकारात्मक वृद्धि देखी है।
आसुस इंडिया के उपभोक्ता और गेमिंग पीसी के उपाध्यक्ष अर्नोल्ड सु ने बताया, "भारत में प्रति घर पीसी की पहुंच करीब 10 से 11 प्रतिशत है। इसका मतलब है कि करीब 90 प्रतिशत भारतीय घरों में अभी भी पीसी नहीं है, जिसका मतलब है कि यह हमारे लिए बहुत अच्छा अवसर है।" सु ने कहा कि आसुस भारत में निवेश जारी रखे हुए है और अपने उत्पाद को पूरे देश में उपलब्ध करा रहा है। "... अगर आप आज भारत में देखें, तो 750 जिलों में से हम लगभग 450 जिलों तक पहुंच बना चुके हैं।" एशिया-प्रशांत पीसी कारोबार इकाई के लिए आसुस के महाप्रबंधक पीटर चांग ने बताया कि कोविड महामारी के बाद, कंपनी को वैश्विक स्तर पर और भारत में पीसी की मांग में बहुत सकारात्मक संकेत नहीं मिले हैं। उन्होंने कहा, "हालांकि, इस वर्ष... लैपटॉप खरीदने में रुचि बढ़ी है, इसलिए हमारा मानना है कि बहुत जल्द ही बाजार सामान्य हो जाएगा। इसके अलावा, मुझे लगता है कि भारत का पीसी बाजार बाकी दुनिया से बेहतर है।" बाजार अनुसंधान फर्म आईडीसी ने हाल ही में कहा था कि उपभोक्ता और वाणिज्यिक दोनों खंड में मांग में कमी के कारण जनवरी-मार्च 2023 तिमाही में भारतीय बाजार में पर्सनल कंप्यूटर की बिक्री सालाना आधार पर लगभग 30 प्रतिशत घटकर 29.92 लाख इकाई रह गई। इंटरनेशनल डेटा कॉरपोरेशन (आईडीसी) वर्ल्डवाइड क्वार्टरली पर्सनल कंप्यूटिंग डिवाइस ट्रैकर के अनुसार, मार्च 2022 तिमाही में भारत में 42.82 लाख पीसी इकाई भेजी गईं। - नयी दिल्ली।. वाणिज्य एवं उद्योग मंत्रालय देश में नवाचार को बढ़ावा देने के लिए नई सरकार द्वारा घोषित आगामी बजट में स्टार्टअप के लिए अधिक धनराशि की मांग कर सकता है। एक वरिष्ठ अधिकारी ने यह बात कही है। नई सरकार 2024-25 के लिए जुलाई में बजट पेश कर सकती है।अप्रैल, 2021 में 945 करोड़ रुपये की धनराशि के साथ घोषित सीड फंड योजना 2025 में समाप्त हो जाएगी। मंत्रालय इसी तर्ज पर एक नई योजना प्रस्तावित करने पर विचार कर सकता है। सीड फंड योजना का उद्देश्य स्टार्टअप्स को अवधारणा के प्रमाण, प्रोटोटाइप विकास, उत्पाद परीक्षण, बाजार में प्रवेश और व्यावसायीकरण के लिए वित्तीय सहायता प्रदान करना था। इस निधि को भारत भर में इनक्यूबेटरों के माध्यम से पात्र स्टार्टअप्स को शुरुआती वित्तपोषण प्रदान करने के लिए चार वर्षों में विभाजित किया गया था। एक अन्य अधिकारी ने कहा कि किसी उद्यम की वृद्धि के प्रारंभिक चरण में उद्यमियों के लिए पूंजी की आसान उपलब्धता जरूरी है। देश में 1.17 लाख से ज़्यादा सरकारी पंजीकृत स्टार्टअप हैं। वे आयकर और अन्य लाभों के लिए पात्र हैं। इन मान्यता प्राप्त स्टार्टअप ने 12.42 लाख से ज़्यादा प्रत्यक्ष नौकरियां दी हैं। मंत्रालय द्वारा ‘डीप टेक' स्टार्टअप के लिए एक समर्पित नीति प्रस्तावित करने की भी उम्मीद है।‘डीप टेक्नोलॉजी' का मतलब उन्नत वैज्ञानिक और तकनीकी सफलताओं पर आधारित नवाचारों से है। अपनी प्रकृति के कारण, उनमें भारत के सबसे महत्वपूर्ण सामाजिक मुद्दों को हल करने की क्षमता है।
- नयी दिल्ली.। इडली, डोसा और खमन बनाने के मिश्रण को सत्तू के रूप में वर्गीकृत नहीं किया जा सकता है और उन पर 18 प्रतिशत जीएसटी लगाया जाना चाहिए। गुजरात अग्रिम निर्णय अपीलीय प्राधिकरण (जीएएआर) ने यह फैसला सुनाया है। गुजरात स्थित किचन एक्सप्रेस ओवरसीज लिमिटेड ने जीएसटी अग्रिम प्राधिकरण के फैसले के खिलाफ एएएआर से संपर्क किया था। कंपनी ने कहा था कि उसके सात 'इंस्टेंट आटा मिक्स' तैयार भोजन नहीं है और उन्हें खाना पकाने की कुछ प्रक्रियाओं से गुजरना पड़ता है। कंपनी गोटा, खमन, दालवाड़ा, दही-वड़ा, ढोकला, इडली और डोसा के आटे के मिश्रण को पाउडर के रूप में बेचती है। जीएएएआर ने अपीलकर्ता की दलील को खारिज करते हुए कहा कि 'इंस्टेंट आटा मिक्स' बनाने में इस्तेमाल होने वाली सामग्री प्रासंगिक जीएसटी नियमों के तहत शामिल नहीं है, जैसा कि सत्तू के मामले में है। सीबीआईसी के परिपत्र के अनुसार सत्तू पर पांच प्रतिशत की दर से जीएसटी लागू है। जीएएएआर ने कहा कि अपीलकर्ता के उत्पादों में मसाले और अन्य सामग्री भी शामिल हैं, जबकि सत्तू के मामले में ऐसा नहीं है।
- नयी दिल्ली। कंस्ट्रक्शन फेडरेशन ऑफ इंडिया (सीएफआई) ने टाटा प्रोजेक्ट्स के प्रबंध निदेशक (एमडी) और मुख्य कार्यपालक अधिकारी (सीईओ) विनायक पई को अपनी राष्ट्रीय परिषद का अध्यक्ष चुना है। सीएफआई ने रविवार को एक बयान में दो साल (2024-25 और 2025-26) के लिए राष्ट्रीय परिषद के गठन की घोषणा की। राष्ट्रीय परिषद ने टाटा प्रोजेक्ट्स के एमडी और सीईओ विनायक पई को अध्यक्ष चुना है। शापूरजी पालोनजी एंड कंपनी प्राइवेट लिमिटेड के ईडी एवं सीईओ अखिल गुप्ता को उपाध्यक्ष चुना गया है, जबकि पटेल इंजीनियरिंग लिमिटेड की उप निदेशक प्रीति पटेल को कोषाध्यक्ष चुना गया है। नव निर्वाचित राष्ट्रीय परिषद में देशभर की अग्रणी बुनियादी ढांचा निर्माण कंपनियों के प्रतिनिधि भी शामिल हैं। इनमें प्रीकास्ट इंडिया इन्फ्रास्ट्रक्चर के प्रबंध निदेशक अजीत भाटे और हिंदुस्तान कंस्ट्रक्शन कंपनी लिमिटेड के वाइस चेयरमैन अर्जुन धवन शामिल हैं। वर्ष 2000 में स्थापित सीएफआई नीति वकालत और उद्योग हितधारकों एवं सरकारी एजेंसियों के बीच सहयोग को बढ़ावा देने में अग्रणी रहा है।
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नई दिल्ली। भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) की छह सदस्यीय मौद्रिक नीति समिति ने लगातार आठवीं बार रीपो दर (Repo Rate) और अपने रुख में किसी तरह का बदलाव नहीं करने का निर्णय किया। मगर उसने चालू वित्त वर्ष के लिए अर्थव्यवस्था की वृद्धि दर का अनुमान थोड़ा बढ़ाया है।मौद्रिक नीति समिति के 4 सदस्यों ने रीपो दर और उदार रुख को वापस लेने के प्रस्ताव का समर्थन किया जबकि समिति में बाहरी सदस्यों आशिमा गोयल और जयंत वर्मा ने रीपो दर में 25 आधार अंक की कटौती करने और तटस्थ रुख पर जोर दिया। पिछली बैठक में वर्मा अकेले सदस्य थे जिन्होंने दर में कटौती के लिए आवाज उठाई थी।
मौद्रिक नीति समिति के निर्णय के बारे में आरबीआई के गवर्नर शक्तिकांत दास ने कहा, ‘मुद्रास्फीति में नरमी आ रही है मगर खाद्य मुद्रास्फीति अभी भी ऊंची बनी हुई है।’ उन्होंने कहा, ‘हम सही दिशा में हैं मगर अभी और काम करना बाकी है।’मई 2022 से फरवरी 2023 के बीच रीपो दर में 250 आधार अंक की बढ़ोतरी के बाद से आरबीआई ने दर में किसी तरह का बदलाव नहीं किया है और उदार रुख को वापस लेने के अपने विचार पर भी अडिग रहा है।नोमुरा में प्रबंध निदेशक और मुख्य अर्थशास्त्री (भारत और जापान को छोड़कर पूरे एशिया) सोनल वर्मा ने कहा, ‘आरबीआई की निर्णय उम्मीद के अनुरूप है मगर समिति के सदस्यों की अलग-अलग राय जरूरत चकित करती है।’उन्होंने कहा, ‘दो बाहरी सदस्यों ने रीपो दर में कटौती के लिए वोट किया जबकि पहले केवल एक सदस्य इसके पक्ष में थे। इससे संकेत मिलता है कि आगे समिति में मतभेद बढ़ रहा है। मगर मुझे नहीं लगता कि यह दर में कटौती का संकेत है क्योंकि ऐसा करने के लिए समिति में आरबीआई के सदस्यों के विचार बदलने होंगे।’उन्होंने कहा कि अक्टूबर में पहली बार दर में कटौती की उम्मीद है और चालू वित्त वर्ष में इसमें 75 आधार अंक की कमी आ सकती है। मौद्रिक नीति समिति की अगली बैठक अगस्त में होगी और बाहरी सदस्यों का चार वर्षीय कार्यकाल की यह अंतिम बैठक होगी।इस साल मॉनसून के सामान्य रहने की उम्मीद से आरबीआई ने चालू वित्त वर्ष के लिए खुदरा मुद्रास्फीति के 4.5 फीसदी पर रहने का अनुमान लगाया है। दास ने कहा कि आधार प्रभाव के कारण दूसरी तिमाही में मुद्रास्फीति में ज्यादा गिरावट दिख सकती है मगर तीसरी तिमाही में यह रूझान बदल सकता है। दास ने कहा, ‘खाद्य कीमतों के झटके बार-बार लगने से अपस्फीति की प्रक्रिया सुस्त पड़ गई।’मौद्रिक नीति की बैठक के बाद संवाददाताओं से बातचीत के दौरान दास ने कहा कि 4 फीसदी मुद्रास्फीति (Inflation) के लक्ष्य तक पहुंचने का अंतिम सफर काफी कठिन है।जीडीपी वृद्धि का अनुमान 7% से बढ़ाकर 7.2%रिजर्व बैंक के गवर्नर ने कहा, ‘आगे जलवायु संबंधी प्रतिकूल घटनाओं के बढ़ने के कारण पैदा होने वाली चुनौतियों के कारण खाद्य मुद्रास्फीति के लिए अनिश्चितता का माहौल पैदा हो सकता है।’ दास ने इस बात को खारिज किया कि घरेलू मोर्चे पर नीति निर्धारण के लिए अमेरिकी फेडरल रिजर्व का अनुकरण करना चाहिए।वित्त वर्ष 2025 के लिए जीडीपी वृद्धि (GDP Growth) का अनुमान 7 प्रतिशत से बढ़ाकर 7.2 प्रतिशत कर दिया गया है। केंद्रीय बैंक ने यह संकेत देने से परहेज किया कि दर में कटौती कब शुरू होगी, लेकिन अर्थशास्त्रियों ने कहा कि नीतिगत दर में पहली कटौती 2024 की अक्टूबर-दिसंबर तिमाही में हो सकती है। साथ ही उन्होंने कहा कि दर में कटौती की शुरुआत धीमी दर से होगी और यह सिर्फ 50 आधार अंक रहेगा।गोल्डमैन सैक्स के अर्थशास्त्रियों ने कहा, ‘हम उम्मीद कर रहे हैं हैं कि दरों में कटौती की धीमी शुरुआत होगी और रिजर्व बैंक कुल 50 आधार अंक की कटौती करेगा। इसें से 25 आधार अंक की कटौती कैलेंडर वर्ष 2024 की चौथी तिमाही और इतनी ही कटौती कैलेंडर वर्ष 2025 की पहली तिमाही में होगी। पहली कटौती दिसंबर 2024 की बैठक में होने की संभावना है।’रिजर्व बैंक ने कहा कि चालू वित्त वर्ष में अब तक बैंकिंग व्यवस्था में नकदी, अधिशेष से घाटे की स्थिति में आई और जून की शुरुआत में फिर अधिशेष की स्थिति बन गई।भारतीय स्टेट बैंक (SBI) के ग्रुप चीफ एडवाइजर सौम्यकांति घोष के मुताबिक इस वित्त वर्ष के दौरान नकदी का प्रबंधन सबसे अहम मसला बना रहेगा और रिजर्व बैंक नकदी प्रबंधन के साधनों के नवोन्मेषी उपाय अपनाता रहेगा। घोष ने कहा कि आगामी नीतिगत बैठकों में रिजर्व बैंक दरों को स्थिर बनाए रखेगा और वित्त वर्ष 2025 की दूसरी छमाही में फिर विचार करेगा। हम उम्मीद करते हैं कि नीतिगत दर में पहली कटौती अक्टूबर 2024 में होगी। -
मुंबई. केंद्र में अगली सरकार की कमान प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के ही पास रहने की संभावना से उत्साहित घरेलू शेयर बाजार लगातार दूसरे दिन बढ़त के साथ बंद हुए। बृहस्पतिवार को दोनों मानक सूचकांक सेंसेक्स और निफ्टी क्रमशः 692 अंक और 201 अंकों की बढ़त लेने में सफल रहे। बीएसई का मानक सूचकांक सेंसेक्स 75,000 के स्तर को एक बार फिर हासिल करते हुए 692.27 अंक यानी 0.93 प्रतिशत उछलकर 75,074.51 अंक पर बंद हुआ। कारोबार के दौरान एक समय यह 915.49 अंक तक बढ़कर 75,297.73 पर पहुंच गया था। नेशनल स्टॉक एक्सचेंज (एनएसई) का सूचकांक निफ्टी भी 201.05 अंक यानी 0.89 प्रतिशत चढ़कर 22,821.40 अंक पर बंद हुआ। कारोबार के दौरान यह 289.8 अंक यानी 1.28 प्रतिशत बढ़कर 22,910.15 अंक तक पहुंच गया था। सेंसेक्स के समूह में शामिल कंपनियों में से टेक महिंद्रा, एचसीएल टेक्नोलॉजीज, भारतीय स्टेट बैंक, एनटीपीसी, इन्फोसिस, लार्सन एंड टूब्रो, टाटा कंसल्टेंसी सर्विसेज और विप्रो के शेयरों में सर्वाधिक बढ़त दर्ज की गई। दूसरी तरफ, हिंदुस्तान यूनिलीवर, एशियन पेंट्स, महिंद्रा एंड महिंद्रा, नेस्ले, इंडसइंड बैंक और सन फार्मा के शेयरों में गिरावट का रुख रहा। हालांकि भाजपा को हाल में संपन्न संसदीय चुनावों में अपने दम पर स्पष्ट बहुमत नहीं मिला है। लेकिन सहयोगी दलों के साथ मिलकर भाजपा के पास सरकार बनाने लायक बहुमत है और प्रधानमंत्री मोदी लगातार तीसरी बार केंद्र में सरकार बनाने की कोशिशों में जुट गए हैं। एशिया के अन्य बाजारों में जापान का निक्की और हांगकांग का हैंगसेंग बढ़त के साथ बंद हुए जबकि चीन का शंघाई कंपोजिट गिरावट के साथ बंद हुआ। यूरोप के अधिकांश बाजार बढ़त के साथ कारोबार कर रहे थे। बुधवार को अमेरिकी बाजार सकारात्मक दायरे में बंद हुए थे। वैश्विक तेल मानक ब्रेंट क्रूड 0.09 प्रतिशत बढ़कर 78.43 डॉलर प्रति बैरल पर पहुंच गया।
शेयर बाजार के आंकड़ों के मुताबिक, विदेशी संस्थागत निवेशकों (एफआईआई) ने बुधवार को 5,656.26 करोड़ रुपये के शेयरों की शुद्ध बिकवाली की। चुनावी नतीजे के दिन की भारी गिरावट से उबरते हुए सेंसेक्स बुधवार को 2,303.19 अंक उछलकर 74,382.24 और निफ्टी 735.85 अंक चढ़कर 22,620.35 पर पहुंच गया था। -
नई दिल्ली। भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) की मॉनिटरी पॉलिसी कमेटी (RBI MPC Meeting) की तीन दिवसीय मीटिंग की शुरुआत बुधवार को शुरू हुई। ऐसा माना जा रहा है कि एमपीसी प्रमुख ब्याज दर यानी रीपो रेट (repo rate) में कोई बदलाव नहीं करेगा।चुनाव नतीजे आने के बाद अब बाजार की नजर आरबीआई की एमपीसी बैठक के नतीजों पर है, जिसकी घोषणा शुक्रवार (7 जून) को होगी।
रिजर्व बैंक के गवर्नर शक्तिकांत दास शुक्रवार को मौद्रिक नीति समिति द्वारा लिए गए निर्णयों की घोषणा करेंगे।नहीं होगा रीपो रेट में बदलावविशेषज्ञों का मानना है कि केंद्रीय बैंक द्वारा ब्याज दर (रीपो) में कटौती करने की उम्मीद न के बराबर है, क्योंकि मुद्रास्फीति को लेकर चिंता अब भी बरकरार है।आम जनता पर क्या होगा असर?अगर आरबीआई रीपो रेट में कटौती करता है तो लोन की EMI कम हो सकती है, जिसका सीधा फायदा आम जनता को होगा।आखिरी बार कब हुआ था रीपो रेट में बदलाव?फरवरी, 2023 से रीपो रेट 6.5 प्रतिशत के उच्चस्तर पर बनी हुई है। अर्थव्यवस्था में तेजी के बीच माना जा रहा है कि एमपीसी ब्याज दरों में कटौती से बचेगी। केंद्रीय बैंक ने आखिरी बार फरवरी, 2023 में रीपो रेट को बढ़ाकर 6.5 प्रतिशत किया था और तब से उसने लगातार सात बार इसे यथावत रखा है।हाउसिंग डॉट कॉम और प्रॉपटाइगर डॉट कॉम के समूह मुख्य कार्यपालक अधिकारी (सीईओ) ध्रुव अग्रवाल ने न्यूज एजेंसी पीटीआई से कहा कि भारत की अर्थव्यवस्था ने अपना मजबूत प्रदर्शन जारी रखा है और 2023-24 में 8.2 प्रतिशत की प्रभावशाली वृद्धि दर हासिल की है, जो 2022-23 में सात प्रतिशत थी। उन्होंने कहा, ‘‘ इसके मद्देनजर यह उम्मीद की जाती है कि आरबीआई एमपीसी मौजूदा मुद्रास्फीति दबावों के बीच अपने वर्तमान नीतिगत रुख को बनाए रखेगी और इस वर्ष ब्याज दरों में कटौती की संभावना कम ही नजर आ रही है।’’सरकार ने रिजर्व बैंक को खुदरा मुद्रास्फीति को दो प्रतिशत घट-बढ़ के साथ चार प्रतिशत पर रखने का लक्ष्य दिया है।एमपीसी में तीन बाहरी सदस्य और आरबीआई के तीन अधिकारी शामिल हैं। दर निर्धारण समिति के बाहरी सदस्य शशांक भिडे, आशिमा गोयल और जयंत आर वर्मा हैं। -
मुंबई. चुनाव नतीजों के झटके से उबरते हुए स्थानीय शेयर बाजारों ने बुधवार को जोरदार वापसी की और बीएसई सेंसेक्स 2,300 अंक से अधिक की छलांग लगा गया। एनएसई निफ्टी भी 735 अंक के लाभ में रहा। लोकसभा चुनाव परिणाम उम्मीद के मुताबिक नहीं रहने के कारण शेयर बाजार में मंगलवार को चार साल में एक दिन की सबसे बड़ी गिरावट आई थी। भाजपा की अगुवाई वाले राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) के सहयोगियों की सरकार गठन को लेकर बातचीत के बाद बाजार चढ़ा है। तीस शेयरों पर आधारित सेंसेक्स 2,303.19 अंक यानी 3.20 प्रतिशत की बढ़त के साथ 74,382.24 अंक पर बंद हुआ। कारोबार के दौरान एक समय यह 2,455.77 अंक तक चढ़ गया था। बैंक, वाहन तथा पेट्रोलियम कंपनियों के शेयरों में लिवाली से बाजार में तेजी रही। नेशनल स्टॉक एक्सचेंज का निफ्टी भी 735.85 अंक यानी 3.36 प्रतिशत उछलकर 22,620.35 अंक पर बंद हुआ। कारोबार के दौरान, एक समय यह 785.9 अंक तक चढ़ गया था। सेंसेक्स और निफ्टी में शामिल सभी शेयर लाभ में रहे।
एचडीएफसी बैंक, आईसीआईसीआई बैंक और रिलायंस इंडस्ट्रीज में भारी लिवाली से बाजार में तेजी आई। बुधवार को बाजार में आई तेजी से निवेशकों को 13.22 लाख करोड़ रुपये का लाभ हुआ। भाजपी की अगुवाई वाले राजग ने 543 सदस्यीय लोकसभा में 272 के बहुमत के आंकड़े को पार कर लिया है। लेकिन भाजपा 2014 के बाद पहली बार बहुमत के आंकड़े से पीछे रह गई और सरकार गठन के लिए उसे अपने सहयोगियों पर निर्भर रहना होगा। चुनाव आयोग ने सभी 543 लोकसभा क्षेत्रों के नतीजे घोषित कर दिये हैं। इसमें भाजपा को 240 और कांग्रेस को 99 सीटों पर जीत मिली। इस बीच, भाजपा नीत राजग ने लोकसभा चुनाव में सत्तारूढ़ गठबंधन के बहुमत हासिल करने के एक दिन बाद बुधवार को यहां बैठक में सरकार गठन की विभिन्न पहलुओं पर विचार-विमर्श किया। गठबंधन सहयोगी तेदेपा ने राजग को समर्थन देने की बात दोहरायी है। इससे सरकार के गठन को लेकर निवेशकों की चिंता दूर हुई है और हाल ही जिन शेयरों में गिरावट आई, उसमें लिवाली देखने को मिली। जियोजीत फाइनेंशियल सर्विसेज के शोध प्रमुख विनोद नायर ने कहा, ‘‘राजनीतिक स्तर पर स्थिरता सुनिश्चित होने के साथ बाजार में चौतरफा लिवाली से तेजी लौटी। हालांकि, सभी की नजर सरकार के गठन और इस सप्ताह पेश होने वाली मौद्रिक नीति पर होगी।'' सेंसेक्स के शेयरों में इंडसइंड बैंक सात प्रतिशत से अधिक लाभ में रहा। इसके अलावा टाटा स्टील, महिंद्रा एंड महिंद्रा, बजाज फाइनेंस, कोटक महिंद्रा बैंक, हिंदुस्तान यूनिलीवर, एचडीएफसी बैंक, एक्सिस बैंक और जेएसडब्ल्यू स्टील भी प्रमुख रूप से बढ़त में रहे। मोतीलाल ओसवाल रिसर्च की रिपोर्ट के अनुसार, ‘‘भाजपा को पूर्ण बहुमत नहीं मिलने के बावजूद, हमारा अनुमान है कि नरेन्द्र मोदी के दूसरे कार्यकाल का नीति एजेंडा (निवेश की अगुवाई में वृद्धि, पूंजीगत व्यय, बुनियादी ढांचे पर निवेश, विनिर्माण आदि) जारी रहेगा। हालांकि संभव है, इसमें कुछ बदलाव हो।'' इसमें कहा गया है, ‘‘जिस तरीके के चुनाव नतीजे आए हैं, उसको देखते हुए हम यह भी उम्मीद करते हैं कि गांवों की समस्याओं को दूर करने के लिए कुछ लोकलुभावन योजनाओं की घोषणा की जा सकती है।'' मझोली कंपनियों के शेयरों का प्रतिनिधित्व करने वाला बीएसई मिडकैप 4.41 प्रतिशत चढ़ा जबकि छोटी कंपनियों के शेयरों का प्रतिनिधित्व करने वाला स्मॉलकैप सूचकांक 2.93 प्रतिशत बढ़त में रहा। एशिया के अन्य बाजारों में दक्षिण कोरिया का कॉस्पी लाभ में जबकि जापान का निक्की, चीन का शंघाई कम्पोजिट सूचकांक और हांगकांग का हैंगसेंग नुकसान में रहे। यूरोप के प्रमुख बाजारों में शुरुआती कारोबार में तेजी का रुख रहा। अमेरिकी बाजार मंगलवार को बढ़त में रहा था। वैश्विक तेल मानक ब्रेंट क्रूड 0.14 प्रतिशत की बढ़त के साथ 77.61 डॉलर प्रति बैरल रहा।
शेयर बाजार के आंकड़ों के अनुसार, विदेशी संस्थागत निवेशकों ने मंगलवार को 12,436.22 करोड़ रुपये मूल्य के शेयर बेचे। बीएसई सेंसेक्स मंगलवार को 4,389.73 अंक लुढ़का था। वहीं एनएसई निफ्टी ने 1,982.45 अंक का गोता लगा गया था। एक दिन में पिछले चार साल की यह सबसे बड़ी गिरावट थी। -
नयी दिल्ली. सेब से लेकर हवाई अड्डा क्षेत्र में सक्रिय अडाणी समूह की सूचीबद्ध कंपनियों के शेयरों में उछाल के बाद गौतम अडाणी एशिया के सबसे अमीर व्यक्ति बन गए हैं। उन्होंने रिलायंस इंडस्ट्रीज के मुकेश अंबानी को पीछे छोड़ दिया है। ‘ब्लूमबर्ग बिलियनयर्स इंडेक्स' के अनुसार, 111 अरब अमेरिकी डॉलर की संपत्ति के साथ अडाणी अब दुनिया के 11वें सबसे अमीर व्यक्ति हैं। अंबानी 109 अरब डॉलर की संपत्तियों के साथ 12वें स्थान पर हैं। अडाणी समूह ने अगले दशक के दौरान विस्तार की योजना के तहत 90 अरब डॉलर के पूंजीगत व्यय की योजना बनाई है। इसके बाद अमेरिकी ब्रोकरेज कंपनी जेफरीज ने समूह के बारे में बेहतर राय पेश की है। इन घटनाक्रमों के बाद शुक्रवार को समूह की सभी कंपनियों के शेयर 14 प्रतिशत तक चढ़ गए। इससे अडाणी समूह की 10 सूचीबद्ध कंपनियों के बाजार मूल्यांकन में 84,064 करोड़ रुपये की बढ़ोतरी हुई। शुक्रवार को कारोबार बंद होने के समय अडाणी समूह की 10 सूचीबद्ध कंपनियों का बाजार पूंजीकरण 17.51 लाख करोड़ रुपये हो गया। समूह की कंपनियों के शेयरों में उछाल के बाद पहली पीढ़ी के उद्यमी और अडाणी समूह के चेयरमैन गौतम अडाणी ने अंबानी को पीछे छोड़ दिया है और वह एशिया के सबसे अमीर व्यक्ति बन गए हैं। अंबानी इस समय अपने छोटे पुत्र अनंत के विवाह-पूर्व समारोहों के लिए यूरोप में है। अडाणी (61) 2022 में अपनी व्यक्तिगत संपत्ति बढ़ने के बाद एशिया के सबसे अमीर आदमी बन गए थे। हालांकि, उस समय वैश्विक अर्थव्यवस्था की रफ्तार काफी सुस्त थी। इसके बाद जनवरी, 2023 में अमेरिकी शॉर्ट सेलिंग कंपनी हिंडनबर्ग की समूह पर हेराफेरी के आरोपों की रिपोर्ट के बाद अडाणी की कंपनियों के बाजार पूंजीकरण में जबर्दस्त गिरावट आई थी। हिंडनबर्ग ने आरोप लगाया था कि अडाणी का कारोबारी साम्राज्य धोखाधड़ी के माध्यम से बनाया गया था, जिससे समूह के शेयरों की कीमतें 150 अरब डॉलर तक गिरकर अपने सबसे निचले स्तर पर आ गईं और वह दुनिया के शीर्ष 20 अरबपतियों की सूची से बाहर हो गए। इससे अंबानी 2022 में एक बार फिर एशिया के सबसे अमीर व्यक्ति बन गए। हालांकि, अडाणी समूह ने इन सब आरोपों को खारिज कर दिया था। ब्लूमबर्ग बिलियनयर्स इंडेक्स के अनुसार, 2024 में अबतक अडाणी की कुल संपत्ति 26.8 अरब डॉलर बढ़ी है, जबकि अंबानी की संपत्ति 12.7 अरब डॉलर बढ़ी है।