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नयी दिल्ली. अदाणी समूह की बीएसई में सूचीबद्ध सात कंपनियों के शेयरों में सोमवार को तेजी रही। शेयर बाजार में कमजोर रुख के बावजूद बीएसई पर अदाणी टोटल गैस का शेयर 11.20 प्रतिशत चढ़ा। अदाणी एंटरप्राइजेज के शेयर में 7.65 प्रतिशत, अदाणी पावर में 6.46 प्रतिशत, अदाणी एनर्जी सॉल्यूशंस में 2.46 प्रतिशत, अदाणी ग्रीन एनर्जी में 2.31 प्रतिशत, एनडीटीवी में 0.28 प्रतिशत और सांघी इंडस्ट्रीज में 0.05 प्रतिशत की तेजी रही। हालांकि, अदाणी पोर्ट्स के शेयर में 0.93 प्रतिशत, अंबुजा सीमेंट्स में 0.55 प्रतिशत, अदाणी विल्मर में 0.17 प्रतिशत और एसीसी में 0.05 प्रतिशत की गिरावट आई। उतार-चढ़ाव भरे कारोबार में 30 शेयर पर आधारित बीएसई सेंसेक्स 450.94 अंक यानी 0.57 प्रतिशत की गिरावट के साथ 78,248.13 अंक पर बंद हुआ। एनएसई निफ्टी 168.50 अंक या 0.71 प्रतिशत फिसलकर 23,644.90 अंक पर रहा। अदाणी समूह ने सोमवार को अपनी संयुक्त उद्यम कंपनी अदाणी विल्मर से बाहर निकलने की घोषणा की। उद्योगपति गौतम अदाणी की अगुवाई वाला समूह अपनी पूरी हिस्सेदारी सिंगापुर की भागीदार कंपनी विल्मर इंटरनेशनल और खुले बाजार में दो अरब डॉलर से अधिक में बेच रहा है। अदाणी एंटरप्राइजेज लिमिटेड ने बयान में कहा, वह 31.06 प्रतिशत हिस्सेदारी विल्मर इंटरनेशनल को बेचेगी। साथ ही न्यूनतम सार्वजनिक शेयरधारिता जरूरतों को पूरा करने के लिए लगभग 13 प्रतिशत हिस्सेदारी खुले बाजार में बेचेगी। संयुक्त उद्यम में अदाणी विल्मर की हिस्सेदारी 43.94 प्रतिशत है। समूह 31.06 प्रतिशत हिस्सेदारी विल्मर को 12,314 करोड़ रुपये (305 रुपये प्रति शेयर के भाव पर) पर बेचेगा। इसके अलावा बिक्री पेशकश के तहत शेष हिस्सेदारी बेची जाएगी। कुल सौदा राशि दो अरब डॉलर (करीब 17,100 करोड़ रुपये) से अधिक होगी। सौदा 31 मार्च 2025 से पहले पूरा होने की संभावना है। हिस्सेदारी बिक्री से प्राप्त राशि का इस्तेमाल मुख्य बुनियादी ढांचा कारोबार में अदाणी एंटरप्राइजेज लिमिटेड (एईएल) की वृद्धि को गति देने के लिए किया जाएगा।
- मुंबई। भारतीय अर्थव्यवस्था मजबूती और स्थिरता का प्रदर्शन कर रही है तथा चालू वित्त वर्ष में सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) की वृद्धि दर 6.6 प्रतिशत रहने का अनुमान है। भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) की एक रिपोर्ट में सोमवार को यह अनुमान जताया गया। केंद्रीय बैंक ने कहा कि अर्थव्यवस्था को ग्रामीण खपत में सुधार, सरकारी खपत और निवेश में तेजी तथा मजबूत सेवा निर्यात से समर्थन मिला है। रिजर्व बैंक ने वित्तीय स्थिरता रिपोर्ट (एफएसआर) का दिसंबर, 2024 का अंक जारी किया है। रिपोर्ट भारतीय वित्तीय प्रणाली की जुझारू क्षमता और वित्तीय स्थिरता के जोखिमों पर वित्तीय स्थिरता और विकास परिषद (एफएसडीसी) की उप-समिति के सामूहिक मूल्यांकन को दर्शाती है। इसमें कहा गया, ‘‘अनुसूचित वाणिज्यिक बैंक (एससीबी) मुनाफा बढ़ने, गैर-निष्पादित आस्तियों में कमी, पर्याप्त पूंजी और नकदी भंडार के कारण अच्छी स्थिति में हैं। परिसंपत्तियों पर प्रतिफल (आरओए) और इक्विटी पर प्रतिफल (आरओई) दशक के उच्चतम स्तर पर हैं, जबकि सकल गैर-निष्पादित आस्ति (जीएनपीए) अनुपात कई साल के निचले स्तर पर आ गया है।'' रिपोर्ट में यह भी कहा गया कि व्यापक दबाव परीक्षण से पता चलता है कि अधिकांश एससीबी के पास प्रतिकूल स्थिति में पर्याप्त मात्रा में अतिरिक्त पूंजी है। एफएसआर में अर्थव्यवस्था के बारे में कहा गया कि 2024-25 की पहली छमाही के दौरान सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) की वृद्धि घटकर छह प्रतिशत पर आ गई, जो 2023-24 की पहली और दूसरी छमाही में क्रमशः 8.2 प्रतिशत और 8.1 प्रतिशत थी। आरबीआई ने कहा, ‘‘इस हालिया सुस्ती के बावजूद संरचनात्मक वृद्धि चालक बरकरार हैं। घरेलू चालक, मुख्य रूप से सार्वजनिक खपत और निवेश तथा मजबूत सेवा निर्यात के कारण 2024-25 की तीसरी और चौथी तिमाही में जीडीपी की वृद्धि दर में सुधार होने की उम्मीद है।'' रिपोर्ट में मुद्रास्फीति के बारे में कहा गया कि बंपर खरीफ फसल और रबी फसल के चलते आगे चलकर खाद्यान्न कीमतों में नरमी आने की उम्मीद है। हालांकि, चरम मौसम की घटनाओं के बढ़ते रुझानों के कारण जोखिम बने हुए हैं। भू-राजनीतिक संघर्ष वैश्विक आपूर्ति श्रृंखला और जिंस कीमतों पर दबाव डाल सकते हैं।
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नयी दिल्ली. बढ़ते आयात से बुरी तरह प्रभावित भारतीय इस्पात उद्योग 2025 में अपने हितों की रक्षा के लिए नीतिगत पहलों पर उत्सुकता से नजर रखेगा। इस्पात उद्योग कच्चे माल की अस्थिर कीमतों के बीच 30 करोड़ टन क्षमता के लक्ष्य की ओर आगे बढ़ रहा है। उद्योग के सामने एक और चुनौती स्वच्छ विनिर्माण प्रक्रियाओं में बदलाव के प्रयासों में तेजी लाने की होगी, क्योंकि सरकार हरित इस्पात उत्पादन को बढ़ावा दे रही है, तथा वैश्विक स्तर पर कठिन क्षेत्रों में ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन में कटौती करने पर जोर दिया जा रहा है। सरकारी हस्तक्षेप आवश्यक होगा, क्योंकि भारतीय इस्पात उद्योग 2030 तक 30 करोड़ टन प्रति वर्ष की विनिर्माण क्षमता बनाने के लिए विस्तार कर रहा है और लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए शेष 12 करोड़ टन क्षमता को जोड़ने के लिए लगभग 10 लाख करोड़ रुपये के निवेश की आवश्यकता होगी। इस्पात मंत्रालय के अनुसार, भारत इस्पात का शुद्ध आयातक बना रहा, तथा वित्त वर्ष 2025 के अप्रैल-सितंबर में आयात, निर्यात से काफी अधिक रहा। अप्रैल-सितंबर 2024 की अवधि में आयात पिछले वित्त वर्ष की समान अवधि के 33.3 लाख टन से 41 प्रतिशत बढ़कर 47 लाख टन हो गया। आधिकारिक आंकड़ों से पता चलता है कि इस साल अप्रैल-सितंबर में निर्यात 36 लाख टन से 36 प्रतिशत घटकर 23.1 लाख टन रह गया। आयात के संबंध में मंत्रालय ने कहा कि उद्योग जगत द्वारा चीन से सीधे या वियतनाम जैसे देशों के माध्यम से होने वाले सस्ते आयात के खिलाफ संरक्षण की मांग बढ़ रही है। वैश्विक रुझान घरेलू उद्योगों की सुरक्षा के लिए किए जा रहे प्रयासों को भी दर्शाता है। यूरोपीय संघ ने पहले ही ‘कोल्ड' और ‘हॉट' रोल्ड स्टेनलेस स्टील पर डंपिंग-रोधी शुल्क लगा दिया है, जबकि ब्राजील, मैक्सिको और अमेरिका ने भी अपने घरेलू बाजारों की सुरक्षा के लिए शुल्क लागू किए हैं। दो दिसंबर को वाणिज्य विभाग के साथ बैठक में इस्पात मंत्रालय ने देश में आयातित कुछ इस्पात उत्पादों पर 25 प्रतिशत सुरक्षा शुल्क लगाने का प्रस्ताव रखा। बैठक में इस्पात मंत्री एचडी कुमारस्वामी और वाणिज्य एवं उद्योग मंत्री पीयूष गोयल मौजूद थे। वाणिज्य मंत्रालय के अंतर्गत व्यापार उपचार महानिदेशालय (डीजीटीआर) ने भी शीर्ष उद्योग निकाय भारतीय इस्पात संघ (आईएसए) की शिकायत के बाद देश में कुछ इस्पात फ्लैट उत्पादों के आयात में कथित वृद्धि की जांच शुरू की है, जिसके सदस्यों में टाटा स्टील, जेएसडब्ल्यू स्टील, एएमएनएस इंडिया, जिंदल स्टील एंड पावर और राज्य के स्वामित्व वाली स्टील अथॉरिटी ऑफ इंडिया लिमिटेड (सेल) शामिल हैं।
- नयी दिल्ली |देश की निजी दूरसंचार कंपनियों को नए साल में निवेश वसूली में दोहरी चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है। एक तो शुल्क वृद्धि के बाद ग्राहक उनके नेटवर्क को छोड़ रहे हैं और उपग्रह कंपनियां (सैटकॉम), मुख्य रूप से एलन मस्क की स्टारलिंक उनके मुख्य डेटा कारोबार पर नजर गड़ाए हुए हैं। निजी कंपनियों ने अगली पीढ़ी की 5जी सेवाओं के कवरेज का विस्तार करने के लिए इस साल दूरसंचार बुनियादी ढांचे और रेडियोवेव परिसंपत्तियों में लगभग 70,000 करोड़ रुपये का निवेश किया है, जो इस क्षेत्र के लिए 2024 की मुख्य विशेषताओं में से एक है। निवेश की वसूली और मार्जिन की रक्षा के लिए, निजी दूरसंचार कंपनियों ने साल के बीच शुल्क बढ़ोतरी का सहारा लिया, लेकिन यह कदम उल्टा पड़ गया। करीब दो करोड़ ग्राहकों ने अपने कनेक्शन खो दिए।रिलायंस जियो, भारती एयरटेल और वोडाफोन आइडिया ने संयुक्त रूप से 10-26 फीसदी की कीमत वृद्धि के कारण 2.6 करोड़ ग्राहक खो दिए। सरकारी कंपनी बीएसएनएल ने कीमतों में बढ़ोतरी नहीं की। घाटे में चल रही यह सार्वजनिक क्षेत्र की कंपनी अभी भी पुरानी 3जी सेवा दे रही है और देश भर में 4जी नेटवर्क शुरू करने की राह पर है। ग्राहकों की संख्या में कमी के बावजूद, निजी कंपनियों को निवेश की भरपाई करने तथा भविष्य में वृद्धि को गति देने के लिए नए युग की सेवाएं प्रदान करने हेतु 5जी में अधिक निवेश करने की आवश्यकता है। ईवाई इंडिया मार्केट्स और दूरसंचार क्षेत्र के दिग्गज प्रशांत सिंघल के अनुसार, रिलायंस जियो, भारती एयरटेल और वोडाफोन आइडिया का संचयी निवेश 2024 में लगभग 70,200 करोड़ रुपये था।डिजिटल इन्फ्रास्ट्रक्चर प्रोवाइडर्स एसोसिएशन (डीआईपीए) के महानिदेशक मनोज कुमार सिंह का कहना है कि दूरसंचार बुनियादी ढांचा क्षेत्र 5जी पारिस्थितिकी तंत्र को समर्थन देने के लिए 2022-2027 में 92,100 करोड़ रुपये से 1.41 लाख करोड़ रुपये के संचयी निवेश की उम्मीद कर रहा है। केंद्रीय संचार मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया ने भी शुल्क वृद्धि के मुद्दे पर दूरसंचार कंपनियों का समर्थन किया और नेटवर्क में कंपनियों द्वारा किए गए निवेश का हवाला दिया। साल 2024 में 5जी सेवाओं की शुरुआत ने कृत्रिम मेधा (एआई) जैसी उभरती प्रौद्योगिकियों को अपनाने का मार्ग प्रशस्त किया है, जिसमें वृद्धि की अपार संभावनाएं हैं। इंडस टावर्स और अमेरिकन टावर कॉरपोरेशन की सदस्यता वाले डीआईपीए का कहना है, “5जी की तैनाती एक बड़ा परिवर्तनकारी कदम है। हमने 5जी बेस ट्रांसीवर स्टेशनों में उल्लेखनीय वृद्धि देखी है, जो दिसंबर, 2023 में 412,214 से बढ़कर नवंबर, 2024 तक 462,854 हो गई है।"
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नई दिल्ली।। देश में 2023-24 में अब तक का सबसे अधिक कोयला उत्पादन हुआ है। वर्ष 2023-24 में कोयला उत्पादन वर्ष 2022-23 में 893.191 मिलियन टन की तुलना में 997.826 मिलियन टन हुआ, जो कि लगभग 11.71 प्रतिशत अधिक है। कोयला मंत्रालय ने एक बयान में कहा है कि देश ने इस महीने की 15 तारीख तक लगभग 963.11 मीट्रिक टन कोयले की आपूर्ति की है।मंत्रालय ने कहा है कि ‘आत्मनिर्भर भारत’ के तहत परिवर्तनकारी उपायों के साथ, घरेलू कच्चे कोकिंग कोल का उत्पादन अगले पांच वर्षों में 140 मीट्रिक टन तक पहुंचने की संभावना है।
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नई दिल्ली। जापानी ऑटोमेकर सुजुकी मोटर कॉर्पोरेशन को ऑटोमोबाइल सेक्टर का पावरहाउस बनाने और कंपनी को भारत में पहचाने दिलाने वाले दिग्गज ओसामु सुजुकी का 94 वर्ष की आयु में निधन हो गया। उन्होंने सुजुकी मोटर का चार दशकों से अधिक समय तक नेतृत्व किया था। कंपनी ने एक बयान में उनके निधन की पुष्टि की और बताया कि क्रिसमस के दिन यानी 25 दिसंबर को लिंफोमा के कारण उन्होंने इस दुनिया को अलविदा कह दिया।
ओसामु सुजुकी पेशे से एक बैंकर थे। उन्होंने 1958 में अपने दादा द्वारा स्थापित कंपनी ज्वाइन की और दो दशकों में सफलता की सीढ़ियां चढ़ते हुए अध्यक्ष बन गए। 1970 के दशक में, उन्होंने कंपनी को तबाह होने से बचाया, जब उन्होंने टोयोटा मोटर को नई उत्सर्जन नियमों का पालन करने वाले इंजन सप्लाई करने के लिए मना लिया। इसके बाद 1979 में ऑल्टो मिनी वाहन के लॉन्च के साथ बड़ी सफलता मिली। यह वाहन जबरदस्त हिट हुआ और 1981 में जनरल मोटर्स के साथ साझेदारी करते समय कंपनी की सौदेबाजी की ताकत को मजबूत किया। - सिंगापुर । प्रसिद्ध भारतीय शेफ संजीव कपूर ने भारतीय गंतव्यों के लिए सिंगापुर एयरलाइंस (एसआईए) की लंबी दूरी की उड़ानों में खास और स्वादिष्ट भोजन की पेशकश की है। . कपूर ने बताया, ‘‘खाने को एक विशेष कक्ष में रखा जाता है और फिर स्वाद को बेहतर बनाने में कई घंटे लग जाते हैं ताकि जब विमान 35 हजार फुट की ऊंचाई पर हो तो यात्रियों को स्वादिष्ट भोजन मिल सके। "संजीव कपूर एसआईए के 'इंटरनेशनल क्यूलनेरी पैनल' के सदस्य हैं, जो एक प्रभावशाली समूह है जिसमें विश्व स्तर पर लोकप्रिय पांच शेफ जॉर्जेस ब्लैंक (फ्रांस), मैट मोरन (ऑस्ट्रेलिया), योशीहिरो मुराता (जापान) और झू जून (चीन) शामिल हैं. प्रथम श्रेणी या ‘बिजनेस क्लास’ में यात्रा करने वाले यात्रियों को क्रमशः कपूर की विशिष्ट शाही थाली का स्वाद चखने का मौका मिलता है. ।शाकाहारी और मांसाहारी दोनों ही विकल्पों में उपलब्ध प्रत्येक थाली में भारत के उत्तर से दक्षिण तक के व्यंजन शामिल होंगे। . कपूर ने शुक्रवार को सिंगापुर के साप्ताहिक अखबार ‘तबला’ को बताया कि एसआईए की उड़ान के दौरान भोजन तैयार करने में हर छोटी से छोटी बात पर विशेष ध्यान दिया जाता है ताकि स्वाद में कोई कमी नहीं रह जाये।
- नयी दिल्ली। कृत्रिम मेधा (एआई), मशीन लर्निंग जैसी प्रौद्योगिकियों से दवा की खोज, विनिर्माण तथा रोगी देखभाल में क्रांति आ रही है। इसके साथ भारतीय दवा उद्योग 2025 में एक बड़े बदलाव को तैयार है, जिसमें नवाचार, व्यापक वैश्विक पहुंच तथा गुणवत्ता में सुधार भविष्य के लिए प्रमुख विषय बन जाएंगे। दवा उद्योग के 2030 तक लगभग दोगुना बढ़कर 130 अरब अमेरिकी डॉलर का हो जाने की उम्मीद है। यह अनुकूल नीतियों, जनसांख्यिकीय तथा डिजिटल प्रतिभा का लाभ उठाने की कोशिश कर रहा है, ताकि भारत सभी के लिए वैश्विक स्वास्थ्य को आगे बढ़ाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सके। वर्तमान में वैश्विक स्तर पर कुल जेनेरिक दवा बिक्री में करीब 20 प्रतिशत हिस्सेदारी रखने वाला भारतीय दवा उद्योग देश को उच्च गुणवत्ता वाली, सस्ती दवाओं के लिए वैश्विक केंद्र के रूप में स्थापित करने के वास्ते अनुसंधान उत्कृष्टता व नवाचार पर ध्यान केंद्रित कर रहा है।इंडियन फार्मास्युटिकल अलायंस (आईपीए) के महासचिव सुदर्शन जैन ने कहा, ‘‘ भारतीय दवा बाजार का आकार 2030 तक 120-130 अरब अमेरिकी डॉलर तक पहुंचने की उम्मीद है, जो वर्तमान में 58 अरब अमेरिकी डॉलर है। गुणवत्ता, नवाचार तथा व्यापक वैश्विक पहुंच के संदर्भ में पहल से भारतीय दवा क्षेत्र को अपनी क्षमता का एहसास करने में मदद मिलेगी।'' उन्होंने कहा कि अनुकूल नीतियों और जनसांख्यिकीय व डिजिटल प्रतिभा के लाभ को देखते हुए, भारत आने वाले वर्षों में सभी के लिए वैश्विक स्वास्थ्य को आगे बढ़ाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा। आईपीए सन फार्मा, सिप्ला और डॉ रेड्डीज लैबोरेटरीज जैसी 23 प्रमुख शोध-आधारित भारतीय दवा कंपनियों का प्रतिनिधित्व करता है। भारतीय औषधि उत्पादकों के संगठन (ओपीपीआई) के महानिदेशक अनिल मताई ने कहा कि उद्योग 2025 में ‘‘व्यापक बदलाव'' के लिए तैयार है। उन्होंने कहा कि एआई, मशीन लर्निंग और ‘प्रिसिजन मेडिसिन' जैसी प्रौद्योगिकियां दवा की खोज, विनिर्माण और रोगी देखभाल में क्रांतिकारी बदलाव लाने के लिए तैयार है। ओपीपीआई भारत में एस्ट्राजेनेका, नोवार्टिस और मर्क सहित अनुसंधान आधारित दवा कंपनियों का प्रतिनिधित्व करता है। मताई ने कहा कि इसके अलावा मजबूत नियामक ढांचे से रोगी सुरक्षा को प्राथमिकता देते हुए नवीन उपचारों को तेजी से अपनाने में मदद मिलेगी। उन्होंने कहा कि ‘यूनिफॉर्म कोड ऑफ फार्मास्युटिकल मार्केटिंग प्रैक्टिसेज' (यूसीपीएमपी) का पालन करने से नैतिक मानकों को बनाए रखा जा सकेगा। साथ ही स्वास्थ्य सेवा परिवेश में विश्वास तथा पारदर्शिता को बढ़ावा मिलेगा। फोर्टिस हेल्थकेयर के प्रबंध निदेशक एवं मुख्य कार्यपालक अधिकारी आशुतोष रघुवंशी ने स्वास्थ्य खंड पर टिप्पणी करते हुए कहा कि अस्पताल बाजार के 2023 में करीब 99 अरब अमरीकी डॉलर से बढ़कर 2032 तक अनुमानित 194 अरब अमरीकी डॉलर तक पहुंचने का अनुमान है। उन्होंने कहा, ‘‘ हमारा क्षेत्र न केवल विस्तार कर रहा है, बल्कि हमारी आबादी की विविध जरूरतों को पूरा करने के लिए खुद में बदलाव भी ला रहा है। यह वर्ष विशेष रूप से महत्वपूर्ण रहा है, क्योंकि अस्पताल स्वास्थ्य सेवा परिदृश्य में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश के अग्रणी प्राप्तकर्ता के रूप में उभरे हैं।'' रघुवंशी ने कहा कि भविष्य को देखते हुए उद्योग को कई प्रमुख प्रवृत्तियों पर ध्यान केंद्रित करना होगा जो भारत में स्वास्थ्य सेवा के भविष्य को आकार देंगे।
- नयी दिल्ली। देश के सात प्रमुख शहरों में इस साल मकानों की बिक्री चार प्रतिशत घटकर करीब 4.6 लाख इकाई रह जाने का अनुमान है। वहीं मूल्य के हिसाब से बिक्री 16 प्रतिशत बढ़कर 5.68 लाख करोड़ रुपये होने की संभावना है। रियल एस्टेट सलाहकार एनारॉक के अनुसार, भूमि, श्रम तथा निर्माण संबंधी कुछ कच्चे माल की बढ़ती कीमतों के कारण इस वर्ष सात प्रमुख शहरों में औसत आवास की कीमतों में 21 प्रतिशत की वृद्धि हुई। भारत में अग्रणी आवास ब्रोकरेज कंपनियों में से एक एनारॉक ने 2024 में बिक्री की मात्रा में गिरावट के लिए आम और विधानसभा चुनावों के बीच नियामक अनुमोदन में देरी तथा आवास परियोजनाओं के की पेशकश में कमी को जिम्मेदार ठहराया। फिर भी आवास की कीमतों में वृद्धि से इस वर्ष मूल्य के संदर्भ में बिक्री में वृद्धि हुई।एनारॉक ने अपने आवास बाजार के आंकड़े गुरुवार को जारी किए, जिसमें 2024 में सात प्रमुख शहरों में बिक्री में मामूली चार प्रतिशत की गिरावट के साथ 4,59,650 इकाई रह जाने का अनुमान है जबकि 2023 में यह 4,76,530 इकाई थी। हालांकि, आवासीय इकाइयों का कुल बिक्री मूल्य 2024 में 16 प्रतिशत की वार्षिक वृद्धि के साथ 5.68 लाख करोड़ रुपये हो गया, जो इससे पिछले वर्ष 4.88 लाख करोड़ रुपये था। नई आवासीय संपत्तियों की आपूर्ति पर एनारॉक के आंकड़ों से पता चलता है कि 2023 में 4,45,770 इकाइयों की तुलना में 2024 में यह आंकड़ा सात प्रतिशत की गिरावट के साथ 4,12,520 इकाई रहा। आंकड़ों पर एनारॉक के चेयरमैन अनुज पुरी ने कहा, ‘‘ भारतीय आवास क्षेत्र के लिए 2024 मिलाजुला रहा है। आम और विधानसभा चुनावों के नकारात्मक प्रभाव के अलावा, परियोजना अनुमोदन में भी कमी आई जिससे नए आवासों की आपूर्ति पर असर पड़ा है।'' उन्होंने कहा, ‘‘ हालांकि 2023 की तुलना में बिक्री में मामूली गिरावट देखी गई, लेकिन औसत मूल्य वृद्धि तथा इकाई आकार में वृद्धि से कुल बिक्री मूल्य में 16 प्रतिशत की वृद्धि से इसकी भरपाई हो गई।'' पुरी ने कहा कि वर्ष 2024 में शीर्ष सात शहरों में औसत कीमत में 21 प्रतिशत की वार्षिक वृद्धि देखी गई।
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मुंबई. स्थानीय शेयर बाजार में बृहस्पतिवार को किसी ठोस सकारात्मक संकेतक के अभाव में बीएसई सेंसेक्स स्थिर रुख के साथ बंद हुआ। विदेशी संस्थागत निवेशकों की पूंजी निकासी जारी रहने से भी बाजार पर असर पड़ा। तीस शेयरों पर आधारित बीएसई सेंसेक्स 0.39 अंक की नाममात्र की गिरावट के साथ 78,472.48 अंक पर बंद हुआ। शुरुआती कारोबार में यह 425.5 अंक तक चढ़ गया था। नेशनल स्टॉक एक्सचेंज का निफ्टी उतार-चढ़ाव के बीच 22.55 अंक की मामूली बढ़त के साथ 23,750.20 अंक पर बंद हुआ। सेंसेक्स के तीस शेयरों में टाइटन, एशियन पेंट्स, नेस्ले, टेक महिंद्रा, रिलायंस इंडस्ट्रीज, जोमैटो, लार्सन एंड टुब्रो और बजाज फिनसर्व प्रमुख रूप से नुकसान में रहे। दूसरी तरफ, लाभ में रहने वाले शेयरों में अदाणी पोर्ट्स, महिंद्रा एंड महिंद्रा, मारुति, सन फार्मा, भारती एयरटेल और टाटा मोटर्स शामिल हैं। जियोजीत फाइनेंशियल सर्विसेज के शोध प्रमुख विनोद नायर ने कहा, ‘‘घरेलू बाजार में वायदा एवं विकल्प खंड में साल के अंतिम सौदों के मासिक निपटान के दिन घरेलू बाजार पूरे कारोबार के दौरान स्थिर रहा। दुनिया के अन्य बाजारों में अवकाश और किसी ठोस संकेतक के अभाव के बीच बाजार स्थिर रहा। हाल में आई गिरावट के बाद वाहन शेयर लाभ में रहे।'' उन्होंने कहा, ‘‘हालांकि, अमेरिकी डॉलर सूचकांक में मजबूती के बीच विदेशी संस्थागत निवेशकों की पूंजी निकासी और रुपये की विनिमय दर में गिरावट को लेकर चिंता से बाजार पर असर पड़ा। इसके साथ प्रतिकूल शुल्क दर की आशंका तथा 2025 में नीतिगत दर में कटौती को लेकर चिंता से बाजार स्थिर रहा।'' छोटी कंपनियों के शेयरों से जुड़ा बीएसई स्मॉलकैप सूचकांक 0.24 प्रतिशत टूटा, जबकि मझोली कंपनियों के शेयरों का सूचकांक बीएसई मिडकैप 0.11 प्रतिशत चढ़ा। एशिया के अन्य बाजारों में जापान का निक्की और चीन का शंघाई कम्पोजिट बढ़त में, जबकि दक्षिण कोरिया का कॉस्पी नुकसान में रहा। यूरोपीय और अमेरिकी बाजार बुधवार को क्रिसमस के मौके पर बंद थे।
शेयर बाजार के आंकड़ों के अनुसार, विदेशी संस्थागत निवेशकों (एफआईआई) ने मंगलवार को 2,454.21 करोड़ रुपये मूल्य के शेयर बेचे। घरेलू शेयर बाजार बुधवार को क्रिसमस के मौके पर बंद थे।
वैश्विक तेल मानक ब्रेंट क्रूड 0.53 प्रतिशत की बढ़त के साथ 73.97 डॉलर प्रति बैरल पर रहा।
बीएसई सेंसेक्स मंगलवार को 67.30 अंक टूटा था, जबकि निफ्टी में 25.80 अंक की गिरावट आई थी। -
नयी दिल्ली. टाटा संस के चेयरमैन एन चंद्रशेखरन ने बृहस्पतिवार को कहा कि भारत की तरफ वैश्विक आपूर्ति शृंखलाओं के बढ़ते रुझान को देखते हुए विनिर्माण क्षेत्र देश की अर्थव्यवस्था को बदल देने की क्षमता रखता है। नमक से लेकर सॉफ्टवेयर तक बनाने वाले टाटा समूह की नियंत्रक कंपनी के प्रमुख ने कर्मचारियों को नए साल के अपने संदेश में कहा कि मौजूदा वक्त ‘भारत के लिए विनिर्माण का नया स्वर्णिम युग' है। चंद्रशेखरन ने वर्ष 2024 में टाटा समूह के मानद चेयरमैन रतन टाटा के निधन से उपजे दुख का जिक्र करते हुए कहा कि अब ‘आशा और आशावाद की भावना के साथ' 2025 की ओर देख रहे हैं। उन्होंने अपने संदेश में कहा, “जहां स्वास्थ्य सेवा और परिवहन क्षेत्र में कृत्रिम मेधा (एआई) की अगुवाई वाली उपलब्धियां पूरी मानवता की मदद कर सकती हैं वहीं विनिर्माण क्षेत्र के भीतर भारत की अर्थव्यवस्था को बदलने की क्षमता है।” चंद्रशेखरन ने कहा, “वैश्विक आपूर्ति शृंखलाओं का भारत की तरफ रुख करना जारी है क्योंकि दुनिया के सबसे बड़े व्यवसाय जुझारूपन और दक्षता के बीच एक नया संतुलन बना रहे हैं। (कोविड-19) महामारी के समय एक अल्पकालिक प्रतिक्रिया की तरह लगने वाला यह रुझान कहीं अधिक स्थायी साबित हुआ है।” उन्होंने अगले आधे दशक में पांच लाख विनिर्माण नौकरियां पैदा करने की टाटा समूह की योजनाओं को दोहराते हुए कहा कि ये रोजगार के अवसर बैटरी, सेमीकंडक्टर, इलेक्ट्रिक वाहन (ईवी), सौर उपकरण और अन्य महत्वपूर्ण हार्डवेयर का उत्पादन करने वाले कारखानों और परियोजनाओं में निवेश से पैदा होंगे। चंद्रशेखरन ने कहा कि पांच लाख नई नौकरियां सेवा क्षेत्र की उन नौकरियों के अलावा होंगी जिन्हें खुदरा, प्रौद्योगिकी सेवाओं, एयरलाइंस और आतिथ्य जैसे क्षेत्रों में पैदा होने की उम्मीद है। उन्होंने कहा कि टाटा समूह के सात से अधिक नए विनिर्माण संयंत्रों में भूमिपूजन समारोह और निर्माण कार्य शुरू हो गया है। इनमें गुजरात के धोलेरा में भारत का पहला सेमीकंडक्टर फैब और असम में एक नया सेमीकंडक्टर ओएसएटी संयंत्र शामिल है। चंद्रशेखरन ने कहा, “इस तरह के कदम हमारे समूह और भारत के लिए रोमांचक हैं लेकिन इससे भी महत्वपूर्ण बात यह है कि वे हर महीने कार्यबल का हिस्सा बनने वाले 10 लाख युवाओं को उम्मीद देते हैं।” टाटा संस के मुखिया ने कहा, “मैं आशा और आशावाद की भावना के साथ 2025 की ओर देख रहा हूं। भारत की अर्थव्यवस्था मजबूत है और इस दौर के बड़े रुझान हमारे पक्ष में हैं।”
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मुंबई. भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने वित्तीय क्षेत्र में कृत्रिम मेधा (एआई) के जिम्मेदार एवं नैतिक इस्तेमाल के बारे में एक रूपरेखा तैयार करने के लिए बृहस्पतिवार को आठ-सदस्यीय समिति के गठन की घोषणा की। आरबीआई ने बयान में कहा कि भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (आईआईटी), मुंबई में कंप्यूटर विज्ञान और इंजीनियरिंग विभाग के प्रोफेसर पुष्पक भट्टाचार्य इस समिति के अध्यक्ष होंगे। यह समिति वैश्विक और घरेलू स्तर पर वित्तीय सेवाओं में एआई की स्वीकार्यता के वर्तमान स्तर का आकलन करेगी। यह वैश्विक स्तर पर वित्तीय क्षेत्र पर ध्यान केंद्रित करते हुए एआई पर नियामकीय एवं पर्यवेक्षी दृष्टिकोण की भी समीक्षा करेगी। यह पैनल एआई से जुड़े संभावित जोखिमों की भी पहचान करेगा। यह बैंकों, गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनियों (एनबीएफसी), वित्तीय-प्रौद्योगिकी फर्मों के लिए एआई से जुड़े जोखिमों के मूल्यांकन, निपटान, निगरानी ढांचे एवं अनुपालन बिंदुओं की सिफारिश करेगा। रिजर्व बैंक की इस महीने की शुरुआत में मौद्रिक समीक्षा बैठक के बाद एआई पर विशेषज्ञ समिति बनाए जाने की घोषणा की गई थी। उसी घोषणा के अनुरूप आरबीआई ने इसके सदस्यों एवं उनके दायित्वों का ब्योरा जारी किया है। आरबीआई ने कहा कि समिति भारतीय वित्तीय क्षेत्र में एआई मॉडल एवं अनुप्रयोगों को जिम्मेदार, नैतिक रूप से अपनाने से संबंधित संचालन पहलुओं की एक रूपरेखा की सिफारिश करेगी। इस समिति में देबजानी घोष (स्वतंत्र निदेशक, रिजर्व बैंक इनोवेशन हब), बलरामन रवींद्रन (प्रोफेसर और प्रमुख, वाधवानी स्कूल ऑफ डेटा साइंस एंड एआई, आईआईटी मद्रास), अभिषेक सिंह (अतिरिक्त सचिव, इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय) भी शामिल हैं। इनके अलावा राहुल मथन (साझेदार, ट्राइलीगल), अंजनी राठौर (समूह प्रमुख और मुख्य डिजिटल अनुभव अधिकारी, एचडीएफसी बैंक), श्री हरि नागरालू (सुरक्षा एआई अनुसंधान प्रमुख, माइक्रोसॉफ्ट इंडिया) और सुवेंदु पति (मुख्य महाप्रबंधक, वित्त प्रौद्योगिकी, आरबीआई) को भी इसका सदस्य बनाया गया है। आरबीआई ने कहा कि समिति अपनी पहली बैठक की तारीख से छह महीने के भीतर अपनी रिपोर्ट पेश करेगी।
- नयी दिल्ली.।' भारतीय अर्थव्यवस्था के चालू और अगले वित्त वर्ष में 6.5 प्रतिशत की दर से बढ़ने की संभावना है। सितंबर तिमाही में देश की आर्थिक वृद्धि दर अनुमान से कहीं कम यानी 5.4 प्रतिशत रही है। इसकी वजह निजी उपभोग व्यय और सकल स्थिर पूंजी निर्माण में गिरावट है। ईवाई की रिपोर्ट में यह बात कही गई। चालू वित्त वर्ष 2024-25 की दूसरी तिमाही जुलाई-सितंबर में जीडीपी की वृद्धि दर सात तिमाहियों के निचले स्तर 5.4 प्रतिशत पर आ गई थी। इससे पिछली तिमाही में वृद्धि दर 6.7 प्रतिशत थी। जुलाई-सितंबर में सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) की वृद्धि दर में गिरावट मुख्य रूप से घरेलू मांग के दो प्रमुख तत्वों...निजी अंतिम उपभोग व्यय और सकल स्थायी पूंजी निर्माण में संयुक्त रूप से 1.5 प्रतिशत अंक की कमी के कारण आई। रिपोर्ट में कहा गया, ‘‘ मांग की एक उल्लेखनीय विशेषता निवेश में सुस्ती है, जैसा कि सकल स्थायी पूंजी निर्माण की वृद्धि में परिलक्षित होता है। इस वृद्धि के वित्त वर्ष 2024-25 की दूसरी तिमाही में 5.4 प्रतिशत रहने का अनुमान है, जो छह तिमाहियों का निचला स्तर है। इस तथ्य के अलावा कि निजी निवेश की मांग में तेजी नहीं आई है, सरकार के निवेश खर्च की वृद्धि नकारात्मक रही है। चालू वित्त वर्ष की पहली छमाही में इसमें 15.4 प्रतिशत की गिरावट आई है। '' ‘ईवाई इकनॉमी वॉच दिसंबर' 2024 में वित्त वर्ष 2024-25 (अप्रैल 2024 से मार्च 2024 वित्तीय वर्ष) और वित्त वर्ष 2025-26 के लिए भारत की आर्थिक वृद्धि दर 6.5 प्रतिशत रहने का अनुमान लगाया गया है। इसमें वित्त वर्ष 2047-48 तक विकसित भारत के लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए भारत के राजकोषीय दायित्व ढांचे में सुधार के महत्व पर भी प्रकाश डाला गया है। इसमें कहा गया कि टिकाऊ ऋण प्रबंधन, सरकारी बचत को खत्म करने तथा निवेश आधारित वृद्धि को बढ़ावा देने के लिए पुनर्संयोजित दृष्टिकोण महत्वपूर्ण है, जिससे भारत के विकसित अर्थव्यवस्था में बदलने का मार्ग प्रशस्त होगा। ईवाई इंडिया के मुख्य नीति सलाहकार डी. के. श्रीवास्तव ने कहा, ‘‘ राजकोषीय उत्तरदायित्व तथा बजट प्रबंधन (एफआरबीएम) अधिनियम में प्रस्तावित संशोधन भारत को राजकोषीय विवेक बनाए रखते हुए सतत विकास को आगे बढ़ाने में सक्षम बनाने के लिए आवश्यक हैं। अद्यतन रूपरेखा सरकारी बचत को खत्म करने, निवेश बढ़ाने तथा अधिक मजबूत अर्थव्यवस्था बनाने में मदद करेगी जो भविष्य की चुनौतियों का सामना करने के लिए अच्छी तरह से तैयार है।'' उन्होंने कहा, ‘‘ ये बदलाव न केवल वर्तमान चुनौतियों का समाधान करेंगे बल्कि भारत के विकसित अर्थव्यवस्था में बदलाव का मार्ग भी प्रशस्त करेंगे।''
- नयी दिल्ली.। प्रीमियम कार्यस्थलों की बढ़ती मांग के बीच रियल एस्टेट कंपनियां घरेलू तथा विदेशी कंपनियों की जरूरतों को पूरा करने के लिए प्रमुख शहरों में करीब 250 लाख वर्ग फुट के कार्यस्थल विकसित कर रही हैं। रियल एस्टेट सलाहकार एनारॉक के वरिष्ठ अधिकारी ने यह बात कही। एनारॉक ने इस वर्ष अप्रैल में कार्यालय पट्टा क्षेत्र में प्रवेश किया। आवास ब्रोकरेज, पूंजी बाजार लेनदेन, खुदरा के साथ-साथ औद्योगिक और गोदाम स्थानों को पट्टे पर देने आदि के साथ उसने अपने कारोबार का विस्तार किया। रियल एस्टेट सलाहकार एनारॉक के वाणिज्यिक पट्टे एवं सलाहकार के प्रबंध निदेशक पीयूष जैन ने इस बात पर प्रकाश डाला कि भारतीय कार्यालय बाजार के लिए वर्ष 2024 रिकॉर्ड सकल पट्टा मांग और रिक्तियों की दर में गिरावट के साथ बेहद अच्छा रहा है। उन्होंने विश्वास व्यक्त किया कि अगले वर्ष भी मांग में तेजी जारी रहेगी।रियल एस्टेट क्षेत्र में 20 से अधिक वर्षों का अनुभव रखने वाले जैन ने कहा, ‘‘ वैश्विक महामारी के बाद कार्यालय बाजार ने मजबूत सुधार और समेकन दिखाया है।'' जैन ने कहा कि बहुराष्ट्रीय निगमों द्वारा भारत में वैश्विक क्षमता केंद्र (जीसीसी) स्थापित किए जा रहे हैं। इससे प्रमुख कार्यालय बाजारों बेंगलुरु, दिल्ली-राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र (एनसीआर), मुंबई, पुणे, हैदराबाद, चेन्नई, अहमदाबाद और कोलकाता में कार्यालय स्थान की भारी मांग उत्पन्न हो रही है। उन्होंने साथ ही गुरुग्राम, बेंगलुरु तथा पुणे में ‘ग्रेड ए' कार्यालय स्थान की आपूर्ति की कमी की ओर इशारा किया, लेकिन कहा कि डेवलपर इस कमी को दूर करने के लिए काम कर रहे हैं। जीसीसी से मांग बनी रहने के सवाल पर उन्होंने कहा, ‘‘ बिल्कुल। जीसीसी से मांग मजबूत बने रहने की उम्मीद है। भारत की लागत प्रभावशीलता, कुशल कार्यबल तथा परिचालन दक्षता इसे बैंकिंग, वित्तीय सेवाएं व बीमा (बीएफएसआई), स्वास्थ्य सेवा, प्रौद्योगिकी और अनुसंधान एवं विकास जैसे उद्योगों में जीसीसी के लिए एक पसंदीदा गंतव्य बनाती है।'' कार्यालय बाजार के समक्ष चुनौतियों के बारे में जैन ने कहा कि कार्यालय बाजार के लिए प्रमुख चुनौतियों में कच्चे माल की उच्च लागत और आपूर्ति श्रृंखला में व्यवधान के कारण निर्माण में देरी शामिल है।
- नयी दिल्ली।. वैश्विक अनिश्चितताओं तथा चुनौतियों के बावजूद भारत में इस साल जनवरी से अब तक औसतन मासिक प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआई) 4.5 अरब डॉलर से अधिक रहा है। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी नीत सरकार के देश में निवेशक अनुकूल उपायों को बढ़ावा देने से 2025 में भी यह रुझान बरकरार रहने की उम्मीद है। निवेशक-अनुकूल नीतियां, निवेश पर मजबूत ‘रिटर्न', कुशल कार्यबल, कम अनुपालन बोझ, छोटे उद्योग-संबंधी अपराधों को दूर करना, सुव्यवस्थित अनुमोदन तथा मंजूरी के लिए राष्ट्रीय एकल खिड़की प्रणाली और उत्पादन से जुड़ी प्रोत्साहन (पीएलआई) योजनाएं विदेशी निवेशकों को भारत की ओर आकर्षित करने के लिए किए गए प्रमुख उपायों में से हैं।इसके अलावा, यह सुनिश्चित करने के लिए कि भारत एक आकर्षक तथा निवेशक-अनुकूल गंतव्य बना रहे, सरकार निरंतर आधार पर एफडीआई नीति की समीक्षा करती है। शीर्ष उद्योग मंडलों, संघों तथा उद्योगों के प्रतिनिधियों सहित हितधारकों के साथ गहन परामर्श के बाद समय-समय पर सरकार इसमें बदलाव करती है। इस साल जनवरी-सितंबर की अवधि में देश में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआई) करीब 42 प्रतिशत बढ़कर 42.13 अरब डॉलर हो गया। एक साल पहले इसी अवधि में एफडीआई प्रवाह 29.73 अरब डॉलर रहा था। एफडीआई प्रवाह अप्रैल-सितंबर 2024-25 में 45 प्रतिशत बढ़कर 29.79 अरब अमरीकी डॉलर हो गया, जबकि पिछले वित्त वर्ष की समान अवधि में यह 20.48 अरब अमरीकी डॉलर था। 2023-24 में कुल एफडीआई 71.28 अरब अमरीकी डॉलर रहा। उद्योग एवं आंतरिक व्यापार संवर्धन विभाग (डीपीआईआईटी) में सचिव अमरदीप सिंह भाटिया ने कहा, ‘‘ प्रवृत्ति के अनुसार देश 2025 में भी अच्छा एफडीआई आकर्षित करने का सिलसिला जारी रखेगा। '' उन्होंने कहा कि भारत विदेशी निवेश की सीमा बढ़ाकर, नियामक बाधाओं को हटाकर, बुनियादी ढांचे का विकास कर और कारोबारी माहौल में सुधार कर वैश्विक निवेशकों के लिए अपनी अर्थव्यवस्था को खोलना जारी रख रहा है। बीते दस साल (2014-2024) के दौरान कुल 991 अरब अमेरिकी डॉलर का एफडीआई प्रवाह दर्ज किया गया, जिसमें से 67 प्रतिशत (667 अरब अमेरिकी डॉलर) हासिल हुआ। विनिर्माण क्षेत्र में एफडीआई इक्विटी प्रवाह में 69 प्रतिशत की वृद्धि हुई, जो 2004-2014 में 98 अरब अमेरिकी डॉलर से बढ़कर 2014-2024 में 165 अरब अमेरिकी डॉलर हो गया। इसी तरह के विचार साझा करते हुए विशेषज्ञों ने कहा कि वैश्विक चुनौतियों के बावजूद भारत अब भी वैश्विक कंपनियों के लिए पसंदीदा निवेश गंतव्य है। हालांकि, उन्होंने सुझाव दिया कि सरकार को और अधिक कदम उठाने चाहिए जैसे कि व्यापार करने में सुगमता को और बेहतर बनाना, औषधि, निजी सुरक्षा एजेंसियों, प्रसारण व वृक्षारोपण जैसे क्षेत्र में क्षेत्रीय सीमाओं को उदार बनाना और प्रेस नोट 3 (2020) के तहत मानदंडों को आसान बनाना। इस ‘प्रेस नोट' के तहत, चीन जैसे भारत के साथ भूमि सीमा साझा करने वाले देशों से आने वाले एफडीआई आवेदनों को सभी क्षेत्रों के लिए अनिवार्य रूप से सरकारी अनुमोदन लेना होता है। शार्दुल अमरचंद मंगलदास एंड कंपनी लिमिटेड के साझेदार रुद्र कुमार पांडे ने कहा, ‘‘ सरकार को प्रेस नोट 3 आवेदनों को संसाधित करने के लिए एक पारदर्शी प्रणाली लानी चाहिए। इसमें समयबद्ध प्रक्रिया होनी चाहिए, जिसमें ‘डीमिंग' प्रावधान हो, क्योंकि इससे विदेशी निवेशकों का विश्वास बढ़ेगा और एफडीआई में वृद्धि होगी...।'' पांडे ने कॉरपोरेट घरानों के बीच विवाद समाधान की सुविधा के लिए त्वरित (फास्ट-ट्रैक) अदालतें, मध्यस्थता केंद्र स्थापित करने और कॉरपोरेट को उनके विवादों को सुलझाने में मदद करने के लिए न्यायिक परिवेश बेहतर बनाने का भी आग्रह किया। सरकारी शोध संस्थान नीति आयोग की रिपोर्ट के अनुसार, भारत को उन कंपनियों के लिए एक आकर्षक गंतव्य के रूप में देखा जा रहा है जो चीन से अपना विनिर्माण केंद्र स्थानांतरित करना चाहती हैं। यह बदलाव देश को अपनी घरेलू विनिर्माण क्षमताओं को बढ़ाने का अवसर प्रदान करता है खासकर उच्च प्रौद्योगिकी उद्योगों में..। डेलॉयट इंडिया की अर्थशास्त्री रुमकी मजूमदार ने कहा कि नियामक प्रक्रियाओं को सुव्यवस्थित करने और नौकरशाही संबंधी बाधाओं को कम करने से निवेशकों का विश्वास बढ़ेगा तथा निवेश परिदृश्य सुगम बनेगा। मजूमदार ने कहा, ‘‘ बुनियादी ढांचे के विकास खासकर लॉजिस्टिक्स और डिजिटल संपर्क पर निरंतर जोर देना भी एफडीआई वृद्धि को समर्थन देने के लिए महत्वपूर्ण है।'' भारत में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश प्रवाह 2000 अप्रैल से 2024 सितंबर के बीच 1000 अरब अमेरिकी डॉलर को पार कर गया जिससे वैश्विक स्तर पर एक सुरक्षित तथा प्रमुख निवेश गंतव्य के रूप में देश की प्रतिष्ठा मजबूती से स्थापित हुई है। डीपीआईआईटी के आंकड़ों के अनुसार, शेयर, पुनर्निवेशित आय और अन्य पूंजी सहित एफडीआई की संचयी राशि उक्त अवधि के दौरान 1,033.40 अरब अमरीकी डॉलर रही। डीपीआईआईटी एफडीआई नीति के निर्माण के लिए जिम्मेदार है, जिसे विदेशी मुद्रा प्रबंधन अधिनियम, 1999 (फेमा) के तहत अधिसूचित नियमों के जरिये लागू किया जाता है। इसे आर्थिक मामलों के विभाग द्वारा प्रशासित और भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) द्वारा विनियमित किया जाता है।
- नयी दिल्ली. सिनेमा घरों में खुले रूप में बिकने वाले पॉपकॉर्न पर रेस्तरां की तरह ही पांच प्रतिशत की दर से माल एवं सेवा कर (जीएसटी) लगता रहेगा। सरकारी सूत्रों ने यह जानकारी दी। उन्होंने बताया कि अगर पॉपकॉर्न को फिल्म टिकट के साथ बेचा जाता है, तो इसे एक समग्र आपूर्ति के रूप में माना जाएगा और चूंकि इस मामले में मुख्य आपूर्ति टिकट है, इसलिए उसकी लागू दर के अनुसार कर लगाया जाएगा। जीएसटी परिषद की 55वीं बैठक में पॉपकॉर्न पर जीएसटी को स्पष्ट किया गया था। दरअसल, नमक और मसालों वाले पॉपकॉर्न पर लागू वर्गीकरण और जीएसटी दर को स्पष्ट करने के लिए उत्तर प्रदेश से अनुरोध मिला था। पॉपकॉर्न पर जीएसटी दर में कोई वृद्धि नहीं की गई है।सूत्रों के अनुसार, पॉपकॉर्न को सिनेमा घरों में खुले रूप में बेचा जाता है, और इसलिए इसपर ‘रेस्तरां सेवा' के समान पांच प्रतिशत की दर लागू होती रहेगी। हालांकि, इसके लिए पॉपकॉर्न की स्वतंत्र रूप से आपूर्ति करनी होगी। जीएसटी के तहत नमक और मसालों वाले पॉपकॉर्न को नमकीन के रूप में वर्गीकृत किया जाता है और इसपर पांच प्रतिशत कर लगता है। जब इसे पहले से पैक और लेबल के साथ बेचा जाता है, तो दर 12 प्रतिशत होती है। कुछ वस्तुओं को छोड़कर सभी चीनी कन्फेक्शनरी पर 18 प्रतिशत जीएसटी लगता है, और इसलिए कारमेलाइज चीनी वाले पॉपकॉर्न पर 18 प्रतिशत की दर से जीएसटी लागू है। सरकारी सूत्रों ने बताया कि परिषद ने नमक और मसालों वाले पॉपकॉर्न पर वर्गीकरण विवादों के समाधान के लिए स्पष्टीकरण जारी करने की सिफारिश की।
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नयी दिल्ली. वित्त वर्ष 2025-26 का आम बजट अगले साल की एक फरवरी को संसद में पेश किए जाते समय शनिवार होने के बावजूद दोनों प्रमुख शेयर बाजार कारोबार के लिए खुले रहेंगे। बीएसई और नेशनल स्टॉक एक्सचेंज (एनएसई) दोनों ने सोमवार को यह जानकारी दी।
दोनों शेयर बाजारों ने अलग-अलग परिपत्रों में कहा कि शेयर बाजार 2025-26 का केंद्रीय बजट पेश होने की वजह से एक फरवरी, 2025, शनिवार को कारोबार के लिए खुले रहेंगे। दोनों शेयर बाजारों में सुबह 9.15 बजे से दोपहर 3.30 बजे तक सामान्य कामकाजी दिनों की तरह कारोबार होगा। हालांकि, शेयर बाजार शनिवार और रविवार को बंद रहते हैं। लेकिन विशेष परिस्थितियों में इन्हें खोला जाता है। इसके पहले एक फरवरी, 2020 और 28 फरवरी, 2015 को भी बाजार शनिवार होने के बावजूद बजट के दिन कारोबार के लिए खुले हुए थे। वर्ष 2001 में बजट पेश करने का समय शाम पांच बजे से बदलकर सुबह 11 बजे कर दिए जाने के बाद से ही शेयर बाजार हमेशा सामान्य समय के दौरान खुले रहे हैं। केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण एक फरवरी, 2025 को अगले वित्त वर्ष के लिए केंद्रीय बजट पेश करेंगी। -
टोक्यो. जापानी वाहन विनिर्माता होंडा और निसान ने विलय योजना की घोषणा की है। इस कवायद के पूरा होने के बाद बिक्री के लिहाज से दुनिया की तीसरी सबसे बड़ी वाहन कंपनी अस्तित्व में आएगी। गौरतलब है कि वाहन उद्योग इस समय बड़े बदलाव के दौर से गुजर रहा है। एक तरफ यह जीवाश्म ईंधन पर निर्भरता से दूर जा रहा है, दूसरी ओर इसे चीनी प्रतिद्वंद्वियों से तेज प्रतिस्पर्धा का सामना कर रहा है। दोनों कंपनियों ने कहा कि उन्होंने सोमवार को एक समझौता ज्ञापन (एमओयू) पर हस्ताक्षर किए हैं। निसान के छोटे गठबंधन के सदस्य मित्सुबिशी मोटर्स ने भी अपने व्यवसायों को एकीकृत करने के लिए बातचीत में शामिल होने पर सहमति जताई है। निसान के मुख्य कार्यप़ालक अधिकारी (सीईओ) माकोतो उचिदा ने बयान में कहा, ‘‘हमें उम्मीद है कि अगर यह एकीकरण सफल होता है, तो हम व्यापक ग्राहक आधार को और भी अधिक मूल्य प्रदान करने में सक्षम होंगे।'' जापान में वाहन विनिर्माता इलेक्ट्रिक वाहन क्षेत्र में अपने बड़े प्रतिद्वंद्वियों से पीछे रह गए हैं और अब वे लागत में कटौती करने और नुकसान की भरपाई करने की कोशिश कर रहे हैं। इस महीने की शुरुआत में संभावित विलय की खबरें सामने आईं थीं। अपुष्ट खबरों में कहा गया था कि निकट सहयोग पर बातचीत आंशिक रूप से ताइवान के आईफोन विनिर्माता फॉक्सकॉन की निसान के साथ गठजोड़ करने की आकांक्षाओं से प्रेरित थी। निसान का फ्रांस की रेनो एसए और मित्सुबिशी के साथ गठबंधन है। तीनों वाहन विनिर्माताओं के बाजार पूंजीकरण के आधार पर विलय से 50 अरब डॉलर से अधिक कीमत की एक बड़ी कंपनी बन सकती है। होंडा और निसान के साथ फ्रांस की रेनो एसए और छोटी वाहन निर्माता मित्सुबिशी मोटर्स कॉर्प के गठबंधन को टोयोटा मोटर कॉर्प और जर्मनी की फॉक्सवैगन एजी के साथ प्रतिस्पर्धा करने में मदद मिलेगी। टोयोटा की जापान की माज्दा मोटर कॉर्प और सुबारू कॉर्प के साथ प्रौद्योगिकी साझेदारी है। प्रस्तावित विलय के बाद भी टोयोटा जापान की अग्रणी वाहन विनिर्माता बनी रहेगी। उसने 2023 में 1.15 करोड़ वाहन बनाए थे। दूसरी ओर निसान, होंडा और मित्सुबिशी मिलकर 80 लाख वाहन बनाएंगी।
निसान, होंडा और मित्सुबिशी ने अगस्त में घोषणा की थी कि वे इलेक्ट्रिक वाहन के लिए बैटरी जैसे कलपुर्जों को साझा करेंगे। -
मुंबई. भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने पूर्व गवर्नर शक्तिकान्त दास के नेतृत्व में 2024 में ब्याज दरों में कटौती के दबाव को नजरअंदाज किया और अपना मुख्य ध्यान महंगाई पर केंद्रित रखा। हालांकि, अब नए मुखिया की अगुवाई में केंद्रीय बैंक को जल्द यह फैसला लेना होगा कि क्या वह आर्थिक वृद्धि की कीमत पर मुद्रास्फीति को तरजीह देना जारी रख सकता है। नौकरशाह दास ने 2016 में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी द्वारा नोटबंदी के फैसले के बाद पूरे मामले की देखरेख की थी। उन्होंने एक स्थायी विरासत छोड़ी है। उन्होंने छह साल तक मौद्रिक नीति को कुशलतापूर्वक संचालित किया। 2024 के अंत में दास का दूसरा कार्यकाल पूरा होने के बाद सरकार ने राजस्व सचिव संजय मल्होत्रा को नया गवर्नर नियुक्त किया है। दास को कोविड-19 महामारी के समय से भारत के पुनरुद्धार को आगे बढ़ाने का श्रेय जाता है।
इस साल के अंत में एक अन्य नौकरशाह संजय मल्होत्रा को दास का उत्तराधिकारी नियुक्त किया गया। मल्होत्रा को दास का दूसरा तीन वर्षीय कार्यकाल समाप्त होने से मात्र 24 घंटे पहले ही नियुक्त किया गया। दास के नेतृत्व में आरबीआई ने लगभग दो साल तक प्रमुख नीतिगत दर रेपो को यथावत रखा। हालांकि, चालू वित्त वर्ष की जुलाई-सितंबर तिमाही में आर्थिक वृद्धि दर सात तिमाहियों के निचले स्तर पर आ गई है। नए गवर्नर के कार्यभार संभालने तथा ब्याज दरों में कटौती के पक्ष में ब्याज दर निर्धारण समिति (एमपीसी) में बढ़ती असहमति के कारण अब सभी की निगाहें फरवरी में आरबीआई की मौद्रिक समीक्षा बैठक पर है। सभी इस बात का इंतजार कर रहे हैं कि फरवरी की बैठक में एमपीसी का क्या रुख रहता है। इसी महीने उनकी नियुक्ति के बाद कुछ विश्लेषकों का मानना था कि मल्होत्रा के आने से फरवरी में ब्याज दरों में कटौती की संभावना मजबूत हुई है, लेकिन कुछ घटनाएं, विशेषकर अमेरिकी फेडरल रिजर्व द्वारा 2025 में ब्याज दर में कम कटौती का संकेत दिए जाने, रुपये पर इसके असर के बाद कुछ लोगों ने यह सवाल उठाना शुरू कर दिया है कि क्या यह ब्याज दर में कटौती के लिए उपयुक्त समय है। कुछ पर्यवेक्षक यह भी सवाल उठा रहे हैं कि क्या 0.50 प्रतिशत की हल्की ब्याज दर कटौती - जैसा कि मुद्रास्फीति अनुमानों को देखते हुए व्यापक रूप से अपेक्षित है - आर्थिक गतिविधियों के लिए किसी भी तरह से उपयोगी होगी। एक नौकरशाह के रूप में लंबे करियर के बाद केंद्रीय बैंक में शामिल हुए दास ने कहा था कि उन्होंने उन प्रावधानों के अनुसार काम किया, जो वृद्धि के प्रति सजग रहते हुए मुद्रास्फीति पर ध्यान केंद्रित करते हैं। छह सदस्यीय मौद्रिक नीति समिति ने अक्टूबर, 2024 में सर्वसम्मति से नीतिगत रुख को बदलकर ‘तटस्थ' करने का फैसला किया था। अपनी आखिरी नीति घोषणा में दास ने जुलाई-सितंबर तिमाही में 5.4 प्रतिशत की आर्थिक वृद्धि दर और अक्टूबर में मुद्रास्फीति के छह प्रतिशत के संतोषजनक स्तर से ऊपर जाने का हवाला देते हुए कहा था कि वृद्धि-मुद्रास्फीति की गतिशीलता अस्थिर हो गई है। दास ने आधिकारिक जीडीपी वृद्धि आंकड़ों के प्रकाशन के बाद अपने अंतिम संवाददाता सम्मेलन में कहा कि केंद्रीय बैंकिंग में ‘आकस्मिक' प्रतिक्रिया की कोई गुंजाइश नहीं है। उन्होंने कहा कि लचीले मुद्रास्फीति लक्ष्यीकरण ढांचे की ‘विश्वसनीयता' को आगे भी संरक्षित करना होगा। आरबीआई ने लगातार 11 बार द्विमासिक नीतिगत समीक्षा के लिए प्रमुख दरों को अपरिवर्तित रखा है। - जैसलमेर। जीएसटी परिषद ने वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) चोरी रोकने के लिए अहम कदम उठाते हुए शनिवार को कर चोरी की आशंका वाले कुछ वस्तुओं के लिए ‘ट्रैक एंड ट्रेस' तंत्र लागू करने के प्रस्ताव को मंजूरी दे दी। इसके तहत ऐसी वस्तुओं या पैकेट पर एक विशिष्ट चिह्न लगाया जाएगा, ताकि आपूर्ति श्रृंखला में उनका पता लगाया जा सके। इसका उद्देश्य केंद्रीय वस्तु एवं सेवा कर (सीजीएसटी) अधिनियम, 2017 में धारा 148ए के माध्यम से एक प्रावधान शामिल करना है, ताकि सरकार को कर चोरी की संभावना वाले उत्पादों पर नजर रखने और पता लगाने (ट्रैक एंड ट्रेस)के तंत्र को लागू करने के लिए सशक्त बनाया जा सके। वित्त मंत्रालय ने यहां परिषद की 55वीं बैठक में लिए गए निर्णयों की के बारे में जानकारी देते हुए कहा,‘‘यह प्रणाली विशिष्ट पहचान चिह्न पर आधारित होगी, जिसे उक्त वस्तुओं या उनके पैकेट पर चिपकाया जाएगा। इससे ऐसी प्रणाली विकसित करने के लिए कानूनी ढांचा उपलब्ध होगा और आपूर्ति श्रृंखला में निर्दिष्ट वस्तुओं का पता लगाने के लिए तंत्र के कार्यान्वयन में मदद मिलेगी।'' इसमें कहा गया है, ‘‘यह स्पष्ट किया जाता है कि अपंजीकृत प्राप्तकर्ताओं को ऑनलाइन मनी गेमिंग, ओआईडीएआर सेवाओं आदि जैसी ‘ऑनलाइन सेवाओं' की आपूर्ति के संबंध में, आपूर्तिकर्ता को कर चालान पर अपंजीकृत प्राप्तकर्ता के राज्य का नाम अनिवार्य रूप से दर्ज करना आवश्यक है और प्राप्तकर्ता के राज्य का ऐसा नाम आईजीएसटी अधिनियम, 2017 की धारा 12(2)(बी) के प्रयोजन के लिए प्राप्तकर्ता के रिकॉर्ड में दर्ज पता माना जाएगा, जिसे सीजीएसटी नियम, 2017 के नियम 46(एफ) के प्रावधान के साथ पढ़ा जाएगा।'' वस्तुओं पर जीएसटी दर के बारे में लिए गए निर्णय के संबंध में वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने कहा कि परिषद ने ‘ फोर्टिफाइड राइस कर्नेल' (एफआरके) पर दर को 18 प्रतिशत से घटाकर पांच प्रतिशत करने का निर्णय लिया है और जीन थेरेपी पर भी जीएसटी से छूट दी है।
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नई दिल्ली। जीएसटी परिषद की शनिवार को हुई बैठक में स्वास्थ्य और जीवन बीमा पर कर कम करने का फैसला टाल दिया गया। इस बीच 148 वस्तुओं पर कर की दर में फेरबदल की मंत्रिसमूह की बहुचर्चित सिफारिश परिषद के समक्ष नहीं रखी गई। केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण की अध्यक्षता वाली और राज्य सरकारों के वित्त मंत्रियों वाली परिषद के कुछ सदस्यों ने महसूस किया कि बीमा कराधान के संबंध में अंतिम निर्णय पर पहुंचने से पहले और अधिक विचार-विमर्श की आवश्यकता है।
बीमा पर मंत्री समूह की समिति के प्रमुख बिहार के उपमुख्यमंत्री सम्राट चौधरी ने कहा कि समूह, व्यक्तिगत, वरिष्ठ नागरिक पॉलिसियों के कराधान पर निर्णय लेने के लिए एक और बैठक की आवश्यकता है। चौधरी ने यहां संवाददाताओं से कहा, “कुछ (परिषद) सदस्यों ने कहा कि इस पर और अधिक चर्चा की आवश्यकता है। हम (जीओएम) जनवरी में फिर मिलेंगे।”इसके अलावा, दरों को तर्कसंगत बनाने पर मंत्री समूह की रिपोर्ट परिषद के समक्ष प्रस्तुत नहीं की गई। रिपोर्ट में 148 वस्तुओं में बदलाव की सिफारिश की गई थी। समिति के संयोजक चौधरी ने कहा, “हम दरों को तर्कसंगत बनाने पर मंत्री समूह की रिपोर्ट परिषद की अगली बैठक में प्रस्तुत करेंगे।”परिषद की चल रही बैठक में विमानन टर्बाइन ईंधन (एटीएफ) को माल एवं सेवा कर (जीएसटी) के दायरे में लाने पर भी विचार-विमर्श किया जाएगा। केंद्र और राज्यों के जीएसटी विभागों के अधिकारियों वाली फिटमेंट समिति के कई प्रस्ताव परिषद के समक्ष समीक्षा के लिए आएंगे। प्रस्तावों में से एक स्विगी और जोमैटो जैसे खाद्य वस्तुओं के वितरण मंचों पर करों को मौजूदा 18 प्रतिशत (आईटीसी के साथ) से घटाकर पांच प्रतिशत (इनपुट टैक्स क्रेडिट के बिना) करना शामिल है।सूत्रों के अनुसार, इसमें इस्तेमाल की गई इलेक्ट्रिक गाड़ियों के साथ-साथ छोटे पेट्रोल और डीजल वाहनों की बिक्री पर कर की दर को मौजूदा 12 प्रतिशत से बढ़ाकर 18 प्रतिशत करने का प्रस्ताव किया जा सकता है। इस बढ़ोतरी से इस्तेमाल की गई और पुरानी छोटी कारें और इलेक्ट्रिक वाहन पुराने बड़े वाहनों के बराबर हो जाएंगे। इसके अलावा, जीएसटी क्षतिपूर्ति उपकर पर मंत्रियों के समूह (जीओएम) को अपनी रिपोर्ट प्रस्तुत करने के लिए जून, 2025 तक छह महीने का विस्तार मिलने की संभावना है।क्षतिपूर्ति उपकर व्यवस्था मार्च, 2026 में समाप्त हो जाएगी, और जीएसटी परिषद ने उपकर के भविष्य के पाठ्यक्रम को तय करने के लिए केंद्रीय वित्त राज्यमंत्री पंकज चौधरी के नेतृत्व में मंत्रियों की एक समिति गठित की है। बीमा पर गठित मंत्री समूह ने सावधि जीवन बीमा पॉलिसी के लिए चुकाए जाने वाले प्रीमियम को जीएसटी से छूट देने की सिफारिश की है।साथ ही वरिष्ठ नागरिकों द्वारा स्वास्थ्य बीमा कवर के लिए चुकाए जाने वाले प्रीमियम को भी कर से छूट देने का प्रस्ताव किया गया है। इसके अलावा, वरिष्ठ नागरिकों के अलावा अन्य व्यक्तियों द्वारा पांच लाख रुपये तक के स्वास्थ्य बीमा के लिए भुगतान किए गए प्रीमियम पर जीएसटी से छूट देने का प्रस्ताव है। हालांकि, पांच लाख रुपये से अधिक के स्वास्थ्य बीमा कवर वाली पॉलिसियों के लिए भुगतान किए गए प्रीमियम पर 18 प्रतिशत जीएसटी लागू रहेगा। जीएसटी दर युक्तिकरण पर जीओएम की रिपोर्ट परिषद के समक्ष पेश नहीं की गई और इसे अगली परिषद बैठक में लिया जाएगा।रिपोर्ट में 148 वस्तुओं में दरों में बदलाव का सुझाव दिया गया है। मंत्री समूह ने इसी महीने करीब 148 वस्तुओं पर कर दरों में फेरबदल करने पर व्यापक सहमति बनाई थी, जिसमें ‘हानिकारक’ पेय पदार्थ और तंबाकू उत्पादों जैसी वस्तुओं पर वर्तमान 28 प्रतिशत की तुलना में 35 प्रतिशत अधिक कर लगाना शामिल है।व्यापक रूप से उम्मीद की जा रही थी कि मंत्रिसमूह शनिवार को जीएसटी परिषद की बैठक में अपनी रिपोर्ट प्रस्तुत करेगा। वर्तमान में, जीएसटी एक चार-स्तरीय कर संरचना है जिसमें पांच, 12, 18 और 28 प्रतिशत की स्लैब हैं। विलासिता और बुरी मानी जाने वाली वस्तुओं पर 28 प्रतिशत की उच्चतम दर से कर लगाया जाता है, जबकि डिब्बा बंद खाद्य पदार्थ और आवश्यक वस्तुओं पर सबसे कम पांच प्रतिशत की दर से कर लगाया जाता है। जीओएम ने परिधान पर कर दरों को युक्तिसंगत बनाने का प्रस्ताव करने का भी फैसला किया था।निर्णय के अनुसार, 1,500 रुपये तक की लागत वाले तैयार कपड़ों पर पांच प्रतिशत जीएसटी लगेगा, 1,500 रुपये से 10,000 रुपये के बीच के कपड़ों पर 18 प्रतिशत जीएसटी लगेगा। 10,000 रुपये से अधिक की लागत वाले कपड़ों पर 28 प्रतिशत कर लगेगा।वर्तमान में 1,000 रुपये तक के कपड़ों पर पांच प्रतिशत जीएसटी लगता है, जबकि इससे अधिक कीमत वाले कपड़ों पर 12 प्रतिशत जीएसटी लगता है। जीओएम ने 15,000 रुपये प्रति जोड़ी से अधिक कीमत वाले जूतों पर जीएसटी 18 प्रतिशत से बढ़ाकर 28 प्रतिशत करने का भी प्रस्ताव रखा है। इसने 25,000 रुपये से अधिक कीमत वाली कलाई घड़ियों पर जीएसटी 18 प्रतिशत से बढ़ाकर 28 प्रतिशत करने का भी प्रस्ताव रखा है।मंत्री समूह ने 20 लीटर और उससे ज़्यादा के डिब्बा बंद पेयजल पर जीएसटी को 18 प्रतिशत से घटाकर पांच प्रतिशत करने और 10,000 रुपये से कम कीमत वाली साइकिलों पर कर की दर को 12 प्रतिशत से घटाकर पांच प्रतिशत करने का प्रस्ताव रखा था। साथ ही, कॉपी पर जीएसटी को 12 प्रतिशत से घटाकर पांच प्रतिशत करने का प्रस्ताव रखा गया था। -
नयी दिल्ली. कमजोर वैश्विक रुख के बीच आभूषण विक्रेताओं की सुस्त मांग के कारण बृहस्पतिवार को राष्ट्रीय राजधानी के सर्राफा बाजार में सोने और चांदी की कीमतों में भारी गिरावट आई। अखिल भारतीय सर्राफा संघ ने यह जानकारी दी। 99.9 प्रतिशत शुद्धता वाले सोने की कीमत 800 रुपये टूटकर 78,300 रुपये प्रति 10 ग्राम रह गई। बुधवार के पिछले कारोबारी सत्र में यह 79,100 रुपये प्रति 10 ग्राम पर बंद हुआ था। कारोबारियों ने कहा कि अमेरिकी केंद्रीय बैंक के प्रमुख जेरोम पावेल ने अब वर्ष 2025 के अंत तक ब्याज दर में केवल दो चौथाई प्रतिशत की कटौती का संकेत दिया है। पहले बाजार ने ब्याज दरों में चार कटौतियों का अनुमान लगाया था। बृहस्पतिवार को चांदी भी 2,000 रुपये गिरकर 90,000 रुपये प्रति किलोग्राम पर आ गई। पिछले सत्र में चांदी 92,000 रुपये प्रति किलोग्राम पर बंद हुई थी। बुधवार को 99.5 प्रतिशत शुद्धता वाले सोने का भाव 800 रुपये घटकर 77,900 रुपये प्रति 10 ग्राम रह गया, जबकि इससे पहले इसका भाव 78,700 रुपये प्रति 10 ग्राम पर बंद हुआ था। एशियाई कारोबारी सत्र में कॉमेक्स सोना वायदा 19.10 डॉलर प्रति औंस गिरकर 2,634.10 डॉलर प्रति औंस रह गया। एचडीएफसी सिक्योरिटीज में वरिष्ठ विश्लेषक (जिंस और मुद्रा) सौमिल गांधी ने कहा, ‘‘फेडरल ओपन मार्केट कमेटी (एफओएमसी) की बैठक के बाद सोने में भारी गिरावट आई, क्योंकि फेडरल रिजर्व ने अगले साल के लिए पहले के अनुमान की तुलना में ब्याज दरों में कटौती की धीमी गति का संकेत दिया है।'' अंतरराष्ट्रीय बाजारों में चांदी 2.47 प्रतिशत गिरकर 29.98 डॉलर प्रति औंस पर बोली गई।
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नई दिल्ली। भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) की एक रिपोर्ट में राज्यों को चेतावनी देते हुए कहा गया है कि कृषि ऋण माफी, मुफ्त बिजली एवं परिवहन जैसी छूट देने से सामाजिक और आर्थिक बुनियादी ढांचे के लिए उनके महत्वपूर्ण संसाधन खत्म हो सकते हैं। रिपोर्ट कहती है कि कई राज्यों ने चालू वित्त वर्ष के अपने बजट में कृषि ऋण माफी, कृषि और घरों को मुफ्त बिजली, मुफ्त परिवहन, बेरोजगार युवाओं को भत्ते और महिलाओं को नकद सहायता देने की घोषणाएं की हैं। इस तरह के खर्चों से उनके पास उपलब्ध संसाधन खत्म हो सकते हैं और महत्वपूर्ण सामाजिक और आर्थिक बुनियादी ढांचे के निर्माण की उनकी क्षमता बाधित हो सकती है।
आरबीआई रिपोर्ट के मुताबिक, सब्सिडी पर खर्च में तेज वृद्धि से वित्तीय तनाव पैदा हुआ है जो कृषि ऋण माफी, मुफ्त/सब्सिडी वाली सेवाओं (जैसे कृषि और घरों को बिजली, परिवहन, गैस सिलेंडर) और किसानों, युवाओं एवं महिलाओं को नकद हस्तांतरण की देन है। रिपोर्ट के मुताबिक, राज्यों को अपना सब्सिडी व्यय नियंत्रित करने और तर्कसंगत बनाने की जरूरत है, ताकि ऐसे खर्चों से अधिक उत्पादक व्यय बाधित न हो।आरबीआई के अध्ययन के अनुसार, उच्च ऋण-जीडीपी अनुपात, बकाया गारंटी और बढ़ते सब्सिडी बोझ के कारण राज्यों को विकास और पूंजीगत खर्च पर अधिक जोर देते हुए राजकोषीय मजबूती की राह पर बने रहने की जरूरत है। इसके अलावा व्यय की गुणवत्ता में सुधार भी जरूरी है। हालांकि, राज्यों की कुल बकाया देनदारियां मार्च, 2024 के अंत में 28.5 प्रतिशत पर आ गई हैं, जबकि मार्च, 2021 के अंत में यह जीडीपी का 31 प्रतिशत थीं। लेकिन अब भी यह महामारी-पूर्व के स्तर से ऊपर बनी हुई हैं।आरबीआई की ‘राज्य वित्त: 2024-25 के बजट का एक अध्ययन’ शीर्षक वाली रिपोर्ट कहती है कि राज्य सरकारों ने लगातार तीन वर्षों (2021-22 से 2023-24) के लिए अपने सकल राजकोषीय घाटे को सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) के तीन प्रतिशत के भीतर रखकर राजकोषीय मजबूती की दिशा में सराहनीय प्रगति की है। राज्यों ने 2022-23 और 2023-24 में राजस्व घाटे को जीडीपी के 0.2 प्रतिशत पर सीमित रखा है। बृहस्पतिवार को जारी रिपोर्ट के मुताबिक, ‘‘राजकोषीय घाटे में कमी से राज्यों को अपना पूंजीगत खर्च बढ़ाने और व्यय की गुणवत्ता में सुधार करने की गुंजाइश पैदा हुई है।’’ -
नयी दिल्ली। भारती एयरटेल जम्मू-कश्मीर के कुपवाड़ा, बारामूला और बांदीपुरा जिलों के करीब सात सीमावर्ती गांवों में मोबाइल सेवाएं शुरू करने वाली पहली निजी दूरसंचार कंपनी बन गई है। कंपनी ने बुधवार को यह जानकारी दी। कंपनी ने बुधवार को बयान में कहा, ‘वाइब्रेंट विलेज कार्यक्रम' के तहत एयरटेल ने कच्छल, बलबीर, राजदान दर्रा ताया टॉप, उस्ताद, काठी और चीमा जैसे गांवों को देश के बाकी हिस्सों से जोड़ा है। इसमें कहा गया, ‘‘ ये गांव केरन, मच्छल, तंगधार, गुरेज और उरी घाटी क्षेत्रों में स्थित हैं, जो कुपवाड़ा, बारामूला और बांदीपुरा जिलों में फैले आते हैं। एयरटेल इन क्षेत्रों में संचार सेवाएं प्रदान करने वाली एकमात्र निजी दूरसंचार संचालक है।'' कंपनी ने इन इलाकों में 15 मोबाइल टावर स्थापित किए हैं। इससे स्थानीय लोगों को फायदा मिलेगा और नियंत्रण रेखा पर तैनात सैनिकों को आवश्यक संचार सुविधा मिलेगी। बयान में कहा गया ‘‘ भारती एयरटेल ने उत्तरी कश्मीर में नियंत्रण रेखा के पास कुपवाड़ा, बारामूला और बांदीपुरा जिलों के गांवों में संपर्क स्थापित करने के लिए भारतीय सेना के साथ साझेदारी की है।'' एयरटेल ने सैन्य ठिकानों के दूरदराज क्षेत्रों में नेटवर्क सेवाओं में सुधार तथा संपर्क बढ़ाने के लिए भारतीय सेना के साथ सहयोग किया है। हाल ही में, कंपनी ने गलवान नदी क्षेत्र और दौलत बेग ओल्डी (बीडीओ) में सफलतापूर्वक संपर्क स्थापित किया था जिसे भारत की सबसे उत्तरी सैन्य चौकी कहा जाता है। केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया ने कई मौकों पर कहा है कि जून 2025 तक देश के सभी दूरदराज क्षेत्रों में दूरसंचार सुविधाएं पहुंच जाएंगी।
- नयी दिल्ली। स्मार्टफोन बनाने वाली कंपनी पोको इंडिया ने मंगलवार को 7,999 रुपये की कीमत वाला 5 जी स्मार्टफोन ‘पोको सी 75 5 जी’ पेश किया। कंपनी का दावा है कि यह देश का सबसे सस्ता स्मार्टफोन है। इस दौरान पोको इंडिया के प्रमुख हिमांशु टंडन ने कहा कि देश में सभी के लिए सुलभ प्रौद्योगिकी पेश करना ही कंपनी का लक्ष्य है। टंडन ने यहां आयोजित संवाददाता सम्मेलन में कहा, ‘‘पोको में हमारा लक्ष्य हमेशा ऐसी प्रौद्योगिकी पेश करना रहा है, जो सभी के लिए सुलभ और उपयोगी हो।’’इन स्मार्टफोन्स में परफॉर्मेंस के लिए स्नैपड्रैगन 4s Gen 2 चिपसेट और मीडियाटेक डाइमेंसिटी 7025 अल्ट्रा चिपसेट इस्तेमाल किया गया है। डेली रूटीन वर्क से लेकर मल्टी टास्किंग में ये चिपसेट आपको तगड़ी परफॉर्मेंस देने वाले हैं। आइए आपको दोनों स्मार्टफोन्स की डिटेल जानकारी देते हैं।Poco M7 Pro 5G को कंपनी ने दो वेरिएंट में लॉन्च किया है। इसमें आपको 6GB रैम और 128GB स्टोरेज और 8GB रैम के साथ 256GB स्टोरेज का ऑप्शन मिलता है। अगर आप 6GB रैम वाले मॉडल को खरीदते हैं तो इसके लिए 14,999 रुपये खर्च करने पड़ेंगे। वहीं अगर 8GB वाले वेरिएंट की तरफ जाते हैं तो 16,999 रुपये खर्च करने पड़ेंगे। इसमें आपको तीन कलर वेरिएंट मिलते हैं जिसमें लैवेंडर फ्रास्ट, लूनर डस्ट और ऑलिव ट्विलाइट कलर ऑप्शन मिलता है।Poco M7 Pro 5G के फीचर्सPoco M7 Pro 5G में आपको 6.67 इंच का फुलएचडी प्लस gOLED डिस्प्ले दिया गया है। डिस्प्ले में 120Hz का रिफ्रेश रेट मिलता है। स्क्रीन की प्रोटेक्शन के लिए इसमें कॉर्निंग गोरिल्ला ग्लास 5 दिया गया है। इसमें आपको मीडियाटेक डाइमेंसिटी 7025 अल्ट्रा दिया गया है। इसमें आपको 8GB तक की रैम और 256GB तक की स्टोरेज ऑप्शन मिलती है। आउट ऑफ द बॉक्स यह स्मार्टफोन एंड्रॉयड 14 पर रन करता है।फोटोग्राफी के लिए स्मार्टफोन में डु्अल कैमरा दिया गया है जिसमें 50MP का प्राइमरी कैमरा मिलता है। सेल्फी और वीडियो कॉलिंग के लिए इसमें 20MP का कैमरा मिलता है। स्मार्टफोन को पॉवर देने के लिए 5110mAh की बैटरी दी गई है जो कि 45W की फास्ट चार्जिंग मिलती है।Poco C75 5G की कीमत और फीचर्सPoco C75 5G को कंपनी ने सिर्फ एक सिंगल वेरिएंट के साथ लॉन्च किया है। इसमें आपको 4GB की रैम और 64GB की स्टोरेज मिलती है। पोको ने इस स्मार्टफोन को 8 हजार रुपये से कम कीमत में पेश किया है। इसके लिए आपको 7,999 रुपये खर्च करने पड़ेंगे।अगर आप इन स्मार्टफोन्स को खरीदना चाहते हैं तो बता दें कि इन्हें फ्लिपकार्ट से खरीद सकेंगे। फ्लिपकार्ट में 20 दिसंबर से Poco M7 Pro 5G की सेल शुरू होगी। जबकि वहीं Poco C75 5G की सेल 19 दिसंबर से शुरू होगी।Poco C75 5G को फीचर्सPoco C75 5G में 6.88 इंच का फुल एचडी प्लस डिस्प्ले दिया गया है। डिस्प्ले को लैग फ्री बनाने के लिए 120hz का रिफ्रेश रेट दिया गया है। परफॉर्मेंस के लिए इसमें कंपनी ने स्नैपड्रैगन 4s Gen 2 चिपसेट दिया है। यह स्मार्टफोन एंड्रॉयड 14 पर बेस्ड है। रियर में डुअल कैमरा सेटअप मिलता है जिसमें प्राइमरी लेंस 50MP का है। सेल्फी और वीडियो कॉलिंग के लिए इसमें 5MP का सेंसर दिया गया है। स्मार्टफोन को पॉवर देने के लिए इसमें 5160mAh की बैटरी दी गई है जो कि 18W की फास्ट चार्जिंग को सपोर्ट करती है।