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मुंबई. स्थानीय शेयर बाजारों में बुधवार को तेजी रही और बीएसई सेंसेक्स 267 अंक से अधिक के लाभ में रहा। वहीं निफ्टी में लगातार पांचवें कारोबारी सत्र में तेजी रही। वैश्विक स्तर पर मिले-जुले रुख के बीच रिलायंस इंडस्ट्रीज और इन्फोसिस जैसी प्रमुख कंपनियों के शेयरों में लिवाली से बाजार में तेजी आई। तीस शेयरों पर आधारित बीएसई सेंसेक्स 267.75 अंक यानी 0.36 प्रतिशत की बढ़त के साथ 74,221.06 अंक पर बंद हुआ। कारोबार के दौरान एक समय यह 354.48 अंक तक उछल गया था। इसी प्रकार, नेशनल स्टॉक एक्सचेंज का निफ्टी 68.75 अंक यानी 0.31 प्रतिशत की बढ़त के साथ 22,597.80 अंक पर बंद हुआ। जियोजीत फाइनेंशियल सर्विसेज के शोध प्रमुख विनोद नायर ने कहा, ‘‘वैश्विक स्तर पर मिले-जुले रुख के बीच अमेरिकी फेडरल रिजर्व की बैठक का ब्योरा जारी होने से पहले भारतीय बाजार में सकारात्मक रुख देखने को मिला। निवेशक कंपनियों की चौथी तिमाही के परिणाम और चुनाव को लेकर अनिश्चितता कम होने से आशान्वित हैं।'' उन्होंने कहा, ‘‘मानसून के जल्दी आने की उम्मीद से दैनिक उपभोग का सामान बनाने वाली कंपनियों (एफएमसीजी) को लेकर रुचि बढ़ी है। हालांकि, बाजार का प्रदर्शन अल्पकाल में हल्का रह सकता है क्योंकि उसे चुनाव के परिणाम का इंतजार है। एफआईआई बाजार से दूरी बनाये हुए हैं।'' सेंसेक्स के शेयरों में हिंदुस्तान यूनिलीवर, रिलायंस इंडस्ट्रीज, इन्फोसिस, एशियन पेंट्स, आईटीसी और अल्ट्राटेक सीमेंट प्रमुख रूप से लाभ में रहे। दूसरी तरफ नुकसान में रहने वाले शेयरों में भारतीय स्टेट बैंक, जेएसडब्ल्यू स्टील, एक्सिस बैंक, आईसीआईसीआई बैंक, टाटा स्टील तथा टाटा मोटर्स शामिल हैं। एचडीएफसी सिक्योरिटीज के खुदरा शोध प्रमुख दीपक जसानी ने कहा, ‘‘निफ्टी कारोबार के दौरान सीमित दायरे में सकारात्मक रहा। यह लगातार पांचवें कारोबारी सत्र में बढ़त में रहा। यह 25 अप्रैल के बाद पहला मौका है जब निफ्टी में लगातार इतने दिन की तेजी रही है।'' छोटी कंपनियों के शेयरों का सूचकांक बीएसई स्मॉलकैप 0.18 प्रतिशत चढ़ा जबकि मझोली कंपनियों का सूचकांक 0.05 प्रतिशत नुकसान में रहा एशिया के अन्य बाजारों में चीन का शंघाई कम्पोजिट बढ़त में जबकि दक्षिण कोरिया का कॉस्पी, जापान का निक्की और हांगकांग का हैंगसेंग नुकसान में रहा। यूरोप के प्रमुख बाजारों में दोपहर के कारोबार में गिरावट का रुख था। अमेरिकी बाजार वॉल स्ट्रीट मंगलवार को बढ़त में रहा। वैश्विक तेल मानक ब्रेंट क्रूड 0.84 प्रतिशत की गिरावट के साथ 82.18 डॉलर प्रति बैरल रहा।
शेयर बाजार के आंकड़ों के अनुसार, विदेशी संस्थागत निवेशकों ने मंगलवार को 1,874.54 करोड़ रुपये मूल्य के शेयर बेचे। बीएसई सेंसेक्स में मंगलवार को 52.63 की गिरावट रही थी, जबकि एनएसई निफ्टी 27.05 अंक बढ़त में रहा था। -
नयी दिल्ली. देश में मई की शुरुआत में प्याज के निर्यात से प्रतिबंध हटने के बाद 45,000 टन से अधिक प्याज का निर्यात किया गया है। एक शीर्ष सरकारी अधिकारी ने बुधवार को यह जानकारी दी। दुनिया के सबसे बड़े सब्जी निर्यातक ने गत दिसंबर में प्याज के निर्यात पर प्रतिबंध लगा दिया था और फिर सुस्त उत्पादन के कारण कीमतों में वृद्धि के बाद मार्च में इसे बढ़ा दिया था। उपभोक्ता मामलों के मंत्रालय की सचिव निधि खरे ने कहा, ‘‘ प्रतिबंध हटने के बाद से 45,000 टन से अधिक प्याज का निर्यात किया गया है। अधिकतर निर्यात पश्चिम एशिया और बांग्लादेश को किया गया।'' सरकार ने चुनाव के दौरान प्याज की कीमतें कम रखने के लिए चार मई को प्रतिबंध हटा दिया था। हालांकि, प्रति टन पर 550 अमेरिकी डॉलर का न्यूनतम निर्यात मूल्य (एमईपी) लगाया गया था। खरे ने कहा कि इस साल अच्छे मानसून के पूर्वानुमान से जून से प्याज सहित खरीफ (ग्रीष्मकालीन) फसलों की बेहतर बुवाई सुनिश्चित होगी। उन्होंने कहा कि सार्वजनिक क्षेत्र की एजेंसियों ने चालू वर्ष के लिए लक्षित 5,00,000 टन का भंडार (बफर स्टॉक) रखने के लिए हालिया रबी (सर्दियों) की फसल से प्याज की खरीद शुरू कर दी है। कृषि मंत्रालय के प्राथमिक अनुमान के अनुसार, महाराष्ट्र, कर्नाटक और आंध्र प्रदेश जैसे प्रमुख उत्पादक क्षेत्रों में कम उत्पादन के कारण फसल वर्ष 2023-24 में देश का प्याज उत्पादन सालाना आधार पर 16 प्रतिशत घटकर 2.54 करोड़ टन रहने की उम्मीद है।
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नई दिल्ली। भारतीय रिजर्व बैंक ने वित्त वर्ष 2023-24 के लिए केंद्र सरकार को अधिशेष के रूप में दो लाख दस हजार 874 करोड़ रुपये हस्तांतरित करने की मंजूरी दे दी है। बुधवार को मुंबई में आयोजित रिजर्व बैंक के केंद्रीय निदेशक मंडल की 608वीं बैठक के दौरान इसे मंजूरी दी गई।
एक आधिकारिक प्रेस विज्ञप्ति के अनुसार, आरबीआई गवर्नर शक्तिकांत दास की अध्यक्षता में बोर्ड ने वित्त वर्ष 2023-24 के लिए आकस्मिक जोखिम बफर – सीआरबी को 6 दशमलव पांच शून्य प्रतिशत तक बढ़ाने का फैसला किया। बोर्ड ने मौजूदा व्यापक आर्थिक स्थितियों और वित्तीय संकट के कारण वित्त वर्ष 2018-19 से 2021-22 के दौरान विकास और समग्र आर्थिक गतिविधि का समर्थन करने के लिए सीआरबी को रिज़र्व बैंक की बैलेंस शीट के आकार के 5 दशमलव पांच शून्य प्रतिशत पर बनाए रखने का निर्णय लिया था। 2022-23 में अर्थव्यवस्था में सुधार के साथ इसे बढ़ाकर 6 प्रतिशत कर दिया गया।बैठक में डिप्टी गवर्नर डॉ. माइकल देबब्रत पात्रा, श्री एम. राजेश्वर राव, श्री टी. रबी शंकर, श्री स्वामीनाथन जे. और केंद्रीय बोर्ड के अन्य निदेशक भी उपस्थित थे। बैठक में आर्थिक मामलों के विभाग के सचिव श्री अजय सेठ और वित्तीय सेवा विभाग के सचिव डॉ. विवेक जोशी भी शामिल हुए। बोर्ड ने वर्ष 2023-24 के लिए रिज़र्व बैंक की वार्षिक रिपोर्ट और वित्तीय विवरण पर चर्चा और अनुमोदन करने के अलावा वैश्विक और घरेलू आर्थिक परिदृश्य की भी समीक्षा की। - नयी दिल्ली। विदेशी बाजारों में बहुमूल्य धातुओं की कीमतों में गिरावट के बीच राष्ट्रीय राजधानी के सर्राफा बाजार में बुधवार को सोना 50 रुपये की गिरावट के साथ 74,600 रुपये प्रति 10 ग्राम पर बंद हुआ। पिछले कारोबारी सत्र में सोना 74,650 रुपये प्रति 10 ग्राम पर बंद हुआ था।हालांकि, चांदी की कीमत 600 रुपये की तेजी के साथ 95,100 रुपये प्रति किग्रा पर बंद हुआ। पिछले कारोबारी सत्र में यह 94,500 रुपये प्रति किग्रा पर बंद हुई थी। अंतरराष्ट्रीय बाजार कॉमेक्स (जिंस बाजार) में हाजिर सोना 2,417 डॉलर प्रति औंस पर कारोबार कर रहा था, जो पिछले बंद भाव से तीन डॉलर कम है। एचडीएफसी सिक्योरिटीज में वरिष्ठ विश्लेषक-जिंस सौमिल गांधी ने कहा, ‘‘बुधवार को सोने में और गिरावट आई, क्योंकि निवेशकों ने अमेरिकी फेडरल रिजर्व के अधिकारियों के हाल के बयानों का मूल्यांकन किया, जिसमें ब्याज दरों में कटौती के समय को कम करके आंका गया था।'' उन्होंने कहा, ‘‘कारोबारी अब बुधवार को जारी होने वाले अमेरिकी फेडरल रिजर्व की फेडरल ओपन मार्केट कमेटी (एफओएमसी) की बैठक के ब्योरे पर बारीकी से नजर रख रहे हैं, क्योंकि इनसे अमेरिकी केंद्रीय बैंक की मौद्रिक नीति की दिशा के बारे में संकेत मिल सकता है।'' हालांकि, चांदी की कीमत बढ़त के साथ 31.75 डॉलर प्रति औंस पर कारोबार कर रही थी। पिछले कारोबारी सत्र में चांदी की कीमत 31.60 डॉलर प्रति औंस पर बंद हुई थी। इस बीच, मल्टी कमोडिटी एक्सचेंज (एमसीएक्स) के वायदा कारोबार में सोना 171 रुपये की गिरावट के साथ 73,850 रुपये प्रति 10 ग्राम रह गया। सबसे ज्यादा कारोबार वाला जून अनुबंध शाम साढ़े चार बजे 73,742 रुपये प्रति 10 ग्राम के दिन के निम्नतम स्तर को छू गया। इसके अलावा, जुलाई डिलिवरी वाला चांदी का अनुबंध भी 256 रुपये की गिरावट के साथ 94,469 रुपये प्रति किलोग्राम पर कारोबार कर रहा था
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नई दिल्ली। बुद्ध पूर्णिमा या बुद्ध जयंती 23 मई को पूरे देश में मनाई जाएगी। इस दिन देश के कई राज्यों के सभी बैंक बंद रहेंगे। चाहें वह सरकारी बैंकों में सबसे बड़ा SBI हो या प्राइवेट बैंकों में सबसे बड़ा HDFC Bank। इस बीच, अगर आपको किसी भी तरह का ट्रांजैक्शन करना है तो आपको एक दिन और इंतजार करना पड़ेगा। 24 मई को बैंक खुलेंगे और 25 मई को दो वजहों से कई जगहों पर बैंक फिर बंद हो जाएंगे। हालांकि, आप चाहें तो ऑनलाइन बैंकिंग का फायदा पूरा उठा सकते हैं। UPI, नेट बैंकिंग जैसी सुविधाओं का बिना किसी रुकावट के यूज कर सकते हैं। इसके अलावा अगर कैश की जरूरत भी है तो कोई परेशान होने वाली बात नहीं है, ATM आपके घर के करीब ही कहीं होगा।
RBI की तरफ से जारी हॉलिडे लिस्ट यानी छुट्टियों की सूची में बताया गया है कि देश के कुछ राज्यों के बैंकों की शाखाएं बुद्ध पूर्णिमा के दिन यानी 23 मई को बंद रहेंगी। इसमें मिजोरम, त्रिपुरा, महाराष्ट्र, मध्य प्रदेश, चंडीगढ़, उत्तराखंड, अरुणाचल प्रदेश, जम्मू, श्रीनगर, उत्तर प्रदेश, बंगाल, नई दिल्ली, छत्तीसगढ़, हिमाचल प्रदेश और झारखंड के सभी बैंक शामिल हैं।लोक सभा चुनाव के पांच चरण पूरे हो चुके हैं। छठें चरण का मतदान 25 मई को है। इसी दिन नजरुल जयंती भी है। ऐसे में त्रिपुरा और ओडिशा के सभी बैंक बंद रहेंगे। गौरतलब है कि 25 मई को चौथा शनिवार भी है यानी महीने का दूसरा सेकंस सटर्डे। -
नई दिल्ली। देश में मई की शुरुआत में प्याज के निर्यात से प्रतिबंध हटने के बाद 45,000 टन से अधिक प्याज का निर्यात किया गया है। एक शीर्ष सरकारी अधिकारी ने बुधवार को यह जानकारी दी। दुनिया के सबसे बड़े सब्जी निर्यातक ने गत दिसंबर में प्याज के निर्यात पर प्रतिबंध लगा दिया था और फिर सुस्त उत्पादन के कारण कीमतों में वृद्धि के बाद मार्च में इसे बढ़ा दिया था।
उपभोक्ता मामलों के मंत्रालय की सचिव निधि खरे ने कहा, ‘‘ प्रतिबंध हटने के बाद से 45,000 टन से अधिक प्याज का निर्यात किया गया है। अधिकतर निर्यात पश्चिम एशिया और बांग्लादेश को किया गया।’’सरकार ने चुनाव के दौरान प्याज की कीमतें कम रखने के लिए चार मई को प्रतिबंध हटा दिया था। हालांकि, प्रति टन पर 550 अमेरिकी डॉलर का न्यूनतम निर्यात मूल्य (एमईपी) लगाया गया था। खरे ने कहा कि इस साल अच्छे मानसून के पूर्वानुमान से जून से प्याज सहित खरीफ (ग्रीष्मकालीन) फसलों की बेहतर बुवाई सुनिश्चित होगी।उन्होंने कहा कि सार्वजनिक क्षेत्र की एजेंसियों ने चालू वर्ष के लिए लक्षित 5,00,000 टन का भंडार (बफर स्टॉक) रखने के लिए हालिया रबी (सर्दियों) की फसल से प्याज की खरीद शुरू कर दी है।कृषि मंत्रालय के प्राथमिक अनुमान के अनुसार, महाराष्ट्र, कर्नाटक और आंध्र प्रदेश जैसे प्रमुख उत्पादक क्षेत्रों में कम उत्पादन के कारण फसल वर्ष 2023-24 में देश का प्याज उत्पादन सालाना आधार पर 16 प्रतिशत घटकर 2.54 करोड़ टन रहने की उम्मीद है। -
नई दिल्ली। पेटीएम की पैरेंट कंपनी वन 97 कम्युनिकेशंस ने वित्त वर्ष 2023-24 की (जनवरी-मार्च) चौथी तिमाही के नतीजे का ऐलान कर दिया है। 31 मार्च को समाप्त चौथी तिमाही में वन 97 कम्युनिकेशंस का घाटा बढ़कर 550 करोड़ रुपये हो गया है। इससे पिछले वित्त वर्ष की समान अवधि में फिनटेक कंपनी को 167.5 करोड़ रुपये का घाटा हुआ था।
वन 97 कम्युनिकेशंस ने बुधवार को शेयर बाजार को दी सूचना में बताया कि वित्त वर्ष 2023-24 की चौथी तिमाही में कंपनी की परिचालन आय 2.8 फीसदी घटकर 2,267.1 करोड़ रुपये हो गई। इससे पिछले वित्त वर्ष की जनवरी-मार्च तिमाही में यह 2,464.6 करोड़ रुपये थी। इस दौरान परिचालन से समेकित राजस्व साल-दर-साल 2.9 फीसदी गिरकर 2,334.5 करोड़ रुपये से 2,267.1 करोड़ रुपये हो गया। कंपनी का क्रमिक रूप से राजस्व 2,850.5 करोड़ रुपये से 20.5 फीसदी गिर गया।इसके अलावा फिनटेक कंपनी वन 97 कम्युनिकेशंस का पूरे वित्त वर्ष 2023-24 में घाटा कम होकर 1,422.4 करोड़ रुपये रह गया, जबकि वित्त वर्ष 2022-23 में यह 1,776.5 करोड़ रुपये था। पेटीएम का वार्षिक राजस्व करीब 25 फीसदी बढ़कर 9,978 करोड़ रुपये हो गया, जो वित्त वर्ष 2022-23 में 7,990.3 करोड़ रुपये रहा था। पेटीएम ने पीपीबीएल पर आरबीआई के प्रतिबंध से 300-500 करोड़ रुपये के नुकसान होने का अनुमान लगाया था।उल्लेखनीय है कि वन 97 कम्युनिकेशंस के पास पेटीएम ब्रांड का स्वामित्व है। रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया (आरबीआई) ने 15 मार्च, 2024 से व्यापारियों सहित उपभोक्ताओं के हित को ध्यान में रखते हुए पेटीएम पेमेंट्स बैंक लिमिटेड (पीपीबीएल) को किसी भी ग्राहक खाते, वॉलेट और फास्टैग में जमा, क्रेडिट लेन-देन या टॉप-अप स्वीकार करने से रोक दिया है। -
नयी दिल्ली. अप्रैल महीने में घरेलू हवाई यात्रियों की संख्या सालाना आधार पर 3.88 प्रतिशत बढ़कर 1.32 करोड़ हो गई। मंगलवार को जारी आधिकारिक आंकड़ों में यह जानकारी दी गई। पिछले साल अप्रैल में घरेलू हवाई यातायात का आंकड़ा 1.28 करोड़ था।
नागर विमानन महानिदेशालय (डीजीसीए) के आंकड़ों के मुताबिक, एयरलाइंस ने 1,370 यात्रियों को विभिन्न वजहों से उड़ान भरने की मंजूरी नहीं दी और इसपर दिए जाने वाले मुआवजे एवं सुविधाओं पर 1.36 करोड़ रुपये खर्च किए गए। आंकड़ों से पता चलता है कि अप्रैल में कुल 32,314 उड़ानें रद्द हुईं जिसकी वजह से एयरलाइंस को मुआवजे एवं सुविधाओं पर 89.26 लाख रुपये खर्च करने पड़े। पिछले महीने कुल 1,09,910 उड़ानें तय समय से देरी से रवाना हुईं। इससे जुड़ी यात्री सुविधाओं पर एयरलाइंस ने 1.35 करोड़ रुपये खर्च किए। समय पर प्रदर्शन के मामले में अकासा एयर 89.2 प्रतिशत के साथ शीर्ष पर रही। इसके बाद एआईएक्स कनेक्ट (79.5 प्रतिशत), विस्तारा (76.2 प्रतिशत), इंडिगो (76.1 प्रतिशत), एयर इंडिया (72.1 प्रतिशत), स्पाइसजेट (64.2 प्रतिशत) और एलायंस एयर (49.5 प्रतिशत) का स्थान रहा। पिछले महीने इंडिगो की बाजार हिस्सेदारी बढ़कर 60.6 प्रतिशत हो गई, जबकि एयर इंडिया की हिस्सेदारी बढ़कर 14.2 प्रतिशत हो गई। हालांकि, विस्तारा और एआईएक्स कनेक्ट की बाजार हिस्सेदारी घटकर क्रमशः 9.2 प्रतिशत और 5.4 प्रतिशत रह गई। एयर इंडिया, विस्तारा और एआईएक्स कनेक्ट तीनों ही एयरलाइंस टाटा समूह का हिस्सा हैं।
अप्रैल में अकासा एयर की बाजार हिस्सेदारी 4.4 प्रतिशत पर अपरिवर्तित रही, वहीं स्पाइसजेट की बाजार हिस्सेदारी घटकर 4.7 प्रतिशत रह गई। डीजीसीए ने कहा, ‘‘जनवरी-अप्रैल के दौरान घरेलू एयरलाइंस से सफर करने वाले यात्रियों की संख्या 523.46 लाख थी, जबकि पिछले वर्ष की समान अवधि में यह संख्या 503.93 लाख थी। इस तरह 3.88 प्रतिशत की वार्षिक वृद्धि और 2.42 प्रतिशत की मासिक वृद्धि दर्ज की गई। -
नयी दिल्ली. विश्व आर्थिक मंच (डब्ल्यूईएफ) के यात्रा एवं पर्यटन विकास सूचकांक-2024 में भारत 39वें स्थान पर पहुंच गया है। 2021 में जारी सूची में भारत 54वें स्थान पर था। डब्ल्यूईएफ के अनुसार, अमेरिका इस सूची में शीर्ष पर है। भारत, दक्षिण एशिया और निम्न-मध्यम-आय वाली अर्थव्यवस्थाओं में सर्वोच्च स्थान पर है। भारत 2021 में प्रकाशित सूचकांक में 54वें स्थान पर था। हालांकि, सूचकांक मापदंडों में किए गए बदलाव इसकी पिछले वर्षों से तुलना को सीमित करते हैं। अमेरिका के बाद स्पेन, जापान, फ्रांस और ऑस्ट्रेलिया 2024 की सूची में शीर्ष पांच में शामिल हैं। जर्मनी छठे स्थान पर और उसके बाद शीर्ष 10 में ब्रिटेन, चीन, इटली और स्विट्जरलैंड ने जगह बनाई है। परिणामों ने इस तथ्य को रेखांकित किया है कि उच्च आय वाली अर्थव्यवस्थाओं में आमतौर पर यात्रा तथा पर्यटन विकास के लिए अधिक अनुकूल परिस्थितियां बनी रहती हैं। इसे अनुकूल कारोबारी माहौल, गतिशील श्रम बाजार, खुली यात्रा नीतियों, मजबूत परिवहन तथा पर्यटन बुनियादी ढांचे और अच्छी तरह से विकसित प्राकृतिक, सांस्कृतिक तथा ऐसे स्थानों से मदद मिली जहां अक्सर लोग अवकाश के लिए नहीं जाते।
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नयी दिल्ली. राष्ट्रीय राजधानी में मंगलवार को सोने और चांदी की कीमतें अपने रिकॉर्ड ऊंचाई से नीचे आईं। कमजोर वैश्विक रुख और मुनाफावसूली के कारण सोने की कीमत में 550 रुपये प्रति 10 ग्राम की गिरावट दर्ज हुई। एचडीएफसी सिक्योरिटीज के अनुसार, सोने की कीमतें अमेरिकी फेडरल रिजर्व के सदस्यों में से एक की तीखी टिप्पणियों से प्रभावित हुईं, जिन्होंने सुझाव दिया कि मुद्रास्फीति को लक्ष्य पर वापस लाने के लिए ब्याज दरों को लंबी अवधि तक मौजूदा स्तर पर जारी रखने की आवश्यकता होगी। सोने की कीमत 550 रुपये गिरकर 74,650 रुपये प्रति 10 ग्राम रह गई।
पिछले सत्र में सोना 75,200 रुपये प्रति 10 ग्राम पर बंद हुआ था। राष्ट्रीय राजधानी में चांदी की कीमतें 1,600 रुपये टूटकर 94,500 रुपये प्रति किलोग्राम रह गईं। पिछले सत्र में यह 96,100 रुपये प्रति किलोग्राम पर बंद हुई थी। एचडीएफसी सिक्योरिटीज के वरिष्ठ विश्लेषक (जिंस) सौमिल गांधी ने कहा, ‘‘दिल्ली में हाजिर सोना (24 कैरेट) 74,650 रुपये प्रति 10 ग्राम पर कारोबार कर रहा था जो पिछले बंद भाव से 550 रुपये की गिरावट दर्शाता है।'' अंतरराष्ट्रीय बाजार, कॉमेक्स (जिंस बाजार) में सोना हाजिर 2,420 डॉलर प्रति औंस पर कारोबार कर रहा था जो पिछले बंद भाव 22 डॉलर नीचे है। चांदी का भाव 31.60 डॉलर प्रति औंस था।
विशेषज्ञों के अनुसार, व्यापारी फेडरल रिजर्व के अधिकारियों की टिप्पणियों के साथ-साथ बुधवार को जारी होने वाली फेडरल ओपन मार्केट कमेटी (एफओएमसी) की बैठक के ब्योरे पर बारीकी से नजर रखेंगे, जो अमेरिकी केंद्रीय बैंक के मौद्रिक नीति दृष्टिकोण पर अधिक जानकारी प्रदान करेगा। -
मुंबई. भारत सकल मांग और गांवों में गैर-खाद्यान्न वस्तुओं पर खर्च बढ़ने के साथ बहुप्रतीक्षित आर्थिक उड़ान भरने की दहलीज पर है। भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) के मंगलवार को जारी मई बुलेटिन में यह कहा गया है। बुलेटिन में प्रकाशित ‘अर्थव्यवस्था की स्थिति' पर एक लेख में कहा गया है कि वैश्विक अर्थव्यवस्था के लिए परिदृश्य नाजुक होता जा रहा है। इसका कारण एक तरफ मुद्रास्फीति में में जो गिरावट आ रही थी, वह अब थमती जा रही है, वहीं दूसरी तरफ वैश्विक वित्तीय स्थिरता के लिए जोखिम फिर से बढ़ रहा है। इसमें कहा गया है कि पूंजी प्रवाह अस्थिर हो गया है क्योंकि घबराए निवेशक जोखिम लेने से बचने लगे हैं। यह लेख रिजर्व बैंक के डिप्टी गवर्नर माइकल देबब्रत पात्रा की अगुवाई वाली टीम ने लिखा है। लेख में कहा गया है, ‘‘यह उम्मीद बढ़ रही है कि भारत बहुप्रतीक्षित आर्थिक उड़ान की दहलीज पर है। इसका कारण हाल के संकेत है जो कुल मांग की गति में तेजी की ओर इशारा कर रहे हैं।'' इसमें कहा गया है कि कम से कम दो वर्षों में पहली बार पिछली तिमाही में दैनिक उपयोग की उपभोक्ता वस्तुओं (एफएमसीजी) की गांवों में मांग शहरी बाजारों से आगे निकल गई है। घरेलू और व्यक्तिगत देखभाल से जुड़े उत्पादों की मजबूत मांग से एफएमसीजी वस्तुओं की मात्रा में वृद्धि 6.5 प्रतिशत रही। इस वृद्धि को 7.6 प्रतिशत की ग्रामीण वृद्धि से गति मिली। वहीं शहरी क्षेत्रों में वृद्धि 5.7 प्रतिशत थी। लेख में निजी निवेश के बारे में लिखा गया है कि सूचीबद्ध निजी विनिर्माण कंपनियों ने कमाई का कुछ हिस्सा जो अपने पास रखा, वह 2023-24 की दूसरी छमाही में कोष का प्रमुख स्रोत बना रहा। सूचीबद्ध कंपनियों के अबतक घोषित वित्तीय परिणाम बताते हैं कि उन्होंने वित्त वर्ष 2023-24 की जनवरी-मार्च तिमाही में सालाना और तिमाही आधार पर राजस्व में जो वृद्धि हासिल की, वह सर्वाधिक थी। लेख में लिखा गया है कि हेडलाइन (सकल) मुद्रास्फीति में इस साल अप्रैल में मामूली कमी आई। यह हमारी उम्मीदों के अनुरूप है। ईंधन के दाम में नरमी और मुख्य मुद्रास्फीति के नीचे आने तथा ऐतिहासिक रूप से निचले स्तर पर पहुंचने के बावजूद खाद्य श्रेणी में सब्जियों, अनाज, दाल, मांस और मछली की कीमतें निकट अवधि में खुदरा मुद्रास्फीति को ऊंची और पांच प्रतिशत के करीब रख सकती हैं। यह अप्रैल में मौद्रिक नीति समिति (एमपीसी) के अनुमान के अनुरूप है। केंद्रीय बैंक ने साफ कहा कि बुलेटिन में लिखी बातें लेखकों के विचार हैं और भारतीय रिजर्व बैंक के विचारों का प्रतिनिधित्व नहीं करते हैं।
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नई दिल्ली। रिपोर्ट्स के अनुसार, Apple iPhone 14 की बॉडी वाला एक नया iPhone SE बनाने पर काम कर रहा है, जो 2025 में आने वाला है। अगले आने वाले iPhone SE की कीमत पिछले मॉडल से ज्यादा हो सकती है। खबरों के मुताबिक, अमेरिका में इसकी कीमत 10% तक बढ़ सकती है। रिपोर्ट्स के अनुसार, Apple iPhone 14 की बॉडी वाला एक नया iPhone SE बनाने पर काम कर रहा है, जो 2025 में आने वाला है।
अगर दाम 10% बढ़ता है, तो ये फोन 469 डॉलर में लॉन्च हो सकता है। हालांकि, ये भी हो सकता है कि Apple इसे 429 डॉलर में ही लॉन्च करे, जितनी कीमत मौजूदा मॉडल की है।मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, इसमें iPhone 14 की तरह ही 6.1 इंच की स्क्रीन हो सकती है, जिसमें ऊपर की तरफ एक notch होगा। इस notch में फ्रंट कैमरा और Face ID सेंसर होंगे। गौर करें कि अभी वाले iPhone SE में होम बटन और Touch ID के साथ 4.7 इंच की डिस्प्ले है, तो ये काफी बड़ा बदलाव होगा।साथ ही, नया मॉडल iPhone 15 सीरीज़ की तरह फ्लैट फ्रेम और चमकदार बैक पैनल वाला हो सकता है, इसके पीछे सिर्फ एक ही कैमरा होगा। नया SE, iPhone 15 सीरीज़ से भी कुछ फीचर्स ले सकता है, जैसे कि USB Type-C पोर्ट। कुछ खबरों में ये भी बताया जा रहा है कि इसमें iPhone 15 Pro और Pro Max की तरह “Mute Switch” की जगह एक “Action Button” हो सकता है। file photo -
नयी दिल्ली. सार्वजनिक क्षेत्र की कंपनी स्टील अथॉरिटी ऑफ इंडिया लिमिटेड (सेल) का मार्च में समाप्त बीते वित्त वर्ष की चौथी तिमाही का एकीकृत शुद्ध लाभ दो प्रतिशत की मामूली गिरावट के साथ 1,126.68 करोड़ रुपये रहा है। सेल ने शेयर बाजारों को यह जानकारी दी। कंपनी ने बताया कि कच्चे माल की कीमतों में तेजी के चलते उसका मुनाफा प्रभावित हुआ।
इससे एक साल पहले की समान अवधि में कंपनी ने 1,159.21 करोड़ रुपये का शुद्ध लाभ कमाया था।
वित्त वर्ष 2023-24 की मार्च तिमाही में कंपनी का परिचालन राजस्व घटकर 27,958.52 करोड़ रुपये रह गया, जो इससे एक साल पहले 29,130.66 करोड़ रुपये था। पूरे वित्त वर्ष 2023-24 के लिए सेल का शुद्ध लाभ बढ़कर 3,066.67 करोड़ रुपये हो गया, जो इससे पिछले वित्त वर्ष में 2,176.53 करोड़ रुपये था। कंपनी के निदेशक मंडल ने वित्त वर्ष 2023-24 के लिए प्रति शेयर एक रुपये के अंतिम लाभांश को भी मंजूरी दी। सेल के चेयरमैन अमरेंदु प्रकाश ने कहा कि घरेलू बाजार मांग में लगातार वृद्धि को दर्शाते हुए काफी मजबूत बने हुए हैं। -
नयी दिल्ली. घरेलू बचत को वायदा और विकल्प (एफएंडओ) कारोबार में निवेश करने के प्रति आगाह करते हुए मुख्य आर्थिक सलाहकार वी अनंत नागेश्वरन ने शनिवार को कहा कि एफएंडओ कारोबार में छोटे निवेश पर फिर से विचार करने की जरूरत है। उन्होंने कहा कि ऐसा इसलिए है क्योंकि इस कारोबार में अलग तरह की वित्तीय साक्षरता की आवश्यकता होती है। नागेश्वरन ने सीआईआई के वार्षिक कारोबारी सम्मेलन, 2024 में कहा कि जब भी वित्तीय क्षेत्र का विकास, राष्ट्रीय विकास से पहले हुआ है, तो ऐसे देशों के लिए नतीजे अच्छे नहीं रहे हैं। उन्होंने कहा, ''एशियाई संकट 1997-98 इसका एक बहुत महत्वपूर्ण उदाहरण है।''
सीईए ने कहा, जब हम इस तथ्य पर गर्व करते हैं कि हमारे पास वायदा और विकल्प (एफएंडओ) में दुनिया की सबसे बड़ी कारोबारी मात्रा है, तो हमें खुद से पूछने की जरूरत है कि यह प्रगति का संकेत है या चिंता का संकेत है।'' मुख्य आर्थिक सलाहकार (सीईए) ने कहा कि वित्तीय क्षेत्र को यह सुनिश्चित करना चाहिए कि पूंजी बाजार उन क्षेत्रों में बढ़े, जहां हम वास्तव में भारतीय घरेलू बचत का उपयोग उत्पादक उद्देश्यों के लिए कर सकते हैं। नागेश्वरन ने कहा, ''वायदा और विकल्प में छोटी राशि के निवेश पर हमें पुनर्विचार करने की जरूरत है, क्योंकि इसके लिए जरूरी वित्तीय साक्षरता बहुत अलग है।'' सरकारी आंकड़ों के अनुसार, वित्त वर्ष 2022-23 के अंत में शुद्ध घरेलू बचत तीन वर्षों में नौ लाख करोड़ रुपये घटकर 14.16 लाख करोड़ रुपये रह गई है। इस दौरान शेयर बाजार और म्यूचुअल फंडों में निवेश तेजी से बढ़ा है। -
बेंगलुरु. पल्लू, दुपट्टे और जैकेट पर खूबसूरत रंगों में की गई कढ़ाई और पेंटिंग घाटगे शाही परिवार का एक रहस्य रहा होगा, जिसका इस्तेमाल प्रियजनों के कपड़ों को प्यार से सजाने के लिए किया जाता था। हालांकि क्रिकेटर जहीर खान की व्यावसायिक समझ से अब यह एक ब्रांड 'अकुती' में तब्दील हो गया है। अभिनेत्री, मॉडल एवं राष्ट्रीय स्तर की पूर्व हॉकी चैंपियन सागरिका घाटगे 'अकुती' ब्रांड को अपनी मां उर्मिला घाटगे के साथ चलाती हैं। सागरिका घाटगे ने कहा, “हाथ से पेंटिंग मेरे बचपन का हिस्सा रहे हैं। मेरी मां लंबे समय से यह करती रही हैं। हालांकि शुरू में मैं इसे उतनी गंभीरता से नहीं लेती थी, लेकिन मेरे पति (जहीर खान) ने मुझे इसे एक विशेष कलेक्शन बनाने के लिए प्रोत्साहित किया।'' मां-बेटी की जोड़ी ने बेंगलुरु में ‘फोर सीजन्स' में अपने कलेक्शन की शुरुआत की। सोलह मई को होटल में एक दिन के लिए साड़ियों, दुपट्टों और ब्लेजर का संग्रह प्रदर्शित किया गया। घाटगे ने कहा कि जब उन्होंने लगभग एक साल पहले इसकी शुरुआत करने का फैसला किया, तो एक ब्रांड नाम के लिए ‘अकुती' एक स्वाभाविक पसंद बन गई, जिसका मराठी में अर्थ राजकुमारी होता है। खान ने कहा, ‘‘हां, वह एक राजकुमारी है।" घाटगे ने कहा कि यह नाम सिर्फ उनके खानदान का संकेत नहीं है, बल्कि उनके परिवार की सभी महिलाओं के लिए एक सम्मान भी है। घाटगे ने कहा, "अकुती समय में पीछे ले जाता है।" उन्होंने कहा कि डिज़ाइन की प्रेरणा सीधे कोल्हापुर के शाही घाटगे परिवार के बगीचों से आती है। घाटगे ने कहा, "मेरी मां वास्तव में बागवानी में रुचि रखती हैं और हमारे बगीचे में खिलने वाले फूल हमारे कपड़ों पर हाथ से पेंट की गई डिजाइन में तब्दील हो जाते हैं।
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नई दिल्ली। दिल्ली हाई कोर्ट ने शुक्रवार को स्पाइसजेट विवाद मामले में अजय सिंह को राहत दी। अदालत ने एकल पीठ के उस आदेश को रद्द कर दिया जिसमें मीडिया दिग्गज कलानिधि मारन को 579 करोड़ रुपये ब्याज के साथ लौटाने का स्पाइसजेट और उसके प्रवर्तक अजय सिंह को निर्देश दिया गया था।न्यायमूर्ति यशवंत वर्मा और न्यायमूर्ति रविंदर डुडेजा की पीठ ने एकल पीठ के 31 जुलाई, 2023 के आदेश को चुनौती देने वाली सिंह और स्पाइसजेट की तरफ से दायर अपील को मंजूर कर लिया। पीठ ने कहा, “यह अपील स्वीकार की जाती है। नतीजतन 31 जुलाई, 2023 का (एकल न्यायाधीश का) आदेश रद्द किया जाता है।”
खंडपीठ ने पहले एकल न्यायाधीश के आदेश पर रोक लगाने से इनकार कर दिया था और मारन एवं उनकी कंपनी काल एयरवेज से अपील पर जवाब देने को कहा था। स्पाइसजेट और सिंह के वकील ने पहले दलील दी थी कि उनकी चुनौती 18 प्रतिशत ब्याज के मसले पर थी जिसे मध्यस्थता न्यायाधिकरण ने स्पाइसजेट को भुगतान करने का निर्देश दिया था।एकल न्यायाधीश ने मारन और काल एयरवेज के पक्ष में 20 जुलाई, 2018 को मध्यस्थता न्यायाधिकरण के दिए गए निर्णय को बरकरार रखा था। सिंह ने मध्यस्थता न्यायाधिकरण के फैसले को चुनौती देते हुए उच्च न्यायालय में याचिका दायर की थी। यह मामला जनवरी, 2015 का है जब सिंह ने संसाधनों की कमी के कारण महीनों तक बंद रहने के बाद एयरलाइन को मारन से वापस खरीद लिया था। न्यायाधिकरण ने मारन को निर्देश दिया था कि सिंह और एयरलाइन को दंडात्मक ब्याज के रूप में 29 करोड़ रुपये का भुगतान करें। वहीं सिंह को ब्याज के साथ 579 करोड़ रुपये वापस करने के लिए कहा गया था। -
नयी दिल्ली. देश में डेस्कटॉप और नोटबुक जैसे पर्सनल कंप्यूटर (पीसी) का बाजार मार्च तिमाही में 2.6 प्रतिशत बढ़कर 30.7 लाख इकाई का हो गया। एक रिपोर्ट में यह जानकारी दी गई है। बाजार अनुसंधान फर्म इंटरनेशनल डेटा कॉरपोरेशन (आईडीसी) ने बृहस्पतिवार को कहा कि बिक्री में 8.8 प्रतिशत की गिरावट के बावजूद एचपी 30.1 प्रतिशत हिस्सेदारी के साथ पर्सनल कंप्यूटर बाजार में अग्रणी बनी हुई है। जनवरी-मार्च तिमाही में एचपी की पीसी बिक्री एक साल पहले के 10.12 लाख से घटकर 9.23 लाख इकाई रह गई।
डेल टेक्नोलॉजीज और एसर ग्रुप की दोनों की पीसी बाजार में हिस्सेदारी 28.8 प्रतिशत बढ़कर क्रमशः 17.5 और 15.4 प्रतिशत हो गई। हालांकि, आलोच्य तिमाही में लेनोवो और आसुस की बाजार हिस्सेदारी घटकर क्रमश: 15.1 और 5.9 प्रतिशत रह गई। सालाना आधार पर लेनोवो की हिस्सेदारी 4.7 लाख इकाई से 1.3 प्रतिशत घटकर 4.64 लाख इकाई रह गई, जबकि आसुस की हिस्सेदारी 1.98 लाख इकाई से 8.3 प्रतिशत घटकर 1.82 लाख इकाई हो गई। आईडीसी इंडिया के एसोसिएट उपाध्यक्ष (ग्राहक उपकरण) नवकेंदर सिंह ने कहा, ‘‘आईटी एवं आईटीईएस क्षेत्र और वैश्विक स्तर से खरीद कम होने से पीसी बाजार को वाणिज्यिक क्षेत्र में चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है। हालांकि, उद्यम खंड से नई खरीदारी आने पर साल के अंत तक बाजार में सुधार शुरू होने की उम्मीद है।'' आईडीसी की तिमाही रिपोर्ट के मुताबिक, डेस्कटॉप और वर्कस्टेशन श्रेणियों में सालाना आधार पर क्रमशः 10.1 प्रतिशत और 2.7 प्रतिशत की बढ़ोतरी हुई जबकि नोटबुक खंड में 1.7 प्रतिशत की गिरावट आई। इस दौरान प्रीमियम नोटबुक (1,000 डॉलर से अधिक कीमत) की बिक्री में 21 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज की गई। -
नयी दिल्ली. स्थानीय शेयर बाजारों में बृहस्पतिवार को तेजी लौटी और बीएसई सेंसेक्स 676 अंक से अधिक के लाभ में रहा। वहीं एनएसई निफ्टी 22,400 अंक के पार निकल गया। एचडीएफसी बैंक और इन्फोसिस जैसे शेयरों में लिवाली तथा अमेरिका तथा एशिया के अन्य बाजारों में तेजी से बाजार को समर्थन मिला। तीस शेयरों पर आधारित सेंसेक्स उतार-चढ़ाव भरे कारोबार में 676.69 अंक यानी 0.93 प्रतिशत की बढ़त के साथ 73,663.72 अंक पर बंद हुआ। कारोबार के दौरान यह ऊंचे में 73,749.47 अंक तक गया और नीचे में 72,529.97 अंक तक आया। नेशनल स्टॉक एक्सचेंज का निफ्टी भी 203.30 अंक यानी 0.92 प्रतिशत की बढ़त के साथ 22,403.85 अंक पर बंद हुआ। जियोजीत फाइनेंशियल सर्विसेज के शोध प्रमुख विनोद नायर ने कहा, ‘‘वैश्विक स्तर पर मजबूत रुख के बीच घरेलू बाजार में तेजी आई। मजबूत वैश्विक रुख यह संकेत देता है कि अमेरिका में मुद्रास्फीति अनुमान से कम रह सकती है। इससे इस साल वहां नीतिगत दर में कम-से-कम दो बार कटौती की उम्मीद जान पड़ती है।'' सेंसेक्स के शेयरों में महिंद्रा एंड महिंद्रा, भारती एयरटेल, टेक महिंद्रा, टाइटन, इन्फोसिस, जेएसडब्ल्यू स्टील, बजाज फिनसर्व, एचडीएफसी बैंक, लार्सन एंड टुब्रो और कोटक महिंद्रा बैंक प्रमुख रूप से लाभ में रहे। दूसरी तरफ नुकसान में रहने वाले शेयरों में मारुति, भारतीय स्टेट बैंक, पावर ग्रिड, टाटा मोटर्स और इंडसइंड बैंक शामिल हैं। रेलिगेयर ब्रोकिंग लि. वरिष्ठ उपाध्यक्ष (शोध) अजित मिश्रा ने कहा, ‘‘कारोबार के दौरान बाजार में उतार-चढ़ाव रहा लेकिन यह लगभग एक प्रतिशत लाभ लेने में कामयाब रहा। वैश्विक स्तर पर सकारात्मक संकेत के साथ निफ्टी में शुरुआत बढ़त के साथ हुई। हालांकि, कारोबार आगे बढ़ने के साथ इसकी शुरुआती तेजी जाती रही। इसमें उतार-चढ़ाव बना रहा। अंत में यह दिन के उच्चतम स्तर पर बंद हुआ।'' मझोली कंपनियों के शेयरों का सूचकांक (मिडकैप) 1.07 प्रतिशत चढ़ा जबकि छोटी कंपनियों के शेयरों का सूचकांक (स्मॉलकैप) 0.85 प्रतिशत मजबूत हुआ। एशिया के अन्य बाजारों में दक्षिण कोरिया का कॉस्पी, जापान का निक्की, चीन का शंघाई कम्पोजिट और हांगकांग का हैंगसेंग लाभ में रहे। यूरोप के प्रमुख बाजारों में शुरुआती कारोबार में गिरावट का रुख रहा। अमेरिकी बाजार वॉल स्ट्रीट बुधवार को बढ़त में रहा था। वैश्विक तेल मानक ब्रेंट क्रूड 0.33 प्रतिशत घटकर 82.45 डॉलर प्रति बैरल रहा।
शेयर बाजार के आंकड़ों के अनुसार, विदेशी संस्थागत निवेशकों (एफआईआई) ने बुधवार को 2,832.83 करोड़ रुपये मूल्य के शेयर बेचे। सेंसेक्स बुधवार को 117.58 अंक नुकसान में रहा था, जबकि निफ्टी में 17.30 अंक की गिरावट आई थी। -
नयी दिल्ली. प्रधानमंत्री की आर्थिक सलाहकार परिषद (पीएमईएसी) के सदस्य संजीव सान्याल ने बृहस्पतिवार को कहा कि भारत 2024-25 में 4,000 अरब डॉलर की अर्थव्यवस्था होगा और अगले वित्त वर्ष की शुरुआत में जापान को पीछे छोड़ते हुए दुनिया की चौथी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बन जाएगा। सान्याल ने यह भी कहा कि कमजोर निर्यात समेत विभिन्न चुनौतियों को देखते हुए देश के लिए सात प्रतिशत की आर्थिक वृद्धि दर अच्छी वृद्धि दर होगी। उन्होंने यहां एक कार्यक्रम में कहा, ‘‘निश्चित रूप से चालू वित्त वर्ष में हम 4,000 अरब डॉलर की अर्थव्यवस्था होंगे।'' वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने हाल ही में कहा था कि भारत 2027 तक जापान और जर्मनी को पीछे छोड़ते हुए दुनिया की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बन जाएगा। भारत वर्तमान में अमेरिकी डॉलर के संदर्भ में पांचवीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था है। बाजार मूल्य पर अर्थव्यवस्था का आकार लगभग 3,700 अरब डॉलर है। सान्याल ने कहा कि जापान अब 4,100 अरब डॉलर के साथ हमसे थोड़ा ही आगे है।
उन्होंने कहा, ‘‘या तो अगले साल की शुरुआत में या इसी साल, हम जापान को पीछे छोड़ते हुए दुनिया की चौथी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बन जाएंगे।'' सान्याल ने कहा कि जर्मनी 4,600 अरब डॉलर की अर्थव्यवस्था है और यह बढ़ नहीं रही है। इस लिहाज से यह एक स्थिर लक्ष्य है। उन्होंने कहा, ‘‘शायद दो साल में हम जर्मनी से आगे निकल जाएंगे। इसलिए, मुझे लगता है कि दुनिया की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बनने के मामले में, हम अब लक्ष्य के काफी करीब हैं।'' सान्याल ने तर्क दिया कि सरकार को आर्थिक वृद्धि को आठ-नौ प्रतिशत तक बढ़ाने के लिए किसी भी वित्तीय कदम पर जोर नहीं देना चाहिए। उन्होंने कहा, ‘‘यदि आप इसे समझ गए, तो बढ़िया है, लेकिन समय के साथ लगभग सात प्रतिशत की वृद्धि एक बहुत अच्छी वृद्धि दर है।'' उन्होंने कहा, ‘‘हमें नौ प्रतिशत को वृद्धि लेकर बहुत उत्साहित नहीं होना चाहिए।''
सान्याल ने कहा कि वृद्धि पर वृद्धि (चक्रवृद्धि) होना सबसे महत्वपूर्ण चीज है क्योंकि इससे नौकरियां सृजित होंगी और कर संग्रह बढ़ेगा। उल्लेखनीय है कि एशियाई विकास बैंक (एडीबी) और फिच रेटिंग्स ने भारत की आर्थिक वृद्धि दर सात प्रतिशत रहने का अनुमान लगाया है। वहीं अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ), एसएंडपी ग्लोबल रेटिंग्स और मॉर्गन स्टेनली ने वित्त वर्ष 2024-25 के लिए वृद्धि दर 6.8 प्रतिशत रहने की संभावना जतायी है। उन्होंने कहा, ‘‘किसी विशेष वर्ष में बहुत ऊंची वृद्धि दर हासिल करने की कोशिश को लेकर भावुक होने की जरूरत नहीं है।'' सान्याल ने उदाहरण देते हुए कहा कि दक्षिण पूर्व एशिया में अन्य देश भी हैं, जो 90 के दशक के मध्य में हमारी स्थिति में थे। उन्होंने कहा, ‘‘आपको इंडोनेशिया, थाइलैंड आदि देशों की वृद्धि याद होगी। कुछ समय तक वे बहुत अच्छा प्रदर्शन कर रहे थे। और फिर एशियाई संकट में यह सब खत्म हो गया।'' रुपये के अंतरराष्ट्रीयकरण से जुड़े एक सवाल के जवाब में सान्याल ने कहा कि यह रुपये को अधिक मांग वाली मुद्रा में बदलने के बारे में है। उन्होंने कहा, ‘‘हमारी आंकाक्षा अगले दशक में अन्य कई मुद्राओं की तरह रुपये को ऐसी मुद्रा बनाने की आकांक्षा है, जिसकी दूसरे देशों में मांग हो। हम दुनिया की प्रमुख मुद्रा बनने का प्रयास नहीं कर रहे हैं। -
नई दिल्ली। भारतीय स्टेट बैंक (एसबीआई) ने एक साल की खुदरा सावधि जमाओं पर ब्याज दर 25 से 75 आधार अंक बढ़ा दी हैं, जो बुधवार, 15 मई से लागू हो गई हैं। एसबीआई के इस कदम के बाद दूसरे बैंक भी जमा दरें बढ़ा सकते हैं। एसबीआई 46 से 179 दिन में पूरी होने वाली 2 करोड़ रुपये तक की खुदरा सावधि जमा पर अब 4.75 फीसदी की जगह 5.5 फीसदी ब्याज देगा। 180 से 210 दिन की सावधि जमा पर ब्याज दर 5.75 फीसदी से बढ़ाकर 6 फीसदी कर दी गई है। इसी तरह 211 दिन से लेकर एक साल से कम अवधि की जमा पर 6 फीसदी के बजाय 6.25 फीसदी की दर से ब्याज दिया जाएगा।
2 करोड़ रुपये और उससे अधिक की थोक जमाओं में अल्पावधि से मध्यम अवधि के लिए ब्याज दरें 10 से 50 आधार अंक बढ़ाई गई हैं।एसबीआई के एक वरिष्ठ अधिकारी के अनुसार ऋण की बढ़ती मांग पूरी करने के लिए जमा दरें बढ़ाई गई हैं। उन्होंने कहा, ‘बाजार में तरलता जैसी मौजूदा स्थितियों को ध्यान में रखकर ब्याज दरों पर निर्णय किया गया है।’अधिकारी ने कहा कि चालू वित्त वर्ष के अंत तक दरें नीचे आने की संभावना है। इसलिए खुदरा श्रेणी में कम अवधि वाली जमाओं पर ही ब्याज दरें बढ़ाई गई हैं। बैंक मध्यम अवधि और लंबे समय की जमा पर ऊंची ब्याज दर के पक्ष में नहीं है।इडिया रेटिंग्स ने अपनी एक रिपोर्ट में कहा कि बैंकिंग प्रणाली में जमा दरें ऊंची ही रह सकती हैं। एजेंसी ने कहा कि कर्ज की अधिक मांग के कारण कम से कम वित्त वर्ष 2025 की पहली छमाही में तो दरें कम होती नहीं दिख रही हैं। एजेंसी के अनुसार नीतिगत दरों में अधिक कमी की गुंजाइश कमजोर पड़ने से बैंकिंग तंत्र में दरें अधिक रहनी चाहिए।बैंक ऑफ इंडिया के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा, ‘जब देश के सबसे बड़े बैंक ने जमा दरें बढ़ाई हैं तो दूसरे बैंक भी ऐसा करेंगे। बैंकों के बीच दरों की होड़ चल रही है और म्युचुअल फंड से भी उन्हें टक्कर मिल रही है।’मार्च 2024 के अंत तक एसबीआई में जमा रकम साल भर पहले की तुलना में 11.13 फीसदी बढ़कर 49.16 करोड़ रुपये हो गई और ऋण आवंन 15.24 प्रतिशत बढ़ा। एसबीआई ने वित्त वर्ष 2024-25 के दौरान जमा में 12-13 फीसदी तथा ऋण आवंटन में 14 से 16 फीसदी बढ़ोतरी का अनुमान जताया है। अप्रैल 2024 में मौद्रिक नीति समीक्षा के बाद संवाददाताओं से बातचीत में आरबीआई के डिप्टी गवर्नर जे स्वामीनाथन ने कहा था कि बैंक जमा जुटाने में काफी सक्रिय रहे हैं क्योंकि जमा एवं ऋण आवंटन में वृद्धि के बीच 3 से 3.5 फीसदी तक अंतर है। -
नई दिल्ली। भारत सरकार ने हार्ट, लिवर जैसी कई बीमारियों के इलाज में काम आने वाली दवाइयों के दाम में कटौती करने का फैसला लिया है। सरकार ने 41 दवाओं और 6 फॉर्मूलेशन के रेट तय किए हैं, जिनमें शुगर, दर्द, हार्ट, लिवर, इन्फेक्शन, एलर्जी, मल्टीविटामिन, एंटासिड, एंटीबायोटिक्स समेत 41 दवाएं शामिल हैं। केंद्र सरकार के इस फैसले से आम जनता को बड़ी राहत मिलेगी।
नेशनल फार्मास्यूटिकल प्राइसिंग अथॉरिटी ऑफ इंडिया (NPPA) की 143वीं बैठक में दवाओं के दाम कम करने का फैसला लिया गया है। साथ ही इसको लेकर एक गजेट नोटिफिकेशन भी जारी कर दिया गया है। इसके अलावा, कंपनियों को तत्काल प्रभाव से डीलर्स, स्टॉकिस्ट को इस बारे में जानकारी देने के निर्देश दिए गए हैं। सरकार के निर्देश में यह भी कहा गया है कि दवा कंपनियां कस्टमर्स से सिर्फ दवा की कीमत के अतिरिक्त GST ही ले सकती है।देश के तमाम लोग एलर्जी, इन्फेक्शन, शुगर, पेनकिलर, हार्ट, लिवर, मल्टीविटामिन, एंटीबायोटिक्स आदि ऐसी समस्याओं से जूझ रहे हैं। इन बीमारियों का इलाज में इस्तेमाल होने वाली दवाएं काफी महंगी होती हैं। सरकार ने इन दवाओं की बढ़ती कीमतों को कंट्रोल करने के लिए NPPA की बैठक में 41 दवाओं के दाम कम करने का फैसला लिया। देश में 10 करोड़ से भी ज्यादा डायबिटीज के मरीज है। ऐसे में इस बीमारी से जुड़ी दवाओं के दाम घटने से आम जनता को काफी राहत मिलेगी।बता दें कि फरवरी 2024 में भी NPPA ने डाइबिटीज और हाइपरटेंशन दोनों बीमारियों के इलाज में इस्तेमाल की जाने वाली 69 दवाओं के दाम कम किए थे। NPPA ने इन बीमारियों में इस्तेमाल की जाने वाली 69 दवाओं के फॉर्मूलेशन का रिटेल प्राइस को तय किया था और 31 फॉर्मुलेशन वाली दवाओं की कीमतों पर फैसला लिया था। -
नई दिल्ली। भारतीय शेयर बाजार आने वाले शनिवार (18 मई) को स्पेशल ट्रेडिंग सेंशन के लिए खुला रहेगा। इस बात की जानकारी नेशनल स्टॉक एक्सचेंज (NSE) ने दी। एक्सचेंज ने एक बयान में कहा कि आने इस शनिवार को इक्विटी, इक्विटी डेरिवेटिव और फ्यूचर एंड ऑप्शन मार्केट दोनों खुले रहेंगे। एक्सचेंज ने जानकारी दी थी कि NSE अनएक्सेप्टेड डिजास्टर से निपटने की तैयारियों के लिए टेस्टिंग करेगा। इस कारण से 18 मई को भी NSE पर ट्रेडिंग होगी।
इस शनिवार को स्पेशल सेशन दो पार्ट में होंगे। पहला स्पेशल सेशन सुबह 9:15 बजे शुरू होगा और 10 बजे तक चलेगा। वहीं, डिजास्टर रिकवरी साइट से दूसरे सेशन 11:45 बजे से शुरू होकर दोपहर 1 बजे तक जारी रहेगा। इस दौरान सभी सिक्योरिटीज, जिनपर डेरिवेटिव प्रोडक्ट उपलब्ध है का अधिकतम प्राइस बैंड 5 फीसदी होगा। पहले से ही 2 फीसदी या उससे कम प्राइस बैंड में मौजूद प्रतिभूतियां, संबंधित बैंड में उपलब्ध रहेंगी।बयान में कहा गया है कि सभी क्लोज एंडेड म्यूचुअल फंड पर 5 फीसदी का प्राइस बैंड लागू होगा।सभी फ्यूचर कॉन्ट्रैक्ट की डेली ऑपरेटिंग सीमा 5% होगी। सर्कुलर में यह भी कहा गया है कि उस दिन सिक्योरिटीज़ या फ्यूचर कॉन्ट्रैक्ट में कोई बदलाव लागू नहीं होगा। -
देहरादून. उत्तराखंड के स्थानीय उत्पादों के लिए एकल ब्रांड ‘हाउस ऑफ हिमालय' के स्टोर जल्द ही नई दिल्ली के कनॉट प्लेस तथा अन्य मुख्य स्थानों पर खोले जाएंगे। प्रदेश की मुख्य सचिव राधा रतूड़ी की अध्यक्षता में मंगलवार को हुई ‘हाउस ऑफ हिमालय' की प्रथम बोर्ड बैठक के दौरान बताया गया कि नई दिल्ली में जल्द स्टोर खोले जाने की योजना पर काम किया जा रहा है और इस संबंध में नई दिल्ली नगरपालिका परिषद (एनडीएमसी) से भी सहमति मिल गयी है। बैठक में ‘हाउस ऑफ हिमालय' के तहत मांग के अनुरूप पर्याप्त आपूर्ति सुनिश्चित करने के लिए रतूड़ी ने अधिकारियों को महिला स्वयं सहायता समूहों एवं स्थानीय लोगों से अधिक से अधिक स्थानीय उत्पादों की खरीद सुनिश्चित करने के निर्देश दिए। मुख्य सचिव ने कहा कि उत्तराखंड के विभिन्न विभागों के सभी ब्रांड को एक जगह लाने, स्थानीय उत्पादों की पहुंच बढ़ाने, गुणवत्ता, मानकीकृत पैकेजिंग, ब्रांडिंग एवं विपणन करने के लिहाज से ‘हाउस ऑफ हिमालय' एक वैश्विक मंच साबित होगा। उन्होंने कहा कि महिला स्वयं सहायता समूहों से स्थानीय उत्पादों की खरीद से राज्य में महिला सशक्तिकरण का एक नया अध्याय आरम्भ होगा। उन्होंने कहा कि इसके साथ ही राज्य स्तर पर ‘हाउस ऑफ हिमालय' के रूप में कंपनी के गठन से स्थानीय हितधारकों, स्वयं सहायता समूहों, किसानों व स्थानीय उत्पादकों की आजीविका का संवर्द्धन होगा और उन्हें उनकी फसलों व उत्पादों का बेहतर मूल्य प्राप्त होगा।
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नयी दिल्ली. चीन बीते वित्त वर्ष (2023-24) में 118.4 अरब डॉलर के द्विपक्षीय व्यापार के साथ भारत का सबसे बड़ा व्यापारिक भागीदार रहा है। भारत के साथ व्यापार के मामले में चीन ने अमेरिका को पीछे छोड़ दिया है। आर्थिक शोध संस्थान ग्लोबल ट्रेड रिसर्च इनिशिएटिव (जीटीआरआई) के आंकड़ों से यह जानकारी मिली है। भारत और अमेरिका के बीच द्विपक्षीय व्यापार 2023-24 में 118.3 अरब डॉलर रहा है। 2021-22 और 2022-23 में अमेरिका, भारत का सबसे बड़ा व्यापारिक भागीदार था। आंकड़ों से पता चलता है कि पिछले वित्त वर्ष में चीन को भारत का निर्यात 8.7 प्रतिशत बढ़कर 16.67 अरब डॉलर हो गया। लौह अयस्क, सूती धागा/कपड़े/मेडअप, हथकरघा, मसाले, फल और सब्जियां, प्लास्टिक और लिनोलियम जैसे क्षेत्रों में भारत का निर्यात बढ़ा है। वहीं बीते वित्त वर्ष में पड़ोसी देश से भारत का आयात 3.24 प्रतिशत बढ़कर 101.7 अरब डॉलर हो गया। दूसरी ओर, अमेरिका को निर्यात 2023-24 में 1.32 प्रतिशत घटकर 77.5 अरब डॉलर रह गया। 2022-23 में यह 78.54 अरब डॉलर था। अमेरिका से भारत का आयात लगभग 20 प्रतिशत घटकर 40.8 अरब डॉलर रह गया। जीटीआरआई ने कहा कि वित्त वर्ष 2018-19 से 2023-24 के दौरान शीर्ष 15 व्यापारिक भागीदारों के साथ भारत के व्यापार में काफी बदलाव आया है। इससे न केवल आयात और निर्यात प्रभावित हुआ है बल्कि विभिन्न क्षेत्रों में व्यापार अधिशेष और व्यापार घाटे की स्थिति भी बदली है। इसमें कहा गया है कि इस अवधि में चीन को निर्यात में 0.6 प्रतिशत की मामूली गिरावट देखी गई, जो 16.75 अरब डॉलर से घटकर 16.66 अरब डॉलर पर आ गया। वहीं चीन से आयात 44.7 प्रतिशत बढ़कर 70.32 अरब डॉलर से 101.75 अरब डॉलर हो गया। जीटीआरआई के संस्थापक अजय श्रीवास्तव ने कहा, ‘‘आयात में इस वृद्धि के कारण व्यापार घाटा बढ़ गया, जो 2018-19 के 53.57 अरब डॉलर से बढ़कर 2023-24 में 85.09 अरब डॉलर हो गया। इसके विपरीत इस अवधि में अमेरिका के साथ व्यापार में वृद्धि देखी गई। अमेरिका को निर्यात में 47.9 प्रतिशत की उल्लेखनीय वृद्धि हुई, जो 52.41 अरब डॉलर से बढ़कर 77.52 अरब डॉलर हो गया। अमेरिका से आयात भी 14.7 प्रतिशत बढ़कर 35.55 अरब डॉलर से 40.78 अरब डॉलर हो गया। इसके चलते भारत का अमेरिका के साथ व्यापार अधिशेष 16.86 अरब डॉलर से बढ़कर 36.74 अरब डॉलर हो गया। वाणिज्य मंत्रालय के आंकड़ों के अनुसार, चीन 2013-14 से 2017-18 तक और 2020-21 में भी भारत का शीर्ष व्यापारिक भागीदार था। चीन से पहले, संयुक्त अरब अमीरात (यूएई) देश का सबसे बड़ा व्यापारिक भागीदार था। 2021-22 और 2022-23 में अमेरिका सबसे बड़ा व्यापारिक भागीदार था।
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मुंबई. सार्वजनिक क्षेत्र के भारतीय स्टेट बैंक (एसबीआई) में चालू वित्त वर्ष में शामिल होने वाले करीब 12,000 नए लोगों (फ्रेशर्स) में से 85 प्रतिशत इंजीनियरिंग स्नातक हैं। बैंक के चेयरमैन दिनेश खारा ने यह जानकारी दी है। बैंक वित्त वर्ष 2024-25 में परिवीक्षाधीन अधिकारियों (पीओ) और सहयोगियों (एसोसिएट्स) की भूमिकाओं में 12,000 नए लोगों को शामिल करने की प्रक्रिया में है। खारा ने बताया कि 3,000 से अधिक पीओ और 8,000 से अधिक एसोसिएट्स को बैंकिंग ज्ञान के साथ प्रशिक्षित करने के बाद उन्हें विभिन्न व्यावसायिक भूमिकाओं में शामिल किया जाएगा। एसबीआई ऐसे समय यह कदम उठा रहा है जबकि बैंकिंग क्षेत्र में प्रौद्योगिकी पर निर्भरता तेजी से बढ़ रही है और बैंक ग्राहकों को आकर्षित करने के लिए नए तरीकों की तलाश कर रहे हैं। खारा ने कहा कि एसबीआई जनशक्ति को प्रशिक्षित करने के मामले में काफी निवेश करता है और उसके पास प्रौद्योगिकी कौशल विकसित करने पर केंद्रित ‘अपना' एक संस्थान भी है।