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बेजान बालों होने के कारण अक्सर लोगों को हेयर फॉल का सामना करना पड़ता है। बदलते मौसम, केमिकल वाले हेयर प्रोडक्ट्स और हीटिंग एसेसरीज का अत्याधिक उपयोग बालों को डैमेज कर सकते हैं। पिछले कुछ सालों से बालों की वॉल्यूम बढ़ाने या हेल्दी बाल पाने के लिए लोग हेयर बोटॉक्स ट्रीटमेंट लेते हैं। हेयर बोटॉक्स ट्रीटमेंट बालों को मजबूत करने और ज्यादा सुंदर बनाने में मदद का का काम करते हैं। लेकिन ये हेयर बोटॉक्स हेयर ट्रीटमेंट थोड़ा महंगा होता है, इसलिए हर व्यक्ति इसे करवाने से पहले कई बार सोचता है। तो आइए जानते हैं घर पर बालों के लिए बोटॉक्स कैसे करें?
घर पर हेयर बोटॉक्स क्रीम कैसे बनाएं?सामग्री-अलसी के बीज- 2 बड़े चम्मचअरंडी का तेल- 1 बड़ा चम्मचआंवला पाउडर- 1 बड़ा चम्मचकरी पत्ता पाउडर- 1 बड़ा चम्मचपानी- 1 कपक्रीम बनाने की विधि--एक छोटे सॉस पैन में 1 कप पानी उबालें।-उबलते पानी में 2 बड़े चम्मच अलसी के बीज डालें।-लगभग 5-10 मिनट तक अलसी के बीजों को पानी में उबालने दें और बीच-बीच में चलाते रहे।-जेल को एक महीन छलनी या चीजक्लोथ का उपयोग करके छान लें और ठंडा होने दें।-अब एक कटोरे में 1 बड़ा चम्मच अरंडी का तेल, 1 बड़ा चम्मच आंवला पाउडर और 1 बड़ा चम्मच करी पत्ता पाउडर मिलाएं।-ठंडा किया हुआ अलसी का जेल कटोरे में डालें और सभी सामग्रियों को ब्लेंडर में पीसकर चिकना पेस्ट बना लें।घर पर हेयर बोटॉक्स कैसे करें?-अपने बालों को भागों में बांट लें और पहले इस हेयर मास्क को स्कैल्प पर लगाएं।-फिर इसे अपने बालों की पूरी लंबाई में समान रूप से फैलाएं।-30 मिनट से 1 घंटे तक इस जेल को बालों पर लगा रहने दें।-जेल को अपने बालों में लगाने के बाद शॉवर कैप से सिर ढक लें।-जेल ड्राई होने के बाद अपने बालों को गुनगुने पानी और शैम्पू से अच्छी तरह धोएँ।-नियमित रूप से इस हेयर पैर का इस्तेमाल आप हफ्ते में एक बार जरूर करें।बालों के लिए अलसी के बीज और अरंडी के तेल के हेयर मास्क के फायदा-अलसी के बीज के जेल में ओमेगा-3 फैटी एसिड और विटामिन ई होता है, जो आपके बालों को नमी दोने और टूटना कम करने में मदद कर सकता है।-कैस्टर ऑयल बालों को घना और लंबा करने की अपनी क्षमता के लिए जाना जाता है, यह स्कैल्प के स्वास्थ्य को भी बढ़ावा देता है।-आंवला पाउडर विटामिन सी से भरपूर होता है, जो बालों के पोर्स को मजबूत करता है और बालों के विकास को बढ़ावा देता है। इसके अलावा, समय से पहले बालों को सफेद होने से रोकता है।-करी पत्तों के पाउडर में एंटीऑक्सीडेंट और अमीनो एसिड होते हैं, जो बालों का झड़ना कम करते हैं और बालों की जड़ों को मजबूत करते हैं।-घर पर बालों को बोटॉक्स करने के लिए आप इस हेयर मास्क का इस्तेमाल कर सकते हैं। अगर पहली बार आप इस मास्क का इस्तेमाल कर रहे हैं, तो पैच टेस्ट जरूर कर लें। - स्वस्थ रहने के लिए और शरीर को बेहतर ढंग से काम करने में मदद करने के लिए आयरन एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। आयरन एक ऐसा मिनरल है, जो हमारे शरीर के लिए बहुत जरूरी होता है, क्योंकि यह हमारे शरीर में हीमोग्लोबिन बनाने के लिए आवश्यक होता है। हीमोग्लोबिन,, रेड ब्लड सेल्स में पाए जाने वाला एक प्रोटीन है, जो हमारे ब्लड वेसल्स में ऑक्सीजन ले जाने का काम करता है। शरीर के स्वास्थ रहने, टिशू और मांसपेशिटों को बेहतर ढ़ग से काम करने के लिए हीमोग्लोबिन बहुत जरूरी है। अगर शरीर में हीमोग्लोबिन यानी खून की कमी हो जाए तो ब्लड में ऑक्सीजन के फ्लो के साथ कई अन्य स्वास्थ्य समस्याएं हो सकती है। शरीर में आयरन होने पर ऐसे संकेत मिलते हैं, जिसे कई बार आप अनदेखा कर देते हैं।शरीर में आयरन की कमी होने पर क्या होता है?1. आयरन की कमी से होने वाले एनीमिया से पीड़ित व्यक्ति को कच्चे चावल, मिट्टी, चाक, पेंसिल और बर्फ जैसे पदार्थों की क्रेविंग बढ़ सकती है।2. आयरन की कमी रेस्टलेस लेग सिंड्रोम का एक बड़ा कारण है।3. एनीमिया में शरीर में खराब ब्लड सर्कुलेशन के कारण लगातार ठंडे हाथ-पैर हो सकते हैं।4. आयरन की कमी से नाखूनों के कमजोर, पतले और टूटने की संभावना बढ़ सकती है।5. आयरन की कमी से मुंह के दोनों कोनों में ड्राईनेस और दरारें हो सकती हैं।6. जूभ में सूजन और पीलापन अक्सर आयरन की कमी का लक्षण हो सकता है।7. आयरन की कमी के कारण इम्यूनिटी कमजोर हो सकती है, जिससे बार-बार इंफेक्शन होने का जोखिम बढ़ जाता है।आयरन के स्तर को जल्दी कैसे बढ़ाएं?-अपनी डेली डाइट में अलग-अलग प्रकार के आयरन युक्त खाद्य पदार्थ शामिल करें।-विटामिन सी युक्त खाद्य पदार्थों के साथ पौधे आधारित आयरन सोर्स को भी मिलाएं।-आयरन-फोर्टिफाइड अनाज के विकल्पों को चुनें।-आयरन के अवशोषण में आ रही बाधा को रोकने के लिए भोजन के दौरान चाय और कॉफी का सेवन कम करें।-शरीर में ज्यादा खून की कमी होने पर डॉक्टर की सलाह पर आयरन सप्लीमेंट लें।- नियमित ब्लड टेस्ट के साथ आयरन के स्तर पर नजर बनाए रखें।शरीर में आयरन की कमी के लक्षणों को पहचानकर आप इसे ठीक करने की कोशिश कर सकते हैं। इसलिए, अगर आपको ये लक्षण नजर आए तो डॉक्टर से परामर्श करें और ब्लड टेस्ट जरूर करवाएं।
- अगर आपके घर में बच्चे हैं, तो आपको इस मानसून, बच्चों के हैंड हाइजीन पर फोकस करना चाहिए। हाथों की सफाई के जरिए, कई बीमारियों के खतरे को रोका जा सकता है। इस लेख में हम जानेंगे मानसून में बच्चों के लिए हाथों की सफाई क्यों जरूरी है और हाथों को साफ करने का सही तरीका कैसे होना चाहिए।मानसून में बच्चों के लिए क्यों जरूरी है हाथों की सफाई?-मानसून में बच्चों के लिए हाथों को साफ रखना जरूरी है। हाथों को साफ रखकर आप, उन्हें बीमारी और इंफेक्शन से बचा सकते हैं--मानसून में नमी और गंदगी बढ़ने के कारण बैक्टीरिया और वायरस तेजी से फैलते हैं। गंदे हाथों से संक्रमण का खतरा फैलता है।-मानसून में दूषित पानी के कारण डायरिया, हैजा और टायफाइड जैसी बीमारियों का खतरा बढ़ जाता है। हाथों की सफाई के साथ, इन बीमारियों से बचने में मदद मिलती है।-नमी के कारण बच्चों को सर्दी-खांसी और फ्लू जैसी समस्याएं हो सकती हैं। हाथों की सफाई से इन वायरस के असर को रोका जा सकता है।-मानसून के दौरान कीचड़ और गंदगी में खेलते समय बच्चों के हाथों में पैरासाइट्स और लार्वा चिपक सकते हैं। इनसे पेट संबंधी समस्याएं हो सकती हैं।-गंदे और गीले हाथों से त्वचा पर रैशेज़, फंगल इंफेक्शन और अन्य त्वचा संबंधी समस्याएं हो सकती हैं।बच्चे को हाथ साफ करने का सही तरीका सिखाएं-बच्चे को हाथ धोने का सही तरीका सिखाने के लिए इन स्टेप्स को फॉलो करवाएं--सबसे पहले बच्चे को साफ पानी से हाथों को गीला करने के लिए कहें।-इसके बाद बच्चे को हाथों पर साबुन लगाना है।-बच्चे को साबुन से हाथों को अच्छी तरह से साफ करना है।-यह प्रक्रिया 20 सेकेंड्स तक होनी चाहिए।-सुनिश्चित करें कि वह उंगलियों के बीच और नाखूनों के नीचे भी रगड़कर त्वचा को साफ करे।-हाथों को साफ, बहते पानी के नीचे अच्छे से धोएं ताकि साबुन पूरी तरह से निकल जाए।-साफ तौलिए या एयर ड्रायर की मदद से हाथों को अच्छी तरह से सुखाएं।हैंड वॉश के फायदे-=मानसून में हाथों को साफ करके आप डायरिया, हैजा, टाइफाइड जैसी बीमारियों से बच्चे को बचा सकते हैं।=सर्दी-खांसी और फ्लू जैसी बीमारियों से बचने के लिए हाथों को साफ रखना जरूरी है।=हाथों को साफ रखकर आप पेट दर्द, उल्टी-दस्त जैसी बीमारियों के खतरे से बच सकते हैं।=हाथों की सफाई के जरिए स्किन इंफेक्शन, फंगल इंफेक्शन, रैशेज आदि से भी बचा सकता है।=हाथों को साफ रखकर आप माउथ इंफेक्शन, छाले आदि समस्याओं से भी बच्चे को बचा सकते हैं।उम्मीद करते हैं कि आपको यह जानकारी पसंद आई होगी। इस लेख को शेयर करना न भूलें।
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भारत की अधिकतर महिलाएं और बहुत सारे पुरुष भी गोलगप्पे खाने के शौकिन है। भारत के अलग-अलग राज्यों में भले ही इसे अलग नामों (गोलगप्पा, पानीपूरी, पुचका, बताशे) से जाना जाता है। लेकिन इसके स्वाद के लोग काफी दिवाने हैं। हर गोल गप्पे वाले के पास आपको मजे से पानी पूरी खाते हुए लोग मिल जाएंगे। लेकिन क्या आप जो गोल गप्पा खा रहे हैं, वो आपके सेहत के लिए सही है? दरअसल कर्नाटक के खाद्य सुरक्षा और मानक विभाग ने हाल ही में पानी पूरी के कुछ सैंपलों की जांच की, जिसकी रिपोर्ट में सामने आया है कि इन गोपगप्पों में कुछ ऐसे केमिकल है, जो कैंसर पैदा करने का कारण बन सकते हैं। आइए जानते हैं क्या है पूरा मामला
कर्नाटक सरकार के खाद्य सुरक्षा और मानक विभाग ने पूरे राज्य में कॉटन कैंडी और गोभी मंचूरियन में आर्टिफिशियल रंग मिलाने पर इनके इस्तेमाल पर पूरी तरह पाबंदी लगा दी थी, क्योंकि इन आर्टिफिशिल रंगों में मौजूद केमिकल हमारे स्वास्थ्य पर बुरा असर डालते हैं। वहीं अब कर्नाटक के खाद्य सुरक्षा और मानक प्राधिकरण (FSSA) के एक सर्व में कर्नाटक में चौंकाने वाला मामला सामने आया है, जिसमें इकट्ठे किए गए पानी पूरी के लगभग 22% नमूनों में कैंसर पैदा करने वाले केमिकल मिले हैं। FSSAI ने सड़क किनारे दुकान लगाने वालों से लेकर अच्छे होटलों से लगभग 250 गोपगप्पों के नमूनों को इकट्ठा किया, जिसमें से 41 नमूनों में हानिकारक आर्टिफिशियल रंग और ब्रिलियंट ब्लू FCF, सनसेट येलो और टार्ट्राजिन जैसे केमिकल पाए गए हैं। ये केमिकल न सिर्फ पेट से जुड़ी समस्याओं का कारण बन सकते हैं, बल्कि कैंसर, दिल से जुड़ी बीमारी, स्किन एलर्जी और ऑटोइम्यून डिसऑर्डर जैसी गंभीर स्वास्थ्य समस्याओं का कारण भी बन सकते हैं।
कर्नाटक के स्वास्थ्य मंत्री दिनेश गुंडू राव ने FSSAI द्वारा गोलगप्पों के सैंपल की रिपोर्ट के सामने आने के बाद पानी पूरी की घटना पर भी कार्रवाई करने की बात कही है। स्वास्थ्य मंत्री दिनेश गुंडू राव ने ट्विटर पर एक पोस्ट शेयर करके बताया कि "राज्य में बेची जा रही पानीपुरी के नमूने इकट्ठा कर जांच के लिए भेज दिए गए हैं क्योंकि कॉटन कैंडी, गोभी और कबाब को बनाने के लिए आर्टिफिशिल रंगों के उपयोग पर प्रतिबंध लगा दिया गया है।पानीपुरी के कई नमूने भी खाद्य सुरक्षा परीक्षण में विफल रहे हैं और उनमें कैंसर पैदा करने वाले तत्व पाए गए हैं। इस पर और विश्लेषण किया जा रहा है और जांच रिपोर्ट आने के बाद स्वास्थ्य विभाग उचित कार्रवाई करेंगे। साथ ही आम जनता को अपने स्वास्थ्य का विशेष ध्यान रखना चाहिए और ऐसे खाद्य पदार्थों के सेवन से बचना चाहिए जो हमारे स्वास्थ्य पर प्रभाव डालते हैं।" ज्यादा पानी पूरी खाने से क्या होता है या गोलगप्पे खाने से कौन सी बीमारी हो सकती है इस बात को नजरअंदाज किए बिना आप सही और हेल्दी फूड्स खाने की कोशिश करें और केमिकल वाले खाद्य पदार्थों के सेवन से बचें। - भारत के अधिकतर घरों में सुबह की शुरुआत एक कप चाय के साथ होती है। कई लोग तो ऐसे भी हैं, जो सुबह की चाय किसी भी कारण न पी सके, तो उनके सिर में दर्द होने लगता है, या पूरा दिन उनका बेकार जाता है। वहीं कुछ लोगों का ये भी कहना है कि दूध वाली चाय से ज्यादा काली चाय सेहत के लिए फायदेमंद होता है। ऐसे में कई लोग बिना दूध वाली चाय यानी काली चाय पीना पसंद करते हैं। काली चाय टैनिन, फाइटोकेमिकल्स, एंटीऑक्सिडेंट जैसे कई पोषक तत्वों से भरपूर होती है। लेकिन काली चाय का सेवन ज्यादातर खाली पेट ही करना चाहिए, तभी इसका ज्यादा फायदा मिलता है।खाली पेट काली चाय पीना के फायदेमजबूत इम्यूनिटीब्लैक टी एंटीऑक्सीडेंट से भरपूर होती है, जिसे पीने से मौसम में बदलाव होने के कारण होने वाले इंफेक्शन, फ्लू और एलर्जी जैसे वायरल संक्रमण से बचाने में मदद मिलती है।बेहतर हार्ट हेल्थदरअसल, ब्लैक टी की पत्तियों में भरपूर मात्रा में एंटीऑक्सीडेंट होती है, जो आपके हार्ट हेल्थ, हाई कोलेस्ट्रोल और ब्लड प्रेशर को कंट्रोल करती है।बेहतर डाइजेशनबहुत सारे लोगो को मिल्क टी लेने के बाद ब्लोटिंग और अपच की समस्या होती है। ऐसे लोगों के लिए ब्लैक टी एक बेहतर विकल्प है, क्योंकि काली चाय की पत्तियों में कैटेचिन (Catechins) होते हैं, जो अपने सूजनरोधी गुणों के लिए जाने जाते हैं और आपके पाचन में सुधार करते हैं।ब्लड शुगर करें कंट्रोलडायबिटीज के मरीजों के लिए ब्लैक टी फायदेमंद होता है। अगर आपको ब्लड शुगर है तो आप सुबह के समय खाली पेट ब्लैक टी पीना सेहते के लिए अच्छा होता है। यह चाय आपके ब्लड शुगरको कंट्रोल करने में मदद कर सकता है।ग्लोइंग स्किन और हेल्दी हेयरब्लैक टी एंटीऑक्सीडेंट और फाइटोन्यूट्रिएंट्स से भरपूर होती है, जो आपके सिस्टम को क्लीन करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। शरीर स्वस्थ रहने पर इसका असर आपका स्किन और बालों पर भी नजर आता है। इसलिए ब्लैक टी का सेवन करने से स्किन और बाल भी हेल्दी रहते हैं।फोकस बढ़ता हैकाली चाय में पतला करने वाले अमीनो एसिड होते हैं, जो स्थिर और स्तरीय ऊर्जा पैदा करते हैं, जो आपका फोकस बढ़ाने में अहम भूमिका निभाते हैं।काली चाय से मिलने वाले फायदों को पाने के लिए आप इसे अपनी डाइट में शामिल कर सकते हैं। लेकिन ध्यान रहे एक सीमित मात्रा में ही इसका सेवन करना है और अगर आप किसी बीमारी के शिकार है तो काली चाय का सेवन करने से पहले अपने डॉक्टर से सलाह जरूर ले लें।
- मानसून आने से भले ही भीषण गर्मी से राहत मिल जाती है लेकिन इस मौसम में कई तरह की स्वास्थ्य समस्याएं बढ़ जाती हैं। खासतौर पर 40 की उम्र से ज्यादा के लोगों को इस मौसम में जोड़ों में दर्द, थकान और कमजोरी का एहसास ज्यादा होता है। दरअसल, आजकल लोगों की लाइफस्टाइल काफी बदल चुकी है और इसके साथ ही खराब खानपान, तनाव और नींद की कमी के कारण शरीर में दर्द की शिकायत हो सकती है।बरसात के दिनों में अक्सर लोगों को जोड़ों में दर्द और अकड़न की शिकायत होती है, जिसकी वजह से व्यक्ति को कमजोरी का एहसास भी होता है। मानसून के दौरान हवा में नमी और तापमान में अचानक परिवर्तन होता है, तो व्यक्ति के शरीर में वायु इंबैलेंस हो जाती है, जिससे दर्द की शिकायत बढ़ जाती है। वात दोष के असंतुलन से जोड़ों और मांसपेशियों में सूजन और दर्द हो सकता है। जिन लोगों को बरसात के मौसम में जोड़ों और शरीर में दर्द की शिकायत रहती है उन्हें अपने शरीर में वायु का शमन करना चाहिए।शरीर में दर्द के लिए आयुर्वेदिक उपाय1. शरीर में वायु का शमन करने के लिए लोगों को सोंठ की चाय पीनी चाहिए। इसके लिए 1 कप पानी में एक चौथाई छोटी चम्मच सोंठ पाउडर डालकर उबालें और फिर इसे पिएं। इस चाय का सेवन सुबह और शाम दोनों वक्त 1-1 कप कर सकते हैं।2. दर्द वाली जगह पर कैस्टर ऑयल यानी अरंडी के तेल से मालिश करें, इससे वेदना शमन यानी दर्द कम हो सकता है और इंफ्लेमेशन की शिकायत कम हो सकती है।3. दर्द वाली जगह पर अजवाइन के तेल से भी मालिश कर सकते हैं, अजवाइन के तेल की मालिश से जोड़ों के दर्द में आराम मिलता है। ज्यादा फायदे के लिए रात के समय जोड़ों की मालिश करें और फिर सो जाएं, इससे रातभर में आपको ज्यादा आराम मिल सकता है।4. मानसून में दर्द से राहत पाने के लिए तुलसी, अदरक, दालचीनी और काली मिर्च का काढ़ा बनाकर पिएं। यह शरीर को गर्माहट देता है और दर्द से राहत दिलाता है। इसके साथ ही इस काढ़े को पीने से शरीर की इम्यूनिटी भी बेहतर होती है।5. गुनगुने पानी से स्नान करें, इससे मांसपेशियों की अकड़न कम होती है और शरीर को आराम मिलता है।मानसून के मौसम में शरीर दर्द एक सामान्य समस्या है, लेकिन आयुर्वेदिक उपचारों का सहारा लेकर इसे आसानी से कम किया जा सकता है। आयुर्वेदिक उपचार न केवल शरीर को आराम देते हैं, बल्कि अन्य शारीरिक लाभ भी पहुंचाते हैं। नियमित रूप से इन घरेलू उपायों को अपनाकर आप मानसून के मौसम में हेल्दी रह सकते हैं।
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किचन में काम करते या खाना बनाते समय हाथ जलने की समस्या बेहद आम है। दरअसल, कई बार ध्यान न देने के चलते महिलाओं या किचन में काम करने वालों की स्किन जल जाती है। इन पर यदि ध्यान न दिया जाए तो यह घाव व जख्म बन जाते हैं। वहीं, इलाज न करने की स्थिति में इन जख्मों पर घाव पर के निशान बन सकते हैं। बर्तन या तेल आदि से हाथ जलने पर आपको जलन और फफोले की समस्या महसूस होती है। इसलिए किचन में काम करने वालों को सावधानी बरतने की सलाह दी जाती है। लेकिन, कई बार जाने-अनजाने लोगों की स्किन जल जाती है। इस समस्या में आप घरेलू उपायों को अपनाकर त्वचा में होने वाली जलन और घाव को दूर कर सकते हैं। आगे जानते हैं कि जलने के घाव को ठीक करने के आसान घरेलू उपायों के बारे में।
गर्म बर्तन से जलने पर पड़ने वाले निशान को दूर करने के उपायत्वचा को ठंडे पानी से धोएंकिचन में काम करते समय स्किन जल जाने पर आप तुरंत स्किन को ठंडे पानी से धो लें। इससे त्वचा की जलन शांत होती है। जलने के घाव (Skin Burn) में होने वाले दर्द को दूर करने के लिए आप करीब 10 से 20 मिनट तक हाथों को पानी में डूबाकर रखें। इसके अलावा, बर्फ को एक कपड़ें से कवर करके आप स्किन के प्रभावित हिस्से पर लगाएं। इससे आपको राहत मिलेगी।एलोवेराबर्तन व तेल से जली स्किन पर आप एलोवेरा जेल का इस्तेमाल कर सकते हैं। एलोवेरा जेल में स्किन की जलन को शांत करने के गुण होते हैं। साथ ही, यह बैक्टीरिया को पनपने से रोकता है। इसके लिए आप एलोवेरा की पत्तियों से फ्रेश जेल को निकालकर उसे जलने के हिस्से पर लगा सकते हैं। इस उपाय को आप दिन में दो से तीन बार तक दोहरा सकते हैं।शहद का उपयोग करेंस्किन से जुड़ी समस्याओं को ठीक करने के लिए सदियों से शहद का इस्तेमाल किया जा रहा है। इससे जलने और कटे के घाव व निशान को साफ करने के लिए इस्तेमाल किया जा सकता है। यदि, हाल ही में आपकी स्किन बर्न हुई है, तो ऐसे में बर्फ की ठंडी सिकाई के बाद भी आप घाव पर शहद का इस्तेमाल कर सकते हैं। शहद में एंटी-बैक्टीरियल, एंटी फंगल गुण होते हैं, जो स्किन के जलने के घाव को ठीक करने में मदद करते हैं।नारियल का तेलखाना बनाते समय त्वचा जलने पर आप जख्म में नारियल तेल का इस्तेमाल कर सकते हैं। नारियल का तेल स्किन पर होने वाली जलन और दर्द को दूर करने में सहायक होता है। इससे स्किन का जख्म तेजी से ठीक होता है और स्किन को राहत मिलती है।हल्दी का पेस्टहल्दी में एंटी बैक्टीरियल गुण होत हैं। साथ ही, यह घाव को तेजी से भरने के लिए भी इस्तेमाल की जाती है। हल्दी का इस्तेमाल त्वचा की समस्याओं के लिए सालों से किया जा रहा है। इसके नियमित इस्तेमाल से त्वचा के जलने का घाव तेजी से ठीक होता है और हल्दी से स्किन पर दाग बनने की संभावना को कम कर सकती है।किचन में काम करते समय महिलाओं और पुरुषों को सावधानी बरतने की सलाह दी जाती है। साथ ही, इस समस्या में आप पुदिने के पेस्ट का भी इस्तेमाल कर सकते हैं। स्किन में जलने के घाव को ठीक करने के लिए आप ऊपर बताए उपायों का अपना सकते हैं। लेकिन, यह उपाय स्किन के मालूमी जलने के मामलों पर ही अनपाए जा सकते हैं। यदि जलने का घाव ज्यादा है तो ऐसे में आप तुरंत डॉक्टर से संपर्क करें। - मौसम में बदलाव के कारण लोगों का बीमार होना बारिश के दौरान काफी आम हो जाता है। बच्चों से लेकर बुजुर्ग और बड़े सभी सर्दी, जुकाम और खांसी जैसे वायरल इंफेक्शन के कारण परेशान रहते हैं। दरअसल, बारिश के मौसम में बैक्टीरिया एक्टिव हो जाते हैं, जो वायरल इंफेक्शन और बीमारियों का कारण बनते हैं। ऐसे में जरूरी है कि बारिश के मौसम में आप कुछ खास सावधानिया बरतें और अपनी डाइट में कुछ ऐसी चीजें शामिल करें, जो आपकी इम्यूनिटी को मजबूत बनाकर वायरल इंफेक्शन से बचाव कर सकें। ऐसे में आइए बारिश में सूखी अदरक का पानी पीने के फायदे और इस पानी को बनाने का तरीका जानते हैं।बारिश के मौसम में सूखी अदरक के क्या फायदे हैं?-सोंठ यानी सूखी अदरक पाचन तंत्र को बढ़ावा देता है, जिससे खाने को सही तरह से पचाने में मदद मिलती है।-सूखी अदरक चयापचय और वसा जलने को बढ़ावा देता है, जिससे वजन कम करने या कंट्रोल करने में मदद मिल सकती है।-सूखी अदरक के गर्म गुण बारिश के मौसम में होने वाली सर्दी और खांसी को दूर रखने में मदद करते हैं।-अदरक में सूजनरोधी और एंटीऑक्सीडेंट गुण होते हैं, जो इम्यूनिटी सिस्टम को मजबूत करते हैं।-ड्राई अदरक पेट फूलना और पेट की परेशानी को कम करने में फायदेमंद होता है।सोंठ का पानी बनाने का तरीकाआयुर्वेद में सूखी अदरक को शुंठी के नाम से भी जाना जाता है। यह ताजे अदरक की तुलना में पचने में आसान होता है। ताजे अदरक के विपरीत यह आंतों को बांधने का काम करता है। आयुर्वेद में सूखी अदरक कफ को कम करने और अग्नि को बढ़ाने के लिए एक बेहतर सामग्री है। इसलिए सूखी अदरक का इस्तेमाल मसाले या दवा के रूप में सभी मौसमों में किया जा सकता है। सोंठ का पानी तैयार करने के लिए 1 लीटर पानी लें। उसमें आधा चम्मच सूखी अदरक डालें और इसे तब तक उबालें जब तक यह 750 मिली लीटर न हो जाए। फिर बारिश के मौसम में सर्दी जुकामसे राहत पाने के लिए पूरे दिन इस पानी का सेवन करें। सूखी अदरक की तासीर गर्म होती है, इसलिए जिन लोगों को पित्त से जुड़ी समस्याएं ज्यादा होती है, वे लोग इस पानी को उबालते समय इसमें 1 दरदरी पिसी हुई इलायची मिला सकते हैं। वहीं, जिन लोगों को सूखी अदरक पसंद नहीं होती है, वे इसके स्थान पर 5 तुलसी के पत्तों का इस्तेमाल कर सकते हैं।सर्दी, जुकाम और खांसी से राहत पाने के लिए आप इस पानी का सेवन कर सकते हैं, लेकिन अपनी डाइट में कोई भी नई सामग्री शामिल करने से पहले डॉक्टर से सलाह जरूर लें।
- दाल को प्रोटीन का एक मुख्य सोर्स माना जाता है। यह शारीरिक कमजोरी और रोग से रिकवर होने के समय को तेजी से कम करने में मदद करती है। यही कारण है कि बच्चे हो या बुजुर्ग सभी को दाल का पानी पीने के लिए कहा जाता है। लेकिन, डाइटिशियन श्वेता शाह पंचाल के अनुसार अन्य दालों की तुलना में मूंग की दाल का पानी ज्यादा फायदेमंद होता है। यह आसानी से डाइजेस्ट हो जाता है, साथ ही इससे गैस और पाचन संबंधी अन्य समस्या का जोखिम काफी हद तक कम होता है। दालों में फाइबर, विटामिन, मिनरल्स जैसे पौटेशियम, फॉस्फोरस, फोलेट, मैग्नीशियम, कॉपर, आयरन, थायमिन आदि पोषक तत्व पाए जाते हैं। मूंग की दाल को आप खिचड़ी, स्प्राउट्स व सलाद आदि के साथ खा सकते हैं। इस दाल के फायदों के चलते आप इसका हलवा भी बना सकते हैं। बारिशों के मौसम में अक्सर लोगों को पाचन संबंधी समस्याओं का सामना करना पड़ता है। बारिशों के मौसम में बैक्टीरियल व अन्य इंफेक्शन होने की संभावना अधिक होती है। साथ ही, पाचन क्रिया धीमी हो सकती है। आगे जानते हैं मूंग दाल के पानी के फायदे और इसे बनाने का तरीका।मूंग दाल के पानी के फायदेपाचन में सुधारमूंग दाल का पानी फाइबर से भरपूर होता है, जो पाचन तंत्र और बाउल मूवमेंट को बेहतर करता है। इससे आपकी पाचन क्रिया बेहतर होती है और आपको मौसम बदलते समय भी पेट में गैस, अपच और कब्ज आदि की समस्या का सामना नहीं करना पड़ता है।हाइड्रेशनमानसून के दौरान शरीर को हाइड्रेट रखना बहुत जरूरी है। मूंग दाल का पानी न केवल पानी की कमी को पूरा करता है, बल्कि इसमें आवश्यक इलेक्ट्रोलाइट्स भी होते हैं, जो शरीर को हाइड्रेटेड रखते हैं।ऊर्जा प्रदान करनामूंग दाल का पानी प्रोटीन और कार्बोहाइड्रेट्स का अच्छा स्रोत होता है, जो शरीर को तुरंत ऊर्जा प्रदान करता है। यह विशेष रूप से उन लोगों के लिए फायदेमंद है जो अक्सर थकान महसूस करते हैं।पाचन क्रिया को बेहतर कराने के लिए मूंग दाल का पानी कैसे तैयार करें-मूंग दाल को उबालते समय आप उसमें थोड़ा पानी ज्यादा मिला दीजिए।-इसके बाद करीब एक 150 से 200 ग्राम पानी को निकाल लें।-इस पानी में करीब एक चम्मच देशी घी, एक चुटकी काली मिर्च और करीब एक चुटकी हल्दी मिलाएं।-इस पानी को आप किसी भी समय पी सकते हैं।-यह आपके पाचन को बेहतर करता है और मानसून में होने वाली गैस, अपच, कब्ज और एसिडिटी को दूर करने में मदद करता है।आयुर्वेद के अनुसार मौसम बदलते समय आप मूंग दाल की खिचड़ी का भी सेवन कर सकते हैं। मूंग दाल में मौजूद विटामिन्स और मिनरल्स प्रतिरक्षा प्रणाली को मजबूत करते हैं, जिससे शरीर इंफेक्शन से लड़ने के लिए तैयार होता है। मूंग दाल का पानी कम कैलोरी वाला होता है और पेट को लंबे समय तक भरा हुआ महसूस कराता है। यह वजन नियंत्रित करने वालों के लिए भी एक बेहतर विकल्प हो सकता है।
- स्वस्थ रहने के लिए डाइट में रंग बिरेंगी सब्जियां और अलग-अलग प्रकार के फल शामिल करना बहुत जरूरी है। लेकिन आज के समय में सब्जियों और फलों को लंबे समय तक स्टोर करने के लिए उसकेे ऊपर कई तरह के केमिकल लगाए जाते हैं, जो सेहत के लिए काफी हानिकारक होते हैं। कई लोग सब्जियों और फलों को साफ करने के लिए नॉर्मल पानी लेकर धो देते हैं, लेकिन इससे उन पर लगा केमिकल साफ नहीं होता है। ऐसे में घर पर फलों और सब्जियों से कीटनाशक कैसे निकालें? यह सवाल हर व्यक्ति को परेशान करता है।फल और सब्जियां साफ करने के उपायएप्पल साइडर विनेगर से फल और सब्जी कैसे धोएं?सब्जियां और फल साफ करने के लिए आप एप्पल साइडर विनेगर का उपयोग कर सकते हैं। एप्पल साइडर विनेगर सब्जी और फलों से कीटनाशक से छुटकारा दिलाने, इन पर लगी गंदगी हटाने और फलों और सब्जियों पर मौजूद बैक्टीरिया को कम करने में मदद करता है। एप्पल साइडर विनेगर में रोगाणुरोधी गुण होते हैं, जो एक प्राकृतिक, नॉन टॉक्सिक सफाई विकल्प है, जो आपकी सब्जियों या फल पर किसी तरह का हानिकारक तत्व नहीं छोड़ता है। एप्पल साइडर विनेगर से सब्जियां धोने के लिए-- सबसे पहले किसी बड़े बर्तन में पानी भर लें।-अब इसमें 2 बड़े चम्मच सेब का सिरका डालें।-सब्जियों और फलों को 15 से 20 मिनट के लिए इस मिश्रण में रखकर छोड़ दें।-हाथों में दस्ताने पहनकर हल्के से सभी सामग्रियों को रगड़ें।-सब्जियों और फलों को साफ पानी से धोएं और अच्छी तरह सुखाएं, फिर फ्रिज में स्टोर करें।फलों और सब्जियों को नमक से कैसे साफ करें?फल और सब्जियों को साफ करने के लिए आप समुद्री नमक का उपयोग (Sea Salt For Cleaning Vegetables And Fruits) कर सकते हैं। दरअसल, समुद्री नमक अपने सफाई गुणों के लिए जाना जाता है, जो सब्जियों और फलों से गंदगी और मैल हटाने में मदद करता है। समुद्री नमक से सब्जियों या फलों को साफ करने के लिए आप एक बड़े बर्तन में नमक को मिलाएं और फिर सभी समाग्रियों को नमक वाले पानी में 15 मिनट के लिए भिगोकर रख दें। दस्ताने पहनकर सब्जियों और फलों को हल्के से रगड़कर साफ करें और फिर सुखाकर फ्रिज में स्टोर करके रख दें।सब्जियां और फल धोनों के लिए और उस पर मौजूद केमिकल को हटाने के लिए आप इन दोनों तरीकों का उपयोग कर सकते हैं।
- उम्र बढ़ने के साथ-साथ त्वचा पर कई तरह के बदलाव नजर आने लगते हैं। इनमें त्वचा पर झुर्रियां और फाइन लाइंस पड़ना सबसे आम हैं। क्योंकि जैसे-जैसे उम्र बढ़ती है, त्वचा में कोलेजन और इलास्टिन नामक प्रोटीन की मात्रा लगातार कम होने लगती है। ऐसे में त्वचा की नमी, चमक और खूबसूरती कम होने लगती है। साथ ही त्वचा पर झुर्रियां और महीन रेखाएं भी पड़ने लगती हैं। खासकर, इसका असर सबसे ज्यादा चेहरे पर देखने को मिलता है। ऐसे में महिलाएं हो या पुरुष, अपनी झुर्रियों को छुपाने के लिए मेकअप का सहारा लेते हैं या फिर स्किन केयर ट्रीटमेंट लेते हैं। लेकिन यह एक महंगा प्रोसेस हो सकता है। ऐसे में आप चाहें तो कुछ आसान से उपायों की मदद से भी अपनी झुर्रियों को मिटा सकते हैं। तो चलिए, विस्तार से जानते हैं झुर्रियां पड़ने पर क्या करना चाहिए? या झुर्रियां पड़ जाए तो क्या करें1. चेहरे पर एलोवेरा लगाएंअगर आपके चेहरे पर झुर्रियां पड़ गई हैं, तो आप एलोवेरा का इस्तेमाल कर सकते हैं। एलोवेरा त्वचा से जुड़ी सभी समस्याओं को मिटाने में असरदार साबित हो सकता है। दरअसल, एलोवेरा पोषक तत्वों से भरपूर होता है। इसमें विटामिन ई होता है, जो एंटीऑक्सीडेंट के रूप में काम करता है। इसके अलावा, एलोवेरा त्वचा को हाइड्रेट करता है और कोलेजन के उत्पादन को भी बढ़ावा देता है। इसके लिए आप एलोवेरा जेल लें, इसे अपने पूरे चेहरे पर अप्लाई करें। 20-25 मिनट बाद चेहरे को पानी से साफ कर लें। झुर्रियों को मिटाने के लिए आप दिन में 2-3 बार एलोवेरा का यूज कर सकते हैं।2. ऑयल मसाज करेंजिस तरह तेज से बालों की मालिश करना जरूरी होता है। उसी तरह चेहरे की भी ऑयल मसाज की जानी चाहिए। ऑयल मसाज करने से चेहरे में ब्लड सर्कुलेशन तेज होता है। साथ ही कोलेजन के उत्पादन को भी बढ़ावा मिलता है। ऑयल मसाज करने से आपके चेहरे से झुर्रियां और फाइन लाइंस रिमूव हो सकती हैं। इसके लिए आप बादाम तेल, नारियल तेल या ऑर्गन ऑयल का इस्तेमाल कर सकते हैं। आप चाहें तो एसेंशियल ऑयल से भी अपने चेहरे की मालिश कर सकते हैं। लेकिन इनमें नारियल का तेज जरूर मिलाएं, अन्यथा आपको खुजली और जलन की समस्या हो सकती है।3. केले का मास्क लगाएंकेला चेहरे का हाइड्रेट बनाने का काम करता है। केले में नैचुरल ऑयल और विटामिन्स होते हैं, जो स्किन हेल्थ के लिए बेहद जरूरी माने जाते हैं। अगर आपके चेहरे पर झुर्रियां पड़ गई हैं, तो आप केला फेस मास्क अप्लाई कर सकते हैं। इसके लिए आप एक केला लें और इसे अच्छी तरह से मैश कर लें। अब इसे अपने चेहरे पर लगाएं और आधे घंटे बाद चेहरे को धो लें। केले में मौजूद गुण त्वचा से जुड़ी कई समस्याओं को दूर करने में मदद कर सकते हैं। केला फेस मास्क झुर्रियों को मिटाकर चेहरे को मुलायम और चमकदार भी बनाता है।4. विटामिन्स और मिनरल्स से भरपूर डाइटचेहरे की झुर्रियों और फाइन लाइंस को मिटाने के लिए विटामिन्स और मिनरल्स से भरपूर डाइट लेना भी बहुत जरूरी होता है। चेहरे की झुर्रियों को मिटाने के लिए कोलेजन के उत्पादन को बढ़ावा देना बहुत जरूरी होता है। आप त्वचा पर कोलेजन को बढ़ाने के लिए विटामिन सी और विटामिन ई से भरपूर खाद्य पदार्थों का सेवन करें। इसके अलावा, आप विटामिन सी और ई युक्त क्रीम या सीरम भी अप्लाई कर सकते हैं। इससे आपकी त्वचा का सूरज की हानिकारक किरणों से बचाव होगा। साथ ही झुर्रियों से भी छुटकारा मिलेगा।5. पर्याप्त मात्रा में पानी पिएंसिर्फ चेहरे पर तरह-तरह के फेस मास्क लगाने से ही आपकी झुर्रियां खत्म नहीं होती हैं। इसके लिए आपको अच्छा खाना-पीना भी बहुत जरूरी होता है। अगर आप चेहरे की झुर्रियों को खत्म करना चाहते हैं, तो इसके लिए पर्याप्त मात्रा में पानी जरूर पिएं। इससे आप हाइड्रेट बने रहेंगे और आपकी त्वचा पर निखार आएगा। साथ ही पानी पीने से काफी हद तक झुर्रियों और फाइन लाइंस से भी बचाव किया जा सकता है। पानी पीना सिर्फ सेहत ही नहीं, बल्कि त्वचा के लिए भी बहुत जरूरी होता है।
- अगर आपकी इम्यूनिटी मजबूत नहीं है, तो आप आसानी से बीमारी और इंफेक्शन की चपेट में आ सकते हैं। जिन लोगों में पोषक तत्वों की कमी होती है, उनकी इम्यूनिटी जल्दी कमजोर हो जाती है। इस लेख में हम आपको बताएंगे एक आसान इम्यूनिटी बूस्टिंग ड्रिंक के बारे में जिसे पीकर रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ेगी और आप बीमारियों से खुद का बचाव कर सकते हैं।इम्यूनिटी बढ़ाने वाली ड्रिंक की रेसिपीकाली मिर्च, शहद और नींबू से बनी इम्यूनिटी ड्रिंक तैयार करना बहुत ही आसान है और यह ड्रिंक इम्यून सिस्टम को मजबूत बनाने में मदद मिलती है।सामग्री:1 गिलास गर्म पानीनींबू का रस1 चम्मच शहदकाली मिर्च का पाउडरविधि:- 1 गिलास पानी को उबालें।-गर्म पानी में नींबू का रस मिलाएं।-नींबू में विटामिन-सी होता है, जो इम्यून सिस्टम को मजबूत बनाता है।-मिश्रण में 1 चम्मच शहद मिलाएं।-शहद में एंटीऑक्सीडेंट और एंटीबैक्टीरियल गुण होते हैं, जो शरीर की इम्यूनिटी को बढ़ाने में मदद करता है।-मिश्रण में काली मिर्च का पाउडर मिलाएं।-काली मिर्च में पिपेरिन होता है, जो प्रतिरक्षा प्रणाली को मजबूत करता है।-सभी सामग्रियों को अच्छी तरह से घुलने तक मिलाएं।इम्यूनिटी बढ़ाने के लिए काली मिर्च, शहद और नींबू के फायदे-काली मिर्च-काली मिर्च में पिपेरिन नामक तत्व होता है, जो एक शक्तिशाली एंटीऑक्सीडेंट है। यह फ्री रेडिकल्स को कम करने में मदद करता है।-काली मिर्च की मदद से पोषक तत्व आसानी से एब्सॉर्ब हो जाते हैं और शरीर उनका फायदा उठा पाता है।-काली मिर्च में एंटीबैक्टीरियल और एंटीइंफ्लेमेटरी गुण होते हैं जो संक्रमण और सूजन को कम करने में मदद करते हैं।2. शहद के फायदे-शहद में नेचुरल एंटीबैक्टीरियल गुण होते हैं, जो संक्रमण से लड़ने में मदद करते हैं।-शहद में कई प्रकार के एंटीऑक्सीडेंट होते हैं, जो शरीर की इम्यूनिटी को बढ़ाते हैं।-शहद शरीर को ऊर्जा देता है और थकान को कम करने में मदद करता है।-शहद की मदद से, गले की खराश और खांसी में राहत मिलती है और सर्दी व फ्लू जैसे लक्षणों को कम करने में मदद मिलती है।3. नींबू के फायदे-नींबू में उच्च मात्रा में विटामिन-सी होता है, जो इम्यून सिस्टम को मजबूत बनाता है।-नींबू में फ्लेवोनॉइड्स और अन्य एंटीऑक्सीडेंट होते हैं, जो शरीर को फ्री रेडिकल्स से बचाते हैं।-नींबू शरीर से विषाक्त पदार्थों को निकालने में मदद करता है, जिससे इम्यून सिस्टम बेहतर तरीके से काम करता है।-नींबू शरीर के पीएच स्तर को संतुलित करने में मदद करता है, जिससे शरीर बेहतर ढंग से काम करता है।इस ड्रिंक को सुबह खाली पेट पिएं। इससे आपके शरीर की प्रतिरक्षा प्रणाली को मजबूती मिलेगी और आप दिनभर ताजगी महसूस करेंगे।उम्मीद करते हैं कि आपको यह जानकारी पसंद आई होगी। इस लेख को शेयर करना न भूलें।
- : तोरई एक पोषक तत्वों से भरपूर सब्जी है। इसमें कई विटामिन, खनिज और अन्य पोषक तत्व पाए जाते हैं, जो शरीर के लिए फायदेमंद होते हैं। तोरई में विटामिन-सी होता है, जिससे इम्यूनिटी मजबूत बनती है। तोरई में फाइबर पाया जाता है जिससे कब्ज की समस्या दूर होती है और कोलेस्ट्रॉल को कम करने में मदद मिलती है। वजन को कंट्रोल करने के लिए भी तोरई की सब्जी फायदेमंद मानी जाती है। तोरई में विटामिन-ए, मैग्नीशियम, कैल्शियम और विटामिन-बी6 जैसे पोषक तत्व पाए जाते हैं। तोरई में कई प्रकार के एंटीऑक्सीडेंट्स मौजूद होते हैं जिससे शरीर को फ्री रेडिकल्स के नुकसान से बचाया जा सकता है। इन पोषक तत्वों की मदद से, न केवल पाचन स्वास्थ्य सुधरता है बल्कि इम्यूनिटी, मस्तिष्क और ह्रदय भी मजबूत बनता है।हार्ट के लिए क्यों फायदेमंद है तोरई?--तोरई में फाइबर की मात्रा ज्यादा होती है। तोरई खाने से कोलेस्ट्रॉल को कम करने में मदद मिलती है जिससे हार्ट अटैक के जोखिम को कम किया जा सकता है।-तोरई में पोटैशियम की अच्छी मात्रा होती है, जो रक्तचाप को नियंत्रित करने में मदद करता है। हाई बीपी हृदय रोगों का मुख्य कारण होता है, इसलिए इसे नियंत्रित रखना हृदय स्वास्थ्य के लिए जरूरी है।-तोरई में कैलोरीज की मात्रा कम होती है और यह फाइबर से भरपूर होती है। इस सब्जी को खाने से वजन को कंट्रोल करने में मदद मिलती है। इस सब्जी को खाकर हृदय रोगों का खतरा कम होता है।-तोरई में विटामिन-सी और अन्य एंटीऑक्सीडेंट्स होते हैं, जो हृदय को फ्री रेडिकल्स के नुकसान से बचाते हैं। एंटीऑक्सीडेंट्स का सेवन हृदय को स्वस्थ बनाए रखने में मदद करता है।-तोरई में मौजूद पोषक तत्वों में एंटी-इंफ्लेमेटरी गुण होते हैं, जो शरीर में सूजन को कम करने में मदद करते हैं। हृदय के आस-पास की सूजन कम होने से हृदय रोगों का जोखिम घटता है।हार्ट के मरीज डाइट में तोरई को कैसे शामिल करें?तोरई की सब्जी को कई तरह से खाया जा सकता है--तोरई को छोटे टुकड़ों में काटकर प्याज, टमाटर और मसालों के साथ पकाया जाता है। तोरई की सब्जी रोटी या चावल के साथ बहुत स्वादिष्ट लगती है।-कद्दूकस की हुई तोरई को थोड़ी देर उबालकर ठंडा करें। इसे दही, भुना जीरा पाउडर, काला नमक और थोड़े से पुदीने के पत्तों के साथ मिलाकर रायता बनाएं। यह रायता स्वादिष्ट होता है और शरीर में ताजगी भरा देता है।-तोरई को टुकड़ों में काटकर मूंग दाल या अरहर दाल के साथ पकाया जा सकता है। इसे चावल या रोटी के साथ परोसा जा सकता है।-तोरई को पीसकर उसका जूस तैयार कर सकते हैं। यह जूस हार्ट ओर डायबिटीज के मरीजों के लिए बेहद गुणकारी होता है।-इन तरीकों से आप तोरई को अपनी डाइट में शामिल कर सकते हैं और इसके स्वास्थ्य लाभों का आनंद उठा सकते हैं। उम्मीद करते हैं कि आपको यह जानकारी पसंद आई होगी। इस लेख को शेयर करना न भूलें।
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बहुत बार हम अक्सर नोटिस करते हैं कि कोई भी चीज रखकर भूल जाते हैं या कोई बात करते-करते अचानक ही भूल जाते है। दिमाग पर बहुत जोर डालने के बाद भी हमें चीजें याद नहीं आती हैं। आपको बदा दें कि इस तरह की समस्याएं आमतौर पर तब होती हैं, जब आपकी मेमोरी या याददाश्त कमजोर होने लगती है। बढ़ती उम्र के साथ याददाश्त कमजोर होना एक आम बात है, लेकिन अगर कोई व्यक्ति कम उम्र में ही मानसिक स्वास्थ्य से जुड़ी समस्याओं का सामना करता है, तो इसके पीछे कई कारण हो सकते हैं। याददाश्त कमजोर होने का एक बड़ा कारण डाइट में पोषण की कमी भी हो सकती है। जब आप स्वस्थ, संतुलित और पोषक तत्वों से भरपूर आहार नहीं लेते हैं, तो इससे शरीर में कई जरूरी पोषक तत्वों की कमी हो जाती है। आपको बता दें कि कुछ ऐसे पोषक तत्व भी होते हैं, जो मानसिक स्वास्थ्य को दुरुस्त रखने में बहुत अहम भूमिका निभाते हैं। मस्तिष्क के बेहतर फंक्शन और बेहतर याददाश्त के लिए यह बहुत जरूरी है कि आप पोषक तत्वों से भरपूर आहार लें। बहुत से लोग अक्सर यह सवाल पूछते हैं कि आखिर ऐसे कौन-कौन से पोषक तत्व या विटामिन होते हैं, जिनकी कमी से याददाश्त कमजोर हो सकती है? इस लेख में हम आपको मस्तिष्क के लिए जरूरी है विटामिन और मिनरल्स के बारे में विस्तार से बता रहे हैं।
किन पोषक तत्वों की कमी से याददाश्त कमजोर होती है-जब मानसिक स्वास्थ्य को दुरुस्त रखने की बात आती है, तो इसमें विटामिन डी, बी-12, आयरन और ओमेगा-3 फैटी एसिड बहुत अहम भूमिका निभाते हैं। हालांकि कई अन्य पोषक तत्व भी मस्तिष्क को स्वस्थ रखने में मदद करते हैं, लेकिन ये कुछ महत्वपूर्ण पोषक तत्व हैं।विटामिन डी (Vitamin D)अध्ययन में पाया गया है कि मस्तिष्क को स्वस्थ रखने में विटामिन डी कई तरह से भूमिका निभाता है। यह डिप्रेशन, ब्रेन फॉग और मेमोरी कमजोर होने से रोकने में मदद करता है।विटामिन बी 12 (Vitamin B12)नर्वस सिस्टम को दुरुस्त रखने, लाल रक्त कोशिकाओं के उत्पादन और डीएनए के लिए यह बहुत आवश्यक विटामिन है। इस विटामिन की कमी से याददाश्त, सोच और निर्णय लेने में परेशानी संबंधी समस्याएं हो सकती हैं।आयरन (Iron)शरीर में ब्लड सर्कुलेशन बढ़ाने और मस्तिष्क तक जरूरी पोषक पहुंचाने के लिए यह बहुत आवश्यक मिनरल है। यह शरीर में खून की कमी को दूर करने और मानसिक स्वास्थ्य से जुड़ी स्थितियों में सुधार करने में मदद करता है। यह मेमोरी और संज्ञानात्मक प्रदर्शन में सुधार करने में मदद करता है।ओमेगा -3 फैटी एसिड (Omega 3 Fatty Acid)यह मानसिक स्वास्थ्य के लिए बहुत आवश्यक फैट होता है। यह मस्किष्क की सूजन कम करने और ब्रेन फंक्शन में सुधार करने में मदद करता है। याददाश्त को मजबूत बनाने के लिए यह बहुत जरूरी है। यह मस्तिष्क की सीखने और याद रखने की क्षमता में सुधार करता है।इन पोषक तत्वों के अलावा, मैग्नीशियम, विटामिन सी, कोलीन आदि जैसे न्यूट्रिएंट्स भी ब्रेन फंक्शन में सुधार करने और याददाश्त को बेहतर बनाने के लिए आवश्यक हैं। बेहतर मानसिक स्वास्थ्य के लिए इन फूड्स को डाइट में शामिल जरूर करना चाहिए। -
आहार का असर हमारी सेहत पर देखने को मिलता है। जो लोग पौष्टिक आहार का सेवन नहीं करते हैं उनका इम्यून सिस्टम कमजोर हो जाता है। ऐसे में उनको कई तरह के रोग होने की संभावना अधिक होती है। विभिन्न रोगों से बचने के लिए आप फलों का सेवन कर सकते हैं। फलों में अनार का सेवन करना ब्रेन हेल्थ के लिए फायदेमंद होता है। इससे लोगों का दिमाग तेज होता है। जिससे वह हर स्थिति को बिना दबाव के आसानी से ठीक कर लेते हैं।
ब्रेन के लिए अनार खाने के फायदे -
एंटीऑक्सीडेंट से भरपूरअनार में पॉलीफेनोल्स और फ्लेवोनोइड्स सहित एंटीऑक्सीडेंट से भरपूर होता है, जो शरीर में फ्री रेडिकल्स के प्रभावों को कम करता है। फ्री रेडिकल्स की वजह से ऑक्सीडेटिव स्ट्रेस बढ़ सकता है। जिससे ब्रेन की कोशिकाओं को नुकसान हो सकता है। अनार में मौजूद एंटीऑक्सीडेंट ब्रेन के लिए एक शिल्ड की तरह कार्य करता है, यह कॉग्नेटिव पावर (संज्ञानात्मक) को गिरने से बचाने में सहायक होता है।मेमोरी पावर को बढ़ानाएक्सपर्ट बताते हैं कि जो लोग नियमित रूप से अनार का सेवन करते हैं, उनकी याददाश्त बेहतर होती है। माना जाता है कि अनार में मौजूद एंटीऑक्सीडेंट नर्वस सिस्टम को सपोर्ट करते हैं। अनार में पाए जाने वाले कम्पाउंड कॉग्नेटिव गतिविधियों को बढ़ा सकते हैं, जिससे ब्रेन तेजी कार्य कर सकता है।एंटी-इंफ्लेमेटरीसूजन को अल्जाइमर और पार्किंसंस रोग सहित कई नर्वस सिस्टम संबंधी डिसऑर्डर से जोड़ा जाता है। अनार में एंटी-इंफ्लेमेटरी गुण होते हैं। अनार मस्तिष्क में सूजन को कम करके न्यूरोइन्फ्लेमेशन से जुड़ी स्थितियों को कम करने में सहायक हो सकता है।न्यूरोलॉजिकल रिकवरी मे सपोर्ट करनाब्रेन में किसी तरह चोट या इंजरी होने पर आप अनार का सेवन कर तेजी से रिकवरी कर सकते हैं। अनार में मौजूद एंटीऑक्सीडेंट्स डैमेज नर्वस सेल्स को रिपेयर करते हैं। साथ ही, नए सेल्स को बनाने में मदद करते हैं। साथ ही, अनार के सेवन से ब्रेन के इलाज की प्रक्रिया में रिकवरी तेजी से होती है।तनाव कम करने में सहायकस्ट्रेस और तनाव के कारण ब्रेन की पावर कमजोर होने लगती है। ऐसे में एक्सपर्ट्स लोगों को अनार का सेवन करने की सलाह देते हैं। दरअसल, अनार तनाव के लिए जिम्मेदार कार्टिसोल हार्मोन को नियंत्रित करने में सहायक होता है।समय और उम्र के साथ लोगों में न्यूरोडीजेनेरेटिव रोगों का खतरा बढ़ जाता है। अनार के न्यूरोप्रोटेक्टिव गुण उम्र के साथ होने वाले मेमोरी लॉस से लोगों का बचाव करते हैं। इसके अलावा, अनार से ब्लड सर्कुलेशन बेहतर होता है। यदि आपको ब्रेन संबंधित किसी तरह की समस्या है तो इसे अनदेखा न करें और तुरंत नजदीकी डॉक्टर से संपर्क करें। -
समय के साथ लोगों की बदलती आदतों का असर उनकी सेहत पर देखने को मिलता है। खाने की गलत आदतें, शारीरिक गतिविधियों में कमी और स्ट्रेस आदि के कारण लोगों में डायबिटीज और ब्लड प्रेशर की समस्या बढ़ने लगी है। यही कारण है कि आज डायबिटीज और ब्लड प्रेशर के मरीजों की संख्या में खासा इजाफा हुआ है। इंसुलिन बनने की प्रक्रिया में आई बाधा के चलते व्यक्ति को यह समस्या होती है। इसके अलावा अन्य कारणों से भी डायबिटीज हो सकती है। डायबिटीज के रोगियों को हर समय थकान और कमजोरी महसूस होती है। साथ ही, ब्लड शुगर का लेवल बढ़ने से उनको हृदय संबंधी रोग होने का खतरा भी अधिक होता है। इन लक्षणों से बचाव के लिए ब्लड शुगर को कंट्रोल में रखना बेहद आवश्यक है।
डायबिटीज में जामुन की पत्तियों के फायदे
आयुर्वेद में जामुन के फल, उसकी गुठलियों और पत्तियों का इस्तेमाल सदियों से डायबिटीज को दूर करने के लिए किया जा रहा है। इनके नियमित इस्तेमाल से ब्लड शुगर को कंट्रोल करने में मदद मिलती है।
ब्लड शुगर को करें कंट्रोलजामुन के पत्तों में जंबोलिन कम्पाउंड पाया जाता है, यह ब्लड शुगर को कंट्रोल करने में सहायक होता है। यह कम्पाउंड इंसुलिन बनने की प्रक्रिया को बूस्ट करता है और शरीर में ग्लूकोज के अवशोषण को कम करता है। इससे डायबिटीज के रोगियों को ब्लड शुगर को नियंत्रित करने में मदद मिलती है।एंटीऑक्सिडेंट गुणजामुन के पत्तों में अधिक मात्रा में एंटीऑक्सिडेंट्स पाए जाते हैं, जो शरीर में फ्री रेडिकल्स से होने वाले डैमेज को कम करते हैं। डायबिटीज के मरीजों में ऑक्सीडेटिव स्ट्रेस अधिक होने की संभावना होती है, जिससे विभिन्न समस्याएं शुरु हो सकती हैं। जामुन के पत्तों का सेवन करने से शरीर में ऑक्सीडेटिव स्ट्रेस को कम करने में मदद करता है, जिससे डायबिटीज को कंट्रोल करने और इसके लक्षणों के प्रभाव को कम किया जा सकता है।एंटी-इन्फ्लेमेटरी प्रभावडायबिटीज में अक्सर सूजन की समस्या देखने को मिलती है, जो विभिन्न अंगों को प्रभावित कर सकती है। जामुन के पत्तों में मौजूद टैनिन और फ्लेवोनॉइड्स एंटी-इन्फ्लेमेटरी गुणों से भरपूर होते हैं। ये सूजन और दर्द को कम करने में सहायक होते हैं, जिससे डायबिटीज के रोगियों को समस्या में आराम मिलता है।जामुन के पत्तों का उपयोग कैसे करेंपत्तों का रसजामुन के ताजे पत्तों को तोड़ लें। इनको पानी से धोने के बाद इनसे रस निकाल लें। इस रस का सेवन सुबह खाली पेट करने से आपको कुछ ही दिनों में डायबिटीज में आराम मिलने लगेगा। साथ ही ब्लड शुगर लेवल को कंट्रोल करने में मदद मिलती है।जामुन के पत्तों का पाउडरइसके लिए आप जामुन के पत्तों को सूखाकर इसका पाउडर बना लें। ये पाउडर आप सुबह व शाम पानी के साथ ले सकते हैं। इस उपाय के साथ आपको डाइट में भी आवश्यक बदलाव करने की सलाह दी जाती है।जामुन के पत्तों की चायडायबिटीज में आप जामुन के पत्तों की चाय भी पी सकते हैं। इसके लिए आप पत्तों को पानी में उबालकर छान लें। इसके बाद इसे गुनगुना होने पर चाय की तरह पिएं।जामुन की पत्तियों को डायबिटीज में लेने से ब्लड शुगर को कंट्रोल करने में मदद मिलती है। लेकिन, इसके साथ आपको डाइट और लाइफस्टाइल में भी आवश्यक बदलाव करने की सलाह दी जाती है। डाइट में शुगर को बढ़ाने वाले आहार, जैसे आलू, चावल, आदि का सेवन न करें। इसके साथ ही रोजाना एक्सरसाइज करें। डायबिटीज की समस्या अधिक होने पर आप इसे अनदेखा न करें, ऐसे में आप तुरंत डॉक्टर की सलाह लें। - वर्तमान समय में आपने अपने आस-पास कई लोगों को ये कहते हुए सुना होगा कि अक्सर उनके पूरे शरीर में दर्द रहता है। दरअसल, आजकल की भागदौड़ भरी जिंदगी के साथ अनहेल्दी लाइफस्टाइल और खानपान के चलते शरीर में कई तरह के विटामिन और खनिजों की कमी आम बात हो गई है। कई बार लोग शरीर में होने वाले दर्द को लंबे समय तक नजरअंदाज करते रहते हैं, जिसके कारण दिक्कतें बढ़ जाती हैं। शरीर में जब विटामिन्स और मिनरल्स की कमी होती है, तो इससे कई स्वास्थ्य संबंधी समस्याएं होने लगती है। पूरे शरीर में दर्द होना भी विटामिन और मिनरल्स की कमी का ही एक लक्षण है, जिसे इग्नोर करना स्वास्थ्य के लिए भारी पड़ सकता है।किस की कमी से पूरे शरीर में दर्द होता है?1. विटामिन D की कमी - Vitamin D Deficiencyशरीर में विटामिन D की कमी आजकल आम हो गई है, जिसका एक बड़ा कारण है कि लोग सुबह की धूप में ज्यादा समय नहीं बिताते हैं, इसके साथ ही शरीर में विटामिन D का सही तरीके से अवशोषण न होना। विटामिन D की कमी के कारण मांसपेशियों और हड्डियों में दर्द की शिकायत के साथ थकान और कमजोरी का एहसास होता है। विटामिन D की कमी दूर करने के लिए आप रोजाना कम से कम 15-20 मिनट धूप में बिताएं, खासकर सुबह के समय और डाइट में दूध, दही, अंडे की जर्दी, और सैल्मन मछली को शामिल करें। इसके अलावा आप डॉक्टर की सलाह पर विटामिन D के सप्लीमेंट्स भी ले सकते हैं।2. विटामिन B12 की कमी - Vitamin B12 Deficiencyपूरे शरीर में दर्द और कमजोरी के साथ अगर व्यक्ति को झनझनाहट का एहसास होता है और मांसपेशियों में ऐंठन रहती है तो यह विटामिन B12 की कमी के कारण हो सकता है। इसके लिए आप डाइट में मछली, अंडे और डेयरी उत्पादों का सेवन करें और डॉक्टर की सलाह पर विटामिन B12 के सप्लीमेंट्स लें।3. मैग्नीशियम की कमी - Magnesium Deficiencyसेहतमंद रहने के लिए जरूरी है कि आप ऐसी चीजों का सेवन करें जिनमें मैग्नीशियम की अच्छी मात्रा हो। शरीर में मैग्नीशियम की कमी होने पर थकान, कमजोरी, सिरदर्द और अनिद्रा की शिकायत होती है। इसकी कमी दूर करने के लिए हरी पत्तेदार सब्जियों के साथ-साथ नट्स, बीज, और साबुत अनाज का सेवन करें और जरूरत पड़ने पर डॉक्टर की सलाह अनुसार मैग्नीशियम के सप्लीमेंट्स लें।4. आयरन की कमी - Iron Deficiencyशरीर में आयरन की कमी होने पर मांसपेशियों में दर्द और सूजन के अलावा थकान-कमजोरी और सिरदर्द की शिकायत हो सकती है। आयरन की कमी पूरी करने के लिए हरी पत्तेदार सब्जिया, लाल मांस, बीन्स का सेवन करें। शरीर में आयरन का अवशोषण को बढ़ाने के लिए विटामिन C युक्त खाद्य पदार्थों का सेवन करें, जैसे संतरे, नींबू, और टमाटर आदि।किसी भी कमी के लक्षण दिखने पर तुरंत डॉक्टर से परामर्श लें। हेल्दी लाइफस्टाइल और संतुलित आहार के माध्यम से आप इन पोषक तत्वों की कमी से बच सकते हैं।
- गर्मियों में मिलने वाला आम लोगों को बेहद पसंद होता है। आम को फलों का राजा सिर्फ इसके स्वाद के लिए ही नहीं बल्कि इसमें मौजूद पोषक तत्वों की वजह से भी कहा जाता है। गर्मियों में आम का सेवन करना न सिर्फ मजेदार होता है, बल्कि इससे शरीर को भरपूर मात्रा में पोषक तत्व भी प्राप्त होते हैं।आम में कौन-कौन से पोषक तत्व पाए जाते हैं?एक मध्यम आकार के आम (100 ग्राम) में लगभग इतने पोषक तत्व पाए जाते हैं।कैलोरी - 70KCalकार्ब्स - 15-16 ग्रामशुगर - 14-15 ग्रामफैट - 0.4 ग्रामडाइटरी फाइबर - 2 ग्रामविटामिन और खनिजविटामिन C: 40 मिलीग्रामविटामिन A: 1500 यूनिट्सपोटैशियम: 150 मिलीग्रामविटामिन Eविटामिन Kविटामिन B (B6, फोलेट)ताँबाएंटीऑक्सिडेंट्सफाइटोन्यूट्रिएंट्सगर्मियों में आम खाने के फायदेडायटिशियन की सलाह है कि लोगों को एक बार में 1-2 आम ही खाने चाहिए और इन्हें खाने से पहले कम से कम 3 घंटे के लिए पानी में भिगोकर रखना चाहिए। ऐसा इसलिए, क्योंकि आम को भिगोने से इसकी गर्मी कम होती है और पाचन के भी लिए यह बेहतर हो जाता है।1. आम में मौजूद फाइबर और अन्य पोषक तत्व वजन कंट्रोल करने में सहायक हो सकते हैं। आम में स्वाद भरपूर होता है लेकिन कैलोरी ज्यादा नहीं होती है, ऐसे में इसे खाने के बाद आपको वजन बढ़ने की चिंता नहीं होनी चाहिए।2. गर्मियों में आम का सेवन हार्ट हेल्थ के लिए भी लाभदायक हो सकता है। आम में कई तरह के एंटीऑक्सीडेंट्स के साथ पोटैशियम और विटामिन C की अच्छी मात्रा होती है, जो हार्ट हेल्थ को बढ़ावा देते हैं।3. जिन लोगों को अक्सर पेट में भारीपन की शिकायत रहती है उनके लिए आम का सेवन फायदेमंद हो सकता है। आम आम में मौजूद फाइबर पाचन क्रिया को सुधारने में सहायक होता है और कब्ज जैसी समस्याओं को दूर करता है। हालांकि, इस बात का ध्यान रखें कि इसका सेवन सीमित मात्रा में ही करें।4. गर्मियों में अक्सर लोग थकान और कमजोरी की शिकायत करती है, ऐसे लोगों के लिए आम खाना लाभदायक हो सकता है। आम का सेवन करने से आपके शरीर में एनर्जी आएगी, जिससे आप दिनभर एनर्जेटिक महसूस करेंगे। आम को कई अलग-अलग तरीकों से डाइट में शामिल किया जा सकता है।5. आम में विटामिन A और विटामिन C की अच्छी मात्रा होती है, जो त्वचा को हेल्दी बनाने में सहायक होते हैं। लेकिन ध्यान रखें कि इसका सेवन भिगोने के बाद ही करें।
- : त्वचा के किसी भी हिस्से में झुर्रियां हो सकती हैं। वैसे, तो माथे पर झुर्रिंया होना उम्र बढ़ने का एक सामान्य प्रोसस है। लेकिन कभी-कभी उम्र से पहले भी झुर्रियों की समस्या हो सकती है। इसका कारण है यूवी रेज के संपर्क में ज्यादा रहना। जो लोग यूवी रेज के संपर्क में ज्यादा रहते हैं, उनके चेहरे पर रिंकल्स नजर आ सकते हैं। शरीर में पानी की कमी के कारण झुर्रियां नजर आ सकती हैं। लंबे समय तक तनाव में रहने से शरीर में कोर्टिसोल हार्मोन की मात्रा बढ़ जाती है, जो झुर्रियों का कारण बन सकता है। स्किन केयर रूटीन को ठीक से फॉलो न करने के कारण भी माथे पर झुर्रियां हो सकती हैं। इस लेख में हम जानेंगे 5 ऐसे ऑयल्स के बारे में जिससे झुर्रियों की समस्या को दूर किया जा सकता है। साथ ही आपको बताएंगे इनके फायदे और इस्तेमाल का तरीका।1. आर्गेन ऑयल से दूर करें झुर्रियांमाथे की झुर्रियां को कम करने के लिए आर्गेन ऑयल का इस्तेमाल करें। आर्गेन ऑयल में विटामिन ई और फैटी एसिड्स होते हैं। आर्गेन ऑयल में एंटीऑक्सीडेंट्स होते हैं जो त्वचा को फ्री रैडिकल्स से बचाते हैं। इसके नियमित इस्तेमाल से झुर्रियों को काफी हद तक कम किया जा सकता है।2. रोजहिप ऑयल से दूर करें झुर्रियांरोजहिप ऑयल में एंटी-इंफ्लेमेटरी गुण होते हैं जो त्वचा की सूजन और रेडनेस को कम करते हैं। रोजहिप ऑयल की मदद से त्वचा की टोन को सुधारने और पिग्मेंटेशन की समस्या को कम करने में मदद मिलती है। रोजहिप ऑयल में एंटीऑक्सीडेंट्स होते हैं जो त्वचा को फ्री रैडिकल्स से बचाते हैं। इस तरह झुर्रियों और फाइन लाइन्स की समस्या को कम करने में मदद मिलती है।3. जोजोबा ऑयल से दूर करें झुर्रियांमाथे की झुर्रियां कम करने के लिए जोजोबा ऑयल का इस्तेमाल करें। जोजोबा ऑयल में विटामिन ई और विटामिन बी-कॉम्प्लेक्स होते हैं, जो शक्तिशाली एंटीऑक्सीडेंट्स हैं। जोजोबा ऑयल त्वचा में कोलेजन को बढ़ावा देते हैं। इस तरह झुर्रियां कम दिखाई देती हैं और त्वचा ज्यादा जवां नजर आती है।4. ग्रेपसीड ऑयल का इस्तेमाल करेंमाथे की झुर्रियां कम करने के लिए ग्रेपसीड ऑयल का इस्तेमाल करें। ग्रेपसीड ऑयल अंगूर के बीजों से निकाला जाता है और इसमें कई पोषक तत्व और एंटीऑक्सीडेंट मौजूद होते हैं।5. नारियल तेल से दूर करें झुर्रियांनारियल तेल में एंटीऑक्सीडेंट्स और फैटी एसिड्स होते हैं जो त्वचा को स्वस्थ बनाए रखते हैं। नारियल तेल, त्वचा में कोलेजन के उत्पादन को बढ़ावा देता हैै इससे त्वचा युवा दिखती है और झुर्रियों की समस्या दूर होती है।माथे की झुर्रियां कम करने के लिए तेल का इस्तेमाल कैसे करें?-सबसे पहले, अपने चेहरे को अच्छी तरह से धोकर साफ करें और सुखा लें।-अपनी हथेली पर तेल की थोड़ी मात्रा लें।-तेल को माथे पर हल्के हाथों से लगाते हुए मालिश करें।-तेल का इस्तेमाल रात में सोने से पहले करें ताकि त्वचा इसे अच्छी तरह से एब्सॉर्ब कर सके।-गर्मी को देखते हुए तेल का ज्यादा इस्तेमाल करने से बचें, क्योंकि यह त्वचा को चिपचिपा बना सकता है।
- वजन कम करने के लिए लोग अपनी डाइट में कम से कम कैलोरी रिच फूड्स शामिल करना चाहते हैं। ऐसे में अक्सर लोग दही और छाछ के सेवन को लेकर कंफ्यूज रहते हैं कि वे वजन कम करने के लिए अपनी डाइट में क्या शामिल करें? दही और छाछ दोनों ही सेहत के लिए फायदेमंद होता है। खासकर गर्मियों के मौसम में लोग दही या छाछ का सेवन करना ज्यादा पसंद करते हैं। हालांकि, उनके मन में ये सवाल रहता है कि वजन कम करने के लिए क्या दही छाछ से बेहतर है? “वजन कम करने के लिए दही और छाछ दोनों ही अच्छे विकल्प हैं। लेकिन, अगर कैलोरी की बात करें तो 100 ग्राम छाछ में 40 कैलोरी होती है जबकि 100 ग्राम दही में 98 कैलोरी होती है। इसलिए, वजन कम करने के लिए दही से बेहतर छाछ है।” तो आइए विस्तार में जानते हैं छाछ या दही वजन कम करने के लिए क्या है बेहतरवजन घटाने के लिए कौन सा अच्छा है दही या छाछ?कम कैलोरीदही की तुलना छाछ में कैलोरी की मात्रा कम होती है, जिसके कारण छाछ उन लोगों के लिए एक हेल्दी और बेहतर विकल्प बनता है, जो वजन कम करने के दौरान कैलोरी का सेवन कम मात्रा में करना चाहते हैं।हाइड्रेशनछाछ में पानी की मात्रा ज्यादा होती है, जो आपके शरीर को वेट लॉस के दौरान हाइड्रेटेड रखने में मदद करता है। दही के स्थान पर छाछ का सेवन कम कैलोरी के साथ आपके शरीर को भरा हुआ महसूस कराने और हाइड्रेटेड रहने के लिए बढ़ावा देता है।पाचन स्वास्थ्यछाछ और दही दोनों में प्रोबायोटिक्स होते हैं, जो आंत में गुड बैक्टीरिया को बढ़ावा देते हैं। हेल्दी गट हेल्थ पाचन और चयापचय में सुधार करने में मदद करती है, जो वजन कम करने के लिए बहुत जरूरी है। हालांकि, छाछ में प्रोबायोटिक्स के खास स्ट्रेन्स पाचन के लिए फायदेमंद हो सकते हैं।पोषक तत्वछाछ कैल्शियम, विटामिन और मिनरल्स जैसे जरूरी पोषक तत्वों से भरपूर होती है, लेकिन इसमें आम तौर पर फुल फैट वाले दही की तुलना में कम फैट होता है, जिस कारण छाछ आपके शरीर को कम कैलोरी के साथ अन्य जरूरी पोषक तत्व देने में मदद करती है।लैक्टोज इनटोलरेंटलैक्टोज इनटोलरेंट वाले व्यक्तियों के लिए दही की तुलना में छाछ पचाने में ज्यादा आसान हो सकता है, क्योंकि इसमें आमतौर पर कम लैक्टोज होता है, जो बेहतर पाचन के साथ ओवरओल हेल्थ में सुधार कर सकता है और वजन कम करने में फायदेमंद हो सकता है।हालांकि, यह ध्यान रखना जरूरी है कि छाछ और दही को बनाने के अनुसार इनके फायदे अलग-अलग हो सकते हैं। इसलिए, वजन कम करने के दौरान आपनी डाइट में दही या छाछ शामिल करने से पहले डाइटिशियन से सलाह जरूर ले लें।
- आयुर्वेद में लहसुन को सेहत के लिए बेहद फायदेमंद बताया गया है। इसमें मौजूद विटामिन बी 6, विटामिन सी, विटामिन बी 1, सेलेनियम, कैल्शियम और कॉपर जैसे पोषक तत्व समस्त स्वास्थ्य को फायदा करते हैं। जोड़ों में दर्द, शरीर में सूजन या पाचन सम्बन्धित समस्याओं में भी यह कारगर साबित हुआ है। कई लोग इसे कच्चा निगलना पसंद करते हैं। जबकि कई लोग इसे पकाकर और चबाकर खाना पसंद करते हैं। लेकिन क्या आप जानते हैं लहसुन खाने का सही तरीका क्या है?लहसुन खाने का सही तरीका क्या है?लहसुन हमेशा पकाकर और चबाकर ही खाना चाहिए। इसके सेवन का सबसे बेहतर तरीका है कि आप लहसुन को घी में भूनकर या सब्जी में पकाकर खाएं। लेकिन लहसुन को कच्चा निगलना या खाली पेट खाना बिल्कुल फायदेमंद नहीं होता है। इससे आपको कई परेशानियां हो सकती हैंलहसुन को घी में भूनकर खाना क्यों फायदेमंद है?लहसुन हाई एसिडिक होता है। कच्चे लहसुन का सेवन करने से शरीर में एसिड बढ़ जाता है। जबकि इसे घी में भूनकर खाने से इसमें मौजूद एसिड काफी हद तक कम हो जाता है। साथ ही, घी में भुना हुआ लहसुन खाने से पित्त भी नियंत्रित होने लगता है। इसके अलावा, घी में भूनकर खाने से इसका असर टिशुज तक होता है। लेकिन अगर आप कच्चा खाते हैं, तो इससे घी में एंटी-लिपिड गुण भी होते हैं, जिससे इसका सेवन करना हार्ट हेल्थ के लिए भी फायदेमंद है।लहसुन को कच्चा खाना या निगलना नुकसानदायक क्यों है?इस तरह से लहसुन शरीर को गर्मी भी कर सकता है। जिस कारण शरीर में पित्त का संतुलन बिगड़ सकता है। इसके अलावा, कच्चा खाने से शरीर को इसके पर्याप्त पोषक तत्व नहीं मिल पाते हैं। इसलिए इसे कच्चा खाना य निगलना फायदेमंद नहीं होता है। कच्चा लहसुन खाने से कई लोगों को पाचन संबन्धित समस्याएं भी हो सकती हैं।रोज लहसुन का सेवन करना क्यों फायदेमंद है?लहसुन को डेली डाइट में शामिल करने से यह आपके समस्त स्वास्थ्य के लिए फायदेमंद होता है।सब्जी या व्यंजन में इसका सेवन करने से यह पाचन को स्वस्थ रखने में भी मदद करेगा। इससे आपको एसिडिटी, अपच और कब्ज जैसी समस्याओं से भी राहत मिलेगी।जोड़ों से दर्द से राहत देने में भी भुना हुआ लहसुन खाना फायदेमंद है। इसे आप तेल में मिलाकर मसाज करने के लिए भी इस्तेमाल कर सकते हैं।अगर आप वजन घटाने की कोशिश कर रहे हैं, तो घी में भुना लहसुन आपके लिए काफी फायदेमंद होगा।अगर आप किसी स्वास्थ्य समस्या की दवा रोज लेते हैं, तो अपने डॉक्टर की सलाह पर ही इसे डाइट में शामिल करें। इस लेख में दी जानकारी को शेयर करना न भूलें।
- डायबिटीज या मधुमेह एक ऐसी स्थिति है, जिसमें शरीर या तो पर्याप्त मात्रा में इंसुलिन नहीं बना पाता या फिर बनाया गया इंसुलिन शरीर की कोशिकाओं द्वारा ठीक से उपयोग नहीं हो पाता है। नतीजा ये होता है कि खून में शुगर का स्तर लगातार बढ़ता रहता है। डायबिटीज को पूरी तरह से ठीक नहीं किया जा सकता, लेकिन हेल्दी डाइट और एक्टिव जीवनशैली अपनाकर इसे नियंत्रित किया जा सकता है। डायबिटीज में ब्लड शुगर कंट्रोल में रखने और परेशानियों से बचने के लिए दूधी घास का सेवन बहुत फायदेमंद होता है।डायबिटीज में दूधी घास के फायदेकम कैलोरी और कम ग्लाइसेमिक इंडेक्स: दूधी में कैलोरी की मात्रा बहुत कम होती है। 100 ग्राम दूधी में केवल 17 कैलोरी होती हैं। साथ ही इसका ग्लाइसेमिक इंडेक्स भी कम होता है (लगभग 44)। ग्लाइसेमिक इंडेक्स (GI) किसी खाद्य पदार्थ को खाने के बाद कितनी जल्दी ब्लड शुगर की मात्रा बढ़ेगी उसे दिखाता है। कम GI वाली चीजें खाने से ब्लड शुगर लेवल को अचानक बढ़ने से रोका जा सकता है।फाइबर से भरपूर: दूधी में घुलनशील और अघुलनशील दोनों तरह के फाइबर पाए जाते हैं। फाइबर ब्लड शुगर के अवशोषण को धीमा कर देता है, जिससे खाने के बाद ब्लड शुगर का स्तर तेजी से नहीं बढ़ता। साथ ही फाइबर आपको जल्दी तृप्ति का एहसास कराता है, जिससे आप कम खाते हैं और वजन नियंत्रण में रहता है।एंटीऑक्सिडेंट्स से भरपूर: दूधी में विटामिन A, C और E जैसे एंटीऑक्सिडेंट्स पाए जाते हैं। ये एंटीऑक्सिडेंट शरीर में मौजूद फ्री रेडिकल्स से होने वाले नुकसान को कम करते हैं। डायबिटीज के रोगियों में फ्री रेडिकल्स का स्तर अधिक होता है, जो शरीर की कोशिकाओं को नुकसान पहुंचा सकता है। दूधी का सेवन इन फ्री रेडिकल्स को कम करने में मदद करता है।पानी की अच्छी मात्रा: दूधी में 92% पानी होता है। पर्याप्त मात्रा में पानी पीना शरीर को हाइड्रेट रखता है और खून के गाढ़ेपन को कम करता है। इससे शरीर में रक्त संचार बेहतर होता है, जो डायबिटीज के रोगियों के लिए काफी जरूरी है।अन्य पोषक तत्व: दूधी में मैंगनीज, पोटेशियम और मैग्नीशियम जैसे जरूरी मिनरल्स भी पाए जाते हैं। ये मिनरल्स शरीर के विभिन्न कार्यों के लिए जरूरी होते हैं और साथ ही इंसुलिन के बेहतर उत्पादन में भी मदद करते हैं।डायबिटीज में दूधी का सेवन कैसे करें?-डायबिटीज में दूधी का सेवन कई तरह से कर सकते हैं--दूधी की सब्जी: आप दूधी का साग बनाकर खाने से भी डायबिटीज के मरीजों को फायदा मिलता है।-दूधी का रायता: दूधी का रायता बनाकर आप दोपहर या रात के भोजन के साथ खा सकते हैं। रायता बनाने के लिए दही, कटी हुई लौकी, जीरा, पुदीना और हरी मिर्च का इस्तेमाल करें।-दूधी का सूप: दूधी का सूप हल्का और पौष्टिक होता है। आप नाश्ते में या शाम के नाश्ते के समय इसका सेवन कर सकते हैं।-डायबिटीज के रोगियों को दूधी घास सेवन से पहले अपने चिकित्सक से परामर्श करना चाहिए। दूधी घास एक प्राकृतिक और पौष्टिक सप्लीमेंट है जो डायबिटीज के रोगियों के लिए फायदेमंद हो सकता है। हालांकि, इसका सही तरीके से सेवन करने के लिए डॉक्टर की सलाह लेना जरूरी है।
- हमारे गले में तितली के आकार की एक ग्रंथि होती है, जो थायराइड फंक्शन को मैनेज करती है। थायराइड एक हार्मोन है, जिसका काम थायराइड ग्रंथि को स्टिम्युलेट करना है। ऐसे में जब थायराइड ग्रंथि पर्याप्त मात्रा में हार्मोन नहीं बनाती है तो आपको हाइपोथायरायडिज्म या हाइपरथायरायडिज्म की समस्या हो सकती है। थायराइड की समस्या होने के कारण आपका वजन तेजी से बढ़ना, वजन कम होना, शरीर में दर्द, चिड़चिड़ापन, ज्यादा पसीना आना और स्किन या बालों से जुड़ी समस्याएं भी होने लगती है। थायराइड अक्सर खराब लाइफस्टाइल या जेनेटिक कारणों से होता है। इसलिए, जरूरी है कि आप एक हेल्दी लाइफस्टाइल फॉलो करें और हेल्दी डाइट लें।थायराइड कंट्रोल के लिए हल्दी और दालचीनी का दूध कैसे बनाएं? -सामग्री-दूध- 1 कपहल्दी पाउडर- 1/2 चम्मचदालचीनी पाउडर- 1/4 चम्मचअदरक पाउडर या कसा हुआ- 1/4 चम्मचकाली मिर्च- एक चुटकीशहद या मेपल सिरप- 1 चम्मचदूध तैयार करने की विधि--एक छोटे सॉस पैन में, दूध को मध्यम आंच पर उबाल आने तक गर्म करें।-अब दूध में हल्दी, दालचीनी, अदरक और काली मिर्च पाउडर डालें।-सामग्रियों को मिलाने के लिए मिश्रण को धीरे-धीरे मिलाएं।-दूध को 5 मिनट तक उबलने दें और बीच-बीच में हिलाते रहें।-इसके बाद सॉस पैन को आंच से उतार लें और हल्दी वाले दूध को कुछ मिनट के लिए ठंडा होने दें।-अगर चाहें तो हल्दी वाले दूध को मीठा करने के लिए उसमें शहद या मेपल सिरप मिलाएं।-फिर छन्नी से दूध को गिलास में छान लें और गर्मागर्म पिएं।हल्दी और दालचीनी का दूध पीने के फायदे-हल्दी वाले दूध में एंटी-इंफ्लेमेटरी गुण शामिल हैं, जो थायराइड स्वास्थ्य को बढ़ावा देते हैं।-हल्दी में करक्यूमिन होता है, जिसमें सूजन-रोधी गुण होते हैं, जो थायराइड स्वास्थ्य का समर्थन कर सकते हैं।-दालचीनी में सूजन-रोधी गुण होते हैं और यह थायराइड मरीजों के लिए फायदेमंद होता है। साथ ही आपके दूध का स्वाद भी बढ़ाता है।-अदरक में सूजन-रोधी और एंटीऑक्सीडेंट गुण होते हैं, जो थायराइड फंक्शन कंट्रोल रखने का काम करता है।-काली मिर्च हल्दी में करक्यूमिन के असर को बढ़ाने का काम करती है, जिससे शरीर इसे ज्यादा प्रभावी ढंग से अवशोषित कर पाता है।-दूध कैल्शियम और विटामिन डी से भरपूर होता है, जो आपके ओवरओल हेल्थ के लिए जरूरी है और थायराइड फंक्शन को बढ़ावा देता है।थायराइड कंट्रोल करने के लिए हल्दी और दालचीनी के इस दूध को आप डाइट में शामिल कर सकते हैं। इसके साथ अपनी डाइट और लाइफस्टाइल में हेल्दी बदलाव करने पर भी ध्यान दें।
- कुछ लोगों को गर्मी की वजह से जलन जैसी समस्या भी हो जाती है। खासकर, हथेलियों और तलवों पर जलन होना आम है। अगर आपको भी गर्मी की वजह से तलवों पर जलन का अनुभव हो रहा है, तो ऐसे में आप कुछ उपायों को आजमा सकते हैं।1. नीलगिरी के तेलआयुर्वेद में नीलगिरी तेल का उपयोग कई समस्याओं का इलाज करने के लिए किया जाता है। अगर गर्मी की वजह से आपके तलवों या पैरों में जलन हो रही है, तो भी आप नीलगिरी तेल का इस्तेमाल कर सकते हैं। इसके लिए आप रात को सोते समय तलवों की नीलगिरी तेल से मालिश कर सकते हैं। इससे आपके तलवों को ठंडक मिलेगी और जलन भी शांत होगी। आपको बता दें कि नीलगिरी तेल की तासीर ठंडी होती है, जो तलवों की जलन को शांत करने में मदद करता है। इससे आपको काफी आराम मिलेगा।2. नारियल तेलनारियल तेल की तासीर भी ठंडी होती है। इसलिए गर्मियों के लिए इस तेल को काफी फायदेमंद माना जाता है। अक्सर लोग शरीर की मालिश करने के लिए नारियल तेल का इस्तेमाल करते हैं। अगर आपके तलवों पर गर्मी की वजह से जलन हो रही है, तो भी आप नारियल तेल का उपयोग कर सकते हैं। नारियल तेल शरीर को ठंडक प्रदान करने में मदद करता है। आप रात को नारियल तेल को तलवों पर लगा सकते हैं। इससे जलन में आराम मिलेगा। साथ ही, त्वचा से जुड़ी समस्याएं भी दूर होंगी।3. चंदन पाउडर पेस्टगर्मी की वजह से तलवों में जलन महसूस हो रही है, तो आप चंदन पाउडर का इस्तेमाल कर सकते हैं। इसके लिए आप चंदन पाउडर लें। अब इसमें गुलाब जल या पानी मिलाएं। इस पेस्ट को तलवों पर लगाएं। आधे घंटे के लिए तलवों को ऐसे ही छोड़ दें। फिर आप तलवों को पानी से साफ कर सकते हैं। चंदन की तासीर ठंडी होती है, जो शरीर को ठंडक प्रदान करता है। आयुर्वेद में चंदन पाउडर का उपयोग त्वचा से जुड़ी समस्याओं का इलाज करने के लिए भी किया जाता है।4. मुल्तानी मिट्टी पेस्टअक्सर लोग खूबसूरती बढ़ाने के लिए मुल्तानी मिट्टी का उपयोग करते हैं। मुल्तानी मिट्टी त्वचा से जुड़ी समस्याओं को दूर करती है। मुल्तानी मिट्टी तासीर में ठंडी होती है। अगर आपको तलवों पर जलन हो रही है, तो आप मुल्तानी मिट्टी का उपयोग कर सकते हैं। मुल्तानी मिट्टी के पेस्ट को तलवों पर लगाने से जलन को शांत करने में मदद मिलती है। इसलिए अगर आपको भी जलन की समस्या है, तो मुल्तानी मिट्टी का इस्तेमाल करना लाभकारी हो सकता है।5. गुलकंद खाएंगुलकंद, गुलाब की पंखुड़ियों से बना होता है। यह बेहद ठंडा होता है। गर्मियों में गुलकंद का सेवन करना बेहद फायदेमंद होता है। गुलकंद खाने से शरीर में ठंडक बनी रहती है। अगर आपके तलवों में जलन हो रही है, तो भी गुलकंद का सेवन करना लाभकारी हो सकता है। शरीर में ठंडक बनाए रखने के लिए आप रोजाना 1-2 चम्मच गुलकंद का सेवन कर सकते हैं।
- पान खाना ज्यादातर लोगों को पसंद होता है। भारतीय संस्कृति में इसका खास महत्व है। ये पत्ता एंटी-डायबिटिक, कार्डियोवस्कुलर, एंटी-इंफ्लेमेटरी, एंटी-अल्सर और एंटी-इनफेक्टिव गुण से भरपूर पान का पत्ता खाने से सेहत को कई तरह के फायदे मिल सकते हैं। अगर कोई व्यक्ति कब्ज की समस्या से परेशान है तो वह भी पान पत्ते का इस्तेमाल कर सकते हैं। जानिए कब्ज में पान के पत्ते के फायदे-पुरानी कब्ज से मिलेगा छुटकारादरअसल, पान के पत्ते एंटीऑक्सीडेंट से भरपूर होते हैं। ये शरीर में पीएच लेवल को मेंटेन रखने में मदद कर सकता है। ऐसे में इसे खाकर पेट से जुड़ी समस्याएं से राहत मिल सकती है।सुबह इस तरह लें पान का पत्ताकब्ज को दूर कर पेट से सारी गंदगी निकालने के लिए पान के पत्तों को पीसकर रात भर पानी में भिगो दें। सुबह उठकर पानी को छानकर खाली पेट पिएं। इसके अलावा आप एक गिलास पानी को गर्म करें और इसमें पान के पत्ते को डालकर उबाल लें। जब पानी आधा रह जाए तो इसे ग्लास में निकालें।। अब इस पानी को घूंट-घूंट करके पिएं।यूं पाएं एसिडिटी से छुटकाराकई बार खाना खाने के बाद सीने में जलन, खट्टी डकार आने जैसी समस्याएं हो जाती हैं। इससे निपटने के लिए पान के पत्ते फायदेमंद होते हैं। इस समस्या से निपटने के लिए पान के पत्तों को चबाकर खाएं। नियमित रूप से पान के पत्तों को सादा चबाने से पेट से जुड़ी समस्याओं से बचा जा सकता है।