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- नयी दिल्ली. राष्ट्रीय राजधानी के सर्राफा बाजार में मंगलवार को सोने और चांदी की कीमतें नए रिकॉर्ड स्तर पर पहुंच गईं। अखिल भारतीय सर्राफा संघ के अनुसार, सोना 500 रुपये चढ़कर रिकॉर्ड 1.20 लाख रुपये प्रति 10 ग्राम पर पहुंच गया। सोने का भाव सोमवार को 1,500 रुपये की तेजी के साथ 1,19,500 रुपये प्रति 10 ग्राम रहा था। स्थानीय सर्राफा बाजार में 99.5 प्रतिशत शुद्धता वाले सोने की कीमत में लगातार चौथे कारोबारी सत्र में तेजी जारी रही और यह 500 रुपये की तेजी के साथ 1,19,400 रुपये प्रति 10 ग्राम (सभी करों सहित) के रिकॉर्ड स्तर पर पहुंच गया। पिछले बाजार सत्र में इसकी कीमत 1,18,900 रुपये प्रति 10 ग्राम रही थी। इसके अलावा मंगलवार को चांदी की कीमत 500 रुपये बढ़कर 1,50,500 रुपये प्रति किलोग्राम (सभी करों सहित) के नए शिखर पर पहुंच गई। सोमवार को यह 7,000 रुपये चढ़कर रिकॉर्ड 1,50,000 रुपये प्रति किलोग्राम रही थी। वैश्विक स्तर पर, निवेशकों द्वारा ऊंचे स्तरों पर मुनाफावसूली के कारण सोने व चांदी की कीमतें रिकॉर्ड स्तर से नीचे आईं। सोने का हाजिर भाव 0.55 प्रतिशत फिसलकर 3,813.14 डॉलर प्रति औंस पर आ गया। दिन के कारोबार में यह 3,871.72 डॉलर प्रति औंस के रिकॉर्ड स्तर पर पहुंचा था। विदेशी बाजारों में चांदी का हाजिर भाव 1.51 प्रतिशत की गिरावट के साथ 46.22 डॉलर प्रति औंस रहा।मिराए एसेट शेयरखान के जिंस और मुद्रा मामलों के प्रमुख प्रवीण सिंह ने कहा, ‘‘पीली धातु 3,871 डॉलर प्रति औंस के नए रिकॉर्ड स्तर पर पहुंच गई। वर्तमान में यह कुछ नुकसान के साथ 3,818 डॉलर प्रति औंस पर आ गई। इसका कारण कारोबारियों का ऊंचे स्तर पर मुनाफावसूली है।''
- नयी दिल्ली. जिंदल स्टील ने ओडिशा के अंगुल में जारी 20,000 करोड़ रुपये से अधिक की विस्तार परियोजना के तहत 3एमटीपीए क्षमता की बेसिक ऑक्सीजन फर्नेस (बीओएफ) को चालू करने की मंगलवार को घोषणा की। जिंदल स्टील ने बयान में कहा कि नए बीओएफ की स्थापना के साथ संयंत्र की कच्चे इस्पात बनाने की क्षमता 60 लाख टन प्रति वर्ष से बढ़कर 90 लाख टन प्रति वर्ष हो गई है। एक बेसिक ऑक्सीजन फर्नेस (बीओएफ) गैसीय ऑक्सीजन का उपयोग करके पिघले हुए लोहे या गर्म धातु को इस्पात में तब्दील करती है। जिंदल स्टील के चेयरमैन नवीन जिंदल ने कहा, ‘‘ नया बीओएफ अब चालू हो गया है और पहली ऊष्मा का सफलतापूर्वक दोहन कर लिया गया है। यह उपलब्धि अंगुल के 1.2 करोड़ टन प्रति वर्ष इस्पात निर्माण संयंत्र बनने के लक्ष्य की ओर एक महत्वपूर्ण कदम है...
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नयी दिल्ली. राष्ट्रीय राजधानी के सर्राफा बाजार में सोमवार को चांदी की कीमत 7,000 रुपये उछलकर 1.5 लाख रुपये प्रति किलोग्राम के अबतक के उच्चतम स्तर पर पहुंच गईं। सोना भी मजबूत वैश्विक रुझानों के बीच 1,500 रुपये चढ़कर 1,19,500 रुपये प्रति 10 ग्राम के नए शिखर पर पहुंच गया। अखिल भारतीय सर्राफा संघ ने यह जानकारी दी। स्थानीय सर्राफा बाजार में 99.9 प्रतिशत शुद्धता वाले सोने की कीमत 1,500 रुपये बढ़कर 1,19,500 रुपये प्रति 10 ग्राम (सभी करों सहित) के सर्वकालिक उच्च स्तर पर पहुंच गई, जो पिछले सत्र में 1,18,000 रुपये प्रति 10 ग्राम थी। वहीं 99.5 प्रतिशत शुद्धता वाला सोना भी 1,500 रुपये की तेजी के साथ 1,18,900 रुपये प्रति 10 ग्राम के रिकॉर्ड स्तर पर पहुंच गया, जो शनिवार को 1,17,400 रुपये प्रति 10 ग्राम था। चांदी की कीमतों में भी भारी तेजी देखी गई और यह 7,000 रुपये उछलकर 1,50,000 रुपये प्रति किलोग्राम (सभी करों सहित) के रिकॉर्ड स्तर पर पहुंच गई। इससे लगातार चौथे सत्र में बढ़त दर्ज की गई। पिछले कारोबार में चांदी कीमत 1,43,000 रुपये प्रति किलोग्राम पर बंद हुई थी। विदेशी बाजार में सोने और चांदी दोनों में जोरदार तेजी दर्ज की गई। हाजिर सोना लगभग दो प्रतिशत बढ़कर 3,824.61 डॉलर प्रति औंस के सर्वकालिक उच्च स्तर पर पहुंच गया, जबकि चांदी दो प्रतिशत से अधिक बढ़कर 47.18 डॉलर प्रति औंस हो गई। विश्लेषकों के अनुसार, सर्राफा कीमतों में उछाल- मजबूत वैश्विक मांग और कमजोर डॉलर के कारण आया। निवेशकों ने निरंतर वैश्विक तनाव और आर्थिक अनिश्चितता के बीच सुरक्षित निवेश की ओर रुख किया।
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नई दिल्ली। केंद्रीय उद्योग मंत्री पीयूष गोयल ने आज सोमवार को बताया कि भारत का मुक्त व्यापार समझौता (FTA) ईएफटीए देशों (आइसलैंड, लिक्टेंस्टीन, नॉर्वे और स्विट्जरलैंड) के साथ 1 अक्टूबर 2025 से प्रभावी होगा। उन्होंने यह जानकारी यूपी इंटरनेशनल ट्रेड शो के समापन सत्र में जानकारी दी। केंद्रीय मंत्री ने कहा कि विकसित देश भारत के साथ एफटीए करने के इच्छुक हैं, और भारत पहले ही यूएई, ऑस्ट्रेलिया और ब्रिटेन के साथ ऐसे समझौते कर चुका है। भारत के विदेशी मुद्रा भंडार अब 700 अरब अमेरिकी डॉलर तक पहुंच गए हैं।
केंद्रीय मंत्री ने बताया कि भारत अमेरिका, यूरोपीय संघ, न्यूजीलैंड, ओमान, पेरू और चिली के साथ भी व्यापार वार्ता में है, जबकि कतर और बहरीन ने भी रुचि दिखाई है। यूरेशिया के साथ टर्म्स ऑफ रेफरेंस (ToR) अंतिम रूप में हैं, जो भारत की मजबूत वैश्विक स्थिति को दर्शाता है। पीयूष गोयल ने हाल ही में लागू जीएसटी सुधारों पर प्रकाश डालते हुए कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने नवरात्रि के अवसर पर देश को ऐतिहासिक सुधार दिया है। उन्होंने कहा, “22 सितंबर का दिन इतिहास में सुनहरे अक्षरों में लिखा जाएगा। मुझे लगता है कि यह स्वतंत्रता के बाद का सबसे बड़ा सुधार है, जिसका असर दशकों तक महसूस होगा।”केंद्रीय मंत्री ने यह भी बताया कि प्रधानमंत्री की अगुवाई में भारत 2014 में कमजोर अर्थव्यवस्था से आज विश्व की चौथी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बन चुका है और अगले दो वर्षों में 5 ट्रिलियन अमेरिकी डॉलर के आकार के साथ तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बन जाएगा। उन्होंने कहा कि मुद्रास्फीति 2 प्रतिशत है, जो पिछले दशक में सबसे कम है, जबकि जीडीपी वृद्धि पिछली तिमाही में 7.8% रही। उन्होंने बैंकिंग क्षेत्र की मजबूती और ब्याज दरों में कमी पर भी जोर दिया।गोयल ने कहा कि केंद्र सरकार अब पूर्वोत्तर और पूर्वी राज्यों के विकास पर विशेष ध्यान दे रही है और राज्य सरकारों के साथ मिलकर समावेशी विकास सुनिश्चित कर रही है। उन्होंने उत्तर प्रदेश की प्रगति को उल्लेखनीय बताया और कहा कि राज्य ने निर्यात और उद्योग को मजबूत करने के लिए देश का पहला समर्पित एक्सपोर्ट प्रमोशन मंत्रालय स्थापित किया है। केंद्रीय मंत्री ने बताया कि खादी, कपास और कुटीर उद्योग जैसे क्षेत्रों में महत्वपूर्ण वृद्धि हुई है। उन्होंने वन डिस्ट्रिक्ट, वन प्रोडक्ट (ODOP) पहल को उजागर किया, जो अब देश के 750 से अधिक जिलों में पहुंच चुकी है। ODOP के तहत 1200 से अधिक उत्पादों को विशेष बढ़ावा दिया गया है, और केंद्र और राज्य सरकारें इन्हें घरेलू और वैश्विक बाजारों में प्रोमोट करने में जुटी हैं।उन्होंने यह भी बताया कि देश के हर राज्य में यूनिटी मॉल स्थापित किए जाएंगे, जो जिला उत्पादों को प्रदर्शित करेंगे। उत्तर प्रदेश में लखनऊ, आगरा और वाराणसी में तीन मॉल होंगे। केंद्रीय मंत्री ने प्रधानमंत्री के स्वदेशी उत्पाद अपनाने के आह्वान को दोहराया और कहा, “हर उत्पाद में भारतीय श्रमिकों की मेहनत और संघर्ष झलकता है।”गोयल ने कहा कि यूपी की इंफ्रास्ट्रक्चर विकास समर्पित फ्रेट कॉरिडोर, एक्सप्रेसवे, हवाई अड्डे, मल्टीमॉडल लॉजिस्टिक्स हब, इनलैंड वाटरवेज और कंटेनर डिपो ने व्यापार और उद्योग पारिस्थितिकी तंत्र को मजबूत किया है। उन्होंने यूपी इंटरनेशनल ट्रेड शो को MSME, महिला उद्यमियों, स्वदेशी उत्पादों और निर्यात-उन्मुख इकाइयों के लिए एक महत्वपूर्ण मंच बताया। उन्होंने सभी प्रतिभागियों से स्वदेशी उत्पादों के उपयोग और जीएसटी लाभ सीधे उपभोक्ताओं तक पहुँचाने का आग्रह किया, जिससे समावेशी विकास सुनिश्चित होगा।- -
नई दिल्ली। केंद्र सरकार ने सोमवार को शिरीष चंद्र मुर्मु को तीन साल के लिए भारतीय रिजर्व बैंक का डिप्टी गवर्नर नियुक्त किया। उनकी नियुक्ति को केंद्रीय मंत्रिमंडल की नियुक्ति समिति ने मंजूरी दे दी है। यह 9 अक्टूबर से लागू होगी। वह एम राजेश्वर राव की जगह लेंगे, जिनकी सेवा अवधि 8 अक्टूबर को समाप्त होने वाली है।
वर्तमान में शिरीष आरबीआई में एग्जीक्यूटिव डायरेक्टर के पद पर कार्यरत हैं और सुपरविजन विभाग की देखरेख करते हैं। कानून के अनुसार, आरबीआई में चार डिप्टी गवर्नर होने चाहिए। दो बैंक के अंदर से, एक अर्थशास्त्री और एक कमर्शियल बैंकिंग सिस्टम से।टी राबी शंकर, पूनम गुप्ता और स्वामीनाथन जे अन्य डिप्टी गवर्नर हैं।राजेश्वर राव ने इस पद पर पांच साल पूरे कर लिए हैं। वे पहली बार 2020 में तीन साल के कार्यकाल के लिए डिप्टी गवर्नर बने थे, और बाद में 2023 और 2024 में उन्हें एक-एक साल का दो बार विस्तार दिया गया।पिछले महीने की शुरुआत में सरकार ने पूर्व आरबीआई गवर्नर डॉ. उर्जित पटेल को तीन साल की अवधि के लिए इंटरनेशनल मॉनेटरी फंड (आईएमएफ) में एग्जीक्यूटिव डायरेक्टर के पद पर नियुक्त किया था।यह नियुक्ति कृष्णमूर्ति वी सुब्रह्मण्यम की सेवाओं को अचानक समाप्त किए जाने के बाद हुई, जिससे उनका कार्यकाल लगभग छह महीने पहले ही समाप्त हो गया। पटेल को भारत की मुद्रास्फीति लक्ष्यीकरण वाली मौद्रिक नीति ढांचे को डिजाइन करने में मदद करने का श्रेय दिया जाता है।उर्जित पटेल एक भारतीय अर्थशास्त्री हैं, जिनका जन्म केन्या में हुआ था। उन्होंने भारत की मुद्रास्फीति-नियंत्रण मौद्रिक नीति (इन्फ्लेशन-टारगेटिंग मॉनेटरी पॉलिसी) को डिज़ाइन करने में महत्वपूर्ण योगदान दिया। वे 30 साल से अधिक समय से अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ) के साथ काम कर रहे हैं।पटेल ने 1992 में भारत आने से पहले पांच साल तक आईएमएफ के लिए वाशिंगटन, डीसी में काम किया। बाद में वे नई दिल्ली में आईएमएफ के डिप्टी रेजिडेंट रिप्रेजेंटेटिव बने। वर्ष 2016 में उन्होंने रघुराम राजन की जगह लेते हुए आरबीआई के 24वें गवर्नर के रूप में कार्य शुरू किया। उनका कार्यकाल 1992 के बाद सबसे छोटा रहा, और वे 2018 में निजी कारणों से इस्तीफा देने वाले पहले आरबीआई गवर्नर बने। -
नई दिल्ली। मूडीज रेटिंग्स ने सोमवार को भारत की लॉन्ग-टर्म लोकल और फॉरेन-करेंसी इश्यूअर रेटिंग्स और लोकल-करेंसी सीनियर अनसिक्योर्ड रेटिंग को बीएए3 पर बरकरार रखा है। साथ ही ग्लोबल रेटिंग्स एजेंसी ने देश के लिए आउटलुक को स्थिर रखा है। मूडीज ने अपने नोट में कहा कि रेटिंग का स्थिर आउटलुक के साथ बीएए3 पर बरकरार रहना हमारे इस दृष्टिकोण को दिखाते हैं कि भारत की मौजूदा ऋण क्षमताएं कायम रहेंगी, जिसमें इसकी बड़ी और तेजी से बढ़ती अर्थव्यवस्था, मजबूत बाहरी स्थिति और चालू राजकोषीय घाटे के लिए स्थिर मजबूत घरेलू फंडिंग शामिल है। रेटिंग एजेंसी ने कहा कि अमेरिका की ओर से लगाए गए हाई टैरिफ का नजदीक अवधि में भारत की आर्थिक ग्रोथ पर सीमित प्रभाव पड़ेगा। रेटिंग एजेंसी ने कहा, “हालांकि, यह उच्च मूल्यवर्धित निर्यात विनिर्माण क्षेत्र विकसित करने की भारत की महत्वाकांक्षाओं में बाधा उत्पन्न करके मध्यम से लंबी अवधि में संभावित वृद्धि को बाधित कर सकता है।”इसके अतिरिक्त, एजेंसी को यह भी उम्मीद नहीं है कि अन्य अमेरिकी नीतिगत बदलाव वर्कर्स के रेमिटेंस या भारत के सेवा निर्यात पर महत्वपूर्ण रूप से प्रभाव डालेंगे, जिनमें एच1बी वीजा के लिए नए आवेदन और विदेशों में परिचालन आउटसोर्स करने वाले अमेरिकी व्यवसायों पर संभावित शुल्क शामिल हैं। यह कारक भारत को प्रतिकूल बाहरी रुझानों के प्रति लचीलापन प्रदान करती हैं।नोट में बताया गया कि भारत की ऋण क्षमता, राजकोषीय पक्ष की दीर्घकालिक कमजोरियों से संतुलित होती है, जो आगे भी बनी रहेंगी। मजबूत जीडीपी वृद्धि और क्रमिक राजकोषीय समेकन से सरकार के उच्च ऋण भार में बहुत ही मामूली क्रमिक कमी आएगी और यह कमजोर ऋण सामर्थ्य में भौतिक रूप से सुधार करने के लिए पर्याप्त नहीं होगा, खासकर जब निजी उपभोग को बढ़ावा देने के हालिया राजकोषीय उपाय सरकार के राजस्व आधार को कम कर रहे हैं। इससे पहले, रेटिंग एजेंसी ने कहा था कि डोनाल्ड ट्रम्प प्रशासन द्वारा भारतीय वस्तुओं पर लगाए गए 50 प्रतिशत टैरिफ की घोषणा से भारत की आर्थिक वृद्धि में लगभग 0.3 प्रतिशत अंकों की कमी आ सकती है। हालांकि, उसने स्वीकार किया कि मजबूत घरेलू मांग और मजबूत सेवा क्षेत्र इस प्रभाव को कम करने में मदद करेगा।
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नई दिल्ली। केंद्र सरकार की ओर से देश में ईवी चार्जिंग इंफ्रास्ट्रक्चर बूस्ट करने के लिए 2,000 करोड़ रुपए का प्लान बनाया है। इसमें चार्जिंग स्टेशन लगाने पर सब्सिडी दी जाएगी। केंद्रीय भारी उद्योग मंत्रालय ने 10,900 करोड़ रुपए की पीएम ई-ड्राइव स्कीम के तहत पब्लिक चार्जिंग स्टेशन लगाने के लिए गाइडलाइंस जारी की हैं। इनके तहत 2,000 करोड़ रुपए ईवी चार्जिंग इंफ्रास्ट्रक्चर के लिए निर्धारित किए गए हैं।
इस गाइडलाइंस के तहत सरकार चुनिंदा श्रेणियों में चार्जिंग स्टेशन लगाने पर लागत की 100 प्रतिशत तक सब्सिडी देगी। नई गाइडलाइंस में सरकारी कार्यालय, अस्पताल, शैक्षणिक संस्थान और सीपीएसई परिसर में लगाए गए चार्जर 100 प्रतिशत सब्सिडी के पात्र होंगे। हवाई अड्डे, रेलवे स्टेशन, सरकारी तेल विपणन कंपनियों के ईंधन खुदरा आउटलेट, मेट्रो स्टेशन और बस डिपो जैसे स्थानों को इन्फ्रास्ट्रक्चर पर 80 प्रतिशत और चार्जिंग उपकरणों पर 70 प्रतिशत सब्सिडी मिलेगी। मॉल, बाजार और अन्य निजी स्थान भी इन्फ्रास्ट्रक्चर की लागत पर 80 प्रतिशत की सब्सिडी का दावा कर सकते हैं। साथ ही बैटरी स्वैपिंग और चार्जिंग स्टेशन भी 80 प्रतिशत सब्सिडी का दावा कर सकते हैं।दस लाख से अधिक आबादी वाले शहरों, राज्यों की राजधानियों, स्मार्ट शहरों और राष्ट्रीय स्वच्छ वायु कार्यक्रम (एनसीएपी) शहरों के अलावा प्रमुख औद्योगिक केंद्रों और बंदरगाहों को जोड़ने वाले उच्च यातायात वाले राजमार्गों पर चार्जिंग स्टेशन की तैनाती को प्राथमिकता दी जाएगी।कार्यान्वयन की देखरेख के लिए, भारत हेवी इलेक्ट्रिकल्स लिमिटेड (बीएचईएल) को परियोजना कार्यान्वयन एजेंसी नियुक्त किया गया है, जबकि आईएफसीआई परियोजना प्रबंधन एजेंसी के रूप में कार्य करेगी। इसके अतिरिक्त बीएचईएल ईवी चार्जर्स को एकीकृत करने के लिए एक राष्ट्रीय एकीकृत केंद्र और मोबाइल ऐप भी विकसित करेगा, जो खोज, रीयल-टाइम अपडेट, स्लॉट बुकिंग और भुगतान सुविधाएं प्रदान करेगा।सब्सिडी का वितरण दो चरणों में किया जाएगा, जिसमें 70 प्रतिशत खरीद चरण में और शेष 30 प्रतिशत एकीकृत हब के साथ कमीशनिंग और एकीकरण के बाद दी जाएगी। -
नई दिल्ली। भारतीय परिवारों की वेल्थ 2024 में रिकॉर्ड ऊंचाई पर पहुंच गई है और इसमें बीते 8 वर्षों में सबसे तेज वृद्धि दर्ज की गई है। यह जानकारी एक रिपोर्ट में दी गई। एलियांज ग्लोबल वेल्थ रिपोर्ट 2025 में बताया गया कि 2024 में भारतीय परिवारों की वेल्थ 14.5 प्रतिशत की दर से बढ़ी है, जो देश में तेजी से बढ़ती मध्यम वर्ग की क्षमता को दिखाता है। करीब 60 देशों को कवर करने वाली इस रिपोर्ट में बताया गया कि पिछले दो दशकों में भारत की वास्तविक प्रति व्यक्ति वित्तीय संपत्ति पांच गुना बढ़ी है, जो किसी भी अन्य उभरती अर्थव्यवस्था के मुकाबले सबसे अच्छा प्रदर्शन है। पिछले साल प्रतिभूतियों में सबसे अधिक वृद्धि हुई, जो 28.7 प्रतिशत थी, जबकि बीमा और पेंशन में 19.7 प्रतिशत की वृद्धि हुई है। बैंक डिपॉजिट में 8.7 प्रतिशत की वृद्धि हुई है। भारतीय परिवारों के पोर्टफोलियाे का 54 प्रतिशत हिस्सा बैंक डिपॉजिट से आता है। ऐसे में इसमें वृद्धि बढ़ती बचत को दिखाती है। रिपोर्ट में कहा गया, “वास्तविक रूप से मुद्रास्फीति के बाद फाइनेंशियल एसेट्स में 9.4 प्रतिशत की वृद्धि हुई है, जिससे क्रय शक्ति महामारी-पूर्व स्तर से 40 प्रतिशत ऊपर पहुंच गई है। यह पश्चिमी यूरोप से बिल्कुल अलग है, जहां क्रय शक्ति 2019 से 2.4 प्रतिशत कम बनी हुई है। 2024 में प्रति भारतीय नेट फाइनेंशियल एसेट्स 2,818 अमेरिकी डॉलर प्रति व्यक्ति थीं, जो पिछले वर्ष की तुलना में 15.6 प्रतिशत अधिक है। भारत की प्रति व्यक्ति नेट फाइनेंशियल एसेट्स 15.6 प्रतिशत बढ़कर 2,818 डॉलर पर पहुंच गई है। वहीं, देनदारी की वृद्धि दर 12.1 प्रतिशत रही, जिससे परिवारों पर कर्ज जीडीपी का 41 प्रतिशत रहा। 2024 में अमेरिका ने ग्लोबल फाइनेंशियल एसेट्स वृद्धि का आधा हिस्सा हासिल किया। पिछले दशक में अमेरिकी परिवारों ने दुनिया भर में 47 प्रतिशत संपत्ति वृद्धि उत्पन्न की है, जबकि चीन में यह 20 प्रतिशत और पश्चिमी यूरोप में 12 प्रतिशत है।
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नई दिल्ली। आगामी आरबीआई एमपीसी में रेपो रेट को 5.5 प्रतिशत पर स्थिर रखा जा सकता है और ब्याज दरों में कटौती संभावना काफी कम है। यह जानकारी एक्सपर्ट्स की ओर से रविवार को दी गई। भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) मौद्रिक नीति कमेटी (एमपीसी) की आगामी बैठक 29 सितंबर से लेकर 1 अक्टूबर तक चलेगी। बैठक के अंतिम दिन आरबीआई गवर्नर संजय मल्होत्रा एमपीसी के फैसलों का ऐलान करेंगे।
विशेषज्ञों ने कहा कि एमपीसी की बैठक बढ़ते वैश्विक टैरिफ और एडवांस अर्थव्यवस्थाओं की राजकोषीय स्थिति को लेकर बढ़ती चिंताओं के माहौल में हो रही है। उन्होंने कहा, “भारतीय अर्थव्यवस्था ने मजबूत लचीलापन दिखाया है और 2025-26 की पहली तिमाही में पांच तिमाहियों की उच्चतम वृद्धि हासिल की है, जो मुख्यतः घरेलू खपत और अन्य स्थानीय कारकों से प्रेरित है।”विशेषज्ञों ने आगे कहा कि वैश्विक वृद्धि दर को लेकर अनिश्चितताएं बनी हुई हैं, लेकिन हालिया घरेलू आंकड़े सीमित नकारात्मक जोखिम दर्शाते हैं। हालांकि, विशेषज्ञों ने आगाह किया है कि कम कर संग्रह से सरकारी पूंजीगत व्यय में कमी आ सकती है, जो उपभोग को बढ़ावा देने वाली जीएसटी दरों में कटौती के सकारात्मक विकास प्रभाव को कुछ हद तक कम कर सकता है।अगस्त की एमपीसी में केंद्रीय बैंक ने रेपो रेट को 5.50 प्रतिशत पर स्थिर बनाए रखा था। इस कारण से आगामी एमपीसी पर बाजार काफी करीबी से निगाह रख रहा है। इस वर्ष की शुरुआत से लेकर अब तक आरबीआई रेपो रेट में एक प्रतिशत की कटौती कर चुका है, जिसमें फरवरी में 0.25 प्रतिशत, अप्रैल में 0.25 प्रतिशत और जून की 0.50 प्रतिशत की कटौती शामिल है।विश्लेषकों को उम्मीद है कि एमपीसी अक्टूबर में यथास्थिति बनाए रखेगी, जिससे सीआरआर में कटौती और आगे के राजकोषीय उपायों के पूर्ण प्रभाव को सामने आने का समय मिल जाएगा। इस निर्णय में वैश्विक कारकों पर भी विचार किया जाएगा, जिनमें अमेरिकी फेडरल रिजर्व द्वारा संभावित दरों में कटौती और चल रहे व्यापार तनाव शामिल हैं, जो ब्याज दरों के अंतर और भारतीय ऋण की विदेशी मांग को प्रभावित कर सकते हैं।( -
नयी दिल्ली/ नौकरी डॉट कॉम की मूल कंपनी इंफो एज को देश का सबसे सफल उद्यम निवेशक घोषित किया गया है। कंपनी ने भारतीय स्टार्टअप पर दीर्घकालिक दांव लगाकर शानदार प्रतिफल हासिल किया है, जिसमें जोमैटो से लेकर पॉलिसीबाजार तक शामिल हैं। संजीव बिखचंदानी - जिन्हें अक्सर भारत का वॉरेन बफेट कहा जाता है, की इस फर्म ने पिछले डेढ़ दशकों में विभिन्न मंचों पर कुल 3,959.16 करोड़ रुपये का पूंजी निवेश किया है। इन निवेशों का उचित बाजार मूल्य (एफएमवी) इस राशि से कई गुना अधिक है। इकोनॉमिक टाइम्स ने एक रिपोर्ट में इंफो एज को देश का सबसे सफल उद्यम निवेशक बताया है। वर्ष 2011 से 2015 के बीच जोमैटो और पॉलिसीबाजार में इसके निवेश का वर्तमान मूल्य लगभग 53,000 करोड़ रुपये है। बिखचंदानी को 28 साल पहले दिल्ली के एक व्यापार मेले में इंटरनेट के बारे में पता चला, जिससे उन्हें रोजगार पोर्टल नौकरी डॉट कॉम बनाने की प्रेरणा मिली। इसके साथ ही एक क्रमिक निवेशक के रूप में उनके सफर की शुरुआत भी हुई। उनका जोमैटो (इटरनल) में 12.40 प्रतिशत और पॉलिसीबाजार में 19.63 प्रतिशत का निवेश बेहद लाभकारी साबित हुआ। इस प्रक्रिया में उन्होंने इंफो एज को देश का सबसे सफल उद्यम निवेशक और स्टार्टअप सूचीबद्धता का सबसे बड़ा लाभार्थी बनाया।
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-एनसीवीईटी द्वारा अवार्डिंग बॉडी के रूप में मान्यता मिली
-जिंदल स्टील को कौशल विकास और उद्यमिता मंत्रालय (MSDE), भारत सरकार के अंतर्गत राष्ट्रीय व्यावसायिक शिक्षा और प्रशिक्षण परिषद (NCVET) द्वारा अवार्डिंग बॉडी के रूप में मान्यता प्रदान की गई-जिंदल स्टील यह मान्यता प्राप्त करने वाली भारत की पहली विविधीकृत बड़ी कंपनी तथा पहली एकीकृत इस्पात निर्माता कंपनी-यह मान्यता जेएसपी को राष्ट्रीय शिक्षा नीति (NEP) और राष्ट्रीय क्रेडिट फ्रेमवर्क के तहत उद्योग-उन्मुख स्किलिंग कार्यक्रम तैयार करने और लागू करने की शक्ति प्रदान करती है।-इसमें डीकार्बोनाइजेशन, सर्कुलर इकॉनमी और उन्नत तकनीकों पर विशेष ध्यान केंद्रित किया जाएगा।रायपुर। जिंदल स्टील ने देश की पहली बड़ी विविधीकृत कंपनी और पहली एकीकृत इस्पात निर्माता कंपनी बनकर एक नया कीर्तिमान स्थापित किया है, जिसे एनसीवीईटी द्वारा अवार्डिंग बॉडी के रूप में मान्यता प्राप्त हुई है। यह उपलब्धि कंपनी की कौशल विकास एवं व्यावसायिक शिक्षा को नए मानक देने की प्रतिबद्धता को दर्शाती है और इस्पात एवं अवसंरचना क्षेत्र में इसकी नेतृत्वकारी स्थिति को और मजबूत करती है।एनसीवीईटी और जिंदल स्टील के बीच हुए इस समझौते के तहत जेएसपी को पैन-इंडिया स्तर पर &ह्नह्वशह्ल;अवार्डिंग बॉडी का अधिकार प्राप्त हुआ है। अब जेएसपी उद्योग-उन्मुख मानक तय करने, संरचित स्किलिंग प्रोग्राम लागू करने और भविष्य की कार्यबल तैयार करने की दिशा में तेजी से कार्य कर सकेगी। इसके अंतर्गत तैयार सभी प्रशिक्षण मानक और योग्यताएँ राष्ट्रीय शिक्षा नीति (NEP) 2020 के अंतर्गत नेशनल क्रेडिट फ्रेमवर्क में मान्यता प्राप्त होंगी।यह मील का पत्थर शिक्षा और रोजगार के बीच की खाई को पाटने में सहायक होगा और बहु-क्षेत्रीय,परिणाम-आधारित स्किलिंग को बढ़ावा देगा। यह जेएसपी की राष्ट्र निर्माण, अंतर्विषयक क्षमता विकास और हरित ऊर्जा तथा आधुनिक अवसंरचना की दिशा में भारत के संक्रमण के प्रति प्रतिबद्धता को भी रेखांकित करता है। इस ढांचे के अंतर्गत जारी सभी प्रमाणपत्र अधिक विश्वसनीय होंगे और वैश्विक स्तर पर भी मान्यता प्राप्त होंगे, जिससे करियर अवसरों और गतिशीलता में वृद्धि होगी।जेएसपी के चेयरमैन श्री नवीन जिंदल ने कहा:"एनसीवीईटी द्वारा ‘अवार्डिंग बॉडी’ के रूप में मान्यता मिलना एक बड़ी जिम्मेदारी है जिसे हम गंभीरता और उद्देश्य के साथ स्वीकार करते हैं। यह हमें उद्योग मानकों को सीधे शिक्षा और कौशल विकास से जोडऩे की शक्ति देता है, ताकि भारत के युवा आवश्यक ज्ञान और अनुशासन प्राप्त कर सकें और कार्यस्थल पर सफल होते हुए राष्ट्र निर्माण में योगदान दे सकें।" -
नयी दिल्ली. चावल निर्यातकों के संगठन आईआरईएफ ने बृहस्पतिवार को गैर-बासमती चावल के निर्यात के लिए एपीडा के साथ अनुबंधों का पंजीकरण अनिवार्य करने के सरकार के फैसले का स्वागत करते हुए कहा कि इससे निर्यात नीति में पारदर्शिता और एकरूपता आएगी। बुधवार को, सरकार ने अधिसूचित किया कि गैर-बासमती चावल के निर्यात की अनुमति केवल वाणिज्य मंत्रालय के कृषि और प्रसंस्कृत खाद्य उत्पाद निर्यात विकास प्राधिकरण (एपीडा) के साथ पंजीकरण के बाद ही दी जाएगी। भारतीय निर्यातक महासंघ (आईआरईएफ) के राष्ट्रीय अध्यक्ष प्रेम गर्ग ने कहा, यह एक ऐतिहासिक निर्णय है जो गैर-बासमती चावल को बासमती चावल के समान ढांचे के अंतर्गत लाता है, जिसके लिए वर्षों से निर्यात अनुबंधों का पंजीकरण आवश्यक है। इस कदम से भारत की चावल निर्यात नीति में एकरूपता, पारदर्शिता और जवाबदेही आएगी।
गर्ग ने कहा कि एपीडा के साथ अनुबंधों का अनिवार्य पंजीकरण शुरू करने से सरकार को अब निर्यात प्रतिबद्धताओं की बेहतर जानकारी होगी, जिससे अधिक पारदर्शी निगरानी संभव होगी। उन्होंने कहा, ‘‘इससे निर्यातकों के हितों की रक्षा होने के साथ-साथ घरेलू प्राथमिकताओं की भी रक्षा होने की उम्मीद है।'' अनुबंध पंजीकरण के लिए आठ रुपये प्रति टन का मामूली शुल्क भी लागू किया गया है।एपीडा वाणिज्य मंत्रालय की एक इकाई है जो कृषि निर्यात से संबंधित मुद्दों को देखती है।विदेश व्यापार महानिदेशालय (डीजीएफटी) ने एक अधिसूचना में कहा था, ‘‘गैर-बासमती चावल की निर्यात नीति में एक अतिरिक्त नीतिगत शर्त शामिल करके संशोधन किया गया है जिसके अनुसार गैर-बासमती चावल के निर्यात की अनुमति केवल एपीडा के साथ अनुबंधों के पंजीकरण पर ही दी जाएगी।'' इस वित्तवर्ष की अप्रैल-अगस्त अवधि के दौरान देश का चावल निर्यात 6.4 प्रतिशत बढ़कर 4.7 अरब डॉलर का हो गया। - - हॉट मेटल क्षमता 4 एमटीपीए से बढक़र 9 एमटीपीए हुई- नया फर्नेस अंगुल, ओडिशा को सबसे बड़े एकल-स्थान स्टील प्लांट के रूप में स्थापित करता है और इसे जिंदल स्टील की भविष्य की विकास रणनीति का केंद्र बिंदु बनाता है।रायपुर । जिंदल स्टील ने भारत के स्टील उद्योग में एक महत्वपूर्ण उपलब्धि हासिल की है। कंपनी ने 5 एमटीपीए क्षमता वाले ब्लास्ट फर्नेस को चालू किया है। यह सफलता भगवती सुभद्रिका ब्लास्ट फर्नेस - 2 के कमीशनिंग से हासिल हुई। इस "ब्लो-इन" समारोह का नेतृत्व जिंदल स्टील के चेयरमैन श्री नवीन जिंदल ने किया। इसके साथ ही अंगुल देश का सबसे बड़ा एकल-स्थान स्टील प्लांट बन गया है।भगवती सुभद्रिका ब्लास्ट फर्नेस, जिसकी उपयोगी क्षमता 5,499 वर्गमीटर है, दुनिया के सबसे बड़े और उन्नत फर्नेस में से एक है। यह जिंदल स्टील की उस प्रतिबद्धता को दर्शाता है, जिसमें कंपनी पैमाने, अत्याधुनिक ऑटोमेशन, मजबूत सुरक्षा डिज़ाइन और बेहतर स्थिरता को जोडक़र उद्योग में नए मानक स्थापित कर रही है।श्री नवीन जिंदल, चेयरमैन, जिंदल स्टील ने कहा, "अंगुल में भगवती सुभद्रिका ब्लास्ट फर्नेस का कमीशन होना जिंदल स्टील और भारत के लिए गर्व का क्षण है। अंगुल की क्षमता को 12 एमटीपीए तक दोगुना करके हम अपनी वैश्विक प्रतिस्पर्धा को और मजबूत कर रहे हैं तथा आत्मनिर्भर भारत के प्रति अपनी प्रतिबद्धता को दोहरा रहे हैं। ओडिशा की संस्कृति में जड़े हुए और अत्याधुनिक तकनीक से संचालित यह फर्नेस हमारी उस दृष्टि का प्रतीक है, जिसमें परंपरा और नवाचार का संगम है।"यह उपलब्धि जिंदल स्टील की दीर्घकालिक विकास योजनाओं को नई गति प्रदान करती है। अब अंगुल कंपनी के भविष्य के विस्तार का केंद्रीय केंद्र होगा। प्रस्तावित परियोजनाओं में पारादीप में एक समर्पित पोर्ट, स्लरी पाइपलाइन और कोल पाइप कन्वेयर (सप्लाई चेन दक्षता बढ़ाने के लिए), श्रीभूमि पावर प्लांट और नए कोक ओवन संयंत्र शामिल हैं। इन सभी परियोजनाओं के माध्यम से अंगुल को जिंदल स्टील की वैश्विक विकास रणनीति की धुरी के रूप में विकसित किया जाएगा।जिंदल स्टील के बारे में जिंदल स्टील भारत के प्रमुख एकीकृत स्टील उत्पादकों में से एक है, जो अपने पैमाने, दक्षता और उत्कृष्टता के प्रति प्रतिबद्धता के लिए प्रसिद्ध है। कंपनी माइन-टू-मेटल मॉडल पर कार्य करती है और अपने खनिज संसाधनों, उन्नत विनिर्माण क्षमताओं और वैश्विक वितरण नेटवर्क का लाभ उठाकर उच्च-प्रदर्शन स्टील समाधान प्रदान करती है। 12 अरब अमेरिकी डॉलर से अधिक के निवेश के साथ, जिंदल स्टील अंगुल, रायगढ़ और पतरातू में अत्याधुनिक सुविधाएं संचालित करती है तथा भारत और अफ्रीका में अपनी रणनीतिक गतिविधियां बनाए रखती है। इसका विविध और भविष्य-उन्मुख उत्पाद पोर्टफोलियो बुनियादी ढांचा, निर्माण और विनिर्माण जैसे कोर क्षेत्रों को सशक्त बनाता है, जो स्ट्रेंथ और सस्टेनेबिलिटी के साथ प्रगति को गति देता है।
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नयी दिल्ली. भारत की लॉजिस्टिक लागत वित्त वर्ष 2023-24 में देश के सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) का लगभग 7.97 प्रतिशत रहने का अनुमान है। उद्योग एवं आंतरिक व्यापार संवर्धन विभाग (डीपीआईआईटी) की एक रिपोर्ट में यह जानकारी दी गई।
यह रिपोर्ट डीपीआईआईटी के लिए आर्थिक शोध संस्थान नेशनल काउंसिल ऑफ एप्लाइड इकोनॉमिक रिसर्च (एनसीएईआर) द्वारा तैयार की गई। रिपोर्ट में कहा गया है कि पिछले पांच वर्षों के अनुमानों से पता चलता है कि लॉजिस्टिक लागत में वृद्धि की गति धीरे-धीरे धीमी हो रही है। रिपोर्ट में कहा गया है कि पिछले पांच वर्षों के लिए निकाले गए अनुमान बताते हैं कि लॉजिस्टिक लागत की वृद्धि दर धीरे-धीरे कम हो रही है। इसका श्रेय प्रधानमंत्री गति शक्ति राष्ट्रीय मास्टर प्लान, मालगाड़ियों के लिए अलग से बनाया गया गलियारा, सागरमाला परियोजना, एकीकृत जांच चौकियों और एकीकृत लॉजिस्टिक इंटरफेस मंच के विकास जैसी कई पहलों को दिया जा सकता है। रिपोर्ट में कहा गया है, "डीपीआईआईटी के लिए एनसीएईआर द्वारा तैयार किए गए वर्तमान मूल्यांकन के अनुसार, भारत में लॉजिस्टिक लागत कुल जीडीपी का लगभग 7.97 प्रतिशत अनुमानित है।" वाणिज्य एवं उद्योग मंत्री पीयूष गोयल ने पिछले सप्ताह भारत में लॉजिस्टिक लागत के आकलन पर एक रिपोर्ट जारी की थी। इसके साथ ही, अब देश के पास लॉजिस्टिक लागत का एक व्यापक और वैज्ञानिक रूप से प्राप्त अनुमान उपलब्ध है। यह प्रगति इसलिए महत्वपूर्ण है क्योंकि अब तक, भारत में लॉजिस्टिक लागत को अक्सर गलत तरीके से प्रस्तुत किया जाता था, और आमतौर पर सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) के 13-14 प्रतिशत के आंकड़े बाहरी अध्ययनों या आंकड़ों से प्राप्त किए जाते थे। इससे अनुमानों में विसंगति पैदा हुई, जिससे नीति निर्माताओं और संबंधित वैश्विक इकाइयों के बीच भ्रम की स्थिति पैदा हुई। यह रिपोर्ट विभिन्न परिवहन साधनों, उत्पाद श्रेणियों और कंपनी के आकारों में लॉजिस्टिक लागत को शामिल करके एक व्यापक रूपरेखा प्रदान करती है। - नयी दिल्ली ।मजबूत वैश्विक संकेतों के बीच बृहस्पतिवार को राष्ट्रीय राजधानी के सर्राफा बाजार में चांदी की कीमत 1,000 रुपये की तेजी के साथ 1.40 लाख रुपये प्रति किलोग्राम के नए शिखर पर पहुंच गई। अखिल भारतीय सर्राफा संघ ने यह जानकारी दी। पिछले कारोबारी सत्र में चांदी 1,39,000 रुपये प्रति किलोग्राम पर रही थी।स्थानीय सर्राफा बाजार में 99.9 प्रतिशत शुद्धता वाला सोना 630 रुपये की गिरावट के साथ 1,17,370 रुपये प्रति 10 ग्राम (सभी करों सहित) रहा। पिछले कारोबार में यह 1,18,000 रुपये प्रति 10 ग्राम था। सर्राफा संघ के अनुसार, 99.5 प्रतिशत शुद्धता वाले सोने की कीमत बृहस्पतिवार को 700 रुपये घटकर 1,16,700 रुपये प्रति 10 ग्राम (सभी करों सहित) रही। बुधवार को यह 1,17,400 रुपये प्रति 10 ग्राम पर बंद हुई थी। अंतर्राष्ट्रीय बाजारों में, हाजिर सोना 21.40 डॉलर या 0.57 प्रतिशत बढ़कर 3,757.54 डॉलर प्रति औंस हो गया। हाजिर चांदी दो प्रतिशत से अधिक बढ़कर 45.03 डॉलर प्रति औंस के उच्च स्तर पर पहुंच गई। यह 14 साल के उच्चतम स्तर के करीब है।
- नयी दिल्ली। मारुति सुजुकी इंडिया लि. की प्रीमियम हाइब्रिड यूटिलिटी कार इनविक्टो को वाहन सुरक्षा मानक भारत एनकैप में पांच सितारा सुरक्षा रेटिंग मिली है। मारुति सुजुकी इंडिया ने बृहस्पतिवार एक बयान में कहा कि यह उपलब्धि कंपनी के 5-स्टार भारत एनकैप पोर्टफोलियो को मजबूत करती है। मारुति सुजुकी इंडिया के प्रबंध निदेशक (एमडी) एवं मुख्य कार्यपालक अधिकारी (सीईओ) हिसाशी ताकेउची ने कहा, "सुरक्षा हमेशा से मारुति सुजुकी की गाड़ी बनाने की सोच का एक अहम हिस्सा रही है... भारत एनकैप ने भारत में विश्वस्तरीय परीक्षण प्रोटोकॉल की शुरुआत की है, जिससे ग्राहक सोच-समझकर फैसला ले पाते हैं।" उन्होंने आगे कहा कि कंपनी 157 संस्करणों में 15 मॉडल में मानक के रूप में छह एयरबैग प्रदान करती है।
- नयी दिल्ली,। भारत का स्मार्टफोन निर्यात अगस्त 2025 में सालाना आधार पर 39 प्रतिशत बढ़कर लगभग 1.53 अरब डॉलर हो गया है। इसी अवधि में अमेरिका को निर्यात दोगुना से अधिक हो गया। इंडिया सेलुलर एंड इलेक्ट्रॉनिक्स एसोसिएशन (आईसीईए) ने बयान में कहा कि वित्त वर्ष 2025-26 के पहले पांच महीनों में अमेरिका को स्मार्टफोन का निर्यात 8.43 अरब डॉलर तक पहुंच गया, जो वित्त वर्ष 2024-25 की इसी अवधि में 2.88 अरब डॉलर से लगभग तीन गुना अधिक है। उद्योग जगत की बड़ी कंपनियों का प्रतिनिधित्व करने वाले संगठन ने कहा कि अप्रैल-अगस्त 2025 के लिए अमेरिका का आंकड़ा पहले ही वित्त वर्ष 2024-25 के कुल 10.56 अरब अमेरिकी डॉलर के निर्यात का करीब 80 प्रतिशत तक पहुंच चुका है। आईसीईए ने बयान में कहा, ‘‘ अगस्त 2025 में स्मार्टफोन निर्यात सालाना आधार पर 39 प्रतिशत बढ़कर 1.53 अरब डॉलर हो गया है। बीते साल इसी महीने में यह 1.09 अरब डॉलर था। इसके अलावा, अमेरिका को निर्यात दोगुना से अधिक हो गया। यह अगस्त 2025 में 148 प्रतिशत बढ़कर 96.5 करोड़ डॉलर हो गया है। एक साल पहले इसी महीने में यह 38.8 करोड़ डॉलर था। आईसीईए के चेयरमैन पंकज मोहिन्द्रू ने कहा, ‘‘ प्रत्येक निर्यात क्षेत्र की अपनी विशिष्ट बारीकियां होती हैं जो अनेक कारकों पर आधारित होती हैं। व्यापार आंकड़ों का अति सरलीकरण और उससे भी बदतर मासिक तुलनाओं पर आधारित निष्कर्ष भ्रामक हो सकता है...।'' इसने तर्क दिया कि अगस्त और सितंबर में आमतौर पर स्मार्टफोन निर्यात सबसे कम होता है। पिछले पांच वर्ष के निर्यात आंकड़ों से पता चलता है कि स्मार्टफोन का निर्यात आमतौर पर अगस्त और सितंबर के पहले पखवाड़े के दौरान सबसे कम रहता है। आईसीईए ने कहा कि कंपनियां त्योहारों से पहले सितंबर के अंत और अक्टूबर में नए मॉडल पेश करती हैं। इसलिए वैश्विक स्तर पर अधिकतर लोग नई पेशकश का इंतजार करते हैं जिससे अगस्त के दौरान स्मार्टफोन की खरीदारी में भारी कमी आती है। परिणामस्वरूप निर्यात में गिरावट आती है।
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मुंबई /जीएसटी सुधार का भारतीय अर्थव्यवस्था पर सकारात्मक प्रभाव पड़ेगा क्योंकि यह व्यापार सुगमता को बढ़ावा देगा, खुदरा कीमतों को कम करेगा और उपभोग वृद्धि को मजबूत करेगा। भारतीय रिजर्व बैंक के बुधवार को जारी बुलेटिन में यह बात कही गई। बुलेटिन में कहा गया है कि प्रमुख व्यापारिक साझेदारों पर अमेरिका के भारी शुल्क लगाने और विकसित अर्थव्यवस्थाओं की राजकोषीय स्थिति को लेकर नई चिंताओं के मद्देनजर वैश्विक अनिश्चितता बनी हुई है। आरबीआई के सितंबर बुलेटिन में अर्थव्यवस्था की स्थिति पर प्रकाशित एक लेख में कहा गया है, ‘‘ऐतिहासिक जीएसटी सुधारों से कारोबारी सुगमता, खुदरा कीमतों में कमी और उपभोग वृद्धि को मजबूती मिलेगी। कुल मिलाकर इससे अर्थव्यवस्था पर सकारात्मक प्रभाव पड़ेगा।'' जीएसटी में व्यापक सुधारों के तहत चार स्लैब की जगह दो कर स्लैब (पांच प्रतिशत और 18 प्रतिशत) कर दिए गए हैं। नई दरें 22 सितंबर से लागू हो गई हैं। लेख में कहा गया है कि भारतीय अर्थव्यवस्था ने उल्लेखनीय मजबूती दिखायी है। यह घरेलू कारकों की वजह से 2025-26 की पहली तिमाही के दौरान पांच तिमाहियों की उच्च आर्थिक वृद्धि दर से स्पष्ट है। इसमें उल्लेख किया गया है कि उपभोक्ता मूल्य सूचकांक (सीपीआई) आधारित खुदरा मुद्रास्फीति में वृद्धि हुई है, लेकिन यह लगातार सातवें महीने आरबीआई के लक्षित दर से काफी नीचे रही। लेख में कहा गया है कि बैंकों में नकदी अधिशेष रहने से नीतिगत दरों में कटौती का लाभ ग्राहकों को मिला। बुलेटिन के अनुसार, पिछले वर्ष की तुलना में पहली तिमाही में भारत का चालू खाता घाटा कम हुआ, जिसे मजबूत सेवा निर्यात और बाहर से भेजे जाने वाले पैसे से समर्थन मिला। हालांकि, आरबीआई ने स्पष्ट किया है कि बुलेटिन में प्रकाशित लेख में व्यक्त विचार लेखकों के हैं और केंद्रीय बैंक के विचारों का प्रतिनिधित्व नहीं करते हैं।
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नयी दिल्ली /सरकार ने बुधवार को कुछ चांदी के आभूषणों के आयात पर अगले साल 31 मार्च तक अंकुश लगा दिया है। एक अधिसूचना में यह कहा गया है। इस कदम का उद्देश्य थाइलैंड से बिना जड़ाऊ आभूषणों के नाम पर चांदी के आयात पर अंकुश लगाना है। भारत का आसियान (दक्षिण-पूर्व एशियाई देशों का संघ) के साथ एक मुक्त व्यापार समझौता है। थाइलैंड इस 10 सदस्यीय समूह का सदस्य है। विदेश व्यापार महानिदेशालय (डीजीएफटी) ने एक अधिसूचना में कहा, ‘‘आयात नीति को 31 मार्च, 2026 तक के लिए संशोधित किया गया है। इसके तहत तत्काल प्रभाव से मुक्त से अंकुश की श्रेणी में डाला गया है।'' इस श्रेणी के अंतर्गत आने वाले सामान के लिए सरकार से लाइसेंस लेना आवश्यक है।
- नयी दिल्ली/ केंद्र सरकार दैनिक उपयोग की घरेलू वस्तुओं पर जीएसटी दर में कटौती का लाभ ई-कॉमर्स मंचों पर उपलब्ध कराए जाने को लेकर सतर्क है और इस पर लगातार नजर बनाए है। सरकारी सूत्रों ने मंगलवार को यह जानकारी दी। कुछ ई-कॉमर्स मंच पर बेची जा रही रोजमर्रा की जरूरी वस्तुओं की कीमतों में उचित कटौती न होने की शिकायतों के बीच सूत्रों ने बताया कि क्षेत्रीय अधिकारी कीमतों में बदलाव पर नजर रख रहे हैं। एक सूत्र ने कहा, ‘‘ हम कीमतों में बदलाव पर नजर रख रहे हैं। क्षेत्रीय अधिकारी निगरानी कर रहे हैं और हमें 30 सितंबर तक उनसे पहली रिपोर्ट मिल जाएगी।'' सूत्र ने कहा, ‘‘ हम ऐसी शिकायतों पर जल्दबाजी में एवं बिना सोचे समझे कोई कार्रवाई नहीं चाहते।''माल एवं सेवा कर (जीएसटी) में पांच और 18 प्रतिशत की दो स्तरीय व्यवस्था 22 सितंबर से लागू की गई है। इससे 99 प्रतिशत दैनिक उपयोग की वस्तुओं की कीमतें कम हो गई हैं।
- नयी दिल्ली. रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने मोरक्को के बरेचिड में ‘व्हील्ड आर्मर्ड प्लेटफॉर्म' के निर्माण के लिए लिए ‘टाटा एडवांस्ड सिस्टम्स' के एक विनिर्माण संयंत्र का उद्घाटन किया। यह संयंत्र 20,000 वर्ग मीटर में फैला है तथा अफ्रीका में पहला भारतीय रक्षा विनिर्माण संयंत्र है। यह मोरक्को का भी सबसे बड़ा ऐसा संयंत्र है। मोरक्को सरकार के साथ अपने अनुबंध के तहत, ‘टाटा एडवांस्ड सिस्टम्स' ‘व्हील्ड आर्मर्ड प्लेटफ़ॉर्म' का निर्माण करेगी, जिसकी शुरुआती खेप अगले महीने आ जायेगी। यह संयंत्र निर्धारित समय से तीन महीने पहले चालू हो गया है और उत्पादन पहले ही शुरू हो चुका है। उद्घाटन समारोह में मोरक्को के राष्ट्रीय रक्षा मंत्री अब्देलतीफ लौदियी भी उपस्थित थे।‘टाटा एडवांस्ड सिस्टम्स लिमिटेड' ने कहा, ‘‘यह किसी निजी भारतीय कंपनी द्वारा विदेश में स्थापित पहली रक्षा विनिर्माण इकाई है, जो रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन(डीआरडीओ) के साथ साझेदारी में उन्नत लड़ाकू वाहन प्लेटफॉर्म डिजाइन करने और उसकी आपूर्ति करने की भारत की क्षमता को रेखांकित करती है।'' कंपनी ने कहा कि इस सयंत्र ने प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष दोनों तरह के रोज़गार सृजित किए हैं, एक मजबूत आपूर्तिकर्ता पारिस्थितिकी तंत्र विकसित किया है, महत्वपूर्ण प्रौद्योगिकी क्षमताओं का निर्माण किया है और देश में उत्पाद सहयोगपरक माहौल स्थापित किया है। कंपनी ने कहा कि यह आवश्यक उप-प्रणालियों और प्रौद्योगिकी की आपूर्ति करने वाले समर्पित सहायक भागीदारों को भी सहायता प्रदान करता है। ‘टाटा एडवांस्ड सिस्टम्स लिमिटेड' के मुख्य कार्यकारी अधिकारी और प्रबंध निदेशक, सुकरन सिंह ने कहा,‘‘किसी निजी भारतीय रक्षा ओईएम (मूल उपकरण निर्माता) द्वारा स्थापित पहले विदेशी विनिर्माण संयंत्र के रूप में, यह भारत में डिज़ाइन की गई रक्षा प्रौद्योगिकी प्रणालियों को विदेशी मित्र देशों को उपलब्ध कराने की हमारी रणनीतिक पहल का भी प्रतीक है।'' उन्होंने कहा, ‘‘मोरक्को में कैसाब्लांका के पास आज रक्षा कारखाने का उद्घाटन भारत-मोरक्को औद्योगिक साझेदारी में एक नया अध्याय जोड़ता है। टाटा एडवांस्ड सिस्टम्स को इस उपलब्धि का हिस्सा बनने पर गर्व है।'' यह संयंत्र प्रारंभ में ‘रॉयल मोरक्कन आर्मी' की ज़रूरतों को पूरा करेगा और इसके बाद उसका विस्तार अफ्रीका में मित्र देशों को निर्यात करने के लिए किया जाएगा।
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नई दिल्ली। भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने बैंकों से अपील की है कि 67,000 करोड़ रुपए से अधिक से अनक्लेम डिपॉजिट उनके सही मालिकों को लौटाने के प्रयास तेज करें। अनक्लेम डिपॉजिट में निष्क्रिय बचत खाते और चालू खाते, मैच्योर हो चुकी एफडी, अनक्लेम डिविडेंड, ब्याज वारंट और बीमा आय शामिल हैं।
मीडिया रिपोर्टों के अनुसार, इन निष्क्रिय खातों के मालिकों का पता लगाने और उनका निपटान करने के लिए ग्रामीण और अर्ध-शहरी क्षेत्रों में अक्टूबर से दिसंबर तक एक विशेष आउटरीच पहल की योजना बनाई गई है।दस वर्षों तक निष्क्रिय रहने वाले बचत और चालू खातों में शेष राशि या मैच्योरिटी डेट से दस वर्षों के भीतर क्लेम न किए गए एफडी को अनक्लेम डिपॉजिट के रूप में वर्गीकृत किया जाता है और बाद में बैंकों द्वारा केंद्रीय बैंक द्वारा संचालित डीईए कोष में स्थानांतरित कर दिया जाता है।आरबीआई की यह पहल कम साक्षरता और जागरूकता वाले क्षेत्रों को लक्षित करेगी और प्रिंट और इलेक्ट्रॉनिक मीडिया के माध्यम से विभिन्न भाषाओं में स्थानीय प्रचार करेगी।राज्य स्तरीय बैंक समितियां (एसएलबीसी) अनक्लेम डिपॉजिट के आंकड़ों का आयु प्रोफाइल और बकेट-वार संकेंद्रण के आधार पर विश्लेषण करेंगी ताकि अधिक स्थानीयकृत विश्लेषण प्रदान किया जा सके, साथ ही जमाओं का पता लगाने और उनका निपटान करने के लिए विशेष प्रयास किए जा सकें।उदगम पोर्टल, आरबीआई द्वारा शुरू किया गया एक केंद्रीकृत ऑनलाइन प्लेटफॉर्म है जो जनता को भारत के विभिन्न बैंकों में अपनी अनक्लेम डिपॉजिट खोजने में मदद करता है। यह पोर्टल वर्तमान में लगभग 30 बैंकों की भागीदारी के साथ लगभग 90 प्रतिशत दावा न किए गए जमा मूल्य को कवर करता है।बीमा नियामक एवं विकास प्राधिकरण के अनुसार, सभी बीमा कंपनियों, जिनके पास पॉलिसीधारकों से 10 वर्ष से अधिक की अवधि के लिए दावा न की गई राशि है, को उसे हर वर्ष ब्याज सहित वरिष्ठ नागरिक कल्याण कोष में स्थानांतरित करना आवश्यक है।इसके अलावा, दावा न की गई राशि को वरिष्ठ नागरिक कल्याण कोष में स्थानांतरित करने के बाद भी, पॉलिसीधारक या दावेदार 25 वर्ष तक की अवधि के लिए अपनी संबंधित पॉलिसियों के तहत देय राशि का दावा करने के पात्र बने रहते हैं। वरिष्ठ नागरिक कल्याण कोष का उपयोग राष्ट्रीय वृद्धजन नीति और राष्ट्रीय वरिष्ठ नागरिक नीति के अनुरूप वरिष्ठ नागरिकों के कल्याण को बढ़ावा देने वाली ऐसी योजनाओं के लिए किया जाता है। - नयी दिल्ली. इंडिया मोबाइल कांग्रेस (आईएमसी) यहां भारत 6जी अलायंस के साथ साझेदारी में नौ और 10 अक्टूबर को दूसरे अंतरराष्ट्रीय भारत 6जी संगोष्ठी की मेजबानी करने के लिए पूरी तरह तैयार है। आधिकारिक बयान में कहा गया है कि एशिया के प्रमुख प्रौद्योगिकी प्रदर्शन आईएमसी में इस संगोष्ठी में इस बात पर चर्चा होगी कि कैसे 6जी प्रौद्योगिकी भारत और उसके बाहर डिजिटल संप्रभुता, आर्थिक विकास और तकनीकी नवोन्मेष को बढ़ावा देगी। इस कार्यक्रम का उद्घाटन संचार मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया करेंगे। उनके साथ संचार और ग्रामीण विकास राज्यमंत्री पेम्मासानी चंद्रशेखर भी होंगे। दूरसंचार सचिव नीरज मित्तल और सरकार के प्रधान वैज्ञानिक सलाहकार अजय सूद भी इस कार्यक्रम में शामिल होंगे। इस संगोष्ठी में दुनिया के विभिन्न देशों और भारत से 70 से अधिक प्रमुख वक्ता शामिल होंगे। इनमें ब्रिटेन, यूरोप, अमेरिका, जापान, जर्मनी, स्कॉटलैंड, फिनलैंड और स्वीडन जैसे देशों का प्रतिनिधित्व करने वाले विदेशी प्रतिभागी शामिल होंगे। बयान में कहा गया कि इसमें भाग लेने वाली कंपनियों में एरिक्सन, नोकिया, एनवीडिया और क्वालकॉम जैसे अग्रणी प्रौद्योगिकी और दूरसंचार विक्रेता शामिल हैं। इसके अलावा एनजीएमएन अलायंस और जीएसएमए सहित अंतरराष्ट्रीय उद्योग निकाय भी शामिल हैं। भारत 6जी अलायंस के चेयरमैन डेविड कोइलपिल्लई ने कहा, ‘‘भारत मोबाइल कांग्रेस के साथ-साथ अंतरराष्ट्रीय भारत 6जी संगोष्ठी की मेजबानी भारत के डिजिटल परिवेश के पैमाने और गतिशीलता को बताती है। हमारा ध्यान वैश्विक प्रौद्योगिकी दिग्गजों से लेकर भारतीय दूरसंचार क्षेत्र के बीच सहयोग पर है।'' कोइलपिल्लई ने कहा कि इस वर्ष की संगोष्ठी डिजिटल रूप से समावेशी और आर्थिक रूप से जीवंत विकसित भारत के दृष्टिकोण पर आधारित अत्याधुनिक अनुसंधान, विकास और रणनीतिक साझेदारियों के माध्यम से 6जी दौड़ में अग्रणी होने की भारत की महत्वाकांक्षाओं को बताती है। इस दो दिवसीय कार्यक्रम में उद्योग, शिक्षा जगत और सरकार के बीच दो ऐतिहासिक समझौता ज्ञापनों पर हस्ताक्षर के साथ-साथ चार प्रौद्योगिकी उद्योग रिपोर्ट भी जारी किए जाएंगे। इंडिया मोबाइल कांग्रेस 2025, 8-11 अक्टूबर तक नयी दिल्ली में आयोजित होगा। इसका आयोजन दूरसंचार विभाग और उद्योग निकाय सेल्युलर ऑपरेटर्स एसोसिएशन ऑफ इंडिया (सीओएआई) संयुक्त रूप से कर रहा है। चार दिन तक चलने वाला आईएमसी- 2025 भारत के डिजिटल परिवेश के विशाल पैमाने और गतिशीलता को प्रदर्शित करेगा। इस आयोजन में 150 से अधिक देशों से 1.5 लाख से अधिक आगंतुकों के आने, 400 से अधिक प्रदर्शकों और भागीदारों के शामिल होने, 7,000 से अधिक वैश्विक प्रतिनिधियों की मेजबानी करने और 100 सम्मेलन सत्रों में 800 से अधिक वक्ताओं के शामिल होने की उम्मीद है।
- मुंबई. एयर इंडिया समूह ने मंगलवार को कहा कि वह नवी मुंबई अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे से अपनी किफायती विमानन कंपनी एयर इंडिया एक्सप्रेस के साथ वाणिज्यिक उड़ानें शुरू करेगा। पहले चरण में 15 से अधिक शहरों के लिए प्रतिदिन 20 उड़ानों का परिचालन किया जाएगा। एयर इंडिया ने बयान में कहा कि 2026 के मध्य तक इसे बढ़ाकर 55 किया जाएगा, जिसमें पांच अंतरराष्ट्रीय उड़ानें शामिल होंगी। अदाणी समूह और महाराष्ट्र के नगर विकास प्राधिकरण सिडको के संयुक्त स्वामित्व वाले नवी मुंबई अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे (एनएमआईए) का इस महीने के अंत में संचालन शुरू हो सकता है। एयर इंडिया के मुख्य कार्यपालक अधिकारी (सीईओ) एवं प्रबंध निदेशक कैंपबेल विल्सन ने कहा, ‘‘ हम नवी मुंबई अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे पर परिचालन शुरू करने को उत्सुक हैं। हम अदाणी एयरपोर्ट्स के साथ मिलकर एनएमआईए को देश के बाकी हिस्सों से जोड़ने वाले एक केंद्र के रूप में विकसित कर खुश हैं। साथ ही अपनी रणनीतिक भौगोलिक स्थिति को देखते हुए यात्रियों एवं माल ढुलाई दोनों के लिए देश के प्रमुख वैश्विक पारगमन केंद्रों में से एक के रूप में भी इसे विकसित कर प्रसन्न हैं।'' अदाणी एयरपोर्ट होल्डिंग्स लिमिटेड के मुख्य कार्यपालक अधिकारी (सीईओ) अरुण बंसल ने कहा, ‘‘ यह साझेदारी मुंबई के संपक्र परिदृश्य को नए सिरे से परिभाषित करेगी...यात्रियों के लिए दक्षता एवं सर्वोत्तम अनुभव बढ़ाने के लिए एनएमआईए द्वारा अपनाई गई प्रौद्योगिकी आने वाले दशकों में यात्रियों के लिए निर्बाध एवं बेहतर यात्राएं प्रदान करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगी।'' नवी मुंबई अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे का निर्माण पांच चरणों में किया जा रहा है। इसके प्रारंभिक चरण में प्रति वर्ष दो करोड़ यात्रियों (एमपीपीए) और पांच लाख टन (एमएमटी) कार्गो संभालने की उम्मीद है। एयर इंडिया ने कहा कि निर्माण पूरा होने पर एनएमआईए में प्रति वर्ष नौ करोड़ यात्रियों को सेवा प्रदान किए जाने और यहां सालाना 32 लाख टन माल ढुलाई होने की संभावना है।
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नई दिल्ली। घरेलू बाजार में यात्री कारों की बिक्री भले ही घट रही हो, लेकिन निर्यात के मोर्चे पर उसकी रफ्तार बढ़ रही है। मेक्सिको और अफ्रीका जैसे देशों में सस्ती कारों की मांग बढ़ने से निर्यात को बल मिल रहा है। इन देशों में लोगों की खर्च करने की क्षमता लगातार बेहतर हो रही है, मगर कीमत के मामले में वे काफी संवेदनशील हैं।वाहन विनिर्माताओं के संगठन सायम के आंकड़ों से पता चलता है कि चालू वित्त वर्ष में अप्रैल से अगस्त के बीच यात्री कारों का निर्यात एक साल पहले की समान अवधि के मुकाबले 8.5 फीसदी बढ़ गया जबकि घरेलू बिक्री 8.5 फीसदी घट गई। यह घरेलू बाजार में कमजोर मांग का संकेत है।
मारुति सुजूकी के निर्यात में इस दौरान 37 फीसदी और ह्युंडै मोटर इंडिया के निर्यात में 12.45 फीसदी की वृद्धि दर्ज की गई। यात्री वाहनों में कार और यूटिलिटी वाहन दोनों शामिल हैं।मारुति यात्री कार श्रेणी में स्विफ्ट, बलेनो, डिजायर आदि मॉडल का निर्यात करती है। अप्रैल से अगस्त के बीच उसने निर्यात में 43 फीसदी की भारी वृद्धि दर्ज की। ह्युंडै ने भी यात्री कार के निर्यात में करीब 16 फीसदी की वृद्धि दर्ज की। वह भारत से आई10 निओस का निर्यात करती है। मगर इस दौरान घरेलू बाजार में ह्युंडै की यात्री कारों की बिक्री में करीब 16 फीसदी घट गई। मारुति की यात्री कारों की घरेलू बिक्री में भी 6.4 फीसदी की गिरावट आई।मारुति सुजूकी के वरिष्ठ कार्यकारी अधिकारी राहुल भारती ने कहा, ‘दिलचस्प है कि हमारे शीर्ष 5 निर्यात मॉडलों में सभी चार मीटर से कम लंबाई वाले हैं। इससे स्पष्ट है कि वैश्विक स्तर पर ग्राहक कॉम्पैक्ट कारों को पसंद कर रहे हैं। ग्राहक समझते हैं कि छोटी कारों का पर्यावरण पर कम प्रभाव पड़ता है और इससे सड़क पर भीड़ कम करने में भी मदद मिलती है।’वित्त वर्ष 2026 में मारुति के शीर्ष 5 निर्यात मॉडलों में फ्रोंक्स, जिम्नी, स्विफ्ट, बलेनो और डिजायर शामिल हैं। इनके शीर्ष 5 बाजारों में जापान, पश्चिम एशिया, अफ्रीका और लैटिन अमेरिका शामिल हैं। छोटी कारों के निर्यात के मामले में ह्युंडै के लिए भी लैटिन अमेरिकी और अफ्रीकी बाजार अच्छा प्रदर्शन कर रहे हैं।ह्युंडै मोटर इंडिया के पूर्णकालिक निदेशक एवं सीओओ तरुण गर्ग ने कहा, ‘हमारी छोटी कारें विशेष रूप से आई10 निओस दक्षिण अफ्रीका, मेक्सिको और चिली जैसे बाजारों में काफी अच्छा प्रदर्शन कर रही हैं। वहां के ग्राहक ह्युंडै की उन्नत सुविधाओं, गुणवत्ता और प्रीमियम डिजाइन को काफी महत्त्व देते हैं।’एसऐंडपी ग्लोबल मोबिलिटी के निदेशक (मोबिलिटी फोरकास्ट इंडिया ऐंड आसियान रीजन) पुनीत गुप्ता ने कहा, ‘बड़े पैमाने पर कॉम्पैक्ट एवं सस्ती कारों के उत्पादन में भारतीय विशेषज्ञता ने एक दमदार विनिर्माण आधार तैयार किया है। यह भारत को छोटी कारों की वैश्विक मांग के लिए एक स्वाभाविक निर्यात केंद्र के रूप में स्थापित करता है।’गुप्ता ने कहा, ‘अफ्रीका और मेक्सिको जैसे देशों में लोगों की खर्च करने की क्षमता लगातार बढ़ रही है। मगर वे कीमतों के प्रति काफी संवेदनशील हैं। यही कारण है कि सस्ती एवं भरोसेमंद कारों की मांग बढ़ रही है। भारत इस मांग को पूरा करने और छोटी कारों के लिए दुनिया का कारखाना बनने के लिए तैयार है।’ गर्ग ने कहा कि वित्त वर्ष 2026 के लिए वह 7 से 8 फीसदी वृद्धि का लक्ष्य रख रहे हैं। उन्होंने कहा, ‘हमारे अधिकांश निर्यात बाजार में स्थिरता और लगातार वृद्धि दर्ज की जा रही है। अप्रैल से अगस्त 2025 तक हमने निर्यात में 12.5 फीसदी की वृद्धि दर्ज की और अब हम 8 फीसदी वृद्धि के लक्ष्य की ओर अग्रसर हैं।’मारुति वित्त वर्ष 2022 से ही कार निर्यात करने वाली देश की सबसे बड़ी कंपनी बनी हुई है। भारती ने कहा कि कंपनी इस रफ्तार को जारी रखने के लिए योजना बना रही है। यात्री वाहनों के कुल निर्यात में मारुति की हिस्सेदारी फिलहाल 46 फीसदी से अधिक है। उन्होंने कहा, ‘इसके अलावा इस साल 4,00,000 वाहनों के निर्यात का लक्ष्य है। हमारा खरखोदा कारखाना शुरू हो गया है। गुड़गांव, मानेसर, गुजरात और खरखोदा के साथ बढ़ी हुई मांग को पूरा करने के लिए हमारे पास पर्याप्त क्षमता है।’भारती ने कहा कि मारुति का निर्यात काफी विविधतापूर्ण है और वह दुनिया के 100 से अधिक देशों में निर्यात करती है। कंपनी के यूटिलिटी व्हीकल का भी प्रदर्शन भी काफी अच्छा दिख रहा है। उन्होंने कहा, ‘पिछले साल हमने फ्रोंक्स और जिम्नी के साथ जापान को निर्यात शुरू किया था। इस साल हमने ई-विटारा के साथ यूरोप में दस्तक दी है।’ह्युंडै का भी मानना है कि छोटी कारों के अलावा एक्सटर, वेन्यू, क्रेटा व अल्कजर जैसे उसके एसयूवी मॉडल भी निर्यात में पर्याप्त योगदान करते हैं।





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