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- आपने करेला बहुत बार खाया होगा पर क्या आपने कभी सफेद करेला का सेवन किया है? अगर नहीं, तो आपको बता दें सफेद करेला स्वाद में लगभग करेले जैसा ही होता है। लोग सफेद करेले को भरवां सब्जी बनाकर बड़े चाव से खाते हैं। सफेद करेले में विटामिन ए, विटामिन बी6, फाइबर, आयरन, पोटैशियम, सोडियम, जिंक और कॉपर आदि गुण होते हैं। आप सफेद करेले का पराठा बना सकते हैं। सफेद करेले का अचार भी बनाया जाता है। आप सफेद करेले का जूस भी पी सकते हैं। जानते हैं सफेद करेले के फायदों के बारे में।1. वजन घटाने में फायदेमंद-सफेद करेला का सेवन करना वजन घटाने में फायदेमंद होता है। सफेद करेले में कैलोरीज कम होती है। आप इसका सेवन करेंगे, तो वजन कम करने में मदद मिलेगी। वजन घटाने के लिए सुबह के समय करेले के जूस का सेवन कर सकते हैं। सफेद करेले का सेवन करने से शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ती है।2. कोलेस्ट्रॉल कंट्रोल होता हैसफेद करेले का सेवन करने से कोलेस्ट्रॉल कंट्रोल करने में मदद मिलती है। हार्ट के मरीज अपनी डाइट में करेला शामिल कर सकते हैं। सफेद करेले को सलाद या सब्जी के रूप में खा सकते हैं। लिवर से जुड़ी समस्या है, तो आपको सफेद करेले का सेवन करना चाहिए। लिवर के स्वास्थ्य के लिए इसका सेवन फायदेमंद माना जाता है।3. डायबिटीज में फायदेमंद है सफेद करेलासफेद करेले का सेवन करने से डायबिटीज कंट्रोल होती है। डायबिटीज के मरीज सफेद करेले का सेवन कर सकते हैं। डायबिटीज में मरीजों को पैर या हाथ में सूजन हो जाती है। सूजन से बचाव में भी सफेद करेले का सेवन फायदेमंद माना जाता है।4. आंखों की रौशनी बढ़ती है-सफेद करेले का सेवन करने से आंखों की रौशनी बढ़ती है। सफेद करेले में विटामिन ए पाया जाता है। सफेद करेले में बीटा कैरोटीन होता है जिससे आंखों की रौशनी बढ़ती है और आंखों की बीमारियों से बचाव होता है। सफेद करेले में फॉस्फोरस की अच्छी मात्रा होती है। इसका सेवन करने से कब्ज या पेट से जुड़ी समस्या से भी राहत मिलती है।5. बालों के लिए फायदेमंदसफेद करेले का सेवन बालों के लिए फायदेमंद होता है। बालों की अच्छी ग्रोथ के लिए सफेद करेले का सेवन करना चाहिए। आप सफेद करेले का रस बालों पर लगा सकते हैं। सफेद करेले के रस का सेवन भी कर सकते हैं।नोट- सफेद करेले का सेवन करने से गर्भवती महिलाओं को बचना चाहिए। जिन लोगों को लो डायबिटीज की समस्या होती है, उन्हें इसका सेवन करने से बचना चाहिए।.
- -कीटनाशक, प्रदूषण, मोटापा तथा शारीरिक श्रम व व्यायाम की कमी भी जीवन-शैली से जुड़े रोगों के लिए जिम्मेदार-मधुमेह, उच्च रक्तचाप व हृदय रोगों के बचने के लिए वसायुक्त खाद्य पदार्थों, जंक-फूड, कोल्डड्रिंक्स, मांसाहार, मद्मपान और धूम्रपान से करें परहेजरायपुर। आधुनिक जीवन-शैली, अनियमित दिनचर्या और खानपान के कारण एक बड़ी आबादी मधुमेह, उच्च रक्तचाप, हृदय रोग और कैंसर जैसी बीमारियों से जूझ रही है। किशोर और युवा भी इनकी चपेट में आ रहे हैं। जीवन-शैली से जुड़े इन रोगों के लिए मुख्यतः अनुवांशिक, हमारी खानपान से जुड़ी आदतें और अनियमित दिनचर्या जिम्मेदार हैं। लोगों में वसायुक्त भोजन, फास्ट-फूड, मांसाहार, शराब और धूम्रपान का सेवन बढ़ रहा है। इनके शौकीनों में ज्यादातर किशोर और युवा भी हैं। इसके अलावा फसलों में कीटनाशकों का अधिकाधिक उपयोग, प्रदूषण, शारीरिक श्रम या व्यायाम का अभाव तथा मोटापा भी इन रोगों के मरीजों की संख्या बढ़ा रहा है।शासकीय आयुर्वेद कॉलेज, रायपुर के सह-प्राध्यापक डॉ. संजय शुक्ला ने बताया कि जीवन-शैली से जुड़े रोगों से बचाव संयमित दिनचर्या और संतुलित खानपान से ही हो सकता है। आज की पीढ़ी खानपान और दिनचर्या के प्रति लगातार लापरवाही बरत रही है। फलस्वरूप कम उम्र में ही लोग उच्च रक्तचाप, मधुमेह और हृदय रोगों का शिकार हो रहे हैं। युवाओं में इन बीमारियों का प्रमुख कारण मोटापा भी है जो जंक-फूड, डिब्बाबंद खाद्य पदार्थों, कोल्ड ड्रिंक्स, शराब और मांसाहार के कारण बढ़ रहा है। किशोर व युवा लगातार इलेक्ट्रॉनिक गैजेट्स की गिरफ्त में रहते हैं और वे रात में देर तक जागते हैं। इनका प्रभाव उनके मानसिक स्वास्थ्य पर भी पड़ता है।शोध से यह पता चला है कि मानसिक स्वास्थ्य का असर सीधे तौर पर इन जीवन-शैली से जुड़ी बीमारियों में होता है। इन रोगों के उपचार के लिए आजीवन दवाईयां, नियमित रूप से चिकित्सक के परामर्श में रहने, नियंत्रित खानपान और संयमित दिनचर्या अपनाने की जरूरत होती है। आमतौर पर यह देखा जाता है कि उच्च रक्तचाप, मधुमेह और हृदय रोगों के मरीज बिना चिकित्सक के परामर्श के दवाईयां बंद कर देते हैं। फलस्वरूप उन्हें आपात स्थितियों का सामना करना पड़ता है। कई बार यह जानलेवा साबित होता है। लोगों को इस बारे में जागरूक होना होगा कि ये बीमारियां जड़ से खत्म नहीं होतीं, बल्कि दवाओं, संतुलित खानपान, नियमित व्यायाम व योग के द्वारा नियंत्रित होती है। अतएव सावधानी जरूरी है।डॉ. संजय शुक्ला ने बताया कि चूंकि ये बीमारियां मनो-दैहिक यानि शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य से जुड़ी हैं, इसलिए इन रोगों के बचाव में आयुर्वेद और योग कारगर है। इस पद्धति में विभिन्न ऋतुओं के लिए खानपान और दिनचर्या निर्धारित हैं। इन्हें अपनाकर तथा पंचकर्म, रसायन चिकित्सा, आचार रसायन, नियमित व्यायाम, योग व ध्यान के द्वारा जीवन-शैली गत रोगों से बचाव संभव है। मधुमेह, उच्च रक्तचाप और हृदय रोगों के बचाव के लिए शाकाहारी भोजन जिसमें मिश्रित अनाज की रोटी, अरहर या मूंग की दाल, कोदो या ब्राउन चांवल, करेला, सहजन यानि मुनगा, तरोई, हरी तरकारी, करी पत्ते, अदरक, मेथी, लहसुन, गुणमार, जामुन, आंवला इत्यादि का सेवन करना चाहिए तथा वसायुक्त खाद्य पदार्थ, जंक-फूड, कोल्डड्रिंक्स, मांसाहार, मद्मपान और धूम्रपान का परहेज आवश्यक है। इसके अलावा शक्कर और नमक का संतुलित मात्रा में उपयोग करना चाहिए। आयुर्वेद चिकित्सा पद्धति में इन रोगों के बचाव और नियंत्रण के लिए अनेक प्रकार के रसायन और औषधियां भी उपलब्ध हैं जिनका प्रयोग आयुर्वेद चिकित्सा विशेषज्ञों के मार्गदर्शन एवं परामर्श में किया जाना चाहिए।
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ड्राई कफ से छुटकारा पाने में मददगार है दादी-नानी का सौंफ और मिश्री वाला नुस्खा
दादी-नानी के नुस्खे हमेशा काम आ ही जाते हैं। बदलते मौसम में कई बार बिमारियां आपकों घेर लेती हैं। गर्मी के बाद बारिश का मौसम आने से हल्की ठंडक होना शुरू हो जाती है। ऐसे में ज्यादातर लोग गले के संक्रमण की चपेट में आते हैं। इस संक्रमण से छुटकारा पाने के लिए आप कुछ घरेलू नुस्खों को अपना सकते हैं। यहां हम बता रहे हैं सौंफ और मिश्री वाला नुस्खा जो ड्राई कफ से छुटकारा दिलाने में मदद कर सकता है।सौंफ, मिश्री और मुलेठी पाउडरइस नुस्खे को बनाने के लिए सौंफ, मुलेठी और मिश्री तीनों को बराबर मात्रा में लेकर एक साथ मिलाएं। फिर इन्हें पीसकर बहुत महीन पाउडर बना लें। इस चूर्ण का 1 बड़ा चम्मच गर्म पानी के साथ लें या फिर इसे हर रात में सोने से पहले शुद्ध शहद के साथ ले सकते हैं। इससे आपकी सूखी खांसी ठीक हो जाएगी और आपको अच्छी नींद आने में मदद मिलेगी।कैसे काम करता है ये नुस्खासौंफ एंटीऑक्सिडेंट, एंटीमाइक्रोबियल कंपोनेंट और एंटी इंफ्लामेटरी तेलों से भरे होते हैं जो सर्दी, खांसी और फ्लू के जोखिम को दूर रखने में मदद कर सकते हैं। सौंफ के बीज में भी विटामिन सी का एक अच्छा स्रोत हैं जो मौसमी संक्रमण के खिलाफ इम्यून रखता है। वहीं मिश्री कई आवश्यक पोषक तत्वों से पूर्ण होती है जो खांसी को दूर करने में मदद करते हैं। यह आपके गले और ओरल कैविटी के लिए अच्छा होता है। वहीं इस नुस्खे में इस्तेमाल हो रही मुलेठी गले की खराश का सदियों पुराना इलाज है। यह जड़ी बूटी नैचुरल रूप से मीठी होती है। इसके एंटीऑक्सीडेंट और एंटी बैक्टीरियल गुण सांस संक्रमण का कारण बनने वाले बैक्टीरिया पर हमला करते हैं और सूजन को भी कम करते हैं। - मेथी बालों के लिए काफी फायदेमंद मानी जाती है। यह बालों की जड़ों को मजबूत करने के साथ-साथ सफेद बालों की समस्याओं को कम कर सकता है। दरअसल, मेथी के अर्क में फाइटोएस्ट्रोजेन पाया जाता है, जो एस्ट्रोजन हार्मोन को बढ़ाने में आपकी मदद कर सकता है। इस हार्मोन से बालों के विकास को बढ़ावा मिलता है। साथ ही यह बालों की ग्रोथ, वॉल्यूम और रंगत को भी बेहतर कर सकता है। बालों में आप मेथी का इस्तेमाल कई तरीकों से कर सकते हैं। आज हम इस लेख में बालों में मेथी के दानों का इस्तेमाल करने के तरीकों के बारे में जानेंगे।1. मेथी और नारियल तेलनारियल तेल के साथ आप मेथी के दानों का इस्तेमाल कर सकते हैं। इसका इस्तेमाल करने के लिए सबसे पहले नारियल तेल को गर्म करें। इसमें थोड़ा सा मेथी दाना डालें। जब मेथी दाने के रंग लाल हो जाए, तो गैस को बंद कर दें। तब तेल हल्का ठंडा हो जाए, तो इससे स्कैल्प की मसाज करें। इससे बालों की ग्रोथ अच्छे होगी। साथ समय से पहले सफेद बालों की समस्याओं को दूर करने में प्रभावी हो सकता है।2. मेथी और शहद से बढ़ाएं बालों की ग्रोथअगर आप बालों की ग्रोथ को बेहतर करना चाहते हैं, तो मेथी और शहद का इस्तेमाल करें। मेथी और शहद के इस्तेमाल से बालों की ग्रोथ को बेहतर की जा सकती है। इसका इस्तेमाल करने के लिए मेथी दानों को पानी में डालकर रातभर के लिए छोड़ दें। सुबह इन दानों को पीसकर पेस्ट तैयार कर लें। अब इसमें 1 चम्मच शहद मिक्स करें। इसके बाद इसे अपने बालों की जड़ों में लगाएं। करीब 30-40 मिनट तक इस पेस्ट को बालों पर लगा हुआ छोड़ दें। इसके बाद शैंपू से अपने बालों को धो लें। सप्ताह में दो बार इस हेयर मास्क का इस्तेमाल करने से बालों की ग्रोथ अच्छी हो सकती है।3. मेथी और दही से बालों की समस्या होगी दूरमेथी और दही के इस्तेमाल से डैंड्रफ, बेजान बाल और झड़ते बालों की परेशानी दूर हो सकती है। इसका इस्तेमाल करने के लिए 2 चम्मच मेथी दाना लें। इसे रातभर पानी में भिगोकर छोड़ दें। इसके बाद सुबह मेथी के दानों को निकालकर इसे अच्छे से पीस लें। अब इस पेस्ट को दही में मिक्स करके अपने बालों पर लगाएं। करीब 30 मिनट बाद अपने बालों को धो लें। इससे डैंड्रफ की समस्या दूर हो सकती है। सप्ताह में कम से कम दो बार इस मिश्रण का इस्तेमाल करें।4. मेथी और दूध बालों के लिए है हेल्दीबालों से जुड़ी परेशानियों को दूर करने के लिए मेथी और दूध का इस्तेमाल करें। इसका इस्तेमाल करने के लिए 1 चम्मच मेथी के दानों को पानी में डालकर रातभर के लिए छोड़ दें। सुबह इन दानों का पेस्ट तैयार कर लें। इसके बाद इस पेस्ट में थोड़ा सा दूध मिक्स कर लें। अब इसे अपने बालों पर लगाकर करीब 20 मिनट के लिए छोड़ दें। इसके बाद अपने बालों को धो लें। इससे आपके बालों की ग्रोथ बेहतर होगी। साथ ही झड़ते और बेजान बालों से छुटकारा मिल सकता है।मेथी के इस्तेमाल से आप बालों की खूबसूरती को बढ़ा सकते हैं। हालांकि, ध्यान रखें कि अगर बालों से जुड़ी परेशानियां काफी ज्यादा बढ़ रही है, तो इस स्थिति में एक्सपर्ट से जरूर सलाह करें।
- सदाबहार का पौधा आप सभी ने घर के आसपास कहीं न कहीं देखा होगा। सदाबहार की पत्तियां और फूल दिखने में जितने खूबसूरत होते हैं इनके औषधीय गुण भी उतने ही काम के हैं। आयुर्वेद में सदाबहार को बीमारियों के लिए संजीवनी के रूप में जाना जाता है। शरीर में वात और कफ दोष को दूर करने के लिए सदाबहार की पत्तियों का इस्तेमाल बहुत फायदेमंद होता है। इसमें मौजूद कड़वापन के गुण शरीर के लिए बहुत फायदेमंद होते हैं। सदाबहार की पत्तियों का इस्तेमाल शरीर की इन समस्याओं के लिए फायदेमंद माना जाता है।1. गले में इन्फेक्शन की समस्या में फायदेमंद सदाबहारसदाबहार की पत्तियां गले में इन्फेक्शन की समस्या में बहुत फायदेमंद होती हैं। इसमें मौजूद एलकालॉइड्स, एजमेलीसीन, सरपेन्टीन नामक तत्व शरीर में मौजूद संक्रमण को दूर करने में बहुत उपयोगी माने जाते हैं। इम्यूनिटी बढ़ाने के लिए भी सदाबहार की पत्तियों का काढ़ा और रस बहुत उपयोगी होता है।2. ब्लड प्रेशर की समस्या में उपयोगी सदाबहारब्लड प्रेशर को कंट्रोल करने के लिए सदाबहार बहुत फायदेमंद होता है। सदाबहार की पत्तियों में मौजूद गुण हाई ब्लड प्रेशर में फायदेमंद होते हैं। आप ब्लड प्रेशर की समस्या में सदाबहार की जड़ का भी इस्तेमाल कर सकते हैं। आप एक्सपर्ट की सलाह के आधार पर ब्लड प्रेशर को कंट्रोल करने के लिए सदाबहार की पत्तियों और जड़ का सेवन कर सकते हैं।3. डायबिटीज मरीजों के लिए रामबाण सदाबहार की पत्तियांडायबिटीज की समस्या में सदाबहार की पत्तियों को बहुत फायदेमंद माना जाता है। इसकी पत्तियों में एल्कलॉइड नामक तत्व शरीर में इंसुलिन के निर्माण के लिए बहुत फायदेमंद होता है। डायबिटीज या मधुमेह के मरीजों के लिए सदाबहार की पत्तियों का रस पीना बहुत फायदेमंद होता है। आप रोजाना सुबह के समय डॉक्टर की सलाह के आधार पर सदाबहार की पत्तियों का रस पी सकते हैं।4. कैंसर में फायदेमंद सदाबहार की पत्तियांसदाबहार की पत्तियों में मौजूद कैंसर रोधी गुण शरीर में कैंसर सेल्स को खत्म करने या ठीक करने का काम करते हैं। सदाबहार की पत्तियों में मौजूद विन्क्रिस्टिन और विंब्लास्टिन एल्कलॉइड कैंसर की कोशिकाओं को खत्म करने के लिए बहुत फायदेमंद होते हैं।5. स्किन से जुड़ी समस्याओं में उपयोगीसदाबहार की पत्तियों का इस्तेमाल स्किन से जुड़ी समस्याओं में बहुत फायदेमंद होता है। स्किन पर खुजली, इन्फेक्शन या अन्य समस्या होने पर प्रभावित जगह पर सदाबहार की पत्तियों का लेप लगाने से फायदा मिलता है। इसके अलावा सदाबहार की पत्तियां कील, मुहांसे और झुर्रियों आदि के लिए भी बहुत उपयोगी होती हैं।6. किडनी स्टोन की समस्या में फायदेमंदकिडनी स्टोन की समस्या में सदाबहार की पत्तियों का इस्तेमाल बहुत फायदेमंद होता है। किडनी की पथरी होने पर सदाबहार की पत्तियों को पानी में उबालने के बाद इस पानी को पीने से फायदा मिलता है।ऊपर बताई गयी समस्याओं के अलावा कई अन्य समस्याओं और बीमारियों में सदाबहार की पत्तियों का इस्तेमाल फायदेमंद होता है। इन समस्याओं में डॉक्टर या एक्सपर्ट की सलाह के बाद ही सदाबहार की पत्तियों का इस्तेमाल करना चाहिए।
- आपने अक्सर लोगों को यह कहते हुए सुना होगा कि डायबिटीज के मरीजों को फ्रूट्स का सेवन नहीं करना चाहिए। फलों में कार्बोहाइड्रेट और नेचुरल शुगर होता है जिसे फ्रुक्टोज कहा जाता है,जिससे आपका ब्लड शुगर लेवल बढ़ सकता है, लेकिन फिर भी आपको अपनी मील में फ्रूट्स को जरूर शामिल करना चाहिए क्योंकि फलों में विटामिन, मिनरल्स और फाइटोकेमिकल्स होते हैं।फलों में पाए जाने वाले फाइटोकेमिकल्स की वजह से हार्ट डिजीज, कैंसर, और स्ट्रोक का खतरा कम होता है और यह आपकी ओवरओल हेल्थ को बूस्ट करता है। फलों का सेवन इसलिए भी जरूरी है कि क्योंकि डायबिटीज हार्ट डिजीज और अन्य समस्याओं के जोखिम से जुड़ा हुआ होता है। बहुत से फलों में फाइबर की मात्रा भी पाई जाती है। फाइबर आपके डाइजेशन को स्लो करने, ब्लड शुगर स्पाइक को बढऩे से रोकने में मदद करता है।सभी फ्रूट्स में विटामिन, फाइटोकेमिकल्स और कई ऐसे पोषक तत्व होते हैं जो आपके लिए काफी फायदेमंद साबित हो सकते हैं। लेकिन कुछ फ्रूट्स ऐसे होते हैं जो क्रॉनिक डिजीज के खतरे को कम कर सकते हैं।आइए जानते हैं उन फ्रूट्स के बारे में -ब्लैकबेरी- एक कप ब्लैकबेरी में 62 कैलोरीज, 14 ग्राम कार्बोहाइड्रेट और 7.6 ग्राम फाइबर होता है।स्ट्रॉबेरीज- एक कप स्ट्रॉबेरीज में 46 कैलोरीज, 11 ग्राम कार्बोहाइड्रेट और 3 ग्राम फाइबर होता है।टमाटर- एक कप टमाटर में 32 कैलोरीज, 7 ग्राम कार्बोहाइड्रेट और 2 ग्राम फाइबर होता है।ऑरेंज- एक मीडियम ऑरेंज में 69 कैलोरीज, 17 ग्राम कार्बोहाइड्रेट और 3 ग्राम फाइबर होता है।--
- आयुर्वेद में शरीर को स्वस्थ रखने के लिए खानपान से जुड़े कुछ नियम बताये गए हैं, जिनका पालन करने से आपका शरीर बीमारियों की चपेट में नहीं आता है। हेल्दी और पौष्टिक भोजन का सेवन करने के साथ ही आपको इस बात की भी जानकारी होनी चाहिए कि किस समय पर क्या खाना चाहिए। मौसम और समय के अनुसार सही डाइट लेने से आपके शरीर को पर्याप्त पोषण मिलता है और बीमारियां भी दूर होती हैं। आयुर्वेद के हिसाब से रात में क्या खाना चाहिए और आयुर्वेद में रात के भोजन को लेकर क्या बातें कही गयी हैं, आइए जानते हैं विस्तार से।आयुर्वेद के अनुसार शरीर की तीन मुख्य प्रकृति होती है। इन तीन प्रकृति को वात, कफ और पित्त के नाम से जाना जाता है। आयुर्वेद में यह माना जाता है कि जब शरीर में इन तीन तत्वों का संतुलन खराब होता है, तो इसकी वजह से बीमारियां या समस्याएं शुरू होती हैं। भोजन के जरिए शरीर में इन तीनों तत्वों का संतुलन बना रहता है। आरोग्यं हेल्थ सेंटर के आयुर्वेदिक डॉ एस के पांडेय कहते हैं कि शरीर को स्वस्थ रखने के लिए पौष्टिक आहार लेने के साथ ही सही समय पर भोजन करना जरूरी होता है। आयुर्वेद में यह कहा गया है कि शरीर को बीमारियों से दूर रखना है और स्वस्थ रहना है, तो आपको भोजन में 6 तरह के रस- अम्ल, मधुर, लवण, कटु, कषाय और तिक्त जरूर होने चाहिए।रात के समय भोजन करते समय आपको सबसे ज्यादा सावधानी बरतनी चाहिए। आयुर्वेद में रात के भोजन को लेकर कुछ नियम बताये गए हैं जो इस प्रकार से हैं-1. रात के समय में डाइट में हरी पत्तेदार सब्जियों का सेवन जरूर करना चाहिए। ऐसा करने से आपके शरीर को जरूरी पोषक तत्व मिलते हैं और शरीर निरोगी रहता है।2. रात में दूध पीना भी शरीर के लिए फायदेमंद माना जाता है, लेकिन भोजन करने से 30 मिनट पहले या भोजन के 30 मिनट बाद ही इसका सेवन करना चाहिए।3. रात के भोजन में दाल का सेवन भी बहुत फायदेमंद होता है, इससे आपके शरीर को प्रोटीन समेत कई जरूरी पोषक तत्व मिलते हैं।4. आयुर्वेद के मुताबिक रात के भोजन में गेहूं की रोटी का सेवन करने से आपके शरीर को नुकसान हो सकता है।5. रात के भोजन में नमक की मात्रा को संतुलित रखना चाहिए, अगर आप बिना नमक वाला भोजन करते हैं तो यह ज्यादा फायदेमंद होगा।6. हल्दी, मेथी, धनिया, अदरक और जीरा जैसे मसालों का सेवन शरीर के लिए फायदेमंद होता है, इसलिए रात में इनका सेवन करना चाहिए। लेकिन ध्यान रहे इस दौरान बहुत ज्यादा मसालेदार खाना नहीं होना चाहिए।रात के खाने से जुड़ी जरूरी बातेंरात में भोजन करने के बाद कम से कम 2 घंटे तक आपको बेड पर जाने से बचना चाहिए। अगर शरीर को हेल्दी और फिट बनाए रखना चाहते हैं, तो सोने से करीब 2 घंटे पहले आपको रात का भोजन कर लेना चाहिए। इसके अलावा रात के समय में हल्का भोजन करना फायदेमंद माना जाता है। रात के समय में मांसाहारी भोजन और हाई फाइबर फूड्स का सेवन करने से भी बचना चाहिए।
- पोषक तत्वों से भरपूर कीवी अपने गुणों के कारण हमारी रसोई में बहुत जल्दी शामिल हो गई। डॉक्टर से लेकर न्यूट्रीशनिस्ट तक इसका सेवन करने की सलाह देते हैं। कीवी का पूरा नाम कीवीफल है। यह बेरीज का एक रूप है, जो न्यूजीलैंड में सबसे ज्यादा प्रचलित है और वहां बड़े पैमाने पर इसकी खेती की भी की जाती है। परंतु यह मौलिक रूप से ईस्टर्न चाइना की पैदावार है। अब जब ये फल हमारी रसोई में दाखिल हो ही चुका है, तो जरूरी है इसके ढेर सारे लाभों के बारे में जानना।कीवी विटामिन सी, विटामिन ई, विटामिन के, फोलेट, पोटेशियम मैग्नीशियम, प्रोटीन, कॉपर डाइटरी फाइबर और कैरोटेनॉइड्स का एक अच्छा स्रोत है। यह सभी पोषक तत्व स्वास्थ्य के लिए काफी ज्यादा फायदेमंद होते हैं। वहीं इसमें एंटीऑक्सीडेंट भी पाए जाते हैं।यह एक स्वादिष्ट और हेल्दी स्नैक्स है। परंतु अन्य फलों की तरह इसमें भी प्राकृतिक रूप से शुगर मौजूद होती है। इस वजह एक सीमित मात्रा में ही इसका सेवन करें, अन्यथा यह आपकी सेहत के लिए नुकसानदेह हो सकता है।इम्यूनिटी बूस्ट करने में मददगारकीवी में पर्याप्त मात्रा में विटामिन सी पाया जाता है। विटामिन सी शरीर में इम्युनिटी को बूस्ट करने में मदद करता है और न्यूट्रोफिल्स नामक इम्यून सेल्स के फंक्शन को भी इंप्रूव करता है। पब मेड सेंट्रल द्वारा 2012 में विटामिन सी की कमी से जूझ रहे 15 लोगों के बीच कीवी को लेकर एक शोध किया गया। जहां 6 सप्ताह तक उन्हें एक-एक कीवी खिलाई गई और परिणाम के रूप में उनके शरीर में विटामिन सी की मात्रा को संतुलित देखा गया। हालांकि, दिन में दो कीवी खाने से विटामिन सी का स्तर काफी ज्यादा बढ़ सकता है।हार्ट हेल्थ को बनाए रखेकई स्टडीज के अनुसार नियमित रूप से कीवी का सेवन कई तरह की हृदय से जुड़ी समस्याएं जैसे हाई ब्लड प्रेशर को संतुलित रखता है। 2012 में नेशनल लाइब्रेरी ऑफ़ मेडिसिन द्वारा 102 स्मोकर पर एक स्टडी की गई। जिसमें उन्हें लगातार 8 सप्ताह तक 3-3 कीवी खिलाई गईं। इसके बाद पाया गया कि सभी व्यक्तियों का ब्लड प्रेशर नियंत्रित है। साथ ही उनके शरीर में ब्लड सर्कुलेशन में भी सुधार हुआ।डाइजेस्टिव सिस्टम होता है दुरुस्तनेशनल सेंटर फॉर बायोटेक्नोलॉजी इन्फॉर्मेशन द्वारा प्रकाशित एक डेटा के अनुसार कीवी में सॉल्युबल और इनसोल्युबल दोनों ही प्रकार के फाइबर मौजूद होते हैं। इतना ही नहीं कीवी के स्किन और फ्लेश दोनों में ही डाइटरी फाइबर बेहतर मात्रा में होता है। फाइबर पाचन क्रिया को संतुलित रखने के लिए बहुत जरूरी होता है। यदि आप कॉन्स्टिपेशन, एसिडिटी और गैस जैसी पेट संबंधी किसी भी प्रकार की समस्या से परेशान हैं, तो कीवी आपके लिए एक बेहतर विकल्प हो सकती है।त्वचा संबंधी समस्याओं से मिलती है निजातपरमिट सेंट्रल द्वारा किए गए रिसर्च के अनुसार कीवी विटामिन सी का एक अच्छा स्रोत है। यह जरूरी विटामिन हमारी स्किन की डलनेस को दूर करने में मदद करता है। वहीं इसमें मौजूद एंटीऑक्सीडेंट प्रॉपर्टी डेड स्किन सेल्स को बनने से रोकते हैं। यह स्किन में कोलेजन प्रोडक्शन को बढ़ाती हैं और त्वचा को यंग और मुलायाम बनाए रखती है।कीवी खाते वक्त इन बातों का रखें खास ध्यान--पोषक तत्वों से भरपूर कीवी स्वादिष्ट होने के साथ ही सेहत के लिए भी काफी ज्यादा फायदेमंद होती है। परंतु कई लोग कीवी के कारण एलर्जी से ग्रसित हो चुके हैं।यदि आपको भी कीवी खाने के बाद जीभ में किसी प्रकार का डिस्कंफर्ट महसूस हो रहा है या स्किन पर रैशेज नजर आने लगे, तो फौरन डॉक्टर से मशविरा करना चाहिए।
- मॉनसून गर्मी से राहत प्रदान करता है, लेकिन ये मौसम अपने साथ कई बीमारियों को भी साथ लेकर आता है. इस मौसम में सर्दी, जुकाम और गले में खराश होना आम है. ऐसे में आप मौसमी फूड्स को डाइट में शामिल कर सकते हैं. इनका सेवन आप जूस के रूप में कर सकते हैं. ये इम्युनिटी बढ़ाने में मदद करते हैं.आलूबुखाराआलूबुखारा एक बहुत ही स्वादिष्ट और सेहतमंद फल है. मॉनसून में आप आलूबुखारे के जूस का सेवन कर सकते हैं. ये आपको हाइड्रेट रखने में मदद करता है. आखूबुखारे का जूस पाचन तंत्र को स्वस्थ रखने में मदद करता है. ये इम्युनिटी बढ़ाने में मदद करताजामुन का जूसजामुन मौसमी फल है. ये मॉनसून के दौरान होता है. जामुन का जूस स्वास्थ्य के लिए बहुत ही फायदेमंद है. इसमें कई सारे पोषक तत्व होते हैं. ये इम्युनिटी को बढ़ाने में मदद करता है. आप मॉनसून में जामुन के जूस का सेवन कर सकते हैं.फालसे का शरबतफालसे बहुत ही स्वादिष्ट फल होता है. ये शरीर को पोषण देने का काम करता है. आप डाइट में फालसे के जूस को शामिल कर सकते हैं. ये स्वास्थ्य संबंधिक कई समस्याओं से छुटकारा दिलाने का काम भी करता है. ये हृदय को स्वस्थ रखने में मदद करता है.चेरीमॉनसून के मौसम में आप चेरी के जूस का सेवन कर सकते हैं. ये एंटी-ऑक्सीडेंट्स गुणों से भरपूर होती है. इसमें कई सारे पोषक तत्व होते हैं. इसमें विटामिन ए, बी और सी होता है. इसमें पोटैशियम और फास्फोरस होता है. ये इम्युनिटी को बढ़ाने में मदद करता है.
- रसोई में इस्तेमाल किए जाने वाले कुछ मसाले और हर्ब्स ऐसे होते हैं जो सेहत के लिहाज से बहुत ही फायदेमंद होते हैं. इनमें मौजूद गुण सूजन की समस्या से राहत दिलाने का काम भी करते हैं. सूजन आपके शरीर को कई तरह से प्रभावित कर सकती है. इस कारण कई अन्य समस्याओं का सामना भी करना पड़ता है. आप कुछ दवाओं के बिना भी इंफ्लेमेशन की समस्या से राहत पा सकते हैं. ऐसे में आप अपनी डाइट में कई तरह के एंटी-इंफ्लेमेटरी फूड्स शामिल कर सकते हैं. आप अपनी डाइट में कई तरह के मसालों और हर्ब्स के शामिल कर सकते हैं. ये सूजन की समस्या से राहत दिलाने का काम करते हैं.आइए जानें एंटी-इंफ्लेमेटरी से भरपूर कौन से फूड्स का आपको रोजाना खाने चाहिए.हल्दीहल्दी एक बहुत ही लोकप्रिय मसाला है. इसमें करक्यूमिन होता है. ये एक तरह का एंटीऑक्सीडेंट है. इसमें एंटी इंफ्लेमेटरी गुण होते हैं. आप रोजाना इसका सेवन कर सकते हैं.काली मिर्चकाली मिर्च में एंटीऑक्सीडेंट, एंटीइंफ्लेमेटरी और एंटीमाइक्रोबियल गुण होते हैं. ये कई गैस्ट्रोएंटेरोलॉजिकल समस्याओं को ठीक करने में मदद करता है.इलायचीइलायची एक सुगंधित मसाला है. इलायची सूजन को कम करने के साथ साथ फैटी लिवर की कंट्रोल करने में भी मदद करती है.दालचीनीदालचीनी में एंटीइंफ्लेमेटरी गुण होते हैं. ये सूजन की समस्या से राहत दिलाने का काम करती है. विशेषज्ञ को अनुसार दालचीनी का सेवन कम मात्रा में ही करना चाहिए.अदरकअदरक का सेवन चाय में लोकप्रिय रूप से किया जाता है. इसमें एंटीइंफ्लेमेटरी गुण होते हैं. ये सूजन की समस्या से राहत दिलाने का काम करता है. ये सर्दी, पीरियड्स में होने वाले ऐंठन, माइग्रेन, मतली, गठिया और हाई ब्लड प्रेशर की समस्या से राहत दिलाने का काम करता है. ये सूजन और जोड़ों के दर्द को कम करने में मदद करता है.लहसुनलहसुन गठिया, खांसी, कब्ज और अन्य बीमारियों के संक्रमण के इलाज के लिए बहुत ही फायदेमंद है. इसमें एंटीइंफ्लेमेटरी गुण होते हैं.मेथीमेथी जोड़ों के दर्द, कब्ज और सूजन से छुटकारा पाने में भी मदद करती है. मेथी का नियमित सेवन वजन कम करने में भी आपकी मदद कर सकता है.थाइमथाइम की खुशबू बहुत ही तेज होती है. इसमें एंटी इंफ्लेमेटरी गुण और एंटी-माइक्रोबियल गुण होते हैं. ये गठिया की समस्या से राहत दिलाने का काम करते हैं.रोजमेरीरिसर्च के अनुसार रोजमेरी में मौजूद पॉलीफेनोल्स सूजन को कम करने में मदद कर सकते हैं.
- भारत में मॉनसून के आते ही डेंगू और मलेरिया जैसी गंभीर बीमारियों के मामले तेजी से बढ़ने लगते हैं. इसका मुख्य कारण सड़कों पर जमने वाला पानी और गंदगी है. दरअसल, पानी की वजह से मच्छर आसान से पनप पाते हैं और ये मलेरिया जैसी बीमारियों को फैलाते हैं. पानी के जमने जैसे गलतियों को भले ही कम किया जा सकता है, लेकिन अगर हम सावधानियां बरते, तो इस बीमारी के होने का खतरा और कम हो जाता है. कई बार कोशिशों के बावजूद लोग मलेरिया जैसी गंभीर बीमारी की चपेट में आ जाते हैं.मलेरिया के होने पर डॉक्टरी इलाज सबसे जरूरी होता है, लेकिन कुछ घरेलू तरीके अपनाकर भी इस बीमारी से छुटकारा पाया जा सकता है. इन घरेलू उपायों की खासियत है कि अगर आप इन्हें नॉर्मल लाइफ में भी अपनाते हैं, तो आपसे मलेरिया के अलावा कई अन्य बीमारियां भी दूर रहेंगी. जानें आप किस तरह के कुछ घरेलू चीजों का सेवन कर सकते हैं…अदरक का पाउडर और पानीअदरक में एंटी बैक्टीरियल गुण होते हैं, जो हमारे शरीर को बीमारियों से बचाते हैं. एंटीऑक्सीडेंट्स से भरपूर अदरक का अगर सही तरीके से सेवन किया जाए, तो इससे हमारी इम्यूनिटी बूस्ट होती है. इम्यून सिस्टम अगर स्ट्रॉन्ग होगा, तो आपको मलेरिया जैसी गंभीर बीमारियां अपनी चपेट में ले नहीं पाएंगी. अदरक का पाउडर लें और उसे पानी में मिलाकर पिएं. आयुर्वेद में भी अदरक का विशेष महत्व बताया गया है.पपीते का पत्ता और शहदमलेरिया या डेंगू के होने पर हमारे प्लेटलेट्स तेजी से गिरने लगते हैं. इस कंडीशन में दवाओं के अलावा देसी नुस्खे भी अपनाएं जाते हैं. भारत के अधिकतर हिस्सों में आज भी लोग पपीते से जुड़े तरीके अपनाकर प्लेटलेट्स काउंट्स को बढ़ाते हैं. पपीते के पत्तों में कई ऐसे गुण होते हैं, जो हमारे इम्यून सिस्टम को मजबूत बनाते हैं. पपीते के पत्तों को पानी में उबाल लें और उसमें शहद मिलाकर सुबह-सुबह ये हेल्दी ड्रिंक पिएं. आपको अगर मलेरिया हुआ है और आप इस नुस्खे को अपनाते हैं, तो इससे ये प्रॉब्लम जल्द दूर हो सकती है.मेथी दानादेसी तरीकों से इम्यूनिटी बूस्ट करने की बात हो, तो भला मेथी दाना के नुस्खे को कैसे भूला जा सकता है. मेथी दाना में एंटी-प्लाज्मोडियम होता है, जो इम्यूनिटी को बूस्ट करके मलेरिया के वायरस को खत्म करने का काम करता है. मेथी दाना के नुस्खे को अपनाने के लिए रात में इसके बीजों को भिगो दें और सुबह इस पानी को हल्का सा गर्म करके पिएं. आप चाहे तो भिगोए हुए बीजों का पेस्ट बनाकर भी खा सकते हैं.
- चावल, विटामिन बी जैसे कई पोषक तत्वों का बेहतरीन स्रोत है। यह त्वचा की संरचना को बेहतर बनाने में मदद करता है। आज हम आपको चावल के आटे से बने कई ऐसे फेस पैक के बारे में बताएंगे जो आपके लिए ब्यूटी हैक्स के तौर पर काम आएंगे। अगर आपकी त्वचा संवेदनशील है तो सावधानी से इनका इस्तेमाल करें। इसके अलावा, चावल के आटे का ये फेस पैक आपकी त्वचा के लिए पूरी तरह से अद्भुत है।चावल के आटे का फेस पैक आपके रोमछिद्रों को कसता है और आपकी त्वचा को टोन करता है। इस प्रकार, यह तेल के स्तर को संतुलित करता है और मैट प्रभाव देता है। चावल के आते के विभिन्न प्रयोगों के बारे में हमने बात की ब्यूटी एक्सपर्ट हिना चौधरी से जिन्होंने ने हमसे चावल के बने चार ऐसे पैक साझा किए जिनकी मदद से हम कई तरह की स्किन प्रॉब्लम्स से छुटकारा पा सकते हैं।1 काले धब्बे हटाने के लिएचावल के आटे से बने इस शानदार फेस पैक में ब्लैक टी के एंटीऑक्सिडेंट शामिल हैं, जो त्वचा से हानिकारक विषाक्त पदार्थों, काले धब्बों, मुंहासों और दोष पैदा करने वाले एजेंटों को बाहर निकालते हैं।चावल का आटा और टी बैग फेस पैकसामग्री:1 बड़ा चम्मच चावल का आटा, 1 ब्लैक टी बैग, आधा कप गरम पानी, 1 चम्मच शहदइस्तेमाल करने का तरीका :एक कटोरी को उबलते पानी से आधा भरें और इसमें ब्लैक टी बैग को 2-3 मिनट के लिए भिगो दें। इसके बाद इसमें चावल का आटा और शहद मिलाएं। एक चिकना पेस्ट बनाएं और धीरे से इससे त्वचा की मालिश करें। 10-15 मिनट सूखने दें। अपना चेहरा धो लें। बेहतर परिणाम के लिए अपने चेहरे को ठंडे पानी से धोएं।डार्क पिग्मेंटेशन-चावल के आटे का यह फेस मास्क प्राकृतिक रूप से पौष्टिकता से भरपूर चीज़ों के संयोजन से बनता है।चावल का आटा, हल्दी और क्रीम फेस पैकसामग्री: 1 छोटा चम्मच चावल का आटा, 1 छोटा चम्मच फ्रेश क्रीम, 1 चुटकी हल्दी पाउडरइस्तेमाल करने का तरीका:एक कटोरे में चावल का आटा, ताजी क्रीम और हल्दी पाउडर मिलाएं। मिश्रण को अपने चेहरे और गर्दन पर लगाएं। ठंडे पानी से धोने से पहले इसे 10-15 मिनट तक सूखने दें। बेहतर परिणामों के लिए, इसे सप्ताह में कम से कम एक बार ज़रूर इस्तेमाल करें।3 टैनिंग हटानासूरज के संपर्क में ज़्यादा आना आपको पिगमेंटेशन और अल्ट्रावॉयलेट रेज़ का शिकार बना सकता है। जिसके कारण आपकी स्किन धब्बेदार या टैनिंग की शिकार हो सकती है। गुलाब जल त्वचा को प्राकृतिक चमक और ठंडक देता है। जबकि शहद त्वचा को अंदर से पोषण और मॉइस्चराइज़ करता है।चावल का आटा, गुलाब जल और शहद का फेस पैकसामग्री: 2 बड़े चम्मच चावल का आटा, 1 चम्मच शहद, 1 छोटा चम्मच गुलाब जलइस्तेमाल करने का तरीका:एक मिक्सिंग बाउल में, सभी सामग्री को मिला लें। चेहरे पर लगाएं। इसे 10-15 मिनट तक सूखने दें गर्म पानी का उपयोग करके, इसे धो लें।सर्वोत्तम परिणामों के लिए, सप्ताह में कम से कम एक बार दोहराएं। इसका मतलब यह नहीं है कि आप सनस्क्रीन लगाने में कोताही करें। बाहर निकलते समय सनब्लॉक है!4 ड्राई स्किन में लाए जान---चावल का आटा रूखेपन को कम कर सकता है, त्वचा की लोच बढ़ा सकता है, खुरदरापन कम कर सकता है और नियमित रूप से चेहरे और त्वचा पर लगाने पर त्वचा को हल्का कर सकता है। सर्वोत्तम परिणामों के लिए, सप्ताह में कम से कम एक बार मास्क लगाएं।चावल का आटा, खीरा और एलोवेरा फेस मास्कसामग्री: 2 बड़े चम्मच चावल का आटा, 2 बड़े चम्मच एलोवेरा जेल 2 बड़े चम्मच कद्दूकस किया हुआ खीराइस्तेमाल करने का तरीका:एक मिक्सिंग डिश में चावल का आटा, एलोवेरा जेल और कद्दूकस किया हुआ खीरा डालें। सभी सामग्री को एक मिक्सिंग बाउल में मिलाएं और चिकना होने तक फेंटें।पेस्ट को अपने चेहरे पर धीरे से एकसार करते हुए लगाएं। लगाने के बाद 20 मिनट के लिए छोड़ दें। गुनगुने पानी से अपना चेहरा धो लें। बेहतर अवशोषण के लिए इस मास्क का उपयोग करने से पहले अपने चेहरे को गीला करें।
- नींबू विटामिन सी का सबसे सुलभ और विश्वसनीय स्रोत है। आप इसे दाल, सब्जी, सलाद, अचार किसी भी चीज में शामिल कर सकती हैं। नींबू के सेवन का लाभ सिर्फ आपके अंदरूनी स्वास्थ्य को ही नहीं, बल्कि आपकी त्वचा और नाखूनों को भी मिलता है। ज्यादातर लोग वेट लॉस के लिए सुबह खाली पेट नींबू पानी पीना पसंद करते हैं। पर क्या आप जानती हैं कि हर रोज सुबह नींबू पानी से अपने दिन की शुरूआत करना सिर्फ वेट लॉस ही नहीं, आपकी सेहत को और भी कई फायदे देता है।वजन घटाने में मदद करता हैक्या आप वजन कम करने की कोशिश कर रही हैं? नींबू पानी आपके इस लक्ष्य को पाने में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकता है। वजन कम करने के लिएआपकी दिनचर्या की शुरुआत बहुत मैटर करती है, क्योंकि सुबह को इस काम के लिए सबसे अच्छा समय कहा जाता है।एक गिलास गुनगुने पानी में नींबू के रस की कुछ बूंदें मिलाएं और उसे सुबह खाली पेंट पिएं।एनसीबीआई की एक रिसर्च के मुताबिक यह जादुई औषधि शरीर के मेटाबॉलिज्म को काफी हद तक बूस्ट कर सकती है। वजन कम करने के लिए, आपको उपभोग से अधिक कैलोरी जलाने की जरूरत है। स्पीडी और हाई मेटाबॉलिज्म वाला व्यक्ति कम चयापचय वाले व्यक्ति की तुलना में अपने सभी आवश्यक कार्यों को करने के लिए अधिक कैलोरी का उपयोग करता है।एंटीऑक्सीडेंट बूस्टनींबू पानी के फायदों पर बात करते हुए न्यूट्रीशनिस्ट अनिता जेना बताती हैं कि सुबह नींबू पानी पीने से आपके शरीर को एक संपूर्ण एंटीऑक्सीडेंट बूस्ट मिल सकता है। नींबू विटामिन सी की अच्छाइयों से भरा हुआ है।विटामिन सी एक महत्वपूर्ण एंटीऑक्सिडेंट है, जो स्किन हेल्थ और इम्यूनिटी को बेहतर बनाने में मदद करता है। आपके डीएनए को फ्री रेडिकल्स से होने वाले नुकसान से बचाता है, जो उम्र बढऩे के प्रॉसेस को धीमा करने और आपको विभिन्न हृदय रोगों यहां तक कि कैंसर से भी बचाने में मदद कर सकता है।गुर्दे की पथरी के खतरे को कम करता हैएनसीबीआई के एक अध्ययन के अनुसार, दिन की शुरुआत में ही नींबू पानी का सेवन करने से किडनी स्टोन बनने के जोखिम को कम करने में मदद मिल सकती है। किडनी स्टोन होने का एक बड़ा लक्षण पेशाब करते हुए दर्द होना भी होता है।नींबू पानी में मौजूद साइट्रिक एसिड इन कैल्सीफाइड जमा को बाहर निकालने में मदद करता है और नींबू से एसिड पथरी को एक साथ आने से रोकने में मदद कर सकता है।पाचन में सहायता करता हैनींबू के रस की अम्लीय संरचना आपके शरीर से अवांछित सामग्री और विषाक्त पदार्थों को बाहर निकालने में मदद करती है। नींबू पानी लिवर द्वारा पित्त पैदा करने वाले सभी कारणों से लड़ता है। यह आगे पाचन और डीटॉक्सिफिकेशन में मदद करता है। इसके अलावा, नींबू पानी जलन, डकार और सूजन को भी ठीक करता है।मूड को एक्टिव और अपलिफ्ट करता हैएक गिलास नींबू पानी आपको दिन की शुरुआत में आवश्यक ऊर्जा को बढ़ावा दे सकता है। इसकी स्फूर्तिदायक गंध आपको नींद से जगाने और आपके मूड को तरोताजा करने के लिए शानदार है। विभिन्न विशेषज्ञों के अनुसार इसकी गंध, चिंता और अवसाद के लक्षणों पर भी अंकुश लगा सकती है। इसके अलावा यह आपकी सांसों को भी तरोताजा कर देता है।
- शहद का सेवन आपकी सेहत के लिए कई तरीके से फायदेमंद हो सकता है। शहद में भरपूर मात्रा में विटामिन सी, विटामिन बी6, कार्बोहाइड्रेट, अमीनो एसिड आदि पोषण तत्व पाए जाते हैं। लेकिन खाली पेट में शहद का सेवन करना आपके लिए और अधिक फायदेमंद हो सकता है। अगर आप सुबह के समय खाली पेट में शहद का सेवन करते हैं, तो इससे आपको वजन कम करने, सर्दी-जुकाम से छुटकारा और अपना इम्यून सिस्टम मजबूत करने में सहायता मिलती है। आइए खाली पेट शहद खाने के फायदे और तरीकों के बारे में विस्तार से जानते हैं।1. वजन कम करने के लिए फायदेमंदआप वजन कम करने के लिए खाली पेट में गुनगुने पानी के साथ शहद का सेवन कर सकते हैं। इससे शरीर में जमा अतिरिक्त चर्बी को कम करने में मदद मिलती है। आप चाहे तो इसमें नींबू या जीरा पाउडर भी मिला सकते हैं। यह आपके शरीर के लिए एक अच्छे डिटॉक्स वॉटर के रूप में इस्तेमाल आ सकता है।2. खांसी की समस्या में कारगरगले की खांसी को दूर करने के लिए भी आप शहद का सेवन कर सकते हैं। इसके एंटीबैक्टीरियल गुण कफ को खत्म करने में सहायता कर सकते हैं और आपकी खांसी को भी कम कर सकते हैं। इसे आप सुबह के समय गर्म पानी के साथ पी सकते हैं। इससे गले को काफी राहत मिलती है।3. इम्यून सिस्टम मजबूत बनाएशहद में मौजूद एंटीऑक्सीडेंट और एंटीबैक्टीरियल गुण आपको इंफेक्शन से दूर रहने में सहायता कर सकते हैं। इसे आप खाली पेट में खा सकते हैं। शहद को आप तुलसी के पत्ते के साथ भी खा सकते हैं। यह भी काफी लाभदायक हो सकता है।4. कील-मुहांसों को दूर करेकील-मुहांसों की समस्या कई लोगों को बहुत परेशान करती है। खासकर जिन लोगों की स्किन ऑयली होती है, उन्हें पिंपल्स की समस्या अधिक होती है। ऐसे में शहद में मौजूद पोषक तत्व आपको मुहांसों की दिक्कत से निजात दिला सकते हैं। इसके लिए आप शहद का सेवन भी कर सकते हैं और स्किन पर लगा भी सकते हैं। इससे मुहांसों से जल्दी छुटकारा मिल सकता है।5. गले की खराशआमतौर पर कई लोग गले की खराश की समस्या से अक्सर परेशान रहते हैं। ऐसे में गले की खराश को दूर करने के लिए आप खाली पेट में एक चम्मच शहद का सेवन अजवाइन या अदरक के साथ कर सकते हैं। इससे आपकी गले की खराश में काफी आराम मिल सकता है।
- मौसमी फल होने के कारण इन दिनों जामुन कई चौक-चौराहों पर बिकते दिख जाता है। इसे जामुन के अलावा जंबुल, ब्लैक प्लम, जावा प्लम, जंबोलन के नाम से भी जाना जाता है। अपने गहरे रंग और खट्टे-मीठे स्वाद की वजह से यह फल काफी पंसद किया जाता है। यह फल कई तरह के आयुर्वेदिक गुणों और विटामिन्स से भरपूर है। जामुन विटामिन-ए और विटामिन-सी का अच्छा स्रोत है जो आंखों व त्वचा के स्वास्थ्य के लिए बहुत फायदेमंद है। त्वचा को चमकदार बनाने और मुंहासों को जड़ से खत्म करने के लिए भी इसका इस्तेमाल किया जाता है।शासकीय आयुर्वेदिक महाविद्यालय, रायपुर के सह-प्राध्यापक डॉ. संजय शुक्ला ने बताया कि जामुन का फल 70 प्रतिशत खाने योग्य होता है। इसमें ग्लूकोज और फ्रक्टोज दो मुख्य स्रोत होते हैं। फल में खनिजों की संख्या अधिक होती है। अन्य फलों की तुलना में यह कम कैलोरी प्रदान करता है। एक मध्यम आकार का जामुन 3-4 कैलोरी देता है। इसके बीज में कार्बोहाइड्रेट, प्रोटीन और कैल्शियम की अधिकता होती है। यह आयरन का बड़ा स्रोत है। प्रति 100 ग्राम जामुन में एक से दो मिलीग्राम आयरन होता है। इसमें विटामिन-बी, कैरोटिन, मैग्नीशियम और फाइबर भी होता है।जामुन को मधुमेह, एनीमिया, पेट की समस्याओं, यकृत व पथरी रोग के उपचार के साथ-साथ दस्त, मेनोरेजिया (अतिरिक्त रक्तस्राव), मतली और उल्टी की समस्या से परेशान लोगों के लिए अमृत के समान बताया गया है। इसके ये विशिष्ट गुण इसे हृदय के स्वास्थ्य के लिए भी फायदेमंद बनाते हैं। डॉ. शुक्ला ने बताया कि जामुन का केवल फल ही नहीं, बल्कि इसके बीज, छाल और पत्तियों का उपयोग विभिन्न गंभीर बीमारियों के इलाज के लिए किया जाता है। जामुन एंटीऑक्सिडेंट का सबसे समृद्ध स्रोत है। साथ ही इसमें फ्लेवोनोइड पाया जाता है जो पूरे शरीर के स्वास्थ्य के लिए फायदेमंद होता हैजामुन में कई औषधीय गुण मौजूद होते हैं, जो शरीर की कई परेशानियों को दूर करने में प्रभावी है। जामुन की तरह जामुन की छाल भी स्वास्थ्य के लिए फायदेमंद होती है। इसमें कई तरह के आवश्यक तत्व जैसे फाइबर, कार्बोहाइड्रेट, पोटैशियम, आयरन और विटामिन पाए जाते हैं। जामुन के छाल का इस्तेमाल आयुर्वेद की कई औषधियों में किया जाता है। खासतौर पर मधुमेह के रोगियों को जामुन की छाल का सेवन करने की सलाह दी जाती है। अक्सर डायबिटीज रोगियों को जामुन की गुठली का पाउडर खाने की सलाह दी जाती है। आयुर्वेद में शुगर को नियंत्रित करने के लिए जामुन की छाल का सेवन करने की भी सलाह दी जा सकती है। जामुन की गुठली की तरह इसमें भी ब्लड-शुगर को कंट्रोल करने का गुण होता है, जो डायबिटीज की समस्याओं को कंट्रोल करने में प्रभावी है।गले में होने वाले दर्द, खराश और जलन को दूर करने के लिए जामुन की छाल का इस्तेमाल किया जा सकता है। इसके लिए जामुन की छाल को एक कप पानी में उबाल लें। अब इस पानी से नियमित रूप से सुबह-शाम कुल्ला करें। इससे गले में होने वाले दर्द और खराश से आराम मिलता है। आयुर्वेद के अनुसार, जामुन के फल को खाली पेट खाने से बचना चाहिए। इसके अलावा इस फल को खाने के कम से कम एक घंटे बाद और पहले तक दूध का सेवन करने से भी बचना चाहिए। ऐसा नहीं करने से फायदे की जगह स्वास्थ्य संबंधी दिक्कत होने की संभावना रहती है। जामुन की छाल गर्भवती महिलाओं के लिए भी फायदेमंद होती है। हालांकि इसका सेवन करने से पहले एक बार विशेषज्ञ की सलाह अवश्य लें।
- मखाना सेहत के लिए बेहद फायदेमंद होता है। मखाने में कैलोरी और फैट काफी कम मात्रा में पाया जाता है। मखाना एंटी ऑक्सीडेंट्स का भंडार होता है, जो हृदय और किडनी संबंधित समस्याओं से बचाने में काफी मददगार साबित होता है। क्या आपने कभी दूध में मखाना उबालकर इसका सेवन किया है? अगर नहीं, तो इस लेख के माध्यम से हम आपको दूध में मखाना उबालकर खाने के कुछ स्वास्थ्य फायदों के बारे में बताएंगे।1. पेट संबंधी समस्याओं में फायदेमंदमखाने को पुराने समय से ही हृदय के लिए फायदेमंद माना गया है। मखाना एंटी ऑक्सीडेंट्स का भंडार है, जो आपको पेट संबंधी समस्याओं से राहत दिलाने में मददगार होता है। मखाने में फाइबर की उच्च मात्रा पाई जाती है, जो आपके पाचन तंत्र को दुरुस्त रखने के साथ ही कब्ज आदि से भी छुटकारा दिलाता है। वहीं मखाने को दूध में उबालने से दूध में पाए जाने वाला लैक्टॉस भी मखाने में अवशोषित होता है, जो पेट दर्द, ब्लोटिंग आदि समस्याओं में मददगार साबित होता है।2. डायबिटीज में मददगारडायबिटीज की समस्या में भी मखाना और दूध का सेवन एक साथ करना काफी लाभदायक माना जाता है। दूध में मखाना उबालकर खाने से आपका ब्लड ग्लूकोज और ब्लड शुगर लेवल नियंत्रित होता है। डायबिटीज के मरीज दूध में मखाना उबालकर बेझिझक इसका सेवन कर सकते हैं। इसके नियमित सेवन से उनका ब्लड शुगर लेवल नियंत्रित होगा। मखाने में एंटी डायबिट प्रॉपर्टीज पाई जाती हैं, जो डायबिटीज के लक्षणों से भी बचाते हैं।3. जोड़ों के दर्द में सहायकआमतौर पर कैल्शियम की कमी के कारण जोड़ों में दर्द की समस्या होती है। मखाने को दूध में उबालकर खाना हड्डियों के लिए किसी औषधि से कम नहीं है। मखाना और दूध दोनों ही कैल्शियम का बेहतरीन स्त्रोत हैं। दोनों ही एंटी इंफ्लेमेटरी प्रॉपर्टीज से भरपूर होते हैं, जो जोड़ों के दर्द और सूजन आदि की समस्या में काफी प्रभावशाली माने जाते हैं।4. कमजोरी दूर करेदूध और मखाना दोनों ही एनर्जी का एक बेहतरीन स्त्रोत हैं। दोनों का सेवन करने मात्र से ही शरीर में इंस्टेंट एनर्जी आती है। मखाने को दूध में उबालकर खाने से शारीरिक कमजोरी दूर होती है। मखाना और दूध का सेवन करने से शरीर में प्रोटीन, कार्बोहाइड्रेट्स औऱ फाइबर आदि जैसे कई पोषक तत्व अवशोषित होते हैं, जो आपकी शारीरिक कमजोरी को दूर करने में सहायक होते हैं।5. अनिद्रा में फायदेमंदअगर आप भी अनिद्रा के शिकार हैं तो मखाना और दूध का सेवन कर सकते हैं। एक शोध की मानें तो अनिद्रा की समस्या में मखाने का सेवन करना काफी फायदेमंद होता है। वहीं दूध पीने से भी नींद नहीं आने की समस्या में राहत मिलती है। इसके लिए आप रात के समय दूध में उबले हुए मखाने खाएं और बचा हुआ दूध पीकर सो जाएं। इससे आपको जल्दी नींद आएगी।6. हृदय के लिए फायदेमंदमखाने में मैगनीशियम, कार्बोहाइड्रेट्स, प्रोटीन और फ्लेवेनॉइड्स आदि जैसे पोषक तत्व पाए जाते हैं, जो हृदय रोगों के लिए काफी फायदेमंद माना जाता है। वहीं हाल ही में हुए एक शोध की मानें तो नियमित तौर पर दूध का सेवन करने से आपके कोरोनरी आर्टरी डिजीज होने की आशंका काफी कम हो जाती है। इसलिए हृदय स्वस्थ रखने के लिए आप दूध में मखाने को उबालकर उसका सेवन कर सकते हैं। इसके लिए आप उबले हुए मखानों को खाने के बाद ऊपर से दूध का सेवन करें।नोट-अगर आप प्रेगनेंसी या फिर किसी बीमारी में इसका सेवन कर रहे हैं तो एक बार चिकित्सक की सलाह जरूर लें।
- गहरे काले रंग की दिखने वाली कलौंजी पुरुषों के लिए किसी औषधि से कम नहीं है। कलौंजी के बीज का सेवन करने से शरीर की कई समस्याएं दूर होती हैं और बीमारियों में भी फायदा मिलता है। इसमें मौजूद एंटी-ऑक्सीडेंट, कैल्शियम, कॉपर, आयरन और फोलिक एसिड शरीर के लिए बहुत फायदेमंद होते हैं। आइए जानते हैं पुरुषों के लिए कलौंजी के फायदे और सेवन का तरीका।1. इनफर्टिलिटी की समस्या में फायदेमंदकलौंजी के बीज का सेवन करने से शरीर में टेस्टोस्टेरोन हॉर्मोन का स्तर बढ़ता है। टेस्टोस्टेरोन हॉर्मोन को सेक्स हॉर्मोन कहा जाता है। इनफर्टिलिटी की समस्या से निपटने के लिए कलौंजी के बीज का सेवन आप डॉक्टर की सलाह लेकर कर सकते हैं। इसका सेवन प्रजनन स्वास्थ्य को ठीक करने के लिए बहुत फायदेमंद माना जाता है।2. प्रोस्टेट कैंसर में फायदेमंदकई शोध और अध्ययन इस बात की पुष्टि करते हैं कि कलौंजी के बीज का सेवन करने से प्रोस्टेट कैंसर की समस्या में फायदा मिलता है। इसमें मौजूद निगेला सैटिवा और थाइमोक्विनोन जैसे तत्व प्रोस्टेट कैंसर के खतरे को कम करने में बहुत फायदेमंद होते हैं। प्रोस्टेट कैंसर की कोशिकाओं को नष्ट करने के लिए भी कलौंजी का सेवन फायदेमंद होता है।3. स्टैमिना बढ़ाने में उपयोगीपुरुषों की शारीरिक स्टैमिना बढ़ाने के लिए कलौंजी के बीज का सेवन बहुत फायदेमंद होता है। कलौंजी को दूध के साथ मिलाकर पीने से आपकी स्टैमिना बूस्ट होती है। इसका सेवन करने से कमजोरी की समस्या में भी फायदा मिलता है और शरीर में खून की कमी दूर होती है।4. बाल झडऩे की समस्या में फायदेमंदबाल झडऩे की समस्या में कलौंजी के बीज का इस्तेमाल बहुत उपयोगी होता है। कलौंजी के तेल का इस्तेमाल बालों के लिए बहुत फायदेमंद है। इसमें मौजूद एंटी-माइक्रोबियल और एंटी-ऑक्सीडेंट गुण बाल झडऩे से रोकते हैं और बालों को घना और मजबूत बनाने का काम करते हैं। कलौंजी के तेल को नारियल के तेल में मिलाकर बालों में लगाना इस समस्या में बहुत फायदेमंद होता है।5. इम्यूनिटी बढ़ाने में उपयोगीकलौंजी में मौजूद गुण शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता यानी इम्यूनिटी को बढ़ाने का काम करते हैं। इसमें मौजूद एंटी-ऑक्सीडेंट गुण शरीर को संक्रमण से लडऩे के लिए तैयार करते हैं और इम्यूनिटी बूस्ट करते हैं। सर्दी-जुकाम और वायरल संक्रमण की समस्या में कलौंजी के बीज को दूध में मिलाकर पीने से फायदा मिलता है।पुरुषों के लिए कलौंजी का सेवन कई अन्य समस्याओं में भी फायदेमंद होता है। इसमें मौजूद गुण शरीर में कोलेस्ट्रॉल का स्तर नियंत्रित करने में उपयोगी होते हैं। इसके अलावा बैक्टीरियल इन्फेक्शन की समस्या में भी कलौंजी का सेवन बहुत फायदेमंद होता है। कलौंजी का सेवन आप कई तरीकों से कर सकते हैं। लेकिन ऊपर बताई गयी समस्याओं में कलौंजी और दूध को एक साथ मिलाकर पीने से फायदा मिलता है। कलौंजी का औषधीय इस्तेमाल करने से पहले आपको डॉक्टर या एक्सपर्ट की सलाह जरूर लेनी चाहिए।
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ऑयल पुलिंग
मुंह से बैक्टीरिया और कीटाणुओं को दूर करने के लिए एक फेमस पारंपरिक आयुर्वेदिक तकनीक है, जो दांतों के स्वास्थ्य को बेहतर बनाने में मदद करती है। अपनी सुबह के रूटीन में इसे शामिल करना आसान है क्योंकि यह न केवल ओरल हेल्थ बल्कि ओवरऑल हेल्थ के लिए भी फायदेमंद होता है।
बांस ब्रश का इस्तेमाल
इन दिनों हर कोई एंवायरमेंट फ्रेंडली चीजों का इस्तेमाल करता है। ऐसे में बायोडिग्रेडेबल टूथब्रश और लकड़ी के टूथब्रश भी खूब फेमस हो रहे हैं। बांस के टूथब्रश का इस्तेमाल करने के भी कई फायदे हैं। लकड़ी के नैचुरल एंटीमाइक्रोबिअल को तोड़ते और मारते हैं, जो आपके शरीर से टॉक्सिन को दूर करने में मदद करते हैं।
जीभ साफ करना
जीभ पर भी बैक्टीरिया और डेड सेल्स जमा हो सकते हैं। जिसकी वजह से मुंह से बदबू आने लगती है और इसका असर आपके ओरल हेल्थ पर होता है। इसलिए, जीभ को साफ करना जरूरी है। दिन में दो बार जीभ को साफ करने से आपके टेस्ट बड मजबूत होते हैं। यह हानिकारक बैक्टीरिया को दूर करने और आपके पाचन तंत्र को बेहतर बनाने के लिए भी अच्छे हैं।
पानी पीएं
पानी पीने के फायदे सभी जानते हैं। आपको पूरे दिन अपने आप को हाइड्रेट करना चाहिए, लेकिन सुबह सबसे पहले एक गिलास पानी इस से शुरू करें। पानी आपके शरीर के अंगों और टिशू की प्रॉपर फंक्शनिंग के लिए एक जरूरी पोषक तत्व है। बैठने और पानी पीने से मांसपेशियों और नसों को आराम मिलता है, जिससे आपकी नसों के लिए खाने और अन्य लिक्विड को पचाना आसान हो जाता है।
मी टाइम है जरूरी
जागने के बाद और सोशल मीडिया ब्राउज करने से पहले पहले खुद से जुड़ें। ऐसा करने से आप अपने दिमाग, दिल और शरीर को जोड़ पाएंगे। बस अपने लिए 5 मिनट अलग रखें और माइंडफुलनेस, कृतज्ञता की प्रेक्टिस करें, या बस सांस लें और ओम मंत्र का जाप करें। -
हेल्दी डाइट देने से बच्चों की ग्रोथ तेजी से होती है। पौष्टिक भोजन मस्तिष्क को सकारात्मक रूप से प्रभावित करता है और इस प्रकार बच्चे के सीखने, याद रखने, ध्यान अवधि और व्यवहार को बढ़ाने में मदद करता है। एक संपूर्ण और स्वस्थ आहार में खनिज, विटामिन और एंटीऑक्सिडेंट शामिल होते हैं, जो मस्तिष्क को पोषण प्रदान करते हैं और इसे तनाव या चिंता से बचाते हैं। इसलिए, माता-पिता को अपने बच्चों की ग्रोथ के लिए स्वच्छ और हेल्दी डाइट देनी चाहिए। कुछ ऐसी चीजें हैं, जो मेंटल ग्रोथ के लिए बहुत जरूरी है।
अंडे
प्रोटीन और पोषक तत्वों से भरपूर, अंडे में बच्चों की एकाग्रता और ध्यान अवधि में सुधार करने की शक्ति होती है। अंडे की जर्दी मस्तिष्क के कामकाज में सुधार करती है। अंडे खुशी के हार्मोन 'सेरोटोनिन' के निर्माण में मदद करते हैं, जो एक बच्चे को पूरे दिन खुश रखता है।
मछली
मछली में पर्याप्त मात्रा में ओमेगा -3 वसा, आयोडीन और जिंक होता है, जो मस्तिष्क के कार्य के लिए आवश्यक होता है। मछली दिमाग में ग्रे मैटर को तेज करती है और उम्र के कारण दिमाग को खराब होने से भी बचाती है। अध्ययनों से साबित हुआ है कि मछली खाने वालों में ग्रे मैटर अधिक होता है जिससे बच्चे का मूड नियंत्रित होता है और उसकी याददाश्त में भी सुधार होता है। जो बच्चे हर हफ्ते मछली खाते हैं, उनके उदास होने की संभावना कम होती है क्योंकि इसमें बहुत अधिक ओमेगा -3 वसा होता है। मछली डायबिटीज है।
जामुन
जामुन में एंथोसायनिन नामक यौगिक होते हैं, जो मस्तिष्क के स्वास्थ्य के लिए अच्छे होते हैं। जामुन का सेवन मस्तिष्क में रक्त के प्रवाह को बढ़ाता है, सूजन-रोधी होता है और नई तंत्रिका कोशिकाओं के उत्पादन में भी सहायक होता है। जामुन का सेवन बच्चों में के मानसिक विकास के लिए बहुत जरूरी है।
दही
प्रोटीन से भरपूर बिना मीठा दही दिमाग की सेहत के लिए बहुत अच्छा होता है। दही में आयोडीन होता है जो मस्तिष्क को प्रभावी ढंग से कार्य करने में मदद करता है। दही प्रोटीन, जिंक, बी 12 और सेलेनियम से भी भरा होता है, जो मस्तिष्क के विकास के लिए महत्वपूर्ण पोषक तत्व हैं। अपने बच्चे को नाश्ते के लिए फलों और नट्स के साथ सादा दही दें।
संतरा
संतरा विटामिन-सी से भरपूर होता है, जो स्वस्थ मस्तिष्क के लिए महत्वपूर्ण है। संतरे के सेवन से बच्चों में बेहतर प्रदर्शन, ध्यान केंद्रित करने में सुधार, प्रतिधारण शक्ति, एकाग्रता, पहचान जैसे लाभ होते हैं और वे अच्छे निर्णय लेने वाले भी होते हैं। संतरा बच्चे की स्किल्स में भी सुधार करता है। -
पैदल चलना हमारे लिए फायदेमंद होता है. यह बात तो हम सभी जानते हैं. लेकिन मुद्दा ये है कि हम इसे कितना फॉलो करते हैं. घर से स्कूल-कॉलेज, दफ्तर या बाजार वगैरह जाने के लिए ज्यादातर लोग प्राइवेट या पब्लिक ट्रांसपोर्ट का सहारा लेते हैं. घर से कहीं निकलना हुआ तो बाइक, कार वगैरह से निकल लिए. जल्दी हो और जरूरी हो तो ऐसा करना ठीक है, लेकिन पैदल चलना भी हमारे लिए उतना ही जरूरी है. पैदल चलना सामान्यत: हमारे लिए तीन तरह से फायदेमंद है. पहला- सामान्य स्वास्थ्य के लिए, दूसरा- वजन कम करने के लिए और तीसरा- फिजिकल स्ट्रेंथ यानी शारीरिक मजबूती के लिए. अब सवाल ये है कि आखिर हमें कितना पैदल चलना चाहिए?
पैदल चलने के और भी कई फायदे हैं. हार्ट और लंग्स यानी दिल और फेफड़े की फिटनेस के लिए फायदेमंद है. पैदल चलने से हार्ट की बीमारियों और स्ट्रोक का खतरा कम होता है. ऐसा करना हाई ब्लडप्रेशर और हाइपरटेंशन जैसी समस्याओं से दूर रखता है. हाई कोलेस्ट्रॉल और डायबिटीज मेंटेन रखने में अहम रोल है. जॉइंट और मांसपेशियों के दर्द को दूर रखता है. हड्डियों को मजबूत बनाता है और हमारे शरीर पर हमारा संतुलन इंप्रूव होता है. पैदल चलना मशल स्ट्रेंथ बढ़ाता है और वजन नियंत्रित रखता है. फायदों की बात हो गई, अब जानते हैं कि कितना पैदल चलना चाहिए.
ऑस्ट्रेलियाई स्टेट विक्टोरिया की स्वास्थ्य एजेंसी कहती है कि पैदल चलने के लिए हमें हर दिन कम से कम 30 मिनट जरूर निकालना चाहिए. अगर आप इतना समय भी नहीं निकाल सकते तो जितना ही समय निकले, पैदल जरूर चलें. हालांकि एजेंसी का कहना है कि ज्यादा समय निकालना ज्यादा फायदेमंद साबित होगा. फैमिली मेंबर्स, दोस्त, रिश्तेदारों या पड़ोसियों के साथ टहलने की आदत आपके लिए प्रैक्टिस आसान बना सकती है. हालांकि अन्य कुछेक स्वास्थ्य एजेंसी इससे ज्यादा पैदल चलने की सलाह देती हैं.
अमेरिकी स्वास्थ्य एजेंसी सीडीसी सामान्य व्यस्कों को हर दिन 10 हजार कदम पैदल चलने की सलाह देती है. सीडीसी के मुताबिक, यह करीब 5 मील या 8 किलोमीटर के बराबर होगा. ऐसा करने पर फायदे भी लाजवाब मिलेंगे. हालांकि अमेरिका में औसतन लोग डेढ़ से दो मील पैदल चलते हैं. मेडिकल न्यूज टूडे के मुताबिक, एक्सपर्ट जेनरली 5000 स्टेप चलने की सलाह तो देते ही हैं. यह करीब 4 किलोमीटर के बराबर होगा.
दिल्ली में भी डॉक्टर्स 30 से 40 मिनट पैदल चलने की सलाह देते हैं. हमने जिन कुछेक डॉक्टर्स से बात की, सभी ने पैदल चलने को अपनी रोजाना की आदत में शामिल करना जरूरी बताया. उनका कहना है कि पैदल चलने से आपके शरीर में ब्लड सर्कुलेशन अच्छा होता है और इसके ढेरों फायदे हैं. जरूरी नहीं कि आप एक ही बार में 4 किलोमीटर पैदल चलें. आप दिनभर में ऐसा कर सकते हैं, सुबह, शाम या रात कभी भी. वे बताते हैं कि आजकल स्मार्टफोन में स्टेप ट्रैकर ऐप होता है, जो आपके डेली स्टेप काउंट करता है. पैदल चलने के हिसाब-किताब के लिए यह एक आसान तरीका होगा. -
भुने हुए चने सेहत के लिए बहुत ही फायदेमंद होते हैं. अक्सर लोग इनका सेवन स्नैक के रूप में करते हैं. इसमें मिनरल, प्रोटीन, फाइबर और फैटी एसिड जैसे पोषक तत्व होते हैं. ये हाई ब्लड प्रेशर को कंट्रोल करने, वजन घटाने और पाचन तंत्र को स्वस्थ रखने में मदद करते हैं. आइए जानें भुने हुए चने खाने के फायदे---
इम्युनिटी को बढ़ाने के लिए
भुने चने खाने से इम्युनिटी को बढ़ाने में मदद मिलती है. ये कई बीमारियों से बचाने में मदद करता है. ये आपको मौसमी बीमारियों से बचाते हैं. ये आपके इम्यून सिस्टम को मजबूत बनाते हैं. आप रोजाना मुट्ठी भर चने का सेवन कर सकते हैं.
वजन कम करने में मदद करता है
आप वजन घटाने के लिए भी एक मुट्ठी भुने हुए चने का सेवन भी कर सकते हैं. भुने चने में कैलोरी बहुत कम मात्रा में होती है. आप वजन घटाने की डाइट में भी भुने हुए चने को शामिल कर सकते हैं. इसका सेवन करने से आपको देर तक भरा हुआ महसूस होता है. ये वजन को कंट्रोल करने में मदद करता है.
एनीमिया रोकने का काम करता है
चने में आयरन भरपूर मात्रा में होता है. ये खून की कमी को दूर करने में मदद करता है. आप नियमित रूप से एक मुट्ठी भुने हुए चने का सेवन कर सकते हैं. अक्सर महिलाओं को खून की कमी की समस्या का सामना करना करना पड़ता है. ऐसे में महिलाओं को भुने हुए चने खाने की सालह दी जाती है.
हृदय को स्वस्थ रखते हैं
भुने हुए चने में कई सारे पोषक तत्व होते हैं. इसमें मैग्नीशियम, फोलेट और प्रोटीन होता है. ये हृदय को स्वस्थ रखने में मदद करता है. ये हृदय संबंधित कई समस्याओं को दूर रखने में मदद करता है. आप नियमित रूप से एक मुट्ठी भुने हुए चने का सेवन कर सकते हैं. - आजकल वजन घटाने, स्किन को हेल्दी रखने और बालों की समस्याओं से बचने के लिए ग्लूटेन फ्री डाइट का क्रेज लोगों में तेजी से बढ़ रहा है। जिन लोगों को पाचन संबंधी समस्याएं होती हैं, उन्हें भी ग्लूटेन फ्री खाना खाने की सलाह दी जाती है। ग्लूटेन एक तरह का प्रोटीन होता है। ये गेहूं, जौ, ब्रेड और पास्ता जैसे खाद्य पदार्थों में पाया जाता है। ग्लूटेन फ्री डाइट शरीर को एनर्जी दिलाने और कई तरह के दर्द से भी राहत दिलाने में मदद करती है। ग्लूटेन फ्री डाइट के इन्हीं फायदों को देखते हुए आज हम आपको ऐसे 5 अनाज के बारे में बताने जा रहे हैं, जिसमें यह नहीं पाया जाता है।मक्कामक्का या मकई एक ग्लूटेन फ्री अनाज है। जिन लोगों को गेहूं और जौ जैसे अनाज खाने के बाद हेल्थ प्रॉब्लम होती है, उन्हें मक्का या इससे बनी चीजें इस्तेमाल करने की सलाह दी जाती है। मक्के में पाया जाने वाला कैरोटिनॉइड, विटामिन सी और फाइबर हड्डियों को मजबूत बनाने में मदद करता है। नियमित तौर पर मक्का का सेवन किया जाए तो इससे शरीर में कोलेस्ट्रॉल लेवल को नियंत्रित रखने में मदद मिलती है।क्विनोआक्विनोआ सबसे हेल्दी अनाज माना जाता है। क्विनोआ में आयरन, फाइबर, प्रोटीन, एंटी-कैंसर, एंटी एजिंग गुण, एंटी-सेप्टिक जैसे कई गुण पाए जाते हैं। जो लोग प्रोटीन के लिए दूध, दही और पनीर जैसी चीजें नहीं खा सकते हैं, उन्हें क्विनोए खाने की सलाह दी जाती है। क्विनोआ में पर्याप्त मात्रा में अमीनो एसिड पाए जाते हैं, जो एनीमिया से बचने और दिल से संबंधित बीमारियों के निजात दिलाने में मदद करते हैं। कई रिसर्च में यह बात सामने आई है कि क्विनोआ का सेवन करने वाले लोगों को कैंसर का खतरा कम रहता है।जई यानी ओट्सजई यानी की ओट्स भी एक ग्लूटेन फ्री अनाज है। ये सीलिएक रोग से पीडि़त लोगों के लिए काफी सहायक अच्छा माना जाता है। ओट्स में जिंक, कैल्शियम, प्रोटीन, आयरन, विटामिन- बी और विटामिन ई पाया जाता है, जो वजन कंट्रोल करने, इम्यूनिटी बढ़ाने और शरीर को लंबे समय तक एनर्जेटिक बनाए रखने में मदद करता है। ज्यादातर लोग नाश्ते में ओट्स का सेवन करना पसंद करते हैं। जई में बीटा ग्लूटेन पाया जाता है, जो ब्लड शुगर लेवल को भी नियंत्रित रखने में मदद करता है।ब्राउन राइसरिपोर्ट के मुताबिक, ब्राउन राइस में कई तरह के पोषक तत्व पाए जाते हैं। ब्राउन राइस में मौजूद मिनरल्स , आयरन , जिंक, मैग्नीशियम और कैल्शियम शरीर को एनर्जी देने में मदद करता है। ब्राउन राइस का सेवन करने से कोलेस्ट्रॉल, मधुमेह और कैंसर के जोखिमों को कम करने में मदद मिलती है। जिन लोगों को पाचन संबंधित समस्याएं होती है, उन्हें भी ब्राउन राइस का सेवन करने की सलाह दी जाती है।
- कुछ विटामिन की अगर शरीर में कमी हो, तो इसका असर बालों पर भी नजर आता है। हम आपको ऐसे विटामिन के बारे में बताने जा रहे हैं, जिनकी कमी होने पर बालों में डैंड्रफ रहने लगता है. जानें इनके बारे में...बायोटिनये एक ऐसा विटामिन है, जो स्कैल्प को हेल्दी रखता है। विटामिन बी 7 के रूप में पहचाने जाने वाला ये पोषक तत्व शरीर में रेड ब्लड सेल्स का निर्माण करता है। बादाम, मीट और साबूत अनाज से इसकी पूर्ति का ज ा सकती है।विटामिन सीस्किन की तरह बालों के लिए शरीर में कोलेजन का निर्माण होना बहुत जरूरी है। विटामिन सी शरीर में कोलेजन के प्रोडक्शन में अहम रोल निभाता है। जिन लोगों के बालों में डैंड्रफ या अन्य बालों की समस्याएं हो रखी हैं, उनके शरीर में जरूर विटामिन सी की कमी होती है। आप नींबू जैसी चीजों का सेवन करके या इनका हेयर मास्क बनाकर लगा सकते हैं।हेयर केयर रूटीन में बदलावइन विटामिन्स के सोर्स को डाइट का हिस्सा बनाने के अलावा आपको हेयर रूटीन को फॉलो करना चाहिए। इसके लिए हफ्ते में दो बार बालों की ऑयलिंग करें और एक घंटे के अंदर शैंपू व कंडीशनर का इस्तेमाल भी करें। आप चाहे तो ट्रेंड में चल रहे सैलिसिलिक एसिड बने हेयर सीरम को भी रूटीन का हिस्सा बना सकते हैं।
- एड़ियों का फटना एक आम समस्या है। एड़ियां फटने के कई कारण हो सकते हैं । इसमें वजन बढ़ने के कारण एड़ी पर दबाव पड़ना, देर तक खड़े रहना, रूखी त्वचा, कॉलस होना, खुले जूते या सैंडल पहनना आदि शामिल हैं । ऐसे में फटी एड़ियों से छुटकारा पाने के लिए आप कई तरह के घरेलू उपचार आजमा सकते हैं।पैरों की सफाई करेंफटी एड़ियों से छुटकारा पाने के लिए ये जरूरी है कि आप नियमित रूप से फटी एड़ियों में जमी गंदगी को साफ करें। इसके लिए एक टब में गर्म पाने लें इसमें सेंधा नमक और थोड़ा शैंपू डालें। इसे अच्छे से मिलाएं। इसमें कुछ देर के लिए अपने पैर डालकर रखें। ये पैरों में जमा गंदगी और मृत कोशिकाओं को हटाने में मदद करता है।शहद और दूध से बनी क्रीम का इस्तेमाल करेंइसके लिए एक पैन लें.। इसमें दूध और शहद डालें। इसे धीमी गैस पर गर्म करें। इसमें संतरे का रस डालें। इसे गैस से उतार लें। इसे थोड़ी देर के लिए ठंडा होने दें। अब इस क्रीम को किसी जार में डालकर रख दें। रोजाना इस क्रीम का फटी एड़ियों के लिए इस्तेमाल करें।मॉइस्चराइज रखेंफटी एड़ियों से छुटकारा पाने के लिए पैरों को मॉइस्चराइज करना बहुत ही जरूरी है। ऐसे में रात को सोने से पहले पैरों को मॉइस्चराइज करें। पैरों के लिए नारियल का इस्तेमाल करें.। रात को सोने से पहले पैरों पर नारियल के तेल से मसाज करें। ये आपके पैरों को मुलायम बनाने में मदद करता है।फटी एड़ियों के लिए ग्लिसरीन का इस्तेमाल करें- आप फटी एडियों के लिए ग्लिसरीन का इस्तेमाल भी कर सकते हैं। ये त्वचा को हेल्दी बनाए रखने में मदद करता है। आप रोजाना रात को सोने से पहले फटी एड़ियों पर ग्लिसरीन लगा सकते हैं। आप इसमें नींबू का रस भी मिला सकते हैं। ये मृत कोशिकाओं को हटाने में मदद करता है।
- आज के समय में आरओ का पानी शहरी इलाके के लगभग सभी घरों में इस्तेमाल होता है। दूषित पानी की समस्या की वजह से हर घर आरओ का पानी इस्तेमाल किया जाता है। आरओ वाटर प्यूरीफायर के पानी को पीने को लेकर सोशल मीडिया पर तमाम तरह की बाते कही जा रही हैं। तमाम सोशल मीडिया पोस्ट यह दावा करते हैं, कि आरओ का पानी पीना सेहत के लिए नुकसानदायक होता है। वहीं कई सोशल मीडिया पोस्ट में यह कहा जाता है, कि आरओ का पानी सेहत के लिए बिलकुल सुरक्षित है। आइये जानते हैं कि आरओ यानी रिवर्स ऑस्मोसिस सिस्टम से फिल्टर किया गया पानी सेहत के लिए वाकई नुकसानदायक है या नहीं?नोएडा हेल्थ प्लस क्लिनिक की जनरल फिजिशियन डॉ. स्वाति चौहान के अनुसार आरओ के पानी में फिल्टर करने की प्रक्रिया के दौरान मौजूद मिनरल्स और अन्य जरूरी तत्व नष्ट हो जाते हैं। लंबे समय तक बोतलबंद आरओ का पानी पीना हानिकारक हो सकता है, लेकिन सामान्य आरओ का पानी पीने से शरीर को ना तो कोई फायदा मिलता है और ना ही कोई नुकसान। आरओ से पानी फिल्टर करते समय टीडीएस लेवल 70 से 150 के बीच होना ज्यादा सुरक्षित होता है।नल का पानी आरओ के पानी से ज्यादा सुरक्षित है?कई लोगों का मानना है कि आरओ का पानी से ज्यादा सुरक्षित नल का पानी होता है। आरओ का पानी रिवर्स ऑस्मोसिस वाटर प्यूरीफायर द्वारा फिल्टर किया जाता है। इंटरनेशनल वाटर एसोसिएशन की एक रिपोर्ट में कहा गया कि, रिवर्स ऑस्मोसिस वाटर प्यूरीफायर (आरओ) के पानी के फिल्टरेशन के दौरान मैंगनीज, लोहा, फ्लोराइड, सीसा और कैल्शियम आदि खत्म हो जाते हैं। एक रिपोर्ट में कहा गया है कि आरओ सिस्टम से फिल्टर किये गए पानी के दूषित या हानिकारक होने की संभावना कम होती है। ऐसे में यह कहना कि नल का पानी, आरओ के पानी ज्यादा बेहतर है गलत होगा।आरओ के पानी और मिनरल वाटर में अंतर?आरओ का पानी दरअसल वाटर प्यूरीफायर में फिल्टर किया जाने वाला पानी है। इस पानी में मौजूद सभी फायदेमंद और नुकसानदायक मिनरल्स निकल जाते हैं। वहीं मिनरल वाटर में जरूरी मिनरल्स पाए जाते हैं। आरओ वाटर को बहुत लोग डेड वाटर के नाम से भी जानते हैं, क्योंकि इस पानी में मिनरल्स (ना तो हानिकारक और ना ही फायदेमंद ) खत्म हो जाते हैं।दूषित पानी वाले इलाकों में नल का पानी पीने से बेहतर है कि आरओ के पानी का इस्तेमाल किया जाए। लेकिन इस बात से भी इनकार नहीं किया जा सकता कि आरओ के पानी में शरीर के लिए जरूरी मिनरल्स और अन्य तत्व निकल जाते हैं। दूषित पानी पीने से आपकी सेहत को कई गंभीर समस्याएं हो सकती हैं, इसलिए पानी पीते समय आपको पानी की गुणवत्ता का ध्यान जरूर रखना चाहिए। आरओ का पानी पीने को लेकर आपको सोशल मीडिया पर फैली अफवाहों पर ध्यान देने के बजाय एक्सपर्ट डॉक्टर से सलाह लेनी चाहिए।