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- नयी दिल्ली. नामधारी सीड्स ने वैश्विक स्तर पर अपनी उपस्थिति बढ़ाने के लिए एक्सिया के खुले खेत वाले सब्जी बीज कारोबार का पूर्ण अधिग्रहण कर लिया है। हालांकि, कंपनी ने सौदे की कीमत का खुलासा नहीं किया।कंपनी ने बुधवार को बयान में कहा कि सब्जी की इन प्रजातियों में टमाटर, तीखी और मीठी मिर्च, खरबूजा, तरबूज, खीरा, कद्दू और बैंगन शामिल हैं। इन फसलों में एक्सिया का खुला खेत वाले कारोबार का विपणन, यूएस एग्रीसीड्स ब्रांड के तहत उत्तरी अमेरिका, दक्षिण अमेरिका, पश्चिम एशिया, अफ्रीका और यूरोप में किया जाता है। कंपनी ने कहा, ‘‘नामधारी ने एक्सिया के खुले खेत वाले सब्जी बीज कारोबार का 100 प्रतिशत अधिग्रहण कर लिया है।'' नीदरलैंड स्थित एक्सिया, कृत्रिम प्रकाश के साथ या उसके बिना, गर्म और बिना गर्म किए ग्रीनहाउस खेती के लिए सब्जी के बीजों का कारोबार करने वाली कंपनी है। नामधारी सीड्स इन बाजारों में मौजूदा ग्राहकों और वितरकों के साथ यूएस एग्रीसीड्स ब्रांड का उपयोग करना जारी रखेगा। नामधारी के मुख्य कार्यपालक अधिकारी (सीईओ) गुरमुख रूपरा ने कहा, ‘‘यूएस एग्रीसीड्स का अधिग्रहण नामधारी सीड्स की अपनी पहुंच बढ़ाने और वैश्विक सब्जी बीज बाजार में एक महत्वपूर्ण प्रतिभागी बनने की यात्रा में एक महत्वपूर्ण कदम है।
- नई दिल्ली। नया आयकर विधेयक, 2025 गुरुवार को लोक सभा में पेश किया जा सकता है। इसमें छह दशक पुराने कर कानून को सरल बनाने के लिए ‘कर वर्ष’ की अवधारणा लागू करने तथा परिभाषाओं के स्थान पर फॉर्मूला लाने का प्रस्ताव है। मगर विधेयक में कर की दर में किसी तरह का बदलाव नहीं किया गया है।संसद से पारित होने के बाद यह 1 अप्रैल, 2026 से लागू होगा और आयकर अधिनियम, 1961 की जगह लेगा। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने कहा था कि आयकर विधेयक, 2025 को लाने का उद्देश्य आयकर कानून को संक्षिप्त, सरल और पढ़ने-समझने में आसान बनाना है।उन्होंने कहा, ‘आयकर कानून 1961 में पारित हुआ था और बीते 60 साल में इसमें कई बार संशोधन किए गए। संशोधनों के कारण आयकर कानून की भाषा काफी जटिल हो गई और करदाताओं के लिए अनुपालन की लागत भी बढ़ गई। साथ ही प्रत्यक्ष कर अधिकारियों की कार्यक्षमता पर भी इससे असर पड़ रहा है।’ मौजूदा कानून में 823 पृष्ठ हैं जो अब घटकर 622 रह जाएंगे। वित्त वर्ष में अप्रैल से लेकर 12 महीने की अवधि का उल्लेख ‘कर वर्ष’ के रूप में किया गया है।टैक्स कॉन्सेप्ट एडवाइजरी सर्विसेज में पार्टनर विवेक जालान ने कहा, ‘मौजूदा कानून में स्रोत पर कर कटौती (टीडीएस) और स्रोत पर कर संग्रह (टीसीएस) से संबंधित 71 धाराएं हैं जिन्हें नए विधेयक में 11 धाराओं में समेट दिया गया है।’वेतन से मानक कटौती, ग्रेच्युटी, अवकाश के लिए भुगतान (लीव इनकैशमेंट), पेंशन आदि कटौतियों को नए विधेयक में धारा 19 में एक ही जगह दिया गया है। पहले इसका उल्लेख अलग-अलग धाराओं में किया गया था। विधेयक में एक महत्त्वपूर्ण प्रावधान शामिल किया गया है जो वर्चुअल डिजिटल परिसंपत्ति क्षेत्र में कराधान को नया स्वरूप दे सकता है। टैक्स कनेक्ट एडवाइजरी सर्विसेज के जालान ने कहा, ‘प्रस्तावित विधेयक में अन्य स्रोतों से आय के अंतर्गत संपत्ति की परिभाषा में वर्चुअल डिजिटल परिसंपत्ति को भी शामिल किया गया है, जिससे इस तरह की संपत्तियों के लेनदेन पर कर लगाया जा सकेगा। इसका वर्चुअल डिजिटल परिसंपत्ति क्षेत्र पर प्रभाव पड़ सकता है।’नांगिया एंडरसन एलएलपी में पार्टनर संदीप झुनझुनवाला ने कहा, ‘सेवा अनुबंधों से आय, मार्क-टू-मार्केट (एमटीएम) घाटे की स्वीकार्यता का प्रावधान, लागत या शुद्ध वसूली योग्य मूल्य में से जो भी कम हो, उस पर इन्वेंट्री का मूल्यांकन जैसे नए खंड अब नए विधेयक में शामिल कर लिए गए हैं। अभी तक ये सब आय गणना और डिजिटल मानकों के अंतर्गत आते हैं।’ \झुनझुनवाला ने कहा, ‘व्यावसायिक पूंजीगत परिसंपत्तियों को समाप्त करने पर हुई कारोबारी आय को अल्पकालिक पूंजीगत हानि की भरपाई मान कर उसी हिसाब से कर लगाने की अनुमति वाले कुछ प्रावधानों को अब व्यवसाय या पेशे के लाभ और प्राप्तियां (पीजीबीपी) गणना खंड में शामिल किया गया है। इन प्रावधानों की व्याख्या समय-समय पर न्यायालयों ने की है।’
- नयी दिल्ली. सार्वजनिक क्षेत्र की इस्पात कंपनी सेल का चालू वित्त वर्ष की तीसरी तिमाही में एकीकृत शुद्ध लाभ 66 प्रतिशत घटकर 141.89 करोड़ रुपये रह गया। आय की तुलना में खर्च अधिक बढ़ जाने से लाभ में कमी आई है। कंपनी ने शेयर बाजार को मंगलवार को यह जानकारी दी। पिछले वित्त वर्ष की समान तिमाही में कंपनी को 422.92 करोड़ रुपये का शुद्ध लाभ हुआ था। आलोच्य अवधि में स्टील अथॉरिटी ऑफ इंडिया लिमिटेड (सेल) की कुल आय बढ़कर 24,723.43 करोड़ रुपये हो गई, जो पिछले वित्त वर्ष की समान तिमाही में 23,492.33 करोड़ रुपये थी। हालांकि पिछली तिमाही में इस्पात उत्पादक कंपनी का खर्च बढ़कर 24,560.47 करोड़ रुपये हो गया, जो पिछले वित्त वर्ष की समान तिमाही में 23,140.81 करोड़ रुपये था। सेल के चेयरमैन अमरेंदु प्रकाश ने एक अलग बयान में कहा कि घटती कीमतों और सस्ते आयातों की आवक से पैदा हुए चुनौतीपूर्ण हालात के बावजूद कंपनी बीती तिमाही में पिछले साल की तुलना में उच्च कर-पूर्व आय (एबिटा) अर्जित करने में सफल रही है।
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नई दिल्ली। अगर आप सुरक्षित निवेश की तलाश में हैं, तो Post Office FD एक बढ़िया विकल्प हो सकता है। पोस्ट ऑफिस में बैंक की तरह Fixed Deposit (FD) की सुविधा मिलती है, जिसे Post Office Time Deposit भी कहा जाता है। इस स्कीम में 1 से 5 साल तक के टेन्योर की FD कर सकते हैं।
कैसे बढ़ेगा पैसा?फिलहाल, पोस्ट ऑफिस 5 साल की FD पर 7.5% ब्याज दे रहा है। साथ ही, इनकम टैक्स एक्ट 80C के तहत इस पर टैक्स बेनिफिट भी मिलता है। इसके अलावा, आपकी रकम को तीन गुना करने के लिए आपको Post Office FD को लॉन्ग टर्म तक जारी रखना होगा। पहले 5 साल तक आपके निवेश पर ब्याज जुड़ता रहेगा। जब 5 साल पूरे हो जाएंगे, तो आपको अपनी FD को रिन्यू (एक्सटेंड) करना होगा। यह प्रक्रिया आपको तीन बार यानी कुल 20 साल तक दोहरानी होगी। इस दौरान ब्याज का प्रभाव आपकी रकम को पहले दोगुना और फिर तीन गुना तक बढ़ा सकता है। यानी बिना किसी अतिरिक्त निवेश के, सिर्फ ब्याज की मदद से आपका पैसा कई गुना बढ़ सकता है।अगर आप पोस्ट ऑफिस FD में 10 लाख रुपये निवेश करते हैं और इसे 7.5% ब्याज दर के साथ 20 साल तक बनाए रखते हैं, तो आपकी कुल रकम 44.19 लाख रुपये तक पहुंच सकती है। आइए इसे स्टेप-बाय-स्टेप समझते हैं—निवेश की पूरी गणनापहले 5 साल:निवेश राशि – ₹10,00,000ब्याज (7.5% दर से) – ₹4,49,948कुल रकम – ₹14,49,94810 साल बाद (FD एक्सटेंशन के बाद):ब्याज (पिछले 5 साल की कुल राशि पर) – ₹11,02,349कुल रकम – ₹21,02,34915 साल बाद (दूसरा एक्सटेंशन):ब्याज (पिछले 5 साल की कुल राशि पर) – ₹20,48,297कुल रकम – ₹31,50,64620 साल बाद (तीसरा एक्सटेंशन):ब्याज (पिछले 5 साल की कुल राशि पर) – ₹12,69,226कुल रकम – ₹44,19,872TD अकाउंट की मैच्योरटी पूरी होने के बाद ऐसे करें एक्सटेंशनअगर किसी ग्राहक का टर्म डिपॉजिट (TD) अकाउंट मैच्योर हो गया है, तो उसे पहले से तय की गई अवधि के लिए दोबारा बढ़ाया जा सकता है। 1 साल के TD अकाउंट को 6 महीने, 2 साल के अकाउंट को 12 महीने और 3 या 5 साल के अकाउंट को 18 महीने के अंदर बढ़ाने की अनुमति है।ग्राहक चाहें तो अकाउंट खोलते समय ही एक्सटेंशन की रिक्वेस्ट दे सकते हैं। अगर ऐसा नहीं किया गया है, तो मैच्योरटी पूरी होने के बाद भी इसे बढ़ाया जा सकता है। इसके लिए निश्चित फॉर्म भरकर संबंधित पोस्ट ऑफिस में पासबुक के साथ जमा करना होगा।समय से पहले बंद करने के नियम (Premature Closure)-6 महीने से पहले किसी भी हालत में TD अकाउंट बंद नहीं किया जा सकता।-6 महीने से 1 साल के बीच बंद करने पर पोस्ट ऑफिस सेविंग अकाउंट के ब्याज दर के हिसाब से ब्याज मिलेगा।-अगर 2, 3 या 5 साल की FD को 1 साल के बाद बंद किया जाता है, तो ब्याज दर 2% कम हो जाएगी।-समय से पहले बंद करने के लिए पोस्ट ऑफिस में आवेदन फॉर्म और पासबुक जमा करनी होगी।Post Office Schemes: ब्याज दरअगर आप Post Office की Fixed Deposit या Saving Account में पैसा जमा करने की सोच रहे हैं, तो 1 जनवरी 2025 से 31 मार्च 2025 तक के Interest Rates इस तरह रहेंगे:1 साल की स्कीम – 6.9%2 साल की स्कीम – 7.0%3 साल की स्कीम – 7.1%5 साल की स्कीम – 7.5% -
नयी दिल्ली. भारत में कृत्रिम मेधा (एआई) को अपनाने की रफ्तार काफी तेज है। एक सर्वेक्षण में पाया गया है कि दो-तिहाई (करीब 65 प्रतिशत) भारतीयों ने किसी-न-किसी रूप में एआई का इस्तेमाल किया है जो वैश्विक औसत का दोगुना है। दिग्गज प्रौद्योगिकी कंपनी माइक्रोसॉफ्ट ने वैश्विक ऑनलाइन सुरक्षा सर्वेक्षण पर आधारित एक रिपोर्ट मंगलवार को जारी की। यह रिपोर्ट एआई के बढ़ते प्रभाव का आकलन करने के लिए किए गए एक अध्ययन पर आधारित है। यह सर्वेक्षण 15,000 किशोरों (13-17) और वयस्कों के बीच कराए गए सर्वेक्षण पर आधारित है। यह सर्वेक्षण 19 जुलाई से नौ अगस्त, 2024 के बीच 15 देशों में कराया गया था। रिपोर्ट के मुताबिक, सर्वेक्षण में शामिल भारत के 65 प्रतिभागियों ने एआई का इ्स्तेमाल करने की बात कही जबकि उसी समय वैश्विक औसत 31 प्रतिशत था। भारत में 2023 के दौरान 26 प्रतिशत प्रतिभागियों ने एआई उपयोग की बात कही थी। रिपोर्ट कहती है कि अनुवाद, प्रश्नों के उत्तर देने, काम से जुड़ी दक्षता बढ़ाने और छात्रों को स्कूल के काम में मदद करने के लिए एआई का उपयोग करने को लेकर भारत सबसे अधिक उत्साहित है। अध्ययन से पता चलता है कि एआई को अपनाने में 25-44 वर्ष की आयु के लोग यानी मिलेनियल्स सबसे आगे हैं। इस श्रेणी के 84 प्रतिशत लोगों ने एआई का इस्तेमाल स्वीकार किया है। रिपोर्ट के मुताबिक, भारतीय माता-पिता अपने बच्चों की डिजिटल चुनौतियों को लेकर अधिक जागरूक नजर आते हैं जो पिछले वर्ष की तुलना में जागरूकता बढ़ने का संकेत है। हालांकि, भारत में एआई को लेकर कुछ आशंकाएं भी हैं। इनमें ऑनलाइन दुरुपयोग, डीपफेक, धोखाधड़ी और एआई-जनित भ्रमजाल के बारे में चिंताएं शामिल हैं जो वैश्विक रुझानों के अनुरूप ही हैं। एआई के बारे में ऑनलाइन दुरुपयोग शीर्ष चिंताओं में से एक था। रिपोर्ट कहती है कि 80 प्रतिशत से अधिक उत्तरदाता 18 साल से कम उम्र के बच्चों के बीच एआई के इस्तेमाल को लेकर चिंतित नजर आए। वहीं 80 प्रतिशत से अधिक भारतीय किशोरों ने भी ऑनलाइन जोखिम को महसूस किया है।
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बेंगलुरु. अदाणी समूह की रक्षा इकाई अदाणी डिफेंस एंड एयरोस्पेस ने डीआरडीओ के साथ मिलकर मंगलवार को ‘एयरो इंडिया' प्रदर्शनी में भारत की वाहनों पर लगाई जाने वाली ड्रोन-रोधी प्रणाली को पेश किया। रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (डीआरडीओ) के महानिदेशक (इलेक्ट्रॉनिक्स और संचार प्रणाली) डॉ बी के दास ने यहां चल रही रक्षा प्रदर्शनी के दौरान इस प्रणाली को रक्षा विशेषज्ञों और उद्योग भागीदारों की उपस्थिति में पेश किया। अदाणी डिफेंस एंड एयरोस्पेस ने बयान में कहा कि यह अत्याधुनिक प्रणाली उभरते हवाई खतरों के खिलाफ भारत की रक्षा तैयारियों को मजबूती देने में एक महत्वपूर्ण कदम है। आधुनिक युद्ध में टोही और आक्रामक अभियानों दोनों के लिए ड्रोन के बढ़ते उपयोग के साथ, एक मजबूत ड्रोन-रोधी प्रणाली की जरूरत बढ़ गई है। बयान के मुताबिक, वाहन पर लगने वाली ड्रोन-रोधी प्रणाली लंबी दूरी की सुरक्षा, चपलता और सटीकता सुनिश्चित करती है, जो इसे आधुनिक सैन्यबलों के लिए एक दमदार प्रणाली बनाता है। यह स्वचालित पहचान, वर्गीकरण और ड्रोन को बेअसर करने सहित उन्नत संवेदी क्षमताओं के जरिये निर्बाध सुरक्षा प्रदान करती है। कंपनी ने कहा कि एक वाहन पर लगी यह प्रणाली अत्यधिक सचल, चुस्त, विश्वसनीय और आत्मनिर्भर ड्रोन-रोधी समाधान मुहैया कराती है। इस ड्रोन-रोधी प्रणाली में ड्रोन को सटीकता से मार गिराने के लिए एक उच्च-क्षमता वाली लेजर प्रणाली, हवाई खतरे से निपटने के लिए 7.62 मिमी की बंदूक और 10 किलोमीटर की दूरी तक वास्तविक समय में निशाना ढूंढने, ट्रैकिंग और उसे निष्किय करने के लिए उन्नत रडार, इलेक्ट्रो-ऑप्टिकल सेंसर और जैमर लगे हुए हैं। कंपनी ने कहा कि एक ही मंच पर कई ड्रोन-रोधी प्रौद्योगिकियों का एकीकरण होने से यह त्वरित प्रतिक्रिया और लचीले संचालन को सुनिश्चित करता है। इससे यह प्रणाली भारत के रक्षा बुनियादी ढांचे की सुरक्षा के लिए एक महत्वपूर्ण जरिया बन जाती है। अडानी डिफेंस एंड एयरोस्पेस के मुख्य कार्यपालक अधिकारी (सीईओ) आशीष राजवंशी ने कहा, ‘‘यह पेशकश भारत के रक्षा नवाचार पारिस्थितिकी की सफलता का प्रमाण है, जो डीआरडीओ के विश्वस्तरीय शोध एवं विकास और प्रौद्योगिकी हस्तांतरण (टीओटी) ढांचे द्वारा संचालित है। हमें डीआरडीओ की अत्याधुनिक प्रौद्योगिकी को परिचालन के लिए तैयार समाधान में बदलने पर गर्व है।'' इस अवसर पर डीआरडीओ के डॉ दास ने कहा कि इस प्रणाली की शुरुआत अलग तरह के खतरों के खिलाफ भारत की रक्षा तैयारियों को बढ़ाने में एक महत्वपूर्ण कदम है। यह प्रणाली कई ड्रोन-रोधी प्रौद्योगिकियों को एक अत्यधिक सचल मंच पर लेकर आती है जिससे त्वरित प्रतिक्रिया और परिचालन लचीलापन सुनिश्चित होती है।
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मुंबई. स्थानीय शेयर बाजार में मंगलवार को लगातार पांचवें कारोबारी सत्र में गिरावट रही और बीएसई सेंसेक्स 1,000 अंक से अधिक का गोता लगा गया। विदेशी संस्थागत निवेशकों की लगातार पूंजी निकासी और अमेरिका के नये सिरे से शुल्क लगाने को लेकर व्यापार युद्ध की आशंका से बाजार नीचे आया। तीस शेयरों पर आधारित बीएसई सेंसेक्स 1,018.20 अंक यानी 1.32 प्रतिशत की गिरावट के साथ दो सप्ताह के निचले स्तर 76,293.60 अंक पर बंद हुआ। कारोबार के दौरान एक समय यह 1,281.21 अंक तक लुढ़क गया था। नेशनल स्टॉक एक्सचेंज का निफ्टी भी 309.80 अंक यानी 1.32 प्रतिशत की गिरावट के साथ 23,071.80 अंक पर बंद हुआ। निफ्टी में शामिल 50 शेयरों में से 44 नुकसान में जबकि छह लाभ में रहे। अमेरिका के सभी इस्पात और एल्युमीनियम आयात पर 25 प्रतिशत शुल्क की पुष्टि से रियल्टी, औद्योगिक, सोच-विचार कर खर्च किये जाने से जुड़े उपभोक्ता सामान और पूंजीगत सामान बनाने वाली कंपनियों के शेयर नुकसान में रहे। यूरोपीय संघ के नेताओं ने भी अमेरिकी शुल्क के जवाब में कदम उठाने का संकल्प लिया है। इससे व्यापार युद्ध की आशंका बढ़ी है। सेंसेक्स के तीस शेयरों में जोमैटो पांच प्रतिशत से अधिक नीचे आया। इसके अलावा टाटा स्टील, बजाज फिनसर्व, टाटा मोटर्स, पावर ग्रिड, लार्सन एंड टुब्रो, कोटक महिंद्रा बैंक, हिंदुस्तान यूनिलीवर और आईटीसी प्रमुख रूप से नुकसान में रहे। सेंसेक्स में शामिल तीस शेयरों में से केवल भारती एयरटेल का शेयर लाभ में रहा।
पिछले पांच कारोबारी सत्रों में बीएसई सेंसेक्स 2,290.21 अंक यानी 2.91 प्रतिशत नीचे आ चुका है, जबकि एनएसई निफ्टी में 667.45 अंक यानी 2.81 प्रतिशत की गिरावट आई है। शेयर बाजार के आंकड़ों के अनुसार, विदेशी संस्थागत निवेशकों ने सोमवार को 2,463.72 करोड़ रुपये के शेयर बेचे। जियोजीत फाइनेंशियल सर्विसेज के शोध प्रमुख विनोद नायर ने कहा, ‘‘अमेरिकी व्यापार नीतियों और शुल्क दरों को लेकर जारी अनिश्चितता, घरेलू आर्थिक वृद्धि संबंधी चिंताओं और एफआईआई की लगातार बिकवाली के कारण बाजार धारणा कमजोर हो रही है। मांग संबंधी चिंताओं और ऊंचे मूल्यांकन के कारण मझोली और छोटी कंपनियों के शेयरों में भारी गिरावट देखी गई।'' छोटी कंपनियों से जुड़ा बीएसई स्मॉलकैप सूचकांक 3.40 प्रतिशत नीचे आया जबकि मझोली कंपनियों से संबंधित मिडकैप 2.88 प्रतिशत के नुकसान में रहा। बीएसई में सूचीबद्ध 3,478 शेयरों में गिरावट रही जबकि 525 शेयर लाभ में रहे। 94 शेयरों के भाव यथावत रहे। एशिया के अन्य बजारों में चीन का शंघाई कम्पोजिट और हांगकांग का हैंगसेंग नुकसान में जबकि दक्षिण कोरिया का कॉस्पी लाभ में रहा। यूरोप के ज्यादातर बाजार दोपहर के कारोबार में नुकसान में रहे। अमेरिकी बाजार सोमवार को बढ़त में रहे थे। वैश्विक तेल मानक ब्रेंट क्रूड 1.15 प्रतिशत की गिरावट के साथ 76.74 डॉलर प्रति बैरल रहा। बीएसई सेंसेक्स सोमवार को 548.39 टूटकर एक सप्ताह के निचले स्तर 77,311.80 अंक पर बंद हुआ था। एनएसई निफ्टी 178.35 अंक के नुकसान के साथ 23,381.60 अंक पर रहा था। -
महाकुंभ नगर.। देश के प्रमुख उद्योगपति और ‘रिलायंस इंडस्ट्रीज' के अध्यक्ष मुकेश अंबानी अपने परिवार के साथ मंगलवार को महाकुंभ नगर पहुंचे और उन्होंने अरैल स्थित परमार्थ त्रिवेणी पुष्प में यज्ञ में आहुति दी। परमार्थ निकेतन की ओर से जारी विज्ञप्ति के मुताबिक, मंगलवार को परमार्थ त्रिवेणी पुष्प में अंबानी परिवार का आगमन हुआ जहां कोकिला बेन अंबानी, मुकेश अंबानी, श्लोका अंबानी, अनंत अंबानी, राधिका मर्चेंट अंबानी और पूरे अंबानी परिवार का अभिनंदन किया गया। स्वामी चिदानन्द सरस्वती ने कहा कि इस अवसर पर अंबानी परिवार ने परमार्थ त्रिवेणी पुष्प में नगर निगम के स्वच्छताग्रही भाई-बहनों और नाविकों को अंगवस्त्र, मिठाइयां, फल, स्वच्छता किट और अन्य उपहार दिये। इस अवसर पर अंबानी परिवार ने स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी और साध्वी भगवती सरस्वती जी के पावन सान्निध्य में विश्व शान्ति यज्ञ में आहुतियां अर्पित करते हुए विश्व में शांति और कल्याण की कामना की।
- नयी दिल्ली। वित्त वर्ष 2025-26 के केंद्रीय बजट को राष्ट्रीय विकास आवश्यकताओं का राजकोषीय प्राथमिकताओं के साथ संतुलन कायम करने वाला बताते हुए वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने मंगलवार को लोकसभा में कहा कि अमेरिकी डॉलर के मुकाबले रुपये के मूल्य में गिरावट के पीछे कई घरेलू और वैश्विक कारण हैं। लोकसभा में केंद्रीय बजट पर हुई चर्चा का जवाब देते हुए सीतारमण ने कहा कि पिछले 10 वर्षों में विश्व का परिदृश्य 180 अंश घूम गया है और बजट बनाना पहले से कहीं अधिक चुनौतीपूर्ण है। उन्होंने कहा कि यह बजट अत्यंत अनिश्चितता और बदलते वैश्विक परिदृश्य में आया है, इसलिए इसे तैयार करने में कई चुनौतियां रहीं। वित्त मंत्री ने कहा कि पश्चिम एशिया के हालात, रूस-यूक्रेन युद्ध और वैश्विक जीडीपी में स्थिरता जैसे वैश्विक कारकों का असर इस बजट पर भी पड़ा है। उन्होंने कहा, ‘‘यह बजट राष्ट्रीय विकास आवश्यकताओं का राजकोषीय प्राथमिकताओं के साथ संतुलन कायम करने वाला है।'' उन्होंने कहा कि सरकार 99 प्रतिशत उधारी का उपयोग पूंजीगत व्यय के लिए कर रही है, जो सकल घरेलू उत्पाद का 4.3 प्रतिशत है। सीतारमण ने कहा कि केंद्रीय बजट में घरेलू अर्थव्यवस्था के सामने आ रहीं चुनौतियों पर ध्यान दिया गया है और इसमें विकास को बढ़ाने, समावेशी विकास, निजी क्षेत्र के निवेश में वृद्धि करने और सामान्य परिवारों की भावनाओं का ध्यान रखने जैसे लक्ष्य रखे गए हैं। उन्होंने कहा कि कोविड महामारी के बाद देश में पूंजी व्यय और राज्यों को संसाधनों का हस्तांतरण बढ़ रहा है। उन्होंने देश में बेरोजगारी संबंधी कुछ विपक्षी सदस्यों की चिंताओं का जवाब देते हुए कहा कि 2023-24 के श्रम बल सर्वेक्षण के अनुसार श्रम शक्ति सहभागिता दर 2017-18 में 49 प्रतिशत से बढ़कर 2023-24 में 60 प्रतिशत से अधिक हो गई है, वहीं बेरोजगारी की दर 6 प्रतिशत से घटकर 3.4 प्रतिशत हो गई है। सीतारमण ने कहा कि इस सरकार की पहली प्राथमिकता खाद्य महंगाई को नियंत्रित रखना है और इसके कई मानकों पर नजर रखी जा रही है। उन्होंने कहा कि सरकार मौसम संबंधी कारकों या आपूर्ति शृंखला व्यवधान के कारणों पर भी नजर रख रही है।उन्होंने कहा कि संप्रग के समय मुद्रास्फीति दहाई के अंक में थी और 10 से अधिक पहुंच गई थी, लेकिन अब ऐसी स्थिति बिल्कुल नहीं है। उन्होंने डॉलर के मुकाबले रुपये का मूल्य गिरने संबंधी विपक्षी सदस्यों के दावों पर कहा कि इसे डॉलर सूचकांक की गतिविधि, कच्चे तेल के दाम और चालू खाता घाटा जैसे अनेक घरेलू और वैश्विक कारक प्रभावित करते हैं। सीतारमण ने कहा कि दक्षिण कोरिया और मलेशिया जैसे बड़े एशियाई देशों की मुद्रा भी कमजोर हुई है।उन्होंने भारतीय रिजर्व बैंक के पूर्व गवर्नर रघुराम राजन के गत 15 जनवरी को दिए गए एक बयान का हवाला देते हुए कहा कि उन्होंने भी कहा है कि वह रुपये के गिरते मूल्य पर चिंतित नहीं हैं। सीतारमण ने कहा कि (कांग्रेस की) ‘भारत जोड़ो यात्रा' में भाग लेने वाले राजन ने कहा था, ‘‘निश्चित रूप से, हमेशा रुपया-डॉलर विनिमय दर पर ध्यान केंद्रित किया जाता है। वास्तविकता यह है कि डॉलर कई मुद्राओं के मुकाबले मजबूत हो रहा है। यूरो में लगभग छह से सात प्रतिशत की गिरावट है।'' इस दौरान नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी सदन में उपस्थित थे।
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नयी दिल्ली. पेट्रोलियम एवं प्राकृतिक गैस मंत्री हरदीप सिंह पुरी ने सोमवार को कहा कि भारत सभी स्रोतों से सबसे कम दरों पर पेट्रोलियम आयात के लिए तैयार है। इसके साथ ही पुरी ने कहा कि घरेलू पेट्रोलियम विपणन कंपनियों को वर्ष 2026 से आपूर्ति के लिए किफायती दाम पर अधिक गैस की तलाश है। पुरी ने मंगलवार से शुरू होने वाले ‘भारतीय ऊर्जा सप्ताह-2025' के संदर्भ में आयोजित संवाददाता सम्मेलन में अमेरिकी प्रतिबंधों के बाद रूस से भारत को तेल आपूर्ति पर पड़ने वाले असर से जुड़ी आशंकाएं दूर कीं। उन्होंने कहा, ‘‘आज हमारे सामने ऐसी स्थिति है कि हमें आपूर्ति करने वाले देशों की संख्या 27 से बढ़कर 39 हो गई है। हमने अर्जेंटीना को भी इसमें शामिल किया है। हम सभी स्रोतों से आयात के लिए तैयार हैं।'' पेट्रोलियम मंत्री ने कहा, “हमने आयात के समय निविदा जारी की थी। निविदा किसी भी आपूर्तिकर्ता के लिए खुली हैं। हम सबसे सस्ते स्रोत से ही ईंधन खरीदते हैं।'' उन्होंने यह भी बताया कि घरेलू पेट्रोलियम विपणन कंपनियों को ज्यादा मात्रा में गैस की तलाश है और प्राकृतिक गैस की कीमतें नीचे आने की उम्मीद है। पुरी ने कहा, ‘‘अंतरराष्ट्रीय बाजार के बारे में मेरा अनुमान है कि 2026 में प्राकृतिक गैस की उपलब्धता में खासी बढ़ोतरी देखने को मिलेगी। हमें कतर से अधिक गैस मिल सकती है। हमारी कंपनियां अधिक गैस की तलाश कर रही हैं।'' एक शीर्ष अधिकारी ने कहा कि सार्वजनिक क्षेत्र की इंडियन ऑयल, भारत पेट्रोलियम और गेल अमेरिका से एलएनजी (द्रवीकृत प्राकृतिक गैस) और कच्चे तेल की खरीद पर विचार कर रही हैं और वे दीर्घावधि के अनुबंध कर सकती हैं।
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नई दिल्ली। केंद्र सरकार की ओर से घरेलू स्तर पर मैन्युफैक्चरिंग बढ़ाने के लिए चलाई जा रही प्रोडक्शन लिंक्ड इंसेंटिव (पीएलआई) स्कीम का असर दिखने लगा है। चालू वित्त वर्ष (वित्तीय वर्ष 2024-25) के पहले 10 महीनों (अप्रैल-जनवरी) में एप्पल आईफोन का निर्यात 1 लाख करोड़ रुपये के पार पहुंच गया है।
आईफोन निर्यात में सालाना आधार पर 30 प्रतिशत का इजाफाइंडस्ट्री डेटा के मुताबिक, जनवरी के महीने में रिकॉर्ड 19,000 करोड़ रुपये के आईफोन का निर्यात हुआ है और यह आईफोन निर्यात का अब तक का सबसे बड़ा आंकड़ा है। देश के आईफोन निर्यात में सालाना आधार पर 30 प्रतिशत का इजाफा हुआ है। पिछले वित्त वर्ष में अप्रैल से जनवरी की अवधि में 76,000 करोड़ रुपये के आईफोन का निर्यात किया गया था।10 महीनों में आईफोन निर्यात 1 लाख करोड़ रुपये के पारकेंद्रीय रेल और इलेक्ट्रॉनिक्स और आईटी मंत्री, अश्विनी वैष्णव ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ‘एक्स’ पर पोस्ट किया कि पीएलआई योजना के तहत एक और रिकॉर्ड प्रदर्शन, वित्त वर्ष 2024-25 के केवल 10 महीनों में आईफोन निर्यात 1 लाख करोड़ रुपये के पार निकल गया है।भारत में प्रति वर्ष 32.5 से लेकर 33 करोड़ के करीब मोबाइल फोन का निर्माण किया जा रहा है और औसतन भारत में लगभग एक अरब मोबाइल फोन उपयोग में हैं।भारत कंपनी के लिए एक बड़ा बाजारएप्पल के सीईओ टिम कुक ने पिछले महीने कहा था कि भारत कंपनी के लिए एक बड़ा बाजार है और हमने दिसंबर तिमाही में रिकॉर्ड वृद्धि हासिल की है और अक्टूबर-दिसंबर 2024 की अवधि में आईफोन देश में सबसे ज्यादा बिकने वाला स्मार्टफोन रहा है।भारतीय स्मार्टफोन मार्केट में एप्पल की हिस्सेदारी बढ़कर 7 प्रतिशतसाइबरमीडिया रिसर्च (सीएमआर) द्वारा दी गई जानकारी के मुताबिक, 2024 में भारतीय स्मार्टफोन मार्केट में एप्पल आईफोन की हिस्सेदारी बढ़कर 7 प्रतिशत हो गई है। इसकी वजह स्थानीय स्तर पर उत्पादन बढ़ना और छोटे शहरों में प्रीमियमाइजेशन का बढ़ता चलन है।2024 की अक्टूबर-दिसंबर तिमाही में एप्पल की एंट्री भारत के शीर्ष पांच मोबाइल ब्रांड में हो गई थी। वॉल्यूम के हिसाब से कंपनी का मार्केट शेयर करीब 10 प्रतिशत पर पहुंच गया था। 2024 में एप्पल इंडिया द्वारा 1.1 करोड़ से ज्यादा शिपमेंट की गई थी। -
नई दिल्ली। उद्योग विशेषज्ञों ने सोमवार को कहा कि नया आयकर विधेयक कर प्रावधानों में स्पष्ट और स्पष्ट भाषा अपनाकर कर कानूनों में पारदर्शिता के स्तर को बढ़ाने पर विचार कर रहा है, जिससे करदाता अपने दायित्वों और अधिकारों को आसानी से समझ सकेंगे।
इस सप्ताह आयकर विधेयक पेश किए जाने की उम्मीदकेंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण द्वारा इस सप्ताह आयकर विधेयक पेश किए जाने की उम्मीद है, जिसे जांच के लिए संसद की वित्त संबंधी स्थायी समिति के पास भेजा जाएगा।विभिन्न हितधारक पूर्ववर्ती आयकर कानून की तुलना में कई बदलावों की कर रहे उम्मीदसरकार की ‘पहले भरोसा करो, बाद में जांच करो’ की प्रतिबद्धता के साथ, नए आईटी विधेयक को पेश करने का प्रस्ताव वर्तमान में चर्चा का विषय रहा है। विभिन्न हितधारक पूर्ववर्ती आयकर कानून की तुलना में कई बदलावों की उम्मीद कर रहे हैं।इस संबंध में भूटा शाह एंड एएमपी कंपनी के पार्टनर हर्ष भूटा ने कहा, “उम्मीद है कि नया आईटी विधेयक 2025 भारत में किसी व्यक्ति के कर निवास को निर्धारित करने में जटिलता के मुद्दे को संबोधित करेगा। वर्तमान में, इसमें किसी व्यक्ति को कर निवासी के रूप में अर्हता प्राप्त करने के लिए कई शर्तें शामिल हैं।”वर्तमान में आयकर कानून में बहुत सारे कर प्रावधानवर्तमान में आयकर कानून में बहुत सारे कर प्रावधान हैं। नए आईटी बिल में कुछ अनावश्यक और अप्रचलित प्रावधानों को समाप्त करके और इसके दायरे को काफी कम करके इस मुद्दे को संबोधित करने की उम्मीद है।विशेषज्ञों के अनुसार, नए आईटी बिल में नहीं लगाया जाएगा कोई नया करविशेषज्ञों के अनुसार, नए आईटी बिल में कोई नया कर नहीं लगाया जाएगा, बल्कि बेहतर तरीके से कर अनुपालन को सुविधाजनक बनाने पर ध्यान केंद्रित किया जाएगा।आयकर कानून में संशोधन की घोषणाओं के लिए अब बजट प्रस्तावों का इंतजार नहीं करना पड़ेगायह भी उम्मीद की जा रही है कि आयकर राहत या आयकर कानून में संशोधन की घोषणाओं के लिए अब बजट प्रस्तावों का इंतजार नहीं करना पड़ेगा। सरकार केवल कार्यकारी आदेशों के माध्यम से राहत में बदलाव कर सकती है।नए आईटी बिल का फोकस सकल गैर-अनुपालन के मामले में जांच की संख्या को कम करने पर होगाभूटा ने आगे कहा कि नए आईटी बिल का फोकस सकल गैर-अनुपालन के मामले में जांच की संख्या को कम करने पर होगा ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि ईमानदार करदाताओं को अनुचित उत्पीड़न से रोका जा सके। साथ ही, इससे मुकदमेबाजी के मुद्दों में कमी आएगी।सभी करदाताओं के लिए आसान और समझने योग्य हो जाएगा नया आईटी बिलनए आईटी बिल में अनुपालन प्रक्रिया को सरल बनाकर जटिल अनुपालन बोझ को कम करने की योजना है, जिससे यह सभी करदाताओं के लिए आसान और समझने योग्य हो जाएगा, जिससे लागत और समय की बचत सुनिश्चित होगी।भारत की कर प्रणाली को आधुनिक और सरल बनाना है उद्देश्यविशेषज्ञों ने कहा कि आयकर अधिनियम, 1961 की चल रही समीक्षा का उद्देश्य व्यापक आर्थिक लक्ष्यों के अनुरूप भारत की कर प्रणाली को आधुनिक और सरल बनाना है।इसका उद्देश्य व्यापार करने में आसानी बढ़ाना, व्याख्याओं में अस्पष्टता को कम करना, कर प्रशासन और अनुपालन में सुधार करना है। प्राइस वाटरहाउस एंड कंपनी (पीडब्ल्यूसी) के पार्टनर संदीप चौफला ने कहा कि इससे भारत के कर-जीडीपी अनुपात को वैश्विक स्तर तक बढ़ाने और सतत आर्थिक विकास को समर्थन देने में मदद मिलेगी। -
नई दिल्ली। भारत का सेमीकंडक्टर बाजार तेज गति से आगे बढ़ रहा है। केंद्र सरकार की प्रोडक्शन लिंक्ड इंसेंटिव (PLI) योजना के चलते इस क्षेत्र में बड़े निवेश हो रहे हैं। 2024-25 में इस बाजार का कुल मूल्य 52 अरब डॉलर है। 2030 तक सेमीकंडक्टर बाजार 13% की वार्षिक वृद्धि दर (CAGR) से बढ़कर 103.4 अरब डॉलर तक पहुंचने की उम्मीद है।
भारत में सेमीकंडक्टर की सबसे अधिक मांग मोबाइल फोन, आईटी और इंडस्ट्रियल एप्लिकेशंस में है जो इस उद्योग के कुल राजस्व का 70% योगदान देते हैं। इसके अलावा, ऑटोमोबाइल और इंडस्ट्रियल इलेक्ट्रॉनिक्स सेक्टर भी तेजी से उभर रहे हैं।केंद्र सरकार सेमीकंडक्टर उत्पादन को बढ़ावा देने के लिए FABs और OSATs के लिए विशेष प्रोत्साहन, R&D (अनुसंधान और विकास) में निवेश, और उद्योग के साथ मिलकर काम करने जैसी पहल कर रही है। इंडियन इलेक्ट्रॉनिक्स एंड सेमीकंडक्टर एसोसिएशन (IESA) के मुताबिक पिछले एक साल में सदस्य कंपनियों ने 21 अरब डॉलर से अधिक का निवेश किया है जिससे इस क्षेत्र को और मजबूती मिलेगी।भारत अभी भी सेमीकंडक्टर्स के लिए काफी हद तक आयात पर निर्भर है, लेकिन ‘मेक इन इंडिया’ पहल के तहत इस निर्भरता को कम करने की कोशिश की जा रही है। यदि भारत खुद सेमीकंडक्टर निर्माण में आत्मनिर्भर बनता है, तो इससे न केवल देश की अर्थव्यवस्था को मजबूती मिलेगी, बल्कि भारत को वैश्विक इलेक्ट्रॉनिक्स बाजार में भी एक मजबूत स्थान हासिल होगा।सरकार ने इंडिया सेमीकंडक्टर मिशन के तहत पांच प्रमुख परियोजनाओं को मंजूरी दी है, जो देश में सेमीकंडक्टर निर्माण की नींव मजबूत करेंगी। इनमें Micron,Tata Electronics (दो प्रोजेक्ट), CG Power, और Keynes के प्रोजेक्ट शामिल हैं। इन प्रयासों के चलते भारत अब सेमीकंडक्टर उत्पादन के क्षेत्र में एक बड़ा हब बनने की दिशा में आगे बढ़ रहा है। -
नई दिल्ली। भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ने शुक्रवार, 7 फरवरी को रीपो रेट में 25 बेसिस पॉइंट की कटौती की है। अब रीपो रेट 6.5% से घटकर 6.25% हो गया है। आरबीआई गवर्नर संजय मल्होत्रा ने बताया कि यह फैसला सर्वसम्मति से लिया गया है। मल्होत्रा ने कहा कि मॉनेटरी पॉलिसी कमेटी (MPC) ने यह निर्णय इसलिए लिया क्योंकि महंगाई दर में गिरावट दर्ज की गई है और आगे भी इसके और घटने की संभावना है।
आरबीआई की मॉनेटरी पॉलिसी कमिटी (MPC) ने चालू वित्त वर्ष की आखिरी मॉनेटरी पॉलिसी में कई बड़े फैसले लिए। एमपीसी की मुख्य बातें इस प्रकार हैं;पांच साल बाद रीपो रेट में कटौतीआरबीआई ने रीपो रेट (शार्ट टर्म लेंडिंग रेट) को 0.25 प्रतिशत घटाकर 6.25 प्रतिशत कर दिया। केंद्रीय बैंक ने लगभग पांच साल बाद रेपो दर में कटौती की है। इससे पहले मई, 2020 में कोविड-19 महामारी के समय रेपो दर को 0.40 प्रतिशत घटाकर चार प्रतिशत किया गया था। फिर रूस-यूक्रेन युद्ध के जोखिमों से निपटने के लिए आरबीआई ने मई, 2022 में दरों में बढ़ोतरी करनी शुरू की थी और यह सिलसिला फरवरी, 2023 में जाकर रुका था। ।मॉनेटरी पॉलिसी रुख ‘न्यूट्रल’ पर बरकरारभारतीय रिजर्व बैंक ने ‘न्यूट्रल’ मॉनेटरी पॉलिसी रुख को बरकरार रखा है। न्यूट्रल रुख का मतलब है कि भविष्य में रीपो रेट में किसी तरह की घटबढ़ के लिए पहले से कोई प्रतिबद्धता नहीं होगी। इससे बढ़ते महंगाई के दबाव, वैश्विक फाइनेंशियल बाजारों की अस्थिरता और भू-राजनीतिक जोखिमों से निपटने में लचीलापन मिलता है।FY2025-26 के लिए जीडीपी ग्रोथ रेट 6.7% रहने का अनुमानभारतीय रिज़र्व बैंक (RBI) ने वित्त वर्ष 2025-26 के लिए जीडीपी ग्रोथ रेट (GDP Growth Rate) के 6.7 प्रतिशत रहने का अनुमान लगाया है। आरबीआई ने कहा कि वित्त वर्ष 2024-25 में जीडीपी ग्रोथ रेट के 6.4 फीसदी पर रहने के अनुमान है। पिछले वित्त वर्ष में 8.2 प्रतिशत की मजबूत वृद्धि के बाद चली वित्त वर्ष में अर्थव्यवस्था में नरम विस्तार हो सकता है। केंद्रीय बैंक के अनुसार, आगे चलकर आने वाले साल में आर्थिक गतिविधियों में और सुधार की संभावना है।आरबीआई गवर्नर संजय मल्होत्रा ने चालू वित्त वर्ष के लिए आखिरी और अपनी पहली द्विमासिक मौद्रिक नीति की घोषणा करते हुए कहा कि रबी फसल की अच्छी संभावनाओं तथा औद्योगिक गतिविधियों में अपेक्षित सुधार से 2025-26 में आर्थिक वृद्धि को समर्थन मिलेगा।2025-26 में रिटेल महंगाई घटकर 4.2 प्रतिशत पर आने का अनुमानभारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ने शुक्रवार को खाद्य वस्तुओं के दाम में नरमी की उम्मीद के बीच अगले वित्त वर्ष (2025-26) में खुदरा महंगाई दर 4.2 प्रतिशत रहने का अनुमान जताया। वहीं चालू वित्त वर्ष में इसके 4.8 प्रतिशत के अनुमान को बरकरार रखा।आरबीआई गवर्नर संजय मल्होत्रा ने चालू वित्त वर्ष की अंतिम द्विमासिक मौद्रिक नीति समीक्षा की जानकारी देते हुए कहा कि आपूर्ति के मार्चे पर किसी झटके की आशंका नहीं है। इसके साथ, खरीफ फसलों का उत्पादन बेहतर रहने, जाड़े में सब्जियों के दाम में नरमी तथा रबी फसलों को लेकर अनुकूल संभावनाओं को देखते हुए खाद्य मुद्रास्फीति में उल्लेखनीय कमी आनी चाहिए।बैंकिंग फ्रॉड रोकने के लिए RBI का बड़ा एक्शनआरबीआई ने शुक्रवार को एमपीसी बैठक के बाद कहा कि साइबर धोखाधड़ी से लोगों को बचाने के लिए बैंकों और नॉन-बैंकिंग कंपनियों को एक स्पेशल ‘डोमेन नेम’ दिया जाएगा। आरबीआई गवर्नर संजय मल्होत्रा ने बैठक के बाद कहा कि डिजिटल धोखाधड़ी में वृद्धि चिंता का विषय है। इसके लिए सभी को जरूरी कदम उठाने की आवश्यकता है। उन्होंने कहा, ”साइबर धोखाधड़ी रोकने के लिए बैंकों का एक स्पेशल डोमेन ‘एफआईएन.इन’ दिया जाएगा। इसका रजिस्ट्रेशन अप्रैल में शुरू होगा। गवर्नर ने कहा, ”साइबर धोखाधड़ी रोकने के लिए बैंकों को स्पेशल डोमेन नाम ‘bank.in‘ और नॉन-बैंकिंग कंपनियों को ‘fin.in‘ नाम से डोमेन नेम दिया जाएगा।” उन्होंने कहा कि इस बैंकिंग फ्रॉड पर लगाम लगाने में मदद मिलेगी।मुख्य (कोर) मुद्रास्फीति बढ़ने का अनुमानआरबीआई गवर्नर कहा कि मुख्य (कोर) मुद्रास्फीति बढ़ने का अनुमान है, लेकिन यह मध्यम स्तर पर रहेगी। मल्होत्रा ने कहा कि दूसरी तरफ ऊर्जा के दाम में अस्थिरता और प्रतिकूल मौसम की घटनाओं के साथ वैश्विक वित्तीय बाजारों में जारी अनिश्चितता को देखते हुए मुद्रास्फीति के ऊपर जाने का जोखिम बना हुआ है। उन्होंने कहा कि इन सभी बातों को ध्यान में रखते हुए, 2024-25 में उपभोक्ता मूल्य सूचकांक (सीपीआई) आधारित मुद्रास्फीति चालू वित्त वर्ष में 4.8 प्रतिशत और चौथी तिमाही में 4.4 प्रतिशत रहने का अनुमान है।EMI में आएगी कमीरीपो रेट वह ब्याज दर है, जिस पर कमर्शियल बैंक अपनी तात्कालिक जरूरतों को पूरा करने के लिये केंद्रीय बैंक से कर्ज लेते हैं। आरबीआई मुद्रास्फीति को काबू में रखने के लिये इस दर का उपयोग करता है। रेपो दर में कमी करने का मतलब है कि मकान, वाहन समेत विभिन्न कर्जों पर मासिक किस्त (EMI) में कमी आने की उम्मीद है।वैश्विक आर्थिक आउटलुक चुनौतीपूर्णआरबीआई ने वैश्विक आर्थिक आउटलुक को चुनौतीपूर्ण बताया है। जबकि भारतीय अर्थव्यवस्था के लिए कहा कि यह मजबूत व जुझारू बनी हुई है।फिस्कल डेफिसिट टिकाऊ स्तर के भीतर बने रहने की उम्मीदइसके अलावा भारतीय रिजर्व बैंक ने चालू खाते के घाटे (फिस्कल डेफिसिट) के टिकाऊ स्तर के भीतर बने रहने की उम्मीद जताई है। वहीं, 31 जनवरी तक भारत का विदेशी मुद्रा भंडार 630.6 अरब अमेरिकी डॉलर था।रुपये के लिए कोई टारगेटआरबीआई गवर्नर ने डॉलर के मुकाबले रुपये में जारी गिरावट पर भी अपनी बात रखी। मल्होत्रा ने कहा कि विनिमय दर नीति पिछले कई वर्षों से एक समान रही है और केंद्रीय बैंक ने रुपये के लिए किसी ‘‘विशिष्ट स्तर या दायरे’’ का लक्ष्य नहीं बनाया है। -
नई दिल्ली। भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) गवर्नर संजय मल्होत्रा ने शुक्रवार को ऐलान किया कि डिजिटल पेमेंट्स फ्रॉड को रोकने के लिए केंद्रीय बैंक ‘बैंकडॉटइन’ और ‘फिनडॉटइन’ डोमेन शुरू करेगा। इसमें से ‘बैंकडॉटइन’ भारतीय बैंकों के लिए एक एक्सक्लूसिव इंटरनेट डोमेन होगा, जबकि ‘फिनडॉटइन’ वित्तीय क्षेत्र की गैर-बैंकिंग कंपनियों के लिए होगा।
पहल से सुरक्षित वित्तीय सेवाओं के लिए माहौल होगा तैयारइस पहल का उद्देश्य साइबर सुरक्षा खतरों और फिशिंग जैसी गतिविधियों को कम करना है और सुरक्षित वित्तीय सेवाओं के लिए माहौल तैयार करना है, जिससे डिजिटल बैंकिंग और भुगतान सेवाओं में लोगों का विश्वास बढ़े और बिना किसी चिंता के आसानी से डिजिटल लेनदेन कर सकें।बैंकों के लिए विस्तृत दिशा निर्देश अलग से किए जाएंगे जारीआरबीआई गवर्नर ने कहा कि इसके लिए इंस्टीट्यूट फॉर डेवलपमेंट एंड रिसर्च इन बैंकिंग टेक्नोलॉजी (आईडीआरबीटी) विशेष रजिस्ट्रार के रूप में कार्य करेगा। वास्तविक पंजीकरण अप्रैल 2025 में शुरू होगा। बैंकों के लिए विस्तृत दिशा निर्देश अलग से जारी किए जाएंगे। इसके अतिरिक्त वित्तीय क्षेत्र में अन्य गैर-बैंकिंग कंपनियों के लिए एक विशेष डोमेन ‘फिनडॉटइन’ रखने की योजना बनाई गई है।आरबीआई ने सुरक्षा की एक और परत सुनिश्चित करने के लिए क्रॉस बॉर्डर कार्ड नॉट प्रेजेंट लेनदेन में एडिशनल फैक्टर ऑफ ऑथेंटिकेशन को भी अनिवार्य किया है जैसा कि घरेलू डिजिटल भुगतान करते समय होता है।डिजिटल भुगतान के लिए एडिशनल फैक्टर ऑफ ऑथेंटिकेशन (एएफए) की शुरुआत ने लेनदेन की सुरक्षा को बढ़ाया है, जिससे ग्राहकों को डिजिटल भुगतान में विश्वास हुआ है। हालांकि, यह आवश्यकता केवल घरेलू लेनदेन के लिए अनिवार्य है।दिशानिर्देशों का उद्देश्य डिजिटल भुगतान की सुरक्षा बढ़ाना हैआरबीआई के अल्टरनेटिव ऑथेंटिकेशन मैकेनिज्म (एएफए) दिशानिर्देशों के अनुसार अधिकांश डिजिटल भुगतानों के लिए ऑथेंटिकेशन की एक अतिरिक्त परत की आवश्यकता होती है। दिशानिर्देशों का उद्देश्य डिजिटल भुगतान की सुरक्षा बढ़ाना है। लेन-देन के लिए उचित एएफए निर्धारित करने के लिए जारीकर्ता जोखिम-आधारित दृष्टिकोण का उपयोग कर सकते हैं। इस दृष्टिकोण में लेनदेन के मूल्य, उत्पत्ति चैनल और ग्राहक और लाभार्थी के जोखिम प्रोफाइल आदि शामिल हैं। - मुंबई । एयरपोर्ट्स अथॉरिटी ऑफ इंडिया (AAI) ने नवी मुंबई और नोएडा (जेवर) अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डों के लिए नया एयरस्पेस डिजाइन और उड़ान मार्ग तैयार कर लिया है। इससे विमानों की उड़ानें अधिक तेज, सुरक्षित और ईंधन-किफायती होंगी। यह दोनों एयरपोर्ट्स देश के सबसे व्यस्त हवाई मार्गों के पास बन रहे हैं इसलिए बेहतर एयरस्पेस डिजाइन से भीड़भाड़ कम होगी और संचालन सुचारु रूप से जारी रहेगा।AAI ने ऐसा एयरस्पेस डिजाइन तैयार किया है जिससे विमानों की उड़ान का समय कम होगा और ईंधन की बचत होगी। इस प्रक्रिया को और प्रभावी बनाने के लिए AAI ने बोइंग इंडिया के साथ मिलकर काम किया है। बोइंग ने सिमुलेशन और टकराव विश्लेषण (Conflict Analysis) के जरिए यह सुनिश्चित किया कि सभी उड़ान मार्ग सुरक्षित और प्रभावी हों। AAI ने बोइंग के “टोटल एयरस्पेस एंड एयरपोर्ट मॉडलर (TAAM)” का उपयोग करके उड़ान भरने (SID) और लैंडिंग (STAR) की नई प्रक्रियाएं तैयार की हैं। इनसे विमानों की आवाजाही आसान होगी और उड़ानों में देरी न के बराबर होगी।AAI के चेयरमैन विपिन कुमार ने कहा, “यह नई प्रणाली नवी मुंबई और नोएडा एयरपोर्ट को दिल्ली IGI और मुंबई CSMIA जैसे बड़े हवाई अड्डों के साथ जोड़ने में मदद करेगी। इससे ईंधन बचेगा, उड़ान मार्ग छोटे होंगे और एयर ट्रैफिक कंट्रोलर्स का काम भी आसान होगा।यह “मेट्रोप्लेक्स” हवाई प्रणाली की ओर बढ़ने का पहला कदम है जिससे एक साथ कई बड़े एयरपोर्ट्स को कुशल तरीके से संचालित किया जा सकेगा। इस नई प्रणाली का एक घरेलू एयरलाइन ऑपरेटर द्वारा सफल परीक्षण किया गया इसके बाद डायरेक्टरेट जनरल ऑफ सिविल एविएशन (DGCA) इंडिया ने इसे मंजूरी दे दी है। जल्द ही इसे पूरी तरह लागू किया जाएगा।
- नयी दिल्ली. ऑनलाइन ऑर्डर लेकर खानपान और किराने का सामना पहुंचाने वाली कंपनी जोमैटो ने अपना नाम बदलकर इटर्नल कर लिया है। कंपनी के निदेशक मंडल (बोर्ड) ने बृहस्पतिवार को इसे मंजूरी दी। शेयर बाजार को दी जानकारी के मुताबिक इसके लिए कंपनी के शेयरधारकों, कॉरपोरेट मामलों के मंत्रालय और अन्य वैधानिक प्राधिकरणों की मंजूरी ली जानी है। हालांकि, कंपनी के खाद्य वितरण व्यवसाय का ब्रांड नाम और ऐप का नाम 'जोमैटो' ही रहेगा।जोमैटो के संस्थापक और सीईओ दीपिंदर गोयल ने शेयरधारकों को लिखे एक पत्र में कहा, ''हमारे बोर्ड ने आज इस बदलाव को मंजूरी दी है और मैं अपने शेयरधारकों से भी इस बदलाव का समर्थन करने का अनुरोध करता हूं। अगर इसे मंजूरी मिल जाती है, तो हमारी कॉरपोरेट वेबसाइट का पता 'जोमैटो डॉट कॉम' से बदलकर 'इटर्नल डॉट कॉम' हो जाएगा।'' उन्होंने बताया कि इटर्नल में अभी चार प्रमुख व्यवसाय शामिल होंगे - जोमैटो, ब्लिंकिट, डिस्ट्रिक्ट और हाइपरप्योर। उन्होंने कहा, ''जब हमने ब्लिंकिट का अधिग्रहण किया, तो हमने कंपनी और ब्रांड/ऐप के बीच अंतर करने के लिए आपस में जोमैटो की जगह इटर्नल का इस्तेमाल शुरू कर दिया था। हमने यह भी सोचा कि जिस दिन जोमैटो के अलावा कुछ भी हमारे भविष्य का एक महत्वपूर्ण चालक बन जाएगा, हम सार्वजनिक रूप से कंपनी का नाम बदलकर इटर्नल कर देंगे।'' गोयल ने कहा, ''आज, ब्लिंकिट के साथ मुझे लगता है कि हम वहां पहुंच गए हैं। हम कंपनी का नाम (ब्रांड/ऐप नहीं) जोमैटो लिमिटेड से बदलकर इटर्नल लिमिटेड करना चाहेंगे।''
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मुंबई. आलू, दाल और चिकन की कीमतों में बढ़ोतरी के कारण जनवरी में घर का बना खाना एक साल पहले की तुलना में महंगा हो गया। एक रिपोर्ट में यह जानकारी दी गई है। रेटिंग एजेंसी क्रिसिल की एक इकाई की बृहस्पतिवार को जारी मासिक रोटी, चावल दर रिपोर्ट के मुताबिक, शाकाहारी थाली की तुलना में पिछले महीने मांसाहारी थाली की कीमतों में अधिक उछाल आया है। चिकन की कीमतें बढ़ने से ऐसा हुआ है। रिपोर्ट कहती है कि आलू की कीमत में 35 प्रतिशत, दालों में सात प्रतिशत और वनस्पति तेलों में 17 प्रतिशत की बढ़ोतरी के कारण शाकाहारी भोजन की कीमत बढ़कर 28.7 रुपये प्रति थाली हो गई। एक साल पहले की अवधि में इसकी कीमत 28 रुपये प्रति थाली थी। हालांकि सालाना आधार पर ईंधन की लागत में 11 प्रतिशत की कमी आने से इस महंगाई को कुछ हद तक सीमित रखने में कामयाबी मिली। क्रिसिल ने कहा कि शाकाहारी थाली की कीमत सालाना आधार पर भले ही बढ़ी है लेकिन एक महीना पहले की तुलना में इसके दाम घटे हैं। दिसंबर, 2024 में शाकाहारी थाली का दाम 31.6 रुपये प्रति थाली था। लेकिन जनवरी में मासिक आधार पर टमाटर की कीमतों में 34 प्रतिशत, आलू में 16 प्रतिशत और प्याज की कीमतों में 21 प्रतिशत की गिरावट के कारण शाकाहारी थाली की लागत घट गई। जहां तक मांसाहारी थाली का सवाल है तो जनवरी, 2025 में इसकी लागत एक साल पहले के 52 रुपये से बढ़कर 60.6 रुपये हो गई। यह बढ़ोतरी ब्रॉयलर मुर्गे के दाम 33 प्रतिशत बढ़ने के मुकाबले कम ही है। दरअसल मांसाहारी थाली में 50 प्रतिशत योगदान ब्रॉयलर मुर्गे का होता है। एजेंसी ने कहा कि टमाटर, प्याज और आलू की कीमतों में गिरावट के कारण मांसाहारी थाली की कीमत दिसंबर के 63.3 रुपये के मुकाबले घट गई। लेकिन ब्रॉयलर की कीमतों में एक प्रतिशत की वृद्धि होने से यह गिरावट सीमित रही।
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नई दिल्ली। भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) की मौद्रिक नीति समिति (MPC) आज प्रमुख ब्याज दरों पर अपना फैसला सुनाएगी। यह बैठक नए गवर्नर संजय मल्होत्रा के नेतृत्व में हो रही है और उनके कार्यकाल की यह पहली मौद्रिक समीक्षा है।
विशेषज्ञों का मानना है कि देश की आर्थिक विकास दर चार साल के निचले स्तर पर पहुंचने की आशंका को देखते हुए आर्थिक वृद्धि (economic growth) को गति देने के लिए ब्याज दरों में कटौती की जा सकती है।संजय मल्होत्रा ने दिसंबर के मध्य में गवर्नर का पद संभाला था। छह सदस्यीय मौद्रिक नीति समिति में बड़े बदलाव के चलते विश्लेषकों का मानना है कि पूर्व गवर्नर शक्तिकांत दास की सख्त नीतियों में बदलाव देखने को मिल सकता है। तीन दिवसीय यह बैठक 5 फरवरी को शुरू हुई थी और आज (7 फरवरी) को समाप्त होगी। गवर्नर संजय मल्होत्रा बैठक के फैसले की घोषणा करेंगे और इसके बाद प्रेस कॉन्फ्रेंस के जरिए मीडिया को जानकारी देंगे। - कोलकाता। विविध कारोबारों में सक्रिय कंपनी आईटीसी लिमिटेड ने फ्रोजन, चिल्ड और ‘रेडी-टू-कुक' क्षेत्र के अग्रणी ब्रांड प्रसूमा में 100 प्रतिशत हिस्सेदारी हासिल करने के लिए पक्के समझौतों पर हस्ताक्षर किए हैं। आईटीसी इस अधिग्रहण के जरिये 10,000 करोड़ रुपये के कारोबार वाले फ्रोजन फूड क्षेत्र में अपनी मौजूदगी बढ़ाना चाहती है। कंपनी ने बृहस्पतिवार को कहा कि वह अप्रैल, 2027 तक प्रसूमा में 62.5 प्रतिशत हिस्सेदारी लेने के लिए करीब 187 करोड़ रुपये का निवेश करेगी। बाकी 37.5 प्रतिशत हिस्सेदारी के अधिग्रहण मूल्य का आकलन बाद में किया जाएगा। प्रसूमा के अधिग्रहण को तीन वर्षों के भीतर कई किस्तों में पूरा किया जाएगा।आईटीसी पहले चरण में प्रसूमा ब्रांड का स्वामित्व रखने वाली कंपनी एम्पल फूड्स प्राइवेट लिमिटेड (एएफपीएल) में 43.8 प्रतिशत हिस्सेदारी लेगी। इस पर 131 करोड़ रुपये का शुरुआती निवेश किया जाएगा, जिसके मार्च 2025 तक पूरा होने की उम्मीद है। 'मीटिगो' ब्रांड के तहत अपने प्रीमियम फ्रोजन मोमोज, बाओस, कोरियन फ्राइड चिकन और डेलिकेटेसन मीट के लिए मशहूर प्रसूमा की 100 से ज्यादा शहरों में ऑनलाइन और ऑफलाइन खुदरा बिक्री मंचों पर मजबूत मौजूदगी है। आईटीसी के पूर्णकालिक निदेशक हेमंत मलिक ने कहा, "हम प्रसूमा का समर्थन करके और संयुक्त रूप से एक बेजोड़, फ्रोजन, चिल्ड और रेडी-टू-कुक फ़ूड पोर्टफोलियो बनाकर खुश हैं। यह निवेश उच्च-वृद्धि वाले उपभोक्ता क्षेत्रों में अपनी उपस्थिति बढ़ाने की हमारी रणनीति के अनुरूप है।" प्रसूमा की मुख्य कार्यपालक अधिकारी लीसा सुवाल ने कहा कि आईटीसी की वितरण और ब्रांड-निर्माण विशेषज्ञता ब्रांड के विकास को गति देने में मदद करेगी।
- नयी दिल्ली। टायर विनिर्माता कंपनी अपोलो टायर लि. का चालू वित्त वर्ष की तीसरी तिमाही में एकीकृत शुद्ध लाभ 32 प्रतिशत घटकर 337 करोड़ रुपये रहा। अपोलो टायर ने शेयर बाजार को दी सूचना में कहा कि कंपनी को पिछले वित्त वर्ष की समान तिमाही में 497 करोड़ रुपये का एकीकृत शुद्ध लाभ हुआ था। कंपनी की चालू वित्त वर्ष की तीसरी तिमाही में एकीकृत परिचालन आय 6,927.95 करोड़ रुपये रही, जो पिछले वित्त वर्ष की समान तिमाही में 6,595.37 करोड़ रुपये थी। कंपनी ने बताया कि वित्त वर्ष 2024-25 की अक्टूबर-दिसंबर तिमाही के दौरान कंपनी का कुल खर्च बढ़कर 6,467.4 करोड़ रुपये हो गया, जो पिछले वित्त वर्ष की इसी तिमाही में 5,877.93 करोड़ रुपये था।
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नई दिल्ली। भारतीय स्टेट बैंक (एसबीआई) ने गुरुवार को वित्त वर्ष 25 की तीसरी तिमाही के नतीजों का ऐलान किया है। देश के सबसे बड़े बैंक का मुनाफा अक्टूबर-दिसंबर अवधि में सालाना आधार पर 84 प्रतिशत बढ़कर 16,891 करोड़ रुपये हो गया है। बैंक ने पिछले साल समान अवधि में 9,164 करोड़ रुपये का मुनाफा कमाया था।
बैंक का कर्मचारियों पर खर्च 17 प्रतिशत गिरकर 16,074 करोड़ रुपये हो गया हैदिसंबर तिमाही में बैंक की शुद्ध ब्याज आय (एनआईआई) सालाना आधार पर 4 प्रतिशत बढ़कर 41,445.5 करोड़ रुपये हो गई है, जो कि पिछले साल समान अवधि में 39,816 करोड़ रुपये थी। बैंक का कर्मचारियों पर खर्च 17 प्रतिशत गिरकर 16,074 करोड़ रुपये हो गया है। एसबीआई के घरेलू लोन में सालाना आधार पर 14.06 प्रतिशत की वृद्धि हुई है। प्रोविजन पिछले साल के मुकाबले 32.4 प्रतिशत बढ़कर 911.06 करोड़ रुपये हो गया है।बैंक के शुद्ध एनपीए में कोई बदलाव नहींवित्त वर्ष 25 की तीसरी तिमाही में एसबीआई का ग्रॉस एनपीए (नॉन-परफॉर्मिंग एसेट्स) कम होकर 2.07 प्रतिशत हो गया है, जो कि चालू वित्त वर्ष की दूसरी तिमाही में 2.13 प्रतिशत था। हालांकि, इस दौरान बैंक के शुद्ध एनपीए में कोई बदलाव नहीं आया है और यह 0.53 प्रतिशत पर बना हुआ है।एसबीआई का क्रेडिट ग्रोथ सालाना आधार पर 13.49 प्रतिशत रही हैइसके अलावा वित्त वर्ष की तीसरी तिमाही में बैंक का ऑपरेटिंग मुनाफा सालाना आधार पर 15.81 प्रतिशत बढ़कर 23,551 करोड़ रुपये हो गया है। एसबीआई का क्रेडिट ग्रोथ सालाना आधार पर 13.49 प्रतिशत रही है। बैंक के ग्रोड एडवांस 40 लाख करोड़ रुपये के आंकड़े को पार कर गया है।एसबीआई ने फाइलिंग में बताया कि पूरे बैंक की जमा सालाना आधार पर 9.81 प्रतिशत बढ़ी है। करंट अकाउंट सेविंग अकाउंट (सीएएसए) जमा सालाना आधार पर 4.46 प्रतिशत बढ़ी है। दिसंबर तिमाही के आखिर में बैंक का कासा रेश्यो 39.20 प्रतिशत रहा है।विदेशी कार्यालयों के एडवांस में 10.35 प्रतिशत की वृद्धिबैंक के मुताबिक, विदेशी कार्यालयों के एडवांस में 10.35 प्रतिशत की वृद्धि हुई है। वहीं, एसएमई एडवांस में 18.71 प्रतिशत का इजाफा हुआ है। इसके बाद कृषि एडवांस में 15.31 प्रतिशत की वृद्धि हुई, जबकि कॉर्पोरेट एडवांस और खुदरा व्यक्तिगत एडवांस में क्रमशः 14.86 प्रतिशत और 11.65 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज की गई। नतीजों के बाद एसबीआई का शेयर 1.74 प्रतिशत गिरकर 752.70 रुपये पर कारोबार कर रहा था। - नयी दिल्ली। केंद्रीय अप्रत्यक्ष कर एवं सीमा शुल्क बोर्ड (सीबीआईसी) के चेयरमैन संजय कुमार अग्रवाल ने कहा कि जीएसटी दर को तर्कसंगत बनाने के लिए गठित मंत्री समूह अपने काम में जुटा है और इस पर रिपोर्ट अंतिम चरण में है। इसे जल्द ही जीएसटी (माल एवं सेवा कर) परिषद के समक्ष रखे जाने की उम्मीद है। प्रत्यक्ष कर मोर्चे पर आयकर दरों में छूट के बाद यह उम्मीद की जा रही है कि उपभोक्ता मांग को और गति देने के लिए जीएसटी दरों को युक्तिसंगत बनाया जा सकता है। अग्रवाल ने कहा, ‘‘ मंत्री समूह विभिन्न वस्तुओं पर जीएसटी दरों को युक्तिसंगत बनाने के लिए काम कर रहा है। रिपोर्ट अंतिम चरण में है और इसे जल्द ही जीएसटी परिषद के समक्ष रखे जाने की उम्मीद है।'' माल एवं सेवा कर (जीएसटी) वर्तमान में चार-स्तरीय कर संरचना है, जिसमें पांच, 12, 18 और 28 प्रतिशत के चार ‘स्लैब' हैं। विलासिता एवं समाज के नजरिये से नुकसानदेह वस्तुओं पर सबसे अधिक 28 प्रतिशत कर लगाया जाता है। दूसरी ओर पैकिंग वाले खाद्य पदार्थों और जरूरी वस्तुओं पर सबसे कम पांच प्रतिशत कर लगता है। रिपोर्ट आने में देरी के सवाल पर अग्रवाल ने कहा, ‘‘ जीएसटी में दरों को युक्तिसंगत बनाने के लिए लगभग तीन वर्ष पहले मंत्री समूह का गठन किया गया था। बाद में उसका दायरा बढ़ाया गया, नियम शर्तों में बदलाव हुए। सदस्यों में बदलाव आया। इससे रिपोर्ट आने में देरी हुई है, लेकिन अब यह अंतिम चरण में है।'' '' अमेरिका के कुछ देशों के खिलाफ शुल्क दर में अच्छी-खासी वृद्धि के जरिये एक तरह से व्यापार युद्ध शुरू करने पर अग्रवाल ने कहा कि अमेरिका से आयातित उत्पादों पर शुल्क दरें पहले से ही कम हैं लिहाजा भारत से निर्यात होने वाले सामान पर अमेरिका में अधिक शुल्क लगाने का कोई मतलब नहीं दिखता। उन्होंने कहा, ‘‘ अमेरिका से जो आयात होते हैं, उनमें से अगर शीर्ष 30 उत्पादों को लें, तो उन पर शुल्क कोई ज्यादा नहीं है। उदाहरण के लिए, सबसे ज्यादा आयात होने वाला कच्चा तेल है, उस पर सीमा शुल्क मात्र एक रुपया प्रति टन है। इसी तरह एलएनजी पर पांच प्रतिशत, कोयला पर 2.5 प्रतिशत, हवाई जहाज पर तीन प्रतिशत, कच्चे हीरे पर शून्य प्रतिशत एवं तराशे गए हीरों पर पांच प्रतिशत शुल्क है।'' उन्होंने कहा, ‘‘ जब हमने बहुत ज्यादा शुल्क नहीं लगाया तो मेरे हिसाब से ऐसे में कोई मामला नहीं बनता है कि भारत से अमेरिका को निर्यात होने वाले उत्पादों पर अधिक शुल्क लगाया जाएगा। हालांकि यह तो भविष्य ही बताएगा कि इस मामले में क्या होता है।''
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नयी दिल्ली। ओला इलेक्ट्रिक रोडस्टर एक्स श्रृंखला के साथ इलेक्ट्रिक मोटरसाइकिल खंड में उतर गई है। कंपनी ने बुधवार को स्केलेबल मोटरसाइकिल मंच पर निर्मित रोडस्टर एक्स श्रृंखला के 2.5 केडबल्यूए, 3.5 केडबल्यूएच और 4.5 केडबल्यूएच संस्करण पेश किए। इनकी कीमत क्रमशः 74,999 रुपये, 84,999 रुपये और 94,999 रुपये है। ओला इलेक्ट्रिक के चेयरमैन एवं प्रबंध निदेशक भविष अग्रवाल ने कहा, ‘‘मोटरसाइकिल भारत के परिवहन परिदृश्य के केंद्र में है। अपनी इलेक्ट्रिक मोटरसाइकिल के साथ हम भारतीय परिवहन के मूल में ईवी क्रांति को और गहराई तक ले जा रहे हैं।'' कंपनी ने कहा कि रोडस्टर श्रृंखला तीन साल/50,000 किलोमीटर की मानक वारंटी के साथ आती है। रोडस्टर श्रृंखला के लिए डिलिवरी मार्च के मध्य से शुरू होगी।
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नई दिल्ली। कृषि एवं प्रसंस्कृत खाद्य उत्पाद निर्यात विकास प्राधिकरण (एपीडा) द्वारा शुरू की गई वित्तीय सहायता योजनाओं की श्रृंखला के कारण भारत के फल और सब्जी निर्यात में पिछले पांच वर्षों में 47.3 प्रतिशत की प्रभावशाली वृद्धि देखी गई है। एपीडा ने बुनियादी ढांचे, गुणवत्ता और बाजार विकास के लिए नई योजनाओं के साथ निर्यातक विकास को मजबूत किया है। यही नहीं भारत का फल और सब्जी निर्यात 123 देशों तक पहुंच गया है, 3 वर्षों में 17 नए बाजार जुड़े हैं।
वाणिज्य एवं उद्योग मंत्रालय के अनुसार 2019-20 से 2023-24 तक ताजे फलों और सब्जियों का निर्यात मूल्य भी 41.5% बढ़कर 2023-24 में 1.81 बिलियन अमरीकी डॉलर तक पहुंच गया।वाणिज्य विभाग के अधीन कार्यरत एपीडा, कृषि एवं प्रसंस्कृत खाद्य निर्यात संवर्धन योजना के माध्यम से निर्यातकों को वित्तीय सहायता प्रदान करता है। यह समर्थन तीन व्यापक क्षेत्रों में विभाजित है, जैसे- बुनियादी ढांचे का विकास, गुणवत्ता सुधार और बाजार संवर्धन।इंफ़्रास्ट्रक्चर विकास के लिए योजना – पैकिंग और ग्रेडिंग लाइनों के साथ पैकहाउस सुविधाएं स्थापित करने, शीत भंडारण और प्रशीतित परिवहन आदि के साथ प्री-कूलिंग यूनिट, केले जैसी फसलों की हैंडलिंग के लिए केबल प्रणाली, विकिरण, वाष्प ताप उपचार, गर्म पानी डिप उपचार जैसी शिपमेंट पूर्व उपचार सुविधाएं और सामान्य इंफ़्रास्ट्रक्चर सुविधाएं, रीफर वैन और व्यक्तिगत निर्यातकों के मौजूदा अवसंरचना में अंतर को दूर करने के लिए वित्तीय सहायता जैसी योजना निर्यातकों की मदद करती है।गुणवत्ता विकास योजना – प्रयोगशाला परीक्षण उपकरणों की खरीद, गुणवत्ता प्रबंधन प्रणाली की स्थापना, पता लगाने के लिए खेत स्तर के निर्देशांक प्राप्त करने के लिए हस्तचालित उपकरणों और जल, मिट्टी, अवशेषों और कीटनाशकों आदि के परीक्षण के लिए वित्तीय सहायता।बाजार संवर्धन योजना – इस सहायता में अंतर्राष्ट्रीय व्यापार मेलों में निर्यातकों की भागीदारी, क्रेता-विक्रेता बैठकें आयोजित करना, नए उत्पादों के लिए पैकेजिंग मानक विकसित करना तथा मौजूदा पैकेजिंग मानकों को उन्नत करना शामिल है।इन योजनाओं के अतिरिक्त, एपीडा ने भारतीय उपज के लिए नए बाजार तक पहुंच सुनिश्चित करने के लिए सक्रिय रूप से काम किया है।गौरतलब हो वित्त वर्ष 2023-24 में भारत के ताजे फलों और सब्जियों का निर्यात 123 देशों तक पहुंच गया। पिछले 3 वर्षों में, भारतीय ताजा उपज ने 17 नए बाजारों में प्रवेश किया, जिनमें से कुछ ब्राजील, जॉर्जिया, युगांडा, पापुआ न्यू गिनी, चेक गणराज्य, युगांडा, घाना आदि हैं। अंतर्राष्ट्रीय व्यापार मेलों में भागीदारी, बाजार पहुंच वार्ताओं को सक्रिय रूप से आगे बढ़ाना, क्रेता-विक्रेता बैठकें आदि आयोजित करके इन लक्ष्यों को हासिल किया गया हैं।वहीं, पिछले तीन वर्षों में भारत ने सर्बिया में आलू और प्याज, कनाडा में बेबी कॉर्न और ताजे केले तथा ऑस्ट्रेलिया और अमेरिका में अनार के बीजों सहित कई वस्तुओं के लिए बाजार तक पहुंच प्राप्त की है। हालांकि, देश को अभी भी चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है। इन बाधाओं को दूर करने के लिए, एपीडा और कृषि मंत्रालय बेहतर बाजार पहुंच के लिए बातचीत करने, रसद खर्च को कम करने के लिए समुद्री प्रोटोकॉल स्थापित करने और निर्यातकों के लिए पंजीकरण प्रक्रियाओं को सुव्यवस्थित करने के लिए मिलकर काम कर रहे हैं।