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- नई दिल्ली। केंद्रीय वित्त मंत्रालय ‘एक राज्य, एक ग्रामीण बैंक’ नीति के अंतर्गत क्षेत्रीय ग्रामीण बैंकों (RRB) को एकीकृत करने की योजना बना रहा है। इस कदम का उद्देश्य क्षेत्रीय ग्रामीण बैंकों की दक्षता में सुधार लाना और प्रायोजक सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों के बीच अनुचित प्रतिस्पर्धा को रोकना है।खबरों के अनुसार ‘एक राज्य, एक ग्रामीण बैंक नीति पर विचार किया जा रहा है और इस पर काम चल रहा है। इसका लक्ष्य क्षेत्रीय ग्रामीण बैंकों की संख्या को मौजूदा 43 से घटाकर करीब 30 करने की है।’ इसके परिणामस्वरूप प्रदर्शन के आधार पर एक राज्य के भीतर क्षेत्रीय ग्रामीण बैंकों का एक प्रायोजक बैंक में विलय किया जाएगा। इससे प्रत्येक राज्य में एक प्रायोजक बैंक होगा जो उस राज्य के अन्य ग्रामीण बैंकों की परिसंपत्तियों को अपने में मिलाएगा।क्षेत्रीय ग्रामीण बैंक क्षेत्रीय स्तर पर खोले जाते हैं और इनका मकसद ग्रामीण क्षेत्रों को वित्तीय सेवाएं मुहैया कराना होता है। इस तरह के बैंकों को आरआरबी अधिनियम, 1976 के तहत केंद्र सरकार, राज्य सरकार और प्रायोजक बैंकों की ओर से पूंजी प्रदान की जाती है।देश का सबसे बड़े ऋणदाता भारतीय स्टेट बैंक सर्वाधिक 14 क्षेत्रीय ग्रामीण बैंकों का प्रायोजक है। इसके बाद पंजाब नैशनल बैंक 9, केनरा बैंक 4, बैंक ऑफ बड़ौदा तथा इंडियन बैंक 3-3, सेंट्रल बैंक ऑफ इंडिया 2, यूको बैंक, जम्मू ऐंड कश्मीर बैंक, इंडियन ओवरसीज बैंक, यूनियन बैंक और बैंक ऑफ महाराष्ट्र 1-1 क्षेत्रीय ग्रामीण बैंक के प्रायोजक हैं।राज्यों की बात करें तो आंध्र प्रदेश, उत्तर प्रदेश, पश्चिम बंगाल में 3-3 आरआरबी हैं, जबकि बिहार, गुजरात, जम्मू और कश्मीर, कर्नाटक, मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र, ओडिशा, राजस्थान, तेलंगाना में 2-2 आरआरबी हैं। वित्त वर्ष 2024 में क्षेत्रीय ग्रामीण बैंकों ने अभी तक का सर्वाधिक 7,571 करोड़ रुपये का मुनाफा कमाया था और उनके सकल गैर-निष्पादित आस्तियों का अनुपात 6.1 फीसदी रहा, जो 10 साल में सबसे कम है।पिछले महीने केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण की अध्यक्षता में क्षेत्रीय ग्रामीण बैंकों के शीर्ष अधिकारियों की बैठक हुई थी। इसमें प्रायोजक बैंकों को व्यावसायिक प्रदर्शन में सुधार लाने, डिजिटल प्रौद्योगिकी सेवाओं को उन्नत बनाने और एमएसएमई क्लस्टरों में विकास को बढ़ावा देने पर ध्यान केंद्रित करने का निर्देश दिया गया था। आरआरबी से कहा गया था कि समय के साथ प्रासंगिक बने रहने के लिए वे अपनी प्रौद्योगिकी को अपडेट करें। वित्त मंत्री ने कहा कि मोबाइल बैंकिंग जैसी डिजिटल बैंकिंग सेवाएं चुनौतीपूर्ण यातायात संपर्क वाले क्षेत्रों, जैसे पूर्वोत्तर के राज्यों और पहाड़ी क्षेत्रों के लिए विशेष रूप से फायदेमंद होंगी।
- मुंबई. भारतीय रिजर्व बैंक के गवर्नर शक्तिकान्त दास ने बृहस्पतिवार को कहा कि उन्हें उम्मीद है कि मौद्रिक नीति समिति (एमपीसी) के नए बाहरी सदस्यों की नियुक्ति समय पर हो जाएगी। यहां वार्षिक ‘फिबैक' कार्यक्रम के मौके पर संवाददाताओं से दास ने कहा कि एमपीसी की बैठक सात अक्टूबर से शुरू हो रही है। यह तभी हो सकती है जब सभी सदस्य मौजूद होंगे। उन्होंने कहा, “नए सदस्यों की नियुक्ति तो होनी ही चाहिए तभी हम बैठक कर सकते हैं। ऐसा होना चाहिए। हमें उम्मीद है कि नए सदस्य समय पर नियुक्त हो जाएंगे।” तीन बाहरी सदस्यों - आशिमा गोयल, जयंत वर्मा और शशांक भिड़े का चार साल का कार्यकाल चार अक्टूबर को समाप्त हो रहा है। समिति में नियुक्तियां सरकार द्वारा की जाती हैं। एमपीसी की अध्यक्षता आरबीआई के गवर्नर करते हैं और इसमें छह सदस्य होते हैं। इसमें गवर्नर समेत रिजर्व बैंक के तीन प्रतिनिधि होते हैं, जबकि अन्य तीन बाहरी सदस्य होते हैं। प्रस्ताव को सार्वजनिक किए जाने से पहले सदस्य दर निर्धारण पर मतदान करते हैं और बराबरी की स्थिति में गवर्नर के पास निर्णायक मत होता है। दर निर्धारण समिति में हाल ही में कुछ असहमति देखी गई है, जिसमें गोयल ने ब्याज दरों में कटौती के पक्ष में वर्मा का साथ दिया है, जबकि अन्य चार ने लगातार मुद्रास्फीति को नियंत्रित करने का पक्ष लिया है। इससे लगातार नौ एमपीसी बैठकों में केंद्रीय बैंक ने ब्याज दर के मोर्चे पर यथास्थिति कायम रखी है। असहमत एमपीसी सदस्यों के अनुसार, ब्याज दरों में कटौती में देरी से सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) वृद्धि दर में कमी आ सकती है।
- मुंबई. बैंकों में घटते जमा स्तर को लेकर जताई जा रही चिंताओं के बीच भारतीय बैंक संघ (आईबीए) ने बृहस्पतिवार को कहा कि आसान नियमों के कारण खुदरा जमा बैंकों से म्यूचुअल फंड योजनाओं में जा रही है। आईबीए के चेयरमैन एम वी राव ने यहां आयोजित सालाना फिबैक सम्मेलन में कहा कि म्यूचुअल फंड कंपनियों के लिए आसान नियमों की वजह से निवेशकों को अधिक रिटर्न दे पाना आसान होता है। हालांकि, कोटक म्यूचुअल फंड के प्रबंध निदेशक एवं मुख्य कार्यपालक अधिकारी (सीईओ) नीलेश शाह ने इस दावे को समझ पाने में असमर्थता जताई कि बैंकों की धीमी जमा वृद्धि का दोष म्यूचुअल फंड कंपनियों पर किस तरह डाला जा सकता है। दरअसल, एक साल से अधिक समय से बैंकिंग प्रणाली में कम जमा वृद्धि देखी जा रही है। ऐसे में ऋण मांग को बनाए रखने की इसकी क्षमता पर चिंता जताई जा रही है। आरबीआई गवर्नर शक्तिकान्त दास सहित उद्योग का मानना है कि बचतकर्ता अपना पैसा उच्च प्रतिफल वाले म्यूचुअल फंड (एमएफ) में लगाना पसंद करते हैं और म्यूचुअल फंड योजनाओं का प्रबंधन करने वाली कंपनियों के मासिक प्रवाह में वृद्धि से इसकी पुष्टि भी होती है। सेंट्रल बैंक ऑफ इंडिया के प्रमुख राव ने कहा कि बैंकों के लिए कोष का निवेश विनियमों से तय होता है जबकि एमएफ कंपनियों पर ऐसे प्रतिबंध नहीं हैं। उन्होंने कहा कि एमएफ कंपनियों को कोई अंतिम उपयोग सत्यापन का सामना नहीं करना पड़ता है और बैंक ग्राहकों को अपना फंड उनके पास रखने का ‘निर्देश' नहीं दे सकते हैं। राव ने यह भी कहा कि 99 प्रतिशत म्यूचुल फंड निवेशक कोई शोध नहीं करते हैं और अपने दांव लगाने के लिए एक समूह के रूप में कार्य करते हैं, जिसके जोखिम भरे नतीजे सामने आ सकते हैं। इसके उलट प्रधानमंत्री की आर्थिक सलाहकार परिषद के सदस्य शाह ने धीमी जमा वृद्धि के लिए सरकारी शेष राशि को बैंकिंग प्रणाली से बाहर ले जाने, छोटी बचत योजनाओं की मौजूदगी और मुद्रा वितरण को बैंकों के विशेष अधिकार में रखने जैसे कारकों की ओर इशारा किया। शाह ने अमेरिका और अन्य बाजारों के अनुभव भी साझा किए, ताकि यह स्पष्ट किया जा सके कि दुनिया की सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था में जमा वृद्धि सुस्त पड़ने के ऐसे आरोप नहीं लगाए जाते हैं। हालांकि, शाह ने कहा कि उन्होंने मुख्य आर्थिक सलाहकार वी अनंत नागेश्वरन से यह सुनिश्चित करने को कहा है कि सरकारी शेष राशि बैंकों में जमा हो जिससे सरकार को सालाना 12,000 करोड़ रुपये तक का ब्याज भी मिलेगा।
- नयी दिल्ली. केंद्रीय सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्री नितिन गडकरी ने इलेक्ट्रिक वाहन (ईवी) विनिर्माताओं को सब्सिडी जारी रखने की जरूरत से इनकार करते हुए बृहस्पतिवार को कहा कि अब लोग खुद ही ईवी या सीएनजी वाहनों को लेना पसंद कर रहे हैं। गडकरी ने बीएनईएफ सम्मेलन को संबोधित करते हुए कहा कि पहले इलेक्ट्रिक वाहनों के विनिर्माण की लागत बहुत अधिक थी लेकिन अब मांग बढ़ चुकी है और इसकी उत्पादन लागत भी घट गई है। ऐसी स्थिति में ईवी विनिर्माताओं को सब्सिडी देने की जरूरत नहीं रह गई है। उन्होंने कहा, ‘‘उपभोक्ता अब अपनी पसंद से ईवी और सीएनजी वाहनों को खरीदने लगे हैं। मुझे नहीं लगता है कि हमें अब इलेक्ट्रिक वाहनों के लिए अधिक सब्सिडी देने की जरूरत रह गई है। सब्सिडी की मांग अब उचित नहीं रही।'' उन्होंने कहा कि इलेक्ट्रिक वाहनों पर लगने वाला माल एवं सेवा कर (जीएसटी) पेट्रोल और डीजल वाहनों की तुलना में कम है। फिलहाल हाइब्रिड एवं पेट्रोल-डीजल इंजन वाले वाहनों पर 28 प्रतिशत जीएसटी लगता है जबकि इलेक्ट्रिक वाहनों पर सिर्फ पांच प्रतिशत जीएसटी लगता है। उन्होंने कहा, ‘‘मेरे विचार से इलेक्ट्रिक वाहनों के निर्माण को अब सरकार द्वारा सब्सिडी दिए जाने की जरूरत नहीं है। सब्सिडी की मांग अब उचित नहीं रह गई है।'' हालांकि, उन्होंने ईवी को प्रोत्साहन देने के लिए पेट्रोल एवं डीजल वाहनों पर अतिरिक्त कर लगाने की संभावना को नकार दिया। उन्होंने कहा कि पेट्रोल और डीजल की जगह वैकल्पिक ईंधन की तरफ रुख करना एक क्रमिक प्रक्रिया होगी। उन्होंने कहा कि ईवी में इस्तेमाल होने वाली लिथियम-ऑयन बैटरी की लागत में आगे चलकर और कमी आने से इलेक्ट्रिक वाहनों की कीमतें घटेंगी। गडकरी ने कहा, ‘‘दो साल के भीतर डीजल, पेट्रोल और इलेक्ट्रिक वाहनों की लागत बराबर हो जाएगी। शुरुआती दौर में ईवी की लागत बहुत अधिक होती थी लिहाजा हमें ईवी विनिर्माताओं को सब्सि़डी देना जरूरी था।'' जब उनसे फेम योजना की अवधि बढ़ाने के बारे में पूछा गया तो उन्होंने कहा, ‘‘फेम योजना के तहत सब्सिडी एक बढ़िया बात है। हालांकि, यह मसला मेरे मंत्रालय से संबंधित नहीं है।'' भारी उद्योग मंत्री एच डी कुमारस्वामी ने एक दिन पहले कहा था कि सरकार को अपनी इलेक्ट्रिक परिवहन क्रियान्वयन योजना ‘फेम' के तीसरे चरण को एक-दो महीने में अंतिम रूप देने की उम्मीद है। फेम-3 योजना अस्थायी इलेक्ट्रिक परिवहन प्रोत्साहन योजना, 2024 की जगह लेगी जो इसी महीने खत्म होने वाली है। फेम योजना का दूसरा चरण 2019 में तीन वर्षों के लिए 10,000 करोड़ रुपये के शुरुआती परिव्यय के साथ शुरू किया गया था। बाद में इसे 1,500 करोड़ रुपये के अतिरिक्त परिव्यय के साथ मार्च, 2024 तक बढ़ा दिया गया था। इस योजना का प्रारंभिक लक्ष्य 10 लाख इलेक्ट्रिक दोपहिया, पांच लाख इलेक्ट्रिक तिपहिया, 55,000 यात्री कारों और 7,000 इलेक्ट्रिक बसों को समर्थन देना था।
- नयी दिल्ली। सरकार ने बुधवार को कहा कि रिलायंस इंडस्ट्रीज लिमिटेड को एसीसी बैटरी भंडारण के लिए 3,620 करोड़ रुपये की उत्पादन से जुड़ी प्रोत्साहन (पीएलआई) योजना के तहत 10 गीगावाट घंटा की बैटरी विनिर्माण इकाई लगाने की मंजूरी दी गई है। भारी उद्योग मंत्रालय को उन्नत रसायन सेल (एसीसी) विनिर्माण की पीएलआई योजना के लिए जारी वैश्विक निविदा के तहत सात बोलियां मिली थीं। इसमें 10 गीगावाट घंटे की एसीसी बैटरी भंडारण इकाई के लिए 3,620 करोड़ रुपये का अधिकतम बजट रखा गया था। इस निविदा में बोलियां लगाने वाली कंपनियों की सूची में एसीएमई क्लीनटेक सॉल्यूशंस प्राइवेट लिमिटेड, अमारा राजा एडवांस्ड सेल टेक्नोलॉजीज प्राइवेट लिमिटेड, अन्वी पावर इंडस्ट्रीज प्राइवेट लिमिटेड, जेएसडब्ल्यू नियो एनर्जी लिमिटेड, लुकास टीवीएस लिमिटेड, रिलायंस इंडस्ट्रीज लिमिटेड और वारी एनर्जीज लिमिटेड शामिल थीं। मंत्रालय ने सभी सात बोलियों का मूल्यांकन करने के बाद वित्तीय आकलन के लिए छह कंपनियों को चुना था।मंत्रालय ने एक आधिकारिक बयान में कहा, ‘‘रिलायंस इंडस्ट्रीज लिमिटेड को गुणवत्ता एवं लागत आधारित चयन प्रणाली (क्यूसीबीएस) के आधार पर पीएलआई योजना के तहत 10 गीगावाट घंटे एसीसी क्षमता के लिए चुना गया है।'' मंत्रालय ने कहा कि इस इकाई की स्थापना के लिए बोलीदाता यानी रिलायंस इंडस्ट्रीज लिमिटेड का चयन अधिकतम कुल स्कोर के आधार पर किया गया है। केंद्रीय मंत्रिमंडल ने मई, 2021 में पीएलआई योजना के तहत ‘उन्नत रसायन सेल (एसीसी) बैटरी भंडारण पर राष्ट्रीय कार्यक्रम' पर 18,100 करोड़ रुपये के परिव्यय के साथ 50 गीगावाट घंटा की विनिर्माण क्षमता हासिल करने का लक्ष्य घोषित किया था।
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नयी दिल्ली. भारत के सेवा क्षेत्र की वृद्धि अगस्त में जुलाई की तुलना में बढ़ी। इसमें मार्च के बाद से सबसे तेज विस्तार देखा गया। एक मासिक सर्वेक्षण में यह जानकारी दी गई है। मौसमी रूप से समायोजित एचएसबीसी इंडिया भारत सेवा पीएमआई कारोबारी गतिविधि सूचकांक जुलाई में 60.3 से बढ़कर अगस्त में 60.9 हो गया। यह मार्च के बाद सबसे तेज विस्तार है। इसे काफी हद तक उत्पादकता लाभ और सकारात्मक मांग के रुझान से समर्थन मिला। खरीद प्रबंधक सूचकांक (पीएमआई) की भाषा में 50 से ऊपर अंक का मतलब गतिविधियों में विस्तार से और 50 से कम अंक का आशय संकुचन से होता है। एचएसबीसी के मुख्य अर्थशास्त्री (भारत) प्रांजुल भंडारी ने कहा, ‘‘ भारत के लिए समग्र पीएमआई में अगस्त में मजबूत वृद्धि रही जो सेवा क्षेत्र में त्वरित व्यावसायिक गतिविधि से प्रेरित है। इसमें मार्च के बाद से सबसे तेज विस्तार हुआ। यह वृद्धि मुख्य रूप से नए ठेकों खासकर घरेलू ठेकों में वृद्धि से प्रेरित रही।'' कीमतों की बात करें तो कच्चे माल की लागत में छह महीने में सबसे कम वृद्धि हुई, विनिर्माण तथा सेवा दोनों क्षेत्रों में भी यही रुख देखने को मिला। इससे अगस्त में ‘आउटपुट' मूल्य मुद्रास्फीति में कमी आई। सर्वेक्षण में कहा गया, ‘‘ भारत की सेवा अर्थव्यवस्था में शुल्क मुद्रास्फीति की समग्र दर मध्यम रही। जुलाई में देखी गई वृद्धि की तुलना में भी यह वृद्धि धीमी रही।'' वहीं रोजगार का स्तर मजबूत बना रहा, हालांकि जुलाई की तुलना में नियुक्ति की गति मामूली धीमी रही।
इस बीच, एचएसबीसी इंडिया कंपोजिट पीएमआई आउटपुट इंडेक्स जुलाई की तरह ही अगस्त में भी 60.7 रहा।
अगस्त के सर्वेक्षण के आंकड़ों से यह भी पता चला कि भारतीय वस्तुओं तथा सेवाओं के लिए दाम जुलाई की तुलना में कम बढ़े। विनिर्माण कंपनियों तथा उनकी सेवा समकक्षों दोनों ने अगस्त में लागत दबाव में कमी देखी। सर्वेक्षण में कहा गया कि मुद्रास्फीति की कुल दर छह महीने के निचले स्तर पर आ गई है। - नयी दिल्ली. मारुति सुजुकी इंडिया ने मंगलवार को कहा कि उसने विभिन्न राज्यों में बाढ़ राहत के लिए ‘पीएम केयर्स फंड' में तीन करोड़ रुपये का योगदान किया है। मारुति ने बयान में कहा कि कंपनी के योगदान का मकसद देशभर में सरकार के राहत और पुनर्निर्माण प्रयासों का समर्थन करना है। मारुति सुजुकी इंडिया के प्रबंध निदेशक और मुख्य कार्यपालक अधिकारी (सीईओ) हिसाशी ताकेउची ने कहा, ‘‘हम हाल की प्राकृतिक आपदाओं से पीड़ित व्यक्तियों और परिवारों के साथ एकजुटता से खड़े हैं। संकट के समय में साथ मिलकर पुनर्निर्माण करना सामूहिक जिम्मेदारी है।'' उन्होंने कहा कि यह योगदान प्रभावित समुदायों के लिए सरकार के राहत और पुनर्वास प्रयासों का समर्थन करने के लिए एक विनम्र पहल है।
- नयी दिल्ली. जीएसटी नेटवर्क एक अक्टूबर से बिल प्रबंधन प्रणाली (आईएमएस) की शुरुआत करेगा। इसकी मदद से करदाता सही इनपुट टैक्स क्रेडिट (आईटीसी) का लाभ उठाने के लिए आपूर्तिकर्ताओं की तरफ से जारी रिकॉर्ड/ बिलों का मिलान कर पाएंगे। जीएसटी नेटवर्क ने माल एवं सेवा कर (जीएसटी) भुगतानकर्ताओं को जारी किए गए परामर्श में कहा कि करदाताओं को पोर्टल के माध्यम से अपने आपूर्तिकर्ताओं के साथ बिलों में सुधार/ संशोधनों के कुशल प्रबंधन के लिए आईएमएस नाम की नई संचार सुविधा शुरू की जा रही है। जीएसटी रिटर्न दाखिल करने और कर देनदारियों के भुगतान मंच के तौर पर जीएसटी नेटवर्क (जीएसटीएन) का इस्तेमाल किया जाता है। जीएसटीएन ने कहा, ‘‘आईएमएस सुविधा से करदाताओं को सही आईटीसी का लाभ उठाने के लिए अपने आपूर्तिकर्ताओं द्वारा जारी किए गए रिकॉर्ड/ बिल का मिलान करने में भी सुविधा होगी।'' आईएमएस करदाताओं को चालान को स्वीकार या अस्वीकार करने या इसे प्रणाली में लंबित रखने की अनुमति देगा, जिसका लाभ बाद में उठाया जा सकता है। यह सुविधा करदाताओं को एक अक्टूबर से जीएसटी पोर्टल पर उपलब्ध होगी।परामर्श फर्म मूर सिंघी के कार्यकारी निदेशक रजत मोहन ने कहा कि सभी चालान पर की गई सभी कार्रवाइयों का विस्तृत रिकॉर्ड रखने से आईएमएस जीएसटी ऑडिट के लिहाज से एक मजबूत आधार तैयार करता है। यह सुविधा कर अधिकारियों को आईटीसी दावों के प्रबंधन में प्राप्तकर्ता की उचित सावधानी का स्पष्ट सबूत देती है।
- नयी दिल्ली. वैश्विक कृषि कंपनी सिंजेन्टा भारत को दुनियाभर में अपने सबसे महत्वपूर्ण बाजारों में से एक मानती है, जहां भारतीय किसानों के लिए नवाचार लाने और खाद्य सुरक्षा बढ़ाने पर विशेष ध्यान दिया जा रहा है। कंपनी के मुख्य कार्यपालक अधिकारी (सीईओ) जेफ रोव ने यह जानकारी दी। रोव ने भारतीय बाजार में अद्वितीय चुनौतियों और अवसरों पर प्रकाश डाला। उन्होंने कहा, ‘‘बाजार का तेजी से विकास करना, एक चुनौती और अवसर दोनों है। हालांकि, इसमें कुछ बाधाएं हैं, लेकिन अवसर चुनौतियों से कहीं अधिक हैं।'' सिंजेन्टा की पेशकश भारतीय किसानों की विशिष्ट जरूरतों को पूरा करने के लिए तैयार की गई है।उन्होंने कहा, ‘‘हमारे पास कुछ बेहतरीन नए उत्पाद हैं जिन्हें हम बाजार में ला रहे हैं। 100 से अधिक देशों में काम करने वाली एक वैश्विक कंपनी के रूप में, हम अपने नवाचारों को भारत में जल्दी लाने को प्राथमिकता देते हैं।'' भारत में कंपनी की विस्तार योजनाएं अधिक टिकाऊ, प्रभावी और लाभदायक खेती के लिए नई उत्पादन पद्धतियों को पेश करने पर केंद्रित हैं। रोव ने भारत भर में संभावनाएं देखीं, लेकिन देश के अन्न भंडार के रूप में उत्तरी क्षेत्र के महत्व को भी रेखांकित किया। सिंजेन्टा फसल सुरक्षा, जैविक उत्पादों और सब्जी बीज किस्मों में नई तकनीकें शुरू करने की योजना बना रही है। रोव ने कहा कि नवाचार रणनीति का केंद्र है। उन्होंने आगे कहा, ‘‘हम वैश्विक स्तर पर कृषि में नवाचार की महाशक्ति बनना चाहते हैं।'' भारत में ड्रोन कंपनियों के साथ सहयोग सहित हाल की साझेदारियों का उद्देश्य किसानों तक सटीक प्रौद्योगिकी पहुंचाना है। रोव ने कहा, ‘‘यह भारतीय किसानों के लिए टिकाऊ तकनीकें पेश करने का एक बेहतरीन उदाहरण है।
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नयी दिल्ली. देश में चालू वित्त वर्ष की पहली तिमाही (अप्रैल-जून) में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआई) 47.8 प्रतिशत बढ़कर 16.17 अरब डॉलर रहा। सेवा, कंप्यूटर, दूरसंचार और औषधि क्षेत्रों में बेहतर पूंजी प्रवाह से एफडीआई बढ़ा है। सरकारी आंकड़ों के अनुसार, इससे पिछले वित्त वर्ष 2023-24 में अप्रैल-जून के दौरान एफडीआई प्रवाह 10.94 अरब डॉलर था। आंकड़ों के अनुसार, मई में विदेशी निवेश बढ़कर 5.85 अरब डॉलर और जून में 5.41 अरब डॉलर हो गया, जो एक साल पहले इसी अवधि में क्रमशः 2.67 अरब डॉलर और 3.16 अरब डॉलर था। एफडीआई प्रवाह अप्रैल में मामूली गिरावट के साथ 4.91 अरब डॉलर रहा जो एक साल पहले इसी महीने में 5.1 अरब डॉलर था। उद्योग और आंतरिक व्यापार संवर्धन विभाग (डीपीआईआईटी) के आंकड़ों के अनुसार, कुल एफडीआई प्रवाह चालू वित्त वर्ष की पहली तिमाही में 28 प्रतिशत बढ़कर 22.49 अरब डॉलर रहा, जो बीते वित्त वर्ष 2023-24 में अप्रैल-जून में 17.56 अरब डॉलर था। कुल एफडीआई प्रवाह में इक्विटी प्रवाह, पुनर्निवेश आय और अन्य पूंजी शामिल है। इस अवधि के दौरान, मॉरीशस, सिंगापुर, अमेरिका, नीदरलैंड, संयुक्त अरब अमीरात, केमैन द्वीप और साइप्रस सहित प्रमुख देशों से एफडीआई इक्विटी प्रवाह बढ़ा। हालांकि, जापान, ब्रिटेन और जर्मनी से एफडीआई में कमी आई।
क्षेत्रवार देखा जाए तो सेवा, कंप्यूटर सॉफ्टवेयर और हार्डवेयर, दूरसंचार, औषधि और रसायन क्षेत्र में पूंजी प्रवाह बढ़ा। आंकड़ों के अनुसार, पिछले वित्त वर्ष की पहली तिमाही के दौरान महाराष्ट्र को सबसे अधिक 8.48 अरब डॉलर का पूंजी निवेश प्राप्त हुआ। इसके बाद कर्नाटक (2.28 अरब डॉलर), तेलंगाना (1.08 अरब डॉलर) और गुजरात (1.02 अरब डॉलर) का स्थान रहा। दिल्ली और राजस्थान में पिछले साल की तुलना में एफडीआई में गिरावट आई है। -
नयी दिल्ली. श्रम और रोजगार मंत्रालय ने मंगलवार को कहा कि उसने आर्थिक रूप से कमजोर श्रमिकों को प्रधानमंत्री आवास योजना (पीएमएवाई) का लाभ देने की प्रक्रिया शुरू कर दी है। मंत्रालय ने बयान में कहा कि उसने राज्य सरकारों से प्रवासी श्रमिकों, भवन निर्माण मजदूरों, बीड़ी श्रमिकों, सिनेमा श्रमिकों, गैर-कोयला खदान श्रमिकों, ठेका मजदूरों और अन्य असंगठित श्रमिकों को पीएमएवाई के तहत शामिल करने को कहा है। यह निर्णय पीएमएवाई के कार्यान्वयन को वित्त वर्ष 2024-25 से वित्त वर्ष 2028-29 तक बढ़ाने के प्रस्ताव पर केंद्रीय मंत्रिमंडल की मंजूरी के बाद लिया गया है। इसके जरिये पात्र लाभार्थियों को दो करोड़ अतिरिक्त घर उपलब्ध कराने का लक्ष्य रखा गया है। इस पहल में आर्थिक रूप से कमजोर श्रमिकों को घर की जरूरत पूरी करने पर जोर दिया गया है।
श्रम मंत्रालय के मुताबिक, ये श्रमिक समाज के वंचित वर्ग का प्रतिनिधित्व करते हैं और पीएम आवास योजना के दायरे में उन्हें लाना सामाजिक न्याय का मामला होने के साथ उनके जीवनस्तर को बेहतर बनाने की दिशा में एक जरूरी कदम भी है। मंत्रालय ने कहा कि निर्माण और प्रवासी श्रमिकों के लिए 21 अगस्त, 2024 को शुरू किया गया प्रबंधन सूचना प्रणाली (एमआईएस) पोर्टल अब पूरी तरह से चालू हो गया है। इस पोर्टल को आंकड़ों के संग्रह और विश्लेषण की सुविधा के लिए बनाया गया है। इसमें बीमा, स्वास्थ्य लाभ और आवास योजनाओं जैसी विभिन्न केंद्रीय एवं राज्य सामाजिक सुरक्षा योजनाओं के तहत कोष के उपयोग और श्रमिकों के कवरेज की जानकारी शामिल है। केंद्रीकृत डेटा प्रबंधन प्रणाली राज्य सरकारों और केंद्रशासित प्रदेशों को सटीक निर्णय लेने और इन वंचित श्रमिकों की जरूरतों के अनुरूप अधिक प्रभावी कल्याणकारी नीतियां विकसित करने में सक्षम बनाएगी। मंत्रालय ने विभिन्न राज्यों में तैनात कल्याण आयुक्तों को इन पहल के सफल कार्यान्वयन को सुनिश्चित करने के लिए स्थानीय अधिकारियों के साथ मिलकर काम करने का निर्देश दिया है। इस बीच, रोजगार से जुड़ी प्रोत्साहन योजना पर हितधारक परामर्श की कड़ी के तहत केंद्रीय श्रम और रोजगार मंत्री मनसुख मांडविया ने मंगलवार को राजधानी में नियोक्ता संगठनों के प्रतिनिधियों के साथ एक बैठक की अध्यक्षता की। मांडविया ने कहा कि रोजगार से जुड़ी प्रोत्साहन (ईएलआई) योजना अधिक समृद्ध और समावेशी भारत बनाने के साझा लक्ष्य की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है। मंडाविया ने कहा, ‘‘हम एक ऐसी योजना तैयार करने के लिए हितधारकों के साथ मिलकर काम करने के लिए प्रतिबद्ध हैं जो मजबूत, समावेशी और अर्थव्यवस्था की जरूरतों के अनुरूप हो। -
नई दिल्ली। शेयर बाजार में रिकॉर्ड उछाल का सिलसिला लगातार जारी है। NSE का बेंचमार्क इंडेक्स निफ्टी-50 आज लगातार 13वें दिन बढ़त पर बंद हुआ तो वहीं S&P BSE सेंसेक्स भी लगातार 10वें दिन रिकॉर्ड बनाने में कामयाब रहा। इंट्रा डे ट्रेड के दौरान आज लगातार चौथे दिन निफ्टी और तीसरे दिन सेंसेक्स ने लाइफ टाइम हाई दर्ज किया।क्लोंजिंग की बात की जाए आज S&P BSE सेंसेक्स 194.07 अंक या 0.24% की बढ़त के साथ 82,559.84 के लेवल पर क्लोज हुआ। जबकि, निफ्टी 50 0.17% या 42.80 अंक की बढ़ोतरी के साथ 25,278.70 के लेवल पर क्लोज हुआ। इंट्रा डे ट्रेड के दौरान सेंसेक्स 82,725.28 के आल टाइम हाई लेवल और निफ्टी 25,333.65 के रिकॉर्ड हाई तक पहुंच गए थे।
सेक्टोरल इंडेक्स में देखा जाए तो निफ्टी FMCG (0.82%), निफ्टी IT (0.44%), निफ्टी PSU बैंक (0.51%) और निफ्टी फाइनेंशियल सर्विसेज (0.66%) के दम पर शेयर बाजार को बढ़त बनाने में मदद मिली। आज ट्रेड के दौरान IT इंडेक्स लाइफटाइम हाई पर पहुंच गया। जबकि, निफ्टी मेटल (-1.04%), फार्मा (-0.99%), ऑटो (-0.39%) और मीडिया (0.47%) ने बाजार पर जबरदस्त दबाव बनाया।एनालिस्ट्स का मानना है कि अमेरिकी ब्याज दरों में कटौती की उम्मीद और नए सिरे से विदेशी फंड प्रवाह (FPI Fund inflow) घरेलू इक्विटी में तेजी को बढ़ावा दे रहे हैं। इसके अलावा, आंकड़ों से यह पता चलता है कि वैश्विक मंदी के बावजूद भारत की आर्थिक वृद्धि ने प्रमुख अर्थव्यवस्थाओं को पीछे छोड़ दिया, जिससे निवेशकों का सेंटिमेंट मजबूत हुआ है शेयर बाजार में तेजी आ रही है।S&P BSE सेंसेक्स पर आज 30 शेयरों में से 18 शेयर हरे निशान में बंद हुए, जबकि Nifty50 के 50 शेयरों में से 27 शेयर हरे निशान में बंद हुए। सेंसेक्स पर बजाज फिनसर्व के शेयरों ने सबसे शानदार परफॉर्मेंस दिखाते हुए टॉप गेनर्स की लिस्ट में नंबर 1 रहा। बजाज फिनसर्व के शेयर आज 3.23% की बढ़त के साथ 1840.10 रुपये पर बंद हुए। दूसरे नंबर पर बजाज फाइनेंस (3.18% की बढ़त के साथ) रही। गौरतलब है कि 9 सितंबर को बजाज फाइनेंस की सब्सिडियरी कंपनी बजाज हाउसिंग फाइनेंस का 6560 करोड़ रुपये का IPO ओपन होने जा रहा है।सेंसेक्स पर आज सबसे खराब परफॉर्मेंस करने वाले शेयरों में टॉप पर NTPC के स्टॉक्स रहे। इसके शेयर आज 1.57% की गिरावट के साथ 409.85 रुपये पर क्लोज हुए। इसके अलावा, टाटा मोटर्स, महिंद्रा एंड महिंद्रा (M&M), भारती एयरटेल, पावरग्रिड, L&T, TCS, HDFC बैंक, सनफार्मा, नेस्ले इंडिया, JDW स्टील और ICICI बैंक के शेयर लाल निशान में बंद हुए।एशियाई बाजारों में, सियोल और टोक्यो पॉडिटिव नोट पर बंद हुए, जबकि शंघाई और हांगकांग निचले स्तर पर बंद हुए। यूरोपीय बाज़ार नकारात्मक दायरे में कारोबार कर रहे थे। शुक्रवार को अमेरिकी बाजार बढ़त के साथ बंद हुए।एक्सचेंज डेटा के मुताबिक, विदेशी संस्थागत निवेशकों (FII) ने शुक्रवार को 5,318.14 करोड़ रुपये की इक्विटी खरीदी। -
नई दिल्ली। चीन की कंपनी रियलमी ने घोषणा की है कि वह 9 सितंबर को भारत में अपना नया स्मार्टफोन Narzo 70 Turbo लॉन्च करेगी। यह स्मार्टफोन पहले ही ई-कॉमर्स प्लेटफॉर्म Amazon India पर लिस्ट हो चुका है, जहां इसके फीचर्स और डिज़ाइन का पहला लुक सामने आया है। कंपनी ने इस आगामी स्मार्टफोन के कुछ प्रमुख फीचर्स का भी खुलासा किया है।
Realme Narzo 70 Turbo 5G: क्या होगा खास?Narzo 70 Turbo की प्रोडक्ट लिस्टिंग के अनुसार, इस स्मार्टफोन का डिज़ाइन मोटर-स्पोर्ट्स से प्रेरित है, जिसमें डुअल टोन फिनिश दी गई है। फोन के बैक पैनल का रंग पीला है, जिस पर किनारों के साथ डार्क ग्रे स्ट्राइप्स दी गई हैं। फोन में फ्लैट फ्रेम डिज़ाइन है और इसका रियर कैमरा मॉड्यूल स्क्वायर-ऑफ डिजाइन में है, जो कि स्टैंडर्ड Realme Narzo 70 स्मार्टफोन के सर्कुलर डिज़ाइन से अलग है। फ्रंट में, Realme Narzo 70 Turbo में फ्लैट डिस्प्ले है, जिसमें फ्रंट कैमरा के लिए पंच होल डिज़ाइन है।कंपनी ने बताया है कि इस स्मार्टफोन की मोटाई 7.6 मिमी होगी और इसका वजन 185 ग्राम है। Realme ने पुष्टि की है कि Narzo 70 Turbo स्मार्टफोन को MediaTek Dimensity 7300 Energy चिप से पावर मिलेगा, जो अपने सेगमेंट में सबसे तेज़ चिप है।यह स्मार्टफोन 12GB तक की RAM और 256GB तक के ऑन-बोर्ड स्टोरेज के साथ आ सकता है। फोटोग्राफी के लिए, Narzo 70 Turbo में 50 MP का प्राइमरी कैमरा सेंसर हो सकता है, जिसमें इलेक्ट्रॉनिक इमेज स्टेबिलाइजेशन (EIS) भी होगा। फ्रंट कैमरा 8MP का होने की संभावना है।Realme Narzo 70 Turbo 5G: संभावित स्पेसिफिकेशंस-डिस्प्ले: 6.67-इंच FHD+, फ्लैट डिस्प्ले, पंच-होल डिज़ाइन-प्रोसेसर: MediaTek Dimensity 7300 Energy-RAM: 12GB तक-स्टोरेज: 256GB तक-रियर कैमरा: 50 MP प्राइमरी कैमरा EIS के साथ-फ्रंट कैमरा: 8MP-बैटरी: 5000mAh -
नयी दिल्ली. अगस्त में कुल जीएसटी संग्रह 10 प्रतिशत बढ़कर लगभग 1.75 लाख करोड़ रुपये हो गया। रविवार को जारी सरकारी आंकड़ों में यह जानकारी दी गई। पिछले साल अगस्त में माल और सेवा कर (जीएसटी) राजस्व 1.59 लाख करोड़ रुपये था, जबकि इस साल जुलाई में यह 1.82 लाख करोड़ रुपये था। अगस्त 2024 में घरेलू राजस्व 9.2 प्रतिशत बढ़कर लगभग 1.25 लाख करोड़ रुपये हो गया। वस्तुओं के आयात से सकल जीएसटी राजस्व 12.1 प्रतिशत बढ़कर 49,976 करोड़ रुपये रहा। समीक्षाधीन महीने में 24,460 करोड़ रुपये के रिफंड जारी किए गए, जो सालाना आधार पर 38 प्रतिशत अधिक है। रिफंड समायोजन के बाद शुद्ध जीएसटी राजस्व आलोच्य महीने में 6.5 प्रतिशत बढ़कर 1.5 लाख करोड़ रुपये रहा।
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गुवाहाटी. घरेलू खपत में धीमी वृद्धि, बढ़ती खाद्य मुद्रास्फीति और कोविड महामारी के बाद निर्यात में धीमी गति से सुधार चाय उद्योग के समक्ष प्रमुख चुनौतियां हैं। फेडरेशन ऑफ ऑल इंडिया टी ट्रेडर्स एसोसिएशन के एक अधिकारी ने यह कहा। चाय उत्पादक संघ और टी बोर्ड इंडिया देश में धीमी मांग वृद्धि से चिंतित हैं।
फेडरेशन ऑफ ऑल इंडिया टी ट्रेडर्स एसोसिएशन (एफएआईटीटीए) के अध्यक्ष संजय शाह ने शनिवार शाम यहां अपनी 10वीं वार्षिक आम बैठक के दौरान कहा कि खुदरा विक्रेताओं के रूप में, हम बाजार की गतिविधियों को करीब से देख रहे हैं। खाद्य मुद्रास्फीति का बढ़ता स्तर भी चिंता का विषय बना हुआ है, क्योंकि इसका उपभोग पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है। शाह ने कहा, ‘‘आवश्यक वस्तुओं में उच्च मुद्रास्फीति गैर-आवश्यक वस्तुओं की मांग पर प्रतिकूल प्रभाव डालती है। आवश्यक वस्तुओं में भी, उपभोक्ता कम कीमत वाले गैर-प्रीमियम उत्पादों की ओर रुख कर सकते हैं।'' एफएआईटीटीए के चेयरमैन ने यह भी कहा कि बाजार में चाय की कीमतों में कई दौर की वृद्धि को सहन करने की क्षमता को लेकर चिंताएं हैं। यह वृद्धि पिछले साल मुख्य कच्चे माल की कीमतों में तेज वृद्धि को देखते हुए अपरिहार्य हो गई हैं। उन्होंने कहा कि महामारी की अवधि से मांग में कुछ सुधार के साथ, 2022-23 में औसत कीमतें 180 रुपये प्रति किलो थीं। शाह ने कहा कि 2022 में, ‘ऑर्थोडॉक्स' (खुली) चाय बाजार में उछाल था क्योंकि श्रीलंका की स्थिति भारत के पक्ष में हो गई थी। हालांकि, 2023 में निर्यात दबाव में रहने से चाय की कीमतों में सुस्ती आई। उन्होंने कहा, ‘‘2024 में स्थिति में काफी बदलाव आया है। उत्तर भारतीय संयुक्त पत्ती और ‘डस्ट' चाय दरों को देखते हुए, कीमतें पिछले साल के इसी स्तर की तुलना में लगभग 46 प्रतिशत अधिक हैं।'' शाह ने कहा कि वर्ष 2023 में चाय का उत्पादन 139.3 करोड़ किलोग्राम पर रहा। जबकि 2022 में यह 136.6 करोड़ किलो था। उन्होंने कहा कि निर्यात कई साल 25 करोड़ किलो के स्तर पर रहने के बाद 2020 और 2021 में इसमें कमी आई। उसके बाद इसमें कुछ सुधार आया है। 2023 में निर्यात 22.8 करोड़ किलो रहा जो 2022 में 23.1 करोड़ किलो था। शाह ने कहा कि कई वर्षों के ठहराव के बाद, भारतीय चाय निर्यात उच्च वृद्धि के रास्ते पर है। -
नयी दिल्ली. ज्यादातर मोबाइल ग्राहकों का कहना है कि उन्हें हर दिन परेशान करने वाली कॉल आती हैं, जिनमें से ज्यादातर वित्तीय सेवाओं और रियल एस्टेट से संबंधित होती हैं। ऑनलाइन सर्वेक्षण फर्म लोकलसर्किल्स ने रविवार को यह जानकारी दी।
कंपनी के सर्वेक्षण के अनुसार 95 प्रतिशत मोबाइल ग्राहकों ने हर दिन परेशान करने वाली कॉल आने की पुष्टि की है। इनमें से 77 प्रतिशत को रोजाना तीन या इससे अधिक ऐसी कॉल आती हैं। सर्वेक्षण में भाग लेने वाले ज्यादातर लोगों ने यह भी कहा कि उन्होंने ट्राई की 'डू नॉट डिस्टर्ब' (डीएनडी) सूची में पंजीकरण कराया है, इसके बावजूद पिछले 12 महीनों में उन्हें ऐसी कॉल आई हैं। सर्वेक्षण रिपोर्ट के अनुसार, ''डीएनडी सूची में पंजीकृत 96 प्रतिशत मोबाइल उपभोक्ताओं ने कहा कि पिछले 12 महीनों में उनके नंबर पर परेशान करने वाली कॉल आई हैं। डू नॉट डिस्टर्ब सेवाओं का असर भी कम हो गया है, क्योंकि 96 प्रतिशत ने डीएनडी में पंजीकृत होने के बावजूद इस तरह के कॉल आने की पुष्टि की है।'' छह महीने पहले लोकलसर्किल्स के सर्वेक्षण में 90 प्रतिशत ने ऐसा कहा था।
सर्वेक्षण के अनुसार, 66 प्रतिशत मोबाइल उपभोक्ताओं ने कहा कि अधिकांश परेशान करने वाले फोन कॉल अलग-अलग मोबाइल नंबरों से आती हैं, जो व्यक्तियों के होते हैं। दूसरी ओर 18 प्रतिशत ने कहा कि ये कॉल कंपनियों और ब्रांडों से संबंधित मोबाइल नंबरों से आते हैं। सर्वेक्षण में भारत के 371 जिलों से 71,000 प्रतिक्रियाएं मिलीं।
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नयी दिल्ली. एपीएसी सस्टेनेबिलिटी सीड फंड 2.0 के तहत अनुदान के लिए एशिया प्रशांत क्षेत्र में चार भारत-आधारित संगठनों को 14 अन्य प्राप्तकर्ताओं के बीच चुना गया है। इसे प्रौद्योगिकी दिग्गज की परोपकारी शाखा गूगल.ओआरजी से 50 लाख डॉलर के अनुदान से समर्थित किया गया है। एशियन वेंचर फिलैंथ्रोपी नेटवर्क (एवीपीएन) द्वारा प्रबंधित इस कोष का उद्देश्य महत्वपूर्ण पर्यावरणीय और सामाजिक चुनौतियों का समाधान करने के लिए प्रौद्योगिकी और एआई-संचालित समाधानों को बढ़ावा देना है। गूगल.ओआरजी ने एक बयान में कहा कि भारतीय प्राप्तकर्ताओं में आईएनआरईएम फाउंडेशन, सीईपीटी रिसर्च एंड डेवलपमेंट फाउंडेशन (सीआरडीएफ), इंस्टीट्यूट फॉर फाइनेंशियल मैनेजमेंट एंड रिसर्च (वेल लैब्स) और गुजरात महिला हाउसिंग सेवा ट्रस्ट (एमएचटी) शामिल हैं। आईएनआरईएम फाउंडेशन जल प्रदूषण डेटा तक सामुदायिक पहुंच के लिए एआई-सक्षम ओपन डिजिटल समाधान विकसित करेगा। सीआरडीएफ झीलों और उनके कार्बन सिंक फंक्शन की सुरक्षा के लिए मशीन लर्निंग और सैटेलाइट इमेजरी का उपयोग करने की योजना बना रहा है। बयान में कहा गया है कि वेल लैब्स गांव-स्तर की जल सुरक्षा अंतर्दृष्टि के लिए उन्नत मॉडल विकसित करेगा, जबकि एमएचटी शहरी ताप द्वीपों की पहचान करने और समुदाय-केंद्रित समाधान सुझाने के लिए एआई-संचालित मॉडल बनाएगा।
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मुंबई। वैश्विक बाजारों में मजबूती के रुख और विदेशी कोषों की लिवाली के चलते शुक्रवार को प्रमुख शेयर सूचकांक सेंसेक्स और निफ्टी अपने नए सर्वकालिक उच्चस्तर पर पहुंच गए। सूचकांक में बड़ी हिस्सेदारी रखने वाली कंपनियों भारती एयरटेल, आईसीआईसीआई बैंक और इन्फोसिस के शेयरों में खरीदारी से भी बाजार धारणा को बल मिला। लगातार 9वें कारोबारी सत्र में तेजी के साथ, 30 शेयरों वाला बीएसई सेंसेक्स 231.16 अंक या 0.28 प्रतिशत चढ़कर 82,365.77 अंक के सर्वकालिक उच्चस्तर पर बंद हुआ। दिन के कारोबार में यह 502.42 अंक या 0.61 प्रतिशत उछलकर 82,637.03 अंक के नए रिकॉर्ड उच्चस्तर पर पहुंच गया था। बीएसई पर कुल 2,228 शेयरों में तेजी आई, जबकि 1,701 में गिरावट आई और 116 शेयरों के भाव में कोई बदलाव नहीं हुआ। नेशनल स्टॉक एक्सचेंज का निफ्टी 83.95 अंक या 0.33 प्रतिशत बढ़कर 25,235.90 अंक के नये सर्वकालिक उच्चस्तर पर पहुंच गया। निफ्टी लगातार 12वें दिन तेजी के साथ बंद हुआ। दिन के कारोबार में यह 116.4 अंक या 0.46 प्रतिशत बढ़कर 25,268.35 अंक के नये उच्चस्तर पर पहुंचा था। जियोजीत फाइनेंशियल सर्विसेज के शोध प्रमुख विनोद नायर ने कहा, ‘‘वैश्विक बाजार सितंबर में ब्याज दरों में कटौती के अमेरिकी फेडरल रिजर्व के आश्वसन से प्रभावित हैं। अमेरिकी और भारतीय बाजारों ने हाल के उच्चस्तर को फिर से हासिल कर लिया है।'' पूरे सप्ताह की बात करें तो बीएसई सेंसेक्स 1,279.56 अंक या 1.57 प्रतिशत चढ़ा है, जबकि निफ्टी 412.75 अंक या 1.66 प्रतिशत के लाभ में रहा है। सेंसेक्स पिछले नौ दिन की लगातार तेजी में 1,941.09 अंक या 2.41 प्रतिशत बढ़ा। निफ्टी 12 सत्रों की लगातार तेजी में 1,096.9 अंक या 4.54 प्रतिशत चढ़ा। एचडीएफसी सिक्योरिटीज के खुदरा शोध के प्रमुख दीपक जसानी ने कहा, ‘‘निफ्टी शुक्रवार को लगातार 12वें सत्र में बढ़त के साथ बंद हुआ। सूचकांक की 1996 में पेशकश के बाद से यह लगातार तेजी का सबसे लंबा दौर है।'' सेंसेक्स की 30 कंपनियों में बजाज फाइनेंस, महिंद्रा एंड महिंद्रा, एनटीपीसी, पावर ग्रिड, बजाज फिनसर्व, भारती एयरटेल और टाटा कंसल्टेंसी सर्विसेज में उल्लेखनीय बढ़त हुई। दूसरी ओर टाटा मोटर्स, एचडीएफसी बैंक, रिलायंस इंडस्ट्रीज, टेक महिंद्रा और आईटीसी के शेयरों में गिरावट आई। व्यापक बाजारों में बीएसई स्मॉलकैप सूचकांक 0.75 प्रतिशत और मिडकैप 0.53 प्रतिशत चढ़ा।
क्षेत्रवार बात करें तो सभी सूचकांक बढ़त के साथ बंद हुए। रियल्टी में 1.88 प्रतिशत, स्वास्थ्य देखभाल में 1.41 प्रतिशत, उपयोगिता में 0.77 प्रतिशत, जिंस में 0.70 प्रतिशत, प्रौद्योगिकी में 0.63 प्रतिशत और सेवाओं में 0.61 प्रतिशत का उछाल आया। एशिया के अन्य बाजारों में दक्षिण कोरिया का कॉस्पी, जापान का निक्की, चीन का शंघाई कम्पोजिट और हांगकांग का हैंगसेंग बढ़त के साथ बंद हुए। यूरोपीय बाजार सकारात्मक क्षेत्र में कारोबार कर रहे थे। अमेरिकी बाजार बृहस्पतिवार को मिले-जुले रुख के साथ बंद हुए थे। शेयर बाजार के आंकड़ों के मुताबिक, विदेशी संस्थागत निवेशकों (एफआईआई) ने बृहस्पतिवार को 3,259.56 करोड़ रुपये के शेयर खरीदे। वैश्विक तेल मानक ब्रेंट क्रूड 0.08 प्रतिशत बढ़कर 80 डॉलर प्रति बैरल पर पहुंच गया। -
नयी दिल्ली। अदाणी पोर्ट्स एंड स्पेशल इकनॉमिक जोन (एपीएसईजेड) लिमिटेड ने एस्ट्रो ऑफशोर में 80 प्रतिशत हिस्सेदारी 18.5 करोड़ डॉलर में खरीदने के लिए समझौता किया है। एपीएसईजेड ने शुक्रवार को कहा कि यह सौदा पूर्ण रूप से नकद में है।
कंपनी ने कहा कि एस्ट्रो के मौजूदा प्रवर्तकों के पास शेष 20 प्रतिशत हिस्सेदारी रहेगी।
कंपनी ने कहा, “एपीएसईजेड ने एस्ट्रो में 80 प्रतिशत हिस्सेदारी हासिल करने के लिए 18.5 करोड़ डॉलर के पूर्ण नकद सौदे में एक पक्का समझौता किया है।” बयान के अनुसार, साल 2009 में गठित एस्ट्रो पश्चिम एशिया, भारत, सुदूर पूर्व एशिया और अफ्रीका की एक अग्रणी वैश्विक ओएसवी परिचालक है। कंपनी ने कहा कि एस्ट्रो के पास 26 ऑफशोर सपोर्ट वेसल्स (ओएसवी) का बेड़ा है। 30 अप्रैल, 2024 को समाप्त वर्ष के दौरान एस्ट्रो का राजस्व 9.5 करोड़ डॉलर और कर-पूर्व आय (एबिटा) 4.1 करोड़ डॉलर रही थी। -
5जी, 6जी प्रौद्योगिकी के लिए 350 पेटेंट आवेदन: अंबानी
नयी दिल्ली| रिलायंस इंडस्ट्रीज के चेयरमैन एवं प्रबंध निदेशक मुकेश अंबानी ने गुरुवार को कहा कि भारत अब दुनिया का सबसे बड़ा इंटरनेट बाजार है और जियो अपने 49 करोड़ ग्राहकों के साथ वैश्विक मोबाइल इंटरनेट कंपनी बन गई है। रिलायंस जियो के ग्राहक औसतन प्रति माह 30 जीबी से अधिक डेटा (इंटरनेट) का उपयोग कर रहे हैं।उन्होंने रिलायंस इंडस्ट्रीज लि. (आरआईएल) की 47वीं वार्षिक आम बैठक में कहा कि भारत अब दुनिया का सबसे बड़ा डेटा बाजार है, जिसमें जियो ने वैश्विक ट्रैफिक में लगभग आठ प्रतिशत हिस्सेदारी हासिल कर ली है और प्रमुख वैश्विक कंपनियों को पीछे छोड़ दिया है। अंबानी ने कहा, “जियो के कारण भारत अब दुनिया का सबसे बड़ा डेटा बाजार बन गया है। आज, जियो वैश्विक मोबाइल ट्रैफिक का लगभग आठ प्रतिशत वहन करता है, जो विकसित बाजारों सहित प्रमुख वैश्विक कंपनियों से भी आगे है।” उन्होंने कहा कि जियो के ग्राहक औसतन हर महीने 30 जीबी से ज्यादा डेटा इस्तेमाल कर रहे हैं।अंबानी ने कहा, “जियो की शुरुआत को सिर्फ आठ साल हुए हैं और आठ साल में जियो दुनिया की सबसे बड़ी मोबाइल डेटा कंपनी बन गई है।” उन्होंने कहा, “डिजिटल होम सर्विस के मामले में भी जियो दुनिया की सबसे बड़ी कंपनियों में से एक है। जियो तीन करोड़ से अधिक घरों में डिजिटल सेवा देती है। जियो एयरफाइबर का लक्ष्य हर 30 दिनों में 10 लाख घरों को जोड़ कर रिकॉर्ड 10 करोड़ घरों तक पहुंचना है।” अंबानी ने कहा कि जियो ने 5जी और 6जी प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में 350 पेटेंट आवेदन किए हैं।मुकेश अंबानी ने 2जी ग्राहकों को 4जी में लाने की योजना पेश करते हुए कहा, “जैसे-जैसे 5जी फोन किफायती होते जाएंगे, जियो के नेटवर्क पर 5जी अपनाने की गति बढ़ेगी, जिससे डेटा खपत में और वृद्धि होगी। जैसे-जैसे अधिक उपयोगकर्ता 5जी नेटवर्क की ओर बढ़ेंगे, हमारे 4जी नेटवर्क की क्षमता बढ़ती जाएगी। इससे जियो भारत में 20 करोड़ से अधिक 2जी उपयोगकर्ताओं को अपने 4जी परिवार में शामिल करने की स्थिति में होगा।” -
नयी दिल्ली. सरकार जल्द ही 14 से 18 साल की लड़कियों को गैर-पारंपरिक नौकरियों के लिए प्रशिक्षित करने की एक योजना शुरू करेगी, जिसका मकसद श्रमबल में महिलाओं की भागीदारी बढ़ाना है। महिला एवं बाल विकास मंत्रालय में सचिव अनिल मलिक ने कहा कि योजना को शुरुआती चरण में 27 जिलों में अगले दो से तीन सप्ताह में शुरू किया जाएगा। उन्होंने कहा, ‘‘यह योजना शुरुआती चरण में 27 जिलों में पेश की जा रही है और अंततः इसे देशभर के 218 जिलों में विस्तारित किया जाएगा।'' गैर-पारंपरिक पेशे को आमतौर पर एक निश्चित भूमिका के रूप में परिभाषित किया जाता है, जिसमें पुरुष या महिला की भागीदारी 25 प्रतिशत से कम होती है। ‘किशोरियों व महिलाओं के सशक्तीकरण के लिए विशेष परियोजना की शुरूआत' के तहत 14 से 18 वर्ष की लड़कियों को उनकी शिक्षा जारी रखने के दौरान उनके स्कूलों तथा घरों के नजदीक प्रशिक्षण प्रदान किया जाएगा। सचिव ने बताया कि योजना शुरुआती स्तर पर दो से तीन सप्ताह में शुरू की जाएगी, जिसके तहत डिजिटल कौशल, डिजिटल मार्केटिंग और व्यक्तित्व अभिविन्यास के साथ-साथ गैर-पारंपरिक नौकरियों में प्रशिक्षण प्रदान किया जाएगा। उन्होंने कहा कि इस कार्यक्रम से अंततः श्रमबल में महिलाओं की भागीदारी बढ़ेगी।
मलिक ने कहा, ‘‘ हमने कौशल विकास एवं उद्यमिता मंत्रालय के साथ एक समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए हैं। इसके तहत वर्तमान में देशभर के 27 जिलों तथा बाद में 218 जिलों की 14-18 वर्ष आयु वर्ग की किशोरियों को प्रधानमंत्री कौशल विकास योजना के प्रशिक्षण साझेदारों, जन शिक्षण संस्थानों तथा सरकारी संस्थानों के जरिये गैर-परंपरागत भूमिकाओं के लिए प्रशिक्षण दिया जाएगा।'' दोनों मंत्रालयों के अधिकारियों को इस योजना के संबंध में जागरूक करने के लिए आयोजित कार्यशाला से इतर पत्रकारों के साथ बातचीत में उन्होंने यह बात कही। सचिव ने कहा कि इस कार्यक्रम से अंततः श्रमबल में महिलाओं की भागीदारी बढ़ेगी।
उन्होंने कहा कि इसे ‘‘ सरकार के उच्चतम स्तर पर बहुत जल्द'' शुरू किया जाएगा।
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नयी दिल्ली. चल्ला श्रीनिवासुलु शेट्टी ने बुधवार को सार्वजनिक क्षेत्र के भारतीय स्टेट बैंक (एसबीआई) के चेयरमैन का पदभार संभाल लिया। एसबीआई ने शेयर बाजारों को यह जानकारी दी। वह दिनेश खारा का स्थान लिया। खारा मंगलवार को कारोबारी समय समाप्त होने पर बैंक की सेवाओं से सेवानिवृत्त हो गए। शेट्टी इससे पहले एसबीआई के वरिष्ठतम प्रबंध निदेशक थे।
परंपरा के अनुसार, चेयरमैन की नियुक्ति एसबीआई के मौजूदा प्रबंध निदेशकों में से की जाती है। आमतौर पर सबसे वरिष्ठ प्रबंध निदेशक ही बैंक का चेयरमैन बनता है। शेट्टी ने भारत सरकार द्वारा गठित विभिन्न कार्य बल/समितियों का भी नेतृत्व किया है। वह बैंक के खुदरा और डिजिटल बैंकिंग खंड की देखरेख भी कर चुके हैं। कृषि विज्ञान में स्नातक और भारतीय बैंकर्स संस्थान के प्रमाणित एसोसिएट, शेट्टी ने 1988 में एसबीआई में प्रोबेशनरी ऑफिसर (पीओ) के रूप में अपना करियर शुरू किया था। -
नयी दिल्ली. पेटीएम ब्रांड का स्वामित्व रखने वाली वित्तीय प्रौद्योगिकी कंपनी वन97 कम्युनिकेशन को पूर्ण स्वामित्व वाली अनुषंगी कंपनी पेटीएम पेमेंट्स सर्विसेज लिमिटेड (पीपीएसएल) में ‘डाउनस्ट्रीम' निवेश के लिए सरकार की मंजूरी मिल गई है। कंपनी ने बुधवार को शेयर बाजार को दी सूचना में कहा कि वह भुगतान एग्रीगेटर (पीए) लाइसेंस के लिए नए सिरे से आवेदन करेगी। पेटीएम ने कहा, “पीपीएसएल को भारत सरकार के वित्त मंत्रालय के अंतर्गत आने वाले वित्तीय सेवा विभाग से 27 अगस्त, 2024 के एक पत्र के माध्यम से मूल कंपनी से निवेश के लिए मंजूरी मिल गई है। इसके साथ पीपीएसएल भुगतान एग्रीगेटर लाइसेंस के लिए फिर से आवेदन करेगी। इस बीच, पीपीएसएल मौजूदा भागीदारों को ऑनलाइन भुगतान एग्रीगेटर सेवाएं प्रदान करना जारी रखेगी।” भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने नवंबर, 2022 में पेटीएम के भुगतान एग्रीगेटर लाइसेंस परमिट आवेदन को खारिज कर दिया था और कंपनी को प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआई) मानदंडों के तहत प्रेस नोट-3 अनुपालन के साथ फिर से आवेदन करने का निर्देश दिया था। प्रेस नोट-3 के अनुसार, सरकार ने भारत के साथ स्थलीय सीमा साझा करने वाले देशों से निवेश के लिए अपनी पूर्व स्वीकृति अनिवार्य कर दी थी। आवेदन खारिज होने के समय, चीन का अलीबाबा समूह कंपनी में सबसे बड़ा शेयरधारक था।
आरबीआई के भुगतान एग्रीगेटर दिशानिर्देशों में यह भी कहा गया है कि एक एकल इकाई भुगतान एग्रीगेटर सेवाओं के साथ-साथ ई-कॉमर्स मार्केटप्लेस प्रदान करना जारी नहीं रख सकती है और ऐसी भुगतान एग्रीगेटर सेवाओं को ई-कॉमर्स मार्केटप्लेस कारोबार से अलग किया जाना चाहिए। -
नयी दिल्ली। दिग्गज सूचना प्रौद्योगिकी कंपनी इन्फोसिस के मुख्य कार्यपालक अधिकारी सलिल पारेख ने कहा है कि भारत में उनकी कंपनी के लिए 'बहुत बड़ा अवसर' है क्योंकि इस देश की 'शानदार' आर्थिक प्रगति ने इसे बाकी दुनिया से अलग मुकाम दिया है।
इन्फोसिस ने चालू वित्त वर्ष की पहली तिमाही में अपने भारतीय कारोबार में 'मजबूत वृद्धि' दर्ज की है। पारेख ने कहा, भारत एक बहुत बड़ा अवसर है... भारतीय परिवेश में विभिन्न प्रकार के कार्यों के लिए हम जो वृद्धि देख रहे हैं, वह बहुत बड़ी है। हम यह सुनिश्चित करने में बहुत महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहे हैं कि हम निजी क्षेत्र की कंपनियों और सरकारी एजेंसियों के साथ जुड़ें, जहां हम सरकार के दृष्टिकोण का समर्थन कर सकते हैं। इसलिए, हम डिजिटल इंडिया के लिए कुछ आधारशिलाएं बनाने में मदद कर रहे हैं।" उन्होंने कि कंपनी सरकारी परियोजनाओं के साथ गहराई से जुड़ी हुई है। उन्होंने कहा, "आयकर प्रणाली (आयकर विभाग के लिए कर दाखिल करने वाला पोर्टल) पर हमने जो कुछ काम किया है, उसे बहुत अच्छी प्रतिक्रिया मिली है।
इन्फोसिस का पहली तिमाही में एकीकृत शुद्ध लाभ सात प्रतिशत की वृद्धि के साथ 6,368 करोड़ रुपये हो गया। एक साल पहले की समान अवधि में कंपनी ने 5,945 करोड़ रुपये का लाभ कमाया था। पारेख ने कहा कि भारत की आर्थिक सफलता शानदार है जो दुनिया के किसी भी अन्य हिस्से में चल रही सफलता से बहुत अलग है। पारेख ने कहा, "अर्थव्यवस्था के संदर्भ में, हमने मुद्रास्फीति को बहुत अच्छी तरह से प्रबंधित किया है। इसलिए सरकार ने अर्थव्यवस्था को अच्छी तरह से विकसित करने के लिए बहुत मजबूत दृष्टिकोण अपनाया है। -
नयी दिल्ली। अप्रैल-जून तिमाही में देश के आठ प्रमुख शहरों में औसत आवास कीमतों में सालाना आधार पर 12 प्रतिशत की वृद्धि हुई। इस दौरान दिल्ली-एनसीआर में घरों के दाम सबसे ज्यादा 30 प्रतिशत बढ़े हैं। रियल्टी कंपनियों के निकाय क्रेडाई, संपत्ति सलाहकार कोलियर्स और डेटा विश्लेषण कंपनी लियासेस फोरास ने घरों की कीमतों की निगरानी करने वाली दूसरी तिमाही की रिपोर्ट में यह जानकारी दी गई है।
वार्षिक आधार पर, जून तिमाही के अंत में आठ प्रमुख शहरों में औसत आवास कीमतों में 12 प्रतिशत की वृद्धि हुई है। दिलचस्प बात यह है कि समीक्षाधीन आठ में से सात शहरों में वार्षिक मूल्यवृद्धि देखी गई, जिसमें दिल्ली-एनसीआर में साल दर साल सबसे अधिक 30 प्रतिशत की कीमत वृद्धि हुई।
क्रेडाई के अध्यक्ष बोमन ईरानी ने कहा, पिछली कुछ तिमाहियों में रियल एस्टेट क्षेत्र में तेजी देखी गई है, जिसकी पुष्टि शीर्ष आठ शहरों में लेनदेन की मात्रा के साथ-साथ आवास के प्रति प्रचलित सकारात्मक भावनाओं से होती है। आवास कीमतों पर इसका सीधा प्रभाव पड़ा है - यह न केवल अंतर्निहित मांग को दर्शाता है, बल्कि एक पसंदीदा परिसंपत्ति वर्ग के रूप में रियल एस्टेट की ओर निश्चित बदलाव को भी दर्शाता है।'' आंकड़ों के अनुसार, अहमदाबाद में आवास कीमतें अप्रैल-जून, 2024 में 13 प्रतिशत बढ़कर 7,335 रुपये प्रति वर्ग फुट हो गईं, जो एक साल पहले की समान अवधि में 6,507 रुपये प्रति वर्ग फुट थीं। बेंगलुरू में यह 8,688 रुपये प्रति वर्ग फुट से 28 प्रतिशत बढ़कर 11,161 रुपये प्रति वर्ग फुट हो गई। चेन्नई में कीमतें 7,690 रुपये प्रति वर्ग फुट पर स्थिर रहीं। दिल्ली-एनसीआर में कीमतों में अधिकतम 30 प्रतिशत की वृद्धि देखी गई। यह 8,652 रुपये प्रति वर्ग फुट से बढ़कर 11,279 रुपये प्रति वर्ग फुट हो गई। हैदराबाद में आवास कीमतें 10,530 रुपये प्रति वर्ग फुट से सात प्रतिशत बढ़कर 11,290 रुपये प्रति वर्ग फुट पर पहुंच गई। कोलकाता में दरें 7,315 रुपये से छह प्रतिशत बढ़कर 7,745 रुपये प्रति वर्ग फुट पर पहुंच गईं।
मुंबई महानगर क्षेत्र (एमएमआर) में आवास कीमतें 19,111 रुपये प्रति वर्ग फुट से छह प्रतिशत बढ़कर 20,275 रुपये प्रति वर्ग फुट हो गईं। पुणे में, आवासीय संपत्तियों की कीमतें अप्रैल-जून, 2024 में 13 प्रतिशत बढ़ीं। यह 9,656 रुपये प्रति वर्ग फुट रहीं। एक साल पहले समान अवधि में यह आंकड़ा 8,540 रुपये प्रति वर्ग फुट था। लियासेस फोरास के प्रबंध निदेशक पंकज कपूर ने कहा, ‘‘कीमतों में बढ़ोतरी के बावजूद भारत के शहरों में बिक्री में वृद्धि जारी है।
कोलियर्स इंडिया के मुख्य कार्यपालक अधिकारी (सीईओ) बादल याग्निक ने कहा, ‘‘पिछली कुछ तिमाहियों में घरों की मांग लगातार अच्छी बनी हुई है। साथ ही, स्थिर ब्याज दर और हाल ही में सकारात्मक बजटीय घोषणाओं ने देश के आवास बाजार को मजबूती दी है।'' उन्हें यह पूरा साल आवास बाजार के लिए अच्छा रहने की उम्मीद है।