- Home
- बिजनेस
- नयी दिल्ली/ केंद्रीय दूरसंचार मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया ने मंगलवार को कहा कि वर्तमान में भारत में निवेश करना हर मूल उपकरण विनिर्माता के लिए आर्थिक रूप से समझदारी भरा कदम है। उन्होंने इस संबंध में अमेरिकी स्मार्ट उपकरण कंपनी एप्पल के उस फैसले का उदाहरण दिया जिसमें उसने अमेरिका में बिकने वाले अधिकतर आईफोन को भारत में बनाने तथा यहां से खरीदने का निर्णय लिया है। ‘भारत टेलीकॉम' कार्यक्रम में सिंधिया ने कहा कि वर्तमान में भारत में निवेश केवल सद्भावना का कार्य नहीं है, बल्कि यह हर एक ओईएम (मूल उपकरण विनिर्माता) के लिए आर्थिक रूप से समझदारी भरा कदम है। सिंधिया ने कहा, ‘‘ एप्पल ने आने वाले वर्षों में अपने सभी मोबाइल फोन भारत में ही बनाने तथा यहीं से खरीदने का निर्णय लिया है। जब आप भारत में निवेश करते हैं, तो आप सामर्थ्य, विश्वसनीयता और मौलिकता का चयन करते हैं।'' एप्पल के मुख्य कार्यपालक अधिकारी (सीईओ) टिम कुक ने हाल ही में कहा था कि जून तिमाही में अमेरिका में बेचे जाने वाले अधिकतर आईफोन की आपूर्ति भारत से की जाएगी। वहीं शुल्क दरों पर अनिश्चितता के बीच चीन अन्य बाजारों के लिए सर्वाधिक आईफोन बनाना जारी रखेगा। सिंधिया ने कहा कि सरकार की उत्पादन से जुड़ी प्रोत्साहन योजना से लाभान्वित दूरसंचार उपकरण बाजार में कई गुना वृद्धि देखी गई है। उन्होंने कहा, ‘‘ केवल 4,000 करोड़ रुपये, यानी आधा अरब डॉलर के निवेश के परिणामस्वरूप 80,000 करोड़ रुपये की बिक्री हुई है, निर्यात में 16,000 करोड़ रुपये का योगदान रहा और 25,000 नौकरियां सृजित हुई हैं। इसलिए, भारत में दूरसंचार उपकरण बाजार भी कई गुना बढ़ गया है।'' दूरसंचार राज्य मंत्री चंद्रशेखर पेम्मासानी ने कहा कि 2014 के आसपास भारत मोबाइल फोन का एक बड़ा आयातक था, लेकिन अब वह मोबाइल फोन का एक बड़ा उत्पादक व निर्यातक बन गया है। उन्होंने कहा कि भारत का मोबाइल फोन उद्योग 2014 में 60 लाख फोन बनाने और 21 करोड़ मोबाइल फोन आयात करने से बदलकर 2024 में कुल 33 करोड़ मोबाइल फोन का उत्पादन और पांच करोड़ फोन का निर्यात करने वाला बन गया है। पेम्मासानी ने कहा, ‘‘ इसके अलावा अगर आप वैश्विक स्तर पर आईफोन उत्पादन पर नजर डालें, तो आज उसमें 15 प्रतिशत हिस्सेदारी भारत की है।'' बाजार अनुसंधान कंपनी आईडीसी के अनुसार, एप्पल ने दुनिया भर में 23.21 करोड़ आईफोन की आपूर्ति की है। पेम्मासानी ने कहा कि ‘सेमीकंडक्टर मिशन'.. भारत को इलेक्ट्रॉनिक, सिस्टम डिजाइन और विनिर्माण के लिए एक वैश्विक केंद्र में बदल रहा है। उन्होंने कहा, भारतीय जमीन पर सेमीकंडक्टर विनिर्माण सुविधाओं की स्थापना हमारी प्रौद्योगिकी संप्रभुता में एक महत्वपूर्ण क्षण है ।
- नयी दिल्ली। मूडीज रेटिंग्स ने 2025 के लिए भारत की सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) की वृद्धि दर के अनुमान को 6.5 प्रतिशत से घटाकर मंगलवार को 6.3 प्रतिशत कर दिया। रेटिंग एजेंसी ने कहा कि अमेरिकी नीति अनिश्चितता और व्यापार प्रतिबंधों के कारण वैश्विक स्तर पर अर्थव्यवस्थाओं पर दबाव पड़ेगा। अपने ‘ग्लोबल मैक्रो आउटलुक' 2025-26 (मई संस्करण) में मूडीज ने कहा कि भारत तथा पाकिस्तान के बीच जारी तनाव जैसे भू-राजनीतिक तनावों से भी उसके आधारभूत वृद्धि पूर्वानुमानों पर नकारात्मक असर पड़ने की आशंका है। मूडीज ने कहा कि निवेशकों तथा व्यवसायों की लागत बढ़ने के आसार हैं क्योंकि वे निवेश, विस्तार और/या माल के स्रोत का फैसला करते समय नए भू-राजनीतिक विन्यासों को ध्यान में रखते हैं। मूडीज ने कैलेंडर वर्ष 2025 के लिए भारत के वृद्धि अनुमानों को घटाकर 6.3 प्रतिशत कर दिया, लेकिन 2026 के लिए इसे 6.5 प्रतिशत पर बरकरार रखा। यह 2024 की 6.7 प्रतिशत की वृद्धि से कम है। मूडीज को उम्मीद है कि भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआर्ई) वृद्धि को समर्थन देने के लिए नीतिगत दरों को और कम करेगा। रेटिंग एजेंसी ने अमेरिका के लिए जीडीपी वृद्धि अनुमानों को भी क्रमश: दो प्रतिशत तथा 1.8 प्रतिशत से घटाकर 2025 के लिए एक प्रतिशत और 2026 के लिए 1.5 प्रतिशत कर दिया है। यह 2024 में 2.8 प्रतिशत रही थी। चीन के मामले में मूडीज का अनुमान है कि 2025 में वृद्धि दर 3.8 प्रतिशत और 2026 में 3.9 प्रतिशत रहेगी जो 2024 की पांच प्रतिशत की वृद्धि दर से कम है।
-
नई दिल्ली। बुधवार, 7 मई 2025 को पाकिस्तान के शेयर बाजार में जबरदस्त गिरावट देखने को मिली। इसकी वजह बनी भारत की ‘ऑपरेशन सिंदूर‘ के तहत पाकिस्तान और पीओके (पाक अधिकृत कश्मीर) में आतंकी ठिकानों पर रातों-रात की गई सर्जिकल स्ट्राइक। इस खबर से निवेशकों में घबराहट फैल गई और बाजार में तेज गिरावट आ गई।
पाकिस्तान का प्रमुख शेयर इंडेक्स कराची-100 (KSE-100) बुधवार सुबह 6,272 अंक यानी 5.5% की भारी गिरावट के साथ 1,07,296.64 पर आ गया। यह मंगलवार के बंद स्तर 1,13,568.51 से काफी नीचे है।22 अप्रैल को पहलगाम में हुए आतंकी हमले के बाद से पाकिस्तान का KSE-100 इंडेक्स अब तक कुल 3.7% टूट चुका है। इसके उलट भारत का सेंसेक्स करीब 1.5% ऊपर गया है, जिससे निवेशकों का भरोसा भारत में बना हुआ दिख रहा है। -
मुंबई. भारतीय रिजर्व बैंक ने वित्तवर्ष 2024-25 की दूसरी छमाही में अपने भंडार में लगभग 25 टन सोना बढ़ाया है। इस अवधि में सोने की कीमतों में वृद्धि देखी गई थी। सोमवार को जारी सरकारी आंकड़ों से यह जानकारी मिली। केंद्रीय बैंक के पास अब अपने भंडार में 879.59 टन सोना है, जबकि सितंबर 2024 के अंत में उसके पास 854.73 टन सोना था। वित्तवर्ष 2024-25 में, केंद्रीय बैंक ने अपने भंडार में सोने की मात्रा 57 टन और बढ़ायी, जिस अवधि के दौरान सोने की कीमतों में 30 प्रतिशत की तेजी देखी गई थी। यह पिछले सात वर्षों में सबसे बड़ी वार्षिक वृद्धि है। केंद्रीय बैंक द्वारा विदेशी मुद्रा भंडार के प्रबंधन पर अर्धवार्षिक रिपोर्ट के अनुसार, स्थानीय रूप से संग्रहीत कीमती धातु की मात्रा मामूली रूप से बढ़कर 511.99 टन हो गई। स्थानीय तिजोरियों में रखे सोने के अलावा, 348.62 टन सोना बैंक ऑफ इंग्लैंड और बैंक फॉर इंटरनेशनल सेटलमेंट्स (बीआईएस) के पास था और 18.98 टन सोना जमा के रूप में रखा गया था। यह ध्यानयोग्य है कि वित्तवर्ष 2025 की पहली छमाही में, रिजर्व बैंक ने स्थानीय तिजोरियों में बड़ी मात्रा में सोना स्थानांतरित किया था। स्थानीय तिजोरियों में संग्रहीत सोने की कुल मात्रा 30 सितंबर तक 510.46 टन थी, जो 31 मार्च, 2024 को 408 टन से अधिक है। वैश्विक स्तर पर बढ़ते भू-राजनीतिक तनाव के समय हो रही सोने की आवाजाही को वर्ष 1991 के बाद से भारत द्वारा किए गए सोने की सबसे बड़ी आवाजाही में से एक कहा गया था। रिपोर्ट में कहा गया है कि कुल विदेशी मुद्रा भंडार में सोने का हिस्सा छह महीने पहले 9.32 प्रतिशत से बढ़कर मार्च 2025 के अंत तक 11.70 प्रतिशत हो गया। रिपोर्ट में कहा गया है कि कुल विदेशी मुद्रा भंडार सितंबर 2024 के अंत के 705.78 अरब डॉलर से घटकर मार्च 2025 में 668.33 अरब डॉलर रह गया। ये भंडार अब 10.5 महीने के आयात जरुरतों को पूरा करने के लिए पर्याप्त हैं, जबकि सितंबर 2024 में यह 11.8 महीने की जरुरतों को पूरा करने की स्थिति से कम है।
-
मुंबई. विदेशी कोषों का निवेश जारी रहने और कच्चे तेल की अंतरराष्ट्रीय कीमतों में तेज गिरावट आने के बीच सोमवार को स्थानीय शेयर बाजारों में लगातार दूसरे कारोबारी सत्र में तेजी रही और दोनों मानक सूचकांक सेंसेक्स एवं निफ्टी इस साल के अपने उच्चतम स्तर पर बंद हुए। बीएसई का 30 शेयरों पर आधारित मानक सूचकांक सेंसेक्स 294.85 अंक यानी 0.37 प्रतिशत चढ़कर 80,796.84 अंक पर बंद हुआ। यह चार महीनों से अधिक समय का इसका उच्चतम बंद स्तर है। कारोबार के दौरान एक समय सेंसेक्स 547.04 अंक बढ़कर 81,049.03 अंक पर पहुंच गया था। नेशनल स्टॉक एक्सचेंज (एनएसई) का मानक सूचकांक निफ्टी भी 114.45 अंक यानी 0.47 प्रतिशत बढ़कर 24,461.15 अंक पर पहुंच गया। निफ्टी के लिए भी यह वर्ष 2025 का अब तक का सबसे ऊंचा बंद स्तर है। सेंसेक्स की कंपनियों में से अदाणी पोर्ट्स के शेयर में सर्वाधिक 6.29 प्रतिशत की तेजी देखी गई। यह तेजी रिश्वतखोरी की जांच में आपराधिक आरोपों को खारिज करने की मांग करने के लिए अमेरिकी प्रशासन के अधिकारियों से गौतम अदाणी के प्रतिनिधियों के मिलने की खबरों के बीच आई। अदाणी समूह की अन्य सभी सूचीबद्ध कंपनियों के शेयर भी बढ़त के साथ बंद हुए। सेंसेक्स की कंपनियों में बजाज फिनसर्व, महिंद्रा एंड महिंद्रा, इटर्नल (पूर्व में जोमैटो), पावर ग्रिड, आईटीसी, टाटा मोटर्स, एशियन पेंट्स और हिंदुस्तान यूनिलीवर भी लाभ में रहीं। दूसरी तरफ, कोटक महिंद्रा बैंक में 4.57 प्रतिशत की बड़ी गिरावट दर्ज की गई। निजी क्षेत्र के इस बैंक का वित्त वर्ष 2024-25 की मार्च तिमाही में एकीकृत शुद्ध लाभ 7.57 प्रतिशत गिर गया है। इसके अलावा भारतीय स्टेट बैंक, एक्सिस बैंक, टाइटन और इंडसइंड बैंक के शेयर भी गिरावट के साथ बंद हुए।
शेयर बाजार के आंकड़ों के मुताबिक, विदेशी संस्थागत निवेशकों (एफआईआई) ने शुक्रवार को 2,769.81 करोड़ रुपये मूल्य के शेयरों की शुद्ध खरीदारी की। अनुकूल वैश्विक संकेतों और मजबूत घरेलू बुनियादी आंकड़ों के बीच विदेशी निवेशकों ने अप्रैल महीने में भारतीय शेयर बाजार में शुद्ध रूप से 4,223 करोड़ रुपये डाले हैं और तीन माह बाद वे पहली बार शुद्ध लिवाल बने हैं। इसके पहले इस साल मार्च में 3,973 करोड़ रुपये, फरवरी में 34,574 करोड़ रुपये और जनवरी में 78,027 करोड़ रुपये की लगातार शुद्ध निकासी देखी गई थी। जियोजीत इन्वेस्टमेंट लिमिटेड के शोध प्रमुख विनोद नायर ने कहा, ‘‘बाजार ने अपनी सकारात्मक गति को बनाए रखा है, हालांकि आशावाद थोड़ा कम हुआ है। अप्रैल में निरंतर विदेशी प्रवाह और रिकॉर्ड जीएसटी संग्रह आर्थिक गतिविधियों में मजबूती को दर्शाता है, जिससे हल्की उम्मीद पैदा होती है। कमजोर डॉलर और कच्चे तेल की कीमतों में गिरावट ने भी एफआईआई की धारणा को मजबूत किया है। व्यापक बाजार में बीएसई मिडकैप सूचकांक ने 1.45 प्रतिशत की छलांग लगाई जबकि स्मॉलकैप में 1.23 प्रतिशत की बढ़त दर्ज की गई। क्षेत्रवार सूचकांकों में से सेवा खंड में सर्वाधिक 2.99 प्रतिशत की तेजी रही जबकि तेल एवं गैस में 1.95 प्रतिशत और वाहन खंड में 1.88 प्रतिशत की बढ़त दर्ज की गई। सिर्फ बैंकिंग सूचकांक ही गिरावट के साथ बंद हुआ। इस बीच दक्षिण कोरिया, जापान, चीन और हांगकांग के बाजार छुट्टियों के कारण बंद रहे।
यूरोप के बाजार दोपहर के सत्र में मिले-जुले रुख के साथ कारोबार कर रहे थे। शुक्रवार को अमेरिकी बाजार काफी तेजी के साथ बंद हुए थे। वैश्विक तेल मानक ब्रेंट क्रूड 1.45 प्रतिशत गिरकर 60.40 डॉलर प्रति बैरल पर आ गया।
बीएसई सेंसेक्स शुक्रवार को 259.75 अंक बढ़कर 80,501.99 अंक पर और एनएसई निफ्टी 12.50 की मामूली बढ़त के साथ 24,346.70 अंक पर बंद हुआ था। -
नई दिल्ली। दिग्गज टेक्नोलॉजी कंपनी एप्पल की योजना भारत में अपने उत्पादन को बढ़ाकर वित्त वर्ष 26 के अंत तक 40 अरब डॉलर (करीब 3.36 लाख करोड़ रुपए) तक ले जाने की है। टेक्नोलॉजी दिग्गज की ओर से भारत में उत्पादन ऐसे समय पर शिफ्ट किया जा रहा है, जब ट्रेड टैरिफ और भू-राजनीतिक तनाव के कारण चीन और अमेरिका के बीच संबंध बढ़ रहे हैं।
अप्रैल-जून की अवधि में अमेरिका में बेचे जाने वाले ज्यादातर फोन भारत में बने होंगेइंडस्ट्री अनुमानों के मुताबिक, इस कदम से एप्पल अमेरिका में पैदा होने वाली 80 प्रतिशत आईफोन मांग को पूरी कर पाएगा और साथ ही भारत की बढ़ती घरेलू मांग को पूरा किया जा सकता है। हाल ही में एप्पल के सीईओ टिम कुक ने बताया था कि अप्रैल-जून की अवधि में अमेरिका में बेचे जाने वाले ज्यादातर फोन भारत में बने होंगे। एप्पल की ओर से अमेरिका में भारत में बने आईफोन बेचने पर फोकस किया जा रहा है। इसकी वजह अमेरिकी सरकार की ओर से चीन पर बड़ी मात्रा में रेसिप्रोकल टैरिफ लगाना है।चीन अमेरिका के बाहर बेचे जाने वाले अधिकांश एप्पल उत्पादों का मुख्य सोर्स बना रहेगाचीन अमेरिका के बाहर बेचे जाने वाले अधिकांश एप्पल उत्पादों का मुख्य सोर्स बना रहेगा। वहीं, भारत और वियतनाम प्रमुख विनिर्माण केंद्र के रूप में उभर रहे हैं। उदाहरण के लिए, कुक ने कहा कि अमेरिका में बेचे जाने वाले लगभग सभी आईपैड, मैक, एप्पल वॉच और एयरपॉड्स अब वियतनाम से आएंगे। एप्पल को चालू तिमाही में अमेरिकी टैरिफ से 900 मिलियन डॉलर का प्रभाव पड़ने की उम्मीद है, हालांकि लंबी अवधि का प्रभाव अभी अनिश्चित हैं।वित्त वर्ष 25 में स्मार्टफोन भारत की शीर्ष निर्यात कैटेगरी रही है और 2 लाख करोड़ रुपए से अधिक का निर्यात किया हैकुक ने कहा कि हम टैरिफ के प्रभाव का सटीक अनुमान लगाने में सक्षम नहीं हैं, क्योंकि हम भविष्य की संभावित कार्रवाइयों के बारे में अनिश्चित हैं। वित्त वर्ष 25 में स्मार्टफोन भारत की शीर्ष निर्यात कैटेगरी रही है और 2 लाख करोड़ रुपए से अधिक का निर्यात किया है। कंपनी ने बताया कि हाल ही में भारतीय बाजार में तिमाही बिक्री का रिकॉर्ड बनाया है। - नयी दिल्ली. मुख्य आर्थिक सलाहकार (सीईए) वी अनंथा नागेश्वरन ने शनिवार को कहा कि वैश्विक व्यवधानों ने भारत जैसे उभरते देशों के लिए अवसर पैदा किए हैं और चीन पर अमेरिकी टैरिफ लागू होने के साथ कम शुल्कों के कारण विनिर्माण को भारत में स्थानांतरित कर सकते हैं। यहां अशोका विश्वविद्यालय द्वारा आयोजित एक कार्यक्रम में उन्होंने कहा कि हालांकि बाह्य मांग के संदर्भ में टैरिफ के पहले, दूसरे और तीसरे दौर के प्रभावों तथा समग्र अनिश्चितता और इसलिए पूंजी निर्माण आदि के निहितार्थों को लेकर चिंताएं हैं, लेकिन कुछ अनुकूल परिणाम भी हैं। अनिश्चित वैश्विक वातावरण के सकारात्मक प्रभावों में से एक कच्चे तेल की कीमतों में कमी है जो अब लगभग 60 डॉलर प्रति बैरल पर उपलब्ध हैं। उन्होंने कहा कि यह भारत के लिए एक अप्रत्याशित लाभ है क्योंकि इससे लागत कम होती है और राजकोषीय सहूलियत भी मिलती है।
-
नई दिल्ली। ऐपल के मुख्य कार्याधिकारी टिम कुक ने पुष्टि की है कि जून तिमाही के दौरान अमेरिकी बाजार में बिकने वाले अधिकतर आईफोन भारत में बने होंगे। शुल्क पर जारी जंग के बीच कंपनी अपनी आपूर्ति श्रृंखला पर नए सिरे से गौर कर रही है। उनका मानना है कि कंपनी के लिए शुल्क प्रभाव की लागत करीब 90 करोड़ डॉलर होगी।
कुक ने दूसरी तिमाही के नतीजे जारी करने के बाद विश्लेषकों से बातचीत में कहा, ‘जहां तक जून तिमाही का सवाल है तो हम उम्मीद करते हैं कि अमेरिका में बिकने वाले अधिकतर आईफोन के विनिर्माण का मूल देश भारत होगा। इसी प्रकार अमेरिका में बिकने वाले लगभग सभी आईपैड, मैक, ऐपल वॉच और एयरपॉड्स जैसे उत्पादों का मूल उत्पादन देश वियतनाम होगा।’ उन्होंने यह भी कहा कि अमेरिका के बाहर बिकने वाले अधिकतर उत्पादों के विनिर्माण का मूल देश चीन बरकरार रहेगा।कुक ने कहा, ‘ऐसे में जब आप हमारे लिए लागू मौजूदा शुल्क श्रेणियों पर गौर करेंगे तो पाएंगे कि जून तिमाही के लिए हमारा अधिकतर शुल्क 20 फीसदी पर फरवरी के आईईईपीए से संबंधित है। यह अमेरिका में आयातित उन उत्पादों पर लागू होता है जिनका मूल विनिर्माण देश चीन है। साथ ही चीन के मामले में अप्रैल में घोषित कुछ उत्पाद श्रेणियों के आयात पर 125 फीसदी का अतिरिक्त शुल्क लगाया गया है।’एक विश्लेषक द्वारा पूछे जाने पर कुक ने कहा कि आपूर्ति श्रृंखला को मजबूत बनाने के लिए उसमें विविधता लाने की प्रक्रिया लगातार जारी रहेगी। उन्होंने कहा कि आपूर्ति श्रृंखला में हमेशा जोखिम रहता है। उन्होंने कहा, ‘हमने कुछ ही समय पहले भलीभांति सीखा है कि सब कुछ एक ही जगह पर रखना काफी जोखिम भरा होता है। इसलिए हमने समय के साथ-साथ पूरी आपूर्ति श्रृंखला को नहीं बल्कि उसके कुछ हिस्सों के लिए नए स्रोत तैयार किए हैं। आप देखेंगे कि भविष्य में भी यह प्रक्रिया जारी रहेगी।’तिमाही के दौरान कंपनी की आय एक साल पहले की समान अवधि के मुकाबले 5 फीसदी बढ़कर 95.4 अरब डॉलर हो गई। इसी प्रकार प्रति शेयर तिमाही आय 1.65 डॉलर रही जो एक साल पहले की समान अवधि के मुकाबले 8 फीसदी अधिक है।फिलहाल स्मार्टफोन जैसी हाईटेक वस्तुओं को अमेरिकी शुल्क के दायरे से बाहर रखा गया है। कुक ने कहा, ‘आईफोन, मैक, आईपैड, ऐपल वॉच और विजन प्रो सहित हमारे अधिकतर उत्पाद अप्रैल में घोषित वैश्विक जवाबी शुल्क के दायरे से बाहर हैं क्योंकि वाणिज्य मंत्रालय ने सेमीकंडक्टर, सेमीकंडक्टर विनिर्माण उपकरण और सेमीकंडक्टर के साथ डाउनस्ट्रीम उत्पादों के आयात में धारा 232 की जांच शुरू की है।’ऐपल ने यह भी कहा कि भारत सहित अन्य भौगोलिक क्षेत्रों का प्रदर्शन काफी अच्छा रहा है। कुक ने कहा, ‘हमने ब्रिटेन, स्पेन, फिनलैंड, ब्राजील, चिली, तुर्की, पोलैंड, भारत और फिलीपींस सहित दुनिया के तमाम देशों और क्षेत्रों में कई प्रकार के तिमाही रिकॉर्ड बनाए हैं।’ऐपल इस साल से भारत में अपने खुदरा कारोबार का भी विस्तार करेगी। इससे भारत में उसके रिटेल स्टोरों की संख्या बढ़कर 4 हो जाएगी। तमाम अनिश्चितताओं के बावजूद ऐपल की स्थापित क्षमता लगभग हर भौगोलिक क्षेत्र में सर्वकालिक ऊंचाई पर पहुंच गई है। केंद्रीय सूचना प्रौद्योगिकी मंत्री अश्विनी वैष्णव के अनुसार, ऐपल ने पिछले वित्त वर्ष के दौरान भारत से 1.5 लाख करोड़ रुपये से अधिक के आईफोन का निर्यात किया था। वित्त वर्ष 2025 में भारत ने कुल 2 लाख करोड़ रुपये से अधिक मूल्य के स्मार्टफोन के निर्यात किए जो पिछले साल के मुकाबले 54 फीसदी अधिक है। -
नई दिल्ली। भारत-अमेरिका व्यापार समझौते को लेकर उम्मीद, रिकॉर्ड जीएसटी संग्रह और विदेशी पूंजी का आगमन जारी रहने से शुक्रवार को स्थानीय शेयर बाजार चढ़कर बंद हुए। सेंसेक्स में 260 अंक और निफ्टी में 12.50 अंक की तेजी रही। विश्लेषकों के मुताबिक, वैश्विक बाजारों में मजबूती के रुख से भी निवेशकों की धारणा को समर्थन मिला।
बीएसई सेंसेक्स काफी उतार-चढ़ाव भरे कारोबार में 259.75 अंक यानी 0.32 फीसदी बढ़कर 80,501.99 पर बंद हुआ। कारोबार के दौरान एक समय सेंसेक्स 935.69 अंक उछलकर 81,177.93 पर पहुंच गया था लेकिन बाद में मुनाफावसूली हावी होने से बढ़त काफी कम हो गई। एनएसई का निफ्टी भी कारोबार के अंत में 12.50 अंक यानी 0.05 फीसदी की मामूली बढ़त के साथ 24,346.70 पर बंद हुआ।मेहता इक्विटीज लिमिटेड के वरिष्ठ उपाध्यक्ष (शोध) प्रशांत तापसे ने कहा, सत्र के पहले हिस्से में बाजार अत्यधिक अस्थिर रहा और बैंकिंग एवं आईटी शेयरों में चुनिंदा खरीदारी के कारण लगभग 1,000 अंकों के उतार-चढ़ाव के बाद सीमित दायरे में बंद हुआ। तेजी आने पर निवेशकों ने मुनाफावसूली शुरू कर दी, जबकि अधिक शेयरों का प्रतिनिधित्व करने वाले सूचकांक कमजोर होकर बंद हुए।सेंसेक्स की कंपनियों में से अदाणी पोर्ट्स ने करीब 4 फीसदी की उछाल दर्ज की। कंपनी का मार्च तिमाही में शुद्ध लाभ 50 फीसदी बढ़ा है। इसके अलावा बजाज फाइनैंस, इंडसइंड बैंक, भारतीय स्टेट बैंक, मारुति, टाटा मोटर्स, आईटीसी, टाटा स्टील और रिलायंस इंडस्ट्रीज के शेयर में भी बढ़त रही। दूसरी तरफ नेस्ले, एनटीपीसी, कोटक महिंद्रा बैंक, पावर ग्रिड और टाइटन के शेयर गिरावट के साथ बंद हुए। -
नई दिल्ली। भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) द्वारा आज शुक्रवार को जारी ताजा आंकड़ों के मुताबिक भारत का विदेशी मुद्रा भंडार लगातार आठवें सप्ताह बढ़कर 25 अप्रैल 2025 तक 688.13 अरब डॉलर पर पहुंच गया है। महज एक सप्ताह में विदेशी मुद्रा भंडार में 1.98 अरब डॉलर की बढ़ोतरी हुई है। इसमें से सबसे बड़ा हिस्सा विदेशी मुद्रा संपत्तियों का है, जो 2.17 अरब डॉलर बढ़कर 580.66 अरब डॉलर हो गया। हालांकि, स्वर्ण भंडार (Gold Reserves) में 207 मिलियन डॉलर की गिरावट आई और यह घटकर 84.37 अरब डॉलर रह गया। इसके अलावा, विशेष आहरण अधिकार (SDR) 21 मिलियन डॉलर बढ़कर 18.59 अरब डॉलर हो गया।
पिछले कुछ महीनों में आरबीआई द्वारा किए गए मुद्रा पुनर्मूल्यांकन और विदेशी मुद्रा बाजार में हस्तक्षेप से अब विदेशी मुद्रा भंडार में लगातार सुधार हो रहा है। सितंबर 2024 में यह भंडार रिकॉर्ड स्तर 704.885 अरब डॉलर तक पहुंच गया था। मजबूत विदेशी मुद्रा भंडार से न केवल रुपए को अमेरिकी डॉलर के मुकाबले मजबूती मिलती है, बल्कि इससे आरबीआई को बाजार में हस्तक्षेप कर रुपए को स्थिर बनाए रखने की भी ज्यादा गुंजाइश मिलती है। इसके विपरीत, अगर भंडार घटता है तो आरबीआई की दखल देने की क्षमता कम हो जाती है।इसके साथ ही, भारत का बाहरी क्षेत्र भी मजबूत हुआ है। वित्त वर्ष 2024-25 के दौरान भारत का कुल निर्यात 6.01% बढ़कर 824.9 अरब डॉलर के रिकॉर्ड स्तर पर पहुंच गया, जबकि पिछले वर्ष यह 778.1 अरब डॉलर था। सेवा निर्यात में भी तेज वृद्धि देखने को मिली है, जो 13.6% बढ़कर 387.5 अरब डॉलर पर पहुंच गया, जबकि 2023-24 में यह 341.1 अरब डॉलर था। मार्च 2025 में अकेले सेवा निर्यात 35.6 अरब डॉलर रहा, जो मार्च 2024 के 30.0 अरब डॉलर की तुलना में 18.6% अधिक है। यह आंकड़े भारत की आर्थिक मजबूती और वैश्विक व्यापार में उसकी हिस्सेदारी को दर्शाते हैं। -
नई दिल्ली। भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) के ताजा आंकड़ों के अनुसार, भारत का कुल निर्यात वित्त वर्ष 2025 में 6.01 प्रतिशत की बढ़त के साथ 824.9 बिलियन डॉलर के सर्वकालिक उच्च स्तर पर पहुंच गया है। इस आंकड़े में मार्च 2025 के सेवा व्यापार के आंकड़े भी शामिल हैं। बीते वर्ष यानी वित्त वर्ष 2024 में यह आंकड़ा 778.1 बिलियन डॉलर था। वहीं सेवा निर्यात में उल्लेखनीय वृद्धि देखने को मिली है। यह वित्त वर्ष 2025 में 13.6 प्रतिशत बढ़कर 387.5 बिलियन डॉलर पर पहुंच गया, जो पिछले साल 341.1 बिलियन डॉलर था। मार्च 2025 के लिए सेवा निर्यात 35.6 बिलियन डॉलर रहा, जो मार्च 2024 के 30.0 बिलियन डॉलर की तुलना में 18.6 प्रतिशत अधिक है।
वहीं, पेट्रोलियम उत्पादों को छोड़कर व्यापारिक निर्यात भी रिकॉर्ड स्तर पर पहुंचा है। यह वित्त वर्ष 2025 में 6 प्रतिशत बढ़कर 374.1 बिलियन डॉलर हो गया, जबकि पिछले साल यह 352.9 बिलियन डॉलर था। यह अब तक का सबसे अधिक गैर-पेट्रोलियम वार्षिक व्यापारिक निर्यात है।इससे पहले वाणिज्य मंत्रालय ने 15 अप्रैल को अनुमान लगाया था कि भारत का कुल वस्तु और सेवा निर्यात 5.5 प्रतिशत बढ़कर 820.93 बिलियन डॉलर होगा। उस समय आरबीआई के पास सेवा निर्यात के वास्तविक आंकड़े नहीं थे और अनुमानित आंकड़ों का प्रयोग किया गया था। अब जब वास्तविक आंकड़े सामने आए हैं, तो यह स्पष्ट हो गया है कि भारत ने रिकॉर्ड निर्यात किया है। दूसरी ओर, अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप द्वारा संभावित टैरिफ वृद्धि से वैश्विक व्यापार पर असर पड़ने की आशंका बनी हुई है। हालांकि भारत और अमेरिका एक बहुपक्षीय द्विपक्षीय व्यापार समझौते की दिशा में आगे बढ़ रहे हैं। इसी क्रम में भारत के वाणिज्य विभाग और अमेरिकी व्यापार प्रतिनिधि कार्यालय के अधिकारियों ने 23 से 25 अप्रैल के बीच वाशिंगटन डीसी में बैठक की, जिसमें 2025 की सितंबर-अक्टूबर तक व्यापार समझौते के पहले चरण को पूरा करने पर चर्चा हुई।इससे पहले मार्च 2025 में नई दिल्ली में इन मुद्दों पर पहली बैठक हुई थी। वाशिंगटन में हुई बैठकों में टैरिफ और गैर-टैरिफ मामलों पर व्यापक चर्चा हुई और दोनों पक्षों ने पारस्परिक रूप से लाभदायक समझौते के पहले चरण को सफलतापूर्वक पूरा करने की दिशा में कदम बढ़ाने पर सहमति जताई। -
नई दिल्ली। देश में आज शुक्रवार को सोने की कीमतों में तेज गिरावट दर्ज की गई, जिससे निवेशकों और ग्राहकों दोनों को बड़ा झटका लगा। 24 कैरेट के 10 ग्राम सोने का दाम 968 रुपए की गिरावट के साथ 93,393 रुपए पर आ गया है, जो पहले 94,361 रुपए था। इस सप्ताह के दौरान सोने की कीमतों में कुल मिलाकर करीब 2,200 रुपए की गिरावट आई है। 22 अप्रैल को सोने की कीमत 1,00,000 रुपए प्रति 10 ग्राम के रिकॉर्ड स्तर पर पहुंच गई थी, लेकिन उसके बाद से इसमें लगातार गिरावट देखी जा रही है।
वहीं अन्य कैरेट वाले सोने के दामों में भी गिरावट दर्ज की गई है। 22 कैरेट सोना अब 91,115 रुपए प्रति 10 ग्राम, 20 कैरेट सोना 83,120 रुपए और 18 कैरेट सोना 75,650 रुपए प्रति 10 ग्राम पर बिक रहा है। इसके विपरीत, चांदी की कीमतों में मामूली तेजी देखी गई है। चांदी 86 रुपए महंगी होकर 94,200 रुपए प्रति किलो पर पहुंच गई है, जबकि इससे पहले यह 94,114 रुपए थी।वायदा बाजार में हालांकि थोड़ी तेजी देखने को मिली है। 5 जून का सोने का कॉन्ट्रैक्ट लगभग एक प्रतिशत बढ़कर 93,215 रुपए पर कारोबार कर रहा है। सोने की कीमतों में आई इस गिरावट के पीछे दो प्रमुख कारण बताए जा रहे हैं। पहला, डॉलर के मुकाबले भारतीय रुपए का मजबूत होना। शुक्रवार को रुपया 40 पैसे की मजबूती के साथ 84 रुपए प्रति डॉलर से नीचे पहुंच गया, जो पिछले सात महीनों में सबसे मजबूत स्तर है। दूसरा कारण अंतरराष्ट्रीय बाजार में सोने की कीमतों में नरमी है। फिलहाल वैश्विक बाजार में सोना 3,265 डॉलर प्रति औंस के करीब बना हुआ है, जबकि 22 अप्रैल को यह 3,500 डॉलर प्रति औंस तक पहुंच गया था।इस गिरावट से आम लोगों के लिए सोना खरीदने का अच्छा मौका बन सकता है, लेकिन विशेषज्ञों का कहना है कि बाजार में अस्थिरता बनी रह सकती है और निवेश से पहले सोच-समझकर कदम उठाना चाहिए। -
नयी दिल्ली. कंपनियों के मुख्य कार्यपालक अधिकारियों (सीईओ) और सामान्य कर्मचारियों के वेतन में असमानता चिंताजनक स्तर पर पहुंच गई है। वैश्विक सीईओ का औसत वेतन 2019 के बाद वास्तविक रूप से 50 प्रतिशत बढ़ा है जबकि कर्मचारियों के औसत वेतन में बढ़ोतरी सिर्फ 0.9 प्रतिशत है। ऑक्सफैम की एक अध्ययन रिपोर्ट में यह दावा किया गया है। भारत में कंपनियों के सीईओ का सालाना वेतन भी औसतन 20 लाख डॉलर पहुंच चुका है। यह अध्ययन बताता है कि सीईओ और आम कर्मचारियों के बीच वेतन की खाई चौंकाने वाले स्तर तक बढ़ चुकी है। हकीकत यह है कि अरबपति एक घंटे में एक औसत कर्मचारी की पूरे साल की आय से कहीं ज्यादा कमाई कर रहे हैं। रिपोर्ट के मुताबिक, "सीईओ के वेतन में 2019 के 29 लाख डॉलर से 50 प्रतिशत की वास्तविक वृद्धि आ चुकी है। यह वृद्धि एक औसत कर्मचारी के वेतन में समान अवधि में हुई 0.9 प्रतिशत की वास्तविक वृद्धि से बहुत अधिक है।" अध्ययन में विभिन्न देशों में सीईओ के वेतन का भी विश्लेषण किया गया है, जिसमें आयरलैंड और जर्मनी क्रमशः औसतन 67 लाख डॉलर और 47 लाख डॉलर के साथ शीर्ष पर हैं। भारत में भी कंपनियों के सीईओ का औसत वेतन 2024 में 20 लाख डॉलर तक पहुंच गया है।
ऑक्सफैम इंटरनेशनल के कार्यकारी निदेशक अमिताभ बेहर ने इस वेतन असमानता पर गहरी चिंता व्यक्त करते हुए कहा, "यह कोई प्रणालीगत गड़बड़ी नहीं है, बल्कि धन के लगातार ऊपर की ओर प्रवाह के लिए बनाई गई एक प्रणाली है, जबकि लाखों मेहनतकश लोग जीवन-यापन के लिए संघर्ष कर रहे हैं।" यह वेतन असमानता ऐसे समय में बढ़ रही है जब जीवन-यापन की लागत तेजी से बढ़ रही है और श्रमिकों का वेतन महंगाई के साथ तालमेल बिठा पाने में नाकाम हो रहा है। अंतरराष्ट्रीय श्रम संगठन (आईएलओ) के मुताबिक, वर्ष 2024 में वास्तविक वेतन में 2.7 प्रतिशत की मामूली वृद्धि हुई है, लेकिन कई देशों में श्रमिकों का वेतन स्थिर रहा है। अध्ययन में महिला-पुरुष के वेतन में अंतर पर भी प्रकाश डाला गया है। हालांकि वैश्विक स्तर पर महिला-पुरुष के बीच वेतन अंतर में मामूली कमी आई है, लेकिन यह अभी भी चिंताजनक रूप से उच्च स्तर पर है। विश्लेषण के मुताबिक, 2022 और 2023 के दौरान महिला-पुरुष के बीच औसत वेतन अंतर 27 प्रतिशत से घटकर 22 प्रतिशत हो गया। ऑक्सफैम का यह अध्ययन बताता है कि अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के सीमा शुल्क कदमों से वैश्विक स्तर पर श्रमिकों के लिए नौकरी छूटने और बुनियादी वस्तुओं की बढ़ती लागत का खतरा बढ़ गया है जो आगे चलकर असमानता बढ़ाने का काम करेगा। बेहर ने आगाह करते हुए कहा कि अमेरिका की शुल्क नीतियां न केवल उसके कामकाजी परिवारों को नुकसान पहुंचाएंगी, बल्कि गरीब देशों के श्रमिकों के लिए भी विनाशकारी साबित होंगी। यह अध्ययन वैश्विक स्तर पर बढ़ती आय असमानता और श्रमिकों पर इसके गंभीर प्रभावों पर तत्काल ध्यान देने की जरूरत पर बल देता है। -
मुंबई. उद्योगपति मुकेश अंबानी ने बृहस्पतिवार को कहा कि भारत का बहुमुखी मीडिया एवं मनोरंजन उद्योग अगले दशक में तीन गुना से अधिक बढ़कर 100 अरब डॉलर का हो सकता है। इस वृद्धि से लाखों नौकरियां उत्पन्न होंगी और विभिन्न क्षेत्रों में इसका व्यापक प्रभाव पड़ेगा। अंबानी का रिलायंस समूह भारत के सबसे बड़े मीडिया समूहों में से एक ‘नेटवर्क 18' के साथ-साथ डिजिटल मंच, मनोरंजन चैनल तथा ऑनलॉइन मंच को नियंत्रित करता है। उन्होंने कहा कि कहानी कहने और डिजिटल प्रौद्योगिकियों के मिश्रण ने रणनीतिक व आर्थिक अवसर उत्पन्न किया है। अंबानी ने 2025 ‘विश्व दृश्य श्रव्य एवं मनोरंजन सम्मेलन' (वेव्स) के उद्घाटन सत्र में कहा, ‘‘ भारत का मीडिया एवं मनोरंजन उद्योग आज 28 अरब अमेरिकी डॉलर का है। अगले दशक में यह 100 अरब अमेरिकी डॉलर से अधिक हो सकता है। यह वृद्धि उद्यमशीलता को बढ़ावा देगी, लाखों नौकरियां सृजित करेगी और सभी क्षेत्रों में प्रभाव डालेगी।'' उन्होंने कहा कि भारत एक अग्रणी डिजिटल राष्ट्र बन गया है और कहानी कहने तथा डिजिटल प्रौद्योगिकियों का मिश्रण भारत के लिए अद्वितीय है। अंबानी ने कहा, ‘‘ इसने मनोरंजन और सांस्कृतिक अनुभवों के प्रभाव व पहुंच को कल्पना से परे कई गुना बढ़ा दिया है। कृत्रिम मेधा (एआई) और ‘इमर्सिव टेक्नोलॉजी' (डिजिटल दुनिया में जीवंत अनुभव देने वाली प्रौद्योगिकी) के उपकरण हमारी कहानियों को पहले से कहीं अधिक आकर्षक बना सकते हैं और उन्हें तुरंत विभिन्न भाषाओं, देशों एवं संस्कृतियों के दर्शकों तक पहुंचा सकते हैं।'' रिलायंस समूह के चेयरमैन एवं प्रबंध निदेशक ने कहा कि इन उपकरणों में निपुणता हासिल कर भारत के बेहद प्रतिभाशाली युवा रचनाकार हिट फिल्मों के साथ वैश्विक मनोरंजन उद्योग पर राज करेंगे। उन्होंने कहा, ‘‘ ...हमारी कहानियां एकजुट करने, प्रेरित करने और समृद्ध बनानें की अपनी क्षमताओं के साथ बेहतर भविष्य की उम्मीद देती हैं। '' अंबानी ने कहा कि भारत का मनोरंजन और सांस्कृतिक उद्योग सिर्फ ‘सॉफ्ट पावर' नहीं है यह वास्तविक शक्ति है। उन्होंने कहा, ‘‘ हमारी 5,000 वर्षों से अधिक पुरानी सभ्यता की विरासत में, हमारे पास रामायण व महाभारत से लेकर दर्जनों भाषाओं में लोककथाओं और ग्रंथ तक कालातीत कहानियों का विशाल खजाना है। वे दुनिया भर के लोगों के दिलों को छूते हैं क्योंकि ये सार्वभौमिक मानवीय मूल्यों...भाईचारा, करुणा, साहस, प्रेम, सौंदर्य और प्रकृति की देखभाल से भरपूर हैं।'' अंबानी ने कहा, ‘‘ कोई भी देश भारत की कहानी कहने की क्षमता से मेल नहीं खा सकता। इसलिए, बड़े आत्मविश्वास व रचनात्मकता के साथ आइए हम अपनी कहानियों को वैश्विक स्तर पर ले जाएं ताकि विभाजित दुनिया को बेहतर बना सकें।'' उन्होंने कहा कि प्राचीन भारत वर्तमान में आधुनिक प्रौद्योगिकियों की शक्ति से अभूतपूर्व कायाकल्प का अनुभव कर रहा है। पहलगाम में हाल ही में हुए आतंकवादी हमले का जिक्र करते हुए अंबानी ने कहा कि सम्मेलन में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की उपस्थिति ‘उम्मीद, एकता और अडिग संकल्प' का एक मजबूत संदेश देती है। रिलायंस समूह के प्रमुख ने कहा, ‘‘ यहां एकत्रित हम सभी लोग पीड़ितों के परिवारों के प्रति अपनी संवेदना व्यक्त करते हैं। मोदी जी, शांति, न्याय व मानवता के दुश्मनों के खिलाफ इस लड़ाई में आपको 145 करोड़ भारतीयों का पूरा समर्थन है। उनकी हार और भारत की जीत निश्चित है।'' अंबानी ने कहा, ‘‘ यह है नए भारत का जोश - नए भारत की भावना। अपने सपनों में दृढ़। उसे पूरा करने में तेज। साथ ही वैश्विक मानकों से आगे निकलने के लिए दृढ़ संकल्पित।''
-
नयी दिल्ली. माल एवं सेवा कर (जीएसटी) का संग्रह अप्रैल में सालाना आधार पर 12.6 प्रतिशत बढ़कर अबतक के उच्चतम स्तर लगभग 2.37 लाख करोड़ रुपये पर पहुंच गया। बृहस्पतिवार को जारी आधिकारिक आंकड़े से यह जानकारी मिली। जीएसटी संग्रह बीते वर्ष अप्रैल में 2.10 लाख करोड़ रुपये रहा था जो देश में एक जुलाई, 2017 से नई अप्रत्यक्ष कर व्यवस्था लागू होने के बाद का दूसरा सर्वाधिक संग्रह है। इससे पहले, मार्च 2025 में कर संग्रह 1.96 लाख करोड़ रुपये था। अप्रैल, 2025 के दौरान घरेलू लेनदेन से जीएसटी राजस्व 10.7 प्रतिशत बढ़कर लगभग 1.9 लाख करोड़ रुपये हो गया, जबकि आयातित वस्तुओं से राजस्व 20.8 प्रतिशत बढ़कर 46,913 करोड़ रुपये रहा। बीते महीने जारी किया गया ‘रिफंड' 48.3 प्रतिशत बढ़कर 27,341 करोड़ रुपये पहुंच गया।
इस ‘रिफंड' को समायोजित करने के बाद अप्रैल महीने में शुद्ध जीएसटी संग्रह 9.1 प्रतिशत बढ़कर 2.09 लाख करोड़ रुपये से अधिक रहा। - चंडीगढ़. पंजाब के खाद्य एवं नागरिक आपूर्ति मंत्री लाल चंद कटारूचक ने बुधवार को बताया कि अनाज मंडियों में पहुंचे 114 लाख टन (एलएमटी) गेहूं में से अब तक 111 लाख टन की खरीद हो चुकी है। मंत्री ने बताया कि सरकारी एजेंसियों की फसल खरीद 100 लाख टन के आंकड़े को पार कर गई है और यह 103 लाख टन हो गई है। कटारूचक ने बताया कि किसानों के खातों में 22,815 करोड़ रुपये जमा हो चुके हैं और अब तक 6,28,674 किसान अपनी उपज मंडियों में लेकर आए हैं। सुचारू खरीद सुनिश्चित करने के लिए राज्य में 2,885 खरीद केंद्र स्थापित किए गए हैं, जिनमें से 1,864 नियमित और 1,021 अस्थायी हैं।
-
नयी दिल्ली. दुनिया के सबसे बड़े स्वर्ण उपभोक्ता भारत में बुधवार को अक्षय तृतीया के अवसर पर सोने और चांदी की खरीदारी में तेजी आई। कीमतें अधिक होने के बावजूद मूल्यवान धातु की खरीद को लेकर आकर्षण बना हुआ है। आभूषण विक्रेताओं के संगठन अखिल भारतीय रत्न एवं आभूषण घरेलू परिषद (जीजेसी) ने अनुमान लगाया है कि पिछले साल की तुलना में मूल्य के लिहाज से सोने की बिक्री में 35 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज की जाएगी। दिन के पहले पहर में दक्षिण भारत में उपभोक्ताओं की संख्या अधिक रही तथा महाराष्ट्र तथा उत्तरी राज्यों में भी शाम के समय तक इसमें वृद्धि होने की उम्मीद है। देश के विभिन्न हिस्सों में सोने की कीमतें 99,500 रुपये से 99,900 रुपये प्रति 10 ग्राम के बीच रही, जो 2024 में अक्षय तृतीया पर 72,300 रुपये से 37.6 प्रतिशत अधिक है। जीजेसी के चेयरमैन राजेश रोकड़े ने ‘पीटीआई-भाषा' को बताया कि जो उपभोक्ता ऊंचे दामों पर सोना खरीदने से हिचकिचा रहे थे, वे अब खरीदारी कर रहे हैं क्योंकि कीमतें उच्च स्तर पर जाने के बाद लगभग स्थिर हो गई हैं। उन्होंने कहा, ‘‘ हमें उम्मीद है कि सोने की बिक्री पिछले साल के 20 टन के स्तर पर स्थिर रहेगी। हालांकि, मूल्य के संदर्भ में, सोने की बिक्री में 35 प्रतिशत की वृद्धि होने की संभावना है।'' अक्षय तृतीया पर सोना खरीदना दक्षिण भारत में व्यापक रूप से प्रचलित परंपरा है, जो बढ़ती जागरूकता के साथ धीरे-धीरे पूरे देश में फैल गई है। वर्ल्ड गोल्ड काउंसिल (भारत) के मुख्य कार्यपालक अधिकारी (सीईओ) सचिन जैन ने कहा, ‘‘ सोने की कीमतों में वृद्धि के कारण खरीद क्षमता प्रभावित हुई है। हालांकि, अक्षय तृतीया के कारण खरीदारी का रुझान मजबूत है। उपभोक्ता खरीदारी करेंगे।'' पीएनजी ज्वैलर्स के चेयरमैन एवं प्रबंध निदेशक सौरभ गाडगिल ने कहा कि सोने की कीमतें रिकॉर्ड ऊंचाई पर पहुंचने के बावजूद उपभोक्ता धारणा सकारात्मक बनी हुई है। सोने, हीरे तथा चांदी के आभूषणों में लगातार रुचि बनी हुई है। गाडगिल ने कहा, ‘‘ हालांकि मात्रा के हिसाब से वृद्धि में आठ से नौ प्रतिशत की मामूली गिरावट देखी जा सकती है, लेकिन मूल्य के हिसाब हमें 20-25 प्रतिशत की वृद्धि की उम्मीद है जो बाजार के मजबूत होने का एक अच्छा संकेत है।'' जीएसआई इंडिया के प्रबंध निदेशक रमित कपूर ने प्रमुख भारतीय बाजारों में जड़ाऊ आभूषणों की मांग में बढ़ोतरी की बात कही, जबकि औकेरा की सीईओ लिसा मुखेदकर ने इस वर्ष उत्सव के दौरान प्रयोगशाला में बने हीरों को लेकर बढ़ती रुचि का उल्लेख किया। अखिल भारतीय आभूषण एवं स्वर्णकार महासंघ के अध्यक्ष पंकज अरोड़ा ने अनुमान लगाया है कि लगभग 12 टन सोना बिकेगा, जिसकी कीमत लगभग 12,000 करोड़ रुपये होगी। करीब 400 टन चांदी बिकेगी, जिसकी कीमत 4,000 करोड़ रुपये होगी। इस प्रकार कुल 16,000 करोड़ रुपये का कारोबार होने का अनुमान है। विशेषज्ञों का कहना है कि पिछले तीन वर्ष में सोने की मांग में कमी नहीं आई है, जबकि इसका भाव रिकॉर्ड स्तर पर पहुंच गया है। भारत सालाना 700-800 टन सोना आयात करता है।
-
नयी दिल्ली. इंडिया रेटिंग्स एंड रिसर्च ने बुधवार को कहा कि 2025 में मानसून के सामान्य से थोड़ा बेहतर रहने के मौसम विभाग के पूर्वानुमान से कृषि क्षेत्र की वृद्धि को बढ़ावा मिलेगा। इससे मौद्रिक स्थिति में सहजता के साथ ही भारत को जवाबी शुल्कों के प्रतिकूल प्रभाव का सामना करने में मदद मिलेगी। भारत मौसम विज्ञान विभाग (आईएमडी) का पूर्वानुमान है कि पूरे देश में मानसून की बारिश दीर्घावधि औसत (एलपीए) का 105 प्रतिशत रहेगी। इसमें पांच प्रतिशत के घट-बढ़ की गुंजाइश है। इंडिया रेटिंग्स ने कहा कि आईएमडी का पूर्वानुमान न केवल किसानों के लिए बल्कि सामान्य रूप से अर्थव्यवस्था के लिए भी अच्छी खबर है। ऐसे में भारत एक और साल लगभग चार प्रतिशत की कृषि वृद्धि दर्ज कर सकता है। रेटिंग एजेंसी के मुख्य अर्थशास्त्री और सार्वजनिक वित्त के प्रमुख देवेंद्र कुमार पंत ने कहा, ''यह अर्थव्यवस्था में उपभोग वृद्धि के लिए अच्छा संकेत है। हमारे पास पहले ही दो अच्छी फसलें हैं - खरीफ 2024 और रबी 2024, और वित्त वर्ष 2025-26 में दो और अच्छी फसलों की उम्मीद के साथ ही मुद्रास्फीति नियंत्रण और मौद्रिक सहजता हासिल करने में मदद मिलेगी। भारतीय अर्थव्यवस्था जवाबी शुल्क के प्रतिकूल प्रभावों को झेलने में सक्षम होगी।'' इंडिया रेटिंग्स ने कहा कि सिंचाई में वृद्धि, कृषि मूल्य संवर्धन में गैर-फसल का अधिक हिस्सा और रबी सीजन में उच्च खाद्यान्न उत्पादन ने मानसून की अनिश्चितताओं के प्रति कृषि क्षेत्र के जोखिम को कम किया है। मानसून के महीनों में बारिश की स्थिति और भौगोलिक प्रसार पर भी काफी कुछ निर्भर करेगा।
-
नई दिल्ली। देश की 10 शीर्ष में से छह कंपनियों की ज्वाइंट मार्केट कैप में बीते हफ्ते 1,18,626.24 करोड़ रुपये का इजाफा हुआ है। 21-25 अप्रैल के कारोबारी सत्र में सेंसेक्स में 659.33 अंक या 0.83 प्रतिशत और निफ्टी में 187.7 अंक या 0.78 प्रतिशत का इजाफा हुआ है।
भारती एयरटेल, आईसीआईसीआई बैंक, बजाज फाइनेंस और हिंदुस्तान यूनिलीवर के मार्केट वैल्यूशन में कमीशीर्ष 10 में टीसीएस, एचडीएफसी बैंक, स्टेट बैंक ऑफ इंडिया, इन्फोसिस और आईटीसी के बाजार पूंजीकरण में बढ़ोतरी हुई है। वहीं, भारती एयरटेल, आईसीआईसीआई बैंक, बजाज फाइनेंस और हिंदुस्तान यूनिलीवर के मार्केट वैल्यूशन में कमी आई है।इन्फोसिस का बाजार पूंजीकरण 24,919.58 करोड़ रुपये बढ़कर 6,14,766.06 करोड़ रुपये हो गया हैटाटा कंसल्टेंसी सर्विसेज के मार्केट कैप में सबसे अधिक 53,692.42 करोड़ रुपये का इजाफा हुआ है और कंपनी का बाजार पूंजीकरण बढ़कर 12,47,281.40 करोड़ रुपये हो गया है। इन्फोसिस का बाजार पूंजीकरण 24,919.58 करोड़ रुपये बढ़कर 6,14,766.06 करोड़ रुपये हो गया है। वहीं, एचडीएफसी बैंक का बाजार पूंजीकरण 2,907.85 करोड़ रुपये बढ़कर 14,61,842.17 करोड़ रुपये हो गया है।आईटीसी का बाजार पूंजीकरण 1,126.27 करोड़ रुपये बढ़कर 5,35,792.04 करोड़ रुपये हो गया हैइसके अलावा स्टेट बैंक ऑफ इंडिया (एसबीआई) का बाजार पूंजीकरण 1,472.57 करोड़ रुपये बढ़कर 7,12,854.03 करोड़ रुपये हो गया है। आईटीसी का बाजार पूंजीकरण 1,126.27 करोड़ रुपये बढ़कर 5,35,792.04 करोड़ रुपये हो गया है। भारती एयरटेल की मार्केट वैल्यू 41,967.5 करोड़ रुपये कम होकर 10,35,274.24 करोड़ रुपये हो गई है। हिंदुस्तान यूनिलीवर की मार्केटकैप 10,114.99 करोड़ रुपये बढ़कर 5,47,830.70 करोड़ रुपये हो गई है।बजाज फाइनेंस का मार्केटकैप 1,863.83 करोड़ रुपये कम होकर 5,66,197.30 करोड़ रुपये हो गया हैबजाज फाइनेंस का मार्केटकैप 1,863.83 करोड़ रुपये कम होकर 5,66,197.30 करोड़ रुपये हो गया है। आईसीआईसीआई बैंक के बाजार पूंजीकरण में 1,130.07 करोड़ रुपये की गिरावट आई है और यह कम होकर 10,00,818.79 करोड़ रुपये रह गया है। बीते हफ्ते भारतीय शेयर बाजार मजबूती के साथ बंद हुआ। बाजार में तेजी की वजह अमेरिकी और चीन के बीच चल रहे व्यापारिक तनाव के लेकर सकारात्मक अपडेट आना और बैंकों की ओर से अच्छे नतीजे पेश करना रहा। 21-25 अप्रैल की अवधि में विदेशी संस्थागत निवेशकों (एफआईआई) शुद्ध खरीदार रहे और इस दौरान करीब 17,800 करोड़ रुपये का निवेश किया। वहीं, घरेलू संस्थागत निवेशकों (डीआईआई) ने कैश सेगमेंट में करीब 1,132 करोड़ रुपये का निवेश किया।( -
मुंबई. केंद्रीय कोयला मंत्री जी किशन रेड्डी ने शनिवार को कहा कि वृद्धि को बनाए रखने के लिए एक मजबूत कच्चे माल की रणनीति महत्वपूर्ण है और देश को कोकिंग कोयला और लौह अयस्क जैसी महत्वपूर्ण सामग्रियों की निरंतर उपलब्धता सुनिश्चित करनी चाहिए। इस्पात मंत्रालय और उद्योग मंडल फिक्की द्वारा यहां संयुक्त रूप से आयोजित इंडिया स्टील-2025 प्रदर्शनी और सम्मेलन के छठे संस्करण के समापन दिवस को संबोधित करते हुए रेड्डी ने कहा कि इस्पात भारत की आर्थिक वृद्धि की रीढ़ है और देश के ‘विकसित भारत' के सामूहिक दृष्टिकोण का प्रमुख चालक है। बयान के अनुसार, तीन दिवसीय कार्यक्रम में 1,000 से अधिक प्रतिनिधियों, 200 से अधिक प्रदर्शकों ने भाग लिया और नौ सत्र आयोजित किए गए, जिनमें उद्घाटन सत्र सहित भारत और अन्य देशों के 150 से अधिक वक्ता शामिल थे। इस दौरान, तीन समझौता ज्ञापनों (एमओयू) पर भी हस्ताक्षर किए गए।
रेड्डी ने आर्थिक वृद्धि में कोयला और खनन क्षेत्र की महत्वपूर्ण भूमिका पर जोर देते हुए कहा, “यदि इस्पात भारत की अर्थव्यवस्था की रीढ़ है, तो कोयला और खनन इसकी नींव हैं। वृद्धि को बनाए रखने के लिए एक मजबूत कच्चे माल की रणनीति महत्वपूर्ण है। हमें कोकिंग कोयला, चूना पत्थर, लौह अयस्क जैसे आवश्यक कच्चे माल और मैग्नीशियम, निकल और क्रोमियम जैसे महत्वपूर्ण तत्वों की निरंतर उपलब्धता सुनिश्चित करनी चाहिए।” उन्होंने कहा कि इस्पात क्षेत्र की वृद्धि के लिए कोयला क्षेत्र की भी साथ-साथ वृद्धि होना आवश्यक है और आयात को कम करना तथा भारत की इस्पात महत्वाकांक्षाओं को समर्थन देना आवश्यक है। रेड्डी ने कहा, “सरकार ने कोयला आयात पर निर्भरता कम करने के लिए मिशन कोकिंग कोयला शुरू किया है, जिसका लक्ष्य 2030 तक 14 करोड़ टन घरेलू कोकिंग कोयला का उत्पादन करना है, जो इस्पात निर्माण में 10-30 प्रतिशत तक मिश्रित होगा।” मंत्री ने उद्योग से भारत के प्रयासों को और मजबूत करने के लिए नई वाशरीज स्थापित करने तथा नई प्रौद्योगिकियां विकसित करने का भी आग्रह किया। -
नयी दिल्ली. स्टार्टअप और सूक्ष्म, लघु एवं मझोले उद्यम (एमएसएमई) की ओर से पेटेंट दायर करने में पिछले पांच वर्ष में 310 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज की गई। वित्त वर्ष 2018-19 के 1,492 से इनकी संख्या वित्त वर्ष 2023-24 में 6,120 हो गई है। पेटेंट, डिजाइन और ट्रेडमार्क महानियंत्रक के संयुक्त नियंत्रक एन. रामचंदर ने बृहस्पतिवार को बताया कि 2021 में शुरू किए गए राष्ट्रीय बौद्धिक संपदा जागरूकता मिशन के माध्यम से लगभग तीन वर्ष में समूचे भारत में 24 लाख से अधिक छात्रों और शिक्षकों को आईपी अधिकारों के बारे में शिक्षित किया गया है। एसोचैम द्वारा आयोजित कार्यक्रम में उन्होंने बताया कि भारत में पेटेंट आवेदन दाखिल करने में 116 प्रतिशत की वृद्धि हुई है। इसकी संख्या वित्त वर्ष 2014-15 के 42,763 से बढ़कर वित्त वर्ष 2023-24 में 92,172 हो गई है। रामचंदर ने कहा, ‘‘पेटेंट प्रदान करने में उल्लेखनीय वृद्धि हुई है। इनकी संख्या वित्त वर्ष 2014-15 के 5,978 से बढ़कर वित्त वर्ष 2023-24 में 1,03,057 हो गई। इसमें भारत ने पिछले 10 वर्ष में निवासी और गैर-निवासी खंड में सबसे बड़ा बदलाव देखा, जिनमें से निवासियों की हिस्सेदारी 2013 के 24.8 प्रतिशत से बढ़कर 2024 में 60 प्रतिशत हो गई है।''
-
मुंबई. प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने बृहस्पतिवार को उद्योग जगत से ‘मजबूत, हितकारी बदलावों को तेजी से आगे बढ़ाने वाला और इस्पात जैसा सुदृढ़ भारत' बनाने के लिए साथ मिलकर काम करने को कहा। प्रधानमंत्री ने इंडिया इस्पात 2025 कार्यक्रम को ‘ऑनलाइन' संबोधित करते हुए यह भी कहा कि देश को कच्चे माल की सुरक्षा के लिए अपनी वैश्विक भागीदारी को मजबूत करने की आवश्यकता है। उन्होंने उद्योग से इस्पात उत्पादन बढ़ाने के लिए अप्रयुक्त नयी खदानों से लौह अयस्क निकालना शुरू करने का भी आह्वान किया। मोदी ने इस्पात को ‘उभरता हुआ क्षेत्र' बताते हुए इसका उत्पादन बढ़ाने की आवश्यकता बतायी, जो विकास की ‘रीढ़' है। उन्होंने नई प्रक्रियाओं को अपनाने, नवोन्मेष करने, सर्वोत्तम गतिविधियों का आदान-प्रदान करने और कोयले का आयात कम करने पर भी विचार करने को कहा। मोदी ने इस्पात उद्योग के प्रतिनिधियों को अपने संबोधन में कहा, ‘‘आइए, हम एक मजबूत, हितकारी बदलावों को तेजी आगे बढ़ाने वाला और इस्पात जैसा सुदृढ़ भारत बनाने के लिए एक साथ मिलकर काम करें।'' उन्होंने स्वीकार किया कि कच्चा माल प्राप्त करना इस्पात क्षेत्र के लिए एक ‘बड़ी चिंता' है। उन्होंने सभी से वैश्विक साझेदारी को मजबूत करने और आपूर्ति व्यवस्था को सुरक्षित करने का आग्रह किया। मोदी ने कहा, ‘‘एक बड़ी चिंता कच्चे माल की सुरक्षा है। हम अभी भी निकल, कोकिंग कोयला और मैंगनीज के लिए आयात पर निर्भर हैं। और इसीलिए, हमें वैश्विक साझेदारी को मजबूत करना चाहिए, आपूर्ति व्यवस्था को सुरक्षित करना चाहिए और प्रौद्योगिकी को उन्नत बनाने पर ध्यान केंद्रित करना चाहिए।'' मोदी ने कहा कि कई नयी खदानें हैं, जिनका उपयोग नहीं हो पाया है। उनका उचित और समय पर उपयोग किया जाना बहुत महत्वपूर्ण है। उन्होंने आगाह किया कि ऐसा नहीं होने पर देश और उद्योग दोनों को नुकसान होगा। उन्होंने कहा कि देश को कोयला गैसीकरण (कोयला से गैस बनाना) और कोयला आयात को कम करने के लिए अपने भंडार के बेहतर उपयोग जैसे विकल्पों की भी तलाश करनी चाहिए। प्रधानमंत्री ने कहा कि उद्योग को भविष्य के लिए तैयार रहना चाहिए और नई प्रक्रियाओं, नये स्तर और नये पैमाने को अपनाना चाहिए। मोदी ने कहा कि देश का लक्ष्य 2030 तक इस्पात उत्पादन क्षमता को बढ़ाकर 30 करोड़ टन करना है, जो वित्त वर्ष 2023-24 में 17.9 करोड़ टन था। साथ ही प्रति व्यक्ति इस्पात की खपत भी इसी अवधि में वर्तमान 98 किलो से बढ़ाकर 160 किलो करने का लक्ष्य है। उन्होंने कहा कि देश 1,300 अरब डॉलर की राष्ट्रीय अवसंरचना पाइपलाइन को भी ‘आगे बढ़ा रहा है' और शहरों को बड़े पैमाने पर स्मार्ट शहरों में बदलने के लिए ‘व्यापक कार्य चल रहा है'। मोदी ने कहा, ‘‘सड़कों, रेलवे, हवाई अड्डों, बंदरगाहों और पाइपलाइन में विकास की गति इस्पात क्षेत्र के लिए नये अवसर उत्पन्न कर रही है।'' उन्होंने कहा कि बड़ी परियोजनाओं की बढ़ती संख्या उच्च स्तर के इस्पात की मांग को बढ़ाएगी। उन्होंने यह भी कहा कि पहले स्वदेशी विमानवाहक पोत विक्रांत और चंद्रयान मिशन में इस्तेमाल किया गया इस्पात स्थानीय स्तर पर विनिर्मित किया गया था। प्रधानमंत्री ने कहा कि देश निर्यात बाजार पर नजर रखते हुए आधुनिक और बड़े जहाज बनाने की महत्वाकांक्षा रखता है। उन्होंने कहा कि ऐसे कार्यों के लिए उच्च श्रेणी के इस्पात की आवश्यकता होगी। उन्होंने कहा कि इस्पात के मामले में लक्ष्य आयात को शून्य स्तर पर लाने और शुद्ध निर्यात को बढ़ावा देने पर होना चाहिए। देश का लक्ष्य 2047 तक इस्पात के मौजूदा 2.5 करोड़ टन निर्यात को बढ़ाकर 50 करोड़ टन करना है। मोदी ने कहा कि भारत न केवल घरेलू वृद्धि के बारे में, बल्कि इस क्षेत्र में ‘वैश्विक नेतृत्व' के बारे में भी सोच रहा है। दुनिया भारत को उच्च गुणवत्ता वाले इस्पात के एक विश्वसनीय आपूर्तिकर्ता के रूप में देखती है। उन्होंने कहा कि इसके अलावा, पीएम आवास योजना और जल जीवन मिशन जैसी कल्याणकारी योजनाएं भी इस्पात क्षेत्र के लिए अवसर पैदा करने में मदद कर रही हैं। मोदी ने कहा कि देश में बुनियादी ढांचे को बढ़ा रही सरकार अपने अनुबंधों में स्थानीय रूप से विनिर्मित इस्पात के उपयोग पर जोर दे रही है। सरकार की नीतियां इस क्षेत्र को वैश्विक स्तर पर प्रतिस्पर्धी बना रही हैं। उन्होंने निजी और सार्वजनिक दोनों क्षेत्रों से विनिर्माण, प्रौद्योगिकी को आधुनिक रूप देने और अनुसंधान एवं विकास में नये कदम उठाने और सबसे अच्छी गतिविधियों को आपस में साझा करने का आग्रह किया। मोदी ने कहा, ‘‘हमें ऊर्जा दक्षता, कम उत्सर्जन और डिजिटल रूप से उन्नत प्रौद्योगिकियों की ओर तेजी से आगे बढ़ने की जरूरत है।'' उन्होंने कहा कि कृत्रिम मेधा, स्वचालन, पुनर्चक्रण और उप-उत्पादों का उपयोग इस्पात उद्योग के भविष्य को परिभाषित करेंगे। प्रधानमंत्री ने कहा कि इस्पात क्षेत्र अर्थव्यवस्था के लिए भी महत्वपूर्ण है क्योंकि इसमें देश के युवाओं के लिए रोजगार सृजित करने की क्षमता है।
-
नई दिल्ली। भारतीय दूरसंचार विनियामक प्राधिकरण (TRAI) ने आज गुरुवार को जारी अपने आंकड़ों में बताया कि भारत में ब्रॉडबैंड सब्सक्राइबर्स की संख्या फरवरी 2025 के अंत तक 944.04 मिलियन (94.4 करोड़) तक पहुंच गई है। यह डेटा देशभर के 1,189 दूरसंचार ऑपरेटर्स से प्राप्त जानकारी पर आधारित है।
ट्राई के मुताबिक फरवरी में 12.06 मिलियन (1.2 करोड़) मोबाइल ग्राहकों ने मोबाइल नंबर पोर्टेबिलिटी (MNP) के लिए आवेदन किया। जनवरी के अंत में एमएनपी आवेदनों की संचयी संख्या 1,093.33 मिलियन थी, जो फरवरी के अंत तक बढ़कर 1,105.39 मिलियन हो गई।वायरलेस सेगमेंट में निजी टेलीकॉम कंपनियों का दबदबा बना हुआ है, जिनकी कुल बाजार हिस्सेदारी 92.03 प्रतिशत रही, जबकि बीएसएनएल और एमटीएनएल जैसी दो सरकारी कंपनियों की हिस्सेदारी केवल 7.97 प्रतिशत दर्ज की गई। टेलीफोन यूजर्स की कुल संख्या भी इस दौरान बढ़ी। जनवरी में यह संख्या 1,192.03 मिलियन थी, जो फरवरी में 1,197.23 मिलियन तक पहुंच गई। यानी 0.42 प्रतिशत की मासिक वृद्धि दर दर्ज हुई।वहीं शहरी क्षेत्रों में उपभोक्ताओं की संख्या 663.83 मिलियन से बढ़कर 667.93 मिलियन हो गई, जबकि ग्रामीण उपभोक्ता 528.20 मिलियन से बढ़कर 529.31 मिलियन हो गए। देश में टेली-घनत्व (प्रति 100 व्यक्तियों पर फोन कनेक्शन) जनवरी के 84.54 प्रतिशत से बढ़कर फरवरी में 84.85 प्रतिशत हो गया। शहरी टेली-घनत्व 131.40 प्रतिशत से बढ़कर 132.01 प्रतिशत हुआ और ग्रामीण टेली-घनत्व 58.38 प्रतिशत से बढ़कर 58.48 प्रतिशत हो गया। कुल टेलीफोन ग्राहकों में से 55.79 प्रतिशत शहरी और 44.21 प्रतिशत ग्रामीण क्षेत्र से हैं। मशीन-टू-मशीन (M2Ma) मोबाइल कनेक्शनों की संख्या में भी इजाफा देखा गया। जनवरी में यह 63.09 मिलियन थी, जो फरवरी में 64.71 मिलियन हो गई। इनमें से सबसे ज्यादा कनेक्शन भारती एयरटेल लिमिटेड के पास हैं, जिनकी संख्या 33.86 मिलियन है, जिससे उसकी एम2एम मार्केट में हिस्सेदारी 52.33 प्रतिशत हो गई है। एयरटेल के बाद वोडाफोन आइडिया लिमिटेड का स्थान आता है। -
नई दिल्ली। दो दिनों की सुस्ती के बाद सोने में तेजी फिर से लौट आई है। घरेलू फ्यूचर्स मार्केट में गुरुवार (24 अप्रैल) को कारोबार के दौरान सोना 96 हजार रुपये प्रति 10 ग्राम के ऊपर पहुंच गया। फिलहाल यह 95,958 के भाव पर है। इससे पहले एमसीएक्स (MCX) पर सोने के बेंचमार्क कॉन्ट्रैक्ट ने बुधवार को 94,000 रुपये का इंट्राडे लो बनाया जबकि मंगलवार को इसने 99,358 का नया रिकॉर्ड हाई बनाया था। इस तरह सोना रिकॉर्ड हाई से अभी भी 3,500 रुपये से ज्यादा नीचे है।
घरेलू स्पॉट मार्केट में भी सोना फिलहाल 96 हजार के ऊपर है। ग्लोबल मार्केट में बेचमार्क कीमतें आज कारोबार के दौरान 3,350 डॉलर प्रति औंस से ऊपर चली गई गईं। मंगलवार (22 अप्रैल) को 3,500 डॉलर के पार जाने के बाद बुधवार (23 अप्रैल) को यह 3 फीसदी से ज्यादा टूटकर 3,300 डॉलर से नीचे चली गई थीं। गोल्ड के लिए बीते नवंबर के बाद यह सबसे खराब एक दिवसीय प्रदर्शन था।जानकारों के अनुसार निचले स्तर से निकल रही खरीदारी ने सोने की कीमतों को फिर से सपोर्ट किया है। पिछले दो दिनों के दौरान अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के चीन पर नरम रुख दिखाने और फेडरल रिजर्व के चेयरमैन पर दिए अपने पहले के बयान से यू-टर्न लेने के बाद बतौर सुरक्षित विकल्प (safe-haven) मांग कम होने से सोने की कीमतों में रिकॉर्ड ऊंचाई पर पहुंचने के बाद गिरावट आई थी। ट्रंप ने मंगलवार को कहा कि ट्रेड वॉर के दौरान चीनी वस्तुओं पर लगाए गए भारी टैरिफ को जल्द ही काफी हद तक कम किया जाएगा। साथ ही उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि वह फेडरल रिजर्व के चेयरमैन पॉवेल को नहीं हटाएंगे।Gold ETF: अमेरिका से दोगुना नेट इनफ्लो चीन में ! निवेशकों ने लगातार 12वें हफ्ते डाले पैसे, AUM रिकॉर्ड 377 बिलियन डॉलर के पारअमेरिकी डॉलर में आई कमजोरी ने भी कीमतों को एक हद तक सहारा दिया है। अमेरिकी डॉलर इंडेक्स (US Dollar Index) फिलहाल 0.46 फीसदी की कमजोरी के साथ 99.39 के लेवल पर है। सोमवार को यह 3 साल से ज्यादा (मार्च 2022) के अपने लो 97.92 तक चला गया था। अमेरिकी डॉलर इंडेक्स इस साल अब तक 8 फीसदी से ज्यादा टूटा है। जब अमेरिकी डॉलर कमजोर होता है तो सोना उन खरीदारों के लिए सस्ता हो जाता है जो इसे किसी अन्य करेंसी में खरीदना चाहते हैं। इससे सोने की मांग बढ़ सकती है और कीमतों में इजाफा हो सकता है।Sovereign Gold Bond: गोल्ड बॉन्ड पर प्रॉफिट बुक करने का शानदार मौका! अगले महीने इन 7 किस्तों का होगा प्रीमैच्योर रिडेम्प्शनब्याज दरों में कटौती की संभावना, अमेरिका सहित दुनिया की अर्थव्यवस्था में स्लोडाउन और महंगाई के बढ़ने की आशंका के मद्देनजर ज्यादातर जानकार सोने को लेकर फिलहाल बेहद बुलिश हैं। उनका मानना है कि ग्लोबल लेवल पर खासकर अमेरिका और चीन के बीच छिड़े ट्रेड वॉर के मद्देनजर जो अनिश्चितता की स्थिति बनी है उसमें बतौर सुरक्षित विकल्प (safe-haven) सोने की मांग बरकरार रह सकती है। साथ ही बढ़ते जियो-पॉलिटिकल टेंशन की वजह से भी बतौर सुरक्षित विकल्प सोने की मांग में और तेजी आने की उम्मीद है। इतना ही नहीं महंगाई के खिलाफ ‘हेज’ के तौर पर सोने की मांग बढ़ सकती है।घरेलू फ्यूचर्स मार्केटघरेलू फ्यूचर्स मार्केट एमसीएक्स (MCX) पर सोने का बेंचमार्क जून कॉन्ट्रैक्ट बुधवार को दोपहर बाद के कारोबार (4:55 PM IST) में 1,236 रुपये यानी 1.30 फीसदी की मजबूती के साथ 95,958 रुपये प्रति 10 ग्राम के भाव पर है। इससे पहले यह आज 95,580 रुपये पर खुला और कारोबार के दौरान 96,188 रुपये के रिकॉर्ड हाई और 95,562 रुपये के लो के बीच कारोबार किया । - मुंबई. भारतीय रिजर्व बैंक के गवर्नर संजय मल्होत्रा ने कहा है कि नीतिगत में कटौती से निजी खपत को बढ़ावा मिलेगा और निजी कॉरपोरेट निवेश में सुधार होगा। उन्होंने इस महीने की शुरुआत में मौद्रिक नीति समिति (एमपीसी) की बैठक में यह बात कही। इस दौरान उन्होंने और एमपीसी के पांच अन्य सदस्यों ने रेपो दर में 0.25 प्रतिशत कटौती के पक्ष में मतदान किया। गवर्नर मल्होत्रा की अध्यक्षता वाली एमपीसी ने नौ अप्रैल को अल्पकालिक उधारी दर यानी रेपो में 0.25 प्रतिशत की कटौती कर इसे छह प्रतिशत कर दिया था। फरवरी में भी इतनी कटौती की गई थी। आरबीआई ने बुधवार को एमपीसी बैठक का ब्योरा जारी किया। इसमें कहा गया है, ''जब उपभोक्ता कीमतों पर आधारित मुद्रास्फीति निर्णायक रूप से चार प्रतिशत के अपने लक्षित स्तर के आसपास है और वृद्धि अभी भी सामान्य है तथा इसमें सुधार हो रहा है, तो ऐसे में मौद्रिक नीति को वृद्धि की गति तेज करने के लिए घरेलू मांग को समर्थन देना चाहिए।'' मल्होत्रा ने बैठक में कहा कि इससे निजी खपत बढ़ेगी और निजी कॉरपोरेट निवेश में सुधार होगा।उन्होंने कहा कि वृद्धि-मुद्रास्फीति के उभरते रुझानों को देखते हुए आगे भी मौद्रिक नीति को उदार होना चाहिए। एमपीसी की अगली बैठक चार-छह जून, 2025 को होनी है। आरबीआई के डिप्टी गवर्नर और एमपीसी सदस्य एम राजेश्वर राव ने कहा कि मौजूदा वातावरण अभूतपूर्व वैश्विक अनिश्चितताओं से घिरा हुआ है, जिसके लिए लगातार सतर्कता और निगरानी की जरूरत है। उन्होंने साथ ही कहा कि वृद्धि-मुद्रास्फीति संतुलन के लिए किसी भी उभरते जोखिम से निपटने के लिए तेजी से नीतिगत कार्रवाई करनी चाहिए। आरबीआई के कार्यकारी निदेशक और एमपीसी सदस्य राजीव रंजन ने कहा कि वृद्धि अभी भी ठीक है, लेकिन यह हमारी आकांक्षाओं से कम है और चुनौतीपूर्ण वैश्विक माहौल के बीच नीतिगत प्रोत्साहन की जरूरत है। एमपीसी में तीन बाहरी या सरकार द्वारा नियुक्त सदस्य नागेश कुमार, सौगत भट्टाचार्य और राम सिंह हैं। ब्योरे के अनुसार कुमार ने कहा कि भारत को चीनी वस्तुओं की डंपिंग से बचाने के लिए उचित कार्रवाई करने की जरूरत है, ताकि घरेलू उद्योग को बचाया जा सके।