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 सांपों की जीभ क्यों दो भागों में कटी हुई होती है?
दुनियाभर में सांपों की 2500-3000 के करीब प्रजातियां पाई जाती हैं। हालांकि इनमें से कुछ ही सांप जहरीले होते हैं और कुछ तो ऐसे भी होते हैं जो पलभर में किसी को भी मौत की नींद सुला सकते हैं। दरअसल, सांप के मुंह में विष की थैली होती है, जिससे जुडे़ दांत तेज और खोखले होते हैं। ऐसे में वो जब भी किसी को काटते हैं तो उनका विष उस व्यक्ति के शरीर में प्रवेश कर जाता है। क्या आपने कभी इस बात पर ध्यान दिया है कि सांपों की जीभ आगे से दो हिस्सों में क्यों बंटी हुई होती है? इसके पीछे एक पौराणिक कहानी बताई जाती है, जो हैरान कर देती है। 
सांपों की जीभ दो भागों में कटी हुई होने के पीछे एक गहरा रहस्य छुपा हुआ है, जिसका उल्लेख महाभारत में मिलता है। महर्षि वेदव्यास द्वारा लिखी गई महाभारत में सांपों की जीभ से जुड़ी एक बहुत ही रोचक कथा है। महाभारत के अनुसार, महर्षि कश्यप की 13 पत्नियां थीं। इनमें से कद्रू भी एक थी। सभी नाग कद्रू की ही संतान हैं। वहीं, महर्षि कश्यप की एक अन्य पत्नी का नाम विनता था, जिनके पुत्र पक्षीराज गरुड़ हैं। एक बार महर्षि कश्यप की दोनों पत्नियों कद्रू और विनता ने एक सफेद घोड़ा देखा। उसे देखकर कद्रू ने कहा कि इस घोड़े की पूंछ काली है और विनता ने कहा कि नहीं सफेद है। इस बात पर दोनों में शर्त लग गई।  तब कद्रू ने अपने नाग पुत्रों से कहा कि वो अपना आकार छोटा करके घोड़े की पूंछ से लिपट जाएं, ताकि घोड़े की पूंछ काली नजर आए और वह शर्त जीत जाएं। उस समय कुछ नाग पुत्रों ने ऐसा करने से मना कर दिया। तब कद्रू ने अपने पुत्रों को ही शाप दे दिया कि तुम राजा जनमेजय के यज्ञ में भस्म हो जाओगे। शाप की बात सुनकर सभी नाग पुत्र अपनी माता के कहेनुसार उस सफेद घोड़े की पूंछ से लिपट गए, जिससे उस घोड़े की पूंछ काली दिखाई देने लगी।  शर्त हारने के कारण विनता कद्रू की दासी बन गईं। जब विनता के पुत्र गरुड़ को ये बात पता चली कि उनकी मां दासी बन गई है तो उन्होंने कद्रू और उनके नाग पुत्रों से पूछा कि तुम्हें मैं ऐसी कौन सी वस्तु लाकर दूं, जिससे कि मेरी माता तुम्हारे दासत्व से मुक्त हो जाएं। तब नाग पुत्रों ने कहा कि तुम हमें स्वर्ग से अमृत लाकर दोगे तो तुम्हारी माता हमारी माता के दासत्व से मुक्त हो जाएंगी।नागपुत्रों के कहेनुसार गरुड़ स्वर्ग से अमृत कलश ले आए और उसे कुशा (एक प्रकार की धारदार घास) पर रख दिया। उन्होंने सभी नागों से कहा कि अमृत पीने से पहले सभी स्नान करके आएं। गरुड़ के कहने पर सभी नाग स्नान करने चले गए, लेकिन इसी बीच देवराज इंद्र वहां आ गए और अमृत कलश लेकर पुन: स्वर्ग चले गए। जब सभी नाग स्नान करके आए तो उन्होंने देखा कि कुशा पर अमृत कलश नहीं है। इसके बाद सांपों ने उस घास को ही चाटना शुरू कर दिया, जिस पर अमृत कलश रखा था। उन्हें लगा कि इस जगह पर अमृत का थोड़ा अंश जरूर गिरा होगा। ऐसा करने से उन्हें अमृत ही प्राप्ति तो नहीं हुई, लेकिन घास की वजह ही उनकी जीभ के दो टुकड़े हो गए। 

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