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- बारिश के मौसम में अक्सर लोग कुछ चटपटा खाना चाहते हैं। ऐसे में तली-भुनी चीजों का सेवन अधिक कर लेते हैं। इससे सेहत खराब होने का खतरा बना रहता है। ऐसे में हम आपको कुछ ऐसी हेल्दी चाट की रेसिपीज के बारें में बता रहे है जिनसे आपकी चटपटा खाने की इच्छा भी रह जाएगी और सेहत पर भी बुरा असर नहीं पड़ेगा।1. झालमुड़ीझालमुड़ी सेहत के लिए बहुत फायदेमंद होती है। ये एक बंगाली डिश है। इसे खाने से आपकी भूख तो शांत होगी ही, साथ में ये आपके हेल्थ को भी नुकसान नहीं पहुंचाएगी। झालमुड़ी से शरीर को इंस्टैंट एनर्जी मिलती है। इसमें पडऩे वाले मुरमुरे में विटामिन बी1और विटामिन बी2 पाया जाता है, जिससे हड्डियों को मजबूती मिलती है। झालमुड़ी से आपका वजन तो कंट्रोल रहेगा ही, साथ ही ये मस्तिष्क के लिए भी फायदेमंद है। इसको बनाने के लिए तीन से चार कप मुरमुरा एक बड़े कटोरे में लें। इसमें उबले हुए आलू, टमाटर और खीरा काटकर डालें। बारीक कटा हुआ प्याज और हरा धनिया भी डालकर मिक्स करें। अब इस मिक्सचर में हरी चटनी, काला नमक, चाट मसाला और लाल मिर्च का पाउडर डाल कर मिक्स करें। तैयार है आपकी झालमुड़ी चाट।2. पालक पत्ता चाटपालक खाने के कई फायदे हैं लेकिन कई बार हम इसे खाने में हिचकते हैं। ऐसे में आप इस बरसात के मौसम में पालक चाट ट्राई कर सकते है। इसमें आयरन और कई तरह के अन्य पोषक तत्व पाए जाते हैं, जिससे आपको एनीमिया जैसी समस्या नहीं होती है। इसमें मौजूद कैल्शियम और मैग्नीशियम आपकी हड्डियों के लिए लाभकारी होते हैं। पालक चाट बनाने के लिए सबसे पहले पालक के पत्तों को अच्छे से धो कर साफ कर लें। उसके बाद पत्तों को बेसन में डुबोकर फ्राई करें। अतिरिक्त तेल को टिश्यू पेपर की मदद से निकाल दें और फिर दही, चटनी और मसाले डालकर सर्व करें।3. आलू चाटआलू बच्चों से लेकर बड़ों तक सबका फेवरेट होता है। ये सेहत के लिए काफी हेल्दी भी होता है। आलू से कब्ज की समस्याओं को दूर किया जा सकता है। आलू में कार्बोहाइड्रेट, पोटेशियम, मैग्नीशियम, आयरन, कैल्शियम, विटामिन सी और फाइबर जैसे तत्व मौजूद होते हैं। यह हेल्थ के साथ स्किन के लिए भी काफी फायदेमंद होते हैं। आलू चाट को बनाना काफी आसान है। आलू को स्लाइस में काटकर फ्राई करें। फिर इसमें टमाटर, नमक, हरी मिर्च, चाट मसाला, धनिया और चिली फ्लेक्स डालकर अच्छे से मिला लें। सर्व करते समय हरा धनिया डालें।4. स्वीट कॉर्न चाटस्वीट कॉर्न सेहत के लिए काफी हेल्दी माना जाता है। इसमें विटामिन ए, बी, ई, मिनरल्स और एंटीऑक्सीडेंट्स होते हैं। स्वीट कॉर्न में मौजूद फाइबर्स पाचन क्रिया को बेहतर बनाते हैं। इसको बनाने के लिए स्वीट कॉर्न को उबालें। एक कटोरे में लाल मिर्च पाउडर, चाट मसाला, नमक और नींबू डालकर मिला लें। तैयार है स्वीट कॉर्न चाट। हरे धनिया के साथ सर्व करें।5. काले चने की चाटकाला चना कई पोषक तत्वों से भरपूर होता है। इसमें विटामिन ए, फॉस्फोरस, पोटैशियम, मैग्नीशियम जैसे जरूरी तत्व पाए जाते हैं। चने में आयरन की मात्रा काफी होती है, जो इसे और पौष्टिक बनाता है। इसे बनाने के लिए एक कप उबले चने लें। इसमें बारीक कटा प्याज, टमाटर और नींबू का रस डालें। तैयार है आपके काले चने की चाट।
- जामुन खाने में जितनी स्वादिष्ट होती हैं उतना ही सेहत के लिए फायदेमंद भी होती हैं। जामुन बारिश के मौसम में बाजार में देखने को मिलती है। पोषक तत्वों से भरपूर जामुन के स्वास्थ्य संबंधी अनेक लाभ हैं। फाइबर, आयरन, कैल्शियम, मैग्नीशियम, जिंक जैसे जरूरी मिनरल्स के साथ ही जामुन में विटामिन सी, एंटीऑक्सीडेंट्स और फ्लेवोनोइड्स भी मौजूद होते हैं, जिससे यह न सिर्फ शरीर को पर्याप्त पोषण प्रदान करने में सहायक है बल्कि कई गंभीर रोगों को भी दूर रखने में मदद करती है। यहां तक कि डायबिटीज के रोगियों के लिए यह एक बेहतरीन फूड है, क्योंकि यह ब्लड प्रेशर कंट्रोल करने में सहायक है।जब हम जामुन का सेवन करते हैं तो इस दौरान बहुत सी सावधानी बरतने की जरूरत होती है। अगर आप जामुन के तुरंत बाद कुछ चीजों का सेवन करते हैं तो इससे सेहत को काफी नुकसान पहुंच सकता है। इस लेख में हम ऐसी चीजों के बारे में जानेंगे जिनका सेवन जामुन खाने के बाद नहीं करना चाहिए।1. भूलकर भी न खाएं अचारअचार खाना वैसे तो सेहत के लिए बहुत फायदेमंद होता है लेकिन अगर जामुन खाने के बाद आप अचार का सेवन करते हैं तो यह कॉम्बिनेशन आपके पेट को नुकसान पहुंचा सकता है। इससे आंतों में सूजन की समस्या हो सकती है और पेट में गैस, उल्टी-दस्त, ब्लोटिंग, अपच, गैस जैसी समस्साएं हो सकती हैं। आपको कम से 1 घंटे तक अचार नहीं खाना चाहिए।2. पानी का सेवन न करेंजामुन खाने के तुरंत बाद अगर आप पानी का सेवन करते हैं तो यह दस्त और उल्टी जैसी समस्याओं पेट संबंधी समस्या का कारण बन सकता है। यही कारण है कि हमारी मम्मी-दादी जामुन खाने के बाद पानी पीने से बचने की सलाह देते हैं। यह खराब पाचन और आंत में सूजन को भी ट्रिगर कर सकता है। आपको जामुन खाने के बाद कम से कम 30-40 मिनट तक पानी पीने से बचना चाहए।3. हल्दी से परहेज करेंअगर आप जामुन खाने के तुरंत बाद हल्दी या हल्दी युक्त किसी चीज का सेवन करते हैं तो इससे पेट में जलन की समस्या हो सकती है। जिसके चलते आप काफी अहसज महसूस कर सकते हैं। अगर आप लगातार जामुन खाने के बाद में हल्दी का सेवन करते हैं तो इससे डाइजेशन भी खराब हो सकता है। आपको जामुन खाने के बाद कम से कम 30 मिनट तक हल्दी युक्त फूड्स का सेवन नहीं करना चाहिए।4. दूध और दूध से बने उत्पाद न खाएंदूध और दूध से बने उत्पाद सेहत के लिए बहुत फायदेमंद होते हैं। लेकिन अगर आप जामुन खाने के बाद डेयरी प्रोडक्ट्स का सेवन करते हैं तो खराब पाचन, अपच, ब्लोटिंग, पेट में गैस जैसी समस्याएं हो सकती हैं। हालांकि, आप आधे घंटे के बाद पानी पी सकते हैं।
- लंबे जीवन के लिए जरूरी है दिल को स्वस्थ रखा जाए और हार्ट को हेल्दी रखने के लिए खाने पीने पर ध्यान देना बहुत जरूरी होता है। इसके लिए आप अपने रोजाना के खाने में कुछ खास नट्स को शामिल कर सकते हैं। ये नट्स आपके लिए इवनिंग स्नैक्स या हल्की फुल्की भूख का हेल्दी ऑप्शन हो सकते हैं। विशेषज्ञों के मुताबिक नट्स में विटामिन, प्रोटीन, कई तरह के मिनरल्स और प्रोटीन पाया जाता है। अगर नियमित तौर पर नट्स का सेवन किया जाए तो दिल को बीमारियों से बचाया जा सकता है।एक निश्चित मात्रा में नट्स का सेवन किया जाए यह शरीर में बैड कोलेस्ट्रॉल लेवल, ब्लड क्लॉट्स के रिस्क को कम करने में मदद करता है। इससे हार्ट में ब्लॉकेज या हार्ट अटैक की संभावना कम हो जाती है। तो आइए आज जानते हैं उन 5 नट्स के बारे में जो न सिर्फ आपके दिल को बीमारियों से दूर रखने में मददगार साबित हो सकते हैं बल्कि शरीर के लिए भी फायदेमंद माने जाते हैं।मूंगफलीमूंगफली में प्रोटीन पर्याप्त मात्रा में पाया जाता है। एक कटोरी मंगूफली का सेवन करने से यह पेट को ज्यादा देर तक भरा होने का अहसास करवाता है, जिससे वजन कंट्रोल करने में मदद मिलती है। जर्नल ऑफ अमेरिकन कॉलेज ऑफ कार्डियोलॉजी की एक स्टडी के मुताबिक अगर सप्ताह 2 बार मूंगफली एक सीमित मात्रा में सेवन किया जाए तो यह दिल से संबंधित बीमारियों के खतरे के जोखिम को 15 फीसदी तक कम कर सकता है।दिल के स्वास्थ्य के लिए काजू है फायदेमंदड्राई फ्रूट्स और नट्स का जिक्र हो और काजू का नाम न आए ऐसा हो ही नहीं सकता है। काजू में ओलिक एसिड पाया जाता है, जो दिल को मजबूत बनाने में मदद करता है। इसके साथ ही काजू में आयरन, जिंक, कॉपर, मैग्नीशियम जैसे कई पोषक तत्व पाए जाते हैं जो शरीर को कई बीमारियों से बचाने में मदद करते हैं। एक शोध के अनुसार रोजाना 7 से 8 काजू का सेवन करने से दिल की बीमारियों से बचा जा सकताहै।दिल और दिमाग दोनों के लिए है अखरोटजब बात आती है दिमाग को तेज बनाने की तो बड़े-बुजुर्ग अखरोट खाने की सलाह देते हैं। ओमेगा 3 फैटी एसिड भरपूर अखरोट दिल और दिमाग दोनों के लिए फायदेमंद होता है। इसमें एंटीऑक्सीडेंट्स और फाइटोस्टेरॉल्स पाए जाते हैं जो ब्लड प्रेशर को कंट्रोल रखने में मदद करते हैं। प्रतिदिन 1 से 2 अखरोट का सेवन करने से हार्ट ब्लॉकेज की प्रॉब्लम से बचा जा सकता है।बादाम भी है दिल के लिए सेहतमंदफाइबर, विटामिन ई, मैग्नीशियम और प्रोटीन से भरपूर बादाम में अनसैचुरेटेड फैट होता है। ये शरीर के खराब कोलेस्ट्रॉल लेवल को कम करते हैं और अच्छे कोलेस्ट्रॉल लेवल को बढ़ाते हैं। जो लोग वजन कम करना चाहते हैं उन्हें भी प्रतिदिन बादाम खाने की सलाह दी जाती है। नियमित रूप से बादाम का सेवन करने से दिल की बीमारियों का खतरा कम हो सकता है।
- कमल ककड़ी को काफी हेल्दी सब्जी माना जाता है। ये कई तरह के पोषक तत्वों जैसे- कार्बोहाइड्रेट्स, फाइबर और एंटीऑक्सीडेंट्स इत्यादि का काफी अच्छा स्त्रोत माना जाता है, जो कई बीमारियों को दूर करने में प्रभावी हो सकते हैं। पोषक तत्वों से भरपूर इस खाद्य पदार्थ को आहार में जोडऩे से आप कई तरह की बीमारियां जैसे- पेट में अल्सर, सूजन, डायबिटीज, गट हेल्थ इत्यादि में सुधार कर सकते हैं।100 ग्राम कमल ककड़ी में मौजूद पोषक तत्वकैलोरी - 86प्रोटीन - 1.54कार्बोहाइड्रेट - 15.5 ग्रामकैल्शियम - 26 द्वद्दमैग्नीशियम - 21 द्वद्दपोटैशियम - 352 द्वद्दफास्फोरस - 76 द्वद्दआयरन - 0.87 द्वद्दकमल ककड़ी के फायदेलिवर को रखे सुरक्षितकमल ककड़ी का सेवन करने से आप फैटी लिवर की परेशानी को दूर सकते हैं। दरअसल, कमल ककड़ी में मौजूद एंटी-इंफ्लेमेटरी गुण सीरम एडिपोनेक्टिन के स्तर को बढ़ा सकती हैं, जो लिवर को सुरक्षित रखने में असरदार होती हैं।पेट के अल्सर से करे बचावपेट के अल्सर से बचाव करने में कमल ककड़ी का सेवन किया जा सकता है। इसमें एंटीऑक्सीडेंट्स और एंटी-इंफ्लेमेटरी गुण पाए जाते हैं, जो गैस्ट्रोप्रोटेक्टिव प्रभाव को बढ़ाते हैं, जिससे पेट के अल्सर में होने वाली परेशानी कम हो सकती है।सूजन करे कमकमल ककड़ी में लिनोलिक एसिड होता है, जो फैटी एसिड इंफ्लेमेटरी प्रतिक्रयाओं को कम करने में मददगार हो सकता है। साथ ही यह हेपेटाइटिस और ऑटोइम्यून बीमारियों जैसी - अर्थराइटिस, यूरिक एसिड की वजह से होने वाली सूजन को कम करने में आपकी मदद कर सकता है।डायबिटीज करे कंट्रोलकमल ककड़ी में डायबिटीज को कंट्रोल करने का गुण होता है। यह आपके शरीर में ब्लड शुगर को कंट्रोल कर सकता है। रिसर्च में देखा गया है कि कमल ककड़ी से ग्लूकोज का स्तर कंट्रोल होता है। साथ ही यह इंसुलिन को बढ़ाने में प्रभावी हो सकता है।पाचन क्रिया और वजन करे कमकमल ककड़ी में फाइबर भरपूर रूप से होता है, जो पाचन क्रिया को दुरुस्त कर सकता है। साथ ही पाचन क्रिया बेहतर होने से आपका मेटाबॉलिज्म बूस्ट होता है। इससे वजन कंट्रोल करने में मदद मिलती है।एलर्जी का करे इलाजकमल ककड़ी के सेवन से एलर्जी की प्रतिक्रिया को कम किया जा सकता है। दरअसल, इसमें विटामिन सी और अन्य पॉलीफेनोलिक यौगिक होते हैं, जो सीरम हिस्टामाइन (कोशिकाओं द्वारा रिलीज किया गया एक ऐसा यौगिक जो एलर्जी प्रतिक्रियाओं को ट्रिगर करता है) के स्तर को कम करने में आपकी मदद कर सकते हैं।कमल ककड़ी के नुकसानकमल ककड़ी स्वास्थ्य के लिए काफी फायदेमंद होती है। हालांकि, ध्यान रखें कि इससे कुछ लोगों को एलर्जी की समस्या हो सकती है। वहीं, अगर आप अधिक मात्रा में इसका सेवन करते हैं, तो इससे अपच, कब्ज जैसी समस्याएं भी हो सकती हैं।
- शरीर में गैस बनना एक सामान्य समस्या है, लेकिन इससे व्यक्ति काफी परेशान हो जाता है। गैस शरीर के किसी भी हिस्से में बन सकती है। इनमें से एक है आंत। जी हां, आंतों में भी गैस बन सकती है। इस दौरान पेट दर्द, पेट फूलना और कब्ज जैसे लक्षण व्यक्ति में नजर आ सकते हैं। कामिनेनी अस्पताल, हैदराबाद के वरिष्ठ सामान्य चिकित्सक और मधुमेह विशेषज्ञ डॉक्टर मुक्शीथ कादर से जानें आंतों में गैस बनने के लक्षण, कारण और बचाव के उपाय-आंतों में गैस के लक्षणपेट फूलना, पेट में दर्द होना, गुदा से बार-बार गैस निकलना, छाती में दर्द होना, पेट का आकार बढ़ा होना, दबाव जैसा महसूस होना।आंतों में गैस बनने के कारण1. शरीर में हवा ले जानाअत्यधिक पेट फूलना खाने या पीने के दौरान बहुत अधिक हवा निगलने के कारण होता है। अगर आपको बहुत अधिक गैस बनती है, तो इसका मुख्य कारण शरीर में हवा प्रवेश करना हो सकता है। यानी जब शरीर में हवा जाती है, तो गैस बन सकती है। यह गैस डकार या गैस के रूप में बाहर निकलती है।2. कुछ खाद्य पदार्थकुछ खास तरह के खाद्य पदार्थ भी गैस बढ़ाने में अहम भूमिका निभाते हैं। इन खाद्य पदार्थों में ब्रसेल्स स्प्राउट्स, अंकुरित नट्स, गोभी, बीन्स, शतावरी, ब्रोकोली, मूंगफली, सेब, फलों का रस, कृत्रिम मिठास, दूध, ब्रेड, आइसक्रीम, गेहूं, आलू, नूडल्स और मटर शामिल हैं।3. खाने के साथ पानी पीनाकई लोग खाना खाने के साथ-साथ पानी पीते रहते हैं, यह भी गैस का कारण बन सकता है। साथ ही खाना खाने के तुरंत बाद पानी पीना भी गैस पैदा कर सकता है। इसलिए आपको खाना खाने से आधे घंटे और खाना खाने के एक घंटे बाद पानी पीना चाहिए। भोजन के दौरान पानी पीने से बचें।4. खाने के बाद वॉक न करनाखाना खाने के बाद 10-15 मिनट वॉक करने की सलाह हमेशा दी जाती है। जो लोग खाना खाने के बाद तुंरत लेट जाते हैं या बैठे रहते हैं, उनमें आंतों में गैस बनने की समस्या अधिक देखने को मिलती है। आंतों में गैस बनने से बचने के लिए आपको खाना खाने के बाद वॉक जरूर करना चाहिए। इससे पाचन क्रिया में सुधार होता है, गैस और कब्ज से बचाव होता है।गैस से छुटकारा कैसे पाएं?-अक्सर आप जो खाते हैं उसके कारण गैस होती है। भोजन मुख्य रूप से आपकी छोटी आंत में पचता है। कई लोगों के लिए आहार की आदतों को बदलना गैस और उसके साथ होने वाले लक्षणों को कम करने के लिए पर्याप्त है।-उच्च फाइबर खाद्य पदार्थों को अपनी डाइट में शामिल करें।-हाई फैट, तला मसालेदार भोजन और कार्बोनेटेड पेय से दूरी बनाकर रखें।-पुदीने की चाय गैस की समस्या से छुटकारा दिला सकता है।-खाना खाने से पहले सेब का सिरका पानी के साथ लेने से गैस की समस्या दूर होती है।-शारीरिक रूप से सक्रिय रहें। व्यायाम या योग को अपनी जीवनशैली में शामिल करें।आंतों में गैस बनने से रोकने के उपाय-हर चीज आराम से बैठकर खाएं और अच्छी तरह से चबाकर खाएं।-खाना खाते समय बात करने से बचें। इससे पेट में हवा प्रेवश कर सकता है, जो गैस का कारण बनता है।-च्युइंग गम चबाना बंद करें। साथ ही सोडा और अन्य कार्बोनेटेड पेय पीने से बचें।-व्यायाम को अपनी दिनचर्या में शामिल करें। खाना खाने के बाद टहलने की आदत बनाएं।अगर आपको भी अक्सर गैस बनती हैं, तो आपको अपनी आदतों और डाइट में बदलाव करके देखना चाहिए। अगर फिर भी गैस बने, तो डॉक्टर से कंसल्ट करना चाहिए।
- आजकल की अनहेल्दी लाइफस्टाइल, वर्क शेड्यूल और बीमारियों के चलते मोटापा एक आम समस्या बन गया है। खास कर घर पर या ऑफिस में घंटों बैठकर काम करने वाले लोग बढ़ते हुए पेट यानी की बै बेली फैट से परेशान हैं। अगर आप भी बेली फैट से छुटकारा पाने की चाहत रखते हैं, तो बॉलीवुड एक्ट्रेस भाग्यश्री का फिटनेस फॉर्मूला अपना सकते हैं। भाग्यश्री ने ऑफिशियल इंस्टाग्राम हैंडल से एक वीडियो शेयर कर अपना फिटनेस सीक्रेट शेयर किया है। इस वीडियो को शेयर करते हुए भाग्यश्री ने कैप्शन में लिखा, 'दुबला होना और मजबूत होना दो अलग-अलग चीजें हैं। मेरे लिए एक फ्लैट टमी की तुलना में टाइट कोर होना ज्यादा जरूरी है।' भाग्यश्री ने अपने वीडियो में 3 एक्सरसाइज के बारे में बताया है, जो बेली फैट को कम करने और कोर को मजबूत करने में फायदेमंद हैं।खास बात यह है कि इन एक्सरसाइज को करने के लिए आपको जिम जाने की जरूरत नहीं हैं। आप घर पर 10 से 15 मिनट का समय निकालकर इसे आसानी से कर सकते हैं।टो टचइसको करने के लिए डॉग पोज की मुद्रा में आएं और हाथों से पैरों की उंगलियों को टच करने की कोशिश करें। हर बार जब आप पैरों की उंगलियों को छुएं तो ध्यान दें कि पीठ बिल्कुल सीधी हो। आप इस प्रक्रिया को 3 से 4 बार दोहरा सकते हैं।प्लैंकयह एक्सरसाइज बेली फैट के साथ-साथ हाथों पर चढ़ी हुई चर्बी को खत्म करने में मदद करती है। प्लैंक को करने के लिए दो छोटे डंबल लें और डॉग पोजिशन में हाथों का सहारा लेते हुए उठें। अब भाग्यश्री की तरह एक हाथ को उठाते हुए एक्सरसाइज करें। आप एक दिन में प्लैंक के 3 से 5 सेट कर सकते हैं।सिट अप्सनाम से ही जाहिर है कि इस एक्सरसाइज में पूरी बॉडी की उठक- बैठक हो जाती है। इसको करने के लिए योगा मैट या जमीन पर आराम से लेट जाएं। हाथों में कोई हल्की चीज जैसे- बॉल या तकिया लें और ऊपर-नीचे उठक- बैठक करें। इसको करते वक्त ध्यान दें कि ऊपर आते समय ही सांस छोडऩी है।भाग्यश्री की तरह हमेशा फिट दिखने के लिए आप रेगुलर बेसिस पर इन एक्सरसाइज को आराम से सप्ताह में 3 दिन कर सकते हैं। इन तीनों एक्सरसाइज को करते समय आपको बस बॉडी पॉश्चर का ध्यान रखना होगा। अगर आपको पीठ, कमर या घुटने में दर्द है अथवा किसी तरह की स्वास्थ्य समस्या है, तो इन एक्सरसाइज को करने से पहले डॉक्टर या फिटनेस ट्रेनर की सलाह जरूर लें।
- बॉलीवुड फिल्म "इश्क विश्क" की एक्ट्रेस शेनाज ट्रेजरी ने खुलासा किया है कि प्रोसोपैग्नोसिया नामक बीमारी से पीडि़त हैं। एक्ट्रेस ने इंस्टाग्राम पर स्टोरी शेयर करते हुए अपनी स्थिति बताई है। प्रोसोपैग्नोसिया के अर्थ को समझाने के लिए उन्होंने स्टोरी पर इस विकार से जुड़े हुए स्क्रीनशॉट शेयर किए हैं। बता दें कि हाल ही में हॉलीवुड स्टार ब्रैड पिट ने भी इस बात का खुलासा किया था कि उन्हें प्रोसोपैग्नोसिया है। इस स्थिति में उन्हें लोगों के चेहरे याद नहीं रहते हैं।एक्ट्रेस शेनाज ट्रेजरी ने अपने इंस्टाग्राम पोस्ट पर लिखा, "मुझे पता चला है कि मैं प्रोसोपैग्नोसिया से ग्रसित हूं। अब मुझे समझ आ गया है कि मैं चेहरे को एक साथ याद क्यों नहीं रख पाती हूं? यह एक कॉगनेटिव डिसऑर्डर है। मुझे शर्म आती है कि मैं चेहरे को पहचान नहीं सकती हूं, मैं बस आवाजें पहचानती हूं।" बता दें कि प्रोसोपैग्नोसिया एक मानसिक स्थिति है, जिसमें लोगों को चेहरा याद नहीं रहता है।क्या है प्रोसोपैग्नोसियादिल्ली के एसएल रहेजा हॉस्पिटल के कंसल्टेंट न्यूरोलॉजिस्ट डॉक्टर कौस्तुभ महाजन का कहना है कि प्रोसोपैग्नोसिया एक तरह की मानसिक समस्या है, जिससे पीडि़त व्यक्ति लोगों की पहचान करने में सक्षम नहीं हो पाता है। इससे पीडि़त व्यक्ति को अनजान या ज्ञात चेहरों को याद रखने की क्षमता नहीं होती है। ऐसे में कई बार सामने वाले व्यक्ति को लगता है कि वह उसे इग्नोर कर रहा है या फिर जान कर ऐसा कर रहा है। यह काफी दुर्लभ स्थिति है। इस तरह की समस्या लगभग दो प्रतिशत लोगों में देखी गई है।प्रोसोपैग्नोसिया के कारणमस्तिष्क के फ्यूजीफॉर्म गाइरस हिस्से में किसी तरह की समस्या, क्षति या फिर चोट लगने की वजह से प्रोसोपैग्नोसिया होने का खतरा रहता है। इस तरह की समस्या में टेम्पोरल लोब का एक हिस्सा प्रभावित होता है। मस्तिष्क के इस हिस्से का इस्तेमाल चेहरे को याद करने के लिए किया जाता है। ध्यान रखें कि यह स्थिति मेमोरी लॉस, ब्लाइंडमेड या किसी अन्य विकलांगता की वजह से नहीं होता है।प्रोसोपैग्नोसिया के लक्षण-चेहरा याद न रहना प्रोसोपैग्नोसिया का आम लक्षण है। इसके अलावा कई बार ऐसे व्यक्ति के लिए चेहरों के बीच अंतर करना मुश्किल हो सकता है।-इस समस्या सेगंभीर रूप से प्रभावित व्यक्तियों में ऐसे लोगों को पहचानने की भी क्षमता नहीं रह जाती है, जिनसे वो रोज मिल रहा होता है जैसे- परिवार के सदस्य, सहकर्मी, पड़ोसी आदि।-पीडि़त व्यक्ति जब किसी को देखता है या फिर मिलता है, तो वह उसके चेहरे को पहचानने की बजाय उनकी विशेषताओं को याद रखने की कोशिश करता है।-इसके अलावा इस समस्या के कुछ अन्य लक्षण भी हो सकते हैं, जैसे--सार्वजनिक स्थानों पर जाने में असहज महसूस करना।-दोस्त बनाने में परेशानी होना।-बाहर न जाना।-घर में अधिक समय बिताना-स्कूल, कॉलेज और ऑफिस जैसे स्थानों पर अलग-थलग रहना।प्रोसोपैग्नोसिया का इलाजडॉक्टर महाजन बताते हैं कि प्रोसोपैग्नोसिया का कोई विशेष इलाज नहीं है। यदि किसी व्यक्ति के मस्तिष्क में चोट या फिर ब्लड क्लॉट की परेशानी हुई है, तो इसका समय पर इलाज होना जरूरी है। समय पर इलाज के जरिए प्रोसोपैग्नोसिया होने की संभावना को कम किया जा सकता है। इसके साथ ही कुछ प्रशिक्षण प्रोग्राम के जरिए पीडि़त व्यक्ति को चेहरा पहचानने में मदद मिल सकती है, जैसे- व्यक्ति की आवाज को याद रखना, शरीर पर टैटू इत्यादि।ध्यान रखें कि प्रोसोपैग्नोसिया की स्थिति के कारण पीडि़त व्यक्ति के व्यक्तिगत संबंधों पर प्रभाव पडऩे की संभावना बढऩे लगती है। ऐसे में पीडि़त व्यक्ति मानसिक रूप से परेशान रहने लगता है और उसे डिप्रेशन, चिंता जैसी समस्याएं हो सकती हैं। इस स्थिति में व्यक्ति को डॉक्टर से सलाह की जरूरत होती है।
- साउथ इंडियन फूड्स, जैसे डोसा, इडली-सांभर, अप्पे और वड़े को ब्रेकफास्ट का हेल्दी वर्जन माना जाता है। इनको बनाने में चावल, दाल, हल्दी, करी पत्ता, राई का इस्तेमाल किया जाता है, इसलिए ये स्वास्थ्य के लिए अच्छे माने जाते हैं। बनाने में आसान होने की वजह से ज्यादातर लोग इडली और अप्पे को नाश्ते में ज्यादा तवज्जो देते हैं। हालांकि अक्सर इस बात को लेकर कंफ्यूजन बनी रहती है कि इन दोनों में से ज्यादा हेल्दी मील कौन सा है। आज आपकी इसी परेशानी को दूर करने के लिए हम बताने जा रहे हैं अप्पे और इडली में से कौन ज्यादा हेल्दी है।इडली क्यों मानी जाती है हेल्दी?चावल, उड़द की दाल और मेथी से बनने वाली इडली आज ब्रेकफास्ट में काफी पापुलर है। जो लोग वजन घटाना चाह रहे हैं वो भी इडली को नाश्ते में बहुत चाव से खाते हैं। इसे स्टीम करके बनाया जाता है, जिसकी वजह इसमें कैलोरी बहुत कम पाई जाती है। एक इडली में लगभग 40 कैलोरी होती है, जिसे वजन घटा रहे लोग आराम से खा सकते हैं।अप्पे क्यों होते हैं हेल्दी?पारंपरिक तौर पर अप्पे को चावल और उड़द दाल के घोल से बनाया जाता है। कुछ लोग सूजी, दही और सब्जी को मिक्स करके भी अप्पे बनाते हैं। अप्पे में फाइबर पाया जाता है जो हेल्दी बॉडी के लिए बहुत जरूरी है। डाइटिशियन के मुताबिक 4-5 अप्पे में 43 कैलोरी होती है, इससे वजन कम करने या हेल्दी ब्रेकफास्ट के तौर पर लेना अच्छा है।इडली और अप्पे में कौन ज्यादा हेल्दी है?इडली और अप्पे दोनों ही चावल और उड़द की दाल से बनते हैं इसलिए इन्हें खाने से लंबे समय तक पेट भरा रहता है। अगर आप नाश्ते में 2 से 3 इडली या 10 अप्पे खाते हैं तो यह भूख को कंट्रोल करने में मदद करता है, जिससे वजन भी मैनेज रहता है।इडली और अप्पे दोनों ही पेट के लिए अच्छे माने जाते हैं। जिन लोगों को गर्मियों या मानसून के मौसम में कब्ज, पेट में दर्द जैसी समस्या हो रही है वो भी इन साउथ इंडियन फूड्स का सेवन बिना कुछ सोचे समझे कर सकते हैं। एक्सपट्र्स का कहना है कि जो लोग इडली और अप्पे को और भी हेल्दी बनाना चाहते हैं वो इन्हें ओट्स से बना सकते हैं।इडली में कार्बोहाइड्रेट्स, प्रोटीन, फैट्स, अमिनो एसिड और फाइबर की मात्रा अधिक होती है। इसके अलावा इडली में सोडियम भी प्रचुर मात्रा में पाया जाता है। यह सभी चीजें हड्डियों और किडनी को स्वस्थ रखने में मदद करती है। इसलिए सेहत के लिहाज से इडली और अप्पे दोनों ही हेल्दी होते हैं।किन्हें नहीं खाना चाहिए इडली और अप्पेइडली और अप्पे फर्मेंटेड फूड्स होते हैं, अगर ज्यादा मात्रा में इसका सेवन किया जाए तो यह शरीर में सूजन, सिर दर्द का कारण बन सकते हैं। अगर पेट से संबंधित कोई समस्या है तो नाश्ते में इडली या किसी भी साउथ इंडियन फूड का सेवन करने से बचें।-----
- फिटकरी एक रंगहीन क्रिस्टलीय पदार्थ हैं। जिसका इस्तेमाल पानी को साफ करने के साथ-साथ आफ्टर शेव लोशन के तौर पर इस्तेमाल किया जाता है। इसके अलावा दांतों को साफ करने के लिए भी इसका उपयोग किया जाता है। लेकिन इन सबके अलावा भी फिटकरी हमारे सेहत को कई तरह से फायदा पहुंचाता है। आइए जानते से फिटकरी से मिलने वाले कई और फायदें।1.एंटी एजिंग का काम करता है फिटकरीफिटकरी में एक प्राकृतिक एंटी एजिंग गुण मौजूद होते हैं। इसे पानी में भिगोकर चेहरे पर धीरे-धीरे लगाने से झुर्रियां दूर हो जाती है। इसके अलावा पिंपल्स से भी छुटकारा मिलता है। इसके साथ चेहरे पर मौजूद दाग धब्बे हट जाते हैं। इसे नियमित रूप से इस्तेमाल करके अपनी खूबसूरती को हमेशा के लिए बरकरार रख सकते हैं।2. शरीर और पसीने के बदबू को करता है दूरफिटकरी को पानी में डालकर नहाना अच्छा होता है। इससे शरीर पर जमी हुई गंदगी और कीटाणु खत्म हो जाते हैं। इसके साथ ही शरीर से निकलने वाले पसीने की बदबू को दूर करता है।3. दांतों के लिए फायदेमंदफिटकरी में एंटी बैक्टीरियल तत्व पाए जाते हैं। फिटकरी पाउडर से अगर आप दांतों की मसाज करते हैं तो सारे बैक्टीरिया मर जाते हैं। दांत दर्द दूर होता है। इसके साथ ही मुंह की बदबू भी खत्म हो जाती है। दांत चमकीले बनते हैं।3. यूरीन इंफेक्शन को करता है कमयूरीन संबंधी समस्या या इंफेक्शन से परेशान हैं तो फिटकरी इसे दूर करने में मदद कर सकता है। फिटकरी के पानी से यूरीन वाले हिस्से को साफ करना चाहिए। इससे इससे बैक्टीरिया खत्म हो जाएंगे और इंफेक्शन फैलने से रूक जाएगा।4. खांसी-बलगम से राहतसर्दी में जब खांसी और बलगम की समस्या हो तो फिटकरी से इसे दूर किया जा सकता है। शहद में फिटकरी का चूर्ण मिलाकर लेने से राहत मिलती है।5. घाव भरने का करती है कामफिटकरी से किसी भी चोट को ठीक करने में मदद मिलती है। अगर कही कट लग जाता है तो फिटकरी लगाने से खून रूक जाता है और इंफेक्शन नहीं फैलता है। हालांकि कुछ केस में फिटकरी से नुकसान भी होता है।आइए जानते हैं साइड इफेक्ट------------फिटकरी को सूंघने से गले और नाक में जलन होता है। खांसी, घरघराहट और सांस लेने में तकलीफ हो सकती है।-ज्यादा मात्रा में फिटकरी चेहरे पर लगाने से स्किन में जलन और रैशेज हो सकती है। इसके अलावा अगर पानी में मिलाई गई फिटकरी जब आंखों के संपर्क में आती है तो जलन होने की वजह बन सकती है।
- बारिश की बूंदे और हाथों में चाय की प्याली शायद ही कोई हो जिसे ये दोनों चीजें पसंद नहीं होती है। बरसात के मौसम में सबसे ज्यादा किसी चीज की तलब होती है वो गरमा गर्म चाय। वैसे तो हर घर में चाय बनाने के तरीके अलग होते हैं। ज्यादातर लोग अदरक वाली चाय पीना पसंद करते हैं। तो कुछ उसमें इलाइची डालकर पीते हैं। लेकिन हम आपके लिए लेकर आए हैं अदरक मसाला वाली चाय। चाय में तीन सीक्रेट मसाला डालकर आप चाय के स्वाद को और भी बढ़ा सकते हैं। आइए बता हैं चाय की बेहद आसान रेसिपी जो बारिश का मजा दोगुना कर देगा।अदरक मसाला चाय रेसिपी----------इस चाय को बनाने के लिए मसाला तैयार करना होगा।-दालचीनी, इलायची और लौंग लेकर इसे पीस लें।-अदरक को अलग से कूट लें।-एक सॉस पैन स्टोव पर रखें और पानी को उबाल लें। इसमें पहले अदरक डालकर उबाले और फिर स्वाद के अनुसार मसाला डाल दें।-इसके बाद चाय पत्ती डालें। अच्छी तरह उबाल आने पर चीनी डालें। जब चाय की पत्तियां रंग छोड़ दे तो फिर इसमें दूध डालें। उबाल आने पर इसे गैस से उतार लें।-इसके बाद चाय को छान लें और फैमिली के साथ इस टेस्टी चाय का आनंद लें।है ना अदरक मसाला चाय की आसान रेसिपी। आप चाहे तो दालचीनी, लौंग और इलाइची का पाउडर बनाकर स्टोर कर लें। जब जरूरत हो तो इसका इस्तेमाल कर सकती हैं।चाय का इतिहास----------चलिए इसके साथ चाय के इतिहास के बारे में भी थोड़ी सी जानकारी दे दें। भारत के चाय प्रेमी को लगता है कि इसका आविष्कार भारत में हुआ, जो कि गलत है। चाय का आविष्कार चीन में हुआ था। कहा जाता है कि करीब 2700 ईसापूर्व चीनी शासक शेन नुंग बगीचे में बैठे थे। वो गर्म पानी पी रहे थे। तभी एक पेड़ की पत्ती उस पानी में आ गिरी और उसका रंग बदल गया और खुशबू भी आई। राजा ने जब पत्ती वाला पानी पिया तो उन्हें बहुत पसंद आया। कहा जाता है इस तरह चाय का आविष्कार हुआ।
- लगभग हर प्रकार के खाने में लहसुन का इस्तेमाल किया जाता है। यह ना सिर्फ खाने में स्वाद को बढ़ाता है, बल्कि यह सेहत के हिसाब से भी बेहद फायदेमंद माना जाता है। दाल हो, सब्जी हो या चाइनीस डिश लहसुन का इस्तेमाल जरूर होता है। लेकिन लहसुन को छीलना बेहद टाइम टेकिंग काम होता है और इसे छीलने से उंगलियों में भी दर्द होने लगता है। ऐसे में आज हम आपको बताते हैं लहसुन छीलने के 6 आसान तरीके, जिसके जरिए आप झटपट लहसुन छील सकते हैं, वह भी बिना किसी मेहनत के...लहसुन छीलने का आसन तारीका1. लहसुन को छीलने का सबसे आसान तरीका यह है कि लहसुन की कली को एक कपड़े में रखें और अब कपड़े को ढ़ककर उसे जोर से हाथ से मलिए। आप चाहे तो बेलन से भी मल सकते हैं। आप देखेंगे अपने आप ही लहसुन का छिलका उतर जाता है और कचरा कपड़े में रह जाता है।2. लहसुन छीलने का तरीका जो काफी लोकप्रिय है उसमें आप लहसुन को बीच से काट लीजिए। अब उसे प्लेट के ऊपर रखें और ऊपर से चाकू की मदद से ठोके। आप देखेंगे कि अपने आप ही लहसुन की कलियां छिलकों से अलग हो जाएंगी।3. इसके अलावा लहसुन को छीलने के लिए आप इसे हल्का सा तवा पर गर्म कर लें। इससे इसके छिलके आसानी से उतर जाते हैं।4. अगर आप घर में माइक्रोवेव का इस्तेमाल करते हैं तो लहसुन को छीलने के लिए इसे 30 सेकेंड के लिए माइक्रोवेव कर लें और जब आप इसे बाहर निकालेंगे तो उसके छिलके आसानी से उतर जाएंगे।5. लहसुन छीलने का एक आसान तरीका यह भी है कि दो कटोरिओं के बीच में लहसुन को रखें और उस कटोरी को जोर-जोर से हिलाएं। आप देखेंगे कटोरी को खोलने के बाद इसके छिलके अपने आप ही उतरे मिल जाएंगे।6. लहसुन को छीलने के लिए आप इसे आधे घंटे पहले गर्म पानी में भिगोकर रख दें। इससे इसके छिलके आसानी से उतर जाते हैं और लहसुन में लगी धूल-मिट्टी भी निकल जाती है।
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शारीरिक संरचना और संतुलन को बेहतर बनाए रखने के लिए हड्डियों का स्वस्थ रहना बहुत आवश्यक माना जाता है। इसमें होने वाली किसी भी तरह की समस्या का असर पूरी सेहत को प्रभावित कर सकता है। हड्डियों की समस्या के कारण जीवनशैली के सामान्य कामकाज करने तक में दिक्कत हो सकती है, यही कारण है कि स्वास्थ्य विशेषज्ञ सभी लोगों को हड्डियों को स्वस्थ रखने वाले उपाय करते रहने की सलाह देते हैं।
कुछ वर्षों पहले तक हड्डियों की समस्या को उम्र बढ़ने के साथ होने वाली दिक्कतों के तौर पर देखा जाता था, हालांकि पिछले कुछ वर्षों में कम आयु के लोगों में भी इस तरह की दिक्कतों का निदान किया जा रहा है।
विशेषज्ञों की मानें तो पिछले कुछ वर्षों में लोगों में बढ़ी आहार और जीवनशैली की गड़बड़ आदतों ने कम उम्र में ही हड्डियों से संबंधित खतरों को बढ़ा दिया है। यही कारण है कि ज्यादातर लोगों में 30 साल की उम्र तक पहुंचते-पहुंचते हड्डी के द्रव्यमान में कमी की समस्या देखी जा रही है। ये स्थितियां आगे चलकर ऑस्टियोपोरोसिस या आर्थराइटिस जैसी समस्याओं के जोखिम को बढ़ा देती हैं। हड्डियों को स्वस्थ रखने में आहार की विशेष भूमिका होती है, ऐसे में सभी लोगों को स्वस्थ और पौष्टिक चीजों के सेवन पर अधिक ध्यान देना चाहिए। आइए जानते हैं कि दैनिक जीवन और खान-पान की कौन सी खराब आदतें हड्डियों की समस्या को बढ़ा देती हैं, साथ ही इनसे कैसे बचाव किया जा सकता है?
बहुत अधिक प्रोटीन का सेवन
मांसपेशियों को स्वस्थ रखने और शरीर को बेहतर ढंग से काम करते रहने के लिए प्रोटीन वाली चीजों का सेवन करना बहुत आवश्यक माना जाता है, हालांकि यदि आप प्रोटीन का सेवन बहुत अधिक मात्रा में करते हैं तो इससे हड्डियों को नुकसान भी हो सकता है। बहुत अधिक मात्रा में प्रोटीन वाली चीजों के सेवन की स्थिति में शरीर को अधिक मात्रा में कैल्शियम का उत्सर्जन करना पड़ता है जिससे हड्डियों को यह आवश्यक खनिज पर्याप्त मात्रा में नहीं मिल पाता है। कैल्शियम की कमी हड्डियों को कमजोर कर देती है।
सेंडेंटरी लाइफस्टाल के नुकसान
सेंडेंटरी लाइफस्टाल यानी कि शारीरिक निष्क्रियता के शरीर पर कई प्रकार के दुष्प्रभाव हो सकते हैं, हड्डियों की समस्याएं भी इनमें से एक हैं। एक ही स्थान पर ज्यादा देर तक बैठे रहने या फिर घर के अंदर रहने की ही आदत आपके लिए मुश्किलें बढ़ा सकती है। यह आदत न सिर्फ शारीरिक निष्क्रियता को बढ़ाती है साथ ही आपका सूर्य के प्रकाश से संपर्क भी कम हो जाता है।
सूरज की रोशनी विटामिन-डी का अच्छा स्रोत है, जो कैल्शियम के अवशोषण के लिए आवश्यक है। ऐसे में घर से बाहर न जाने की आदत भी आपकी हड्डियों के लिए नुकसानदायक हो सकती है।
धूम्रपान से शरीर को होने वाले नुकसान
सोडियम वाली चीजों के अधिक सेवन को हाई ब्लड प्रेशर के कारक के तौर पर जाना जाता है, पर क्या आप जानते हैं कि इससे हड्डियों को भी नुकसान पहुंचता है। सोडियम के साथ-साथ धूम्रपान को भी हड्डियों के लिए नुकसानदायक माना जाता है। शोध के अनुसार, धूम्रपान करने वाली महिलाओं में एस्ट्रोजन हार्मोन का उत्पादन कम हो जाता है जिससे समय पहले रजोनिवृत्ति हो सकती है। यह स्थिति आपमें ऑस्टियोपोरोसिस जैसे हड्डियों के तमाम रोगों के जोखिम को बढ़ा देती है।
हड्डियों को स्वस्थ रखने के लिए क्या करें?
हरी सब्जियों का सेवन करें।
नियमित रूप से योग-व्यायाम की आदत बनाएं।
कैल्शियम और विटामिन-डी वाली चीजों का सेवन करें।
शराब-धूम्रपान से हड्डियों को नुकसान पहुंचता है, इससे परहेज करें।
हड्डियों को स्वस्थ रखने के लिए सूर्य के संपर्क में रहने की कोशिश करें। -
शरीर को व्यवस्थित ढंग से काम करते रहने के लिए कई प्रकार के पोषक तत्वों की नियमित रूप से आवश्यकता होती है। इन पोषक तत्वों के संतुलन में आने वाली कमी कई प्रकार की जटिलताओं का कारण बन सकती है। कॉपर ऐसा ही एक आवश्यक ट्रेस मिनरल है जो शरीर को स्वस्थ रखने के लिए अति आवश्यक माना जाता है। कॉपर शरीर के सभी ऊतकों में पाया जाता है और मुख्यरूप से लाल रक्त कोशिकाओं के निर्माण और तंत्रिका कोशिकाओं तथा प्रतिरक्षा प्रणाली को स्वस्थ बनाए रखने में मदद करता है।
यही कारण है कि स्वास्थ्य विशेषज्ञ सभी लोगों को आहार में उन चीजों को शामिल करने की सलाह देते हैं जिससे शरीर के लिए जरूरी सभी पोषक तत्वों की आसानी से पूर्ति की जा सके।
अध्ययनों से पता चलता है कि शरीर में कॉपर की अधिकता और कमी, दोनों ही स्थितियां शारीरिक कार्यों, विशेषकर मस्तिष्क के काम करने के तरीके को प्रभावित कर सकती है। जिन लोगों में कॉपर की कमी होती है उनमें मेनकेस और अल्जाइमर जैसी समस्याओं का खतरा बढ़ जाता है।
आइए जानते हैं कि इसे कैसे प्राप्त किया जा सकता है, साथ ही कॉपर युक्त चीजों के सेवन से क्या लाभ हैं?
कॉपर वाले आहार
विशेषज्ञ बताते हैं कि आहार के माध्यम से आसानी से कॉपर की पूर्ति की जा सकती है। 20 वर्ष और उससे अधिक उम्र के पुरुषों को 1,400 माइक्रोग्राम और महिलाओं के लिए 1,100 माइक्रोग्राम की मात्रा में इस पोषक तत्व की रोजाना जरूरत होती है। कई प्रकार की सब्जियों जैसे कद्दू, आलू, टमाटर आदि से इसकी आसानी से पूर्ति की जा सकती है। इसके अलावा पत्तेदार साग जैसे स्विस चर्ड और पालक आसानी से आपके कॉपर की दैनिक आवश्यकताओं को पूरा कर सकते हैं। आइए इससे होने वाले फायदों के बारे में जानते हैं।
गठिया से बचाव के लिए करें सेवन
हड्डियों से संबंधित समस्या जैसे गठिया या ऑस्टियोपोरोसिस रोगों से बचाव के लिए कॉपर वाले आहार का सेवन करना विशेष लाभप्रद हो सकता है। पशुओं पर किए गए अध्ययनों से संकेत मिलता है कि कॉपर युक्त आहार गठिया को रोकने में मदद कर सकते हैं। पहले लोग इसी कारण से तांबे के कंगन पहनते थे। आहार में इसकी मात्रा को सुनिश्चित करना बहुत आवश्यक माना जाता है। कॉपर की कमी की स्थिति में शरीर क्षतिग्रस्त ऊतकों को ठीक नहीं कर पाता है।
कैसा होना चाहिए आहार?
कॉपर हमारे शरीर के प्रमुख संरचनात्मक घटकों जैसे कोलेजन और इलास्टिन को व्यवस्थित बनाए रखने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। वैज्ञानिकों ने अध्ययन में पाया कि कॉपर में एंटीऑक्सीडेंट गुण होते हैं जो त्वचा की उम्र बढ़ने को रोकने में मदद कर सकते हैं। कॉपर की कमी की स्थिति में शरीर क्षतिग्रस्त ऊतकों को ठीक नहीं कर पाता है।
प्रतिरक्षा प्रणाली की समस्या
शरीर की इम्युनिटी को बेहतर बनाए रखने के लिए कॉपर की महत्वपूर्ण आवश्यकता होती है। इसकी कमी के कारण न्यूट्रोपेनिया होने का खतरा बढ़ सकता है। न्यूट्रोपेनिया, सफेद रक्त कोशिकाओं या न्यूट्रोफिल की कमी की स्थिति है, ये संक्रमण से मुकाबले के लिए आवश्यक होता है। न्यूट्रोफिल में कमी के कारण व्यक्ति में संक्रामक रोग होने की आशंका काफी बढ़ जाती है। -
गर्मी में लोग स्किन और हाइड्रेशन की समस्याओं से परेशान रहते हैं, वहीं मॉनसून या बारिश के मौसम में इंफेक्शन जैसी प्रॉब्लम्स ज्यादा तंग करती हैं. इस मौसम में बैक्टीरिया तेजी से पनपता है और इस कारण फंगल इंफेक्शन होने के ज्यादा आसार बने रहते हैं. एक्सपर्ट्स के मुताबिक मौसम में नमी होने के चलते ऐसा होता है. इस मौसम में फंगल इंफेक्शन के ज्यादा मामले कान में होते हैं. इसकी वजह कान में जमने वाली नमी है. बैक्टीरिया या फंगल के पनपने के लिए ये जगह सबसे ज्यादा बढ़िया होती है और वह धीरे-धीरे इंफेक्शन ( Ear infection ) को अधिक बढ़ा देते हैं. कान का इंफेक्शन होने पर ये दर्द के साथ-साथ बड़ी दिक्कत का कारण भी बन सकता है. अगर इसका इलाज न करवाया जाए, तो इस स्थिति में सुनने की क्षमता भी जा सकती है.
इस लेख में हम आपको कान में होने वाले इंफेक्शन के कारण, लक्षण और इससे राहत पाने के उपायों के बारे में बताने जा रहे हैं. मॉनसून में इन उपायों को अपनाकर आप खुद को कान के इंफेक्शन से काफी हद तक सुरक्षित रख सकते हैं. जानें इनके बारे में…
इसके कारण
1. बारिश में भीगना: कई बार लोग मजबूरी या फिर अन्य कारणों से बारिश में भीग जाते हैं. बारिश में भीगने में कोई बुराई नहीं है, लेकिन ये कान में ही नहीं शरीर के अन्य हिस्सों पर भी इंफेक्शन का कारण बन सकता है. कान में नमी के बाद इंफेक्शन का अहम कारण बैक्टीरिया स्ट्रेप्टोकोकस न्यूमोनिया या हीमोफिलस इन्फ्लुएंजा होता है. इस स्थित में यूटेशिय ट्यूब ब्लॉक होने लगती है और कान में द्रव का निर्माण होने लगता है. बारिश में ये द्रव नमी के साथ मिलकर इंफेक्शन को जन्म देता है.
2. साबुन का पानी: बारिश के मौसम में अगर नहाते समय साबुन का पानी कान में चला जाए, तो इस कारण भी इंफेक्शन का खतरा बढ़ जाता है. साबुन के संपर्क में आकर भी बैक्टीरिया इंफेक्शन को क्रिएट कर सकता है.
3. ठंडी चीजें: गर्मी में राहत देने वाली ठंडी चीजों को लोग मॉनसून में भी बड़े शौक से खाते हैं. ये ठंडी चीजें इंफेक्शन के होने का कारण बन सकती हैं. ठंडी चीजों को खाने की वजह से ग्रंथियों को नुकसान होता है और ऐसे में इंफेक्शन होने का खतरा बना रहता है.
लक्षण
अगर आपके कान में इंफेक्शन है, तो इस स्थिति में आपके काने से द्रव बाहर आएगा. साथ ही कान में दर्द होगा और ये सिर में दर्द की वजह भी बन सकता है. इतना ही नहीं अगर किसी को नींद नहीं आ रही हो, तो ऐसे में हो सकता है कि वह इस हेल्थ प्रॉब्लम की चपेट में हो.
उपाय
कान में इंफेक्शन के लक्षण महसूस होने पर तुरंत डॉक्टर को दिखाएं और सुझाई गई दवा का सेवन करें. इसके अलावा आप मॉनसून में बाहर निकलते समय अपने कानों को रूई या कॉटन से बंद करके रख सकते हैं. ये तरीका कान में नमी नहीं बनने देगा. -
मॉनसून का मौसम गर्मियों से राहत दिलाता है. लेकिन ये कई बीमारियों को भी साथ लेकर आता है. मॉनसून में अक्सर दस्त, संक्रमण, फ्लू और सर्दी का खतरा काफी बढ़ जाता है. ऐसे में सावधानियां बरतना बहुत जरूरी है. ऐसे में जरूरी है कि आप अपनी डाइट (Monsoon Diet) में हेल्दी और पौष्टिक फूड्स शामिल करें. ये फूड्स हेल्दी रखने में मदद करते हैं. ये फूड्स आपको कई स्वास्थ्य संबंधित समस्याओं से बचाते हैं. मॉनसून में हेल्दी रहने के लिए आप डाइट में भुट्टा, अंडे, नारियल पानी और दही जैसे कई फूड्स शामिल कर सकते हैं. इसके अलावा आप कौन से फूड्स डाइट में शामिल कर सकते हैं आइए जानें.
भुट्टा या मकई
मॉनूसन के मौसम में उबला या भूना हुआ भुट्टा खाने का मजा ही अलग है. ये स्वादिष्ट होने के साथ बहुत ही हेल्दी भी होता है. इसमें कैलोरी कम मात्रा में होती है. इसमें फाइबर अधिक मात्रा में होता है. ये पाचन तंत्र को स्वस्थ रखता है. वजन घटाने में मदद करता है. मौसमी बीमारियों से बचाने का काम करता है. आप इसका सेवन कई तरीकों से कर सकते हैं. आप उबले, स्टीम्ड या भुने हुए भुट्टे का सेवन कर सकते हैं.
अंडे
अंडे में प्रोटीन भरपूर मात्रा में होता है. ये एक सुपरफूड के रूप में जाना जाता है. ये मांसपेशियों के निर्माण में मदद करता है. इसमें विटामिन भी होते हैं जैसे विटामिन बी12, बी2, ए और डी. इसके अलावा इसमें जिंक, आयरन और एंटीऑक्सीडेंट गुण भी होते हैं. ये इम्युनिटी बढ़ाने में मदद करते हैं. ये संक्रमण से बचाने में मदद करते हैं.
नारियल पानी
नारियल पानी हाइड्रेटेड रखने में मदद करता है. ये स्वस्थ रहने और बैक्टीरिया के संक्रमण से बचाने का काम करता है. नारियल पानी में इलेक्ट्रोलाइट्स की मात्रा अधिक होती है. ये शरीर से टॉक्सिन बाहर निकालता है. ये इम्युनिटी को बढ़ाता है. ये त्वचा और हृदय को स्वस्थ रखता है. इसमें विटामिन सी होता है. ये संक्रमण से बचाने का काम करता है.
मौसमी फल
इस मौसम में मौसमी फल का सेवन करें. डाइट में लीची, पपीता और नाशपाती आदि शामिल करें. ये कई बीमारियों से बचाने में मदद करते हैं. इसमें एंटीऑक्सीडेंट गुण होते हैं. ये हाई ब्लड प्रेशर को कंट्रोल में रखने और संक्रमण से लड़ने में मदद करते हैं. जामुन आयरन, फोलेट, पोटैशियम और विटामिन से भरपूर होता है. इसका सेवन करना चाहिए.
अदरक
अदरक एक बहुत ही बेहतरीन जड़ी बूटी है. इसमें एंटीऑक्सीडेंट भरपूर होते हैं. ये सर्दी, खांसी, गले में खराश और शरीर में दर्द जैसी की बीमारियों से बचाने में मदद करती है. ये इम्यून सिस्टम को मजबूत बनाती है. -
हेल्थ एक्सपर्ट्स भी सहजन के पत्तों का जूस पीने की सलाह देते हैं. यहां तक की आयुर्वेद में भी इसके जूस को शरीर के लिए लाभकारी माना गया है. जानें इसका जूस पीने से किन शारीरिक समस्याओं से राहत पाई जा सकती है.
डायबिटीज करें कंट्रोल
इस बीमारी से ग्रस्त व्यक्ति का अधिकतर जीवन दवाओं के सेवन में ही निकल जाता है. वैसे देसी तरीकों से भी शरीर में ब्लड शुगर लेवल को कंट्रोल किया जा सकता है. आप चाहे तो रोजाना सहजन के पत्तों का जूस पीकर डायबिटीज को कंट्रोल कर सकते हैं.
मोटापा
ये एक आम समस्या बन गई है और इसके पीछे कारण कई हो सकते हैं, जिनमें प्रमुख कारण गलत खानपान माना जाता है. वैसे आप मोटापा खत्म करने या वजन कम करने के लिए आप सहजन के पत्तों की मदद ले सकते हैं. इसका जूस बनाकर सुबह-सुबह पिएं.
कमजोर हड्डियां
हड्डियों के कमजोर होने कई वजह हो सकती हैं, जिनमें से एक बढ़ता हुआ वजन भी है. अगर आपकी हड्डियां कमजोर हैं, तो उन्हें बेहतर पोषण और जरूरी विटामिन्स की जरूरत है. इस कमी को आप सहजन के पत्तों से पूरा कर सकते हैं. - भुना हुआ चना खाने से सेहत को कई लाभ मिलते हैं। चने खाने से शरीर को पर्याप्त मात्रा में कार्बोहाइड्रेट, प्रोटीन, कैल्शियम, आयरन और विटामिंस मिलते हैं। चना खाने से वजन कंट्रोल में रहता है, साथ ही शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता भी बढ़ती है। आज हम बात कर रहे हैं सुबह खाली पेट भुने हुए चने खाने के फायदों के बारे में।1. इम्यूनिटी बढ़ेगीरोज सुबह खाली पेट भुने चने खाने से शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता मजबूत बनती है। मजबूत इम्युनिटी शरीर को तरह-तरह की बीमारियों से लडऩे में मदद करता है। अगर आप रोज चने खाएंगे, तो इसमें आप मौसमी बीमारियों से अपना बचाव कर सकते हैं। चने में मौजूद तत्व इम्यूनिटी बढ़ाने में मदद करते हैं।2. वजन कंट्रोल में रखेसुबह खाली पेट एक मुट्ठी भुने हुए चने खाने से आप अपने वजन को भी कंट्रोल में रख सकते हैं। अगर आप अपने मोटापे से परेशान हैं, तो सुबह-सुबह नाश्ते में भुने हुए चने खा सकते हैं। चने खाने से पेट लंबे समय तक भरा रहता है, जल्दी से भूख नहीं लगती है। इससे आप ओवरइटिंग से बचते हैं और वजन कंट्रोल में रहता है।3. कब्ज से राहत दिलाएचने कब्ज से छुटकारा दिलाने में भी फायदेमंद होते हैं। आप थोड़े से चने भून लें, सुबह खाली पेट इनका सेवन करें। इससे कब्ज की समस्या में काफी हद तक आराम मिलता है। कब्ज होने पर आप कुछ दिनों तक लगातार भुने हुए चने खा सकते हैं, इससे आपको काफी लाभ मिलेगा।4. पाचन शक्ति बढ़ाएस्वस्थ रहने के लिए पाचन का दुरुस्त होना बहुत जरूरी होता है। पाचन कमजोर होने पर तरह-तरह की बीमारियों का सामना करना पड़ता है। अगर आप पाचन से जुड़ी समस्याओं को सामना कर रहे हैं, तो अपनी सुबह की डाइट में भुने हुए चने को शामिल कर सकते हैं। चना पाचन शक्ति को संतुलित करता है, दिमागी शक्ति को भी बढ़ाता है।5. खून साफ करेरोज सुबह खाली पेट भुने हुए चने खाने से शरीर में जमा सारे टॉक्सिंस आसानी से निकल जाते हैं। चना खून साफ करने में भी मदद करता है। इससे त्वचा में निखार आता है, ब्लड प्यूरीफाई होता है और खून से संबंधित समस्याएं दूर होती हैं।6. पुरुषों के लिए लाभकारीभुने हुए चने खाना पुरुषों के लिए भी लाभकारी होते हैं। रोज सुबह भुने हुए चने खाने से पुरुषों से जुड़ी निजि समस्याएं दूर होती हैं। चने खाने से स्पर्म काउंट में वृद्धि होती है, स्पर्म की गुणवत्ता में भी सुधार होता है। भुने हुए चने खाने से यौन संबंधी समस्याएं दूर होती हैं। चने पुरुषत्व में वृद्धि करते हैं।
- आज के समय में लोगों की दिनचर्या और खानपान में तेजी से परिवर्तन हो रहा है। लोग ब्रेड, सोडा, केक और कैंडी जैसी चीजों का अधिक सेवन करने लगे हैं। लेकिन इन चीजों का सेवन केवल आपके स्वास्थ्य के लिए ही नहीं बल्कि दांतों के लिए भी नुकसानदायक होता है। इसमें मौजूद शुगर और काब्र्स आपके दांतों में बैक्टीरिया पैदा करते हैं और यह धीरे-धीरे आपके लिए खतरनाक बन सकता है। यहीं नहीं मुंह में रहने वाले बैक्टीरिया इन खाद्य पदार्थों को पचाकर एसिड में बदल देता है। ये एसिड लार में मिलकर मुंह में प्लाक बना सकते हैं, जो दांतों से चिपक जाते हैं। प्लाक में मौजूद एसिड दांतों की इनेमल सतह को खराब कर देते हैं, जिससे दांतों में छेद हो जाते हैं और कैविटी की समस्या होती है। अगर आपके दातों में सडऩ है या आप दांतों को सडऩ से बचाना चाहते हैं, तो इन टिप्स को फॉलो करें।1. दांतों की सेहत पर दें ध्यानअपनी ओरल हेल्थ पर ध्यान देना बेहद जरूरी है। वरना, दांतों की कैविटी और प्लाक आपके दांतों को खराब कर सकते हैं। इसके लिए सबसे पहले आपको अपनी दांतों और संपूर्ण ओरल हेल्थ की जांच करानी चाहिए ताकि आपको पता चल सके कि आपके दांतों में कोई परेशानी तो नहीं है।2. फ्लॉसिंग की आदत डालेंकई लोगों को फ्लॉस करना पसंद नहीं होता है। लेकिन, नियमित रूप से फ्लॉसिंग करने से दांतों के बीच फंसा खाना बाहर निकल जाता है और कैविटी होने की संभावना कम हो सकती है। दरअसल जब आप ब्रश करते हैं, तो दांतों के बीच की सफाई अच्छे से नहीं हो पाती है और सबसे ज्यादा कीटाणु वहीं रहने की आशंका रहती है। इसलिए, आपको फ्लॉसिंग जरूर करना चाहिए।3. मीठी, कार्बोनेटेड और एसिडिक ड्रिंक्स का सेवन न करेंसुबह की चाय से लेकर रात में कुछ मीठा खाना हो या गर्मी के दिनों में कोल्ड ड्रिंक्स पीना। दिनभर में हम कई तरह के मीठे और एसिड से भरपूर चीजों का सेवन करते हैं, जिससे दांत खराब हो सकते हैं। ये आपके पूरे ओरल हेल्थ के लिए खतरनाक साबित हो सकता है। इसलिए, आपको इस बात का ध्यान रखना चाहिए कि आप दिनभर में ऐसी चीजों का सेवन न करें, जिसमें बहुत अधिक एसिड या शुगर मिली हो। इसके अलावा कॉफी या अन्य मीठी ड्रिंक्स का सेवन स्ट्रॉ से करने की कोशिश करें ताकि ये दांतों के संपर्क में कम आएं।4. सही तरीके से ब्रश करेंअच्छे से ब्रश करने से आप बैक्टीरिया और प्लाक की समस्या को कुछ हद तक कम कर सकते हैं। सही तरीके से ब्रश करके आप कीटाणुओं को मुंह में जमा होने से भी रोक सकते हैं। इसके लिए आपको सुबह उठकर और रात में सोने से पहले ब्रश जरूर करना चाहिए। कुछ लोग सुबह तो ब्रश करते हैं, लेकिन रात को नहीं करते हैं। रात को सोने से पहले आपको जरूर ब्रश करना चाहिए क्योंकि इससे आपने दिनभर में जो कुछ भी खाया है, वह अच्छे से साफ हो सकता है।5. स्मोकिंग छोड़ेंस्मोकिंग की वजह से भी आपके दांत खराब हो सकते हैं। तंबाकू की वजह से आपके दांतों, मसूड़ों और मुंह को काफी नुकसान हो सकता है। इससे आपके दांतों में दाग लगने की दिक्कत हो सकती है। इसके अलावा इससे आपको आगे जाकर मुंह का कैंसर भी हो सकता है।
- टमाटर की तरह इसका जूस भी शरीर के लिए फायदेमंद होता है। यह कई तरह के विटामिंस, खनिज और शक्तिशाली एंटीऑक्सीडेंट गुणों से भरपूर होता है। खासतौर पर टमाटर में लाइकोपीन समृद्ध रूप से होता है, जो एक शक्तिशाली एंटीऑक्सीडेंट हैं। आइए जानते हैं टमाटर का जूस पीने से सेहत को क्या फायदे मिलते हैंहार्ट हेल्थ के लिए है फायदेमंदटमाटर में लाइकोपीन और बीटा-कैरोटीन जैसे शक्तिशाली एंटीऑक्सीडेंट्स होते हैं, जो हाई ब्लड प्रेशर, हाई कोलेस्ट्रॉल और फैट को कम करने में असरदार हो सकते हैं। अगर आप नियमित रूप से टमाटर का जूस पीते हैं, तो इस तरह की समस्याओं से बचाव कर सकते हैं।कैंसर से हो सकता है बचावटमाटर में कई आवश्यक पोषक तत्व पाए जाते हैं। साथ ही इसमें कई एंटीऑक्सीडेंट्स होते हैं जो कैंसररोधी गुणों के लिए जाने जाते हैं। नियमित रूप से टमाटर का जूस पीने से कैंसर के जोखिमों को कम किया जा सकता है। यह कैंसर के सेल्स को बढऩे से रोकने में आपकी मदद करता है।इम्यून पावर करे बूस्टटमाटर में विटामिन सी की अच्छी मात्रा पाई जाती है, जो कि इम्यूनिटी बढ़ाने के लिए जाना जाता है। इसके अलावा इसमें लाइकोपीन, विटामिन ई, बीटा-कैरोटीन भरपूर रूप से पाए जाते हैं, जो इम्यून पावर को बूस्ट कर सकते हैं। इसके सेवन से आप फ्री-रेडिकल्स से भी बचाव कर सकते हैं।स्किन के लिए फायदेमंदस्किन की कई समस्याओं को दूर करने के लिए टमाटर के जूस का इस्तेमाल कर सकते हैं। यह पिंपल्स, मुंहासे और ड्राई स्किन की परेशानी को दूर कर सकता है। इसके लिए टमाटर के जूस को स्किन पर लगाएं। इससे काफी लाभ हो सकता है।महिलाओं की समस्याओं के लाभकारीटमाटर के जूस में लाइकोपीन होता है, जो मुख्य रूप से महिलाओं में होने वाली मेनोपॉज में होने वाली समस्याओं जैसे- डिप्रेशर, चिंता, स्ट्रेस को कम करने में प्रभावी हो सकता है।वजन को कर सकता है कंट्रोलटमाटर का जूस पीने से बढ़ते वजन को कंट्रोल किया जा सकता है। दरअसल, टमाटर जूस में फाइबर मौजूद होता है, जो आपके आंतों को लिए अच्छा होता है और इसे पचाने में शरीर ज्यादा है।टमाटर का जूस पीने और लगाने से शरीर को कई फायदे हो सकते हैं। हालांकि, ध्यान रखें कि अगर आपको टमाटर से एलर्जी है, तो एक्सपर्ट की सलाह पर ही टमाटर के जूस का इस्तेमाल करें।
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बारिश का मौसम भीषण गर्मी से राहत पहुंचाने का काम करता है. इस मौसम में बीमारी बहुत ही तेजी से फैलती है. बारिश का मौसम स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं को भी साथ लेकर आता है. इस मौसम में थोड़ी सी लापरवाही आपको बीमार कर सकती है. मौसमी फ्लू और बुखार के अलावा मानसून के मौसम में पानी से होने वाली बीमारियां काफी आम हैं. ऐसे में सावधानी बरतने की जरूरत पड़ती है. मॉनसून में खानपान को लेकर भी ध्यान रखना चाहिए. ये भी बीमारी का कारण बन सकता है. इस मौसम में खानपान का किस तरह ध्यान रखें आइए जानें.
सी फूड के सेवन से बचें
बहुत से लोगों को सी फूड खाना बहुत पसंद होता है. इस मौसम में सी फूड के सेवन से बचें. बरसात के मौसम में पानी के दूषित होने का खतरा होता है. इस कारण फिश या अन्य सी फूड आसानी से संक्रमित हो जाते हैं. इसलिए बारिश के मौसम में सी फूड खाने से बचना चाहिए.
कच्चा खाना खाने से बचें
इस मौसम में कच्चा खाने से बचना चाहिए. कच्चा खाना हानिकारक बैक्टीरिया और वायरस से संक्रमित हो सकता है. इस कारण आप बीमार पड़ सकते हैं. इसके अलावा इस मौसम में मेटाबॉलिज्म बहुत धीरे काम करता है. ऐसे में खाना पचने में काफी समय लगता है. ऐसे में कच्चा खाना खाने के कारण परेशानी हो सकती है.
स्ट्रीट फूड से बचें
स्ट्रीट फूड भला किसे नहीं पसंद होता है. लेकिन बारिश के मौसम स्ट्रीट फूड के सेवन से बचाना चाहिए. स्ट्रीट फूड को बनाते समय हाइजिन का ज्यादा ध्यान नहीं रखा जाता है. ये बीमार होने का कारण बन सकता है. इसलिए बारिश के मौसम में आपको स्ट्रीट फूड से दूर रहना चाहिए या बाहर का खाना कम खाना चाहिए.
कुछ भी खाने से पहले धो लें
वैसे तो साल का कोई भी मौसम हो कोई भी फूड धोकर ही खाना चाहिए, लेकिन बारिश के मौसम में इस चीज का खासतौर से ध्यान रखना चाहिए. बारिश के मौसम में बैक्टीरिया अक्सर सब्जियों और फलों, खासकर हरी पत्तेदार सब्जियों में काफी ज्यादा रहते हैं. ऐसे में खाने से पहले अपने फूड को ठीक से धोना बेहद जरूरी हो जाता है. फल और सब्जियां खरीदते समय सावधानी बरतें. अगर आपको इनमें से किसी पर कोई कट नजर आता है तो इसे खरीदने से बचें.
ठंडी और खट्टी चीजें खाने से बचें
इस मौसम में गले का इंफेक्शन बहुत ही तेजी से होता है. ऐसे में आइसक्रीम, जूस और खट्टी चीजों का सेवन करने से बचें. ये गले को खराब कर सकती हैं. - बॉलीवुड एक्ट्रेस सोनम कपूर इन दिनों अपनी प्रेग्नेंसी पीरियड को एन्जॉय कर रही हैं। प्रेग्नेंसी पीरियड्स में एक महिला को क्या कुछ करना चाहिए, किस तरह की डाइट लेनी चाहिए, कौन से फ्रूट्स का सेवन मां और गर्भ में पलने वाले शिशु के लिए बेहतर है सोनम कपूर ये सारी बातें अपने इंस्टाग्राम हैंडल से शेयर करती रहती हैं। सोनम कपूर ने हाल ही में एक स्टोरी को किया है, जिसमें उन्होंने बताया है कि प्रेग्नेंट महिलाओं को रोजाना एक गिलास अनार का जूस जरूर पीना चाहिए। सोनम कपूर ने अपनी स्टोरी में बताया है कि गर्भवती महिला के अनार का जूस पीने से बच्चे का दिमाग बूस्ट होता है। अपनी स्टोरी में सोनम कपूर ने डॉ. रोंडा पैट्रिक को टैग किया है।डॉ. रोंडा ने बायोमेडिकल साइंस में पीएचडी की है। वह सोशल मीडिया पर काफी एक्टिव हैं और अपने फॉलोवर्स के साथ हेल्दी डाइट की जानकारी शेयर करती रहती हैं। अपने इस पोस्ट में डॉ. रोंडा ने प्रेग्नेंसी में महिलाओं को कितना और कैसे अनार के जूस का सेवन करना चाहिए, ताकि गर्भ में पलने वाले बच्चे का सही दिमागी विकास हो सके। डॉ. रोंडा के अनुसार, प्रेग्नेंट महिलाएं रोजाना अगर 240 मिलीलीटर यानी की 8 औंस अनार का जूस पिएं तो इससे गर्भ में पलने वाले बच्चे का सही दिमागी विकास होता है। डॉ. रोंडा ने पब्लिक लाइब्रेरी ऑफ साइंस में छपी रिपोर्ट का हवाला देते हुए कहा है कि अनार के जूस में पॉलीफेनॉल्स पाए जाते हैं, जो दिमागी विकास के लिए बहुत फायदेमंद माना जाता है। उन्होंने यह भी कहा कि अनार के जूस के अलावा बेरी, नट्स में पॉलीफेनॉल्स पाए जाते हैं, जिनका सेवन एक गर्भवती महिला कर सकती है।इम्यून सिस्टम स्ट्रांग करता है अनार का जूसप्रेगनेंसी के दौरान महिलाओं में बीमारियों की आशंका काफी बढ़ जाती है। अनार का जूस पीने से रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ती है। अनार के जूस में पर्याप्त मात्रा में विटामिन, फॉलिक एसिड और खनिज तत्व पाए जाते हैं जो शरीर को अंदर से मजबूत बनाते हैं। अगर एक महिला प्रतिदिन अनार का जूस पीती है तो यह शरीर को रोगों से लडऩे में मददगार साबित हो सकता है।जर्नल ऑफ एग्रीकल्चर एंड फूड केमिस्ट्री में प्रकाशित एक रिपोर्ट के अनुसार अनार के जूस में तीन गुना अधिक एंटीऑक्सीडेंट पाए जाते हैं, जो शरीर को सूजन से बचाने में मदद करते हैं। प्रेगनेंसी के दौरान अक्सर महिलाओं के हाथ-पैर में सूजन देखने को मिलती है। ऐसे में वो अपनी डेली डाइट में अनार का जूस शामिल कर सकती हैं यह शरीर से विषाक्त पदार्थ को बाहर निकालकर सूजन को कम करने में मददगार साबित हो सकता है। डॉ. रोंडा पैट्रिक ने अपने पोस्ट में कहा है कि अनार में पॉलीफेनॉल्स तत्व पाए जाते हैं। पॉलीफेनॉल्स दिमाग की रक्षा करने के लिए बहुत फायदेमंद माना जाता है। इसके अलावा यह गर्भ में पलने वाले बच्चे की याददाश्त, सीखने की क्षमता और जानने की ललक को भी बढ़ावा देने में मददगार होता है। पॉलीफेनॉल्स तत्व आईक्यू लेवल को भी बढ़ाते हैं।अनार का जूस प्रेगनेंसी के दौरान होने वाले हाई ब्लड प्रेशर को भी कंट्रोल करने में मददगार साबित हो सकता है। अगर प्रेग्नेंट महिला प्रतिदिन अनार के जूस का सेवन करती है तो यह गर्भ में पलने वाले शिशु को कई तरह के नुकसान से भी बचाने में सहायक साबित होता है।प्रेगनेंसी में अनार का जूस कब पिएं?गर्भवती महिला सुबह के नाश्ते या शाम को अनार के जूस का सेवन कर सकती है। हर इंसान की बॉडी अलग-अलग होती है, ऐसे में आपको अनार का जूस किस समय करना चाहिए इसके लिए आप डॉक्टर से संपर्क कर सकती हैं। प्रेगनेंसी में अनार का जूस पीने के ढेरों फायदे हैं, लेकिन यह वक्त महिला के लिए काफी नाजुक होता है। प्रेगनेंसी में किसी भी तरह के खाद्य पदार्थ या जूस का सेवन करने से पहले एक बार डॉक्टर की सलाह अवश्य लें।
- चाय हम में से ज्यादातर लोगों के पसंदीदा ड्रिंक्स में से एक है। बहुत से लोग अपने दिन की शुरुआत एक कप चाय के करना पसंद करते हैं। लेकिन अक्सर लोग इस बात को लेकर काफी असमंजस में रहते हैं कि क्या चाय में चीनी के बजाए शहद का प्रयोग करना हेल्दी विकल्प है? ऐसे बहुत से लोग हैं जो सोचते हैं कि अगर आप अपनी चाय में से चीनी निकाल दें तो चाय से सेहत को नुकसान नहीं पहुंचता है। वहीं कुछ लोगों का मानना है कि अगर चाय में चीनी की बजाए चीने के हेल्दी विकल्प जैसे शहद और गुड़ का प्रयोग करें तो इसे चाय हेल्दी हो जाती है। लेकिन यह एक गलत धारणा है।अब सवाल यह उठता है कि चाय में चीनी के बजाए शहद का प्रयोग क्या वाकई हेल्दी होता है? एक्सपर्ट के अनुसार इसमें कोई संदेह नहीं है कि चीनी के बजाए शहद का प्रयोग सेहत के लिए कई तरह से फायदेमंद है। लेकिन ऐसा चाय के साथ नहीं है। यह सही है कि चीनी की तुलना मे शहद बेहतर विकल्प है। लेकिन चाय के लिए नहीं, यह अन्य हॉट ड्रिंक्स के लिए।विशेषज्ञों के अनुसार आयुर्वेद कहता है कि शहद को कभी भी गर्म नहीं किया जाना चाहिए। लेकिन ऐसे बहुत से लोग हैं जो दिन में 3-4 कप चाय पीते हैं जिसमें वे चीनी के बजाए शहद का प्रयोग करते हैं सिर्फ यह सोचकर कि यह सेहत के लिए फायदेमंद है। बहुत से लोग शहद-नींबू-पुदीने की चाय का रोजाना सेवन करते हैं। लेकिन सही मायनों में यह सिर्फ सेहत को नुकसान पहुंचाएगा।आयुर्वेद के अनुसार जब शहद को गर्म किया जाता है या किसी गर्म ड्रिंक में मिलाया जाता है तो यह गर्म होने पर शरीर में सूजन ट्रिगर करता है। जिससे यह सेहत के लिए कई तरह से नुकसानदायक साबित हो सकता है। सरल शब्दों कहें तो जब शहद का रंग बदलता है, बनावट बदल जाती है, पोषक तत्व खत्म हो जाते हैं तो यह गोंद जैसा पदार्थ बन जाता है जिसे अमा कहते हैं जो कि सूजन पैदा करने वाला होता है। नेशनल सेंटर फॉर बायोटेक्नोलॉजी (एनसीबीआई) का भी यही मानना है कि जब शहद को पकाया या गर्म किया जाता है तो इससे शहद की गुणवत्ता खराब हो सकती है और इसके आवश्यक एंजाइम और पोषक तत्व खो सकते हैं। पाश्चराइज्ड शहद खराब होता है क्योंकि पाश्चुरीकरण के दौरान शहद को उच्च तापमान पर पकाया जाता है, जो नियमित शहद की तुलना में घावों को भरने और संक्रमण से लडऩे के लिए शहद के प्राकृतिक गुणों को नष्ट कर देता है। अगर आप भी उन लोगों में से हैं जो अपनी चाय में शहद का प्रयोग करते हैं, तो सावधान हो जाएं, क्योंकि यह आपकी सेहत के लिए बहुत नुकसानदायक हो सकता है। हालांकि आप चाय के बजाए आप अन्य हॉट ड्रिंक्स में अलग से शहद मिलाकर पी सकते हैं।
- कन्नड़ ऐक्ट्रेस स्वाति सतीश का रूट कैनाल सर्जरी के बाद चेहरा बिगड़ गया है। इस सर्जरी के बाद स्वाति की कुछ तस्वीरें सामने आई हैं, जिनमें उनके चेहरे पर सूजन आसानी से देखा जी सकती है। तस्वीरों में स्वाति को पहचानना मुश्किल हो गया है। मीडिया रिपोट्र्स के मुताबिक रूट कैनाल सर्जरी के बाद स्वाति सतीश को हल्का दर्द महसूस और चेहरे में सूजन आ गई। स्वाति की इस हालात के बाद यह जानना बहुत जरूरी है कि रूट कैनाल सर्जरी क्या है और इसको करवाते वक्त आपको क्या सावधानियां बरतने की जरूरत होती है।रूट कैनाल सर्जरी क्या है?दिल्ली स्थित संतोष डेंटल कॉलेज में प्रैक्टिस कर रहीं डॉ युक्ता श्रीवास्तव का कहना है कि रूट कैनाल ट्रीटमेंट एक डेंटल ट्रीटमेंट है। सडऩ, कीड़े लगने की स्थिति में दांतों को बचाने के लिए डेंटिस्ट इस सर्जरी का सहारा लेते हैं। रूट कैनाल सर्जरी के दौरान डेंटिस्ट जबड़े की नसे और संक्रमित हुए गूदे को जड़ से हटा देते हैं। इसके बाद दांतों को क्लीन किया जाता है और उस हिस्से पर दूसरा दांत लगाया जाता है या फिर उस हिस्से पर सील कर दिया जाता है।डॉ युक्ता श्रीवास्तव के मुताबिक रूट कैनाल सर्जरी उस स्थिति में की जाती है जब सडऩ या कैविटी दांतों की जड़ तक पहुंच गई हो। कुछ स्थितियों में रूट कैनाल सर्जरी में थोड़ा दर्द होता है और यह एक या दो दिनों तक बना रहता है। इससे दांतों को कैविटी से काफी हद तक बचाया जा सकता है।रूट कैनाल करवाते वक्त सावधानियां- रूट कैनाल सर्जरी करवाते वक्त अक्सर लोगों को दर्द सहन पड़ता है। मरीज इस दर्द को महसूस न कर पाए इसके लिए डेंस्टिस्ट उन्हें एनेस्थीसिया देते हैं। एक आंकड़े के मुताबिक 10 में से 9 मरीजों में रूट कैनाल सर्जरी के बाद दांतों की सडऩ 10 साल तक रोकी जा सकती है।- रूट कैनाल करवाते वक्त ध्यान दें कि डेंटिस्ट आपको दर्द महसूस न करवाने के लिए एनेस्थीसिया के बजाय सेलिसिलिक एसिड न दे दें।- रूट कैनाल सर्जरी के बाद दांतों की देखभाल और भी ज्यादा जरूरी हो जाती है। आम तौर पर एक या दो सीटिंग में डेंटिस्ट रूट कैनाल सर्जरी का इलाज कर देते हैं।- रूट कैनाल सर्जरी के बाद खाने में ऐसी चीजों का इस्तेमाल बिल्कुल न करें जो चबाने में मुश्किल हो।- चाय, कॉफी जैसी गर्म चीजों का सेवन करने की बजाय, जूस, शिकंजी जैसे ठंडे पदार्थों को लें।- मुंह की स्वच्छता को बनाए रखने के लिए दिन में दो बार ब्रश करें।- अगर धूम्रपान या शराब का सेवन करते हैं तो इसे बंद कर दें।- अपने आहार में मीठा और तला हुआ बिल्कुल न खाएं।- मुंह तो धोने के लिए सॉफ्ट ब्रिसल वाले टूथब्रश का इस्तेमाल करें।रूट कैनाल सर्जरी को करवाने के बाद ध्यान दें कि जब आपको डेंटिस्ट बुलाए तो उसके पास जाएं और दांतों से जुड़े सभी मेडिकल ट्रीटमेंट लें। रूट कैनाल सर्जरी के बाद आपको चेहरे में सूजन, दांतों में दर्द जैसी परेशानी होती है तो तुरंत अपने डॉक्टर से संपर्क करें।
- अपनी विशालता के लिए जाना जाने वाला बरगद का पेड़ कई औषधीय गुणों से भरपूर होता है। शरीर की कई बीमारियों को दूर करने के लिए इसकी पत्तियों से लेकर छाल तक का इस्तेमाल किया जाता है। आइए जानते हैं बरगद की छाल से बने काढ़े के क्या फायदे हैं?बरगद के पेड़ का लगभग हर हिस्सा औषधीय गुणों से भरपूर होता है। आयुर्वेद में इसकी पत्तियां, दूध, छाल, जड़ इत्यादि का इस्तेमाल होता है। इसके इस्तेमाल से आप शरीर की कई परेशानियों को दूर कर सकते हैं।1. घाव को सुखाने में असरदारघाव को सुखाने के लिए आप बरगद की छाल का काढ़ा इस्तेमाल कर सकते हैं। इसके लिए काढ़ा पीने की जरूरत नहीं होती है। बल्कि आप इससे तैयार काढ़े से अपने घाव को धोएं। इससे घाव जल्द से जल्द ठीक हो सकता है। साथ ही अगर घाव ज्यादा पुराना है, तो इस परेशानी से भी निजात दिलाने में बरगद की छाल का काढ़ा लाभकारी हो सकता है।2. खांसी-जुकाम से राहतबरगद की छाल का काढ़ा खांसी-जुकाम की परेशानी को दूर करने में असरदार होता है। इसके लिए बरगद की छाल का काढ़ा नियमित रूप से दिन में 2 बार पिएं। इससे जुकाम दूर होगा। साथ ही मानसिक दुर्बलता भी दूर होगी।3. अनिद्रा की परेशानी होगी दूरबरगद की छाल का काढ़ा पीने से अनिद्रा की शिकायत दूर हो सकती है। नियमित रूप से दिन में 2 बार इस काढ़े को पीने से आपको नींद अच्छी आती है। साथ ही मानसिक तनाव से छुटकारा मिल सकता है।4. झड़ते बालों के लिए असरदारबरगद की छाल का काढ़ा झड़ते बालों के लिए भी असरदार होता है। इसके लिए सप्ताह में दो बार इस काढ़े से अपने बालों को धोएं। आप चाहे, तो काढ़े में 2 से 3 बूंदें तिल के तेल को भी मिक्स कर सकते हैं। इससे आपको काफी लाभ मिलेगा। इसके अलावा नारियल तेल में बरगद की छाल को भिगोकर रख दें। इस तेल को नियमित रूप से लगाने से काफी लाभ मिलेगा।कैसे तैयार करें बरगद की छाल का काढ़ा?बरगद की छाल का काढ़ा तैयार करने के लिए 1 लीटर पानी लें। अब इस पानी को सामान्य आंच पर चढ़ाएं। इसके बाद इसमें 2 से 3 चम्मच बरगद की छाल का चूर्ण डालें। इस पानी को करीब 5 से 7 मिनट उबलने दें। इसके बाद इसे आंच से उतार लें। इस काढ़े को पीने के लिए आप अपने स्वाद के अनुसार शहद या चीनी मिक्स कर सकते हैं। सुबह-शाम चाय की तरह इस काढ़े को पीने से लाभ मिलेगा।प्रतिदिन कितनी मात्रा में पी सकते हैं काढ़ा?एक्सपर्ट के अनुसार, बरगद की छाल का काढ़ा किसी भी आयुर्वेद एक्सपर्ट की सलाह पर ही पिएं। वहीं, इस काढ़ा का सेवन सीमित मात्रा में ही करना चाहिए। प्रतिदिन 50-100 मिलीग्राम बरगद की छाल का काढ़ा पी सकते हैं।नोट-बरगद की छाल का काढ़ा स्वास्थ्य के लिए लाभकारी हो सकता है। हालांकि, ध्यान रखें कि बिना एक्सपर्ट की सलाह के इस काढ़े का सेवन न करें। इससे आपके स्वास्थ्य पर विपरीत असर पड़ सकता है।
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प्रोटीन से भरपूर चीजें हमारे स्वास्थ्य के लिए बेहद जरूरी होती हैं। प्रोटीन ना सिर्फ हमारी मांसपेशियों को बनाने में मदद करता है, बल्कि वेट लॉस के लिए भी अच्छा होता है। शाकाहारी लोगों के लिए प्रोटीन की कमी पूरी करने के लिए यह सबसे अच्छा विकल्प है। सोया से बने सोया चंक्स स्वादिष्ट होने के साथ-साथ प्रोटीन से भी भरपूर होते हैं। सोया चंक्स अपने हाई प्रोटीन कंटेंट की वजह से काफी लोकप्रिय हैं। 100 ग्राम सोयाबीन खाने से शरीर की दैनिक प्रोटीन की जरूरत लगभग 70% तक पूरी हो जाती है। इसके अलावा सोया चंक्स में विटामिन, मिनरल्स और ओमेगा 3 फैटी एसिड जैसे कई पोषक तत्व पाए जाते हैं जो शरीर के लिए अच्छे होते हैं।
आइए जान लेते हैं सोया चंक्स खाने के फायदे -
दिल की बीमारियों के लिए - सोया चंक्स फाइबर और एंटीऑक्सीडेंट्स से भरपूर होते हैं जो कि शरीर में बैड कोलेस्ट्रॉल को कम करते हैं। इसके अलावा इनमें मौजूद अनसैचुरेटेड फैट्स भी बैड कलेस्ट्रॉल के स्तर को कम करने में मदद करते हैं। दिल की सेहत के लिए यह बहुत फायदेमंद हैं।
मजबूत हड्डियां - सोयाबीन में विटमिन, मिनरल के अलावा कैल्शियम, मैग्निशियम और कॉपर जैसे कई पोषक तत्व होते हैं जो हड्डियों को मजबूत बनाने में मदद करते हैं।
वेट लॉस - सोया चंक्स हमारे शरीर में अतिरिक्त फैट को बढ़ने से रोकते हैं। दरअसल, सोया चंक्स में काफी मात्रा में फाइबर होता है जिससे पेट लंबे समय तक भरा हुआ महसूस होता है और बार-बार भूख नहीं लगती है। वेट लॉस जर्नी के लिए यह एक टेस्टी और हेल्दी ऑप्शन है।
एनीमिया रोगियों के लिए - शरीर में खून की कमी से बहुत जल्दी थकान महसूस होने लगती है जिसे एनीमिया कहा जाता है। सोया चंक्स इस समस्या से राहत दिलाने में भी मददगार हैं। इनमें भरपूर मात्रा में आयरन भी पाया जाता है जो शरीर में खून की कमी को पूरा करता है।