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नई दिल्ली। केंद्र सरकार ने पेट्रोल और डीजल पर 2 रुपये प्रति लीटर की एक्साइज ड्यूटी (उत्पाद शुल्क) बढ़ा दी है, जो मंगलवार से लागू होगी। हालांकि, पेट्रोलियम मंत्रालय ने साफ किया है कि इसका असर आम लोगों की जेब पर नहीं पड़ेगा, यानी पेट्रोल-डीजल के खुदरा दाम नहीं बढ़ेंगे। मंत्रालय ने ‘एक्स’ पर पोस्ट करते हुए कहा कि सरकारी तेल कंपनियों ने जानकारी दी है कि एक्साइज ड्यूटी बढ़ने के बावजूद पेट्रोल और डीजल की खुदरा कीमतों में कोई बदलाव नहीं किया जाएगा।
इस बढ़ोतरी के बाद पेट्रोल पर अब कुल एक्साइज ड्यूटी 13 रुपये प्रति लीटर हो गई है, जबकि डीजल पर यह 10 रुपये प्रति लीटर हो गई है। सरकार का यह फैसला ऐसे समय में आया है जब अंतरराष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल की कीमतें करीब चार साल के न्यूनतम स्तर पर पहुंच गई हैं। कच्चे तेल (ब्रेंट क्रूड) की कीमत $63 प्रति बैरल तक गिर गई है, जो अप्रैल 2021 के बाद सबसे कम है। वहीं, अमेरिकी WTI क्रूड $59.57 प्रति बैरल पर आ गया है।अधिकारियों का कहना है कि जब कच्चे तेल की कीमतें गिरती हैं, तो तेल कंपनियों की लागत घट जाती है और उनका मुनाफा बढ़ता है। ऐसे में सरकार आम उपभोक्ताओं पर बिना बोझ डाले एक्साइज ड्यूटी बढ़ाकर अतिरिक्त राजस्व जुटा सकती है। मंत्रालय ने बताया कि इस अतिरिक्त राजस्व का उपयोग सरकार की वित्तीय जरूरतों को पूरा करने और कीमतों को स्थिर बनाए रखने के लिए किया जाएगा। तेल की कीमतों में गिरावट का कारण अमेरिका-चीन के बीच बढ़ता व्यापार तनाव है, जिससे वैश्विक मंदी की आशंका और कच्चे तेल की मांग में कमी की चिंता बढ़ी है। इसी बीच, OPEC+ देशों ने तेल उत्पादन बढ़ाने का फैसला लिया है।वहीं सऊदी अरब ने भी मई महीने के लिए एशियाई खरीदारों को कच्चा तेल $2.3 प्रति बैरल तक सस्ता बेचने का निर्णय लिया है। विशेषज्ञों का मानना है कि कच्चे तेल की कीमतों में गिरावट भारत के लिए फायदेमंद है, क्योंकि देश अपनी 85% से ज्यादा तेल जरूरतें आयात से पूरी करता है। इससे भारत का आयात बिल घटता है, चालू खाता घाटा कम होता है और रुपये को मजबूती मिलती है। साथ ही, ईंधन और गैस की कीमतें घटने से महंगाई पर भी असर पड़ता है। वहीं सरकार ने रूस से सस्ता तेल खरीदना जारी रखा है, जिससे अब रूस भारत का सबसे बड़ा तेल आपूर्तिकर्ता बन गया है। भारत की करीब 38% कच्चे तेल की जरूरतें अब रूस से पूरी हो रही हैं। - नयी दिल्ली। नये वित्त वर्ष की शुरुआत के साथ आयकरदाताओं को नई और पुरानी कर व्यवस्था का विकल्प चुनने की जरूरत होगी। ऐसे में नई कर व्यवस्था में छूट सीमा बढ़ने के साथ यह जानना जरूरी है कि कर की कौन सी प्रणाली उनके लिए बेहतर है। परामर्श कंपनी टैक्स कनेक्ट एडवाइजरी सर्विसेज एलएलपी में भागीदार विवेक जालान का कहना है कि 12 लाख रुपये (वेतनभोगी व्यक्तियों के लिए 12.75 लाख रुपये) तक की सालाना आय वाले करदाताओं के लिए नई कर व्यवस्था उपयुक्त है लेकिन इससे अधिक आय वाले व्यक्तियों के लिए कौन सी प्रणाली बेहतर होगी, यह इस बात पर निर्भर करता है कि करदाता कर देनदारी को कम करने के लिए बचत और निवेश की कोई योजना बना रहा है या नहीं।उन्होंने यह भी कहा कि पुरानी कर व्यवस्था तभी लाभकारी होगी जब करदाता लगभग 5.5 लाख रुपये की कटौती का दावा करने की स्थिति में हो। हालांकि, यदि कुल सालाना आय लगभग 15,00,000 रुपये से अधिक नहीं है, तभी लगभग 5.5 लाख की कटौती का लाभ होगा। इससे अधिक सालाना आय के लिए नई कर व्यवस्था उपयुक्त होगी। साढ़े पांच लाख रुपये की छूट में आयकर कानून की धारा 80सी के तहत 1.5 लाख रुपये, धारा 24 (बी) के तहत आवास ऋण ब्याज के लिए दो लाख रुपये और धारा 80डी (चिकित्सा बीमा), 80 जी (पात्र संस्थानों को चंदा), 80 ई (शिक्षा ऋण पर ब्याज) आदि जैसी अन्य कटौतियों के तहत लगभग दो लाख रुपये शामिल हैं। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने 2025-26 के बजट में मध्यम वर्ग को बड़ी राहत देते हुए 12 लाख रुपये (वेतनभोगी करदाताओं के लिए 75,000 रुपये की मानक कटौती के साथ अब 12.75 लाख रुपये) तक की वार्षिक आय को पूरी तरह से आयकर से छूट देने की घोषणा की। आयकर छूट नई कर व्यवस्था का विकल्प चुनने वाले आयकरदाताओं को मिलेगी।जालान ने कहा, ‘‘यदि करदाता के पास कोई कर योजना या योग्य कटौती नहीं है, तो आमतौर पर नई व्यवस्था अधिक फायदेमंद होगी। इसके अलावा, भले ही करदाता ने कर देनदारी से बचने की योजना बनायी है, पर पुरानी कर व्यवस्था तभी लाभकारी होगी जब करदाता लगभग 5.5 लाख रुपये की कटौती का दावा करने की स्थिति में हो।'' उन्होंने यह भी कहा, ‘‘5.5 लाख से कम की कटौती के मामले में, नई व्यवस्था ज्यादातर मामलों में लाभकारी होगी। हालांकि, यह मानते हुए कि लगभग 5.5 लाख की कटौती की जाती है, तो करदाता पुरानी व्यवस्था को चुनने पर विचार कर सकता है लेकिन यह तभी लाभदायक है, जब कुल वार्षिक आय 15,00,000 रुपये से अधिक नहीं है।'' लगभग 5.5 लाख की कटौती के साथ पुरानी और नई व्यवस्था के बीच कर की बुनियादी तुलना की जाए तो 13 लाख रुपये सालाना आय पर पुरानी कर व्यवस्था में मानक कटौती और चार प्रतिशत उपकर के साथ 54,600 रुपये कर देनदारी बैठेगी जबकि नई कर व्यववस्था में यह 66,300 रुपये होगी। वहीं 14 लाख रुपये सालाना आय की स्थिति में पुरानी कर व्यवस्था में चार प्रतिशत उपकर के साथ 75,400 रुपये की कर देनदारी बनेगी, जबकि नई व्यवस्था में यह 81,900 रुपये होगी। इसी प्रकार, 15 लाख सालाना आय के मामले में पुरानी कर व्यवस्था में कर देनदारी 96,200 रुपये और नई में 97,500 रुपये जबकि 16 लाख रुपये में पुरानी कर व्यवस्था में कर देनदारी 1,17,000 रुपये जबकि नई व्यवस्था में 1,13,100 रुपये बैठेगी। वहीं मानक कटौती के बिना 13 लाख रुपये की सालाना आय पर पुरानी कर व्यवस्था में 65,000 रुपये जबकि नई व्यवस्था में 78,000 रुपये कर देनदारी बनेगी। वहीं 14 लाख रुपये के मामले में यह क्रमश: 85,800 और 93,600 रुपये बैठेगी। 15 लाख रुपये सालाना की आय पर पुरानी कर व्यवस्था में कर देनदारी 1,06,600 रुपये और नई व्यवस्था में 1,09,200 रुपये बैठेगी। 16 लाख रुपये सालाना कमाई के मामले में कर देनदारी पुरानी कर व्यवस्था में 1,32,600 रुपये और नई व्यवस्था में 1,24,800 रुपये होगी। नई कर व्यवस्था में चार लाख रुपये सालाना आय पर कोई कर नहीं लगता है। चार से आठ लाख रुपये पर पांच प्रतिशत, आठ से 12 लाख रुपये पर 10 प्रतिशत, 12 लाख से 16 लाख रुपये पर 15 प्रतिशत, 16 से 20 लाख रुपये पर 20 प्रतिशत, 20 लाख रुपये से 24 लाख रुपये पर 25 प्रतिशत तथा 24 लाख रुपये से ऊपर की सालाना आय पर 30 प्रतिशत कर लगेगा।
- कटरा । नेशनल स्टॉक एक्सचेंज (एनएसई) के प्रबंध निदेशक और मुख्य कार्यपालक अधिकारी आशीष कुमार चौहान ने रविवार को कहा कि अमेरिका के जवाबी शुल्क लगाए जाने के बाद दुनिया में असमंजस की स्थिति बनी हुई है लेकिन भारत अन्य देशों की तुलना में काफी बेहतर प्रदर्शन कर रहा है। चौहान ने कहा कि अगले एक या दो सप्ताह में अमेरिकी सीमा शुल्क को लेकर स्थिति पूरी तरह स्पष्ट हो जाने की उम्मीद है। उन्होंने कहा कि इस पर बातचीत होगी और शुल्क ढांचे को स्थिर किया जाएगा। उन्होंने कहा, "ऐसा लगता है कि जवाबी शुल्क पर अमेरिकी कदम के बाद भारतीय शेयर बाजार अन्य देशों की तुलना में काफी बेहतर प्रदर्शन कर रहा है।" चौहान ने कहा, "आपने पिछले दो-तीन दिनों में बाजार का हाल देखा होगा। अमेरिका ने कर पर फैसला किया है, जो दुनिया के हर देश पर लागू है। उन्होंने भारत के लिए भी नए आयात शुल्क लगाए हैं, जो अन्य देशों की तुलना में बेहतर प्रदर्शन कर रहा है।" एनएसई प्रमुख ने कहा कि अमेरिका और दुनिया की भावी रणनीति के बारे में स्पष्ट तस्वीर अगले सप्ताह स्पष्ट हो जाएगी। उन्होंने कहा, "ऐसा लगता है कि अन्य देशों की तुलना में भारत की स्थिति थोड़ी मजबूत है।" उन्होंने कहा, "अभी तक असमंजस की स्थिति बनी हुई है। कई लोगों को लगता है कि कुछ कंपनियों को अधिक नुकसान हो सकता है। लेकिन कुल मिलाकर बातचीत होगी और शुल्क ढांचे को स्थिर किया जाएगा। अगले एक या दो सप्ताह में स्थिति स्पष्ट हो जानी चाहिए।" अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने भारत, चीन एवं यूरोपीय संघ समेत 60 व्यापारिक साझेदारों पर जवाबी सीमा शुल्क लगाने की दो अप्रैल को घोषणी की थी। उसके बाद से दुनिया भर के शेयर बाजारों में गिरावट का माहौल है।
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नई दिल्ली। भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) की छह सदस्यीय मॉनेटरी पॉलिसी कमेटी (MPC) की बैठक आज से शुरू हो गई है। यह बैठक चालू वित्त वर्ष 2025-26 (FY26) की पहली समीक्षा बैठक है। SBI रिसर्च ने अपने ताजा रिपोर्ट में अनुमान जताया है कि अप्रैल 2025 में केंद्रीय बैंक रीपो रेट (Repo Rate) में 25 बेसिस प्वाइंट की कटौती कर सकता है। पूरे वित्त वर्ष (FY26) के दौरान ब्याज दरों में 75 से 100 बेसिस प्वाइंट तक की कटौती संभव है। अगर ऐसा हुआ तो होम लोन (Home Loan), ऑटो लोन (Auto Loan), पर्सनल लोन (Personal Loan) समेत रीपो रेट से लिंक सभी तरह के लोन की ब्याज दरें घटेंगी। इसके अलावा, रिपोर्ट में महंगाई और जीडीपी ग्रोथ में कमी आने का भी अनुमान जताया गया है।
Repo Rate में 1% कटौती की संभावना
SBI रिसर्च के विश्लेषकों ने कहा, “हमें उम्मीद है कि अप्रैल 2025 की MPC बैठक में 25 बेसिस प्वाइंट की कटौती की जाएगी। पूरे चक्र में कुल मिलाकर कम से कम 100 बेसिस प्वाइंट की कटौती हो सकती है, जिसमें फरवरी और अप्रैल 2025 में लगातार दो बार दरों में कटौती की संभावना है। जून 2025 में एक अंतराल के बाद, दरों में कटौती का दूसरा दौर अगस्त 2025 से शुरू हो सकता है। गौरतलब है कि फरवरी में MPC ने रीपो रेट में 25 bps की कटौती की थी, जो पांच साल में पहली बार हुआ था।
महंगाई में भी आएगी गिरावट
रिपोर्ट में कहा गया है कि Q4FY25 में खुदरा महंगाई दर (CPI) घटकर 3.8% तक आ सकती है और पूरे FY25 में औसतन 4.6% रहने का अनुमान है। इस रुझान के आधार पर, हम उम्मीद करते हैं कि FY26 में महंगाई दर 3.9% से 4.0% के बीच रह सकती है, जबकि कोर महंगाई 4.2% से 4.3% के दायरे में रहने की संभावना है। सितंबर 2025 या अक्टूबर 2025 तक हेडलाइन महंगाई में गिरावट का रुख रहेगा, लेकिन इसके बाद इसमें फिर से बढ़ोतरी हो सकती है।अमेरिका ने कई देशों पर भारत से ज्यादा रेसिप्रोकल टैरिफ लगाए हैं। इससे इन देशों द्वारा भारत में सस्ते सामान की डंपिंग की आशंका बढ़ेगी, जिससे घरेलू महंगाई पर दबाव कम हो सकता है।
ग्लोबल GDP ग्रोथ में रहेगी गिरावट
SBI रिसर्च ने अपनी रिपोर्ट में कहा कि वैश्विक अर्थव्यवस्था को आगे चलकर कई बड़ी मुश्किलों का सामना करना पड़ सकता है। इसमें व्यापार पर लगने वाले टैक्स, करेंसी में तेज उतार-चढ़ाव और निवेश का टूटता प्रवाह शामिल है। इन वजहों से दुनिया की GDP ग्रोथ में 30 से 50 बेसिस प्वाइंट तक की गिरावट हो सकती है। रिपोर्ट के मुताबिक, देश की संभावित प्रोडक्शन ग्रोथ 7% तक रह सकती है। जबकि एडवांस एस्टीमेट में GDP ग्रोथ 6.3% रहने का अनुमान जताया गया है। सबसे खराब स्थिति में यह 6% तक रह सकती है। तो इसका मतलब है कि अर्थव्यवस्था अपनी पूरी क्षमता से थोड़ा कम काम कर रही है। ऐसे में आउटपुट गैप -100 से -70 बेसिस प्वाइंट के बीच है।
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नई दिल्ली । खराब वैश्विक संकेतों के चलते भारतीय शेयर बाजार सोमवार को बड़ी गिरावट के साथ खुला। बाजार में चौतरफा गिरावट देखने को मिल रही है। सुबह 9:35 पर सेंसेक्स 2,381 अंक या 3.12 प्रतिशत की गिरावट के साथ 73,010 और निफ्टी 816 अंक या 3.56 प्रतिशत की गिरावट के साथ 22,088 पर था।
ग्लोबल ट्रेड वार से निकला शेयर बाजार का दमइस गिरावट की वजह अमेरिका द्वारा लगाए गए रेसिप्रोकल टैरिफ को माना जा रहा है, जिससे पूरी दुनिया में ट्रेड वार का खतरा बढ़ गया है।लार्ज कैप के साथ-साथ मिडकैप और स्मॉलकैप में भी बड़ी गिरावटलार्ज कैप के साथ-साथ मिडकैप और स्मॉलकैप में भी बड़ी गिरावट है। निफ्टी मिडकैप 100 इंडेक्स 2,045 अंक या 4.07 प्रतिशत की गिरावट के साथ 48,562 और निफ्टी स्मॉलकैप 100 इंडेक्स 820 अंक या 5.24 प्रतिशत की गिरावट के साथ 14,855 पर था।एनएसई के सभी इंडेक्स में लाल निशान में कारोबारनेशनल स्टॉक एक्सचेंज (एनएसई) के सभी इंडेक्स में लाल निशान में कारोबार हो रहा है। ऑटो, आईटी, एफएमसीजी, मेटस, रियल्टी, मीडिया और एनर्जी में सबसे अधिक गिरावट है।शुरुआती कारोबार में सेंसेक्स पैक में सभी 30 शेयर लाल निशान मेंशुरुआती कारोबार में सेंसेक्स पैक में सभी 30 शेयर लाल निशान में थे। टाटा स्टील, टाटा मोटर्स, इंफोसिस, टेक महिंद्रा, एलएंडटी, एचसीएल टेक, टीसीएस, रिलायंस इंडस्ट्रीज, एनटीपीसी, एक्सिस बैंक, एमएंडएम, कोटक महिंद्रा बैंक, इंडसइंड बैंक और एमएंडएम टॉप लूजर्स थे।”चॉइस ब्रोकिंग के डेरिवेटिव एनालिस्ट हार्दिक मटालिया ने कहा, “टेक्निकल फ्रंट पर, निफ्टीने दैनिक चार्ट पर कमजोरी देखी गई। इसके कारण रुकावट स्तरों पर इंडेक्स पर दबाव देखने को मिल सकता है। इंट्राडे में 22,400 और 22,000 एक सपोर्ट लेवल है, क्योंकि सूचकांक ने ऐतिहासिक रूप से इन क्षेत्रों के आसपास स्थिरता दिखाई है।”अधिकांश एशियाई बाजारों में बिकवाली देखी गईअधिकांश एशियाई बाजारों में बिकवाली देखी गई। टोक्यो, शंघाई, बैंकॉक, सियोल और हांगकांग में 11 प्रतिशत तक की गिरावट दर्ज की गई है।रेसिप्रोकल टैरिफ के कारण अमेरिकी बाजारों में भारी बिकवालीरेसिप्रोकल टैरिफ के कारण शुक्रवार को अमेरिकी बाजारों में भारी बिकवाली देखी गई। डाओ 5.50 प्रतिशत और टेक्नोलॉजी इंडेक्स नैस्डैक लगभग 5.82 प्रतिशत की गिरावट के साथ बंद हुआ।वैश्विक अनिश्चितताओं के बीच तेल की कीमतों में तेज गिरावटवैश्विक अनिश्चितताओं के बीच तेल की कीमतों में तेज गिरावट आई है। ब्रेंट क्रूड 2.67 प्रतिशत गिरकर 63.82 डॉलर प्रति बैरल पर आ गया, जबकि वेस्ट टेक्सास इंटरमीडिएट (डब्ल्यूटीआई) क्रूड 2.69 प्रतिशत गिरकर 60.31 डॉलर प्रति बैरल पर है। -
नयी दिल्ली। एसोसिएशन ऑफ इंडियन मेडिकल डिवाइस इंडस्ट्री (एआईएमईडी) ने बृहस्पतिवार को कहा कि अमेरिका को चिकित्सकीय उपकरण निर्यात पर 27 प्रतिशत जवाबी शुल्क लगाने से इस क्षेत्र की वृद्धि के लिए चुनौतियां उत्पन्न हो सकती हैं। राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने अमेरिकी उत्पादों पर वैश्विक स्तर पर लगाए गए उच्च शुल्कों का मुकाबला करने के लिए ऐतिहासिक उपाय के रूप में करीब 60 देशों पर जवाबी शुल्क की घोषणा की है। एआईएमईडी फोरम के समन्वयक राजीव नाथ ने बयान में कहा, ‘‘ भारत ऐतिहासिक रूप से अमेरिका को सस्ते व उच्च गुणवत्ता वाले चिकित्सकीय उपकरणों का प्रमुख आपूर्तिकर्ता रहा है। मुख्य रूप से कम मूल्य, उच्च मात्रा उपभोग्य श्रेणियों में...'' उन्होंने कहा कि नए शुल्क से संभवतः भारतीय चिकित्सकीय उपकरण निर्यात पर असर पड़ सकता है। साथ ही उद्योग को उन अवसरों की तलाश करनी होगी, जहां अमेरिका किसी एक देश पर अपनी आपूर्ति श्रृंखला निर्भरता में विविधता लाने की कोशिश कर रहा है। चिकित्सकीय उपकरणों के निर्यात संवर्धन परिषद द्वारा साझा किए गए आंकड़ों के अनुसार, 2023-24 में अमेरिका को भारत का चिकित्सकीय उपकरण का निर्यात 71.438 करोड़ डॉलर था, जबकि अमेरिका से भारत में आयात काफी अधिक 1,51.994 करोड़ डॉलर था। भारत को चीन (34 प्रतिशत), वियतनाम (46 प्रतिशत) और ताइवान 32 (प्रतिशत) जैसे अन्य देशों की तुलना में कम शुल्क का सामना करना पड़ेगा।
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नयी दिल्ली. उद्योग निकाय आईएसएसडीए ने बृहस्पतिवार को कहा कि भारत कम लागत वाले इस्पात आयात के प्रति अधिक संवेदनशील हो जाएगा क्योंकि अमेरिका के शुल्क लगाने से प्रभावित देश अपनी खेप को घरेलू बाजार में भेज सकते हैं। राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने बुधवार को अमेरिकी उत्पादों पर वैश्विक स्तर पर लगाए गए ‘उच्च' शुल्क के जवाब में लगभग 60 देशों पर जवाबी शुल्क लगाने की घोषणा की। भारत के लिए, अमेरिका ने 27 प्रतिशत का जवाबी शुल्क लगाने की घोषणा करते हुए कहा है कि वह अमेरिकी वस्तुओं पर उच्च आयात शुल्क लगाता है। अमेरिका ने कहा कि डोनाल्ड ट्रंप प्रशासन का लक्ष्य देश के व्यापार घाटे को कम करना और विनिर्माण को बढ़ावा देना है। हालांकि, वाहन और वाहन कलपुर्जा तथा इस्पात एवं एल्युमीनियम की वस्तुएं पहले से ही धारा 232 के तहत 25 प्रतिशत शुल्क के अधीन हैं और ये वस्तुएं नवीनतम आदेश में शामिल नहीं हैं। इनपर शुल्क लगाने की घोषणा ट्रंप के 26 मार्च, 2025 के आदेश में की गई थी। इस घटनाक्रम पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए भारतीय स्टेनलेस स्टील विकास संघ (आईएसएसडीए) ने कहा कि अमेरिका को (स्टेनलेस स्टील) निर्यात की कुल मात्रा मामूली बनी हुई है, जिससे भारत के स्टेनलेस स्टील क्षेत्र पर जवाबी शुल्क का प्रत्यक्ष प्रभाव सीमित हो रहा है। आईएसएसडीए के अध्यक्ष राजमणि कृष्णमूर्ति ने कहा, “हालांकि, बड़ी चिंता ऐसी नीतियों से उत्पन्न संभावित व्यापार विचलन को लेकर है। अमेरिकी शुल्क का सामना करने वाले देश अपने निर्यात का रुख भारत की ओर कर सकते हैं, जिससे कम लागत वाले आयात की बाढ़ आ सकती है।” उन्होंने कहा कि इससे घरेलू उत्पादकों के लिए गंभीर चुनौती उत्पन्न हो गई है तथा भारतीय स्टेनलेस स्टील उद्योग की स्थिरता और वृद्धि को खतरा पैदा हो गया है।
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नयी दिल्ली. उद्योग जगत ने बृहस्पतिवार को कहा कि अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के भारत पर 27 प्रतिशत जवाबी शुल्क की घोषणा से वैश्विक व्यापार और विनिर्माण मूल्य श्रृंखलाओं में एक बड़ा बदलाव आएगा। हालांकि, देश की मजबूत अर्थव्यवस्था पर इसका खास असर नहीं होगा। उद्योग जगत का मानना है कि शुल्क घोषणाओं के वास्तविक प्रभाव का उचित आकलन बाद में ही होगा।
राष्ट्रपति ट्रंप ने कल रात विभिन्न देशों पर शुल्क लगाये जाने की घोषणा की। इससे वैश्विक व्यापार और विनिर्माण मूल्य श्रृंखलाओं में एक बड़ा बदलाव आएगा। उद्योग मंडल एसोचैम के अध्यक्ष संजय नायर ने कहा कि भारत को 10 प्रतिशत बेसलाइन शुल्क के अतिरिक्त 27 प्रतिशत शुल्क दरों के बीच में रखा गया है। इसका वास्तविक प्रभाव के लिए आकलन किया जाना चाहिए। उन्होंने कहा, ‘‘कुल मिलाकर, ऐसा लगता है कि अमेरिकी बाजार में भारत की निर्यात प्रतिस्पर्धात्मकता सापेक्ष आधार पर बहुत कम प्रभावित हुई है। फिर भी हमारे उद्योग को इन शुल्क के प्रभाव को कम करने के लिए निर्यात दक्षता और मूल्य संवर्धन बढ़ाने के लिए ठोस प्रयास करने चाहिए।'' नायर ने कहा कि भारत के निरंतर आर्थिक विकास और रणनीतिक महत्व को देखते हुए, हम द्विपक्षीय व्यापार समझौते के माध्यम से अमेरिका के साथ सहयोग जारी रखने की उम्मीद कर रहे हैं। उद्योग मंडल पीएचडी चैंबर ऑफ कॉमर्स के अध्यक्ष हेमंत जैन ने कहा कि भारत की मजबूत औद्योगिक प्रतिस्पर्धी स्थिति अमेरिकी शुल्क के प्रभाव को संतुलित करेगी और इसका सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) पर अल्पावधि में केवल 0.1 प्रतिशत प्रभाव पड़ेगा। हालांकि, उन्होंने कहा कि मध्यम अवधि में, जैसे ही नीति पूरी तरह से प्रभावी होगी, यह कमी दूर हो जाएगी। -
नयी दिल्ली. निर्यातक संगठनों के महासंघ फियो ने बृहस्पतिवार को कहा कि भारत पर लगाया गया 26 प्रतिशत अमेरिकी शुल्क निस्संदेह घरेलू कंपनियों को प्रभावित करेगा। फियो के महानिदेशक एवं मुख्य कार्यपालक अधिकारी (सीईओ) अजय सहाय ने हालांकि साथ ही कहा कि भारत कई अन्य देशों की तुलना में बेहतर स्थिति में है। उन्होंने उम्मीद जाहिर की कि प्रस्तावित द्विपक्षीय व्यापार समझौता (बीटीए) जिस पर दोनों देशों के बीच बातचीत जारी है, जल्द ही अंतिम रूप लेगा। इससे इन जवाबी शुल्कों से राहत मिल सकती है। सहाय ने कहा, ‘‘ हमें प्रभाव का आकलन करना है, लेकिन अन्य देशों पर लगाए गए जवाबी शुल्कों को देखते हुए, हम सबसे कम शुल्क का सामना करने वालों में हैं। हम वियतनाम, चीन, इंडोनेशिया, म्यांमा आदि जैसे अपने प्रमुख प्रतिस्पर्धियों की तुलना में बहुत बेहतर स्थिति में हैं। हम निश्चित रूप से शुल्कों से प्रभावित होंगे, लेकिन हम कई अन्य देशों की तुलना में बहुत बेहतर स्थिति में हैं।'' अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने भारत पर व्यापक रूप से 26 प्रतिशत का ‘रियायती जवाबी शुल्क' लगाने की घोषणा की है। ट्रंप ने शुल्क की घोषणा करते समय एक चार्ट दिखाया जिसमें भारत, चीन, ब्रिटेन और यूरोपीय संघ जैसे देशों द्वारा लगाए गए शुल्क के साथ-साथ जवाबी शुल्क भी दर्शाए गए थे। चार्ट ने संकेत मिलता है कि भारत ने "मुद्रा से ‘छेड़छाड' और व्यापार बाधाओं सहित'' 52 प्रतिशत का शुल्क लगाया है। अमेरिका अब भारत से 26 प्रतशित का ‘रियायती जवाबी शुल्क' वसूलेगा। अमेरिकी राष्ट्रपति ने कहा, ‘‘भारत, बहुत, बहुत सख्त है।बेहद सख्त है। प्रधानमंत्री (नरेन्द्र मोदी) अभी-अभी यहां से गए हैं। वह मेरे बहुत अच्छे दोस्त हैं, लेकिन मैंने कहा, 'आप मेरे दोस्त हैं, लेकिन आप हमारे साथ सही व्यवहार नहीं कर रहे हैं। वे हमसे 52 प्रतिशत शुल्क लेते हैं...'' वित्त वर्ष 2021-22 से 2023-24 तक अमेरिका भारत का सबसे बड़ा व्यापारिक साझेदार था। भारत के कुल माल निर्यात में अमेरिका की हिस्सेदारी करीब 18 प्रतिशत, आयात में 6.22 प्रतिशत और द्विपक्षीय व्यापार में 10.73 प्रतिशत है। अमेरिका के साथ भारत का 2023-24 में माल के मामले में व्यापार अधिशेष (आयात और निर्यात के बीच का अंतर) 35.32 अरब अमेरिकी डॉलर है। यह 2022-23 में 27.7 अरब अमेरिकी डॉलर, 2021-22 में 32.85 अरब अमेरिकी डॉलर, 2020-21 में 22.73 अरब अमेरिकी डॉलर और 2019-20 में 17.26 अरब अमेरिकी डॉलर था।
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मुंबई. स्थानीय शेयर बाजार में बुधवार को तेजी आई और दोनों मानक सूचकांक... अच्छी-खासी बढ़त में रहे। बीएसई का 30 शेयरों वाला सेंसेक्स लगभग 593 अंक चढ़ा, जबकि एनएसई निफ्टी 167 अंक के लाभ में रहा। मजबूत पीएमआई (परचेजिंग मैनेजर इंडेक्स) विनिर्माण के आंकड़े और हाल में गिरावट के बाद निचले स्तर पर लिवाली से बाजार में तेजी रही। तीस शेयरों पर आधारित बीएसई सेंसेक्स 592.93 अंक यानी 0.78 प्रतिशत की तेजी के साथ 76,617.44 अंक पर बंद हुआ। कारोबार के दौरान, एक समय यह 655.84 अंक तक चढ़ गया था। नेशनल स्टॉक एक्सचेंज का निफ्टी भी 166.65 अंक यानी 0.72 प्रतिशत की तेजी के साथ 23,332.35 अंक पर बंद हुआ। निचले स्तर पर चुनिंदा वाहन, बैंक और आईटी शेयरों में लिवाली के साथ देश के विनिर्माण क्षेत्र में वृद्धि मार्च में आठ महीने के उच्चस्तर पर आने से घरेलू शेयर बाजार बढ़त में रहे। विदेशी संस्थागत निवेशकों की बिकवाली से मंगलवार को बीएसई सेंसेक्स 1,390 अंक लुढ़क गया था जबकि एनएसई निफ्टी में 353 अंक की बड़ी गिरावट आई थी। सेंसेक्स के शेयरों में जोमैटो करीब पांच प्रतिशत चढ़ा। इसके बाद, टाइटन का स्थान रहा जिसमें करीब चार प्रतिशत की तेजी रही। इसके अलावा इंडसइंड बैंक, मारुति, टेक महिंद्रा, अदाणी पोर्ट्स, भारती एयरटेल और एचडीएफसी बैंक में भी प्रमुख रूप से तेजी रही। दूसरी तरफ, नुकसान में रहने वाले शेयरों में नेस्ले, पावर ग्रिड, अल्ट्राटेक सीमेंट, बजाज फिनसर्व और लार्सन एंड टुब्रो शामिल हैं। जियोजीत इन्वेस्टमेंट लि. के शोध प्रमुख विनोद नायर ने कहा, ‘‘बाजार में तेजी काफी हद तक इस उम्मीद पर आधारित है कि शुल्क का घरेलू अर्थव्यवस्था पर बहुत कम प्रभाव पड़ेगा। इसका कारण भारत-अमेरिका व्यापार वार्ता में सकारात्मक प्रगति का होना है।'' उन्होंने कहा, ‘‘मार्च में भारत के विनिर्माण पीएमआई के आंकड़े ने भी धारणा को और मजबूत किया, जो आठ महीने के उच्चतम स्तर पर पहुंच गया। यह वित्त वर्ष 2024-25 में कंपनियों की कमाई में सुधार का संकेत देता है।'' एशिया के अन्य बाजारों में जापान का निक्की और चीन का शंघाई कम्पोजिट सकारात्मक दायरे में रहे जबकि दक्षिण कोरिया का कॉस्पी और हांगकांग का हैंगसेंग नुकसान में रहे। यूरोप के प्रमुख बाजारों में ज्यादातर में गिरावट का रुख रहा। अमेरिकी बाजार में मंगलवार को ज्यादातर में तेजी रही थी। बुधवार को जारी मासिक सर्वेक्षण के अनुसार भारत के विनिर्माण क्षेत्र की वृद्धि दर मार्च में बढ़कर आठ महीने के उच्चस्तर पर पहुंच गई। बेहतर मांग की स्थिति के बीच कारखाना ऑर्डर और उत्पादन में तीव्र वृद्धि इसकी मुख्य वजह रही। मौसमी रूप से समायोजित ‘एचएसबीसी इंडिया विनिर्माण क्रय प्रबंधक सूचकांक' (पीएमआई) मार्च में 58.1 रहा जो फरवरी में 56.3 था। यह बताता है कि क्षेत्र में उल्लेखनीय सुधार हुआ है। शेयर बाजार के आंकड़ों के अनुसार, विदेशी संस्थागत निवेशकों (एफआईआई) ने मंगलवार को 5,901.63 करोड़ रुपये के शेयर बेचे। जबकि घरेलू संस्थागत निवेशकों ने 4,322.58 करोड़ रुपये मूल्य के शेयर खरीदे। वैश्विक तेल मानक ब्रेंट क्रूड 0.12 प्रतिशत की गिरावट के साथ 74.40 डॉलर प्रति बैरल पर रहा।
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नयी दिल्ली. अमेरिका द्वारा जवाबी शुल्क लगाए जाने की चिंताओं के बीच बुधवार को राष्ट्रीय राजधानी के सर्राफा बाजार में सोने की कीमत 94,150 रुपये प्रति 10 ग्राम के अपने सर्वकालिक उच्चस्तर पर स्थिर बनी रही। अखिल भारतीय सर्राफा संघ ने यह जानकारी दी है। मंगलवार को 99.9 प्रतिशत शुद्धता वाला सोना करीब दो माह की सबसे तेज बढ़त यानी 2,000 रुपये की तेजी के साथ 94,150 रुपये प्रति 10 ग्राम के सर्वकालिक उच्चस्तर पर बंद हुआ था। 99.5 प्रतिशत शुद्धता वाला सोना भी 93,700 रुपये प्रति 10 ग्राम के सर्वकालिक उच्चस्तर पर स्थिर कारोबार करता रहा। कारोबारियों ने कहा कि अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के भारत सहित विभिन्न देशों पर जवाबी शुल्क के लागू होने से पहले सोने की कीमतें स्थिर रहीं। हालांकि, चांदी की कीमतें मंगलवार के बंद स्तर 1,02,500 रुपये प्रति किलोग्राम से 1,000 रुपये घटकर 1,01,500 रुपये प्रति किलोग्राम रह गईं। एचडीएफसी सिक्योरिटीज में वरिष्ठ विश्लेषक-जिंस सौमिल गांधी ने कहा, ‘‘इस बात की बहुत अधिक संभावना है कि यह घटना (जवाबी शुल्क) सभी वित्तीय परिसंपत्ति वर्गों में अस्थिरता की एक नई लहर का कारण बनेगी।'' गांधी ने कहा, ‘‘निवेशक यह आकलन करेंगे कि शुल्कों का अगला दौर वैश्विक व्यापार, वैश्विक अर्थव्यवस्था और भू-राजनीतिक मोर्चे को कैसे प्रभावित करेगा, और उसके अनुरूप प्रतिक्रिया देगा। अनिश्चित (अस्थिर) समय आमतौर पर कीमती धातुओं के लिए फायदेमंद होता है।'' वैश्विक मोर्चे पर, हाजिर सोना 0.11 प्रतिशत बढ़कर 3,116.86 डॉलर प्रति औंस हो गया। इसके अलावा, जून डिलिवरी के लिए कॉमेक्स सोना वायदा 3,149.30 डॉलर प्रति औंस पर स्थिर रहा। इस बीच, एशियाई बाजार में हाजिर चांदी 0.52 प्रतिशत बढ़कर 33.87 डॉलर प्रति औंस हो गई। कोटक सिक्योरिटीज की एवीपी-जिंस शोध कायनात चैनवाला के अनुसार, बाजार प्रतिभागियों को अमेरिकी निजी नौकरियों की रिपोर्ट के जारी होने का भी इंतजार रहेगा, जो फेडरल रिजर्व की मौद्रिक नीति पर अधिक जानकारी प्रदान कर सकती है।
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मुंबई । महाराष्ट्र मंत्रिमंडल ने एक लाख की आबादी वाले शहरों के लिए इलेक्ट्रिक-बाइक टैक्सी की शुरुआत को मंजूरी दे दी। इस कदम से 15 किलोमीटर तक की यात्रा करने वाले एकल यात्रियों को लाभ होगा और यह मुंबई के अलावा राज्य के कई अन्य शहरी केंद्रों में भी लागू होगी। राज्य के परिवहन मंत्री प्रताप सरनाईक ने कहा कि इस कदम से मुंबई महानगर क्षेत्र (एमएमआर) में 10,000 से अधिक और राज्य के बाकी हिस्सों में भी इतनी ही नौकरियां पैदा होंगी।
सड़क पर वाहनों की संख्या को कम करने के लिए सरकार ने निजी दोपहिया वाहनों के लिए बाइक-पूलिंग के विकल्प को भी मंजूरी दी है। इन वाहनों के लिए मोटर वाहन अधिनियम के तहत फिटनेस सर्टिफिकेट, वैध परमिट और बीमा अनिवार्य होगा। बाइक टैक्सी किराया दरें संबंधित क्षेत्रीय परिवहन प्राधिकरण (RTA) द्वारा निर्धारित की जाएंगी।बाइक टैक्सी सेवा से कम खर्च में सुगम यात्रा का विकल्प उपलब्ध होगा और यात्रियों की सुरक्षा को प्राथमिकता दी जाएगी। इस नीति के तहत, केवल इलेक्ट्रिक बाइक टैक्सी परिवहन सेवा में शामिल की जाएंगी। यह योजना नागरिकों को सस्ता परिवहन विकल्प और लास्ट माइल कनेक्टिविटी प्रदान करेगी। इसके साथ ही, यह शहरों में प्रदूषण और यातायात जाम को कम करने में मदद करेगी और यात्रा का समय घटेगा। साथ ही, नए रोजगार के अवसर भी उपलब्ध होंगे।रामनाथ झा की अध्यक्षता वाली समिति की सिफारिशों के अनुसार इस नीति को लागू करने का निर्णय लिया गया, जिसका गठन बाइक टैक्सी वाहनों के लिए एक व्यापक नीति तैयार करने के लिए किया गया था। इससे राज्य के नागरिकों को किफायती एवं सुविधाजनक परिवहन का विकल्प मिलेगा। इस नीति के तहत बाइक टैक्सी सेवाएं प्रदान करने वाले एग्रीगेटर्स को इलेक्ट्रिक बाइक का उपयोग करना होगा। उन्हें पीले रंग से रंगा जाएगा। यह विकल्प पर्यावरण के अनुकूल है और रोजगार भी प्रदान करता है। इससे महत्वपूर्ण रोजगार सृजन होगा और महिला ड्राइवरों को भी प्रोत्साहन मिलेगा।बाइक टैक्सी सिर्फ 20 से 50 वर्ष की आयु के चालक ही चला सकेंगे। इसके अलावा, महिला यात्रियों को महिला चालक चुनने का विकल्प भी उपलब्ध रहेगा, जिससे उनकी सुरक्षा सुनिश्चित होगी। इस नीति के तहत सेवा प्रदान करने वाले एग्रीगेटर्स के वाहनों में जीपीएस लगाना, आपातकालीन संचार सुविधाएं उपलब्ध कराना, गति की जांच करना , चालक और यात्री दोनों के लिए बीमा कवर प्रदान करना, स्वच्छता मानकों को बनाए रखना आदि अनिवार्य कर दिया गया है। इसके साथ ही दोपहिया वाहन चालकों का चयन करते समय उनकी पृष्ठभूमि की जांच करना और यह सुनिश्चित करना भी जरूरी कर दिया गया है कि वे सभी सुरक्षा मानकों को पूरा करते हैं।सरनाईक ने कहा कि सरकार द्वारा प्रमाणित निगम और बोर्ड से जुड़े ऑटो-रिक्शा और टैक्सी चालकों के बच्चे ई-बाइक टैक्सी के लिए आवेदन कर सकते हैं। उन्हें 10,000 रुपये की सहायता दी जाएगी, और वे शेष धनराशि ऋण के माध्यम से जुटा सकते हैं। यह प्रदूषण मुक्त महाराष्ट्र की दिशा में पहला कदम है। हम किराया तय करेंगे। अगर एक यात्री को यात्रा के लिए 100 रुपये खर्च करने पड़ते हैं, तो हम इस पर काम करेंगे कि यह काम 30-40 रुपये में कैसे हो सकता है। - रायगढ़। एनटीपीसी लारा ने 31 मार्च 2025 को समाप्त वित्त वर्ष 2024-25 के लिए 90.24% प्लांट लोड फैक्टर (पीएलएफ) के साथ 12648.02 मिलियन यूनिट का अब तक का सर्वोच्च उत्पादन हासिल किया है। लारा जैसे नए बिजली संयंत्र के लिए यह एक उल्लेखनीय प्रदर्शन है। अन्य परिचालन उपलब्धियों में, 800 मेगावाट (MW) इकाई-II बिना बॉयलर ट्यूब लीकेज (BTL) से 442 दिनो को मिलकर 350 दिनों से अधिक समय से लगातार चल रही है, जो 660 और 800 मेगावाट इकाइयों के लिए सर्वोत्तम है। लारा एकमात्र स्टेशन है जिसने शून्य उपकरण आंशिक नुकसान हासिल किया है। ये सभी विशेषताएं एनटीपीसी लारा की राष्ट्र निर्माण के लिए निर्बाध बिजली आपूर्ति प्रदान करने और इसके विकास की गति को शक्ति प्रदान करने की प्रतिबद्धता का प्रमाण हैं। इस उल्लेखनीय प्रदर्शन के लिए श्री अनिल कुमार, कार्यकारी निदेशक (एनटीपीसी-लारा) ने उत्कृष्टता के लिए प्रयास करते हुए, देश के विकास रथ को आगे बढ़ाने के लिए विश्वसनीय, सस्ती और निर्बाध बिजली आपूर्ति प्रदान करने के लिए कर्मचारियों के अथक प्रयास के लिए सभी कर्मचारियों की सराहना की।बिजली उत्पादन के अलावा, एनटीपीसी लारा कॉर्पोरेट सामाजिक उत्तरदायित्व और सामुदायिक विकास गतिविधियों के रूप में समाज में योगदान दे रहा है। सीडीआर-सीडी गतिविधियों के तहत एनटीपीसी लारा रायगढ़ जिले और छत्तीसगढ़ राज्य में शिक्षा, स्वास्थ्य और पेयजल सुविधाओं के विकास के तहत विभिन्न बड़े काम कर रहा है।
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नई दिल्ली। अप्रैल की शुरुआत के साथ नया वित्त वर्ष 2025-26 (FY26) भी शुरू हो चुका है। इस महीने बैंक से जुड़े जरूरी काम करने की सोच रहे लोगों के मन में सबसे बड़ा सवाल यही है कि क्या 1 अप्रैल 2025 को बैंक खुले हैं या बंद? इस कन्फ्यूजन को दूर करने के लिए RBI की बैंक हॉलिडे लिस्ट काफी मददगार है। इस लिस्ट के मुताबिक, 1 अप्रैल को कुछ राज्यों में बैंक बंद हैं, जबकि बाकी राज्यों में बैंक सामान्य रूप से खुले हुए हैं।
कहां बंद रहेंगे बैंक 1 अप्रैल को?1 अप्रैल 2025 (मंगलवार) को सालाना अकाउंट क्लोजिंग के चलते मेघालय, छत्तीसगढ़, मिजोरम, पश्चिम बंगाल और हिमाचल प्रदेश में बैंक बंद रहेंगे। बाकी राज्यों में बैंक खुले रहेंगे।
अप्रैल 2025 में कुल 16 दिन बैंक बंद रहेंगेइस महीने त्योहार, क्षेत्रीय छुट्टियां, और वीकली ऑफ मिलाकर कुल 16 दिन बैंक बंद रहेंगे। नीचे दी गई हॉलिडे लिस्ट देखिए:-1 अप्रैल (मंगलवार): अकाउंट क्लोजिंग (मेघालय, छत्तीसगढ़, मिजोरम, पश्चिम बंगाल, हिमाचल प्रदेश में बैंक बंद)-5 अप्रैल (शनिवार): बाबू जगजीवन राम जयंती (हैदराबाद में बैंक बंद)-6 अप्रैल (रविवार): साप्ताहिक छुट्टी-10 अप्रैल (गुरुवार): महावीर जयंती (कई राज्यों में बैंक बंद)-12 अप्रैल (शनिवार): दूसरा शनिवार-13 अप्रैल (रविवार): साप्ताहिक छुट्टी-14 अप्रैल (सोमवार): डॉ. अंबेडकर जयंती और अन्य क्षेत्रीय त्योहार-15 अप्रैल (मंगलवार): बंगाली न्यू ईयर, हिमाचल डे, बोहाग बिहू-16 अप्रैल (बुधवार): बोहाग बिहू (गुवाहाटी में बैंक बंद)-18 अप्रैल (शुक्रवार): गुड फ्राइडे-20 अप्रैल (रविवार): साप्ताहिक छुट्टी-21 अप्रैल (सोमवार): गारिया पूजा (अगरतला में बैंक बंद)-26 अप्रैल (शनिवार): चौथा शनिवार-27 अप्रैल (रविवार): साप्ताहिक छुट्टी-29 अप्रैल (मंगलवार): भगवान परशुराम जयंती (शिमला में बैंक बंद)-30 अप्रैल (बुधवार): बसवा जयंती, अक्षय तृतीया (बेंगलुरु में बैंक बंद)बैंक हॉलिडे का आपकी प्लानिंग पर असरक्या ऑनलाइन बैंकिंग भी बंद रहेगी?नहीं, नेट बैंकिंग, मोबाइल बैंकिंग और ATM सर्विसेस छुट्टियों में भी चालू रहेंगी। लेकिन कुछ ट्रांजैक्शन में देरी हो सकती है, इसलिए जरूरी फाइनेंशियल काम समय से पहले निपटाना बेहतर रहेगा। -
नई दिल्ली। देश में आज से नए वित्त वर्ष की शुरुआत हो रही है। यह वो दिन होता है टैक्स के लिहाज से आपका साल खत्म हो जाता है और नए वित्त वर्ष की शुरुआत होती है। यानी आपकी जो भी आमदनी या खर्च 31 मार्च तक हुई उसी के लिहाज से आपको बीते हुए साल का टैक्स सरकार को चुकाना है। जो आमदनी या खर्च आप एक अप्रैल के बाद से करेंगे उसका हिसाब अगले साल होगा। इसलिए जानकार मानते हैं कि आपको टैक्स के प्लानिंग की शुरुआत 1 अप्रैल से ही कर देनी चाहिए। लेकिन क्या आप जानते हैं कि एक अप्रैल के बाद और क्या बदलाव होने जा रहे हैं।
देश में नई कर व्यवस्था लागू
, आज एक अप्रैल से देश में नई कर व्यवस्था लागू हो जाएगी। इसके तहत 12 लाख तक की आमदनी तक आपको कोई भी टैक्स नहीं देना होगा। वेतन भोगी 75000 रुपये तक की मानक कटौती के लिए भी पात्र होंगे। यानी पौने तेरह लाख तक कोई भी टैक्स नहीं देना होगा।आज से केंद्र सरकार की एकीकृत पेंशन योजना लागूजो मोबाइल नंबर प्रभावी नहीं हैं उसके जरिए यूपीआई पेमेंट नहीं हो पाएगा। एक अप्रैल 2025 से केंद्र सरकार की एकीकृत पेंशन योजना लागू हो जाएगी। जीएसटी पोर्टल पर मल्टी फैक्टर ऑथेंटिकेशन की शुरुआत होगी जो ज्यादा सुरक्षित है।50 लाख से ज्यादा की खरीद बिक्री पर टीसीएस नहीं काटना पडे़गावहीं 50 लाख से ज्यादा की खरीद बिक्री पर टीसीएस नहीं काटना पडे़गा। एक अप्रैल के बाद 15 वर्ष से ज्यादा पुरानी गाड़ियों पर ईंधन भरने की अनुमति नहीं होगी।जीएसटी संबंधी गड़बड़ियों को रोकने के लिए नए नियम प्रभावीजीएसटी संबंधी गड़बड़ियों को रोकने के लिए एक अप्रैल 2025 से नए नियम प्रभावी हो रहे हैं। 10 करोड़ से ज्यादा के सालाना टर्नओवर पर कारोबारियों को नए इनवॉइस पोर्टल पर ई-इनवॉइस अपलोड करना जरूरी हो जाएगा। ये ई-इनवॉइस बिक्री के एक माह के भीतर ही अपलोड करना जरूरी है। पहले ऐसी कोई भी समय सीमा नहीं थी। -
नई दिल्ली। केंद्र सरकार ने प्रमुख क्षेत्रों जैसे बंदरगाह, सड़कें, रेलवे और हवाई अड्डों में इलेक्ट्रिक वाहन (EV) चार्जिंग ढांचे को बढ़ाने की योजना बनाई है। इसमें बैटरी स्वैपिंग सुविधाएं भी शामिल होंगी। यह जानकारी एक वरिष्ठ अधिकारी ने दी है। भारी उद्योग मंत्रालय (MHI) ने बंदरगाह, जहाजरानी और जलमार्ग मंत्रालय, भारतीय हवाई अड्डा प्राधिकरण (AAI), राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण (NHAI) और विभिन्न राज्य सरकारों के साथ बातचीत शुरू की है। इसका मकसद EV चार्जिंग स्टेशन लगाने के लिए संभावित जगहों का पता लगाना है।
10,900 करोड़ रुपये की पीएम ई-ड्राइव योजना के तहत, सरकार ने देशभर में EV चार्जिंग स्टेशन और बैटरी स्वैपिंग सुविधाएं स्थापित करने के लिए 2,000 करोड़ रुपये आवंटित किए हैं। इस पहल का लक्ष्य भारत के बढ़ते EV बाजार के लिए चार्जिंग कनेक्टिविटी को बेहतर करना और इंटरनल कम्बशन इंजन वाहनों पर निर्भरता कम करना है। भारत का लक्ष्य वित्त वर्ष 2026 तक सार्वजनिक EV चार्जिंग स्टेशनों की संख्या को 32,500 से बढ़ाकर 72,300 करना है।दिल्ली के इंदिरा गांधी अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे और कोच्चि हवाई अड्डे जैसे कुछ प्रमुख हवाई अड्डों के साथ-साथ एनएच-48 (दिल्ली-जयपुर-आगरा) और एनएच-179बी (चेन्नई-त्रिची) जैसे राष्ट्रीय राजमार्गों पर पहले से ही EV चार्जिंग ढांचा मौजूद है। अब अन्य हवाई अड्डों, राजमार्गों और बंदरगाहों को भविष्य में स्थापना के लिए चुना जा रहा है।अधिकारी ने कहा, “हमें 14 राज्यों से सुझाव मिले हैं और एक अंतर-मंत्रालयी बैठक हो चुकी है। संबंधित मंत्रालयों से और फीडबैक मिलने के बाद हम अप्रैल तक दिशानिर्देश तय कर लेंगे।”एमएचआई ने ट्रकों की अधिक आवाजाही वाले 20 राष्ट्रीय राजमार्गों की पहचान की है और एनएचएआई को स्वतंत्र रूप से टेंडर प्रक्रिया आगे बढ़ाने की जिम्मेदारी दी है। इस योजना के तहत मंत्रालय 80 प्रतिशत लागत वहन करेगा। पहचाने गए राजमार्गों में मुंबई-पुणे और बेंगलुरु-चेन्नई जैसे व्यस्त मार्ग शामिल हैं। एनएचएआई अपने डेटा के आधार पर स्थापना की जगहें तय करेगा, जबकि एमएचआई फंडिंग का प्रबंधन करेगा। इससे जुड़ी जानकारी के लिए संबंधित मंत्रालयों और एजेंसियों के सचिवों, प्रवक्ताओं और अध्यक्षों को भेजे गए सवालों खबर के प्रकाशन तक कोई जवाब नहीं मिला।पीएम ई-ड्राइव के तहत, केंद्र सरकार सार्वजनिक तेज EV चार्जिंग स्टेशन लगाने के लिए 80 प्रतिशत तक सब्सिडी दे रही है। विशेष मामलों में, खासकर पूर्वोत्तर, तटीय और पहाड़ी क्षेत्रों में 100 प्रतिशत फंडिंग भी संभव है। बैटरी स्वैपिंग पर अधिकारी ने कहा, “हम हवाई अड्डों, बंदरगाहों और एनएचएआई से प्रस्ताव स्वीकृत करेंगे, बशर्ते वे बिजली मंत्रालय के दिशानिर्देशों का पालन करें।”बैटरियों की संख्या या आकार पर कोई पाबंदी नहीं होगी, लेकिन बिजली मंत्रालय के सुरक्षा मानकों का पालन जरूरी होगा। उदाहरण के लिए, अगर एएआई अपने टेंडर में बैटरी स्वैपिंग स्टेशन शामिल करता है, तो उसे बिजली क्षमता और संबंधित लागत बतानी होगी। स्वैपिंग स्टेशनों को निवेश के आधार पर एक निर्धारित सेवा स्तर देना होगा।अधिकारी ने स्पष्ट किया, “इस सेवा स्तर को सुनिश्चित करने के लिए कंपनियों को बैटरी खरीदनी पड़ सकती हैं। यह औपचारिक शर्त नहीं होगी, लेकिन सेवा स्तर समझौते में अपटाइम, बिजली गुणवत्ता और सेवा विवरण जैसे पहलुओं को शामिल किया जाएगा। हालांकि, बैटरियों की संख्या तय नहीं की जाएगी। यह अंततः एएआई, एनएचएआई और राज्य सरकारें तय करेंगी।”अधिकारी ने आगे कहा, “हम स्वैपिंग स्टेशनों के लिए सब्सिडी देने को तैयार हैं, क्योंकि यह पीएम ई-ड्राइव के प्रावधानों में से एक है।”कंपनियां अपना सकती हैं बैटरी-एज-ए-सर्विस मॉडलएक उद्योग विशेषज्ञ के अनुसार, कुछ कंपनियां बैटरी-एज-ए-सर्विस मॉडल अपना सकती हैं, जैसा कि गैस सिलेंडर की आपूर्ति में होता है। उन्होंने कहा, “इस मॉडल में ग्राहक अपने दोपहिया या कार के लिए बैटरी सेल खरीदेंगे और बैटरी उपयोग के लिए भुगतान करेंगे। इससे वाहन की शुरुआती कीमत काफी कम हो जाएगी, क्योंकि बैटरी कुल कीमत का 30 से 40 प्रतिशत हिस्सा होती है।”विशेषज्ञ ने कहा, “बैटरियों का मानकीकरण जरूरी है। सवाल यह है कि कितने वाहन ऐसी बैटरियों को स्वीकार करने के लिए डिज़ाइन किए जाएंगे, क्योंकि अलग-अलग निर्माता अपने मालिकाना मॉडल पसंद कर सकते हैं। इससे कुछ कंपनियां बाहर हो सकती हैं, जिससे कुल सेवा सीमित होगी। यह जांचना जरूरी है कि स्वैपिंग समाधान से कितने वाहन संगत हैं।”पीएम ई-ड्राइव के तहत, सरकार ने देशभर में EV चार्जिंग स्टेशन लगाने के लिए ₹2,000 करोड़ का बड़ा फंड आवंटित किया है।भारत का लक्ष्य वित्त वर्ष 2026 तक EV चार्जिंग स्टेशनों की संख्या 32,500 से बढ़ाकर 72,300 करना है।इसने अक्टूबर 2024 में योजना की घोषणा के दौरान इलेक्ट्रिक ट्रकों के लिए ऑपरेटरों को सब्सिडी देने के लिए ₹500 करोड़ आवंटित किए हैं, इसे एक उभरता क्षेत्र माना गया है।EV चार्जिंग ढांचे का विस्तार ऐसे समय में हो रहा है जब सरकार अपने बंदरगाह ढांचे के तेजी से विस्तार पर ध्यान दे रही है।भारतीय बंदरगाहों में आर्थिक गतिविधि कई गुना बढ़ने वाली है, क्योंकि सरकार व्यापार केंद्रों से बंदरगाहों को जोड़ने वाली सड़कों को भीड़ से मुक्त करने पर ध्यान दे रही है। -
नई दिल्ली। खान मंत्रालय ने रविवार को कहा कि देश में लौह अयस्क, मैंगनीज अयस्क, बॉक्साइट और सीसा जैसे प्रमुख खनिजों का उत्पादन वित्त वर्ष 2023-24 में रिकॉर्ड स्तर पर पहुंचने के बाद वित्त वर्ष 2024-25 में भी तेजी से बढ़ा है।
वित्त वर्ष 2023-24 की समान अवधि में 252 एमएमटी था, जो सालाना 4.4 प्रतिशत की वृद्धि दर्शाता हैआधिकारिक आंकड़ों में बताया गया कि लौह अयस्क का उत्पादन, जो वैल्यू के हिसाब से कुल खनिज उत्पादन का 70 प्रतिशत है, वित्त वर्ष 2024-25 के अप्रैल-फरवरी के दौरान बढ़कर 263 मिलियन मीट्रिक टन (एमएमटी) हो गया है, यह वित्त वर्ष 2023-24 की समान अवधि में 252 एमएमटी था, जो सालाना 4.4 प्रतिशत की वृद्धि दर्शाता है। पूरे वित्त वर्ष 2023-24 में लौह अयस्क का उत्पादन 274 मिलियन मीट्रिक टन (एमएमटी) था।वित्त वर्ष 2024-25 (अप्रैल-फरवरी) में मैंगनीज अयस्क का उत्पादन पिछले वर्ष की इसी अवधि के 3.0 एमएमटी से 12.8 प्रतिशत बढ़कर 3.4 एमएमटी हो गयावित्त वर्ष 2024-25 (अप्रैल-फरवरी) में मैंगनीज अयस्क का उत्पादन पिछले वर्ष की इसी अवधि के 3.0 एमएमटी से 12.8 प्रतिशत बढ़कर 3.4 एमएमटी हो गया, जबकि बॉक्साइट का उत्पादन भी चालू वित्त वर्ष के शुरुआती 11 महीनों के दौरान 3.6 प्रतिशत बढ़कर 22.7 एमएमटी हो गया है, जो वित्त वर्ष 2023-24 की इसी अवधि में 21.9 एमएमटी था।सीसा का उत्पादन वित्त वर्ष 2024-25 की अप्रैल-फरवरी अवधि में 3.5 प्रतिशत बढ़कर 3.52 लाख टन हो गया हैवहीं, सीसा का उत्पादन वित्त वर्ष 2024-25 की अप्रैल-फरवरी अवधि में 3.5 प्रतिशत बढ़कर 3.52 लाख टन हो गया है, जो वित्त वर्ष 2023-24 में 3.4 लाख टन था। अलौह धातु क्षेत्र में वित्त वर्ष 2024-25 के 11 महीनों में प्राइमरी एल्यूमीनियम उत्पादन सालाना आधार पर 0.9 प्रतिशत बढ़कर 38.36 लाख टन हो गया जो वित्त वर्ष 2023-24 की समान अवधि में 38.00 लाख था।समीक्षा अवधि के दौरान, रिफाइंड कॉपर का उत्पादन 7.1 प्रतिशत बढ़कर 4.64 लाख टन से 4.97 लाख टन हो गया हैसमीक्षा अवधि के दौरान, रिफाइंड कॉपर का उत्पादन 7.1 प्रतिशत बढ़कर 4.64 लाख टन से 4.97 लाख टन हो गया है। भारत दुनिया में दूसरा सबसे बड़ा एल्यूमीनियम उत्पादक है, रिफाइंड कॉपर के शीर्ष-10 उत्पादकों में से एक है और दुनिया में चौथा सबसे बड़ा लौह अयस्क उत्पादक है। चालू वित्त वर्ष में लौह अयस्क के उत्पादन में निरंतर वृद्धि स्टील में मजबूत मांग को दिखाता है, जो इन धातुओं का उपयोग करने वाली इंडस्ट्री है। - नयी दिल्ली. अदाणी समूह की कंपनी अंबुजा सीमेंट्स ने शीर्ष स्तर पर फेरबदल करते हुए विनोद बहेटी को अपना नया मुख्य कार्यपालक अधिकारी (सीईओ) नियुक्त किया है। सीमेंट कंपनी ने शेयर बाजार को दी सूचना में कहा कि अंबुजा सीमेंट्स के निदेशक मंडल ने बहेटी को तीन साल के कार्यकाल के लिए कंपनी का पूर्णकालिक निदेशक और सीईओ नियुक्त करने के प्रस्ताव को मंजूरी दे दी है। इसके अलावा देश की दूसरी बड़ी सीमेंट उत्पादक कंपनी ने राकेश तिवारी को मुख्य वित्तीय अधिकारी नियुक्त करने की भी घोषणा की है। कंपनी के निदेशक मंडल ने प्रवीण गर्ग को तीन साल के लिए कंपनी के बोर्ड में गैर-कार्यकारी स्वतंत्र निदेशक के रूप में नियुक्त करने को भी मंजूरी दी। नियामकीय सूचना के मुताबिक, ये सभी बदलाव एक अप्रैल, 2025 से प्रभावी होने जा रहे हैं।इस बीच, अंबुजा सीमेंट की सहायक कंपनी एसीसी ने भी अजय कपूर की अपने पूर्णकालिक निदेशक एवं सीईओ के रूप में सेवा समाप्त करने की सूचना दी है। उनके स्थान पर बहेटी ही एसीसी के पूर्णकालिक निदेशक और सीईओ की भूमिका निभाएंगे। बहेटी 16 सितंबर, 2022 से अदाणी समूह के सीमेंट कारोबार के मुख्य वित्तीय अधिकारी हैं। उन्हें विनिर्माण और वित्त उद्योगों में विभिन्न नेतृत्व पदों पर 25 से अधिक वर्षों का अनुभव है।
- वाशिंगटन. अमेरिकी अरबपति एलन मस्क ने अपने स्वामित्व वाली सोशल मीडिया कंपनी 'एक्स' को अपनी ही कृत्रिम मेधा (एआई) कंपनी एक्सएआई को 33 अरब डॉलर में बेचने की घोषणा की है। हिस्सेदारी अधिग्रहण के रूप में हुए इस सौदे में शामिल दोनों कंपनियां निजी तौर पर संचालित हैं। इसका मतलब है कि उन्हें इस सौदे से जुड़े वित्तीय पहलू का खुलासा सार्वजनिक करने की ज़रूरत नहीं है। मस्क ने सोशल मीडिया मंच 'एक्स' (पूर्व में ट्विटर) पर एक पोस्ट में शुक्रवार को कहा कि यह कदम एक्सएआई की उन्नत एआई क्षमता और विशेषज्ञता को एक्स की व्यापक पहुंच के साथ मिलाकर अपार संभावनाओं को तलाशने में मदद करेगा। उन्होंने कहा कि इस सौदे में एक्सएआई का मूल्य 80 अरब डॉलर और एक्स का मूल्य 33 अरब डॉलर आंका गया है।टेस्ला एवं स्पेसएक्स कंपनियों के मुखिया और अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के सलाहकार मस्क ने वर्ष 2022 में ट्विटर नामक साइट को 44 अरब डॉलर में खरीदा था। उन्होंने इसकी नीतियों में बदलाव करने के साथ इसका नाम भी बदलकर 'एक्स' कर दिया था। उन्होंने एक साल बाद कृत्रिम मेधा पर आधारित मंच एक्सएआई को भी पेश किया था।मस्क ने कहा, “एक्सएआई और एक्स का भविष्य आपस में जुड़ा हुआ है। हम आधिकारिक तौर पर इनके डेटा, मॉडल, कंप्यूट, वितरण और प्रतिभा को मिलाने का कदम उठाते हैं। यह संयोजन एक्सएआई की उन्नत क्षमता और विशेषज्ञता को एक्स की व्यापक पहुंच के साथ मिलाकर अपार संभावनाएं पैदा करेगा।” उन्होंने कहा कि साझा कंपनी सत्य की खोज और ज्ञान को आगे बढ़ाने के मूल मिशन के प्रति सच्चा रहते हुए अरबों लोगों को अधिक स्मार्ट, अधिक सार्थक अनुभव प्रदान करेगी।
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मुंबई। उद्योगों को बैंक कर्ज में 21 फरवरी, 2025 को समाप्त पखवाड़े में 7.3 प्रतिशत की वृद्धि हुई, जबकि एक साल पहले इसी अवधि में यह आंकड़ा 8.4 प्रतिशत था। भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) के बृहस्पतिवार को जारी आंकड़ों से यह जानकारी मिली है। प्रमुख उद्योगों में, ‘पेट्रोलियम, कोयला उत्पाद और परमाणु ईंधन', ‘सभी इंजीनियरिंग', ‘निर्माण' और ‘कागज और इसके उत्पादों' के लिए बकाया ऋण में सालाना आधार पर बढ़ोतरी दर्ज की गई है। कृषि और संबद्ध गतिविधियों के लिए ऋण में 21 फरवरी, 2025 को समाप्त पखवाड़े तक 11.4 प्रतिशत (साल-दर-साल) की वृद्धि दर्ज की गई (पिछले वर्ष इसी पखवाड़े के लिए 20 प्रतिशत)। रिजर्व बैंक ने 41 चुनिंदा बैंकों से जुटाए गए आंकड़ों के आधार पर फरवरी, 2025 के लिए विभिन्न क्षेत्रों का बैंक कर्ज का आंकड़ा जारी किया है। यह सभी अनुसूचित वाणिज्यिक बैंकों द्वारा दिए गए कुल गैर-खाद्य ऋण का लगभग 95 प्रतिशत है। सालाना आधार पर 21 फरवरी, 2025 को समाप्त पखवाड़े तक गैर-खाद्य बैंक ऋण पिछले वर्ष के इसी पखवाड़े (23 फरवरी, 2024) के 16.6 प्रतिशत की तुलना में 12 प्रतिशत बढ़ा। आंकड़ों से यह भी पता चलता है कि 21 फरवरी, 2025 को समाप्त पखवाड़े तक सेवा क्षेत्र को दिए गए ऋण में 13 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज की गई। पिछले वर्ष के इसी पखवाड़े के लिए यह 21.4 प्रतिशत थी। जबकि ‘गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनियों' (एनबीएफसी) को दिए गए ऋण में वृद्धि धीमी रही। हालांकि, ‘कंप्यूटर सॉफ्टवेयर' क्षेत्र को कर्ज में तेजी आई और ‘पेशेवर सेवाओं' और ‘व्यापार' क्षेत्रों में ऋण वृद्धि मजबूत रही। व्यक्तिगत ऋण खंड में कर्ज में 14 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज की गई, जबकि एक वर्ष पहले यह 18 प्रतिशत थी।
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नयी दिल्ली। केंद्रीय अप्रत्यक्ष कर और सीमा शुल्क बोर्ड (सीबीआईसी) ने बृहस्पतिवार को कहा कि वित्त वर्ष में किसी भी समय कमरे का किराया 7,500 रुपये प्रतिदिन से अधिक वसूलने वाले होटल को अगले वित्त वर्ष के लिए ‘निर्दिष्ट परिसर' माना जाएगा और ऐसे परिसरों के अंदर प्रदान की जाने वाली रेस्तरां सेवाओं पर इनपुट टैक्स क्रेडिट के साथ 18 प्रतिशत जीएसटी लगेगा। एक अप्रैल, 2025 से, ऐसे रेस्तरां जो होटलों के अंदर संचालित होते हैं, उनकी करयोग्यता आपूर्ति के मूल्य (लेन-देन मूल्य) के आधार पर होगी। यह ‘घोषित शुल्क' की व्यवस्था की जगह लेगा। सीबीआईसी ने ‘निर्दिष्ट परिसर में आपूर्ति की गई रेस्तरां सेवा' विषय पर जारी अक्सर पूछे जाने वाले सवालों (एफएक्यू) में कहा है , ‘‘एक अप्रैल, 2025 से शुरू होने वाली अवधि के लिए, पिछले वित्त वर्ष में होटल आवास की आपूर्ति का मूल्य, यानी उक्त आपूर्ति के लिए लिया गया लेनदेन मूल्य, यह निर्धारित करने का आधार होगा कि होटल आवास सेवा प्रदान करने वाला परिसर चालू वित्त वर्ष में अनिवार्य रूप से ‘निर्दिष्ट परिसर' की श्रेणी में आता है या नहीं।'' सीबीआईसी ने ‘निर्दिष्ट परिसर' को ऐसे परिसर के रूप में परिभाषित किया है, जहां से आपूर्तिकर्ता ने पिछले वित्त वर्ष में ‘होटल में रहने' की सेवा प्रदान की है और जिसमें आवास की किसी भी इकाई की आपूर्ति का मूल्य 7,500 रुपये प्रति इकाई प्रति दिन या उससे अधिक है। ऐसी होटल के अंदर रेस्तरां सेवाओं पर इनपुट टैक्स क्रेडिट (आईटीसी) के साथ स्वत: रूप से 18 प्रतिशत जीएसटी लगेगा। होटलों के अंदर रेस्तरां सेवाएं जिनके कमरे का किराया पिछले वित्त वर्ष में 7,500 रुपये प्रति दिन से अधिक नहीं रहा है, उन पर आईटीसी के बिना पांच प्रतिशत जीएसटी बना रहेगा। साथ ही, जिस होटल की अगले वित्त वर्ष से कमरे का किराया 7,500 रुपये से अधिक वसूलने की योजना है, वे चालू वित्त वर्ष की एक जनवरी से 31 मार्च के बीच जीएसटी अधिकारियों के समक्ष ‘ऑप्ट इन' यानी व्यवस्था में शामिल होने की घोषणा कर सकते हैं। साथ ही, नए पंजीकरण की मांग करने वाले होटलों को उक्त परिसर को ‘निर्दिष्ट परिसर' घोषित करते हुए इसे प्राप्त करने के 15 दिन के भीतर इस व्यवस्था को अपनाने के बारे में जानकारी देनी होगी। सीबीआईसी ने कहा कि निर्दिष्ट परिसर की परिभाषा में ‘घोषित टैरिफ' की अवधारणा को ‘आपूर्ति के मूल्य' (अर्थात लेनदेन मूल्य) से प्रतिस्थापित किया जा रहा है, क्योंकि होटल उद्योग बड़े पैमाने पर गतिशील मूल्य निर्धारण मॉडल की ओर बढ़ गया है। सीबीआईसी ने कहा कि यह व्यवस्था ‘होटल आवास सेवा के आपूर्तिकर्ता को परिसर को ‘निर्दिष्ट परिसर' के रूप में घोषित करने का विकल्प भी देगा, ताकि उक्त परिसर में स्थित रेस्तरां, सेवा की आपूर्ति पर 18 प्रतिशत की दर के साथ आईटीसी का लाभ उठा सकें। ईवाई टैक्स पार्टनर सौरभ अग्रवाल ने कहा कि अनुपालन को सरल बनाने के लिए, सीबीआईसी ने अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न जारी किए हैं। इसके जरिये स्पष्ट किया गया है कि यदि पिछले वित्त वर्ष में होटल आवास का मूल्य 7,500 रुपये प्रति दिन से अधिक है, तो परिसर आईटीसी के साथ 18 प्रतिशत जीएसटी के अधीन होगा। यदि मूल्य पिछले वित्त वर्ष में 7,500 रुपये से अधिक नहीं है, तो होटल स्वेच्छा से ‘निर्दिष्ट परिसर' वर्गीकरण के लिए विकल्प चुन सकते हैं, घोषणा तब तक वैध रहेगी जब तक वे उससे बाहर निकलने का विकल्प नहीं चुनते हैं। अग्रवाल ने कहा, ‘‘इस व्यवस्था से वार्षिक फाइलिंग की आवश्यकता समाप्त हो जाएगी। प्रत्येक परिसर के लिए अलग-अलग घोषणाएं आवश्यक हैं और निर्दिष्ट परिसर के बाहर स्थित रेस्तरां के लिए, आईटीसी के बिना जीएसटी दर पांच प्रतिशत है।'' - मुंबई. भारतीय एयरलाइन कंपनियां इस साल ग्रीष्मकालीन कार्यक्रम के तहत प्रति सप्ताह कुल 25,610 उड़ानों का परिचालन करेंगी। नागर विमानन महानिदेशक ने मंगलवार को यह जानकारी देते हुए कहा कि पिछले साल इस दौरान प्रति सप्ताह 24,275 उड़ानें संचालित हुईं थीं। इस तरह प्रति सप्ताह कुल उड़ानों की संख्या में इस साल 5.50 प्रतिशत सालाना वृद्धि होगी। डीजीसीए ने कहा कि मौजूदा शीतकालीन कार्यक्रम, जो 29 मार्च को खत्म हो रहा है, में प्रति सप्ताह उड़ानों की संख्या सालाना आधार पर 2.41 प्रतिशत बढ़ीं। इस दौरान भारतीय एयरलाइंस ने देश में 124 हवाई अड्डों से प्रति सप्ताह कुल 25,007 उड़ानों का संचालन किया।
- नयी दिल्ली. सरकार ने मंगलवार को कहा कि भारत दुनिया में दूध का सबसे बड़ा उत्पादक देश है और उसने अगले पांच वर्षों में दूध उत्पादन वर्तमान 23.9 लाख मीट्रिक टन से 30 लाख मीट्रिक करने का लक्ष्य रखा है। केंद्रीय पशुपालन और डेयरी मंत्री राजीव रंजन सिंह ने लोकसभा में प्रश्नकाल में यह भी कहा कि जब से मोदी सरकार ने 2014 में राष्ट्रीय गोकुल मिशन (आरजीएम) शुरू किया है, तब से देश में दूध उत्पादन में 63.5 प्रतिशत की वृद्धि हुई है और सरकार को अगले तीन वर्षों में इसमें 15 प्रतिशत की और वृद्धि होने की उम्मीद है। उन्होंने कहा, ‘‘भारत अब दुनिया में सबसे बड़ा दूध उत्पादक देश है। हमने अगले पांच वर्षों में वर्तमान 23.9 लाख मीट्रिक टन दूध उत्पादन से 30 लाख मीट्रिक टन उत्पादन पहुंचाने का लक्ष्य रखा है।'' सिंह ने कहा कि देश में करीब 10 करोड़ लोग दूध उत्पादन में लगे हुए हैं, जिनमें से 75 प्रतिशत महिलाएं हैं। उन्होंने कहा कि भारत में प्रति व्यक्ति दूध की खपत 471 ग्राम है।
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नई दिल्ली भारत सरकार 1 अप्रैल 2025 से 6 फीसदी "गूगल टैक्स" (Equalisation Levy) को खत्म करने जा रही है. यह टैक्स उन विदेशी टेक कंपनियों पर लगाया गया था, जो भारत में डिजिटल सेवाएं देती हैं, लेकिन यहां उनकी कोई फिजिकल उपस्थिति नहीं है. इस कदम को अमेरिका के साथ व्यापारिक तनाव कम करने की रणनीति के रूप में देखा जा रहा है.
गूगल टैक्स क्या था और इसे क्यों लाया गया?2016 में लागू किया गया Equalisation Levy (गूगल टैक्स) का उद्देश्य विदेशी डिजिटल कंपनियों से टैक्स वसूलना था, ताकि भारतीय कंपनियों और बहुराष्ट्रीय टेक कंपनियों के बीच बराबरी का माहौल बनाया जा सके. चूंकि गूगल, फेसबुक (अब मेटा) जैसी कंपनियां भारत में विज्ञापन सेवाओं से मोटी कमाई करती हैं, लेकिन उन्हें पारंपरिक टैक्स ढांचे में टैक्स नहीं देना पड़ता था, इसलिए यह टैक्स लागू किया गया था.भारत गूगल टैक्स क्यों हटा रहा है?अमेरिका लंबे समय से इस टैक्स को हटाने की मांग कर रहा था, क्योंकि यह अमेरिकी टेक कंपनियों के लिए भेदभावपूर्ण माना जा रहा था. इस टैक्स के कारण भारतीय कंपनियों के लिए डिजिटल विज्ञापन महंगा हो गया था, जिससे कई छोटे व्यवसाय प्रभावित हो रहे थे. भारत अब अंतरराष्ट्रीय टैक्सेशन के नए नियमों को अपनाने की दिशा में बढ़ रहा है, जिससे यह टैक्स अप्रासंगिक हो सकता है.गूगल, मेटा और अन्य टेक कंपनियों को क्या फायदा होगा?विदेशी डिजिटल कंपनियों को अब भारत में 6 फीसदी अतिरिक्त कर नहीं देना होगा, जिससे उनकी मुनाफा मार्जिन बढ़ेगा. भारतीय कंपनियों को डिजिटल विज्ञापन सेवाएं सस्ती मिलेंगी, जिससे वे अपने मार्केटिंग बजट को और प्रभावी बना सकेंगी. स्टार्टअप और छोटे व्यवसायों को फायदा होगा, क्योंकि उनके लिए ऑनलाइन विज्ञापन की लागत घटेगी.क्या यह टैक्स हटाने का फैसला सही है?विशेषज्ञों का मानना है कि Equalisation Levy से सरकार को ज्यादा टैक्स संग्रह नहीं हो रहा था, बल्कि यह भारतीय कंपनियों के लिए खर्च बढ़ा रहा था. अब टैक्स हटने से डिजिटल विज्ञापन सस्ता होगा और टेक कंपनियों के साथ भारत के व्यापारिक संबंध भी मजबूत होंगे. हालांकि, सरकार को अब डिजिटल कंपनियों से टैक्स वसूलने के लिए नए नियमों की जरूरत होगी. - नई दिल्ली। अगर आपका खाता किसी बैंक में है, तो यह खबर आपके लिए जरूरी है। 1 अप्रैल 2025 से पूरे देश में बैंकिंग से जुड़े कई नियम बदलने जा रहे हैं। इनका असर आपके सेविंग्स अकाउंट, क्रेडिट कार्ड और एटीएम ट्रांजैक्शन पर पड़ेगा। अगर आप इन बदलावों को पहले से जान लेंगे, तो फाइनेंशियल नुकसान से बच सकते हैं और बैंकिंग फायदों का पूरा फायदा उठा सकेंगे।1 अप्रैल से बैंकिंग नियमों में क्या होंगे बड़े बदलाव:ATM से निकासी पर नई पॉलिसी लागूअब एटीएम से फ्री में कितनी बार पैसा निकाल सकेंगे, इसमें बदलाव किया गया है। कई बैंकों ने अपने एटीएम निकासी से जुड़े नियमों को अपडेट किया है। खासकर, दूसरे बैंकों के एटीएम से निकासी पर फ्री लिमिट घटा दी गई है। अब ग्राहक केवल तीन बार ही किसी दूसरे बैंक के एटीएम से बिना चार्ज के पैसे निकाल सकेंगे।इसके बाद हर ट्रांजैक्शन पर ₹20 से ₹25 तक का चार्ज देना होगा।डिजिटल बैंकिंग में नए फीचर जोड़ रहे हैं बैंकडिजिटल बैंकिंग को बढ़ावा देने के लिए बैंक लगातार नई सुविधाएं जोड़ रहे हैं। अब ग्राहक ऑनलाइन बैंकिंग के जरिए पहले से बेहतर सेवाएं ले सकेंगे। इसके लिए बैंक आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस से चलने वाले चैटबॉट भी ला रहे हैं, जो ग्राहकों की मदद करेंगे। साथ ही, डिजिटल लेन-देन को सुरक्षित बनाने के लिए टू-फैक्टर ऑथेंटिकेशन और बायोमेट्रिक वेरिफिकेशन जैसी सुरक्षा व्यवस्था को और मजबूत किया जा रहा है।अब बदल गए हैं मिनिमम बैलेंस के नियमSBI, पंजाब नेशनल बैंक, केनरा बैंक और कुछ अन्य बैंकों ने मिनिमम बैलेंस से जुड़े नियमों में बदलाव किया है। अब यह बैलेंस इस बात पर निर्भर करेगा कि आपका खाता शहरी, अर्ध-शहरी या ग्रामीण इलाके में है। तय राशि से कम बैलेंस रखने पर जुर्माना देना पड़ सकता है।पॉजिटिव पे सिस्टम (PPS) लागूलेनदेन की सुरक्षा बढ़ाने के लिए कई बैंकों ने पॉजिटिव पे सिस्टम (PPS) शुरू किया है। इस सिस्टम के तहत अब ₹5,000 से ज्यादा के चेक के लिए ग्राहक को चेक नंबर, तारीख, प्राप्तकर्ता का नाम और रकम की जानकारी पहले से बैंक को देनी होगी। इससे धोखाधड़ी और गलतियों की संभावना कम होगी।सेविंग्स अकाउंट और FD पर ब्याज दरों में बदलावकई बैंक अब सेविंग्स अकाउंट और फिक्स्ड डिपॉजिट (FD) पर ब्याज दरों में बदलाव कर रहे हैं। अब सेविंग्स अकाउंट का ब्याज खाता बैलेंस पर निर्भर करेगा—जितना ज्यादा बैलेंस, उतना बेहतर रिटर्न। इन बदलावों का मकसद ग्राहकों को ज्यादा ब्याज देकर बचत को बढ़ावा देना है।क्रेडिट कार्ड बेनिफिट्स में बदलावएसबीआई और आईडीएफसी फर्स्ट बैंक समेत कई बड़े बैंक अपने को-ब्रांडेड विस्तारा क्रेडिट कार्ड्स के फायदे बदल रहे हैं। अब इन कार्ड्स पर मिलने वाले टिकट वाउचर, रिन्यूअल पर मिलने वाले फायदे और माइलस्टोन रिवॉर्ड्स जैसे बेनिफिट्स बंद कर दिए जाएंगे। एक्सिस बैंक भी अपने विस्तारा क्रेडिट कार्ड्स के फायदे 18 अप्रैल से बदलने जा रहा है।