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नई दिल्ली। वॉलमार्ट की स्वामित्व वाली ई-कॉमर्स कंपनी फ्लिपकार्ट (Flipkart) को भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) से लेंडिंग लाइसेंस मिल गया है, जिससे अब कंपनी अपने प्लेटफॉर्म पर मौजूद ग्राहकों और विक्रेताओं को सीधे लोन दे सकेगी। यह पहली बार है जब RBI ने किसी बड़ी ई-कॉमर्स कंपनी को नॉन-बैंकिंग फाइनेंस कंपनी (NBFC) का लाइसेंस जारी किया है। इस लाइसेंस के तहत फ्लिपकार्ट कर्ज (loan) दे सकती है, हालांकि वह ग्राहकों से जमा (डिपॉजिट) नहीं ले सकेगी।
Flipkart को 13 मार्च को मिला लाइसेंसअधिकांश ई-कॉमर्स प्लेटफॉर्म फिलहाल बैंकों और एनबीएफसी के साथ साझेदारी में लोन की सुविधा देते हैं, लेकिन लेंडिंग लाइसेंस मिलने से फ्लिपकार्ट अब सीधे लोन दे सकेगी। यह मॉडल कंपनी के लिए अधिक फायदेमंद माना जा रहा है।भारतीय रिजर्व बैंक ने फ्लिपकार्ट फाइनेंस प्राइवेट लिमिटेड को 13 मार्च को रजिस्ट्रेशन सर्टिफिकेट जारी किया, जो किसी कंपनी को आधिकारिक रूप से NBFC (नॉन-बैंकिंग फाइनेंस कंपनी) के रूप में मान्यता देने वाला दस्तावेज होता है। रॉयटर्स ने रजिस्ट्रेशन सर्टिफिकेट और 13 मार्च को जारी अप्रूवल लेटर की एक-एक कॉपी की समीक्षा की है। इस मंजूरी की जानकारी अब तक सार्वजनिक रूप से सामने नहीं आई थी।Flipkart ने 2022 में किया था आवेदनकेंद्रीय बैंक के अप्रूवल लेटर के अनुसार, फ्लिपकार्ट ने 2022 में लाइसेंस के लिए आवेदन किया था। न तो फ्लिपकार्ट और न ही भारतीय रिजर्व बैंक ने रॉयटर्स के टिप्पणी के अनुरोध पर तुरंत कोई प्रतिक्रिया दी।मामले से वाकिफ एक सूत्र के अनुसार, ई-कॉमर्स दिग्गज फ्लिपकार्ट अगले “कुछ महीनों में” अपना लेंडिंग ऑपरेशन शुरू कर सकती है। हालांकि, बातचीत निजी होने के कारण सूत्र ने अपनी पहचान जाहिर नहीं की।Flipkart कब से शुरू करेगा लोन देना?रिपोर्ट में बताया गया कि लोन सेवा की शुरुआत को लेकर अंतिम फैसला कई आंतरिक प्रक्रियाएं पूरी होने के बाद ही लिया जाएगा। इनमें प्रमुख प्रबंधन पदों पर नियुक्तियां, बोर्ड सदस्यों की चयन प्रक्रिया और व्यावसायिक योजना को अंतिम रूप देना शामिल है। फ्लिपकार्ट की योजना अपने लोकप्रिय ई-कॉमर्स प्लेटफॉर्म और फिनटेक ऐप super.money के जरिए ग्राहकों को सीधे लोन देने की है। इसके अलावा, कंपनी अपने प्लेटफॉर्म पर मौजूद विक्रेताओं को भी फाइनेंसिंग की सुविधा दे सकती है।फिलहाल, यह ई-कॉमर्स दिग्गज एक्सिस बैंक, IDFC बैंक और क्रेडिट साइसॉन जैसे लेंडर्स के साथ साझेदारी के जरिए ग्राहकों को पर्सनल लोन की सुविधा देता है।IPO लाने की तैयारी में फ्लिपकार्टफ्लिपकार्ट की वैल्यूएशन 2024 में तब 37 अरब डॉलर आंकी गई थी, जब वॉलमार्ट की अगुवाई में इसे 1 अरब डॉलर की फंडिंग मिली थी। अब कंपनी अपनी होल्डिंग कंपनी को सिंगापुर से भारत में शिफ्ट कर रही है। वॉलमार्ट की योजना 17 साल पुरानी इस कंपनी को शेयर बाजार में लिस्ट कराने की भी है। वॉलमार्ट ने 2018 में फ्लिपकार्ट में कंट्रोलिंग हिस्सेदारी खरीदी थी, जिसके साथ उसे फिनटेक कंपनी फोनपे का स्वामित्व भी मिला था। फोनपे भी फिलहाल IPO की तैयारी में है।इस साल की शुरुआत में फ्लिपकार्ट की प्रतिद्वंद्वी कंपनी अमेजन ने बेंगलुरु स्थित नॉन-बैंक लेंडर Axio का अधिग्रहण किया था। हालांकि, यह डील अभी तक भारतीय रिजर्व बैंक की मंजूरी का इंतजार कर रही है। - नयी दिल्ली,। देश की सबसे बड़ी बिजली उत्पादक कंपनी एनटीपीसी लि. ने अपनी प्रमुख सीएसआर पहल ‘बालिका सशक्तीकरण मिशन' की शुरुआत की है। एनटीपीसी ने बुधवार को बयान में कहा कि कंपनी कॉरपोरेट सामाजिक दायित्व (सीएसआर) पहल के तहत बालिका सशक्तीकरण मिशन (जीईएम) के इस छठे संस्करण में 17 राज्यों में एनटीपीसी के बिजलीघरों के आसपास रहने वाले वंचित समुदायों की 2,600 से अधिक युवा लड़कियों के लिए आवासीय कार्यशाला आयोजित करेगी। कार्यक्रम के समापन पर, कुल प्रतिभागियों में से लगभग 10 प्रतिशत को एनटीपीसी के स्कूलों में पठन-पाठन की सुविधा दी जाएगी। कंपनी उनकी हाई स्कूल शिक्षा का खर्च उठाएगी। गर्मी की छुट्टियों के दौरान महीने भर चलने वाले इस कार्यक्रम का उद्देश्य इन लड़कियों को समग्र विकास के अवसर प्रदान करना है। इस पहल का प्राथमिक उद्देश्य आत्मविश्वास का निर्माण करना और ऐसा परिवेश बनाना है जो वंचित समुदायों की लड़कियों के बीच आवश्यक जीवन कौशल सीखने और विकास का समर्थन करता है। यह कार्यक्रम वर्ष 2018 में 392 प्रतिभागियों के साथ सिर्फ तीन स्थानों पर एक पायलट परियोजना के रूप में शुरू किया गया था। पिछले कुछ वर्षों में, इस कार्यक्रम के जरिये 17 राज्यों में 12,700 से ज्यादा युवा लड़कियों को जीवन बदलने वाले अवसर उपलब्ध कराये गये हैं।
- नयी दिल्ली. भारत का रूस से कच्चे तेल का आयात मई में बढ़कर 10 महीने के उच्चस्तर 19.6 लाख बैरल प्रति दिन पर पहुंच गया है। वैश्विक बेंचमार्क कीमतों की तुलना में रूसी तेल पर लगातार मिलने वाली महत्वपूर्ण छूट इसकी मुख्य वजह रही। केप्लर के पोत परिवहन गतिविधियों से जुड़े आंकड़ों से यह जानकारी मिली है। भारत दुनिया का तीसरा सबसे बड़ा कच्चा तेल आयातक और उपभोक्ता है। यह विदेशों से करीब 51 लाख बैरल कच्चा तेल खरीदता है जिससे रिफाइनरियों में पेट्रोल एवं डीजल जैसे ईंधन में बदला जाता है। भारत का तेल आपूर्तिकर्ताओं में रूस की सबसे बड़ी 38 प्रतिशत से अधिक की हिस्सेदारी है। वहीं इराक से भारत को प्रतिदिन 12 लाख बैरल कच्चा तेल मिलता है। इराक देश के लिए दूसरा सबसे बड़ा आपूर्तिकर्ता है। सऊदी अरब ने 6,15,000 बैरल प्रति दिन का निर्यात किया, जबकि संयुक्त अरब अमीरात (यूएई) ने 4,90,000 बैरल प्रति दिन की आपूर्ति की। अमेरिका ने 2,80,000 बैरल प्रति दिन की आपूर्ति की। केप्लर में रिफाइनिंग एवं मॉडलिंग के प्रमुख शोध विश्लेषक सुमित रितोलिया ने कहा, ‘‘ कुल मिलाकर, मई 2025 के लिए भारत का कच्चा तेल आयात खाका इसकी मूल्य-संवेदनशील, विविध ‘सोर्सिंग' रणनीति को उजागर करता है। बाहरी दबाव के बावजूद रूसी तेल की मात्रा उच्च बनी हुई है जो भारत की ऊर्जा नीति में आर्थिक व्यावहारिकता की के दृष्टिकोण को मजबूत करता है।'' भारत परंपरागत रूप से पश्चिम एशिया से अपना तेल प्राप्त करता रहा है। हालांकि, इसने फरवरी, 2022 में यूक्रेन पर रूसी हमले के तुरंत बाद रूस से बड़ी मात्रा में तेल आयात करना शुरू कर दिया था। इसका मुख्य कारण यह है कि पश्चिमी प्रतिबंधों और कुछ यूरोपीय देशों द्वारा खरीद से परहेज के कारण रूसी तेल अन्य अंतरराष्ट्रीय बेंचमार्क की तुलना में काफी छूट पर उपलब्ध था। इसके परिणामस्वरूप भारत के रूसी तेल आयात में काफी वृद्धि देखी गई। भारत के कच्चे तेल आयात में रूस की हिस्सेदारी अल्पावधि में एक प्रतिशत से बढ़कर अल्पावधि में 40-44 प्रतिशत तक पहुंच गई। रितोलिया ने बताया कि ब्रेंट एवं दुबई जैसे बेंचमार्क या लागत के आधार पर पश्चिम एशिया ‘ग्रेड' की तुलना में रूस से उल्लेखनीय छूट पर कच्चे तेल की पेशकश जारी है। उन्होंने कहा, ‘‘ भारत में रूसी बैरल का मजबूत प्रवाह आर्थिक, परिचालन और भू-राजनीतिक कारकों के संयोजन से प्रेरित है।'' रूस से यूराल क्रूड की कीमत में एक प्रमुख लाभ निहित है, जो कि हमेशा बहुत अधिक छूट पर नहीं होता है लेकिन पश्चिमी अफ्रीकी और पश्चिम एशिया ‘ग्रेड' की तुलना में काफी सस्ता रहता है।
- नयी दिल्ली. यात्रा बुकिंग मंच मेकमाईट्रिप ने ट्रेनों में सीट उपलब्धता की जानकारी देने की सेवा शुरू की। इससे यात्रियों को किसी ट्रेन की टिकट कब तक उपलब्ध रहेगी यह जानकारी मिलेगी ताकि वे समय पर अपनी टिकट बुक करा लें। गुरुग्राम स्थित कंपनी ने सोमवार को यह सेवा पेश की।बयान के अनुसार, भारत में आरक्षित रेल टिकट की बुकिंग प्रस्थान तिथि से 60 दिन पहले शुरू होती है। हालांकि, अधिकतर यात्री अपनी योजना को प्रस्थान तिथि के बहुत करीब आने पर ही अंतिम रूप देते हैं। अमेरिकी शेयर बाजार नैस्डैक में सूचीबद्ध कंपनी ने कहा, ‘‘ सप्ताह-दर-सप्ताह मांग में काफी बदलाव होने के कारण, ‘कन्फर्म बुकिंग' की अवधि बदलती रहती है। अप्रैल में अधिकतर हाई-स्पीड ट्रेन की टिकट प्रस्थान तिथि से करीब 13 दिन पहले ही बिक जाती हैं। मई तक बढ़ती मांग के कारण, वे आमतौर पर प्रस्थान से 20 दिन पहले ही बुक हो जाती हैं।'' बयान में कहा गया कि इससे होता यह है कि यात्रियों को यह पता होता है कि उन्हें कौन सी ट्रेन की टिकट लेनी है लेकिन वे इस बात का अंदाजा नहीं लगा पाते कि आखिर ये टिकट कब तक उपलब्ध रहेगी। इससे समय पर योजना बनाना कठिन हो जाता है। यह नई सेवा मेकमाईट्रिप ऐप और वेबसाइट दोनों पर उपलब्ध है।मेकमाईट्रिप के सह-संस्थापक एवं मुख्य कार्यपालक अधिकारी (समूह) राजेश मागो ने कहा, ‘‘ हम भारतीय रेल यात्रियों की छोटी-छोटी आवश्यकताओं का पूर्वानुमान लगाने और उसके तहत काम करने के अपने मिशन पर केंद्रित हैं। सीट उपलब्धता पूर्वानुमान उस प्रयास का परिणाम है, जो डेटा विज्ञान पर आधारित है। इसे सहज सेवा देने और लाखों उपयोगकर्ताओं को यात्रा की योजना बनाने में पेश होने वाली तैयारियों से निपटने के लिए तैयार किया गया है। यह हमारे रेल खंड में एक मजबूत विकल्प जोड़ता है/
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नई दिल्ली। सोने चांदी के वायदा भाव आज कारोबार की शुरुआत में तेजी के साथ कारोबार कर रहे हैं। दोनों के वायदा भाव आज तेजी के साथ खुले। खबर लिखे जाने के समय घरेलू बाजार में आज सोने के भाव 98,000 रुपये, जबकि चांदी के भाव 1,01,400 रुपये के करीब कारोबार कर रहे हैं। अंतरराष्ट्रीय बाजार में सोना चांदी तेजी के साथ कारोबार कर रहे हैं।
सोना के भाव चढ़ेसोने के वायदा भाव की शुरुआत तेजी के साथ हुई। मल्टी कमोडिटी एक्सचेंज (MCX) पर सोने का बेंचमार्क जून कॉन्ट्रैक्ट आज 293 रुपये की तेजी के साथ 98,012 रुपये के भाव पर खुला। पिछला बंद भाव 97,719 रुपये था। खबर लिखे जाने के समय यह कॉन्ट्रैक्ट 336 रुपये की तेजी के साथ 98,055 रुपये के भाव पर कारोबार कर रहा था। इस समय इसने 98,116 रुपये के भाव पर दिन का उच्च और 98,012 रुपये के भाव पर दिन का निचला स्तर छू लिया। सोने के वायदा भाव ने इस साल 99,358 रुपये के भाव पर सर्वोच्च स्तर छू लिया था।चांदी भी चांदीचांदी के वायदा भाव की शुरुआत तेजी रही। MCX पर चांदी का बेंचमार्क मई कॉन्ट्रैक्ट आज 115 रुपये की तेजी के साथ 1,01,331 रुपये पर खुला। पिछला बंद भाव 1,01,216 रुपये था। खबर लिखे जाने के समय यह कॉन्ट्रैक्ट 212 रुपये की तेजी के साथ 1,01,428 रुपये के भाव पर कारोबार कर रहा था। इस समय इसने 1,0,1,428 रुपये के भाव पर दिन का उच्च और 1,01,331 रुपये के भाव पर दिन का निचला स्तर छू लिया। चांदी के वायदा भाव ने इस साल 1,01,999 रुपये किलो के भाव पर सर्वोच्च स्तर छू लिया था।अंतरराष्ट्रीय बाजार में सोना चांदी तेजअंतरराष्ट्रीय बाजार में आज सोने चांदी के वायदा तेजी के साथ कारोबार कर रहे हैं। Comex पर सोना 3,377.80 डॉलर प्रति औंस के भाव पर खुला। पिछला क्लोजिंग प्राइस 3,377.10 डॉलर प्रति औंस था। खबर लिखे जाने के समय यह 14.60 डॉलर की तेजी के साथ 3,391.70 डॉलर प्रति औंस के भाव पर कारोबार कर रहा था। सोने के वायदा भाव ने इस साल 3,509.90 डॉलर के भाव पर ऑल टाइम हाई छू लिया है। Comex पर चांदी के वायदा भाव 34.68 डॉलर के भाव पर खुले। पिछला क्लोजिंग प्राइस 34.63 डॉलर था। खबर लिखे जाने के समय यह 0.12 डॉलर की तेजी के साथ 34.75 डॉलर प्रति औंस के भाव पर कारोबार कर रहा था। -
नई दिल्ली। भारत की तेज जीडीपी वृद्धि का असर, कंपनियों और एलएलपी का पंजीकरण 37 प्रतिशत तक बढ़ा
जीडीपी में तेज वृद्धि के कारण देश में मई में कंपनियों और एलएलपी के पंजीकरण में 37 प्रतिशत तक का इजाफा हुआ है। सरकारी आंकड़ों के मुताबिक, मई में सालाना आधार पर कंपनियों के पंजीकरण में 29 प्रतिशत और लिमिटेड लायबिलिटी पार्टनरशिप में 37 प्रतिशत का इजाफा हुआ है।ओवरसीज इकाइयों सहित मई में 20,720 कंपनियों का पंजीकरण हुआ था, जो कि एक साल पहले समान अवधि में 16,081 पर थाकारपोरेट कार्य मंत्रालय के डेटा के मुताबिक, ओवरसीज इकाइयों सहित मई में 20,720 कंपनियों का पंजीकरण हुआ था, जो कि एक साल पहले समान अवधि में 16,081 पर था। मई को मिला दिया जाए यह लगातार पांचवां महीना था, जब कंपनियों के पंजीकरण में वृद्धि हुई है। बीते महीने 7,487 एलएलपी का पंजीकरण हुआ है, पिछले साल इसकी संख्या 5,464 थी।भारत की जीडीपी वृद्धि दर वित्त वर्ष 2024-25 की चौथी तिमाही (जनवरी-मार्च) में बढ़कर 7.4 प्रतिशत हो गई हैभारत की जीडीपी वृद्धि दर वित्त वर्ष 2024-25 की चौथी तिमाही (जनवरी-मार्च) में बढ़कर 7.4 प्रतिशत हो गई है। वित्त वर्ष 25 की तीसरी तिमाही में यह 6.2 प्रतिशत पर थी। देश के निर्यात में भी तेजी से इजाफा हो रहा है। वित्त वर्ष 25 में सर्विसेज निर्यात सालाना आधार पर 13.6 प्रतिशत बढ़कर 387.5 अरब डॉलर हो गया है। हालांकि, वैश्विक उतार-चढ़ाव के बीच वस्तुओं का निर्यात 437 अरब डॉलर पर करीब सपाट रहा है।2027 तक भारत की अर्थव्यवस्था 5 ट्रिलियन डॉलर के आंकड़े को पार कर सकती है और इस दौरान जीडीपी का आकार 5,069.47 अरब डॉलर रहने का अनुमान हैअंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ) की ओर से जारी किए गए वर्ल्ड इकोनॉमिक आउटलुक के मुताबिक, 2025 में भारत की जीडीपी बढ़कर 4,187.017 अरब डॉलर हो जाएगी। वहीं, जापान की जीडीपी का आकार 4,186.431 अरब डॉलर रहने का अनुमान है। आईएमएफ के अनुमानों के अनुसार, आने वाले वर्षों में भारत जर्मनी को पछाड़कर दुनिया की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था भी बन सकता है। 2027 तक भारत की अर्थव्यवस्था 5 ट्रिलियन डॉलर के आंकड़े को पार कर सकती है और इस दौरान जीडीपी का आकार 5,069.47 अरब डॉलर रहने का अनुमान है। वहीं, 2028 तक भारत की जीडीपी का आकार 5,584.476 अरब डॉलर होगा, जबकि इस दौरान जर्मनी की जीडीपी का आकार 5,251.928 अरब डॉलर रहने का अनुमान है। - नयी दिल्ली. गर्मी के मौसम में यात्रा बढ़ने के चलते पेट्रोल की खपत मई में लगातार दूसरे महीने तेजी से बढ़ी, लेकिन डीजल की मांग में मामूली वृद्धि हुई। उद्योग के अस्थायी आंकड़ों से यह जानकारी मिली। इस साल मई में पेट्रोल की खपत 8.77 प्रतिशत बढ़कर 37.6 लाख टन हो गई, जो एक साल पहले समान महीने में 34.6 लाख टन थी। इसी तरह अप्रैल, 2025 में भी पेट्रोल की बिक्री बढ़ी थी। आंकड़ों के अनुसार, डीजल की बिक्री दो प्रतिशत बढ़कर 85.7 लाख टन हो गई। परिवहन और ग्रामीण कृषि अर्थव्यवस्था में डीजल का बड़ा महत्व है। इसकी मांग 31 मार्च, 2025 को समाप्त वित्त वर्ष में दो प्रतिशत बढ़ी। इस साल अप्रैल में डीजल की खपत करीब चार प्रतिशत और मई दो प्रतिशत बढ़ी।उद्योग के अधिकारियों ने कहा कि पिछले कुछ महीनों में डीजल की मांग सुस्त पड़ रही है, जिससे इसके भविष्य को लेकर अटकलें लगाई जा रही हैं। इस साल मई में विमान ईंधन (एटीएफ) की खपत 4.3 प्रतिशत बढ़कर 7,75,000 टन हो गई।उज्ज्वला कनेक्शनों की बदौलत मई में एलपीजी की बिक्री 13.4 प्रतिशत बढ़कर 27.9 लाख टन हो गई।
- नयी दिल्ली. जी-20 के शेरपा अमिताभ कांत ने सोमवार को कहा कि भारत की अर्थव्यवस्था फिलहाल चार हजार अरब डॉलर की है और 2047 तक इसके 30 हजार अरब डॉलर के करीब पहुंचने की उम्मीद है। उन्होंने कहा कि देश को युवा आबादी का भी लाभ मिलेगा।अंतरराष्ट्रीय हवाई परिवहन संघ (आईएटीए) के राष्ट्रीय राजधानी में आयोजित एक सत्र में उन्होंने यह बात कही। कांत ने कहा, अधिक युवा आबादी है। दुनिया के पश्चिमी हिस्से की अधिकतर आबादी बुजुर्ग हो रहा है और जापान की (अधिकतर आबादी) पहले ही बूढ़ी हो चुका है, यहां तक कि चीन की (अधिकतर आबादी) भी बूढ़ी हो रही है। भारत की अधिकतर आबादी की उम्र सिर्फ 28 वर्ष साल है और जब हमारे देश को (आजाद हुए) 100 साल हो जाएंगे, तब भी औसत आयु 35 वर्ष होगी। '' उन्होंने कहा कि 2047 में देश की अर्थव्यवस्था 30,000 अरब अमेरिकी डॉलर के करीब होगी। देश 4,000 अरब अमेरिकी डॉलर की अर्थव्यवस्था है और हाल ही में दुनिया की चौथी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बन गया है। कांत ने टिकाऊ शहरीकरण पर जोर देते हुए कहा कि देश में करीब 50 लाख लोग शहरीकरण की प्रक्रिया में शामिल होंगे और भारत में 500 नए शहर बनाने की जरूरत होगी। उन्होंने कहा, ‘‘ आपको अगले पांच दशक में दो नए अमेरिका बनाने की जरूरत है। आपको भारत में हर पांच साल में एक शिकॉगो (अमेरिका का शहर) बनाने की जरूरत है। यही भारत के लिए चुनौती है।'' कांत ने साथ ही कहा कि भारत 400 हवाई अड्डे बनाने की महत्वाकांक्षा रखता है।देश में अभी 150 से अधिक चालू हवाई अड्डे हैं। उन्होंने कहा, आपको बेहतरीन हवाई अड्डों, बेहतरीन विमानन कंपनियों की जरूरत है, आपको लंबी दूरी की उड़ानें संचालित करने की जरूरत है... इंडिगो और एयर इंडिया को अपने बड़े आकार के विमानों के साथ अमीरात, कतर एयरवेज के साथ प्रतिस्पर्धा करनी चाहिए... हम बाजार में प्रतिस्पर्धा करने में विश्वास करते हैं।'
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नयी दिल्ली. सकल माल एवं सेवा कर (जीएसटी) संग्रह मई में 16.4 प्रतिशत बढ़कर 2.01 लाख करोड़ रुपये से अधिक हो गया है। रविवार को जारी सरकारी आंकड़ों में यह जानकारी दी गई। इससे पहले, अप्रैल में जीएसटी संग्रह 2.37 लाख करोड़ रुपये के अपने अबतक के सर्वकालिक उच्चस्तर पर पहुंच गया था। मई में घरेलू लेनदेन से कुल जीएसटी राजस्व 13.7 प्रतिशत बढ़कर लगभग 1.50 लाख करोड़ रुपये हो गया, जबकि आयात से जीएसटी संग्रह 25.2 प्रतिशत बढ़कर 51,266 करोड़ रुपये रहा। मई में कुल केंद्रीय जीएसटी राजस्व 35,434 करोड़ रुपये, राज्य जीएसटी राजस्व 43,902 करोड़ रुपये और एकीकृत जीएसटी संग्रह लगभग 1.09 लाख करोड़ रुपये रहा। उपकर से राजस्व 12,879 करोड़ रुपये रहा। मई, 2024 में जीएसटी संग्रह 1,72,739 करोड़ रुपये रहा था।
इस बीच, महीने के दौरान कुल रिफंड चार प्रतिशत घटकर 27,210 करोड़ रुपये रह गया। माह के दौरान शुद्ध जीएसटी संग्रह 20.4 प्रतिशत की सालाना वृद्धि के साथ लगभग 1.74 लाख करोड़ रुपये रहा। डेलॉयट इंडिया के साझेदार एम एस मणि ने कहा कि राज्यों में जीएसटी संग्रह में वृद्धि में व्यापक आधार पर अंतर देखा जा रहा है। ऐसे में प्रत्येक राज्य में ऐसे क्षेत्रों का गहन विश्लेषण करने की जरूरत है, जो उसके लिए महत्वपूर्ण हैं। महाराष्ट्र, पश्चिम बंगाल, कर्नाटक और तमिलनाडु जैसे बड़े राज्यों ने संग्रह में 17 प्रतिशत से 25 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज की है, जबकि गुजरात, आंध्र प्रदेश और तेलंगाना जैसे बड़े राज्यों ने छह प्रतिशत तक की वृद्धि दिखाई है। मध्यप्रदेश, हरियाणा, पंजाब और राजस्थान जैसे कुछ राज्यों में जीएसटी संग्रह में औसतन 10 प्रतिशत की वृद्धि हुई है। मणि ने कहा, “इसलिए, देशभर में औसत वृद्धि, संभवतः क्षेत्रीय या मौसमी कारकों के कारण राज्यों में समान रूप से परिलक्षित नहीं होती है, जिसके लिए गहन डेटा आधारित विश्लेषण की आवश्यकता होती है। -
नयी दिल्ली. इस साल जनवरी-मार्च तिमाही में 15 प्रमुख दूसरी श्रेणी के शहरों में घरों की बिक्री सालाना आठ प्रतिशत घटकर 43,781 इकाई रह गई। प्रॉपइक्विटी की एक रिपोर्ट में यह जानकारी दी गई। रियल एस्टेट विश्लेषक फर्म ने कहा कि समीक्षाधीन अवधि में मूल्य के लिहाज से बिक्री छह प्रतिशत बढ़कर 40,443 करोड़ रुपये हो गई। इससे पहले 2024 की इसी अवधि में घरों की बिक्री मात्रा के लिहाज से 47,378 इकाई और मूल्य के लिहाज से 38,102 करोड़ रुपये थी। ये 15 शहर अहमदाबाद, सूरत, वडोदरा, गांधी नगर, नासिक, नागपुर, गोवा, लखनऊ, जयपुर, मोहाली, विशाखापत्तनम, कोच्चि, कोयंबटूर, भोपाल और भुवनेश्वर हैं। प्रॉपइक्विटी के संस्थापक और मुख्य कार्यपालक अधिकारी (सीईओ) समीर जसूजा ने कहा, ‘‘मार्च तिमाही में कम आपूर्ति के कारण दूसरी श्रेणी के शहरों में बिक्री कम हुई। राज्यों की राजधानियों ने अपेक्षाकृत बेहतर प्रदर्शन किया।'' उन्होंने कहा कि भौतिक और सामाजिक बुनियादी ढांचे में सुधार के कारण मांग मजबूत बनी हुई है।
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नई दिल्ली। भारत सरकार ने खाद्य तेलों की बढ़ती कीमतों पर लगाम लगाने के लिए बड़ा कदम उठाया है। सरकार ने कच्चे और रिफाइंड खाद्य तेलों पर बुनियादी आयात कर को 10 प्रतिशत अंक कम कर दिया है। इससे न केवल खाद्य तेलों की कीमतें कम होंगी, बल्कि स्थानीय तेल प्रसंस्करण उद्योग को भी फायदा होगा। इस कदम से मांग बढ़ने और पाम ऑयल, सोयाबीन ऑयल और सूरजमुखी तेल के आयात में बढ़ोतरी की उम्मीद है।
सरकार ने एक अधिसूचना में बताया कि कच्चे पाम ऑयल, कच्चे सोयाबीन ऑयल और कच्चे सूरजमुखी तेल पर बुनियादी सीमा शुल्क को 20 प्रतिशत से घटाकर 10 प्रतिशत कर दिया गया है। इसके साथ ही, कृषि अवसंरचना और विकास उपकर (सेस) और सामाजिक कल्याण अधिभार को मिलाकर इन तेलों पर कुल आयात कर अब 27.5 प्रतिशत से घटकर 16.5 प्रतिशत हो गया है।स्थानीय उद्योग को मिलेगा बढ़ावाभारतीय वनस्पति तेल उत्पादक संघ (IVPA) के अध्यक्ष सुधाकर देसाई ने इस फैसले का स्वागत किया है। उन्होंने कहा कि कच्चे खाद्य तेल पर आयात कर को 20 प्रतिशत से घटाकर 10 प्रतिशत करने और रिफाइंड तेल पर शुल्क को 35.25 प्रतिशत पर अपरिवर्तित रखने से कच्चे और रिफाइंड तेल के बीच शुल्क का अंतर बढ़कर 19.25 प्रतिशत हो गया है। देसाई ने इसे ‘मेक इन इंडिया’ को बढ़ावा देने वाला एक साहसिक कदम बताया। उन्होंने कहा कि इससे न केवल भारतीय रिफाइनरियों की क्षमता मजबूत होगी, बल्कि तिलहन किसानों को उचित दाम और उपभोक्ताओं को सस्ता तेल मिलेगा।IVPA के आंकड़ों के अनुसार, जून-सितंबर 2024 में रिफाइंड पाम ऑयल का आयात 4.58 लाख मीट्रिक टन था, जो अक्टूबर 2024-फरवरी 2025 के दौरान बढ़कर 8.24 लाख मीट्रिक टन हो गया, जो कुल पाम ऑयल आयात का लगभग 30 प्रतिशत है। इसके अलावा, दक्षिण एशियाई मुक्त व्यापार समझौते (SAFTA) के तहत शून्य शुल्क के कारण पड़ोसी देशों से रिफाइंड तेल की भारी मात्रा भारतीय बाजार में आ रही थी।हालांकि, सभी इस फैसले से खुश नहीं हैं। इंदौर स्थित सोयाबीन प्रोसेसर्स एसोसिएशन ऑफ इंडिया (SOPA) ने बयान जारी कर कहा कि खाद्य तेलों पर शुल्क कम करना स्थानीय तेल प्रसंस्करण उद्योग और किसानों के लिए नुकसानदायक है। SOPA ने इसे आयात लॉबी को फायदा पहुंचाने वाला कदम बताया और कहा कि इससे खाद्य तेलों में आत्मनिर्भरता का लक्ष्य प्रभावित होगा। SOPA ने यह भी सवाल उठाया कि न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) बढ़ाने के एक दिन बाद ही सरकार ने यह कदम क्यों उठाया।अप्रैल 2025 में, उपभोक्ता मूल्य सूचकांक (CPI) के आधार पर खाद्य मुद्रास्फीति 2.69 प्रतिशत से घटकर 1.78 प्रतिशत हो गई थी। हालांकि, तेल और वसा (ऑयल्स एंड फैट्स) और फल अप्रैल 2025 में दोहरे अंक की मुद्रास्फीति वाले एकमात्र दो आइटम थे। - लखनऊ। लखनऊ में शुक्रवार को वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने कहा कि भारत लगातार चौथे साल दुनिया की सबसे तेजी से बढ़ने वाली अर्थव्यवस्था बना हुआ है। उन्होंने लखनऊ में लक्ष्मीपत सिंहानिया-आईआईएम लखनऊ नेशनल लीडरशिप अवॉर्ड समारोह में यह बात कही। वित्त मंत्री ने बताया कि 2024-25 के लिए भारत की GDP ग्रोथ 6.5% रही, जिसमें जनवरी-मार्च तिमाही में 7.4% की शानदार बढ़ोतरी देखी गई। यह उपलब्धि छोटे, मझोले और बड़े उद्योगों, सेवा क्षेत्र और कृषि क्षेत्र के मजबूत योगदान की वजह से संभव हुई।सीतारमण ने कहा कि पहले कुछ लोग चिंता जता रहे थे कि उद्योगों में निवेश कम हो रहा है और उत्पादन क्षमता नहीं बढ़ रही। लेकिन चौथी तिमाही में मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर ने 4.8% की ग्रोथ दिखाई, जबकि सेवा और कृषि क्षेत्र ने 5.4% की बढ़ोतरी दर्ज की। उन्होंने बताया कि कोविड के मुश्किल समय में भी कृषि क्षेत्र ने अर्थव्यवस्था को सहारा दिया। छोटे-बड़े उद्योगों और सेवा क्षेत्र की मेहनत ने भारत को इस ऊंचाई पर पहुंचाया है।डिजिटल इंफ्रास्ट्रक्चर की सराहना दुनिया भर में: FMवित्त मंत्री ने भारत की डिजिटल ताकत की भी जमकर तारीफ की। उन्होंने कहा कि भारत का डिजिटल पब्लिक इंफ्रास्ट्रक्चर दुनिया भर में सराहा जा रहा है। यह इतना प्रभावी है कि देश के दूरदराज के इलाकों में रहने वाले लोग भी तकनीक को तेजी से अपना रहे हैं। सीतारमण ने कहा कि अब दुनिया भारत को सिर्फ एक बड़ा मध्यम वर्ग का बाजार नहीं मानती, बल्कि इनोवेशन और ग्लोबल लीडरशिप में भारत की बढ़ती भूमिका को स्वीकार करती है।उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की भ्रष्टाचार मुक्त भारत की सोच को भी इसका श्रेय दिया। सीतारमण ने कहा, “प्रधानमंत्री का विजन साफ है- भारत को स्वच्छ और भ्रष्टाचार से मुक्त करना है। इस दिशा में किए गए प्रयासों ने अर्थव्यवस्था को और मजबूत किया है।” वित्त मंत्री ने यह भी कहा कि भारत अब आत्मविश्वास के उस दौर में है, जहां अपनी क्षमताओं पर भरोसा करना जरूरी है। उन्होंने उद्योगों और जनता से इस गति को बनाए रखने की अपील की ताकि भारत वैश्विक मंच पर और मजबूत स्थिति हासिल कर सके।
- नयी दिल्ली. नींबू के स्वाद वाले शीतलपेय ब्रांड लिम्का ने वर्ष 2024 में 2,800 करोड़ रुपये के राजस्व का आंकड़ा पार कर लिया, जिसमें ग्रामीण और शहरी दोनों क्षेत्रों की अहम भूमिका रही। कोका-कोला इंडिया ने बुधवार को जारी बयान में कहा कि पांच दशक पुराने ब्रांड लिम्का ने 2024 के दौरान दिल्ली, पंजाब और हरियाणा जैसे प्रमुख राज्यों में मजबूत दहाई अंक में वृद्धि दर्ज की। वर्ष 1971 में अपनी स्थापना के बाद से ही लिम्का की मांग शहरी और ग्रामीण दोनों बाजारों में बढ़ती रही है। फिलहाल कोका-कोला के भारतीय उत्पादों में थम्स अप, स्प्राइट और माजा के रूप में तीन ऐसे ब्रांड हैं जो एक अरब डॉलर से अधिक के हैं। कोका-कोला ने 1993 में माजा, थम्स अप और लिम्का का अधिग्रहण किया था। कोका-कोला के भारत एवं दक्षिण-पश्चिम एशिया क्षेत्र के उपाध्यक्ष (फ्रेंचाइज़ परिचालन) विनय नायर ने कहा कि लिम्का की कहानी जुझारूपन, दोबारा नवाचार और उत्कृष्टता की खोज की है।
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नयी दिल्ली. बीसी जिंदल ग्रुप ने बुधवार को कहा कि उसे सोलर एनर्जी कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया (सेकी) की नीलामी में 150 मेगावाट क्षमता की नवीकरणीय ऊर्जा परियोजना मिली है। कंपनी ने बयान में कहा कि यह परियोजना सेकी की 24 घंटे उपलब्ध 1,200 मेगावाट की नवीकरणीय ऊर्जा परियोजना का हिस्सा है। इसके लिए निविदा पिछले साल नवंबर में जारी की गई थी। समूह ने 5.07 रुपये/किलोवाट प्रति घंटे की दर पर कुल क्षमता में से 150 मेगावाट हासिल किया है।
परियोजना के तहत, समूह अंतर-राज्यीय पारेषण प्रणाली(आईएसटीएस) से जुड़ी नवीकरणीय ऊर्जा परियोजनाएं स्थापित करेगा। इसमें पारेषण नेटवर्क का निर्माण और आईएसटीएस नेटवर्क के साथ इंटरकनेक्शन या डिलिवरी पॉइंट स्थापित करना शामिल होगा। अपनी रणनीतिक विकास योजना के अनुरूप, समूह की 2030 तक नवीकरणीय ऊर्जा क्षेत्र में 2.5 अरब डॉलर का निवेश करने की योजना है। समूह ओडिशा के अंगुल में 1,200 मेगावाट की ताप विद्युत उत्पादन इकाई संचालित करता है और अब नवीकरणीय ऊर्जा पर ध्यान दे रहा है। -
मुंबई. भारत के दुनिया की चौथी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बनने और यूरोपीय संघ पर लगाए गए अमेरिका के 50 प्रतिशत सीमा शुल्क को नौ जुलाई तक टालने से सोमवार को स्थानीय शेयर बाजारों में तेजी रही और सेंसेक्स 455 अंक चढ़ गया। नेशनल स्टॉक एक्सचेंज का निफ्टी भी 148 अंक की बढ़त में रहा। बीएसई का 30 शेयर पर आधारित मानक सूचकांक सेंसेक्स 455.37 अंक यानी 0.56 प्रतिशत चढ़कर 82,176.45 अंक पर बंद हुआ। कारोबार के दौरान एक समय यह 771.16 अंक चढ़कर 82,492.24 अंक पर पहुंच गया था। नेशनल स्टॉक एक्सचेंज (एनएसई) का मानक सूचकांक निफ्टी भी 148 अंक यानी 0.60 प्रतिशत चढ़कर 25,001.15 अंक पर बंद हुआ। यह शेयर बाजार में तेजी का लगातार दूसरा सत्र रहा। शुक्रवार को भी सेंसेक्स में 769.09 अंक और निफ्टी में 243.45 अंक की बढ़त दर्ज की गई थी। विशेषज्ञों ने कहा कि मानसून के समय से पहले आने और भारतीय रिजर्व बैंक की तरफ से सरकार को वित्त वर्ष 2024-25 के लिए रिकॉर्ड 2.69 लाख करोड़ रुपये का लाभांश देने की घोषणा ने भी बाजारों में सकारात्मक धारणा को बल दिया। सेंसेक्स की कंपनियों में से महिंद्रा एंड महिंद्रा के शेयरों में सर्वाधिक 2.17 प्रतिशत की तेजी रही। इसके अलावा एचसीएल टेक, टाटा मोटर्स, नेस्ले, आईटीसी, हिंदुस्तान यूनिलीवर, लार्सन एंड टुब्रो और टेक महिंद्रा भी बढ़त में रहीं। दूसरी तरफ, इटर्नल (पूर्व में जोमैटो), अल्ट्राटेक सीमेंट, पावर ग्रिड, टाटा स्टील और कोटक महिंद्रा बैंक के शेयर में गिरावट आई। इटर्नल में सर्वाधिक 4.51 प्रतिशत की गिरावट दर्ज की गई। जियोजीत इन्वेस्टमेंट लिमिटेड के शोध प्रमुख विनोद नायर ने कहा, ‘‘यूरोपीय संघ पर घोषित आक्रामक शुल्क की समयसीमा बढ़ाने पर विचार करने के अमेरिकी निर्णय के साथ डॉलर सूचकांक में गिरावट ने भी स्थानीय शेयर बाजारों में उछाल को गति दी।'' नायर ने कहा कि दक्षिण-पश्चिम मानसून के शुरुआती रुझान और घरेलू बॉन्ड प्रतिफल में गिरावट ने भी निवेशकों को जोखिम से भरी परिसंपत्तियों पर अपना ध्यान बनाए रखने के लिए प्रोत्साहित किया है। व्यापक बाजार में मझोली कंपनियों के बीएसई मिडकैप सूचकांक में 0.56 प्रतिशत और छोटी कंपनियों के स्मालकैप सूचकांक में 0.48 प्रतिशत की तेजी रही। बीएसई पर सूचीबद्ध कंपनियों में से 2,301 के शेयर में बढ़त दर्ज की गई जबकि 1,772 के शेयर में गिरावट रही और अन्य 194 कंपनियों के शेयर अपरिवर्तित रहे। मेहता इक्विटीज लिमिटेड में वरिष्ठ उपाध्यक्ष प्रशांत तापसे ने कहा, "घरेलू मानक सूचकांक यूरोपीय बाजारों में मजबूती और मिले-जुले एशियाई बाजारों से मिले समर्थन के दम पर अपने अहम मनोवैज्ञानिक स्तरों के ऊपर बंद हुए।" एशिया के अन्य बाजारों में दक्षिण कोरिया का कॉस्पी और जापान का निक्की 225 सूचकांक सकारात्मक रुख के साथ बंद हुए, जबकि चीन के शंघाई कम्पोजिट और हांगकांग के हैंग सेंग में गिरावट रही। यूरोप के बाजार दोपहर के सत्र में ऊंचे स्तर पर कारोबार कर रहे थे। अमेरिकी बाजार शुक्रवार को निचले स्तर पर बंद हुए थे। शेयर बाजार के आंकड़ों के मुताबिक, विदेशी संस्थागत निवेशकों (एफआईआई) ने शुक्रवार को 1,794.59 करोड़ रुपये मूल्य के शेयरों की शुद्ध खरीदारी की। वैश्विक तेल मानक ब्रेंट क्रूड 0.17 प्रतिशत बढ़कर 64.89 डॉलर प्रति बैरल पर पहुंच गया। बीएसई का 30 शेयर वाला सेंसेक्स शुक्रवार को 769.09 अंक की बढ़त के साथ 81,721.08 अंक पर और निफ्टी 243.45 अंक चढ़कर 24,853.15 अंक पर बंद हुआ था।
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नई दिल्ली। एचएसबीसी रिसर्च की रिपोर्ट में कहा गया है कि बचे हुए वर्ष के लिए महंगाई दर कम होने से भारत में परिवारों की वास्तविक क्रय शक्ति में सुधार होगा और कॉर्पोरेट्स के लिए इनपुट लागत कम होगी। सोमवार को जारी इस रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि कम स्पष्ट, लेकिन उतना ही महत्वपूर्ण लाभ ‘राजकोषीय वित्त’ के माध्यम से हो सकता है। शेष वर्ष को अगले छह महीनों के लिए लगभग 2.5 प्रतिशत की कम मुद्रास्फीति से समर्थन मिलने की संभावना है।
वहीं, सार्वजनिक अन्न भंडारों में स्टॉक होने और मानसून की बारिश अनुकूल होने की संभावना के साथ, खाद्य मुद्रास्फीति कम रहने की संभावना है।देश के लिए अपने 100 इंडीकेटर्स डेटाबेस को अपडेट करते हुए रिपोर्ट में कहा गया है कि कम कमोडिटी कीमतों, धीमी वृद्धि, मजबूत रुपया (अमेरिकी डॉलर के मुकाबले) और चीन से आयातित अवस्फीति के कारण कोर मुद्रास्फीति भी सीमित दायरे में रहने की संभावना है।ये संकेतक विभिन्न क्षेत्रों को दर्शाते हैं और विकास की एक विस्तृत तस्वीर पेश करते हैं। दरअसल, वित्त वर्ष 2025-26 के राजकोषीय घाटे के लक्ष्य पर बजट से कम नॉमिनल जीडीपी वृद्धि, प्रत्यक्ष कर उछाल और उच्च रक्षा व्यय से कुछ दबाव हैं।एचएसबीसी रिपोर्ट में कहा गया है, “हालांकि, कुछ ऑफसेटिंग कारक विशेष रूप से बजट से अधिक आरबीआई लाभांश (2.7 ट्रिलियन रुपए) भी मौजूद हैं। सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि सरकार के पास तेल उत्पाद शुल्क बढ़ाकर वैश्विक तेल कीमतों में गिरावट का कुछ हिस्सा अपने पास रखने का विकल्प है।”रिपोर्ट के अनुसार, “मुद्रास्फीति पहले से ही कम है। हमारा अनुमान है कि अगर सरकार पंप कीमतों को कम करने के बजाय ऑयल ‘बाउंटी’ का आधा हिस्सा रख लेती है, तो यह न केवल राजकोषीय घाटे के लक्ष्य को पूरा करेगा, बल्कि विकास समर्थन के लिए कुछ अतिरिक्त फंड भी उपलब्ध करवाएगा।”वित्त वर्ष 2025 की मार्च तिमाही पहले की तुलना में एक पायदान बेहतर रही, जिसमें पिछली दो तिमाहियों में 64 प्रतिशत और 61 प्रतिशत के मुकाबले 66 प्रतिशत संकेतक सकारात्मक रूप से बढ़े।अनौपचारिक क्षेत्र की खपत में सबसे ज्यादा बढ़ोतरी हुई, जिसे राज्य पूंजीगत व्यय (मार्च में) में वृद्धि, अच्छी सर्दियों की फसल, उच्च वास्तविक ग्रामीण मजदूरी और ग्रामीण व्यापार की बेहतर शर्तों से लाभ मिला। दूसरी ओर, शहरी खपत संकेतक, जैसे कि उपभोक्ता टिकाऊ वस्तुओं का उत्पादन और आयात, नरम रहे।रिपोर्ट में बताया गया है, “हमने अप्रैल के एक्टिविटी डेटा का एक तिहाई प्राप्त कर लिया है और 64 प्रतिशत संकेतक सकारात्मक रूप से बढ़ रहे हैं।” -
नयी दिल्ली. भारतीय रिजर्व बैंक के लगभग 2.7 लाख करोड़ रुपये के बंपर लाभांश से सरकार की राजकोषीय स्थिति बेहतर हो सकेगी और दुनिया की चौथी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था में वृद्धि को आगे बढ़ाने में मदद मिलेगी। एसबीआई के अर्थशास्त्रियों की रिपोर्ट में यह बात कही गई है।
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने 2025-26 के अपने बजट में भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) और सार्वजनिक क्षेत्र के वित्तीय संस्थानों से कुल मिलाकर 2.56 लाख करोड़ रुपये की लाभांश आय का अनुमान लगाया था। आरबीआई के लाभांश हस्तांतरण के बाद यह आंकड़ा अब बजट अनुमान से कहीं ऊंचा रहेगा।
एसबीआई रिसर्च के इकोरैप के ताजा संस्करण के अनुसार, ‘‘हमारा अनुमान है कि इससे राजकोषीय घाटा बजट के स्तर से 0.2 प्रतिशत कम होकर सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) का 4.2 प्रतिशत रहेगा। वैकल्पिक रूप से यह लगभग 70,000 करोड़ रुपये के अतिरिक्त खर्च का रास्ता खोलेगा, जबकि अन्य चीजों में कोई बदलाव नहीं होगा।'' आरबीआई ने वित्त वर्ष 2024-25 के लिए रिकॉर्ड 2.69 लाख करोड़ रुपये के लाभांश की घोषणा की है। यह पिछले वित्त वर्ष 2023-24 के 2.11 लाख करोड़ रुपये के लाभांश हस्तांतरण की तुलना में 27.4 प्रतिशत की वृद्धि है। यह आकस्मिक जोखिम बफर की सीमा में बदलाव के बाद हुआ है जिसे केंद्रीय बैंक छह प्रतिशत (प्लस या माइनस 1.5 प्रतिशत) तक बनाए रख सकता है। बफर को पहले 5.5 प्रतिशत और 6.5 प्रतिशत के बीच बनाए रखा गया था। रिपोर्ट कहती है कि यह अधिशेष भुगतान मजबूत सकल डॉलर की बिक्री, उच्च विदेशी मुद्रा लाभ और ब्याज आय में लगातार वृद्धि की वजह से है। उल्लेखनीय है कि जनवरी में आरबीआई एशिया के अन्य केंद्रीय बैंकों की तुलना में विदेशी मुद्रा भंडार का शीर्ष विक्रेता था। सितंबर, 2024 में, विदेशी मुद्रा भंडार 704 अरब अमेरिकी डॉलर के शिखर पर पहुंच गया था। रिपोर्ट में कहा गया है कि इसके बाद केंद्रीय बैंक ने मुद्रा को स्थिर करने के लिए ‘ट्रक भरकर डॉलर' बेचे थे।'' आरबीआई के लिए अधिशेष की स्थिति इसके एलएएफ (तरलता समायोजन की सुविधा) परिचालन और घरेलू और विदेशी प्रतिभूतियों की होल्डिंग से ब्याज आय द्वारा तय की गई थी। रिपोर्ट में कहा गया है कि चालू वित्त वर्ष में टिकाऊ नकदी की स्थिति अधिशेष में रहने की उम्मीद है। इसमें खुले बाजार परिचालन (ओएमओ) की खरीद, आरबीआई के लाभांश हस्तांतरण और 2025-26 में 25 से 30 अरब डॉलर के भुगतान संतुलन (बीओपी) अधिशेष से समर्थन मिलेगा। -
नई दिल्ली। केंद्र ने अप्रैल से जून तक चलने वाले 2025-26 रबी मार्केटिंग सीजन के दौरान अब तक 29.7 मिलियन टन (एमटी) से अधिक गेहूं की खरीद की है। आधिकारिक आंकड़ों के मुताबिक, 2021-22 सीजन के बाद से यह सबसे अधिक खरीद है।
इस साल गेहूं की खरीद पिछले साल की समान अवधि की तुलना में 13.5 प्रतिशत अधिक हैभारतीय खाद्य निगम (एफसीआई) द्वारा संकलित आंकड़ों के अनुसार, इस साल गेहूं की खरीद पिछले साल की समान अवधि की तुलना में 13.5 प्रतिशत अधिक है और अधिकांश प्रमुख उत्पादक राज्यों में खरीद पूरी होने के करीब है।सरकार ने मार्केटिंग वर्ष 2025-26 के लिए 312 लाख टन गेहूं खरीद का लक्ष्य रखा हैकेंद्रीय खाद्य एवं उपभोक्ता मामलों के मंत्री प्रल्हाद जोशी का मानना है कि इस साल रिकॉर्ड फसल के कारण गेहूं खरीद का अंतिम आंकड़ा 320-325 लाख टन तक पहुंच जाएगा। 2024-25 में कुल गेहूं खरीद 265.9 लाख टन रही। मंत्री ने कहा कि सरकार ने मार्केटिंग वर्ष 2025-26 के लिए 312 लाख टन गेहूं खरीद का लक्ष्य रखा गया है।आंकड़ों के अनुसार, लगभग 62,346.23 करोड़ रुपए का न्यूनतम समर्थन मूल्य भुगतान किया गया हैएफसीआई के आंकड़ों के अनुसार, गेहूं खरीद करने वाले सभी पांच प्रमुख राज्यों, पंजाब, हरियाणा, मध्य प्रदेश, राजस्थान और उत्तर प्रदेश ने पिछले साल की तुलना में चालू वर्ष में अधिक गेहूं खरीदा है। आंकड़ों के अनुसार, लगभग 62,346.23 करोड़ रुपए का न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) भुगतान किया गया है, जिससे 2.27 मिलियन किसानों को लाभ हुआ है।भारत का खाद्यान्न उत्पादन 2024-25 में 106 लाख टन से अधिक बढ़कर 1,663.91 लाख टन हो गया हैकेंद्रीय कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने सोमवार को घोषणा की थी कि भारत का खाद्यान्न उत्पादन 2024-25 में 106 लाख टन से अधिक बढ़कर 1,663.91 लाख टन हो गया है, जो पिछले वर्ष के इसी आंकड़े से 6.83 प्रतिशत अधिक है। चौहान ने हाल ही में प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा, “2023-24 में देश का कुल खाद्यान्न उत्पादन करीब 1,557.6 लाख टन था। मुझे आपको यह बताते हुए खुशी हो रही है कि 2024-25 में यह 1,663.91 लाख टन हो गया है।”2023-24 में रबी फसल का उत्पादन 1600.06 लाख टन था, जो अब बढ़कर 1645.27 लाख टन हो गया हैकेंद्रीय कृषि मंत्री ने कहा, “2023-24 में रबी फसल का उत्पादन 1600.06 लाख टन था, जो अब बढ़कर 1645.27 लाख टन हो गया है।” केंद्रीय मंत्री के अनुसार उनके मंत्रालय का विजन न केवल देश की खाद्यान्न जरूरत को पूरा करना है, बल्कि भारत को दुनिया की खाद्यान्न टोकरी बनाना भी है। -
नई दिल्ली। नीति आयोग के मुख्य कार्यकारी अधिकारी (सीईओ) बीवीआर सुब्रह्मण्यम ने कहा कि भारत जापान को पीछे छोड़कर दुनिया की चौथी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बन गया है और अब अगले 2.5 से 3 वर्षों में जर्मनी को हटाकर तीसरे स्थान पर पहुंच जाएगा। सुब्रह्मण्यम ने 10वीं नीति आयोग गवर्निंग काउंसिल मीटिंग की प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा, “मैं जब बोल रहा हूं, तब हम दुनिया की चौथी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था और 4 ट्रिलियन डॉलर की जीडीपी हैं और यह मेरा डेटा नहीं है। यह आईएमएफ का डेटा है। आज भारत जापान से भी बड़ी अर्थव्यवस्था है।”
अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष ने वर्ल्ड इकोनॉमिक आउटलुक अप्रैल 2025 में कहा था कि 2025 में भारत की नॉमिनल जीडीपी बढ़कर 4,187.017 अरब डॉलर हो जाएगीसुब्रह्मण्यम ने कहा, “केवल संयुक्त राज्य अमेरिका, चीन और जर्मनी ही हमसे बड़े हैं और जो योजना बनाई जा रही है, अगर हम उसी पर टिके रहते हैं, तो भारत अगले 2, 2.5 से 3 वर्षों में तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बन जाएगा।” अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ) ने वर्ल्ड इकोनॉमिक आउटलुक अप्रैल 2025 में कहा था कि 2025 में भारत की नॉमिनल जीडीपी बढ़कर 4,187.017 अरब डॉलर हो जाएगी। वहीं, जापान की जीडीपी का आकार 4,186.431 अरब डॉलर रहने का अनुमान है।2027 तक भारत की अर्थव्यवस्था 5 ट्रिलियन डॉलर के आंकड़े को पार कर सकती है और इस दौरान जीडीपी का आकार 5,069.47 अरब डॉलर रहने का अनुमान हैआईएमएफ के अनुमानों के अनुसार, आने वाले वर्षों में भारत जर्मनी को पछाड़कर दुनिया की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था भी बन सकता है। 2027 तक भारत की अर्थव्यवस्था 5 ट्रिलियन डॉलर के आंकड़े को पार कर सकती है और इस दौरान जीडीपी का आकार 5,069.47 अरब डॉलर रहने का अनुमान है। वहीं, 2028 तक भारत की जीडीपी का आकार 5,584.476 अरब डॉलर होगा, जबकि इस दौरान जर्मनी की जीडीपी का आकार 5,251.928 अरब डॉलर रहने का अनुमान है।आईएमएफ के मुताबिक, 2025 में अमेरिका 30,507.217 अरब डॉलर के आकार के साथ दुनिया की सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बना रहेगाआईएमएफ के मुताबिक, 2025 में अमेरिका 30,507.217 अरब डॉलर के आकार के साथ दुनिया की सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बना रहेगा। वहीं, चीन 19,231.705 अरब डॉलर के साथ दूसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था होगा। आईएमएफ की रिपोर्ट के अनुसार, अमेरिका की जीडीपी वृद्धि इस साल 1.8 प्रतिशत तक धीमी होने की उम्मीद है, जो 2026 1.7 प्रतिशत तक रह जाएगी।फ्रांस में इन दो वर्षों के लिए वृद्धि दर क्रमशः 0.6 प्रतिशत और 1 प्रतिशत रहने का अनुमान हैवहीं, यूरोप की वृद्धि दर 2025 में मात्र 0.8 प्रतिशत रहने का अनुमान है। हालांकि, 2026 में इसमें रिकवरी देखने को मिलेगी और यह 1.2 प्रतिशत पर पहुंच जाएगी। फ्रांस में इन दो वर्षों के लिए वृद्धि दर क्रमशः 0.6 प्रतिशत और 1 प्रतिशत रहने का अनुमान है।स्पेन से 2025 में अन्य देशों की तुलना में बेहतर प्रदर्शन करने की उम्मीद है, क्योंकि यह 2.5 प्रतिशत की वृद्धि दर दर्ज करने वाला एकमात्र यूरोपीय देश है। हालांकि, 2026 में इसके घटकर 1.8 प्रतिशत पर आ जाने की उम्मीद है। ब्रिटेन में इन दो वर्षों में क्रमशः 1.1 और 1.4 प्रतिशत की वृद्धि होने की उम्मीद है। -
नई दिल्ली। भारतीय रिजर्व बैंक के निदेशक मंडल ने वित्त वर्ष 2024-25 के लिए अधिशेष के रूप में दो लाख 68 हजार करोड़ रुपये से अधिक की राशि केंद्र सरकार को हस्तांरित करने की मंजूरी दे दी है। मुंबई में रिजर्व बैंक के गवर्नर संजय मल्होत्रा की अध्यक्षता में बोर्ड की बैठक में यह निर्णय लिया गया।
बोर्ड ने घरेलू और वैश्विक आर्थिक स्थिति की समीक्षा करते हुए वर्ष 2024-25 के लिए बैंक की वार्षिक रिपोर्ट और वित्तीय विवरणों को भी स्वीकृति दी। यह बैंक का सरकार को दिया गया अब तक का सबसे अधिक लाभांश हस्तांतरण है। इसका उद्देश्य वर्तमान आर्थिक चुनौतियों के बीच सरकारी वित्त को मजबूत करना है। -
नई दिल्ली। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने आज शुक्रवार को एप्पल के सीईओ टिम कुक को खुली चेतावनी दी है। उन्होंने अपने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ट्रूथ सोशल पर कहा कि अगर आईफोन का निर्माण अमेरिका के बाहर होता है, तो कम से कम 25 प्रतिशत टैरिफ का भुगतान करना पड़ेगा। अमेरिकी राष्ट्रपति ने एक पोस्ट में कहा, ”मैंने बहुत पहले ही एप्पल के टिम कुक को सूचित कर दिया था, मुझे उम्मीद है कि संयुक्त राज्य अमेरिका में बेचे जाने वाले उनके आईफोन का विनिर्माण अमेरिका में ही किया जाएगा, न कि भारत में या किसी अन्य स्थान पर।” ट्रंप ने आगे कहा कि अगर ऐसा नहीं होता है, तो एप्पल को अमेरिका को कम से कम 25 प्रतिशत टैरिफ का भुगतान करना होगा।
इससे पहले, अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने कहा था कि उन्होंने एप्पल के सीईओ टिम कुक से कहा है कि वे भारत में और अधिक मैन्युफैक्चरिंग प्लांट स्थापित करने की अपनी योजना को छोड़ दें और इसके बजाय अमेरिका में इन प्लांट के निर्माण पर ध्यान केंद्रित करें। कतर के दोहा में एक बैठक के दौरान ट्रंप ने कहा, “एप्पल संयुक्त राज्य अमेरिका में अपना उत्पादन बढ़ाएगा।” हाल के वर्षों में एप्पल की ग्लोबल सप्लाई चेन के लिए भारत एक प्रमुख केंद्र बन गया है।वहीं, भारत के केंद्रीय संचार मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया ने इस महीने की शुरुआत में कहा था कि एप्पल जैसी ग्लोबल टेक्नोलॉजी दिग्गज कंपनियों को बेहतर आर्थिक समझ है, क्योंकि वे अपनी इस समझदारी को भारत में मैन्युफैक्चरिंग प्लांट स्थापित करने की योजना के साथ दिखा रही हैं। केंद्रीय मंत्री ने कहा, “एप्पल ने आने वाले वर्षों में अपने सभी मोबाइल फोन भारत में ही खरीदने और बनाने का फैसला किया है, क्योंकि जब आप भारत में निवेश करते हैं, तो आप वहन करने की क्षमता, विश्वसनीयता और मौलिकता चुन रहे होते हैं।” -
नई दिल्ली। भारतीय शेयर बाजार शुक्रवार के कारोबारी सत्र में हरे निशान में बंद हुआ। बाजार में चौतरफा खरीदारी देखने को मिली। कारोबार के अंत में सेंसेक्स 769.09 अंक या 0.95 प्रतिशत की तेजी के साथ 81,721.08 और निफ्टी 243.45 अंक या 0.99 प्रतिशत बढ़कर 24,853.15 पर बंद हुआ।
लार्जकैप के साथ मिडकैप और स्मॉलकैप में खरीदारी देखने को मिलीलार्जकैप के साथ मिडकैप और स्मॉलकैप में खरीदारी देखने को मिली। निफ्टी मिडकैप 100 इंडेक्स 362.90 अंक या 0.64 प्रतिशत की तेजी के साथ 56,687.75 और निफ्टी स्मॉलकैप 100 इंडेक्स 140.25 अंक या 0.80 प्रतिशत की बढ़त के साथ 17,643.35 पर था।आईटी, पीएसयू बैंक, एफएमसीजी, मेटल, रियल्टी, मीडिया, एनर्जी, और इन्फ्रा इंडेक्स हरे निशान में बंद हुएसेक्टोरल आधार पर ऑटो, आईटी, पीएसयू बैंक, एफएमसीजी, मेटल, रियल्टी, मीडिया, एनर्जी, और इन्फ्रा इंडेक्स हरे निशान में बंद हुए। बाजार में तेजी की वजह मजबूत घरेलू अर्थव्यवस्था को माना जा रहा है, जिसके कारण निवेशकों का सेंटीमेंट सकारात्मक बना हुआ है।बीएसई बेंचमार्क में सनफार्मा ही लाल निशान में बंद हुआजियोजित फाइनेंशियल सर्विसेज, रिसर्च हेड, विनोद नायर ने कहा कि अमेरिका और भारत में ट्रेड को लेकर बातचीत और मजबूत घरेलू अर्थव्यवस्था से निवेशकों का रुझान सकारात्मक है। सेंसेक्स पैक में इटरनल (जोमैटो), पावर ग्रिड, आईटीसी, नेस्ले, बजाज फाइनेंस, एक्सिस बैंक, अदाणी पोर्ट्स, कोटक महिंद्रा, एलएंडटी, एचयूएच, बजाज फाइनेंस, टाइटन, एशियन पेंट्स और भारती एयरटेल गेनर्स थे। बीएसई बेंचमार्क में सनफार्मा ही लाल निशान में बंद हुआ।एलकेपी सिक्योरिटीज के वरिष्ठ तकनीकी विश्लेषक, रूपक डे ने कहा कि निफ्टी 21 दिनों के ईएमए से सपोर्ट लेने के बाद फिर से ऊपर निकल गया है और 24,700 से लेकर 25,000 के कंसोलिडेशन के जोन में है। अगर इन स्तरों से ब्रेकआउट होता है तो 25,250 से 25,350 का जोन देखने को मिल सकता है।भारतीय शेयर बाजार की शुरुआत आज तेजी के साथ हुई थीउन्होंने आगे कहा कि अगर 24,700 के स्तर टूटते हैं तो गिरावट और बढ़ सकती है। भारतीय शेयर बाजार की शुरुआत तेजी के साथ हुई थी। सुबह करीब 9.29 बजे, सेंसेक्स 281.75 अंक या 0.35 प्रतिशत बढ़कर 81,233.74 पर कारोबार कर रहा था, जबकि निफ्टी 109.75 अंक या 0.45 प्रतिशत बढ़कर 24,719.45 पर कारोबार कर रहा था।विदेशी संस्थागत निवेशक (एफआईआई) शुद्ध विक्रेता थे क्योंकि उन्होंने 22 मई को 5,045.36 करोड़ रुपए की इक्विटी बेची, जबकि घरेलू संस्थागत निवेशकों (डीआईआई) ने 3,715.00 करोड़ रुपए की इक्विटी खरीदी। -
नई दिल्ली। वित्त वर्ष 2025 में घरेलू हवाई यात्रियों की संख्या का आंकड़ा 16.54 करोड़ तक पहुंच गया, जो कि सालाना आधार पर 7.6 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज करता है। यह आंकड़ा कोविड-पूर्व स्तर (वित्त वर्ष 2020) के लगभग 14.15 करोड़ से 16.8 प्रतिशत अधिक है।
वित्त वर्ष 2025 में भारतीय वाहकों के लिए अंतरराष्ट्रीय यात्रियों की संख्या 3.38 करोड़ रहीरेटिंग एजेंसी आईसीआरए की एक रिपोर्ट के अनुसार, वित्त वर्ष 2025 में भारतीय वाहकों के लिए अंतरराष्ट्रीय यात्रियों की संख्या 3.38 करोड़ रही, जो कि सालाना आधार पर 14.1 प्रतिशत की वृद्धि है और कोविड-पूर्व स्तर के 2.27 करोड़ से 49 प्रतिशत अधिक है।घरेलू यात्रियों की संख्या अकेले अप्रैल 2025 में 1.45 करोड़ होने का अनुमान था, जो अप्रैल 2024 की तुलना में 10.2 प्रतिशत अधिक थाघरेलू यात्रियों की संख्या अकेले अप्रैल 2025 में 1.45 करोड़ होने का अनुमान था, जो अप्रैल 2024 की तुलना में 10.2 प्रतिशत अधिक था। एयरलाइंस ने भी अप्रैल 2025 में अपनी कैपेसिटी डिप्लॉयमेंट में पिछले साल के इसी महीने की तुलना में 6.9 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज की।वित्त वर्ष 2025 में 86 प्रतिशत का बेहतर पैसेंजर लोड फैक्टर दर्ज किया, जो एयरलाइनों में मजबूत मांग और कुशल संचालन को दर्शाता हैघरेलू विमानन उद्योग ने वित्त वर्ष 2025 में 86 प्रतिशत का बेहतर पैसेंजर लोड फैक्टर (पीएलएफ) दर्ज किया, जो एयरलाइनों में मजबूत मांग और कुशल संचालन को दर्शाता है। वित्त वर्ष 2025 के दौरान 23 फरवरी को एक दिन में हवाई सफर करने वाले सबसे ज्यादा घरेलू हवाई यात्रियों की संख्या दर्ज की गई। इस दिन देश भर में 5,35,343 यात्रियों ने उड़ान भरी, जो कि प्रयागराज में महाकुंभ कार्यक्रम से जुड़ी यात्रा थी।वित्त वर्ष 2026 में घरेलू यात्रियों की संख्या में 7-10 प्रतिशत की वृद्धि होने की उम्मीद है और अंतरराष्ट्रीय यात्रियों की संख्या में 15-20 प्रतिशत की वृद्धि हो सकती हैआईसीआरए ने भारतीय विमानन उद्योग के लिए ‘स्थिर’ दृष्टिकोण बनाए रखा है।रिपोर्ट के अनुसार, वित्त वर्ष 2026 में घरेलू यात्रियों की संख्या में 7-10 प्रतिशत की वृद्धि होने की उम्मीद है और अंतरराष्ट्रीय यात्रियों की संख्या में 15-20 प्रतिशत की वृद्धि हो सकती है।आईसीआरए की पिछली रिपोर्ट के अनुसार, मार्च में घरेलू हवाई यात्रियों की संख्या 148.8 लाख अनुमानित थी, जो वार्षिक आधार पर 11.3 प्रतिशत की वृद्धि को दर्शाता हैरिपोर्ट के अनुसार, कुछ एयरलाइनों के पास पर्याप्त नकदी है या वे अपनी मजबूत पैरेंट कंपनी से फाइनेंशियल सपोर्ट पा रहे हैं। जबकि, कुछ दूसरी एयरलाइनों के क्रेडिट मेट्रिक्स और लिक्विडिटी प्रोफाइल में पिछले कुछ वर्षों में कुछ सुधार के बावजूद निकट भविष्य में बाधा बनी रहेगी। इस बीच, आईसीआरए की पिछली रिपोर्ट के अनुसार, मार्च में घरेलू हवाई यात्रियों की संख्या 148.8 लाख अनुमानित थी, जो वार्षिक आधार पर 11.3 प्रतिशत की वृद्धि तथा फरवरी 2025 में 140.4 लाख की तुलना में 5.9 प्रतिशत की वृद्धि दर्शाता है। -
नई दिल्ली। क्रेडिट रेटिंग एजेंसी CareEdge Ratings की नई रिपोर्ट ‘The Economic Meter and GDP Preview for Q4FY25’ के मुताबिक वित्त वर्ष 2024-25 की चौथी तिमाही (Q4) में भारत की आर्थिक वृद्धि दर 6.8% रहने का अनुमान है। इसके साथ ही पूरे वित्त वर्ष 2024-25 (FY25) के लिए देश की औसत GDP ग्रोथ 6.3% बने रहने की संभावना है। यह अनुमान कृषि, होटल, परिवहन और निर्माण जैसे क्षेत्रों में तेज गति से हो रही गतिविधियों पर आधारित है, जो देश की आर्थिक स्थिति को मजबूत करने में योगदान दे रहे हैं।
रिपोर्ट में कहा गया है कि कुल खपत यानी उपभोक्ता मांग में सुधार जारी रहेगा, खासकर ग्रामीण मांग में मजबूती से खपत को सहारा मिलेगा, जबकि शहरी मांग की स्थिति मिश्रित है और उस पर नजर रखना जरूरी है। रिपोर्ट में यह भी बताया गया है कि तीसरी तिमाही (Q3) के अंत में केंद्र सरकार द्वारा किए गए मजबूत पूंजीगत व्यय (Capex) से Q4 में निवेश को बल मिलने की उम्मीद है। भविष्य की ओर देखते हुए, रिपोर्ट में कहा गया है कि ग्रामीण आय में सुधार, करों में राहत, संभावित ब्याज दर कटौती, घटती महंगाई और अच्छे मानसून की उम्मीदों से आर्थिक गतिविधियों को रफ्तार मिलेगी। हालांकि, वैश्विक स्तर की अनिश्चितताएं भारत की अर्थव्यवस्था के लिए एक चुनौती बनी रहेंगी। रिपोर्ट में वित्त वर्ष 2025-26 (FY26) के लिए GDP ग्रोथ का अनुमान 6.2% लगाया गया है।वहीं कृषि क्षेत्र में मजबूती बनी हुई है। रबी फसलों की बुआई पिछले वर्ष की तुलना में इस वर्ष 2% अधिक रही। इसके साथ ही, Q4 के दौरान ट्रैक्टरों की घरेलू बिक्री में साल-दर-साल (YoY) 23.4% की तेज वृद्धि हुई, जो Q3 की 13.5% की वृद्धि से बेहतर है। खाद की बिक्री में भी जनवरी-फरवरी 2025 में 5.4% की वृद्धि दर्ज की गई, जबकि Q3 में यह केवल 0.4% रही थी। परिवहन और खनन जैसे क्षेत्रों में भी तेजी देखी गई। Q4 में घरेलू हवाई यात्री संख्या में 12% की सालाना वृद्धि हुई, जो Q3 के 11.4% से अधिक है। औद्योगिक उत्पादन सूचकांक (IIP) के अंतर्गत खनन क्षेत्र में Q4 के दौरान 2.1% की वृद्धि दर्ज की गई, जबकि Q3 में यह 1.8% थी।हालांकि, कुछ चुनौतियां भी बनी हुई हैं। केंद्र सरकार का पूंजीगत व्यय जनवरी-फरवरी 2025 में 4% घटा, लेकिन Q3 के अंत में हुए भारी खर्च का असर Q4 में निर्माण क्षेत्र पर सकारात्मक रूप में देखने को मिलेगा, क्योंकि इसके परिणाम कुछ देरी से सामने आते हैं। IIP के तहत इंफ्रास्ट्रक्चर और निर्माण से जुड़ी वस्तुओं की श्रेणी में Q4 के दौरान 7.6% की वृद्धि देखी गई, जो Q3 के 7% से अधिक है।वहीं दूसरी ओर, कुछ क्षेत्रों में गिरावट भी दर्ज की गई है। राष्ट्रीय राजमार्गों के निर्माण में Q4 के दौरान 8.4% की कमी आई है, जबकि बिटुमिन की खपत में 3.8% की गिरावट देखी गई है। रिपोर्ट के अनुसार, यदि घरेलू खपत में निरंतर सुधार होता है और कॉरपोरेट सेक्टर भी निवेश बढ़ाता है, तो आने वाले वर्षों में भारत की आर्थिक वृद्धि और तेज हो सकती है। हालांकि, इसके लिए घरेलू स्थिरता के साथ-साथ वैश्विक आर्थिक परिस्थितियों पर भी नजर रखना जरूरी है।- -
नई दिल्ली। भारतीय शेयर बाजार शुक्रवार को मिश्रित वैश्विक संकेतों के बीच बढ़त के साथ खुले। शुरुआती कारोबार में एफएमसीजी, आईटी और ऑटो सेक्टर में खरीदारी देखी गई। सुबह करीब 9.29 बजे, सेंसेक्स 281.75 अंक या 0.35 प्रतिशत बढ़कर 81,233.74 पर कारोबार कर रहा था, जबकि निफ्टी 109.75 अंक या 0.45 प्रतिशत बढ़कर 24,719.45 पर कारोबार कर रहा था।
निफ्टी बैंक 69.85 अंक या 0.13 प्रतिशत बढ़कर 55,011.15 पर थानिफ्टी बैंक 69.85 अंक या 0.13 प्रतिशत बढ़कर 55,011.15 पर था। निफ्टी मिडकैप 100 इंडेक्स 258.10 अंक या 0.46 प्रतिशत जोड़कर 56,582.95 पर कारोबार कर रहा था। निफ्टी स्मॉलकैप 100 इंडेक्स 58.30 अंक या 0.33 प्रतिशत चढ़कर 17,561.40 पर था।भारत की अर्थव्यवस्था के मैक्रोइकॉनॉमिक्स संकेतक मजबूतविश्लेषकों के अनुसार, बाजार के दृष्टिकोण से अच्छी बात यह है कि भारत की अर्थव्यवस्था के मैक्रोइकॉनॉमिक्स संकेतक मजबूत हैं। सेंसेक्स पैक में, आईटीसी, अदाणी पोर्ट्स, इंफोसिस, पावरग्रिड, टेक महिंद्रा, टाटा स्टील, एसबीआई, एचसीएल टेक, अल्ट्राटेक सीमेंट, टाटा मोटर्स और इटरनल टॉप गेनर्स थे। जबकि, सन फार्मा, एमएंडएम, एनटीपीसी, बजाज फाइनेंस, भारती एयरटेल, मारुति सुजुकी और आईसीआईसीआई बैंक टॉप लूजर्स थे।एशियाई बाजारों में, चीन, हांगकांग, बैंकॉक, सोल, जकार्ता और जापान हरे निशान में कारोबार कर रहे थेएशियाई बाजारों में, चीन, हांगकांग, बैंकॉक, सोल, जकार्ता और जापान हरे निशान में कारोबार कर रहे थे। अमेरिकी बाजारों में पिछले कारोबारी सत्र में डॉव जोन्स 1.35 अंक या 0.00 प्रतिशत की गिरावट के साथ 41,859.09 पर बंद हुआ। एसएंडपी 500 इंडेक्स 2.60 अंक या 0.04 प्रतिशत की गिरावट के साथ 5,842.01 पर बंद हुआ और नैस्डैक 53.09 अंक या 0.28 प्रतिशत की बढ़त के साथ 18,925.74 पर बंद हुआ।अस्थिर सत्र के बाद गुरुवार को अमेरिकी शेयर बाजार मिश्रित रूप से बंद हुएविशेषज्ञों ने कहा, “अस्थिर सत्र के बाद गुरुवार को अमेरिकी शेयर बाजार मिश्रित रूप से बंद हुए, जिसमें प्रमुख सूचकांक शुरुआती नुकसान को खत्म करने में सफल रहे क्योंकि अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रंप के कर और व्यय विधेयक को सदन ने बहुत कम अंतर से पारित कर दिया और इसके बाद ट्रेजरी यील्ड हाल के उच्च स्तर से कुछ पीछे हट गए।”आईसीआईसीआई बैंक, भारती एयरटेल और इंटरग्लोब एविएशन जैसे बड़े प्लेयर्स के शेयर की कीमतों में मजबूतीसंस्थागत मोर्चे पर, विदेशी संस्थागत निवेशक (एफआईआई) शुद्ध विक्रेता थे क्योंकि उन्होंने 22 मई को 5,045.36 करोड़ रुपए की इक्विटी बेची, जबकि घरेलू संस्थागत निवेशकों (डीआईआई) ने 3,715.00 करोड़ रुपए की इक्विटी खरीदी।जियोजित इन्वेस्टमेंट्स लिमिटेड के मुख्य निवेश रणनीतिकार डॉ. वीके विजय कुमार ने कहा, “यहां तक कि जब बाजार कमजोर होता है, तब भी फाइनेंशियल, टेलीकॉम, विमानन आदि जैसे घरेलू मांग आधारित क्षेत्र मजबूत होते हैं। यह इन क्षेत्रों में आईसीआईसीआई बैंक, भारती एयरटेल और इंटरग्लोब एविएशन जैसे बड़े प्लेयर्स के शेयर की कीमतों में मजबूती से दिखाई देता है। बाजार से यह संदेश महत्वपूर्ण है।