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नई दिल्ली। भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) द्वारा आज शुक्रवार को जारी ताजा आंकड़ों के मुताबिक भारत का विदेशी मुद्रा भंडार लगातार आठवें सप्ताह बढ़कर 25 अप्रैल 2025 तक 688.13 अरब डॉलर पर पहुंच गया है। महज एक सप्ताह में विदेशी मुद्रा भंडार में 1.98 अरब डॉलर की बढ़ोतरी हुई है। इसमें से सबसे बड़ा हिस्सा विदेशी मुद्रा संपत्तियों का है, जो 2.17 अरब डॉलर बढ़कर 580.66 अरब डॉलर हो गया। हालांकि, स्वर्ण भंडार (Gold Reserves) में 207 मिलियन डॉलर की गिरावट आई और यह घटकर 84.37 अरब डॉलर रह गया। इसके अलावा, विशेष आहरण अधिकार (SDR) 21 मिलियन डॉलर बढ़कर 18.59 अरब डॉलर हो गया।
पिछले कुछ महीनों में आरबीआई द्वारा किए गए मुद्रा पुनर्मूल्यांकन और विदेशी मुद्रा बाजार में हस्तक्षेप से अब विदेशी मुद्रा भंडार में लगातार सुधार हो रहा है। सितंबर 2024 में यह भंडार रिकॉर्ड स्तर 704.885 अरब डॉलर तक पहुंच गया था। मजबूत विदेशी मुद्रा भंडार से न केवल रुपए को अमेरिकी डॉलर के मुकाबले मजबूती मिलती है, बल्कि इससे आरबीआई को बाजार में हस्तक्षेप कर रुपए को स्थिर बनाए रखने की भी ज्यादा गुंजाइश मिलती है। इसके विपरीत, अगर भंडार घटता है तो आरबीआई की दखल देने की क्षमता कम हो जाती है।इसके साथ ही, भारत का बाहरी क्षेत्र भी मजबूत हुआ है। वित्त वर्ष 2024-25 के दौरान भारत का कुल निर्यात 6.01% बढ़कर 824.9 अरब डॉलर के रिकॉर्ड स्तर पर पहुंच गया, जबकि पिछले वर्ष यह 778.1 अरब डॉलर था। सेवा निर्यात में भी तेज वृद्धि देखने को मिली है, जो 13.6% बढ़कर 387.5 अरब डॉलर पर पहुंच गया, जबकि 2023-24 में यह 341.1 अरब डॉलर था। मार्च 2025 में अकेले सेवा निर्यात 35.6 अरब डॉलर रहा, जो मार्च 2024 के 30.0 अरब डॉलर की तुलना में 18.6% अधिक है। यह आंकड़े भारत की आर्थिक मजबूती और वैश्विक व्यापार में उसकी हिस्सेदारी को दर्शाते हैं। -
नई दिल्ली। भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) के ताजा आंकड़ों के अनुसार, भारत का कुल निर्यात वित्त वर्ष 2025 में 6.01 प्रतिशत की बढ़त के साथ 824.9 बिलियन डॉलर के सर्वकालिक उच्च स्तर पर पहुंच गया है। इस आंकड़े में मार्च 2025 के सेवा व्यापार के आंकड़े भी शामिल हैं। बीते वर्ष यानी वित्त वर्ष 2024 में यह आंकड़ा 778.1 बिलियन डॉलर था। वहीं सेवा निर्यात में उल्लेखनीय वृद्धि देखने को मिली है। यह वित्त वर्ष 2025 में 13.6 प्रतिशत बढ़कर 387.5 बिलियन डॉलर पर पहुंच गया, जो पिछले साल 341.1 बिलियन डॉलर था। मार्च 2025 के लिए सेवा निर्यात 35.6 बिलियन डॉलर रहा, जो मार्च 2024 के 30.0 बिलियन डॉलर की तुलना में 18.6 प्रतिशत अधिक है।
वहीं, पेट्रोलियम उत्पादों को छोड़कर व्यापारिक निर्यात भी रिकॉर्ड स्तर पर पहुंचा है। यह वित्त वर्ष 2025 में 6 प्रतिशत बढ़कर 374.1 बिलियन डॉलर हो गया, जबकि पिछले साल यह 352.9 बिलियन डॉलर था। यह अब तक का सबसे अधिक गैर-पेट्रोलियम वार्षिक व्यापारिक निर्यात है।इससे पहले वाणिज्य मंत्रालय ने 15 अप्रैल को अनुमान लगाया था कि भारत का कुल वस्तु और सेवा निर्यात 5.5 प्रतिशत बढ़कर 820.93 बिलियन डॉलर होगा। उस समय आरबीआई के पास सेवा निर्यात के वास्तविक आंकड़े नहीं थे और अनुमानित आंकड़ों का प्रयोग किया गया था। अब जब वास्तविक आंकड़े सामने आए हैं, तो यह स्पष्ट हो गया है कि भारत ने रिकॉर्ड निर्यात किया है। दूसरी ओर, अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप द्वारा संभावित टैरिफ वृद्धि से वैश्विक व्यापार पर असर पड़ने की आशंका बनी हुई है। हालांकि भारत और अमेरिका एक बहुपक्षीय द्विपक्षीय व्यापार समझौते की दिशा में आगे बढ़ रहे हैं। इसी क्रम में भारत के वाणिज्य विभाग और अमेरिकी व्यापार प्रतिनिधि कार्यालय के अधिकारियों ने 23 से 25 अप्रैल के बीच वाशिंगटन डीसी में बैठक की, जिसमें 2025 की सितंबर-अक्टूबर तक व्यापार समझौते के पहले चरण को पूरा करने पर चर्चा हुई।इससे पहले मार्च 2025 में नई दिल्ली में इन मुद्दों पर पहली बैठक हुई थी। वाशिंगटन में हुई बैठकों में टैरिफ और गैर-टैरिफ मामलों पर व्यापक चर्चा हुई और दोनों पक्षों ने पारस्परिक रूप से लाभदायक समझौते के पहले चरण को सफलतापूर्वक पूरा करने की दिशा में कदम बढ़ाने पर सहमति जताई। -
नई दिल्ली। देश में आज शुक्रवार को सोने की कीमतों में तेज गिरावट दर्ज की गई, जिससे निवेशकों और ग्राहकों दोनों को बड़ा झटका लगा। 24 कैरेट के 10 ग्राम सोने का दाम 968 रुपए की गिरावट के साथ 93,393 रुपए पर आ गया है, जो पहले 94,361 रुपए था। इस सप्ताह के दौरान सोने की कीमतों में कुल मिलाकर करीब 2,200 रुपए की गिरावट आई है। 22 अप्रैल को सोने की कीमत 1,00,000 रुपए प्रति 10 ग्राम के रिकॉर्ड स्तर पर पहुंच गई थी, लेकिन उसके बाद से इसमें लगातार गिरावट देखी जा रही है।
वहीं अन्य कैरेट वाले सोने के दामों में भी गिरावट दर्ज की गई है। 22 कैरेट सोना अब 91,115 रुपए प्रति 10 ग्राम, 20 कैरेट सोना 83,120 रुपए और 18 कैरेट सोना 75,650 रुपए प्रति 10 ग्राम पर बिक रहा है। इसके विपरीत, चांदी की कीमतों में मामूली तेजी देखी गई है। चांदी 86 रुपए महंगी होकर 94,200 रुपए प्रति किलो पर पहुंच गई है, जबकि इससे पहले यह 94,114 रुपए थी।वायदा बाजार में हालांकि थोड़ी तेजी देखने को मिली है। 5 जून का सोने का कॉन्ट्रैक्ट लगभग एक प्रतिशत बढ़कर 93,215 रुपए पर कारोबार कर रहा है। सोने की कीमतों में आई इस गिरावट के पीछे दो प्रमुख कारण बताए जा रहे हैं। पहला, डॉलर के मुकाबले भारतीय रुपए का मजबूत होना। शुक्रवार को रुपया 40 पैसे की मजबूती के साथ 84 रुपए प्रति डॉलर से नीचे पहुंच गया, जो पिछले सात महीनों में सबसे मजबूत स्तर है। दूसरा कारण अंतरराष्ट्रीय बाजार में सोने की कीमतों में नरमी है। फिलहाल वैश्विक बाजार में सोना 3,265 डॉलर प्रति औंस के करीब बना हुआ है, जबकि 22 अप्रैल को यह 3,500 डॉलर प्रति औंस तक पहुंच गया था।इस गिरावट से आम लोगों के लिए सोना खरीदने का अच्छा मौका बन सकता है, लेकिन विशेषज्ञों का कहना है कि बाजार में अस्थिरता बनी रह सकती है और निवेश से पहले सोच-समझकर कदम उठाना चाहिए। -
नयी दिल्ली. कंपनियों के मुख्य कार्यपालक अधिकारियों (सीईओ) और सामान्य कर्मचारियों के वेतन में असमानता चिंताजनक स्तर पर पहुंच गई है। वैश्विक सीईओ का औसत वेतन 2019 के बाद वास्तविक रूप से 50 प्रतिशत बढ़ा है जबकि कर्मचारियों के औसत वेतन में बढ़ोतरी सिर्फ 0.9 प्रतिशत है। ऑक्सफैम की एक अध्ययन रिपोर्ट में यह दावा किया गया है। भारत में कंपनियों के सीईओ का सालाना वेतन भी औसतन 20 लाख डॉलर पहुंच चुका है। यह अध्ययन बताता है कि सीईओ और आम कर्मचारियों के बीच वेतन की खाई चौंकाने वाले स्तर तक बढ़ चुकी है। हकीकत यह है कि अरबपति एक घंटे में एक औसत कर्मचारी की पूरे साल की आय से कहीं ज्यादा कमाई कर रहे हैं। रिपोर्ट के मुताबिक, "सीईओ के वेतन में 2019 के 29 लाख डॉलर से 50 प्रतिशत की वास्तविक वृद्धि आ चुकी है। यह वृद्धि एक औसत कर्मचारी के वेतन में समान अवधि में हुई 0.9 प्रतिशत की वास्तविक वृद्धि से बहुत अधिक है।" अध्ययन में विभिन्न देशों में सीईओ के वेतन का भी विश्लेषण किया गया है, जिसमें आयरलैंड और जर्मनी क्रमशः औसतन 67 लाख डॉलर और 47 लाख डॉलर के साथ शीर्ष पर हैं। भारत में भी कंपनियों के सीईओ का औसत वेतन 2024 में 20 लाख डॉलर तक पहुंच गया है।
ऑक्सफैम इंटरनेशनल के कार्यकारी निदेशक अमिताभ बेहर ने इस वेतन असमानता पर गहरी चिंता व्यक्त करते हुए कहा, "यह कोई प्रणालीगत गड़बड़ी नहीं है, बल्कि धन के लगातार ऊपर की ओर प्रवाह के लिए बनाई गई एक प्रणाली है, जबकि लाखों मेहनतकश लोग जीवन-यापन के लिए संघर्ष कर रहे हैं।" यह वेतन असमानता ऐसे समय में बढ़ रही है जब जीवन-यापन की लागत तेजी से बढ़ रही है और श्रमिकों का वेतन महंगाई के साथ तालमेल बिठा पाने में नाकाम हो रहा है। अंतरराष्ट्रीय श्रम संगठन (आईएलओ) के मुताबिक, वर्ष 2024 में वास्तविक वेतन में 2.7 प्रतिशत की मामूली वृद्धि हुई है, लेकिन कई देशों में श्रमिकों का वेतन स्थिर रहा है। अध्ययन में महिला-पुरुष के वेतन में अंतर पर भी प्रकाश डाला गया है। हालांकि वैश्विक स्तर पर महिला-पुरुष के बीच वेतन अंतर में मामूली कमी आई है, लेकिन यह अभी भी चिंताजनक रूप से उच्च स्तर पर है। विश्लेषण के मुताबिक, 2022 और 2023 के दौरान महिला-पुरुष के बीच औसत वेतन अंतर 27 प्रतिशत से घटकर 22 प्रतिशत हो गया। ऑक्सफैम का यह अध्ययन बताता है कि अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के सीमा शुल्क कदमों से वैश्विक स्तर पर श्रमिकों के लिए नौकरी छूटने और बुनियादी वस्तुओं की बढ़ती लागत का खतरा बढ़ गया है जो आगे चलकर असमानता बढ़ाने का काम करेगा। बेहर ने आगाह करते हुए कहा कि अमेरिका की शुल्क नीतियां न केवल उसके कामकाजी परिवारों को नुकसान पहुंचाएंगी, बल्कि गरीब देशों के श्रमिकों के लिए भी विनाशकारी साबित होंगी। यह अध्ययन वैश्विक स्तर पर बढ़ती आय असमानता और श्रमिकों पर इसके गंभीर प्रभावों पर तत्काल ध्यान देने की जरूरत पर बल देता है। -
मुंबई. उद्योगपति मुकेश अंबानी ने बृहस्पतिवार को कहा कि भारत का बहुमुखी मीडिया एवं मनोरंजन उद्योग अगले दशक में तीन गुना से अधिक बढ़कर 100 अरब डॉलर का हो सकता है। इस वृद्धि से लाखों नौकरियां उत्पन्न होंगी और विभिन्न क्षेत्रों में इसका व्यापक प्रभाव पड़ेगा। अंबानी का रिलायंस समूह भारत के सबसे बड़े मीडिया समूहों में से एक ‘नेटवर्क 18' के साथ-साथ डिजिटल मंच, मनोरंजन चैनल तथा ऑनलॉइन मंच को नियंत्रित करता है। उन्होंने कहा कि कहानी कहने और डिजिटल प्रौद्योगिकियों के मिश्रण ने रणनीतिक व आर्थिक अवसर उत्पन्न किया है। अंबानी ने 2025 ‘विश्व दृश्य श्रव्य एवं मनोरंजन सम्मेलन' (वेव्स) के उद्घाटन सत्र में कहा, ‘‘ भारत का मीडिया एवं मनोरंजन उद्योग आज 28 अरब अमेरिकी डॉलर का है। अगले दशक में यह 100 अरब अमेरिकी डॉलर से अधिक हो सकता है। यह वृद्धि उद्यमशीलता को बढ़ावा देगी, लाखों नौकरियां सृजित करेगी और सभी क्षेत्रों में प्रभाव डालेगी।'' उन्होंने कहा कि भारत एक अग्रणी डिजिटल राष्ट्र बन गया है और कहानी कहने तथा डिजिटल प्रौद्योगिकियों का मिश्रण भारत के लिए अद्वितीय है। अंबानी ने कहा, ‘‘ इसने मनोरंजन और सांस्कृतिक अनुभवों के प्रभाव व पहुंच को कल्पना से परे कई गुना बढ़ा दिया है। कृत्रिम मेधा (एआई) और ‘इमर्सिव टेक्नोलॉजी' (डिजिटल दुनिया में जीवंत अनुभव देने वाली प्रौद्योगिकी) के उपकरण हमारी कहानियों को पहले से कहीं अधिक आकर्षक बना सकते हैं और उन्हें तुरंत विभिन्न भाषाओं, देशों एवं संस्कृतियों के दर्शकों तक पहुंचा सकते हैं।'' रिलायंस समूह के चेयरमैन एवं प्रबंध निदेशक ने कहा कि इन उपकरणों में निपुणता हासिल कर भारत के बेहद प्रतिभाशाली युवा रचनाकार हिट फिल्मों के साथ वैश्विक मनोरंजन उद्योग पर राज करेंगे। उन्होंने कहा, ‘‘ ...हमारी कहानियां एकजुट करने, प्रेरित करने और समृद्ध बनानें की अपनी क्षमताओं के साथ बेहतर भविष्य की उम्मीद देती हैं। '' अंबानी ने कहा कि भारत का मनोरंजन और सांस्कृतिक उद्योग सिर्फ ‘सॉफ्ट पावर' नहीं है यह वास्तविक शक्ति है। उन्होंने कहा, ‘‘ हमारी 5,000 वर्षों से अधिक पुरानी सभ्यता की विरासत में, हमारे पास रामायण व महाभारत से लेकर दर्जनों भाषाओं में लोककथाओं और ग्रंथ तक कालातीत कहानियों का विशाल खजाना है। वे दुनिया भर के लोगों के दिलों को छूते हैं क्योंकि ये सार्वभौमिक मानवीय मूल्यों...भाईचारा, करुणा, साहस, प्रेम, सौंदर्य और प्रकृति की देखभाल से भरपूर हैं।'' अंबानी ने कहा, ‘‘ कोई भी देश भारत की कहानी कहने की क्षमता से मेल नहीं खा सकता। इसलिए, बड़े आत्मविश्वास व रचनात्मकता के साथ आइए हम अपनी कहानियों को वैश्विक स्तर पर ले जाएं ताकि विभाजित दुनिया को बेहतर बना सकें।'' उन्होंने कहा कि प्राचीन भारत वर्तमान में आधुनिक प्रौद्योगिकियों की शक्ति से अभूतपूर्व कायाकल्प का अनुभव कर रहा है। पहलगाम में हाल ही में हुए आतंकवादी हमले का जिक्र करते हुए अंबानी ने कहा कि सम्मेलन में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की उपस्थिति ‘उम्मीद, एकता और अडिग संकल्प' का एक मजबूत संदेश देती है। रिलायंस समूह के प्रमुख ने कहा, ‘‘ यहां एकत्रित हम सभी लोग पीड़ितों के परिवारों के प्रति अपनी संवेदना व्यक्त करते हैं। मोदी जी, शांति, न्याय व मानवता के दुश्मनों के खिलाफ इस लड़ाई में आपको 145 करोड़ भारतीयों का पूरा समर्थन है। उनकी हार और भारत की जीत निश्चित है।'' अंबानी ने कहा, ‘‘ यह है नए भारत का जोश - नए भारत की भावना। अपने सपनों में दृढ़। उसे पूरा करने में तेज। साथ ही वैश्विक मानकों से आगे निकलने के लिए दृढ़ संकल्पित।''
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नयी दिल्ली. माल एवं सेवा कर (जीएसटी) का संग्रह अप्रैल में सालाना आधार पर 12.6 प्रतिशत बढ़कर अबतक के उच्चतम स्तर लगभग 2.37 लाख करोड़ रुपये पर पहुंच गया। बृहस्पतिवार को जारी आधिकारिक आंकड़े से यह जानकारी मिली। जीएसटी संग्रह बीते वर्ष अप्रैल में 2.10 लाख करोड़ रुपये रहा था जो देश में एक जुलाई, 2017 से नई अप्रत्यक्ष कर व्यवस्था लागू होने के बाद का दूसरा सर्वाधिक संग्रह है। इससे पहले, मार्च 2025 में कर संग्रह 1.96 लाख करोड़ रुपये था। अप्रैल, 2025 के दौरान घरेलू लेनदेन से जीएसटी राजस्व 10.7 प्रतिशत बढ़कर लगभग 1.9 लाख करोड़ रुपये हो गया, जबकि आयातित वस्तुओं से राजस्व 20.8 प्रतिशत बढ़कर 46,913 करोड़ रुपये रहा। बीते महीने जारी किया गया ‘रिफंड' 48.3 प्रतिशत बढ़कर 27,341 करोड़ रुपये पहुंच गया।
इस ‘रिफंड' को समायोजित करने के बाद अप्रैल महीने में शुद्ध जीएसटी संग्रह 9.1 प्रतिशत बढ़कर 2.09 लाख करोड़ रुपये से अधिक रहा। - चंडीगढ़. पंजाब के खाद्य एवं नागरिक आपूर्ति मंत्री लाल चंद कटारूचक ने बुधवार को बताया कि अनाज मंडियों में पहुंचे 114 लाख टन (एलएमटी) गेहूं में से अब तक 111 लाख टन की खरीद हो चुकी है। मंत्री ने बताया कि सरकारी एजेंसियों की फसल खरीद 100 लाख टन के आंकड़े को पार कर गई है और यह 103 लाख टन हो गई है। कटारूचक ने बताया कि किसानों के खातों में 22,815 करोड़ रुपये जमा हो चुके हैं और अब तक 6,28,674 किसान अपनी उपज मंडियों में लेकर आए हैं। सुचारू खरीद सुनिश्चित करने के लिए राज्य में 2,885 खरीद केंद्र स्थापित किए गए हैं, जिनमें से 1,864 नियमित और 1,021 अस्थायी हैं।
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नयी दिल्ली. दुनिया के सबसे बड़े स्वर्ण उपभोक्ता भारत में बुधवार को अक्षय तृतीया के अवसर पर सोने और चांदी की खरीदारी में तेजी आई। कीमतें अधिक होने के बावजूद मूल्यवान धातु की खरीद को लेकर आकर्षण बना हुआ है। आभूषण विक्रेताओं के संगठन अखिल भारतीय रत्न एवं आभूषण घरेलू परिषद (जीजेसी) ने अनुमान लगाया है कि पिछले साल की तुलना में मूल्य के लिहाज से सोने की बिक्री में 35 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज की जाएगी। दिन के पहले पहर में दक्षिण भारत में उपभोक्ताओं की संख्या अधिक रही तथा महाराष्ट्र तथा उत्तरी राज्यों में भी शाम के समय तक इसमें वृद्धि होने की उम्मीद है। देश के विभिन्न हिस्सों में सोने की कीमतें 99,500 रुपये से 99,900 रुपये प्रति 10 ग्राम के बीच रही, जो 2024 में अक्षय तृतीया पर 72,300 रुपये से 37.6 प्रतिशत अधिक है। जीजेसी के चेयरमैन राजेश रोकड़े ने ‘पीटीआई-भाषा' को बताया कि जो उपभोक्ता ऊंचे दामों पर सोना खरीदने से हिचकिचा रहे थे, वे अब खरीदारी कर रहे हैं क्योंकि कीमतें उच्च स्तर पर जाने के बाद लगभग स्थिर हो गई हैं। उन्होंने कहा, ‘‘ हमें उम्मीद है कि सोने की बिक्री पिछले साल के 20 टन के स्तर पर स्थिर रहेगी। हालांकि, मूल्य के संदर्भ में, सोने की बिक्री में 35 प्रतिशत की वृद्धि होने की संभावना है।'' अक्षय तृतीया पर सोना खरीदना दक्षिण भारत में व्यापक रूप से प्रचलित परंपरा है, जो बढ़ती जागरूकता के साथ धीरे-धीरे पूरे देश में फैल गई है। वर्ल्ड गोल्ड काउंसिल (भारत) के मुख्य कार्यपालक अधिकारी (सीईओ) सचिन जैन ने कहा, ‘‘ सोने की कीमतों में वृद्धि के कारण खरीद क्षमता प्रभावित हुई है। हालांकि, अक्षय तृतीया के कारण खरीदारी का रुझान मजबूत है। उपभोक्ता खरीदारी करेंगे।'' पीएनजी ज्वैलर्स के चेयरमैन एवं प्रबंध निदेशक सौरभ गाडगिल ने कहा कि सोने की कीमतें रिकॉर्ड ऊंचाई पर पहुंचने के बावजूद उपभोक्ता धारणा सकारात्मक बनी हुई है। सोने, हीरे तथा चांदी के आभूषणों में लगातार रुचि बनी हुई है। गाडगिल ने कहा, ‘‘ हालांकि मात्रा के हिसाब से वृद्धि में आठ से नौ प्रतिशत की मामूली गिरावट देखी जा सकती है, लेकिन मूल्य के हिसाब हमें 20-25 प्रतिशत की वृद्धि की उम्मीद है जो बाजार के मजबूत होने का एक अच्छा संकेत है।'' जीएसआई इंडिया के प्रबंध निदेशक रमित कपूर ने प्रमुख भारतीय बाजारों में जड़ाऊ आभूषणों की मांग में बढ़ोतरी की बात कही, जबकि औकेरा की सीईओ लिसा मुखेदकर ने इस वर्ष उत्सव के दौरान प्रयोगशाला में बने हीरों को लेकर बढ़ती रुचि का उल्लेख किया। अखिल भारतीय आभूषण एवं स्वर्णकार महासंघ के अध्यक्ष पंकज अरोड़ा ने अनुमान लगाया है कि लगभग 12 टन सोना बिकेगा, जिसकी कीमत लगभग 12,000 करोड़ रुपये होगी। करीब 400 टन चांदी बिकेगी, जिसकी कीमत 4,000 करोड़ रुपये होगी। इस प्रकार कुल 16,000 करोड़ रुपये का कारोबार होने का अनुमान है। विशेषज्ञों का कहना है कि पिछले तीन वर्ष में सोने की मांग में कमी नहीं आई है, जबकि इसका भाव रिकॉर्ड स्तर पर पहुंच गया है। भारत सालाना 700-800 टन सोना आयात करता है।
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नयी दिल्ली. इंडिया रेटिंग्स एंड रिसर्च ने बुधवार को कहा कि 2025 में मानसून के सामान्य से थोड़ा बेहतर रहने के मौसम विभाग के पूर्वानुमान से कृषि क्षेत्र की वृद्धि को बढ़ावा मिलेगा। इससे मौद्रिक स्थिति में सहजता के साथ ही भारत को जवाबी शुल्कों के प्रतिकूल प्रभाव का सामना करने में मदद मिलेगी। भारत मौसम विज्ञान विभाग (आईएमडी) का पूर्वानुमान है कि पूरे देश में मानसून की बारिश दीर्घावधि औसत (एलपीए) का 105 प्रतिशत रहेगी। इसमें पांच प्रतिशत के घट-बढ़ की गुंजाइश है। इंडिया रेटिंग्स ने कहा कि आईएमडी का पूर्वानुमान न केवल किसानों के लिए बल्कि सामान्य रूप से अर्थव्यवस्था के लिए भी अच्छी खबर है। ऐसे में भारत एक और साल लगभग चार प्रतिशत की कृषि वृद्धि दर्ज कर सकता है। रेटिंग एजेंसी के मुख्य अर्थशास्त्री और सार्वजनिक वित्त के प्रमुख देवेंद्र कुमार पंत ने कहा, ''यह अर्थव्यवस्था में उपभोग वृद्धि के लिए अच्छा संकेत है। हमारे पास पहले ही दो अच्छी फसलें हैं - खरीफ 2024 और रबी 2024, और वित्त वर्ष 2025-26 में दो और अच्छी फसलों की उम्मीद के साथ ही मुद्रास्फीति नियंत्रण और मौद्रिक सहजता हासिल करने में मदद मिलेगी। भारतीय अर्थव्यवस्था जवाबी शुल्क के प्रतिकूल प्रभावों को झेलने में सक्षम होगी।'' इंडिया रेटिंग्स ने कहा कि सिंचाई में वृद्धि, कृषि मूल्य संवर्धन में गैर-फसल का अधिक हिस्सा और रबी सीजन में उच्च खाद्यान्न उत्पादन ने मानसून की अनिश्चितताओं के प्रति कृषि क्षेत्र के जोखिम को कम किया है। मानसून के महीनों में बारिश की स्थिति और भौगोलिक प्रसार पर भी काफी कुछ निर्भर करेगा।
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नई दिल्ली। देश की 10 शीर्ष में से छह कंपनियों की ज्वाइंट मार्केट कैप में बीते हफ्ते 1,18,626.24 करोड़ रुपये का इजाफा हुआ है। 21-25 अप्रैल के कारोबारी सत्र में सेंसेक्स में 659.33 अंक या 0.83 प्रतिशत और निफ्टी में 187.7 अंक या 0.78 प्रतिशत का इजाफा हुआ है।
भारती एयरटेल, आईसीआईसीआई बैंक, बजाज फाइनेंस और हिंदुस्तान यूनिलीवर के मार्केट वैल्यूशन में कमीशीर्ष 10 में टीसीएस, एचडीएफसी बैंक, स्टेट बैंक ऑफ इंडिया, इन्फोसिस और आईटीसी के बाजार पूंजीकरण में बढ़ोतरी हुई है। वहीं, भारती एयरटेल, आईसीआईसीआई बैंक, बजाज फाइनेंस और हिंदुस्तान यूनिलीवर के मार्केट वैल्यूशन में कमी आई है।इन्फोसिस का बाजार पूंजीकरण 24,919.58 करोड़ रुपये बढ़कर 6,14,766.06 करोड़ रुपये हो गया हैटाटा कंसल्टेंसी सर्विसेज के मार्केट कैप में सबसे अधिक 53,692.42 करोड़ रुपये का इजाफा हुआ है और कंपनी का बाजार पूंजीकरण बढ़कर 12,47,281.40 करोड़ रुपये हो गया है। इन्फोसिस का बाजार पूंजीकरण 24,919.58 करोड़ रुपये बढ़कर 6,14,766.06 करोड़ रुपये हो गया है। वहीं, एचडीएफसी बैंक का बाजार पूंजीकरण 2,907.85 करोड़ रुपये बढ़कर 14,61,842.17 करोड़ रुपये हो गया है।आईटीसी का बाजार पूंजीकरण 1,126.27 करोड़ रुपये बढ़कर 5,35,792.04 करोड़ रुपये हो गया हैइसके अलावा स्टेट बैंक ऑफ इंडिया (एसबीआई) का बाजार पूंजीकरण 1,472.57 करोड़ रुपये बढ़कर 7,12,854.03 करोड़ रुपये हो गया है। आईटीसी का बाजार पूंजीकरण 1,126.27 करोड़ रुपये बढ़कर 5,35,792.04 करोड़ रुपये हो गया है। भारती एयरटेल की मार्केट वैल्यू 41,967.5 करोड़ रुपये कम होकर 10,35,274.24 करोड़ रुपये हो गई है। हिंदुस्तान यूनिलीवर की मार्केटकैप 10,114.99 करोड़ रुपये बढ़कर 5,47,830.70 करोड़ रुपये हो गई है।बजाज फाइनेंस का मार्केटकैप 1,863.83 करोड़ रुपये कम होकर 5,66,197.30 करोड़ रुपये हो गया हैबजाज फाइनेंस का मार्केटकैप 1,863.83 करोड़ रुपये कम होकर 5,66,197.30 करोड़ रुपये हो गया है। आईसीआईसीआई बैंक के बाजार पूंजीकरण में 1,130.07 करोड़ रुपये की गिरावट आई है और यह कम होकर 10,00,818.79 करोड़ रुपये रह गया है। बीते हफ्ते भारतीय शेयर बाजार मजबूती के साथ बंद हुआ। बाजार में तेजी की वजह अमेरिकी और चीन के बीच चल रहे व्यापारिक तनाव के लेकर सकारात्मक अपडेट आना और बैंकों की ओर से अच्छे नतीजे पेश करना रहा। 21-25 अप्रैल की अवधि में विदेशी संस्थागत निवेशकों (एफआईआई) शुद्ध खरीदार रहे और इस दौरान करीब 17,800 करोड़ रुपये का निवेश किया। वहीं, घरेलू संस्थागत निवेशकों (डीआईआई) ने कैश सेगमेंट में करीब 1,132 करोड़ रुपये का निवेश किया।( -
मुंबई. केंद्रीय कोयला मंत्री जी किशन रेड्डी ने शनिवार को कहा कि वृद्धि को बनाए रखने के लिए एक मजबूत कच्चे माल की रणनीति महत्वपूर्ण है और देश को कोकिंग कोयला और लौह अयस्क जैसी महत्वपूर्ण सामग्रियों की निरंतर उपलब्धता सुनिश्चित करनी चाहिए। इस्पात मंत्रालय और उद्योग मंडल फिक्की द्वारा यहां संयुक्त रूप से आयोजित इंडिया स्टील-2025 प्रदर्शनी और सम्मेलन के छठे संस्करण के समापन दिवस को संबोधित करते हुए रेड्डी ने कहा कि इस्पात भारत की आर्थिक वृद्धि की रीढ़ है और देश के ‘विकसित भारत' के सामूहिक दृष्टिकोण का प्रमुख चालक है। बयान के अनुसार, तीन दिवसीय कार्यक्रम में 1,000 से अधिक प्रतिनिधियों, 200 से अधिक प्रदर्शकों ने भाग लिया और नौ सत्र आयोजित किए गए, जिनमें उद्घाटन सत्र सहित भारत और अन्य देशों के 150 से अधिक वक्ता शामिल थे। इस दौरान, तीन समझौता ज्ञापनों (एमओयू) पर भी हस्ताक्षर किए गए।
रेड्डी ने आर्थिक वृद्धि में कोयला और खनन क्षेत्र की महत्वपूर्ण भूमिका पर जोर देते हुए कहा, “यदि इस्पात भारत की अर्थव्यवस्था की रीढ़ है, तो कोयला और खनन इसकी नींव हैं। वृद्धि को बनाए रखने के लिए एक मजबूत कच्चे माल की रणनीति महत्वपूर्ण है। हमें कोकिंग कोयला, चूना पत्थर, लौह अयस्क जैसे आवश्यक कच्चे माल और मैग्नीशियम, निकल और क्रोमियम जैसे महत्वपूर्ण तत्वों की निरंतर उपलब्धता सुनिश्चित करनी चाहिए।” उन्होंने कहा कि इस्पात क्षेत्र की वृद्धि के लिए कोयला क्षेत्र की भी साथ-साथ वृद्धि होना आवश्यक है और आयात को कम करना तथा भारत की इस्पात महत्वाकांक्षाओं को समर्थन देना आवश्यक है। रेड्डी ने कहा, “सरकार ने कोयला आयात पर निर्भरता कम करने के लिए मिशन कोकिंग कोयला शुरू किया है, जिसका लक्ष्य 2030 तक 14 करोड़ टन घरेलू कोकिंग कोयला का उत्पादन करना है, जो इस्पात निर्माण में 10-30 प्रतिशत तक मिश्रित होगा।” मंत्री ने उद्योग से भारत के प्रयासों को और मजबूत करने के लिए नई वाशरीज स्थापित करने तथा नई प्रौद्योगिकियां विकसित करने का भी आग्रह किया। -
नयी दिल्ली. स्टार्टअप और सूक्ष्म, लघु एवं मझोले उद्यम (एमएसएमई) की ओर से पेटेंट दायर करने में पिछले पांच वर्ष में 310 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज की गई। वित्त वर्ष 2018-19 के 1,492 से इनकी संख्या वित्त वर्ष 2023-24 में 6,120 हो गई है। पेटेंट, डिजाइन और ट्रेडमार्क महानियंत्रक के संयुक्त नियंत्रक एन. रामचंदर ने बृहस्पतिवार को बताया कि 2021 में शुरू किए गए राष्ट्रीय बौद्धिक संपदा जागरूकता मिशन के माध्यम से लगभग तीन वर्ष में समूचे भारत में 24 लाख से अधिक छात्रों और शिक्षकों को आईपी अधिकारों के बारे में शिक्षित किया गया है। एसोचैम द्वारा आयोजित कार्यक्रम में उन्होंने बताया कि भारत में पेटेंट आवेदन दाखिल करने में 116 प्रतिशत की वृद्धि हुई है। इसकी संख्या वित्त वर्ष 2014-15 के 42,763 से बढ़कर वित्त वर्ष 2023-24 में 92,172 हो गई है। रामचंदर ने कहा, ‘‘पेटेंट प्रदान करने में उल्लेखनीय वृद्धि हुई है। इनकी संख्या वित्त वर्ष 2014-15 के 5,978 से बढ़कर वित्त वर्ष 2023-24 में 1,03,057 हो गई। इसमें भारत ने पिछले 10 वर्ष में निवासी और गैर-निवासी खंड में सबसे बड़ा बदलाव देखा, जिनमें से निवासियों की हिस्सेदारी 2013 के 24.8 प्रतिशत से बढ़कर 2024 में 60 प्रतिशत हो गई है।''
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मुंबई. प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने बृहस्पतिवार को उद्योग जगत से ‘मजबूत, हितकारी बदलावों को तेजी से आगे बढ़ाने वाला और इस्पात जैसा सुदृढ़ भारत' बनाने के लिए साथ मिलकर काम करने को कहा। प्रधानमंत्री ने इंडिया इस्पात 2025 कार्यक्रम को ‘ऑनलाइन' संबोधित करते हुए यह भी कहा कि देश को कच्चे माल की सुरक्षा के लिए अपनी वैश्विक भागीदारी को मजबूत करने की आवश्यकता है। उन्होंने उद्योग से इस्पात उत्पादन बढ़ाने के लिए अप्रयुक्त नयी खदानों से लौह अयस्क निकालना शुरू करने का भी आह्वान किया। मोदी ने इस्पात को ‘उभरता हुआ क्षेत्र' बताते हुए इसका उत्पादन बढ़ाने की आवश्यकता बतायी, जो विकास की ‘रीढ़' है। उन्होंने नई प्रक्रियाओं को अपनाने, नवोन्मेष करने, सर्वोत्तम गतिविधियों का आदान-प्रदान करने और कोयले का आयात कम करने पर भी विचार करने को कहा। मोदी ने इस्पात उद्योग के प्रतिनिधियों को अपने संबोधन में कहा, ‘‘आइए, हम एक मजबूत, हितकारी बदलावों को तेजी आगे बढ़ाने वाला और इस्पात जैसा सुदृढ़ भारत बनाने के लिए एक साथ मिलकर काम करें।'' उन्होंने स्वीकार किया कि कच्चा माल प्राप्त करना इस्पात क्षेत्र के लिए एक ‘बड़ी चिंता' है। उन्होंने सभी से वैश्विक साझेदारी को मजबूत करने और आपूर्ति व्यवस्था को सुरक्षित करने का आग्रह किया। मोदी ने कहा, ‘‘एक बड़ी चिंता कच्चे माल की सुरक्षा है। हम अभी भी निकल, कोकिंग कोयला और मैंगनीज के लिए आयात पर निर्भर हैं। और इसीलिए, हमें वैश्विक साझेदारी को मजबूत करना चाहिए, आपूर्ति व्यवस्था को सुरक्षित करना चाहिए और प्रौद्योगिकी को उन्नत बनाने पर ध्यान केंद्रित करना चाहिए।'' मोदी ने कहा कि कई नयी खदानें हैं, जिनका उपयोग नहीं हो पाया है। उनका उचित और समय पर उपयोग किया जाना बहुत महत्वपूर्ण है। उन्होंने आगाह किया कि ऐसा नहीं होने पर देश और उद्योग दोनों को नुकसान होगा। उन्होंने कहा कि देश को कोयला गैसीकरण (कोयला से गैस बनाना) और कोयला आयात को कम करने के लिए अपने भंडार के बेहतर उपयोग जैसे विकल्पों की भी तलाश करनी चाहिए। प्रधानमंत्री ने कहा कि उद्योग को भविष्य के लिए तैयार रहना चाहिए और नई प्रक्रियाओं, नये स्तर और नये पैमाने को अपनाना चाहिए। मोदी ने कहा कि देश का लक्ष्य 2030 तक इस्पात उत्पादन क्षमता को बढ़ाकर 30 करोड़ टन करना है, जो वित्त वर्ष 2023-24 में 17.9 करोड़ टन था। साथ ही प्रति व्यक्ति इस्पात की खपत भी इसी अवधि में वर्तमान 98 किलो से बढ़ाकर 160 किलो करने का लक्ष्य है। उन्होंने कहा कि देश 1,300 अरब डॉलर की राष्ट्रीय अवसंरचना पाइपलाइन को भी ‘आगे बढ़ा रहा है' और शहरों को बड़े पैमाने पर स्मार्ट शहरों में बदलने के लिए ‘व्यापक कार्य चल रहा है'। मोदी ने कहा, ‘‘सड़कों, रेलवे, हवाई अड्डों, बंदरगाहों और पाइपलाइन में विकास की गति इस्पात क्षेत्र के लिए नये अवसर उत्पन्न कर रही है।'' उन्होंने कहा कि बड़ी परियोजनाओं की बढ़ती संख्या उच्च स्तर के इस्पात की मांग को बढ़ाएगी। उन्होंने यह भी कहा कि पहले स्वदेशी विमानवाहक पोत विक्रांत और चंद्रयान मिशन में इस्तेमाल किया गया इस्पात स्थानीय स्तर पर विनिर्मित किया गया था। प्रधानमंत्री ने कहा कि देश निर्यात बाजार पर नजर रखते हुए आधुनिक और बड़े जहाज बनाने की महत्वाकांक्षा रखता है। उन्होंने कहा कि ऐसे कार्यों के लिए उच्च श्रेणी के इस्पात की आवश्यकता होगी। उन्होंने कहा कि इस्पात के मामले में लक्ष्य आयात को शून्य स्तर पर लाने और शुद्ध निर्यात को बढ़ावा देने पर होना चाहिए। देश का लक्ष्य 2047 तक इस्पात के मौजूदा 2.5 करोड़ टन निर्यात को बढ़ाकर 50 करोड़ टन करना है। मोदी ने कहा कि भारत न केवल घरेलू वृद्धि के बारे में, बल्कि इस क्षेत्र में ‘वैश्विक नेतृत्व' के बारे में भी सोच रहा है। दुनिया भारत को उच्च गुणवत्ता वाले इस्पात के एक विश्वसनीय आपूर्तिकर्ता के रूप में देखती है। उन्होंने कहा कि इसके अलावा, पीएम आवास योजना और जल जीवन मिशन जैसी कल्याणकारी योजनाएं भी इस्पात क्षेत्र के लिए अवसर पैदा करने में मदद कर रही हैं। मोदी ने कहा कि देश में बुनियादी ढांचे को बढ़ा रही सरकार अपने अनुबंधों में स्थानीय रूप से विनिर्मित इस्पात के उपयोग पर जोर दे रही है। सरकार की नीतियां इस क्षेत्र को वैश्विक स्तर पर प्रतिस्पर्धी बना रही हैं। उन्होंने निजी और सार्वजनिक दोनों क्षेत्रों से विनिर्माण, प्रौद्योगिकी को आधुनिक रूप देने और अनुसंधान एवं विकास में नये कदम उठाने और सबसे अच्छी गतिविधियों को आपस में साझा करने का आग्रह किया। मोदी ने कहा, ‘‘हमें ऊर्जा दक्षता, कम उत्सर्जन और डिजिटल रूप से उन्नत प्रौद्योगिकियों की ओर तेजी से आगे बढ़ने की जरूरत है।'' उन्होंने कहा कि कृत्रिम मेधा, स्वचालन, पुनर्चक्रण और उप-उत्पादों का उपयोग इस्पात उद्योग के भविष्य को परिभाषित करेंगे। प्रधानमंत्री ने कहा कि इस्पात क्षेत्र अर्थव्यवस्था के लिए भी महत्वपूर्ण है क्योंकि इसमें देश के युवाओं के लिए रोजगार सृजित करने की क्षमता है।
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नई दिल्ली। भारतीय दूरसंचार विनियामक प्राधिकरण (TRAI) ने आज गुरुवार को जारी अपने आंकड़ों में बताया कि भारत में ब्रॉडबैंड सब्सक्राइबर्स की संख्या फरवरी 2025 के अंत तक 944.04 मिलियन (94.4 करोड़) तक पहुंच गई है। यह डेटा देशभर के 1,189 दूरसंचार ऑपरेटर्स से प्राप्त जानकारी पर आधारित है।
ट्राई के मुताबिक फरवरी में 12.06 मिलियन (1.2 करोड़) मोबाइल ग्राहकों ने मोबाइल नंबर पोर्टेबिलिटी (MNP) के लिए आवेदन किया। जनवरी के अंत में एमएनपी आवेदनों की संचयी संख्या 1,093.33 मिलियन थी, जो फरवरी के अंत तक बढ़कर 1,105.39 मिलियन हो गई।वायरलेस सेगमेंट में निजी टेलीकॉम कंपनियों का दबदबा बना हुआ है, जिनकी कुल बाजार हिस्सेदारी 92.03 प्रतिशत रही, जबकि बीएसएनएल और एमटीएनएल जैसी दो सरकारी कंपनियों की हिस्सेदारी केवल 7.97 प्रतिशत दर्ज की गई। टेलीफोन यूजर्स की कुल संख्या भी इस दौरान बढ़ी। जनवरी में यह संख्या 1,192.03 मिलियन थी, जो फरवरी में 1,197.23 मिलियन तक पहुंच गई। यानी 0.42 प्रतिशत की मासिक वृद्धि दर दर्ज हुई।वहीं शहरी क्षेत्रों में उपभोक्ताओं की संख्या 663.83 मिलियन से बढ़कर 667.93 मिलियन हो गई, जबकि ग्रामीण उपभोक्ता 528.20 मिलियन से बढ़कर 529.31 मिलियन हो गए। देश में टेली-घनत्व (प्रति 100 व्यक्तियों पर फोन कनेक्शन) जनवरी के 84.54 प्रतिशत से बढ़कर फरवरी में 84.85 प्रतिशत हो गया। शहरी टेली-घनत्व 131.40 प्रतिशत से बढ़कर 132.01 प्रतिशत हुआ और ग्रामीण टेली-घनत्व 58.38 प्रतिशत से बढ़कर 58.48 प्रतिशत हो गया। कुल टेलीफोन ग्राहकों में से 55.79 प्रतिशत शहरी और 44.21 प्रतिशत ग्रामीण क्षेत्र से हैं। मशीन-टू-मशीन (M2Ma) मोबाइल कनेक्शनों की संख्या में भी इजाफा देखा गया। जनवरी में यह 63.09 मिलियन थी, जो फरवरी में 64.71 मिलियन हो गई। इनमें से सबसे ज्यादा कनेक्शन भारती एयरटेल लिमिटेड के पास हैं, जिनकी संख्या 33.86 मिलियन है, जिससे उसकी एम2एम मार्केट में हिस्सेदारी 52.33 प्रतिशत हो गई है। एयरटेल के बाद वोडाफोन आइडिया लिमिटेड का स्थान आता है। -
नई दिल्ली। दो दिनों की सुस्ती के बाद सोने में तेजी फिर से लौट आई है। घरेलू फ्यूचर्स मार्केट में गुरुवार (24 अप्रैल) को कारोबार के दौरान सोना 96 हजार रुपये प्रति 10 ग्राम के ऊपर पहुंच गया। फिलहाल यह 95,958 के भाव पर है। इससे पहले एमसीएक्स (MCX) पर सोने के बेंचमार्क कॉन्ट्रैक्ट ने बुधवार को 94,000 रुपये का इंट्राडे लो बनाया जबकि मंगलवार को इसने 99,358 का नया रिकॉर्ड हाई बनाया था। इस तरह सोना रिकॉर्ड हाई से अभी भी 3,500 रुपये से ज्यादा नीचे है।
घरेलू स्पॉट मार्केट में भी सोना फिलहाल 96 हजार के ऊपर है। ग्लोबल मार्केट में बेचमार्क कीमतें आज कारोबार के दौरान 3,350 डॉलर प्रति औंस से ऊपर चली गई गईं। मंगलवार (22 अप्रैल) को 3,500 डॉलर के पार जाने के बाद बुधवार (23 अप्रैल) को यह 3 फीसदी से ज्यादा टूटकर 3,300 डॉलर से नीचे चली गई थीं। गोल्ड के लिए बीते नवंबर के बाद यह सबसे खराब एक दिवसीय प्रदर्शन था।जानकारों के अनुसार निचले स्तर से निकल रही खरीदारी ने सोने की कीमतों को फिर से सपोर्ट किया है। पिछले दो दिनों के दौरान अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के चीन पर नरम रुख दिखाने और फेडरल रिजर्व के चेयरमैन पर दिए अपने पहले के बयान से यू-टर्न लेने के बाद बतौर सुरक्षित विकल्प (safe-haven) मांग कम होने से सोने की कीमतों में रिकॉर्ड ऊंचाई पर पहुंचने के बाद गिरावट आई थी। ट्रंप ने मंगलवार को कहा कि ट्रेड वॉर के दौरान चीनी वस्तुओं पर लगाए गए भारी टैरिफ को जल्द ही काफी हद तक कम किया जाएगा। साथ ही उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि वह फेडरल रिजर्व के चेयरमैन पॉवेल को नहीं हटाएंगे।Gold ETF: अमेरिका से दोगुना नेट इनफ्लो चीन में ! निवेशकों ने लगातार 12वें हफ्ते डाले पैसे, AUM रिकॉर्ड 377 बिलियन डॉलर के पारअमेरिकी डॉलर में आई कमजोरी ने भी कीमतों को एक हद तक सहारा दिया है। अमेरिकी डॉलर इंडेक्स (US Dollar Index) फिलहाल 0.46 फीसदी की कमजोरी के साथ 99.39 के लेवल पर है। सोमवार को यह 3 साल से ज्यादा (मार्च 2022) के अपने लो 97.92 तक चला गया था। अमेरिकी डॉलर इंडेक्स इस साल अब तक 8 फीसदी से ज्यादा टूटा है। जब अमेरिकी डॉलर कमजोर होता है तो सोना उन खरीदारों के लिए सस्ता हो जाता है जो इसे किसी अन्य करेंसी में खरीदना चाहते हैं। इससे सोने की मांग बढ़ सकती है और कीमतों में इजाफा हो सकता है।Sovereign Gold Bond: गोल्ड बॉन्ड पर प्रॉफिट बुक करने का शानदार मौका! अगले महीने इन 7 किस्तों का होगा प्रीमैच्योर रिडेम्प्शनब्याज दरों में कटौती की संभावना, अमेरिका सहित दुनिया की अर्थव्यवस्था में स्लोडाउन और महंगाई के बढ़ने की आशंका के मद्देनजर ज्यादातर जानकार सोने को लेकर फिलहाल बेहद बुलिश हैं। उनका मानना है कि ग्लोबल लेवल पर खासकर अमेरिका और चीन के बीच छिड़े ट्रेड वॉर के मद्देनजर जो अनिश्चितता की स्थिति बनी है उसमें बतौर सुरक्षित विकल्प (safe-haven) सोने की मांग बरकरार रह सकती है। साथ ही बढ़ते जियो-पॉलिटिकल टेंशन की वजह से भी बतौर सुरक्षित विकल्प सोने की मांग में और तेजी आने की उम्मीद है। इतना ही नहीं महंगाई के खिलाफ ‘हेज’ के तौर पर सोने की मांग बढ़ सकती है।घरेलू फ्यूचर्स मार्केटघरेलू फ्यूचर्स मार्केट एमसीएक्स (MCX) पर सोने का बेंचमार्क जून कॉन्ट्रैक्ट बुधवार को दोपहर बाद के कारोबार (4:55 PM IST) में 1,236 रुपये यानी 1.30 फीसदी की मजबूती के साथ 95,958 रुपये प्रति 10 ग्राम के भाव पर है। इससे पहले यह आज 95,580 रुपये पर खुला और कारोबार के दौरान 96,188 रुपये के रिकॉर्ड हाई और 95,562 रुपये के लो के बीच कारोबार किया । - मुंबई. भारतीय रिजर्व बैंक के गवर्नर संजय मल्होत्रा ने कहा है कि नीतिगत में कटौती से निजी खपत को बढ़ावा मिलेगा और निजी कॉरपोरेट निवेश में सुधार होगा। उन्होंने इस महीने की शुरुआत में मौद्रिक नीति समिति (एमपीसी) की बैठक में यह बात कही। इस दौरान उन्होंने और एमपीसी के पांच अन्य सदस्यों ने रेपो दर में 0.25 प्रतिशत कटौती के पक्ष में मतदान किया। गवर्नर मल्होत्रा की अध्यक्षता वाली एमपीसी ने नौ अप्रैल को अल्पकालिक उधारी दर यानी रेपो में 0.25 प्रतिशत की कटौती कर इसे छह प्रतिशत कर दिया था। फरवरी में भी इतनी कटौती की गई थी। आरबीआई ने बुधवार को एमपीसी बैठक का ब्योरा जारी किया। इसमें कहा गया है, ''जब उपभोक्ता कीमतों पर आधारित मुद्रास्फीति निर्णायक रूप से चार प्रतिशत के अपने लक्षित स्तर के आसपास है और वृद्धि अभी भी सामान्य है तथा इसमें सुधार हो रहा है, तो ऐसे में मौद्रिक नीति को वृद्धि की गति तेज करने के लिए घरेलू मांग को समर्थन देना चाहिए।'' मल्होत्रा ने बैठक में कहा कि इससे निजी खपत बढ़ेगी और निजी कॉरपोरेट निवेश में सुधार होगा।उन्होंने कहा कि वृद्धि-मुद्रास्फीति के उभरते रुझानों को देखते हुए आगे भी मौद्रिक नीति को उदार होना चाहिए। एमपीसी की अगली बैठक चार-छह जून, 2025 को होनी है। आरबीआई के डिप्टी गवर्नर और एमपीसी सदस्य एम राजेश्वर राव ने कहा कि मौजूदा वातावरण अभूतपूर्व वैश्विक अनिश्चितताओं से घिरा हुआ है, जिसके लिए लगातार सतर्कता और निगरानी की जरूरत है। उन्होंने साथ ही कहा कि वृद्धि-मुद्रास्फीति संतुलन के लिए किसी भी उभरते जोखिम से निपटने के लिए तेजी से नीतिगत कार्रवाई करनी चाहिए। आरबीआई के कार्यकारी निदेशक और एमपीसी सदस्य राजीव रंजन ने कहा कि वृद्धि अभी भी ठीक है, लेकिन यह हमारी आकांक्षाओं से कम है और चुनौतीपूर्ण वैश्विक माहौल के बीच नीतिगत प्रोत्साहन की जरूरत है। एमपीसी में तीन बाहरी या सरकार द्वारा नियुक्त सदस्य नागेश कुमार, सौगत भट्टाचार्य और राम सिंह हैं। ब्योरे के अनुसार कुमार ने कहा कि भारत को चीनी वस्तुओं की डंपिंग से बचाने के लिए उचित कार्रवाई करने की जरूरत है, ताकि घरेलू उद्योग को बचाया जा सके।
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आईटी शेयरों, एफआईआई की लिवाली से सेंसेक्स 80 हजार के पार
मुंबई. शेयर बाजारों में बुधवार को लगातार सातवें दिन तेजी जारी रही और प्रमुख शेयर सूचकांक बीएसई सेंसेक्स 520 अंक उछलकर चार महीने में पहली बार 80,000 से ऊपर बंद हुआ। बाजार में तेजी की कमान आईटी और वाहन शेयरों ने संभाली। इस दौरान 30 शेयरों वाला सेंसेक्स 520.90 अंक यानी 0.65 प्रतिशत बढ़कर 80,116.49 पर बंद हुआ। यह 18 दिसंबर के बाद इसका उच्चतम स्तर है। कारोबार के दौरान सेंसेक्स 658.96 अंक यानी 0.82 प्रतिशत बढ़कर 80,254.55 पर पहुंच गया था। एनएसई निफ्टी 161.70 अंक यानी 0.67 प्रतिशत बढ़कर 24,328.95 पर पहुंच गया। विश्लेषकों ने कहा कि विदेशी संस्थागत निवेशकों की लिवाली और सकारात्मक वैश्विक रुझानों ने भी बाजार धारणा को मजबूत किया। सेंसेक्स की कंपनियों में एचसीएल टेक ने सबसे अधिक 7.72 प्रतिशत की बढ़त दर्ज की। इसके अलावा टेक महिंद्रा, टाटा मोटर्स, इंफोसिस, महिंद्रा एंड महिंद्रा, टाटा कंसल्टेंसी सर्विसेज, टाटा स्टील, भारती एयरटेल और मारुति भी उल्लेखनीय बढ़त हुई। हाल में तेज बढ़त के बाद बैंक शेयरों में बिकवाली देखी गई और एचडीएफसी बैंक 1.98 प्रतिशत की गिरावट के साथ बंद हुआ। इसके अलावा कोटक महिंद्रा बैंक, भारतीय स्टेट बैंक, एक्सिस बैंक, आईटीसी और अल्ट्राटेक सीमेंट भी नुकसान में रहे एशिया के अन्य बाजारों में दक्षिण कोरिया का कॉस्पी, जापान का निक्की और हांगकांग का हैंगसेंग लाभ में रहे। चीन का शंघाई कम्पोजिट मामूली गिरावट के साथ बंद हुआ। यूरोप के बाजार दोपहर कारोबार में अच्छी तेजी के साथ कारोबार कर रहे थे। मंगलवार को अमेरिकी बाजार भी बढ़त के साथ बंद हुए। शेयर बाजार के आंकड़ों के मुताबिक विदेशी संस्थागत निवेशकों (एफआईआई) ने मंगलवार को 1,290.43 करोड़ रुपये के शेयर खरीदे। जियोजित इन्वेस्टमेंट लि. के शोध प्रमुख विनोद नायर ने कहा, ''भारतीय शेयर बाजार ने अपनी सकारात्मक गति को बनाए रखा। इसका कारण आईटी कंपनियों का बेहतर वित्तीय परिणाम है। हालांकि, हाल में हुई तेजी के बाद वित्तीय क्षेत्र में मुनाफावसूली देखी गई।'' उन्होंने कहा कि अमेरिका-चीन के बीच व्यापार तनाव कम होता दिख रहा है और अमेरिकी प्रौद्योगिकी शेयरों में तेजी ने समग्र वैश्विक बाजार की धारणा को मजबूत किया है। इस दौरान मझोली कंपनियों से संबंधित बीएसई मिडकैप सूचकांक 0.94 प्रतिशत चढ़ा और छोटी कंपनियों से संबंधित स्मॉलकैप सूचकांक में 0.26 प्रतिशत की तेजी आई। क्षेत्रवार बात करें तो बीएसई फोकस्ड आईटी में 4.25 प्रतिशत, आईटी में चार प्रतिशत, प्रौद्योगिकी में 3.10 प्रतिशत, वाहन में 2.34 प्रतिशत, रियल्टी में 1.37 प्रतिशत, उपभोक्ता विवेकाधीन वस्तुओं में 1.02 प्रतिशत और स्वास्थ्य देखभाल में 0.96 प्रतिशत उछाल आया। दूसरी ओर वित्तीय सेवाओं, बैंक और उपभोक्ता टिकाऊ वस्तुओं में गिरावट हुई। बीएसई पर 2,078 शेयर बढ़कर बंद हुए और 1,873 में गिरावट हुई। इसके अलावा 155 शेयरों में कोई बदलाव नहीं हुआ। वैश्विक तेल मानक ब्रेंट क्रूड 1.35 प्रतिशत बढ़कर 68.35 डॉलर प्रति बैरल पर पहुंच गया. - मुंबई। इस साल मानसून के सामान्य से बेहतर रहने के अनुमान से कृषि क्षेत्र की स्थिति बेहतर रहने की उम्मीद है। इससे कृषि आय में वृद्धि हो सकती है और खाद्य कीमतों को काबू में रखने में मदद मिल सकती है। भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) के अप्रैल के बुलेटिन में यह कहा गया है। बुलेटिन में 'अर्थव्यवस्था की स्थिति' पर एक लेख में कहा गया है कि वैश्विक अनिश्चितताओं के बीच उपभोग और निवेश जैसे वृद्धि के घरेलू इंजन मजबूत बने हुए हैं और ये बाहरी प्रतिकूल परिस्थितियों से अपेक्षाकृत कम प्रभावित हैं। इसमें कहा गया है, ‘‘सूझबूझ के साथ नीति समर्थन भारत को वैश्विक अस्थिरता को अवसर में बदलने और उभरते विश्व आर्थिक परिदृश्य में अपनी स्थिति मजबूत करने में मदद कर सकता है।'' इसमें यह भी कहा गया है कि व्यापार और शुल्क दबाव में वृद्धि और परिणामस्वरूप वित्तीय बाजार में अस्थिरता ने निकट भविष्य में वैश्विक वृद्धि के कमजोर होने के बारे में चिंताएं बढ़ा दी हैं। बुलेटिन में लिखा गया, ‘‘हालांकि, वैश्विक आर्थिक परिदृश्य के कमजोर होने के साथ विदेशों से मांग में नरमी के कारण भारत की आर्थिक वृद्धि प्रभावित हो सकती है, लेकिन उपभोग और निवेश जैसे वृद्धि के घरेलू इंजन मजबूत बने हुए हैं और ये बाहरी प्रतिकूल परिस्थितियों से अपेक्षाकृत कम प्रभावित हैं।'' इस साल सामान्य से अधिक दक्षिण-पश्चिम मानसून के पूर्वानुमान से कृषि क्षेत्र की संभावनाओं को बढ़ावा मिला है। इससे कृषि आय में वृद्धि हो सकती है और खाद्य कीमतों को काबू में रखने में मदद मिल सकती है। बुलेटिन के अनुसार, भारत के विभिन्न देशों के साथ व्यापार संबंधों को देखते हुए यह आपूर्ति श्रृंखला को व्यवस्थित कर प्रत्यक्ष विदेशी निवेश के स्रोतों को विविध बनाकर और वैश्विक निवेशकों के साथ जुड़ाव से लाभान्वित होने को तैयार है। हालांकि, रिजर्व बैंक ने साफ कहा कि बुलेटिन में कही गयी बातें लेखकों की हैं और वे केंद्रीय बैंक के विचारों का प्रतिनिधित्व नहीं करती हैं।
- नयी दिल्ली। स्थानीय आभूषण विक्रेताओं और कारोबारियों की लिवाली से मंगलवार को राष्ट्रीय राजधानी में सोने की कीमत 1,800 रुपये की तेजी के साथ एक लाख रुपये प्रति 10 ग्राम के महत्वपूर्ण स्तर को पार कर गई। इस बीच, अक्षय तृतीया और शादी-विवाह के सीजन में मांग बढ़ने की उम्मीद के चलते कीमती धातु को समर्थन मिला। वैश्विक स्तर पर आर्थिक अनिश्चितताओं के कारण सुरक्षित निवेश की मांग बढ़ रही है, जिसके कारण सोने में लगातार तेजी बनी हुई है। अखिल भारतीय सर्राफा संघ के अनुसार, 99.9 प्रतिशत शुद्धता वाला सोना 1,800 रुपये चढ़कर 1,01,600 रुपये प्रति 10 ग्राम के सर्वकालिक उच्चस्तर पर पहुंच गया। सोना सोमवार को 99,800 रुपये प्रति 10 ग्राम पर बंद हुआ था। स्थानीय बाजार में मंगलवार को 99.5 प्रतिशत शुद्धता वाला सोना भी 2,800 रुपये की तेजी के साथ 1,02,100 रुपये प्रति 10 ग्राम के रिकॉर्ड स्तर पर पहुंच गया। इससे पिछले सत्र में सोना 99,300 रुपये प्रति 10 ग्राम पर बंद हुआ था। अक्षय तृतीया 30 अप्रैल को है, जिसे सोना खरीदने के लिए सबसे शुभ दिन माना जाता है। शादी का सीजन मई के अंत तक जारी रहेगा। दिसंबर, 2024 से सोना 22,650 रुपये प्रति 10 ग्राम या लगभग 29 प्रतिशत महंगा हुआ है। इस बीच, मंगलवार को चांदी की कीमतें 98,500 रुपये प्रति किलोग्राम पर स्थिर रहीं।कामा ज्वेलरी के प्रबंध निदेशक (एमडी) कॉलिन शाह ने कहा, “सोने की यह कीमत मुख्य रूप से (अमेरिका के) राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप और अमेरिकी फेडरल रिजर्व के प्रमुख जेरोम पावेल के बीच ब्याज दर में कटौती के संबंध में बढ़ते तनाव से प्रभावित है।” उन्होंने कहा, “इसके अलावा, ट्रंप और पावेल के बीच तनाव के बाद अमेरिकी डॉलर में कमजोरी, और अमेरिका-चीन व्यापार युद्ध को लेकर अनिश्चितताएं अन्य महत्वपूर्ण कारक हैं जिन्होंने सोने की कीमत को रिकॉर्ड ऊंचाई पर पहुंचा दिया है।” शाह ने कहा कि सोने की कीमत में वृद्धि हो रही है, लेकिन अमेरिकी डॉलर में गिरावट से अन्य मुद्राओं में सोना सस्ता हो जाएगा, जिससे मांग-कीमत का संतुलन बना रहेगा। कॉमेक्स सोना वायदा 83.76 डॉलर या 2.44 प्रतिशत बढ़कर पहली बार 3,500 डॉलर प्रति औंस के मनोवैज्ञानिक स्तर को पार कर गया।
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नई दिल्ली। सोने ने मंगलवार को नया रिकॉर्ड बनाया और पहली बार इसकी कीमत 1 लाख रुपये प्रति 10 ग्राम हो गई है। इंडिया बुलियन एंड ज्वेलर्स एसोसिएशन (आईबीजेए) के मुताबिक, 24 कैरेट सोने की कीमत बढ़कर 1 लाख रुपये प्रति 10 ग्राम हो गई है। इससे पहले 24 कैरेट के 10 ग्राम सोने का भाव 96,670 रुपये था, जो दिखाता है कि बीते 24 घंटे में सोने की कीमत में 3,300 रुपये प्रति 10 ग्राम का इजाफा हुआ है।
वायदा बाजार में भी सोने की कीमतों में तेजी बनी हुई है22 कैरेट सोने की कीमत बढ़कर 97,600 रुपये प्रति 10 ग्राम, 20 कैरेट सोने का भाव बढ़कर 89,000 रुपये प्रति 10 ग्राम और 18 कैरेट सोने की कीमत बढ़कर 81,000 रुपये प्रति 10 ग्राम हो गई है। हाजिर के साथ वायदा बाजार में भी सोने की कीमतों में तेजी बनी हुई है। मल्टी कमोडिटी एक्सचेंज (एमसीएक्स) पर सोने के 5 जून 2025 के कॉन्ट्रैक्ट्स 1.76 प्रतिशत की बढ़त के साथ 98,991 रुपये प्रति 10 ग्राम पर थे।सोने की कीमतों में बढ़ोतरी की वजह फेड रेट कट को लेकर अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप और फेडरल चेयरमैन जेरोम पॉवेल के बीच मतभेद होना बताया जा रहा हैसोने की कीमतों में बढ़ोतरी की वजह फेड रेट कट को लेकर अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप और फेडरल चेयरमैन जेरोम पॉवेल के बीच मतभेद होना है। वहीं, अमेरिका-चीन के बीच ट्रेड वार और अमेरिकी डॉलर के कमजोर होने को माना जा रहा है। अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी सोने की कीमतों में तेजी बनी हुई है। सोने का भाव 3,480 डॉलर प्रति औंस पर बना हुआ है, जो सोने का अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अब तक का सबसे उच्चतम स्तर है।डॉलर में कमजोरी और यूएस-चीन व्यापार युद्ध के कारण अनिश्चितताएं अन्य महत्वपूर्ण कारण हैं जिन्होंने सोने की कीमत को रिकॉर्ड ऊंचाई पर पहुंचा दिया हैकामा ज्वेलरी के एमडी कॉलिन शाह ने कहा, “सोने की कीमतें ऑल-टाइम हाई पर होने की वजह अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रंप और यूएस फेड चेयर जेरोम पॉवेल के बीच फेड ब्याज दरों में कटौती को लेकर बढ़ता मतभेद है। इसके अतिरिक्त, डॉलर में कमजोरी और यूएस-चीन व्यापार युद्ध के कारण अनिश्चितताएं अन्य महत्वपूर्ण कारण हैं जिन्होंने सोने की कीमत को रिकॉर्ड ऊंचाई पर पहुंचा दिया है।”शाह ने आगे कहा, “सोने की कीमत ऊपर की ओर बढ़ रही है, डॉलर में गिरावट से अन्य करेंसी में सोना सस्ता हो जाएगा, जिससे मांग-कीमत में संतुलन बना रहेगा।, हमारा अनुमान है कि वित्त वर्ष 26 के दौरान अंतरराष्ट्रीय बाजार में सोने की कीमत 3,600 डॉलर प्रति औंस को पार कर जाएगी।” -
नई दिल्ली। देश के खादी और ग्रामोद्योग ने वित्तवर्ष 2024-25 में उत्पादन, बिक्री और नये रोजगार सृजन का नया रिकॉर्ड बनाया है। बीते 11 वर्षों में बिक्री में 447 प्रतिशत, उत्पादन में 347 प्रतिशत और रोजगार सृजन में 49.23 प्रतिशत की बढ़ोत्तरी हुई है। वहीं, वित्त वर्ष 2023-24 में वर्ष 2013-14 की तुलना में बिक्री में 399.69% और उत्पादन में 314.79% की वृद्धि दर्ज की गयी थी। केवीआईसी अध्यक्ष मनोज कुमार ने सोमवार को यह जानकारी दी है।
खादी और ग्रामोद्योग के अध्यक्ष मनोज कुमार ने कहा कि केवीआईसी के इस शानदार प्रदर्शन ने वर्ष 2047 तक ‘विकसित भारत’ के संकल्प को साकार करने और भारत को विश्व की तीसरी अर्थव्यवस्था बनाने की दिशा में बड़ा योगदान दिया है। उन्होंने इस ऐतिहासिक उपलब्धि का श्रेय पूज्य बापू की प्रेरणा, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की गारंटी, एमएसएमई मंत्रालय के मार्गदर्शन और देश के सुदूर गांवों में कार्यरत करोड़ों कारीगरों की अथक मेहनत को दिया है।उन्होंने बताया कि वित्त वर्ष 2013-14 में खादी और ग्रामोद्योग उत्पादों का उत्पादन जहां 26109.07 करोड़ रुपए था, वहीं वित्त वर्ष 2024-25 में यह करीब चार गुना बढ़कर 347 प्रतिशत के उछाल के साथ 116599.75 करोड़ रुपए पहुंच गया। जबकि वित्त वर्ष 2013-14 में बिक्री जहां 31154.19 करोड़ रुपए थी, वहीं करीब पांच गुना बढ़कर 447 प्रतिशत की अभूतपूर्व वृद्धि के साथ यह वित्त वर्ष 2024-25 में 170551.37 करोड़ रुपए पहुंच गई, जो कि अब तक की सर्वाधिक बिक्री है।पिछले 11 वर्षों में खादी कपड़ों के उत्पादन में भी अभूतपूर्व वृद्धि देखने को मिली है। वित्त वर्ष 2013-14 में जहां खादी कपड़ों का उत्पादन 811.08 करोड़ रुपये था वहीं, 366 प्रतिशत उछाल के साथ यह साढ़े चार गुना बढ़कर वित्त वर्ष 2024-25 में यह 3783.36 करोड़ रुपए के आंकड़े तक पहुंच गया, जो कि अब तक का सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन है।आपको बता दें, खादी कपड़ों की बिक्री में भी जबरदस्त उछाल आया है। वित्त वर्ष 2013-14 में जहां इसकी बिक्री सिर्फ 1081.04 करोड़ रुपए थी, वहीं वित्त वर्ष 2024-25 में 561 प्रतिशत वृद्धि के साथ यह करीब साढ़े छह गुना बढ़कर 7145.61 करोड़ रुपये पहुंच गई। प्रधानमंत्री मोदी द्वारा बड़े मंच से खादी का प्रचार करने का व्यापक असर खादी के कपड़ों की बिक्री पर पड़ा है।यहीं नहीं, रोजगार के क्षेत्र में भी केवीआईसी ने पिछले 11 वर्षों में रिकॉर्ड कायम किया है। वित्त वर्ष 2013-14 में जहां संचयी रोजगार (Cumulative Employment) 1.30 करोड़ था, वहीं यह 2024-25 में 49.23 प्रतिशत वृद्धि के साथ 1.94 करोड़ तक पहुंच गया।खादी और ग्रामोद्योग भवन, नई दिल्ली के कारोबार में भी अभूतपूर्व वृद्धि हुई है। वित्त वर्ष 2013-14 में यहां का कारोबार जहां 51.02 करोड़ रुपए था, वहीं यह करीब दो गुना बढ़कर 115 प्रतिशत के उछाल के साथ वित्त वर्ष 2024-25 में 110.01 करोड़ रुपए तक पहुंच गया।प्रधानमंत्री रोजगार सृजन कार्यक्रम (पीएमईजीपी) योजना जब से शुरू हुई तब से लेकर अभी तक कुल 1018185 इकाइयों की स्थापना की गयी है, जिसके लिए भारत सरकार ने 73348.39 करोड़ रुपये ऋण के एवज में 27166.07 करोड़ रुपये की मार्जिन मनी सब्सिडी का वितरण किया है। पीएमईजीपी के माध्यम से अभी तक 90,04,541 लोगों को रोजगार मिल रहा है।ग्रामोद्योग विकास योजना के अंतर्गत ग्रामीण क्षेत्र में अधिक से अधिक लोगों को रोजगार देने के उद्देश्य केवीआईसी ने वित्तवर्ष 2021-22 के 25.65 करोड़ रुपए के बजट में 134 प्रतिशत की बढ़ोतरी के साथ इसे दो गुना से अधिक करते हुए वित्त वर्ष 2025-26 में 60 करोड़ रुपए कर दिया है।महिला सशक्तिकरण की दिशा में भी केवीआईसी ने अहम योगदान दिया है। पिछले 10 वर्षों में केवीआईसी के 18 विभागीय और 17 गैर-विभागीय प्रशिक्षण केंद्रों के माध्यम से 7,43,904 प्रशिक्षुओं को प्रशिक्षण दिया गया है, जिसमें 57.45 प्रतिशत यानी 4,27,394 महिलाएं हैं। इसके अलावा 5 लाख खादी कारीगरों में भी 80 प्रतिशत महिलाओं की भागीदारी है। -
नई दिल्ली। भारतीय शेयर बाजार सोमवार के कारोबारी सत्र में तेजी के साथ बंद हुआ। बाजार में चौतरफा तेजी देखी गई। कारोबार के अंत में सेंसेक्स 855 अंक या 1.09 प्रतिशत की बढ़त के साथ 79,408.50 पर और निफ्टी 273 अंक या 1.15 प्रतिशत की तेजी के साथ 24,125 पर था।
बाजार की तेजी का नेतृत्व बैंकिंग शेयरों ने कियाबाजार की तेजी का नेतृत्व बैंकिंग शेयरों ने किया। निफ्टी बैंक 1,014 अंक या 1.87 प्रतिशत की तेजी के साथ 55,304 पर था। कारोबारी सत्र के दौरान बैंकिंग इंडेक्स ने 55,461.65 का नया ऑल-टाइम हाई बनाया। लार्जकैप के साथ मिडकैप और स्मॉलकैप में तेजी देखी गई। निफ्टी मिडकैप 100 इंडेक्स 1,316 अंक या 2.50 प्रतिशत की तेजी के साथ 53,974 और निफ्टी स्मॉलकैप 100 इंडेक्स 363 अंक या 2.12 प्रतिशत बढ़कर 16,773 पर बंद हुआ।एफएमसीजी को छोड़कर करीब सभी इंडेक्स हरे निशान में बंद हुएएफएमसीजी को छोड़कर करीब सभी इंडेक्स हरे निशान में बंद हुए। ऑटो, आईटी, पीएसयू बैंक, मेटल, रियल्टी, एनर्जी और प्राइवेट बैंक सबसे ज्यादा बढ़ने वाले इंडेक्स थे। सेंसेक्स पैक में टेक महिंद्रा, इंडसइंड बैंक, पावर ग्रिड, बजाज फिनसर्व, एमएंडएम, एचसीएल टेक, एक्सिस बैंक, एसबीआई, कोटक महिंद्रा बैंक, इन्फोसिस, टाटा स्टील, टाटा मोटर्स, बजाज फाइनेंस और एचडीएफसी बैंक टॉप गेनर्स थे। आईटीसी, एचयूएल, एशियन पेंट्स, नेस्ले और भारती एयरटेल टॉप लूजर्स थे। शेयर बाजार के साथ रुपये में भी खरीदारी देखने को मिली।सकारात्मक वैश्विक संकेतों के कारण शेयर बाजार हरे निशान में खुले थेयह लगातार पांचवा सत्र था, जब रुपया तेजी के साथ बंद हुआ। एचडीएफसी सिक्योरिटीज में सीनियर रिचर्स एनालिस्ट, दिलीप परमार ने कहा कि हाजिर बाजार में रुपये के लिए सपोर्ट स्तर 84.95 पर है, जबकि रुकावट का स्तर 85.40 पर है। रुपये में तेजी की वजह विदेशी निवेशकों द्वारा घरेलू बाजार में निवेश करना है और डॉलर का कमजोर होना है। सकारात्मक वैश्विक संकेतों के कारण शेयर बाजार हरे निशान में खुले थे। सुबह करीब 9.29 बजे सेंसेक्स 396.06 अंक या 0.50 प्रतिशत बढ़कर 78,949.26 पर कारोबार कर रहा था, जबकि निफ्टी 98.20 अंक या 0.41 प्रतिशत बढ़कर 23,949.85 पर था। ( -
नई दिल्ली। सकारात्मक वैश्विक संकेतों के बीच सोमवार को घरेलू बेंचमार्क हरे निशान में खुले। शुरुआती कारोबार में आईटी, पीएसयू बैंक और फाइनेंशियल सर्विस सेक्टर में खरीदारी देखी गई। सुबह करीब 9.29 बजे सेंसेक्स 396.06 अंक या 0.50 प्रतिशत बढ़कर 78,949.26 पर कारोबार कर रहा था, जबकि निफ्टी 98.20 अंक या 0.41 प्रतिशत बढ़कर 23,949.85 पर था।
सकारात्मक शुरुआत के बाद, निफ्टी को 23,700 पर समर्थन मिलने की संभावनानिफ्टी बैंक 862.25 अंक या 1.59 प्रतिशत बढ़कर 55,152.45 पर था। निफ्टी मिडकैप 100 इंडेक्स 233.50 अंक या 0.44 प्रतिशत बढ़कर 52,891.30 पर कारोबार कर रहा था। निफ्टी स्मॉलकैप 100 इंडेक्स 50.15 अंक या 0.31 प्रतिशत चढ़कर 16,460.35 पर था। बाजार पर नजर रखने वालों के अनुसार, सकारात्मक शुरुआत के बाद, निफ्टी को 23,700 पर समर्थन मिलने की संभावना है, उससे पहले 22,600 और 22,500 पर समर्थन मिल सकता है। ऊपर की ओर, 24,000 तत्काल प्रतिरोध हो सकता है, उसके बाद 24,200 और 24,500 स्तर पर प्रतिरोध हो सकता है।बड़े प्राइवेट बैंक बढ़त हासिल कर नए सर्वकालिक उच्च स्तर पर पहुंच गए हैंचॉइस ब्रोकिंग के मंदार भोजने ने कहा, “बैंक निफ्टी चार्ट 54,000 पर संभावित समर्थन का संकेत देते हैं, उसके पहले 53,700 और 53,500 पर समर्थन मिल सकता है। अगर सूचकांक ऊपर जाता है तो 54,500 पर प्रतिरोध हो सकता है, जिसके बाद 54,700 और 55,000 स्तर पर प्रतिरोध हो सकता है।” बाजार के जानकारों ने कहा कि बड़े प्राइवेट बैंक बढ़त हासिल कर नए सर्वकालिक उच्च स्तर पर पहुंच गए हैं। सप्ताह के अंत में बैंक के तिमाही नतीजे बाजार की उम्मीदों के अनुरूप रहे और बाजार को ऊपर ले जाने में मददगार रहे।एशियन पेंट्स, हिंदुस्तान यूनिलीवर लिमिटेड, टाइटन, सन फार्मा और अल्ट्राटेक सीमेंट टॉप लूजर्स रहेएचडीएफसी सिक्योरिटीज के प्राइम रिसर्च प्रमुख देवर्ष वकील ने कहा कि जैसे-जैसे अर्निंग सीजन आगे बढ़ेगा, बाजार प्रतिभागी कॉरपोरेट कमेंट पर नजर बनाए रखेंगे ताकि यह जांचा जा सके कि कंपनियां नई टैरिफ व्यवस्था को किस तरह अपनाती हैं और वे वे सप्लाई चेन और कस्टमर बेस को लेकर किस तरह की प्रतिक्रिया देती हैं। इस बीच, सेंसेक्स पैक में टेक महिंद्रा, इंफोसिस, एचसीएल टेक, एचडीएफसी बैंक, एक्सिस बैंक, आईसीआईसीआई बैंक टॉप गेनर्स रहे। जबकि, एशियन पेंट्स, हिंदुस्तान यूनिलीवर लिमिटेड, टाइटन, सन फार्मा और अल्ट्राटेक सीमेंट टॉप लूजर्स रहे।एशियाई बाजारों में चीन और बैंकॉक हरे निशान में कारोबार कर रहे थेअमेरिकी बाजारों में गुरुवार को आखिरी कारोबारी सत्र में डाउ जोंस 1.33 फीसदी की गिरावट के साथ 39,142.23 पर बंद हुआ। एसएंडपी 500 इंडेक्स 0.13 फीसदी बढ़कर 5,282.70 पर और नैस्डैक 0.13 फीसदी की गिरावट के साथ 16,286.45 पर बंद हुआ। एशियाई बाजारों में चीन और बैंकॉक हरे निशान में कारोबार कर रहे थे। जबकि जकार्ता, जापान और सोल लाल निशान में कारोबार कर रहे थे।विदेशी संस्थागत निवेशकों (एफआईआई) ने 17 अप्रैल को तीसरे दिन भी खरीदारी जारी रखी और 4,667.94 करोड़ रुपये के शेयर खरीदे। हालांकि, घरेलू संस्थागत निवेशकों (डीआईआई) ने तीसरे सत्र में भी बिकवाली जारी रखी और उसी दिन 2,006.15 करोड़ रुपये के शेयर बेचे। -
नई दिल्ली। भारत 2030 तक 300 मिलियन टन की स्टील उत्पादन क्षमता हासिल कर लेगा और साथ ही, इस दौरान प्रति व्यक्ति स्टील खपत बढ़कर 160 किलो हो जाएगी। यह जानकारी सरकार की ओर से दी गई। देश में वित्त वर्ष 25 की अप्रैल से दिसंबर तक की अवधि में 110.99 मिलियन टन कच्चे स्टील का उत्पादन हुआ था। वहीं, फिनिश्ड स्टील का उत्पादन 106.86 मिलियन टन रहा था।
स्पेशियलिटी स्टील उत्पादन में भारत की प्रतिस्पर्धा क्षमता बढ़ने की उम्मीदसरकार के द्वारा दी गई जानकारी के मुताबिक, स्पेशियलिटी स्टील के लिए लाई गई प्रोडक्शन-लिंक्ड इंसेंटिव (पीएलआई) स्कीम 1.1 के दूसरे राउंड में कंपनियों ने करीब 17,000 करोड़ रुपये का निवेश करने की प्रतिबद्धता जताई है। इससे स्पेशियलिटी स्टील उत्पादन में भारत की प्रतिस्पर्धा क्षमता बढ़ने की उम्मीद है।कंपनियों को नॉलेज एक्सचेंज के साथ इंटर-स्टेट और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर साझेदारी करने का मौका मिलेगादेश के स्टील सेक्टर की ग्रोथ को बढ़ाने के लिए अगले हफ्ते मुंबई में ‘इंडिया स्टील 2025’ इवेंट होने जा रहा है। इसमें कंपनियों को नॉलेज एक्सचेंज के साथ इंटर-स्टेट और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर साझेदारी करने का मौका मिलेगा। इस ग्लोबल स्टील इंडस्ट्री इवेंट को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 24 अप्रैल को वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए संबोधित करेंगे।कार्यक्रम में ग्लोबल इंडस्ट्री लीडर्स और वरिष्ठ विदेशी प्रतिनिधिमंडल मौजूद रहेगाइस कार्यक्रम में ग्लोबल इंडस्ट्री लीडर्स और वरिष्ठ विदेशी प्रतिनिधिमंडल मौजूद रहेगा, जिसमें रूस के डिप्टी इंडस्ट्री और ट्रेड मंत्री, ऑस्ट्रेलिया, मोजाम्बिक और मंगोलिया के राजदूत शामिल होंगे। 12,000 बिजनेस विजिटर्स, 250 एग्जीबिटर्स, 1,200 कॉन्फ्रेंस डेलीगेट्स के साथ यह इवेंट वैश्विक स्तर पर बड़े स्टील आयोजनों में से एक होगा, जिसमें विभिन्न क्षेत्रों, सरकारी विभागों, राज्य सरकारों, देश के प्रतिनिधिमंडलों और भारत एवं विदेश से घरेलू और अंतरराष्ट्रीय खरीदार शामिल होंगे।वैश्विक प्रतिस्पर्धा को बढ़ावा देने के लिए ज्वाइंट रिसर्च, टेक्नोलॉजी ट्रांसफर और सप्लाई चेन को मजबूत करने पर चर्चा की जाएगीमंत्रालय ने कहा कि देश-विशिष्ट सत्रों में दक्षिण कोरिया, स्वीडन, ऑस्ट्रेलिया और मंगोलिया सहित प्रमुख स्टील उत्पादक देश शामिल होंगे। इन चर्चाओं में भारत के स्टील उत्पादन को जोखिम मुक्त करने और वैश्विक प्रतिस्पर्धा को बढ़ावा देने के लिए ज्वाइंट रिसर्च, टेक्नोलॉजी ट्रांसफर और सप्लाई चेन को मजबूत करने पर चर्चा की जाएगी। -
नयी दिल्ली. तमिलनाडु के कलपक्कम में देश के पहले प्रोटोटाइप फास्ट-ब्रीडर रिएक्टर के अगले साल सितंबर तक तैयार हो जाने की उम्मीद है। अधिकारियों ने यह जानकारी दी। प्रोटोटाइप फास्ट ब्रीडर रिएक्टर (पीएफबीआर) का चालू होना भारत के तीन-चरण वाले परमाणु कार्यक्रम के दूसरे चरण को आगे बढ़ाएगा, जिसका उद्देश्य रेडियोधर्मी कचरे को कम करने के लिए ईंधन का पुनर्चक्रण करना है। कलपक्कम में विकसित किया जा रहा पीएफबीआर अपनी तरह का पहला परमाणु रिएक्टर है जो ईंधन के रूप में प्लूटोनियम-आधारित मिश्रित ऑक्साइड एवं शीतलक के रूप में तरल सोडियम का उपयोग करता है। देश में परमाणु ऊर्जा संयंत्रों का संचालन सार्वजनिक क्षेत्र की कंपनी भारतीय परमाणु ऊर्जा निगम लिमिटेड (एनपीसीआईएल) द्वारा किया जाता है, जबकि कलपक्कम में पीएफबीआर का विकास भारतीय नाभिकीय विद्युत निगम (भाविनी) द्वारा किया जा रहा है। परमाणु ऊर्जा विभाग के अधिकारियों ने हाल ही में विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी पर संसद की स्थायी समिति को बताया था कि भाविनी का 500 मेगावाट का पीएफबीआर एकीकृत संचालन शुरू किये जाने के अंतिम चरण में पहुंच गया है। उन्होंने समिति को बताया कि पीएफबीआर की पहली ‘क्रिटिकलिटी' (परमाणु रिएक्टर की वह स्थिति, जिसमें स्वत: परमाणु श्रृंखला अभिक्रिया होती है) मार्च में प्राप्त होने की उम्मीद है और संयंत्र सितंबर 2026 तक पूरा हो जाएगा। पिछले साल जुलाई में परमाणु ऊर्जा नियामक बोर्ड (एईआरबी) ने पीएफबीआर के लिए ईंधन भरने और कम-ऊर्जा वाले भौतिकी प्रयोग करने की अनुमति प्रदान की थी। पीएफबीआर भारत के परमाणु कार्यक्रम के लिए महत्वपूर्ण हैं, क्योंकि इन रिएक्टरों से प्राप्त ईंधन का उपयोग थोरियम आधारित रिएक्टरों को ऊर्जा देने के लिए किया जाएगा। सरकार ने परमाणु ऊर्जा मिशन की घोषणा की है जिसका लक्ष्य 100 गीगावाट परमाणु बिजली का उत्पादन करना है।