3,000 किलोमीटर चला एक बाघ!
बाघ की सबसे लंबी पैदल-यात्रा
'वॉकर' ने भारत में अब तक दर्ज 'एक बाघ द्वारा सबसे लंबी पैदल-यात्रा' पूरी कर ली है। अब इस बाघ ने महाराष्ट्र के ज्ञानगंगा अभयारण्य को अपना घर बना लिया है। वॉकर को वन्य-जीव अधिकारियों ने यह नाम दिया है। साढ़े तीन साल के इस नर बाघ ने पिछले साल जून में महाराष्ट्र के एक वन्य-जीव अभयारण्य में अपना घर छोड़ दिया था। वह संभवतः शिकार, अपने लिए अलग इलाके या एक साथी की तलाश में था। रेडियो कॉलर से लैस इस बाघ ने महाराष्ट्र और तेलंगाना के सात जिलों में 3,000 किमी की यात्रा की और अब वो एक जगह पर बस गया है। जिस रेडियो कॉलर के सहारे उसे ट्रैक किया जा रहा था, उसे अप्रैल में हटा दिया गया था। 205 वर्ग किलोमीटर में फैले ज्ञानगंगा अभयारण्य में तेंदुए, नीलगाय, जंगली सूअर, मोर और हिरण रहते हैं। वन्यजीव अधिकारियों का कहना है कि वॉकर वहां रहने वाला एकमात्र बाघ है। महाराष्ट्र के वरिष्ठ वन अधिकारी नितिन काकोडकर ने बताया, 'अब उसे 'टैरेटरी' (सीमा) की चिंता नहीं है और यहां शिकार भी पर्याप्त हैं।
अब वन्यजीव अधिकारी इस बात पर विचार कर रहे हैं कि क्या उन्हें वॉकर को साथी देने के लिए एक मादा बाघ को अभयारण्य में ले जाना चाहिए या नहीं। बाघ अकेले रहने वाला जीव नहीं है। इसलिए उसे साथी की जरूरत तो है, लेकिन अभयारण्य में एक दूसरे बाघ को ले जाना, एक आसान निर्णय नहीं है। काकोडकर कहते है, 'ज्ञानगंगा कोई बड़ा अभयारण्य नहीं है। इसके चारों ओर खेती होती है। इसके अलावा, अगर वॉकर यहां प्रजनन करता है, तो बाकी जानवरों पर दबाव बढ़ेगा।
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