- Home
- सेहत
-
त्योहारों का सीजन हो और बात मिठाइयों की ना हो, भारत में तो कम से कम ऐसा हो नहीं सकता है। 31 अक्तूबर को देशभर में दिवाली का त्योहार मनाया जाएगा। इस दिन लोग अपने घर को दीपों से सजाने के साथ दोस्तों-परिजनों को मिठाइयां भी बांटते हैं। खुशी और रोशनी का ये पर्व उस समय फीका पड़ने लगता है जब घर के किसी सदस्य को ब्लड शुगर हो और वो चाहकर भी अपनी मनपसंद मिठाई प्लेट से उठाकर नहीं खा पा रहा हो। अगर आप भी घर के ऐसे किसी सदस्य के साथ दिवाली की खुशियों की मिठास बांटना चाहते है तो ट्राई करें ये शुगर फ्री रेसिपी। ये सभी रेसिपी ना सिर्फ आपकी डायबिटीज को कंट्रोल रखने में मदद करेंगी बल्कि आपकी मीठा खाने के क्रेविंग को भी पूरा कर देंगी।
मावा बर्फीमावा बर्फी बनाने के लिए सबसे पहले एक पैन में 3 चम्मच घी गर्म करें। जब घी गर्म हो जाए तो उसमें आधा कप मावा डालकर हल्का भूरा होने तक भूनें, ताकि मावा का सारा कच्चापन दूर हो जाए। इसके बाद पैन में 1 कप कद्दूकस किया हुआ नारियल डालकर सारे मिश्रण को अच्छी तरह मिलाते हुए हल्की आंच पर 5 मिनट तक भूनने के बाद गैस बंद करके मिश्रण को ठंडा होने दें। जब मिश्रण ठंडा हो जाए तो उसे एक प्लेट में फैलाकर मनपसंद आकार में काट लें। आपकी टेस्टी शुगर फ्री मावा बर्फी बनकर तैयार है।शुगर फ्री बादाम बर्फीशुगर फ्री बादाम बर्फी बनाने के लिए सबसे पहले आधा किलो मावा को कद्दूकस करके रख लें। इसके बाद एक पैन को गर्म करके उसमें खोया डालकर भून लें। इसके बाद पैन में 40 ग्राम शुगर फ्री डालकर मावा को धीमी आंच पर पकाएं। इसके बाद पैन में पहले से रोस्ट और क्रश्ड 1 कप बादाम डालकर अच्छी तरह मिला लें। अब मावे के इस मिश्रण को सर्विंग डिश में डालकर फैलाकर ऊपर से कटे हुए बादाम गार्निश करें। मिश्रण के सूखते ही इसे अपने मनपसंद आकार में काट लें।बेसन पिन्नीबेसन पिन्नी बनाने के लिए सबसे पहले एक पैन में घी गर्म करके उसमें 1 कप बेसन डालकर हल्की आंच पर सुनहरा होने तक भून लें। बेसन को उस समय तक भूनें, जब तक उसमें से अच्छी खुशबू ना आने लगे। इस प्रकिया में आपको 10 मिनट तक का समय लग सकता है। इसके बाद गैस बंद करके बेसन को ठंडा होने के लिए रख दें। बेसन ठंडा होने पर इसमें कटे हुए बादाम डालकर मिश्रण से छोटे-छोटे लड्डू बना लें।शुगर फ्री मिठाई बनाते समय रखें इन बातों का ध्यानशुगर फ्री की मात्रा रखें ध्यानशुगर फ्री मिठाइयों में स्वीटनर की मात्रा सही होनी चाहिए। इसके अधिक उपयोग से मिठाई का स्वाद बेकार होने के साथ इसे पचाना भी मुश्किल हो सकता है।नींबू का रसमिठाइयां खाने से पहले उनके ऊपर थोड़ा सा नींबू का रस डाल दें। ऐसा करने से ग्लूज के स्तर को नियंत्रित रखने में मदद मिल सकती है। नींबू में मौजूद एंटीऑक्सीडेंट और विटामिन सी ब्लड शुगर के स्तर को कंट्रोल रखने में मदद करते हैं।प्रोटीनजब कभी मीठा खाएं तो उसके साथ थोड़ी मात्रा में प्रोटीन और हेल्दी फैट्स का सेवन भी जरूर करें। मिठाई के साथ यह कॉम्बिनेशन ना सिर्फ मीठे का स्वाद बढ़ाता है बल्कि शरीर को ऊर्जा भी देता है।नट्स का करें यूजशुगर फ्री मिठाइयों को बनाते समय ज्यादा फैट और कैलोरी से बचने के लिए उनमें नट्स, सूखे मेवे और कम कैलोरी वाली चीजों का यूज करें। ताकि मिठाई खाने के बाद आपको सेहत से जुड़ी कोई परेशानी ना हो। - 6 महीने के बाद शिशु के विकास के लिए मां के दूध के साथ ठोस आहार खिलाने की सलाह दी जाती है। ऐसे में पेरेंट्स शिशु को दलिया, खिचड़ी और दूध-केले जैसी चीजें देते हैं। लेकिन रोजाना एक जैसी चीजें खाकर बच्चे बोर हो जाते हैं और फिर पेरेंट्स शिकायत करते हैं कि बच्चा ठीक से खाता नहीं है। अगर आप भी न्यू पेरेंट्स हैं और और 6 महीने के बाद के शिशु के लिए कुछ सॉलिड और नए फूड की खोज कर रहे हैं तो रागी और केले का हलवा जरूर ट्राई करें।रागी और केले के हलवे के फायदेरागी और केले के हलवे में आयरन, विटामिन और गुड फैट से भरपूर मात्रा में पाया जाता है। यह शिशु के शारीरिक व मानसिक विकास में मदद करता है। आइए जानते हैं इसके अन्य फायदों के बारे में...1. हड्डियों को मजबूत बनाता हैरागी में कैल्शियम की मात्रा बहुत अधिक होती है, जो बच्चों की हड्डियों को मजबूत बनाता है। बच्चों के बढ़ते शरीर को हड्डियों की मजबूती के लिए पर्याप्त मात्रा में कैल्शियम की जरूरत होती है।2. पाचन तंत्र के लिए है फायदेमंदरागी और केला में मौजूद फाइबर बच्चों के पाचन तंत्र को स्वस्थ रखने में मदद करता है। यह हलवा बच्चों को कब्ज की समस्या से बचाता है और उनके मल को मुलायम बनाकर पेट को सही तरीके से साफ करने में मदद करता है।3. इम्यूनिटी को बनाता है मजबूतशिशु की इम्यूनिटी काफी कमजोरी होती है। इसके कारण शिशु बार-बार बीमार पड़ते हैं और शारीरिक तौर पर कमजोर हो जाते हैं। रागी और केले का हलवा बच्चों की इम्यूनिटी को भी मजबूत बनाने में मदद करता है। साथ ही, रागी और केले के पोषक तत्व संक्रमण के खतरे को कम करके बीमारियों से बचाव करते हैं।4. शरीर को मिलती है एनर्जीकेले में नेचुरल शुगर होती है जो शरीर को तुरंत एनर्जी देती है। हेल्थ एक्सपर्ट का कहना है कि रागी में कार्बोहाइड्रेट्स होते हैं, जो धीरे-धीरे पचते हैं और लंबे समय तक एनर्जी देते हैं।5. आयरन से भरपूररागी में आयरन की भी अच्छी मात्रा होती है, जो बच्चों में खून की कमी को दूर करने में मदद करती है। बच्चों में आयरन की कमी से एनीमिया जैसी समस्याएं हो सकती हैं, जिन्हें दूर रखने के लिए यह हलवा फायदेमंद है।रागी और केले का हलवा बनाने की रेसिपी• 1 बड़ा चम्मच रागी (बाजरा) पाउडर• 1/2 पका हुआ केला (मैश किया हुआ)• 1/2 छोटा चम्मच घी• 1 कप पानीबनाने का तरीका- एक पैन में रागी का आटा और पानी मिलाएं। पानी मिलाने के कारण रागी में गांठ न आएं, इसके लिए इसे चम्मच से चलाते रहें।- रागी और पानी को धीमी आंच में पकाते रहें और चलाते रहें, जब तक कि यह गाढ़ा न हो जाए।- 5 से 7 मिनट तक पकाने के बाद रागी को गैस से नीचे उतारकर रखें।- रागी ठंडा हो जाए, तो उसमें मैश किया हुआ केला, घी मिलाएं।- शिशुओं को खिलाने के लिए आपका रागी और केले का हलवा तैयार हो चुका है।
- पानी हमारे शरीर के लिए कितना जरूरी है, ये शायद बताने की भी जरूरत नहीं। बिना खाना खाए तो आदमी फिर भी घंटों बीता ले लेकिन बिना पानी पीए कुछ ही देर में हालत खराब हो जाती है। वैसे तो अगर आप साफ-सुथरा पानी पीते हैं, तो ये आपकी सेहत के लिए हर तरफ से काफी फायदेमंद है। लेकिन अगर आपका पानी पीने का ढंग जरा सही नहीं है, तो ये पानी भी आपके कई रोगों का कारण बन सकता है। अब जरा लोगों कि ये एक आदत ही देख लीजिए। काफी सारे लोग होते हैं जो अपनी पानी की बोतल में मुंह लगाकर पानी पीते हैं। ये आदत देखने में भले ही नॉर्मल लगे लेकिन इसके भी कुछ नेगेटिव साइड इफेक्ट्स हो सकते हैं। तो चलिए आज इसी के बारे में बात करते हैं।पनप सकता है बैक्टीरियाबोतल में मुंह लगाकर पानी पीने के कई नुकसान हो सकते हैं। इनमें सबसे बड़ा नुकसान यही है कि ऐसा करने से इन्फेक्शन का खतरा बढ़ जाता है। दरअसल जब कोई बोतल में मुंह लगाकर पानी पीता है, तो उसका सलाइवा यानी लार बोतल में चिपक जाती है। जिसकी वजह से इसमें कई बार बैक्टीरिया पनपने लगता है। अब जब आप दोबारा उसी बोतल से पानी पीते हैं तो ये बैक्टीरिया शरीर के अंदर चला जाता है, जो हेल्थ के लिए हानिकारक हो सकता है।एक बार में पानी पीना भी है खतरनाकबोतल से पानी पीते वक्त, पानी को घूंट-घूंट में पीने के बजाय अक्सर लोग एक ही सांस में ढेर सारा पानी पी जाते हैं, जो हेल्थ के लिए सही नहीं है। एक ही बार में तेजी से ढेर सारा पानी पीने से ये गले में अटक सकता है। इसके अलावा ऐसा करना पेट के लिए भी सही नहीं होता। इससे पेट फूलने की समस्या हो सकती है। इसीलिए बेहतर यही है कि पानी हमेशा गिलास से, घूंट-घूंट भर कर पीएं।जानिए पानी पीने का सही तरीकाशरीर को हाइड्रेटेड बनाए रखने के लिए दिन भर में पर्याप्त मात्रा में पानी पीना जरूरी है। लेकिन कभी भी एक साथ ढेर सारी मात्रा में पानी नहीं पीना चाहिए। पानी हमेशा गिलास में लेकर घूंट-घूंट में पीना चाहिए। हर घंटे थोड़ी-थोड़ी मात्रा में पानी पीते रहना चाहिए। इसके अलावा पानी हमेशा बैठकर पीना चाहिए। अगर पॉसिबल हो तो हल्का गुनगुना पानी ही पीएं, ये पेट के लिए सही रहता है। पानी पीने के लिए अगर बोतल का इस्तेमाल कर रहे हैं तो उसकी साफ-सफाई भी नियमित रूप से करते रहें। अपना झूठा पानी किसी और के साथ शेयर करने से बचें और खुद भी किसी का झूठा पानी ना पीएं। साथ ही ज्यादा देर तक बोतल में पानी ना रहने दें।
- यंग लोगों में पीठ दर्द की समस्या आज के समय में काफी आम हो गई है। खासकर, ऑफिस में काम करने वाले लोगों में पीठ, कमर और गर्दन दर्द की समस्या बनी रहती है। दरअसल, ऑफिस में गलत तरीके से बैठने और कुछ खराब आदतों के कारण आप में पीठ दर्द की समस्या होती है, जिससे राहत पाने के लिए जरूरी है कि आप अपनी आदतों में बदलाव करें और पोश्चर को ठीक करें।ऑफिस में पीठ दर्द से राहत पाने के लिए क्या करें?1. कुर्सी का सही सेटअपअपनी कुर्सी को इस तरह से सेट करें कि आपकी पीठ के निचले हिस्से को अच्छी तरह से सहारा मिले। आपके पैर जमीन पर मजबूती से टिके होने चाहिए और आपके घुटने 90 डिग्री के कोण पर होने चाहिए ताकि आपकी पीठ के निचले हिस्से पर दबाव कम हो।2. आंखों के स्तर पर रखें मॉनिटरअपने मॉनिटर को इस तरह रखें कि स्क्रीन आपकी आंखोंके स्तर पर हो। इससे गर्दन पर दबाव कम पड़ता है और खराब मुद्रा से बचने में मदद मिलती है।3. कीबोर्ड और माउस की स्थिति का ध्यान रखेंअपने कीबोर्ड और माउस को अपने शरीर के करीब रखें ताकि आपकी बाहें ज्यादा न खिंचें। इस बात को तय करें कि आपके हाथों की कलाईकुर्सी के आर्मरेस्ट पर टिके हों ताकि कंधे का तनाव कम हो।4. नियमित ब्रेक लेंहर 25 से 30 मिनट में, खड़े होने, स्ट्रेच करने और इधर-उधर घूमने के लिए थोड़ा ब्रेक लें। इससे आपके शरीर का ब्लड फ्लो बेहतर रहता है, पीठ और गर्दन में अकड़न की समस्या से भी राहत मिलती है।5. स्वस्थ खाने की आदतेंकाम के दौरान खूब पानी पीकर खुद को हाइड्रेटेड रखने की कोशिश करें। ज्यादा कार्बोहाइड्रेट का सेवन करने से बचें और ध्यान रखें कि आप मांसपेशियों के स्वास्थ्य और स्वास्थ रहने के लिए पर्याप्त प्रोटीन का सेवन करें।इन टिप्स को फॉलो करके आप अपने वर्कप्लेस पर लंबे समय तक काम करने के दौरान किसी भी तरह की होने वाली असुविधा को कम कर सकते हैं और पीठ या कमर के दर्द के जोखिम को कम किया जा सकता है।
-
त्योहारों के मौसम में जैसे-जैसे चीजों की मांग बढ़ती है, वैसे ही मिलावट भी तेजी से की जाती है। त्योहारी मौसम में लोग व्रत रखते हैं, तो फलों की मांग ज्यादा होती है। खासकर हर व्रत में केला जरूर खाया जाता है। क्योंकि केला एक सुपरफूड है और इसे खाने से पूरा दिन शरीर को एनर्जी मिलती है। लेकिन समस्या यह है कि मांग बढ़ने के कारण केले को जल्दी पकाने के लिए कार्बाइड केमिकल का इस्तेमाल किया जा रहा है। कार्बाइड केमिकल से पकाए गए केले का सेवन किया जाए, तो कई बीमारियों की वजह बन सकता है। यही कारण है आज इस लेख के माध्यम हम आपको बताने जा रहे हैं बाजार में मिलने वाले केले को कार्बाइड केमिकल से पकाया गया है या नहीं इसकी पहचान कैसे की जा सकती है, ताकि आप अपने परिवार और खुद को मिलावट से जहर से बचा सकें।
-पहला तरीकाभारतीय खाद्य सुरक्षा एवं मानक प्राधिकरण के दिशा-निर्देशों के अनुसार, केले को कार्बाइड केमिकल से पकाया गया है या नहीं इसे समझने के लिए रंग पर ध्यान देना जरूरी होता है। अगर केले का छिलका पूरी तरह से चिकना और हल्के पीले रंग का और उस पर हल्का हरा रंग नजर आ रहा है, तो यह कार्बाइड या अन्य किसी केमिकल से पकाए गए केले की पहचान का पहला तरीका है। वहीं, प्राकृतिक तरीके से केले के Carbide-banana-inside छिलके गाढ़े पीले रंग का होता है और उस पर काले धब्बे दिखाई देते हैं।दूसरा तरीकाकार्बाइड केमिकल से पकाए गए केले काफी ठोस और आंखों लुभाने वाले होते हैं। वहीं, प्राकृतिक तरीके से पकने वाले केले थोड़े डल नजर आते हैं।तीसरा तरीका- केले को कार्बाइड केमिकल से पकाया गया है इसकी जांच आप पानी से भी कर सकते हैं।- इसके लिए एक बाल्टी भर पानी लें। पानी में एक साबुत केला डालें।- अगर आपका केला पानी में डूब जाता है, तो समझ लीजिए यह प्राकृतिक तरीके से पका हुआ है।- वहीं, अगर केला पानी में तैरने लगता है, तो यह कार्बाइड केमिकल से पके हुए केले की पहचान है।चौथा तरीकाकार्बाइड केमिकल से पकाए गए केले हर तरफ से एक नहीं होते हैं। अगर आपको बाजार में मिलने वाला केला कहीं से कच्चा और कहीं से ज्यादा पका हुआ नजर आता है, तो समझ लीजिए कि इसे कार्बाइड या अन्य प्रकार के केमिकल से पकाया गया है। वहीं, प्राकृतिक तरीके से पके हुए केले चारों तरफ से एक जैसे ही पके हुए होते हैं।पांचवां तरीकाकेमिकल वाले केले की पहचान करने का एक तरीका, उसे छूकर देखना भी है। जब कोई केला प्राकृतिक तरीके से पकता है, तो उसे छूने पर हाथों को एक मुलायम पन महसूस होता है। वहीं, कार्बाइड केमिकल से पकाए गए केले बाहर से पूरा पका हुआ दिखने के बावजूद छूने पर सख्त महसूस होता है। - दूध पीने के बाद घर से तुरंत बाहर जाना अशुभ माना जाता है। ऐसा कहा जाता है कि दूध पीने के आधे एक घंटे इंतजार करना चाहिए और इसके बाद ही घर के बाहर जाना चाहिए। दूध पीकर बाहर जाने से आपके साथ नकारात्मक ऊर्जा आपके साथ आ जाती है और आप जिस काम के लिए जाते हैं वो विफल यानी खराब हो जाता है। ऐसा भी कहा जाता है कि दूध चंद्रमा तत्व का प्रतिनिधित्व करता है, इसलिए जब आप दूध पीकर घर से निकलते हैं तो नेगेटिव ऊर्जा आपका पीछा करने लगती है। लेकिन दूध पीकर घर से न निकलने के पीछे वैज्ञानिक कारण भी है। दरअसल खाली पेट दूध पीने से ये कई लोगों को पचता नहीं है, और आपको स्वास्थ्य से जुड़ी समस्याएं हो सकती है।खाली पेट दूध पीकर घर से निकलने से सेहत पर क्या प्रभाव पड़ता है?सुबह खाली पेट दूध पीकर घर से निकलने पर स्वास्थ्य से जुड़ी कुछ समस्याएं हो सकती हैं, खासकर अगर आप नियमित रूप से सुबह खाली पेट दूध का सेवन करते हैं।" आइए जानते हैं खाली पेट दूध पीने से आपके सेहत पर क्या-क्या प्रभाव पड़ सकता है।1. पाचन से जुड़ी समस्याएंखाली पेट दूध पीने से कई लोगों को पाचन से जुड़ी समस्याएं हो सकती हैं, जैसे कि एसिडिटी, या पेट में जलन। दूध में लैक्टोज होता है, जिसे पचाना कुछ लोगों के लिए मुश्किल हो सकता है, जिससे पेट में भारीपन या गैस्ट्रिक समस्याएं हो सकती है।2. एनर्जी कम होनादूध पीने से शरीर को तुरंत एनर्जी नहीं मिलती है क्योंकि इसमें प्रोटीन और फैट होते हैं। इसलिए, सुबह बिना कार्बोहाइड्रेट या फाइबर के यह आपके शरीर में ब्लड शुगर के स्तर को बिगाड़ सकता है, जिससे दिन के दौरान आपको थकावट महसूस हो सकती है।3. मेटाबॉलिज्म धीमा होनासुबह खाली पेट दूध पीने से से आपका मेटाबॉलिज्म धीमा हो सकता है, जिससे आपके शरीर में एनर्जी का स्तर कम हो सकता है और वजन बढ़ने की संभावना बढ़ सकती है।4. लैक्टोज इन्टॉलरेंसजिन लोगों में लैक्टोज इन्टॉलरेंस यानी दूध में मौजूद लैक्टोज से एलर्जी होती है, उन्हें खाली पेट दूध पाने से पेट में दर्द, दस्त और उल्टी जैसी समस्याएं हो सकती है।5. भूख कम होनासुबह घर से निकलने से पहले दूध पीने से आप अन्य पोषक तत्वों से भरपूर खाद्य पदार्थों को खाने से बचते हैं, जिससे आपके शरीर को जरूरी पोषक तत्व नहीं मिल पाते हैं। इससे सुबह शरीर को पर्याप्त मात्रा में पोषण नहीं मिल पाता है।आयुर्वेद के अनुसार दूध पीने का तरीका क्या है?आयुर्वेद में हेल्दी या मोटे व्यक्तियों के लिए सुबह के समय दूध पीना बेहतर होता है, क्योंकि दूध पीने के बाद आपके शरीर को देर तक एनर्जी मिलती है और कैलोरी मात्रा कम होने के कारण ये आप में मोटापाकम करने में मदद कर सकता है। जबकि कमजोर व्यक्तियों को सुबह के समय दूध पीने के स्थान पर रात को सोने से पहले दूध पीना चाहिए, इससे आप में एनर्जी का स्तर बढ़ाने में मदद मिल सकती है, क्योंकि रात के समय हमारे शरीर में वात दोष बढ़ता है, जिसे ये बैलेंस कर सकता है। इसके साथ ही रात में अग्नि यानी डाइजेशन कम होता है, जो दिन के समय ज्यादा बेहतर होता है।घर से निकलते समय दूध पीकर निकलना अशुभ नहीं होता है, बल्कि ये आपके स्वास्थ्य पर निर्भर करता है। दरअसल जब आप खाली पेट घर से दूध पीकर निकलते हैं और आपकी तबीयत खराब हो जाए, तो आप जिस काम के लिए जा रहे हैं, उसे करने में दिक्कत आ सकती हैं, क्योंकि कमजोरी, चक्कर आने या स्वास्थ्य से जुड़ी अन्य समस्याएं होने पर आप अपने काम में फोकस नहीं कर पाएंगे। इसलिए अगर आपको सुबह खाली पेट दूध पीने की आदत है, तो कोशिश करें कि दूध के साथ अन्य पोषक तत्वों से भरपूर फूड्स का भी सेवन करें, जो आपके शरीर को ताकत देने और आपको स्वस्थ रखने में मदद करें।
-
लंबे समय तक त्वचा की देखभाल न करने से स्किन हेल्थ खराब होने लगती है। इसके कारण चेहरे पर डार्क स्पॉट्स, डल स्किन, टैनिंग और ब्लैक व व्हाइटहैड्स जैसी समस्याएं होने लगती हैं। इतना ही नहीं, इसके कारण त्वचा का निखार खत्म होने लगता है और स्किन डल होने लगती है। लेकिन स्किन को हेल्दी और ग्लोइंग रखने के लिए पोषण और देखभाल दोनों पर ध्यान देना जरूरी है। हेल्दी और फ्रेश डाइट से आप पोषक की कमी पूरी कर सकते हैं। निखार लाने के लिए देखभाल करना ही जरूरी है। इसके लिए आप चावल के आटे और एलोवेरा से बना फेस मास्क भी लगा सकते हैं। इनके इस्तेमाल से आपको कई स्किन प्रॉब्लम्स से छुटकारा भी मिलेगा। आइए इस लेख में जानें चावल और एलोवेरा का फेस मास्क कैसे बनाना है।
ग्लोइंग स्किन के लिए चावल के आटा और एलोवेरा का फेस मास्कसामग्रीचावल का आटा- 3 चम्मचएलोवेरा- 2 चम्मचविटामिन ई- 1मिल्क- जरूरत मुताबिकविधिफेस मास्क बनाने के लिए बाउल में 3 चम्मच चावल का आटा लीजिए। अब इसमें 2 चम्मच एलोवेरा जेल मिलाएं। इसमें विटामिन ई का कैप्सूल मिलाएं और मिक्सचर बनाएं। अगर यह पेस्ट ज्यादा गाढ़ा है तो इसमें थोड़ा कच्चा दूध मिलाएं। पेस्ट बनाकर चेहरे पर लगाएं और सूखने के बाद सादे पानी से धो लें। इस फेस मास्क को आप सप्ताह में दो बार इस्तेमाल कर सकते हैं।चावल के आटा और एलोवेरा के फेस मास्क के फायदेस्किन को ग्लोइंग रखे-यह फेस मास्क स्किन को हेल्दी और ग्लोइंग रखने में मदद करता है। चावल त्वचा की सफाई में मदद करता है और एलोवेरा स्किन को मॉइस्चराइज करता है। विटामिन ई और दूध से स्किन हाइड्रेट रहती है और डलनेस कम होती है। इन सभी फायदों से त्वचा में निखार बना रहता है। इस मास्क में एलोवेरा जेल के साथ विटामिन-ई कैप्सूल भी है। इसके इस्तेमाल से स्किन मॉइस्चराइज और हाइड्रेट रहती है। इसके साथ ही, त्वचा की डलनेस और ड्राईनेस भी कम होती है।त्वचा की गहराई से सफाई होती हैचावल के आटे में बारीक कण पाए जाते हैं जो त्वचा की गहराई से सफाई करते हैं। इससे त्वचा की सफाई होती है और स्किन क्लीन रहती है।डलनेस कम होती है-स्किन डलनेस दूर करने के लिए आप एलोवेरा और चावल का आटा इस्तेमाल कर सकते हैं। इसके इस्तेमाल से डार्क स्पॉट्स और डलनेस कम होते हैं। इससे चेहरे पर निखार आता है। अगर आप इनमें से कोई भी सामग्री पहली बार इस्तेमाल कर रहे हैं, तो पैच टेस्ट जरूर करें। लेकिन अगर आपको स्किन इंफेक्शन या एलर्जी रहती है, तो एक्सपर्ट से संपर्क करें। - वर्तमान में भारत में डायबिटीज और हाई ब्लड प्रेशर की समस्या से पीड़ित लोगों की संख्या दिन प्रतिदिन बढ़ रही है, जो कि ज्यादातर खराब खानपान और बिगड़ी लाइफस्टाइल के कारण होती है। डायबिटीज के मरीजों को एक्टिव लाइफस्टाइल के साथ अपने खानपान का भी विशेष ध्यान रखना चाहिए। डायबिटीज से जूझ रहे लोगों को पाचन संबंधी समस्याओं का सामना करना पड़ता है, ऐसे में प्याज का सेवन लाभदायक साबित हो सकता है। ऐसा इसलिए, क्योंकि प्याज में क्वेरसेटिन और कार्बनिक सल्फर यौगिक होते हैं, जो शरीर में इंसुलिन को बढ़ावा देने में मदद कर सकते हैं।डायबिटीज में प्याज खाने के फायदे1. प्याज में मौजूद एंटीऑक्सिडेंट्स और फाइबर शरीर में इंसुलिन उत्पादन में सुधार कर सकते हैं, जो डायबिटिक मरीजों के लिए जरूरी है।2. प्याज में मौजूद पोषक तत्व शरीर में ब्लड शुगर लेवल को कंट्रोल करने में मदद कर सकते हैं।3. डायबिटीज के मरीजों का वजन कंट्रोल कर में भी प्याज सहायक हो सकता है। पोषक तत्वों से भरपूर प्यार में कम कैलोरी होती है, जिससे डायबिटिक मरीजों को वजन कंट्रोल करने में मदद मिलती है।4. प्याज में मौजूद पोटेशियम और कैल्शियम हड्डियों के साथ-साथ हार्ट हेल्थ के लिए फायदेमंद हो सकता है और हार्ट के जुड़ी समस्याओं को कम करने में मदद कर सकता है।5. डायबिटीज में पेट के खराब पाचन क्रिया की वजह से इंसुलिन का प्रोडक्शन में कमी हो जाती है। ऐसे में पाचन सिस्टम को बेहतर करने में भी प्याज सहायक हो सकता है।6. प्याज में मौजूद एंटीऑक्सीडेंट्स इम्यून सिस्टमको मजबूत बनाए रखने में मदद कर सकते हैं, जिससे कई तरह के इन्फेक्शन और बीमारियों से बचा जा सकता है।7. जिन लोगों को पेट से जुड़ी समस्याएं रहती हैं उनके लिए भी प्याज का सेवन लाभदायक होता है। प्याज में मौजूद फाइबर पाचन क्रिया को बेहतर करता है और कब्ज समस्या को कम करने में मदद कर सकता है।8. प्याज में क्वेरसेटिन नामक एक तत्व होता है जो मस्तिष्क स्वास्थ्य यानी ब्रेन हेल्थ को बनाए रखने में मदद कर सकता है।9. क्वेरसेटिन जैसे फ्लेवोनोइड्स शरीर में एंटीऑक्सीडेंट की तरह काम करते हैं और फ्री रेडिकल्स को खत्म करने में मदद करते हैं।10. प्याज में कैल्शियम, मैग्नीशियम के साथ अन्य पोषक तत्व होते हैं, जो हड्डियों और जोड़ों को मजबूत बनाए रखने में मदद कर सकते हैं।11. जिन लोगों को एंग्जायटी और तनाव की समस्या रहती है उनके लिए भी प्याज का सेवन फायदेमंद साबित होता है। प्याज में क्वेरसेटिन ऑक्सीडेटिव स्ट्रेस लेवल कम करता है।इन सभी फायदों को ध्यान में रखते हुए, डायबिटिक मरीजों को नियमित रूप से प्याज का सेवन करना चाहिए। लेकिन प्याज का सेवन करने से पहले, डॉक्टर से परामर्श जरूर करें।
- त्योहार का सीजन शुरू हो गया है और सभी लोग इसकी तैयारियों में जुटे हैं। हर कोई अपने फेस्टिवल को खास बनाना चाहता है। लेकिन आप फेस्टिवल सेलिब्रेशन में कहीं अपनी सेहत को तो नजरअंदाज नहीं कर रहे हैं। अगर हां तो आपको ऐसा करने से बचने चाहिए। त्योहार की तैयारियों के बीच आप अपनी सेहत का भी पूरा ध्यान रखें। दिवाली रोशनी और आनंद का पर्व है। इस दिन लोग जमकर मिठाइयां खाने के साथ पटाखे भी फोड़ते हैं। अगर सेहत के नजरिए से देखा जाए तो यह दोनों ही नुकसानदायक होते हैं।पटाखों से प्रदूषण की समस्या बढ़ती है। इससे निकलने वाला धुआं हमारे लंग्स को गंभीर नुकसान पहुंचाता है। पटाखों की वजह से हवा में कई हानिकारक केमिकल होते हैं, ऐसे में इनका बुरा असर हमारी सेहत पर पड़ता है।सांस फूलना और सीने में जकड़नएनसीबीआई के अनुसार दिवाली पर फोड़े जाने वाले पटाखों का रेस्पिरेटरी हेल्थ पर बहुत ही बुरा असर पड़ता है। अगर आपको लगातार खांसी हो रही है तो यह थ्रोट इरिटेशन का लक्षण हो सकता है। लेकिन खांसी के साथ अगर आपको सांस लेने में भी तकलीफ हो रही है तो इसे इग्नोर नहीं करना चाहिए। जिन लोगों को फेफड़े से जुड़ी बीमारी या रेस्पिरेटरी एलर्जी है, दिवाली के दौरान उन्हें घर से कम ही बाहर निकलना चाहिए। यदि आप बाहर निकलते हैं तो आपको N95 मास्क का इस्तेमाल करना चाहिए। इसके अलावा आप अपने साथ इनहेलर भी जरूर साथ रखें। यदि इनहेलर से आपको राहत नहीं मिलती है तो आप तुरंत अपने हेल्थ एक्सपर्ट से संपर्क करें।
- पारंपरिक परिधान के बिना त्योहार की बात पूरी नहीं होती। और पारंपरिक परिधान जेवर और अन्य एक्सेसरीज के बिना प्रभावी नहीं लगता। पर, इन सबके अलावा एक और चीज आपके पारंपरिक लुक को खास बनाती है और वह है, आपका हेयर स्टाइल। साड़ी, सलवार-सूट या फिर लहंगा के साथ आप हेयर स्टाइल कैसा बनाती हैं, इसका असर इस बात पर पड़ता है कि पूरा लुक कितना प्रभावी लग रहा है। ऐसे में आपकी व्यस्तता चाहे कितनी भी ज्यादा क्यों ना हो, अपने पारंपरिक कपड़े के अनुरूप हेयर स्टाइल बनाने के लिए कुछ वक्त जरूर निकाल लें। अनारकली सूट से लेकर मैक्सी ड्रेस तक और साड़ी से लेकर लहंगा तक को पहनने के बाद हेयर स्टाइल के मामले में आपके पास क्या-क्या हैं विकल्प, आइए जानें:पारंपरिक जूड़ा है ना!पारंपरिक त्योहारी लुक को पूरा करने में जूड़े से बेहतर हेयर स्टाइल कुछ और नहीं हो सकता। जूड़ा ऊंचा बनाने की जगह थोड़ा नीचे की ओर बनाएं। इसे अंग्रेजी में लो बन भी कहते हैं। इसे बनाने के लिए सबसे पहले अपने चेहरे के आकार के मुताबिक मांग निकालें। आप बीच या फिर साइड में भी मांग निकाल सकती हैं। बेहतर होगा कि आप अपने बालों को स्ट्रेट कर लें। अब कंघी करते हुए बालों को पीछे की ओर ले जाएं। फिर बालों को रोल करें और हेयर पिन की मदद से उसे जूड़े का आकार दें। जूड़े पर हेयर स्प्रे कर लें ताकि आपके बाल सेट हो जाएं। इस जूड़े पर बन एक्सटेंशन लगा लें। खूबसूरत जूड़ा तैयार है। आप जूड़े पर गजरा या फिर सुंदर-सी कोई हेयर एक्सेसरीज लगाकर उसकी खूबसूरती को और निखार सकती हैं।कमाल की लगेगी फिशटेल चोटीफिशटेल चोटी के लिए शानदार के अलावा किसी और शब्द का इस्तेमाल नहीं किया जा सका। पर, यह भी सच है कि पहली बार देखकर यह काफी जटिल लग सकती है। पर, एक बार सीखने के बाद इसे बनाना बहुत आसान हो जाता है। फिशटेल चोटी सबसे खूबसूरत हेयर स्टाइल में से एक है, जो न सिर्फ आम लोगों के बीच बल्कि सेलिब्रिटीज के बीच भी काफी लोकप्रिय है। फिशटेल चोटी की खासियत यह भी है कि चाहे आपके बाल छोटे हों या लंबे, आप यह चोटी बना सकती हैं। इतना ही नहीं, फिशटेल चोटी को बालों में कई अलग-अलग तरीकों से बनाया जा सकता है, जिसके कारण आप हर बार एक नया लुक तैयार कर सकती हैं। आप फिशटेल चोटी के अलावा, डबल फिशटेल चोटी, फिशटेल जूड़ा और फिशटेल पोनीटेल भी बना सकती हैं। यह चोटी बनाना आप यूट्यूब ट्यूटोरियल से सीख सकती हैं।साइड वाली चोटीचोटी बनाना तो आप जानती ही होंगी। बस, अपने इसी स्किल का इस्तेमाल त्योहारों पर पारंपरिक लुक को निखारने में करें। खास बात यह है कि इसे बनाना भी बेहद आसान है। इसे बनाने के लिए बालों में कंघी करके उसे सुलझाएं। अपने चेहरे के आकार के अनुरूप मांग निकालें और सारे बालों को कंघी करके एक ओर लाएं और चोटी गूंथ लें। अब उंगलियों की मदद से चोटी को बीच में दबाएं और साइड से बालों को हल्का-हल्का बाहर की ओर खींच लें। हेयर स्टाइल तैयार है। आप चाहें तो चोटी के बीच में छोटे-छोटे फूल भी लगा सकती हैं। यह हेयर स्टाइल आपके पारंपरिक लुक में चार-चांद लगा देगा।सीधे बालों का अनूठा अंदाजआप अपने पसंदीदा पारंपरिक पहनावे के साथ स्टाइलिश सीधे बालों वाला हेयर स्टाइल भी अपना सकती हैं। इसके लिए शैंपू किए हुए बालों को हेयर स्ट्रेटनर की मदद से बिल्कुल सीधा कर लें और पनपसंद मांग निकाल लें। बस, तैयार है आपका हेयरस्टाइल! यह एक बिना झंझट वाला हेयर स्टाइल है, जिसे आप किसी भी पारंपरिक पहनावे के साथ आजमा सकती हैं।न भूलें एक्सेसरीज का साथ1) अपने हेयर स्टाइल को निखारने के लिए आप फैंसी हेयरपिन का इस्तेमाल कर सकती हैं, जिसमें नकली फूल, क्रिस्टल या रंग-बिरंगे स्टोन शामिल होते हैं।2) पारंपरिक लुक लिए अपने बालों में फूल लगाना ना भूलें। बालों को आप चमेली से लेकर गुलाब जैसे फूलों तक से सजा सकती हैं।3) यदि आप अपने बालों को थोड़ा और आकर्षक बनाना चाहती हैं, तो ऐसी लेयर्ड या नॉर्मल चेन का इस्तेमाल करें, जिस पर पेंडेंट हों।4) जूड़ा या चोटी की खूबसूरती को निखारने के लिए आप हेयर ब्रोच का इस्तेमाल भी एक्सेसरीज के रूप में कर सकती हैं। सबसे खास बात यह है कि इसे बालों में लगाना भी बहुत आसान है।
- हर साल 12 अक्टूबर को विश्व गठिया दिवस मनाया जाता है। यह दिवस गठिया की बीमारी में जागरूकता बढ़ाने के लिए मनाया जाता है। गठिया एक ऐसी बीमारी है जिसमें जोड़ों में सूजन, दर्द, कठोरता और जकड़न हो जाती है। यह रोग किसी भी उम्र में हो सकता है, लेकिन यह बुजुर्गों में अधिक आम है।गठिया के प्रकार की बात करें तो गठिया के कई प्रकार होते हैं, जिनमें ऑस्टियोआर्थराइटिस जो उम्र के साथ होता है और जोड़ों में दिक्कत होती है, रूमेटॉइड आर्थराइटिस जोकि एक ऑटोइम्यून बीमारी है जिसमें इम्यून सिस्टम हेल्दी टिश्यू पर हमला करती है, जिससे जोड़ों में सूजन होती है, आर्थराइटिस जोकि यूरिक एसिड के क्रिस्टल के जोड़ों में जमा होने के कारण होता है।गठिया के लिए कई इलाज हैं लेकिन इसके लक्षणों को अप अपनी डाइट में बदलाव करके भी कम कर सकते हैं। आर्थराइटिस फाउंडेशन के अनुसार (ref) एंटी इंफ्लेमेटरी फूड के सेवन से गठिया के दर्द, सूजन और अन्य लक्षणों की गंभीरता को कम किया जा सकता है। चलिए जानते हैं कि गठिया के मरीजों को कौन-कैन से एंटी इंफ्लेमेटरी फूड खाने चाहिए।साबुत अनाजआपको अपनी डाइट में ब्राउन राइस, क्विनोआ, साबुत गेहूं और ओट्स जैसे अनाज शामिल करने चाहिए। साबुत अनाज में फाइबर और पोषक तत्व होते हैं जो सी-रिएक्टिव प्रोटीन (सीआरपी) के लेवल को कम करते हैं, जो गठिया से जुड़े सूजन का एक बड़ा कारण है। इनके अलावा आप ग्रीन टी, हल्दी, अदरक, लहसुन और बीन्स आदि का भी सेवन करें।
- गंदगी और पसीने के कारण बालों से बदबू आने लगती है। बालों से आ रही बदबू को दूर करने के लिए दालचीनी से बना हेयर पैक लगाएं। दालचीनी को उसकी खुशबू के लिए जाना जाता है। खुशबू से बीमारियों का इलाज करने के लिए अरोमाथेरेपी में भी दालचीनी का प्रयोग किया जाता है। दालचीनी में एंटीबैक्टीरियल गुण होते हैं जिससे इन्फेक्शन दूर होता है और बाल स्वस्थ बनते हैं। दालचीनी में मौजूद माइक्रोन्यूट्रिएंट्स की मदद से बाल लंबे, मुलायम और चमकदार नजर आते हैं। दालचीनी में एंटीफंगल गुण होते हैं जो स्कैल्प के इंफेक्शन को रोकने का काम करते हैं। आगे जानेंगे दालचीनी से हेयर पैक बनाने का तरीका।दालचीनी से हेयर पैक कैसे बनाएं?सामग्री:दालचीनी पाउडर- 2 चम्मचशहद- 2 चम्मचनींबू का रस- 1 चम्मचविधि:-सबसे पहले, एक कटोरी में दालचीनी पाउडर लें।-अब इसमें शहद और नींबू का रस डालें।-सभी सामग्री को अच्छे से मिला लें ताकि एक मिश्रण बन जाए।-अब इस मिश्रण को अपने बालों की झड़ों पर लगाएं।-बालों पर मिश्रण को लगाने के बाद, 20-30 मिनट तक इसे लगाए रखें।-फिर ठंडे पानी से बालों धो लें और बालों पर शैंपू लगाकर स्कैल्प को साफ कर लें।बालों की बदबू से कैसे बचें?-बालों की बदबू से बचने के लिए शैंपू और कंडीशनर का उपयोग करें जिससे बाल साफ होंगे और बदबू दूर होगी।-अपने हेयर टाइप के मुताबिक, अच्छे शैंपू का चयन करें जिससे बालों को ताजगी मिले और बालों से बदबू न आए।-बालों को स्वस्थ रखने के लिए तेल लगाएं। तेल लगाने से बालों से बदबू आने की समस्या दूर होती है।-नम बालों में बैक्टीरिया बढ़ने की संभावना होती है इसलिए बालों को बिना सुखाएं बांधने की गलती न करें।-अधिक हेयर स्प्रे का इस्तेमाल करने से बालों में बदबू की समस्या होती है इसलिए इस गलती से बचें।-समय-समय पर बालों को ट्रिम करवाएं, इससे बालों में मौजूद मृत कोशिकाओं हट जाती हैं और बालों से बदबू नहीं आती।
- इन दिनों में हम लोग जिस तरह की जीवनशैली जी रहे हैं, उसमें कब्ज की समस्या होना आम बात है। कब्ज में पेट अच्छी तरह से साफ नहीं हो पाता है, जिसके कारण फिशर और पाइल्स की समस्या भी होती है।कब्ज की समस्या का सामना कर रहे ज्यादातर लोग, इससे राहत पाने के लिए गोलियां, सिरप और कई तरह की दवाएं लेते हैं। लेकिन कई बार दवा का सेवन करने से भी कब्ज की समस्या से छुटकारा नहीं मिलता है। आप भी काफी लंबे समय तक कब्ज की समस्या से जूझ रहे हैं, तो अब वक्त है दवा की जगह एक आयुर्वेदिक नुस्खे को आजमाने का। कब्ज से छुटकारा पाने का यह आयुर्वेदिक उपाय है छोटी हरड़।कब्ज में क्यों फायदेमंद है छोटी हरड़?आयु्र्वेद में छोटी हरड़ का इस्तेमाल हजारों वर्षों से कब्ज और अन्य पाचन संबंधी समस्याओं से राहत दिलाने के लिए किया जा रहा है। छोटी हरड़ में एंटी बैक्टीरियल, एंटी -इंफ्लेमेटरी गुण पाए जाते हैं, जो मल को मुलायम बनाकर, मल त्याग की प्रक्रिया को आसान बनाते हैं। जिससे कब्ज और अन्य पाचन संबंधी समस्याओं से छुटकारा मिलता है। इतना ही नहीं छोटी हरड़ शरीर में एक लैक्सेटिव की तरह काम करता है। छोटी हरड़ का सेवन करने से पेट आसानी से साफ हो जाता है। इसकी मदद से पेट में दर्द समेत अन्य पाचन से जुड़ी परेशानियां भी नहीं होती हैं।कब्ज के लिए छोटी हरड़ का उपयोग कैसे करें?- 20 ग्राम छोटी हरड़ को देखकर साफ कर लें। अब एक तवा लें और इसे गर्म कर लें।- गर्म तवे पर 2 से 4 बूंदें कैस्टर ऑयल और छोटी हरड़ डालकर अच्छे से भूनकर तैयार करें।- भूनने के बाद छोटी हरड़ का ग्राइंडर में पीसकर चूर्ण के तौर पर तैयार कर लें।- रोजाना सुबह खाली पेट छोटी हरड़ के चूर्ण का सेवन गुनगुने पानी के साथ करें।डॉक्टर का कहना है कि कब्ज और पाचन संबंधी समस्याओं से छुटकारा पाने के लिए छोटी हरड़ का सेवन शुरुआत में 4 से 8 सप्ताह तक लगातार करना चाहिए। इसके बाद एक बीच का गैप करके 4 सप्ताह तक हरड़ का सेवन करना चाहिए। कब्ज के लिए छोटी हरड़ का इस्तेमाल आयुर्वेद और भारतीय घरों में सदियों से किया जा रहा है, लेकिन जो लोग किसी प्रकार की मेडिकल कंडीशन से गुजर रहे हैं या किसी विशेष प्रकार की दवा का सेवन कर रहे हैं, वह छोटी हरड़ का इस्तेमाल डॉक्टरी सलाह पर ही करें।
- मौसम बदल रहा है। मानसून के बाद, अब सर्दी का मौसम आने वाला है। इस बदलते हुए मौसम में सेहत के साथ ही, त्वचा पर भी असर पड़ता है। बदलते मौसम में त्वचा रूखे और बेजान होने लगती है। त्वचा का निखार खो जाता है। त्वचा डल और बेदाग नजर आने लगती है। ऐसे में खूबसूरती को बरकरार रखने के लिए त्वचा की अतिरिक्त देखभाल करनी बहुत जरूरी हो जाती है। त्वचा की देखभाल सुबह से लेकर रात को सोते समय तक किया जाना जरूरी होता है। ऐसे में अक्सर लोगों के मन में सवाल होता है कि त्वचा पर निखार बनाए रखने और खूबसूरती बढ़ाने के लिए बदलते मौसम में सुबह चेहरे पर क्या लगाना चाहिए?1. गुलाब जलबदलते मौसम में गुलाब जल लगाना फायदेमंद हो सकता है। गुलाब जल में मॉइश्चराइजिंग गुण होते हैं, जो त्वचा को मुलायम और कोमल बनाए रखने में मदद करते हैं। आप भी बदलते मौसम में गुलाब जल का इस्तेमाल कर सकते हैं। खासकर, अगर आपकी ड्राई स्किन है, तो इस मौसम में रोज सुबह अपने चेहरे पर गुलाब जल का इस्तेमाल जरूर करें। आप गुलाब जल का इस्तेमाल क्लींजर या टोनर के रूप में कर सकते हैं। इससे आपकी स्किन पूरे दिन सॉफ्ट और शाइनी नजर आएगी।2. एलोवेरा जेलएलोवेरा सेहत के साथ ही, स्किन के लिए भी फायदेमंद होता है। बदलते मौसम में रोज सुबह चेहरे पर एलोवेरा लगाना लाभकारी होता है। एलोवेरा में मौजूद मॉइश्चराइजिंग गुण त्वचा को नमी प्रदान करने में मदद करते हैं। एलोवेरा त्वचा के रूखेपन को कम करने में मदद करता है। अगर आपकी ड्राई स्किन है, तो आप रोज सुबह एलोवेरा लगा सकते हैं। इसके लिए आप फ्रेश एलोवेरा पल्प लें। इसे अपने चेहरे पर अप्लाई करें और 15-20 मिनट बाद चेहरे को पानी से साफ कर लें। इसके बाद आप चेहरे पर मेकअप यूज कर सकते हैं। इससे त्वचा की खोई हुई खूबसूरती भी वापस लौटेगी।3. नारियल का तेलनारियल तेल स्किन के लिए बेहद अच्छा होता है। खासकर, बदलते मौसम में चेहरे पर नारियल तेल लगाना फायदेमंद हो सकता है। इसलिए आप बदलते मौसम में रोज सुबह चेहरे पर नारियल तेल की मालिश कर सकते हैं। इससे त्वचा का रूखापन दूर होगा और खूबसूरती बनी रहेगी। इसके लिए आप एक चम्मच नारियल तेल लें। इसे अपने चेहरे पर अप्लाई करें। अब हल्के हाथों से चेहरे की मालिश करें। 15-20 मिनट बाद चेहरे को अच्छी तरह से धो लें।4. मॉइश्चराइजरवैसे तो आपको हर मौसम में ही मॉइश्चराइजर जरूर अप्लाई करना चाहिए। लेकिन बदलते मौसम में त्वचा को ड्राई होने से बचाने के लिए मॉइश्चराइजर का इस्तेमाल करना ज्यादा जरूरी हो जाता है। मॉइश्चराइजर लगाने से त्वचा में नमी बनी रहती है। इससे त्वचा कोमल और मुलायम नजर आती है। अगर आप रोज सुबह चेहरे पर मॉइश्चराइजर अप्लाई करेंगे, तो इससे चेहरे पर दिनभर निखार बना रहेगा।
- बहुत से लोग पकोड़े खाने के शोकीन होते हैं। कई लोग तो चाय के साथ अक्सर चिप्स, समोसे और पकोड़े खाना पसंद करते हैं। यह सभी चीजें तेल में छानकर बनती हैं, इसलिए सेहत के लिए कई तरीकों से नुकसानदायक होती हैं। इन्हें खाने से न केवल मोटापा बढ़ता है, बल्कि हार्ट से जुड़ी समस्याओं का जोखिम भी बढ़ता है। क्या आप भी पकोड़े, समोसे और चिप्स खाने के शौकीन हैं? अगर हां तो संभल जाएं यह आदत आपको डायबिटीज का शिकार बना सकती है। जी हां, इंडियन मेडिकल काउंसिल ऑफ रिसर्च एंड मद्रास डायबिटीज रिसर्च फाउंडेशन, चेन्नई के साथ कुछ मेडिकल पैनल ने रिसर्च की जिसमें यह पता लगता है कि पकोड़े, समोसे और चिप्स जैसे खाद्य पदार्थ खाने से डायबिटीज का जोखिम बढ़ता है।क्या कहती है स्टडी?स्टडी के शोधकर्ताओं के मुताबिक समोसे, पकोड़े और चिप्स जैसे खाद्य पदार्थ भारत में डायबिटीज के जोखिम को तेजी से बढ़ा रहे हैं। यह स्टडी 25 से 45 वर्ष के युवाओं पर की गई, जिनका बॉडी मास इंडेक्स 23 या उससे ज्यादा था। शोध में भाग लेने वाले लोगों को 12 हफ्तों के लिए लो और हाई डाइट दी गई। भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद (आईसीएमआर) ने भी इस पर चिंता जाहिर करते हुए कहा कि इस तरह की चीजें खाने से भारत में डायबिटीज तेजी से बढ़ रही है। यह स्टडी Journal of Food Sciences and Nutrition में प्रकाशित हुई है।हाई ग्लाइसेमिक इंडेक्स फूड्स बढ़ाते हैं ब्लड शुगरहेल्थ एक्सपर्ट के मुताबिक हाई ग्लाइसेमिक इंडेक्स वाले फूड्स खाना सेहत के लिए अन्य तरीकों से नुकसानदायक होने के साथ ही साथ डायबिटीज के जोखिम को भी बढ़ाता है। तैलीय पदार्थ जैसे पकोड़े, चिप्स, समोसे, चाऊमीन और छोले भटूरे आदि जैसे खाद्य पदार्थों में ग्लाइसेमिक इंडेक्स होते हैं, जो डायबिटीज के जोखिम को बढ़ता है। इन चीजों को खाने से शरीर में ब्लड शुगर लेवल तेजी से बढ़ता है। अगर आप लंबे समय तक इस आदत को फॉलो कर रहे हैं तो इससे डायबिटीज का रिस्क तेजी से बढ़ता है।
- व्रत के दौरान कई चीजें खाने की मनाही भी होती है। ऐसे में हम हाई कैलोरी फूड्स अवॉइड करते हैं जिससे वेट लॉस में मदद मिलती है। नवरात्रि के व्रत में लोग कुट्टु, समा के चावल और सिंघाडे के आटे का इस्तेमाल करते हैं। वहीं कुछ लोगों को व्रत में साबूदाना खाना पसंद होता है। यह स्वादिष्ट होने के साथ पचने में भी आसान होता है। इसलिए इसके सेवन से काफी देर तक भूख नहीं लगती है। लेकिन क्या आप जानते हैं व्रत में रोज साबूदाना खाने से भी आपका वजन बढ़ सकता है? वहीं अगर आप वेट लॉस डाइट पर हैं, तो इसके सेवन से वेट लॉस करना आपके लिए मुश्किल हो सकता है?वेट लॉस के लिए साबूदाना क्यों अवॉइड करना चाहिए?एक्सपर्ट के मुताबिक अगर आपक वेट लॉस करना चाहते हैं, तो नवरात्रि डाइट में साबूदाना शामिल न करें। साबूदाना में स्टार्च और कैलोरी की मात्रा काफी ज्यादा होती है। मात्रा के मुताबिक देखें तो 100 ग्राम साबूदाने से आपको 360 कैलोरी मिलती है। जब आप इसमें उबले आलू और अन्य चीजें मिलाकर बनाते हैं, तो इसमें कैलोरी की मात्रा बढ़ जाती है। ऐसे में इसका रोज सेवन करने से वेट गेन हो सकता है। वहीं जो लोग वेट लॉस कर रहे हैं उन्हें भी कम मात्रा में ही ज्यादा कैलोरी मिल जाती है। इसलिए वेट लॉस के दौरान साबूदाना अवॉइड करना जरूरी है। इसके अलावा, अगर आपको वजन बढ़ाना है या आपको बार-बार भूख लगती है तो साबूदाने का सेवन जरूर करना चाहिए।साबूदाने की जगह किन चीजों का सेवन करना फायदेमंद होता है?साबूदाने की जगह आप कुट्टु का सेवन कर सकते हैं। कुट्टु में फाइबर अधिक होता है और इसमें साबुदाने के मुकाबले कैलोरी कम होती है। कुट्टु की रोटी, पराठे, चीला या इडली बनाकर खाने से आपको जल्दी भूख नहीं लगगी। समा के चावल का सेवन करना साबूदाने से ज्यादा बेहतर होगा। इससे आप इडली, खिचड़ी या पुलाव बनाकर खा सकते हैं। यह पचने में आसान होता है और इसमें भी फाइबर अधिक होता है। इसके सेवन के बाद आपको बहुत ज्यादा भारीपन महसूस नहीं होगा।सिंघाडे को आप चाट, सब्जी या आटा किसी भी तरह से इस्तेमाल कर सकते हैं। इसमें कैलोरी की मात्रा कम होती है और इसके सेवन से क्रेविंग्स भी कंट्रोल रहती हैं। इसके साथ ही आप राजगीरा भी इस्तेमाल कर सकते हैं। इसे आप दूध, चाय, खिचड़ी या रोटी बनाने के लिए इस्तेमाल कर सकते हैं।इन चीजों का सेवन आप व्रत के दौरान कर सकते हैं। लेकिन ध्यान रखें कि हर चीज का सेवन कम मात्रा में ही करें। क्योंकि ज्यादा मात्रा में खाने से आपको पाचन संबंधित समस्याएं हो सकती हैं। लेख में दी गई जानकारी पसंद आई हो, तो इसे शेयर करना न भूलें।
-
पिछले कुछ सालों से थायराइड के मरीजों की संख्या तेजी से बढ़ रही है। हार्मोनस में गड़बड़ी के कारण थायराइड की समस्या बढ़ने लगती है, जिसमें वजन बढ़ना सबसे आम है। थायराइड कंट्रोल करने के लिए पोषत तत्वों से भरपूर खाद्य पदार्थों को डाइट में शामिल करना जरूरी होता है। लेकिन काम के प्रेशर या अन्य कारणों से लोग अपने स्वास्थ्य की ओर खास ध्यान नहीं दे पाते हैं, जिस कारण शरीर में पोषक तत्वों की कमी होने से रोकने के लिए सप्लीमेंट्स का सहारा लेते हैं। डाइट सप्लीमेंट्स उन्हें थायराइड से जुड़े लक्षणों को कम करने और स्वास्थ्य को बेहतर बनाने में मदद कर सकते हैं।
थायराइड कंट्रोल करने के लिए सप्लीमेंट्स -1. सेलेनियमसेलेनियम थायराइड हार्मोन को संतुलित करने में अहम भूमिका निभाता है। यह सूजन को कम करने और थायराइड असंतुलन में सुधार करने में मदद कर सकता है, जो ब्राजील नट्स, सी फूड्स, अंडे और सूरजमुखी के बीज में पाया जाता है।2. विटामिन डीविटामिन डी की कमी हाइपोथायरायडिज्म में आम समस्या है और ऑटोइम्यून थायराइड डिसऑर्डर से जुड़ा है। विटामिन डी सप्लीमेंट्स थायराइड फंक्शन को बेहतर बनाने और सूजन को कम करने में मदद कर सकता है।3. ओमेगा-3 फैटी एसिडओमेगा 3 फैटी एसिड अपने सूजन-रोधी गुणों के लिए जाना जाता है, जो मछली के तेल या सैल्मन, मैकेरल और सार्डिन जैसी वसायुक्त मछली में पाया जाता है।4. प्रोबायोटिक्सगट हेल्थ को बेहतर रखने में प्रोबायोटिक्स अहम भूमिका निभाता है, जो थायराइड को भी प्रभावित करता है। प्रोबायोटिक्स आंत के स्वास्थ्य को बेहतर बनाने और सूजन को कम करने में मदद कर सकते हैं, जो हाइपोथायरायडिज्म वाले व्यक्तियों के लिए फायदेमंद है।5. अश्वगंधाअश्वगंधा एक एडाप्टोजेनिक जड़ी बूटी है, जो एड्रेनालाईन फंक्शन को बेहतर रखने और तनाव कम करने में फायदेमंद है। इसके सेवन से थायराइड फंक्शन में सुधार होता है और हाइपोथायरायडिज्म के लक्षणों को कम किया जा सकता है।6. आयरनथायराइड हार्मोन के उत्पादन के लिए आयरन एक महत्वपूर्ण सप्लीमेंट है। जिसकी कमी पूरी करने के लिए आप आयरन से भरपूर खाद्य पदार्थों का सेवन कर सकते हैं।7. आयोडीनआयोडीन थायराइड हार्मोन का एक प्रमुख घटक है, थायरायड ग्रंथि आयोडीन का उपयोग थायरोक्सिन (T4) और ट्राईआयोडोथायरोनिन (T3) का उत्पादन करने के लिए करती है। ऐसे में आप आयोडीन युक्त नमक को अपनी डाइट में शामिल कर सकते हैं। - मक्खन का इस्तेमाल खाना बनाने में अक्सर किया जाता है। इससे बनी चीजों का स्वाद अलग ही होता है। सब्जी में मलाईदार टेक्सचर पाने के लिए मक्खन का इस्तेमाल किया जाता है। लेकिन कई बार इसका इस्तेमाल सही तरह से न किया जाए तो ये स्वाद को बिगाड़ सकता है। दरअसल, मक्खन बहुत जल्दी पिघल जाता है ऐसे में ध्यान हटते ही ये जल सकता है। ऐसे में आइए जानते हैं मक्खन को जलने से रोकने के लिए कुछ बेहतरीन तरीकों के बारे में। ऐसा करके आप मक्खन को जलने से बचा सकते हैं।1) हीट लेवल को देखेंमक्खन के जलने के पीछे मुख्य कारणों में से एक बहुत ज्यादा हीट लेवल है। ऐसे में जब भी आप इसे इस्तेमाल करें तो अपने पैन को मध्यम आंच पर गर्म करें और फिर मक्खन डालें। मक्खन के पिघलते समय उसे देखते रहें। ज्यादा तेज आंच पर इसे न रखें क्योंकि मक्खन बहुत जल्दी भूरा हो सकता है और जल सकता है।2) तेल के साथ करें मिक्सइसे जलने से रोकने के लिए मक्खन को पिघलाने से पहले पैन में जरा सा तेल का डालें। तेल मक्खन को सुरक्षित रखने में मदद करता है और जलने से कुछ हद तक बचा सकता है। आप किसी भी वेजिटेबल ऑयल का इस्तेमाल कर सकते हैं इससे स्वाद खराब नहीं होगा।3) मक्खन के रंग को देखेंजैसे-जैसे मक्खन गर्म होता है, यह झाग बनने और भूरा होने लगता है। मक्खन के पिघलते समय उसके रंग और सुगंध पर कड़ी नजर रखें। जब मक्खन हल्के सुनहरे भूरे रंग का होने लगे, तो इसे आंच से उतारें।4) इस समय डालें मक्खनमक्खन को जलने से बचाने के लिए इसे खाना पकने के अंत में डालें। आप सब्जी को आंच से उतारकर भी मक्खन डाल सकते हैं। इसकी गर्माहट से इसे धीरे से पिघलाया जा सकता है।
- नवरात्रि का समय हिंदू धर्म में विशेष महत्व रखता है। इस नौ दिन के उत्सव के दौरान, भक्त मां दुर्गा की पूजा करते हैं और कई लोग उपवास रखते हैं। उपवास का उद्देश्य न केवल धार्मिक होता है, बल्कि इसे शरीर के शुद्धिकरण के लिए भी लाभकारी माना जाता है। हालांकि, उपवास के दौरान खानपान को लेकर कई गलतफहमियां भी हैं, जो लोगों के स्वास्थ्य पर गलत प्रभाव डाल सकती हैं। सही जानकारी के अभाव में, लोग मानते हैं कि जो कुछ भी उपवास के दौरान अब तक उन्हें करने या खाने के लिए बताया गया है, वह सब सही है। जबकि ऐसा नहीं है। कई ऐसी गलतफहमियां हैं जिन्हें समझने की जरूरत है। इस लेख में हम नवरात्रि उपवास से जुड़ी कुछ गलतफहमियों पर विस्तार से चर्चा करेंगे।1. व्रत में खाने वाली सभी चीजें हेल्दी हैं-व्रत के दौरान लोग कुछ विशेष खाद्य पदार्थों का सेवन करते हैं, जैसे साबूदाना, आलू, कुट्टू का आटा और सिंघाड़े का आटा। यह धारणा आम है कि ये सभी खाद्य पदार्थ हेल्दी होते हैं, क्योंकि इन्हें व्रत के लिए उपयुक्त माना जाता है। हालांकि, यह पूरी तरह सच नहीं है। व्रत के दौरान बहुत से लोग तले हुए या ज्यादा घी-तेल में बने व्यंजनों का सेवन करते हैं, जैसे साबूदाना खिचड़ी, कुट्टू के पकौड़े या तले हुए आलू। इन खाद्य पदार्थों में कैलोरी और फैट की मात्रा ज्यादा होती है, जो स्वास्थ्य पर नकारात्मक प्रभाव डालती है, खासकर अगर आप इसे ज्यादा मात्रा में खा लें। इसलिए, यह जरूरी है कि व्रत के दौरान भी भोजन संतुलित और हल्का हो।2. कोई भी उपवास रख सकता है-उपवास को लेकर एक आम धारणा यह भी है कि यह सभी के लिए उपयुक्त होता है। जबकि उपवास का धार्मिक महत्व होता है, लेकिन स्वास्थ्य के लिहाज से यह हर व्यक्ति के लिए उचित नहीं होता। जिन लोगों को डायबिटीज की बीमारी, ब्लड प्रेशर या हृदय संबंधी समस्याएं होती हैं, उनके लिए उपवास रखना, हानिकारक हो सकता है। इसके अलावा, गर्भवती महिलाओं, बच्चों और बुजुर्गों को भी उपवास से बचना चाहिए, क्योंकि उनकी पोषण की ज़रूरतें अलग होती हैं। ऐसे में, अगर किसी को स्वास्थ्य संबंधी कोई समस्या हो, तो उन्हें डॉक्टर की सलाह के बिना उपवास नहीं करना चाहिए।3. उपवास के बाद कुछ भी खा सकते हैंयह एक और बड़ी गलतफहमी है कि उपवास खत्म होते ही आप कुछ भी खा सकते हैं। उपवास के दौरान पेट लंबे समय तक खाली रहता है, और अचानक भारी या मसालेदार भोजन खाने से पाचन तंत्र पर भारी दबाव पड़ सकता है। इससे एसिडिटी, पेट दर्द और गैस जैसी समस्याएं हो सकती हैं। उपवास खत्म करने के बाद हल्का और पौष्टिक भोजन लेना सबसे अच्छा होता है, जैसे कि फल, दही, सूप या सादा खिचड़ी।4. फलों से पूरी ऊर्जा मिल जाती हैफलों का सेवन उपवास के दौरान फायदेमंद होता है, क्योंकि वे विटामिन, मिनरल्स और फाइबर से भरपूर होते हैं। हालांकि, एनर्जी के लिए केवल फलों पर निर्भर रहना काफी नहीं है। फलों में प्राकृतिक चीनी होती है, जो तुरंत ऊर्जा देती है, लेकिन इसका असर बहुत जल्दी खत्म हो जाता है। इसके अलावा, फलों में प्रोटीन और स्वस्थ फैट की कमी होती है, जो शरीर को लंबे समय तक ऊर्जा नहीं दे पाते। इसलिए, उपवास के दौरान फलों के साथ-साथ नट्स, बीज और दूध जैसे खाद्य पदार्थों का सेवन भी जरूरी है, ताकि शरीर को पर्याप्त मात्रा में प्रोटीन, फैट और अन्य पोषक तत्व मिल सकें।5. दूध, शरबत से शरीर हाइड्रेट रहता है-बहुत से लोग मानते हैं कि व्रत के दौरान दूध, शरबत या अन्य मीठे पेय पदार्थ पीने से शरीर की पानी की जरूरत पूरी हो जाती है। हालांकि, यह धारणा पूरी तरह से सही नहीं है। दूध या शरबत जैसे पेय पदार्थों में शुगर और फैट की मात्रा होती है, जो शरीर को ऊर्जा तो देते हैं, लेकिन इन्हें केवल हाइड्रेशन का स्रोत मानना गलत है। ये पेय पदार्थ शरीर को कुछ समय के लिए ताजगी का अहसास दे सकते हैं, लेकिन इनका ज्यादा सेवन करने से शुगर लेवल बढ़ सकता है और प्यास बुझाने की बजाय यह शरीर में ज्यादा थकान का कारण बन सकते हैं। हाइड्रेशन के लिए पर्याप्त मात्रा में पानी पिएं।
- नवरात्रि में कई लोग ऐसे भी हैं जो 9 दिनों तक माता रानी के लिए उपवास रखते हैं। ऐसे में वजन कम करने वाले लोगों के लिए भी इन 9 दिनों का व्रत काफी फायदेमंद हो सकता है। हालांकि कई लोग ऐसे भी हैं, जिनके नवरात्रि के व्रत के दौरान खाने में अक्सर कैलोरी की मात्रा बढ़ जाती है, क्योंकि इसमें आलू, तेल और चीनी जैसी सामग्री का इस्तेमाल ज्यादा किया जाता है। ऐसे में अगर आप नवरात्रि के व्रत के दौरान अपना वजन कम करना या कंट्रोल में रखना चाहते हैं तो आइए जानते हैं कि आप व्रत के खाने से कैलोरी कैसे कम कर सकते हैं?व्रत रखते समय कैलोरी का सेवन कम कैसे करें?1. स्वस्थ आटे का सेवन करेंनवरात्रि के व्रत के दौरान कैलोरी की मात्रा कम रखने के लिए आप सिंघाड़ा या कुट्टू के आटे की जगह राजगिरा या क्विनोआ का आटा इस्तेमाल कर सकते हैं, जो खाने में हल्का होता है और प्रोटीन और फाइबर से भरपूर होता है।2. तलने के बजाय बेक करेंव्रत के खाने से कैलोरी कम करने के लिए आप साबूदाना वड़ा, कुट्टू पूरी या आलू टिक्की को डीप-फ्राई करने के बजाय, तेल की खपत कम करने के लिए बेक कर सकते हैं या फिर एयर फ्राई भी कर सकते हैं।3. आलू के हेल्दी विकल्प चुनेंआलू का इस्तेमाल आमतौर पर व्रत के भोजन में किया जाता है, लेकिन इसमें स्टार्च की मात्रा ज्यादा होती है और यह कैलोरी से भी भरपूर होता है। इसकी जगह आप कद्दू, कच्चा केला या शकरकंद जैसी सब्ज़ियां इस्तेमाल करें, जो ज़्यादा पोषक तत्व और कम कैलोरी वाली होती हैं।4. ज्यादा दही और पनीर का सेवन करेंउपवास के दौरान प्रोटीन बढ़ाने के लिए अपने भोजन में कम फैट वाले दही या पनीर को शामिल करें, जो आपको लंबे समय तक भरा हुआ रखने और कुल कैलोरी सेवन को कम करने में मदद कर सकता है।5. जूस के बजाय ताजे फल खाएंसाबुत फलों में फाइबर की मात्रा ज्यादा होती है, जो फलों के रस की तुलना में ज्यादा हेल्दी और कैलोरी में कम होता है।नवरात्रि के व्रत के दौरान अपने खाने से कैलोरी की मात्रा कम करने के लिए आप इन टिप्स को फॉलो कर सकते हैं, और इसके साथ खुद को हाइड्रेटेड रखने की कोशिश करें, और पेट को देर तक भरा रखने के लिए आप नट्स और सीड्स भी अपनी डाइट में शामिल कर सकते हैं।
-
शहनाज़ हुसैन (लेखिका अंतर्राष्ट्रीय ख्याति प्राप्त सौन्दर्य विशेष्ज्ञ है और हर्बल क्वीन के रूप में लोकप्रिय है)
टमाटर का इस्तेमाल खूबसूरती को बढ़ाने और त्वचा से जुड़ी समस्याओं को मिटाने के लिए परम्परागत रूप से किया जा रहा है / खूबसूरती निखारने के लिए टमाटर को चेहरे पर सीधे रगड़ सकते हैं/ त्वचा पर टमाटर को सीधे रगड़ने से तैलीय त्वचा को भी फायदा मिलता है क्योंकि टमाटर में एन्टी ऑक्सीडेंट गुण होते हैं जो कि त्वचा से तेल को कम करने में मदद करते है और स्किन पुनर्जीवित हो उठती हैअगर आपको टमाटर को चेहरे पर सीधे रगड़ने में कोई दिक्कत है तो आप इस इसे जोजोबा तेल, जैतून का तेल, बेसन, दही, ओट्स, एलोवेरा खीरा नींबू जैसे प्रकृतिक उत्पादों के साथ मिलाकर भी उपयोग में ला सकते हैं ।टमाटर में लाइकोपीन, विटामिन सी और विटामिन ई पाए जाते हैं। ये गुण त्वचा की गहराई में जाकर काम करते हैं इससे त्वचा पर जमा धूल.मैल और मृत त्वचा कोशिकाएं साफ होती हैं और त्वचा की रंगत में निखार आता है / टमाटर में कई तरह के एंजाइम और पोषक तत्व होते हैं,जिसकी बजह से टमाटर को चेहरे पर रगड़ने से चेहरे के दाग, .धब्बों, मुंहासे और झुर्रियों को मिटाने में मदद मिलती है /आप टमाटर से चेहरे को स्क्रब कर सकते हैं/ इसके लिए एक टमाटर के स्लाइस को चेहरे पर 15--20 मिनट तक रगड़िये और आधे घण्टे बाद चेहरे को साफ़ ताजे पानी से धो डालिये /टमाटर में मौजूद एंजाइम त्वचा को धीरे.धीरे एक्सफोलिएट करते हैं जिससे त्वचा की मृत कोशिकाओं को हटाने में मदद मिलती है जिससे चेहरे की खूबसूरती निखर कर बाहर आती है और चेहरे पर झुर्रियों को रोकने में मदद मिलती है / इससे एजिंग को करने में मदद मिलती है और आप युवा और जुबां दिखेंगी / अगर आप टमाटर को चेहरे पर डायरेक्ट रूप से लगाने में असहज महसूस कर रही हैं तो तो कांच की कटोरी में थोड़ी पीसी हुई चीनी और टमाटर को मिलाकर एक मिश्रण तैयार कर लें और इस मिश्रण को चेहरे पर अच्छे से रगड़कर चेहरा धो लें/ इससे चेहरे की मृत कोशिकाएं निकल जाएँगी और चेहरे पर प्रकृतिक निखार लौट आएगा /टमाटर को चेहरे पर रगड़ने से चेहरे पर नज़र आने बाले बड़े पोर्स यानी छिद्र बंद हो जाते हैं जिससे चेहरे पर धूल ,मिट्टी और गन्दगी के कण जमा नहीं हो पाते जिससेत्वचा पर कील मुहांसे आदि नहीं पनप सकते क्योंकि धूल मिटटी के कण जब त्वचा के प्रकृतिक तेलों से मिलते हैं तो ही त्वचा पर कील मुहांसे निकलते हैं / टमाटर को सीधे चेहरे पर लगाने से चेहरे की त्वचा के प्रकृतिक स्वरुप को बचाने में मदद मिलती है / टमाटर को चेहरे पर सीधे रगड़ने से चेहरे के दाग , धब्बे साफ करने में मदद मिलती है / टमाटर में मौजूद विटामिन.सी और एंटीऑक्सीडेंट गुण मुंहासों के निशानों को जल्दी ठीक करने में मदद करते हैं/ टमाटर को सबसे पहले मिक्सी में अच्छे से पीस कर पेस्ट पेस्ट बना लें और इस पेस्ट में थोड़ा सा शहद और एलोवेरा जेल मिला कर आधा घण्टा तक चेहरे पर लगा रहने दें / बाद ने चेहरे को साफ़ ताजे पानी से धो डालें / आप इसे हफ्ते में दो बार इस्तेमाल कर सकते हैं /टमाटर में विटामिन ए ,सी और के बिद्यमान होते हैं तथा टमाटर में एसिडिक गुण भी बिद्यमान होते हैं जिसकी बजह से यह त्वचा के पी एच लेवल को बनाये रखने में मदद करता है और त्वचा को गहराई तक साफ़ रखने में सहायक होता है /टमाटर को चेहरे पर रगड़ने से त्वचा को यु बी किरणों से बचाने में मदद मिलती है जिससे स्किन टैनिंग के उपचार में भी मदद मिलती है / दो चमच्च दही और आधे टमाटर को मिलाकर बने मिश्रण को चेहरे पर लगा लें और आधा घण्टा बाद चेहरे को साफ पानी से धो डालें / इससे त्वचा को सूर्य की अल्ट्रा वायलेट किरणों से बचाने में मदद मिलती हैचेहरे पर टमाटर लगाने का सबसे अच्छा समय रात को सोने से पहले है। क्योंकि टमाटर में लाइकोपीन होता हैए जो एक एंटीऑक्सीडेंट है जो त्वचा को नुकसान से बचाने में मदद करता है। रात को सोते समय त्वचा अधिक ग्रहणशील होती है/ इसलिए यह टमाटर के लाभों को अधिकतम करने का सबसे अच्छा समय होता है। -
लिवर शरीर के सबसे जरूरी अंगों में से एक है, जो विषाक्त पदार्थों यानी टॉक्सिंस को बाहर निकालने, पाचन में मदद करने और एनर्जी को बनाए रखने में मदद करता है। लेकिन जब लिवर से जुड़ी समस्याएं शुरू होती हैं तो व्यक्ति को पाचन की दिक्कतें, थकान और पेट में सूजन जैसी दिक्कतें होने लगती हैं। आयुर्वेद में लिवर की समस्याओं के लिए शरपुंखा का उपयोग लाभकारी बताया गया है। शरपुंखा के आयुर्वेदिक गुण लिवर की कार्यक्षमता को बढ़ाने और लिवर को डिटॉक्स करने में मददगार होते हैं।
शरपुंखा क्या है?
शरपुंखा एक जड़ी-बूटी है, जिसका वैज्ञानिक नाम Tephrosia purpurea है। शरपुंखा को आयुर्वेद में विशेष रूप से लिवर संबंधी समस्याओं के इलाज में उपयोग किया जाता है। इसके अलावा, शरपुंखा का उपयोग अन्य बीमारियों में भी किया जाता है। डॉक्टर श्रेय ने बताया कि शरपुंखा का सबसे ज्यादा इस्तेमाल लिवर की डिजीज में होता है और इसकी तासीर ठंडी होती है। लिवर कमजोर होने के कारण जिन लोगों को भूख कम लगती है, कमजोरी रहती है, शरीर में गर्मी रहती है, फैटी लिवर की समस्या, लिवर सिरोसिस की समस्या आदि में शरपुंखा का उपयोग कारगर हो सकता है।लिवर के लिए शरपुंखा के फायदे1. लिवर डिटॉक्सिफिकेशनशरपुंखा का सबसे बड़ा फायदा लिवर की सफाई में है। यह लिवर को डिटॉक्स करके विषाक्त पदार्थों को बाहर निकालता है, जिससे लिवर की कार्यक्षमता बेहतर होती है। आयुर्वेद के अनुसार, शरपुंखा लिवर की कोशिकाओं को पुनर्जीवित करने में मदद करता है और इसे फैटी लिवर जैसी समस्याओं से बचाता है।2. लिवर सिरोसिस में राहतशरपुंखा में ऐसे गुण पाए जाते हैं जो लिवर की कमजोर हुई कोशिकाओं की मरम्मत में मदद करते हैं और लिवर सिरोसिस के लक्षणों को कम करते हैं। नियमित सेवन से यह लिवर को मजबूत बनाता है और लिवर सिरोसिस की समस्या को कम करता है।3. पित्त समस्याओं में लाभकारीशरपुंखा पित्त के बढ़ने को कंट्रोल करता है, जिससे पाचन प्रक्रिया में सुधार होता है। जब लिवर बेहतर तरीके से काम करता है और पाचन तंत्र सुचारू रूप से चलता है।4. फैटी लिवर की समस्या में कारगरअनहेल्दी लाइफस्टाइल और खराब खानपान के कारण फैटी लिवर की समस्या आजकल काफी सामान्य हो गई है। शरपुंखा के एंटीऑक्सीडेंट गुण लिवर में जमे फैट को घटाने में मदद करते हैं। यह लिवर की सूजन को कम करके इसे हेल्दी रखता है।5. लिवर की सूजन को कम करेशरपुंखा में एंटी-इंफ्लेमेटरी गुण होते हैं, जो लिवर की सूजन को कम कर सकते हैं। इससे लिवर की कोशिकाओं को ठीक होने में मदद मिलती है और लिवर के काम करने की क्षमता में सुधार होता है।आयुर्वेद के अनुसार शरपुंखा का उपयोग कैसे करेंशरपुंखा का काढ़ाशरपुंखा का काढ़ा लिवर की समस्याओं में फायदेमंद है। इसे बनाने के लिए 3 ग्राम शरपुंखा के पाउडर को रात में पानी में भिगो दें और अगली सुबह इसे हल्का गुनगुना कर के पिएं। इस काढ़े को सुबह और शाम में लिया जा सकता है। यह काढ़ा लिवर की सूजन को कम करता है और पाचन तंत्र को सुधारने में भी मदद करता है। शरपुंखा पाउडर का नियमित सेवन लिवर को डिटॉक्स करता है और उसकी कार्यक्षमता को बढ़ाता है। - इस साल शारदीय नवरात्रि की शुरुआत 3 अक्टूबर से होने वाली है। नवरात्रि में कलश स्थापना करके 9 देवियों की पूजा की जाती है। नवरात्रि में 9 दिनों के व्रत रखने की भी परंपरा सदियों से चली आ रही है। नवरात्रि के व्रत में सात्विक आहार खाया जाता है। लेकिन कई बार देखा जाता है कि व्रत के कारण लोग भोजन के साथ-साथ पानी पीना भी कम कर देते हैं। अचानक से कम पानी पीने से डिहाइड्रेशन की समस्या हो सकती है। पानी कम पीने की वजह से सुस्ती, ड्राई लिप्स, पेशाब कम आना, भ्रम की स्थिति और सिर चकराना की समस्या होती है। गंभीर मामलों में शरीर में पानी की कमी से उल्टी और दस्त भी हो सकते हैं। आज इस लेख के माध्यम से हम आपको बताने जा रहे हैं, 5 ऐसे फलों के बारे में, जिसका सेवन करने से शरीर में पानी की कमी नहीं होती हैशारदीय नवरात्रि के व्रत में खाएं ये 5 मौसमी फल- Seasonal Fruits to Include in Shardiya Navratri Fast1. कीवीकीवी स्वाद और सेहत का खजाना है। इसमें प्रचुर मात्रा में विटामिन सी पाया जाता है। व्रत के दौरान कीवी का सेवन करने डिहाइड्रेशन की समस्या नहीं होती है। कीवी न केवल आपकी प्रतिरक्षा प्रणाली को बढ़ावा देता है बल्कि उपवास के दौरान त्वचा को स्वस्थ और चमकदार बनाए रखने में भी मदद करता है। कीवी का हल्का खट्टा स्वाद इसे ताजगी देता है और इसमें मौजूद हाई फाइबर पाचन क्रिया को दुरुस्त बनाता है।2. मस्क मेलन (खरबूजा)मस्क मेलन या खरबूजे में 90 प्रतिशत से ज्यादा पानी पाया जाता है। नवरात्रि व्रत के दौरान मस्क मेलन का सेवन किया जाए, तो यह शरीर को हाइड्रेट रखने में मदद करता है। मस्क मेलन में मौजूद विटामिन ए और सी न केवल शरीर को हाइड्रेट करते हैं बल्कि इम्यून सिस्टम को भी मजबूत करता है। व्रत में मस्क मेलन का सेवन करने से पेट भी लंबे समय तक भरा हुआ महसूस करता है।3. पपीतापपीते में विटामिन ए, सी और ई भरपूर मात्रा पाया जाता है। व्रत के दौरान पपीते का सेवन करने से डिहाइड्रेशन की समस्या के साथ-साथ पाचन संबंधी परेशानियों से राहत मिलती है। व्रत के दौरान लंबे समय तक भूखे रहने के कारण लोगों को गैस, पेट में दर्द और ब्लोटिंग की समस्या हो जाती है। ऐसे में अगर पपीते का सेवन किया जाए, तो यह प्राकृतिक एंजाइम प्रोटीन को तोड़ने में भी सहायता करते हैं, जिससे पाचन संबंधी समस्याओं से राहत मिलती है।4. अनारअनारएंटीऑक्सीडेंट और आवश्यक विटामिन से भरपूर एक हाइड्रेटिंग फल है। व्रत के दौरान अनार का सेवन करने से शरीर को एनर्जी मिलती है। यह थकान और कमजोरी को भी दूर करने में मदद करता है। व्रत में अनार खाने से स्किन और बालों से संबंधी परेशानियों से भी छुटकारा मिलता है।5. संतरासंतरे में 80 से 85 प्रतिशत तक पानी पाया जाता है। संतरा विटामिन सी एक अच्छा सोर्स है। इसका सेवन करने से डिहाइड्रेशन की समस्या नहीं होती है। विटामिन सी की वजह से आपकी इम्यूनिटी को मजबूत करने में मदद मिलती है।
- पान का पत्ता, जिसे आयुर्वेद में तांबूल कहा जाता है, भारतीय संस्कृति में एक खास महत्व रखता है। इसे पारंपरिक रूप से कई स्वास्थ्य लाभों से जोड़ा गया है। लेकिन क्या रात में पान का पत्ता खाने से अच्छी नींद आती है? इस लेख में हम पान के पत्ते के गुण, उसके लाभ और नींद पर इसके प्रभाव के बारे में विस्तार से बात करेंगे।पान का पत्ता और इसके गुण-पान का पत्ता एंटीऑक्सीडेंट, एंटी-इंफ्लेमेटरी और एंटीबैक्टीरियल गुणों से भरपूर होता है। यह पाचन को सुधारने, मुंह की दुर्गंध को दूर करने में मदद करता है। इसके साथ ही इसमें कैल्शियम, थायमिन और नियासिन जैसे जरूरी पोषक तत्व भी पाए जाते हैं, जो शरीर को स्वस्थ बनाए रखने में मदद करते हैं।क्या रात में पान का पत्ता खाने से अच्छी नींद आती है?-पान के पत्ते में कई ऐसे गुण पाए जाते हैं जिससे वह नींद में मददगार साबित हो सकता है।1. पाचन में मदद करता है पान का पत्तारात में सोने से पहले पाचन तंत्र का सही ढंग से काम करना नींद की गुणवत्ता को प्रभावित करता है। पान का पत्ता पाचन में सुधार कर सकता है, जिससे भारीपन, गैस या अपच जैसी समस्याएं दूर हो सकती हैं। जब पाचन अच्छा होता है, तो शरीर बेहतर तरीके से आराम कर पाता है, जो अच्छी नींद के लिए जरूरी है।2. तनाव और चिंता कम करता है पान का पत्ताकुछ आयुर्वेदिक मान्यताओं के अनुसार, पान का पत्ता दिमाग को शांत रखने और तनाव को कम करने में मदद करता है। तनाव और चिंता की स्थिति में अक्सर नींद नहीं आती, इसलिए अगर पान का पत्ता हो, तो आप रात को सोने से पहले खा सकते हैं।3. सर्दी-जुकाम में राहतअगर किसी व्यक्ति को रात में सर्दी, खांसी या सांस की समस्या होती है, तो पान का पत्ता राहत दे सकता है। इसकी एंटी-बैक्टीरियल और एंटी-इंफ्लेमेटरी गुणों के कारण यह गले की सूजन को कम कर सकता है और सांस की समस्याओं में आराम पहुंचा सकता है। जब व्यक्ति को सांस लेने में परेशानी नहीं होती, तो उसे बेहतर और गहरी नींद आती है।पान का पत्ता खाने के तरीके-रात में पान का पत्ता खाने के लिए इसे चूना, कत्था और सुपारी के बिना सेवन करना चाहिए। चूना और कत्था का ज्यादा सेवन शरीर के लिए हानिकारक हो सकता है, खासकर जब इसे नियमित रूप से खाया जाए।पान का पत्ता खाली चबाने से इसके ज्यादा स्वास्थ्य लाभ मिलते हैं।अगर आपको पाचन संबंधी समस्याएं हैं, तो इसमें सौंफ, इलायची और लौंग का सेवन किया जा सकता है।पान का पत्ता खाने के तुरंत बाद पानी पीने से बचें, ताकि इसके सक्रिय तत्व सही से एब्सॉर्ब हो सकें।हालांकि पान का पत्ता स्वास्थ्य के लिए फायदेमंद हो सकता है, लेकिन इसे सही मात्रा और सही तरीके से खाना जरूरी है। ज्यादा मात्रा में पान का सेवन दांतों के लिए नुकसानदायक हो सकता है और इससे मुंह में जलन या अन्य समस्याएं भी हो सकती हैं। साथ ही, अगर आप इसे चूना या तंबाकू के साथ खाते हैं, तो इसके हानिकारक प्रभाव हो सकते हैं, जैसे कि मुंह के कैंसर का खतरा बढ़ जाना।पान का पत्ता आयुर्वेद में एक खास जड़ी-बूटी मानी जाती है, जो पाचन, तनाव और सांस की समस्याओं में राहत दे सकती है। हालांकि इसे नींद लाने का पारंपरिक उपाय नहीं माना गया है, लेकिन इसके गुण जैसे पाचन सुधारना, तनाव कम करना, और ब्लड शुगर को नियंत्रित करना अप्रत्यक्ष रूप से अच्छी नींद में मददगार साबित हो सकते हैं। इसे रात में बिना चूना और तंबाकू के सेवन करें।उम्मीद करते हैं कि आपको यह जानकारी पसंद आई होगी। इस लेख को शेयर करना न भूलें।
- बेवजह वजन बढ़ना और हार्मोन्स में उतार-चढ़ाव होना थायराइड बढ़ने के लक्षण है। थायराइड हमारे गले में मौजूद तितली के आकार की एक ग्रंथि है, जिसमें गड़बड़ी होने के कारण आपको कई तरह की स्वास्थ्य समस्याएं हो सकती हैं, जिससे बचाव के लिए जरूरी है कि आप अपने खान-पान का खास ध्यान रखें। थायराइड कंट्रोल करने के लिए घर में मौजूद 6 जड़ी बूटियों से तैयार हर्बल ड्रिंक की रेसिपी शेयर की है, जिसे पीने से आपको थायराइड कंट्रोल करने में मदद मिल सकती है और वजन कंट्रोल करने में भी ये ड्रिंक फायदेंमंद साबित हो सकता है।थायराइड कंट्रोल करने के लिए हर्बल ड्रिंक कैसे बनाएं? -सामग्री-दालचीनी- 1 इंचकसा हुआ अदरक- 1/2 छोटा चम्मचजीरा- 1/2 छोटा चम्मचजायफल पाउडर- एक चुटकीमुलेठी- 1 इंचनींबू का रस- ½ चम्मचपानी- 150 मि.ली.हल्दी- एक चुटकीड्रिंक बनाने की विधि-एक सॉस पैन में पानी डालें और पानी को अच्छी तरह उबाल लें। अब उबलते पानी में सभी सामग्रियों को एक साथ डाल दें। इसके बाद गैस की आंच कम कर दें और मिश्रण को 10 मिनट तक अच्छे से उबलने दें।तैयार हर्बल ड्रिंक को एक कप में छान लें। आप इसमें स्वाद के लिए शहद भी मिला सकते हैं।थायराइड कंट्रोल करने के लिए हर्बल ड्रिंकपीने के फायदे-दालचीनी में एंटीऑक्सिडेंट होते हैं, जो सूजन को कम करने और थायराइड फंक्शन को बेहतर तरीके से काम करने में मदद कर सकते हैं।-अदरक एंटी-ऑक्सिडेंट और सूजन-रोधी गुणों से भरपूर होते हैं, जो थायराइड को कंट्रोल रखने और सूजन को कम करने में मदद कर सकता है।-जीरा में ऐसे कंपाउंड्स होते हैं, जो थायराइड फंक्शन और चयापचय को मैंटेन करने में मदद कर सकते हैं।-जायफल में मैग्नीशियम और मैंगनीज जैसे मिनरल्स होते हैं, जो थायराइड फंक्शन के बेहतर तरीके से काम करने के लिए जरूरी हैं।-मुलेठी में ऐसे यौगिक होते हैं, जो हार्मोन के स्तर को संतुलित करने और थायराइड को बेहतर ढंग से काम करने में मदद कर सकते हैं।-हल्दी सूजन-रोधी गुणों से भरपूर होते हैं, जो थायरायड ग्लेंड में सूजन को कम करने और इसे कंट्रोल करने में मदद करता है।- थायराइड कंट्रोल करने के लिए इस ड्रिंक को पीने के साथ संतुलित आहार को अपनी डाइट का हिस्सा बनाए और किसी एक्सपर्ट की सलाह जरूर लें।