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मुंबई. केंद्र में अगली सरकार की कमान प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के ही पास रहने की संभावना से उत्साहित घरेलू शेयर बाजार लगातार दूसरे दिन बढ़त के साथ बंद हुए। बृहस्पतिवार को दोनों मानक सूचकांक सेंसेक्स और निफ्टी क्रमशः 692 अंक और 201 अंकों की बढ़त लेने में सफल रहे। बीएसई का मानक सूचकांक सेंसेक्स 75,000 के स्तर को एक बार फिर हासिल करते हुए 692.27 अंक यानी 0.93 प्रतिशत उछलकर 75,074.51 अंक पर बंद हुआ। कारोबार के दौरान एक समय यह 915.49 अंक तक बढ़कर 75,297.73 पर पहुंच गया था। नेशनल स्टॉक एक्सचेंज (एनएसई) का सूचकांक निफ्टी भी 201.05 अंक यानी 0.89 प्रतिशत चढ़कर 22,821.40 अंक पर बंद हुआ। कारोबार के दौरान यह 289.8 अंक यानी 1.28 प्रतिशत बढ़कर 22,910.15 अंक तक पहुंच गया था। सेंसेक्स के समूह में शामिल कंपनियों में से टेक महिंद्रा, एचसीएल टेक्नोलॉजीज, भारतीय स्टेट बैंक, एनटीपीसी, इन्फोसिस, लार्सन एंड टूब्रो, टाटा कंसल्टेंसी सर्विसेज और विप्रो के शेयरों में सर्वाधिक बढ़त दर्ज की गई। दूसरी तरफ, हिंदुस्तान यूनिलीवर, एशियन पेंट्स, महिंद्रा एंड महिंद्रा, नेस्ले, इंडसइंड बैंक और सन फार्मा के शेयरों में गिरावट का रुख रहा। हालांकि भाजपा को हाल में संपन्न संसदीय चुनावों में अपने दम पर स्पष्ट बहुमत नहीं मिला है। लेकिन सहयोगी दलों के साथ मिलकर भाजपा के पास सरकार बनाने लायक बहुमत है और प्रधानमंत्री मोदी लगातार तीसरी बार केंद्र में सरकार बनाने की कोशिशों में जुट गए हैं। एशिया के अन्य बाजारों में जापान का निक्की और हांगकांग का हैंगसेंग बढ़त के साथ बंद हुए जबकि चीन का शंघाई कंपोजिट गिरावट के साथ बंद हुआ। यूरोप के अधिकांश बाजार बढ़त के साथ कारोबार कर रहे थे। बुधवार को अमेरिकी बाजार सकारात्मक दायरे में बंद हुए थे। वैश्विक तेल मानक ब्रेंट क्रूड 0.09 प्रतिशत बढ़कर 78.43 डॉलर प्रति बैरल पर पहुंच गया।
शेयर बाजार के आंकड़ों के मुताबिक, विदेशी संस्थागत निवेशकों (एफआईआई) ने बुधवार को 5,656.26 करोड़ रुपये के शेयरों की शुद्ध बिकवाली की। चुनावी नतीजे के दिन की भारी गिरावट से उबरते हुए सेंसेक्स बुधवार को 2,303.19 अंक उछलकर 74,382.24 और निफ्टी 735.85 अंक चढ़कर 22,620.35 पर पहुंच गया था। -
नई दिल्ली। भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) की मॉनिटरी पॉलिसी कमेटी (RBI MPC Meeting) की तीन दिवसीय मीटिंग की शुरुआत बुधवार को शुरू हुई। ऐसा माना जा रहा है कि एमपीसी प्रमुख ब्याज दर यानी रीपो रेट (repo rate) में कोई बदलाव नहीं करेगा।चुनाव नतीजे आने के बाद अब बाजार की नजर आरबीआई की एमपीसी बैठक के नतीजों पर है, जिसकी घोषणा शुक्रवार (7 जून) को होगी।
रिजर्व बैंक के गवर्नर शक्तिकांत दास शुक्रवार को मौद्रिक नीति समिति द्वारा लिए गए निर्णयों की घोषणा करेंगे।नहीं होगा रीपो रेट में बदलावविशेषज्ञों का मानना है कि केंद्रीय बैंक द्वारा ब्याज दर (रीपो) में कटौती करने की उम्मीद न के बराबर है, क्योंकि मुद्रास्फीति को लेकर चिंता अब भी बरकरार है।आम जनता पर क्या होगा असर?अगर आरबीआई रीपो रेट में कटौती करता है तो लोन की EMI कम हो सकती है, जिसका सीधा फायदा आम जनता को होगा।आखिरी बार कब हुआ था रीपो रेट में बदलाव?फरवरी, 2023 से रीपो रेट 6.5 प्रतिशत के उच्चस्तर पर बनी हुई है। अर्थव्यवस्था में तेजी के बीच माना जा रहा है कि एमपीसी ब्याज दरों में कटौती से बचेगी। केंद्रीय बैंक ने आखिरी बार फरवरी, 2023 में रीपो रेट को बढ़ाकर 6.5 प्रतिशत किया था और तब से उसने लगातार सात बार इसे यथावत रखा है।हाउसिंग डॉट कॉम और प्रॉपटाइगर डॉट कॉम के समूह मुख्य कार्यपालक अधिकारी (सीईओ) ध्रुव अग्रवाल ने न्यूज एजेंसी पीटीआई से कहा कि भारत की अर्थव्यवस्था ने अपना मजबूत प्रदर्शन जारी रखा है और 2023-24 में 8.2 प्रतिशत की प्रभावशाली वृद्धि दर हासिल की है, जो 2022-23 में सात प्रतिशत थी। उन्होंने कहा, ‘‘ इसके मद्देनजर यह उम्मीद की जाती है कि आरबीआई एमपीसी मौजूदा मुद्रास्फीति दबावों के बीच अपने वर्तमान नीतिगत रुख को बनाए रखेगी और इस वर्ष ब्याज दरों में कटौती की संभावना कम ही नजर आ रही है।’’सरकार ने रिजर्व बैंक को खुदरा मुद्रास्फीति को दो प्रतिशत घट-बढ़ के साथ चार प्रतिशत पर रखने का लक्ष्य दिया है।एमपीसी में तीन बाहरी सदस्य और आरबीआई के तीन अधिकारी शामिल हैं। दर निर्धारण समिति के बाहरी सदस्य शशांक भिडे, आशिमा गोयल और जयंत आर वर्मा हैं। -
मुंबई. चुनाव नतीजों के झटके से उबरते हुए स्थानीय शेयर बाजारों ने बुधवार को जोरदार वापसी की और बीएसई सेंसेक्स 2,300 अंक से अधिक की छलांग लगा गया। एनएसई निफ्टी भी 735 अंक के लाभ में रहा। लोकसभा चुनाव परिणाम उम्मीद के मुताबिक नहीं रहने के कारण शेयर बाजार में मंगलवार को चार साल में एक दिन की सबसे बड़ी गिरावट आई थी। भाजपा की अगुवाई वाले राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) के सहयोगियों की सरकार गठन को लेकर बातचीत के बाद बाजार चढ़ा है। तीस शेयरों पर आधारित सेंसेक्स 2,303.19 अंक यानी 3.20 प्रतिशत की बढ़त के साथ 74,382.24 अंक पर बंद हुआ। कारोबार के दौरान एक समय यह 2,455.77 अंक तक चढ़ गया था। बैंक, वाहन तथा पेट्रोलियम कंपनियों के शेयरों में लिवाली से बाजार में तेजी रही। नेशनल स्टॉक एक्सचेंज का निफ्टी भी 735.85 अंक यानी 3.36 प्रतिशत उछलकर 22,620.35 अंक पर बंद हुआ। कारोबार के दौरान, एक समय यह 785.9 अंक तक चढ़ गया था। सेंसेक्स और निफ्टी में शामिल सभी शेयर लाभ में रहे।
एचडीएफसी बैंक, आईसीआईसीआई बैंक और रिलायंस इंडस्ट्रीज में भारी लिवाली से बाजार में तेजी आई। बुधवार को बाजार में आई तेजी से निवेशकों को 13.22 लाख करोड़ रुपये का लाभ हुआ। भाजपी की अगुवाई वाले राजग ने 543 सदस्यीय लोकसभा में 272 के बहुमत के आंकड़े को पार कर लिया है। लेकिन भाजपा 2014 के बाद पहली बार बहुमत के आंकड़े से पीछे रह गई और सरकार गठन के लिए उसे अपने सहयोगियों पर निर्भर रहना होगा। चुनाव आयोग ने सभी 543 लोकसभा क्षेत्रों के नतीजे घोषित कर दिये हैं। इसमें भाजपा को 240 और कांग्रेस को 99 सीटों पर जीत मिली। इस बीच, भाजपा नीत राजग ने लोकसभा चुनाव में सत्तारूढ़ गठबंधन के बहुमत हासिल करने के एक दिन बाद बुधवार को यहां बैठक में सरकार गठन की विभिन्न पहलुओं पर विचार-विमर्श किया। गठबंधन सहयोगी तेदेपा ने राजग को समर्थन देने की बात दोहरायी है। इससे सरकार के गठन को लेकर निवेशकों की चिंता दूर हुई है और हाल ही जिन शेयरों में गिरावट आई, उसमें लिवाली देखने को मिली। जियोजीत फाइनेंशियल सर्विसेज के शोध प्रमुख विनोद नायर ने कहा, ‘‘राजनीतिक स्तर पर स्थिरता सुनिश्चित होने के साथ बाजार में चौतरफा लिवाली से तेजी लौटी। हालांकि, सभी की नजर सरकार के गठन और इस सप्ताह पेश होने वाली मौद्रिक नीति पर होगी।'' सेंसेक्स के शेयरों में इंडसइंड बैंक सात प्रतिशत से अधिक लाभ में रहा। इसके अलावा टाटा स्टील, महिंद्रा एंड महिंद्रा, बजाज फाइनेंस, कोटक महिंद्रा बैंक, हिंदुस्तान यूनिलीवर, एचडीएफसी बैंक, एक्सिस बैंक और जेएसडब्ल्यू स्टील भी प्रमुख रूप से बढ़त में रहे। मोतीलाल ओसवाल रिसर्च की रिपोर्ट के अनुसार, ‘‘भाजपा को पूर्ण बहुमत नहीं मिलने के बावजूद, हमारा अनुमान है कि नरेन्द्र मोदी के दूसरे कार्यकाल का नीति एजेंडा (निवेश की अगुवाई में वृद्धि, पूंजीगत व्यय, बुनियादी ढांचे पर निवेश, विनिर्माण आदि) जारी रहेगा। हालांकि संभव है, इसमें कुछ बदलाव हो।'' इसमें कहा गया है, ‘‘जिस तरीके के चुनाव नतीजे आए हैं, उसको देखते हुए हम यह भी उम्मीद करते हैं कि गांवों की समस्याओं को दूर करने के लिए कुछ लोकलुभावन योजनाओं की घोषणा की जा सकती है।'' मझोली कंपनियों के शेयरों का प्रतिनिधित्व करने वाला बीएसई मिडकैप 4.41 प्रतिशत चढ़ा जबकि छोटी कंपनियों के शेयरों का प्रतिनिधित्व करने वाला स्मॉलकैप सूचकांक 2.93 प्रतिशत बढ़त में रहा। एशिया के अन्य बाजारों में दक्षिण कोरिया का कॉस्पी लाभ में जबकि जापान का निक्की, चीन का शंघाई कम्पोजिट सूचकांक और हांगकांग का हैंगसेंग नुकसान में रहे। यूरोप के प्रमुख बाजारों में शुरुआती कारोबार में तेजी का रुख रहा। अमेरिकी बाजार मंगलवार को बढ़त में रहा था। वैश्विक तेल मानक ब्रेंट क्रूड 0.14 प्रतिशत की बढ़त के साथ 77.61 डॉलर प्रति बैरल रहा।
शेयर बाजार के आंकड़ों के अनुसार, विदेशी संस्थागत निवेशकों ने मंगलवार को 12,436.22 करोड़ रुपये मूल्य के शेयर बेचे। बीएसई सेंसेक्स मंगलवार को 4,389.73 अंक लुढ़का था। वहीं एनएसई निफ्टी ने 1,982.45 अंक का गोता लगा गया था। एक दिन में पिछले चार साल की यह सबसे बड़ी गिरावट थी। -
नयी दिल्ली. सेब से लेकर हवाई अड्डा क्षेत्र में सक्रिय अडाणी समूह की सूचीबद्ध कंपनियों के शेयरों में उछाल के बाद गौतम अडाणी एशिया के सबसे अमीर व्यक्ति बन गए हैं। उन्होंने रिलायंस इंडस्ट्रीज के मुकेश अंबानी को पीछे छोड़ दिया है। ‘ब्लूमबर्ग बिलियनयर्स इंडेक्स' के अनुसार, 111 अरब अमेरिकी डॉलर की संपत्ति के साथ अडाणी अब दुनिया के 11वें सबसे अमीर व्यक्ति हैं। अंबानी 109 अरब डॉलर की संपत्तियों के साथ 12वें स्थान पर हैं। अडाणी समूह ने अगले दशक के दौरान विस्तार की योजना के तहत 90 अरब डॉलर के पूंजीगत व्यय की योजना बनाई है। इसके बाद अमेरिकी ब्रोकरेज कंपनी जेफरीज ने समूह के बारे में बेहतर राय पेश की है। इन घटनाक्रमों के बाद शुक्रवार को समूह की सभी कंपनियों के शेयर 14 प्रतिशत तक चढ़ गए। इससे अडाणी समूह की 10 सूचीबद्ध कंपनियों के बाजार मूल्यांकन में 84,064 करोड़ रुपये की बढ़ोतरी हुई। शुक्रवार को कारोबार बंद होने के समय अडाणी समूह की 10 सूचीबद्ध कंपनियों का बाजार पूंजीकरण 17.51 लाख करोड़ रुपये हो गया। समूह की कंपनियों के शेयरों में उछाल के बाद पहली पीढ़ी के उद्यमी और अडाणी समूह के चेयरमैन गौतम अडाणी ने अंबानी को पीछे छोड़ दिया है और वह एशिया के सबसे अमीर व्यक्ति बन गए हैं। अंबानी इस समय अपने छोटे पुत्र अनंत के विवाह-पूर्व समारोहों के लिए यूरोप में है। अडाणी (61) 2022 में अपनी व्यक्तिगत संपत्ति बढ़ने के बाद एशिया के सबसे अमीर आदमी बन गए थे। हालांकि, उस समय वैश्विक अर्थव्यवस्था की रफ्तार काफी सुस्त थी। इसके बाद जनवरी, 2023 में अमेरिकी शॉर्ट सेलिंग कंपनी हिंडनबर्ग की समूह पर हेराफेरी के आरोपों की रिपोर्ट के बाद अडाणी की कंपनियों के बाजार पूंजीकरण में जबर्दस्त गिरावट आई थी। हिंडनबर्ग ने आरोप लगाया था कि अडाणी का कारोबारी साम्राज्य धोखाधड़ी के माध्यम से बनाया गया था, जिससे समूह के शेयरों की कीमतें 150 अरब डॉलर तक गिरकर अपने सबसे निचले स्तर पर आ गईं और वह दुनिया के शीर्ष 20 अरबपतियों की सूची से बाहर हो गए। इससे अंबानी 2022 में एक बार फिर एशिया के सबसे अमीर व्यक्ति बन गए। हालांकि, अडाणी समूह ने इन सब आरोपों को खारिज कर दिया था। ब्लूमबर्ग बिलियनयर्स इंडेक्स के अनुसार, 2024 में अबतक अडाणी की कुल संपत्ति 26.8 अरब डॉलर बढ़ी है, जबकि अंबानी की संपत्ति 12.7 अरब डॉलर बढ़ी है।
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नई दिल्ली। इस वर्ष मई में, वस्तु और सेवा कर (जीएसटी) से कुल 1 लाख 73 हजार करोड़ रुपए का राजस्व प्राप्त हुआ है। वित्त मंत्रालय के अनुसार, जीएसटी राजस्व में वर्ष-दर-वर्ष 10 प्रतिशत की वृद्धि हो रही है। मई महीने में केन्द्रीय वस्तु एवं सेवा कर 32 हजार करोड़ रुपए से अधिक, राज्य वस्तु और सेवा कर 40 हजार करोड़ रुपए से अधिक, एकीकृत वस्तु और सेवा कर 87 हजार 781 करोड़ रुपए से अधिक और उपकर 12 हजार करोड़ रुपए से अधिक रहा। रिफंड के बाद पिछले महीने का शुद्ध जीएसटी राजस्व एक लाख 44 हजार करोड़ रुपए है। वित्त वर्ष 2024-25 में अब तक का सकल जीएसटी संग्रह 3 लाख 83 हजार करोड़ रुपए है। यह वर्ष-दर-वर्ष 11.3 प्रतिशत की वृद्धि को दर्शाता है जो घरेलू लेन-देन और आयात में वृद्धि के कारण संभव हुई है।
- नयी दिल्ली। विमान (जेट) ईंधन या एटीएफ के दाम में शनिवार को 6.5 प्रतिशत की कटौती की गयी वहीं होटल एवं रेस्तरां में इस्तेमाल होने वाले 19 किलोग्राम के एलपीजी सिलेंडर पर 69 रुपये की कमी की गयी। अंतरराष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल के मूल्यों में गिरावट के मद्देनजर ऐसा किया गया है। तेल विपणन करने वाली सार्वजनिक क्षेत्र की कंपनियों के अनुसार राष्ट्रीय राजधानी में विमान ईंधन (एटीएफ) की कीमत 6,673.87 रुपये प्रति किलोलीटर (6.5 प्रतिशत) घटकर 94,969.01 रुपये प्रति किलोलीटर रह गई। इससे पहले एक मई को इसकी कीमत में 749.25 रुपये प्रति किलोलीटर या 0.7 प्रतिशत की मामूली वृद्धि की गई थी। मुंबई में एटीएफ दर 95,173.70 रुपये प्रति किलोलीटर से घटकर 88,834.27 रुपये प्रति किलोलीटर रह गई।स्थानीय करों के आधार पर हर राज्य में कीमतें अलग-अलग होती हैं।इसके साथ ही तेल कंपनियों ने 19 किलोग्राम वाले वाणिज्यिक एलपीजी सिलेंडर की कीमत 69 रुपये घटाकर 1,676 रुपये कर दी। वाणिज्यिक एलपीजी सिलेंडर की कीमत में एक मई को 19 रुपये तथा एक अप्रैल को 30.5 रुपये की कटौती की गई थी। हालांकि, घरेलू उपयोग में आने वाली रसोई गैस (14.2 किलोग्राम) सिलेंडर की कीमत 803 रुपये प्रति सिलेंडर ही रहेगी।
- मुंबई. भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) के बही-खाते का आकार मार्च, 2024 तक 11.08 प्रतिशत बढ़कर 70.47 लाख करोड़ रुपये हो गया है। यही वजह है कि केंद्रीय बैंक सरकार को अपना अबतक का सबसे ऊंचा लाभांश दे पाया है। कुल मिलाकर देखा जाए, तो मार्च, 2023 की तुलना में मार्च, 2024 तक केंद्रीय बैंक के बही-खाते का आकार 7,02,946.97 करोड़ रुपये बढ़ा है। मार्च, 2023 तक यह 63.45 लाख करोड़ रुपये था। केंद्रीय बैंक की शुद्ध आय मार्च, 2024 के अंत तक 42,819.91 करोड़ रुपये का प्रावधान करने के बाद 2.11 लाख करोड़ रुपये रही। केंद्रीय बैंक का प्रावधान पिछले वित्त वर्ष में 1,30,875.75 करोड़ रुपये रहा था। प्रावधान की गई राशि आकस्मिकता निधि (सीएफ) में स्थानांतरित कर दी जाती है। वित्त वर्ष 2022-23 में शुद्ध आय 87,420 करोड़ रुपये थी। 2022-23 की तरह समीक्षाधीन वित्त वर्ष में परिसंपत्ति विकास कोष (एडीएफ) के लिए कोई प्रावधान नहीं किया गया। भारतीय रिजर्व बैंक का बही-खाता मुद्रा जारी करने के साथ-साथ मौद्रिक नीति और रिज़र्व प्रबंधन उद्देश्यों सहित इसके विभिन्न कार्यों के अनुसरण में की गई गतिविधियों को दर्शाता है। आरबीआई ने 2023-24 के लिए केंद्र सरकार को 2.11 लाख करोड़ रुपये के अपने अबतक के सबसे अधिक लाभांश भुगतान को पिछले सप्ताह मंजूरी दी थी। वित्त वर्ष 2022-23 के लिए आरबीआई द्वारा केंद्र को लाभांश या अधिशेष हस्तांतरण 87,416 करोड़ रुपये था। आखिरी बार 2018-19 में सबसे अधिक 1.76 लाख करोड़ का लाभांश दिया गया था। आरबीआई की 2023-24 की वार्षिक रिपोर्ट के अनुसार, बही-खाते में परिसंपत्ति पक्ष में बढ़ोतरी.. विदेशी निवेश, सोने तथा ऋण व अग्रिम में क्रमशः 13.90 प्रतिशत, 18.26 प्रतिशत और 30.05 प्रतिशत की वृद्धि के चलते संभव हुई। देनदारियों की बात की जाए, इसमें विस्तार की वजह नोट जारी करने, जमा और अन्य देयताओं में क्रमशः 3.88 प्रतिशत, 27 प्रतिशत और 92.57 प्रतिशत की वृद्धि है। आरबीआई ने कहा कि 31 मार्च, 2024 तक घरेलू परिसंपत्तियां 23.31 प्रतिशत थीं। वहीं विदेशी मुद्रा परिसंपत्तियां, सोना (भारत में जमा और मौजूद सोना सहित) और भारत के बाहर के वित्तीय संस्थानों को दिया गए ऋण का कुल परिसंपत्तियों में हिस्सा 31, मार्च, 2024 तक 76.69 प्रतिशत था। जबकि 31 मार्च, 2023 तक यह क्रमशः 26.08 प्रतिशत और 73.92 प्रतिशत थे। रिजर्व बैंक के पास 822.10 टन सोना है, जिसमें से 308.03 टन सोना 31 मार्च, 2024 तक जारी किए जाने वाले नोट के समर्थन के लिए रखा गया है। निर्गम विभाग की परिसंपत्ति के रूप में रखे गए सोने का मूल्य 31 मार्च, 2023 को 1,40,765.60 करोड़ रुपये से 16.94 प्रतिशत बढ़कर 31 मार्च, 2024 को 1,64,604.91 करोड़ रुपये हो गया। आरबीआई के अनुसार, वित्त वर्ष में सोने के मूल्य में यह वृद्धि 6.94 टन सोने की वृद्धि... सोने की कीमत में वृद्धि और अमेरिकी डॉलर के मुकाबले भारतीय रुपये के मूल्यह्रास के कारण हुई है।
- मुंबई। भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने गुरुवार को कहा कि चलन में मौजूद कुल मुद्रा में 500 रुपये मूल्य के नोट की हिस्सेदारी मार्च, 2024 तक बढ़कर 86.5 प्रतिशत हो गई जबकि एक साल पहले की समान अवधि में यह 77.1 प्रतिशत थी। केंद्रीय बैंक की वार्षिक रिपोर्ट में इस उछाल के लिए पिछले साल मई में 2,000 रुपये मूल्य के नोट को वापस लेने की घोषणा को मुख्य वजह बताया गया है। इस फैसले की वजह से 2,000 रुपये मूल्य के नोट की हिस्सेदारी एक साल पहले की समान अवधि के 10.8 प्रतिशत से घटकर सिर्फ 0.2 प्रतिशत रह गई। आरबीआई की वार्षिक रिपोर्ट में साझा किए गए आंकड़ों के मुताबिक, 31 मार्च, 2024 तक मात्रा के हिसाब से 500 रुपये के सर्वाधिक 5.16 लाख नोट मौजूद थे, जबकि 10 रुपये के नोट 2.49 लाख संख्या के साथ दूसरे स्थान पर रहे। रिपोर्ट कहती है कि वित्त वर्ष 2023-24 में चलन में मौजूद बैंक नोटों के मूल्य और मात्रा में क्रमशः 3.9 प्रतिशत और 7.8 प्रतिशत की वृद्धि हुई जबकि पिछले वित्त वर्ष में यह वृद्धि क्रमशः 7.8 प्रतिशत और 4.4 प्रतिशत रही थी। मूल्य के लिहाज से चलन में मौजूद बैंक नोटों की संख्या में बढ़ोतरी हाल के वर्षों में सबसे कम है।यह रिपोर्ट 2,000 रुपये के नोट वापस लेने के बारे में कहती है कि 2016 में नोटबंदी के बाद शुरू किए गए इस मूल्यवर्ग के लगभग 89 प्रतिशत नोट चार साल से अधिक समय से चलन में थे लिहाजा उन्हें बदलने की जरूरत थी। इसके अलावा उन नोट का लेनदेन में आमतौर पर इस्तेमाल नहीं होता था। वार्षिक रिपोर्ट के मुताबिक, इस वापसी का नकली नोटों की पहचान पर भी असर पड़ा है। इस दौरान 2,000 रुपये के 26,000 से अधिक नकली नोट पकड़े गए जबकि एक साल पहले 9,806 नकली नोट चिह्नित किए गए थे। हालांकि, 500 रुपये के पकड़े गए नकली नोटों की संख्या एक साल पहले के 91,110 से घटकर 85,711 रह गई।पायलट आधार पर पेश की गई केंद्रीय बैंक डिजिटल मुद्रा (सीबीडीसी) यानी ई-रुपया का कुल बकाया मूल्य 234.12 करोड़ रुपये आंका गया है जबकि मार्च, 2023 में यह 16.39 करोड़ रुपये था। वार्षिक रिपोर्ट के मुताबिक, जनता के पास मौजूद 2,000 रुपये के कुल 3.56 लाख करोड़ रुपये मूल्य के नोटों में से 97.7 प्रतिशत 31 मार्च तक वापस कर दिए गए थे। वित्त वर्ष 2023-24 में आरबीआई ने मुद्रण पर 5,101 करोड़ रुपये खर्च किए जबकि एक साल पहले की समान अवधि में 4,682 करोड़ रुपये खर्च किए गए थे। रिजर्व बैंक ने लोगों के बीच मुद्रा के उपयोग को लेकर एक सर्वेक्षण भी किया। इसमें 22,000 से अधिक उत्तरदाताओं ने संकेत दिए कि डिजिटल भुगतान के तरीके लोकप्रिय होने के बावजूद नकदी अब भी ‘प्रचलित' है।
- मुंबई। भारतीय रिजर्व बैंक ने गुरुवार को कहा कि वह देश के बाहर रुपया खाता खोलने की अनुमति देगा। यह कदम घरेलू मुद्रा के अंतरराष्ट्रीय स्तर पर महत्वपूर्ण मुद्रा बनाने की रणनीतिक योजना का हिस्सा है। केंद्रीय बैंक ने अपनी वार्षिक रिपोर्ट में कहा कि उभरते वृहद आर्थिक परिवेश के साथ फेमा (विदेशी विनिमय प्रबंधन कानून) परिचालन ढांचे के जुड़ाव पर जोर होगा। इसके साथ विभिन्न दिशानिर्देशों को युक्तिसंगत बनाने पर ध्यान दिया जाएगा। आरबीआई ने कहा कि उसने 2024-25 के लिए रणनीतिक कार्ययोजना को अंतिम रूप दे दिया है। साथ ही बाह्य यानी विदेशों से वाणिज्यिक उधारी (ईसीबी) ढांचे को उदार बनाने तथा ईसीबी और व्यापार क्रेडिट रिपोर्टिंग और अनुमोदन (स्पेक्ट्रा) परियोजना के लिए सॉफ्टवेयर प्लेटफॉर्म के चरण 1 को शुरू करने की संकल्पना रखी है। रिपोर्ट के अनुसार, आरबीआई घरेलू मुद्रा को वैश्विक स्तर पर मुख्य मुद्राओं में शामिल करने के लिए 2024-25 एजेंडा के हिस्से के रूप में भारत के बाहर रह रहे निवासी व्यक्तियों (पीआरओआई) को देश के बाहर रुपया खाता खोलने की अनुमति देगा। रिपोर्ट में कहा गया है, ‘ विशेष खातों (विशेष अनिवासी रुपया-एसएनआरआर) और विशेष रुपया वोस्ट्रो खाते (एसआरवीए) के जरिये भारतीय बैंकों के पीआरओआई को रुपये में उधार देना और प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआई) और पोर्टफोलियो निवेश को सक्षम बनाना मकसद है।'' उदारीकृत प्रेषण योजना (एलआरएस) को तर्कसंगत बनाना और फेमा के तहत आईएफएससी (अंतरराष्ट्रीय वित्तीय सेवा केंद्र) नियमों की समीक्षा भी चालू वित्त वर्ष के एजेंडा का हिस्सा है। आरबीआई की रिपोर्ट के अनुसार, स्थानीय मुद्राओं में द्विपक्षीय व्यापार के निपटान को सक्षम करने के लिए भारतीय रुपये के अंतरराष्ट्रीयकरण को बढ़ावा देने की दिशा में नियमों को तर्कसंगत बनाया गया है।
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नयी दिल्ली. भारती एयरटेल के संस्थापक सुनील मित्तल ने कहा है कि एयरटेल समेत तमाम भारतीय कंपनियों का मूल्यांकन ऊंचे स्तर पर पहुंचना ‘एक बेहद मजबूत नेता' की अगुवाई में संचालित स्थिर एवं ठोस अर्थव्यवस्था का परिणाम है। मित्तल ने समाचारपत्र ‘इकनॉमिक टाइम्स' में बृहस्पतिवार को प्रकाशित एक साक्षात्कार में प्रधानमंत्री मोदी की तारीफ की है। उन्होंने कहा कि वर्ष 2018 में एक बैठक के दौरान प्रधानमंत्री मोदी का सरकार के स्तर पर किसी भी कंपनी का पक्ष नहीं लेने का संदेश भारती एयरटेल के लिए एक महत्वपूर्ण क्षण था। इससे एयरटेल को रिलायंस जियो से मिल रही कड़ी प्रतिस्पर्धा के बीच आगे बढ़ने में मदद मिली। मित्तल ने कहा कि सितंबर, 2018 में एक मुलाकात के दौरान प्रधानमंत्री मोदी ने कहा था कि उनकी सरकार नियमों के अनुरूप काम करेगी, किसी का पक्ष नहीं लेगी और वही करेगी जो देश के लिए अच्छा है। मित्तल ने कहा कि इस तरह की निश्चितता के साथ भारती एयरटेल जैसी कंपनियां बाजार में कड़ी टक्कर दे सकती हैं। इसके साथ ही भारती समूह के प्रमुख ने कहा कि मोदी सरकार के समय केवल कुछ लोगों को ही तरजीह दिए जाने के बयान ‘बिल्कुल गलत' हैं। मित्तल ने कहा, ‘‘इस देश में पैसा आ रहा है, बहुत सारी पूंजी आ रही है, शेयर बाजार में उछाल आ रहा है। ये बड़े पैमाने पर मूल्यांकन एक बेहद मजबूत नेता के मातहत एक स्थिर, ठोस, कार्यात्मक अर्थव्यवस्था का परिणाम है।'' मुकेश अंबानी की दूरसंचार इकाई रिलायंस जियो ने वर्ष 2016 में मुफ़्त वॉयस और डेटा सेवाओं के साथ दूरसंचार बाजार में हलचल मचा दी थी। उस समय एयरटेल को लगा था कि दूरसंचार नियामक ट्राई के कुछ फ़ैसले उस पर प्रतिकूल असर डाल रहे हैं। उस पृष्ठभूमि में मित्तल ने सितंबर, 2018 में प्रधानमंत्री से मुलाकात का वक्त मांगा था। प्रधानमंत्री मोदी के साथ अपनी बैठक का जिक्र करते हुए मित्तल ने कहा, ‘‘मैंने उनसे कहा कि मैं बाजार में लड़ूंगा लेकिन सरकार से नहीं लड़ सकता। इसपर उन्होंने मुझसे कहा कि सरकार किसी भी पक्ष की ओर नहीं झुकेगी। देश के लिए जो भी अच्छा होगा, वह किया जाएगा। आप बाजार में लड़ें। इस पर मेरी कोई राय नहीं है। लेकिन आप इस बात को लेकर आश्वस्त हो सकते हैं कि सरकार किसी का पक्ष नहीं लेगी।'' मित्तल ने प्रधानमंत्री मोदी के इन शब्दों को याद करते हुए कहा, ‘‘मेरे लिए उनका यह कहना पर्याप्त था। मैंने उठकर उनका धन्यवाद किया... यह (एयरटेल के लिए) एक महत्वपूर्ण मोड़ था।'' इसके साथ ही मित्तल ने कहा कि उन्हें प्रधानमंत्री के साथ उस बैठक से एक अविश्वसनीय ऊर्जा और प्रेरणा भी मिली। उन्होंने कहा, ‘‘कभी-कभी आपको प्रेरणा की जरूरत होती है।... मुझे किसी से इसकी जरूरत थी। एक बेहद ही मजबूत संदेश था कि बाजार में लड़ो। खुद तमाम बाधाओं के खिलाफ लड़ चुका एक व्यक्ति मुझे कह रहा था कि आप अपना काम करें और आश्वस्त रहें कि सरकार केवल वही काम करेगी जो देश के लिए अच्छा है।'' उन्होंने कहा कि इस बैठक के बाद उन्होंने दूरसंचार नियमों को एक बड़े परिप्रेक्ष्य में देखना शुरू कर दिया। मित्तल ने कहा, ‘‘शायद कम शुल्क ही बेहतर थे... कम शुल्क डेटा सेवाओं को लोकतांत्रिक बनाने के लिए बेहतर थे। आप चीजों को एक अलग संदर्भ में देखने लगते हैं क्योंकि आपको यकीन दिलाया जाता है कि यहां कोई एजेंडा नहीं है।'' जियो के दूरसंचार क्षेत्र में आने से भारत में इंटरनेट परिदृश्य पूरी तरह से बदल गया। सस्ती डेटा शुल्कों ने स्मार्टफोन की बड़े पैमाने पर पहुंच को बढ़ावा दिया और डिजिटल भुगतान का प्रसार भी तेजी से हुआ है।
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नयी दिल्ली. वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने बुधवार को कहा कि रेटिंग एजेंसी एसएंडपी का भारत के रेटिंग परिदृश्य में सकारात्मक संशोधन करना आने वाले वर्षों के लिए मजबूत वृद्धि और आशाजनक दृष्टिकोण को दर्शाता है। सीतारमण ने सोशल मीडिया मंच ‘एक्स' पर पोस्ट में कहा कि भारत नरेन्द्र मोदी सरकार के तीसरे कार्यकाल में तीसरी बड़ी अर्थव्यवस्था बनने और वर्ष 2047 तक विकसित राष्ट्र बनने की राह पर अग्रसर है। एसएंडपी ग्लोबल रेटिंग्स ने भारत के आर्थिक परिदृश्य को ‘स्थिर' से बढ़ाकर ‘सकारात्मक' कर दिया। यह पहली बार है जब एसएंडपी ने भारत की रेटिंग को लेकर सकारात्मक परिदृश्य दिया है। हालांकि, रेटिंग एजेंसी ने भारत की रेटिंग को ‘बीबीबी-' के सबसे निचले निवेश स्तर पर बरकरार रखा है।
सीतारमण ने इस बारे में कहा, ‘‘एसएंडपी ग्लोबल रेटिंग्स का भारत के लिए अपने दृष्टिकोण को ‘स्थिर' से ‘सकारात्मक' में संशोधित करना एक स्वागत-योग्य घटनाक्रम है। यह भारत के ठोस वृद्धि प्रदर्शन और आने वाले वर्षों के लिए एक आशाजनक आर्थिक दृष्टिकोण को दर्शाता है।'' उन्होंने कहा कि वर्ष 2014 से अबतक किए गए व्यापक आर्थिक सुधारों के साथ पूंजीगत व्यय, राजकोषीय अनुशासन और निर्णायक एवं दूरदर्शी नेतृत्व के कारण ऐसा संभव हो पाया है। -
नयी दिल्ली. एसएंडपी ग्लोबल रेटिंग ने भारत के साख (रेटिंग) परिदृश्य को ‘स्थिर' से बढ़ाकर ‘सकारात्मक' कर दिया है। साथ ही मजबूत वृद्धि और सरकारी व्यय की बेहतर गुणवत्ता के आधार पर रेटिंग को ‘बीबीबी-' पर बरकरार रखा गया है। एसएंडपी ने कहा कि यदि भारत सतर्क राजकोषीय और मौद्रिक नीति अपनाता है जिससे सरकार के बढ़े हुए कर्ज तथा ब्याज के बोझ में कमी आती है और आर्थिक जुझारू क्षमता बढ़ती है तो वह अगले दो साल में भारत की साख को बढ़ा सकती है। एसएंडपी ने कहा, ‘‘ सकारात्मक परिदृश्य हमारे इस दृष्टिकोण को प्रतिबिंबित करता है कि निरंतर नीतिगत स्थिरता, गहन आर्थिक सुधार तथा उच्च बुनियादी ढांचा निवेश दीर्घकालिक वृद्धि संभावनाओं को बनाए रखेंगे।'' एसएंडपी ने भारत के लिए परिदृश्य को ‘स्थिर' से संशोधित कर ‘सकारात्मक' कर दिया है। साथ ही ‘बीबीबी-' दीर्घकालिक और 'ए-3' अल्पकालिक विदेशी तथा स्थानीय मुद्रा सॉवरेन क्रेडिट रेटिंग की पुष्टि की है। ‘बीबीबी-' सबसे निचली निवेश श्रेणी रेटिंग है। एजेंसी ने पिछली बार 2010 में रेटिंग परिदृश्य को ‘नकारात्मक' से बढ़ाकर ‘स्थिर' किया था। अमेरिका की एजेंसी ने कहा कि यदि भारत का राजकोषीय घाटा सार्थक रूप से कम होता है और परिणामस्वरूप सामान्य सरकारी ऋण संरचनात्मक आधार पर सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) के सात प्रतिशत से नीचे आ जाता है, तो वह रेटिंग बढ़ा सकती है। सभी तीन प्रमुख वैश्विक रेटिंग एजेंसियों एसएंडपी, फिच और मूडीज ने भारत को सबसे निम्न निवेश ग्रेड रेटिंग दी है। हालांकि, फिच और मूडीज ने अपनी रेटिंग पर अब भी ‘स्थिर' परिदृश्य कायम रखा है।
निवेशक इन रेटिंग को देश की साख के मापदंड के तौर पर देखते हैं और इसका उधार लेने की लागत पर प्रभाव पड़ता है। -
नयी दिल्ली. राष्ट्रीय शीत भंडारण विकास केंद्र (एनसीसीडी) ‘कोल्ड-चेन' से जुड़े कलपुर्जों के लिए तकनीकी मानकों और न्यूनतम दिशानिर्देशों में संशोधन कर रहा है। ये संशोधित मानक देशभर में शीत भंडारण सुविधाएं स्थापित करने वाले सभी केंद्रीय और राज्य सरकार के निकायों के लिए एक रूपरेखा की तरह काम करेंगे। एनसीसीडी के मुख्य कार्यपालक अधिकारी (सीईओ) आशीष फोतेदार ने बुधवार को यह जानकारी दी। वह एनसीसीडी द्वारा उठाए गए कदमों की चर्चा कर रहे थे। यह कृषि मंत्रालय के प्रशासनिक नियंत्रण में आता है। दिशानिर्देशों के अलावा, एनसीसीडी, कोल्ड चेन कलपुर्जों से संबंधित आंकड़ों को डिजिटल करने के लिए एक मोबाइल एप्लिकेशन विकसित कर रहा है। इससे क्षमता उपयोग में वृद्धि, ईंधन लागत में कमी और कार्बन उत्सर्जन को कमी आने की उम्मीद है। फोतेदार ने उद्योग मंडल फिक्की के सम्मेलन में कहा कि यह एप्लिकेशन नीति निर्माण और विश्लेषण के लिए प्रासंगिक लॉजिस्टिक आंकड़े भी एकत्रित करेगा। वाणिज्य एवं उद्योग मंत्रालय, उद्योग एवं आंतरिक व्यापार संवर्धन विभाग (डीपीआईआईटी) के संयुक्त सचिव सुरेन्द्र अहिरवार ने कहा कि भारत में कोल्ड चेन क्षेत्र, जो लॉजिस्टिक्स पारिस्थितिकी तंत्र का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है, में आने वाले वर्षों में महत्वपूर्ण वृद्धि और नवाचार देखने को मिलेगा। उन्होंने उम्मीद जताई कि सार्वजनिक व्यय में वृद्धि के अनुरूप बुनियादी ढांचे के विकास में निजी क्षेत्र द्वारा निवेश में वृद्धि होगी। उन्होंने कहा, ‘‘सार्वजनिक व्यय में निवेश बढ़ा है और बुनियादी ढांचे का विकास सालाना 10 प्रतिशत से अधिक की दर से बढ़ रहा है और इस बार हमारे पास बुनियादी ढांचे के विकास के लिए 11 लाख करोड़ रुपये की भारी पूंजीगत व्यय राशि आवंटित है... हमें उम्मीद है कि बुनियादी ढांचे के विकास, कुशल उपकरणों की खरीद और कोल्ड चेन क्षेत्र के लिए परिवहन वाहनों को अपनाने में भी निजी निवेश में वृद्धि होगी।''
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नयी दिल्ली.। एलआईसी के चेयरमैन सिद्धार्थ मोहंती ने कहा कि बीमाकर्ता स्वास्थ्य बीमा क्षेत्र में प्रवेश कर सकता है। ऐसा अवसर उपलब्ध होने पर अधिग्रहण का विकल्प तलाश सकते हैं। ऐसी उम्मीदें हैं कि बीमा अधिनियम में संशोधन करके समग्र लाइसेंस की अनुमति दी जा सकती है। बीमा अधिनियम 1938 और भारतीय बीमा नियामक विकास प्राधिकरण (आईआरडीएआई) के नियमों के अनुसार किसी बीमाकर्ता को एक इकाई के तहत जीवन, सामान्य या स्वास्थ्य बीमा करने के लिए समग्र लाइसेंस की अनुमति नहीं है। मोहंती ने वित्त वर्ष 2023-24 के वित्तीय आंकड़े साझा करते हुए कहा कि एलआईसी अग्नि और इंजीनियरिंग जैसे सामान्य बीमा में विशेषज्ञ नहीं है, लेकिन यह स्वास्थ्य बीमा कर सकता है। उन्होंने कहा, ‘‘ इस पर आंतरिक तौर पर काम जारी है... हम स्वास्थ्य बीमा के लिए अधिग्रहण का विकल्प तलाश सकते हैं। '' एक संसदीय समिति ने फरवरी में देश में बीमा की पहुंच बढ़ाने के लिए एक इकाई के तहत जीवन, सामान्य या स्वास्थ्य बीमा करने के लिए बीमाकर्ता के लिए एक समग्र लाइसेंस शुरू करने का सुझाव दिया था। भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के नेता जयंत सिन्हा के नेतृत्व वाली समिति ने सरकार को बीमा कंपनियों के लिए समग्र लाइसेंसिंग का प्रावधान शुरू करने और कानून में संबंधित संशोधन जल्द से जल्द करने का सुझाव दिया था।
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नयी दिल्ली. सार्वजनिक क्षेत्र की एनएमडीसी ने मंगलवार को तत्काल प्रभाव से अयस्क के ‘लम्प' (ढेला) की कीमतों में 250 रुपये प्रति टन और ‘फाइन' (चूरा) की कीमतों में 350 रुपये प्रति टन की बढ़ोतरी की है। एनएमडीसी ने शेयर बाजार को दी सूचना में बताया कि उसने ‘लम्प' अयस्क की कीमत को संशोधित कर 6,450 रुपये प्रति टन और ‘फाइन' की कीमत 5,610 रुपये प्रति टन कर दी है। ‘लम्प' अयस्क या उच्च श्रेणी के लौह अयस्क में 65.5 प्रतिशत एफई (लौह) होता है, जबकि ‘फाइन' अयस्क 64 प्रतिशत और उससे कम एफई के साथ निम्न श्रेणी का अयस्क होता है। कंपनी के अनुसार, कीमतें 28 मई से प्रभावी हैं। इसमें रॉयल्टी तथा जिला खनिज निधि (डीएमएफ), राष्ट्रीय खनिज अन्वेषण ट्रस्ट (डीएमईटी) में योगदान शामिल है। इसमें उपकर, वन परमिट शुल्क और अन्य कर शामिल नहीं हैं। यह घोषणा कंपनी के अपने तिमाही परिणाम की घोषणा के एक दिन बाद आई है। बढ़े हुए खर्चों के कारण जनवरी-मार्च तिमाही में एकीकृत शुद्ध लाभ 38 प्रतिशत की गिरावट के साथ 1,415.62 करोड़ रुपये रहा। मूल्य संशोधन आखिरी बार 29 अप्रैल को किया गया था, जब एनएमडीसी ने ‘लम्प' की दर 6,200 रुपये प्रति टन और ‘फाइन' की दर 5,260 रुपये प्रति टन तय की थी। हैदराबाद स्थित एनएमडीसी भारत की सबसे बड़ी लौह अयस्क खनन कंपनी है जो देश में इस्पात बनाने वाले कच्चे माल की करीब 20 प्रतिशत मांग को पूरा करती है। -
नई दिल्ली। दुनिया का सबसे बड़े रिफाइनिंग कॉम्प्लेक्स चलाने वाली भारत की कंपनी रिलायंस इंडस्ट्रीज ने रूस की कंपनी रोसनेफ्ट (Rosneft) के साथ एक साल के लिए करार किया है। भारतीय कंपनी इस करार के तहत वित्त वर्ष 25 में कम से कम 3 मिलियन बैरल रूसी तेल का आयात करेगी। पेमेंट रूस की करेंसी रूबल (roubles) में किया जाएगा। यह जानकारी रॉयटर्स ने 4 सूत्रों के हवाले से दी।
संभावना जताई जा रही है कि तेल उत्पादक देशों के समूह ओपेक+ (OPEC+) की तरफ से जून 2024 से आगे भी तेल सप्लाई में कटौती जारी रहेगी। ऐसे में रिलायंस इंडस्ट्रीज को Rosneft के साथ टर्म डील की वजह से रियायती कीमत पर तेल सुरक्षित रखने में मदद मिलेगी।बता दें कि पेट्रोलियम निर्यातक देशों के संगठन (OPEC) और रूस सहित अन्य सहयोगियों वाले देशों को मिलाकर OPEC+ ग्रुप बनाया गया है। OPEC+ 2 जून 2024 को एक ऑनलाइन बैठक में उत्पादन में कटौती पर करेगा।भारत दुनिया का तीसरा सबसे बड़ा तेल आयातकभारत दुनिया का तीसरा सबसे बड़ा तेल आयातक और उपभोक्ता देश है। 2022 में रूस-यूक्रेन युद्ध शुरू होने के बाद पश्चिमी देशों ने रूस से तेल खऱीद पर बैन लगा दिया था। इसके बाद से भारत समुद्री रूसी कच्चे तेल (seaborne Russian crude) का सबसे बड़ा खरीदार बन गया है। भारत ने रूसी कच्चे तेल के लिए रुपये, दिरहम (dirhams) और चीन की करेंसी युआन (yuan) में भी भुगतान किया है। जब रोसवेल्ट से रिलायंस के साथ करार के बारे में पूछा गया तो उसने जवाब में कहा कि भारत रूसी तेल कंपनी का रणनीतिक भागीदार (strategic partner) है। वह भागीदारों के साथ गोपनीय समझौतों पर टिप्पणी नहीं करती है।रोसवेल्ट ने कहा, ‘भारतीय कंपनियों के साथ सहयोग में उत्पादन, तेल शोधन (oil refining ) और ऑयल और पेट्रोलियम प्रोडक्ट्स के व्यापार के क्षेत्र में परियोजनाएं शामिल हैं।’रोसनेफ्ट ने यह भी कहा कि बेचे गए कच्चे तेल का मूल्य निर्धारित करने के लिए कमर्शियल अप्रोच सभी कंपनियों के लिए बराबर है, चाहे वे प्राइवेट हों या सरकारी। रिलायंस ने रॉयटर्स की तरफ से टिप्पणी के अनुरोध का जवाब नहीं दिया।क्या है रिलायंस-रोसनेफ्ट के बीच सौदासौदे की शर्तों के तहत रिलायंस यूराल क्रूड (Urals crude) के करीब दस लाख बैरल के दो कार्गो खरीदेगा, जिसमें हर महीने 3 डॉलर की छूट पर चार और कार्गो खरीदने का विकल्प होगा। रिलायंस-रोसवेल्ट के बीच की यह डील 1 अप्रैल 2024 से यानी भारतीय वित्तीय वर्ष की शुरुआत में प्रभावी हुई। सूत्रों ने कहा कि बैरल मध्य पूर्व दुबई बेंचमार्क (Middle East Dubai benchmark) के बराबर है।सूत्रों ने कहा कि रिलायंस हर महीने एक से दो कार्गो लो-सल्फर क्रूड ऑयल की खरीद करेगी। इसमें मुख्य रूप से रूस के कोज़मिनो (Kozmino) के प्रशांत बंदरगाह से निर्यात किया जाने वाला ईएसपीओ ब्लेंड (ESPO Blend) होगा। यह दुबई से आने वाले तेल के मुकाबले 1 डॉलर प्रति बैरल के प्रीमियम पर होगा।सूत्रों ने कहा कि रिलायंस भारत के एचडीएफसी बैंक (HDFC Bank ) और रूस के गज़प्रॉमबैंक (Gazprombank) के माध्यम से रूस के रूबल का उपयोग करके तेल के लिए पेमेंट करने पर सहमत हो गया है। पेमेंट सिस्टम पर अधिक जानकारी तुरंत उपलब्ध नहीं हो पाई है। - नयी दिल्ली।अमेरिका और ब्रिटेन समेत विश्व व्यापार संगठन (डब्ल्यूटीओ) के कुछ सदस्य देशों ने 2022-23 के लिए कृषि कच्चे माल पर भारत की 48 अरब डॉलर की सब्सिडी पर सवाल उठाए हैं। वहीं भारत का कहना है कि मुद्रास्फीति और उर्वरकों की बढ़ती लागत के कारण सब्सिडी बढ़ी है। एक अधिकारी ने यह बात कही है। विश्व व्यापार संगठन (डब्ल्यूटीओ) के इन सदस्यों ने 23-24 मई को कृषि समिति की बैठक के दौरान इस मुद्दे को उठाया था। अधिकारी ने कहा, ‘‘भारत ने कहा है कि कच्चे माल की सब्सिडी मुख्य रूप से बिजली, सिंचाई और उर्वरक के लिए है। इसका बढ़ने का कारण मुद्रास्फीति और उर्वरकों की बढ़ती लागत है। इस बारे में जानकारी डब्ल्यूटीओ को विधिवत दी गई थी।'' विश्व व्यापार संगठन 166 सदस्यीय एक वैश्विक व्यापार निकाय है। यह सदस्य देशों के बीच व्यापार को लेकर विवादों पर भी निर्णय देता है। भारत ने इन आंकड़ों को अप्रैल में डब्ल्यूटीओ को दिया था। डब्ल्यूटीओ के विशेष और अलग-अलग व्यवहार के नियमों के तहत विकासशील सदस्य देशों को कम आय वाले या गरीब किसानों को ये सब्सिडी देने की अनुमति है। अधिकारी ने कहा, ‘‘भारत की कच्चे माल पर 2022-2023 के लिए सब्सिडी के बारे में नई अधिसूचना के बाद कनाडा, ब्राजील, ऑस्ट्रेलिया, यूरोपीय संघ, जापान, ब्रिटेन और अमेरिका ने सवाल उठाये हैं।''
- नयी दिल्ली। सार्वजनिक क्षेत्र की बीमा कंपनी भारतीय जीवन बीमा निगम (एलआईसी) का शुद्ध लाभ मार्च, 2024 को समाप्त चौथी तिमाही में दो प्रतिशत की मामूली बढ़त के साथ 13,763 करोड़ रुपये रहा। मुख्य रूप से वेतन वृद्धि के प्रावधान के कारण कंपनी का लाभ मामूली बढ़ा है।बीमा कंपनी को इससे पूर्व वित्त वर्ष 2022-23 की इसी तिमाही में 13,428 करोड़ रुपये का शुद्ध लाभ हुआ था। एलआईसी ने सोमवार को शेयर बाजार को दी सूचना में कहा कि उसकी कुल आय बीते वित्त वर्ष 2023-24 की जनवरी-मार्च तिमाही में बढ़कर 2,50,923 करोड़ रुपये रही जो इससे पिछले वर्ष की इसी तिमाही में 2,00,185 करोड़ रुपये थी। कंपनी की पहले साल की प्रीमियम आय भी मार्च, 2024 को समाप्त तिमाही में सुधरकर 13,810 करोड़ रुपये रही, जो एक साल पहले इसी तिमाही में 12,811 करोड़ रुपये थी। पूरे वित्त वर्ष 2023-24 में एलआईसी का शुद्ध लाभ 40,676 करोड़ रुपये रहा, जो इससे पूर्व वित्त वर्ष में 36,397 करोड़ रुपये था। इस दौरान कुल प्रीमियम आय मार्च, 2024 को समाप्त तिमाही में 4,75,070 करोड़ रुपये रही जो एक साल पहले 4,74,005 करोड़ रुपये थी। एलआईसी के चेयरमैन सिद्धार्थ मोहंती ने कहा कि निदेशक मंडल ने 2023-24 के लिए छह रुपये प्रति शेयर के लाभांश की सिफारिश की है। यह शेयरधारकों की मंजूरी पर निर्भर है। इससे पहले, कंपनी ने 2023-24 में चार रुपये का अंतरिम लाभांश दिया था।मोहंती ने कहा कि अंतरिम और अंतिम लाभांश को मिलाकर यह 10 रुपये प्रति शेयर बनता है।वित्तीय आंकड़ों पर मोहंती ने कहा, ‘‘...हमारा प्रदर्शन अच्छा रहा है। अब हम सभी श्रेणियों में अपनी बाजार हिस्सेदारी को अधिकतम करने के पर ध्यान दे रहे हैं। साथ ही, हमारा ध्यान विभिन्न मापदंडों पर है, जो सभी संबंधित पक्षों के लिए बेहतर मूल्य बनाते हैं।'' एलआईसी की प्रबंधन अधीन परिसंपत्तियां 31 मार्च, 2024 को समाप्त वित्त वर्ष में 16.48 प्रतिशत बढ़कर 51,21,887 करोड़ रुपये रहीं। एक साल पहले यह 43,97,205 करोड़ रुपये थीं।
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नयी दिल्ली .लगातार तीन सत्रों की गिरावट के बाद सोमवार को सोने और चांदी की कीमतों में तेज उछाल आया। पश्चिम एशिया में बढ़ते तनाव के कारण विदेशी बाजार में मजबूत रुख को देखते हुए राष्ट्रीय राजधानी में सोना 220 रुपये उछलकर 72,820 रुपये प्रति 10 ग्राम पर पहुंच गया। पिछले कारोबारी सत्र में शुक्रवार को सोना 72,600 रुपये प्रति 10 ग्राम पर बंद हुआ था।
चांदी की कीमत भी 1,050 रुपये की तेजी के साथ 92,850 रुपये प्रति किग्रा पर बंद हुई। पिछले कारोबारी सत्र में यह 91,800 रुपये प्रति किग्रा पर बंद हुई थी। एचडीएफसी सिक्योरिटीज के वरिष्ठ जिंस विश्लेषक सौमिल गांधी ने कहा, दिल्ली के बाजारों हाजिर सोना (24 कैरेट) की कीमत 220 रुपये की तेजी के साथ 72,820 रुपये प्रति 10 ग्राम हो गयी।'' अंतरराष्ट्रीय बाजार कॉमेक्स (जिंस बाजार) में हाजिर सोना 2,344 डॉलर प्रति औंस पर कारोबार कर रहा था, जो पिछले बंद भाव से नौ डॉलर अधिक है। गांधी ने कहा कि नरम अमेरिकी डॉलर के समर्थन से सोने ने सकारात्मक रुख के साथ कारोबार फिर से शुरू किया और इजरायल द्वारा राफा में हवाई हमले के बाद पश्चिम एशिया में भू-राजनीतिक तनाव बढ़ने से, सुरक्षित निवेश के विकल्प के रूप में सोने की मांग बढ़ी है। इसके अतिरिक्त, चांदी भी बढ़कर 30.75 डॉलर प्रति औंस पर पहुंच गई। -
नयी दिल्ली. फिच रेटिंग्स ने सोमवार को कहा कि भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) की सरकार को रिकॉर्ड लाभांश देने की घोषणा सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) के 0.6 प्रतिशत के बराबर है लेकिन इस उच्च प्रतिशत के बरकरार रह पाने की संभावना बहुत कम है। आरबीआई के निदेशक मंडल ने पिछले सप्ताह वित्त वर्ष 2023-24 में अर्जित मुनाफे में से सरकार को रिकॉर्ड 2.1 लाख करोड़ रुपये का लाभांश हस्तांतरित करने का निर्णय लिया था। यह अंतरिम बजट में निर्धारित 1.02 लाख करोड़ रुपये के अनुमान के दोगुने से भी अधिक है। फिच ने बयान में कहा कि आरबीआई को पिछले वित्त वर्ष में अधिक लाभ होने के पीछे विदेशी परिसंपत्तियों पर उच्च ब्याज राजस्व की भूमिका नजर आती है। हालांकि, केंद्रीय बैंक ने अभी तक इस बारे में कोई ब्योरा नहीं दिया है। रेटिंग एजेंसी ने कहा, ‘‘आरबीआई ने जीडीपी के 0.6 प्रतिशत के बराबर राशि सरकार को रिकॉर्ड-उच्च लाभांश के रूप में देने की घोषणा की। यह वित्त वर्ष 2024-25 के अंतरिम बजट में अपेक्षित जीडीपी के 0.3 प्रतिशत से अधिक है। इससे अधिकारियों को अल्पावधि के घाटे में कटौती के लक्ष्यों को पूरा करने में मदद मिलेगी।'' फिच ने कहा कि रिजर्व बैंक से सरकार को लाभांश हस्तांतरण विभिन्न कारकों पर निर्भर करता है जिनमें केंद्रीय बैंक की बैलेंस शीट और भारत की विनिमय दर पर मौजूद संपत्तियों का आकार और प्रदर्शन शामिल हैं। इसके साथ ही यह बैलेंस शीट में बफर रखने से संबंधित आरबीआई की राय से भी प्रभावित हो सकता है। फिच ने कहा, ‘‘हस्तांतरण की संभावित अस्थिरता का मतलब है कि उनके मध्यम अवधि के मार्ग के बारे में खासी अनिश्चितता है। हम यह अनुमान नहीं लगा पाते हैं कि जीडीपी के हिस्से के रूप में लाभांश इतने उच्चस्तर पर कायम रहेगा।'' हालांकि, इस अप्रत्याशित लाभांश हस्तांतरण से चालू वित्त वर्ष के लिए राजकोषीय घाटे को जीडीपी के 5.1 प्रतिशत पर रखने के लक्ष्य करे हासिल किया जा सकेगा और इसका उपयोग मौजूदा लक्ष्य से परे घाटे को कम करने के लिए किया जा सकता है। चार जून को चुनाव परिणाम जारी होने के बाद नई सरकार का बजट जुलाई में पेश होने की संभावना है। उससे यह तय होगा कि इस लाभांश का इस्तेमाल किस तरह किया जाएगा। फिच ने कहा कि निरंतर घाटे में कमी, खासकर अगर टिकाऊ राजस्व बढ़ाने वाले सुधारों पर आधारित हो, तो मध्यम अवधि में भारत की सॉवरेन रेटिंग के बुनियादी सिद्धांतों के लिए सकारात्मक होगा।
- नयी दिल्ली.सरकार इस साल 1,00,000 टन का बफर स्टॉक बनाने के लिए प्याज के विकिरण प्रसंस्करण को महत्वपूर्ण रूप से बढ़ाने की योजना बना रही है। इस कदम का मकसद राजनीतिक रूप से संवेदनशील माने जाने वाले प्याज की कमी और मूल्यवृद्धि को रोकना है। एक शीर्ष सरकारी अधिकारी ने यह जानकारी दी है। सरकार के अनुमानों के अनुसार, महाराष्ट्र, कर्नाटक और आंध्र प्रदेश जैसे प्रमुख उत्पादक राज्यों में कम पैदावार के कारण दुनिया के सबसे बड़े प्याज निर्यातक के उत्पादन में 2023-24 में 16 प्रतिशत की गिरावट आने का अनुमान है। प्याज का उत्पादन दो करोड़ 54.7 लाख टन रहने की उम्मीद है। उपभोक्ता मामलों के मंत्रालय में सचिव निधि खरे ने कहा कि जमाखोरी को हतोत्साहित करने और अक्सर आपूर्ति में व्यवधान से उत्पन्न होने वाली कीमतों में अस्थिरता को रोकने के लिए सरकार प्याज के ‘स्वजीवन' (शेल्फ लाइफ) को बढ़ाने के लिए बड़े पैमाने पर विकिरण प्रौद्योगिकी का उपयोग करने की योजना बना रही है। खरे ने बताया, ‘‘हम उपभोग क्षेत्रों के आसपास 50 विकिरण केंद्रों की पहचान कर रहे हैं। अगर हम सफल होते हैं, तो इस साल एक लाख टन तक विकिरण-प्रसंस्कृत प्याज का भंडारण कर पाएंगे।'' मंत्रालय ने सरकारी एजेंसियों नैफेड और एनसीसीएफ से, जो इस साल बफर स्टॉक बनाने के लिए 5,00,000 टन प्याज खरीद रहे हैं, सोनीपत, ठाणे, नासिक और मुंबई जैसे प्रमुख खपत केंद्रों के आसपास विकिरण सुविधाओं की खोज करने को कहा है। पिछले साल महाराष्ट्र के उत्पादक क्षेत्र के पास 1,200 टन के छोटे पैमाने पर विकिरण प्रसंस्करण की कोशिश की गई थी। खरे ने कहा कि बफर स्टॉक के तेजी से परिवहन की सुविधा के लिए मंत्रालय प्रमुख रेल केंद्रों पर नियंत्रित वातावरण भंडारण सुविधाएं स्थापित करने पर भी विचार कर रहा है।
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नई दिल्ली। टाटा समूह की प्रमुख विमानन कंपनी एयर इंडिया के कर्मचारियों की सैलरी में बढ़ोतरी होने वाली है। इसके अलावा, कंपनी एम्प्लॉइज को उनके परफॉर्मेंस के आधार पर बोनस भी देगी। इस बात की घोषणा एयर इंडिया ने गुरुवार को की।
रिपोर्ट के मुताबिक, एयर इंडिया सीनियर कमांडर, फर्स्ट ऑफिसर्स की सैलरी में हर महीने 5 हजार रुपये से लेकर 15000 रुपये तक का इजाफा करेगा। बता दें कि जनवरी 2022 में टाटा समूह (Tata Group) द्वारा अधिग्रहण के बाद एयर इंडिया के कर्मचारियों का यह पहला अप्रैजल है।एयर इंडिया के सीएचआरओ रवींद्र कुमार जीपी ने गुरुवार को कहा कि सैलरी में वृद्धि 1 अप्रैल, 2024 से लागू मानी जाएगी। इसके साथ ही एयरलाइन ने कंपनी और पर्सनल परफॉरमेंस के आधार पर वित्त वर्ष 2023-24 (FY24) के लिए परफॉरमेंस बोनस भी देगी।उन्होंने बताया कि एयर इंडिया अगले पांच साल में खुद को पुनर्जीवित करने की प्रक्रिया में है, जिसे देखते हुए कर्मचारियों के हितों को देखते हुए प्रतिभा को आकर्षित करने के लिए प्रतिस्पर्धी वेतन वृद्धि दे रही है। एयर इंडिया में लगभग 18,000 कर्मचारी हैं।विमानन कंपनी एयर इंडिया ने ग्राउंड स्टाफ, केबिन क्रू और पायलटों के अलावा जो कर्मचारी 31 दिसंबर, 2023 से पहले कंपनी में शामिल हुए हैं उन सभी के लिए वार्षिक मूल्यांकन शुरू कर दिया है।टाटा समूह (Tata Group) की विमानन कंपनी एयर इंडिया के मुख्य कार्य अधिकारी कैंपबेल विल्सन ने 13 मई को बताया था कि विस्तारा के करीब 7 हजार कर्मचारियों का एकीकरण अगले महीने से शुरू हो जाएगा। साथ ही एयर इंडिया में इसके मर्जर को दिसंबर 2024 तक पूरा करने का भी लक्ष्य रखा है।इससे पता चलता है कि टाटा समूह ने अपनी दो पूर्ण सेवाओं वाली विमानन कंपनियों की विलय की प्रक्रिया तेज कर दी है और इससे पहले विस्तारा के मुख्य कार्य अधिकारी विनोद कन्नन ने भी इस साल जनवरी में कहा था कि उन्हें साल 2025 के मध्य तक एयर इंडिया के साथ परिचालन विलय की उम्मीद है। -
नयी दिल्ली. शेयर बाजार के रिकॉर्ड स्तर पर पहुंचने के बीच निवेशकों की संपत्ति बृहस्पतिवार को 4.28 लाख करोड़ रुपये बढ़ गई। बीएसई का 30 शेयरों पर आधारित सूचकांक सेंसेक्स 1,196.98 अंक यानी 1.61 प्रतिशत उछलकर 75,418.04 अंक के अपने अबतक के सबसे ऊंचे मुकाम पर बंद हुआ। दिन में कारोबार के दौरान यह 1,278.85 अंक यानी 1.72 प्रतिशत बढ़कर 75,499.91 के अपने सर्वकालिक उच्चस्तर पर भी गया। इस रिकॉर्ड तेजी ने बीएसई में सूचीबद्ध कंपनियों का कुल बाजार पूंजीकरण 4,28,602.18 करोड़ रुपये बढ़ा दिया। इसके साथ ही इन कंपनियों का बाजार पूंजीकरण सम्मिलित रूप से बढ़कर 4,20,22,635.90 करोड़ रुपये यानी 5.05 लाख करोड़ डॉलर हो गया जो इसका नया उच्चस्तर है। मोतीलाल ओसवाल फाइनेंशियल सर्विसेज के खुदरा शोध प्रमुख सिद्धार्थ खेमका ने कहा कि बीएसई में सूचीबद्ध कंपनियों का कुल बाजार पूंजीकरण पांच लाख करोड़ डॉलर के पार पहुंचने के साथ ही भारत इस मुकाम तक पहुंचने वाला पांचवां देश बन गया है। बीएसई में सूचीबद्ध कंपनियों का कुल बाजार पूंजीकरण मंगलवार को कारोबार के दौरान पहली बार पांच लाख करोड़ डॉलर के स्तर पर पहुंचा था। नेशनल स्टॉक एक्सचेंज (एनएसई) पर सूचीबद्ध कंपनियों का कुल बाजार पूंजीकरण भी बृहस्पतिवार को पांच लाख करोड़ डॉलर से आगे निकल गया।
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नयी दिल्ली। एमजी मोटर इंडिया ने चरणबद्ध तरीके से विद्युतीकरण मंच वर्टेलो को 3,000 ईवी की आपूर्ति करने के लिए एक प्रारंभिक समझौते पर हस्ताक्षर किए हैं। इस संबंध में दोनों ने एक समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए हैं।
एमजी मोटर इंडिया ने एक बयान में कहा कि साझेदारी के तहत लोगों को टिकाऊ परिवहन समाधान प्रदान करने पर ध्यान केंद्रित किया जाएगा। देश में एक मजबूत ईवी चार्जिंग बुनियादी ढांचे की स्थापना की दिशा में भी काम करेंगे। एमजी मोटर इंडिया के मुख्य वृद्धि अधिकारी गौरव गुप्ता ने कहा, ‘एमजी इंडिया और वर्टेलो के बीच यह साझेदारी भारत के कार्बन मुक्त के साथ ही हरित तथा टिकाऊ भविष्य के लिए एक साझा दृष्टिकोण को दर्शाती है.'' वर्टेलो के मुख्य कार्यकारी अधिकारी संदीप गंभीर ने कहा, करीब 3,000 इलेक्ट्रिक कार की खरीद के लिए एमजी मोटर इंडिया के साथ यह साझेदारी दोनों संगठनों के लिए बेड़े के विद्युतीकरण में तेजी लाने और शुद्ध शून्य उत्सर्जन हासिल करने के एक सामान्य लक्ष्य के साथ नए सफर की शुरुआत का प्रतीक है।
- नयी दिल्ली। सोने में लगातार दूसरे दिन गिरावट जारी रही। वैश्विक स्तर पर बहुमूल्य धातुओं की कीमतों में गिरावट के बीच राष्ट्रीय राजधानी के सर्राफा बाजार में बृहस्पतिवार को सोना 1,050 रुपये की गिरावट के साथ 73,550 रुपये प्रति 10 ग्राम पर बंद हुआ। एचडीएफसी सिक्योरिटीज के अनुसार, फेडरल रिजर्व की बैठक के ब्योरे में आक्रामक रुख दिखने के बाद सोने में तेज गिरावट आई। ब्योरे से संकेत मिलता है कि अमेरिकी फेडरल रिजर्व के अधिकारी ब्याज दरों में कटौती करने की जल्दी में नहीं हैं। पिछले कारोबारी सत्र में सोना 74,600 रुपये प्रति 10 ग्राम पर बंद हुआ था।इसके साथ, चांदी की कीमत भी 2,500 रुपये औंधे मुंह लुढ़कते हुए 92,600 रुपये प्रति किग्रा पर बंद हुई। पिछले कारोबारी सत्र में यह 95,100 रुपये प्रति किग्रा पर बंद हुई थी। एचडीएफसी सिक्योरिटीज में वरिष्ठ विश्लेषक-जिंस सौमिल गांधी ने कहा, ‘‘विदेशी बाजारों से मंदी के संकेत लेते हुए दिल्ली के बाजारों में सोने की हाजिर कीमतें (24 कैरेट) 1,050 रुपये की गिरावट के साथ 73,550 रुपये प्रति 10 ग्राम पर कारोबार कर रही हैं।'' अंतरराष्ट्रीय बाजार कॉमेक्स (जिंस बाजार) में हाजिर सोना 2,375 डॉलर प्रति औंस पर कारोबार कर रहा था, जो पिछले बंद भाव से 42 डॉलर कम है। चांदी की कीमत भी गिरावट के साथ 30.80 डॉलर प्रति औंस पर कारोबार कर रही थी। पिछले कारोबारी सत्र में चांदी की कीमत 31.75 डॉलर प्रति औंस पर बंद हुई थी।