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नई दिल्ली। भारत से अमेरिका में आयात पर 50 प्रतिशत शुल्क आज बुधवार से लागू हो गया है। यह अमेरिकी सीमा शुल्क एवं सीमा सुरक्षा (CBP) द्वारा प्रकाशित मसौदा नोटिस के बाद आया है, जिसमें कहा गया था कि यह आदेश 27 अगस्त से लागू होगा।
नोटिस के अनुसार, एडिशनल ड्यूटी राष्ट्रपति ट्रंप के 6 अगस्त, 2025 के कार्यकारी आदेश 14329 को प्रभावी करने के लिए लगाए जा रहे हैं, जिसका शीर्षक है “रूसी संघ की सरकार द्वारा संयुक्त राज्य अमेरिका के लिए खतरों को संबोधित करना।” इस आदेश में भारत से आयातित वस्तुओं पर शुल्क की नई दरें तय की गई हैं। यह कदम अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप द्वारा भारतीय वस्तुओं पर शुल्क बढ़ाकर 50 प्रतिशत करने की घोषणा के बाद उठाया गया है।सीबीपी ने कहा कि होमलैंड सुरक्षा सचिव ने कार्यकारी आदेश के अनुरूप संयुक्त राज्य अमेरिका के सामंजस्यपूर्ण टैरिफ अनुसूची (एचटीएसयूएस) को संशोधित करना आवश्यक समझा है। उच्च शुल्क उन सभी भारतीय उत्पादों पर लागू होते हैं, जिन्हें या तो अमेरिका में उपभोग के लिए लाया जाता है या फिर उपभोग के लिए गोदामों से वापस ले लिया जाता है। इसके साथ ही, अमेरिका में भारत के आयात पर 50 % टैरिफ अब प्रभावी हो गया है।इससे पहले 30 जुलाई को अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रंप ने भारत पर 25 प्रतिशत अतिरिक्त टैरिफ लगाने की घोषणा की थी। ट्रंप ने ट्रुथ सोशल पर एक पोस्ट में कहा, “याद रखें, भारत हमारा मित्र है, लेकिन हमने पिछले कुछ वर्षों में उनके साथ अपेक्षाकृत कम व्यापार किया है, क्योंकि उनके टैरिफ बहुत अधिक हैं, जो विश्व में सबसे अधिक हैं, तथा उनके पास किसी भी देश की तुलना में सबसे कठोर और अप्रिय गैर-मौद्रिक व्यापार बाधाएं हैं।”इसके अलावा, उन्होंने हमेशा अपने सैन्य उपकरणों का एक बड़ा हिस्सा रूस से खरीदा है, और चीन के साथ वे रूस के सबसे बड़े ऊर्जा खरीदार हैं, ऐसे समय में जब हर कोई चाहता है कि रूस यूक्रेन में हत्याओं को रोके – सब कुछ ठीक नहीं है! इसलिए भारत को 1 अगस्त से 25 प्रतिशत टैरिफ और उपरोक्त के लिए जुर्माना देना होगा। अमेरिकी राष्ट्रपति ने कहा, “इस मामले पर ध्यान देने के लिए धन्यवाद। मैगा !”वहीं, भारतीय प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने सोमवार को भारतीय वस्तुओं पर 50 प्रतिशत अमेरिकी टैरिफ लागू होने के बावजूद अपना रुख दृढ़ रखा और कहा कि उनकी सरकार वाशिंगटन के आर्थिक दबाव की परवाह किए बिना कोई रास्ता निकाल लेगी। चाहे कितना भी दबाव आए, हम उसे झेलने के लिए अपनी ताकत बढ़ाते रहेंगे। आज आत्मनिर्भर भारत अभियान को गुजरात से बहुत ऊर्जा मिल रही है और इसके पीछे दो दशकों की कड़ी मेहनत है।”पीएम मोदी ने सोमवार को अहमदाबाद में एक जनसभा को संबोधित करते हुए कहा। अमेरिकी सीमा शुल्क अधिसूचना में यह भी रेखांकित किया गया है कि भारत से आने वाले अधिकांश उत्पादों पर उच्च शुल्क के साथ-साथ एंटी-डंपिंग या प्रतिकारी शुल्क जैसे अन्य लागू शुल्क भी लगेंगे, तथापि कुछ वस्तुओं को इससे बाहर रखा गया है।यह अमेरिकी टैरिफ अनुसूची में अलग से सूचीबद्ध कुछ उत्पादों पर लागू होता है। लोहे और इस्पात से बनी वस्तुओं, जिनमें उनके कुछ व्युत्पन्न उत्पाद भी शामिल हैं, पर अतिरिक्त शुल्क नहीं लगेगा। यही बात एल्युमीनियम उत्पादों और उनके उत्पादित प्रोडक्ट्स पर भी लागू होती है। संक्षेप में, 50 प्रतिशत टैरिफ मोटे तौर पर भारतीय आयात पर लागू होता है, लेकिन लोहा, इस्पात, एल्युमीनियम, वाहन, पुर्जे और तांबे के उत्पादों जैसी प्रमुख श्रेणियों को इसके दायरे से बाहर रखा गया है।ग्लोबल ट्रेड रिसर्च इनिशिएटिव (जीटीआरआई) की एक रिपोर्ट के अनुसार, भारत से अमेरिका को होने वाले निर्यात का लगभग 30.2 प्रतिशत, जिसका मूल्य 27.6 बिलियन अमेरिकी डॉलर है, उच्च टैरिफ लगाए जाने के बावजूद अमेरिकी बाजार में शुल्क मुक्त प्रवेश करता रहेगा। इसमें फार्मा, इलेक्ट्रॉनिक्स, रिफाइंड लाइट ऑयल, गैसोलीन, विमानन टरबाइन ईंधन और अन्य शामिल हैं।फार्मास्यूटिकल्स का हिस्सा सबसे बड़ा है, जो 12.7 बिलियन अमेरिकी डॉलर है, जिसमें कैंसर की दवाएं, प्रतिरक्षा दमनकारी, हृदय संबंधी, मधुमेह विरोधी और दर्द निवारक दवाएं सहित दवाओं की एक विस्तृत श्रृंखला शामिल है। वहीं, 8.18 बिलियन अमेरिकी डॉलर मूल्य के इलेक्ट्रॉनिक्स निर्यात, जैसे स्मार्टफोन, स्विचिंग और रूटिंग उपकरण, एकीकृत सर्किट, चिप्स, वेफर्स और सॉलिड-स्टेट स्टोरेज डिवाइस को भी छूट दी गई है।अन्य शुल्क-मुक्त श्रेणियों में 3.29 बिलियन अमेरिकी डॉलर मूल्य के रिफाइंड लाइट ऑयल, गैसोलीन और विमानन टरबाइन ईंधन, 165.9 मिलियन अमेरिकी डॉलर मूल्य की पुस्तकें और ब्रोशर, तथा 155.1 मिलियन अमेरिकी डॉलर मूल्य के प्लास्टिक शामिल हैं। जहां कुछ व्यापार और उद्योग जगत के नेताओं ने अल्पकालिक व्यवधानों की चेतावनी दी, वहीं अन्य ने विश्वास व्यक्त किया कि भारत का मजबूत विनिर्माण आधार, विशेष रूप से फार्मास्यूटिकल्स और चिकित्सा उपकरण जैसे क्षेत्रों में, उसे इस प्रभाव का सामना करने और नई व्यापार साझेदारियां बनाने में मदद करेगा। -
नयी दिल्ली. सार्वजनिक क्षेत्र की इस्पात कंपनी स्टील अथॉरिटी ऑफ इंडिया लि. (सेल) ने भारतीय नौसेना के दो नए युद्धपोत आईएनएस उदयगिरि और आईएनएस हिमगिरि के लिए लगभग 8,000 टन विशेष इस्पात की आपूर्ति की है। रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह की मौजूदगी में इन दोनों जहाजों को आज, 26 अगस्त, 2025 को विशाखापत्तनम में आयोजित एक समारोह के दौरान नौसेना में शामिल किया गया। सेल ने भारतीय नौसेना के इन दोनों उन्नत युद्धपोत के निर्माण में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है।
कंपनी ने अपने बोकारो, भिलाई और राउरकेला इस्पात संयंत्र से खास किस्म की इस्पात की चादरें और प्लेट्स बनाईं तथा उन्हें मझगांव डॉक शिपबिल्डर्स लिमिटेड (एमडीएल) और गार्डन रीच शिपबिल्डर्स एंड इंजीनियर्स लिमिटेड (जीआरएसई) को दिया। रक्षा क्षेत्र के लिए देश को जिस विशेष इस्पात की ज़रूरत होती है, उसे बनाने में सेल ने बड़ी मदद की है। इससे भारत की दूसरे देशों पर निर्भरता कम हुई है। यह कदम सीधे तौर पर 'आत्मनिर्भर भारत' और 'मेक इन इंडिया' जैसी सरकारी योजनाओं से जुड़ा है। अकेले राउरकेला इस्पात संयंत्र ने टैंक, युद्धपोत और मिसाइल के लिए एक लाख टन से ज़्यादा विशेष इस्पात दिया है। -
नयी दिल्ली. कमजोर रुपये और मजबूत वैश्विक रुझानों के समर्थन से मंगलवार को राष्ट्रीय राजधानी के सर्राफा बाजार में सोने की कीमत 600 रुपये बढ़कर 1,00,770 रुपये प्रति 10 ग्राम हो गई। अखिल भारतीय सर्राफा संघ ने यह जानकारी दी। 99.9 प्रतिशत शुद्धता वाले सोने की कीमत सोमवार को 1,00,170 रुपये प्रति 10 ग्राम पर बंद हुई थी।
99.5 प्रतिशत शुद्धता वाला सोना 500 रुपये बढ़कर 1,00,400 रुपये प्रति 10 ग्राम (सभी करों सहित) हो गया, जो पिछली बार 99,900 रुपये प्रति 10 ग्राम पर बंद हुआ था। चांदी की कीमतें 3,000 रुपये बढ़कर 1,18,000 रुपये प्रति किलोग्राम (सभी करों सहित) के सर्वकालिक उच्च स्तर पर पहुंच गईं। सर्राफा एसोसिएशन के अनुसार, सोमवार को चांदी की कीमत 1,15,000 रुपये प्रति किलोग्राम पर बंद हुई थी। एचडीएफसी सिक्योरिटीज के वरिष्ठ विश्लेषक (कमोडिटीज) सौमिल गांधी ने कहा, ‘‘अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप द्वारा फेडरल रिजर्व की गवर्नर लिसा कुक को हटाने के फैसले के बाद निवेशकों द्वारा पारंपरिक सुरक्षित निवेश की तलाश के कारण मंगलवार को सोने की कीमतों में तेजी आई। इस फैसले के कारण केंद्रीय बैंक की स्वतंत्रता को लेकर चिंताएं बढ़ गई थीं।'' गांधी ने आगे कहा कि राष्ट्रपति ट्रंप के इस कदम ने फेडरल रिजर्व के नेतृत्व पर ब्याज दरों को जल्द कम करने का अतिरिक्त दबाव डाला है। वैश्विक स्तर पर, न्यूयॉर्क में हाजिर सोना 0.37 प्रतिशत बढ़कर 3,378.37 डॉलर प्रति औंस पर कारोबार कर रहा है। हालांकि, हाजिर चांदी 0.21 प्रतिशत गिरकर 38.48 डॉलर प्रति औंस रह गई। -
हंसलपुर (गुजरात). जापान की वाहन विनिर्माता कंपनी सुजुकी मोटर कॉरपोरेशन के प्रतिनिधि निदेशक एवं अध्यक्ष तोशीहिरो सुजुकी ने मंगलवार को कहा कि देश में अपने परिचालन को मजबूत करने के लिए अगले पांच से छह साल में कंपनी 70,000 करोड़ रुपये का निवेश करेगी। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने गुजरात के हंसलपुर विनिर्माण संयंत्र से मारुति सुजुकी के पहले इलेक्ट्रिक वाहन ई-विटारा को मंगलवार को हरी झंडी दिखाकर रवाना किया। भारत में बनी मारुति ई-विटारा का जापान सहित 100 से अधिक देशों में निर्यात किया जाएगा। मोदी ने सुजुकी, तोशिबा और डेंसो के लिथियम-आयन बैटरी विनिर्माण संयंत्र का भी उद्घाटन किया जो हाइब्रिड और इलेक्ट्रिक वाहन बैटरी उत्पादन में सहायक होगा। इस अवसर पर तोशीहिरो सुजुकी ने कहा, ‘‘ सुजुकी अगले पांच से छह वर्ष में भारत में 70,000 करोड़ रुपये से अधिक का निवेश करेगी। '' उन्होंने कहा, ‘‘ सुजुकी ने चार दशक से भी अधिक समय से भारत की परिवहन यात्रा में गर्व से भागीदारी की है। हम भारत के सतत हरित परिवहन के दृष्टिकोण का समर्थन करने और विकसित भारत में योगदान देने के लिए प्रतिबद्ध हैं।'' मारुति सुजुकी इंडिया के चेयरमैन आर. सी. भार्गव ने बाद में पत्रकारों के साथ बातचीत में कहा कि यह निवेश कंपनी के सालाना 40 लाख इकाई उत्पादन के लक्ष्य को पूरा करने के लिए किया जाएगा। प्रस्तावित निवेश क्षेत्रों के बारे में पूछे जाने पर भार्गव ने कहा, ‘‘ हम 40 लाख इकाई प्रति वर्ष तक विस्तार कर रहे हैं। अतः 40 लाख इकाई क्षमता का विस्तार, सभी सहायक बुनियादी ढांचे और अनुसंधान एवं विकास तथा नई प्रौद्योगिकियों में निवेश के साथ....इन सभी के लिए काफी धन की जरूरत होगी।'' गुजरात में स्थापित होने वाले दूसरे संयंत्र को अंतिम रूप दिए जाने के बारे में पूछे जाने पर भार्गव ने कहा, ‘‘ मुझे उम्मीद है कि हम जीएसटी परिषद की बैठक (4 सितंबर को) के बाद इस प्रश्न का अधिक स्पष्ट रूप से उत्तर दे पाएंगे क्योंकि उसके बाद हर कोई यह अनुमान लगाएगा कि जीएसटी संबंधी निर्णयों का भविष्य की वृद्धि पर क्या प्रभाव पड़ने वाला है।'' कंपनी के इस दूसरे संयंत्र की घोषणा पिछले साल 35,000 करोड़ रुपये के निवेश के साथ की गई थी।
सुजुकी समूह पहले ही भारत में एक लाख करोड़ रुपये से अधिक का निवेश कर चुका है। इन निवेश से मूल्य श्रृंखला में 11 लाख से अधिक प्रत्यक्ष रोजगार के अवसर भी उत्पन्न हुए हैं। मारुति सुजुकी इंडिया की इकाई सुजुकी मोटर गुजरात (एसएमजी) में विशेष रूप से विनिर्मित, निर्यात के लिए तैयार ई-विटारा की पहली खेप पीपावाव बंदरगाह से यूरोपीय क्षेत्र में भेजी जाएगी। इसमें ब्रिटेन, जर्मनी, नॉर्वे, फ्रांस, डेनमार्क, स्विट्जरलैंड, नीदरलैंड, स्वीडन, हंगरी, आइसलैंड, इटली, ऑस्ट्रिया और बेल्जियम शामिल हैं। मारुति सुजुकी द्वारा भारत में अभी तक ई-विटारा पेश न करने के कारणों पर भार्गव ने कहा कि निर्यात ऑर्डर दायित्वों को पूरा करने के अलावा, लागत कारक की इसकी वजह हैं क्योंकि ईवी की कीमत अब भी अधिक है और बैटरी आयात की जाती है। वहीं तोशीहिरो ने कहा कि भारत और वैश्विक बाजारों में ग्राहकों को सेवा प्रदान करने वाला गुजरात संयंत्र जल्द ही दुनिया के सबसे बड़े मोटर वाहन विनिर्माण केंद्रों में से एक बन जाएगा जिसकी नियोजित क्षमता 10 लाख इकाई होगी। उन्होंने कहा, ‘‘ हमने अपने पहले बैटरी इलेक्ट्रिक वाहन (बीईवी) ई-विटारा के विनिर्माण के लिए इस संयंत्र को चुना है। इसे इस मॉडल के लिए एक वैश्विक उत्पादन केंद्र के रूप में विकसित किया है। हम इस ‘मेड-इन-इंडिया बीईवी' का निर्यात जापान और यूरोप सहित 100 से अधिक देशों में करेंगे।'' उन्होंने कहा कि कंपनी की दूसरी बड़ी उपलब्धि ‘‘ भारत की पहली लिथियम-आयन बैटरी और इलेक्ट्रोड-स्तरीय स्थानीयकरण वाले सेल का उत्पादन शुरू करना है जिनका इस्तेमाल हमारे हाइब्रिड वाहनों में होता है।'' उन्होंने कहा कि इनका विनिर्माण यहां तोशिबा डेंसो सुजुकी संयंत्र में किया जा रहा है।
तोशीहिरो सुजुकी ने कहा, केवल कच्चा माल और कुछ सेमीकंडक्टर कलपुर्जे जापान से आते हैं... यह आत्मनिर्भर भारत के लिए एक बड़ी उपलब्धि है। हम कार्बन निरपेक्षता और जलवायु परिवर्तन लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिए इलेक्ट्रिक, ‘स्ट्रॉन्ग हाइब्रिड', एथनॉल फ्लेक्स फ्यूल और कंप्रेस्ड बायोगैस सहित एक मल्टी-पावरट्रेन रणनीति का उपयोग करेंगे।'' - नयी दिल्ली. । सरकार ने नये फाइबर सामाग्री से बने ‘मल्टी-लेयर पेपर बोर्ड' के आयात पर 31 मार्च, 2026 तक के लिए 67,220 रुपये प्रति टन का न्यूनतम आयात मूल्य लगाया है। एक अधिसूचना में यह जानकारी दी गई है। इस उत्पाद का उपयोग औषधि, दैनिक उपयोग के उत्पादों, खाद्य एवं पेय पदार्थों, इलेक्ट्रॉनिक्स, महंगे सौंदर्य प्रसाधनों, शराब, पुस्तक कवर और प्रकाशन की पैकेजिंग में किया जाता है। विदेश व्यापार महानिदेशालय (डीजीएफटी) ने अधिसूचना में कहा, ‘‘नये फाइबर सामाग्री से तैयार मल्टी-लेयर पेपर बोर्ड के आयात पर 31 मार्च, 2026 तक लागत, बीमा और माल ढुलाई (सीआईएफ) मूल्य पर 67,220 रुपये प्रति टन का एमआईपी (न्यूनतम आयात मूल्य) लागू किया गया है।'' इस एमआईपी से कम मूल्य पर आयात की अनुमति नहीं होगी।इस मूल्य निर्धारण से इंडोनेशिया जैसे देशों से उत्पाद की डंपिंग को रोकने में मदद मिलेगी।वाणिज्य मंत्रालय की इकाई व्यापार उपचार महानिदेशालय (डीजीटीआर) ने जुलाई में घरेलू कंपनियों की शिकायत के बाद इंडोनेशिया से इन पेपर बोर्ड के आयात की डंपिंग रोधी जांच शुरू की थी। भारतीय कागज विनिर्माता संघ ने घरेलू उद्योग की ओर से निदेशालय के समक्ष डंपिंग रोधी जांच शुरू करने के लिए आवेदन किया था।
- नयी दिल्ली.। सरकार ने इस साल 31 दिसंबर तक प्राकृतिक शहद का न्यूनतम निर्यात मूल्य (एमईपी) 2,000 अमेरिकी डॉलर प्रति टन से घटाकर 1,400 अमेरिकी डॉलर प्रति टन कर दिया है। इस एमईपी से कम मूल्य पर निर्यात की अनुमति नहीं होगी। विदेश व्यापार महानिदेशालय (डीजीएफटी) ने एक अधिसूचना में यह जानकारी दी। अधिसूचना के मुताबिक, ‘‘प्राकृतिक शहद का एमईपी तत्काल प्रभाव से 31 दिसंबर, 2025 तक 2,000 अमेरिकी डॉलर प्रति टन से संशोधित कर 1,400 अमेरिकी डॉलर प्रति टन कर दिया गया है।'' पिछला एमईपी मार्च, 2024 में लागू किया गया था। प्राकृतिक शहद के प्रमुख निर्यातक देश अमेरिका, संयुक्त अरब अमीरात (यूएई), सऊदी अरब और कतर हैं। केंद्र सरकार ने इस क्षेत्र के समग्र विकास के लिए वैज्ञानिक मधुमक्खी पालन को बढ़ावा देने को राष्ट्रीय मधुमक्खी पालन एवं शहद मिशन (एनबीएचएम) की शुरुआत की है। प्रमुख शहद उत्पादक राज्य उत्तर प्रदेश, पश्चिम बंगाल, पंजाब, बिहार और राजस्थान हैं। वर्ष 2023-24 में भारत ने 17.75 करोड़ अमेरिकी डॉलर मूल्य के प्राकृतिक शहद का निर्यात किया था।
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नई दिल्ली। ग्लोबल इकोनॉमिक स्लोडाउन और भू-राजनीतिक तनावों से उत्पन्न चुनौतियों के बीच भारत तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बनने की ओर अग्रसर है। इस बीच भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) के गवर्नर संजय मल्होत्रा ने सोमवार को स्थिरता बनाए रखने और विकास को बढ़ावा देने में मौद्रिक नीति की महत्वपूर्ण भूमिका पर जोर दिया।
बिजनेस चैंबर फिक्की और भारतीय बैंक संघ द्वारा आयोजित एफआईबीएसी 2025 वार्षिक सम्मेलन को संबोधित करते हुए आरबीआई गवर्नर ने इस बात पर जोर दिया कि उन्नत अर्थव्यवस्थाओं में धीमी गति और आपूर्ति श्रृंखला में व्यवधान के बीच, नए अवसरों का लाभ उठाना महत्वपूर्ण है।आरबीआई गवर्नर ने कहा, “हम अब एक महत्वपूर्ण मोड़ पर हैं क्योंकि हम बढ़ती व्यापार अनिश्चितता और लगातार भू-राजनीतिक तनावों से प्रभावित एक अस्थिर वैश्विक माहौल से निपट रहे हैं। हमें विकास की सीमाओं को आगे बढ़ाने की जरूरत है। हमें उभरती चुनौतियों का समाधान करने के लिए अपने प्रयासों को तेज करना होगा और साथ ही, आने वाले अवसरों का लाभ उठाना होगा।”उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि विश्व अर्थव्यवस्था लगातार व्यापार विवादों, बढ़ती अनिश्चितता और भू-राजनीतिक तनावों से जूझते हुए एक चुनौतीपूर्ण दौर से गुजर रही है।वहीं, अमेरिका द्वारा टैरिफ में की जाने वाली बढ़ोतरी को लेकर आरबीआई गवर्नर ने कहा कि अभी भी उम्मीद है कि बातचीत सफल होगी और भारतीय अर्थव्यवस्था पर इसका प्रभाव नगण्य होगा। उन्होंने कहा, “हमें उम्मीद है कि टैरिफ पर बातचीत सफल होगी और भारत की आर्थिक वृद्धि पर इसका न्यूनतम प्रभाव पड़ेगा।”आरबीआई गवर्नर ने कहा कि आज केंद्रीय बैंकों के सामने दोहरी चुनौती है-आर्थिक सुधार को बाधित किए बिना मुद्रास्फीति के दबाव को कम करना, और यह संतुलन अस्थिर कमोडिटी कीमतों और असमान पूंजी प्रवाह के कारण और भी नाज़ुक हो गया है।संजय मल्होत्रा ने कहा कि आरबीआई मूल्य स्थिरता और आर्थिक विकास के उद्देश्य से अपनी मौद्रिक नीति का संचालन जारी रखेगा। उन्होंने कहा, “हम वित्तीय स्थिरता को मजबूत करना जारी रखेंगे, यही हमारा प्राथमिक उद्देश्य है।”उन्होंने यह भी कहा कि बाहरी मोर्चे पर भारत एक आरामदायक स्थिति में है और देश के पास पर्याप्त विदेशी मुद्रा भंडार है, जो देश के 11 महीनों के आयात को पूरा करने के लिए पर्याप्त है। - नयी दिल्ली.। भारत के ऑनलाइन गेमिंग मंच विंजो ने रविवार को अमेरिका में अपनी सेवाओं की शुरुआत कर दी है। इसके साथ ही, यह दुनिया के चार सबसे बड़े मोबाइल गेमिंग बाजारों में से तीन में अपनी मौजूदगी दर्ज करा चुका है। 'ऑनलाइन गेमिंग विधेयक, 2025' के पारित होने के बाद विंजो को अपनी पैसा आधारित गेमिंग सेवाएं बंद करनी पड़ीं। ऐसे में, विंजो ने अमेरिका में अपनी सेवाओं के साथ-साथ एक नया शॉर्ट-फॉर्म वीडियो फॉर्मेट 'जो टीवी' भी लॉन्च किया है। कंपनी ने एक बयान में कहा कि भारतीय गेम डेवलपर अब विंजो के प्लग-एंड-लॉन्च डिस्ट्रीब्यूशन मॉडल के माध्यम से अमेरिकी गेमिंग बाजार तक पहुंच सकेंगे। विनजो के सह-संस्थापक पवन नंदा और सौम्या सिंह राठौड़ ने कहा, "हमारी दृष्टि हमेशा से भारतीय गेम डेवलपर्स को वैश्विक दर्शकों तक पहुंचाने की रही है। दुनिया के सबसे बड़े और सबसे प्रभावशाली गेमिंग बाजार अमेरिका में प्रवेश करना उस मिशन की दिशा में एक निर्णायक कदम है। हम 'जो टीवी' को पेश करने के लिए भी उत्साहित हैं, जो हमारे कंटेंट को और अधिक विविधतापूर्ण बनाता है।" कंपनी ने कहा कि बदलते नियमों से प्रभावित सीमित सेवाओं को वापस लेते हुए भी विंजो अपने भारतीय दर्शकों को कई तरह की सेवाएं प्रदान करता रहेगा।
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नयी दिल्ली. देश की शीर्ष 10 सबसे मूल्यवान कंपनियों में आठ का संयुक्त बाजार मूल्यांकन पिछले सप्ताह 1,72,148.89 करोड़ रुपये बढ़ा। इसमें रिलायंस इंडस्ट्रीज सबसे ज्यादा बढ़त के साथ शीर्ष पर रही। पिछले सप्ताह बीएसई सेंसेक्स 709.19 अंक या 0.87 प्रतिशत उछला।
शीर्ष 10 कंपनियों में रिलायंस इंडस्ट्रीज, टाटा कंसल्टेंसी सर्विसेज (टीसीएस), भारती एयरटेल, आईसीआईसीआई बैंक, इंफोसिस, हिंदुस्तान यूनिलीवर, भारतीय जीवन बीमा निगम (एलआईसी) और बजाज फाइनेंस को लाभ हुआ। दूसरी ओर एचडीएफसी बैंक और भारतीय स्टेट बैंक के मूल्यांकन में गिरावट आई।
रिलायंस इंडस्ट्रीज का बाजार पूंजीकरण 48,107.94 करोड़ रुपये बढ़कर 19,07,131.37 करोड़ रुपये हो गया।
हिंदुस्तान यूनिलीवर का बाजार पूंजीकरण 34,280.54 करोड़ रुपये बढ़कर 6,17,672.30 करोड़ रुपये हो गया।
रिलायंस इंडस्ट्रीज सबसे मूल्यवान कंपनी बनी हुई है। उसके बाद एचडीएफसी बैंक, टीसीएस, भारती एयरटेल, आईसीआईसीआई बैंक, भारतीय स्टेट बैंक, इंफोसिस, हिंदुस्तान यूनिलीवर, एलआईसी और बजाज फाइनेंस का स्थान रहा। - नयी दिल्ली। देश की 28 बड़ी रियल एस्टेट कंपनियों ने चालू वित्त वर्ष 2025-26 की पहली तिमाही में लगभग 53,000 करोड़ रुपये की संपत्तियां बेचीं। इस दौरान बेंगलुरु की कंपनी प्रेस्टिज एस्टेट्स ने सबसे ज्यादा बिक्री की।शेयर बाजार से संकलित आंकड़ों के अनुसार, चालू वित्त वर्ष की पहली तिमाही में इन 28 सूचीबद्ध रियल एस्टेट कंपनियों की कुल संयुक्त बिक्री बुकिंग 52,842 करोड़ रुपये रही। बिक्री बुकिंग के मामले में बेंगलुरु की कंपनी प्रेस्टिज एस्टेट्स प्रोजेक्ट्स लि. वित्त वर्ष 2025-26 की अप्रैल-जून तिमाही में सबसे आगे रही, जिसकी प्री बुकिंग 12,126.4 करोड़ रुपये थीं। देश की सबसे बड़ी रियल एस्टेट कंपनी डीएलएफ लि. ने 11,425 करोड़ रुपये की प्री बुकिंग की, जिसमें गुरुग्राम के लक्जरी आवासीय बाजार ने प्रमुख भूमिका निभाई। मुंबई की रियल एस्टेट कंपनी गोदरेज प्रॉपर्टीज ने चालू वित्त वर्ष की अप्रैल-जून तिमाही के दौरान 7,082 करोड़ रुपये की बिक्री बुकिंग दर्ज की, जबकि लोढ़ा डेवलपर्स ने 4,450 करोड़ रुपये की संपत्तियां बेचीं। दिल्ली-एनसीआर की रियल एस्टेट कंपनी टीएआरसी लि. ने 225 करोड़ रुपये की संपत्ति बेची। वहीं, लखनऊ की एल्डेको हाउसिंग एंड इंडस्ट्रीज लिमिटेड ने 221.11 करोड़ रुपये और मैक्स एस्टेट्स लिमिटेड ने करीब 220 करोड़ रुपये की प्री-बुकिंग की। बेंगलुरु की कंपनी एम्बेसी डेवलपमेंट्स लि. ने इस चालू वर्ष की अप्रैल-जून तिमाही में 198 करोड़ रुपये की संपत्ति बेची। अहमदाबाद की कंपनी अरविंद स्मार्टस्पेस लि. की बिक्री 175 करोड़ रुपये रही।मुंबई की कंपनियों की बात करें तो, अरिहंत सुपरस्ट्रक्चर्स लि. की बिक्री 150.6 करोड़ रुपये, अर्केड डेवलपर्स लि. की142 करोड़ रुपये, अजमेरा रियल्टी एंड इंफ्रास्ट्रक्चर लिमिटेड की 108 करोड़ रुपये, और सूरज एस्टेट डेवलपर्स लि. की बिक्री 81 करोड़ रुपये रही। कुछ सूचीबद्ध कंपनियों ने अपनी बिक्री बुकिंग संख्याएँ अभी तक घोषित नहीं की हैं।
- नयी दिल्ली. महिंद्रा एंड महिंद्रा एक नया विनिर्माण संयंत्र स्थापित करने के लिए जमीन तलाश रही है, ताकि घरेलू और निर्यात बाजारों की जरूरतों को पूरा करने के लिए उत्पादन बढ़ाया जा सके। कंपनी के एक वरिष्ठ अधिकारी ने यह जानकारी दी। मुंबई स्थित इस ऑटो कंपनी ने अपने नए मॉड्यूलर मल्टी-एनर्जी एनयू आईक्यू मंच को पेश किया, जो एसयूवी की एक नई श्रृंखला का समर्थन करेगा। इसका पहला उत्पाद 2027 में आने की उम्मीद है। इस मल्टी-एनर्जी मंच को भारत और वैश्विक बाजारों में अप्रयुक्त खाली जगहों को ध्यान में रखकर तैयार किया गया है।यह नया मंच कंपनी के पहले से घोषित मंच पर उत्पाद पाइपलाइन के अतिरिक्त है।महिंद्रा एंड महिंद्रा के वाहन प्रभाग के मुख्य कार्यपालक अधिकारी (सीईओ) नलिनीकांत गोलागुंटा ने पीटीआई-भाषा को बताया कि कंपनी अपने चाकन स्थित संयंत्र में उत्पादन क्षमता को 2.4 लाख इकाई तक बढ़ाने पर विचार कर रही है। उन्होंने कहा, ''हमें इससे ज्यादा क्षमता की जरूरत होगी। इसलिए, हम ऐसा स्थान खोज रहे हैं, जहां हम अतिरिक्त क्षमता स्थापित कर सकें।'' नया संयंत्र स्थापित करने की अपेक्षित समय-सीमा के बारे में पूछे जाने पर, गोलागुंटा ने कहा, ''कहना बहुत मुश्किल है, क्योंकि भूमि अधिग्रहण की अपनी मजबूरियां होती हैं।'' उन्होंने बताया कि कंपनी अभी भी जमीन की तलाश कर रही है। महिंद्रा का लक्ष्य 2027 तक सिर्फ इलेक्ट्रिक वाहनों के लिए 10 लाख उत्पादन क्षमता हासिल करना है। कंपनी ने महाराष्ट्र के इगतपुरी में 350 एकड़ जमीन अधिग्रहण के लिए महाराष्ट्र सरकार को रुचि पत्र भी सौंपा है। कंपनी के नासिक और इगतपुरी में पहले से ही विनिर्माण संयंत्र हैं।
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नई दिल्ली। स्टेट बैंक ऑफ इंडिया (SBI) के बाद अब बैंक ऑफ इंडिया (BOI) ने भी कर्ज में डूबी रिलायंस कम्युनिकेशंस (RCom) और इसके पूर्व निदेशक अनिल अंबानी के खाते को ‘फ्रॉड’ घोषित कर दिया है। बैंक ने आरोप लगाया है कि कंपनी ने साल 2016 में लिए गए लोन में गड़बड़ी और फंड डायवर्जन किया था।बैंक ऑफ इंडिया ने अगस्त 2016 में आरकॉम को 700 करोड़ रुपये का कर्ज दिया था। इसमें से अक्टूबर 2016 में जारी की गई आधी राशि को कंपनी ने फिक्स्ड डिपॉजिट में डाल दिया, जबकि यह लोन की शर्तों के खिलाफ था।
आरकॉम ने स्टॉक एक्सचेंज को दी जानकारी में कहा कि 22 अगस्त को उसे बैंक ऑफ इंडिया का पत्र मिला, जिसमें कंपनी, अनिल धीरजलाल अंबानी (पूर्व निदेशक) और मंजरी अशोक कक्कर (पूर्व निदेशक) के खाते को ‘फ्रॉड’ घोषित करने का फैसला बताया गया।इससे पहले जून में एसबीआई ने भी आरकॉम और अनिल अंबानी के खाते को धोखाधड़ी वाला करार दिया था और फंड के दुरुपयोग का आरोप लगाया था। इसी शिकायत के बाद सीबीआई (CBI) ने शनिवार को अंबानी के घर और आरकॉम से जुड़े ठिकानों पर छापेमारी की।एसबीआई का कहना है कि फंड में गड़बड़ी के कारण बैंक को 2,929 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ है। वहीं, बैंक ऑफ इंडिया का कहना है कि आरकॉम का खाता 30 जून 2017 को एनपीए हो गया था, जिसमें 724.78 करोड़ रुपये बकाया हैं।अनिल अंबानी के प्रवक्ता ने सभी आरोपों को सिरे से खारिज करते हुए कहा कि यह मामला 10 साल से ज्यादा पुराना है और उस समय अंबानी गैर-कार्यकारी निदेशक थे, जिनका कंपनी के दैनिक संचालन से कोई लेना-देना नहीं था। उन्होंने आरोप लगाया कि अंबानी को “जानबूझकर निशाना बनाया गया है”।आरकॉम ने बताया कि इसकी सहयोगी कंपनी रिलायंस टेलीकॉम लिमिटेड को भी बैंक ऑफ इंडिया ने इसी तरह का नोटिस जारी किया है। फिलहाल आरकॉम 40,400 करोड़ रुपये के कुल कर्ज में डूबी हुई है और कंपनी के मामलों को दिवालिया प्रक्रिया के तहत ऋणदाताओं की समिति (CoC) और रिजॉल्यूशन प्रोफेशनल देख रहे हैं। -
नयी दिल्ली. निजी क्षेत्र के यस बैंक ने शनिवार को कहा कि आरबीआई ने जापान स्थित सुमितोमो मित्सुई बैंकिंग कॉरपोरेशन (एसएमबीसी) को बैंक में 24.99 प्रतिशत तक हिस्सेदारी हासिल करने की मंजूरी दे दी है। इससे पहले यस बैंक ने नौ मई, 2025 को एसएमबीसी द्वारा भारतीय स्टेट बैंक से 13.19 प्रतिशत हिस्सेदारी और सात अन्य शेयरधारकों से 6.81 प्रतिशत हिस्सेदारी खरीदने के साथ बैंक में 20 प्रतिशत हिस्सेदारी हासिल करने के प्रस्ताव के बारे में बताया था। अन्य शेयरधारकों में एक्सिस बैंक, बंधन बैंक, फेडरल बैंक, एचडीएफसी बैंक, आईसीआईसीआई बैंक, आईडीएफसी फर्स्ट बैंक और कोटक महिंद्रा बैंक शामिल हैं। यस बैंक ने शेयर बाजार को बताया, ''इस संबंध में, हमें यह बताते हुए खुशी हो रही है कि एसएमबीसी को 22 अगस्त, 2025 के पत्र के माध्यम से बैंक की चुकता शेयर पूंजी/ मतदान अधिकारों के 24.99 प्रतिशत तक अधिग्रहण के लिए भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) से मंजूरी मिल गई है।'' इसमें आगे कहा गया कि यह मंजूरी इस पत्र की तारीख से एक वर्ष के लिए वैध है। आरबीआई ने आगे स्पष्ट किया कि उक्त अधिग्रहण के बाद एसएमबीसी को बैंक का प्रवर्तक नहीं माना जाएगा।
आरबीआई की मंजूरी अन्य शर्तों के अधीन है, जिनमें बैंकिंग विनियमन अधिनियम, 1949 के प्रासंगिक प्रावधानों, बैंकिंग कंपनियों में शेयरों या मताधिकार के अधिग्रहण पर आरबीआई के मास्टर दिशानिर्देश (समय-समय पर संशोधित), और विदेशी मुद्रा प्रबंधन अधिनियम, 1999 के प्रावधानों का अनुपालन शामिल है। इसके अलावा, प्रस्तावित लेनदेन के लिए भारतीय प्रतिस्पर्धा आयोग (सीसीआई) से मंजूरी लेनी होगी। -
नयी दिल्ली. एनटीपीसी ग्रीन एनर्जी लिमिटेड (एनजीईएल) की गुजरात में भुज स्थित खावड़ा सौर ऊर्जा परियोजना में 49 मेगावाट क्षमता की वाणिज्यिक आपूर्ति 22 अगस्त से शुरू हो जाएगी। कंपनी ने बृहस्पतिवार को शेयर बाजार को दी जानकारी में बताया कि गुजरात के भुज में स्थित खावड़ा में एनटीपीसी रिन्युएबल एनर्जी की 300 मेगावाट क्षमता वाली खावड़ा ऊर्जा परियोजना की 49.125 मेगावाट क्षमता के तीसरे हिस्से को सफलतापूर्वक चालू कर दिया गया है। यह 22 अगस्त 2025 को रात 12 बजे से वाणिज्यिक रूप से परिचालन में आ जाएगा। इस परियोजना का पहला हिस्सा (142.2 मेगावाट) 28 जून से और दूसरा हिस्सा (32.8 मेगावाट) 30 जून से वाणिज्यिक रूप से चालू हो चुका है।
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नयी दिल्ली. स्टॉकिस्टों की ताजा लिवाली के बीच बृहस्पतिवार को राष्ट्रीय राजधानी के सर्राफा बाजार में सोने की कीमत 600 रुपये बढ़कर 1,00,620 रुपये प्रति 10 ग्राम हो गई। अखिल भारतीय सर्राफा संघ ने यह जानकारी दी। 99.9 प्रतिशत शुद्धता वाले सोने की कीमत बुधवार को 1,00,020 रुपये प्रति 10 ग्राम पर बंद हुई थी।
राष्ट्रीय राजधानी में, 99.5 प्रतिशत शुद्धता वाला सोना बृहस्पतिवार को 500 रुपये बढ़कर 1,00,200 रुपये प्रति 10 ग्राम (सभी करों सहित) हो गया। पिछले सत्र में यह 99,700 रुपये प्रति 10 ग्राम रहा था। पिछले सत्र में सोने की कीमत तीन सप्ताह के निचले स्तर पर गिरने के बाद, सुरक्षित निवेश की मांग और सौदेबाज़ी की खरीदारी के चलते बृहस्पतिवार को सोने की कीमतों में तेज़ी आई। एचडीएफसी सिक्योरिटीज़ के वरिष्ठ विश्लेषक (जिंस) सौमिल गांधी ने कहा, ‘‘राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप द्वारा फ़ेडरल रिज़र्व के गवर्नर के इस्तीफ़े की मांग से सुरक्षित निवेश की नई मांग को बढ़ावा मिला, जिससे केंद्रीय बैंक की स्वतंत्रता को लेकर चिंताएं बढ़ गईं।'' गांधी ने आगे कहा कि इस टिप्पणी के बाद, अमेरिकी डॉलर अपने हालिया उच्चस्तर से नीचे गिर गया, जिससे सोने की कीमतों को और समर्थन मिला। संघ के अनुसार, इसके अलावा, बृहस्पतिवार को चांदी की कीमत 1,500 रुपये बढ़कर 1,14,000 रुपये प्रति किलोग्राम (सभी करों सहित) हो गई। बुधवार को यह 1,12,500 रुपये प्रति किलोग्राम पर बंद हुई थी। अंतरराष्ट्रीय बाज़ारों में, न्यूयॉर्क में हाजिर सोना 0.28 प्रतिशत की गिरावट के साथ 3,339.04 डॉलर प्रति औंस पर कारोबार कर रहा था। कोटक सिक्योरिटीज में एवीपी जिंस शोध, कायनात चैनवाला ने कहा, ‘‘सोना 3,340 डॉलर प्रति औंस के आसपास स्थिर बना हुआ है क्योंकि निवेशक बेरोज़गारी दावे, पीएमआई और मौजूदा घरों की बिक्री सहित प्रमुख अमेरिकी वृहद आर्थिक आंकड़ों का इंतज़ार कर रहे हैं।'' उन्होंने कहा, ‘‘हालांकि, मुख्य ध्यान जैक्सन होल संगोष्ठी में फेडरल रिजर्व के प्रमुख जेरोम पावेल के भाषण पर बना हुआ है क्योंकि निवेशक मौद्रिक नीति में बदलाव के संकेतों पर कड़ी नज़र रख रहे हैं, खासकर पिछले साल की टिप्पणियों के बाद, जिसमें ब्याज दरों में कटौती के चक्र की शुरुआत का संकेत दिया गया था।'' इस बीच, अमेरिकी फेडरल रिजर्व की जुलाई की बैठक के ब्योरे से पता चला है कि अधिकारी मुद्रास्फीति और श्रम बाजार को लेकर सतर्क हैं, और अधिकांश का मानना है कि ब्याज दरों में कटौती करना अभी जल्दबाजी होगी। हाजिर चांदी भी 0.32 प्रतिशत गिरकर 37.78 डॉलर प्रति औंस रह गई।
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नई दिल्ली। भारतीय शेयर बाजार गुरुवार के कारोबारी सत्र में लगातार चौथे दिन तेजी के साथ बंद हुआ। दिन के अंत में सेंसेक्स 142.87 अंक या 0.17 प्रतिशत की बढ़त के साथ 82,000.71 और निफ्टी 33.20 अंक या 0.13 प्रतिशत की मजबूती के साथ 25,083.75 पर था।
निफ्टी फार्मा इंडेक्स में 0.95 प्रतिशत की बढ़त देखी गईसत्र के दौरान तेजी का नेतृत्व फार्मा शेयरों ने किया। निफ्टी फार्मा इंडेक्स में 0.95 प्रतिशत की बढ़त देखी गई। वहीं, फाइनेंशियल सर्विस, आईटी, रियल्टी, प्राइवेट बैंक और इन्फ्रा हरे निशान में बंद हुए। ऑटो, पीएसयू बैंक, एफएमसीजी, मेटल, एनर्जी और कमोडिटीज लाल निशान में बंद हुए।लार्जकैप के उलट मिडकैप और स्मॉलकैप इंडेक्स में बिकवाली देखी गईलार्जकैप के उलट मिडकैप और स्मॉलकैप इंडेक्स में बिकवाली देखी गई। निफ्टी मिडकैप 100 इंडेक्स 221.55 अंक या 0.38 प्रतिशत की गिरावट के साथ 57,708.95 और निफ्टी स्मॉलकैप इंडेक्स 2.05 अंक की मामूली गिरावट के साथ 17,966.35 पर था।पावर ग्रिड, इटरनल (जोमैटो), एचयूएल, एनटीपीसी, टाटा मोटर्स, एमएंडएम, एसबीआई, टाटा स्टील, एचसीएल टेक, एक्सिस बैंक और टेक महिंद्रा टॉप लूजर्स थेसेंसेक्स पैक में बजाज फिनसर्व, आईसीआईसीआई बैंक, बजाज फाइनेंस, एलएंडटी, बीईएल, टाइटन, मारुति सुजुकी, सन फार्मा, भारती एयरटेल, टीसीएस, एचडीएफसी बैंक और एशियन पेंट्स टॉप गेनर्स थे। पावर ग्रिड, इटरनल (जोमैटो), एचयूएल, एनटीपीसी, टाटा मोटर्स, एमएंडएम, एसबीआई, टाटा स्टील, एचसीएल टेक, एक्सिस बैंक और टेक महिंद्रा टॉप लूजर्स थे।आज व्यापक बाजार का रुख मिला जुला थाव्यापक बाजार का रुख मिला जुला था। बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज (बीएसई) पर 2,094 शेयर हरे निशान में और 2,000 शेयर लाल निशान में और 154 शेयर बिना किसी बदलाव के बंद हुए। जियोजित इन्वेस्टमेंट लिमिटेड के रिसर्च हेड विनोद नायर ने कहा कि भारतीय शेयर बाजार में मिला-जुला रुख रहा, क्योंकि निवेशकों ने हाल की तेजी के बाद मुनाफावसूली की और पहली तिमाही के आय के कमजोर अंत के कारण प्रीमियम मूल्यांकन को लेकर चिंता जताई।भारतीय शेयर बाजार की शुरुआत हल्की तेजी के साथ हुई थीशुक्रवार को होने वाली जैक्सन होल सेमिनार और जीएसटी युक्तिकरण से जुड़ी राजकोषीय चिंताओं के कारण बढ़ते घरेलू बॉन्ड यील्ड से पहले निवेशक सतर्क बने हुए हैं। भारतीय शेयर बाजार की शुरुआत हल्की तेजी के साथ हुई थी। सेंसेक्स 89 अंक या 0.11 प्रतिशत बढ़कर 81,947 पर और निफ्टी 14 अंक या 0.06 प्रतिशत बढ़कर 25,064 पर था। -
नयी दिल्ली. केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने बुधवार को राज्यों के मंत्रियों के समूहों (जीओएम) के समक्ष जीएसटी प्रणाली में व्यापक सुधारों की रूपरेखा पेश की। इसमें कर दरों में कटौती और कारोबारियों के लिए अनुपालन बोझ को कम करने का प्रस्ताव है। माल एवं सेवा कर (जीएसटी) की दरों को युक्तिसंगत बनाने, बीमा पर कराधान और क्षतिपूर्ति उपकर से संबंधित मंत्री समूह दो दिन तक केंद्र के ‘अगली पीढ़ी' के जीएसटी सुधारों पर विचार करेंगे। इसमें जीएसटी कर की पांच और 18 प्रतिशत की केवल दो कर दरों का ही प्रावधान किया गया है। हालांकि, विलासिता एवं नुकसानदेह वस्तुओं पर 40 प्रतिशत की एक विशेष दर लगेगी। वर्तमान में जीएसटी पांच, 12, 18 और 28 प्रतिशत की दर पर वसूला जाता है।
एक सूत्र ने बताया कि वित्त मंत्री ने करीब 20 मिनट के संबोधन में मंत्री समूहों को जीएसटी सुधारों से संबंधित प्रस्ताव के बारे में बताया। उन्होंने राज्यों के मंत्रियों को जीएसटी सुधारों की जरूरत से अवगत कराया। दर को युक्तिसंगत बनाने के लिए गठित मंत्री समूह को कर स्लैब एवं दरों में बदलाव और कुछ क्षेत्रों में शुल्क उलटफेर की समस्या खत्म करने का दायित्व सौंपा गया है। यह समूह 21 अगस्त को फिर बैठक करेगा। बीमा संबंधी मंत्री समूह स्वास्थ्य एवं जीवन बीमा प्रीमियम पर कर दर घटाने पर विचार कर रहा है जबकि क्षतिपूर्ति उपकर पर बना समूह ऋण भुगतान अवधि के बाद उपकर के भविष्य पर निर्णय लेगा। इन प्रस्तावों पर जीओएम की सहमति मिलने के बाद इन्हें अगले महीने जीएसटी परिषद की बैठक में रखा जाएगा। जीएसटी से संबंधित मामलों में नीतिगत निर्णय लेने का अधिकार जीएसटी परिषद के ही पास है। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने स्वतंत्रता दिवस के अपने संबोधन में दिवाली तक जीएसटी सुधार लागू करने की घोषणा की थी। एसबीआई रिसर्च की एक रिपोर्ट के मुताबिक, दर सुधारों का प्रस्ताव लागू होने पर सरकार को सालाना करीब 85,000 करोड़ रुपये राजस्व का नुकसान हो सकता है। चालू वित्त वर्ष में एक अक्टूबर से प्रस्तावित दरें लागू होने पर नुकसान 45,000 करोड़ रुपये रहने का अनुमान है। रिपोर्ट के मुताबिक, जीएसटी की प्रभावी औसत दर लागू होने के समय के 14.4 प्रतिशत से घटकर सितंबर, 2019 में 11.6 प्रतिशत रह गई और दर सरलीकरण के बाद यह 9.5 प्रतिशत तक आ सकती है। -
नयी दिल्ली. केंद्रीय सहकारिता मंत्री अमित शाह ने मंगलवार को कहा कि गुजरात में दूध की खरीद 2001-02 में 50 लाख लीटर प्रतिदिन से पांच गुना बढ़कर 2024-25 में 250 लाख लीटर प्रतिदिन हो गई है। लोकसभा में एक प्रश्न के लिखित उत्तर में मंत्री ने कहा कि डेरी किसानों की आय में भी उल्लेखनीय वृद्धि हुई है तथा फसल कटाई के बाद होने वाले नुकसान में कमी आई है। उन्होंने बताया कि इसके अलावा, पिछले 15 वर्षों में किसानों को दिए जाने वाले दूध के मूल्य में 140 प्रतिशत की वृद्धि हुई है (औसत दूध खरीद मूल्य 400 रुपये प्रति किलोग्राम वसा से बढ़कर 950 रुपये प्रति किलोग्राम वसा हो गया है)। शाह ने बताया कि इससे दुग्ध संघों की शीतलन क्षमता और दूध खरीद क्षमता को बढ़ाने में महत्वपूर्ण मदद मिली है। उन्होंने बताया कि राष्ट्रीय डेरी विकास कार्यक्रम (एनपीडीडी), डेरी प्रसंस्करण एवं अवसंरचना विकास निधि (डीआईडीएफ) और पशुपालन अवसंरचना विकास निधि (एएचआईडीएफ) जैसी योजनाओं ने अवसंरचना आधुनिकीकरण, मूल्य संवर्धन सुविधाओं, (पशु) नस्ल सुधार और चारा विकास के लिए सहायता प्रदान की है। पिछले सात वर्षों में, एनपीडीडी के तहत गुजरात को 515 करोड़ रुपये के कुल परियोजना परिव्यय के साथ 315 करोड़ रुपये का अनुदान प्राप्त हुआ है, जिसके परिणामस्वरूप 2,052 ‘बल्क मिल्क कूलर', 4,309 स्वचालित दूध संग्रह प्रणालियां और दूध मिलावट का पता लगाने वाली 1,000 मशीनें स्थापित की गई हैं। राष्ट्रीय सहकारी डेटाबेस (एनसीडी) पोर्टल के अनुसार, गुजरात में 15,740 डेरी सहकारी समितियां संचालित हो रही हैं। गुजरात में एक सुविकसित डेरी सहकारी नेटवर्क है, जिसका नेतृत्व गुजरात सहकारी दुग्ध विपणन संघ लिमिटेड (अमूल) करता है, जिसमें 18 जिला संघ और 36 लाख से अधिक सदस्य शामिल हैं। वर्तमान में, अमूल अपने सहकारी नेटवर्क के माध्यम से गुजरात से प्रतिदिन लगभग 250 लाख लीटर दूध खरीदता है, जिससे गुजरात देश के अग्रणी दुग्ध उत्पादक राज्यों में से एक बन गया है।
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नयी दिल्ली. मजबूत वैश्विक रुख के अनुरूप स्टॉकिस्टों की ताजा लिवाली से बृहस्पतिवार को राष्ट्रीय राजधानी के सर्राफा बाजार में सोने की कीमत 400 रुपये बढ़कर 1,01,420 रुपये प्रति 10 ग्राम हो गई। अखिल भारतीय सर्राफा संघ ने यह जानकारी दी है। पिछले कारोबारी सत्र में 99.9 प्रतिशत शुद्धता वाले सोने की कीमत 1,01,020 रुपये प्रति 10 ग्राम रही थी। वहीं 99.5 प्रतिशत शुद्धता वाला सोना बृहस्पतिवार को 400 रुपये बढ़कर 1,01,000 रुपये प्रति 10 ग्राम (सभी करों सहित) हो गया। बुधवार को यह 1,00,600 रुपये प्रति 10 ग्राम पर बंद हुआ था। राष्ट्रीय राजधानी में बृहस्पतिवार को चांदी की कीमतें 1,500 रुपये बढ़कर 1,13,500 रुपये प्रति किलोग्राम (सभी करों सहित) हो गई। ऑग्मोंट की शोध प्रमुख रेनिशा चैनानी ने कहा, ‘‘अमेरिकी फेडरल रिजर्व द्वारा सितंबर की बैठक में ब्याज दर में कटौती फिर से शुरू करने की उम्मीद के साथ सोने और चांदी की कीमतों में तेजी आई। श्रम बाजार में नरमी के संकेतों ने और राहत की गुंजाइश प्रदान की, वहीं अमेरिकी उपभोक्ता मूल्य सूचकांक की हाल की रिपोर्ट ने शुल्क के कारण मुद्रास्फीति की चिंताओं को कम किया है।'' वैश्विक स्तर पर, न्यूयॉर्क में हाजिर सोना मामूली बढ़कर 3,356.96 डॉलर प्रति औंस पर पहुंच गया।
कोटक सिक्योरिटीज में एवीपी (जिंस शोध) कायनात चैनवाला ने कहा, ‘‘अमेरिकी उत्पादक मूल्य सूचकांक और बेरोजगारी के आंकड़ें आने से पहले सोने की कीमतों में बढ़त जारी है।'' उन्होंने कहा, ‘‘हालांकि, अमेरिका और चीन द्वारा अपने शुल्क समझौते को 90 दिनों के लिए बढ़ाए जाने और अमेरिका, यूरोपीय, यूक्रेन और रूसी नेताओं के बीच आगामी वार्ता के कारण व्यापार को लेकर उम्मीद बनी हुई है। इससे आगे की तेजी कम हो सकती है।'' एलकेपी सिक्योरिटीज में उपाध्यक्ष (जिंस और मुद्रा) जतिन त्रिवेदी के अनुसार, डॉलर में कमजोर रुख ने सोने की कीमतों को सहारा दिया है, जबकि विभिन्न देशों पर जारी शुल्क ने भी इसकी मजबूती को सहारा दिया है। कुल मिलाकर, जब तक सोना 3,280 डॉलर प्रति औंस के स्तर पर बना रहता है, तब तक इसमें सकारात्मक रुख बना रहेगा। हालांकि, हाजिर चांदी 0.41 प्रतिशत की गिरावट के साथ 38.35 डॉलर प्रति औंस रही। - नयी दिल्ली/ साख निर्धारित करने वाली एजेंसी एसएंडपी ग्लोबल रेटिंग्स ने बृहस्पतिवार को भारत की साख को स्थिर परिदृश्य के साथ बढ़ाकर ‘बीबीबी' कर दिया। रेटिंग एजेंसी ने मजबूत आर्थिक वृद्धि, राजकोषीय मजबूती के लिए राजनीतिक प्रतिबद्धता और महंगाई को काबू में लाने के लिए बेहतर मौद्रिक नीति उपायों का हवाला देते हुए 19 साल बाद भारत की रेटिंग बढ़ायी है। एसएंडपी ग्लोबल रेटिंग्स ने कहा, ‘‘भारत दुनिया में सबसे अच्छा प्रदर्शन करने वाली अर्थव्यवस्थाओं में से एक है...पिछले पांच-छह साल में सरकारी खर्च की गुणवत्ता में सुधार हुआ है।'' एसएंडपी ने कहा कि भारतीय अर्थव्यवस्था पर अमेरिकी शुल्क का असर प्रबंधन के दायरे में होगा। भारत पर अगर 50 प्रतिशत शुल्क लगाया जाता है तो इससे वृद्धि पर कोई बड़ा असर पड़ने की आशंका नहीं है। एजेंसी ने कहा, ‘‘भारत व्यापार पर अपेक्षाकृत कम निर्भर है और इसकी लगभग 60 प्रतिशत आर्थिक वृद्धि घरेलू खपत से आती है।'' अमेरिकी एजेंसी की रेटिंग में यह सुधार अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के भारत को ‘मृत अर्थव्यवस्था' कहे जाने के कुछ दिन बाद आया है। ट्रंप ने 27 अगस्त से भारतीय वस्तुओं पर अबतक का सबसे अधिक 50 प्रतिशत शुल्क लगाने की घोषणा की है। साख में सुधार से अंतरराष्ट्रीय बाजारों में भारतीय कंपनियों के लिए कर्ज की लागत में कमी आएगी। एसएंडपी ने जनवरी 2007 में भारत को सबसे निचले निवेश स्तर की रेटिंग ‘बीबीबी-' दी थी। यह किसी वैश्विक रेटिंग एजेंसी द्वारा साख में पहला सुधार है जिसमें भारत को सबसे निचले निवेश स्तर से एक पायदान ऊपर की रेटिंग दी गयी है। ‘बीबीबी' निवेश स्तर की रेटिंग है और यह देश की अपने कर्ज दायित्वों को आसानी से चुकाने की बेहतर क्षमता को बताती है। एसएंडपी ने पिछले साल मई में भारत के क्रेडिट रेटिंग परिदृश्य को ‘स्थिर' से बदलकर ‘सकारात्मक' कर दिया था। साथ ही संकेत दिया था कि अगले 24 महीनों में रेटिंग में सुधार हो सकता है। एसएंडपी ने भारत की रेटिंग में सुधार करते हुए कहा, ‘‘भारत की साख में सुधार, महंगाई पर अंकुश लगाने वाले बेहतर मौद्रिक नीति परिवेश के साथ मजबूत आर्थिक वृद्धि को प्रतिबिंबित करता है। राजकोषीय मजबूती के प्रति सरकार की प्रतिबद्धता और व्यय की गुणवत्ता में सुधार के प्रयासों के साथ हमारा मानना है कि ये चीजें मिलकर ‘क्रेडिट' के मोर्चे स्थिति बेहतर बना रही हैं।'' एसएंडपी ग्लोबल रेटिंग्स ने भारत की दीर्घकालीन ऋण साख को ‘बीबीबी-' से बढ़ाकर ‘बीबीबी' और अल्पकालिक रेटिंग को ‘ए-3' से बढ़ाकर ‘ए-2' कर दिया है। स्थिर परिदृश्य एसएंडपी के इस विचार को दर्शाता है कि नीतियों के मोर्चे पर निरंतर स्थिरता और बुनियादी ढांचा क्षेत्र में उच्च निवेश भारत की दीर्घकालीन वृद्धि संभावनाओं को बढ़ावा देंगे। इसके साथ ही सतर्क राजकोषीय और मौद्रिक नीति अगले 24 महीनों में रेटिंग को मजबूत बनाएगी। ये नीतियां सरकार के बढ़े हुए कर्ज और ब्याज के बोझ को कम करती है। भारत की कमजोर राजकोषीय स्थिति हमेशा से ही उसकी साख के लिए सबसे कमजोर पहलू रही है।एसएंडपी ने कहा, ‘‘अब जब आर्थिक पुनरुद्धार अच्छी तरह से पटरी पर है, सरकार राजकोषीय मजबूती के लिए एक अधिक ठोस रास्ता पेश कर सकती है।'' रेटिंग एजेंसी का अनुमान है कि वित्त वर्ष 2025-26 में सामान्य सरकारी घाटा (केंद्र एवं राज्य सरकारों का संयुक्त रूप से) सकल घरेलू उत्पाद के 7.3 प्रतिशत से घटकर वित्त वर्ष 2028-29 तक 6.6 प्रतिशत हो जाएगा। एसएंडपी ने कहा, ‘‘भारत का महामारी के निचले स्तर से उबरना इसे दुनिया की सबसे अच्छा प्रदर्शन करने वाली उभरती बाजार अर्थव्यवस्थाओं में से एक बनाता है। आर्थिक विस्तार अच्छी गति के साथ अधिक टिकाऊ स्तर की ओर बढ़ रहा है और यह स्थिति सामान्य हो रही है। हमारा अनुमान है कि उपभोक्ता और सार्वजनिक निवेश की मजबूती वित्त वर्ष 2025-26 में वास्तविक सकल घरेलू उत्पाद की वृद्धि दर को 6.5 प्रतिशत और अगले तीन साल में औसतन 6.8 प्रतिशत तक पहुंचाएगी।''
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नई दिल्ली। भारतीय शेयर बाजार गुरुवार के कारोबारी सत्र में हरे निशान में बंद होने में सफल रहा। हालांकि, बाजार में मिलाजुला कारोबार हुआ है। दिन के अंत में सेंसेक्स 57.75 अंक की तेजी के साथ 80,597.66 और निफ्टी 11.95 अंक की बढ़त के साथ 24,631.30 पर था।
निफ्टी बैंक ने बाजार की तेजी का नेतृत्व किया और यह इंडेक्स 160.40 अंक या 0.29 प्रतिशत की तेजी के साथ 55,341.85 पर बंद हुआनिफ्टी बैंक ने बाजार की तेजी का नेतृत्व किया और यह इंडेक्स 160.40 अंक या 0.29 प्रतिशत की तेजी के साथ 55,341.85 पर बंद हुआ। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप और उनके समकक्ष व्लादिमीर पुतिन के बीच बैठक 15 अगस्त को अलास्का में होने जा रही है, जिस पर निवेशकों की निगाहें हैं।लार्जकैप की तुलना में मिडकैप और स्मॉलकैप इंडेक्स लाल निशान में बंद हुएबैंकिंग के साथ-साथ आईटी, पीएसयू बैंक, फाइनेंसिग सर्विसेज, फार्मा और प्राइवेट बैंक हरे निशान में बंद हुए। ऑटो, एफएमसीजी, मेटल, रियल्टी, मीडिया और एनर्जी लाल निशान में बंद हुए। लार्जकैप की तुलना में मिडकैप और स्मॉलकैप इंडेक्स लाल निशान में बंद हुए। निफ्टी मिडकैप 100 इंडेक्स 177.25 अंक या 0.31 प्रतिशत की गिरावट के साथ 56,504.25 और निफ्टी स्मॉलकैप 100 इंडेक्स 66.50 अंक या 0.38 प्रतिशत की कमजोरी के साथ 17,547.45 पर था।टाटा स्टील, टेक महिंद्रा, बीईएल,अल्ट्राटेक सीमेंट, एचयूएल, एचसीएल टेक, आईटीसी और ट्रेंट टॉप लूजर्स थेसेंसेक्स पैक में इटरनल (जोमैटो), इन्फोसिस, एशियन पेंट्स, एचडीएफसी बैंक, बजाज फिनसर्व, एसबीआई, मारुति सुजुकी, टाइटन, आईसीआईसीआई बैंक, भारती एयरटेल, बजाज फाइनेंस, टाटा मोटर्स और एक्सिस बैंक टॉप गेनर्स थे। टाटा स्टील, टेक महिंद्रा, बीईएल,अल्ट्राटेक सीमेंट, एचयूएल, एचसीएल टेक, आईटीसी और ट्रेंट टॉप लूजर्स थे।अगर निफ्टी 24,337 के स्तर से नीचे जाता है तो गिरावट बढ़ सकती हैएलकेपी सिक्योरिटीज के वरिष्ठ तकनीकी विश्लेषक रूपक डे ने कहा कि शुक्रवार को ट्रंप-पुतिन की बैठक से पहले निफ्टी ने एक सीमित दायरे में कारोबार किया। हालांकि, बाजार की समग्र धारणा बुल्स के फेवर में है। इंडेक्स 24,337 का स्तर होल्ड करने में कामयाब रहा। तेजी की स्थिति में रुकावट का स्तर 24,660 और 24,850 पर है। अगर निफ्टी 24,337 के स्तर से नीचे जाता है तो गिरावट बढ़ सकती है। भारतीय शेयर बाजार की शुरुआत सपाट हुई थी। सेंसेक्स 0.15 प्रतिशत बढ़कर 80,657 अंक पर पहुंच गया। निफ्टी इंडेक्स 21 अंक या 0.08 प्रतिशत की बढ़त के साथ 24,638 अंक पर पहुंच गया। -
मुंबई. मुख्य आर्थिक सलाहकार (सीईए) वी. अनंत नागेश्वरन ने बुधवार को कहा कि अमेरिकी शुल्क से जुड़ी चुनौतियां ज्यादा टिकने वाली नहीं है और एक या दो तिमाहियों में समाप्त हो जाएंगी। उन्होंने यह भी कहा कि देश अन्य दीर्घकालिक चुनौतियों से जूझ रहा है और उन्होंने इससे निपटने के लिए निजी क्षेत्र से और अधिक प्रयास करने का आग्रह किया। नागेश्वरन ने वित्त वर्ष 2024-25 में वृद्धि दर में आई नरमी के लिए कर्ज से जुड़ी कड़ी स्थिति और नकदी की समस्याओं को जिम्मेदार ठहराया। वृद्धि दर वित्त वर्ष 2024-25 में 6.5 प्रतिशत रही जो एक साल पहले 9.2 प्रतिशत थी। नागेश्वरन ने कहा कि सही कृषि नीतियां वास्तविक सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) वृद्धि में 25 प्रतिशत की वृद्धि कर सकती हैं। उन्होंने अमेरिकी शुल्क के बारे में कहा कि रत्न एवं आभूषण, झींगा और वस्त्र जैसे क्षेत्रों पर पहले चरण का प्रभाव पड़ने के बाद दूसरे और तीसरे चरण के प्रभाव पड़ेंगे। उनसे निपटना ‘अधिक कठिन' होगा। नागेश्वरन ने कहा कि सरकार स्थिति से अवगत है और प्रभावित क्षेत्रों के साथ बातचीत शुरू हो चुकी है। आने वाले दिनों में नीति निर्माताओं की प्रतिक्रिया मिलेगी, लेकिन लोगों को धैर्य रखना होगा। इस महीने के अंत में व्यापार वार्ता के लिए अमेरिकी अधिकारियों के भारत आने की अटकलों के बीच उन्होंने कहा कि अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप और उनके रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के बीच अलास्का में होने वाली आगामी बैठक इस वार्ता के नतीजों को प्रभावित कर सकती है। उन्होंने भारत और अमेरिका के बीच व्यापार वार्ता के बारे में कोई भी विवरण देने से इनकार करते हुए कहा कि इस समय विश्व स्तर पर हालात बहुत अस्थिर हैं और संबंध सहयोग से गतिरोध की ओर बढ़ रहे हैं। मुख्य आर्थिक सलाहकार ने भारतीय निर्यात पर 50 प्रतिशत अमेरिकी शुल्क के प्रभाव के बारे में कहा, ‘‘मेरा मानना है कि मौजूदा स्थिति एक या दो तिमाहियों में सुधर जाएगी। मुझे नहीं लगता कि दीर्घकालिक दृष्टिकोण से, भारत पर इसका कोई खास प्रभाव पड़ेगा, लेकिन अल्पावधि में इसका कुछ असर जरूर होगा।'' नागेश्वरन ने कहा कि कोई भी यह अनुमान नहीं लगा सकता कि राष्ट्रपति ट्रंप ने भारत पर उच्च शुल्क लगाने का फैसला क्यों किया। उन्होंने कहा कि क्या यह ऑपरेशन सिंदूर का नतीजा है या इससे भी ज्यादा रणनीतिक। हालांकि, मुख्य आर्थिक सलाहकार ने कहा कि शुल्क संबंधी मुद्दों पर ध्यान केंद्रित करने से हमें कृत्रिम मेधा के प्रभाव, महत्वपूर्ण खनिजों के लिए एक देश पर निर्भरता और उनके प्रसंस्करण तथा आपूर्ति श्रृंखलाओं को मजबूत करने सहित अधिक ‘महत्वपूर्ण चुनौतियों' से अनजान नहीं रहना चाहिए। उन्होंने निजी क्षेत्र से इन दीर्घकालिक चुनौतियों से निपटने के लिए और अधिक प्रयास करने का आह्वान किया। उन्होंने वादा किया कि सार्वजनिक नीति इसमें सहायक की भूमिका निभाएगी। नागेश्वरन ने कहा, ‘‘आने वाले वर्षों में हमारे सामने उत्पन्न होने वाली बड़ी रणनीतिक चुनौतियों को देखते हुए, निजी क्षेत्र को भी बहुत कुछ सोचना होगा...। निजी क्षेत्र को अगली तिमाही के बजाय दीर्घकालिक दृष्टिकोण के बारे में भी सोचना होगा...।'' उन्होंने कहा कि सरकार ने अनुसंधान को बढ़ावा देने के मकसद से राशि आवंटित की है और अब निजी क्षेत्र को इस क्षेत्र में अपने निवेश को बढ़ाने की जरूरत है। सीईए ने कहा कि भारतीय युवा अत्यधिक स्क्रीन उपयोग, अति-प्रसंस्कृत खाद्य पदार्थों के सेवन आदि से उत्पन्न शारीरिक और स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं से जूझ रहे हैं, जिससे लोगों में तनाव बढ़ रहा है और यहां तक कि आत्महत्या के विचार भी आ रहे हैं। उन्होंने इस चुनौती से निपटने के लिए निजी क्षेत्र से मदद मांगी। उन्होंने वित्त वर्ष 2025-26 में निजी क्षेत्र द्वारा किए गए पूंजीगत व्यय का स्वागत किया।
सीईए ने यूपीआई उपयोग के आंकड़ों का हवाला देते हुए कहा कि विशेष रूप से शहरी उपभोग के संबंध में खपत की स्थिति ‘काफी अच्छी' है। उन्होंने अफसोस जताया कि सेवाओं की खपत को दर्शाने के लिए कोई उचित आंकड़ा स्रोत नहीं है। सूचीबद्ध कंपनियों की आय से जानकारी प्राप्त करना भी सही उपाय नहीं हो सकता है क्योंकि उपभोग गैर-सूचीबद्ध क्षेत्र की ओर बढ़ रहा है। नागेश्वरन ने चीन के बारे में कहा, ‘‘हमें सुरक्षा के पहलू को भी समझना होगा... और 100 अरब अमेरिकी डॉलर के व्यापार घाटे को संख्या से आगे देखने की जरूरत है। समाधान के तौर पर, आयात के स्रोतों में विविधता लाने की जरूरत है और इसमें निजी क्षेत्र की भूमिका होगी। उन्होने चीन का नाम लिए बिना कहा कि केवल एक देश ही महत्वपूर्ण खनिजों की आपूर्ति करता है और यह खनिज सेमीकंडक्टर और कृत्रिम मेधा प्रौद्योगिकी के लिए जरूरी है। इसकी आपूर्ति ‘बेहद अस्थिर' है। सीईए ने कहा, ‘‘हम कच्चे तेल के आयात पर निर्भरता से महत्वपूर्ण खनिजों के आयात पर निर्भरता की ओर नहीं बढ़ सकते...। इस बात को समझने की जरूरत है कि कम-से-कम कच्चे तेल (स्रोत) ज्यादा विविध हैं।'' नागेश्वरन ने कहा कि एआई से रोजगार विस्थापन होगा। ऐसे में एआई को अपनाने में सावधानी बरतने की जरूरत है। ‘हमें उन क्षेत्रों को चुनना होगा जहां हम कृत्रिम मेधा का उपयोग करने की अनुमति देते हैं और यह भी कि हम ऐसा कितनी तेजी से करते हैं।'' उन्होंने कहा कि अगले 10-12 वर्षों में प्रतिवर्ष कम- से-कम 80 लाख नये रोजगार सृजित करने की आवश्यकता है। - नयी दिल्ली. इलेक्ट्रिक वाहन विनिर्माता कंपनी ओला इलेक्ट्रिक अपने उत्पाद पोर्टफोलियो का विस्तार करने की योजना के तहत 15 अगस्त को स्पोर्ट्स स्कूटर खंड में प्रवेश की घोषणा कर सकती है। सूत्रों ने यह जानकारी दी। कंपनी 15 अगस्त को अपने आगामी वार्षिक कार्यक्रम में नई श्रृंखला का अनावरण करने की योजना बना रही है।अपने वार्षिक ‘संकल्प' कार्यक्रम से पहले, कंपनी ने बुधवार को एक टीज़र जारी किया, जिसमें उसके स्कूटर का नया और ज्यादा स्पोर्टी मॉडल नजर आ रहा है। सूत्रों के अनुसार, ओला इलेक्ट्रिक स्पोर्ट्स स्कूटर खंड में प्रवेश के साथ अपने पोर्टफोलियो का विस्तार करने की तैयारी कर रही है। जानकारों के अनुसार, ये स्पोर्ट्स स्कूटर कृत्रिम मेधा (एआई) खूबियों से लैस हो सकते हैं।
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नयी दिल्ली. दिग्गज ई-कॉमर्स कंपनी अमेजन ने बुधवार को कहा कि भारत कंपनी की दीर्घकालिक वृद्धि में सबसे बड़े योगदानकर्ताओं में से एक बनने की राह पर है। कंपनी के एक शीर्ष अधिकारी ने यह बात कही। अमेजन के भारतीय कारोबार प्रमुख समीर कुमार ने पीटीआई-भाषा के साथ बातचीत में कहा कि उनकी कंपनी भारत में अपने निवेश एवं ध्यान को दोगुना कर रही है और अरबों डॉलर का निवेश कर रही है। कुमार ने कहा कि भारत में ऑनलाइन उपभोग की प्रवृत्ति अभी बहुत गहरी नहीं हुई है जिससे कंपनी के लिए 'बहुत बड़ा अवसर' मौजूद है। उन्होंने बताया कि अमेजन वर्ष 2025 में ही करीब 2,000 करोड़ रुपये का निवेश भारतीय परिचालन पर करेगी। कंपनी वर्ष 2030 तक भारत में कुल 26 अरब डॉलर निवेश की योजना पहले ही घोषित कर चुकी है, जिसमें से 2023 से 2030 के बीच लगभग 15 अरब डॉलर निवेश किए जाने हैं। कुमार ने भारत को अमेजन के लिए सबसे तेजी से बढ़ते बाजारों में से एक बताते हुए कहा, “लंबी अवधि में हमें पूरा विश्वास है कि भारत हमारी वृद्धि में प्रमुख योगदान देगा।” उन्होंने कहा कि देश के करीब एक अरब मोबाइल फोन उपभोक्ताओं में से अभी 10 करोड़ लोग ही ऑनलाइन खरीदारी करते हैं। ऐसे में अगले 20 करोड़ खरीदारों तक पहुंचना कंपनी का लक्ष्य है। कुमार ने कहा कि आर्थिक वृद्धि, प्रति व्यक्ति सकल घरेलू उत्पाद में बढ़ोतरी और खपत बढ़ने के साथ भारत में ऑनलाइन खरीदारी को महत्व देने वाले उपभोक्ताओं की संख्या बढ़ेगी। उन्होंने कहा कि अमेजन की नजर अब दूसरी, तीसरी श्रेणी के शहरों और उससे आगे तक फैले व्यापक बाजार पर है। कुमार ने कहा कि कंपनी विक्रेताओं के लिए घरेलू और वैश्विक आपूर्ति श्रृंखला को सुगम बनाने पर काम कर रही है। उन्होंने कहा, “हम बहुत दीर्घकालिक दृष्टिकोण से आगे बढ़ रहे हैं और भारत में अभी बहुत काम बाकी है।” उन्होंने हाल ही में बेंगलुरु और दिल्ली में शुरू की गई त्वरित आपूर्ति सेवा ‘अमेजन नाउ' को ग्राहकों से जबर्दस्त समर्थन मिलने का दावा करते हुए कहा कि कंपनी की इस सेवा को देश के अन्य शहरों में भी ले जाने की योजना है। उन्होंने कहा कि ई-कॉमर्स और ऑनलाइन कारोबार का क्षेत्र अभी शुरुआती दौर में है और इसमें कई कंपनियों के लिए गुंजाइश मौजूद है। ‘अमेजन नाउ' सेवा का पायलट छह माह पहले बेंगलुरु में और इस साल मध्य में दिल्ली में शुरू हुआ था।
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मुंबई. वैश्विक चुनौतियों के बीच जुलाई में रत्न और आभूषण निर्यात में सालाना आधार पर 15.98 प्रतिशत की वृद्धि हुई और यह 217 करोड़ 82.4 लाख डॉलर (18,756.28 करोड़ रुपये) तक पहुंच गया। रत्न एवं आभूषण निर्यात संवर्धन परिषद (जीजेईपीसी) ने बुधवार को यह जानकारी दी। जीजेईपीसी द्वारा साझा किए गए आंकड़ों के अनुसार, वर्ष 2024 के इसी महीने में कुल रत्न और आभूषण निर्यात 187 करोड़ 80.9 लाख डॉलर (15,700 करोड़ रुपये) का रहा था। जीजेईपीसी के चेयरमैन किरीट भंसाली ने बयान में कहा, ‘‘जुलाई का निर्यात अच्छा रहा है और हमारे उद्योग के लिए एक उत्साहजनक संकेत है। इसे मुख्य रूप से इंडिया इंटरनेशनल ज्वेलरी शो (आईआईजेएस) प्रीमियर के दौरान सफल ऑर्डर बुकिंग और हांगकांग के बाजार में मजबूत वापसी से बढ़ावा मिला है। यह प्रदर्शन उत्साहजनक है, खासकर जब यह अमेरिकी शुल्क के मौजूदा प्रभाव जैसी वैश्विक चुनौतियों के बीच आया है।'' परिषद ने कहा कि हाल ही में संपन्न आईआईजेएस प्रीमियर-2025 में, अनुमानित 70,000-90,000 करोड़ रुपये के ऑर्डर बुक हुए हैं, जिससे त्योहारी सत्र से पहले उद्योग का भरोसा बढ़ा है। भंसाली ने कहा कि उद्योग, घरेलू और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर मजबूत मांग चक्र के लिए तैयार है, और जीजेईपीसी इस सितंबर में सऊदी अरब में होने वाले एसएजेईएक्स-2025 की भी तैयारी कर रहा है, जिससे खाड़ी क्षेत्र में नए व्यापार और निवेश के अवसर खुलने की उम्मीद है। जीजेईपीसी के आंकड़ों के अनुसार, जुलाई, 2025 में तराशे और पॉलिश किए हुए हीरों (सीपीडी) का कुल निर्यात 17.76 प्रतिशत बढ़कर 107 करोड़ 17.3 लाख डॉलर (9,230.66 करोड़ रुपये) का हो गया, जबकि पिछले वर्ष इसी अवधि में यह 91 करोड़ 1.3 लाख डॉलर (7,608.79 करोड़ रुपये) रहा था। जुलाई में पॉलिश किए हुए प्रयोगशाला में तैयार किए गए हीरों का निर्यात 27.61 प्रतिशत बढ़कर 12 करोड़ 24.3 लाख डॉलर (1,054.65 करोड़ रुपये) का हो गया, जबकि एक साल पहले इसी अवधि में यह नौ करोड़ 59.4 लाख डॉलर (802.16 करोड़ रुपये) का हुआ था। आंकड़ों के अनुसार, जुलाई में सोने के आभूषणों का कुल निर्यात 16.39 प्रतिशत बढ़कर 81 करोड़ 37.7 लाख डॉलर (7,005.96 करोड़ रुपये) रहा, जबकि पिछले वर्ष की इसी अवधि में यह आंकड़ा 69 करोड़ 91.7 लाख डॉलर (5,844.28 करोड़ रुपये) रहा था।