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- गणेश चतुर्थी पर भगवान गणेश को प्रसन्न करने के लिए उनके भक्त 10 दिन तक गणपति बप्पा को अलग-अलग तरह के भोग लगाते हैं। जिसमें भगवान को प्रिय मोदक भी शामिल होते हैं। यूं तो बाजार में कई तरह के मोदक मिलते हैं लेकिन आज आपके साथ एक अलग तरह के मोदक की रेसिपी शेयर करने जा रहे हैं, जिसका नाम है पान मोदक। सिद्धि विनायक के प्रसाद के लिए अगर पान मोदक बनाना है तो इसके लिए पान के पत्ते, नारियल बूरा, चीनी, दूध, ड्राई फ्रूट्स, गुलकंद आदि का इस्तेमाल किया जाता है। आइए जानते हैं क्या है इसकी रेसिपी।पान मोदक बनाने के लिए सामग्री--आधा कप कंडेंस्ड मिल्क-1 कप सूखा नारियल-5 पान के पत्ते-4 चम्मच गुलकंद-1/4 कप कटे हुए काजू और बादाम-1 छोटा चम्मच घीकैसे बनाएं पान मोदक-सबसे पहले पान के पत्तों और कंडेस्ड मिल्क को एक साथ पीस लें फिर धीमी आंच पर कम से कम 3 से 4 मिनट के लिए घी में नारियल को भूनें । अब इसमें पान मिक्चर को एड करें और अच्छे से चलाएं। गाढ़ा होने के बाद आंच बंद करें और ठंडा होने दें।अब मेवा और गुलकंद को एक साथ मिक्स करें और स्टफिंग तैयार करें। हाथों पर घी लगाएं और मिश्रण को हाथ से रोटी की तरह फ्लैट करें। ध्यान दें कि ये रोटी थोड़ी मोटी हो। अब रोटी पर गुलकंद डालें और गोल आकार दें। अब मोदक मोल्ड में डालें और प्लेट में रखें। भोग लगने के लिए पान मोदक तैयार हैं।
- गणेश चतुर्थी को भगवान गणेश का जन्मोत्सव माना जाता है. मान्यता है कि अगर आपके जीवन में तमाम बाधाएं बार-बार आपका रास्ता रोक रही हैं. बनते हुए काम अटक रहे हैं तो आप गणेश चतुर्थी पर खास उपाय कर सकते हैं. आज हम आपको भगवान गणेश को खुश करने के ऐसे ही खास उपायों के बारे में जानकारी दे रहे हैं.गणेश चतुर्थी पर करें गुड़ का उपायअगर आपका परिवार आर्थिक तंगी से जूझ रहा है तो आप गणेश चतुर्थी (Ganesh Chaturthi 2022) वाले दिन सुबह उठकर स्नान करें. इसके बाद गुड़ में देसी घी मिलाकर गणपति को उसका भोग लगाएं. फिर उस गुड़ को गौ माता को खिला दें. आपके इस उपाय से भगवान गणेश प्रसन्न होंगे और आपको मनचाहा फल देंगे.शुद्ध जल से करें अभिषेकगणेश चतुर्थी पर देश-दुनिया में जोर-शोर से गणेश उत्सव मनाया जाता है. इस दिन आप गणेश जी की प्रतिमा का शुद्ध जल से अभिषेक करें. इसके साथ ही गणपति अथर्वशीर्ष का पाठ करें. मान्यता है कि ऐसा करने से सिद्धि विनायक अपने भक्तों की सभी समस्याओं को हर लेते हैं.दुर्वा घास का उपाय भी लाभकारीआप गणेश चतुर्थी पर दुर्वा घास का उपाय भी अपना सकते हैं. आप अपने घर में पीले रंग की गणेश प्रतिमा लाकर उसकी स्थापना करें. इस दौरान श्री गणाधिपतये नम: मंत्र का उच्चारण करते हुए हल्दी की 5 गांठों को भगवान गणेश की प्रतिमा पर चढ़ाएं. इसके बाद आप श्री गजवकत्रम नमो नम: का जाप करके दूब घास की 108 पत्तियों पर गीली हल्दी लगाएं और उन्हें फिर गणपति पर अर्पित कर दें.पीले रंग की मिठाई का लगाएं भोगअगर घर में लड़के की शादी में दिक्कतें आ रही हैं तो आप इसका उपाय भी गणेश चतुर्थी पर कर सकते हैं. आप गणेश चतुर्थी वाले दिन घर में पीले रंग की मिठाई बनाएं. इसके बाद उन मिठाई को भगवान गणेश को अर्पित कर दें. माना जाता है कि यह उपाय करने से लड़के की शादी के योग बन जाते हैं.इस मंत्र का जाप पहुंचाता है फायदाअगर आप या आपके परिवार के लोग अक्सर किन्हीं समस्याओं से घिरे रहते हैं तो गणेश उत्सव पर आप इसका निदान भी कर सकते हैं. धार्मिक शास्त्रों के मुताबिक आप गणेश चतुर्थी पर विधि विधान के साथ गणपति की पूजा करें. इसके साथ ही आप 'ऊं गं गौं गणपतये विघ्न विनाशिने स्वाहा' मंत्र का 21 माला जाप करें. ऐसा करने से सिद्धि विनायक प्रसन्न होकर अपना आशीर्वाद बरसाते हैं.जरूरतमंदों को करें दानभगवान गणेश को प्रसन्न करने के लिए आप गणेश चतुर्थी पर जरूरतमंदों को दान करें. इनमें फल, अनाज, कपड़े और कुछ रुपये शामिल हो सकते हैं. मान्यता है कि जरूरतमंदों को दान दिए जाने और उनकी मदद करने से भगवान गणेश प्रसन्न होते हैं और अपने भक्तों की सभी इच्छाएं पूरी करते हैं.
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गणेश चतुर्थी से पूरे देश में गणपति पंडालों में एक ही गूंज सुनाई पड़ेगी, गणपति बप्पा मोरया . आखिर यह क्यों कहा जाता है. यह प्रश्न भी उठना स्वाभाविक है. आज हम आपकी यह उलझन दूर करेंगे और इस शब्द के पीछे का अर्थ आपको समझाएंगे. हालांकि इसके लिए आपको यह लेख पूरा पढ़ना होगा.
गणपति बप्पा से जुड़े मोरया शब्द के पीछे गणपति जी का मयूरेश्वर स्वरूप माना जाता है. गणेश-पुराण के अनुसार सिंधु नामक दानव के अत्याचार से सभी लोग तंग आ चुके थे. वह महा बलशाली था और देवी देवता, मानव सभी उसके आततायी स्वरूप से त्रस्त होकर बचने का उपाय ढूंढ रहे थे. बचने के लिए देव गणों ने गणपति जी का आह्वान किया.
सिंधु का संहार करने के लिए गणेश जी ने मोर यानी मयूर को अपना वाहन चुना और छह भुजाओं वाला अवतार धारण किया. इस अवतार की पूजा भक्त लोग 'गणपति बप्पा मोरया' के जयकारे के साथ करते हैं. यही कारण है कि जब गणेश जी को विसर्जित किया जाता है तो 'गणपति बप्पा मोरया, अगले बरस तू जल्दी आ' का नारा लगाया जाता है.
मुंबई के लालबाग मंदिर में उमड़ते हैं श्रद्धालु
लालबाग का राजा मुंबई का सर्वाधिक लोकप्रिय सार्वजनिक गणेश मंडल है, जिसकी स्थापना वर्ष 1934 में हुई थी. यह मुंबई के लालबाग, परेल इलाके में स्थित हैं, इसीलिए इसे लालबाग का राजा भी कहा जाता है. लालबाग के राजा यानी लालबाग के भगवान गणपति की मूर्ति के दर्शन करना ही अपने आप में भाग्यशाली हो जाना माना जाता है. मान्यता तो ये भी है कि यहां जो भी मन्नते मांगी जाती हैं, वे जरूर पूरी होती हैं.
दर्शनों के लिए कई किलोमीटर की लगती है लाइन
लालबाग के राजा की ख्याति किसी से छुपी नहीं है. लालबाग के इस प्रसिद्ध गणपति को ‘नवसाचा गणपति’ यानी इच्छाओं की पूर्ति करने वाले गणपति के रूप में भी जाना जाता है और केवल दर्शन पाने के लिए ही हर वर्ष कई किलोमीटर की लंबी कतार लगती है जबकि लालबाग के इस राजा की गणेश मूर्ति का विसर्जन स्थापना के दसवें दिन गिरगांव चौपाटी में किया जाता है. - गणेश उत्सव इस साल 31 अगस्त से शुरू हो रहा है। इस त्योहार को महाराष्ट्र, आंध्र प्रदेश, कर्नाटक, मध्य प्रदेश, गोवा और केरल सहित दूसरे कई राज्यों में बहुत उत्साह के साथ मनाया जाता है। लोग इस त्योहार के दौरान भगवान गणेश की मूर्तियों को अपने घरों में लाते हैं, व्रत करते हैं अगर आप भी गणेश चतुर्थी मना रहे हैं, तो आपको उनका आशीर्वाद लेने के लिए प्रसिद्ध भगवान गणेश मंदिरों में जाने पर विचार करना चाहिए। यहां हम कुछ फेमस मंदिरों के बारे में बता रहे हैं जहां आप परिवार और दोस्तों के साथ गणपति बप्पा के दर्शन के लिए जा सकते हैं।1) श्रीमंत दगदूशेठ हलवाई गणपति मंदिर, पुणेदगडूशेठ गणपति ट्रस्ट महाराष्ट्र में सबसे बड़े ट्रस्टों में से एक है और हर साल एक लाख से ज्यादा तीर्थयात्रियों का स्वागत करता है। मंदिर की वेबसाइट के अनुसार, इस जगह से रोचक इतिहास जुड़ा हुआ है। भगवान गणेश के इस मंदिर की स्थापना श्री दगडूशेठ हलवाई और उनकी पत्नी लक्ष्मीबाई ने की थी जब उन्होंने प्लेग महामारी में अपने बेटे को खो दिया था।2) आदि विनायक मंदिर, तमिलनाडुआदि विनायक भगवान गणेश का एक रूप है, जो हिंदू देवता को उनके पिता, भगवान शिव द्वारा सिर काटे जाने से पहले एक मानव सिर के साथ चित्रित करता है। इस रूप में, भगवान गणेश एक कुल्हाड़ी, एक रस्सी, एक मोदक और एक कमल धारण करते हैं।3) सिद्धिविनायक मंदिर, मुंबईश्री सिद्धिविनायक गणपति मंदिर देश के सबसे फेमस भगवान गणेश मंदिरों में से एक है। गणेश चतुर्थी उत्सव के दौरान, यह मंदिर भक्तों से भरा होता है। सिद्धिविनायक मंदिर को इस दिन के लिए फूलों और लाइट से सजाया जाता है।4) श्री डोड्डा गणपति मंदिर, बैंगलोरश्री डोड्डा गणपति मंदिर बसवनगुडी में बुल टेम्पल रोड पर स्थित है। यहां 18 फीट लंबी भगवान गणेश की मूर्ति है जिसकी चौड़ाई 16 फीट है। गणेश चतुर्थी के दौरान, मंदिर को खूबसूरती से सजाया जाता है।
- 31 अगस्त को गणेश चतुर्थी है। इस दिन गणपति को घर-घर में स्थापित किया जाता है। कहते हैं कि गणपति सभी विघ्नों को हरते हैं और बल और बुद्धि प्रदान करते हैं। यही नहीं कहते हैं गणपति को घर में सही जगह पर स्थापित करना चाहिए। गणेश चतुर्थी पर गणेश जी को नौ, दस या 11 दिन के लिए घर में मंदिर से अलग स्थापित किया जाता है।इसके बाद मूर्ति का विसर्जन कर दिया जाता है। यहां हम गणेश चतुर्थी ही नहीं, ऐसे भी पूजा स्थल में गणेश जी कैसे वास्तु दोष दूर कर सकते हैं, इसके बारे में बताएंगे। घर में गणेश जी की सफेद मूर्ति लाना शुभ माना जाता है। यही नहीं मूर्ति बैठे गणेश की होनी चाहिए और इनकी सूंड बाएं हाथ की तरफ होनी चाहिए।इनकी स्थापना करते हुए इस बात का खास ध्यान रखना चाहिए कि गणपति को हमेशा पूर्व दिशा में स्थापित करना चाहिए। ध्यान रहे कि इनका मुंह दक्षिण दिशा की तरफ नहीं होना चाहिए। घर में एक से अधिक गणपति की मूर्ति न रखें। कुछ लोग घर के बाहर भी गणपति की मूर्ति लगाते हैं, ऐसे में इस बात का ध्यान रखें कि गणपति का मुंह घर के अंदर की तरफ देख रहा हो।
- गणेश चतुर्था का पावन पर्व 31 अगस्त से बड़े ही धूम- धाम के साथ मनाया जाएगा। इसी दिन से 10 दिनों तक चलने वाले गणेश महोत्सव की शुरुआत भी हो जाएगी। गणेश चतुर्थी से 10 दिनों तक विधि- विधान से भगवान गणेश की पूजा- अर्चना करने से मनवांछित फल की प्राप्ति होती है। भगवान गणेश अपने भक्तों से बहुत जल्दी प्रसन्न हो जाते हैं। भगवान गणेश को प्रसन्न करने के लिए पूजा में कुछ चीजों को जरूर शामिल करना चाहिए। आइए जानते हैं गणेश चतुर्थी पर पूजा में किन चीजों को शामिल करना चाहिए...दूर्वा घासभगवान गणेश को दूर्वा घास काफी पसंद होती है। गणेश चतुर्थी के दिन भगवान गणेश को दूर्वा घास अर्पित करें। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार जो व्यक्ति गणपती महाराज को दूर्वा अर्पित करता है उसकी सभी मनोकामनाएं पूरी हो जाती हैं। भगवान गणेश को दूर्वा अर्पित करने से सभी तरह की समस्याओं से छुटकारा मिलता है और जीवन आनंद से भर जाता है। आप रोजाना भी भगवान गणेश को दूर्वा घास अर्पित कर सकते हैं।मोदकगणेश जी को मोदक अतिप्रिय होते हैं। आप इस दिन भगवान गणेश को मोदक का भोग भी लगा सकते हैं। धार्मिक शास्त्रों में मोदक को ब्रह्म के समान बताया गया है।सिंदूरभगवान गणेश को सिंदूर पसंद होता है। गणेश जी को सिंदूर का तिलक भी अवश्य लगाएं। ऐसा करने से भगवान गणेश प्रसन्न होते हैं। भगवान गणेश को तिलक लगाने के बाद अपने माथे पर सिंदूर का तिलक लगाएं।घीभगवान गणेश को घी काफी पसंद है। भगवान गणेश की पूजा में घी को जरूर शामिल करें। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार घी को पुष्टिवर्धक और रोगनाशक कहा जाता है। जो व्यक्ति भगवान गणेश की पूजा घी से करता है उसकी सभी मनोकामनाएं पूरी हो जाती हैं।
- 10 दिनों तक चलने वाला गणेशोत्सव 31 अगस्त से प्रारंभ हो रहा है। हिंदू पंचांग के अनुसार, भाद्रपद मास के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि को गणेश चतुर्थी का पावन पर्व मनाया जाता है। गणपति भगवान प्रथम पूजनीय देव हैं। मान्यता है कि गणपति बप्पा की विधिवत पूजा-अर्चना करने से संकटों से मुक्ति मिलती है और मनोकामनाओं की पूर्ति होती है। भगवान श्रीगणेश की कृपा से जातक का जीवन खुशियों से भर जाता है। ज्योतिष शास्त्र में कुल 12 राशियां वर्णित हैं। इन 12 राशियों में से कुछ राशियों पर भगवान श्रीगणेश की विशेष कृपा रहती है। जानें किन राशियों पर रहती है विघ्नहर्ता की विशेष कृपा-मेष राशिज्योतिषशास्त्र के अनुसार, मेष राशि पर भगवान गणेश की विशेष कृपा रहती है। इस राशि के जातक विवेकशील, बुद्धिमान और अपने कार्यों में दक्ष होते हैं। इस राशि के जातकों को गणपति की विशेष कृपा होने से कार्यों में जल्दी सफलता हासिल होती है। मेष राशि के जातकों को हर दिन गणपति अराधना करनी चाहिए।मिथुन राशिज्योतिषशास्त्र के अनुसार, राशिचक्र की तीसरी राशि यानी मिथुन पर भगवान गणेश मेहरबान रहते हैं। ये लोग प्रतिभावान होते हैं। कहा जाता है कि इस राशि के जातक शिक्षा के क्षेत्र में अधिक सफल होते हैं। ये दयालु स्वभाव के होते हैं। हालांकि ये जिस काम को ठान लेते हैं, उसे पूरा करके ही दम लेते हैं। मिथुन राशि के जातकों को प्रतिदिन बप्पा की पूजा-अर्चना करनी चाहिए।मकर राशिज्योतिषशास्त्र के अनुसार, भगवान गणेश मकर राशि के जातकों पर कृपा रहती है। इस राशि के जातकों को ईमानदार व विश्वासी माना जाता है। ये बुद्धिमान होते हैं। इस राशि के जातक पढ़ाई- लिखाई के क्षेत्र में काफी नाम कमाते हैं। मकर राशि के जातकों को भगवान गणेश का हर दिन स्मरण करना चाहिए।
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हिंदू पंचांग के अनुसार, भाद्रपद मास के शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि को हरतालिका तीज व्रत रखा जाता है। इस साल हरतालिका तीज 30 अगस्त, मंगलवार को है। इस दिन भगवान शिव व माता पार्वती की विधिवत पूजा की जाती है। मान्यता है कि इस दिन गौरी-शंकर की विधि-विधान के साथ पूजा-अर्चना करने से अखंड सौभाग्य की प्राप्ति होती है।
हरतालिका तीज पर बन रहे शुभ संयोग-
इस साल हरतालिका तीज पर शुभ व शुक्ल योग साथ रवि योग का शुभ संयोग बन रहा है। शुभ योग 31 अगस्त को सुबह 12 बजकर 05 मिनट तक रहेगा। इसके बाद शुक्ल योग शुरू होगा। मान्यता है कि इन योग में किए गए कार्यों का फल अतिशीघ्र मिलता है।
हरतालिका तीज महत्व-
हरतालिका तीज व्रत करने से पति को लंबी आयु प्राप्त होती है। मान्यता है कि इस व्रत को करने से सुयोग्य वर की भी प्राप्ति होती है। संतान सुख भी इस व्रत के प्रभाव से मिलता है।
हरतालिका तीज 2022 शुभ मुहूर्त-
ब्रह्म मुहूर्त- 04:28 ए एम से 05:13 ए एम।
अभिजित मुहूर्त- 11:56 ए एम से 12:47 पी एम।
विजय मुहूर्त- 02:29 पी एम से 03:21 पी एम।
गोधूलि मुहूर्त- 06:32 पी एम से 06:56 पी एम।
अमृत काल- 05:38 पी एम से 07:17 पी एम।
रवि योग- 05:58 ए एम से 11:50 पी एम।
हरतालिका तीज व्रत पूजन का उत्तम मुहूर्त-
इस दिन सुबह साढ़े छह बजे से लेकर 8 बजकर 33 मिनट तक पूजा का शुभ मुहूर्त रहेगा। जबकि शाम 06 बजकर 33 मिनट से रात 08 बजकर 51 मिनट तक प्रदोष काल रहेगा। - हिंदू पंचांग के अनुसार, भाद्रपद मास के शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि को हरतालिका तीज व्रत रखा जाता है। इस साल हरतालिका तीज 30 अगस्त, मंगलवार को है। इस दिन भगवान शिव व माता पार्वती की विधिवत पूजा की जाती है। मान्यता है कि इस दिन गौरी-शंकर की विधि-विधान के साथ पूजा-अर्चना करने से अखंड सौभाग्य की प्राप्ति होती है।हरतालिका तीज पर बन रहे शुभ संयोग-इस साल हरतालिका तीज पर शुभ व शुक्ल योग साथ रवि योग का शुभ संयोग बन रहा है। शुभ योग 31 अगस्त को सुबह 12 बजकर 05 मिनट तक रहेगा। इसके बाद शुक्ल योग शुरू होगा। मान्यता है कि इन योग में किए गए कार्यों का फल अतिशीघ्र मिलता है।हरतालिका तीज महत्व-हरतालिका तीज व्रत करने से पति को लंबी आयु प्राप्त होती है। मान्यता है कि इस व्रत को करने से सुयोग्य वर की भी प्राप्ति होती है। संतान सुख भी इस व्रत के प्रभाव से मिलता है।हरतालिका तीज 2022 शुभ मुहूर्त-ब्रह्म मुहूर्त- 04:28 ए एम से 05:13 ए एम।अभिजित मुहूर्त- 11:56 ए एम से 12:47 पी एम।विजय मुहूर्त- 02:29 पी एम से 03:21 पी एम।गोधूलि मुहूर्त- 06:32 पी एम से 06:56 पी एम।अमृत काल- 05:38 पी एम से 07:17 पी एम।रवि योग- 05:58 ए एम से 11:50 पी एम।हरतालिका तीज व्रत पूजन का उत्तम मुहूर्त-इस दिन सुबह साढ़े छह बजे से लेकर 8 बजकर 33 मिनट तक पूजा का शुभ मुहूर्त रहेगा। जबकि शाम 06 बजकर 33 मिनट से रात 08 बजकर 51 मिनट तक प्रदोष काल रहेगा।
- शुक्र ग्रह 31 अगस्त को बुधवार शाम 04:29 बजे सिंह राशि में गोचर करेंगे। 31 अगस्त को ही गणेश चतुर्थी भी है। वैदिक ज्योतिष में शुक्र को असुरों का गुरु माना जाता है। शुक्र सबसे शानदार ग्रह होने के साथ-साथ बृहस्पति की तरह एक भाग्यशाली ग्रह भी है। व्यक्ति के सुख और प्रचुरता के लिए शुक्र जिम्मेदार है। शुक्र ग्रह दो राशियों, वृष और तुला पर शासन करते हैं। यह सुख, आनंद, आकर्षण, सौंदर्य और समृद्धि और समृद्धि के बेहतर गुणों का भी प्रतीक है। यह संगीत, कला और कविता आदि में रचनात्मकता को भी दर्शाता है। सिंह राशि सरकार, प्रशासन, महत्वाकांक्षा, नेतृत्व की गुणवत्ता, सामाजिक प्रतिष्ठा, स्वार्थ, अहंकार, ग्लैमर, रचनात्मक कला, बड़प्पन और विलासिता का प्रतिनिधित्व करती है। हालांकि, सिंह शुक्र के लिए शत्रु राशि है और इस प्रकार शुक्र ग्रह के लिए यह असहज स्थिति है फिर भी यह गोचर कुछ राशियों का भाग्य प्रबल बनाएगा। आइए जानें कि सिंह राशि में शुक्र इस अवधि के दौरान किन राशि के जातकों की किस्मत चमका रहा है।मेष राशि: मेष राशि के जो जातक डिजाइनर, रचनात्मक कलाकार और कवि हैं उनके लिए यह गोचर अद्भुत समय लाएगा। उनके विचार उन्हें अपने करियर में बेहतर स्थिति में पहुंचाएंगे। आपके साथी के साथ आपके रिश्ते में अहंकार की भावना तो रहेगी लेकिन फिर भी आप उनके साथ विवाह बंधन में बंधेंगे। सिंगल लोगों को अपना परफेक्ट पार्टनर मिलने की संभावना है। कुल मिलाकर यह आपके लिए अच्छा समय है।वृषभ राशि: वृषभ राशि के जातकों को अपनी कार्यकुशलता का फल इस गोचर के दौरान मिलेगा। आप वाहन भी खरीद सकते हैं। परिवार को कोई परेशानी नहीं होगी। आपकी माता आपके प्रति अत्यधिक स्नेही और प्रेममयी होगी। प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी करने वाले खुद को जीत की राह पर पा सकते हैं। अचानक से धन आगमन के कारण आपको आर्थिक समृद्धि मिलेगी और आपको संपत्ति और गृह ऋण प्राप्त करना आसान होगा।सिंह राशि: सिंह राशि में शुक्र ग्रह का प्रवेश आपके लिए सुखद स्थिति लेकर आएगा। इस दौरान आपके दिलचस्प दोस्त बनेंगे। यह गोचर आपके अंदर एक आकर्षण उत्पन्न करेगा। इस वजह से आप लोगों की प्रशंसा के हकदार बनेंगे। जब प्यार, शादी, पैसा और पेशेवर विकास की बात आती है, तो चीजें पूरी तरह से सहज हो जाएंगी। सिंह राशि के जो जातक कलाकार,संचालक या किसी भी रचनात्मक क्षेत्र से जुड़े हैं उनका प्रमोशन होने की संभावना है। व्यक्तित्व विकास हेतु यह समय अति उत्तम है।
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दो वर्ष बाद गणेश चतुर्थी का उत्सव बड़े धूमधाम से मनाये जानें की तैयारियां हो रहीं हैं. बाजार में गणपति बप्पा की मूर्तियां बनाई जा रहीं हैं. गणेश चतुर्थी (Ganesh Chaturthi) का त्योहार हर साल भाद्रपद माह के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि से प्रारंभ होता है जो कि 10 दिनों तक चलता हैं. लोग अपने घरों में गणेश जी की मूर्ति स्थापित करते हैं और विधि विधान से पूजा अर्चना करते हैं. गणेश चतुर्थी को गणेश जी का जन्म दिवस होता है, इसलिए इसे गणेश जयंती भी कहते हैं.
गणेश चतुर्थी कब---
गणेश चतुर्थी का पर्व भाद्रपद के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि से प्रारंभ होकर अगले 10 दिनों तक मनाया जाता है. अंतिम दिन चतुर्दशी के दिन गणपति बप्पा की विधिवत पूजा के बाद उनका विसर्जन करते हैं. पंचांग के मुताबिक, इस बार गणेश चतुर्थी 31 अगस्त को है.
गणेश चतुर्थी पर बन रहा है ये शुभ संयोग--
पंचांग के अनुसार इस वर्ष गणेश चतुर्थी के अवसर पर तीन शुभ योग बन रहे हैं और एक विशेष संयोग बन रहा है. इस वर्ष की गणेश चतुर्थी तिथि रवि योग में है. वहीं इसी दिन दो शुभ योग ब्रह्म योग और शुक्ल योग भी बन रहे हैं. पंचांग के मुताबिक, 31 अगस्त 2022 दिन बुधवार को प्रात:काल 05:58 बजे से लेकर देर रात 12:12 बजे तक रवि योग है. जबकि प्रात:काल से लेकर रात 10:48 बजे तक शुक्ल योग और शुक्ल योग के समाप्त होने के तुरंत बाद से ब्रह्म योग प्रारंभ हो जाएगा. ये तीनों ही योग पूजा पाठ की दृष्टि से बेहद शुभ माने गए हैं.
धार्मिक मान्यता है कि रवि योग अमंगल को दूर कर सफलता प्रदान करता है. इस योग में सूर्य की स्थिति बेहद प्रबल मानी जाती है. ऐसे में गणेश चतुर्थी पर आप गणपति बप्पा की विधिवत पूजा करके उन्हें प्रसन्न कर अपनी हर कामना को सफल बना सकते हैं. -
हरतालिका तीज 30 अगस्त 2022 को है. महिलाएं इस दिन सुहाग की वस्तुओं के साथ 5 चीजों का दान जरूर करें. कहते हैं इससे सौभाग्यवती होने का वरदान मिलता है.
फल
सुहागिन स्त्रियों के लिए हरतालिका तीज (Hartalika Teej 2022) के व्रत का बहुत महत्व है. मान्यता है इस दिन सुहाग के सामान के साथ मंदिर में फलों का दान करने से सुख-समृद्धि आती है.
गेंहू
गेंहू और जौ का दान सोने के दान देने के समान माना गया है. धार्मिक मान्यताओं के अनुसार तीज के व्रत में गेंहू का दान शुभ फल प्रदान करता है. गेंहू न हो तो किसी जरूरतमंद को आटा भी दान में दे सकते हैं.
वस्त्र
हरतालिका तीज पर किसी ब्राह्मण महिला या गरीबों को वस्त्र का दान जरूर करें. मान्यता है महादेव और देवी पार्वती प्रसन्न होते हैं और अखंड सौभाग्य का वरदान देते हैं.
चावल
चावल का दान बहुत शुभ माना गया है. कहते हैं के हरतालिका तीज पर चावल का दान करने से शुक्र ग्रह से संबंधी दोष समाप्त होते हैं. परिवार में सुख-शांति आती है.
गुड़
हरतालिका तीज का व्रत मंगलवार को पड़ रहा है. इस दिन गुड़ का दान करना उत्तम फल प्रदान करता है. मान्यता है कि गरीबों में गुड़ का दान करने से महिलाओं को स्वास्थ लाभ मिलता है.
- - वास्तु शास्त्र में घर या कार्य स्थल पर किस दिशा में कौन सी चीज कहां रखें या कहां किसका निर्माण कराया जाए इस बारे में बताया गया है। यदि इन बातों का ध्यान न रखा जाए तो भवन में वास्तु दोष निर्मित होता है। जिससे नकारात्मक ऊर्जा का संचार होने लगता है। इसलिए वास्तु के नियमों को ध्यान में रखना आवश्यक होता है। वास्तु की मान्यता के अनुसार चार दिशाएं पूर्व, पश्चिम, उत्तर और दक्षिण के अलावा चार विदिशाएं होती हैं - ईशान कोण, नैऋत्य कोण, आग्नेय कोण और वायव्य कोण।क्या है आग्नेय दिशा-आग्नेय कोण पूर्व और दक्षिण दिशा के मध्य स्थान को कहते हैं। आग्नेय दिशा के स्वामी अग्निदेव हैं। इस दिशा का आधिपत्य शुक्र ग्रह के पास है। इस दिशा में सूर्य की किरणें सर्वाधिक पड़ती हैं जिससे यह दिशा अन्य दिशाओं से गर्म रहती हैं। वास्तु शास्त्र के अनुसार यह दिशा अग्नि से संबंधित कार्यों के लिए सर्वोत्तम मानी गई है। इस दिशा में रसाईघर, बिजली के उपकरण, इन्वर्टर, गर्म पानी करने की भट्टी एवं बॉयलर या फिर अग्नि से सम्बंधित उपकरण रखना श्रेष्ठ रहता है।इस दिशा में क्या करें-आग्नेय दिशा में शुक्र का प्रतिनिधित्व होने के कारण यह दिशा महिलाओं के स्वास्थ्य को भी प्रभावित करती है। इस दिशा में वास्तुदोष होने से घर की महिलाएं बीमार रह सकती हैं। रजस ऊर्जा से युक्त आग्नेय दिशा में किचन का निर्माण बहुत शुभ होता है। यह किचन के निर्माण के लिए उत्तम स्थानों में से एक है। यहाँ स्थित किचन व्यक्ति की आर्थिक स्थिति बेहतर करती है और रुके हुए धन को प्राप्त करने में भी मददगार होती है। इस दिशा में ड्रेसिंग रूम और सौंदर्य प्रसाधन कक्ष बनाना शुभ रहता है।भूलकर भी यहां ये न करें-अग्नि की दिशा में कभी भी जल से जुड़े कार्य नहीं करने चाहिए अन्यथा घर के सदस्य बीमार रहेंगे और घर की आर्थिक उन्नति रुक जाएगी। बोरिंग, नल, हैंडपंप और पानी की टंकी यहां रखना शुभ नहीं माना गया है।अग्नि और जल एक दूसरे के विरोधी तत्व हैं अत: आग्नेय दिशा में स्थित अंडरग्राउंड वाटर टैंक धन के सकारात्मक प्रवाह को रोकता है और महिलाओं के स्वास्थ्य पर भी प्रतिकूल प्रभाव डालता है। इसके अलावा परिवार के सदस्यों में आपस में बहस चलती रहती है इसलिए ऐसी परिस्थिति से बचने के लिए आग्नेय दिशा में अंडरग्राउंड वाटर टैंक का निर्माण नहीं करना चाहिए।सेप्टिक टैंक का निर्माण भी आग्नेय में करना वास्तु दोष का कारण बनता है।यह अग्नि तत्व से सम्बंधित दिशा है और यहां पर स्थित बेडरूम में अगर शादीशुदा लोग सोते हैं, तो पति-पत्नी के बीच छोटी-छोटी बेमतलब की बातों पर लड़ाई होती रहती है। अगर कोई व्यक्ति उत्तर दिशा की ओर सिर करके आग्नेय कोण के बेडरूम में सोता है, तो उसे अनिद्रा से सम्बंधित समस्या होने की काफी संभावना होती है। अत: यह दिशा घर के सदस्यों के बेडरूम बनाने के लिए उचित नहीं है।
- भाद्रपद के शुक्ल पक्ष की तृतीया के दिन महिलाएं हरतालिका तीज का निर्जला व्रत रखकर माता पार्वती की पूजा करती हैं। इस बार 30 अगस्त को यह व्रत रखा जाएगा। महिलाएं अपने पति और परिवार की सेहत और दीर्घायु के लिए यह व्रत रखती हैं। मान्यता है कि व्रत- पूजन में 11 चीजों का उपयोग करने से मां पार्वती प्रसन्न होती हैं । आइये जानते हैं कौन सी हैं ये चीजें.....1. फुलेरा : फूल-पत्तियों, जड़ी-बूटियों और बांस से झूले जैसा दो फुलहरा बनाया जाता है। पूजन के दौरान फुलेरा माता पार्वती और शिवजी को अर्पित किए जाते हैं।2. सुहाग पिटारा : माता को सुहाग के 2 पिटारा अर्पित किए जाते हैं जिसमें बिंदी, चूड़ी, बिछिया, मेहंदी, आदि 16 श्रृंगार के सामान होते हैं।3. खीर का भोग- माता पार्वती को खीर का भोग लगाएं। ऐसा करने से वैवाहिक जीवन में प्यार बना रहता है।4. सोलह पत्तियां - बिल्वपत्र, तुलसी, जातीपत्र, सेवंतिका, बांस, देवदार पत्र, चंपा, कनेर, अगस्त्य, भृंगराज, धतूरा, आम पत्ते, अशोक पत्ते, पानपत्ते, केले के पत्ते और शमी पत्ते अर्पित करें ।5 भोग- माता को शहद, हलवे, गुड़ और घी की चीजों का भोग लगाकर दान करने से परिवार की बीमारी और दरिद्रता दूर होती है।6. ये चीजें अर्पित करें - पंचामृत, मिठाई, फल, फूल, नारियल, कपूर, कुमकुम, सुपारी, सिंदूर, अबीर, चन्दन, लकड़ी की चौकी, पीतल का कलश आदि।7. अभिषेक करें : दूध में केसर मिलाकर शिव-पार्वती का अभिषेक करें। साथ ही कर्पर , अगरु, केसर, कस्तूरी और कमल के जल, आम, गन्ने का रस से भी अभिषेक करें।8. मिट्टी टी के शिवलिंग : हरतालिका पूजन के लिए भगवान शिव, माता पार्वती और भगवान गणेश की बालू रेत व काली मिट्टी की प्रतिमा हाथों से बनाएं और उनकी पूजा करें।9. कथा जरूर सुनें : व्रत के दौरान हरतालिका तीज व्रत कथा को सुनना जरूरी होता है।10. रातभर जागरण- इस दिन आठ प्रहर की पूजा और भजन-कीर्तन करना चाहिए।11. पारण : शिवजी, माता पार्वती और गणेशजी प्रतिमा को व्रत के दूसरे दिन चौथ को सुबह विधिवत तालाब या फिर नदी में विसर्जित करने के बाद व्रत का पारण किया जाता है।
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सनातन धर्म में नारियल को श्रीफल का दर्जा दिया गया है. श्रीफल यानी कि फलों में श्रेष्ठ, नारियल के उपयोग के बिना पूजा-पाठ, शुभ काम अधूरे हैं. वहीं ज्योतिष और लाल किताब में भी कई तरह के ग्रह दोष और बाधाओं को दूर करने में नारियल को बहुत प्रभावी माना गया है. आज हम नारियल के कुछ ऐसे ही उपाय और टोटके जानते हैं जो बहुत असरकारक हैं.
परेशानियां-बाधाएं दूर करने का उपाय
यदि जीवन में बार-बार परेशानियां आ रही हों और ऐसा लगे की कुछ भी अच्छा नहीं चल रहा है तो एक पानी वाला नारियल अपने ऊपर से 21 बार घुमाकर किसी मंदिर के हवनकुंड में मंदिर में जाकर जला दें. ये उपाय 5 हफ्तों तक हर मंगलवार और शनिवार को करें.
नौकरी-व्यापार में सफलता पाने का उपाय
यदि नौकरी या व्यापार में सफलता पाना चाहते हैं तो घर में नारियल का पेड़ लगाएं. इससे गुरु ग्रह मजबूत होकर आपको शुभ फल देगा और जल्द ही आपको सफलता मिलेगी. इससे घर में धन की आवक भी बढ़ेगी. नारियरल का पेड़ घर की दक्षिण या पश्चिम दिशा में ही लगाएं.
बुरी नजर उतारने का उपाय
बुरी नजर उतारने के लिए मंगलवार के दिन सवा मीटर लाल कपड़े में एक नारियल बांधकर जातक के ऊपर से 7 बार उतार कर हनुमान जी के चरणों में अर्पित कर दें.
पैसों की तंगी दूर करने का उपाय
शुक्रवार के दिन लाल कपड़े पहनकर मां लक्ष्मी की पूजा करें. पूजा में मां लक्ष्मी को नारियल अर्पित करें. अगले दिन यह नारियल लाल कपड़े में लपेट कर घर में ऐसी जगह रख दें जहां पर किसी बाहरी की नजर न पड़े. कुछ ही दिन में मां लक्ष्मी की कृपा बरसने लगेगी.
तरक्की में आ रही बाधाएं दूर करने का उपाय
मेहनत का फल न मिले, आय न बढ़े तो शनिवार के दिन शनि मंदिर में पानी वाले 7 नारियल शनि देव को अर्पित करें. फिर इन नारियल को उठाकर नदी में विसर्जित कर दें. बाधाएं दूर होंगी. -
लोग अपने घरों में सामान रखने के लिए लोहे या लकड़ी की अलमारी रखते हैं. अलमारी में हमारा जरूरी सामान सेफ रहता है. अलमारी के भीतर रखा सामान तो साफ और सेफ रहता है, लेकिन कई बार बाहर से अलमारी गंदी हो जाती है. अलमारी को साफ करना एक बड़ा टास्क होता है. आज हम आपको पुरानी अलमारी को साफ करने के हैक्स बता रहे हैं, इन्हें अपनाकर आपकी अलमारी नए की तरह चमकेगी.
लोहे की अलमारी साफ करना है बड़ा टास्क
लोहे की अलमारी पर चिपचिपा टार लग जाता है. इस पर धीरे-धीरे धूल जमा होती है और इससे इसका रंग भी काला पड़ जाता है. ऐसे में अलमारी को साफ करना बेहद मुश्किल होता है. अगर हम कपड़े से इसे साफ करने की कोशिश करते हैं, तो चिकनाहट की वजह से ये साफ नहीं हो पाता. वहीं इसको साफ करते वक्त ये भी ध्यान रखना होता है कि ज्यादा पानी के इस्तेमाल से कहीं इसमें जंग न लग जाए.
ऐसे साफ करें लोहे की अलमारी
लोहे की अलमारी को साफ करने के लिए आप बर्तन धोने वाले स्क्रबर को थोड़ा सा गीला करें और इसमें थोड़ा सा डिटर्जेंट और थोड़ा सा टूथपेस्ट मिला लें. अब इस पेस्ट को अलमारी पर हल्के हाथ से घिसें. ज्यादा पानी का इस्तेमाल न करें. जब आप पूरी अलमारी साफ कर लें, तो एक सूखा कपड़ा लेकर इसे पोंछ दें. आप देखेंगे कि कुछ मिनटों में ही आपकी अलमारी चमक जाएगी.
लकड़ी की अलमारी कैसे करें साफ?
लकड़ी की अलमारी को साफ करने के लिए ज्यादा पानी का इस्तेमाल नहीं कर सकते. इसे साफ करने के लिए दूसरे हैक का इस्तेमाल किया जा सकता है. इसके लिए एक होममेड लिक्विड तैयार करेंगे. आप एक बाउल में1 छोटा चम्मच बेकिंग सोडा, 3 बड़े चम्मच सफेद सिरका और 1 छोटा चम्मच डिश वॉश लिक्विड मिलाएं. इसमें थोड़ा सा पानी मिला लें. अब एक स्क्रबर की मदद से इसे अलमारी पर घिसें. जैसे ही ये काम पूरा हो आप एक सूखे कपड़े से अलमारी को पोंछ दें. आपकी अलमारी एकदम नई जैसे चमकने लगेगी. -
प्राणी मात्र को जीवित रहने के लिए आहार की आवश्यकता है। आहार में अन्न की प्रधानता है। विशेषकर मानव जीवन के लिए अन्न ही सर्वस्व है। पृथ्वी पर निवास करने वाले सभी प्राणी अन्न से ही उत्पन्न होते हैं और अन्न से ही जीवित रहते हैं। इसीलिए अन्न को ब्रह्मा और जल को विष्णु की संज्ञा प्रदान की गयी है। स्कन्दपुराण के अनुसार अन्न ही ब्रह्मा है और सबके प्राण अन्न मे ही प्रतिष्ठित हैं- अन्नं ब्रह्म इति प्रोक्तमन्ने प्राणा: प्रतिष्ठिता:।
अन्न ही जीवन का प्रमुख आधार है। इसलिए शास्त्रों मे अन्नदान तो प्राणदान के समान है। अन्नदान को सर्वश्रेष्ठ एवं प्रभूत पुण्यदायक माना गया है। यह धर्म का प्रमुख अंग है। अन्नदान के बिना कोई भी जप, तप या यज्ञ आदि पूर्ण नहीं होता है। जो व्यक्ति प्रतिदिन विधिपूर्वक अन्नदान करता है वह संसार के समस्त फल प्राप्त कर लेता है।
अन्नदान की कई विधियां हैं जैसे - भूखे व्यक्ति को भोजन कराना, पशु-पक्षियों को चारा-दाना देना, व्रत या त्योहार में भोजन कराना या तीर्थस्थलों में भिक्षुकों को भोजन कराना। पके हुए अन्न अर्थात् भोजन का दान करना अधिक श्रेयस्कर होता है। अपनी सामथ्र्य एवं सुविधा के अनुसार कुछ न कुछ अन्नदान अवश्य करना चाहिए। इससे परम कल्याण की प्राप्ति होती है।
जब किसी व्यक्ति की कुंडली में शनि के क्षेत्र में चन्द्रमा स्थित हो और शनि से दृष्ट भी हो अथवा शनि और मंगल दृष्ट हो तो जातक विरक्ति का जीवन व्यतीत करता है। लेकिन इसके बाद भी वह संसार में ख्याति प्राप्त करता है। जब किसी व्यक्ति के लग्न, तीसरे, अष्टम या भाग्य स्थान में शनि तथा उस पर गुरू की किसी भी प्रकार से दृष्टि हो तो ऐसे लोग भोग विलास से दूर रहकर सादगीपूर्ण जीवन बिताते हैं। साथ ही यहीं ग्रह योग उन्हें जीवन में सफलता तथा मान भी प्रदान करता है।
किसी व्यक्ति को जीवन में सफलता के साथ मान भी प्राप्त करना हो तो अपने जीवन में सादगी तथा अनुशासन का पालन करना चाहिए और शनि तथा गुरू की शांति के साथ मंत्रजाप एवं दान करना चाहिए। विशेष रूप से अन्न का दान जीवन में सम्मान का कारक होता है। अत: जरूरतमंदों को अन्न का दान करना चाहिए, अन्न दान से समस्त पापों की निवृत्ति होकर इस लोक और परलोक में सुख प्राप्त होता है। - हर व्यक्ति मां लक्ष्मी का वास अपने घर में चाहता है। वास्तु शास्त्र के अनुसार, उत्तर दिशा धन के देवता कुबेर की दिशा मानी जाती है। मान्यता है कि इस दिशा को साफ-सुथरा रखने से मां लक्ष्मी का घर में वास होता है। धन लाभ से जुड़े कुछ खास उपाय वास्तु शास्त्र में वर्णित हैं।--अगर आपके पास भी धन नहीं टिकता है और आर्थिक तंगी से परेशान हैं तो आजमाएं ये वास्तु उपाय-1. वास्तु शास्त्र के अनुसार, घर की खिड़कियों और दरवाजों को हर दिन सुबह जरूर खोलना चाहिए। वास्तु के अनुसार ऐसा करने से घर में सकारात्मक ऊर्जा का वास होता है और धन आगमन होता है।2. वास्तु शास्त्र के अनुसार, शंख का संबंध मां लक्ष्मी से होता है। ऐसे में पूजा स्थल पर शंख अवश्य रखें। धन की देवी मां लक्ष्मी के साथ शंख की भी प्रतिदिन पूजा करें।3. वास्तु शास्त्र के अनुसार, धन प्राप्ति के लिए लोगों को झाड़ू हमेशा छिपाकर रखनी चाहिए। झाड़ू का संबंध मां लक्ष्मी से माना गया है। इसलिए इसे कभी इधर-उधर न फेंकें और न ही पैरों के नीचे आने दें।4. धार्मिक मान्यता के अनुसार, पीपल के पेड़ में मां लक्ष्मी का वास होता है। ऐसे में प्रतिदिन स्नान के बाद पीपल के पेड़ में जल देना चाहिए। मान्यता है कि ऐसा करने से मां लक्ष्मी प्रसन्न होती हैं।5. वास्तु के अनुसार, आर्थिक तंगी से मुक्ति पाने के लिए फिटकरी को एक पात्र में किसी ऐसे स्थान पर रखना चाहिए जहां पर किसी की नजर न पड़े। साथ ही प्रतिदिन पानी में एक छोटा सा फिटकरी का टुकड़ा डालकर स्नान करना चाहिए। मान्यता है कि ऐसा करने से धन का अभाव कम होता है।6. वास्तु के अनुसार, साफ-सफाई में मां लक्ष्मी का वास होता है। ऐसे में भूलकर भी घर को गंदा नहीं करना चाहिए। ऐसा करने से घर में बरकत नहीं होती है।7. वास्तु के अनुसार, पूजा स्थल पर चावल के ढेर पर मां अन्नपूर्णा की विधि-विधान से स्थापना करके प्रतिदिन उनकी पूजा करें। मान्यता है कि मां अन्नपूर्णा की पूजा करने से घर में अन्न व धन का भंडार हमेशा भरा रहता है।
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हिंदू धर्म में अनंत चतुर्दशी व्रत का खास महत्व है। इस दिन भगवान विष्णु के अनंत स्वरूप की पूजा का विधान है। यह हर साल भाद्रपद माह के शुक्ल पक्ष की चतुर्दशी को मनाया जाता है। इस साल अनंत चतुर्दशी का व्रत 9 सितंबर 2022 को रखा जाएगा। इस दिन भगवान गणेश की पूजा का अंतिम दिन होता है। भादों शुक्ल चतुर्दशी के दिन गणेश महोत्सव का समापन होता है और घर में विराजे गणपति को धूमधाम से विदाई देकर उनका विसर्जन कर दिया जाता है।
लोग अनंत चतुर्दशी के दिन व्रत रखते हैं और भगवान विष्णु की पूजा करते हैं। पूजा के दौरान भगवान विष्णु के चरणों में रक्षा सूत्र, जिसे अनंता कहते हैं, अर्पित करते हैं। पूजा करने के बाद इस अनंता को व्रती अपने हाथों में बांध लेते हैं. पूजा के दौरान भक्त व्रत कथा का पठन या श्रवण करते हैं।
मान्यता है कि जो भक्त अनंत चतुर्दशी का व्रत रखते हैं और भगवान विष्णु का पूजन करते हैं। उन्हें कभी धन दौलत की कमी नहीं होती है। उनके सुख समृद्धि और वैभव में वृद्धि होती है।
अनंत चतुर्दशी पूजा मुहूर्त---
9 सितंबर को सुबह 06 बजकर 02 मिनट से शाम 06 बजकर 09 मिनट तक
पूजा अवधि---12 घंटे 6 मिनट
अनंत चतुर्दशी व्रत कथा
एक पौराणिक कथा के मुताबिक सुमंत नामक ब्राह्मण और महर्षि भृगु की पुत्री दीक्षा से एक कन्या का जन्म हुआ, जिसका नाम सुशीला था। सुशीला की मां दीक्षा का असमय निधन हो गया। तब ब्राह्मण सुमंत ने कर्कशा नामक एक लड़की से विवाह किया जबकि ब्राह्मण सुमंत की पुत्री सुशीला का विवाह कौण्डिन्य मुनि से हुआ। कर्कशा के क्रोध के चलते और उसके कृत्यों से सुशीला अत्यंत गरीब हो गई। एक बार सुशीला अपने पति के साथ जा रही थी तो जाते समय उसने रास्ते में देखा कि एक नदी पर कुछ महिलायें व्रत कर रहीं हैं। सुशीला के द्वारा पूंछने से पता चला कि वहां पर महिलाएं अनंत चतुर्दशी का व्रत कर रही हैं। वे महिलाएं अनंत सूत्र की महिमा का गुणगान कर रही थी।
महिलाओं द्वारा व्रत करने और अनंत सूत्र बांधने को देखकर सुशीला ने भी ऐसा ही किया. उसके बाद उन्हें अनंत सुख मिला, किंतु कौण्डिन्य मुनि ने एक दिन गुस्से में आकर अनंत सूत्र तोड़ दिया। इसके बाद वे फिर से उन्हीं कष्टों से घिर गए। तब सुशीला ने अनुनय और विनय के साथ क्षमा-प्रार्थना की. तब अनंत देव की उन पर फिर से कृपा हुई। -
बुद्ध ग्रह का धन से गहरा संबंध है। बुद्ध ग्रह बुद्धि का प्रतीक है। बुद्धि से ही जीवन में धन और वैभव अर्जित किया जाता है। कुण्डली में अगर बुद्ध बलवान हो तो जीवन में धन की मिलती है सौगात।
हिंदू शास्त्रों के अनुसार हर व्यक्ति के लिए 4 पुरुषार्थ धर्म, अर्थ, काम और मोक्ष बहुत आवश्यक हैं। अर्थ का संबंध धन से है। बुध ग्रह का धन से गहरा संबंध है। बुध ग्रह बुद्धि का प्रतीक है। बुद्धि से ही जीवन में धन और वैभव अर्जित किया जाता है। कुण्डली में अगर बुद्ध बलवान हो तो जीवन में मिलती है धन की सौगात। ज्योतिष शास्त्र में राशि के अनुसार, कुछ उपाय बताए गए हैं, जिन्हें विधि पूर्वक करने से सभी प्रकार की फाइनेंशियल प्रॉब्लम दूर हो सकती हैं।
राशिनुसार करें ये उपाय---
मेष- तुलसी पर घी का दीपक जलाएं।
वृषभ- गरीब कन्याओं में इलायची बांटें।
मिथुन- पूजा घर में 3 साबुत सुपारी चढ़ाएं ।
कर्क-2 इलायची के दाने कर्पूर से जलाएं।
सिंह- सुपारी पर चंदन लगाकर तिजोरी में रखें।
कन्या- सौंफ-सुपारी खाएं।
तुला- पक्षियों के लिए साबुत धनिया रखें।
वृश्चिक- मूंग के दाने पर्स में रखें।
धनु- मूंग का दान करें।
मकर- राधा-कृष्ण मंदिर में तुलसी पत्र चढ़ाएं।
कुंभ- मिश्री पानी में बहा दें।
मीन- किसी गरीब महिला को पालक भेंट करें।
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गणपति बप्पा इस साल 31 अगस्त को लोगों के घरों में आगमन करेंगे। ऐसे में गणपति की मूर्ती स्थापित करने वाले लोगों को खास तैयारी करने की जरूरत होती है। लोग पूजा से लेकर सजावट तक का खास ख्याल रखते हैं। इसी के साथ गणपति का प्रसाद भी बहुत जरूरी होता है। 10 दिन तक चलने वाले इस पर्व में गणपति बप्पा को तरह-तरह के भोग लगाए जाते हैं। सभी भोग में भगवान को प्रिय मोदक भी होते हैं। हालांकि कई बार लोगों की शिकायत होती है कि घर में मोदक सही तरह से नहीं बनते, यहां हम कुछ ट्रिक्स बता रहे हैं जो मोदक बनाने में आपके काम आ सकती हैं।
गुड़ और नारियल को पकाएं
नारियल और गुड़ को एक साथ पकाते समय इसे सही तरीके से पकाना जरूरी है। इसे तब तक पकाना जरूरी है जब तक कि सारी एक्सट्रा नमी खत्म न हो जाए और ये सूखने लगे। हालांकि, इस बात का भी विशेष ध्यान रखना है कि आप इसे ओवरकुक न करें।
फ्रेश नारियल का करें इस्तेमाल
कई बार लेट होने से बचने के लिए तैयारियां एक दिन पहले से शुरू हो जाती हैं। तैयारी करते समय आप इस बात का ध्यान रखें की आपको हमेशा ताजे सूखे नारियल का इस्तेमाल करना है।
आटा लगाने के लिए अपनाएं सही तरीका
मोदक के लिए सही तरह से आटा लगाना जरूरी है। इसके लिए 1 कप चावल के आटे को लगाने के लिए आमतौर पर 1 कप से थोड़ा ज्यादा पानी की जरूरत होती है। अगर आप मात्रा का सही हिसब रखेंगे तो आपके द्वारा बनाए गए मोदक सॉफ्ट और टेस्टी बनेंगे। वहीं यह सुनिश्चित करने के लिए कि मिश्रण बिना दरार के और चिपचिपा न हो, इसके लिए थोड़ा गर्म पानी छिड़कें और इसे फिर से गूंथ लें। यह इसे एक अच्छी बनावट देने में मदद करता है। आटा सही तरह से गूंथा गया होगा तो मोदक सॉफ्ट और क्रैक फ्री बनेंगे।
हाथों को गीला कर बनाएं मोदक
हाथ से मोदक बनाते समय अपनी उंगलियों को एक कटोरी पानी में डुबोएं और फिर एक भाग लें जो गेंद के आकार का हो। आटे को दोनों हाथों के अंगूठे और तर्जनी की मदद से गोलाकार गति में फैलाकर बनाना शुरू करें। वहीं अगर आटा चिपचिपा है तो पानी की जगह घी का इस्तेमाल करने की सलाह दी जाती है। -
बाल गोपाल के जन्म के छह दिन बाद कृष्ण की छठी मनाई जाती है. हिंदू धर्म में नवजात शिशू की मंगल कामना के लिए छठी पूजन किया जाता है. इसी परंपरा के अनुसार हर साल लड्डू गोपाल का भी छठी पूजन होता है. इस साल कृष्ण की छठी 24 अगस्त 2022 को मनाई जाएगी.
क्यों किया जाता छठी पूजन है ?
हिंदू धर्म में बच्चे के जन्म के छह दिन बाद षष्ठी देवी की पूजा का विशेष महत्व है. पौराणिक मान्यताओं के अनुसार षष्ठी देवी की कृपा से राजा प्रियव्रत का मृतपुत्र दोबारा जीवित हो गया था. पुराणों में षष्ठी देवी को बच्चों की अधिष्ठात्री देवी माना गया है. कहते हैं कि इनकी पूजा करने से नवजात शिशु पर कोई आंच नहीं आती.
क्या होता है छठी पूजन में--
बच्चे को नए कपड़े पहनाए जाते हैं. छठी पर बच्चे का नामकरण करने की परंपरा है. इस दिन कढ़ी चावल बनाए जाते हैं. जानते है कृष्ण की छठी कैसे मनाएं.
कैसे मनाएं कृष्ण की छठी --
छठी के दिन सुबह स्नान आदि से निवृत्त होकर बाल गोपाल को पंचामृत (दूध, दही, घी, शहद, गंगाजल) से स्नान करवाएं.
अब दक्षिणावर्ती शंख में गंगाजल भरकर गोपाला का अभिषेक करें. उन्हें नए पीले रंग के वस्त्र पहनाएं. कान्हा को पीतांबर अधिक प्रिय है.
गिरधर गोपाल को चंदन का टीका लगाएं और विधिवत उनका श्रृंगार करें. धूप, दीप अर्पित करें.
श्रीकृष्ण का प्रिय भोग माखन मिश्री का प्रसाद चढ़ाएं. श्रीकृष्ण के अनेक नाम जैसे लड्डू गोपाल, ठाकुर जी, कान्हा, माधव, नंदलाला, देवकीनंदन किसी एक को चुनें और फिर उन्हें उसी नाम से बुलाएं. इस दिन घर में कढ़ी चावल बनाना शुभ माना जाता है.
---यहां सूचना सिर्फ मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है.... -
कपूर को हिंदू धर्म में बहुत ही शुभ माना जाता है और यह कई तरह की मुसीबतों को भी दूर करता है। कपूर आपके घर में सुख और समृद्धि लाता है। इतना ही नहीं, आपको जीवन में जो भी दिक्कतें आ रही हैं वह भी दूर हो जाएंगी। खासतौर पर बुधवार को आप कपूर से घर पर ही कुछ उपाय करके लाभ कमा सकते हैं।
कार्यक्षेत्र में कपूर के उपाय
बुधवार के दिन गणेश जी को गुलाब के फूल के साथ 7 कपूर आर्पित करें। ऐसा करने से आपकी नौकरी में आ रही बाधा दूर हो जाती है। इतना ही नहीं, यह उपाय कार्यक्षेत्र में आ रही दिक्कतों को भी कम करता है। आप केवल गणेश जी के आगे नियमित 7 कपूर जलाएंगी, तो भी आपको लाभ होगा।
आर्थिक संकट के उपाय
यदि आप बहुत दिनों से आर्थिक संकट से जूझ रही हैं, तो आपको घर की उत्तर दिशा में तिजोरी रखनी चाहिए और तिजोरी के अंदर आपको 7 कपूर की गोलिया और गुलाब का फूल रखना चाहिए। ऐसा करने से आपकी तिजोरी में धन की कभी भी कमी नहीं होती है।
शुभ समाचार के लिए उपाय
कपूर को यदि आप एक लाल कपड़े की पोटली में बांध कर मुख्य द्वारा पर टांग देती हैं, तो यह और भी शुभ होता है। ऐसा करने से घर में किसी भी तरह का अशुभ समाचार और नकारात्मकता नहीं आती है। आप इस पोटली को अपने बेडरूम में भी रख सकती हैं।
कार्यक्षेत्र में नुकसान के उपाय
बुध ज्ञान और विवेक का प्रतिधित्व करता है। अगर आपको ज्ञान की कमी के चलते अपने कार्यक्षेत्र में नुकसान सहन करना पड़ रहा है, तो आप बुधवार के दिन अपने घर में शाम के समय 7 कपूर को एक साथ रख कर उसका दीपक मंदिर में रखें। ऐसा करने से आपके बिगड़े काम बन जाएंगे।
प्रामोशन के लिए उपाय
बहुत समय से यदि आप किसी प्रमोशन या फिर इंक्रीमेंट का इंतजार कर रही हैं, तो आपको बुधवार के दिन गणेश जी को 101 कपूर के दीपक जलाने चाहिए। ऐसा करने से आपका रुका हुआ धन आपको वापिस मिल जाएगा। इतना ही नहीं, अगर आपका धन कहीं खो गया है, तो उसके मिलने के संकेत भी आपको मिलेंगे। -
हिंदू पंचांग के अनुसार अजा एकादशी का व्रत प्रत्येक साल भाद्रपद माह के कृष्ण पक्ष की एकादशी तिथि को रखा जाता है। इस बार अजा एकादशी का व्रत मंगलवार 23 अगस्त 2022 को रखा जाएगा। भाद्रपद माह के कृष्ण पक्ष में पड़ने वाली एकादशी को अजा एकादशी के नाम से जाना जाता है। मान्यता है कि अजा एकादशी का व्रत रखने और पूजन करने से अध्वमेध यज्ञ के समान पुण्य फल की प्राप्ति होती है। साथ ही अजा एकादशी के दिन पूजन के समय व्रत कथा सुनने से पूजा सफल होती है और व्यक्ति को पापों से मुक्ति मिलती है। इसलिए यह व्रत अत्यंत फलदायी माना जाता है। जानते हैं अजा एकादशी की व्रत कथा और इसके महत्व के बारे में।
अजा एकादशी व्रत कथा
कथा के अनुसार, अयोध्या में चक्रवर्ती राजा हरिश्चन्द्र नाम के एक राजा थे। राजा अपनी सत्यनिष्ठा और ईमानदारी के लिए जाने जाते थे। एक बार सभी देवताओं ने राजा की परीक्षा लेने का विचार किया। राजा को स्वप्न आया कि उसने ऋषि विश्वामित्र को अपना राजपाट सबकुछ दान कर दिया। सुबह विश्वामित्र सच में उनके द्वार पर आए और कहने लगे कि तुमने स्वप्न में मुझे अपना राजपाट दान कर दिया है। राजा ने अपनी सत्यनिष्ठ का पालन किया और पूरा राज्य विश्वामित्र को दे दिया। इतना ही नहीं दान के लिए दक्षिणा चुकाने हेतु राजा को पूर्व जन्म के कर्म फल के कारण पत्नी, बेटा और खुद को भी बेचना पड़ा। हरिश्चन्द्र ने खुद को भी बेच दिया और एक चांडाल के पास नौकरी कर जीवन यापन करने लगा। लेकिन उसने सत्य का मार्ग नहीं छोड़ा।
इसी तरह सत्यनिष्ठा का पालन करते हुए कई साल बीत गए। राजा को एक दिन अपनी हालत पर दुख हुआ और वह सोचने लगा कि मैं क्या करूँ? कैसे इस कर्म से मुक्ति पाऊं? राजा इस बारे में चिंतन कर रहा था तभी उसके पास गौतम ऋषि पहुँचे। राजा हरिश्चन्द्र ने ऋषि को अपने दुख की व्यथा सुनाई।
महर्षि गौतम को राजा की बातें सुनकर दुख हुआ। वे राजा से बोले, हे राजन! तुम भाद्रपद माह के कृष्ण पक्ष की एकादशी के दिन अजा एकादशी का विधिपूर्वक व्रत करो और रात्रि जागरण करो। इससे तुम्हारे सभी पाप नष्ट हो जाएंगे। यह कहकर ऋषि वहां से आलोप हो गए। भाद्रपद माह में अजा एकादशी आने पर राजा ने व्रत रखा और रात्रि जागरण किया। व्रत के प्रभाव से राजा के पाप नष्ट हो गये। राजा को पुन: उसके परिवार और राजपाट की प्राप्ति हो गई। -
भगवान श्रीकृष्ण का जन्मोत्सव यानी जन्माष्टमी पर सभी अपने घरों को खूबसूरत चीजों से सजाना पसंद करते हैं. चाहे वह फूलदान हो, पेंटिंग हो या और कुछ ऐसी चीजें, जो हमारे घर की सुंदरता को बढ़ाती हैं. ऐसी ही एक वस्तु है मोर पंख. मोर पंख का इतिहास देवी-देवताओं से जुड़ा हुआ है. मोर पंख भगवान श्रीकृष्ण को अति प्रिय रहा है.
वास्तु शास्त्र में भी मोर पंख को लेकर उपाय बताए गए हैं. वास्तु में मोर पंख को घर पर रखने का महत्व बताया गया है. घर पर मोर पंख रखने से ना सिर्फ सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है, बल्कि घर का वास्तु दोष भी दूर होता है.
वास्तु दोष होंगे समाप्त
वास्तु शास्त्र के अनुसार, घर पर मोर पंख रखने से वास्तु दोष समाप्त होते हैं. वास्तु के हिसाब से सबसे पहले 8 मोर पंख लें. सभी को एक साथ सफेद धागे से बांध दें. इसके बाद ओम सोमाय नम: मंत्र का जाप करते हुए अपने घर में कहीं साफ जगह पर रख दें. इससे घर में नकारात्मक शक्तियों का नाश होगा और सुख-समृद्धि का वास होगा.
बुरी नजर से होगी रक्षा
मोर पंख देवी-देवताओं से जुड़ा हुआ है. ऐसे में घर पर मोर पंख रखना शुभ माना जाता है. वास्तु शास्त्र के अनुसार, घर के मुख्य द्वार पर मोर पंख लगाने से बुरी नजर नहीं लगती. ना ही नकारात्मक शक्तियां घर में प्रवेश कर पाती हैं. परिवार के सदस्यों का स्वास्थ्य भी अच्छा रहता है. घर का माहौल खुशनूमा बना रहता है.
बच्चों का पढ़ाई में लगेगा मन
वास्तु शास्त्र के अनुसार, अगर बच्चे का पढ़ाई में मन नहीं लगता. बच्चा काफी जिद्द करता है तो ऐसी स्थिति में मोर पंख उसकी किताब में रखने से बच्चे का मन शांत रहता है. इससे बच्चे का मन पढ़ाई में लगेगा. साथ ही, वह पॉजिटिव महसूस करेगा.