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- नई दिल्ली। छोटे बिजनेस को क्रेडिट एक्सपोजर सालाना आधार पर 16.2 प्रतिशत बढ़कर 46 लाख करोड़ रुपए पर पहुंच गया है। यह जानकारी शुक्रवार को जारी रिपोर्ट में दी गई। सीआरआईएफ हाई मार्क और सिडबी की रिपोर्ट में कहा गया है कि नीतिगत उपायों और सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यमों (एमएसएमई) के लिए सरकारी लोन योजनाओं के समर्थन से सक्रिय लोन खातों में 11.8 प्रतिशत की वृद्धि हुई है और यह संख्या 7.3 करोड़ तक पहुंच गई है।रिपोर्ट में पाया गया कि 5 करोड़ रुपए तक के लोन वाले व्यवसायों में औपचारीकरण तेजी से बढ़ रहा है, जिसमें सितंबर 2025 तक लोन लेने वाले 23.3 प्रतिशत उधारकर्ता नए थे, जबकि उद्यमों के लिए यह आंकड़ा 12 प्रतिशत पर था।रिपोर्ट में बताया गया कि छोटे व्यवसायों के लिए लोन व्यवस्था लगातार मजबूत हो रही है और इसमें सुधार हो रहा है। लोन पोर्टफोलियो का विस्तार जारी है और औपचारीकरण धीरे-धीरे आगे बढ़ रहा है, जिसमें अधिक लेंडर्स सक्रिय रूप से भाग ले रहे हैं, जबकि परिसंपत्ति की गुणवत्ता भी अच्छी बनी हुई है।एकल स्वामित्व वाले व्यवसाय इस व्यवस्था में अपना दबदबा बनाए हुए हैं, जो लगभग 80 प्रतिशत लोन और लगभग 90 प्रतिशत उधारकर्ताओं का प्रतिनिधित्व करते हैं। सबसे तेजी से बढ़ने वाला वर्ग एकल स्वामित्व वाले व्यवसाय ने 20 प्रतिशत की सबसे तेज वृद्धि दर्ज की, जो मुख्य रूप से संपत्ति को गिरवी रखकर लिए गए लोन से प्रेरित है।रिपोर्ट में कहा गया है, “निजी बैंक उद्यम को लोन देने में अग्रणी बने हुए हैं, सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों का स्थान उनके बाद आता है। नॉन-बैंकिंग फाइनेंस कंपनियां (एनबीएफसी) अपनी उपस्थिति लगातार बढ़ा रही हैं। अब एमएसएमई को दिए गए लोन में उनकी हिस्सेदारी 41 प्रतिशत से अधिक है।” कार्यशील पूंजी लोन कुल बकाया लोन का लगभग 57 प्रतिशत है, जबकि टर्म लोन पूंजीगत व्यय को समर्थन देना जारी रखे हुए हैं।सीआरआईएफ हाई मार्क के अध्यक्ष और सीआरआईएफ इंडिया और दक्षिण एशिया के क्षेत्रीय प्रबंध निदेशक सचिन सेठ ने कहा, “सितंबर 2025 तक उधारकर्ताओं के कुल आधार का लगभग 80 प्रतिशत हिस्सा एकल स्वामित्व वाले व्यवसायों का है, जो भारत के लघु व्यवसाय ऋण तंत्र का आधार बने हुए हैं। लघु व्यवसायों के विस्तार के साथ-साथ ऋण का विस्तार और क्रमिक औपचारीकरण भी समानांतर रूप से आगे बढ़ रहा है।”रिपोर्ट में बताया गया कि महाराष्ट्र, तमिलनाडु, उत्तर प्रदेश और गुजरात समग्र पोर्टफोलियो आकार में अग्रणी हैं। तेलंगाना, आंध्र प्रदेश और पश्चिम बंगाल में मजबूत वृद्धि देखी जा रही है। मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर पूर्ण लोन जोखिम में सबसे आगे है, जबकि सेवा क्षेत्र में वार्षिक आधार पर 19.6 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज की गई है।
- नई दिल्ली। भारतीय शेयर बाजार शुक्रवार के कारोबारी सत्र में लाल निशान में बंद हुआ। दिन के अंत में बीएसई सेंसेक्स 367.25 अंक या 0.43% की गिरावट के साथ 85,041.45 पर बंद हुआ, जबकि एनएसई निफ्टी 99.80 अंक या 0.38% फिसलकर 26,042.30 के स्तर पर आ गया।बाजार पर दबाव बनाने में आईटी शेयरों की प्रमुख भूमिका रही। निफ्टी आईटी इंडेक्स 1% की गिरावट के साथ बंद हुआ। इसके अलावा ऑटो, पीएसयू बैंक, फाइनेंशियल सर्विसेज, फार्मा, रियल्टी, एनर्जी, प्राइवेट बैंक, इन्फ्रा और कंजप्शन सेक्टर भी लाल निशान में रहे। दूसरी ओर एफएमसीजी, मेटल और कमोडिटीज सेक्टर हरे निशान में बंद हुए।लार्जकैप के साथ-साथ मिडकैप और स्मॉलकैप शेयरों में भी कमजोरी देखने को मिली। निफ्टी मिडकैप 100 इंडेक्स 136.90 अंक या 0.23% की गिरावट के साथ 60,314.45 पर बंद हुआ, जबकि निफ्टी स्मॉलकैप 100 इंडेक्स 13.50 अंक फिसलकर 17,695.10 पर बंद हुआ।सेंसेक्स पैक में टाइटन, एनटीपीसी, एचयूएल, एक्सिस बैंक और अल्ट्राटेक सीमेंट गेनर्स रहे। वहीं बजाज फाइनेंस, एशियन पेंट्स, एचसीएल टेक, टीसीएस, इटरनल, टेक महिंद्रा, पावर ग्रिड, सन फार्मा, भारती एयरटेल, बजाज फिनसर्व, मारुति सुजुकी, आईटीसी, आईसीआईसीआई बैंक, टाटा स्टील, बीईएल, एमएंडएम और एचडीएफसी बैंक लूजर्स में शामिल रहे।वृहद बाजार में भी कमजोरी का माहौल रहा, जहां गिरने वाले शेयरों की संख्या बढ़ने वाले शेयरों से अधिक रही।बाजार विशेषज्ञों के अनुसार, घरेलू इक्विटी बाजार में गिरावट की वजह साल के अंत में कम ट्रेडिंग वॉल्यूम और हालिया तेजी के बाद मुनाफावसूली रही। इसके अलावा विदेशी संस्थागत निवेशकों (एफआईआई) की लगातार बिकवाली से भी बाजार पर दबाव बना रहा। अमेरिका-भारत के बीच संभावित ट्रेड डील को लेकर बढ़ता इंतजार भी निवेशकों में अनिश्चितता पैदा कर रहा है।शुक्रवार को बाजार की शुरुआत भी कमजोरी के साथ हुई थी। शुरुआती कारोबार में सेंसेक्स और निफ्टी दोनों लाल निशान में कारोबार करते नजर आए थे।
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नई दिल्ली। बढ़ते भू-राजनीतिक तनावों और अगले साल अमेरिकी फेडरल रिजर्व द्वारा ब्याज दरों में कटौती की उम्मीदों के चलते हफ्ते के आखिरी कारोबारी दिन शुक्रवार को सोने और चांदी की कीमतें अपने नए रिकॉर्ड स्तर पर पहुंच गईं। एमसीएक्स पर फरवरी डिलीवरी वाला सोने का वायदा भाव 0.72 प्रतिशत से ज्यादा बढ़कर 1,39,286 रुपए प्रति 10 ग्राम के रिकॉर्ड स्तर पर पहुंच गया, तो वहीं एमसीएक्स सिल्वर मार्च वायदा 4 प्रतिशत से ज्यादा के बढ़त के साथ रिकॉर्ड 2,33,183 रुपए प्रति किलोग्राम के स्तर पर पहुंच गया। यह दोनों कीमती धातुओं में अब तक का सबसे उच्चतम स्तर है।
खबर लिखे जाने तक सोना 1,39,220 रुपये पर 0.81% और चांदी 2,33,000 रुपये पर 4.12% बढ़ी की तेजी दर्ज हुई। खबर लिखे जाने तक सोना जहां 1,123 रुपए यानी 0.81 प्रतिशत की तेजी के साथ 1,39,220 रुपए प्रति 10 ग्राम पर कारोबार कर रहे थे, वहीं चांदी 9,210 रुपए यानी 4.12 प्रतिशत की उछाल के साथ 2,33,000 रुपए प्रति किलोग्राम पर कारोबार कर रहे थे।सोने की कीमतों में यह उछाल मुख्य रूप से अमेरिका और वेनेजुएला के बीच बढ़ते तनावों के कारण आया है। अंतरराष्ट्रीय बाजारों में भी सोने की कीमतें बढ़ी हैं और स्पॉट गोल्ड 0.5 प्रतिशत बढ़कर 4,501.44 डॉलर प्रति औंस हो गई। इससे पहले सोना 4,530.60 डॉलर प्रति औंस तक पहुंच चुका था।व्यापारी उम्मीद कर रहे हैं कि 2026 में अमेरिकी फेडरल रिजर्व ब्याज दर में दो बार 0.25 प्रतिशत की कटौती करेगा, क्योंकि महंगाई में कमी आ रही है और श्रम बाजार की स्थिति नरम हो रही है। इसके साथ ही बढ़ते भू-राजनीतिक तनावों के कारण सुरक्षित निवेश की मांग में भी बढ़ोतरी हुई है।अमेरिका और वेनेजुएला के बीच बढ़ते तनाव, रूस-यूक्रेन युद्ध और नाइजीरिया में आईएसआईएस के खिलाफ अमेरिकी सेना की कार्रवाई से भू-राजनीतिक तनाव बढ़े हैं। इस महीने अमेरिकी कोस्ट गार्ड ने वेनेजुएला के कच्चे तेल से भरे एक सुपर टैंकर को कब्जे में लिया और वेनेजुएला से संबंधित दो अन्य जहाजों को इंटरसेप्ट करने की कोशिश की, जिससे तनाव और बढ़ गया।मेहता इक्विटी लिमिटेड के कमोडिटी उपाध्यक्ष राहुल कालंत्री ने कहा कि केंद्रीय बैंकों द्वारा खरीदी और लगातार ईटीएफ में पूंजी प्रवाह सोने की कीमतों को समर्थन दे रहे हैं। सोने में 1,36,550 से 1,35,710 रुपए के बीच सपोर्ट है, जबकि 1,38,850 से 1,39,670 रुपए के बीच रेजिस्टेंस है। वहीं सिल्वर में 2,22,150 से 2,20,780 रुपए के बीच सपोर्ट तो 2,25,810 से 2,26,970 रुपए के बीच रेजिस्टेंस है।एक्सपर्ट्स के अनुसार, केंद्रीय बैंकों की आक्रामक खरीदारी, अमेरिकी फेड द्वारा ब्याज दरों में कटौती की उम्मीद, अमेरिकी टैरिफ के प्रभावों को लेकर चिंता, भू-राजनीतिक तनाव और गोल्ड और सिल्वर ईटीएफ में मजबूत निवेश ने इस वर्ष सोने और चांदी की कीमतों को बढ़ावा दिया है। -
नयी दिल्ली. भारतीय खुदरा उद्योग अतीत की बाधाओं को दरकिनार करते हुए मजबूत आधार के साथ 2026 के लिए तैयार है। प्रमुख महानगरों से छोटे व मझाले शहरों की ओर मांग में बदलाव से बेहतर मुनाफे की उम्मीद है। साथ ही देश अब भी दुनिया के तीसरे सबसे बड़े खुदरा बाजार के रूप में अपनी स्थिति बनाए रखेगा। भारत के करीब 1100 अरब अमेरिकी डॉलर मूल्य के खुदरा उद्योग में तेज डिजिटल एकीकरण, छोटे शहरों में विस्तार एवं मजबूत घरेलू मांग, प्रौद्योगिकी-प्रधान व्यवधान एवं गुणवत्ता व मूल्य के प्रति बढ़ती उपभोक्ता अपेक्षाओं के कारण बड़े मॉल का विकास हुआ है। माल एवं सेवा कर (जीएसटी) सुधार और आयकर राहत जैसी नीतिगत पहल, अच्छी मानसून तथा उच्च न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) के साथ उपभोक्ता मांग में सकारात्मक संकेत दे रही हैं। इसके साथ ही, मूल्य खुदरा में तेजी और ‘प्रीमियमाइजेशन' के बढ़ने से 2026 में वृद्धि तेज रहने की संभावना है। उद्योग को बढ़ती किराए की दरों, डिजिटल एवं भौतिक माध्यमों में तीव्र प्रतिस्पर्धा, सभी माध्यमों के अनुभवों का साथ लोने में चुनौतियों के साथ आपूर्ति श्रृंखला की लगातार असफलताएं हालांकि मुनाफे पर दबाव एवं कुशल प्रतिभा की कमी जैसी समस्या का सामना करना पड़ रहा है। डेलॉयट इंडिया के साझेदार एवं उपभोक्ता उद्योग के प्रमुख आनंद रामनाथन ने कहा कि दोहरे अंकों की वृद्धि के साथ 2026 के लिए खुदरा क्षेत्र की संभावना “अत्यधिक आशाजनक” है। उन्होंने कहा, “ सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) की वृद्धि दर 6.4 से 6.7 प्रतिशत रहने का अनुमान है, मुद्रास्फीति नियंत्रित है और उपभोक्ता भावना मजबूत बनी हुई है। ई-कॉमर्स का विस्तार होगा, छोटे शहरों तथा ग्रामीण क्षेत्रों के अधिक उपभोक्ता ऑनलाइन खरीदारी करेंगे।'' उन्होंने कहा कि ‘क्विक कॉमर्स' और ‘सोशल कॉमर्स' पारंपरिक मॉडल में बाधा डालना जारी रखेंगे, और सभी माध्यमों में परिपक्वता के एकीकृत अनुभव एवं लचीले पूर्ति विकल्प सक्षम करेगी। ‘प्रीमियमाइजेशन और वैयक्तिकरण मध्य और उच्च आय वर्ग के बढ़ने से प्रेरित होगा, जबकि स्थिरता और समावेश ब्रांड के लिए मुख्य भिन्नताएं बनेंगी। उन्होंने साथ ही कहा कि मुनाफा प्रबंधन, आपूर्ति श्रृंखला अनुकूलन एवं नियामक अनुपालन से संबंधित चुनौतियां बनी रहेंगी लेकिन यह क्षेत्र प्रौद्योगिकी तथा उपभोक्ता-केंद्रित पहल के साथ मजबूत और नवाचारी बना रहेगा। एक्सेंचर स्ट्रैटेजी एंड कंसल्टिंग के प्रबंध निदेशक आदित्य प्रियदर्शन ने कहा कि 2025 ने भारत में अधिक औपचारिक एवं डिजिटल रूप से सक्षम खुदरा परिवेश की ओर स्पष्ट और निरंतर बदलाव को दर्शाया। उन्होंने कहा कि जीएसटी में बदलाव जैसे संरचनात्मक सुधार ‘‘ जटिलता कम कर रहे हैं, मूल्य पारदर्शिता बढ़ा रहे हैं'' और खुदरा विक्रेताओं के लिए समान प्रतिस्पर्धा का मैदान तैयार कर रहे हैं। माल एवं सेवा कर (जीएसटी) दर में कटौती और आयकर राहत ने भी उपभोक्ता भावना को बढ़ावा दिया और वर्ष की अंतिम तिमाही में रिकॉर्ड बिक्री दर्ज की। उन्होंने कहा, ‘‘ भारत की खुदरा वृद्धि 2026 में संरचनात्मक रूप से मजबूत बनी रहेगी, लेकिन अगला चरण मात्रा के बजाय मुनाफा-केंद्रित होगा। रिटेलर्स एसोसिएशन ऑफ इंडिया (आरएआई) के मुख्य कार्यपालक अधिकारी कुमार राजगोपालन ने कहा कि खुदरा क्षेत्र 2026 में 2025 के दौरान हासिल स्थिर गति के साथ प्रवेश करेगा जो उत्साह की बजाय संतुलित और व्यापक वृद्धि को दर्शाता है। वी-मार्ट के प्रबंध निदेशक ललित अग्रवाल ने कहा कि 2025 ब्रांडेड और प्रीमियम खुदरा के लिए अच्छा वर्ष नहीं था, लेकिन मूल्य खुदरा ने अच्छा प्रदर्शन किया। 2025 में मुनाफे के मामले में चुनौतियां रहीं, विशेष रूप से जीएसटी बदलावों के कारण। उन्होंने कहा कि 2026 में खुदरा उद्योग को बढ़ावा मिलेगा जिसमें परिधान, फैशन और अन्य क्षेत्रों में उपभोक्ता खर्च में वृद्धि मदद करेगी। ईवाई इंडिया के उपभोक्ता उत्पाद एवं खुदरा क्षेत्र के राष्ट्रीय प्रमुख परेश पारेख ने कहा कि उद्योग लंबे समय तक ‘मूल्य-केंद्रित वृद्धि' से ‘मात्रा-चालित' पुनर्प्राप्ति की शुरुआती अवस्था में प्रवेश कर रहा है। 2026 आशाजनक दिखाई देता है।
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नयी दिल्ली. देश में पेट्रोल पंप की संख्या 2015 से दोगुना होकर 1,00,000 के पार पहुंच चुकी है। सार्वजनिक क्षेत्र के ईंधन खुदरा विक्रेताओं ने बाजार हिस्सेदारी को बनाए रखने तथा ग्रामीण एवं राजमार्ग क्षेत्रों में ईंधन की पहुंच को और अधिक बढ़ाने के लिए तेजी से पेट्रोल पंप का विस्तार किया है। पेट्रोलियम मंत्रालय के अंतर्गत आने वाला पेट्रोलियम योजना एवं विश्लेषण प्रकोष्ठ से प्राप्त आंकड़ों के अनुसार, नवंबर के अंत तक देश में 1,00,266 पेट्रोल पंप थे। यह अमेरिका और चीन के बाद तीसरा सबसे बड़ा आंकड़ा है। सार्वजनिक क्षेत्र की इंडियन ऑयल कॉरपोरेशन (आईओसी), भारत पेट्रोलियम कॉरपोरेशन लिमिटेड (बीपीसीएल) और हिंदुस्तान पेट्रोलियम कॉरपोरेशन लिमिटेड (एचपीसीएल) जैसी सरकारी कंपनियों के पास 90 प्रतिशत से अधिक पंप हैं। रूस की रोसनेफ्ट समर्थित नायरा एनर्जी लिमिटेड 6,921 पेट्रोल पंप के साथ सबसे बड़ी निजी ईंधन खुदरा विक्रेता है। इसके बाद रिलायंस इंडस्ट्रीज लिमिटेड और बीपी के संयुक्त उद्यम के स्वामित्व वाले 2,114 पेट्रोल पंप हैं। शेल के 346 पेट्रोल पंप हैं। पीपीएसी के आंकड़ों के अनुसार, पेट्रोल पंप नेटवर्क 2015 में 50,451 स्टेशन से लगभग दोगुना हो गया है। उस वर्ष, निजी कंपनियों के स्वामित्व वाले 2,967 पेट्रोल पंप कुल बाजार का लगभग 5.9 प्रतिशत थे। वर्तमान में, वे कुल बाजार का 9.3 प्रतिशत हिस्सा हैं। भारत में दुनिया का तीसरा सबसे बड़ा पेट्रोल पंप नेटवर्क है। अमेरिका में सबसे बड़ा नेटवर्क है। अमेरिका में पेट्रोल पंप की संख्या के बारे में कोई आधिकारिक आंकड़े उपलब्ध नहीं हैं लेकिन 2024 की एक रिपोर्ट के अनुसार देश में खुदरा पेट्रोल पंप की संख्या 1,96,643 थी। तब से कुछ पंप बंद हो चुके होंगे। चीन के लिए पिछले साल की एक रिपोर्ट में पेट्रोल पंप की संख्या 1,15,228 बताई गई थी। सिनोपेक की वेबसाइट पर मौजूद जानकारी के अनुसार वह 30,000 से अधिक चालू पेट्रोल पंप के साथ चीन का सबसे बड़ा ईंधन खुदरा विक्रेता है। चाइना पेट्रोकेमिकल कॉरपोरेशन (सिनोपेक) आकार में हालांकि बड़ी है लेकिन भारतीय बाजार की अग्रणी कंपनी आईओसी के 41,664 पेट्रोल पंप के सामने इसके पेट्रोल पंप की संख्या बहुत कम लगती है। बीपीसीएल का नेटवर्क दूसरे नंबर पर है जिसके 24,605 स्टेशन हैं। इसके बाद एचपीसीएल का स्थान है जिसके 24,418 पेट्रोल पंप हैं।
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नयी दिल्ली. उद्योग मंडल सीआईआई ने सरकार से देश की वृद्धि की गति को बनाए रखने के लिए आगामी बजट में संस्थागत सुधारों और राजकोषीय मजबूती को बढ़ावा देने का बृहस्पतिवार को आग्रह किया। भारतीय उद्योग परिसंघ (सीआईआई) ने भारत की वृहद आर्थिक स्थिरता को मजबूत करने के लिए तैयार की गई रणनीति में ये सुझाव दिए। यह रणनीति ऋण स्थिरता, राजकोषीय पारदर्शिता, राजस्व जुटाने और व्यय दक्षता जैसे प्रमुख तत्वों पर आधारित है। सीआईआई के महानिदेशक चंद्रजीत बनर्जी ने कहा, ‘‘ भारत ने उच्च वृद्धि दर, कम मुद्रास्फीति एवं बेहतर राजकोषीय संकेतकों का एक दुर्लभ संगम हासिल किया है। आगामी केंद्रीय बजट को अनुशासित राजकोषीय प्रबंधन एवं गहन संस्थागत सुधारों के माध्यम से इस गति को बनाए रखना होगा।'' वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण लोकसभा में 2026-27 का केंद्रीय बजट फरवरी में पेश कर सकती हैं।
सीआईआई ने सरकार को कर चोरी का पता लगाने के लिए अत्याधुनिक विश्लेषण तरीकों का इस्तेमाल करने का सुझाव दिया। उसने तर्क दिया कि देश को वर्तमान 17.5 प्रतिशत (केंद्र एवं राज्यों को मिलाकर) के कर-जीडीपी अनुपात को बढ़ाने की आवश्यकता है। ‘कर-जीडीपी अनुपात', यह मापने का पैमाना है कि किसी देश के कुल राजस्व (जीडीपी) का कितना हिस्सा सरकार कर के रूप में एकत्रित करती है। बनर्जी ने कहा, ‘‘ देश की विकासात्मक आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए भारत को अपने कर-जीडीपी अनुपात को बढ़ाने की आवश्यकता है। भारत के विश्व स्तरीय डिजिटल बुनियादी ढांचे से प्राप्त आंकड़ों का उपयोग कर चोरी का पता लगाने और कर आधार को बढ़ाने में सहायक हो सकता है।'' सीआईआई ने कहा कि कर रिटर्न को उच्च मूल्य के लेन-देन से जोड़ना और अत्याधुनिक विश्लेषण तरीकों का उपयोग करना कर चोरी का वास्तविक समय में पता लगाने में सहायक हो सकता है। साथ ही अनुपालन लागत को भी कम कर सकता है। उद्योग जगत ने ऋण को प्रबंधन योग्य बनाये रखने को सुनिश्चित करने के लिए वित्त वर्ष 2030-31 तक सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) के एक प्रतिशत घट-बढ़ के साथ 50 प्रतिशत के लक्ष्य वाले सरकार के कर्ज में कमी की रूपरेखा का पालन करने पर जोर दिया। संस्थागत विश्वसनीयता को मजबूत करने के लिए सीआईआई ने राजस्व, व्यय एवं ऋण के लिए तीन से पांच साल के ‘रोलिंग रोडमैप' के साथ मध्यम-अवधि राजकोषीय ढांचे को बहाल करने की सिफारिश की। सीआईआई ने कहा कि केंद्र तथा राज्यों में सार्वजनिक वित्त की गुणवत्ता का आकलन करने और प्रदर्शन को राजकोषीय हस्तांतरण से जोड़ने के लिए एक राजकोषीय प्रदर्शन सूचकांक को संस्थागत रूप दिया जाना चाहिए जिससे सूझ-बूझ से काम करने एवं सुधार-उन्मुख राज्यों को प्रोत्साहन मिले। उद्योग मंडल ने अंतरिम उपाय के रूप में चरणबद्ध विनिवेश करने की सिफारिश की जिसके तहत सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों में सरकार की हिस्सेदारी को धीरे-धीरे घटाकर 51 प्रतिशत तक लाया जाएगा, बहुमत स्वामित्व बरकरार रखा जाएगा और अंततः समय के साथ इसे 26-33 प्रतिशत तक कम किया जाए। सीआईआई ने साथ ही कहा कि इसके समानांतर पूर्ण निजीकरण के प्रयास जारी रहने चाहिए।व्यय प्रबंधन, विशेष रूप से सब्सिडी सुधार, सीआईआई द्वारा सुझाई गई रणनीति का एक और तत्व है।सार्वजनिक वितरण प्रणाली (पीडीएस) में 813 करोड़ लोग यानी जनसंख्या का 57 प्रतिशत हिस्सा शामिल है। पीडीएस आंकड़े के अद्यतन न होने और ‘कालाबाजारी' होने जैसी चुनौतियों का सामना कर रही है। उद्योग मंडल ने शिक्षा, स्वास्थ्य, कौशल विकास एवं जलवायु परिवर्तन से निपटने की क्षमता जैसे उच्च प्रभाव वाले क्षेत्रों को प्राथमिकता देने और निगरानी के लिए डिजिटल उपकरणों का उपयोग करने का आह्वान किया जिससे बेहतर परिणाम तथा वित्तीय बचत हो सकती है। - नई दिल्ली। भारत के वस्त्र क्षेत्र ने 2025 में निवेश और निर्यात में भारी वृद्धि दर्ज की है, जिसे सरकारी प्रोत्साहन योजनाओं और व्यापार में आसानी के लिए किए गए आर्थिक सुधारों से बल मिला। सरकार ने विश्व स्तरीय इंफ्रास्ट्रक्चर से लैस 7 पीएम मेगा इंटीग्रेटेड टेक्सटाइल रीजन एंड अपैरल (पीएम मित्र) पार्कों के निर्माण को मंजूरी दी है, जिनमें प्लग एंड प्ले सुविधा भी शामिल है। इन पार्कों के लिए 4,445 करोड़ रुपए का बजट तय किया गया है। ये पार्क तमिलनाडु, तेलंगाना, गुजरात, कर्नाटक, मध्य प्रदेश, उत्तर प्रदेश और महाराष्ट्र में बनेंगे।अब तक 27,434 करोड़ रुपए से अधिक के निवेश समझौते किए जा चुके हैं और 100 प्रतिशत जमीन भी पार्कों के लिए खरीद ली गई है। सभी राज्य सरकारों ने पार्कों के लिए 2,590.99 करोड़ रुपए की लागत से इंफ्रास्ट्रक्चर कार्य शुरू कर दिया है। सरकार ने राष्ट्रीय तकनीकी वस्त्र मिशन (एनटीटीएम) की शुरुआत की है, जिसमें 1,480 करोड़ रुपए का निवेश किया जाएगा। इस मिशन का उद्देश्य तकनीकी वस्त्र के उपयोग को बढ़ाना और इसे रक्षा जैसे महत्वपूर्ण क्षेत्रों में प्रमोट करना है।वित्त वर्ष 2024-25 में हस्तशिल्प सहित वस्त्र एवं परिधान निर्यात ने 5 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज की और यह 37.8 अरब डॉलर तक पहुंच गया। इस निर्यात का सबसे बड़ा हिस्सा अमेरिका, यूरोपीय संघ और ब्रिटेन को गया, जबकि बांग्लादेश, यूएई, श्रीलंका, ऑस्ट्रेलिया और कनाडा जैसे नए देशों ने भी निर्यात में 20 प्रतिशत योगदान किया। सरकार ने वस्त्र क्षेत्र में जीएसटी की दर को 5 प्रतिशत कर दिया है, जो पहले 12 प्रतिशत थी। यह कदम निर्यात को बढ़ावा देने और कला कारीगरों की मदद करने के लिए उठाया गया है।इस क्षेत्र में वस्त्र व्यापार संवर्धन (टीटीपी) विभाग ने भी भारत की वैश्विक वस्त्र बाजार में उपस्थिति को मजबूत करने में अहम भूमिका निभाई है। 2024 में भारत वस्त्र और परिधान का छठा सबसे बड़ा निर्यातक बनकर उभरा, जिसमें इस क्षेत्र का भारत के कुल निर्यात में 8.63 प्रतिशत का महत्वपूर्ण योगदान रहा और वैश्विक व्यापार में इसकी हिस्सेदारी 4.1 प्रतिशत रही।भारत का कपास क्षेत्र कृषि अर्थव्यवस्था का अहम हिस्सा है, जो 60 लाख किसानों और 400-500 लाख लोगों को रोजगार देता है। 2024-25 के सीजन में निगम ने 525 लाख क्विंटल कपास की खरीद की और 37,450 करोड़ रुपए किसानों को वितरित किए। सरकार ने हस्तशिल्प और हैंडलूम के लिए कई योजनाएं शुरू की हैं, जिसमें 11,544 कारीगरों को मुद्रा योजना के तहत लोन दिया गया है। साथ ही, 2.35 लाख लोग सामाजिक सुरक्षा योजनाओं से जुड़ चुके हैं।
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मुंबई. टाटा समूह की एयरलाइन कंपनी एयर इंडिया ने रोम (इटली) के लिए उड़ान सेवाओं को फिर से शुरू करने की घोषणा है। इंडिगो के भी दिल्ली से लंदन, हीथ्रो के लिए अपनी सेवाएं शुरू करने की योजना की घोषणा के साथ, हवाई यात्रियों को अगले वर्ष भारत और यूरोप के बीच बेहतर संपर्क मिलने की उम्मीद है। एयर इंडिया 2020 की शुरुआत तक दिल्ली से इटली की राजधानी के लिए उड़ानें संचालित करती थी। कोविड-19 वैश्विक महामारी के कारण इन्हें निलंबित करना पड़ा था। इंडिगो पहले से ही मुंबई और लंदन हीथ्रो के बीच रोजाना सीधी उड़ानें संचालित करती है और अब लंदन के लिए सप्ताह में 12 उड़ानों का परिचालन करेगी। एयर इंडिया ने घोषणा की कि 25 मार्च, 2026 से एयर इंडिया दिल्ली और रोम (लियोनार्डो दा विंची अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डा - फियूमिसिनो) के बीच सप्ताह में चार बार उड़ानें संचालित करेगी। करीब छह वर्ष के बाद यह इटली की राजधानी में विमानन कंपनी की वापसी और उसके बढ़ते यूरोपीय नेटवर्क के और विस्तार का प्रतीक है। एयर इंडिया ने बताया कि रोम से आने-जाने वाली यह सेवा सोमवार, बुधवार, शुक्रवार और रविवार को एयर इंडिया के बोइंग 787-8 विमान द्वारा संचालित होगी। इसमें ‘बिजनेस क्लास' में 18 ‘फ्लैट बेड' और ‘इकॉनमी क्लास' में 238 सीट होंगी। एयर इंडिया के मुख्य वाणिज्यिक अधिकारी निपुण अग्रवाल ने कहा, ‘‘ भारत को दुनिया के और अधिक हिस्सों से जोड़ना हमारी सर्वोच्च प्राथमिकताओं में से एक है। भारत और इटली संस्कृति, व्यापार एवं वाणिज्य में गहरी समानताएं साझा करते हैं जिससे एयर इंडिया का रोम में विस्तार करना स्वाभाविक नजर आता है। इस बीच, इंडिगो ने कहा कि वह दो फरवरी से दिल्ली और लंदन (हीथ्रो) के बीच सप्ताह में पांच नई सीधी उड़ानें शुरू करेगी। इन उड़ानों का परिचालन ‘वेट/डैम्प' लीज पर लिए गए बोइंग 787 विमानों द्वारा किया जाएगा। इंडिगो के मुख्य कार्यपालक अधिकारी (सीईओ) पीटर एल्बर्स ने कहा, ‘‘ यह नई सेवा व्यापार, पर्यटन एवं परिवार एवं मित्रों से मिलने के लिए दोनों शहरों के बीच यात्रा की बढ़ती मांग को पूरा करने में सहायक होगी। इंडिगो अंतरराष्ट्रीय यात्रा को सुगम एवं अधिक सुलभ बनाने के साथ-साथ भारत तथा प्रमुख वैश्विक गंतव्यों के बीच संपर्क को मजबूत करने के लिए प्रतिबद्ध है।'' विमानन कंपनी ने बताया कि इस नए मार्ग की शुरुआत दिल्ली से अंतरराष्ट्रीय संपर्क के निरंतर विस्तार का प्रतीक है। इससे पहले हाल ही में देनपासर (बाली), क्राबी, हनोई, ग्वांगझू और मैनचेस्टर के लिए उड़ानें शुरू की गई थीं। इंडिगो ने पहले ही जनवरी, 2026 से एथेंस के लिए सीधी उड़ानें शुरू करने की घोषणा कर दी है।
- नयी दिल्ली. पर्याप्त घरेलू नकदी, मजबूत निवेशक विश्वास और सहायक वृहद आर्थिक कारकों से प्रेरित 2025 में रिकॉर्ड 1.76 लाख करोड़ रुपये जुटाकर रिकॉर्ड स्तर छूने वाले आरंभिक सार्वजनिक निर्गम (आईपीओ) बाजार की यह तेजी नए साल में भी जारी रहने की उम्मीद है। वर्ष 2025 की एक बड़ी उपलब्धि स्टार्टअप का सूचीबद्ध होना रहा। इस साल लेंसकार्ट, ग्रोव, मीशो और फिजिक्सवॉला समेत 18 स्टार्टअप सार्वजनिक हुए और संयुक्त रूप से 41,000 करोड़ रुपये से अधिक जुटाए। वहीं, 2024 में स्टार्टअप ने 29,000 करोड़ रुपये जुटाए थे। साथ ही, बिक्री पेशकश (ओएफएस) धन जुटाने की गतिविधियों में प्रमुख बना रहा। इसकी 2025 में जुटाई गई कुल पूंजी में करीब 60 प्रतिशत हिस्सेदारी रही। बाजार प्रतिभागी 2026 में आईपीओ गतिविधियों को लेकर आशावादी बने हुए हैं।इक्विरस कैपिटल के प्रबंध निदेशक एवं निवेश बैंकिंग प्रमुख भावेश शाह ने कहा कि नए साल के लिए आईपीओ का परिदृश्य प्रोत्साहक बना हुआ है जिसे आगामी आईपीओ तथा मजबूत क्षेत्रीय विविधता का समर्थन प्राप्त है। उन्होंने बताया कि 75 से अधिक कंपनियों को पहले ही भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड (सेबी) की मंजूरी मिल चुकी है लेकिन उन्होंने अभी तक अपने निर्गम नहीं शुरू किए हैं जबकि अन्य 100 कंपनियां नियामक स्वीकृति की प्रतीक्षा कर रही हैं। आगामी आईपीओ में प्रौद्योगिकी, वित्तीय सेवाएं, बुनियादी ढांचा, ऊर्जा एवं उपभोक्ता क्षेत्रों के निर्गम शामिल हैं जो व्यापक सहभागिता को दर्शाते हैं। इसमें रिलायंस जियो, एसबीआई म्यूचुअल फंड, ओयो और फोनपे जैसे प्रमुख निर्गमों के शामिल होने की भी संभावना है। ‘आईपीओ सेंट्रल' द्वारा संकलित आंकड़ों के अनुसार, 2025 में पेश किए गए 103 नए सार्वजनिक निर्गमों ने कुल 1.76 लाख करोड़ रुपये जुटाए। यह 2024 में 90 कंपनियों द्वारा जुटाए गए 1.6 लाख करोड़ रुपये और 2023 में 57 कंपनियों द्वारा जुटाए गए 49,436 करोड़ रुपये से अधिक है। जेएम फाइनेंशियल इंस्टीट्यूशनल सिक्योरिटीज में प्रबंध निदेशक एवं इक्विटी कैपिटल मार्केट प्रमुख नेहा अग्रवाल ने कहा कि मजबूत घरेलू नकदी और टिकाऊ निवेशक विश्वास ने रिकॉर्ड राशि जुटाने में मदद की। इक्विरस कैपिटल के शाह ने कहा कि भारत की वृहद आर्थिक स्थिरता (जिसमें मजबूत जीडीपी (सकल घरेलू उत्पाद) वृद्धि, नियंत्रित मुद्रास्फीति तथा पूर्वानुमेय नीतिगत वातावरण शामिल हैं) ने वैश्विक और घरेलू निवेशकों का विश्वास बढ़ाया। यह तेजी हालांकि पूरे वर्ष समान नहीं रही। बाजार की अस्थिरता, विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों की कमजोर भागीदारी और भू-राजनीतिक जोखिमों के बीच पहले सात महीनों में प्राथमिक बाजार की गतिविधि सुस्त बनी रही। अगस्त से परिस्थितियों में काफी हद तक सुधार आया क्योंकि वृहद आर्थिक चिंताएं कम हुईं, नकदी मजबूत हुई और शेयर बाजार स्थिर हुए जिससे कंपनियों के सूचीबद्ध होने की प्रक्रिया तेज हुई। आनंद राठी एडवाइजर्स के निदेशक एवं ईसीएम निवेश बैंकिंग प्रमुख वी. प्रशांत राव ने कहा कि हालांकि आईपीओ की मात्रा बढ़ी लेकिन कोष जुटाने में झुकाव अधिकतर बिक्री पेशकश की ओर रहा। इस वर्ष सूचीबद्ध हुईं कंपनियों में से केवल 23 ने पूरी तरह से नए पूंजी के माध्यम से धन जुटाया, जिनका औसत निर्गम आकार लगभग 600 करोड़ रुपये रहा। इसके विपरीत, 15 कंपनियों ने केवल बिक्री पेशकश के माध्यम से धन जुटाया और 45,000 करोड़ रुपये से अधिक जुटाए। बाकी कंपनियों ने दोनों का मिश्रण अपनाया जिसमें बिक्री पेशकश की हिस्सेदारी अधिक रही।
- नयी दिल्ली. वैश्विक अनिश्चितताओं के बीच निवेश के सुरक्षित विकल्प और चुनिंदा उद्योगों में मांग बढ़ने से इस साल चांदी ने रिटर्न के मामले में परंपरागत निवेश विकल्प सोने और शेयर बाजार को भी पीछे छोड़ दिया है। स्थिति यह हो गई है कि सोने ने जहां करीब 70 प्रतिशत रिटर्न दिया है वहां चांदी 130 प्रतिशत से भी अधिक चढ़ी है। विशेषज्ञों का कहना है कि अमेरिकी फेडरल रिजर्व के नीतिगत दर में आगे और कटौती की उम्मीदों के बीच चांदी में अगले साल भी 15 से 20 प्रतिशत तक की तेजी बने रहने की उम्मीद है। अखिल भारतीय सर्राफा संघ के अनुसार, दिल्ली में चांदी की कीमत सोमवार को 10,400 रुपये प्रति किलोग्राम बढ़कर 2,14,500 रुपये प्रति किलोग्राम (सभी करों सहित) के अबतक के उच्चस्तर पर पहुंच गईं। चांदी की कीमत इस साल एक जनवरी को 90,500 रुपये प्रति किलोग्राम थी। इस तरह चांदी में 1,24,000 रुपये यानी 137 प्रतिशत की वृद्धि हो चुकी है। चांदी में आई तेजी के बारे में आनंद राठी शेयर एंड स्टॉक ब्रोकर्स लि. के निदेशक (जिंस और मुद्रा) नवीन माथुर ने कहा, ‘‘अंतरराष्ट्रीय हाजिर बाजार में चांदी ने अब तक लगभग 130 प्रतिशत से अधिक रिटर्न दिया है, जबकि इस वर्ष डॉलर के मुकाबले रुपये के पांच प्रतिशत से अधिक की गिरावट के साथ एमसीएक्स वायदा कीमतों में रिटर्न अब तक करीब 138 प्रतिशत तक पहुंच गया है।'' उन्होंने कहा, ‘‘इस उछाल का एक कारण यह है कि निवेशकों का एक हिस्सा सरकारी बॉन्ड एवं मुद्राओं के मुकाबले वैकल्पिक निवेश उत्पादों में निवेश कर रहा है, जिससे सफेद धातु में निवेश की मांग बढ़ी है। औद्योगिक मांग बढ़ने और बाजार में लगातार पांचवें साल आपूर्ति में कमी से भी चांदी के भाव में तेजी आई है।'' मेहता इक्विटीज लि. के उपाध्यक्ष (जिंस) राहुल कलंत्री ने कहा, ‘‘चांदी की कीमतों में उछाल सट्टेबाजी का नहीं बल्कि संरचनात्मक कारकों का नतीजा है। आपूर्ति में लगातार कमी के साथ औद्योगिक मांग बनी हुई है। कृत्रिम मेधा (एआई), ईवी तथा स्वच्छ ऊर्जा जैसे नए क्षेत्रों में बढ़ती मांग कीमत में वृद्धि का प्रमुख कारण है।'' उन्होंने कहा, ‘‘मजबूत औद्योगिक मांग के अलावा, ईटीएफ (एक्सचेंज ट्रेडेड फंड) में निरंतर निवेश, भौतिक रूप से खरीद अधिक होने और निवेशकों के जिंस में निवेश बढ़ाने से भी कीमतों को समर्थन मिला है। एक और संकेत सोने-चांदी की कीमतों के अनुपात में तीव्र गिरावट है, जो जोखिम लेने की बढ़ती प्रवृत्ति को बताती है।'' सोने और चांदी के अनुपात में तीव्र गिरावट का मतलब है कि चांदी की कीमत सोने की कीमतों से अधिक तेजी से बढ़ रही हैं। यह संकेत देता है कि सोने के मुकाबले चांदी के मूल्य में वृद्धि हो रही है और यह निवेश का बेहतर अवसर प्रदान करती है। अगर रिटर्न की बात की जाए तो इस साल सोना ने 19 दिसंबर तक लगभग 72 प्रतिशत का रिटर्न दिया है जबकि इक्विटी बाजार के मामले में निफ्टी 50 और निफ्टी 500 सूचकांक ने क्रमशः 7.0 प्रतिशत और 5.1 प्रतिशत का रिटर्न दिया। मांग और आपूर्ति से जुड़े सवाल के जवाब में माथुर ने चांदी उद्योग का प्रतिनिधित्व करने वाले वैश्विक निकाय सिल्वर इंस्टिट्यूट के अनुमान का हवाला देते हुए कहा कि चांदी की आपूर्ति में लगातार पांचवें वर्ष लगभग 9.5 करोड़ औंस (एक औंस बराबर लगभग 31.1 ग्राम) की कमी है। आने वाले वर्षों में चांदी की कीमतों में और अधिक सकारात्मक वृद्धि का कारण यह कमी ही रहेगी। लेकिन औद्योगिक मांग भी 2025 में चांदी की ऊंची कीमतों का एक प्रमुख कारण रही और अगले वर्ष भी चांदी के बाजार को इससे मजबूत समर्थन मिलने की उम्मीद है। विशेषज्ञों के मुताबिक, आर्थिक गतिविधियों और महंगाई बनी रहने के साथ सौर उपकरणों एवं इलेक्ट्रिक वाहन (ईवी) जैसे उद्योगों में मांग बढ़ने की संभावना ने चांदी की चमक अगले साल भी बनी रह सकती है और यह सोने की तरह सुरक्षित निवेश विकल्प बनती दिख रही है। अगले साल चांदी की स्थिति के बारे में पूछे जाने पर कलंत्री ने कहा, ‘‘मजबूत औद्योगिक मांग, सीमित आपूर्ति और अनुकूल तकनीकी रुझानों के कारण चांदी का दीर्घकालिक दृष्टिकोण सकारात्मक बना हुआ है। हालांकि, 2026 के लिए 15 से 20 प्रतिशत वृद्धि का लक्ष्य हासिल किया जा सकता है।'' उन्होंने कहा, ‘‘हालांकि, निवेशकों को अस्थिरता और बीच-बीच में होने वाले सुधारों के लिए तैयार रहना चाहिए। किसी भी निवेश संबंधी निर्णय लेने से पहले एक अनुशासित, चरणबद्ध निवेश दृष्टिकोण और पेशेवर वित्तीय सलाह अत्यंत आवश्यक है।'' यह पूछे जाने पर कि वर्तमान में चांदी में निवेश कितना उपयुक्त है, माथुर ने कहा, ‘‘इस वर्ष चांदी में असाधारण रूप से उच्च रिटर्न देखने को मिला है, ऐसे में अगले वर्ष भी इसी तरह के रिटर्न की उम्मीद करना ठीक नहीं है।'' उन्होंने कहा, ‘‘कीमती धातुओं में निवेश 2026 में भी जारी रखना चाहिए लेकिन यह निवेश कीमतों में पांच से आठ प्रतिशत की गिरावट आने पर चरणबद्ध ढंग से ही करना चाहिए। कुल मिलाकर, 2026 की पहली छमाही में मौजूदा स्तरों से 20 से 25 प्रतिशत तक का अतिरिक्त रिटर्न मिलने की उम्मीद की जा सकती है।''
- नयी दिल्ली. सरकार ने कृत्रिम मेधा (एआई) की मदद से तैयार सामग्री के अनिवार्य चिह्वांकन से जुड़े प्रस्तावित नियमों पर उद्योग के साथ परामर्श प्रक्रिया पूरी कर ली है और इससे संबंधित नियम जल्द ही जारी किए जाएंगे। यह जानकारी सूचना प्रौद्योगिकी (आईटी) सचिव एस. कृष्णन ने दी। कृष्णन ने कहा कि उद्योग ने इस मुद्दे पर ‘काफी जिम्मेदाराना' रुख अपनाया है और एआई-जनित सामग्री की पहचान (लेबलिंग) अनिवार्य करने से जुड़ी दलीलों को समझता है। उन्होंने कहा कि इस प्रस्ताव को लेकर उद्योग की ओर से कोई गंभीर विरोध सामने नहीं आया है। उन्होंने कहा कि उद्योग ने इस पर स्पष्टता की मांग की है कि एआई से किए गए किस स्तर के बदलाव को ‘महत्वपूर्ण' या ‘सारभूत' संशोधन माना जाए और किन तकनीकी सुधारों को सामान्य गुणवत्ता बढ़ाने वाले बदलावों के रूप में देखा जाए। उन्होंने कहा, “हम इन सुझावों के आधार पर सरकार के भीतर अन्य मंत्रालयों से परामर्श कर रहे हैं कि किन बदलावों को स्वीकार किया जाए, कहां संशोधन किया जाए और किन बिंदुओं पर नियमों में सूक्ष्म बदलाव की जरूरत है। यह प्रक्रिया अभी चल रही है और मुझे लगता है कि नए नियम बहुत जल्द सामने आएंगे।” उद्योग की प्रतिक्रियाओं के बारे में पूछे जाने पर कृष्णन ने कहा, “मुझे नहीं लगता कि वे इसके खिलाफ हैं।” उन्होंने स्पष्ट किया कि सरकार न तो कंपनियों से किसी तरह का पंजीकरण कराने को कह रही है, न किसी तीसरे पक्ष की मंजूरी अनिवार्य कर रही है और न ही किसी प्रकार का प्रतिबंध लगा रही है। उन्होंने कहा, “उद्योग से केवल यही कहा जा रहा है कि एआई से तैयार सामग्री को चिह्नित किया जाए।कृष्णन ने कहा कि एआई के जरिये किया गया छोटा-सा बदलाव भी उसका अर्थ पूरी तरह बदल सकता है जबकि मोबाइल फोन कैमरे से होने वाले स्वचालित सुधार जैसे कुछ तकनीकी सुधार केवल गुणवत्ता बढ़ाते हैं और तथ्यों को नहीं बदलते। उन्होंने कहा कि सामग्री का सार नहीं बदलने वाले तकनीकी सुधारों को नियमों के दायरे में अनावश्यक रूप से न लाने की ‘वाजिब मांगों' को नियमों में समायोजित किया जा सकता है। हालांकि, उन्होंने यह चेतावनी भी दी कि सभी प्रकार के संशोधनों को छूट देना समस्या पैदा कर सकता है।सरकार ने अक्टूबर में सूचना प्रौद्योगिकी नियमों में संशोधन का प्रस्ताव रखा था, जिसमें एआई-जनित सामग्री की स्पष्ट पहचान करने और फेसबुक एवं यूट्यूब जैसे बड़े डिजिटल मंचों की जवाबदेही बढ़ाने की बात कही गई थी। मंत्रालय ने कहा था कि डीपफेक ऑडियो, वीडियो और अन्य कृत्रिम सामग्री के तेजी से प्रसार ने गलत सूचना फैलाने, छवि खराब करने, चुनावों को प्रभावित करने और वित्तीय धोखाधड़ी जैसे जोखिमों को उजागर किया है।
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नई दिल्ली। टेक कंपनी Google ने भारत में एंड्रॉयड स्मार्टफोन के लिए अपनी Emergency Location Service (ELS) को सक्रिय कर दिया है। इसके साथ ही उत्तर प्रदेश देश का पहला राज्य बन गया है, जहां इस उन्नत कॉलर लोकेशन तकनीक को 112 इमरजेंसी सेवाओं के साथ पूरी तरह एकीकृत किया गया है।
कंपनी की ओर से जारी बयान में कहा गया कि अब एंड्रॉयड फोन से 112 पर कॉल या SMS करने पर कॉलर की सटीक लोकेशन अपने आप इमरजेंसी रिस्पॉन्डर्स तक पहुंच जाएगी।क्या है Emergency Location Service (ELS)?ELS एंड्रॉयड फोन में पहले से मौजूद एक इन-बिल्ट फीचर है, जो आपात स्थिति में कॉल करने पर कॉलर की सटीक लोकेशन साझा करता है। यह सेवाGPS,Wi-Fi, औरमोबाइल नेटवर्क सिग्नल का उपयोग कर कॉलर की लोकेशन को लगभग 50 मीटर की सटीकता के साथ पहचानती है।यह तकनीक उन हालात में बेहद मददगार साबित होती है, जब आपातकालीन कॉल जुड़ने के तुरंत बाद कट जाती है। ऐसी स्थिति में भी इमरजेंसी सेवाओं को कॉलर की लोकेशन मिल जाती है और मदद जल्दी पहुंचाई जा सकती है।प्राइवेसी और सुरक्षा पर खास जोरGoogle ने स्पष्ट किया है कि ELS सेवा को मजबूत प्राइवेसी सुरक्षा के साथ डिजाइन किया गया है।यह सेवा केवल इमरजेंसी कॉल या SMS के दौरान ही सक्रिय होती है,इसका उपयोग पूरी तरह मुफ्त है,इसके लिए किसी अतिरिक्त ऐप या हार्डवेयर की जरूरत नहीं होती।सबसे अहम बात यह है कि लोकेशन डेटा सीधे उपयोगकर्ता के फोन से इमरजेंसी सेवाओं को भेजा जाता है, और इसे Google द्वारा ना तो संग्रहित किया जाता है और ना ही स्टोर किया जाता है।यूपी में सफल पायलट के बाद हुआ पूर्ण रोलआउटउत्तर प्रदेश में इसे पूरी तरह लागू करने से पहले इस फीचर का कुछ महीनों तक पायलट परीक्षण किया गया, जिसके नतीजे बेहद सकारात्मक रहे।इस दौरान ELS ने 2 करोड़ से अधिक इमरजेंसी कॉल और SMS को सपोर्ट किया,कई मामलों में कॉल कुछ सेकंड में कट जाने के बावजूद कॉलर की लोकेशन सफलतापूर्वक पहचान ली गई।मशीन लर्निंग से मिलती है ज्यादा सटीक लोकेशनयह सिस्टम एंड्रॉयड के मशीन लर्निंग आधारित Fused Location Provider से संचालित होता है, जिससेघर के अंदर,बाहर, याचलते-फिरतेहर स्थिति में सटीक लोकेशन उपलब्ध हो पाती है।किन डिवाइस पर काम करेगी यह सेवा?ELS सेवाAndroid 6.0 और उससे ऊपर के वर्जन वाले सभी संगत एंड्रॉयड डिवाइस पर काम करती है।जैसे ही 112 पर कॉल की जाती है, कॉलर की लोकेशन UP112 कमांड सिस्टम पर तुरंत दिखाई देने लगती है।इसके साथ ही Pertsol द्वारा दी गई रूटिंग इंटेलिजेंस की मदद से यह तय किया जाता है कि पुलिस, मेडिकल या फायर सेवा में से किसे तुरंत भेजना है।इस तकनीक से इमरजेंसी सेवाओं की रिस्पॉन्स टाइम घटेगा और जान बचाने में अहम मदद मिलेगी। - मुंबई. समन्वित राजकोषीय, मौद्रिक और नियामक नीतियों ने अर्थव्यवस्था में मजबूती लाने में मदद की है। हालांकि, यह बाहरी क्षेत्र की चुनौतियों से पूरी तरह अप्रभावित नहीं है। भारतीय रिजर्व बैंक के सोमवार को जारी एक बुलेटिन में यह कहा गया। आरबीआई के दिसंबर बुलेटिन में प्रकाशित एक लेख में कहा गया है कि वृहद आर्थिक बुनियाद और आर्थिक सुधारों पर निरंतर ध्यान देने से दक्षता और उत्पादकता में वृद्धि होगी, जिससे तेजी से बदलते वैश्विक परिवेश के बीच अर्थव्यवस्था को उच्च वृद्धि के रास्ते पर मजबूती से बनाए रखने में मदद मिलेगी। इसमें कहा गया है कि वर्ष 2025 में वैश्विक व्यापार नीतियों में काफी बदलाव आया है। शुल्क और व्यापार की शर्तों पर द्विपक्षीय स्तर पर पुनर्विचार की दिशा में कदम बढ़ाया गया। अर्थव्यवस्था की स्थिति पर लिखे गए लेख में कहा गया है कि इसका वैश्विक व्यापार प्रवाह और आपूर्ति श्रृंखलाओं पर प्रभाव अभी भी सामने आ रहा है। इससे वैश्विक अनिश्चितताएं और वैश्विक वृद्धि की संभावनाओं को लेकर चिंताएं बढ़ गई हैं। इसमें कहा गया, ‘‘भारतीय अर्थव्यवस्था बाहरी क्षेत्र की चुनौतियों से पूरी तरह अप्रभावित नहीं है। लेकिन समन्वित राजकोषीय, मौद्रिक और नियामक नीतियों ने मजबूती लाने में मदद की है।'' लेख में कहा गया है कि 2025-26 की दूसरी तिमाही में मजबूत घरेलू मांग के समर्थन से भारतीय अर्थव्यवस्था ने पिछले छह तिमाहियों में सबसे तेज गति से वृद्धि हासिल की। नवंबर के महत्वपूर्ण आंकड़े (जीएसटी संग्रह, ई-वे बिल आदि) बताते हैं कि समग्र आर्थिक गतिविधियां तेज रही हैं और मांग की स्थिति मजबूत बनी हुई है। उपभोक्ता मूल्य सूचकांक आधारित मुद्रास्फीति में मामूली वृद्धि हुई, लेकिन यह न्यूनतम संतोषजनक स्तर (दो प्रतिशत) से नीचे बनी हुई है। इसके अलावा, लेख में कहा गया है कि वित्तीय स्थितियां अनुकूल बनी रहीं और वाणिज्यिक क्षेत्र में वित्तीय संसाधनों का प्रवाह मजबूत रहा। कम वस्तु व्यापार घाटा, मजबूत सेवा निर्यात और प्रेषण प्राप्तियों के समर्थन से 2025-26 की दूसरी तिमाही में भारत का चालू खाते का घाटा पिछले वर्ष की इसी अवधि की तुलना में कम रहा। लेख में कहा गया, ‘‘मजबूत घरेलू मांग के साथ आर्थिक वृद्धि मजबूत रही। मुद्रास्फीति में नरमी ने मौद्रिक नीति को आर्थिक वृद्धि का समर्थन करने के लिए पर्याप्त गुंजाइश प्रदान की।'' लेख में यह भी कहा गया है कि अप्रैल-अक्टूबर 2025 के दौरान, सकल और शुद्ध दोनों ही मामलों में, प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआई) पिछले वर्ष की तुलना में अधिक रहा। अक्टूबर में सकल प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआई) अच्छा रहा। सिंगापुर, मॉरीशस और अमेरिका का कुल एफडीआई प्रवाह में 70 प्रतिशत से अधिक का योगदान रहा। हालांकि, मुख्य रूप से पूंजी को अपने देश भेजने और अन्य देशों में होने वाले प्रत्यक्ष निवेश (एफडीआई) के कारण अक्टूबर में शुद्ध प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफपीआई) नकारात्मक रहा। दूसरी ओर, 2025-26 के दौरान अब तक (18 दिसंबर तक), इक्विटी क्षेत्र में मुख्य रूप से पूंजी निकासी के कारण शुद्ध विदेशी निवेश (एफपीआई) में कमी दर्ज की गई। पिछले दो महीनों में विदेशी पोर्टफोलियो निवेश में वृद्धि के बाद दिसंबर में निवेश नकारात्मक हो गया।लेख में कहा गया, ‘‘भारत-अमेरिका व्यापार समझौते को लेकर अनिश्चितता और घरेलू बाजार के उच्च मूल्यांकन को लेकर निवेशकों की सतर्कता ने हाल के महीनों में भारत में शुद्ध एफपीआई प्रवाह को नरम बनाए रखा।'' इसके अलावा, अमेरिकी डॉलर के मजबूत होने, विदेशी पोर्टफोलियो प्रवाह में कमी और भारत-अमेरिका व्यापार समझौते को लेकर अनिश्चितता के दबाव के कारण नवंबर में भारतीय रुपया (आईएनआर) अमेरिकी डॉलर के मुकाबले कमजोर हुआ।
- नयी दिल्ली. न्यूजीलैंड ने सोमवार को कहा कि वह भारत के साथ हुए किसी भी मुक्त व्यापार समझौते (एफटीए) के तहत अपने सेबों पर शुल्क में छूट पाने वाला ‘पहला' देश बन गया है। वर्तमान में, भारत में सेबों पर 50 प्रतिशत आयात शुल्क लगता है।न्यूजीलैंड के साथ मुक्त व्यापार समझौते के तहत, भारत घरेलू किसानों के हितों की रक्षा के लिए कोटा और न्यूनतम आयात मूल्य (एमआईपी) के साथ सेबों पर शुल्क में छूट दे रहा है। फिलहाल, न्यूजीलैंड से भारत का वार्षिक सेब आयात 31,392.6 टन है, जिसकी कीमत 3.24 करोड़ अमेरिकी डॉलर है, जबकि देश का कुल सेब आयात 5,19,651.8 टन (42.46 करोड़ अमेरिकी डॉलर) है। समझौते के अनुसार, समझौते के पहले वर्ष में न्यूजीलैंड को 32,500 टन सेब पर आयात शुल्क में छूट दी जाएगी। छठे वर्ष में यह कोटा बढ़ाकर 45,000 टन कर दिया जाएगा, जिस पर 25 प्रतिशत शुल्क और 1.25 अमेरिकी डॉलर प्रति किलोग्राम का आयात शुल्क लागू होगा। इस कोटा से अधिक होने पर 50 प्रतिशत शुल्क लागू होगा। न्यूजीलैंड के व्यापार मंत्रालय ने एक बयान में कहा, ‘‘न्यूजीलैंड किसी भी भारतीय मुक्त व्यापार समझौते में सेब के लिए तरजीही पहुंच प्राप्त करने वाला पहला देश है और कीवी फल के लिए शुल्क-मुक्त पहुंच और कोटा से बाहर 50 प्रतिशत शुल्क कटौती प्राप्त करने वाला पहला कीवी फल निर्यातक है।'' यह महत्वपूर्ण है क्योंकि अमेरिका भी भारत के साथ प्रस्तावित द्विपक्षीय व्यापार समझौते में अपने सेब पर शुल्क में छूट की मांग कर रहा है।
- नयी दिल्ली. सार्वजनिक क्षेत्र की कोल इंडिया लिमिटेड (सीआईएल) की दो अनुषंगी कंपनियों के बाजार में सूचीबद्ध होने से लेकर महत्वाकांक्षी कोयला गैसीकरण परियोजनाओं के लिए वित्तपोषण में तेजी तक, कोयला क्षेत्र 2026 में बड़े बदलाव के लिए तैयार है। महत्वाकांक्षी खनन सुधारों और अहम खनिजों की बढ़ती वैश्विक मांग के साथ ही 2026 में हरित ऊर्जा की रफ्तार भी तेज रहेगी और इसे सरकार का पूरा समर्थन मिलेगा। भारत अपने महत्वाकांक्षी ‘विकसित भारत 2047' लक्ष्यों की ओर तेजी से बढ़ रहा है और केंद्र सरकार राष्ट्रीय ऊर्जा सुरक्षा को मजबूत करने के लिए कोयला और खनन क्षेत्र में व्यापक सुधार लागू कर रही है। इन बदलावों का लक्ष्य जटिल मंजूरी प्रक्रियाओं, कमजोर माल रवानगी व्यवस्था और सुरक्षा प्रोटोकॉल जैसी प्रमुख समस्याओं को दूर करना है, ताकि एक मजबूत और आत्मनिर्भर ऊर्जा पारिस्थितिकी तंत्र तैयार किया जा सके। ये पहल स्वच्छ ऊर्जा की स्वीकार्यता में तेजी लाएंगी, आयात पर निर्भरता कम करेंगी और 2047 तक 30,000 अरब अमेरिकी डॉलर की अर्थव्यवस्था के लिए स्थिर बिजली आपूर्ति सुनिश्चित करेंगी। कोयला मंत्रालय के एक अधिकारी ने बताया, ‘‘मंत्रालय ऊर्जा सुरक्षा को और बढ़ाने के लिए कई सुधारों पर काम कर रहा है, जिससे विकसित भारत के लक्ष्य हासिल किए जा सकें। इन सुधारों में आमतौर पर खनन सुधार और मंजूरी प्रक्रिया से जुड़े सुधार शामिल होंगे। रवानगी और सुरक्षा में भी सुधार होंगे।'' स्वच्छ और अधिक कुशल ऊर्जा उत्पादन की दिशा में एक साहसिक कदम के तहत आने वाले वर्ष में देश का खनन क्षेत्र तकनीकी क्रांति से गुजरेगा। कोयला कंपनियां उन्नत प्रौद्योगिकी पर आधारित खनन के तरीकों को अपना सकती हैं। अधिकारी ने कहा कि कोल इंडिया लिमिटेड की इकाई भारत कोकिंग कोल लिमिटेड (बीसीसीएल) को 2026 में शेयर बाजार में सूचीबद्ध करने का रास्ता साफ हो गया है। इसके साथ ही सेंट्रल माइन प्लानिंग एंड डिजाइन इंस्टिट्यूट लिमिटेड (सीएमपीडीआईएल) भी सार्वजनिक निर्गम लाने की तैयारी कर रही है। आने वाले वर्ष में सरकार देश की बढ़ती ऊर्जा और रासायनिक जरूरतों को पूरा करने और आयात घटाने के लिए कोयला गैसीकरण परियोजनाओं के लिए वित्तपोषण बढ़ा सकती है। हिंदुस्तान जिंक लिमिटेड के मुख्य कार्यपालक अधिकारी और पूर्णकालिक निदेशक अरुण मिश्रा ने कहा कि महत्वपूर्ण खनिजों का रणनीतिक महत्व सामने आ गया है। स्वच्छ ऊर्जा, इलेक्ट्रिक परिवहन, ग्रिड विस्तार और उन्नत विनिर्माण से बढ़ती मांग ने दुर्लभ पृथ्वी तत्वों, पोटाश और टंग्स्टन जैसे खनिजों को सामान्य कच्चे माल की जगह अब एक रणनीतिक संपत्ति में बदल दिया है।
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-चांदी का भी नया रिकॉर्ड
नयी दिल्ली. वैश्विक बाजारों में कीमती धातुओं के रिकॉर्ड ऊंचाई पर पहुंचने के बाद राष्ट्रीय राजधानी के सर्राफा बाजार में सोमवार को सोने की कीमतें 1,685 रुपये की बढ़त के साथ 1,38,200 रुपये प्रति 10 ग्राम के नए उच्चतम स्तर पर पहुंच गईं। अखिल भारतीय सर्राफा संघ ने यह जानकारी दी है। राजधानी में चांदी की कीमतें भी 10,400 रुपये प्रति किलोग्राम बढ़कर 2,14,500 रुपये प्रति किलोग्राम (सभी करों सहित) के सर्वकालिक उच्चस्तर पर पहुंच गईं। एचडीएफसी सिक्योरिटीज के वरिष्ठ विश्लेषक (जिंस) सौमिल गांधी ने कहा, ‘‘सोने और चांदी के सोमवार को एक और नई रिकॉर्ड ऊंचाई पर पहुंचने से सर्राफा में तेजी का दौर जारी रहा।'' अंतरराष्ट्रीय बाजारों में सोना हाजिर 80.85 डॉलर यानी 1.86 प्रतिशत बढ़कर 4,420.35 डॉलर प्रति औंस के रिकॉर्ड स्तर पर पहुंच गया। गांधी ने कहा, ‘‘चांदी और सोने में निवेशकों की रुचि काफी बढ़ गई है क्योंकि अमेरिका में ब्याज दरें कम हो रही हैं, राजकोषीय चिंताएं बढ़ रही हैं और अमेरिकी अर्थव्यवस्था अधिक अनिश्चित होती जा रही है।'' उन्होंने कहा कि इससे सुरक्षित-संपत्ति की ओर बदलाव आया है। इसके अलावा, बढ़ते भू-राजनीतिक तनाव के कारण सुरक्षित निवेश विकल्प की मांग भी बढ़ गई है। विदेशी बाजारों में हाजिर चांदी 2.31 डॉलर या 3.44 प्रतिशत बढ़कर 69.45 डॉलर प्रति औंस के उच्चतम स्तर पर पहुंच गई। कोटक म्यूचुअल फंड के कोष प्रबंधक, सतीश डोंडापति ने कहा, ‘‘चांदी की कीमतें रिकॉर्ड ऊंचाई पर पहुंच गई हैं, जो बढ़ती निवेश मांग के साथ-साथ मजबूत औद्योगिक मांग को दर्शाती है। - नई दिल्ली। एनटीपीसी ने गुजरात और राजस्थान में अपनी सहायक कंपनियों के विभिन्न सोलर प्रोजेक्ट्स के माध्यम से 359.58 मेगावाट नई वाणिज्यिक क्षमता जुड़ने की घोषणा की है। इसके साथ ही एनटीपीसी समूह की कुल वाणिज्यिक क्षमता 85.5 गीगावाट से अधिक हो गई है।एनटीपीसी ने अपनी सहायक कंपनी एनजीईएल के माध्यम से एनटीपीसी रिन्यूएबल एनर्जी लिमिटेड के गुजरात स्थित 1,255 मेगावाट क्षमता वाले खावड़ा-1 सोलर पीवी प्रोजेक्ट की 243.66 मेगावाट आंशिक क्षमता के वाणिज्यिक संचालन (सीओडी – कमर्शियल ऑपरेशन डेट) की घोषणा की है। इसके अलावा, कंपनी ने राजस्थान में एनटीपीसी के नोख सोलर पीवी प्रोजेक्ट (3×245 मेगावाट) की कुल 735 मेगावाट क्षमता में से 78 मेगावाट के वाणिज्यिक संचालन (सीओडी) की भी घोषणा की है।कंपनी ने एनटीपीसी रिन्यूएबल एनर्जी लिमिटेड (एनटीपीसी आरईएल) के गुजरात स्थित 450 मेगावाट हाइब्रिड ट्रेंच-V प्रोजेक्ट के तहत खावड़ा सोलर एनर्जी प्रोजेक्ट की कुल 300 मेगावाट क्षमता में से 37.925 मेगावाट आंशिक क्षमता के वाणिज्यिक संचालन (सीओडी) की घोषणा भी की है। इन उपलब्धियों के साथ एनटीपीसी समूह की कुल स्थापित एवं वाणिज्यिक क्षमता बढ़कर 85,541 मेगावाट तक पहुंच गई है।एनटीपीसी लिमिटेड देश की कुल बिजली आवश्यकताओं का लगभग एक-चौथाई योगदान दे रही है। कंपनी की कुल स्थापित क्षमता 85 गीगावाट से अधिक है, जबकि 30.90 गीगावाट अतिरिक्त क्षमता निर्माणाधीन है, जिसमें 13.3 गीगावाट नवीकरणीय ऊर्जा क्षमता शामिल है। एनटीपीसी वर्ष 2032 तक 60 गीगावाट नवीकरणीय ऊर्जा क्षमता हासिल करने के लिए प्रतिबद्ध है, जिससे भारत के नेट-ज़ीरो लक्ष्यों को मजबूती मिलेगी।थर्मल, हाइड्रो, सोलर और पवन ऊर्जा संयंत्रों के विविध पोर्टफोलियो के साथ एनटीपीसी देश को भरोसेमंद, किफायती और सतत बिजली उपलब्ध कराने के लिए प्रतिबद्ध है। कंपनी बेहतर भविष्य के लिए सर्वोत्तम कार्यप्रणालियों को अपनाने, नवाचार को बढ़ावा देने और स्वच्छ ऊर्जा तकनीकों को अपनाने पर लगातार काम कर रही है।बिजली उत्पादन के अलावा, एनटीपीसी ने कई नए व्यावसायिक क्षेत्रों में भी कदम रखा है, जिनमें ई-मोबिलिटी, बैटरी स्टोरेज, पंप्ड हाइड्रो स्टोरेज, वेस्ट-टू-एनर्जी, न्यूक्लियर पावर और ग्रीन हाइड्रोजन समाधान शामिल हैं।
- नई दिल्ली। दोपहिया वाहनों की थोक बिक्री नवंबर में सालाना आधार पर 19 प्रतिशत बढ़कर 18 लाख यूनिट्स हो गई है। यह जानकारी शुक्रवार को जारी एक रिपोर्ट में दी गई।आईसीआरए के अनुसार, जीएसटी में कटौती और कंपनियों द्वारा दिए गए ऑफर्स के कारण त्योहारी मौसम के बाद भी मांग बनी रही, जिससे दोपहिया वाहनों की थोक बिक्री में बढ़ोतरी हुईआईसीआरए की रिपोर्ट में दोपहिया वाहनों की थोक बिक्री में मजबूत बढ़त की वजह वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) में कटौती और कंपनियों की ओर से डीलरों को दिए जाने वाले ऑफर्स को बताया है, जिससे त्योहारी मौसम के बाद शोरूम में ग्राहकों की आवाजाही बनी रही और डीलर्स इन्वेंट्री को फिर से भरने के लिए आकर्षित हुए।रेटिंग्स फर्म के अनुसार वित्त वर्ष 26 में जीएसटी कटौती, बेहतर खपत और मानसून से दोपहिया बिक्री 6-9% बढ़ेगीरेटिंग्स फर्म ने कहा कि वित्त वर्ष 26 दोपहिया वाहनों की वॉल्यूम ग्रोथ 6-9 प्रतिशत बढ़ सकती है। इसे जीएसटी में कटौती, शहरी खपत में बढ़ोतरी और सामान्य मानसून से ग्रामीण मांग में रिकवरी में मदद मिलेगी।हालांकि, नवंबर में दोपहिया वाहनों की रिटेल बिक्री सालाना आधार पर 9.1 प्रतिशत कम हुई है। इसकी वजह त्योहारी सीजन में ज्यादा बिक्री होना है। दीपावली और दशहरा जैसे त्योहारों के कारण अक्टूबर में त्योहारी सीजन में बिक्री रिकॉर्ड स्तर पर थी।रिपोर्ट के अनुसार जीएसटी के सकारात्मक प्रभाव और शादी के सीजन से मांग मजबूत रही, जिससे डीलरों को लगातार अच्छी प्रतिक्रिया मिलीरिपोर्ट में कहा गया कि जीएसटी के सकारात्मक असर और चल रहे शादी के सीजन से मिल रही मजबूत मांग के चलते डीलरों को ग्राहकों से लगातार अच्छी प्रतिक्रिया मिल रही है।रिपोर्ट में बताया गया कि इलेक्ट्रिक दोपहिया वाहनों की खुदरा बिक्री में सालाना आधार पर मामूली 1.4 प्रतिशत की गिरावट दर्ज की गई, नवंबर में इनकी बिक्री 1,17,335 यूनिट रही। वित्त वर्ष 2026 के पहले आठ महीनों में समग्र दोपहिया वाहन सेगमेंट में इलेक्ट्रिक दोपहिया वाहनों की हिस्सेदारी 6-7 प्रतिशत पर स्थिर रही, जो धीरे-धीरे बढ़ते उपयोग को दर्शाती है।जीएसटी में कटौती के बाद मिनी, कॉम्पैक्ट और सुपर-कॉम्पैक्ट सेगमेंट में सुधार देखने को मिलाफेडरेशन ऑफ ऑटोमोबाइल डीलर्स एसोसिएशन (एफएडीए) के आंकड़ों के अनुसार, खुदरा बिक्री में मजबूती के कारण, इन्वेंट्री का स्तर सितंबर के अंत में 60 दिनों से सुधरकर नवंबर 2025 तक 44-46 दिनों तक पहुंच गया। नवंबर में यात्री वाहनों की कुल बिक्री में यूटिलिटी वाहनों की हिस्सेदारी 67 प्रतिशत रही, जो अक्टूबर के 69 प्रतिशत से कम है। वहीं, जीएसटी में कटौती के बाद मिनी, कॉम्पैक्ट और सुपर-कॉम्पैक्ट सेगमेंट में सुधार देखने को मिला।रिपोर्ट में कहा गया है कि नीतिगत सुधारों के जारी रहने और बाजार की बेहतर भावना से यह वृद्धि 2026 तक जारी रहेगी।
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नई दिल्ली। सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर हाल ही में एक नया फीचर आया है, जिसकी खूब चर्चा हो रही है। दरअसल, नए फीचर के तहत अब आप पिछले महीने के सबसे ज्यादा पसंद किए गए पोस्ट देख पाएंगे। इसमें भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का पोस्ट टॉप-10 में 8वें स्थान पर जगह बनाने में कामयाब रहा है।
सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर आए दिन नए-नए अपडेट आते रहते हैं। एप्लिकेशन में आने वाले नए फीचर को लेकर लोगों में उत्साह भी होता है। लोग देखना पसंद करते हैं कि उन्हें एप्लिकेशन में अब कौन सा नया फीचर मिलने वाला है। एक्स (पूर्व में ट्विटर) में आया यह नया फीचर किसी देश में पिछले महीने के सबसे ज्यादा लाइक किए गए ट्वीट्स दिखाता है।भारत में पिछले 30 दिनों में, 10 सबसे ज्यादा लाइक किए गए पोस्ट में पीएम मोदी के पोस्ट भी शामिल हैं। टॉप-10 में कोई और नेता नहीं है। पीएम मोदी एक ऐसे नेता हैं, जिनकी बढ़ते समय के साथ विश्वभर में लोकप्रियता बढ़ी है। दुनियाभर में उन्हें काफी पसंद किया जाता है।वहीं, सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर भी भारत के प्रधानमंत्री के काफी चर्चे हैं। पीएम मोदी को एक्स पर 105.9 मिलियन यूजर्स फॉलो करते हैं। पीएम मोदी के जिस पोस्ट को सबसे ज्यादा पसंद किया गया है, उसमें उनकी और राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन की भारत यात्रा से संबंधित पोस्ट हैं।रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन दिसंबर की शुरुआत में दो दिवसीय दौरे पर भारत पहुंचे थे। इस दौरान पीएम मोदी और पुतिन के बीच दोस्ती के खास पल देखने को मिले। पीएम मोदी ने अपने खास दोस्त पुतिन के साथ हुई इस मुलाकात की कई खास तस्वीरें साझा कीं। इसे लोगों द्वारा खूब पसंद किया गया है। खासतौर से पीएम मोदी और पुतिन की कार में साथ बैठने की तस्वीर जब सामने आई, तो उसकी खूब चर्चा हुई।पीएम मोदी ने रूसी राष्ट्रपति को तोहफे में गीता भेंट की, जिसे सबसे ज्यादा पसंद किया गया। इसके अलावा, जब वह पुतिन को लेने के लिए प्रोटोकॉल को तोड़ते हुए खुद एयरपोर्ट पहुंचे, उस पोस्ट को भी खूब पसंद किया गया। - नई दिल्ली। सप्ताह के आखिरी कारोबारी दिन शुक्रवार सुबह घरेलू वायदा बाजार में सोने की कीमतों में गिरावट देखी गई। इसकी वजह यह रही कि बैंक ऑफ जापान (बीओजे) ने अपनी ब्याज दर बढ़ा दी, जिसके बाद निवेशकों ने मुनाफा निकालना शुरू कर दिया।मल्टी कमोडिटी एक्सचेंज (एमसीएक्स) पर फरवरी डिलीवरी वाला सोना 0.56 प्रतिशत गिरकर 1,33,772 रुपए प्रति 10 ग्राम पर आ गया। वहीं शुरुआती कारोबार में चांदी की कीमतों में भी कमजोरी दिखी और मार्च डिलीवरी वाली चांदी 0.26 प्रतिशत गिरकर 2,03,034 रुपए प्रति किलो पर ट्रेड करते नजर आई। हालांकि बाद में इसकी कीमतों में बढ़ोतरी देखने को मिली।कीमती धातुओं की कीमतों में यह गिरावट तब आई, जब बैंक ऑफ जापान ने अपनी प्रमुख ब्याज दर बढ़ाकर 0.75 प्रतिशत कर दी, जो सितंबर 1995 के बाद सबसे ज्यादा है।हालांकि बाजार को इस फैसले का पहले से अंदाजा था, फिर भी निवेशकों ने मुनाफा वसूली की। इस फैसले से अंतरराष्ट्रीय बाजारों पर असर पड़ा और इसका प्रभाव सोने-चांदी जैसी कीमती धातुओं के भाव पर भी दिखा।अमेरिका से आई महंगाई की रिपोर्ट ने भी सोने की कीमतों को नीचे खींचा। नवंबर में अमेरिका में महंगाई दर 2.7 प्रतिशत रही, जबकि विशेषज्ञों को इसके 3.1 प्रतिशत रहने की उम्मीद थी।आमतौर पर सोने को महंगाई से बचाव का साधन माना जाता है, लेकिन जब महंगाई कम होती है तो सोने की मांग घट जाती है और कीमतों पर दबाव पड़ता है।इसके अलावा अमेरिकी डॉलर भी थोड़ा मजबूत हुआ। डॉलर इंडेक्स में 0.10 प्रतिशत की बढ़ोतरी हुई और वह एक हफ्ते के ऊंचे स्तर के पास पहुंच गया। जब डॉलर मजबूत होता है, तो दूसरे देशों के लोगों के लिए सोना खरीदना महंगा पड़ता है, जिससे इसकी मांग कम हो जाती है।विशेषज्ञों का कहना है कि केंद्रीय बैंकों के फैसले, अमेरिका की कम महंगाई और मजबूत डॉलर इन सभी कारणों ने मिलकर शुक्रवार को शुरुआती कारोबार में सोने और चांदी की कीमतों को नीचे धकेल दिया।
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नयी दिल्ली. सार्वजनिक क्षेत्र बिजली कंपनी एनटीपीसी ने 2037 तक 244 गीगावाट की स्थापित क्षमता हासिल करने के लिए एक रूपरेखा तैयार की है। इसके लिए सात लाख करोड़ रुपये के पूंजीगत व्यय की आवश्यकता होगी। एनटीपीसी ने बृहस्पतिवार को बयान में कहा कि कंपनी के चेयरमैन एवं प्रबंध निदेशक (सीएमडी) गुरदीप सिंह ने ऋणदाताओं की बैठक में कंपनी की वृद्धि और विस्तार योजनाओं को साझा किया। एनटीपीसी ने कहा कि उसकी 32 गीगावाट (एक गीगावाट बराबर 1,000 मेगावाट) क्षमता विभिन्न निर्माण चरणों में है। कंपनी ने 2032 तक 149 गीगावाट और 2037 तक 244 गीगावाट तक विस्तार करने का महत्वाकांक्षी लक्ष्य निर्धारित किया है। कंपनी ने कहा कि इस योजना में लगभग सात लाख करोड़ रुपये के पूंजीगत व्यय की जरूरत होगी।
विद्युत मंत्रालय के अधीन आने वाली एनटीपीसी भारत की सबसे बड़ी बिजली उत्पादन कंपनी है। कंपनी पारंपरिक और हरित स्रोतों के माध्यम से देश की लगभग एक-चौथाई बिजली की मांग को पूरा करती है। एनटीपीसी की समूह स्तर पर स्थापित क्षमता बुधवार को 85,000 मेगावाट को पार कर गई। -
नयी दिल्ली. अग्रणी वाहन निर्माता टाटा मोटर्स ने छोटी पेट्रोल कारों को कड़े कॉरपोरेट औसत ईंधन दक्षता (कैफे) मानकों से छूट देने का विरोध करते हुए कहा है कि इससे देश में टिकाऊ एवं स्वच्छ प्रौद्योगिकी पर आधारित मॉडल, खासकर इलेक्ट्रिक वाहनों (ईवी) का विस्तार प्रभावित होगा। टाटा समूह की कंपनी ने प्रधानमंत्री कार्यालय (पीएमओ) को भेजे पत्र में कहा है कि भविष्य की प्रौद्योगिकियों में नवाचार और सीधे उन्नत प्रौद्योगिकी को अपनाने की क्षमता अब भारत में दिखने लगी है और यात्री कारों में ईवी की हिस्सेदारी करीब पांच प्रतिशत तक पहुंच गई है। कंपनी ने इस पत्र में कहा, “हम यह कहना चाहते हैं कि 909 किलोग्राम तक वजन वाली, 1200 सीसी से कम इंजन क्षमता और 4,000 मिलीमीटर से कम लंबाई वाली पेट्रोल कारों को इन मानकों से छूट देने का प्रावधान, टिकाऊ प्रौद्योगिकी अपनाने पर फोकस को कमजोर कर सकता है।” कैफे मानक एक वाहन कंपनी के सभी मॉडल की औसत ईंधन दक्षता और कार्बन उत्सर्जन को नियंत्रित करने के लिए तय किए जाते हैं। इनका उद्देश्य वाहन कंपनियों को इलेक्ट्रिक और अन्य स्वच्छ प्रौद्योगिकी अपनाने के लिए प्रोत्साहित करना है। टाटा मोटर्स ने इस बात को लेकर आगाह किया कि वाहन के वजन के आधार पर छूट देने से वाहन कंपनियां आवश्यक सुरक्षा सुविधाओं की कीमत पर वजन कम करने के लिए प्रोत्साहित हो सकती हैं। इससे पिछले कुछ वर्षों में वाहन सुरक्षा के क्षेत्र में हुई प्रगति पर असर पड़ सकता है। कंपनी ने सरकार से अपील की है कि कैफे मानकों के तहत रियायत देने के उद्देश्य से आकार या वजन के आधार पर कारों की कोई विशेष श्रेणी न बनाई जाए। सरकार ने अप्रैल 2027 से मार्च 2032 के बीच यात्री वाहनों की ईंधन खपत और कार्बन उत्सर्जन को नियंत्रित करने के लिए कैफे मानदंडों के मसौदा नियम जारी किए हैं। प्रस्तावित ढांचा कंपनियों के लिए सख्त समग्र लक्ष्य तय करता है, जबकि छोटी पेट्रोल कारों को कुछ राहत देने का प्रावधान भी करता है। टाटा मोटर्स ने कहा कि वाहन की किसी विशेष उप-श्रेणी को मानकों से छूट देने से ईवी जैसे विकल्प अपनाने की जरूरत कम हो जाती है।
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नई दिल्ली। भारत के यात्री वाहन (पैसेंजर व्हीकल) उद्योग में नवंबर 2025 के दौरान उल्लेखनीय वृद्धि दर्ज की गई। त्योहारी सीजन के बाद भी लगातार बनी मांग, जीएसटी दरों में कटौती और सर्दियों में शादी के सीजन की शुरुआत के कारण वाहनों की मांग में तेजी देखी गई। इसके चलते बिक्री और उत्पादन-दोनों में सालाना आधार पर अच्छा इजाफा हुआ।
आईसीआरए की रिपोर्ट के अनुसार, नवंबर महीने में वाहनों की रिटेल बिक्री पिछले वर्ष की तुलना में 22% बढ़ी। हालांकि, अक्टूबर में त्योहारों के कारण हुई ऊंची बिक्री के मुकाबले नवंबर में यह 29% कम रही। वहीं, होलसेल बिक्री (कंपनियों से डीलरों को वाहनों की आपूर्ति) 19% की वृद्धि के साथ 4.1 लाख यूनिट तक पहुंच गई, क्योंकि कंपनियों ने मांग को पूरा करने के लिए उत्पादन जारी रखा।रेटिंग एजेंसी का अनुमान है कि वित्त वर्ष 2025-26 में होलसेल बिक्री में 1 से 4% तक की वृद्धि हो सकती है। इसका कारण स्थिर मांग, जीएसटी में कटौती, नए मॉडलों की लॉन्चिंग और बाजार में बनी सकारात्मक स्थिति को बताया गया है। रिपोर्ट के मुताबिक, वित्त वर्ष 2026 के पहले आठ महीनों में होलसेल बिक्री 3.6% बढ़ी, जबकि रिटेल बिक्री में 6.1% की वृद्धि दर्ज की गई।फेडरेशन ऑफ ऑटोमोबाइल डीलर्स एसोसिएशन (FADA) के आंकड़ों के अनुसार, बिक्री बढ़ने से डीलरों के पास मौजूद स्टॉक भी संतुलित हुआ है। सितंबर के अंत में जहां वाहनों का स्टॉक लगभग 60 दिनों का था, वह नवंबर तक घटकर 44-46 दिनों पर आ गया। नवंबर में यात्री वाहनों की कुल बिक्री में यूटिलिटी वाहनों की हिस्सेदारी 67% रही, जो अक्टूबर में 69% थी। वहीं, जीएसटी में कटौती के बाद मिनी, कॉम्पैक्ट और सुपर-कॉम्पैक्ट सेगमेंट में बिक्री में सुधार देखा गया।रिपोर्ट के अनुसार, नवंबर महीने में भारत में तीन पहिया वाहनों की बिक्री 21.3% बढ़कर 71,999 यूनिट तक पहुंच गई, जबकि दो पहिया वाहनों की बिक्री में 21.2% की वृद्धि हुई और यह 19,44,475 यूनिट रही।शहरी क्षेत्रों में बढ़ी मांग के चलते स्कूटरों की बिक्री में 29% की शानदार वृद्धि दर्ज की गई और यह 7,35,753 यूनिट तक पहुंच गई। वहीं, ग्रामीण और अर्ध-शहरी क्षेत्रों में स्थिर मांग के कारण मोटरसाइकिलों की बिक्री 17.5% बढ़कर 11,63,751 यूनिट रही।यात्री वाहनों की बढ़ती मांग का असर अन्य सेगमेंट पर भी दिखा। नवंबर में तीन पहिया मालवाहक वाहनों की बिक्री 24.6% बढ़कर 59,446 यूनिट हो गई, जबकि मालवाहक वाहनों की बिक्री में 10.9% की वृद्धि दर्ज की गई और यह 10,874 यूनिट तक पहुंच गई।रिपोर्ट में यह भी बताया गया कि भारत से यात्री वाहनों के निर्यात में वृद्धि हुई है। मध्य पूर्व और लैटिन अमेरिका जैसे क्षेत्रों से मजबूत मांग के चलते भारतीय वाहनों की विदेशों में अच्छी बिक्री हो रही है। - नयी दिल्ली. घरेलू और वैश्विक बाजारों में मजबूत मांग से चांदी की कीमत में बुधवार को 7,300 रुपये का उछाल आया और राष्ट्रीय राजधानी में यह पहली बार दो लाख रुपये प्रति किलोग्राम के रिकॉर्ड स्तर को पार कर गई। अखिल भारतीय सर्राफा संघ के अनुसार, चांदी का भाव बुधवार को 2,05,800 रुपये प्रति किलोग्राम रहा। मंगलवार को इसका बंद भाव 1,98,500 रुपये प्रति किलोग्राम था। स्थानीय सर्राफा बाजार में सोने की कीमत 600 रुपये चढ़कर 1,36,500 रुपये प्रति 10 ग्राम (सभी करों सहित) हो गईं जबकि मंगलवार को यह 1,35,900 रुपये प्रति 10 ग्राम पर बंद हुई थी। अंतरराष्ट्रीय बाजार में हाजिर सोने की कीमत 18.59 अमेरिकी डॉलर यानी 0.43 प्रतिशत बढ़कर 4,321.06 अमेरिकी डॉलर प्रति औंस हो गई। इसके अलावा, हाजिर चांदी ने विदेशी बाजार में पहली बार 66 डॉलर प्रति औंस का आंकड़ा पार कर लिया। चांदी की कीमत में 2.77 अमेरिकी डॉलर यानी 4.35 प्रतिशत की वृद्धि हुई और यह 66.52 अमेरिकी डॉलर प्रति औंस के नए रिकॉर्ड स्तर पर पहुंच गई।
- नयी दिल्ली. देश की थोक मुद्रास्फीति नवंबर में शून्य से नीचे 0.32 प्रतिशत रही। सोमवार को जारी सरकारी आंकड़ों से यह जानकारी मिली। थोक मूल्य सूचकांक (डब्ल्यूपीआई) आधारित मुद्रास्फीति अक्टूबर में शून्य से नीचे 1.21 प्रतिशत और नवंबर 2024 में 2.16 प्रतिशत रही थी। उद्योग मंत्रालय ने बयान में कहा कि खाद्य पदार्थों, खनिज तेलों, कच्चे पेट्रोलियम एवं प्राकृतिक गैस, बुनियादी धातुओं के उत्पादन और बिजली आदि की कीमतों में कमी इसकी मुख्य वजह रही...। डब्ल्यूपीआई के आंकड़ों के अनुसार, नवंबर में खाद्य पदार्थों की महंगाई दर 4.16 प्रतिशत रही जबकि अक्टूबर में यह 8.31 प्रतिशत थी। सब्जियों की महंगाई दर 20.23 प्रतिशत रही जो अक्टूबर में 34.97 प्रतिशत थी। दालों की कीमतों में नवंबर में 15.21 प्रतिशत की कमी आई जबकि आलू तथा प्याज की कीमतें क्रमशः 36.14 प्रतिशत और 64.70 प्रतिशत घटीं। विनिर्मित उत्पादों के मामले में नवंबर में मुद्रास्फीति घटकर 1.33 प्रतिशत हो गई जबकि अक्टूबर में यह 1.54 प्रतिशत थी। ईंधन तथा बिजली की कीमतों की महंगाई दर 2.27 प्रतिशत रही जो अक्टूबर में 2.55 प्रतिशत थी।पिछले सप्ताह जारी आंकड़ों के अनुसार खाद्य पदार्थों की बढ़ती कीमतों के कारण नवंबर में उपभोक्ता मूल्य सूचकांक (सीपीआई) में मामूली वृद्धि हुई और यह रिकॉर्ड निचले स्तर 0.25 प्रतिशत से बढ़कर 0.71 प्रतिशत हो गई। भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) खुदरा मुद्रास्फीति पर नजर रखता है। केंद्रीय बैंक ने इस महीने की शुरुआत में नीतिगत दर रेपो को 0.25 प्रतिशत घटाकर 5.25 प्रतिशत कर दिया था। केंद्रीय बैंक ने वित्त वर्ष 2025-26 के लिए सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) वृद्धि का अनुमान पिछले सप्ताह 6.8 प्रतिशत से बढ़ाकर 7.3 प्रतिशत कर दिया था। भारत ने जुलाई-सितंबर तिमाही में 8.2 प्रतिशत और अप्रैल-जून तिमाही में 7.8 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज की थी।

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