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- सेहत को अच्छा बनाए रखने के लिए डॉक्टर अकसर हरी सब्जियां खाने की सलाह देते हैं। हरी सब्जियां पोषक तत्वों से भरपूर होने की वजह से स्वाद के साथ सेहत को कई अनगिनत लाभ भी देती हैं। आयुर्वेद के अनुसार सेहत के लिए फायदेमंद ऐसी ही एक हरी सब्जी का नाम कंटोला है। कंटोला को कई जगह किकोड़ा और ककोड़ा के नाम से भी जाना जाता है। कंटोला का स्वाद तीखा लेकिन खाने में बहुत स्वादिष्ट होता है। बात अगर कंटोला में मौजूद पोषक तत्वों की करें तो इसमें प्रोटीन, फैट, फाइबर, कार्बोहाइड्रेट, पोटैशियम, सोडियम, कैल्शियम जैसे कई न्यूट्रिशन मौजूद होते हैं। जो खासतौर पर इन 5 बड़ी बीमारियों का खतरा कम करने में मदद कर सकते हैं। बढ़ते मोटापे से परेशान लोगों के लिए तो यह सब्जी वरदान से कम नहीं है। आइए जान लेते हैं कंटोला को डाइट का हिस्सा बनाने से सेहत को मिलते हैं क्या गजब के फायदे।कंटोला खाने के फायदेडायबिटीजजिन लोगों को डायबिटीज की समस्या है, उनके लिए इस सब्जी का सेवन काफी फायदेमंद हो सकती है।कंटोला का सेवन ब्लड शुगर लेवल को कंट्रोल रखने में मदद करता है। जिससे डायबिटीज का खतरा कम होता है। इसके अलावा इसमें मौजूद फाइबर की अधिकता आंतों की सेहत में सुधार करके पाचन को मजबूत बनाती है।रक्तचापकंटोला में मौजूद पोटेशियम और आयरन, शरीर के रक्त संचार को बेहतर बनाने में मदद करते हैं। दरअसल, पोटेशियम रक्तचाप को नियंत्रित करने में मदद करता है और आयरन हीमोग्लोबिन के स्तर को बढ़ाता है, जिससे रक्त संचार में सुधार होता है।मोटापाअगर आप बढ़ते मोटापे से परेशान हैं तो कंटोला की सब्जी का सेवन वजन घटाने में मदद कर सकता है। कंटोला में मौजूद फाइबर पेट को लंबे समय तक भरा रखने में मदद करता है। जिससे व्यक्ति अनहेल्दी फूड खाने और ओवरईटिंग करने से बच जाता है। जिससे वजन कम करने में मदद मिलती है।हृदय स्वास्थ्यकंटोला में पोटैशियम की अच्छी मात्रा मौजूद होती है, जो हृदय स्वास्थ्य के लिए फायदेमंद होने के साथ, रक्तचाप को नियंत्रित करने और हृदय रोग के जोखिम को कम करने में मदद कर सकता है।पाचन संबंधी समस्याएंकंटोला का सेवन डायबिटीज के अलावा भी अन्य स्वास्थ्य समस्याओं को दूर करने में सहायक है. कंटोला का नियमित सेवन शरीर में मौजूद टॉक्सिन्स को बाहर निकालकर बॉडी डिटॉक्स करने में मदद करता है। इसके सेवन से पेट साफ रहता है और व्यक्ति को कब्ज जैसी पाचन से जुड़ी समस्या परेशान नहीं करती है।
- मोटापा कम करना हो या कॉन्स्टिपेशन से आराम पाना हो, सुबह उठकर एक से दो गिलास पानी पीने की सलाह आपको अक्सर मिली होगी ही। घर के बड़े-बुजुर्गों से लेकर डॉक्टर भी लोगों को सुबह खाली पेट पानी पीने की टिप देते हैं क्योंकि, सुबह पानी पीने से ना केवल आपको ताजगी और एनर्जी मिलती है बल्कि, इससे आपकी कई हेल्थ प्रॉब्लम्स को कंट्रोल करने में भी मदद होती है। लेकिन, अगर आप ठंडे पानी की बजाय सुबह गुनगुना पानी पीते हैं तो इससे आपकी हेल्थ पर बेहतर प्रभाव पड़ते हैं। विशेषकर बदलते मौसम और ठंड के दिनों में सुबह खाली पेट गुनगुना पानी पीने से आपको ढेरों फायदे हो सकते हैं। आप केवल कुछ दिनों तक सुबह खाली पेट गुनगुना पानी पी कर देखें आपको फर्क खुद ही नजर आएगा। अगर आप बहुत ज्यादा पानी नहीं पी सकते तो एक या आधा गिलास पानी पिएं। गुनगुना पानी पीने से आपके शरीर की इम्यून पॉवर बढ़ सकती है। इसके अलावा स्वास्थ्य से जुड़ी समस्याओं को कम करने में भी गुनगुना या गर्म पानी पीना बहुत फायदेमंद हो सकता है। आइए जानते हैं कि सुबह सबसे पहले गुनगुना पानी पीने से शरीर पर कैसा असर होता है और इससे किस तरह के फायदे मिल सकते हैं।सवेरे खाली पेट गुनगुना पानी पीने के फायदे क्या हैं?पेट होता है अच्छी तरह साफ-सुबह खाली पेट गुनगुना पानी पीने से गट हेल्थ में काफी सुधार होता है। सुबह अगर आपका पेट अच्छी तरह साफ नहीं होता है तो आप सुबह खाली पेट गुनगुना पानी पीने की आदत अपनाएं। इससे गट और डाइजेस्टिव सिस्टम को काम करने में मदद होती है और आपको कॉन्स्टिपेशन और इनडाइजेशन जैसी समस्याओं से आराम भी मिलता है।वेट लॉस में मददगारशायद आपको यह जानकर हैरानी हो कि केवल गुनगुना पानी पीने से भी बॉडी का मेटाबॉलिज्म बढ़ सकता है और वेट लॉस की प्रक्रिया भी तेज हो सकती है। इससे आपको बेली फैट को कम करने और मोटापे के नुकसान से बचने में मदद हो सकती है।बैड कोलेस्ट्रॉल होता है कमगर्म गुनगुना पानी पीने से शरीर में जमा बैड कोलेस्ट्रॉल को साफ करने में भी मदद होती है। बैड कोलेस्ट्रॉल नसों के अंदर की दीवरों में चिपककर उसमें लम्बे समय तक जमा होता रहता है। गर्म पानी पीने से नसें साफ होती हैं और खुल जाती हैं। इससे नसों में रक्त का संचार भी तेज होता है और हार्ट हेल्थ में भी सुधार होता है।
- अक्ल दाढ़ उन दांतों को कहते हैं, जो वयस्क होने के बाद दाढ़ की ओर आती हैं। इन्हें थर्ड मोलर टीथ भी कहा जाता है। ये मुंह के अंतिम सिरे में आती हैं। आमतौर पर अक्ल दाढ़ आने पर हल्का-फुल्का दर्द महसूस होता है। कुछ लोगों के लिए यह दर्द बहुत तीव्र होता है और कभी-भी सूजन भी आ जाती हैं। वहीं, कुछ लोगों को अक्ल दाढ़ आने पर किसी भी तरह का दर्द नहीं होता है। इसके अलावा, जरूरी नहीं है कि सबके मुंह में चारों अक्ल दाढ़ आ जाएं। कुछ लोगों को एक दांत आते हैं, तो कुछ लोगों दो, तीन या चारों आ जाते हैं। अगर अक्ल दाढ़ आने पर दिक्कतें ज्यादा होती हैं, तो विशेषज्ञ यह सलाह देते हैं कि दांतों को रिमूव कर दिया जाए। ऐसा इसलिए भी कहा जाता है, क्यांकि अक्ल दाढ़ निकलने में समय लेते हैं और रह-रहकर इसमें दर्द और सूजन हो सकती है। ऐसे में अक्ल दाढ़ निकाल देना सही रहता है। यहां सवाल उठता है कि आखिर अक्ल दाढ़ निकालने पर गर्म चीजें खाया जाना सुरक्षित होता है?क्या अक्ल दाढ़ निकलवाने के बाद गर्म खाना खाना सेफ होता है?-ज्यादातर समय अक्ल दाढ़ का निकलना काफी दर्दभरा अहसास होता है। कुछ लोगों को छह-छह महीने में इसका दर्द उठता है और सूजन भी हो जाती है। ऐसे में व्यक्ति के लिए खाना-पीना और मुंह तक पूरी तरह खोलना मुश्किल भरा हो जाता है। इस तरह की स्थिति से निपटने के लिए एक्सपर्ट का कहना है कि अक्ल दाढ़ को निकलवा दिया जाना चाहिए। इससे दर्द स्थाई रूप से खत्म हो जाता है। लेकिन, अक्ल दाढ़ रिमूव करने की प्रक्रिया के बाद कुछ दिनों तकलीफ बनी रहती है। ऐसे में गर्म खाना खाया जाना कितना सुरक्षित है? इस बारे में एक्सपर्ट का कहना है कि अक्ल दाढ़ निकलवाने के बाद गर्म खाना नहीं खाना चाहिए। यह बिल्कुल सुरक्षित नहीं होता है। आमतौर पर किसी भी तरह की दांतों से जुड़ी प्रक्रिया के बाद गर्म खाना नहीं खाना चाहिए। यह सही नहीं होता है। अगर आप अक्ल दाढ़ निकलवाने के बाद गर्म खाना खाते हैं, तो कुछ समस्याएं हो सकती हैं, जैसे प्रभावित हिस्से में जलन, सूजन और अन्य जटिलताएं। इस तरह की परेशानी से बचना है, तो बेहतर है कि आप अक्ल दाढ़ निकलवाने के बाद ठंडा खाना खाएं। गर्म खाना खाने से परहेज करें।अक्ल दाढ़ निकलवाने के गर्म खाना क्यों नहीं खाना चाहिए?सूजन बढ़ सकती हैअक्ल दाढ़ निकलवाने के बाद प्रभावित हिस्सा काफी कमजोर और सेंसिटिव हो जाता है। ऐसे में अगर आप गर्म खाना खा लेते हैं, तो इससे प्रभावित हिस्सों में खाने के पार्टिकल्स जम सकते हैं, जो कि दर्द के साथ-साथ सूजन भी बढ़ा सकता है। यही नहीं, गर्म चीजें खाने के कारण प्रभावित हिस्से की रिकवरी देरी से हो सकत है, जो सूजन में बढ़ावा देता है।ड्राई सॉकेट की स्थितिअक्ल दाढ़ निकलवाने के बाद कुछ लोगों को ब्लीडिंग होने लगती है। ऐसा होना सामान्य है। कुछ देर के लिए प्रभावित हिस्से पर रुई दबाकर रखी जाए, तो ब्लड निकलना बंद हो जाता है। लेकिन, कुछ मामलों में यहां ड्राई सॉकेट की स्थिति बन जाती है। ऐसा खासकर, उन लोगों के साथ अधिक होता है, जो अक्ल दाढ़ निकलवाने के बाद गर्म खाना खाते हैं। आपको बता दें कि ड्राई सॉकेट का मतलब होता है कि दांत निकलवाने के बाद जब खून का थक्का न बनना। ऐसे में ब्लीडिंग होती रहती है। इसे ही हम ड्राई सॉकेट कहते हैं।असहजता होनाअक्ल दाढ़ निकलवाने के बाद गर्म खाना खाने से असहजता भी बढ़ सकती है। असल में, इस दौरान सही तरह से कुछ भी खाना मुश्किल होता है। कई बार अक्ल दाढ़ निकलवाने के लिए सर्जरी की जाती है, जिससे टांके भी लगाए जाते हैं। इस स्थिति में गर्म खाना खाना बिल्कुल सही नहीं होता है। टांकों की रिकवरी की गति धीमी हो जाती है और सामान्य से सामन्य चीज खाना भी चुनौतीपूर्ण हो जाता है।अक्ल दाढ़ निकलवाने के बाद क्या खाएं?अक्ल दाढ़ निकवाने के बाद सॉफ्ट और ठंडी चीजें खानी चाहिए। इसमें दही, आइस्क्रीम जैसी चीजें शामिल हैं। इससे दांत का दर्द भी कम होता है और टांकों में दिक्कत भी नहीं आती है। यहां तक कि अक्ल दाढ़ की रिकवरी में भी ठंडी चीजें बाधा नहीं डालती हैं।
- दालें हमारे खाने का पारंपरिक हिस्सा हैं और मूंग, मसूर, तुअर, उड़द और चना दाल जैसे कई प्रकारों का सेवन किया जाता है। वहीं, बीन्स जैसे राजमा, छोले, लोबिया और सोयाबीन भी पसंद किए जाते हैं और हाई-प्रोटीन फूड्स में गिने जाते हैं। दोनों में ही फाइबर, विटामिन और मिनरल्स मौजूद होते हैं, लेकिन इनका स्वास्थ्य पर प्रभाव अलग-अलग होते हैं। इसलिए, यह समझना जरूरी है कि दाल और बीन्स में से कौन-सा विकल्प आपके लिए ज्यादा फायदेमंद रहेगा। आइए, जानते हैं इनके बीच का अंतर और सेहत के लिए क्या बेहतर है।दाल या बीन्स में से किसमें ज्यादा पोषक तत्व होते हैं?-दालों और बीन्स दोनों में प्रोटीन, फाइबर और विटामिन्स होते हैं, लेकिन बीन्स में ज्यादा फाइबर और प्रोटीन होता है। वहीं, दालें हल्की होती हैं और जल्दी पच जाती हैं। बीन्स में आयरन और मैग्नीशियम की मात्रा ज्यादा पाई जाती है, जबकि दालों में फोलेट और जिंक की मात्रा ज्यादा होती है।दाल या बीन्स में से पाचन के लिहाज से क्या बेहतर है?बीन्स में कैल्शियम और मैग्नीशियम की मात्रा ज्यादा होती है, जो हड्डियों को मजबूत बनाती है। दूसरी ओर, दालों में फोलेट और फास्फोरस पाया जाता है, जो हड्डियों और मांसपेशियों के विकास में मदद करता है। अगर आप हल्का और जल्दी पचने वाला खाना चाहते हैं, तो दालें बेहतर विकल्प हैं क्योंकि ये पेट पर ज्यादा भार नहीं डालतीं। बीन्स में हाई फाइबर होता है, जिससे पेट देर तक भरा रहता है, लेकिन कुछ लोगों को गैस और ब्लोटिंग की समस्या हो सकती है।दाल या बीन्स में से वेट लॉस के लिए क्या बेहतर है?--जो लोग वेट लॉस (Weight Loss) करने की कोशिश कर रहे हैं, उनके लिए दालें ज्यादा फायदेमंद हो सकती हैं क्योंकि इनमें कैलोरीज कम होती हैं और ये जल्दी पचती हैं। बीन्स भी वजन घटाने में मदद कर सकती हैं, लेकिन ज्यादा मात्रा में खाने से पेट फूल सकता है।दाल या बीन्स में से हार्ट के लिए क्या ज्यादा फायदेमंद है?दाल और बीन्स दोनों ही कोलेस्ट्रॉल कम करने में मदद करते हैं। लेकिन बीन्स में ज्यादा फाइबर होने के कारण यह कोलेस्ट्रॉल लेवल को कंट्रोल करने में ज्यादा असरदार होती हैं और हृदय रोगों (Heart Diseases) के जोखिम को कम करती हैं। जो लोग शाकाहारी हैं और प्रोटीन का अच्छा स्रोत चाहते हैं, उनके लिए बीन्स ज्यादा फायदेमंद होती हैं क्योंकि इनमें ज्यादा मात्रा में प्रोटीन होता है।हालांकि, दालें भी प्रोटीन देती हैं, खासकर जब इन्हें चावल के साथ खाया जाए, जिससे संपूर्ण अमीनो एसिड प्रोफाइल मिलती है।दाल vs बीन्स: दोनों में से क्या है बेहतर?दाल और बीन्स दोनों ही सेहत के लिए फायदेमंद हैं। अगर आपको हल्का, जल्दी पचने वाला और कम कैलोरीज वाला खाना चाहिए, तो दालें बेहतर हैं। अगर आपको ज्यादा फाइबर और प्रोटीन चाहिए, तो बीन्स अच्छा विकल्प है। अपनी सेहत और जरूरत के हिसाब से इन्हें बैलेंस करके डाइट में शामिल करें।
- चावल का पानी स्किन के लिए बेहद फायदेमंद होता है। चावल का पानी त्वचा को मुलायम और चमकदार बनाता है। अगर आप रोजाना इस पानी से चेहरा धोएंगे, तो इससे स्किन हाइड्रेटेड बनती है। चावल का पानी त्वचा की रंगत को सुधारता है। चावल का पानी उम्र बढ़ने के लक्षणों को कम करता है। चावल के पानी में एंटीऑक्सीडेंट गुण होते हैं, जो त्वचा के दाग-धब्बों को मिटाते हैं और स्किन को हेल्दी बनाए रखते हैं। चावल का पानी त्वचा की रेडनेस को भी कम करता है। इस पानी से चेहरा धोने से सनबर्न की समस्या दूर होती है। अगर आप चावल के पानी से चेहरा धोएंगे, तो इससे टैनिंग से भी राहत मिलती है। इसलिए आप भी चावल के पानी से चेहरा धो सकते हैं। आप चावल के पानी से कई तरीकों से मुंह धो सकते हैं। आइए, जानते हैं चावल के पानी से चेहरा कैसे धोएं ?1. चावल का पानी और गुलाब जलआप चावल के पानी में गुलाब जल मिक्स करके चेहरा धो सकते हैं। आप एक कटोरी में चावल का पानी और गुलाब जल मिक्स करें। अब इसे कॉटन बॉल या स्प्रे बोतल की मदद से चेहरे पर अप्लाई करें। आधे घंटे बाद चेहरे को नॉर्मल पानी से धो लें। चावल का पानी त्वचा के दाग-धब्बों को मिटाता है। वहीं, गुलाब जल त्वचा के पीएच लेवल को बैलेंस रखता है। साथ ही, स्किन को हाइड्रेटेड और मॉइश्चराइज्ड भी रखता है। आप रोज सुबह चावल के पानी और गुलाब जल से मुंह धो सकते हैं।2. चावल का पानी और एलोवेराआप चावल के पानी में एलोवेरा मिलाकर भी मुंह धो सकते हैं। इसके लिए आप 2 चम्मच एलोवेरा जेल लें। इसमें चावल का पानी मिक्स करें और फिर इसे चेहरे पर अप्लाई करें। इसके लिए आपको हमेशा फ्रेश एलोवेरा जेल ही लेना चाहिए। फ्रेश एलोवेरा जेल स्किन के लिए फायदेमंद होता है। एलोवेरा जेल में मॉइश्चराइजिंग गुण होते हैं, जो त्वचा को नमी प्रदान करते हैं। आप चावल के पानी और एलोवेरा के मिश्रण को चेहरे पर 20 मिनट के लिए लगाकर छोड़ सकते हैं। फिर ठंडे पानी से चेहरा धो सकते हैं।3. चावल का पानी और ग्लिसरीनचावल का पानी और ग्लिसरीन को मिक्स करके भी चेहरा पर लगाया जा सकता है। आप चावल के पानी में ग्लिसरीन मिलाकर चेहरा धो सकते हैं। इसके लिए आप एक बाउल में चावल का पानी लें और इसमें ग्लिसरीन मिक्स करें। अब इस पेस्ट को अपने चेहरे पर लगाएं और आधे घंटे बाद धो लें। लेकिन, अगर आपकी सेंसिटिव स्किन है तो ग्लिसरीन का इस्तेमाल करने से बचें। इससे आपकी स्किन पर रैशेज या खुजली जैसी समस्याएं हो सकती हैं।4. चावल का पानी और चंदन पाउडरआप चावल के पानी में चंदन पाउडर मिक्स करके भी चेहरा धो सकते हैं। चंदन पाउडर त्वचा को ठंडक पहुंचाता है। यह त्वचा की जलन और खुजली को शांत करने में मदद करता है। आप चावल के पानी में 2 चम्मच चंदन पाउडर मिक्स करें। फिर इस पेस्ट को अपने चेहरे पर अप्लाई करें। आधे घंटे बाद त्वचा को पानी से साफ कर लें। बेहतर रिजल्ट के लिए कुछ दिनों तक रोजाना इस पेस्ट से चेहरे की क्लींजिंग करें। इससे आपको काफी फर्क देखने को मिलेगा।5. चावल का पानी और मुल्तानी मिट्टीचावल के पानी में मुल्तानी मिट्टी मिलाकर भी चेहरा धोया जा सकता है। यह ऑयली स्किन वाले लोगों के लिए बेहद फायदेमंद होता है। आप 2 चम्मच मुल्तानी मिट्टी लें और इसमें चावल का पानी मिक्स करें। अब इस पेस्ट को अपने चेहरे पर अप्लाई करें। 10-15 मिनट बाद इस पेस्ट को नॉर्मल पानी से धो लें। इससे भी आपकी स्किन अच्छी तरह से साफ हो जाएगी। चावल का पानी त्वचा की गहराई से सफाई करने में सहायक होता है।
- सेहत के लिए अखरोट एक बेहतरीन सुपरफूड माना जाता है। इसमें ओमेगा-3 फैटी एसिड होने के साथ आयरन, कैल्शियम, मैग्नीशियम, पोटेशियम, सोडियम, जिंक, कॉपर और विटामिन बी, ई जैसे कई पोषक तत्व पाए जाते हैं, जो ओवरऑल हेल्थ के लिए जरूरी हैं। अखरोट में मौजूद विटामिन्स और मिनरल्स बॉडी को एक्टिव रखने में मदद करते हैं। इसके सेवन से एनर्जी लेवल बूस्ट होता है और थकावट व कमजोरी नहीं होती है। अगर अखरोट का सेवन भिगोकर खाया जाए, तो इसके फायदे दोगुने हो जाते हैं। इसे याददाश्त बढ़ाने, इम्यूनिटी बूस्ट करने और वजन घटाने के लिए फायदेमंद माना जाता है। यह डाइजेशन इंप्रूव करने और हार्ट हेल्थ को बूस्ट करने के लिए भी फायदेमंद माना जाता है। सेहत के साथ इसे त्वचा के लिए भी फायदेमंद माना गया है। रोज अखरोट खाने से स्किन हेल्थ भी इंप्रूव होती है। आइए जानें स्किन हेल्थ के लिए अखरोट खाना कैसे फायदेमंद है।एजिंग जल्दी नहीं होती हैअखरोट में ओमेगा-3 फैटी एसिड, एंटीऑक्सीडेंट्स और आवश्यक विटामिन्स पाए जाते हैं। ये मिनरल्स स्किन हेल्थ को बूस्ट करते हैं, जिससे एजिंग धीमी होती है। इसके सेवन से हेल्दी एजिंग में मदद मिलती है। इसमें मौजूद एंटीऑक्सीडेंट ऑक्सीडेटिव स्ट्रेस से लड़ते हैं जिससे प्रीमैच्योर एजिंग, फाइन लाइंस और रिंकल्स नहीं होते हैं।स्किन हाइड्रेट रहती हैअखरोट में ओमेगा-3 फैटी एसिड और विटामिन ई जैसे पोषक तत्व पाए जाते हैं। इसके सेवन से स्किन हाइड्रेट रहती है और ड्राइनेस कम होती है। इसमें एंटी-इंफ्लेमेटरी गुण भी होते हैं जो स्किन इंफ्लेमेशन कम करते हैं। इससे एक्ने और एक्जिमा जैसी समस्याएं भी ठीक होती हैं।स्किन प्रॉब्लम्स ठीक होती हैं-अखरोट में एंटी-इंफ्लेमेटीर गुण मौजूद होते हैं। इससे स्किन इर्रिटेशन कम होती है और स्किन हेल्थ इंप्रूव होती है। इससे सोराइसिस और एक्ने जैसी समस्याएं ठीक होती हैं। साथ ही, स्किन स्मूद और क्लियर रहती है।स्किन रिपेयर होती है-अखरोट के सेवन से स्किन रिपेयर होने में भी मदद मिलती है। इसमें बायोटिन मौजूद होता है जो स्किन रिपेयर करने में मदद करता है। इससे स्किन के डैमेज्ड टिशुज को रिपेयर करने में मदद मिलती है। साथ ही, इससे ओवरऑल स्किन हेल्थ इंप्रूव होती है।कोलेजन बूस्ट होता हैअखरोट के सेवन से स्किन में कोलेजन बूस्ट होने में मदद मिलती है। इसमें जिंक मौजूद होता है जो कोलेजन के प्रोडक्शन में मदद करता है। इससे स्किन इलास्टिसिटी बनी रहती है और एजिंग कंट्रोल होती है।स्किन हेल्थ इंप्रूव करने के लिए अखरोट कैसे खाएं? How To Consume Walnutरात में कुछ अखरोट पानी में भिगोकर रखें। सुबह खाली पेट इसका सेवन करना फायदेमंद होगा। अखरोट आप स्मूदी, सलाद, दही या कुछ मीठा बनाने में इस्तेमाल कर सकते हैं। लेकिन ध्यान रखें कि आप कम मात्रा में ही इसका सेवन करें। ज्यादा अखरोट खाना आपकी सेहत के लिए नुकसानदायक भी हो सकता है।इस तरह से स्किन हेल्थ के लिए अखरोट खाना फायदेमंद होता है। अगर आप किसी स्वास्थ्य समस्या के लिए दवा लेते हैं, तो डेली डाइट में शामिल करने से पहले एक्सपर्ट से सलाह जरूर लें। लेख में दी गई जानकारी पसंद आई हो, तो इसे शेयर करना न भूलें।
- जोड़ों और मांसपेशियों में दर्द होने के कई कारण हो सकते हैं, जैसे चोट लगना, संक्रमण, कोई क्रॉनिक बीमारी होना, अर्थराइटिस आदि। जोड़ों और मांसपेशियों में दर्द के मुख्य कारण को जानकर इसका इलाज किया जाता है। जोड़ों और मांसपेशियों में दर्द में थकान और कमजोरी के कारण भी होता है। कई बार आपने नोटिस किया होगा कि जोड़ों और मांसपेशियों में दर्द लंबे समय से बना हुआ है। जब न कहीं चोट लगी है और न ही कामकाज के चलते थकान हुई है। कुछ लोगों का मानना है कि ऐसा आयरन की कमी के चलते हो सकता है। तो यहां यह जान लेना जरूरी हो जाता है कि क्या वाकई जोड़ों और मांसपेशियों में दर्द का कारण आयरन की कमी भी हो सकती है?शरीर में आयरन की कमी होने पर व्यक्ति को एनीमिया हो सकता है। इस स्थिति में बॉडी सेल्स पर्याप्त मात्रा में ऑक्सीजन सप्लाई नहीं कर पाता है, नतीजतन शरीर में ऑक्सीजन की कमी हो जाती है। यही नहीं, पोषक तत्व भी पर्याप्त मात्रा में शरीर के हर अंगों तक नहीं पहुंचते हैं, जिससे व्यक्ति में कमजोरी और थकान होने लगती है। अब यह जानते हैं कि आयरन की कमी के कारण जोड़ों और मांसपेशियों में दर्द हो सकता है? इस बारे में विशेषज्ञों की सलाह है, "आयरन की कमी के कारण व्यक्ति थकान और कमजोरी महसूस कर सकता है। उसकी त्वचा पीली पड़ जाती है, सिरदर्द, हाथ-पांव का ठंडा होना, अनियमित दिल की धड़कनें होना आदि। इसी क्रम में, व्यक्ति में आयरन की कमी के कारण जोड़ों और मांसपेशियों में दर्द हो सकता है।" सवाल है, ऐसा क्यों होता है? इस बारे में विशेषज्ञ समझाते हैं कि जब टिश्यूज में पर्याप्त मात्रा में ऑक्सीजन सप्लाई नहीं होता है, तो इससे शरीर में सूजन बढ़ सकती है। यह स्थिति जोड़ों और मांसपेशियों में दर्द पैदा कर सकती है।आयरन की कमी की वजह से जोड़ों और मांसपेशियों में दर्द के कारण1. मांसपेशियों का कमजोर होनाजैसा कि यह स्पष्ट है कि आयरन की कमी के कारण शरीर में कमजोरी छा जाती है। मांसपेशियों पर भी आयरन की कमी का बुरा असर पड़ता है। इस स्थिति में आयरन की कमी की वजह से जोड़ों और मांसपेशियों में दर्द हो सकता है।2. जोड़ों में दर्द होनायूं तो आयरन की कमी का सीधे-सीधे जोड़ों के दर्द पर प्रभाव नहीं पड़ता है। लेकिन, अगर किसी को रूमेटॉइड आर्थराइटिस जैसी बीमारी के साथ-साथ शरीर में आयरन की कमी होती है, तो इस कंडीशन में शरीर में सूजन होने का जोखिम बढ़ जाता है। ऐसे में जोड़ों में दर्द की समस्या भी हो सकती है।3 ऑक्सीजन सप्लाई कम होनाजब शरीर में रेड ब्लड सेल काउंट कम होता है, तो ऐसे में शरीर में ऑक्सीजन सप्लाई पर बुरा असर पड़ता है। ऐसे में व्यक्ति को कमजोरी और थकान हो सकती है। इसके साथ ही जोड़ों और मांसपेशियों पर भी इसका बुरा प्रभाव देखने को मिल सकता है। आपको बता दें कि सही तरह से ऑक्सीजन सप्लाई न होने के कारण हड्डियां स्टिफ हो जाती हैं, जिससे मूवमेंट करना काफी मुश्किल हो जाता है। नतीजनत, जोड़ों में दर्द होना शुरू हो जाता है।
- बालों को स्वस्थ रखने के लिए इनको सही पोषण देना जरूरी है। पोषक तत्वों की कमी के कारण लोग बालों के झड़ने, टूटने, पतले और सफेद होने जैसी समस्याओं से परेशान रहते हैं। ऐसा शरीर में पोषक तत्वों की कमी और हार्मोन्स के असंतुलित होने के कारण हो सकता है। ऐसे में डाइट में इन पोषक तत्वों से युक्त फूड्स को डाइट में लें। इनसे बालों के स्वास्थ्य को बेहतर करने में मदद मिलती है।बालों की परेशानियां बताती हैं इन पोषक तत्वों की कमीप्रीमेच्योर ग्रे हेयरआज के समय में बहुत से लोगों को समय से पहले बालों के सफेद होने की समस्या होने लगती है। ऐसा शरीर में विटामिन-बी12 की कमी के कारण होता है। ऐसे में विटामिन-बी12 की कमी को दूर करने और बालों को समय से पहले सफेद होने से बचाने के लिए इडली और चीला जैसे फर्मेंटेड फूड्स और दूध के साथ अन्य डेयरी प्रोडक्ट्स को डाइट में शामिल करें। इसके अलावा, डाइट में एग योल्क का सेवन भी किया जा सकता है।रूखे बालों की समस्याअक्सर लोगों के रूखे और फ्रिजी बालों की समस्या का सामना करना पड़ता है। ऐसा शरीर में ओमेगा-3 फैटी एसिड जैसे पोषक तत्वों की कमी के कारण हो सकता है। ऐसे में शरीर में ओमेगा-3 फैटी एसिड की कमी को दूर करने और बालों के रूखेपन से राहत के लिए डाइट में अलसी के बीज, सूप, सब्जियों और दालों को खाएं।बालों के पतले होने की समस्याकई बार लोगों को बालों के पतले होने जैसी समस्याओं का सामना करना पड़ता है। ऐसा शरीर में आयरन जैसे पोषक तत्वों की कमी के कारण हो सकता है। ऐसे में शरीर में आयरन की कमी को दूर करने के साथ-साथ बालों को घना और हेल्दी बनाने के लिए मोरिंगा, सब्जियों, दालों और रोटी जैसे आयरन युक्त फूड्स को डाइट में शामिल करें। इसके अलावा, डाइट में विटामिन-सी युक्त फूड्स को भी शामिल करें। इससे शरीर में आयरन के अवशोषण में मदद मिलती है। इनसे स्वास्थ्य की कई समस्याओं से राहत देने में मदद मिलती है।डैंड्रफ की समस्याशरीर में जिंक की कमी के कारण लोगों को डैंड्रफ की समस्या होती है। ऐसे में शरीर में जिंक की कमी को दूर करने, डैंड्रफ की समस्या से राहत देने और स्कैल्प को पोषण देने के लिए फलों में 1 चम्मच कद्दू के बीजों को डालकर इनको खाएं। इनसे स्वास्थ्य को भी कई लाभ मिलते हैं।गंजेपन की समस्याकई लोगों को बालों के झड़ने और गंजेपन की समस्या होने लगती है। ऐसा शरीर में डायहाइड्रोटेस्टोस्टेरोन के स्तर के हाई होने के कारण होता है। जिसके कारण लोगों को बालों को झड़ने से रोकने और गंजेपन की समस्या होती है। ऐसे में डायहाइड्रोटेस्टोस्टेरोन हार्मोन को बैलेंस करने और बालों से जुड़ी समस्याओं से राहत देने के लिए रात के खाने से आधे घंटे पहले 1 कप ब्राह्मरी की चाय पिएं। इससे बालों के स्वास्थ्य को बेहतर करने में मदद मिलती है।बालों के झड़ने की समस्याज्यादातर लोग बालों के झड़ने की समस्या से परेशान रहते हैं। ऐसा शरीर में कोर्टिसोल हार्मोन के स्तर के बढ़ने के कारण होता है। ऐसे में कोर्टिसोल हार्मोन को बैलेंस करने और बालों को झड़ने की समस्या से राहत के लिए रात को सोने से पहले नियमित रूप से 1 कप कैमोमाइल टी में चुटकी भर दालचीनी पाउडर को डालकर, इसका सेवन करें।निष्कर्षअक्सर लोग को प्रीमेच्योर ग्रे हेयर, रूखे बालों की समस्या, बालों के पतले होने की समस्या, डैंड्रफ की समस्या, गंजेपन की समस्या और बालों के झड़ने की समस्या से परेशान रहते हैं। ऐसा शरीर में विटामिन-बी12, ओमेगा-3 फैटी एसिड, आयरन और जिंक जैसे पोषक तत्वों की कमी या शरीर में हार्मोन्स के असंतुलित होने की समस्या होती है। ऐसे में इन समस्याओं को नजरअंदाज न करें। ध्यान रहे बालों से जुड़ी अधिक समस्या होने पर तुरंत डॉक्टर से सलाह लें।
- होली के त्योहार पर हर कोई स्वादिष्ट और चटपटी चीजें खाना पसंद करता है। इस मौके पर तरह-तरह के पकवान बनाए जाते हैं, लेकिन अगर आप कुछ ऐसा बनाना चाहते हैं जो स्वादिष्ट होने के साथ-साथ सेहतमंद भी हो, तो कांजी वड़ा एक बेहतरीन विकल्प हो सकता है। यह पारंपरिक उत्तर भारतीय व्यंजन अपने खट्टे और मसालेदार स्वाद के लिए जाना जाता है, जिसे लोग बड़े ही चाव से खाते हैं। कांजी वड़ा मुख्य रूप से मूंग दाल या उड़द दाल से बने कुरकुरे वड़ों और खट्टे-मसालेदार कांजी पानी से तैयार किया जाता है। यह न केवल पाचन को बेहतर बनाता है बल्कि इम्यूनिटी भी बढ़ाता है।होली पर कांजी वड़ा क्यों बनाएं?होली के मौके पर अक्सर तले-भुने और भारी भोजन का सेवन अधिक हो जाता है, जिससे पेट में गैस, अपच और भारीपन की समस्या हो सकती है। ऐसे में कांजी वड़ा एक हेल्दी ऑप्शन साबित हो सकता है। ऐसा इसलिए, क्योंकि यह पाचन तंत्र को मजबूत करता है, डिटॉक्स ड्रिंक का काम करता है और शरीर को ठंडक पहुंचाता है।कांजी वड़ा के फायदे -1. पाचन सुधारेकांजी वड़ा पाचन के लिए बहुत फायदेमंद है। मूंग दाल में फाइबर की मात्रा अधिक होती है, जो आंतों की सफाई करती है और कब्ज जैसी समस्याओं से राहत देती है। खट्टी कांजी भी पाचन में मदद करती है। ऐसा इसलिए क्योंकि यह पेट के एसिड को संतुलित करने का काम करती है।2. हाजमे में सुधारकांजी वड़ा में उपयोग होने वाले मसाले जैसे जीरा, हींग और हल्दी हाजमे को बेहतर बनाते हैं। ये मसाले आंतों के संक्रमण को कम करने, गैस और सूजन को कंट्रोल करने में मदद करते हैं। इसके अलावा, यह एसिडिटी और पेट में जलन जैसी समस्याओं से भी राहत दिलाता है।3. इम्यूनिटी बेहतर करेकांजी वड़ा में खट्टे मसाले होते हैं, जो इम्यून सिस्टम को मजबूत करने में मदद करते हैं। इसमें अच्छे बैक्टीरिया होते हैं जो इम्यूनिटी को बेहतर बनाते हैं। इसके साथ ही यह शरीर की सूजन को भी कम करता है, जो किसी भी संक्रमण से लड़ने में मदद करता है।4. त्वचा के लिए फायदेमंदकांजी वड़ा में विटामिन C होता है, जो त्वचा के लिए बहुत फायदेमंद है। यह त्वचा को ग्लो देने के साथ-साथ फ्री रेडिकल्स से भी बचाता है, जो उम्र बढ़ने की प्रक्रिया को धीमा करते हैं।कांजी वड़ा की रेसिपी -कांजी वड़ा बनाने के लिए आपको 1 कप मूंग दाल, 1 इंच अदरक, 1 गाजर, 2 हरी मिर्च, 2 चुटकी हींग, नमक स्वादानुसार, तेल, राई आधा चम्मच, काला नमक स्वादानुसार, नींबू, हल्दी आधी छोटी चम्मच, लाल मिर्च आधी छोटी चम्मच और 4 कप पानी चाहिए होगा।-सबसे पहले, मूंग दाल को अच्छे से धोकर पानी में भिगोकर 2-3 घंटे के लिए रख दें।-दाल को अच्छी तरह से भीगने के बाद उसे पानी से निकालकर मिक्सी में पीस लें। दाल का पेस्ट थोड़ा मोटा रखें।-अब इसमें अदरक, हरी मिर्च, जीरा, हींग और नमक डालकर अच्छे से मिक्स करें।-एक कढ़ाई में तेल गर्म करें और इसमें छोटी-छोटी बॉल्स बनाकर वड़े तलें।कांजी-गाजर को छोटे-छोटे टुकड़ों में काट लें। आप चाहें तो इसे बिना गाजर के भी बना सकते हैं।-एक बर्तन में पानी डालकर उसमें गाजर, हल्दी, राई, लाल मिर्च पाउडर, नमक और अन्य मसाले डालकर अच्छे से मिला लें।-इस मिश्रण को धूप में 2-3 दिन के लिए रखें ताकि यह खट्टा हो जाए। कांजी तैयार है। आप इस कांजी को सुबह धूप में रखने के बाद शाम में भी इस्तेमाल कर सकते हैं।-जब वड़े ठंडे हो जाएं, तो इन्हें कांजी पानी में डालकर कुछ समय के लिए भिगोने दें। इसे 2-3 घंटे के लिए छोड़ दें, ताकि वड़े कांजी में अच्छे से सोख जाएं।-अब आपका स्वादिष्ट कांजी वड़ा तैयार है। इसे ठंडा या सामान्य तापमान पर परोसें। आप इसे साज सजावट के लिए हरी धनिया पत्तियों से सजा सकते हैं।निष्कर्षकांजी वड़ा एक स्वादिष्ट और सेहतमंद नाश्ता है, जो पाचन, इम्यूनिटी और त्वचा को हेल्दी रखने में मदद करता है। यह न केवल स्वाद में लाजवाब होता है, बल्कि इसके फायदेमंद गुण भी हैं। अगर आप हेल्दी और स्वादिष्ट खाने की तलाश में हैं, तो कांजी वड़ा को अपनी डाइट में शामिल करें।
- 14 मार्च को पूरे देश में धूम-धाम से होली खेली जाएगी। इस दिन लोग खूब मौज-मस्ती और एंज्वॉय करते हैं। होली के दिन घरों में तरह-तरह के पकवान बनते हैं। होली है-रंगों का त्योहार। इस दिन लोग रंगों से होली खेलना पसंद करते हैं। लेकिन, होली के रंग या कलर सेहत या त्वचा को ही नहीं, बालों को भी नुकसान पहुंचा सकते हैं। इसलिए होली खेलने से पहले प्रॉपर स्किन और हेयर केयर करना जरूरी होता है। हम सभी को लगता है कि होली खेलने से सिर्फ त्वचा खराब होती है। लेकिन, होली के रंग बालों को भी डैमेज, ड्राई और बेजान बना देते हैं। इसलिए होली खेलने से पहले अपने बालों की देखभाल अच्छी तरह से करें। अगर आप बालों की सही देखभाल करेंगे, तो इससे बाल डैमेज नहीं होंगे। आइए, जानते हैं होली खेलने से पहले बालों की देखभाल कैसे करेंहोली खेलने से पहले बालों की देखभाल कैसे करें?1. बालों पर अच्छी तरह से तेल लगाएंहोली खेलने से पहले बालों को मॉइश्चराइज करना बेहद जरूरी होता है। इसलिए आपको अपने बालों पर तेल जरूर लगाना चाहिए। होली के रंगों से बालों को सुरक्षित रखने के लिए तेल लगाना बेहद जरूरी होता है। आप होली खेलने से 1-2 घंटे पहले बालों पर अच्छी तरह से तेल लगा लें। इससे बाल डैमेज नहीं होते हैं। साथ ही, बालों से रंग आसानी से निकल जाता है। आप नारियल तेल या ऑलिव ऑयल लगा सकते हैं।2. बालों पर एलोवेरा जेल लगाएंहोली खेलने से पहले आपको बालों पर एलोवेरा लगाना चाहिए। एलोवेरा में एंटीऑक्सीडेंट और एंटी-बैक्टीरियल गुण होते हैं, जो बालों को होली के रंगों से सुरक्षित रखते हैं। एलोवेरा बालों में नमी भी बनाए रखता है। इसके लिए आप बालों और स्कैल्प पर एलोवेरा जेल अच्छी तरह से लगाएं। 20-25 मिनट बाद बालों को माइल्ड शैंपू से धो लें।3. हेयर सीरम लगाएंहोली खेलने से पहले आपको हेयर सीरम भी जरूर लगाना चाहिए। खासकर, अगर आपके बाल ड्राई और बेजान हैं, तो बालों पर सीरम जरूर अप्लाई करें। हेयर सीरम, बालों पर एक प्रोटेक्टिव लेयर बना देता है। इससे बाल सुरक्षित रहते हैं। हेयर सीरम, बालों को होली के रंगों में मौजूद केमिकल से सुरक्षित रखता है। आप होली खेलने से आधे घंटे पहले बालों पर हेयर सीरम अप्लाई करें। फिर आप बेझिझक होली के रंग खेल सकते हैं। इससे बालों को कोई नुकसान नहीं होगा।4. बालों पर कैप लगाकर रखेंहोली खेलने के दौरान आपको बालों को कैप से कवर करके रखना चाहिए। इससे होली का रंग सीधे बालों तक नहीं पहुंचता है। इससे बालों को नुकसान नहीं होता है और बाल होली के रंगों से सुरक्षित रहते हैं। आप बालों का जूड़ा बना लें। होली खेलने के दौरान बालों को भूलकर भी खुला न छोड़ें। इससे बाल काफी डैमेज हो सकते हैं।
- होली खेलने के बाद लोगों को अक्सर इसके केमिकल युक्त रंगों को त्वचा और बालों को निकाले में परेशानी होती है। ऐसे में त्वचा से इन जिद्दी रंगों को निकालने और त्वचा को इनसे होने वाले नुकसान से बचाने के लिए कुछ नेचुरल स्क्रब, क्लींजर और उबटन का इस्तेमाल किया जा सकता है। जिससे स्किन को नेचुरल रूप से हेल्दी और ग्लोइंग बनाने में भी मदद मिलती है। ऐसे में त्वचा से होली के रंगों को नेचुरल रूप से निकालने के लिए क्या करें?होली के रंगों को निकालने के लिए क्लींजर -क्लींजर की सामग्री -2 चम्मच कच्चा दूध1 चम्मच शहदक्लींजर का इस्तेमाल कैसे करें -1. 1 कटोरी कच्चे दूध में शहद को डालकर अच्छे से मिला लें।2. अब इसे चेहरे पर 5-7 मिनट के लिए लगाएं और हल्के हाथ से मसाज करें।3. अब चेहरे को हल्के गुनगुने पानी से धो लें।कच्चे दूध और शहद के क्लींजर के फायदेकच्चा दूध एक नेचुरल क्लींजर और मॉइस्चराइजर की तरह काम करता है। वहीं शहद एंटी-बैक्टीरियल और मॉइस्चराइजिंग गुण पाए जाते हैं। इस क्लींजर का इस्तेमाल करने से त्वचा के डेड सेल्स को निकालकर रंगों को निकालने, दाग-धब्बों को कम करने, त्वचा को नमी प्रदान करने, स्किन को मॉइस्चराइज करने और स्किन का एजिंग से बचाव करने में मदद मिलती है।होली के रंगों को निकालने के लिए स्क्रब -स्क्रब की सामग्री2 चम्मच बेसन2 चम्मच दहीचुटकी भर हल्दीस्क्रब का इस्तेमाल कैसे करें?1. 1 कटोरी बेसन में, दही और हल्दी को डालकर अच्छे से मिला लें।2. अब इसे चेहरे पर अच्छे से लगाएं और 15 मिनट के लिए छोड़ दें।3. अब इस पर हल्का पानी लगाकर चेहरे पर हल्के हाथ से स्क्रब करें।4. इसके बाद चेहरे को सादा पानी से धो लें।दही और बेसन स्क्रब के फायदेदही और बेसन का स्क्रब त्वचा के रंग को निकालने में सहायक है। बेसन एक नेचुरल एक्सफोलिएट की तरह काम करता है। वहीं, दही में लैक्टिक एसिड होता है, जो के डेड सेल्स को निकालकर, दाग-धब्बों को कम करने, स्किन को मॉइस्चराइज और हाइड्रेट करने में मदद मिलती है, साथ ही, इससे स्किन इंफेक्शन से बचाव करने में भी मदद मिलती है।होली के रंगों को निकालने के लिए उबटनउबटन की सामग्री2 चम्मच मुल्तानी मिट्टीआधा चम्मच चंदन पाउडरचुटकी भर हल्दी1 चम्मच बेसनगुलाब जलउबटन का इस्तेमाल कैसे करें1. 1 कटोरी में मुल्तानी मिट्टी, चंदन पाउडर, हल्दी और बेसन में जरूरत के अनुसार गुलाब जल को अच्छे से मिलाकर पेस्ट बना लें।2. अब इस पेस्ट को चेहरे पर लगाएं और 15-20 मिनट के लिए छोड़ दें।3. अब चेहरे को सादे पानी से धो लें।मुल्तानी मिट्टी के उबटन के फायदे -मुल्तानी मिट्टी और गुलाब जल दोनों में बहुत से गुण पाए जाते हैं। वहीं, बेसन स्किन को एक्सफोलिएट करने में सहायक है। इनको चेहरे पर लगाने से डेड सेल्स को निकालने, स्किन को गहराई से साफ करने, दाग-धब्बों को कम करने, रंगों के कारण त्वचा की जलन को कम करने और रंगों को हल्का करने में मदद मिलती है, साथ ही, स्किन इससे हाइड्रेट रहती है। इनके अलावा, स्किन को नेचुरल रूप से मॉइस्चराइज करने और रंगों को निकालने के लिए नारियल तेल और एलोवेरा जेल का इस्तेमाल किया जा सकता है।निष्कर्षहोली के जिद्दी रंगों को त्वचा से निकालने के लिए नेचुरल स्क्रब, क्लींजर या उबटन का इस्तेमाल किया जा सकता है। इसके अलावा, एलोवेरा जेल या नारियल तेल का इस्तेमाल भी किया जा सकता है। इससे त्वचा से रंगों को निकालने और दाग-धब्बों को कम करने में मदद मिलती है, साथ ही, इससे त्वचा पर निखार लाने और स्किन को हेल्दी रखने में मदद मिलती है।
- भारतीय रसोई में कई प्रकार के मसालों का इस्तेमाल किया जाता है। चक्रफूल (Star Anise) इन्हीं मसालों में से एक है। चक्रफूल की सुगंध काफी तेज होती है और इसका स्वाद हल्का मीठा होता है। ज्यादातर लोग चक्रफूल को गर्म मसाले में डालकर इस्तेमाल करते हैं। चक्रफूल में आयरन, विटामिन बी , मैग्नीशियम, कैल्शियम, मैंगनीज और विटामिन ई जैसे कई पोषक तत्व पाए जाते हैं। यह सभी पोषक तत्व स्वास्थ्य के लिहाज से फायदेमंद होते हैं। लेकिन आयुर्वेद में चक्र फूल का अत्यधिक या अनुचित सेवन से नुकसान के बारे में बताया गया है।1. गर्मी बढ़ाने वाला प्रभाव-आयुर्वेद के अनुसार, चक्रफूल में उष्ण (गर्मी उत्पन्न करने वाला) गुण होता है। चक्रफूल का अधिक सेवन करने से शरीर में पित्त का दोष बढ़ जाता है। इसकी वजह से पेट में दर्द, एसिडिटी, सीने में जलन और पित्त संबंधी अन्य समस्याएं हो सकती हैं।2. पाचन तंत्र को करता है प्रभावितचक्र फूल की तासीर गर्म होती है। इसका ज्यादा मात्रा में सेवन करने से पाचन तंत्र संबंधी परेशानियां हो सकती हैं। चक्रफूल की चाय या इसको ज्यादा मात्रा में मसाले के तौर पर इस्तेमाल करने से अपच, दस्त और पेट में दर्द की समस्या हो सकती है।3. ब्लड प्रेशर ट्रिगर करने का प्रभावचक्रफूल का अत्यधिक सेवन यह ब्लड प्रेशर को ट्रिगर कर सकता है। जिन लोगों को लो या हाई ब्लड प्रेशर की समस्या है, अगर वह नियमित तौर पर चक्रफूल का सेवन करें, तो यह ब्लड प्रेशर को अचानक से कम या ज्यादा कर सकता है। जिन लोगों को ब्लड प्रेशर संबंधी परेशानियां हैं, उन्हें चक्रफूल का सेवन करने से पहले डॉक्टर की सलाह जरूर लेनी चाहिए।4. त्वचा संबंधी समस्या-चक्रफूल का सेवन करने से शरीर में उष्णता को बढ़ावा मिलता है। इसके कारण कुछ लोगों को त्वचा में खुजली, चकत्ते, लालिमा और रैशेज की समस्या हो सकती है। अगर आपकी त्वचा सेंसिटिव है, तो चक्रफूल का सेवन करने से पहले डॉक्टर की सलाह जरूर लें।5. एलर्जी का कारण-कुछ लोगों में चक्रफूल के सेवन से एलर्जी हो सकती है, जिससे त्वचा में जलन, सांस लेने में कठिनाई, और लाल चकत्ते जैसी समस्याएं हो सकती हैं। कभी-कभी बाजार में मिलने वाला चक्रफूल सस्ता और कम गुणवत्ता वाला हो सकता है, जो एलर्जी का कारण बन सकता है। चक्रफूल को बाजार से खरीदते वक्त हमेशा इसकी क्वालिटी को जरूर जांचना चाहिए। अगर चक्रफूल ज्यादा चमकदार नजर आता है, तो इसमें केमिकल हो सकता है।निष्कर्षचक्रफूल में कई प्रकार के पोषक तत्व पाए जाते हैं, लेकिन इसका सेवन हमेशा सीमित मात्रा में ही करना चाहिए। ज्यादा मात्रा में चक्रफूल का सेवन करने से स्वास्थ्य पर नकारात्मक प्रभाव पड़ सकता है। प्रेग्नेंट और स्तनपान कराने वाली महिलाएं चक्रफूल का इस्तेमाल आयुर्वेदिक एक्सपर्ट की सलाह पर ही करें।
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घी, हमारे भारतीय भोजन का एक अहम हिस्सा है। यह न केवल खाने के स्वाद को बढ़ाता है, बल्कि सेहत के लिए भी फायदेमंद होता है। आयुर्वेद में भी इसके कई लाभ बताए गए हैं। हालांकि, आजकल यह सवाल उठता है कि क्या घी का सेवन वजन बढ़ाने का कारण बनता है? क्या इसे रोजाना खाना सेहत के लिए हानिकारक हो सकता है? इन सवालों के जवाब जानने के लिए हमें घी के पोषक तत्वों और इसके स्वास्थ्य पर प्रभाव को समझना होगा। घी में मुख्य रूप से सैचुरेटेड फैट होता है, जिसे आमतौर पर वजन बढ़ाने का कारण माना जाता है। लेकिन, घी में मौजूद हेल्दी फैट्स, जैसे ओमेगा-3 और ओमेगा-9 फैटी एसिड्स, शरीर के लिए फायदेमंद हो सकते हैं। इसके अलावा, घी में विटामिन-ए, डी, और ई जैसे खास विटामिन्स भी होते हैं, जो शरीर के लिए फायदेमंद हैं। अब जानते हैं घी के सेवन से जुड़े कुछ कॉमन सवालों के जवाब।
1. क्या रोजाना घी खाने से वजन बढ़ता है?-
अगर घी का सेवन ज्यादा मात्रा में किया जाए, तो यह वजन बढ़ा सकता है। इसमें मौजूद सैचुरेटेड फैट शरीर में कैलोरीज को बढ़ा देते हैं। लेकिन, अगर इसे संतुलित मात्रा में और सही समय पर खाया जाए, तो यह वजन को कंट्रोल करने में मदद भी कर सकता है। घी का सेवन त्वचा की चमक को बढ़ाता है, शरीर के तापमान को कंट्रोल करता है और पाचन को भी बेहतर करता है। इसलिए, घी का सेवन सीमित मात्रा में और संतुलित आहार के हिस्से के रूप में करना फायदेमंद हो सकता है।
2. क्या घी पेट की चर्बी को बढ़ाता है?घी में सैचुरेटेड फैट होता है, जो पेट की चर्बी (Belly Fat) बढ़ाने का एक कारण हो सकता है। हालांकि, घी का सेवन सही तरीके से और एक्सरसाइज के साथ किया जाए, तो यह पेट की चर्बी को बढ़ाने के बजाय शरीर के अन्य हिस्सों से चर्बी घटाने में मदद कर सकता है। यह शरीर को एनर्जी देता है, जिससे शरीर में फैट का इकट्ठा होना कम हो सकता है। इसलिए घी का सेवन कम मात्रा में करना और नियमित रूप से एक्सरसाइज करना जरूरी है।3. क्या गर्मियों में घी का सेवन नहीं करना चाहिए?गर्मियों में घी का सेवन कुछ लोगों के लिए हानिकारक हो सकता है, खासकर उन लोगों के लिए जिनका पाचन तंत्र कमजोर होता है, क्योंकि घी की तासीर गर्म होती है। गर्मी के मौसम में शरीर पहले से ही वातावरण में गर्मी को झेलता है और घी का ज्यादा सेवन डाइजेशन को बिगाड़ सकता है, जिससे पाचन से संबंधित समस्याएं हो सकती हैं। हालांकि, अगर घी का सेवन सीमित मात्रा में किया जाए, तो यह शरीर को ठंडा रखता है और त्वचा को मॉइश्चराइज भी कर सकता है।4. क्या घी हार्ट की सेहत के लिए हानिकारक है?घी का सेवन अगर ज्यादा मात्रा में किया जाए, तो यह हार्ट के लिए हानिकारक हो सकता है, क्योंकि इसमें ज्यादा सैचुरेटेड फैट होता है, जो ब्लड में कोलेस्ट्रॉल को बढ़ा सकता है। इससे हृदय रोगों का खतरा बढ़ सकता है। हालांकि, अगर घी का सेवन कम मात्रा में किया जाए और साथ ही संतुलित आहार लिया जाए, तो यह हार्ट के लिए फायदेमंद हो सकता है। घी में ओमेगा-3 और ओमेगा-9 फैटी एसिड्स होते हैं, जो हार्ट की सेहत (Heart Health) को बनाए रखने में मदद करते हैं। इसलिए, घी का सेवन सीमित मात्रा में और सही समय पर किया जाना चाहिए।5. क्या घी खाने से कोलेस्ट्रॉल बढ़ जाता है?घी में सैचुरेटेड फैट होता है, लेकिन इसका मतलब यह नहीं है कि यह कोलेस्ट्रॉल को असंतुलित कर देता है। शोध के अनुसार, घी में मौजूद हेल्दी फैटी एसिड वास्तव में शरीर में गुड कोलेस्ट्रॉल (HDL) बढ़ाने में मदद करते हैं। हालांकि, जिन लोगों को पहले से हाई कोलेस्ट्रॉल की समस्या है, उन्हें घी का सेवन सीमित मात्रा में करना चाहिए।घी से जुड़े कई मिथक और गलत धारणाएं प्रचलित हैं, लेकिन शोध बताते हैं कि संतुलित मात्रा में घी का सेवन सेहत के लिए फायदेमंद साबित हो सकता है। -
होली का त्यौहार रंग और उत्साह का प्रतीक माना जाता है। होली के त्यौहार पर हवा में इतना रंग होता है कि न चाहने वाला भी रंग जाए। पहले के जमाने में फूल, पत्तियों और फलों को सूखाकर रंग और गुलाल बनाए जाते थे। लेकिन आज के आधुनिक जमाने में केमिकल्स वाले रंगों को इस्तेमाल ज्यादा होने लगा है। केमिकल्स वाले रंग, गुलाल और अबीर आंखों को बेशक लुभाएं, लेकिन त्वचा के लिए हानिकारक होते हैं। अगर ये केमिकल वाले रंग सीधे त्वचा से संपर्क बनाते हैं, तो इससे पिंपल्स, एक्ने, जलन, खुजली और लालिमा की समस्या भी हो सकती है। इसलिए, होली खेलने से पहले त्वचा की सही देखभाल करना बहुत जरूरी है।त्यौहार आने वाला है इसलिए हम आपको बताने जा रहे हैं होली पर रंग खेलने से पहले आपको त्वचा पर क्या लगाना चाहिए ताकि स्किन को किसी प्रकार का नुकसान न हो।
होली खेलने से पहले त्वचा पर क्या लगाएं-
डॉ. रुबेन भसीन पस्सी के अनुसार, होली के रंगों में मौजूद रासायनिक तत्व त्वचा को नुकसान पहुंचा सकते हैं, जिससे त्वचा का रूखा होना, एलर्जी, जलन की समस्या होना आम है। इन समस्याओं से बचाव के लिए प्री-होली स्किन केयर रूटीन को अपनाना जरूरी है। आइए जानते हैं इसके बारे में...1. नारियल और कपूर का तेलहोली पर रंग खेलने से पहले हाथ, पैर, चेहरे और पूरे शरीर पर नारियल और कपूर के तेल से मालिश करें। नारियल और कपूर का तेल त्वचा पर एक सुरक्षा परत बनाता है, जिससे केमिकल्स वाले स्किन के अंदर नहीं जाते हैं इससे स्किन डैमेज से बचा जा सकता है। साथ ही, रंग आसानी से त्वचा पर चिपकते नहीं है। होली खेलने से पहले त्वचा पर नारियल और कपूर का तेल लगाने से रंगों को आसानी से हटाया जा सकता है। इसके लिए 5 चम्मच नारियल के तेल में 2 कपूर को पीसकर भिगो दें। इस मिश्रण को रातभर एक एयरटाइट कंटेनर में स्टोर करें और सुबह इससे मालिश करने के बाद होली खेलें।2. सनस्क्रीन लगाएंहोली में रंग खेलने के दौरान त्वचा भी धूप से संपर्क बनाती है, ऐसे में सनस्क्रीन का इस्तेमाल करना बिल्कुल न भूलें। सनस्क्रीन आपकी त्वचा को यूवी किरणों से बचाने के साथ-साथ रंगों के हानिकारक प्रभाव से भी सुरक्षित रखता है। त्वचा के लिए हमेशा SPF 50 वाला सनस्क्रीन इस्तेमाल करें। इससे कम एसपीएफ वाले सनस्क्रीन का इस्तेमाल करने से त्वचा को किसी प्रकार का फायदा नहीं मिलता है।3. होंठ पर लगाए ऑलिव ऑयलचेहरे, हाथ और पैर से ज्यादा नाजुक हमारे होंठ होते हैं। होली पर रंगों के संपर्क में आने से होंठ ड्राई और डैमेज नजर आ सकते हैं। ऐसे में होंठो को मॉइश्चराइज करने के लिए ऑलिव ऑयल का इस्तेमाल करें। ऑलिव ऑयल में पर्याप्त मात्रा में फैटी एसिड होता है, जो होंठ को नमी देकर रंगों से होने वाले नुकसान को बचाता है। होंठ पर ऑलिव ऑयल लगाने से रंग चिपकते नहीं है।4. नेल पॉलिश लगाएंहाथों पर नारियल और कपूर के तेल से मालिश करने के साथ-साथ नाखूनों को रंगों से साफ रखने और गहरे रंगों से बचाने के लिए डार्क कलर की नेल पॉलिश लगाएं। स्किन केयर एक्सपर्ट का कहना है कि नेल पॉलिश लगाने से होली के रंग नाखून पर रंग लगने और जमने का खतरा कम हो जाता है। इससे त्वचा में बैक्टीरिया नहीं जमते हैं और हाथों में होने वाले संक्रमण से बचा जा सकता है।होली के बाद त्वचा की देखभाल कैसे करें?-- होली खेलने के बाद त्वचा को साफ करने के लिए कच्चे दूध और शहद का इस्तेमाल करें। कच्चे दूध एंटीबैक्टीरियल गुण त्वचा पर रंगों के कारण पैदा होने वाले मुंहासों के बैक्टीरिया को रोकता है, जिससे स्किन ग्लोइंग नजर आती है।- चेहरे, कान, हाथ, पैर और शरीर के बाकि अंगों से गहरे रंगों को हटाने के लिए साबुन या किसी अन्य ब्यूटी प्रोडक्ट का इस्तेमाल करने की बजाय मुल्तानी मिट्टी और बेसन का इस्तेमाल करें। बेसन के पोषक तत्व स्किन को डीप क्लीन करके रंगों को हटाने में मदद करते हैं।- रंगों के केमिकल्स से त्वचा ड्राई और डैमेज हो सकती है। इसलिए होली के बाद त्वचा पर अच्छे मॉइश्चराइजर का उपयोग जरूर करें।निष्कर्षहोली का त्यौहार आनंद और उत्साह से भरा होता है। लेकिन इस दौरान त्वचा की खूबसूरती को बनाए रखना भी बहुत जरूरी होता है। इसलिए डॉक्टर द्वारा ऊपर बताए गए टिप्स को जरूर फॉलो करें और त्वचा को सुंदर बनाए रखें। - रजनीगंधा का नाम लेते ही तरोताजा करने वाले एक सफेद और खुशबू से भरे फूल की तस्वीर आंखों के सामने आ जाती है। औषधीय गुणों से भरपूर रजनीगंधा केवल आपके जीवन को नहीं महकाता, बल्कि यह आपकी सेहत को भी दुरुस्त रखता है। त्वचा से संबंधित बीमारी हो या तनाव, रजनीगंधा के फायदे अनेक हैं।रजनीगंधा को प्रेम और पवित्रता का प्रतीक माना जाता हैदरअसल, रजनीगंधा को ‘ट्यूबरोज’ के नाम से भी जाना जाता है। यह एक सुगंधित फूल वाला पौधा है। इसका वैज्ञानिक नाम पोलिएन्थेस ट्यूबरोसा है। रजनीगंधा का पौधा मैक्सिको और मध्य अमेरिका में मुख्य तौर पर पाया जाता है, लेकिन भारत में भी इसे बड़े पैमाने पर उगाया जाता है। रजनीगंधा को प्रेम और पवित्रता का प्रतीक माना जाता है।रजनीगंधा को स्वास्थ्य के लिए भी माना गया है लाभदायककई औषधीय गुणों से युक्त रजनीगंधा को स्वास्थ्य के लिए भी लाभदायक माना गया है। सदियों से यह आयुर्वेद के लिए अहम जड़ी-बूटी रही है। रजनीगंधा यौन संचारित रोगों (एसटीई) के लिए कारगर है। जैसे कि इस पौधे के बल्ब का अर्क गोनोरिया के इलाज में बहुत मददगार साबित होता है। यही नहीं, रजनीगंधा के फूल को एक बेहतरीन मूत्रवर्धक माना गया है। रजनीगंधा के फूल का अर्क मूत्राशय की सूजन और मूत्र प्रतिधारण से पीड़ित रोगियों को पेशाब को बढ़ावा देने के लिए दिया जाता है।त्वचा संबंधी समस्याओं के लिए रजनीगंधा का फूल है बेहद ही उपयोगीइसके अलावा, एंटी इंफ्लेमेटरी गुण होने के कारण सूजन में भी इसे कारगर माना गया है। इसका तेल जोड़ों के दर्द और सूजन को कम करने के लिए काफी लाभदायक है। इसके साथ ही, त्वचा संबंधी समस्याओं के लिए रजनीगंधा का फूल बेहद ही उपयोगी है। फूलों के अर्क को त्वचा पर लगाने से मुंहासे, बढ़े हुए पोर्स और तैलीय त्वचा से राहत मिलती है।तनाव, क्रोध और भ्रम पर काबू पाने में भी है सक्षमइसके अलावा, रजनीगंधा को तनाव के लिए भी अच्छा माना गया है, क्योंकि इसका फूल प्राकृतिक रूप से तनाव दूर करने वाला होता है। फूल की खुशबू मन को शांत करती है और शरीर को आराम भी देती है, जिससे चिंता, तनाव, क्रोध और भ्रम पर काबू पाया जा सकता है।
- जीवनशैली और खानपान के कारण थायराइड एक सामान्य लेकिन गंभीर समस्या बनती जा रही है। भारत में थायराइड रोगियों का ग्राफ तेजी से ऊपर जा रहा है। थायराइड के कारण शरीर का हार्मोन असंतुलित हो जाता है। इसकी वजह से वजन का बढ़ना, वजन घटना, थकान, डिप्रेशन, त्वचा से जुड़ी समस्याएं देखी जाती है। थायराइड को मैनेज करने के लिए अक्सर लोग दवाओं पर निर्भर रहते हैं। लेकिन खानपान और जीवनशैली में थोड़े से बदलाव करके भी थायराइड की समस्या को नियंत्रित में किया जा सकता है। खासतौर पर, सुबह सही ड्रिंक्स का सेवन करने से थायराइड की समस्या से काफी हद तक राहत मिल सकती है।थायराइड के रोगी रोजाना सुबह पिएं इन 5 चीजों से बनी ड्रिंकइस ड्रिंक को आप सिर्फ 5 से 7 मिनट में घर पर ही तैयार कर सकते हैं। आइए जानते हैं इसकी रेसिपी...ड्रिंक बनाने के लिए सामग्रीनारियल के टुकड़े- 8-10 टुकड़ेकरी पत्ते- 10धनिया के बीज- 1/2 चम्मचजीरा-1/4 चम्मचसेंधा नमक- 1/4 चम्मचबनाने का तरीका-सबसे पहले एक एक ग्राइंडर लें और उसमें कटे हुए नारियल के टुकड़ों को 1 गिलास पानी के साथ डालें।-इस मिश्रण को अच्छे से पीसकर तैयार कर लें। इस मिश्रण को छानकर नारियल का दूध निकाल लें और इसे एक गिलास में डाल दें।-अब एक और ग्राइंडर का जार लें। इसमें तैयार किया हुआ नारियल का दूध, करी पत्ते, भुना हुआ जीरा, भुना हुआ धनिया के बीज और सेंधा नमक डालें।-सभी चीजों को ग्राइंडर में अच्छे से पीसकर तैयार कर लें और एक गिलास में निकाल लें।-करी पत्ता से गार्निश करके इस हेल्दी और टेस्टी ड्रिंक का सेवन करें।थायराइड रोगियों के लिए क्यों फायदेमंद है ये ड्रिंक- धनिया के बीज और नारियल का दूध में प्राकृतिक तत्व पाए जाते हैं। यह पोषक तत्व शरीर से विषाक्त पदार्थों को बाहर निकालने में मददगार होते हैं। जिससे थायराइड के कारण होने वाली थकान और सुस्ती कम होती है।- धनिया के बीज में एंटी-इंफ्लेमेटरी और एंटीऑक्सीडेंट गुण होते हैं, जो थायराइड ग्रंथि को स्वस्थ रखने में मदद करते हैं।- हेल्थ एक्सपर्ट का कहना है कि नारियल के दूध में हेल्दी फैट्स और मीडियम-चेन फैटी एसिड (MCFA) होते हैं, जो थायराइड ग्रंथि के काम को सुधारने में मदद करते हैं। रोजाना इस ड्रिंक करने से थायराइड के रोगियों को एनर्जी मिलती हैं।- यह ड्रिंक पेट को ठंडा रखता है और पाचन तंत्र को मजबूत करता है, जिससे पोषक तत्वों का अवशोषण बेहतर होता है। इस प्रक्रिया के बेहतर होने से थायराइड फंक्शन सुधरता है और बीमारियों का खतरा कम करने में मदद मिलती है।निष्कर्षथायराइड का एक गंभीर समस्या है, लेकिन कुछ विशेष प्रकार के ड्रिंक्स का सेवन करके इसे मैनेज किया जा सकता है। धनिया के बीज और नारियल का दूध दोनों ही प्राकृतिक रूप से थायराइड हार्मोन को संतुलित करने में मदद कर सकते हैं। अगर आप नियमित तौर पर थायराइड को कंट्रोल करने के लिए गोली का सेवन कर रहे हैं, तो इस ड्रिंक का सेवन करने से पहले डॉक्टर से बात जरूर करें।
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गर्मियों में हाइड्रेटेड रहने के लिए जरूरी है कि आप डाइट में सीजनल फलों और सब्जियों को शामिल करें। इस मौसम में तरबूज, खरबूजा, ककड़ी, खीरा और आम जैसे पौष्टिक फल बाजार में मिलते हैं। जो कि न केवल स्वादिष्ट होते हैं बल्कि सेहत के लिए किसी वरदान से कम नहीं होते। इस मौसम में मिलने वाला खरबूजा अगर आप सुबह-सुबह खाली पेट खाएंगे तो पोषक तत्वों के साथ एनर्जी भी मिलेगी, जिससे आपको दिनभर थकान और कमजोरी का एहसास नहीं होगा। खरबूजा एक ऐसा फल है जो कि प्राकृतिक रूप से स्वाद में बहुत मीठा होता है और इसका सेवन करने से शरीर को भरपूर मात्रा में पोषण मिलता है। इसका सेवन खाली पेट करने से शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य बेहतर होता है।
खाली पेट खरबूजा खाने के फायदे - खरबूजे का सेवन गर्मियों के मौसम में जरूर करना चाहिए। इससे शरीर को अच्छी मात्रा में विटामिन C, विटामिन K, विटामिन A के साथ विटामिन B6, मैग्नीशियम, पोटैशियम, कॉपर, आयरन और जिंक जैसे पोषक तत्व मिलते हैं, जो शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता यानी इम्यूनिटी को बूस्ट करने में भी सहायक हो सकते हैं। डॉक्टर ने सलाह दी कि गर्मी में खरबूजे का सेवन लाभदायक है लेकिन बरसात के मौसम में इसके सेवन से बचना चाहिए। बरसात में खरबूजा खाने से दस्त होने का खतरा बढ़ जाता है।
1. गर्मियों के सीजन में मिलने वाले खरबूजे की तासीर ठंडी होते है, ऐसे में इसका सेवन सेहत के लिए बेहद लाभदायक होता है। आयुर्वेद में खरबूजे को दीपनीय फल बताया गया है, जो कि भूख को बढ़ाता है।2. खाली पेट खरबूजा खाने से शरीर के अंदर की गर्मी शांत होती है। इन दिनों लू वाला मौसम है, ऐसे में अगर आप खरबूजा खाते हैं तो आपका शरीर अंदर से ठंडा रहेगा और लू लगने का खतरा भी कम होगा।3. गर्मियों में शरीर से पसीना ज्यादा निकलता है, यही वजह है कि डॉक्टर और हेल्थ एक्सपर्ट ज्यादा से ज्यादा पानी पीने और पानी वाले फलों को खाने की सलाह देते हैं। ऐसे में खरबूजे में करीब 90 प्रतिशत पानी होता है, जब आप खरबूजा खाते हैं तो इससे शरीर हाइड्रेटेड रहता है।4. खरबूजा आसानी से डाइजेस्ट होता है और पेट संबंधी समस्याओं को भी कम करने में सहायक हो सकता है।5. खरबूजे में फाइबर की अच्छी मात्रा होती है जो पाचन को सुधारता है और कब्ज को दूर करने में भी सहायक होता है।6. खरबूजे में विटामिन C होता है, जो कि स्किन को हेल्दी बनाने में सहायक होता है। इसके सेवन से स्किन पर नेचुरल ग्लो आता है।7. खरबूजे में मौजूद विटामिन B6 और मैग्नीशियम स्ट्रेस को कम करने में मदद कर सकते हैं और मानसिक स्वास्थ्य को बेहतर करने में सहायक हो सकते हैं।गर्मियों में खाली पेट खरबूजा खाना सेहत के लिए लाभदायक होता है। लेकिन अगर आप डायबिटीज, हाई ब्लड प्रेशर या अन्य स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं से जूझ रहे हैं तो डॉक्टर की सलाह अनुसार ही इसका सेवन करें। -
आजकल फिट रहने के लिए वॉकिंग को सबसे बेहतरीन एक्सरसाइज माना जाता है। यह न केवल शारीरिक स्वास्थ्य को बेहतर बनाती है बल्कि मानसिक रूप से भी तंदुरुस्त रखती है। रोजाना टहलने से न केवल वजन कंट्रोल में रहता है, बल्कि दिल की सेहत, ब्लड शुगर लेवल और मानसिक स्वास्थ्य भी बेहतर होता है। यही कारण है कि लोग मॉर्निंग वॉक और इवनिंग वॉक को अपनी दिनचर्या में शामिल करते हैं। लेकिन क्या आप जानते हैं कि हर किसी के लिए ज्यादा देर तक वॉक करना फायदेमंद नहीं होता? कुछ लोगों के लिए लंबे समय तक चलना नुकसानदायक साबित हो सकता है और इससे उनकी स्वास्थ्य समस्याएं और बढ़ सकती हैं।
किन लोगों को ज्यादा देर तक चलने से बचना चाहिए1. हार्ट डिजीज से पीड़ित लोगहार्ट संबंधी समस्याओं से जूझ रहे लोगों को ज्यादा देर तक चलने से पहले डॉक्टर से सलाह लेनी चाहिए। ज्यादा वॉक करने से हार्ट पर दबाव बढ़ सकता है, जिससे थकान, सांस लेने में दिक्कत और चक्कर आने जैसी समस्याएं हो सकती हैं। ऐसे मरीजों के लिए धीमी गति से चलना ही सही रहता है।2. जोड़ों की समस्याओं से ग्रसित लोगअगर किसी व्यक्ति को गठिया, ऑस्टियोपोरोसिस या जोड़ों में दर्द की समस्या है, तो लंबे समय तक चलना उनके लिए परेशानी का कारण बन सकता है। ज्यादा चलने से घुटनों और जोड़ों पर दबाव बढ़ जाता है, जिससे दर्द और सूजन की समस्या हो सकती है। ऐसे लोगों को डॉक्टर की सलाह लेकर ही वॉक करनी चाहिए और हल्की एक्सरसाइज को प्राथमिकता देनी चाहिए।3. न्यूरोपैथी से ग्रसित डायबिटीज के मरीजडायबिटीज के कारण कई लोगों को न्यूरोपैथी (Neuropathy) की समस्या हो सकती है। ऐसे में ज्यादा देर तक चलना पैरों में छाले, सूजन और अन्य जटिलताओं को जन्म दे सकता है।4. सांस से जुड़ी बीमारियों वाले लोगअस्थमा, ब्रोंकाइटिस या फेफड़ों से जुड़ी अन्य समस्याओं से पीड़ित लोगों के लिए ज्यादा देर तक चलना मुश्किल हो सकता है। तेज चलने से सांस लेने में दिक्कत हो सकती है, जिससे शरीर में ऑक्सीजन की कमी हो सकती है। खासतौर पर, ठंडी या प्रदूषित हवा में लंबी वॉक करने से उनकी समस्या और बढ़ सकती है।5. कमर या पैरों में पुरानी चोट वाले लोगयदि किसी को कमर, घुटने या टखने में पुरानी चोट है, तो ज्यादा देर तक चलने से समस्या बढ़ सकती है। लंबे समय तक चलने के बजाय हल्की स्ट्रेचिंग अपनाएं। किसी भी दर्द या असहजता पर डॉक्टर से सलाह लें।6. आखिरी तिमाही में प्रेग्नेंट महिलाएंगर्भवती महिलाओं के लिए हल्की वॉकिंग फायदेमंद होती है, लेकिन लंबे समय तक चलने से पैरों में सूजन, थकान और पीठ दर्द की समस्या हो सकती है। तिमाही में प्रेग्नेंट महिलाएं डॉक्टर की सलाह के अनुसार ही वॉक करें।लंबे समय तक वॉकिंग करना सभी के लिए सही नहीं होता, खासकर उन लोगों के लिए जो किसी विशेष बीमारी या स्वास्थ्य समस्या से जूझ रहे हैं। अगर आपको भी इनमें से कोई समस्या है, तो डॉक्टर की सलाह लेकर ही वॉकिंग को अपनी दिनचर्या में शामिल करें। याद रखें, सेहतमंद रहने के लिए शरीर की जरूरतों को समझना बेहद जरूरी है। - अनहेल्दी लाइफस्टाइल और गलत खानपान के कारण अक्सर लोगों को हार्मोन्स के असंतुलित होने, वजन बढ़ने, इंसुलिन रेजिस्टेंस और पाचन से जुड़ी समस्याओं से परेशान रहते हैं। ऐसे में खुद को फिट और हेल्दी रखने के लिए लोग डाइट में हेल्दी फूड्स के साथ-साथ मेथी दाना, अलसी के बीज और चिया सीड्स को भी डाइट में शामिल किया जा सकता है। इनमें तीनों सीड्स में बहुत से पोषक तत्व पाए जाते हैं। इनको पानी में भिगोकर खाने से स्वास्थ्य से जुड़ी कई समस्याओं से राहत देने में मदद मिलती हैअलसी के बीज, मेथी दाना और चिया सीड्स में मौजूद पोषक तत्वअलसी के बीज में भरपूर मात्रा में ओमेगा-3 फैटी एसिड, फाइबर, विटामिन्स और मिनरल्स पाए जाते हैं, साथ ही इनमें एंटी-ऑक्सीडेंट और एंटी-इंफ्लेमेटरी के गुण पाए जाते हैं। वहीं मेथी दाने में कैल्शियम, आयरन, फाइबर, मैग्नीशियम, फास्फोरस, विटामिन-ए, सी और डी जैसे पोषक तत्व पाए जाते हैं, साथ ही, इसमें एंटी-ऑक्सीडेंट्स के गुण पाए जाते हैं। वहीं चिया सीड्स में ओमेगा-3 फैटी एसिड, मैग्नीशियम, फाइबर, आयरन, कैल्शियम, फास्फोरस और प्रोटीन जैसे पोषक तत्व पाए जाते हैं। इनको साथ भिगोकर खाने से स्वास्थ्य को कई लाभ मिलते हैं।कैसे करें अलसी के बीज, मेथी दाने और चिया सीड्स का सेवनइसके लिए 1 गिलास पानी में 1 चम्मच अलसी के बीज, 1 चम्मच चिया सीड्स और 1 चम्मच मेथी दानों को डालकर रातभर के लिए भिगोकर रख दें। अब सुबह के समय इसको उबालकर छान लें। अब इसमें नींबू और अदरक के रस को मिलाकर, हल्का गुनगुना रहने पर इसको खाली पेट इसका सेवन करें। इससे स्वास्थ्य को कई लाभ मिलते हैं, साथ ही खुद को फिट और हेल्दी रखने के लिए इनके साथ-साथ फिजिकल एक्टिविटीज भी करें।अलसी के बीज, मेथी दाने और चिया सीड्स के पानी का सेवन करने के फायदेहार्मोन्स को बैलेंस करेचिया सीड्स, अलसी के बीज और मेथी दानों में बहुत से पोषक तत्व पाए जाते हैं। ऐसे में इनको चबाने और इनके पानी का सेवन करने से हार्मोन्स को बैलेंस करने और स्वास्थ्य को कई लाभ मिलते हैं।पाचन के लिए फायदेमंदचिया सीड्स, अलसी के बीज और मेथी दानों का सेवन करने से मेटाबॉलिज्म को बूस्ट करने, सूजन को कम करने, गट हेल्थ को बेहतर करने, पाचन को दुरुस्त करने, कब्ज, गैस और अपच जैसी पाचन से जुड़ी समस्याओं से राहत देने में मदद मिलती है।वजन कम करेतीनों सीड्स में अच्छी मात्रा में फाइबर पाया जाता है। ऐसे में इनका सेवन करने और इनके पानी का सेवन करने से मेटाबॉलिज्म को बूस्ट करने और वजन कम करने में मदद मिलती है।इंसुलिन रेजिस्टेंस कम करेमेथी दाने, चिया सीड्स और अलसी के बीजों में फाइबर पाया जाता है। ऐसे में इनके पानी और इन सीड्स का सेवन करने से इंसुलिन रेजिस्टेंस को कम करने में मदद मिलती है और स्वास्थ्य बेहतर होता है।पीसीओडी से दे राहतमेथी दाने, चिया सीड्स और अलसी के बीजों तीनों को भिगोकर इनका सेवन करने से पीरियड्स से जुड़ी समस्याओं और पॉलीसिस्टिक ओवेरियन डिजीज (पीसीओडी) जैसी समस्याओं से राहत देने में मदद मिलती है।मेथी दाने, चिया सीड्स और अलसी के बीजों को भिगोकर उसके पानी और इनका सेवन करने से हार्मोन्स को बैलेंस करने, पीसीओडी से राहत देने, इंसुलिन रेजिस्टेंस, वजन कम करने, पाचन को दुरुस्त रखने और मेटाबॉलिज्म को बूस्ट करने में मदद मिलती है।ध्यान रहे, स्वास्थ्य से जुड़ी समस्याओं के बढ़ने पर तुरंत डॉक्टर से सलाह लें।
- आज लगभग हर दूसरे अभिभावक का दर्द एक ही है। स्कूल से लेकर घर तक स्क्रीन टाइम काफी बढ़ गया है। पहले जहां आंखों पर लगे मोटे चश्मे माता-पिता की फिक्र बढ़ाते थे, वहीं अब विभिन्न रिसर्च में दावा किया जा रहा है कि ये बढ़ते वजन और मोटापे का कारण है। आखिर स्क्रीन टाइम का असर वजन पर कैसे पड़ता है?वजन बढ़ने का मुख्य कारण गतिहीन जीवनशैली और अस्वास्थ्यकर खान-पानदिल्ली के सीके बिड़ला अस्पताल में मिनिमल एक्सेस, जीआई और बैरिएट्रिक सर्जरी के निदेशक डॉ. सुखविंदर सिंह सग्गू ने बातचीत में स्क्रीन टाइमिंग और बढ़ते वजन के बीच का संबंध बताया। उन्होंने कहा, “बच्चों में वजन बढ़ने का एक बड़ा कारण स्क्रीन पर जरूरत से ज्यादा समय बिताना है। और इसका मुख्य कारण गतिहीन जीवनशैली और अस्वास्थ्यकर खान-पान की आदतें हैं। स्मार्टफोन, टैबलेट, टेलीविजन और गेमिंग कंसोल पर लंबे समय तक बिताने से शारीरिक गतिविधि कम हो जाती है, जिससे ऊर्जा की खपत कम होती है।”शारीरिक ही नहीं, बच्चों की मनस्थिति पर भी पड़ने वाले हैं दुष्परिणामचिकित्सक इससे शारीरिक ही नहीं, बच्चे की मनस्थिति पर पड़ने वाले दुष्परिणाम की भी बात करते हैं। कहते हैं, “अध्ययनों से पता चला है कि जो बच्चे स्क्रीन पर बहुत समय बिताते हैं, वे अक्सर अनहेल्दी विकल्पों को बढ़ावा देने वाले विज्ञापनों से प्रभावित होकर उच्च कैलोरी वाले प्रोसेस्ड खाद्य पदार्थ खाते हैं।”शोध में पता चलता है कि स्क्रीन पर बहुत ज्यादा समय बिताने से नींद के पैटर्न में गड़बड़ी हो सकती है, जिससे मेटाबॉलिज्म प्रभावित हो सकता है और मोटापे का जोखिम बढ़ सकता है। बाहर खेलने और सामाजिक मेलजोल की कमी से समस्या और बढ़ जाती है, जिससे मांसपेशियों का विकास कम होता है और कुल मिलाकर फिटनेस खराब होती है।माता– पिता संतुलित पोषण को बढ़ावा देकर इन जोखिमों को कम कर सकते हैंडॉ. सग्गू इसके रिस्क को कम करने का परामर्श देते हैं। उन्होंने कहा, “माता-पिता और देखभाल करने वाले स्क्रीन-टाइम सीमा निर्धारित करके, बाहरी गतिविधियों को प्रोत्साहित करके और संतुलित पोषण को बढ़ावा देकर इन जोखिमों को कम कर सकते हैं। भोजन और सोने के समय टेक्निक-फ्री जोन बनाने से भी स्क्रीन के संपर्क को नियंत्रित करने में मदद मिल सकती है।”कह सकते हैं कि अगर बचपन से ही हेल्दी हैबिट्स डाली जाएं तो बड़े रिस्क से अपने नौनिहालों को बचा सकते हैं। बच्चे अच्छी जीवनशैली अपना सकते हैं, जिससे उनमें मोटापे और उससे जुड़ी स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं का खतरा कम हो सकता है।बढ़े वजन वाले बच्चों में कैंसर होने के चांसेस ज्यादा2018 में वर्ल्ड कैंसर रिसर्च फंड के एक शोध में दावा किया गया कि बढ़े वजन वाले बच्चों को कैंसर होने के चांसेस ज्यादा होते हैं। इसमें कहा गया कि बच्चों के बढ़ते वजन और मोटापे का एक अहम कारण स्क्रीन पर अधिक समय बिताना है। इसमें खासतौर पर कहा गया कि अधिक वजन और मोटापे से पीड़ित बच्चों के वयस्क होने पर भी ऐसा ही रहने की आशंका अधिक होती है, और ऐसे बच्चों को ही कैंसर का रिस्क ज्यादा होता है।
- आज कल ज्यादातर युवाओं में बॉडीबिल्डिंग का क्रेज देखा जा रहा है। हालांकि, बॉडीबिल्डिंग करना सेहत को बेहतर बनाए रखने के साथ ही आपको भी एक सुडौल और आकर्षक लुक देता है। बॉडिबिल्डिंग करने वाले लोगों की मसल्स अन्य लोगों की तुलना में अधिक होती है। अगर आप जिम जा रहे हैं तो जाहिर सी बात है कि ऐसे में हेल्दी डाइट लेना जरूरी होता है। जिम जाने वाले लोगों के लिए शकरकंद खाना कई तरीकों से फायदेमंद हो सकता है। यह आपकी बॉडीबिल्डिंग की जर्नी को और बेहतर बनाने का काम कर सकती है।शकरकंद कई पोषक तत्वों (Sweet Potato Nutrients) से भरपूर होता है, जिसे खाने से न केवल पेट, त्वचा आदि को फायदे मिलते हैं, बल्कि इसे खाने से आपको जिम में वर्कआउट करने के लिए पर्याप्त एनर्जी भी मिलती है। अगर आप बॉडीबिल्डिंग कर रहे हैं तो ऐसे में शकरकंद को डाइट का हिस्सा जरूर बनाएं।शकरकंद खाना कैसे फायदेमंद होता है?1. शरीर को एनर्जेटिक बनाए रखेअगर आप जिम जा रहे हैं तो ऐसे में वर्कआउट और एक्सरसाइज करने के लिए शरीर को पर्याप्त एनर्जी की जरूरत होती है। आपकी शरीर में जितनी एनर्जी होगी आप उतना ज्यादा लंबे समय तक एक्सरसाइज कर पाएंगे। शकरकंद में कार्बोहाइड्रेट्स की अच्छी मात्रा होती है, जिसे खाने से शरीर ऊर्जावान रहता है।2. मसल बिल्डिंग में करे मददबॉडीबिल्डिंग करने वाले लोग अक्सर मसल बनाने के लिए प्रोटीन और अन्य सप्लीमेंट्स को लेते हैं। मसल बिल्ड करने के लिए आप शकरकंद को डाइट में शामिल कर सकते हैं। इसमें पोटैशियम की अच्छी मात्रा होती है, जो नर्वस सिस्टम को कंट्रोल करने के साथ ही मांसपेशियों का निर्माण करने में अहम माना जाता है। शकरकंद मसल्स को रिपेयर करने में भी मदद करता है।3. वजन को नियंत्रित रखेबॉडीबिल्डिंग करने वालों को अक्सर अपने वजन बढ़ने का डर रहता है। इसके लिए शकरकंद खाना फायदेमंद हो सकता है। इसमें अच्छी मात्रा में फाइबर पाया जाता है, जो लंबे समय तक पेट भरे रहने का एहसास कराता है, जिससे आप ओवरईटिंग नहीं करते हैं और वजन नियंत्रित रहता है।4. ब्लड शुगर कंट्रोल करेशकरकंद खाना आपके ब्लड शुगर लेवल पर भी अच्छा प्रभाव डालता है। इसमें मिलने वाले मैग्नीशियम और पोटैशियम ब्लड शुगर को मैनेज करने का काम करते हैं। कई बार सप्लीमेंट्स लेने और प्रोटीन के चलते कैमिकल युक्त चीजें खाने से ब्लड शुगर बढ़ सकता है। इससे बचने के लिए आपको शकरकंद खानी चाहिए।बॉडीबिल्डिंग करने वाले शकरकंद कब खाएं?अगर आप बॉडीबिल्डिंग कर रहे हैं तो ऐसे में शकरकंद को वर्कआउट करने के बाद खाना ज्यादा फायदेमंद माना जाता है। दरअसल, जिम जाने से पहले इसे खाने से कई बार कार्ब्स और कैलोरी ज्यादा हो सकती है, जो आपके वर्कआउट करने के समय को प्रभावित कर सकता है। इसलिए वर्कआउट करने के 20 से 30 मिनट बाद आप शकरकंद खा सकते हैं। यह मसल्स को रिपेयर करने में भी मददगार साबित होता है।
- हर किसी का सपना होता है ग्लोइंग स्किन पाने का और आजकल तो कोरियन ग्लास स्किन भारत में भी बहुत ज्यादा फेमस हो गई है, क्योंकि यह एक चमकदार, निखरी और स्वस्थ त्वचा का प्रतीक मानी जाती है। कोरियन स्किन केयर रूटीन में चेहरे को पूरी तरह से हाइड्रेटेड और सॉफ्ट बनाए रखने पर जोर दिया जाता है, जिससे त्वचा में ग्लो और ट्रांसपेरेंसी आती है। कोरियन ग्लास स्किन का सपना आज हर किसी का होता है। एक ऐसी त्वचा जो निखरी हुई, चमकदार और स्वस्थ हो। ग्लास स्किन पाने के लिए कोरियन स्किनकेयर में बहुत सी खास तकनीकें हैं, जिनमें से एक है राइस वॉटर (चावल का पानी) का इस्तेमाल। यह एक प्राकृतिक और प्रभावी टोनर है, जो आपकी त्वचा को ग्लोइंग, स्मूद और यंग बनाता है। अगर आप भी कोरियन ग्लास स्किन पाना चाहती हैं, तो राइस वाटर टोनर आपके लिए सबसे बेहतरीन उपाय हो सकता है।चेहरे के दाग-धब्बे हटाएचावल का पानी त्वचा की रंगत को सुधारता है और पुराने दाग-धब्बों को हल्का करता है। इसमें मौजूद एंटीऑक्सीडेंट्स और विटामिन B, C त्वचा को पुनर्जीवित करते हैं, जिससे त्वचा को निखार मिलता है। यह त्वचा को साफ, मुलायम और चमकदार बनाने में मदद करता है।त्वचा को निखारेंराइस वॉटर में एंटी-इंफ्लेमेटरी गुण होते हैं, जो त्वचा को शांत करते हैं और सूजन को कम करते हैं। यह त्वचा की जलन को दूर करता है, जिससे त्वचा निखरती है। इसके नियमित उपयोग से त्वचा को प्राकृतिक चमक और ग्लो मिलता है, जो स्वस्थ और सुंदर दिखता है।नमीयुक्त त्वचाराइस वॉटर त्वचा की नमी को बनाए रखता है और ड्राईनेस को दूर करता है। इसके इस्तेमाल से त्वचा हाइड्रेट रहती है, जिससे वह मुलायम और लचीली बनती है। यह त्वचा को प्राकृतिक रूप से कोमल और चिकना बनाए रखता है, जिससे त्वचा स्वस्थ और तरोताजा दिखती है।एंटी-एजिंग प्रभावराइस वॉटर में मौजूद पोषक तत्व और एंटीऑक्सीडेंट त्वचा को उम्र के प्रभावों से बचाते हैं। यह झुर्रियों और उम्र से संबंधित अन्य समस्याओं को कम करता है। नियमित उपयोग से त्वचा टाइट और यंग लुक में दिखने लगती है, जिससे आपको एक ताजगी और जवानी का एहसास होता है।राइस वाटर टोनर बनाने का तरीका1. सबसे पहले आप चावल (2-3 चम्मच) लें और उसे अच्छे से धो लें, ताकि उसमें किसी भी तरह की गंदगी या केमिकल्स न हों।2. अब एक कप पानी में चावल डालकर उसे अच्छे से उबालें, और फिर उसे ठंडा होने के लिए छोड़ दें।3. जब पानी ठंडा हो जाए, तो इसे छानकर एक बोतल में भर लें।4. अब आपका राइस वाटर टोनर तैयार है। आप इसे एक साफ बॉटल में भरकर फ्रिज में भी स्टोर कर सकती हैं।उपयोग का तरीका- रोजाना साफ चेहरे पर इस राइस वाटर टोनर को लगाने के लिए एक कपास की गेंद या टोनर पैड का इस्तेमाल करें।- इसे हल्के हाथों से चेहरे पर लगाएं और फिर थोड़ी देर के लिए छोड़ दें ताकि यह त्वचा में समा जाए।- आप इसे दिन में 2-3 बार इस्तेमाल कर सकती हैं।
- खाने का स्वाद बढ़ाने और स्वस्थ रहने के लिए अधिकतर भारतीय घरों में हींग का उपयोग किया जाता है। यह न सिर्फ खाने का स्वाद बढ़ाने के लिए उपयोग होता है, बल्कि इसका इस्तेमाल सेहत के लिए भी बेहद फायदेमंद माना जाता है। हींग का उपयोग पाचन तंत्र को मजबूत बनाने के लिए सदियों से इस्तेमाल हो रहा है। हींग में ऐसे गुण होते हैं, जो पाचन से जुड़ी समस्याओं को दूर करने में फायदेमंद होते हैं। इसलिए, आप अगर आपको भी पाचन से जुड़ी समस्याएं हैं, तो आप हींग का इस्तेमाल अपनी डाइट में अलग-अलग तरह से कर सकते हैं।1. खाना बनाते समय हींग का उपयोगभारत के ज्यादातर घरों में हींग का उपयोग दाल, सब्जी और मसालेदार खाना पकाने के दौरान किया जाता है। खाना पकाने के दौरान उसमें हींग डालने से पाचन को बेहतर बनाने में मदद मिलती है। दरअसल हींग में एंटी-इंफ्लेमेटरी और एंटी-बैक्टीरियल गुण होते हैं, जो एसिडिटी की समस्या को दूर करने में मदद मिलती है। खासकर, दाल या सब्जी में हींग डालने से पेट में जलन और ब्लोटिंग जैसी समस्याओं से राहत मिलती है।2. हींग का पानीपाचन से जुड़ी समस्याओं को दूर करने के लिए आप अपनी डाइट में हींग का पानी भी शामिल कर सकते हैं। हींग का पानी पीने के लिए आप एक गिलास गुनगुने पानी में एक चुटकी हींग डालकर उसे अच्छे से मिला लें और फिर सुबह खाली पेट इस पानी का सेवन करें। यह पानी न सिर्फ आपके पाचन को मजबूत बनाती है, बल्कि गैस और एसिडिटी जैसी समस्याओं को भी दूर करता है। अगर आपको पेट में भारीपन या अपच की समस्या महसूस हो तो आप हींग का पानी पी सकते हैं।3. छाछ में मिलाकरछाछ गट हेल्थ के लिए काफी फायदेमंद माना जाता है, क्योंकि यह एक नेचुरल प्रोबायोटिक होता है, जो पाचन को बेहतर बनाने में मदद करता है। छाछ में हींग डालकर पीने से पाचन बेहतर रखने में मदद मिल सकती है। इसके लिए, आप एक गिलास छाछ में एक चुटकी हींग डालें और उसे अच्छे से मिलाकर पी लें। छाछ में हींग मिलाकर पीने से पाचन क्रिया को बेहतर बनाने में मदद मिलती है। छाछ में हींग मिलाकर पीने से पेट की ऐंठन, ब्लोटिंग और कब्ज की समस्याओं से राहत पाने में मदद मिलती है।4. सूप में मिलाकरपाचन को सुधारने के लिए आप सूप में हींग मिलाकर भी पी सकते हैं। जब आप सूप बना रहे हों, तो उसमें एक चुटकी हींग डाल दें। हींग का उपयोग करने से न सिर्फ सूप का स्वाद बढ़ाता है, बल्कि पाचन को भी बढ़ावा मिलता है। सूप में हींग डालने से पेट में मौजूद खराब बैक्टीरिया कम होते हैं और पाचन तंत्र अच्छी तरह से काम करता है। खासकर अगर सूप में गाजर, टमाटर, या अन्य हरी सब्जियां डाली जाएं, तो यह पाचन के लिए ज्यादा फायदेमंद बनता है।निष्कर्षहींग का उपयोग पाचन को बेहतर बनाने के लिए बेहद फायदेमंद होता है। इसे आप अपनी डाइट में अलग-अलग तरीकों से शामिल कर सकते हैं। लेकिन, इसकी मात्रा का खास ध्यान रखें, ताकि ये ज्यादा मात्रा में हींग का सेवन आपके सेहत को नुकसान न पहुंचाएं।
- कैल्शियम हमारे शरीर के लिए एक अत्यंत महत्वपूर्ण खनिज है, जो हड्डियों और दांतों को मजबूत रखने के साथ-साथ हमारे रक्तचाप, मांसपेशियों और तंत्रिका तंत्र के सही संचालन में भी मदद करता है।यदि शरीर में कैल्शियम की कमी हो, तो हड्डियां कमजोर हो सकती हैं और विभिन्न स्वास्थ्य समस्याओं का सामना करना पड़ सकता है। लेकिन क्या आप जानते हैं कि कुछ ऐसे फूड्स भी हैं जो शरीर से कैल्शियम को खत्म कर सकते हैं और हड्डियों को कमजोर बना सकते हैं? आइए जानते हैं, वो कौन से फूड्स हैं जिनसे आपको बचना चाहिए।1. कोल्ड ड्रिंककोल्ड ड्रिंक, खासकर सॉफ्ट ड्रिंक्स, हर पार्टी या समारोह का हिस्सा बन जाते हैं। हालांकि, इन्हें ज्यादा मात्रा में पीने से शरीर में कैल्शियम की कमी हो सकती है। इन ड्रिंक्स में फॉस्फोरिक एसिड पाया जाता है, जो शरीर से कैल्शियम के अवशोषण को रोकता है। इसके परिणामस्वरूप हड्डियों का कैल्शियम धीरे-धीरे कम होने लगता है। इसलिए अगर आप हड्डियों को स्वस्थ रखना चाहते हैं, तो कोल्ड ड्रिंक का सेवन कम से कम करें।2. रेड और प्रोसेस्ड मीटरेड मीट (जैसे मांसपेशी वाले मांस) और प्रोसेस्ड मीट (जैसे सॉसेज, बेकन, हॉट डॉग्स) का सेवन अत्यधिक करने से यूरिक एसिड की समस्या हो सकती है, जो हड्डियों पर प्रतिकूल प्रभाव डालती है। यह पदार्थ शरीर के भीतर कैल्शियम के अवशोषण को प्रभावित कर सकते हैं और हड्डियों को कमजोर कर सकते हैं। इसलिए, अगर हड्डियों की सेहत का ख्याल रखना है, तो इन फूड्स का सेवन सीमित करना चाहिए।3. केक, कैंडी और कुकीजकेक, कैंडी और कुकीज जैसे मीठे और प्रोसेस्ड खाद्य पदार्थों में अत्यधिक शक्कर और रिफाइंड कार्बोहाइड्रेट्स होते हैं, जो कैल्शियम के अवशोषण में रुकावट डालते हैं। इसके अतिरिक्त, ये फूड्स शरीर में सूजन का कारण बन सकते हैं, जिससे हड्डियां और भी कमजोर हो सकती हैं। इसलिए, इन अत्यधिक मीठे पदार्थों को नियमित रूप से खाने से बचें और स्वस्थ स्नैक्स का चयन करें।4. चायचाय में कैफीन पाया जाता है, जो शरीर में कैल्शियम के अवशोषण को कम करता है। अगर आप अधिक चाय पीते हैं, तो यह आपकी हड्डियों के लिए खतरनाक हो सकता है। विशेष रूप से अधिक कैफीन वाले चाय या कॉफी का सेवन हड्डियों से कैल्शियम को निकाल सकता है, जिससे हड्डियां कमजोर हो सकती हैं। इसलिए, चाय का सेवन सीमित करें और अधिक पानी या कैल्शियम से भरपूर अन्य पेय पदार्थों का सेवन करें।5. शराबशराब का अत्यधिक सेवन हड्डियों की सेहत पर गहरा असर डालता है। शराब शरीर में कैल्शियम के अवशोषण को कम करती है और हड्डियों को कमजोर कर सकती है। यह हड्डियों को चूने के समान बना सकती है और हड्डी के फ्रैक्चर (हड्डी टूटने) का खतरा बढ़ा सकती है। अगर आप हड्डियों को मजबूत रखना चाहते हैं तो शराब का सेवन बहुत सीमित करें।6. ऑयली फूड्सऑयली फूड्स जैसे समोसा, फ्राइड चिकन, पकोड़ी, आदि हड्डियों के लिए नुकसानदेह हो सकते हैं। ये अत्यधिक वसा और असंतुलित फैट्स से भरपूर होते हैं, जो शरीर में सूजन पैदा कर सकते हैं। इसके परिणामस्वरूप, कैल्शियम का अवशोषण प्रभावित हो सकता है, जिससे हड्डियां कमजोर हो जाती हैं। इन फूड्स को सीमित मात्रा में ही खाएं और स्वस्थ, हल्का भोजन करें।कैल्शियम हड्डियों के लिए महत्वपूर्ण है और इसके सही अवशोषण के लिए संतुलित आहार की आवश्यकता होती है। अगर आप अपने हड्डियों को मजबूत और स्वस्थ रखना चाहते हैं, तो इन फूड्स का सेवन सीमित करें या पूरी तरह से बचें:कोल्ड ड्रिंकरेड और प्रोसेस्ड मीटकेक, कैंडी, कुकीजज्यादा चाय और कॉफीअत्यधिक शराबऑयली और फ्राइड फूड्सइसके बजाय, कैल्शियम से भरपूर खाद्य पदार्थ जैसे दूध, दही, हरी पत्तेदार सब्जियां, ताजे फल, नट्स और बीज आदि का सेवन करें। नियमित रूप से व्यायाम और हड्डियों को मजबूत करने वाली आदतों को अपनाने से भी आप अपनी हड्डियों को स्वस्थ रख सकते हैं।
- कोरोना काल के बाद से गिलोय को लगभग हर घर में पहचान मिली है। ऐसे में अब गिलोय को नई रिसर्च सामने आई है। दरअसल, बायोमेडिकल और लाइफ साइंसेज रिसर्च के लिए वैश्विक स्तर पर मान्यता प्राप्त डेटाबेस पबमेड के डेटा से पता चलता है कि पिछले एक दशक में गिलोय ( टिनोस्पोरा कॉर्डिफोलिया ) के बारे में शोध प्रकाशनों की संख्या में 376.5% की चौंका देने वाली वृद्धि हुई है, जो पौधे की चिकित्सीय क्षमता में बढ़ती वैश्विक रुचि को उजागर करती है। ‘गुडुची या टिनोस्पोरा कॉर्डिफोलिया या अमृता ‘ पर अध्ययनों के लिए डेटाबेस की खोज करने पर, परिणाम 2014 में प्रकाशित 243 अध्ययनों को दर्शाते हैं। इसके विपरीत, 2024 में, संख्या बढ़कर 913 हो गई, यानी 376.5% की वृद्धि।कोविड के बाद गिलोय को लेकर चल रहे हैं रिसर्चगुडुची एक लोकप्रिय जड़ी बूटी है जिसे गिलोय के नाम से जाना जाता है और आयुष प्रणालियों में इसका उपयोग लंबे समय से चिकित्सा में किया जाता रहा है। वैज्ञानिक लंबे समय से गिलोय के औषधीय गुणों से आकर्षित हैं, कोविड-19 महामारी के बाद के वर्षों में अनुसंधान में बड़ी वृद्धि देखी गई क्योंकि विशेषज्ञों ने प्राकृतिक इम्यूनिटी बूस्टर और समग्र स्वास्थ्य सेवा समाधानों की खोज की। उभरते हुए अध्ययन इसके प्रतिरक्षा-संशोधक, एंटीवायरल और एडाप्टोजेनिक गुणों को पुष्ट करते हैं, जिससे यह वैश्विक शोधकर्ताओं और स्वास्थ्य सेवा चिकित्सकों के बीच गहरी रुचि का विषय बन गया है।आयुष में वैज्ञानिक अनुसंधान को बढ़ावा देने के लिए मंत्रालय के प्रयासों पर प्रकाश डालते हुए आयुष मंत्रालय के सचिव वैद्य राजेश कोटेचा ने कहा, “गिलोय जैसे औषधीय पौधों सहित आयुष योग, जड़ी-बूटियों आदि का वैज्ञानिक सत्यापन मंत्रालय की सर्वोच्च प्राथमिकता है। हम वैश्विक स्वास्थ्य को लाभ पहुंचाने के लिए अनुसंधान सहयोग को मजबूत करने, वैज्ञानिक अध्ययनों को वित्तपोषित करने और आयुर्वेद को मुख्यधारा की स्वास्थ्य सेवाओं के साथ साक्ष्य-आधारित एकीकरण को बढ़ावा देने के लिए प्रतिबद्ध हैं।”गिलोय इतना खास क्यों है?बढ़ती संख्या में हो रहे नैदानिक अध्ययनों और प्रयोगशाला अनुसंधान से पता चलता है कि गिलोय कैंसर चिकित्सा, स्वप्रतिरक्षी रोग प्रबंधन और यहां तक कि सूजन संबंधी विकारों में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकती है।अखिल भारतीय आयुर्वेद संस्थान, नई दिल्ली के एसोसिएट प्रोफेसर डॉ. गालिब बताते हैं, “गिलोय पर वैज्ञानिक शोध जोर पकड़ रहा है, और इसके औषधीय गुणों को दर्शाने वाले अध्ययनों में लगातार वृद्धि हो रही है। हालिया शोध में इसके जैवसक्रिय यौगिकों और रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने वाले तथा सूजन रोधी गुणों सहित इसके चिकित्सीय लाभों पर प्रकाश डाला गया है। इस बढ़ती रुचि ने गिलोय को विभिन्न चिकित्सा क्षेत्रों में भविष्य के नैदानिक अनुप्रयोगों के लिए एक आशाजनक उम्मीदवार के रूप में स्थापित किया है।”गिलोय और वैज्ञानिक शोध: कुछ नवीनतम निष्कर्षफरवरी 2025: हर्षा वाघासिया (यूनिवर्सिटी स्कूल ऑफ साइंसेज, गुजरात यूनिवर्सिटी) और उनकी टीम द्वारा पबमेड में प्रकाशित एक अध्ययन में एचपीवी-पॉजिटिव सर्वाइकल कैंसर के उपचार में गिलोय के अर्क की भूमिका की जांच की गई। निष्कर्षों में गिलोय के संभावित इम्यूनोमॉड्यूलेटरी लाभों पर प्रकाश डाला गया है, जो पारंपरिक उपचारों के साथ मिलकर सुरक्षित, अधिक प्रभावी कैंसर उपचारों का मार्ग प्रशस्त करता है।जनवरी 2025 : अंकिता दास शेठ के नेतृत्व में टाटा मेमोरियल सेंटर, मुंबई के शोधकर्ताओं ने इडियोपैथिक ग्रैनुलोमेटस मैस्टाइटिस (आईजीएम) जो एक कम घातक लेकिन चुनौतीपूर्ण स्तन विकार है जिसे अक्सर कैंसर समझ लिया जाता है, के प्रबंधन में गिलोय की प्रभावशीलता का पता लगाया। अध्ययन में बताया गया कि गिलोय-आधारित फाइटोफार्मास्युटिकल दवाएं एक सुरक्षित, स्टेरॉयड-मुक्त उपचार विकल्प प्रदान करती हैं, जो आक्रामक सर्जरी से बचने के लिए किफायती और कुशल विकल्प प्रदान करती हैं।आयुष मंत्रालय ने तकनीकी डोजियर के साथ विद्वानों को सक्रिय सहयोग दियागिलोय में बढ़ती वैज्ञानिक रुचि को देखते हुए आयुष मंत्रालय ने इस जड़ी-बूटी पर एक तकनीकी डोजियर जारी करके एक सक्रिय कदम उठाया है। यह अनूठा संसाधन पारंपरिक चिकित्सा में साक्ष्य-आधारित प्रथाओं को बढ़ावा देने के लिए वैज्ञानिक अनुसंधान, चिकित्सीय अनुप्रयोगों और महत्वपूर्ण अंतर्दृष्टि को जोड़ता है।पारंपरिक आयुर्वेद ज्ञान को आधुनिक अनुसंधान के साथ एकीकृत करके, इस पहल का उद्देश्य स्वास्थ्य पेशेवरों और आम जनता के बीच जागरूकता बढ़ाना है, तथा समग्र स्वास्थ्य और एकीकृत चिकित्सा में भारत के नेतृत्व को सुदृढ़ करना है।गिलोय के औषधीय गुणों को प्रमाणित करने के लिए वैज्ञानिक अध्ययनों के जारी रहने के साथ, विशेषज्ञों का मानना है कि यह आयुर्वेदिक चमत्कार मुख्यधारा का एकीकृत स्वास्थ्य सेवा समाधान बनने की राह पर है। जैसे-जैसे दुनिया प्राकृतिक, पौधों पर आधारित उपचारों की ओर देख रही है, भारत का सदियों पुराना हर्बल ज्ञान हमारे समय की कुछ सबसे गंभीर स्वास्थ्य चुनौतियों के लिए सुरक्षित, अधिक प्रभावी उपचारों की कुंजी हो सकता है।