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नयी दिल्ली. मर्सिडीज-बेंज इंडिया के प्रबंध निदेशक और मुख्य कार्यपालक अधिकारी (सीईओ) संतोष अय्यर का मानना है कि मौजूदा शुल्क युद्ध बेहतर व्यापार और अड़चनों को कम करने करने के अवसर भी प्रदान करता है। हालांकि, उन्होंने कहा कि शुल्क युद्ध थोड़े समय के लिए झटका देगा, लेकिन यह अवसर भी पैदा करेगा।
उल्लेखनीय है कि भारत का वाहन क्षेत्र अमेरिकी प्रशासन के शुल्क युद्ध से सीधे प्रभावित नहीं है। अय्यर ने कहा कि मौजूदा भू-राजनीतिक स्थिति, मुद्रा में उतार-चढ़ाव और आपूर्ति श्रृंखला संबंधी चिंताओं के कारण वैश्विक स्तर पर अत्यधिक अस्थिर परिदृश्य के बावजूद लक्जरी खंड में उपभोक्ता धारणा अब भी सकारात्मक है। उन्होंने शुल्क युद्ध के कुल प्रभाव के बारे में पूछे जाने पर कहा, ‘‘पहली बार हम अपनी सीमाओं को खोलने की बात कर रहे हैं। दोतरफा व्यापार को खोलने की बात कर रहे हैं। हम हमेशा से अधिक मुक्त और उचित व्यापार नीतियों का समर्थन करते रहे हैं, जो वृद्धि को समर्थन देने के साथ नवोन्मेषण को बढ़ाने वाली भी हो।'' उन्होंने जोर देकर कहा कि कम शुल्क और घटी व्यापार बाधाओं के साथ मुक्त व्यापार ने उल्लेखनीय रूप से अंतरराष्ट्रीय व्यापार को बढ़ावा दिया है, जिससे अर्थव्यवस्थाओं और समुदायों को लाभ हुआ है। उन्होंने कहा, निश्चित रूप से, हम व्यापार बाधाओं को कम करने के लिए बड़ी अर्थव्यवस्थाओं के बीच सहयोग का समर्थन करते हैं और उन्हें लंबे समय में मदद करनी चाहिए। अल्पावधि में, झटके लग सकते हैं, लेकिन लंबे समय में, बेहतर व्यापार और बाधाओं में कमी और वस्तुओं और सेवाओं की बेहतर दोतरफा आवाजाही हमेशा अर्थव्यवस्था के लिए फायदेमंद होती है।
उन्होंने कहा, दीर्घावधि में इस बात पर भरोसा बढ़ा है कि व्यापार जारी रहेगा और भारत को मौजूदा भू-राजनीतिक व्यवस्था से और अधिक लाभ होगा।'' अय्यर ने बताया कि ऐसा परिदृश्य भी हो सकता है जहां भारत को इस समग्र भू-राजनीतिक बदलाव के कारण लाभ मिलता है... इसलिए हमें इंतजार करना होगा और देखना होगा कि यह कैसे विकसित होता है।'' भारतीय वाहन क्षेत्र पर शुल्क युद्ध के प्रभाव पर, उन्होंने कहा, ‘‘वाहन खंड में हम सीधे प्रभावित नहीं हैं। अधिकांश कारें यहां बनाई जाती हैं। यह कोई बड़ा प्रभाव नहीं है। हालांकि, उन्होंने कहा कि शुल्क युद्ध के अप्रत्यक्ष प्रभाव से मुद्रा में उतार-चढ़ाव आया है, रुपये में गिरावट आई है और वाहन विनिर्माताओं, खासकर लक्जरी खंड में, को अपने वाहनों की कीमतों में बढ़ोतरी करनी पड़ी है। -
लातूर/ महाराष्ट्र के लातूर में जिला निवेश शिखर सम्मेलन के दौरान 2,268 करोड़ रुपये के समझौता ज्ञापनों (एमओयू) पर हस्ताक्षर किए गए। एक अधिकारी ने शनिवार को यह जानकारी दी। कलेक्टर वर्षा ठाकुर-घुगे ने कहा कि 108 इकाइयों के साथ समझौता ज्ञापनों से 2,600 नौकरियां पैदा होंगी। उन्होंने कहा कि पिछले साल का लक्ष्य 600 करोड़ रुपये था, लेकिन वास्तविक निवेश 1,200 करोड़ रुपये से अधिक था। कलेक्टर ने कहा, “उद्योग जगत की चुनौतियों को हल करने और उद्यमिता को बढ़ावा देने के लिए प्रशासन लगातार कारोबारी नेताओं से बातचीत कर रहा है। यह सहयोग भविष्य में भी जारी रहेगा। मुख्यमंत्री रोजगार सृजन कार्यक्रम जैसी योजनाओं को लागू करने के मामले में लातूर लगातार महाराष्ट्र के शीर्ष जिलों में शुमार रहा है।” उन्होंने उद्योगों से सौर ऊर्जा समाधानों को व्यापक रूप से अपनाने का आग्रह किया तथा बैंकों से उद्यमियों को बेहतर सहायता प्रदान करने के लिए ऋण नीतियों को सरल बनाने को कहा।
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नई दिल्ली। भारत की नेचुरल गैस खपत में 2030 तक करीब 60 प्रतिशत की बढ़त देखने को मिल सकती है। इसकी वजह देश द्वारा तेल आयात से निर्भरता कम करके स्वच्छ ईंधनों की तरफ बढ़ना है। यह जानकारी पेट्रोलियम एंड नेचुरल गैस रेगुलेटरी बोर्ड (पीएनजीआरबी) की रिपोर्ट में दी गई। रिपोर्ट में बताया गया कि ‘गुड-टू-गो’ परिदृश्य (जिसमें मौजूदा रुझानों और प्रतिबद्धताओं के आधार पर मध्यम वृद्धि को माना जाता है) में नेचुरल गैस की खपत 2023-24 में 188 मिलियन स्टैंडर्ड क्यूबिक मीटर प्रतिदिन से बढ़कर 2030 तक 297 मिलियन स्टैंडर्ड क्यूबिक मीटर प्रतिदिन होने की उम्मीद है।
वर्ष 2040 तक नेचुरल गैस की खपत बढ़कर 496 मिलियन स्टैंडर्ड क्यूबिक मीटर प्रतिदिन पहुंचने का है अनुमानइस परिदृश्य के तहत वर्ष 2040 तक नेचुरल गैस की खपत बढ़कर 496 मिलियन स्टैंडर्ड क्यूबिक मीटर प्रतिदिन पहुंचने का अनुमान है। ‘गुड टू बेस्ट’ परिदृश्य के तहत, जो त्वरित प्रगति, अनुकूल नीति कार्यान्वयन और बढ़े हुए निवेश को ध्यान में रखता है, जिससे अपेक्षा से अधिक वृद्धि होती है, खपत 2030 तक 365 मिलियन स्टैंडर्ड क्यूबिक मीटर प्रतिदिन और 2040 तक 630 मिलियन स्टैंडर्ड क्यूबिक मीटर प्रतिदिन तक बढ़ सकती है।देश 2070 तक शून्य उत्सर्जन लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए प्रदूषणकारी जीवाश्म ईंधन से स्वच्छ ऊर्जा की ओर बढ़ रहा हैसरकार का लक्ष्य देश की प्राइमरी एनर्जी बास्केट में प्राकृतिक गैस की हिस्सेदारी को मौजूदा 6-6.5 प्रतिशत से बढ़ाकर 2030 तक 15 प्रतिशत करना है। देश 2070 तक शून्य उत्सर्जन लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए प्रदूषणकारी जीवाश्म ईंधन से स्वच्छ ऊर्जा की ओर बढ़ रहा है, जिसमें गैस को एक ब्रिज ईंधन माना गया है।पीएनजीआरबी ने पहले ही 307 भौगोलिक क्षेत्रों में गैस इन्फ्रास्ट्रक्चर को विकसित कर लिया हैरिपोर्ट में बताया गया कि पीएनजीआरबी ने पहले ही 307 भौगोलिक क्षेत्रों में गैस इन्फ्रास्ट्रक्चर को विकसित कर लिया है, जो द्वीपों को छोड़कर पूरे देश को कवर करती है, जिससे घरेलू, वाणिज्यिक, औद्योगिक और परिवहन क्षेत्रों में नेचुरल गैस की व्यापक पहुंच सुनिश्चित होती है। रिपोर्ट के अनुसार, “शहरी गैस वितरण (सीजीडी) क्षेत्र प्राथमिक विकास चालक होने की उम्मीद है, जिसमें 2030 तक खपत 2.5 से 3.5 गुना और वित्त वर्ष 24 में 37 मिलियन स्टैंडर्ड क्यूबिक मीटर प्रतिदिन के आधार से 2030 तक खपत 6 से 7 गुना बढ़ने का अनुमान है।”वर्तमान में, भारत का प्राकृतिक गैस उत्पादन मांग का लगभग 50 प्रतिशत ही पूरा करता हैवर्तमान में, भारत का प्राकृतिक गैस उत्पादन मांग का लगभग 50 प्रतिशत ही पूरा करता है। 2030 और 2040 तक मांग में मजबूत वृद्धि होने की उम्मीद है, इसलिए मांग-आपूर्ति के अंतर को पाटने के लिए एलएनजी पर निर्भरता बढ़ेगी। इस वृद्धि के परिणामस्वरूप 2030 तक एलएनजी आयात दोगुना हो जाएगा। -
नयी दिल्ली. निर्यातकों ने बृहस्पतिवार को कहा कि अमेरिका के जवाबी शुल्कों को 90 दिन के लिए टालने से बड़ी राहत मिली है। साथ ही इससे भारत और अमेरिका के बीच प्रस्तावित द्विपक्षीय व्यापार समझौते पर बातचीत को आगे बढ़ाने का रास्ता खुला है। उन्होंने कहा कि व्यापार समझौते के लिए कूटनीतिक भागीदारी और तेजी से बातचीत करने से भारत को इन शुल्कों से निपटने में मदद मिलेगी। भारतीय निर्यात संगठनों के महासंघ ‘फेडरेशन ऑफ इंडियन एक्सपोर्ट ऑर्गेनाइजेशन' (फियो) के अध्यक्ष एस. सी. रल्हन ने कहा, ‘‘ (अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ट) ट्रंप के प्रशासन का यह एक अच्छा फैसला है। वाणिज्य मंत्रालय ने हमें आश्वासन दिया है कि समझौते को जल्द से जल्द अंतिम रूप दिया जाएगा।'' उन्होंने कहा कि यह कदम एक रणनीतिक विराम को दर्शाता है जिसका उद्देश्य संभावित समाधानों के लिए राह बनाते हुए तत्काल आर्थिक नुकसान से बचना है। रल्हन ने कहा, ‘‘ यह हमारे निर्यातकों के लिए बड़ी राहत है। जवाबी शुल्क को 90 दिन के लिए टालने से कूटनीतिक जुड़ाव और व्यापार वार्ता के लिए महत्वपूर्ण अवसर उपलब्ध हुआ है।'' अमेरिका के निर्णय का स्वागत करते हुए मुंबई स्थित निर्यातक एस. के. सराफ ने कहा कि भारतीय उद्योग को चीन पर उच्च शुल्क का लाभ उठाना चाहिए, क्योंकि इससे वह सस्ती कीमतों पर मध्यवर्ती वस्तुओं का आयात कर सकता है और घरेलू विनिर्माण को बढ़ावा दे सकता है। अमेरिका को निर्यात करने वाले सराफ ने कहा, ‘‘ मिसाल के तौर पर वस्त्र उद्योग में हम चीन से विभिन्न प्रकार के धागे आयात कर सकते हैं और निर्यात के लिए वस्त्र तैयार कर सकते हैं। यह भारत और चीन के साथ आने का अच्छा अवसर है। मुझे लगता है कि यह रोक 90 दिन से आगे भी जारी रहेगी और चीजें सामान्य हो जाएंगी।'' वैश्विक बाजार में नरमी के बीच अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने बुधवार को अचानक 90 दिन के लिए अधिकतर देशों पर लगाए गए शुल्क पर रोक लगा दी लेकिन चीनी आयात पर शुल्क की दर बढ़ाकर 125 प्रतिशत कर दी। हालांकि, पांच अप्रैल से लगाया गया 10 प्रतिशत शुल्क अब भी लागू रहेगा। अमेरिका ने भारत पर 26 प्रतिशत का अतिरिक्त आयात शुल्क लगाया था। उद्योग जगत के लोगों और निर्यातकों के साथ नौ अप्रैल को बैठक में वाणिज्य एवं उद्योग मंत्री पीयूष गोयल ने निर्यातकों से न घबराने को कहा और उन्हें आश्वासन दिया कि अमेरिका के साथ प्रस्तावित व्यापार समझौते पर भारत सही दिशा में आगे बढ़ रहा है। दोनों देश द्विपक्षीय व्यापार समझौते (बीटीए) पर बातचीत कर रहे हैं। इसका उद्देश्य 2023 तक अपने व्यापार को वर्तमान 191 अरब अमेरिकी डॉलर से दोगुना कर 500 अरब अमेरिकी डॉलर तक पहुंचाना है। दोनों पक्षों ने इस वर्ष की शरद ऋतु (सितंबर-अक्टूबर) तक इसके पहले चरण को पूरा करने का लक्ष्य रखा है।
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नयी दिल्ली. सिलाई मशीन और घरेलू उपकरण क्षेत्र की प्रमुख कंपनी सिंगर इंडिया का लक्ष्य घरेलू उपकरण बाजार में 30 प्रतिशत वृद्धि हासिल करना है। कंपनी के एक वरिष्ठ अधिकारी ने यह जानकारी दी। सिंगर इंडिया के वाइस चेयरमैन और प्रबंध निदेशक राकेश खन्ना ने कहा कि घरेलू उपकरण खंड में कंपनी का लक्ष्य 30 प्रतिशत की वृद्धि हासिल करने का है। कंपनी ने एक नया पंखा ‘क्लाउड कूल एक्स फैन' बाजार में उतारा है। खन्ना ने इस मौके पर कहा कि यह पंखा ठंडक प्रदान करने वाले उपकरणों की श्रेणी में अपनी तरह का पहला उत्पाद है। सिंगर इंडिया ने बताया कि यह पंखा प्रमुख ई-कॉमर्स मंच, चुनिंदा खुदरा दुकानों और कंपनी की आधिकारिक वेबसाइट पर उपलब्ध होगा। इसमें क्लाउड प्रौद्योगिकी का उपयोग किया गया है, जिसकी वजह से यह स्वाभाविक रूप से ठंडक प्रदान करता है।
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नयी दिल्ली. सार्वजनिक क्षेत्र के बैंक ऑफ बड़ौदा (बॉब) ने बृहस्पतिवार को कर्ज पर ब्याज दर में 0.25 प्रतिशत की कटौती करने की घोषणा की। एक दिन पहले भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने प्रमुख ब्याज दर रेपो में 0.25 प्रतिशत की कटौती की थी। बैंक ने उसी फैसले का लाभ अपने ग्राहकों को देने के लिए कर्जों पर ब्याज की दर घटा दी है। बैंक ऑफ बड़ौदा ने बयान में कहा कि उसने खुदरा और एमएसएमई क्षेत्रों को दिए जाने वाले ऋण के लिए मानक-संबद्ध कर्ज की दर में 0.25 प्रतिशत की कटौती की है। बैंक ने कहा कि ग्राहकों को आरबीआई की मौद्रिक नीति के कदम से तुरंत लाभ पहुंचाने के लिए ऐसा किया गया है। इस बीच, बैंक ने कोष की सीमांत लागत आधारित ऋण दर (एमसीएलआर) को अपरिवर्तित रखा है।
मानक एक साल की अवधि के एमसीएलआर को नौ प्रतिशत पर स्थिर रखा गया है। वाहन और व्यक्तिगत उपभोक्ता ऋणों की दर तय करने के लिए एमसीएलआर का ही इस्तेमाल किया जाता है। -
नयी दिल्ली। अमेरिकी राष्ट्रपति कार्यालय व्हाइट हाउस ने भारत पर लगाए गए अतिरिक्त सीमा शुल्क को इस साल नौ जुलाई तक स्थगित करने का आदेश जारी कर दिया है। इस सरकारी आदेश के मुताबिक, भारत पर अतिरिक्त शुल्क लगाने का फैसला 90 दिन के लिए स्थगित कर दिया गया है। इसके पहले दो अप्रैल को अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने करीब 60 देशों से आयातित उत्पादों पर शुल्क लगाने और भारत जैसे देशों पर अलग से उच्च शुल्क लगाने की घोषणा की थी। ट्रंप के इस कदम से दुनिया की सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था में झींगा से लेकर इस्पात उत्पादों तक की बिक्री प्रभावित होने का अंदेशा था। उनके इस कदम का उद्देश्य अमेरिका के बड़े व्यापार घाटे को कम करना और घरेलू विनिर्माण को बढ़ावा देना था।
अमेरिका ने भारत पर 26 प्रतिशत का अतिरिक्त आयात शुल्क लगाया जो थाइलैंड, वियतनाम और चीन जैसे प्रतिस्पर्धी देशों की तुलना में कम है। शुल्क वृद्धि का यह आदेश नौ अप्रैल से प्रभावी हो गया था लेकिन ट्रंप ने अब इसे 90 दिन के लिए स्थगित कर दिया है। हालांकि, शुल्क का यह निलंबन हांगकांग, मकाऊ के अलावा चीन पर लागू नहीं है। इसके साथ ही व्हाइट हाउस के आदेश में कहा गया है कि संबंधित देशों पर लगाया गया 10 प्रतिशत आधार शुल्क लागू रहेगा। एक व्यापार विशेषज्ञ ने कहा कि इस्पात, एल्युमीनियम (12 मार्च से प्रभावी) और वाहन एवं वाहन कलपुर्जा (तीन अप्रैल से) पर लगा 25 प्रतिशत शुल्क भी जारी रहेगा। निर्यातकों के निकाय फेडरेशन ऑफ इंडियन एक्सपोर्ट ऑर्गनाइजेशन (फियो) के महानिदेशक अजय सहाय ने कहा कि सेमीकंडक्टर, दवा और कुछ ऊर्जा उत्पाद शुल्क पर छूट की श्रेणी में हैं। - लंदन.। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने ब्रिटेन के निवेशकों से कहा है कि भारत विदेशी बैंकों के लिए वृद्धि के आकर्षक अवसर प्रदान करता है। सीतारमण ने लंदन में भारत-ब्रिटेन निवेशक गोलमेज सम्मेलन की अध्यक्षता की। इसमें विभिन्न पेंशन कोष, बीमा कंपनियों, बैंकों और अन्य वित्तीय संस्थानों का प्रतिनिधित्व करने वाले ब्रिटेन के करीब 60 निवेशकों ने हिस्सा लिया। वित्त मंत्रालय के अनुसार, मंगलवार शाम को आयोजित उच्चस्तरीय गोलमेज बैठक में नीतिगत समर्थन के साथ सतत आर्थिक वृद्धि और निवेश अवसरों को सक्षम बनाने के लिए सरकार की प्राथमिकताओं को रेखांकित किया गया, जिसके जरिये ‘‘न्यू इंडिया'' को आकार दिया जा रहा है। इसमें अनुपालन के बोझ को कम करने तथा व्यापार व निवेश के लिए अनुकूल परिवेश उपलब्ध कराने को विनियमन को सुगम बनाने के लिए प्रक्रिया और कामकाज के तरीकों में सुधारों को आगे बढ़ाने के मंत्रालय के प्रयासों का उल्लेख किया गया। सीतारमण ने सम्मेलन में मौजूद लोगों से कहा, ‘‘ भारत विदेशी बैंकों के लिए वृद्धि के आकर्षक अवसर प्रदान करता है। भारत सरकार बैंकिंग क्षेत्र में विदेशी निवेश को सक्रिय रूप से प्रोत्साहित कर रही है।'' केंद्रीय वित्त मंत्री ने कहा कि विस्तारित मध्यम वर्ग तथा मजबूत व स्थिर नीतिगत माहौल के साथ भारत 2032 तक छठा सबसे बड़ा बीमा बाजार बनने के लिए तैयार है। इसमें 2024-28 तक सालाना आधार पर 7.1 प्रतिशत की वृद्धि होगी। यह जी-20 देशों में सबसे तेजी से बढ़ते बीमा बाजारों में से एक होगी। सीतारमण ने निवेशकों को यह भी बताया कि भारतीय प्रतिभूति बाजार 2023 की शुरुआत में टी+1 निपटान को पूरी तरह से अपनाने वाले पहले प्रमुख बाजारों में से एक है। भारत का बाजार पूंजीकरण 4,600 अरब अमेरिकी डॉलर है, जो वर्तमान में वैश्विक स्तर पर चौथे स्थान पर है। टी+1 (ट्रेड +1) निपटान का मतलब लेनदेन की तारीख के एक कारोबारी दिन बाद सौदे को अंतिम रूप देना।मंत्रालय के अनुसार, ‘‘ केंद्रीय वित्त मंत्री ने भारत के पहले अंतरराष्ट्रीय वित्तीय सेवा केंद्र गिफ्ट-आईएफएससी के बारे में विस्तार से बात की...जो एक अपतटीय क्षेत्र है जो पर्याप्त कर छूट, कुशल कार्यबल, विदेशी मुद्रा लेनदेन और रणनीतिक भौगोलिक स्थिति के साथ सक्षम परिवेश तंत्र से संपन्न है।'' वित्त मंत्री ने सम्मेलन में उपस्थित लोगों को बताया गया कि मार्च, 2025 तक बैंक, पूंजी बाजार, बीमा, वित्त प्रौद्योगिकी, विमान पट्टे, जहाज पट्टे, बुलियन एक्सचेंज आदि क्षेत्रों की 800 से अधिक संस्थाएं आईएफएससीए के साथ पंजीकृत हो चुकी हैं। भारत की डिजिटल अर्थव्यवस्था को उसके आर्थिक वृद्धि में महत्वपूर्ण योगदानकर्ता के रूप में रेखांकित करते हुए सीतारमण ने प्रतिभागियों से कहा कि भारत ‘‘ घरेलू ‘यूनिकॉर्न' की संख्या के मामले में दुनिया में तीसरे स्थान पर है।'' भारत की डिजिटल अर्थव्यवस्था तेजी से बढ़ रही है और इसने 2022-23 में देश के सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) में 11.74 प्रतिशत का योगदान दिया है। उन्होंने भारत को मजबूत वित्तीय प्रौद्योगिकी परिवेश तंत्र का गढ़ करार दिया जो बड़ी प्रौद्योगिकी-प्रेमी आबादी, सहायक सरकारी नीतियों और एक नवीन स्टार्टअप परिवेश द्वारा संचालित है। इस क्षेत्र में पिछले पांच वर्षों में तेजी से वृद्धि देखी। यह वैश्विक औसत 64 प्रतिशत की तुलना में 87 प्रतिशत की दर से वृद्धि करने और वैश्विक वित्तीय प्रौद्योगिकी वित्तपोषण में 15 प्रतिशत की हिस्सेदारी से स्पष्ट है। वित्त मंत्रालय के अनुसार, ‘‘ प्रतिभागियों ने सरकार द्वारा किए जा रहे सुधारों पर अपने विचार साझा किए और मौजूदा नीतिगत ढांचे पर प्रतिक्रिया दी। उन्होंने ब्रिटेन और भारत के बीच गहन और व्यापक निवेश सहयोग के लिए अपनी गहरी रुचि और प्रतिबद्धता के बारे में भी बात की।'' केंद्रीय वित्त एवं कॉरपोरेट मामलों की मंत्री सीतारमण बुधवार को 13वीं मंत्रिस्तरीय भारत-ब्रिटेन आर्थिक व वित्तीय वार्ता (ईएफडी) के लिए ब्रिटेन की यात्रा पर हैं, जहां वह अपनी ब्रिटेन की समकक्ष चांसलर रेचल रीव्स के साथ द्विपक्षीय वार्ता करेंगी। ईएफडी से पहले बयान में रीव्स ने कहा, ‘‘ बदलती दुनिया में यह सरकार ब्रिटिश व्यापार को समर्थन देने और कामकाजी लोगों को वह सुरक्षा प्रदान करने के लिए बाकी विश्व के साथ व्यापार समझौतों में तेजी ला रही है, जिसके वे हकदार हैं।'' इसके अलावा सीतारमण के व्यापार मंत्री जोनाथन रेनॉल्ड्स के साथ बैठक के दौरान भारत-ब्रिटेन मुक्त व्यापार समझौते (एफटीए) पर जारी वार्ता पर चर्चा करने की संभावना भी है।
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नई दिल्ली। भारतीय शेयर बाजार बुधवार के कारोबारी सत्र में लाल निशान में बंद हुआ। बाजार में सभी सूचकांकों में गिरावट हुई। कारोबार के अंत में सेंसेक्स 379 अंक या 0.51 प्रतिशत की गिरावट के साथ 73,847 और निफ्टी 136 अंक या 0.61 प्रतिशत की कमजोरी के साथ 22,399 पर था।
लार्जकैप के साथ स्मॉलकैप और मिडकैप में बिकवाली देखी गईलार्जकैप के साथ स्मॉलकैप और मिडकैप में बिकवाली देखी गई। निफ्टी मिडकैप 100 इंडेक्स 255 अंक या 0.51 प्रतिशत की कमजोरी के साथ 49,582 और निफ्टी स्मॉलकैप 100 इंडेक्स 132 अंक या 0.86 प्रतिशत की गिरावट के साथ 15,256 पर था।आरबीआई द्वारा रेपो रेट में 25 आधार अंक की कमी के ऐलान के बाद खपत के जुड़े शेयरों में तेजी देखने को मिलीआरबीआई द्वारा रेपो रेट में 25 आधार अंक की कमी के ऐलान के बाद खपत के जुड़े शेयरों में तेजी देखने को मिली। इस कारण निफ्टी एफएमसीजी इंडेक्स 1.78 प्रतिशत बढ़कर बंद हुआ। कोटक महिंद्रा एएमसी के सीआईओ-डेट, दीपक अग्रवाल ने कहा कि आरबीआई द्वारा रेपो रेट को 25 आधार अंक घटाकर 6 प्रतिशत करना दिखाता है कि वैश्विक अनिश्चितता के समय केंद्रीय बैंक विकास को बढ़ाने के लगातार प्रयास कर रही है। हमें उम्मीद है कि अगले छह महीनों में रेपो रेट में 50 आधार अंक की और कटौती हो सकती है।सेक्टोरल आधार पर आईटी, पीएसयू बैंक, फाइनेंशियल सर्विसेज, फार्मा, मेटल, रियल्टी, मीडिया और प्राइवेट बैंक लाल निशान में बंद हुएसेक्टोरल आधार पर आईटी, पीएसयू बैंक, फाइनेंशियल सर्विसेज, फार्मा, मेटल, रियल्टी, मीडिया और प्राइवेट बैंक लाल निशान में बंद हुए हैं। निफ्टी पैक में नेस्ले, एटरनल, एचयूएल, टाटा कंज्यूमर, टाइटन, पावर ग्रिड, अपोलो हॉस्पिटल, अल्ट्राटेक सीमेंट, हीरो मोटोकॉर्प, बजाज ऑटो, आईटीसी, एशियन पेंट्स और आयशर मोटर्स टॉप लूजर्स थे। विप्रो, एसबीआई, एलएंडटी, टेक महिंद्रा, ट्रेंट, श्रीराम फाइनेंस, टाटा स्टील, कोल इंडिया, सन फार्मा और ओएनजीसी टॉप लूजर्स थे।कमजोर वैश्विक संकेतों के कारण भारतीय शेयर बाजार की शुरुआत गिरावट के साथ हुई थीव्यापक बाजार का रुझान गिरावट का था। बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज (बीएसई) पर 1,529 शेयर हरे निशान में, 2,359 शेयर लाल निशान में और 142 शेयर बिना किसी बदलाव के बंद हुए। कमजोर वैश्विक संकेतों के कारण भारतीय शेयर बाजार की शुरुआत गिरावट के साथ हुई थी। सुबह 9: 40 पर सेंसेक्स 356 अंक या 0.48 प्रतिशत की कमजोरी के साथ 73,870 और निफ्टी 129 अंक या 0.58 प्रतिशत की गिरावट के साथ 22,405 पर था। -
नई दिल्ली। भारत ने फ्रांस से 26 राफेल मरीन लड़ाकू विमानों की बिक्री के लिए एक ‘मेगा डील’ को मंजूरी दी है। मीडिया रिपोर्ट्स में सरकारी सूत्रों के हवाले से कहा गया है कि 63,000 करोड़ रुपये से अधिक के सौदे पर जल्द ही हस्ताक्षर होने की उम्मीद है।
भारतीय नौसेना को 22 सिंगल-सीटर जेट के साथ-साथ चार ट्विन-सीटर वैरिएंट मिलेंगेभारतीय नौसेना को 22 सिंगल-सीटर जेट के साथ-साथ चार ट्विन-सीटर वैरिएंट मिलेंगे। भारत को एक बड़ा पैकेज मिलेगा जिसमें बेड़े का रखरखाव, लॉजिस्टिकल सपोर्ट, कर्मियों की ट्रेनिंग और स्वदेशी मैन्युफैक्चरिंग कंपोनेंट के लिए ऑफसेट दायित्व शामिल होगा।राफेल मरीन जेट विमानों को भारत के स्वदेशी विमानवाहक पोतों पर तैनात किया जाएगाप्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता वाली सुरक्षा मामलों की मंत्रिमंडलीय समिति (सीसीएस) ने इस सौदे को मंजूरी दे दी। राफेल मरीन जेट विमानों को भारत के स्वदेशी विमानवाहक पोतों पर तैनात किया जाएगा और इससे समुद्र में नौसेना की हवाई शक्ति में उल्लेखनीय वृद्धि होगी। राफेल मरीन भारत में मौजूद राफेल फाइटर जेट्स से अधिक एडवांस्ड है। इसका इंजन ज्यादा ताकतवर है।राफेल मरीन लड़ाकू विमानों की आपूर्ति लगभग चार वर्षों में शुरू होने का अनुमान हैरिपोर्ट के मुताबिक राफेल मरीन लड़ाकू विमानों की आपूर्ति लगभग चार वर्षों में शुरू होने का अनुमान है। नौसेना को 2029 के अंत तक पहला बैच प्राप्त होने की उम्मीद है। पूरा बेड़ा 2031 तक शामिल होने की संभावना है। एक बार आपूर्ति हो जाने के बाद, ये जेट विमान भारत के विमान वाहक पोत आईएनएस विक्रमादित्य और स्वदेशी आईएनएस विक्रांत से संचालित होंगे, जो पुराने हो रहे मिग-29 के बेड़े की जगह लेंगे।राफेल एम को विमानवाहक-आधारित मिशनों के लिए डिजाइन किया गया हैडील में जल्द डिलीवरी समय सीमा पर सुनिश्चित होगी और फ्रांसीसी निर्माता डसॉल्ट एविएशन से रखरखाव में सहायता भी देगा। राफेल एम को विमानवाहक-आधारित मिशनों के लिए डिजाइन किया गया है। इसमें मजबूत लैंडिंग गियर, अरेस्टर हुक्स और शॉर्ट टेक-ऑफ बट अरेस्टेड रिकवरी (एसटीओबीएआर) ऑपरेशनों को अंजाम देने के लिए मजबूत एयरफ्रेम की सुविधा है। यह एक ऐसी तकनीक है जिसका उपयोग नौसेना के विमान वाहकों पर विमान को लॉन्च करने और वापस लाने के लिए किया जाता है। -
नई दिल्ली। भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ने लगातार दूसरी बार रीपो दर में कटौती की है। आरबीआई ने रीपो दर को 0.25 प्रतिशत घटाकर 6 प्रतिशत करने का निर्णय किया। जिससे कर्ज लेना सस्ता हो गया है। उधारी की ब्याज दरें कम होने से रियल एस्टेट को काफी फायदा होने की उम्मीद है। इस साल की पहली तिमाही में सुस्त पड़ी मकानों की बिक्री के बीच रीपो दर में यह दूसरी कटौती हाउसिंग सेक्टर के लिए बड़ी राहत लेकर आई है। रियल एस्टेट उद्योग को कर्ज सस्ता होने से अब मकानों की बिक्री रफ्तार पकड़ने की उम्मीद है।
Repo Rate घटने से रियल एस्टेट को मिलेगा दमरियल एस्टेट उद्योग का कहना है कि रीपो दर में इस दूसरी कटौती से कर्ज लेना सस्ता हो सकता है। इससे मौजूदा और नये मकान खरीदार दोनों को लाभ होगा। गौड़ ग्रुप के सीएमडी और क्रेडाई नेशनल के चेयरमैन मनोज गौड़ का कहना है कि ब्याज दरों में 0.25% की कटौती का रियल एस्टेट सेक्टर पर अच्छा असर पड़ेगा। इस बार की एमपीसी बैठक की एक और खास बात ये रही कि आरबीआई ने अपनी नीति को ‘न्यूट्रल’ से बदलकर ‘अकोमोडेटिव’ बना दिया है। इसका मतलब है कि अब आरबीआई अर्थव्यवस्था में ज्यादा पैसा डालेगा। इससे देश की अर्थव्यवस्था को रफ्तार मिलेगी और खर्च बढ़ेगा। इसका फायदा रियल एस्टेट सेक्टर को भी मिलेगा।कॉलियर्स इंडिया में रिसर्च हेड विमल नादर ने कहा कि अमेरिका द्वारा शुल्क लगाए जाने के बाद वैश्विक बाजारों में अनिश्चितता बढ़ने के बीच रीपो दर में कटौती महत्वपूर्ण है। बेंचमार्क उधार दरों में लगातार कमी से घर खरीदारों की भावनाओं को बढ़ावा मिलेगा और परिणामस्वरूप किफायती और मध्यम आय वाले क्षेत्रों में आवास की मांग में सुधार होगा। सभी क्षेत्रों में रियल एस्टेट डेवलपर को भी वित्तपोषण लागत में संभावित कमी से लाभ होगा।स्क्वायर यार्ड्स के को-फाउंडर और सीएफओ पीयूष बोथरा ने कहा कि आरबीआई द्वारा लगातार दूसरी बार रीपो दर घटाना रियल एस्टेट क्षेत्र के लिए समय पर उठाया गया और उत्साहजनक कदम है। साथ ही इससे लोग मकान खरीदने के लिए प्रोत्साहित हो सकते हैं क्योंकि होम की ईएमआई में कमी आएगी।ग्राहकों को तुरंत मिले सस्ते कर्ज का फायदाएनारॉक समूह के चेयरमैन अनुज पुरी ने कहा कि रीपो दर में 25 आधार अंकों की यह कमी महंगाई नरम पड़ने के कारण अपेक्षित थी। लेकिन इस कटौती से होम लोन लेने वालों को तत्काल और सार्थक राहत मिलने पर संशय है क्योंकि पहले की गई कटौती का बैंकों ने कर्ज लेने वालों को लाभ नहीं दिया है।अगर बैंक अब तक की रीपो दर में दोनों कटौती का लाभ देते हैं, तो यह घर खरीदारों विशेष रूप से किफायती आवास की तलाश करने वालों को बढ़ावा देगी क्योंकि कई पहली बार घर खरीदने के लिए जोखिम उठाने में संकोच करने वाले होम लोन दरों में कमी होने पर जोखिम ले लेते हैं। मकानों के दाम बढ़ने के बीच कर्ज सस्ता होना उद्योग और मकान खरीदार दोनों के लिए राहत की बात है। एनारॉक रिसर्च के मुताबिक, 2025 की पहली तिमाही में शीर्ष 7 शहरों में आवास की औसत कीमतों में 10 से 34 फीसदी वृद्धि दर्ज की गई।नाइट फैंक इंडिया के चेयरमैन और एमडी शिशिर बैजल ने कहा कि हम वैश्विक और घरेलू चुनौतियों के बीच विकास को समर्थन देने के लिए RBI द्वारा समय पर उठाए गए रीपो दर 25 आधार अंकों की कटौती के कदम का स्वागत करते हैं। हमें उम्मीद है कि इस दर कटौती का लाभ उपभोक्ताओं को तत्काल आधार पर दिया जाएगा, जो खपत को बढ़ावा देने के लिए महत्वपूर्ण होगा। 2025 में 50 आधार अंकों की कटौती के साथ अब वाणिज्यिक बैंकों के लिए उपभोक्ताओं को लाभ पहुंचाना महत्वपूर्ण है। कर्ज सस्ता होने से उधारी लागत में कमी आने से बिल्डरों को भी लाभ होगा। -
नई दिल्ली। आरबीआई गवर्नर संजय मल्होत्रा ने बुधवार को घोषणा की कि सोने के गहनों को गिरवी रखने पर मिलने वाले गोल्ड लोन के लिए मौजूदा चिंताओं को देखते हुए व्यापक नियम जारी किए जाएंगे। सोने के आभूषणों और गहनों के जमानत के बदले लोन देने के लिए विनियमित संस्थाओं (आरई) द्वारा उपभोग और आय-उत्पादन दोनों उद्देश्यों के लिए दिशा-निर्देशों की समीक्षा की जाती है।
लोन के लिए विवेकपूर्ण और आचरण-संबंधी नियम जारीउन्होंने कहा, “समय-समय पर ऐसे लोन के लिए विवेकपूर्ण और आचरण-संबंधी नियम जारी किए गए हैं और वे विभिन्न श्रेणियों के आरई के लिए अलग-अलग हैं। आरई में ऐसे नियमों को बेहतर बनाने के उद्देश्य से, उनकी जोखिम लेने की क्षमताओं को ध्यान में रखते हुए और कुछ चिंताओं को देखते हुए ऐसे लोन के लिए विवेकपूर्ण मानदंडों और आचरण-संबंधी पहलुओं पर व्यापक नियम जारी करने का निर्णय लिया गया है।”देश भर में गोल्ड लोन में तेज उछाल देखा गयाइस संबंध में ड्राफ्ट गाइडलाइंस पब्लिक कमेंट के लिए जारी किए जा रहे हैं। घोषणा के बाद बुधवार को मुथूट फाइनेंस, आईआईएफएल फाइनेंस, मणप्पुरम फाइनेंस, चोला मंडलम इन्वेस्टमेंट और फिन कंपनी के शेयरों में 7 प्रतिशत तक की गिरावट आई। आरबीआई द्वारा देश भर में गोल्ड लोन में तेज उछाल देखा गया, जो वित्तीय जरूरतों को पूरा करने के लिए कोलेटरल के रूप में सोने पर बढ़ती निर्भरता को दर्शाता है।गोल्ड लोन में एक साल पहले की समान अवधि की तुलना में तीव्र वृद्धिआरबीआई की एक रिपोर्ट के अनुसार, सितंबर 2024 को समाप्त होने वाली अवधि में गोल्ड लोन में एक साल पहले की समान अवधि की तुलना में तीव्र वृद्धि दर्ज की गई। हालांकि, केंद्रीय बैंक ने गोल्ड लोन देने में शामिल कुछ सुपरवाइज्ड एंटिटी (एसई) के बीच देखी गई अनियमितता पर भी चिंता जताई। इन मुद्दों को संबोधित करने के लिए आरबीआई ने 30 सितंबर, 2024 को व्यापक दिशा निर्देश जारी किए, जिसमें एसई को अपनी नीतियों, प्रक्रियाओं और प्रथाओं की समीक्षा करने का निर्देश दिया गया।रिपोर्ट में आउटसोर्सिंग प्रैक्टिस में कमियां, सोने के मूल्यांकन में विसंगतियां और लोन फंड के अंतिम उपयोग की अपर्याप्त निगरानी सहित कई खामियों की पहचान की गई। इन उपायों का उद्देश्य गोल्ड लोन पोर्टफोलियो में तीव्र वृद्धि को सस्टेनेबल बनाए रखना और अनुचित व्यवहारों को दूर करना था।गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनियां (एनबीएफसी) गोल्ड लोन सेगमेंट में अपना दबदबा बनाए हुए हैंगैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनियां (एनबीएफसी) गोल्ड लोन सेगमेंट में अपना दबदबा बनाए हुए हैं। मार्च 2024 तक बैंकों और एनबीएफसी दोनों के वितरित कुल गोल्ड लोन में से 59.9 प्रतिशत की हिस्सेदारी एनबीएफसी के पास है। यह उन उधारकर्ताओं की जरूरतों को पूरा करने में उनकी महत्वपूर्ण भूमिका को रेखांकित करता है जो लोन पाने के लिए सोने के आभूषणों और गहनों पर निर्भर हैं। -
नयी दिल्ली. अरबपति उद्योगपति गौतम अडाणी की कंपनी अदाणी पोर्ट्स एंड स्पेशल इकनॉमिक ज़ोन लिमिटेड (एपीएसईज़ेड) ने सोमवार को कहा कि उसने श्रीलंका में कोलंबो वेस्ट इंटरनेशनल टर्मिनल पर अपना परिचालन शुरू कर दिया है। एपीएसईज़ेड ने बयान में कहा कि सार्वजनिक-निजी भागीदारी के तहत विकसित सीडब्ल्यूआईटी का संचालन एक संघ द्वारा किया जाता है - जिसमें 35 साल के निर्माण, संचालन और हस्तांतरण (बीओटी) समझौते के तहत भारत का सबसे बड़ी बंदरगाह संचालक एपीएसईज़ेड, प्रमुख श्रीलंकाई समूह जॉन कील्स होल्डिंग्स पीएलसी और श्रीलंकाई बंदरगाह प्राधिकरण शामिल हैं। बयान के अनुसार, कोलंबो वेस्ट इंटरनेशनल टर्मिनल (सीडब्ल्यूआईटी) परियोजना 80 करोड़ डॉलर के महत्वपूर्ण निवेश का प्रतिनिधित्व करती है और इसमें 1,400 मीटर की लंबाई और 20 मीटर की गहराई है, जिससे टर्मिनल सालाना लगभग 32 लाख बीस-फुट समकक्ष इकाइयों (टीईयू) को संभालने में सक्षम है। बयान में कहा गया है कि यह कोलंबो का पहला पूर्णतः स्वचालित गहरे पानी का टर्मिनल है, जिसे कार्गो हैंडलिंग क्षमताओं को बढ़ाने, पोत के वापसी के समय में सुधार करने तथा दक्षिण एशिया में बंदरगाह के एक प्रमुख ट्रांसशिपमेंट हब के रूप में इसकी स्थिति को बढ़ाने के लिए डिज़ाइन किया गया है। अदाणी समूह के चेयरमैन गौतम अदाणी ने कहा कि सीडब्ल्यूआईटी में परिचालन की शुरुआत भारत और श्रीलंका के बीच क्षेत्रीय सहयोग में एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर है। उन्होंने कहा, ‘‘यह टर्मिनल न केवल हिंद महासागर में व्यापार के भविष्य का प्रतिनिधित्व करता है, बल्कि इसकी शुरुआत श्रीलंका के लिए भी एक गौरवपूर्ण क्षण है, जो इसे वैश्विक समुद्री मानचित्र पर मजबूती से स्थापित करता है।'' उन्होंने कहा कि सीडब्ल्यूआईटी परियोजना स्थानीय स्तर पर हजारों प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष नौकरियों का सृजन करेगी तथा द्वीपीय राष्ट्र के लिए अपार आर्थिक मूल्य खोलेगी। जॉन कील्स समूह के चेयरमैन कृष्ण बालेंद्र ने कहा, ‘‘हमें भरोसा है कि यह परियोजना क्षेत्र में वैश्विक व्यापार और संपर्क को बढ़ाएगी।'' एपीएसईजेड वैश्विक रूप से विविधीकृत अदाणी समूह का एक हिस्सा है।
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नयी दिल्ली. भारत को अमेरिका के साथ प्रस्तावित द्विपक्षीय व्यापार समझौते पर चर्चा में तेजी लानी चाहिए क्योंकि इस समझौते से तरजीही बाजार पहुंच सुनिश्चित करने, निवेशकों की सुरक्षा में सुधार करने और दोनों देशों के बीच प्रौद्योगिकी साझेदारी को प्रोत्साहित करने में मदद मिल सकती है। शार्दुल अमरचंद मंगलदास एंड कंपनी के साझेदार रुद्र कुमार पांडे ने सोमवार को कहा कि यह समझौता भारत के लिए रसायन, दूरसंचार व चिकित्सकीय उपकरणों जैसे क्षेत्रों में लंबे समय से मौजूद गैर-शुल्क बाधाओं को दूर करने के लिए महत्वपूर्ण है, जिन्हें अमेरिकी शुल्क की घोषणा में स्पष्ट रूप से चिह्नित किया गया। उन्होंने कहा कि मानकों व परीक्षण मानदंडों के लिए पारस्परिक मान्यता समझौते (एमआरए) इन संवेदनशील क्षेत्रों में नियामक बाधा को कम करने और बाजार पहुंच में सुधार करने की दिशा में एक रणनीतिक कदम साबित हो सकते हैं। पांडे ने कहा कि भले ही नए अमेरिकी शुल्क भारत के प्रमुख निर्यात क्षेत्रों पर अल्पकालिक दबाव डाल सकते हैं, लेकिन व्यापक रणनीतिक परिदृश्य महत्वपूर्ण दीर्घकालिक लाभ प्रदान करता है। उन्होंने कहा कि भारत अपने दूसरों से अलग शुल्क जोखिम, नीतिगत प्रोत्साहनों, क्षेत्रीय क्षमताओं तथा कूटनीतिक जुड़ाव का लाभ उठाकर न केवल वर्तमान व्यापार को सुरक्षित रख सकता है, बल्कि भविष्य में अमेरिका-केंद्रित वैश्विक आपूर्ति श्रृंखला में एक प्रमुख खिलाड़ी के रूप में खुद को स्थापित कर सकता है। पांडे ने कहा, ‘‘ नीतिगत दृष्टिकोण से ये घटनाक्रम भारत के लिए अमेरिका के साथ द्विपक्षीय निवेश संधि या सीमित दायरे वाले मुक्त व्यापार समझौते पर चर्चा शुरू करने या उसे तेजी से आगे बढ़ाने का सही समय पर सही अवसर प्रदान करते हैं।
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नयी दिल्ली. वैश्विक बाजार में मंदी की आशंकाओं के बीच सोमवार को स्थानीय शेयर बाजार में भारी गिरावट आने से निवेशकों के 14 लाख करोड़ रुपये डूब गए। बीएसई का 30 शेयरों पर आधारित मानक सूचकांक सेंसेक्स 2,226.79 अंक यानी 2.95 प्रतिशत टूटकर 73,137.90 अंक पर बंद हुआ। कारोबार के दौरान एक समय यह 3,939.68 अंक का गोता लगाते हुए 71,425.01 अंक पर आ गया था। बीएसई पर छोटी कंपनियों का स्मॉलकैप सूचकांक भी 4.13 प्रतिशत के नुकसान में रहा, जबकि मिडकैप में 3.46 प्रतिशत की गिरावट दर्ज की गई। इस चौतरफा गिरावट का असर यह हुआ कि बीएसई पर सूचीबद्ध कंपनियों का कुल बाजार पूंजीकरण एक ही कारोबारी सत्र में 14,09,225.71 करोड़ रुपये घटकर 3,89,25,660.75 करोड़ रुपये (4.54 लाख करोड़ डॉलर) रह गया। हालांकि, कारोबार के अंतिम घंटे में निचले स्तर पर खरीदारी आने से निवेशकों के नुकसान में कमी आई। दोपहर के कारोबार में निवेशकों का नुकसान 20.16 लाख करोड़ रुपये तक पहुंच गया था। बीएसई पर सूचीबद्ध 3,515 शेयरों में गिरावट आई, जबकि 570 शेयरों में तेजी आई और 140 शेयरों के भाव में कोई बदलाव नहीं हुआ।
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मुंबई. अमेरिका के जवाबी शुल्क को लेकर चिंता के बीच सोमवार को भारत समेत दुनिया भर के बाजारों में बड़ी गिरावट आई। स्थानीय शेयर बाजार में बीएसई सेंसेक्स 2,226.79 अंक का गोता लगा गया, जबकि नेशनल स्टॉक एक्सचेंज का निफ्टी 743 अंक लुढ़क गया। दस माह में यह शेयर बाजार में सबसे बड़ी गिरावट है। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के शुल्क बढ़ाये जाने और चीन के जवाबी कदम से आर्थिक नरमी की आशंका के बीच बाजार में गिरावट आई है। तीस शेयरों पर आधारित बीएसई सेंसेक्स में लगातार तीसरे कारोबारी सत्र में गिरावट रही और यह 2,226.79 अंक यानी 2.95 प्रतिशत के नुकसान के साथ 73,137.90 अंक पर बंद हुआ। कारोबार के दौरान एक समय यह 3,939.68 अंक यानी 5.22 प्रतिशत तक लुढ़क गया था। नेशनल स्टॉक एक्सचेंज का निफ्टी भी 742.85 अंक यानी 3.24 प्रतिशत टूटकर 22,161.60 अंक पर बंद हुआ। कारोबार के दौरान एक समय निफ्टी 1,160.8 अंक तक लुढ़क गया था। हिंदुस्तान यूनिलीवर को छोड़कर सेंसेक्स में शामिल सभी शेयर नुकसान में रहे। टाटा स्टील में सबसे ज्यादा 7.33 प्रतिशत की गिरावट आई, जबकि लार्सन एंड टुब्रो 5.78 प्रतिशत के नुकसान में रहा। इसके अलावा टाटा मोटर्स, कोटक महिंद्रा बैंक, महिंद्रा एंड महिंद्रा, इन्फोसिस, एक्सिस बैंक, आईसीआईसीआई बैंक, एचसीएल टेक्नोलॉजीज और एचडीएफसी बैंक के शेयर भी नीचे आए। हिंदुस्तान यूनिलीवर मामूली बढ़त के साथ बंद हुआ।
जियोजीत इन्वेस्टमेंट लि. के शोध प्रमुख विनोद नायर ने कहा, ‘‘बाजार में गिरावट का कारण उच्च अमेरिकी शुल्क और अन्य देशों के जवाबी शुल्क के कारण व्यापार युद्ध शुरू होने की आशंका है। सूचना प्रौद्योगिकी (आईटी) और धातु जैसे क्षेत्र नुकसान में रहे। इसका कारण धीमी वृद्धि के साथ उच्च मुद्रास्फीति का जोखिम है, जिससे अमेरिका में मंदी की आशंका है।'' बीएसई में 3,515 शेयरों में गिरावट रही जबकि 570 लाभ में रहे। 140 के भाव में कोई बदलाव नहीं हुआ। कुल 775 शेयर 52 सप्ताह के निचले स्तर पर जबकि 59 कंपनियों के शेयर 52 सप्ताह के उच्च स्तर पर रहे। मेहता इक्विटीज लि. के वरिष्ठ उपाध्यक्ष (शोध) प्रशांत तापसे ने कहा, ‘‘अमेरिकी बाजार में शुक्रवार को आई गिरावट के बाद यह तय था कि वैश्विक शेयर बाजारों में गिरावट आएगी और वैसा ही हुआ। इस गिरावट का कारण यह है कि जवाबी शुल्क को लेकर ट्रंप की नीतियों से अमेरिका में आने वाले समय में मंदी आने और महंगाई बढ़ने की आशंका है।'' उन्होंने कहा, ‘‘कच्चे तेल और कई धातुओं के दाम में गिरावट जारी है। यह संकेत है कि अगर मौजूदा स्थिति बनी रहती है तो मांग नरम पड़ सकती है।'' एशिया के अन्य बाजारों में, हांगकांग का हैंगसेंग 13 प्रतिशत से अधिक गिर गया, जापान का निक्की 225 लगभग आठ प्रतिशत टूटा, शंघाई एसएसई कम्पोजिट सात प्रतिशत और दक्षिण कोरिया का कॉस्पी पांच प्रतिशत से अधिक नुकसान में रहा। यूरोप के प्रमुख बाजारों में भी भारी बिकवाली का दबाव रहा है और दोपहर के कारोबार में इसमें छह प्रतिशत तक की गिरावट रही। अमेरिकी बाजार में शुक्रवार को तेज गिरावट आई। एसएंडपी-500, 5.97 प्रतिशत नीचे आया जबकि नासदैक कम्पोजिट 5.82 प्रतिशत और डाऊ 5.50 प्रतिशत नुकसान में रहे। इससे पहले, चार जून को सेंसेक्स 4,389.73 अंक यानी 5.74 प्रतिशत का गोता लगाते हुए 72,079.05 अंक पर बंद हुआ था। उस दिन कारोबार के दौरान सेंसेक्स 6,234.35 अंक तक लुढ़क गया था। वहीं एनएसई निफ्टी चार जून को 1,379.40 अंक यानी 5.93 प्रतिशत टूटकर 21,884.50 अंक पर बंद हुआ था। कारोबार के दौरान यह 1,982.45 अंक तक लुढ़क गया था। इससे पहले, 23 मार्च, 2020 को लॉकडाउन लगाये जाने के दिन सेंसेक्स और निफ्टी 13 प्रतिशत से अधिक टूटे थे। सोमवार को बीएसई स्मॉलकैप सूचकांक 4.13 प्रतिशत के नुकसान में रहा, जबकि मिडकैप में 3.46 प्रतिशत की गिरावट आई। नायर ने कहा, ‘‘हालांकि, अन्य देशों के मुकाबले भारत पर प्रभाव सीमित होगा, लेकिन निवेशकों को इस दौरान सतर्क रहने की सलाह दी जाती है।'' शेयर बाजार के आंकड़ों के अनुसार, विदेशी संस्थागत निवेशकों ने शुक्रवार को 3,483.98 करोड़ रुपये मूल्य के शेयर बेचे। वैश्विक तेल मानक ब्रेंट क्रूड 3.61 प्रतिशत की गिरावट के साथ 63.21 डॉलर प्रति बैरल पर आ गया।
पिछले सप्ताह, बीएसई सेंसेक्स 2,050.23 अंक यानी 2.64 प्रतिशत नुकसान में रहा था जबकि एनएसई निफ्टी में 614.8 अंक यानी 2.61 प्रतिशत की गिरावट आई थी। - नयी दिल्ली,। कमजोर वैश्विक रुख के साथ ही आभूषण विक्रेताओं और स्टॉकिस्ट की भारी बिकवाली के चलते सोमवार को राष्ट्रीय राजधानी के सर्राफा बाजार में सोने का भाव 1,550 रुपये टूटकर 91,450 रुपये प्रति दस ग्राम रह गया। अखिल भारतीय सर्राफा संघ ने यह जानकारी दी।शुक्रवार को 99.9 प्रतिशत शुद्धता वाले सोने की कीमत 1,350 रुपये टूटकर 93,000 रुपये प्रति 10 ग्राम रही थी।99.5 प्रतिशत शुद्धता वाला सोना 1,550 रुपये लुढ़ककर 91,000 रुपये प्रति 10 ग्राम रह गया जो पिछले कारोबारी सत्र में 92,550 रुपये प्रति 10 ग्राम पर बंद हुआ था।एचडीएफसी सिक्योरिटीज के वरिष्ठ विश्लेषक-जिंस सौमिल गांधी ने कहा, ‘‘सोमवार को सोने की कीमत में गिरावट आई… क्योंकि शेयर बाजार और अन्य परिसंपत्ति वर्गों में घबराहटपूर्ण बिकवाली जारी है, जिससे सुरक्षित निवेश वाली कीमती धातुओं पर दबाव बना हुआ है।’’लगातार पांचवें दिन गिरावट का सिलसिला जारी रखते हुए चांदी की कीमतें शुक्रवार के बंद स्तर 95,500 रुपये प्रति किलोग्राम से 3,000 रुपये लुढ़ककर 92,500 रुपये प्रति किलोग्राम रह गईं।
- नई दिल्ली। 7 अप्रैल 2025 को केंद्रीय पेट्रोलियम और प्राकृतिक गैस मंत्री हरदीप सिंह पुरी ने एक बड़ा ऐलान किया। उन्होंने बताया कि कल सुबह से एलपीजी गैस सिलेंडर की कीमतों में 50 रुपये की बढ़ोतरी होगी। इसका मतलब है कि अब तक 803 रुपये में मिलने वाला 14.2 किलोग्राम का घरेलू सिलेंडर अब 853 रुपये का हो जाएगा। यह बदलाव देशभर में लागू होगा। मंत्री ने यह बात एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में कही, जहां उन्होंने गैस की कीमतों और पेट्रोल-डीजल के दामों को लेकर कई अहम जानकारी दी।हरदीप सिंह पुरी ने बताया कि यह बढ़ोतरी आम लोगों के साथ-साथ उज्ज्वला योजना के लाभार्थियों पर भी असर डालेगी। उज्ज्वला योजना के तहत जिन लोगों को सब्सिडी मिलती है, उनके लिए सिलेंडर की कीमत अब 553 रुपये होगी। वहीं, जिनके पास यह सब्सिडी नहीं है, उन्हें 853 रुपये चुकाने होंगे। उन्होंने यह भी कहा कि गैस की कीमतों की समीक्षा हर 15 दिन में की जाएगी। अंतरराष्ट्रीय बाजार में कीमतों के हिसाब से इसमें बदलाव किया जाएगा। यानी अगर दुनिया में तेल और गैस के दाम बढ़ेंगे या घटेंगे, तो उसका असर हमारे देश में भी दिखेगा।पेट्रोल और डीजल की कीमतों के बारे में बात करते हुए मंत्री ने एक राहत भरी खबर दी। उन्होंने कहा कि हाल ही में पेट्रोल और डीजल पर एक्साइज ड्यूटी (कर) बढ़ाया गया है, लेकिन यह बोझ आम लोगों पर नहीं डाला जाएगा। तेल कंपनियां इसे अपने स्तर पर संभालेंगी। पुरी ने कहा कि हमारा पेट्रोलियम सेक्टर अब डीरेगुलेटेड है, यानी कीमतें बाजार के हिसाब से तय होती हैं। इसलिए तेल कंपनियां अंतरराष्ट्रीय कीमतों को देखते हुए पेट्रोल और डीजल के दामों को नियंत्रित करेंगी। इसका मतलब है कि लोगों को पंप पर ज्यादा पैसे नहीं देने पड़ेंगे, क्योंकि कंपनियां खुद इन कीमतों को संतुलित रखेंगी।
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नई दिल्ली। आम आदमी के लिए बड़ी राहत की खबर है। दरअसल, मार्च 2025 में घर में पकाई गई शाकाहारी और मांसाहारी यानी वेज और नॉनवेज थाली की कीमत पिछले महीने की तुलना में क्रमशः 2 प्रतिशत और 5 प्रतिशत कम हुई है। यह जानकारी सोमवार को जारी की गई क्रिसिल इंटेलिजेंस रिपोर्ट में दी गई है।
फसल की नई आवक के कारण हुआ संभवजी हां, रिपोर्ट के अनुसार प्याज, आलू और टमाटर की कीमतों में पिछले महीने की तुलना में क्रमशः 5 प्रतिशत, 7 प्रतिशत और 8 प्रतिशत की गिरावट आई है, क्योंकि फसल की नई आवक के कारण थाली की कीमत में गिरावट आई है।मांसाहारी थाली की कीमत में गिरावट की पीछे ये रहा कारणवहीं मांसाहारी थाली की कीमत में गिरावट का कारण ब्रॉयलर चिकन की कीमतों में अनुमानित 7 प्रतिशत की गिरावट है। उत्तर में आपूर्ति में वृद्धि और दक्षिण में बर्ड फ्लू के डर के बीच मांग में कमी के कारण ब्रॉयलर की कीमतों में गिरावट आई है।घर में पकाए गए करीब 3 प्रतिशत की आई गिरावटपिछले साल मार्च की लागत से तुलना करें तो घर में पकाए गए शाकाहारी थाली की कीमत में 3 प्रतिशत की गिरावट आई है, जबकि मांसाहारी थाली की कीमत मार्च में पिछले साल की समान अवधि में स्थिर रही।शाकाहारी थाली की कीमत में पिछले साल की समान अवधि में गिरावटटमाटर की कीमतों में तेज गिरावट के कारण हुई। मार्च 2024 में टमाटर की कीमत 32 रुपये प्रति किलोग्राम थी, जो मार्च 2025 में 34 प्रतिशत घटकर 21 रुपये प्रति किलोग्राम रह गई।पूरे देश में टमाटर की फसल की आवक में हुई 29% की वृद्धिपूरे देश में टमाटर की फसल की आवक में 29 प्रतिशत की वृद्धि हुई। यह वृद्धि विशेष रूप से दक्षिणी राज्यों में हुई, जहां जलाशयों के स्वस्थ स्तरों के बीच रकबे में वृद्धि और बेहतर उपज के कारण रबी की फसल अच्छी रही। हालांकि, आलू, प्याज और वनस्पति तेल की कीमतों में क्रमशः 2 प्रतिशत, 6 प्रतिशत और 19 प्रतिशत की वृद्धि ने शाकाहारी थाली की कीमत में और गिरावट को रोक दिया।उल्लेखनीय है कि घर पर थाली बनाने की औसत लागत की गणना उत्तर, दक्षिण, पूर्व और पश्चिम भारत में प्रचलित इनपुट कीमतों के आधार पर की जाती है। मासिक परिवर्तन आम आदमी के खर्च पर पड़ने वाले प्रभाव को दर्शाता है।इस सिलसिले में क्रिसिल इंटेलिजेंस के निदेशक पुशन शर्मा का कहना है कि, “मार्च में सब्जियों की कीमतें कम रहीं, जबकि ताजा आवक के कारण प्याज, आलू और टमाटर की कीमतों में गिरावट आई। हालांकि, हमें उम्मीद है कि अप्रैल में कीमतें नीचे आ जाएंगी और आलू और टमाटर के मामले में पिछले साल की तरह ही तेजी आएगी। प्याज की कीमतों को मजबूत निर्यात गति से समर्थन मिलने की संभावना है, जबकि कोल्ड स्टोरेज स्टॉक के बाजार में आने से आलू की कीमतों में तेजी आने की उम्मीद है। रबी की कम आवक के कारण टमाटर की कीमतों में भी मामूली वृद्धि देखने को मिल सकती है।” -
नई दिल्ली। संयुक्त राज्य अमेरिका द्वारा हाल ही में लागू की गई टैरिफ नीतियों का वैश्विक बाजारों में असर देखने को मिल रहा है। दरअसल, अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की टैरिफ पॉलिसी के कारण दुनिया भर के बाजारों में नाटकीय रूप से गिरावट आई है।नैस्डैक-100, एसएंडपी 500 और निक्केई 225 वायदा जैसे प्रमुख सूचकांकों में बड़ी गिरावट देखी गई। निक्केई वायदा में सर्किट ब्रेकर सक्रीय हो गए। वायदा बाजारों ने इस वर्ष अमेरिका में लगभग पांच चौथाई अंकों की ब्याज दर में कटौती की, जिसके कारण ट्रेजरी मुनाफे में तेज गिरावट आई और डॉलर कमजोर हुआ।
दुनिया के शेयर बाजारों में आज की गिरावट के पीछे मुख्य कारण क्या ?आज की गिरावट के पीछे मुख्य कारण दुनिया की दो सबसे बड़ी अर्थव्यवस्थाओं, अमेरिका और चीन के बीच बढ़ता व्यापार संघर्ष है। अमेरिका द्वारा टैरिफ बढ़ाए जाने के बाद, चीन ने कई अमेरिकी उत्पादों पर शुल्क लगाकर जवाब दिया, जिसके कारण चीनी शेयर बाजार में शुरुआती दौर में 10 प्रतिशत की गिरावट आई।राष्ट्रपति ट्रंप ने कहा है कि निवेशकों को “अपना उपचार करना होगा” और जब तक अमेरिका का व्यापार घाटा ठीक नहीं हो जाता, तब तक चीन के साथ कोई सौदा नहीं होगा। इस कारण से अनिश्चितता और बढ़ गई है।एशिया में हुआ सबसे ज्यादा नुकसानबाजारों में भय का माहौल है जिसमें सबसे ज्यादा नुकसान एशिया में हुआ है। जी हां, जापान के निक्केई में 7 प्रतिशत, दक्षिण कोरिया के कोस्पी में 5 प्रतिशत और हांगकांग के हैंग सेंग में 10 प्रतिशत से ज्यादा की गिरावट आई है। ऐसे में बाजार की नकारात्मक भावना ने भारत को भी प्रभावित किया, जहां आज सुबह के कारोबार में सेंसेक्स और निफ्टी में 3.5 प्रतिशत से ज्यादा की गिरावट देखी गई।इस उथल-पुथल के बावजूद, ट्रंप ने अपने टैरिफ का बचाव करते हुए कहा कि दुनिया के नेता सौदा करने के लिए उत्सुक हैं। इन घटनाओं ने बाजारों में संभावित अस्थिरता के बारे में चिंताएं बढ़ा दी हैं, कुछ लोगों ने वॉल स्ट्रीट में मंदी की भविष्यवाणी की है। -
नई दिल्ली। केंद्र सरकार ने पेट्रोल और डीजल पर 2 रुपये प्रति लीटर की एक्साइज ड्यूटी (उत्पाद शुल्क) बढ़ा दी है, जो मंगलवार से लागू होगी। हालांकि, पेट्रोलियम मंत्रालय ने साफ किया है कि इसका असर आम लोगों की जेब पर नहीं पड़ेगा, यानी पेट्रोल-डीजल के खुदरा दाम नहीं बढ़ेंगे। मंत्रालय ने ‘एक्स’ पर पोस्ट करते हुए कहा कि सरकारी तेल कंपनियों ने जानकारी दी है कि एक्साइज ड्यूटी बढ़ने के बावजूद पेट्रोल और डीजल की खुदरा कीमतों में कोई बदलाव नहीं किया जाएगा।
इस बढ़ोतरी के बाद पेट्रोल पर अब कुल एक्साइज ड्यूटी 13 रुपये प्रति लीटर हो गई है, जबकि डीजल पर यह 10 रुपये प्रति लीटर हो गई है। सरकार का यह फैसला ऐसे समय में आया है जब अंतरराष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल की कीमतें करीब चार साल के न्यूनतम स्तर पर पहुंच गई हैं। कच्चे तेल (ब्रेंट क्रूड) की कीमत $63 प्रति बैरल तक गिर गई है, जो अप्रैल 2021 के बाद सबसे कम है। वहीं, अमेरिकी WTI क्रूड $59.57 प्रति बैरल पर आ गया है।अधिकारियों का कहना है कि जब कच्चे तेल की कीमतें गिरती हैं, तो तेल कंपनियों की लागत घट जाती है और उनका मुनाफा बढ़ता है। ऐसे में सरकार आम उपभोक्ताओं पर बिना बोझ डाले एक्साइज ड्यूटी बढ़ाकर अतिरिक्त राजस्व जुटा सकती है। मंत्रालय ने बताया कि इस अतिरिक्त राजस्व का उपयोग सरकार की वित्तीय जरूरतों को पूरा करने और कीमतों को स्थिर बनाए रखने के लिए किया जाएगा। तेल की कीमतों में गिरावट का कारण अमेरिका-चीन के बीच बढ़ता व्यापार तनाव है, जिससे वैश्विक मंदी की आशंका और कच्चे तेल की मांग में कमी की चिंता बढ़ी है। इसी बीच, OPEC+ देशों ने तेल उत्पादन बढ़ाने का फैसला लिया है।वहीं सऊदी अरब ने भी मई महीने के लिए एशियाई खरीदारों को कच्चा तेल $2.3 प्रति बैरल तक सस्ता बेचने का निर्णय लिया है। विशेषज्ञों का मानना है कि कच्चे तेल की कीमतों में गिरावट भारत के लिए फायदेमंद है, क्योंकि देश अपनी 85% से ज्यादा तेल जरूरतें आयात से पूरी करता है। इससे भारत का आयात बिल घटता है, चालू खाता घाटा कम होता है और रुपये को मजबूती मिलती है। साथ ही, ईंधन और गैस की कीमतें घटने से महंगाई पर भी असर पड़ता है। वहीं सरकार ने रूस से सस्ता तेल खरीदना जारी रखा है, जिससे अब रूस भारत का सबसे बड़ा तेल आपूर्तिकर्ता बन गया है। भारत की करीब 38% कच्चे तेल की जरूरतें अब रूस से पूरी हो रही हैं। - नयी दिल्ली। नये वित्त वर्ष की शुरुआत के साथ आयकरदाताओं को नई और पुरानी कर व्यवस्था का विकल्प चुनने की जरूरत होगी। ऐसे में नई कर व्यवस्था में छूट सीमा बढ़ने के साथ यह जानना जरूरी है कि कर की कौन सी प्रणाली उनके लिए बेहतर है। परामर्श कंपनी टैक्स कनेक्ट एडवाइजरी सर्विसेज एलएलपी में भागीदार विवेक जालान का कहना है कि 12 लाख रुपये (वेतनभोगी व्यक्तियों के लिए 12.75 लाख रुपये) तक की सालाना आय वाले करदाताओं के लिए नई कर व्यवस्था उपयुक्त है लेकिन इससे अधिक आय वाले व्यक्तियों के लिए कौन सी प्रणाली बेहतर होगी, यह इस बात पर निर्भर करता है कि करदाता कर देनदारी को कम करने के लिए बचत और निवेश की कोई योजना बना रहा है या नहीं।उन्होंने यह भी कहा कि पुरानी कर व्यवस्था तभी लाभकारी होगी जब करदाता लगभग 5.5 लाख रुपये की कटौती का दावा करने की स्थिति में हो। हालांकि, यदि कुल सालाना आय लगभग 15,00,000 रुपये से अधिक नहीं है, तभी लगभग 5.5 लाख की कटौती का लाभ होगा। इससे अधिक सालाना आय के लिए नई कर व्यवस्था उपयुक्त होगी। साढ़े पांच लाख रुपये की छूट में आयकर कानून की धारा 80सी के तहत 1.5 लाख रुपये, धारा 24 (बी) के तहत आवास ऋण ब्याज के लिए दो लाख रुपये और धारा 80डी (चिकित्सा बीमा), 80 जी (पात्र संस्थानों को चंदा), 80 ई (शिक्षा ऋण पर ब्याज) आदि जैसी अन्य कटौतियों के तहत लगभग दो लाख रुपये शामिल हैं। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने 2025-26 के बजट में मध्यम वर्ग को बड़ी राहत देते हुए 12 लाख रुपये (वेतनभोगी करदाताओं के लिए 75,000 रुपये की मानक कटौती के साथ अब 12.75 लाख रुपये) तक की वार्षिक आय को पूरी तरह से आयकर से छूट देने की घोषणा की। आयकर छूट नई कर व्यवस्था का विकल्प चुनने वाले आयकरदाताओं को मिलेगी।जालान ने कहा, ‘‘यदि करदाता के पास कोई कर योजना या योग्य कटौती नहीं है, तो आमतौर पर नई व्यवस्था अधिक फायदेमंद होगी। इसके अलावा, भले ही करदाता ने कर देनदारी से बचने की योजना बनायी है, पर पुरानी कर व्यवस्था तभी लाभकारी होगी जब करदाता लगभग 5.5 लाख रुपये की कटौती का दावा करने की स्थिति में हो।'' उन्होंने यह भी कहा, ‘‘5.5 लाख से कम की कटौती के मामले में, नई व्यवस्था ज्यादातर मामलों में लाभकारी होगी। हालांकि, यह मानते हुए कि लगभग 5.5 लाख की कटौती की जाती है, तो करदाता पुरानी व्यवस्था को चुनने पर विचार कर सकता है लेकिन यह तभी लाभदायक है, जब कुल वार्षिक आय 15,00,000 रुपये से अधिक नहीं है।'' लगभग 5.5 लाख की कटौती के साथ पुरानी और नई व्यवस्था के बीच कर की बुनियादी तुलना की जाए तो 13 लाख रुपये सालाना आय पर पुरानी कर व्यवस्था में मानक कटौती और चार प्रतिशत उपकर के साथ 54,600 रुपये कर देनदारी बैठेगी जबकि नई कर व्यववस्था में यह 66,300 रुपये होगी। वहीं 14 लाख रुपये सालाना आय की स्थिति में पुरानी कर व्यवस्था में चार प्रतिशत उपकर के साथ 75,400 रुपये की कर देनदारी बनेगी, जबकि नई व्यवस्था में यह 81,900 रुपये होगी। इसी प्रकार, 15 लाख सालाना आय के मामले में पुरानी कर व्यवस्था में कर देनदारी 96,200 रुपये और नई में 97,500 रुपये जबकि 16 लाख रुपये में पुरानी कर व्यवस्था में कर देनदारी 1,17,000 रुपये जबकि नई व्यवस्था में 1,13,100 रुपये बैठेगी। वहीं मानक कटौती के बिना 13 लाख रुपये की सालाना आय पर पुरानी कर व्यवस्था में 65,000 रुपये जबकि नई व्यवस्था में 78,000 रुपये कर देनदारी बनेगी। वहीं 14 लाख रुपये के मामले में यह क्रमश: 85,800 और 93,600 रुपये बैठेगी। 15 लाख रुपये सालाना की आय पर पुरानी कर व्यवस्था में कर देनदारी 1,06,600 रुपये और नई व्यवस्था में 1,09,200 रुपये बैठेगी। 16 लाख रुपये सालाना कमाई के मामले में कर देनदारी पुरानी कर व्यवस्था में 1,32,600 रुपये और नई व्यवस्था में 1,24,800 रुपये होगी। नई कर व्यवस्था में चार लाख रुपये सालाना आय पर कोई कर नहीं लगता है। चार से आठ लाख रुपये पर पांच प्रतिशत, आठ से 12 लाख रुपये पर 10 प्रतिशत, 12 लाख से 16 लाख रुपये पर 15 प्रतिशत, 16 से 20 लाख रुपये पर 20 प्रतिशत, 20 लाख रुपये से 24 लाख रुपये पर 25 प्रतिशत तथा 24 लाख रुपये से ऊपर की सालाना आय पर 30 प्रतिशत कर लगेगा।
- कटरा । नेशनल स्टॉक एक्सचेंज (एनएसई) के प्रबंध निदेशक और मुख्य कार्यपालक अधिकारी आशीष कुमार चौहान ने रविवार को कहा कि अमेरिका के जवाबी शुल्क लगाए जाने के बाद दुनिया में असमंजस की स्थिति बनी हुई है लेकिन भारत अन्य देशों की तुलना में काफी बेहतर प्रदर्शन कर रहा है। चौहान ने कहा कि अगले एक या दो सप्ताह में अमेरिकी सीमा शुल्क को लेकर स्थिति पूरी तरह स्पष्ट हो जाने की उम्मीद है। उन्होंने कहा कि इस पर बातचीत होगी और शुल्क ढांचे को स्थिर किया जाएगा। उन्होंने कहा, "ऐसा लगता है कि जवाबी शुल्क पर अमेरिकी कदम के बाद भारतीय शेयर बाजार अन्य देशों की तुलना में काफी बेहतर प्रदर्शन कर रहा है।" चौहान ने कहा, "आपने पिछले दो-तीन दिनों में बाजार का हाल देखा होगा। अमेरिका ने कर पर फैसला किया है, जो दुनिया के हर देश पर लागू है। उन्होंने भारत के लिए भी नए आयात शुल्क लगाए हैं, जो अन्य देशों की तुलना में बेहतर प्रदर्शन कर रहा है।" एनएसई प्रमुख ने कहा कि अमेरिका और दुनिया की भावी रणनीति के बारे में स्पष्ट तस्वीर अगले सप्ताह स्पष्ट हो जाएगी। उन्होंने कहा, "ऐसा लगता है कि अन्य देशों की तुलना में भारत की स्थिति थोड़ी मजबूत है।" उन्होंने कहा, "अभी तक असमंजस की स्थिति बनी हुई है। कई लोगों को लगता है कि कुछ कंपनियों को अधिक नुकसान हो सकता है। लेकिन कुल मिलाकर बातचीत होगी और शुल्क ढांचे को स्थिर किया जाएगा। अगले एक या दो सप्ताह में स्थिति स्पष्ट हो जानी चाहिए।" अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने भारत, चीन एवं यूरोपीय संघ समेत 60 व्यापारिक साझेदारों पर जवाबी सीमा शुल्क लगाने की दो अप्रैल को घोषणी की थी। उसके बाद से दुनिया भर के शेयर बाजारों में गिरावट का माहौल है।
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नई दिल्ली। भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) की छह सदस्यीय मॉनेटरी पॉलिसी कमेटी (MPC) की बैठक आज से शुरू हो गई है। यह बैठक चालू वित्त वर्ष 2025-26 (FY26) की पहली समीक्षा बैठक है। SBI रिसर्च ने अपने ताजा रिपोर्ट में अनुमान जताया है कि अप्रैल 2025 में केंद्रीय बैंक रीपो रेट (Repo Rate) में 25 बेसिस प्वाइंट की कटौती कर सकता है। पूरे वित्त वर्ष (FY26) के दौरान ब्याज दरों में 75 से 100 बेसिस प्वाइंट तक की कटौती संभव है। अगर ऐसा हुआ तो होम लोन (Home Loan), ऑटो लोन (Auto Loan), पर्सनल लोन (Personal Loan) समेत रीपो रेट से लिंक सभी तरह के लोन की ब्याज दरें घटेंगी। इसके अलावा, रिपोर्ट में महंगाई और जीडीपी ग्रोथ में कमी आने का भी अनुमान जताया गया है।
Repo Rate में 1% कटौती की संभावना
SBI रिसर्च के विश्लेषकों ने कहा, “हमें उम्मीद है कि अप्रैल 2025 की MPC बैठक में 25 बेसिस प्वाइंट की कटौती की जाएगी। पूरे चक्र में कुल मिलाकर कम से कम 100 बेसिस प्वाइंट की कटौती हो सकती है, जिसमें फरवरी और अप्रैल 2025 में लगातार दो बार दरों में कटौती की संभावना है। जून 2025 में एक अंतराल के बाद, दरों में कटौती का दूसरा दौर अगस्त 2025 से शुरू हो सकता है। गौरतलब है कि फरवरी में MPC ने रीपो रेट में 25 bps की कटौती की थी, जो पांच साल में पहली बार हुआ था।
महंगाई में भी आएगी गिरावट
रिपोर्ट में कहा गया है कि Q4FY25 में खुदरा महंगाई दर (CPI) घटकर 3.8% तक आ सकती है और पूरे FY25 में औसतन 4.6% रहने का अनुमान है। इस रुझान के आधार पर, हम उम्मीद करते हैं कि FY26 में महंगाई दर 3.9% से 4.0% के बीच रह सकती है, जबकि कोर महंगाई 4.2% से 4.3% के दायरे में रहने की संभावना है। सितंबर 2025 या अक्टूबर 2025 तक हेडलाइन महंगाई में गिरावट का रुख रहेगा, लेकिन इसके बाद इसमें फिर से बढ़ोतरी हो सकती है।अमेरिका ने कई देशों पर भारत से ज्यादा रेसिप्रोकल टैरिफ लगाए हैं। इससे इन देशों द्वारा भारत में सस्ते सामान की डंपिंग की आशंका बढ़ेगी, जिससे घरेलू महंगाई पर दबाव कम हो सकता है।
ग्लोबल GDP ग्रोथ में रहेगी गिरावट
SBI रिसर्च ने अपनी रिपोर्ट में कहा कि वैश्विक अर्थव्यवस्था को आगे चलकर कई बड़ी मुश्किलों का सामना करना पड़ सकता है। इसमें व्यापार पर लगने वाले टैक्स, करेंसी में तेज उतार-चढ़ाव और निवेश का टूटता प्रवाह शामिल है। इन वजहों से दुनिया की GDP ग्रोथ में 30 से 50 बेसिस प्वाइंट तक की गिरावट हो सकती है। रिपोर्ट के मुताबिक, देश की संभावित प्रोडक्शन ग्रोथ 7% तक रह सकती है। जबकि एडवांस एस्टीमेट में GDP ग्रोथ 6.3% रहने का अनुमान जताया गया है। सबसे खराब स्थिति में यह 6% तक रह सकती है। तो इसका मतलब है कि अर्थव्यवस्था अपनी पूरी क्षमता से थोड़ा कम काम कर रही है। ऐसे में आउटपुट गैप -100 से -70 बेसिस प्वाइंट के बीच है।
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नई दिल्ली । खराब वैश्विक संकेतों के चलते भारतीय शेयर बाजार सोमवार को बड़ी गिरावट के साथ खुला। बाजार में चौतरफा गिरावट देखने को मिल रही है। सुबह 9:35 पर सेंसेक्स 2,381 अंक या 3.12 प्रतिशत की गिरावट के साथ 73,010 और निफ्टी 816 अंक या 3.56 प्रतिशत की गिरावट के साथ 22,088 पर था।
ग्लोबल ट्रेड वार से निकला शेयर बाजार का दमइस गिरावट की वजह अमेरिका द्वारा लगाए गए रेसिप्रोकल टैरिफ को माना जा रहा है, जिससे पूरी दुनिया में ट्रेड वार का खतरा बढ़ गया है।लार्ज कैप के साथ-साथ मिडकैप और स्मॉलकैप में भी बड़ी गिरावटलार्ज कैप के साथ-साथ मिडकैप और स्मॉलकैप में भी बड़ी गिरावट है। निफ्टी मिडकैप 100 इंडेक्स 2,045 अंक या 4.07 प्रतिशत की गिरावट के साथ 48,562 और निफ्टी स्मॉलकैप 100 इंडेक्स 820 अंक या 5.24 प्रतिशत की गिरावट के साथ 14,855 पर था।एनएसई के सभी इंडेक्स में लाल निशान में कारोबारनेशनल स्टॉक एक्सचेंज (एनएसई) के सभी इंडेक्स में लाल निशान में कारोबार हो रहा है। ऑटो, आईटी, एफएमसीजी, मेटस, रियल्टी, मीडिया और एनर्जी में सबसे अधिक गिरावट है।शुरुआती कारोबार में सेंसेक्स पैक में सभी 30 शेयर लाल निशान मेंशुरुआती कारोबार में सेंसेक्स पैक में सभी 30 शेयर लाल निशान में थे। टाटा स्टील, टाटा मोटर्स, इंफोसिस, टेक महिंद्रा, एलएंडटी, एचसीएल टेक, टीसीएस, रिलायंस इंडस्ट्रीज, एनटीपीसी, एक्सिस बैंक, एमएंडएम, कोटक महिंद्रा बैंक, इंडसइंड बैंक और एमएंडएम टॉप लूजर्स थे।”चॉइस ब्रोकिंग के डेरिवेटिव एनालिस्ट हार्दिक मटालिया ने कहा, “टेक्निकल फ्रंट पर, निफ्टीने दैनिक चार्ट पर कमजोरी देखी गई। इसके कारण रुकावट स्तरों पर इंडेक्स पर दबाव देखने को मिल सकता है। इंट्राडे में 22,400 और 22,000 एक सपोर्ट लेवल है, क्योंकि सूचकांक ने ऐतिहासिक रूप से इन क्षेत्रों के आसपास स्थिरता दिखाई है।”अधिकांश एशियाई बाजारों में बिकवाली देखी गईअधिकांश एशियाई बाजारों में बिकवाली देखी गई। टोक्यो, शंघाई, बैंकॉक, सियोल और हांगकांग में 11 प्रतिशत तक की गिरावट दर्ज की गई है।रेसिप्रोकल टैरिफ के कारण अमेरिकी बाजारों में भारी बिकवालीरेसिप्रोकल टैरिफ के कारण शुक्रवार को अमेरिकी बाजारों में भारी बिकवाली देखी गई। डाओ 5.50 प्रतिशत और टेक्नोलॉजी इंडेक्स नैस्डैक लगभग 5.82 प्रतिशत की गिरावट के साथ बंद हुआ।वैश्विक अनिश्चितताओं के बीच तेल की कीमतों में तेज गिरावटवैश्विक अनिश्चितताओं के बीच तेल की कीमतों में तेज गिरावट आई है। ब्रेंट क्रूड 2.67 प्रतिशत गिरकर 63.82 डॉलर प्रति बैरल पर आ गया, जबकि वेस्ट टेक्सास इंटरमीडिएट (डब्ल्यूटीआई) क्रूड 2.69 प्रतिशत गिरकर 60.31 डॉलर प्रति बैरल पर है।