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 मोदी ने भाजपा के बागी नेता पर हिमाचल प्रदेश चुनाव नहीं लड़ने का ‘‘दबाव बनाया'': कांग्रेस

 नयी दिल्ली,। कांग्रेस ने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी पर भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के एक बागी नेता पर हिमाचल प्रदेश विधानसभा चुनाव नहीं लड़ने का ‘‘दबाव बनाने'' का रविवार को आरोप लगाते हुए कहा कि मोदी निष्पक्ष एवं स्वतंत्र चुनाव को प्रभावित करने के लिए अपनी ‘‘शक्ति का दुरुपयोग'' कर रहे हैं। कांग्रेस प्रवक्ता अभिषेक मनु सिंघवी ने सोशल मीडिया मंचों पर वायरल हुए एक वीडियो का जिक्र करते हुए दावा किया कि भाजपा के बागी नेता कृपाल परमार के साथ फोन पर जिस व्यक्ति की आवाज सुनाई दे रही है, वह मोदी हैं। सिंघवी ने आरोप लगाया कि प्रधानमंत्री नेता पर ‘‘दबाव बना'' रहे हैं और उन्हें ‘‘भावनात्मक रूप से ब्लैकमेल'' कर रहे हैं ताकि वह कांगड़ा जिले की फतेहपुर सीट से निर्दलीय उम्मीदवार के रूप में चुनाव नहीं लड़ें।
उन्होंने अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी (एआईसीसी) मुख्यालय में एक संवाददाता सम्मेलन में कहा, ‘‘शासन नहीं, बल्कि चुनाव प्रचार भाजपा सरकार और उसके मुख्य कार्यकारी का पसंदीदा काम है।'' सिंघवी ने वीडियो का जिक्र करते हुए इसे ‘‘स्पष्ट रूप से चुनावी कदाचार'' बताते हुए कहा, ‘‘स्वतंत्र और निष्पक्ष चुनाव को प्रभावित करने के लिए प्रधानमंत्री अपनी शक्ति का दुरुपयोग कर रहे हैं।'' उन्होंने कहा कि कांग्रेस हर उपलब्ध माध्यम के जरिए निर्वाचन आयोग और अन्य से इस मामले में शिकायत करेगी। सिंघवी ने कहा, ‘‘हिमाचल प्रदेश में भाजपा का आधार खिसक रहा है और उसकी हार होने वाली है। इस प्रकार के कदम एवं शब्द उसके डर, हताशा और असुरक्षा को दर्शाते हैं।'' उन्होंने कहा, ‘‘हम यह फैसला देश पर छोड़ते हैं कि क्या विधानसभा चुनाव के लिए माननीय प्रधानमंत्री जैसे उच्च पद (पर आसीन व्यक्ति) को इस हद तक गिरना चाहिए।'' कांग्रेस नेता ने कहा कि प्रधानमंत्री मोदी ‘‘तबाह'' हो रही अर्थव्यवस्था को नियंत्रित करने और सुशासन सुनिश्चित करने के बजाय शनिवार को अमृतसर के ब्यास में राधा स्वामी सत्संग गए और इसके प्रमुख बाबा गुरिंदर सिंह ढिल्लों से मुलाकात की, क्योंकि डेरा का हिमाचल प्रदेश में काफी प्रभाव है। उन्होंने कहा, ‘‘इस तरह की हरकतों से हताशा और डर स्पष्ट नजर आता है। भाजपा को धर्म की याद तभी आती है, जब वोट कम हो जाते हैं।'' कांग्रेस नेता ने कहा, ‘‘संयुक्त उपभोक्ता मूल्य सूचकांक (सीपीआई) सितंबर में बढ़कर 7.41 प्रतिशत हो गया। इससे भी अधिक चिंता की बात है कि ग्रामीण सीपीआई पहले से ही अधिक शहरी सीपीआई से भी ज्यादा बढ़ा है, जो ग्रामीण भारत में मुद्रास्फीति का थोड़ा अधिक प्रभाव दर्शाता है।‘‘ उन्होंने कहा, ‘‘उपभोक्ता खाद्य मूल्य सूचकांक (सीएफपीआई) साल-दर-साल बढ़कर इस महीने 8.6 प्रतिशत तक चला गया। इसका मतलब है कि खाद्य कीमतें महंगाई में वृद्धि कर रही हैं और इसका आमजन पर सबसे अधिक असर पड़ रहा है।''

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