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- सुबह का नाश्ता हमेशा हैवी और हेल्दी होना चाहिए। क्योंकि यह दिन का पहला मील होता है, जो हमें दिनभर एक्टिव रखता है। कई लोग नाश्ते में मूसली खाना पसंद करते हैं। लेकिन मार्केट में मिलने वाली पैकेज्ड मूसली हर किसी के लिए सेफ नहीं होती है। लंबे समय तक पैकेट में रखने के लिए इसमें प्रिजर्वेटिव्स एड किये जाते हैं। जिससे यह हेल्दी के बजाय अनहेल्दी हो जाती है। ऐसे में आप घर पर ही कुछ समानों से मूसली तैयार कर सकते हैं। इसे बनाने में आपको ज्यादा समय नहीं लगेगा। साथ ही, यह सेहत के लिए भी बहुत फायदेमंद होगी।जानें घर पर कैसे तैयार करें होममेड मूसलीरोल्ड ओट्स- 2 कपकद्दू के बीज- 1/4 कपअलसी के बीज- 1/4 कपचिया सीड्स- 3 बड़े चम्मचसूरजमुखी के बीज- 1/4 कपबादाम- 1 कप मोटे कटे हुएइन सभी को सूखा भून लें और फिर डालें-गेहूं के टुकड़े- 1/2 कपकाली किशमिश- 1/4 कपसूखे क्रैनबेरी- 1/4 कपदालचीनी पाउडर- 1/4 छोटा चम्मचगुड़ पाउडर- 2 चम्मचब्लड शुगर कंट्रोल करने के लिए ऐसे खाएं सफेद मूसली, मिलेंगे अनोखे फायदेइन सभी चीजों को मिलाकर एक कंटेनर में डालकर रख लें। रोज सुबह इसमें से थोड़ा मूसली लें और दूध और फलों के साथ खाएं। इस तरह से आप घर परहेल्दी मूसली तैयार कर सकते हैंहोममेड मूसली के फायदेकेमिकल फी होती हैमार्केट में मिलने वाली मूसली में प्रिजर्वेटिव्स होते हैं। इसलिए यह शरीर के लिए हेल्दी नहीं होती है। लेकिन घर पर बनी मूसली में आप सभी चीजें अपनी पसंद से इस्तेमाल करते हैं। इसमें पोषक तत्व भी ज्यादा होते हैं।दिनभर एनर्जेटिक रखें-इस होममेड मूसली में नेचुरल सीड्स के साथ ड्राई फ्रूट्स भी इस्तेमाल हुए हैं। इनमेंहेल्दी फैट्स होने के साथजरूरी मिनरल्स भी होते हैं। ये सभी चीजें आपको हेल्दी और एनर्जेटिक रखने में मदद करेंगी।वेट लॉस में मददगारहोममेड मूसली में ओट्स अधिक इस्तेमाल हुए हैं। इसलिए यह वेट लॉस के लिए पर्फेक्ट रेसिपी हो सकती है। इसमें नेचुरल सीड्स के साथ ड्राई फ्रूटस भी डाले गए हैं। ये सभी चीजें आपको फीलिंग रखने में मदद करेंगी। होममेड मूसली खाने से आपको जल्दी भूख नहीं लगेगी, जिससे आप अगले मील में कम कैलोरी इंटेक करेंगे।क्रेविंग कंट्रोल करेंहोममेड मूसली में मिठास के लिए किशमिश और फ्रूटस इस्तेमाल किये गए हैं। ये सभी चीजें आपकी मीठे की क्रेविंग भी शांत करेंगी। इसलिए आप इसे रोज नाश्ते में खा सकते हैं।इसमें सीड्स और ड्राई फ्रूटस ज्यादा इस्तेमाल हुए हैं। इसलिए ध्यान रखें कि आप राज कम मात्रा में ही इसका सेवन करें। अगर आपकी कोई दवा चल रही है और आपको सीड्स या ड्राई फ्रूटस की मनाही है। ऐसे में आपको यह रेसिपी अवॉइड करनी चाहिए।
- मानसून में नाशपाती खूब आता है और लोग इसे खाने का मजा भी भरपूर लेते हैं। आमतौर पर नाशपाती हरे रंग की होती है, लेकिन क्या आपने कभी लाल नाशपाती के बारे में सुना है? हरे की तरह की लाल नाशपाती का स्वाद भी हल्का सा खट्टा और मीठा होता है। हरे के मुकाबले लाल नाशपाती सेहत, स्किन और बालों के लिए बहुत फायदेमंद होती है।लाल नाशपाती खाने के फायदेलाल नाशपाती में प्रोटीन, कार्बोहाइड्रेट, पोटेशियम, कैल्शियम और फाइबर जैसे पोषक तत्व पाए जाते हैं। यह पोषक तत्व हार्ट हेल्थ, ग्लोइंग स्किन और बीमारियों से बचाने में मदद करते हैं।1. हृदय रोगों से बचाता हैनाशपाती में फाइबर भरपूर मात्रा में होता है, जो हृदय संबंधी समस्याओं को रोकने में मददगार होता है। एक्सपर्ट के अनुसार, लाल नाशपाती में मौजूद पोटेशियम ब्लड प्रेशर को कंट्रोल करके हार्ट अटैक और हार्ट फेल्योर के खतरे को कम करता है।2. एलर्जिक रिएक्शन को कम करता हैनाशपाती को खाने पर अन्य फलों की तुलना में एलर्जिक रिएक्शन की संभावना कम होती है। मानसून में लाल नाशपाती का सेवन करने से त्वचा संबंधी एलर्जी, खुजली और जलन की संभावना कम होती है।3. रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाता हैलाल नाशपाती विटामिन सी से भरपूर होती है, जो रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाने और संक्रमण को दूर रखने में मदद करती है। लाल नाशपाती में मौजूद कॉपर संक्रमण पैदा करने वाली बीमारियों को भी रोकता है। मानसून में रोजाना लाल नाशपाती का सेवन करने से बुखार, सर्दी, खांसी और जुकाम के लक्षणों को कम करने में मदद मिलती है।4. ब्लड शुगर लेवल को नियंत्रित करता हैलाल नाशपाती में एंथोसायनिन भरपूर मात्रा में होता है, जो टाइप 2 डायबिटीज की संभावना को कम करता है। एक्सपर्ट के अनुसार, मानसून में आने वाले अन्य फलों की तुलना में लाल नाशपाती का ग्लाइसेमिक इंडेक्स काफी कम होता है। इसका सेवन करने से ब्लड शुगर लेवल प्रभावित नहीं होता है, ऐसे में डायबिटीज के मरीज भी लाल नाशपाती बिना किसी संकोच के खा सकते हैं।5. पेट को स्वस्थ रखता हैलाल नाशपाती में फाइबर की मात्रा होती है। इसका सेवन करने से पाचन क्रिया दुरुस्त रहती है। मानसून में लाल नाशपाती खाने से कब्ज, पेट में दर्द और एसिडिटी की समस्या नहीं होती है। इतना ही नहीं लाल नाशपाती मल को मुलायम बनाकर मल त्याग की प्रक्रिया को आसान बनाता है।6. झुर्रियों और झाइयों को रोकने मदद करता हैउम्र के साथ त्वचा पर होने वाली झुर्रियों और झाइयों को रोकने में भी लाल नाशपाती बहुत फायदेमंद होता है। लाल नाशपाती में कॉपर, विटामिन सी और विटामिन के पाया जाता है। यह त्वचा की फ्री रेडिकल्स से लड़ने में मदद करते हैं, जिसकी वजह से झुर्रियां और झाइयों को रोकने में मदद मिलती है।
- वजन कम करते समय या फिर फिटनेस रूटीन मेंटेन करते समय बहुत जरूरी होता है कि आप सही खाने के ऑप्शन का चुनाव करें। अक्सर लोग कुछ ऐसा खाना चाहते हैं जिसे खाकर मजा भी आ जाए और वजन भी न बढ़े। अगर आप भी कुछ ऐसे ही खाने के ऑप्शन को देखते हैं तो यहां हम कुछ लो कैलोरी स्नैक्स ऑप्शन बता रहे हैं। इन्हें खाकर आपका वजन भी नहीं बढ़ेगा और आपको ताकत भी मिलेगी।अक्सर जो लोग वजन कम कर रहे होते हैं वह लो कैलोरी स्नैक्स के लिए ऑप्शन खोजते हैं। अगर कोई ऑप्शन न समझ आए तो भूख को शांत करने के लिए जंक फूड खा लेते हैं। अगर आपके साथ ऐसा होता है तो न करें। हम यहां पर कुछ हेल्दी लो कैलोरी स्नैक्स बता रहे हैं जानिए-मक्के के दाने काफी ज्यादा फायदेमंद होते हैं। इसमें फाइबर की अच्छी मात्रा होती है। ऐसे में ये उन लोगों के लिए अच्छे माने जाते हैं जिन्हें कब्ज की समस्या रहती है। ये पाचन के साथ ही आंखों के लिए भी अच्छा माना जाता है। इसे बनाने के लिए कॉर्न को स्टीम करें और फिर इसमें नमक, काली मिर्च और नींबू का रस डालें। अच्छे से मिक्स करें और खाएं।फाइबर युक्त पॉपकॉर्न पाचन के लिए अच्छे माने जाते हैं। ये एक हेल्दी स्नैक ऑप्शन है। हालांकि, इसे घर पर बनाया जाना चाहिए। बाजार में मिलने वाले पॉपकॉर्न में काफी मक्खन होता है जो नुकसान कर सकता है। आप इसे घर पर आसानी से बना सकते हैं।प्रोटीन, फाइबर और विटामिन्स से भरपूर स्प्राउट्स सलाद स्वाद में अच्छी लगती है। ये एक हेल्दी स्नैक है जिसे खूब सारी सब्जियों के साथ मिलाकर तैयार किया जा सकता है। वजन कम कर रहे हैं तो इसे बिना मसालों के खाएं। बस नींबू का रस निचोड़ लें।भूख लगने पर चना सलाद खाई जा सकती है। इसे बनाना काफी आसान है। फाइबर से भरपीर इस सलाद को बनाने के लिए भीगे-उबले चने में चाट मसाले के साथ कुछ सब्जियां मिलाएं और खाएं।
- बढ़ते बच्चों के दिमागी विकास की हो बात या फिर परिवार के हर सदस्य की सेहत का रखना हो ख्याल, घर के बड़े-बुजुर्ग रोजाना कुछ बादाम नाश्ते में भिगोकर खाने की सलाह देते हैं। बादाम में बाकी मेवों की तुलना में सबसे ज्यादा पोषक तत्व मौजूद होते हैं। बादाम का नियमित सेवन शरीर में विटामिन ई, कैल्शियम, फॉस्फोरस, जिंक, सेलेनियम, कॉपर, नियासिन, आयरन और मैग्नीशियम की कमी को पूरा करता है। सेहत के लिए इतना फायदेमंद होने के बावजूद क्या आप जानते हैं, बादाम की तासीर गर्म होने की वजह से अगर इसका सेवन सही तरीके से ना किया जाए तो यह फायदे की जगह आपको नुकसान तक पहुंचा सकता है।बता दें, शारीरिक जरूरत से कम बादाम खाने पर व्यक्ति को उसका फायदा पूरी तरह नहीं मिल पाता है। जबकि अगर व्यक्ति जरूरत से ज्यादा बादाम खाता है तो उसे उसके साइड इफेक्ट झेलने पड़ सकते हैं। ऐसे में बादाम का सेवन करने से पहले हर व्यक्ति को अपनी उम्र के हिसाब से उसकी सही मात्रा का पता होना बेहद जरूरी हो जाता है।वयस्क व्यक्ति को रोज कितने बादाम खाने चाहिए?कई स्वास्थ्य रिपोर्ट एक वयस्क व्यक्ति को प्रतिदिन लगभग 30 ग्राम, यानी लगभग 23 बादाम खाने की सलाह देती हैं। बादाम की इतनी मात्रा एक वयस्क व्यक्ति के शरीर को जरूरी सभी पोषक तत्वों की मात्रा पूरी करवाने के लिए काफी होती है। वयस्क व्यक्ति के लिए इतनी मात्रा में बादाम का सेवन नुकसान नहीं पहुंचाता है।क्या कहते हैं विशेषज्ञ-विशेषज्ञों की मानें तो भारत जैसे गर्म देश में रोजाना एक व्यक्ति को 4-5 भिगोए हुए बादाम से ज्यादा नहीं खाने चाहिए। नियमित रूप से बादाम का सेवन हृदय, मस्तिष्क विकार, त्वचा और हेयर हेल्थ, मधुमेह, खांसी, सांस-संबंधी समस्या और एनीमिया में फायदा देता है। वहीं अगर बादाम का सेवन ज्यादा कर लिया जाए तो यह कब्ज, त्वचा रोग, अत्यधिक पसीना आने का कारण भी बनने लगता है।वेट लॉस में भी करता है मदद-एक स्टडी में यह पाया गया कि जो लोग बादाम का सेवन नहीं करते हैं उनकी तुलना में बादाम खाने वाले लोगों का वेट लॉस जल्दी होता है। ऐसा इसलिए क्योंकि बादाम में मोनोसेचुरेटेड फैट, प्रोटीन और फाइबर की भरपूर मात्रा होती है। जो पेट को लंबे समय तक भरा हुआ रखताी है। बादाम में मौजूद मोनोसेचुरेटेड जैसे हेल्दी फैट दिल की सेहत का ध्यान रखकर कोलेस्ट्रोल के स्तर को कम करने में मदद करते हैं। जबकि बादाम में मौजूद प्रोटीन मसल्स रिपेयर और ग्रोथ में मदद करता है। जो आपके हेल्दी वेट को बनाए रखने में मदद करता है।बच्चों के लिए कितने बादाम-करीब 10 बादाम बच्चों के लिए काफी होते हैं। बच्चों को रोजाना 10 बादाम भिगोकर खिलाने से बच्चों को प्रोटीन की पर्याप्त मात्रा मिल सकती है।क्या है बादाम खाने की सही तरीका-सेहत के लिए बादाम के पूरे फायदे लेने के लिए आपको उसे खाने का सही तरीका जरूर पता होना चाहिए। बता दे, आप बादाम को कच्चा भी खा सकते हैं। यह बादाम खाने का सबसे आसान और हेल्दी तरीका है। कच्चे बादाम में प्राकृतिक तेल और पोषक तत्व संरक्षित रहते हैं, जो सेहत को कई लाभ पहुंचा सकते हैं।हालांकि ज्यादातर लोग बादाम खाने के लिए यह दूसरा तरीका ज्यादा पसंद करते हैं। इस तरीके में बादाम को रात भर भिगोकर रखने के बाद अगली सुबह खाया जाता है। बादाम खाने के इस तरीके से बादाम जल्दी तो पचते ही है, साथ ही उनमें पौष्टिक तत्वों की उपलब्धता भी बढ़ सकती है।
- कैल्शियम हमारे शरीर के लिए एक जरूरी मिनरल है, जो हड्डियों और दांतों की मजबूती को बनाए रखने में सहायक होता है। बच्चों और टीनएजर्स को कैल्शियम की ज्यादा जरूरत होती है। ऐसा इसलिए, क्योंकि इस उम्र में हड्डियों का निर्माण और विकास तेजी से होता है। वहीं, वयस्कों और बुजुर्गों में हड्डियों की मजबूती बनाए रखने के लिए कैल्शियम की जरूरत होती है। यदि शरीर में कैल्शियम की कमी होती है, तो इससे हड्डियों की कमजोरी, दांतों की समस्याएं, मांसपेशियों में ऐंठन और कमजोरी की शिकायत हो सकती है।कैल्शियम सप्लीमेंट्स की जगह करें इन 5 चीजों का सेवन1. मोरिंगा (मुनगा)मोरिंगा में अच्छी मात्रा में कैल्शियम होता है, जो हड्डियों और दांतों की मजबूती के लिए आवश्यक है। इसमें विटामिन ए और ई भी होते हैं, जो समग्र स्वास्थ्य के लिए लाभदायक होते हैं। मोरिंगा की फली के साथ-साथ इसकी पत्तियां कई तरह के जरूरी एंटीऑक्सिडेंट्स से भरपूर होती हैं, जो शरीर को फ्री रेडिकल्स से बचाने में मदद कर सकती हैं। मोरिंगा का उपयोग स्मूदी, सब्जी, सूप या सलाद में मिलाकर किया जा सकता है। इसके अलावा मोरिंगा की पत्तियों को सूखाकर चाय के रूप में भी इस्तेमाल कर सकते हैं।2. सफेद तिलकैल्शियम की कमी दूर करने में सफेद तिल का सेवन भी लाभदायक हो सकता है। सफेद तिल में अच्छी मात्रा में कैल्शियम पाया जाता है, जो हड्डियों को मजबूत बनाता है। इसके साथ ही सफेद तिल में मैग्नीशियम और फास्फोरस भी होते हैं, जो हड्डियों के लिए जरूरी हैं। सफेद तिल को आप रातभर पानी में भिगोकर अगले दिन खा सकते हैं, इसके अलावा सलाद, दही या किसी भी भोजन में मिलाकर भी इसका सेवन किया जा सकता है। तिल के लड्डू या तिल पट्टी भी कैल्शियम का सोर्स हो सकते हैं।3. अलसीकैल्शियम के साथ-साथ ओमेगा-3 फैटी एसिड से भरपूर अलसी के बीज हड्डियों के स्वास्थ्य के लिए लाभकारी होते हैं। अलसी में फाइबर भी अच्छी मात्रा में पाया जाता है, जो पाचन को बेहतर करने में मदद करता है। अलसी को पीसकर सलाद, स्मूदी या सूप में मिलाकर सेवन कर सकते हैं।4. चिया सीड्सकैल्शियम के साथ प्रोटीन और फाइबर से भरपूर चिया सीड्स हड्डियों को हेल्दी बनाए रखने सहायक होते हैं। चिया सीड्स में मौजूद एंटीऑक्सीडेंट्स शरीर को हेल्दी रखने मदद करते हैं। चिया सीड्स को पानी में भिगोकर स्मूदी, ओटमील या दही में मिलाकर खा सकते हैं।5. राजगिराराजगिरा में कैल्शियम होता है, जो हड्डियों और दांतों के स्वास्थ्य के लिए जरूरी है। इसमें आयरन और मैग्नीशियम भी होते हैं, जो एनीमिया की शिकायत को कम सकते हैं। राजगिरा ग्लूटेन-फ्री होता है, ऐसे में जिन लोगों को ग्लूटन से एलर्जी होती है उनके लिए भी इसका सेवन लाभकारी हो सकता है। राजगिरा को आप दलिया और स्मूदी में मिला सकते हैं, इसके अलावा राजगिरा का आटा रोटी या पराठा बनाने में भी इस्तेमाल किया जा सकता है।
- आयुर्वेद में खानपान का भी विशेष ध्यान रखा जाता है। कई ऐसी चीजें हैं जो गंभीर से गंभीर बीमारियों में भी असरदार होती हैं। इसी लिस्ट में घी और नारियल तेल को भी शामिल किया गया है। ये दोनों चीजें से व्यंजन तैयार करने के लिए इस्तेमाल होती हैं। इनके सेवन से कई बीमारियों से राहत मिलती है। आयुर्वेद के अनुसार घी और नारियल तेल दोनों ही हेल्दी वसा हैं जिन्हें आपको डाइट में जरूर शामिल करना चाहिए-देसी घी के फायदे-वात पित्त संतुलित होते हैं-देसी घी को गाय के दूध से तैयार किया जाता है। यह शरीर में वात पित्त बैलेंस रखने में मदद करता है।-पाचन अग्नि तेज होती है-घी के सेवन से पाचन अग्नि तेज होती है और पाचन तंत्र स्वस्थ रहता है। इससे गट हेल्थ को फायदा होता है। साथ ही, इम्यूनिटी और मेमोरी बूस्ट होती है।-पेट और आंत के लिए फायदेमंद-घी में ब्यूटिरिक एसिड अधिक होता है। यह पेट और आंत को स्वस्थ रखने में मदद करता है।-याददाश्त बढ़ती है-आयुर्वेद कहता है कि घी मेदो वर्धक है जिसका अर्थ है कि यह याददाश्त और दिमाग की शक्ति को बढ़ाता है।-दवाओं में इस्तेमाल होना-घी आयुर्वेद के अनुसार सबसे अच्छा हेल्दी फैट्स है। इसके अनगिनत गुणों के कारण इसे कई दवाओं में भी इस्तेमाल किया जाता है।नारियल तेल के फायदे-पित्त संतुलित रहता है- नारियल तेल पित्त को संतुलित रखने में फायदेमंद है। इससे शरीर में वात पित्त की समस्या नहीं होती और कई बीमारियों में मदद मिलती है।-पाचन अग्नि तेज होती है-इसके सेवन से भी पाचन अग्नि तेज होती है और पाचन स्वस्थ रहता है।-त्वचा और बालों के लिए फायदेमंद-नारियल तेल त्वचा और बालों को हेल्दी रखने में मदद करता है। इसे आप सेवन के अलावा त्वचा और बालों की कई समस्याओं में इस्तेमाल कर सकते हैं।-शरीर की सूजन कम होती है-शरीर की सूजन में भी नारियल तेल का सेवन करना फायदेमंद है। यह त्वचा और बालों को स्वस्थ रखने में मददगार है।-कमजोरी दूर होती है-नारियल का तेल पोषक तत्वों से भरपूर है और यह कमजोरी दूर करने में मदद करता है। यह शरीर में ऊर्जा और ताकत को बेहतर बनाने में मदद करता है।-इम्यूनिटी बढ़ाता है-नारियल का तेल लॉरिक एसिड से भरपूर होता है जो रोगाणुरोधी के रूप में कार्य करता है। यह इम्यूनिटी बढ़ाता है और हार्ट हेल्थ के लिए भी अच्छा है।-इन बातों का रखें ध्याननारियल तेल और घी दोनों ही ठंडी प्रकृति के होते हैं। नारियल का तेल ज्यादा कफ उत्तेजक है जबकि घी थोड़ा गर्म होता है।रोजाना खाना पकाने के लिए आप 1 बड़ा चम्मच घी या नारियल तेल का इस्तेमाल कर सकते हैं।अगर आप किसी स्वास्थ्य समस्या के लिए दवा लेते हैं, तो आपको किसी आयुर्वेदिक एक्सपर्ट की सलाह पर ही इनका सेवन करना चाहिए।
- ड्राई फ्रूट्स जैसे की काजू, बादाम, किशमिश और अंजीर में पर्याप्त मात्रा में कैल्शियम, मैग्नीशियम, पोटैशियम, जिंक, आयरन, विटामिन ई, विटामिन बी12, विटामिन डी और ओमेगा 3 फैटी एसिड पाए जाते है। यह सभी पोषक तत्व शारीरिक और मानसिक सेहत के लिए बहुत फायदेमंद होते हैं। लेकिन क्या आपने कभी सोचा है कि ड्राई फ्रूट्स को पानी या दूध किसमें भिगोने से सेहत को ज्यादा फायदा मिलता है?दूध में भिगोए हुए ड्राई फ्रूट्स खाने के फायदेअगर आप ड्राई फ्रूट्स का सेवन आधे से 1 घंटे की बीच करना चाहते हैं, तो इसे दूध में भिगोया जा सकता है। दूध ड्राई फ्रूट्स को भिगोने से यह दूध के स्वाद को स्वादिष्ट बना देता है। जिन लोगों को दूध पीने में परेशानी होती है या जिन्हें दूध का स्वाद पसंद नहीं है, अगर वह दूध में ड्राई फ्रूट्स को मिलाकर सेवन करें, तो उन्हें इसका फायदा ज्यादा मिलता है। दूध में ड्राई फ्रूट्स मिलाकर सेवन करने से शरीर को ज्यादा मात्रा में प्रोटीन, कैल्शियम और मिनरल्स मिलते हैं, जिससे इम्यूनिटी स्ट्रांग बनती है। इतना ही नहीं दूध में भिगोए हुए ड्राई फ्रूट्स खाने से वजन बढ़ाने में भी मदद मिलती है ।पानी में भिगोए हुए ड्राई फ्रूट्स खाने के फायदे-, जब ड्राई फ्रूट्स को पानी में भिगोया जाता है, तो इसमें मौजूद फायटिक एसिड का कंटेंट कम हो जाता है। फायटिक एसिड पेट के लिए नुकसानदायक साबित हो सकता है। ड्राई फ्रूट्स को पानी में भिगोने से इसके पोषक तत्वों में इजाफा होता है। पानी में भीगे हुए ड्राई फ्रूट्स इसकी ऊपरी परत पर मौजूद फायटिक एसिड को खत्म कर देते हैं। यह फायटिक एसिड अपच का कारण बन सकता है। यही कारण है कि पानी में भीगे हुए ड्राई फ्रूट्स ज्यादा फायदेमंद हैं।पानी या दूध किसमें ड्राई फ्रूट्स भिगोकर खाना है ज्यादा हेल्दी?एक्सपर्ट का कहना है कि ड्राई फ्रूट्स को पानी में भिगोना है या फिर उसे दूध में भिगोकर खाना चाहिए, यह हर व्यक्ति की जरूरत पर निर्भर करता है। जिन लोगों को डायबिटीज या कोई बीमारी है, अगर वह रेगुलर बेसिस पर ड्राई फ्रूट्स का सेवन करना चाहते हैं, तो इस विषय पर ज्यादा जानकारी के लिए अपने डॉक्टर से संपर्क कर सकते हैं।
- हमारे शरीर में दो तरह के कोलेस्ट्रॉल बनते हैं- एक हाई डेंसिटी लिपोप्रोटीन (HDL) जिसे गुड कोलेस्ट्रॉल कहा जाता है और दूसरा लो डेंसिटी लिपोप्रोटीन (LDL) जिसे बैड कोलेस्ट्रॉल कहते हैं। सदाबहार, जिसे अंग्रेजी में विंक (Periwinkle) भी कहते हैं, एक औषधीय पौधा है जिसका आयुर्वेद में महत्वपूर्ण स्थान है। इसका सेवन करने से हाई कोलेस्ट्रॉल में बहुत फायदा मिलता है। आइए इस लेख में विस्तार से जानते हैं, हाई कोलेस्ट्रॉल में सदाबहार के फूलों का सेवन करने के फायदे और सही तरीका।हाई कोलेस्ट्रॉल में सदाबहार के फायदे-कोलेस्ट्रॉल कंट्रोल: सदाबहार में पाए जाने वाले कुछ तत्व रक्त में कुल कोलेस्ट्रॉल के स्तर को कम करने में मदद कर सकते हैं।-एलडीएल को कम करना: एलडीएल (खराब कोलेस्ट्रॉल) को कम करने में भी सदाबहार लाभकारी हो सकता है।-हार्ट : कोलेस्ट्रॉल के स्तर को नियंत्रित करके, सदाबहार हार्ट हेल्थ में सुधार करने में भूमिका निभा सकता है।हाई कोलेस्ट्रॉल में सदाबहार का सेवन कैसे करें?सदाबहार की चाय-सदाबहार की ताजी या सूखी पत्तियों को पानी में उबालें।-चाय को ठंडा होने दें और फिर छान लें।-आप चाहें तो इसमें थोड़ी सी शहद मिला सकते हैं।-नियमित रूप से इस चाय का सेवन करें।सदाबहार का रस-सदाबहार की ताज़ी पत्तियों को धोकर पीस लें।-रस को छान लें और आप चाहें तो इसे शहद के साथ मिला सकते हैं।-सुबह खाली पेट एक चम्मच रस ले सकते हैं।सदाबहार का पाउडर-सदाबहार की पत्तियों को सुखाकर पाउडर बना लें।-आप इस पाउडर को शहद या दही के साथ मिलाकर सेवन कर सकते हैं।हाई कोलेस्ट्रॉल के लक्षण-सीने में दर्द और बेचैनी-स्किन के रंग में बदलाव-ब्लड प्रेशर बढ़ना-सांस लेने में परेशानी-अचानक दिल की धड़कन बढ़ना-अचानक से घबराहट होना-शरीर में लगातार थकान और सुस्ती बनी रहना-अचानक से शरीर के बाएं हिस्से में दर्द होनाइसके अलावा जीवनशैली में कुछ बदलाव करके आप कोलेस्ट्रॉल को नियंत्रण में रख सकते हैं। इसके लिए आप रेग्युलर एक्सरसाइज करें। इससे एचडीएल कोलेस्ट्रॉल के स्तर को बढ़ाने और एलडीएल कोलेस्ट्रॉल के स्तर को कम करने में मदद मिलती है।
- डायबिटीज के मरीजों के लिए इंसुलिन प्लांट एक चमत्कारी पौधा बताया जाता है। इंसुलिन प्लांट एक पौधा है जिसका वैज्ञानिक नाम कोक्टस इग्नस (Coccus ignitus) है। यह पौधा मुख्य रूप से भारत और दक्षिण-पूर्व एशिया में पाया जाता है। इसकी पत्तियों का उपयोग आयुर्वेद में कई बीमारियों के इलाज के लिए किया जाता है। कुछ लोगों का मानना है कि इंसुलिन प्लांट की पत्तियों में कुछ ऐसे गुण होते हैं, जो ब्लड शुगर के लेवल को कंट्रोल कर सकते हैं। ऐसा भी कहा जाता है कि इंसुलिन प्लांट का इस्तेमाल करने से शरीर में इंसुलिन का प्रोडक्शन भी बढ़ जाता है। इंसुलिन प्लांट का सेवन करने से डायबिटीज में ब्लड शुगर कंट्रोल और इंसुलिन प्रोडक्शन ठीक करने वाले दावे के कोई वैज्ञानिक प्रमाण नहीं है। अभी तक हुए अध्ययनों में यह जरूर कहा गया है कि इंसुलिन प्लांट की पत्तियों का सेवन करने से ब्लड शुगर के स्तर में मामूली कमी या सकती है।" लेकिन इसकी पत्तियों का असर सभी लोगों पर एक जैसा नहीं होता है।क्या इंसुलिन प्लांट का सेवन सुरक्षित है?इंसुलिन प्लांट को आमतौर पर सुरक्षित माना जाता है, लेकिन इसका सेवन करने से पहले डॉक्टर की सलाह लेना जरूरी है। कुछ लोगों को इसके सेवन से एलर्जी या अन्य साइड इफेक्ट्स हो सकते हैं। इसके अलावा, अगर आप पहले से ही डायबिटीज की दवा ले रहे हैं, तो इंसुलिन प्लांट का सेवन करने से पहले अपने डॉक्टर से बात जरूर करें।डायबिटीज एक गंभीर बीमारी है, इस बीमारी में लापरवाही मरीजों के लिए भारी पड़ सकती है। डायबिटीज में इंसुलिन प्लांट का सेवन करने वाले दावे भले ही बहुत बड़े हैं, लेकिन बिना डॉक्टर की सलाह के इस समस्या में किसी भी चीज का सेवन करने से बचना चाहिए। डायबिटीज से बचाव और इसे कंट्रोल में रखने के लिए संतुलित और पौष्टिक डाइट का सेवन और एक्टिव लाइफस्टाइल अपनानी चाहिए।समय-समय पaर ब्लड शुगर की जांच और डॉक्टर की सलाह लेने से आप डायबिटीज को कंट्रोल में रख सकते हैं। अगर आप डायबिटीज के मरीज हैं, तो इंसुलिन प्लांट जैसी किसी भी चीज का सेवन करने से पहले डॉक्टर की सलाह जरूर लें।
- हेयर टाइप अलग होने के साथ उनकी देखभाल भी अलग होती है। आप स्ट्रेट बालों का शैम्पू कर्ली बालों पर इस्तेमाल नहीं कर सकते हैं। वहीं कर्ली बालों के लिए हेयर केयर और हेयर मास्क भी अलग-अलग होते हैं। कर्ली बालों के लिए लोग ज्यादातर मार्केट के हेयर प्रोडक्ट्स पर निर्भर हो जाते हैं। जबकि इनकी देखभाल घर पर भी हो सकती है। कर्ली बालों में शाइन बनाए रखना काफी मुश्किल होता है। ऐसे में आप अलसी और ऑलिव ऑयल का हेयर कंडीशनर इस्तेमाल कर सकते हैं। इसे बनाना और इस्तेमाल करना दोनों बहुत आसान है। आइये इस लेख में जानें इस हेयर कंडीशनर को कैसे बनाना है।अलसी और ऑलिव ऑयल का हेयर कंडीशनर कैसे बनाएं-सामग्रीअलसी- 3 से 4 चम्मचऑलिव ऑयल- 1 चम्मचविटामिन ई कैप्सूल- 1बादाम का तेल- 2 चम्मचएलोवेरा जेल- 2 चम्मचबनाने की विधियह हेयर कंडीशनर बनाने के लिए अलसी को पानी में भिगोकर रखें। अब इसे उबालकर इसका जेल तैयार कर लें। ध्यान रखें कि आपको केवल गाढ़ा जेल लेना है। अब इसे एक बाउल में रख लें। इसके साथ ही इसमें 2 चम्मच एलोवेरा जेल मिलाएं। साथ ही, इसमें 2 चम्मच बादाम तेल, विटामिन ई कैप्सूल और ऑलिव ऑयल मिलाएं।अलसी और ऑलिव ऑयल का हेयर कंडीशनर कैसे इस्तेमाल करेंइस कंडीशनर को आप शैम्पू से पहले और बाद में दोनों तरह से इस्तेमाल कर सकते हैं। शैम्पू के बाद इस कंडीशनर की थोड़ी सी मात्रा हाथ में लीजिए। हल्के हाथों से इसे बालों पर लगाएं। इसे ज्यादा मात्रा में न लगाएं अन्यथा बाल चिपचिपे हो सकते हैं।अलसी और ऑलिव ऑयल के हेयर कंडीशनर के फायदेबालों में चमक लाता हैअलसी का जेल बालों में शाइन लाता है। एलोवेरा जेल से बालों का रूखापन कम होता है। साथ ही, बाल स्मूद और शाइनी रहते हैं।बाल सॉफ्ट बनते हैंअलसी और ऑलिव ऑयल दोनों की बालों को सॉफ्ट बनाते हैं। इसमें एंटीऑक्सीडेंट होते हैं, जो बालों को सॉफ्ट और स्मूद रखने में मदद करते हैं।बाल हेल्दी होते हैंयह कंडीशनर बालों को हेल्दी रखने में भी मदद करता है। इसे आप हेयर मास्क की तरह भी इस्तेमाल कर सकते हैं। बादाम तेल के प्राकृतिक गुण बालों को हेल्दी रखते हैं। यह कंडीशनर बालों को मजबूती देगा और शाइनी बनाने में मदद करता है। अगर आप पहली बार इसका इस्तेमाल कर रहे हैं, तो एक बार पैच टेस्ट जरूर करें।
- कद्दू की तुलना में इसके बीज, सेहत के लिए अधिक फायदेमंद होते हैं। कद्दू के बीज विटामिन्स, मिनरल्स, हेल्दी फैट्स और प्रोटीन के अच्छे स्त्रोत होते हैं। इन बीजों में मैग्नीशियम, जिंक, ओमेगा-3 फैटी एसिड, विटामिन के और विटामिन ई जैसे पोषक तत्व पाए जाते हैं। कद्दू के बीजों में फाइबर और एंटीऑक्सीडेंट्स भी होते हैं, जो हार्ट हेल्थ को बेहतर बनाए रखने में मदद करते हैं। डायबिटीज रोगियों के लिए भी ये बीज फायदेमंद होते हैं। लेकिन क्या आपको कद्दू के बीजों की तासीर पता है?कद्दू के बीजों की तासीर क्या होती है?-कद्दू के बीजों की तासीर ठंडी होती है। इसलिए हर व्यक्ति इन बीजों का सेवन आसानी से कर सकता है। आयुर्वेद के अनुसार, पित्त प्रकृति के लोग भी कद्दू के बीजों का सेवन कर सकते हैं। इसके अलावा, वात और कफ प्रकृति के लोगों के लिए भी कद्दू के बीज फायदेमंद होते हैं।कद्दू के बीजों का सेवन किसे करना चाहिए?-कद्दू के बीजों का सेवन सभी लोग कर सकते हैं। कद्दू की बीजों में फाइबर अधिक मात्रा में पाया जाता है। इसलिए सभी लोग इन बीजों का सेवन कर सकते हैं।-अगर किसी व्यक्ति को कब्ज रहती है, तो उसके लिए कद्दू के बीज फायदेमंद हो सकते हैं। इनमें मौजूद फाइबर, कब्ज से छुटकारा दिलाता है।-कद्दू के बीज कोलेस्ट्रॉल रोगियों के लिए भी अच्छे होते हैं। इन बीजों को खाने से कोलेस्ट्रॉल का स्तर नियंत्रण में रहता है।-कद्दू के बीजों में ओमेगा-3 और जिंक पाए जाते हैं। जिन लोगों की कमजोर इम्यूनिटी है, वे इन बीजों का सेवन कर सकते हैं।-डायबिटीज रोगियों के लिए भी कद्दू के बीज फायदेमंद माने जाते हैं। इनमें मौजूद फाइबर, डायबिटीज को कंट्रोल रखने में मदद करता है।रोज कितनी मात्रा में कद्दू के बीजों का सेवन करना चाहिए?-किसी भी चीज का पर्याप्त लाभ लेने के लिए सही मात्रा में सेवन करना बहुत जरूरी होता है। आप रोजाना 5 ग्राम कद्दू के बीजों का सेवन कर सकते हैं। हालांकि, आपको अधिक मात्रा में भी कद्दू के बीजों का सेवन करने से बचना चाहिए।कद्दू के बीजों का सेवन कैसे करें?-कद्दू के बीजों का सेवन कई तरीकों से किया जाता है। कद्दू के बीजों को सलाद में मिलाकर खाया जा सकता है।इनका सेवन स्मूदी में किया जा सकता है।इसके अलावा, रोस्ट या भूनकर भी कद्दू के बीज खाए जा सकते हैं।कद्दू के बीज पोषक तत्वों से भरपूर होते हैं। लेकिन इनका सेवन सीमित मात्रा में ही करना चाहिए। क्योंकि इनमें कैलोरी अधिक होती है, जिससे वजन बढ़ सकता है। अगर आप किसी स्वास्थ्य समस्या से पीड़ित हैं, तो एक्सपर्ट की राय पर ही इनका सेवन करें।
- हर समय आलस आना, थका-थका महसूस होना, शरीर में कमजोरी होने का कारण होता है। बढ़ती उम्र के साथ शरीर का कमजोर होना आम बात है, लेकिन कम उम्र में शरीर में पोषक तत्वों की कमी, बहुत ज्यादा काम करना, शारीरिक गतिविधियां न करना या किसी बीमारी से ग्रस्त होने के कारण स्टेमिना कमजोर हो जाता है, जिससे व्यक्ति को बहुत ज्यादा कमजोरी महसूस होने लगती है। शरीर की कमजोरी कम करने के लिए आप अपनी डाइट में इलायची और मिश्री का सेवन कर सकते हैं। इलायची और मिश्री आपके ओवरओल हेल्थ के लिए बहुत फायदेमंद होता है और शरीर का स्टेमिना बढ़ाने में भी लाभकारी है।एनर्जी बढ़ाएंमिश्री ग्लूकोज का एक नेचुरल स्रोत है, जिसे खाने से आपके शरीर को तुंरत ताकत मिलती है, जबकि इलायची पाचन को बेहतर बनाने में मदद करता है, जो पोषक तत्वों के बेहतर अवशोषण में मदद करती हैं, जिससे शरीर की एनर्जी बढ़ती है।पाचन के लिए बेहतरइलायची का सेवन आपके पाचन को बेहतर रखने में मदद करता है, और सूजन को कम करता है, जिससे शरीर को पोषक तत्वों को सही ढंग से अवशोषित करना आसान हो जाता है।स्टेमिना बढ़ाता हैइलायची ब्लड सर्कुलेशन में सुधार करने के लिए जानी जाती है, जो मांसपेशियों में बेहतर ऑक्सीजन फ्लो में मदद करती है, जिससे आपकास्टेमिना बढ़ता है।तनाव कम करेंइलायची का स्वाद और खुशबू आपके दिमाग पर शांत प्रभाव डाल सकती है, जिससे तनाव कम करने में मदद मिलता है और मानसिक सहनशक्ति में सुधार हो सकता है।शरीर को डिटॉक्स करेंइलायची और मिश्री दोनों में डिटॉक्सिफिकेशन गुण होते हैं, जो शरीर को साफ करने में मदद करते हैं, जिससे ओवरओल हेल्थ बेहतर होती है और शरीर में एनर्जी का लेवल बेहतर होता है।एंटीऑक्सीडेंट गुणइलायची में भरपूर मात्रा में एंटीऑक्सीडेंट गुण होते हैं, जो मुक्त कणों से लड़ने और ऑक्सीडेटिव तनाव को कम करने में आपकी मदद कर सकते हैं, जिससे कमजोरी दूर होती है और एनर्जी बढ़ती है।इलायची और मिश्री का सेवन कैसे करें?मिश्री और इलायची एक साथ मिलाकर खाना आपके ओवरओल हेल्थ के लिए अच्छा होता है। मिश्री और इलायची को पीसकर आप उसका पाउडर बनाकर एक एयर टाइट कंटेनर में स्टोर करके रख सकते हैं। इस मिश्री और इलायची पाउडर का सेवन आप चाय में मिलाकर कर सकते हैं। इसके अलावा आप दूध में मिश्री और इलायची पाउडर मिलाकर भी रात को सोने से पहले पी सकते हैं या फिर आप इलायची और मिश्री को सुबह खाली पेट चबाकर भी खा सकते हैं।शरीर की ताकत बढ़ाने और एनर्जी पाने के लिए आप रोजाना मिश्री और इलायची का मिश्रण का सेवन करें, लेकिन अगर आपको कोई स्वास्थ्य समस्या है तो इस मिश्रण का सेवन करने से पहले डॉक्टर से कंसल्ट कर लें।
- हाई कोलेस्ट्रॉल भी खानपान और जीवनशैली से जुड़ी गड़बड़ी के कारण होने वाली समस्या है। हाई कोलेस्ट्रॉल बढ़ने पर हाई ब्लड प्रेशर, हार्ट अटैक और हार्ट से जुड़ी गंभीर बीमारियों का खतरा रहता है। मारे शरीर में दो तरह के कोलेस्ट्रॉल बनते हैं- एक हाई डेंसिटी लिपोप्रोटीन (HDL) जिसे गुड कोलेस्ट्रॉल कहा जाता है और दूसरा लो डेंसिटी लिपोप्रोटीन (LDL) जिसे बैड कोलेस्ट्रॉल कहते हैं। शरीर में बैड कोलेस्ट्रॉल बढ़ने की स्थिति हो ही हाई कोलेस्ट्रॉल कहते हैं। जब आपके शरीर में बैड फैट बढ़ जाता है, तो यह नसों में जाकर जम जाता है। हाई कोलेस्ट्रॉल को कम करने के लिए रोजाना नींबू और शहद के पानी का सेवन फायदेमंद होता है।हाई कोलेस्ट्रॉल में नींबू और शहद के फायदेनींबू और शहर में मौजूद गुण शरीर में बढ़े बैड कोलेस्ट्रॉल को कंट्रोल करने में मदद करते हैं। इसका नियमित सेवन करने से पेट की चर्बी कम करने और हेल्दी वजन बनाए रखने में भी मदद मिलती है। नींबू में मौजूद विटामिन सी और शहद के एंटी-ऑक्सीडेंट हाई कोलेस्ट्रॉल घटाने में मदद करते हैं। आप इसका रोजाना सुबह के समय सेवन कर सकते हैं।"हाई कोलेस्ट्रॉल में नींबू के फायदेनींबू विटामिन सी से भरपूर होता है, जो एक शक्तिशाली एंटीऑक्सीडेंट है। इसमें पेक्टिन नामक एक घुलनशील फाइबर भी होता है। इन दोनों तत्वों का सेवन हाई कोलेस्ट्रॉल कंट्रोल करने में मदद करता है। एंटीऑक्सीडेंट प्रभाव: नींबू में मौजूद विटामिन सी ऑक्सीडेटिव स्ट्रेस को कम करने में मदद करता है, जो कोलेस्ट्रॉल के ऑक्सीकरण को रोकता है। ऑक्सीकृत कोलेस्ट्रॉल धमनियों की दीवारों पर जमा हो सकता है और हृदय रोग का खतरा बढ़ा सकता है।कोलेस्ट्रॉल कंट्रोलनींबू में पाया जाने वाला पेक्टिन कोलेस्ट्रॉल के अवशोषण को कम करने में मदद कर सकता है। यह पित्त एसिड के साथ बंध जाता है और इसे शरीर से बाहर निकालने में मदद करता है।हाई कोलेस्ट्रॉल में शहद के फायदेशहद में कई पोषक तत्व होते हैं, जैसे एंटीऑक्सीडेंट, विटामिन और खनिज आदि। इसे नींबू के साथ लेने से वजन कम करने और कोलेस्ट्रॉल कंट्रोल करने में मदद मिलती है।एंटीऑक्सीडेंट प्रभाव: शहद में एंटीऑक्सीडेंट होते हैं जो ऑक्सीडेटिव स्ट्रेस से लड़ने में मदद कर सकते हैं।इम्यूनिटी बूस्टशहद में एंटीबैक्टीरियल और एंटी-इंफ्लेमेटरी गुण होते हैं, जो शरीर को हेल्दी रखते हैं।जीवनशैली में कुछ बदलाव करके आप कोलेस्ट्रॉल को नियंत्रण में रख सकते हैं। इसके लिए आप रेग्युलर एक्सरसाइज करें। इससे एचडीएल कोलेस्ट्रॉल के स्तर को बढ़ाने और एलडीएल कोलेस्ट्रॉल के स्तर को कम करने में मदद मिलती है। अगर आप शराब का सेवन करते हैं, तो इसे नियंत्रित करें। रोजाना हाई फाइबर फूड्स, सब्जियां और फलों का सेवन करें। हाई कोलेस्ट्रॉल के लक्षण दिखने पर सबसे पहले डॉक्टर की सलाह लें।
- खीरा का सेवन सेहत के लिए बहुत फायदेमंद होता है। पाचन तंत्र के लिए भी खीरे का सेवन बहुत फायदेमंद होता है। लेकिन क्या आप जानते हैं कि खीरे के बीज भी सेहत के लिए बहुत फायदेमंद होते हैं। खीरे के बीज का इस्तेमाल कई तरह की समस्याओं में औषधि के रूप में भी किया जाता है। इसमें मौजूद फाइबर और फाइटो न्यूट्रिएंट्स सेहत को फायदा पहुंचाते हैं। आइए इस लेख में विस्तार से जानते हैं, सेहत के लिए खीरे के बीज के फायदे और सेवन का सही तरीका।खीरे के बीज के पाउडर का सेवन करने के फायदेपाचन तंत्र को मजबूत बनाने से लेकर वजन कम करने में खीरे के बीज का सेवन बहुत फायदेमंद होता है। नोएडा स्थित आरोग्यं हेल्थ सेंटर के क्लीनिकल डाइटिशियन डॉ वीडी त्रिपाठी कहते हैं, "खीरे के बीज में मौजूद प्रोटीन, ओमेगा 3 फैटी एसिड, फाइबर समेत अन्य पोषक तत्व कई समस्याओं में फायदेमंद होते हैं। इसका सेवन करने से स्किन को हेल्दी और ग्लोइंग बनाने और हार्ट को हेल्दी रखने में भी मदद मिलती है।"खीरे के बीज में ये पोषक तत्व पाए जाते हैं-फाइबरप्रोटीनओमेगा-3 फैटी एसिडविटामिन ईएंटीऑक्सीडेंट्समैग्नीशियमजिंकआयरनखीरे के बीज का सेवन करने के कुछ प्रमुख फायदे इस तरह से हैं--पाचन में सुधार: खीरे के बीज के पाउडर में फाइबर भरपूर मात्रा में होता है जो पाचन को बेहतर बनाने में मदद करता है। यह कब्ज, अपच और इरिटेबल बॉवेल सिंड्रोम (IBS) जैसी समस्याओं से राहत दिलाता है।-वजन नियंत्रण: इसमें मौजूद फाइबर पेट को लंबे समय तक भरा रखता है, जिससे भूख कम लगती है और वजन नियंत्रण में मदद मिलती है।-हृदय स्वास्थ्य: खीरे के बीज में मौजूद ओमेगा-3 फैटी एसिड हार्ट के लिए अच्छे होते हैं। ये कोलेस्ट्रॉल को कंट्रोल करने में मदद करते हैं और हार्ट डिजीज के जोखिम को कम करते हैं।-त्वचा के लिए लाभकारी: खीरे के बीज में एंटीऑक्सीडेंट्स होते हैं जो स्किन को फ्री रेडिकल्स से बचाते हैं। यह त्वचा को जवान और कोमल बनाए रखने में भी मदद करता है। इसके अलावा, सूजन और जलन को कम करने में भी इसका सेवन फायदेमंद होता है।-बालों के लिए फायदेमंद: खीरे के बीज के पाउडर में मौजूद प्रोटीन और अन्य पोषक तत्व बालों को मजबूत और चमकदार बनाने में मदद करते हैं। यह बालों के झड़ने से रोकने में भी मदद करते है।ब्लड शुगर कंट्रोल: खीरे के बीज में मौजूद गुण और पोषक तत्व ब्लड शुगर के स्तर को नियंत्रित करने में मदद कर सकते हैं।कैसे करें खीरे के बीज के पाउडर का सेवन?आप खीरे के बीज के पाउडर का सेवन आप कई तरीके से कर सकते हैं। इसमें मौजूद गुण और पोषक तत्व शरीर को पोषण देने का काम करते हैं। आप डाइट में खीरे के बीज के पाउडर को इस तरह से शामिल कर सकते हैं--पाउडर के रूप में: आप खीरे के बीज के पाउडर को सीधे पानी या जूस में मिलाकर सेवन कर सकते हैं।-स्मूदी में: आप इसे अपनी पसंदीदा स्मूदी में मिला सकते हैं।-सलाद में: आप इसे सलाद के टॉपिंग के रूप में इस्तेमाल कर सकते हैं।-फेस मास्क: खीरे के बीज के पाउडर का उपयोग फेस मास्क बनाने के लिए भी किया जा सकता है। इसे गुलाब जल या दही के साथ मिलाकर चेहरे पर लगाएं।-खीरे के बीज के पाउडर का सेवन शुरू करने से पहले अपने डॉक्टर से सलाह लेना जरूरी है। खानपान और पाचन तंत्र से जुड़ी किसी समस्या, बीमारी या एलर्जी में इसका सेवन करने से बचना चाहिए। इसके अलावा -गर्भवती महिलाओं और बच्चों को खीरे के बीज के पाउडर का सेवन करने से पहले डॉक्टर की सलाह जरूर लेनी चाहिए।
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बदलते मौसम में स्किन और बालों से जुड़ी समस्याएं बढ़ जाती हैं, ऐसे में हेयर फॉल और फ्रिजी बालों से लोग सबसे ज्यादा परेशान रहते हैं। धूल-मिट्टी, प्रदूषण, खराब लाइफस्टाइल और हेयर स्टाइलिंग के लिए हीटिंग टूल्स का ज्यादा इस्तेमाल करने से हेयर फॉल बढ़ जाता है और बाल फ्रिजी नजर आने लगते हैं। इसके अलावा बालों को स्टाइल करने के लिए कई ऐसे प्रोडक्ट्स भी आते हैं, जिनमें हानिकारक केमिकल्स मौजूद होते हैं, जो बालों को नुकसान पहुंचा सकते हैं।
हेयर फॉल और फ्रिजी बालों से छुटकारा पाने के लिए शैंपू में मिलाएं ये 3 चीजें
1. शैंपू के साथ मिलाएं नारियल तेलबालों को हेल्दी बनाने के लिए सबसे पहले आपको हीटिंग टूल्स का इस्तेमाल कम कर देना चाहिए। इसके अलावा बाल धोते समय शैंपू के साथ नारियल का तेल मिलाकर बालों को धोएं। 2 चम्मच शैंपू में आधा चम्मच नारियल का तेल मिलाया जा सकता है। नारियल तेल को शैंपू के साथ मिलाना एक नेचुरल उपाय है जो फ्रिजी बालों को सही करने में मदद कर सकता है। नारियल तेल शैंपू में मिलाने से बालों की नमी बनी रहती है और सूर्य की किरणों से होने वाला नुकसान भी कम होता है। शैंपू के साथ नारियल तेल बालों को मुलायम और शाइनी बनाता है और हेयर फॉल भी कम होता है।2. शैंपू के साथ मिलाएं नींबू का रसहेयर फॉल की एक बड़ी वजह डैंड्रफ है, जिसके कारण बालों का झड़ना कई गुना बढ़ जाता है। ऐसे में शैंपू के साथ नींबू का रस मिलाकर बाल धोने से आपको फायदा मिल सकता है। नींबू के रस में मौजूद एंटीफंगल गुण डैंड्रफ को कम करने में मदद कर सकते हैं। नींबू और शैंपू का मिक्स स्कैल्प के इंफेक्शन को ठीक करके स्कैल्प को हेल्दी और डैंड्रफ-फ्री बनाता है। नींबू का रस फ्रिजी बालों को ठीक करता है और उन्हें मुलायम और शाइनी बनाता है। नींबू का रस खुजली और इंफेक्शन को कम करने में मदद कर सकता है, इससे स्कैल्प से जुड़ी समस्याएं कम हो सकती हैं।3. शैंपू के साथ मिलाएं विटामिनहेयर फॉल और फ्रिजी बालों की समस्या से बचने के लिए आप शैंपू के साथ विटामिन E का कैप्सूल मिलाकर भी बाल धो सकते हैं, इससे लाभ मिल सकता है। विटामिन E स्किन और बालों की हेल्थ के लिए बहुत फायदेमंद होता है। विटामिन E बालों के लिए जरूरी पोषक तत्वों में से एक है, जो बालों के की ड्राईनेस को कम कर सकता है। शैंपू के साथ विटामिन E स्कैल्प के इंफेक्शन को कम कर सकता है, जिससे बालों के झड़ने की समस्या कम हो सकती है। - कई लोगों की सुबह की शुरुआत ही एक कप चाय या कॉफी से होती है। अगर सुबह के समय उन्हें चाय या कॉफी न मिले तो आंखें खोलना ही मुश्किल हो जाता है। वहीं, कुछ लोग ऐसे भी हैं, जिनसे अगर किसी कारण सुबह की एक कप चाय या कॉफी मिस हो जाए, तो उनके सिर में सारा दिन दर्द रहता है, शरीर में सुस्ती रहने लगती है। जबकि कुछ लोग ऐसे भी हैं, जो दिन में कई बार चाय या कॉफी पीना पसंद करते हैं। ज्यादा मात्रा में चाय या कॉफी का सेवन आपके स्वास्थ्य पर बुरा असर डाल सकता है, जिससे एसिडिटी, ब्लोटिंग या अन्य स्वास्थ्य संबंधी समस्याएं हो सकती हैं। खासकर गलत समय पर चाय पीने से पाचन से जुड़ी समस्याएं बढ़ सकती हैं। ऐसे में आइए जानते हैं कि चाय या कॉफी का सेवन करने से कब बचना चाहिए....चाय या कॉफी कब नहीं पीना चाहिए?1. सुबह खाली पेटसुबह खाली पेट चाय या कॉफी पीने से शरीर में कोर्टिसोल हार्मोन (जिसे तनाव हार्मोन के नाम से भी जाना जाता है) का उत्पादन प्रभावित हो सकता है, जिसके कारण आप में मूड स्विंग की समस्या हो सकती हैं या फिर आप बहुत ज्यादा तनाव ले सकते हैं। इसलिए, सुबह के समय खाली पेट चाय या कॉफी पीने से बचें।2. खाना खाने के साथचाय या कॉफी एसिडिक होती है और आपके पाचन प्रक्रिया को प्रभावित कर सकती है। ऐसे में अगर आप खाने में प्रोटीन का सेवन करते हैं, तो चाय का एसिड प्रोटीन की मात्रा को खराब कर सकता है, जिससे इसे पचाना मुश्किल हो सकता है। खाना खाने के तुरंत बाद चाय पीने से शरीर द्वारा आयरन के अवशोषण में भी समस्या आ सकती है। इसलिए आप खाना खाने के एक घंटा पहले और एक घंटे बाद ही चाय पिएं।3. शाम को 4 बजे के बादडॉक्टर्स के अनुसार कैफीन का सेवन सोने से 10 घंटे पहले या कम से कम 6 घंटे पहले ही करना चाहिए। सोने के पहले या शाम को चाय या कॉफी का सेवन आपकी नींद को बाधित कर सकता है। इसलिए नींद को बेहतर रखने, लिवर को डिटॉक्स करने और कोर्टिसोल हार्मोन को संतुलित रखने के लिए शाम को 4 बजे या 8 बजे के बाद चाय या कॉफी पीने से बचें।चाय या कॉफी के ज्यादा सेवन से भी आपको पाचन, एसिडिटी और अन्य स्वास्थ्य समस्याएं हो सकती हैं। इसलिए, कम से कम मात्रा में चाय या कॉफी पीने की कोशिश करें।
- आयुर्वेद में मिश्री और गोंद कतीरे को बेहद फायदेमंद माना गया है। मिश्री और गोंद कतीरा, दोनों की तासीर बेहद ठंडी होती है। इसलिए गर्मियों और मानसून में मिश्री और गोंद कतीरे का सेवन करना फायदेमंद माना जाता है। वैसे तो लोग मिश्री और गोंद कतीरे का सेवन अलग-अलग तरीकों से करते हैं, लेकिन आप चाहें तो इन दोनों को एक साथ पानी में मिलाकर भी ले सकते हैं। यानी आप मिश्री और गोंद कतीरे का पानी बनाकर पी सकते हैं। गोंद कतीरा और मिश्री का पानी सेहत के लिए बेहद लाभकारी होता है।मिश्री और गोंद कतीरे का पानी पीने के फायदे1. एसिडिटी से छुटकारा दिलाए मिश्री और गोंद कतीरे का पानीमिश्री और गोंद कतीरे का पानी पीने से एसिडिटी से छुटकारा मिल सकता है। अगर आपको गर्मी की वजह से पेट या सीने में जलन महसूस हो, तो मिश्री और गोंद कतीरे का पानी पीना फायदेमंद हो सकता है। इस पानी को पीने से एसिडिटी और शरीर की जलन से राहत मिलेगी।2. भूख बढ़ाए मिश्री और गोंद कतीरे का पानीअगर आपको भूख ज्यादा नहीं लगती है, तो अपनी डाइट में मिश्री और गोंद कतीरे का पानी जरूर शामिल करें। मिश्री और गोंद कतीरे का पानी पीने से भूख बढ़ती है। भूख बढ़ाने के लिए कुछ दिनों तक रोजाना इस पानी का सेवन जरूर करें।3. खूनी बवासीर से राहत दिलाए मिश्री और गोंद कतीरे का पानीखूनी बवासीर एक दर्दनाक स्थिति हो सकती है। यह समस्या बेहद पीड़ादायक होती है। खूनी बवासीर से राहत पाने के लिए आप मिश्री और गोंद कतीरे के पानी का सेवन कर सकते हैं। अगर आप बवासीर से परेशान हैं, तो इसे अपनी डाइट में जरूर शामिल करें।4. शरीर की गर्मी शांत करे मिश्री और गोंद कतीरे का पानीमानसून में शरीर में पित्त दोष बढ़ जाता है। ऐसे में शरीर की गर्मी को शांत रखने के लिए आप मिश्री और गोंद कतीरे का पानी पी सकते हैं। यह पेट को ठंडक प्रदान करता है। इससे शरीर की गर्मी भी कम होती है। पित्त प्रकृति के लोगों को अपनी डाइट में मिश्री और गोंद कतीरे का पानी जरूर शामिल करना चाहिए।5. कमजोरी दूर करे मिश्री और गोंद कतीरे का पानीअगर आपको कमजोरी और थकान का अनुभव होता है, तो मिश्री और गोंद कतीरे का पानी जरूर पिएं। इस पानी को पीने से शरीर को ताकत मिलती है। यह कमजोरी को दूर करने में मदद करता है। आप रोज एक गिलास मिश्री और गोंद कतीरे का पानी पी सकते हैं।आप भी मिश्री और गोंद कतीरे के पानी का सेवन कर सकते हैं। इस पानी को पीने से शरीर को कई लाभ मिलते हैं। यह शरीर की आम स्वास्थ्य समस्याओं को भी दूर करता है। हालांकि, अगर आप किसी स्वास्थ्य समस्या से जूझ रहे हैं, तो अधिक मात्रा में इस पानी का सेवन एक्सपर्ट की राय पर ही करें।
- मानसून के मौसम में कुछ लोगों के बाल इतने ज्यादा झड़ने लगते हैं कि लोगों को चिंता हो जाती है। अगर मानसून के दिनों में आपके ज्यादा हेयर फॉल होता है तो डॉक्टर से सलाह लें। ऐसा इसलिए, क्योंकि कई बार स्कैल्प पर फंगल इंफेक्शन के कारण बालों का झड़ना तेजी से बढ़ जाता है। लेकिन अगर आपको बालों और स्कैल्प से जुड़ी कोई मेडिकल समस्या नहीं है तो बालों का झड़ना रोकने के लिए गुड़हल के फूलों का इस्तेमाल भी कारगर साबित हो सकता है।बालों का झड़ना रोकने के लिए गुड़हल के फूलों का इस्तेमाल कैसे करें?1. गुड़हल का हेयर पैक बनाएंगुड़हल के फूलों का प्रयोग बालों का झड़ना रोकने में कारगर साबित हो सकता है। इसका हेयर पैक बनाने के लिए आपको 10-12 हिबिस्कस के फूल, 2 चम्मच दही और 1 चम्मच शहद चाहिए होगा। सबसे पहले हिबिस्कस यानी गुड़हल के फूलों को अच्छे से धोकर पीस लें। इसमें दही और शहद मिलाकर एक गाढ़ा पेस्ट बना लें। तैयार गुड़हल के फूलों से बने हेयर मास्क के पेस्ट को बालों की जड़ों से लेकर सिरे तक लगाएं और 30-45 मिनट के लिए छोड़ दें आखिर में ताजे पानी से बालों को धोएं।फायदे-गुड़हल में मौजूद विटामिन C और अमीनो एसिड बालों को मजबूत बनाते हैं।-दही और शहद बालों को गहराई से पोषण देते हैं, जिससे बाल सॉफ्ट होते हैं।-यह मास्क स्कैल्प को हाइड्रेट करता है और डैंड्रफ को कम करता है।2. गुड़हल का तेल कैसे बनाएंगुड़हल के फूलों का तेल बनाने के लिए आपको 10-15 हिबिस्कस के फूल और कुछ पत्तियों के साथ 1 कप नारियल तेल की जरूरत होगी। सबसे पहले नारियल तेल को गर्म करें और इसमें गुड़हल के फूल और पत्तियां डाल दें। धीमी आंच पर फूलों को तब तक पकाएं जब तक फूल काले न हो जाएं। अब तेल को ठंडा होने दें और फिर छान लें। इस तेल को अपने बालों की जड़ों और सिरे पर मसाज करें और 2 घंटे के बाद माइल्ड शैंपू से धोएं।फायदे-गुड़हल के तेल में मौजूद पोषक तत्व बालों के विकास को बढ़ाते हैं।-गुड़हल का तेल बालों की जड़ों को मजबूती प्रदान करता है और टूटने से बचाता है।-इस तेल के नियमित उपयोग से बालों की प्राकृतिक चमक बनी रहती है।3. बालों के लिए गुड़हल का पानी कैसे बनाएं?बालों के लिए गुड़हल का पानी बनाने के लिए आपको 10-15 गुड़हल के फूल और 2 कप पानी चाहिए होगा। सबसे पहले गुड़हल के फूलों को अच्छे से धो लें। अब पानी को उबालें और इसमें गुड़हल के फूल डाल दें।10-15 मिनट तक धीमी आंच पर उबालें और फिर पानी को ठंडा होने दें। जब पानी पूरी तरह ठंडा हो जाए तो इसे छानकर स्प्रे बोतल में भरें। इस पानी से बालों को स्प्रे करें और 2 घंटे के बाद बालों को धोएं।फायदे-गुड़हल का पानी स्कैल्प को ठंडक प्रदान करता है और जलन को कम करता है।-गुड़हल के फूलों का पानी बालों को सॉफ्ट बनता है।-यह पानी बालों के pH स्तर को संतुलित करता है, जिससे बाल हेल्दी रहते हैं।इस तरह से गुड़हल के फूलों से बने हेयर पैक, ऑयल और पानी के नियमित उपयोग से न केवल बालों का झड़ना कम होता है, बल्कि बाल हेल्दी, मजबूत और शाइनी भी बनते हैं। ये घरेलू उपाय न केवल प्राकृतिक और सस्ते हैं, बल्कि किसी भी हानिकारक केमिकल से मुक्त भी हैं।
- आयुर्वेद में अनेक जड़ी-बूटियों और मसालों का वर्णन है, जो स्वास्थ्य के लिए लाभकारी होती हैं। ऐसी ही एक औषधि है अपराजिता की जड़, जिसका इस्तेमाल कई तरह की स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं को दूर करने में किया जाता है। ।अपराजिता की जड़ के फायदेआयुर्वेद में अपराजिता की जड़ का उपयोग भावना द्रव्य के तौर पर इस्तेमाल किया जाता है। खासकर, महिलाओं की समस्याओं में इसका ज्यादा इस्तेमाल होता है। अपराजिता की जड़ की तासीर ठंडी होती है।1. झाइयों को कम करनेअपराजिता की जड़ का इस्तेमाल झाइयों को कम करने में कारगर साबित हो सकता है। इसका इस्तेमाल दूध के साथ मिलाकर किया जा सकता है। अपराजिता की जड़ को दूध के साथ मिलाकर इसका लेप तैयार करें और फिर इसे झाइयों पर लगाएं। 20-30 मिनट तक लगा रहने दें और फिर ताजे पानी से साफ करें। नियमित रूप के अपराजिता की जड़ का इस तरीके से इस्तेमाल करने से लाभ मिल सकता है।2. सफेद दाग की समस्या कम करनेअपराजिता की जड़ को पानी में घिस कर लगाने से सफेद दाग की समस्या कम हो सकती है। इसके लिए अपराजिता की जड़ को पानी के साथ घिसकर लेप तैयार करें और फिर इस लेप को सफेद दागों पर लगाएं। नियमित रूप से इसका इस्तेमाल करने से आपको फर्क नजर आ सकता है।3. मुंहासे और फुंसियों मेंअपराजिता की जड़ के पाउडर में शहद और गुलाबजल मिलाकर पेस्ट बनाएं और फिर इस पेस्ट को चेहरे पर लगाएं और 15-20 मिनट बाद धो लें। अपराजिता की जड़ का पेस्ट त्वचा पर लगाने से मुंहासे और फुंसियों की समस्या कम हो सकती है।4. इम्यून सिस्टम को मजबूत बनाएअपराजिता की जड़ का नियमित सेवन इम्यून सिस्टम को मजबूत बनाता है, यह शरीर को बीमारियों से लड़ने के लिए तैयार करता है। अपराजिता की जड़ का सेवन पाचन तंत्र के लिए भी लाभदायक होता है, इसके सेवन से अपच, गैस और कब्ज जैसी समस्याओं को दूर करने में मदद मिलती है। इसके लिए अपराजिता की जड़ से काढ़ा तैयार करें और फिर इसका सेवन करें। काढ़ा बनाने के लिए सबसे पहले 1 कप पानी में 1 चम्मच अपराजिता की जड़ का पाउडर लें और इसे कुछ समय तक उबालें। जब पानी अच्छे से उबल जाए तो इसे छानकर दिन में एक बार पिएं।अपराजिता की जड़ में एंटीऑक्सीडेंट, एंटी-इंफ्लेमेटरी गुण होते हैं, जो स्वास्थ्य के लिए लाभकारी होते हैं। हालांकि, किसी भी नई औषधि या उपचार को शुरू करने से पहले आयुर्वेदिक चिकित्सक से परामर्श अवश्य लें।
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शरीर की बाहरी सफाई तो हम रोजाना कर लेते हैं, लेकिन अंदरुनी अंगों की सफाई के लिए हर किसी को समझ नहीं आता कि कौन से उपाय करने चाहिए । आयुर्वेद के अनुसार कुछ प्राकृतिक उपचार करने से शरीर के महत्वपूर्ण अंदरूनी अंगों की सफाई की जा सकती है।
1. लिवर की सफाई के लिए20 ग्राम काली किशमिश और 1 ग्लास पानी लेकर मिक्सर मे जूस बनाकर सुबह खाली पेट 15 दिनों तक सेवन करने से लिवर की सफाई होती है।2. किडनी की सफाई के लिएहरा धनिया 40 ग्राम +1 ग्लास पानी मिक्स करके मिक्सर मे पिस करके सुबह खाली पेट लीजिए। यह उपाय 10 दिनों तक करने से किडनी की सफ़ाई होती है। और हमारी किडनी स्वस्थ रहती है।3. हार्ट की सफाई के लिए60 ग्राम अलसी को मिक्सर मे पीस लीजिए फिर सुबह शाम खाली पेट 10-10 ग्राम की मात्रा मे सेवन से हमारा हार्ट (हृदय) स्वस्थ रहता है । यह उपाय एक महीने तक करनां है।4. दिमाग की सफाई के लिएबादाम 8 और अखरोट 2 नग लेकर रात को 1 ग्लास पानी मे भिगोकर सुबह खाली पेट सेवन करें। यह पूरे 2 महीनों तक करने से दिमाग को पूरी तरह से जहर मुक्त किया जा सकता है।5. फेंफडों की सफाई के लिए2 चम्मच शहद, 1 चम्मच नींबू का रस और 1 चम्मच अदरक का रस लें। सभी चीजों को मिलाकर सुबह खाली पेट सेवन करने से बीड़ी, सिगरेट, गुटखा या तंबाकू खाने से जो नुकसान हमारे फेंफडों को हुआ है , उनमें सुधार होगा और हमारे फेंफड़े पूरी तरह से स्वस्थ हो जाते है। यह प्रयोग करीब 20 दिनों तक करना है।(नोट- यदि आप किसी बीमारी से पीडि़त हैं , तो ये उपाय करने से पहले किसी योग्य चिकित्सक की सलाह अवश्य ले लें। ) -
हिंदू धर्म में सावन का महीना सबसे पवित्र माना जाता है। ये महीना भगवान शिव को पूरी तरह से समर्पित होता है। इस समय पर भक्त भगवान भोलेनाथ का आशीर्वाद पाने के लिए उपवास रखते हैं। माना जाता है कि उपवास करते समय, संतुलित डायट खाना बहुत जरूरी होता है। हालांकि, व्रत नहीं रखने वाले लोगों को भी इस महीने में कुछ चीजों को खाना अवॉइड करना चाहिए। इस साल सावन का महीना 22 जुलाई से शुरू होगा और 19 अगस्त के दिन खत्म हो जाएगा। ऐसे में हम यहां उन चीजों के बारे में बता रहे हैं जो आपको सावन के महीने में खाने से बचना चाहिए।
सावन का महीना बहुत पवित्र माना जाता है। इस पूरे महीने में लोग भगवान भोलेनाथ की पूजा सच्चे मन से करते हैं। ऐसे में इस महीने में मांस, मछली और अंडे सहित मांसाहारी खाने से परहेज करने की सलाह दी जाती है। आध्यात्मिक प्रथाओं के अलावा सावन के महीने में मांसाहारी खाने से इसलिए भी बचना चाहिए क्योंरि इस दौरान लगातार बारिश होती है, जिसकी वजह से वातावरण में कई तरह के संक्रमण फैलने लगते हैं। ऐसे में जो जीव-जंतु जो घास और पत्ते खाते हैं वह इन संक्रामक बीमारियों की चपेट में आ जाते हैं। ऐसे में इस दौरान जब इन संक्रमित जानवरों का मांस लोग खाते हैं, तो वह उनके संक्रमित होने का खतरा भी बढ़ जाता है।
माना जाता है कि इस पवित्र महीने में प्याज और लहसुन से परहेज किया जाना चाहिए। माना जाता है कि ये दोनों चीजें शरीर की गर्मी को बढ़ा सकती हैं और मन को विचलित कर सकते हैं।इसलिए, इससे बचने की सलाह दी जाती है।
सावन के महीने में इम्यूनिटी कम होती है। ऐसे में खाना बनाते समय तेल और मसालों का इस्तेमाल कम से कम करने की कोशिश करनी चाहिए। ज्यादा तेल से पेट से जुड़ी परेशानी और भारीपन हो सकता है, जबकि बहुत ज्यादा मसालों से एसिडिटी और अपच भी हो सकती है।
दूध को सेहत के लिए काफी ज्यादा फायदेमंद माना जाता है। हालांकि, सावन के महीने में इसे अवॉइड करने की सलाह दी जाती है। क्योंकि ये शरीर में बाइल जूस के उत्पादन को बढ़ा सकता है। ऐसे में इसकी जगह आप दही, लस्सी या फिर दूध से बनी दूसरी चीजों को खा सकते हैं। -
देसी घी भारतीय रसोई की शान है। दाल में जब देसी घी का छौंका लगाया जाता है तो, किचन के साथ-साथ पूरे घर में इसकी भीनी-भीनी महक फैल जाती है। भूख ना लगी होने पर भी खाने को दिल मचल जाता है। देसी घी बेहद स्वादिष्ट होने के साथ-साथ स्वास्थ्य के लिए भी बहुत ही लाभकारी होता है। हालांकि इसमें फैट अधिक पाया जाता है, जिसकी वजह से इसका अधिक इस्तेमाल करने से शरीर का फैट बढ़ने लगता है। इसी वजह से आजकल लोगों ने खाने में घी तेल का इस्तेमाल करना थोड़ा काम कर दिया है। लेकिन आपको जानकर हैरानी होगी कि देसी घी में फैट अधिक होने के बावजूद इसकी मदद से वजन को घटाया जा सकता है। तो चलिए इसे खाने का सही तरीका जानते हैं।
घी करता है फैट बर्निंग का काम
घी में मौजूद कॉन्जुगेटेड लिनोलिक एसिड (CLA), मुख्य रूप से फैट बर्निंग का काम करता है। कई स्टडीज में भी यह बात प्रूव हुई है। रोजाना घी खाने से शरीर के पुराने जिद्दी फैट ब्रेकडाउन होते हैं और नई फैट सेल्स का निर्माण रुकता है। इस तरह से अपनी डेली डाइट में घी को शामिल करके अपने वजन को कंट्रोल में रखा जा सकता है। लेकिन इस बात का ध्यान रखें कि आपके नियमित आहार में जी की एक निश्चित मात्रा ही शामिल हो। घी का अत्यधिक सेवन करना फायदे की जगह नुकसान देगा।
रोजाना उचित मात्रा में खाएं घी
घर पर बनाए गए शुद्ध देसी घी में लिनोलिक एसिड और सैचुरेटेड फैट प्रचुर मात्रा में पाया जाता है। जो शरीर के मेटाबॉलिज्म को तेज करके जिद्दी फैट को काटने का काम करता है। नियमित रूप से दाल रोटी के साथ घी की एक निश्चित मात्रा खाने से शरीर को जरूरी न्यूट्रिएंट्स मिलते हैं। घी खाने से कब्ज की समस्या खत्म होती है शरीर से हानिकारक तत्व बाहर निकलते हैं और इसके साथ ही वजन भी कम होता है।
घी खाने से देर तक भरा रहेगा पेट, भूख लगेगी कम
घी में प्रचुर मात्रा में न्यूट्रिएंट्स पाए जाते हैं। खाने में घी शामिल करने से, आपका पेट अधिक देर तक भरा रहेगा और बार-बार भूख नहीं लगेगी। घी में मौजूद हेल्दी फैट शरीर को लगातार एनर्जी देता रहेगा। लगातार एनर्जी मिलने की वजह से बेवजह स्नैक खाने की क्रेविंग नहीं होगी, साथ ही देर तक भूख ना लगने से बार-बार कुछ भी खाने से बचेंगे, और इस तरह से शरीर का वजन कंट्रोल में रहेगा।
इस तरह करें इस्तेमाल
वजन घटाने के लिए अगर आप देसी घी का इस्तेमाल करने की सोच रहे हैं तो कई तरह से इसे अपनी डाइट का हिस्सा बना सकते हैं। रोज सुबह उठकर गुनगुने पानी में एक चम्मच घी मिलाकर पीने से भी मोटापा घटाने में काफी मदद मिलती है। इसके साथ ही आप अपनी रोजाना की कुकिंग में भी घी का इस्तेमाल कर सकते हैं। चाय या कॉफी पीने के शौकीन हैं तो उसमें भी एक चम्मच घी मिलाकर पीया जा सकता है। लेकिन जैसा की हमनें आपको पहले बताया ध्यान रहे कि इसकी अति ना होने पाए। -
मटर की कचौड़ी हो या फिर मटर पनीर की सब्जी, मटर का स्वाद पसंद करने वाले लोग पूरा साल मटर खाने का कोई मौका नहीं छोड़ते हैं। हालांकि सर्दियों में मिलने वाली मटर ना सिर्फ फ्रेश होती है बल्कि इसका स्वाद भी अच्छा होता है। बावजूद इसके कुछ लोग गर्मियों में भी मटर का स्वाद लेने के लिए फ्रोजन मटर का सहारा लेते हैं। फ्रोजन मटर आपकी मटर छीलने की मेहनत बचाने के साथ मटर के लिए आपकी क्रेविंग को तो शांत कर देती है, लेकिन क्या आप जानते हैं इसके अधिक सेवन से आपकी सेहत को नुकसान भी होता है। जी हां, फ्रोजन मटर का ज्यादा सेवन आपको कई बीमारियों की चपेट में ला सकता है। आइए जानते हैं फ्रोजन मटर के सेहत से जुड़े ऐसे ही कुछ साइड इफेक्ट्स के बारे में।
मोटापा-
फ्रोजन मटर में कैलोरी की मात्रा अधिक होती है। इसका जरूरत से ज्यादा सेवन करने पर व्यक्ति का वजन तेजी से बढ़ सकता है। दरअसल, मटर को फ्रिज करते समय इसमें कुछ प्रिजर्वेटिव्स मिलाए जाते हैं, जिनमें स्टार्च ज्यादा मात्रा में होता है। स्टार्च की अधिकता शरीर में फैट की मात्रा को बढ़ाकर मोटापे का कारण बन सकती है।
डायबिटीज-
फ्रोजन मटर का ज्यादा सेवन करने पर व्यक्ति के लिए डायबिटीज का खतरा भी बढ़ सकता है। दरअसल, ऐसा इसलिए क्योंकि फ्रिज किए मटर का स्वाद बनाए रखने के लिए उसमें स्टार्च का इस्तेमाल किया जाता है। व्यक्ति जब मटर में मौजूद स्टार्च का अधिक मात्रा में सेवन करता है तो शरीर और ऊतकों पर हानिकारक प्रभाव पड़ता है। यह स्टार्च चीनी में बदलकर डायबिटीज का खतरा बढ़ाता है।
ब्लड प्रेशर-
फ्रोजन की हुई हरी मटर में सोडियम की मात्रा काफी ज्यादा होती है। जो हाई बीपी की शिकायत बढ़ा सकती है।
हार्ट डिजीज-
फ्रोजन मटर में फ्रेश मटर की तुलना में अधिक ट्रांस फैट मौजूद होते हैं। इसमें मौजूद प्रिजर्वेटिव्स का सेवन करने पर कोलेस्ट्रॉल लेवल बढ़ जाता है, जिससे धमनियों में प्लाक जमने लगता है। जिसकी वजह से व्यक्ति के लिए हाई बीपी और हार्ट डिजीज का खतरा बढ़ जाता है। - आयुर्वेद में अदरक को स्वास्थ्य के लिए बेहद लाभकारी बताया गया है, इसका इस्तेमाल कई बीमारियों के इलाज में किया जाता है। । लेकिन क्या आप जानते हैं कि अदरक सर्दी-खांसी की समस्या को कम करने में भी सहायक हो सकता है। दरअसल, अदरक के एंटीइंफ्लेमेटरी और एंटीऑक्सीडेंट गुण सर्दी-खांसी के लक्षणों को कम करने में मदद करते हैं। खासकर, मानसून के मौसम में अदरक का सेवन जरूर करना चाहिए। ऐसा इसलिए, क्योंकि इसमें मौजूद विटामिन्स और एंटीऑक्सीडेंट्स शरीर की इम्यूनिटी को बूस्ट करने में सहायक होते हैं, जिससे लोग कई तरह की मौसमी बीमारियों और संक्रमणों से बच सकते हैं। आईये जानते हैं कि सर्दी-खांसी की समस्या कम करने के लिए अदरक का सेवन करने का सही तरीका क्या है?सर्दी-खांसी कम करने के लिए अदरक का सेवन करने का सही तरीका-सर्दी और खांसी की समस्या दूर करने के लिए अदरक का सेवन शहद के साथ करना सबसे ज्यादा लाभकारी होता है। आयुर्वेद में अदरक को भारी और शुष्क के साथ भेदनी, कटु और स्निग्ध बताया गया है। जिन लोगों के शरीर में गर्मी ज्यादा रहती है वे अदरक की मात्रा कम कर सकते हैं और भोजन करने से पहले या साथ में अदरक और शहद का सेवन कर सकते हैं। लेकिन अगर व्यक्ति को ज्यादा सर्दी-खांसी की समस्या है तो इसका सेवन किसी भी समय किया जा सकता है। नियमित रूप से अगर आप अदरक और शहद का सेवन करते हैं तो इससे सर्दी-खांसी की समस्या कम हो सकती है, इसके साथ ही यह बलगम को ढीला करता है और सांस लेने में आसानी करता है। अदरक दिल की सेहत के लिए भी लाभकारी है, यह कोलेस्ट्रॉल के लेवल को कंट्रोल करता है, साथ ही साथ ब्लड प्रेशर को भी कंट्रोल रखता है।-अदरक और शहद के अलावा अदरक की चाय और अदरक-तुलसी का काढ़ा आदि का सेवन करके आप सर्दी और खांसी से राहत पा सकते हैं।अदरक के फायदे1. अदरक में कई ऐसे यौगिक होते हैं, जो सूजन को कम करने में मदद करते हैं। खासकर, गले की सूजन और खांसी की समस्या में अदरक का सेवन सबसे ज्यादा लाभकारी होता है।2. अदरक में मौजूद एंटीऑक्सीडेंट्स शरीर को फ्री रेडिकल्स से बचाते हैं, जिससे इम्यूनिटी मजबूत होती है और संक्रमण का खतरा कम होता है।3. अदरक पाचन तंत्र को सुधारने में मदद करता है। अदरक का सेवन गैस, अपच और पेट दर्द जैसी समस्याओं से राहत दिलाता है।4. अदरक में एंटीबैक्टीरियल और एंटीवायरल गुण होते हैं, जो सर्दी और खांसी के वायरस से लड़ने में मदद करते हैं, नियमित रूप से अदरक और शहद का सेवन करने से सर्दी-खांसी की समस्या दूर हो सकती है।
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अपनी आवाज, दमदार एक्टिंग और मदमस्त अदाओं से लोगों को अपना दीवाना बनाने वाली एक्ट्रेस नेहा धूपिया आज 2 बच्चों की मां हैं। प्रेग्नेंसी के बाद से ही नेहा धूपिया अपने वजन को लेकर काफी ट्रोल हो चुकी हैं। लेकिन हर बार नेहा ने ट्रोलिंग को इग्नोर किया है और अपनी लाइफ में आगे बढ़ती रही हैं। हाल ही में नेहा ने अपने इंस्टाग्राम पर एक पोस्ट शेयर कर वेट लॉस करने की जानकारी दी है। नेहा ने अपने पोस्ट में बताया है कि उन्होंने 5 या 10 किलो नहीं बल्कि 23 किलो वजन कम किया है। सोशल मीडिया पर पोस्ट तस्वीरों में नेहा का बॉडी ट्रांसफॉर्मेशन साफ देखा जा सकता है। अपनी वेटलॉस की तस्वीरों को शेयर करते कहा, कि बेटी मेहर के जन्म के बाद उनका वजन 17 किलो बढ़ गया था। लेकिन उस वक्त लॉकडाउन का पीरियड चल रहा था और उन्होंने घर पर ही कैलोरी कम करके वजन घटा लिया था।
बेटे के जन्म के बाद बढ़ गया 23 किलो वजननेहा ने आगे पोस्ट में बताया कि लॉकडाउन के दौरान जैसे ही उन्होंने वजन घटाया, लेकिन उसके बाद वो एक बार फिर मां बन गईं। बेटे के जन्म के बाद नेहा का वजन 23 किलो बढ़ गया। लेकिन उन्होंने कभी भी वजन घटाने के बारे में कभी नहीं सोचा। ऐसा इसलिए क्योंकि उन्होंने एक साल बेटे को ब्रेस्टफीड करवाया था। जिसके कारण उन्हें ज्यादा भूख लगती थी और एक वर्किंग मॉम होने के कारण उन्हें एनर्जी भी ज्यादा चाहिए होती थी। एक्ट्रेस ने कहा कि उन्होंने पिछले साल से वजन घटाने पर जोर दिया और इसके लिए उन्होंने कड़ी मेहनत भी की।आइए जानते हैं नेहा धूपिया के वेट लॉस सीक्रेटबैलेंस्ड डाइट और एक्सरसाइज से घटाया वजननेहा धूपिया ने बताया कि उन्होंने वजन घटाने के लिए बैलेंस्ड डाइट, अच्छी लाइफस्टाइल, योग और थोड़ी सी एक्सरसाइज का सहारा लिया। उन्होंने कहा, मैंने अपना खाना ज्यादा कम नहीं किया, लेकिन मैंने खाने में कैलोरी की मात्रा कम की। क्योंकि मैं एक वर्किंग मॉम हूं और 24/7 घर को भी मैनेज करती हूं, इसलिए मुझे ज्यादा एनर्जी की जरूरत होती है। नेहा का कहना है कि वो कभी इंटरमिटेंट फास्टिंग नहीं करती हैं बल्कि उनका लाइफस्टाइल इस तरह का है कि उनकी इंटरमिटेंट फास्टिंग खुद से ही हो जाती है। नेहा ने अपने पोस्ट में बताया कि वह अपने बच्चों के साथ शाम को 7 बजे डिनर कर लेती हैं। इसके बाद वह कुछ भी नहीं खाती हैं। रात के डिनर के बाद वह पति अंगद बेदी के साथ सीधे सुबह 11 बजे नाश्ता करती हैं, जिससे उन्हें वजन घटाने में मदद मिली और वह 23 किलो का टारगेट पूरा कर पाईं।डाइट में शुगर नहीं लेती हैं नेहा धूपियानेहा धूपिया ने अपने पोस्ट में आगे बताया कि वेट लॉस जर्नी के दौरान उन्होंने अपनी डाइट से चीनी यानी की शुगर को बिल्कुल ही हटा दिया था। वह तली हुई चीजें भी बिल्कुल नहीं खाती थीं। इसके अलावा उन्होंने ग्लूटेन का सेवन बंद किया था। वजन घटाने के लिए बैलेंस्ड डाइट को फॉलो करती हैं। इसमें बहुत सारा सलाद और लो कैलोरी फूड होता है।योग ने की नेहा धूपिया की मददनेहा धूपिया का कहना है कि वजन घटाने में योग और कभी-कभी रनिंग ने उनकी काफी मदद की है। योग की मुद्राएं करने से उनका वजन कम हुआ है। नेहा के इंस्टाग्राम पर कई ऐसी तस्वीरें हैं, जिसमें उन्हें योग करते हुए देखा जा सकता है। एक्ट्रेस का कहना है कि वजन घटाने पर शारीरिक तौर पर तो फायदे मिलते ही हैं, इसके साथ ही मेंटल हेल्थ पर असर पड़ता है। वजन घटाने के बाद नेहा अपने बच्चों के साथ एक्टिव रह पाती हैं और उनका कॉन्फिडेंस भी बूस्ट होता है। नेहा उन सभी मांओं के लिए एक प्रेरणा है जो बच्चे के जन्म के बाद बढ़ते हुए वजन से परेशान हैं और उसे कम करने की इच्छा रखती हैं।