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- ज्यादातर भारतीय घरों में दाल और चावल बहुत ही स्वाद लेकर खाया जाता है। खासकर छत्तीसगढ़, बिहार, उत्तर प्रदेश, मणिपुर, मेघालय और अरुणाचल प्रदेश में खाने में दाल और चावल न हो तो भोजन अधूरा माना जाता है। कई लोगों को ऐसा लगता है कि दाल-चावल में खास पोषक तत्व नहीं पाए जाते हैं। इसलिए कई लोग दाल और चावल खाने से बचते हैं। खासकर जो लोग वजन घटाना चाहते हैं वो दाल और चावल को देखते ही इग्नोर कर देते हैं। लोगों को ऐसा लगता है कि दाल और चावल खाने से वजन घटने की बजाय बढ़ जाएगा। अगर आप भी ऐसा ही सोचते हैं तो बिल्कुल गलत सोचते हैं। दाल और चावल न सिर्फ पोषक तत्वों से भरपूर होते हैं बल्कि वजन घटाने में भी मदद करते हैं। आइए जानते हैं वजन घटाने में दाल- चावल कैसे मदद करता है और इसे खाने का सही तरीका क्या है?वजन घटाने में कैसे मदद करता है दाल -चावल?दाल प्रोटीन, फाइबर का अच्छा सोर्स है। दाल और चावल को जब एक साथ खाया जाता है, तो शरीर को कार्बोहाइड्रेट के साथ-साथ प्रोटीन और फाइबर भी मिलता है जो वजन घटाने में मदद करता है। एक्सपर्ट के मुताबिक काब्र्स और फाइबर का एक साथ सेवन करने से शरीर का मेटाबॉलिज्म सिस्टम बूस्ट करने में मदद मिलती है। मेटाबॉलिज्म सिस्टम स्ट्रांग रहने से शरीर का वजन और एक्स्ट्रा फैट घटाने में मदद मिलती है। एक्सपर्ट का कहना है कि दाल में प्रोटीन की भरपूर मात्रा होती है जिससे आपका पेट लंबे समय तक भरा रहता है। पेट के लंबे समय तक भरा हुआ महसूस करने से आप एक्स्ट्रा फैट या जंक फूड खाने से बच जाते हैं, जिससे वजन घटाने में मदद मिलती है।डाइटिशियन के मुताबिक वजन घटाने वाले लोग अपनी डाइट में सफेद चावल की बजाय ब्राउन राइस को शामिल कर सकते हैं। सफेद चावल के मुकाबले ब्राउन राइस में अधिक मात्रा में फाइबर और प्रोटीन पाया जाता है, जो वजन घटाने में मदद करता है।वजन घटाने के लिए कैसे खाएं दाल-चावल?डाइटिशियन के मुताबिक वजन घटाने के लिए दोपहर के लंच या रात के डिनर में दाल-चावल का सेवन किया जा सकता है। आप सप्ताह में 3 से 4 दिन दाल-चावल खाकर वजन को घटा सकते हैं।दाल-चावल बनाते समय इन बातों का रखें ध्यान- जो लोग वजन घटाने के लिए डाइट में दाल -चावल को शामिल कर रहे हैं उन्हें इसे पकाते वक्त कुछ खास बातों का ध्यान रखना चाहिए:- दाल को पकाने के बाद उसमें तेल, रिफाइंड से तड़का न लगाएं।-दाल में तड़का लगाने के लिए आप प्रोसेसड ऑयल की बजाय घी का इस्तेमाल कर सकते हैं।-सफेद चावल की बजाय ब्राउन राइस का इस्तेमाल करें।-आप चाहें तो दाल में 2 से 3 तरह की सब्जियां मिलाकर पका सकते हैं।
- अनार खाने में स्वादिष्ट होने के साथ-साथ सेहत के लिए भी बहुत फायदेमंद होता है। अनार में भरपूर मात्रा में आयरन पाया जाता है, जो शरीर में खून की कमी को दूर करता है। अनार में विटामिन सी और एंटीऑक्सीडेंट भी मौजूद होते हैं, जो त्वचा को हेल्दी बनाने में काफी लाभकारी है। अनार शरीर के साथ-साथ त्वचा और बालों को हेल्दी रखता है। अकसर लोग अनार को छीलकर खाते हैं और इसके छिलके को फेंक देते हैं। लेकिन क्या आप जानते हैं कि अनार की तरह अनार का छिलका भी हमारी सेहत के लिए बहुत फायदेमंद है। एनसीबीआई के अनुसार, अनार के छिलके में प्रोटीन, मिनरल्स, पोटैशियम, कैल्शियम, फेनोलिक एसिड, फ्लेवेनोइड्स, टैनिन और एंटीऑक्सीडेंट जैसे पोषक तत्व मौजूद होते हैं। अनार के छिलके शरीर की कई समस्याओं को दूर करने में प्रभावी हैं। तो आइए, जानते हैं अनार के छिलकों के फायदे और इसके इस्तेमाल का तरीका-खांसी और गले की खराश से दिलाए आरामखांसी और गले की खराश से आराम दिलाने में अनार का छिलका काफी फायदेमंद हो सकता है। अनार के छिलके की एंटी-बैक्टीरियल और एंटीऑक्सीडेंट गुण मौजूद होते हैं। यह खांसी और संक्रमण फैलाने वाले बैक्टीरिया से निजात दिलाने में मदद कर सकता है। इसके लिए अनार के छिलके के पाउडर को गर्म पानी में मिलाकर गरारे करें। ऐसा करने से आपको गले की खराश और खांसी से जल्द राहत मिल सकती है।दिल की सेहत के लिए फायदेमंदअनार के छिलके दिल को स्वस्थ रखने में काफी फायदेमंद हैं। दरअसल, ये शक्तिशाली एंटीऑक्सिडेंट से भरपूर होते हैं, जो खराब कोलेस्ट्रॉल को कम करते हैं। अनार के छिलके शरीर को ऑक्सीडेटिव स्ट्रेस और फ्री रेडिकल्स से होने वाले नुकसान से भी बचा सकते हैं। इसके लिए एक गिलास पानी में एक चम्मच अनार के छिलके का पाउडर मिलाएं। इस मिश्रण को रोजाना पीने से हाई ब्लड प्रेशर और दिल की बीमारियों का जोखिम कम होगा।पाचन संबंधी समस्याओं को दूर करेअनार के छिलके पाचन से जुड़ी समस्याओं को दूर करने में प्रभावी हैं। इसमें एंटी-इंफ्लेमेटरी गुण होते हैं, जो पेट की सूजन और संक्रमण को दूर करने में फायदेमंद है। अनार के छिलके दस्त और बवासीर की सूजन को दूर करने में भी मददगार है। पाचन संबंधी समस्या होने पर आप अनार के छिलके के पाउडर को गर्म पानी में मिलाकर पी सकते हैं।शरीर को डिटॉक्सिफाई करेअनार के छिलके एंटीऑक्सीडेंट्स गुणों से भरपूर होते हैं, इसलिए यह शरीर से विषाक्त पदार्थों को बाहर निकालने में फायदेमंद होते हैं। इसके साथ ही, यह लिवर और किडनी को भी स्वस्थ बनाए रखने में मददगार होता है। अनार के छिलकों से तैयार चाय का सेवन करने से बॉडी डिटॉक्स होती है और इम्यूनिटी भी बूस्ट होती है।ओरल हेल्थ के लिए लाभकारीअनार के छिलके ओरल हेल्थ के लिए भी बहुत फायदेमंद होते हैं। इसमें एंटी-माइक्रोबियल और एंटी-फंगल गुण मौजूद होते हैं। ये मुंह की बदबू, मसूड़े की सूजन और मुंह के छालों की समस्या को दूर करने में लाभकारी हो सकते हैं। इसके लिए आप धुप में सुखाए हुए अनार के छिलके को पानी में मिलाएं। दांतों को ब्रश से साफ करने के बाद इस मिश्रण से कुल्ला करें। ऐसा करने से आपके दांत स्वस्थ बनेंगे और सांसों की बदबू भी दूर होगी।
- गेहूं के ज्वारे के बारे में, तो आपने हजारों बार सुना होगा। लेकिन क्या आप ये जानते हैं कि इसको खाने से शरीर को कई तरह के लाभ मिलते हैं। किसी संजीवनी से कम नहीं है ।गेंहू का ज्वारा. गेंहू के ज्वारे को इंग्लिश में वीटग्रास कहते हैं। इसमें भरपूर मात्रा में ग्लूटाथियोन, विटामिन सी, विटामिन ई और एंटीऑक्सीडेंट्स आदि पाए जाते हैं। इसके सेवन से पाचन तंत्र मजबूत होता हैं और शरीर में सूजन की समस्या आसानी से दूर होती है। इसमें विटामिन-सी की मात्रा पाई जाती है, जो मसूंड़ों को स्वस्थ रखने के साथ ही दांतों को मजबूती प्रदान करने में मदद करता हैं। इसके सेवन से शरीर की कई बीमारियां दूर होती हैं। ये शरीर को लंबे समय तक स्वस्थ रखने में मदद करता है। आइए जानते हैं गेहूं के ज्वारे खाने के फायदों के बारे में।पाचन तंत्र को करे मजबूतगेहूं के ज्वारे खाने से पाचन शक्ति मजबूत होती है। इनके सेवन से कब्ज, एसिडिटी, मितली, अपच, उल्टी और पेट फूलने जैसी समस्याएं नहीं होती हैं। ये पेट को हेल्दी रखने में मदद करता है। इसमें पाए जाने वाले प्रोटीन, अमीनो एसिड और विटामिन बी पचाने की क्षमता को बेहतर करते हैं और शरीर को स्वस्थ रखते हैं।कोलेस्ट्रॉल को नियंत्रित करेंगेहूं के ज्वारे खाने से कोलेस्ट्रॉल को नियंत्रित करने में मदद मिलती है और हार्ट संबंधी बीमारियों का खतरा कम होता हैं। इसमें हाइपोलिपिडेमिक गुण पाए जाते हैं, जो कोलेस्ट्रॉल को कंट्रोल करके हार्ट को हेल्दी रखने में मदद करता है।डायबिटीज को करे कंट्रोलगेहूं के ज्वारे खाने से डायबिटीज को कंट्रोल करने में मदद मिलती है। इसमें एंटीहाइपरग्लाइसीमिया और एंटीऑक्सीडेंट गुण पाए जाते हैं, जो शरीर में डायबिटीज के स्तर को बनाए रखने में मदद करता है। ये डायबिटीज के होने के खतरे को भी कम करता है।गठिया की समस्या को करे दूरगेहूं के ज्वार के सेवन से गठिया की समस्या आसानी से दूर होती हैं। इसमें एंटी-इंफ्लेमेटरी गुण पाए जाते हैं, जो गठिया में होने वाले दर्द और सूजन को कम करने में मदद करते हैं। नियमित इनके सेवन से शरीर हेल्दी रहता है।वजन कम करने में मददगारगेहूं के ज्वार खाने से वजन कम करने में मदद मिलती है। क्योंकि इसमें पोटैशियम और फाइबर की मात्रा पाई जाती हैं, जो वजन को कम करने के साथ पेट को हेल्दी रखने में मदद करता है। वजन को कम करने के लिए गेहूं के ज्वारे को आसानी से खाया जा सकता है। गेहूं के ज्वारे शरीर के लिए फायदेमंद होते हैं। लेकिन ध्यान रखें इसका सेवन करने से पहले डॉक्टर की राय अवश्य लें।
- पनीर का फूल औषधीय गुणों से भरपूर होता है। इनका सेवन शुगर को कम करने, अनिद्रा की समस्या दूर करने और त्वचा के लिए किया जा सकता है। आयुर्वेद में भी पनीर के फूलों का इस्तेमाल कई तरह की समस्याओं का इलाज करने के लिए किया जाता है। पनीर के फूलों को ऑनलाइन ऑर्डर कर सकते हैं।पनीर के फूल के फायदे1. डायबिटीज में लाभकारपनीर डोडा बेनिफिट्स फॉर डायबिटीज। डायबिटीज को नियंत्रण में रखने के लिए आयुर्वेद में कई जड़ी-बूटियों का इस्तेमाल किया जा रहा है। इन्हीं में से एक है पनीर के फूल या पनीर डोडा। पनीर के फूल इंसुलिन को संतुलन में रखने में मदद करता है। सर्दियों में मधुमेह को कंट्रोल में रखने के लिए पनीर के फूल एक बेहतरीन औषधि है।2. अनिद्रा की समस्या दूर करेरातभर नींद न आना की समस्या अनिद्रा होती है। आजकल के बढ़ते तनाव, चिंता की वजह से अधिकतर लोग मानसिक रूप से स्वस्थ नहीं है, जो अनिद्रा का कारण बनता है। अगर आप अनिद्रा से छुटकारा पाना चाहते हैं, तो पनीर के फूलों का सेवन कर सकते हैं। पनीर के फूल अनिद्रा से छुटकारा दिलाने में फायदेमंद है।3. मोटापा कम करेपनीर के फूल फॉर वेट लॉस। गलत खान-पान, खराब लाइफस्टाइल मोटापे के मुख्य कारण हैं। अगर आप मोटापे से परेशान हैं, तो पनीर के फूलों को सेवन कर सकते हैं। पनीर के फूल में कई ऐसे औषधीय गुण होते हैं जो वजन कम करने में मदद करते हैं। वजन कम करने के लिए एक्सरसाइज के साथ ही पनीर के फूलों को भी डाइट में शामिल कर सकते हैं।4. त्वचा के लिए फायदेमंदकील-मुहांसों, एंटी एजिंग, दाग-धब्बों जैसी त्वचा समस्याओं को दूर करने के लिए भी पनीर के फूलों के पानी का इस्तेमाल किया जा सकता है। इसके लिए पनीर के फूल का पानी पी सकते हैं। आप चाहें तो पनीर के फूलों का पानी स्किन पर भी लगा सकते हैं। इससे आपको त्वचा संबंधी समस्याओं में काफी आराम मिलेगा।5. सर्दी-जुकाम और बुखार में लाभकारीपनीर के फूल पोषक तत्वों से भरपूर होते हैं। इनमें कई ऐसे औषधीय गुण होते हैं, जो शरीर की इम्यूनिटी को बढ़ाते हैं। पनीर के काढ़े का सेवन करके आप सर्दी-जुकाम और बुखार जैसी समस्याओं से निजात पा सकते हैं। सर्दी-जुखाम के लिए अच्छा घरेलू उपाय है।पनीर के फूल के नुकसान--अगर पनीर के फूलों का सेवन गलत तरीके से किया जाएगा, तो इससे उल्टी की समस्या हो सकती है।-पनीर के फूल का अधिक सेवन करने से गैस, एसिडिटी की समस्या पैदा हो सकती है।- डायरिया, दस्त की समस्या है तो इसके सेवन से बचें।-गर्भवती महिलाओं को इसका सेवन डॉक्टर की सलाह पर ही करना चाहिए।-गंभीर बीमारी होने पर भी पनीर के फूल को एक्सपर्ट की राय में ही लेना चाहिए।
- कई बार खांसी की समस्या में सीने में दर्द महसूस होता है। अक्सर हम इस दर्द को सामान्य संक्रमण का कारण मानकर घरेलू उपायों को अपनाने लगते हैं। लेकिन इस समस्या की वजह से कई अन्य तरह के रोग होने का खतरा होता है। ऐसा दर्द सीने में बार-बार हो सकता है। आपको बता दें कि हार्ट और फेफड़ों से जुड़े कई बड़े रोगों का लक्षण खांसी और सीने में दर्द होता है। इस तरह के लक्षण महसूस होने पर तुरंत डॉक्टर से जांच करानी चाहिए।खांसी के साथ सीने में दर्द के कारणएक्यूट ब्रोंकाइटिसऑक्सीजन को फेफड़ों तक ले जाने और फेफड़ों से कार्बन डाई ऑक्सीजन बाहर लाने वाली नलियों में सूजन आ जाती है। कई बार सर्दी लगने पर लोगों को ऐसा महसूस होता है। इस नली में सूजन की वजह से सीने में दर्द महसूस होने लगता है और व्यक्ति को सांस लेने में भी परेशानी हो सकती है।पेरिकार्डिटिसपेरिकार्डिटिस में हार्ट के चारों ओर द्रव से भरे टिश्यू की थैली होती है, जिसमें सूजन आ जाती है। इसकी वजह से व्यक्ति को सीने में दर्द महसूस होती है। ये एक तरह का हार्ट डिजीज है। इसके लक्षण व्यक्ति को तीन महीनों तक महसूस होते हैं। इसमें रोगी को थकान, सीने में दर्द, खांसी और बुखार होने लगता है।फ्लूसंक्रमण की वजह से आपको फ्लू की समस्या होती है। फ्लू होने पर व्यक्ति को मांसपेशियों में दर्द, बुखार, गले में दर्द, नाक का बहना, सिर दर्द और थकान महसूस होती है। इस समस्या में व्यक्ति को सीने में कफ हो जाता है और दर्द होने लगता है।सीओपीडीक्रॉनिक ऑब्सट्रक्टिव पल्मोनरी डिजीज (सीओपीडी) फेफड़ों से जुड़ी समस्या है। इसमें क्रोनिक ब्रोंकाइटिस और अस्थमा को भी शामिल किया जाता है। इस रोग में मरीज को सांस फूलने लगती है। लंबे समय तक धूम्रपान करने से फेफडों की कार्यक्षमता प्रभावित करती है। इसमें फेफड़ों में सूजन से बलगम की समस्या बढ़ जाती है। इसमें सीने में जकडऩ और दर्द महसूस होता है।जीईआरडीएसिड रिफ्लक्स एक पाचन संंबंधी रोग है, ये पेट में एसिड बनने से होता है। इससे मरीज को खाना पचाने में परेशानी होती है। ऐसा होने पर व्यक्ति को उल्टी आने का मन करता है। इस समय मरीज को सीने में जलन और दर्द महसूस होता है।खांसी और सीने में दर्द के अन्य कारणनिमोनियाप्लूरल डिसऑर्डरअस्थमाप्लनरी इम्बॉलिस्मलंग कैंसर,फेफड़ों संबंंधी अन्य रोग, आदि।सीने में दर्द और खांंसी की समस्या यदि दो से चार सप्ताह से है, तो ऐसे में तुरंत डॉक्टरी सलाह लेनी चाहिए। इन लक्षणों को अनदेखा करना खतरनाक हो सकता है।
- आजकलर जोड़ों में दर्द होने आम बात है। दर्द होने पर लोग गर्म सिंकाई या ठंडी सिंकाई करते हैं। दर्द से आराम दिलाने के लिए ये दोनों ही बहुत ही कारगर उपाय हैं। लेकिन यह जानना जरूरी हो जाता है कि जोड़ों के दर्द के लिए इन दोनों तरीकों में से बेहतर कौन-सा है?कब करें गर्म सिंकाईसबसे पहले बात करते हैं गर्म सिंकाई की। शरीर के जिस हिस्से में दर्द होता है, वहां गर्म सिंकाई की जाती है, ताकि ब्लड वेसल्स को फैलाने में मदद मिले। इससे जोड़ों को आराम मिलता है। इसी तरह गर्म सिंकाई गठिया के कारण होने वाले जोड़ों के दर्द से भी आराम देता है। अक्सर देखने में आता है कि बुजुर्ग लोग मॉर्निंग स्टिफनेस से ज्यादा परेशान रहते हैं। ऐसे में भी आप गर्म सिंकाई कर सकते हैं। ऐसा 15-20 मिनट के लिए करने से दर्द में काफी आराम मिलता है। इससे जोड़ों की ऐंठन कम होती है, कमर दर्द में राहत मिलती है और पीठ के निचले हिस्से में भी आराम मिलता है।कब करें ठंडी सिंकाईजहां तक बात ठंडी सिंकाई की है, तो यह भी जोड़ों के दर्द में आराम देने का काम करता है। लेकिन ठंडी सिंकाई चोट या घाव के लिए बेहतर होता है। चोट पर ठंडी सिंकाई करने की वजह से रक्त प्रवाह कम होता है। साथ ही सूजन और टिश्यू की क्षति में कमी आती है। साथ ही बर्फ से सिंकाई करने से सूजन कम होती है, मांसपेशियों का दर्द कम होता है और जोड़ों के दर्द में भी यह कारगर है। लेकिन चोट और घाव के लिए ठंडी सिंकाई को प्राथमिकता दी जाती है।जोड़ों के दर्द के लिए क्या है बेहतरदोनों तरह की सिंकाई की अपनी-अपनी अहमियत होती है और दोनों ही तरह से सिंकाई की जाती है। जहां एक ओर ठंडी सिंकाई करने से ब्लड फ्लो में कमी आती है। इसलिए इसे अक्सर चोट लगने के 48 घंटों के भीतर ठंडी सिंकाई की जाने की सलाह दी जाती है। यहां तक कि ऑस्टियोआर्थराइटिस के मरीजों को भी ठंडी सिंकाई (बर्फ से मालिश करना) या 10-15 मिनट के लिए ठंडे पैड का उपयोग करने के लिए कहा जाता है। वहीं दूसरी ओर गर्म सिंकाई को शारीरिक गतिविधियों या एक्सरसाइज से पहले करने का सुझाव दिया जाता है। ऐसे में यह कहना जरा भी गलत नहीं होगा कि आप अपनी जरूरत के अनुसार ठंडी या गर्म सिंकाई कर सकते हैं। लेकिन जहां तक जोड़ों के दर्द की बात है, तो इसके लिए विशेषज्ञ गर्म सिंकाई की सलाह देते हैं। हालांकि साथ ही यह सुझाव भी देते हैं कि सूजन होने पर गर्म सिंकाई नहीं की जानी चाहिए।----
- क्या आप वजन बढऩे की समस्या से परेशान हैं? क्या आपका पेट फूलता जा रहा है और कम करने के लिए आपको काफी मशक्कत करनी पड़ रही है? अगर ऐसा है, तो आपके लिए त्रिफला वजन कम करने में सहायक हो सकता है। त्रिफला को आंवला, हरड़ और बहेड़ा को मिलकर बनाया जाता है, जो कई तरह के समस्याओं में जड़ी-बूटी के रूप में काम करता है। ध्यान रहे कि वजन घटाने के लिए त्रिफला चूर्ण का सेवन करने के साथ-साथ नियमित रूप से व्यायाम करना भी जरूरी है। यहां जानिए कि त्रिफला किस प्रकार फायदेमंद है।एंटीऑक्सीडेंट गुणएक शोध में पाया गया है कि एंटीऑक्सीडेंट गुण फ्री रेडिकल्स को नष्ट करके वजन को कम करने में सहायता कर सकते हैं । वहीं, त्रिफला चूर्ण में एंटीऑक्सीडेंट गुण पाए जाते हैं। इसलिए, वजन घटाने के लिए त्रिफला चूर्ण को फायदेमंद माना जा सकता हैफैटी एसिडवजन घटाने के लिए त्रिफला चूर्ण के फायदे देखे जा सकते हैं। त्रिफला में फैटी एसिड पाए जाता है , जो आपके वजन को कम करने में मददगार साबित हो सकते हैं। एक अध्ययन में पाया गया कि ओमेगा-3 फैटी एसिड भूख को शांत रखने का काम करता है, जिससे मोटापे को कम किया जा सकता है।मोटापा कम करने के लिए त्रिफला का उपयोग कैसे करें?वजन से छुटकारा पाने के लिए आप त्रिफला का उपयोग इन विभिन्न तरीकों से कर सकते हैं :1. पानी के साथ- त्रिफला चूर्ण को पानी में मिलकर पिया जा सकता है। इसके लिए आप ठंडा और गर्म दोनों तरह के पानी का उपयोग कर सकते हैं। इसे सुबह खाली पेट पीना ज्यादा फायदेमंद होता है।2. नींबू और शहद के साथ त्रिफला- अगर सादे पानी के साथ त्रिफला को लेने से आपको स्वाद अजीब लगता है, तो आप हल्के गुनगुने पीने में नींबू व शहद मिला सकते हैं। इसे व्यायाम करने के बाद लिया जा सकता है।3. त्रिफला चाय- त्रिफला चूर्ण को चाय की तरह भी उपयोग कर सकते हैं। इसके पाउडर पानी में डालकर उबाल लें और फिर शहद डालकर पिएं। इसे सुबह और शाम पी सकते हैं।4. त्रिफला कैप्सूल- आपको त्रिफला कैप्सूल बाजार से आसानी से मिल जाएगा। इसे दोपहर में ले सकते हैं।-अगर आप घर में ही चूर्ण बना रहे हैं, तो ध्यान रहे कि आंवला, हरड़ और बहेड़ा अच्छे से सूखे हों।-आपको किसी तरह की शारीरिक या मानसिक समस्या है, तो इसे लेने से पहले डॉक्टर की सलाह जरूर लें।-त्रिफला चूर्ण का उपयोग करने से पहले यह सुनिश्चित कर लें कि उस चूर्ण को बनाए कितना समय हो गया है। साथ ही उसे किस तरह से रखा गया है। अधिक समय से बनाया हुआ चूर्ण का उपयोग न करें।त्रिफला के सेवन के साथ नियमित व्यायाम का भी ध्यान रखना जरूरी है।किन लोगों को त्रिफला नहीं खाना चाहिए-गर्भवती महिलाओं को त्रिफला चूर्ण के उपयोग से दूर रहना चाहिए। त्रिफला की तासीर गर्म होती है। इसलिए, गर्भपात का जोखिम बना रहता है।-जो महिलाएं शिशु को स्तनपान कराती हैं, उन्हें भी त्रिफला चूर्ण के सेवन से परहेज करना चाहिए।-मधुमेह के रोगियों को इसके सेवन से पहले डॉक्टर की सलाह जरूर लेनी चाहिए।-जिन्हें जल्दी एलर्जी हो जाती है, वो इसका सेवन न करें।
- भारत में ऐसी कई आयुर्वेदिक जड़ी-बूटियां हैं, जिनका इस्तेमाल वर्षों से तरह-तरह की बीमारियों को दूर भगाने में किया जा रहा है। ऐसी ही एक जड़ी-बूटी है बहेड़ा। सबसे दिलचस्प बात ये है कि बहेड़ा को संस्कृत में विभीतकी कहा जाता है, जिसे अंग्रेजी में 'फीयरलेस' यानी 'निर्भय' कहते हैं, यानी यह बीमारियों का भय दूर करता है। पेट संबंधी कुछ समस्याओं के उपचार और प्रबंधन के लिए इस जड़ी-बूटी का उपयोग सदियों से किया जा रहा है। यह त्रिफला के तीन प्रमुख अवयवों में से एक है। इसमें रोगाणुरोधी, एंटी-ऑक्सीडेंट और प्रतिरक्षाविज्ञानी गुण मौजूद होते हैं। आइये जानते हैं इसके फायदे.....लिवर के लिए फायदेमंद है बहेड़ाबहेड़ा में हेपेटोप्रोटेक्टिव गुण मौजूद होते हैं। कई अध्ययनों में यह पाया गया है कि बहेड़ा किसी हानिकारक पदार्थ के संपर्क में आने पर लिवर में सूजन होने से रोकता है।डायबिटीज में भी है फायदेमंदबहेड़ा में एंटी-डायबिटिक गुण होते हैं। विशेषज्ञ कहते हैं कि इसका अर्क इंसुलिन के स्तर में सुधार करने के अलावा खून में शुगर या ग्लूकोज के स्तर को बढऩे से रोकने में मदद कर सकता है।पेट के लिए है उपयोगीपारंपरिक रूप से बहेड़ा का उपयोग गैस्ट्रिक, अल्सर और गैस्ट्राइटिस से निजात पाने के लिए किया जाता है। विशेषज्ञ कहते हैं कि इसका हाइड्रोक्लोरिक अर्क एसिडिटी को कम करने में मदद करता है, जो पेप्टिक अल्सर के जोखिम कारकों में से एक है।दिल के लिए है फायदेमंदअध्ययनों में यह पाया गया है कि बहेड़ा में मौजूद गुण खून के थक्के बनने से रोकते हैं और पहले से मौजूद खून के थक्कों को तोड़ते भी हैं। विशेषज्ञ कहते हैं कि वाहिका में बनने वाले खून के थक्के की वजह से स्ट्रोक और हार्ट अटैक जैसी समस्याएं विकसित हो सकती हैं।
- आज महाशिवरात्रि है। इस मौके पर भक्त भगवान शिव की अराधना कर उपवास रखते हैं। व्रत के दौरान आप कई ऐसी चीजों का सेवन कर सकते हैं, जो आपको हेल्दी रखने में मदद करते हैं। तो जानते हैं महाशिवरात्रि के व्रत के लिए हेल्दी फलाहार-1. फ्रूट्स और ड्राई फ्रूट्स चाटमहाशिवरात्रि के व्रत में आप फ्रूट्स और ड्राई फ्रूट्स चाट का भी सेवन कर सकते हैं। व्रत के दौरान फल और मेवे का सेवन करना काफी फायदेमंद होता है। व्रत में फल और ड्राई फ्रूट्स खाने से आपको पर्याप्त मात्रा में विटामिन्स और मिनरल्स मिलेंगे। इससे आप पूरे दिन एनर्जेटिक महसूस करें और जल्दी से भूख भी नहीं लगेगी। इसके लिए आप एक बाउल में फल काट लें। फिर इसमें भीगे हुए ड्राई फ्रूट्स डाल दें। इसमें सेंधा नमक और काली मिर्च पाउडर भी मिक्स करें।2. साबुदाने के खीरसाबुदाने की खीर स्वादिष्ट और पौष्टिक होती है। अगर आप व्रत में साबुदाने की खीर खाएंगे, तो इससे आप पूरे दिन एनर्जेटिक रहेंगे। साथ ही आपको थकान, कमजोरी भी महसूस नहीं होगी और ज्यादा भूख का अहसास नहीं होगा। साबुदाने की खीर खाने से आपको कई विटामिन्स और मिनरल्स भी मिलेंगे।3. फ्रूट रायताफ्रूट रायता भी एक अच्छा फलाहार होता है। फ्रूट रायता खाने से आपकी भूख मिटेगी, साथ ही आप में पूरे दिन एनर्जी भी रहेगी। इसके लिए आप एक बाउल में दही लें। इसमें अपने पसंदीदा फल और ड्राई फ्रूट्स डालें। अब आप इस तैयार रायते को महाशिवरात्रि के मौके पर खा सकते हैं। लेकिन रायते में नमक डालने से बचना चाहिए।4. ड्राई फ्रूट्स शेकड्राई फ्रूट शेक भी एक अच्छा फलाहार विकल्प है। आप ड्राई फ्रूट शेक को आसानी से घर पर ही बना सकते हैं। इसके लिए आप एक गिलास दूध लें। इसमें काजू, बादाम, अखरोट, किशमिश डालें। फिर अच्छी तरह से ग्राइंड कर लें। आप चाहें तो इसमें केला, स्ट्रॉबेरी आदि भी डाल सकते हैं। महाशिवरात्रि के व्रत में ड्राई फ्रूट शेक पीने से आपको पर्याप्ता एनर्जी मिलेगी, साथ ही आपको लंबे समय तक भूख भी नहीं लगेगी।5. रोस्टेड मखानामखाने में प्रोटीन, फाइबर, कैल्शियम और आयरन का अच्छा सोर्स होता है। इसके लिए आप मखाने को घी में रोस्ट कर लें। फिर व्रत के दौरान इनका सेवन करें। इससे आपको सभी विटामिन्स और मिनरल्स मिलेंगे, साथ ही आपको एनर्जी भी मिलेगी।
- पोटली मसाज भारत की प्राचीन चिकित्सा पद्धति का एक हिस्सा है। पोटली मसाज कई तरह की आयुर्वेदिक जड़ी-बूटियों और तेलों को मिलाकर बनाई जाती है। कई बार पोटली मसाज में ताजा आयुर्वेदिक पत्तियों को मिलाया जाता है, तो कई बार इसमें तेल की मात्रा ज्यादा होती है। पोटली मसाज में मिलाए जाने वाली जड़ी-बूटियां दर्द और समस्या के हिसाब से तय की जाती है। पोटली मसाज करने से शारीरिक दर्द को दूर करने, स्किन को ग्लोइंग बनाने और शरीर के ब्लड सर्कुलेशन को ठीक करने में मदद मिलती है।पोटली मसाज के फायदे क्या हैं--नियमित तौर पर पोटली मसाज करने से जोड़ों के दर्द, सिर दर्द और मांसपेशियों के दर्द से राहत पाई जा सकती है। सर्दियों के मौसम में जिन बुजुर्गों के घुटनों और जोड़ों में ज्यादा दर्द होने लगता है उन्हें दिन में दो बार पोटली मसाज करने की सलाह दी जाती है।-नियमित तौर पर पोटली मसाज करने से तनाव, डिप्रेशन और अनिद्रा की समस्या से राहत पाने में मदद मिलती है। तनाव से जूझ रहे लोगों को शाम के समय पोटली मसाज करवाने की सलाह दी जाती है।-पेट में बनने वाले कब्ज, सूजन और दर्द से भी राहत दिलाने में पोटली मसाज काफी फायदेमंद साबित होती है।-पोटली मसाज करने से शरीर और चेहरे पर होने वाले दाग-धब्बे भी दूर होते हैं।पोटली मसाज में किन चीजों का इस्तेमाल होता है?-आयुर्वेद के अनुसार तनाव और अनिद्रा से बचाव के लिए पोटली मसाज में अश्वगंधा के पाउडर और तेल का इस्तेमाल किया जाता है।-शारीरिक दर्द को खत्म करने के लिए पोटली मसाज में सरसों के बीज, नीम का तेल और अदरक का इस्तेमाल किया जाता है।-सिर के दर्द को खत्म करने के लिए पोटली मसाज में नींबू और पुदीने की पत्तियों का इस्तेमाल किया जाता है। कुछ जगहों पर सिर के दर्द के इलाज में मसाज पोटली में राई का भी इस्तेमाल होता है।-शरीर का ब्लड सर्कुलेशन ठीक करने के लिए चावल या चावल के आटे और रोजमेरी का इस्तेमाल मसाज पोटली में किया जाता है।-पोटली मसाज का प्रयोग 14वीं सदी से भारत और दुनिया के कई हिस्सों में शारीरिक समस्याओं के समाधान के तौर पर किया जाता रहा है। पोटली मसाज सुनने में जितनी आसान लगती है ये उससे कहीं ज्यादा मुश्किल है। ध्यान रखें कि अगर आप मसाज पोटली से मसाज करना चाहते हैं तो एक्सपर्ट से सलाह जरूर लें।
- अर्जुन एक ऐसा सदाबहार वृक्ष है, जिसमें कई औषधीय गुण मौजूद हैं। आज हम आपको अपने इस लेख के माध्यम से बताएंगे कि अर्जुन की छाल के क्या फायदे होते हैं।1 - मधुमेह के रोगियों के लिए उपयोगीमधुमेह से पीडि़त रोग अर्जुन की छाल के चूर्ण को देसी जामुन के बीजों के साथ मिलाएं व नियमित रूप से रात को सोने से पहले बने चूर्ण का सेवन करें। या फिर कदम्ब की छाल, अर्जुन की छाल, जामुन की छाल तथा आजवाइन को एक साथ बराबर मात्रा में पीसकर इसे उबाल लें और ठंडा होने पर इस काढ़ेे का सेवन करें।2 - त्वचा के लिए उपयोगीअगर आप अपनी स्किन को टाइट करना चाहते हैं या चमकदार और साफ दिखाई देना चाहते हैं तो अर्जुन की छाल से बना लेप एक अच्छा विकल्प है। इसके लिए आपको बादाम, हल्दी, कपूर और अर्जुन की छाल को बराबर मात्रा में लेकर पीस लेना होगा और चेहरे पर लगाना होगा।3 - मोटापे से छुटकाराअर्जुन की छाल वजन कम करने में भी बेहद मददगार है। ऐसे में अर्जुन की छाल से बना काढ़ा नियमित रूप से सेवन करने से शरीर में जमा अतिरिक्त चर्बी खुद-ब-खुद कम होनी शुरू हो जाएगी। इसके लिए आपको अलग से व्यायाम करने की जरूरत नहीं है।4 - दिल की सेहत के लिएअर्जुन की छाल न केवल अनियमित धड़कन संकुचन दूर करती है बल्कि हृदय में आई सूजन, स्ट्रोक के खतरे को भी दूर कर सकती है। यह दिल को ताकत पहुंचाती है। ऐसे में आम अर्जुन की छाल और जंगली प्याज को समान मात्रा में लें और उसका चूर्ण बनाएं। इस पाउडर को नियमित रूप से दूध के साथ सेवन करने से हृदय की ब्लॉकेज दूर होगी और मांसपेशियों को मजबूती मिलेगी।5 -मूत्र की रुकावट को दूर करेमूत्र से संबंधित रोगों को दूर करने में अर्जुन की छाल बेहद फायदेमंद है। इसके अलावा गुर्दे या मूत्राशय की पथरी को निकालने में भी इसका प्रयोग किया जाता है। ऐसे में अर्जुन की छाल को पीसकर दो कप पानी में उबालें और गैस से उतारकर रोगी को इसका सेवन करने के लिए दें।6 - मुंह के छालेअर्जुन की छाल से मुंह के छालों को दूर किया जा सकता है। ऐसे में अर्जुन की छाल के चूर्ण को नारियल के तेल के साथ मिलाएं और छालों पर लगाएं।7 - खांसी से राहतइसके लिए आपको अर्जुन की छाल को सुखाकर उसे पीसना होगा। उसके बाद उसमें अडूसा के पत्तों का रस निकालना होगा और मिलाना होगा। अब फिर से इस चूर्ण को सूखाना होगा और फिर से इस प्रक्रिया को दोहराना होगा। इसे तकरीबन छह से सात बार करने के बाद एक पैक तैयार होगा। उसे आपको शीशी में भरना होगा। अब इस पैक को शहद के साथ चाटना होगा। ऐसा करने से खांसी की समस्या दूर हो जाएगी।8 - उच्च रक्तचाप को कम करेजो लोग हाई ब्लड प्रेशर से परेशान रहते हैं उन्हें बता दें कि अर्जुन की छाल ट्राइग्लिसराइड की समस्या को कम करती है। कोलेस्ट्रॉल को कम करने के साथ-साथ अर्जुन की छाल का पाउडर एनजाइना के दर्द को भी कम करता है।(नोट- कोई भी उपाय करने से पहले एक बार योग्य चिकित्सक से सलाह अवश्य लें।)
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खाना तो हमेशा सेहतमंद ही खाना चाहिए। अगर मीठा खाने का दिल करता है तो कुछ अनहेल्दी खाने से अच्छा है कि घर में कुछ टेस्टी और न्यूट्रिशन से भरपूर बनाएं। जिसे घर का हर सदस्य खा सके। अंजीर की खीर बनाने में आसान है और पोषण से भरपूर। इसे आप डायबिटीज के पेशेंट को भी खिला सकती हैं। कई बार डायबिटीज के मरीज मीठा खाने की डिमांड करते हैं। ऐसे में आप उनके लिए अंजीर की खीर बना सकती हैं। अंजीर ब्लड शुगर कंट्रोल करने के साथ ही डाइजेशन के लिए वरदान है। कब्ज की समस्या में अंजीर बहुत फायदा पहुंचाता है। तो चलिए जानें कैसे बनेगी अंजीर की सेहतमंद खीर।
अंजीर की खीर बनाने की सामग्री
ड्राई अंजीर 10-12
दूध एक लीटर
चीनी तीन से चार चम्मच
छुहारा या खारक 4-5
काजू 10-12
बादाम 10-12
पिस्ता 10-12
केसर के धागे 3-4
हरी इलायची 3-4
कंडेस्ट मिल्क एक कप
देसी घी
अंजीर की खीर बनाने की विधि
सेहतमंद अंजीर की खीर बनाने के लिए सबसे पहले अंजीर को अच्छी तरह से धो लें। फिर इन्हें टुकड़ों में काट लें। पैन में देसी घी गर्म करें और उसमे अंजीर के टुकड़ों को डालकर धीमी आंच पर भून लें। दूसरी गैस पर गहरे तल के बर्तन में दूध उबलने के लिए रख दें। इस दूध में अच्छी तरह से भुने अंजीर को डालकर करीब 4-5 घंटे के लिए छोड़ दें।
कड़ाही में घी डालें और बादाम, छुहारा को भून लें। साथ में काजू और पिस्ता को भी भूनकर रख लें। जब ये ड्राई फ्रूट्स थोड़ा ठंडा हो जाए तो ग्राइंडर के जार डालकर पीस लें। इसमें हरी इलायची भी डाल दें। दूध में भीगी अंजीर को भी पीस लें।
इस तरह तैयार करें खीर
दूध को गैस पर उबलने दें। एक उबाल आने के बाद सारे पिसे ड्राई फ्रूट्स को डालकर चलाएं। खीर को गाढ़ा करने के लिए इसमे कंडेस्ड मिल्क डालें। साथ में चीनी डालकर चलाएं और आठ से दस मिनट तक पकने दें। गैस बंद कर दें और गर्मागर्म या ठंडा हो जाने के बाद सर्व करें। -
नमक एक ऐसी चीज है, जिसके बिना खाने का स्वाद नहीं आता है। लेकिन ज्यादा मात्रा में नमक का सेवन स्वास्थ्य के लिए हानिकारक साबित हो सकता है। दरअसल, खाने में प्रयोग होने वाला नमक 40 प्रतिशत सोडियम और 60 प्रतिशत क्लोराइड से बना होता है। सोडियम शरीर के लिए सबसे महत्वपूर्ण तत्वों में से एक है। सोडियम शरीर में पानी और मिनरल्स को बैलेंस रखने का काम करता है। इसके साथ ही, सोडियम कोशिकाओं को ठीक से काम करने में भी मदद करता है। लेकिन शरीर नें सोडियम की अधिकता कई बार हानिकारक भी साबित हो सकती है। लेकिन क्या आप जानते हैं कि आपका शरीर भी आपको कई ऐसे संकेत देता है, जो बताते हैं कि आप जरूरत से ज्यादा नमक खा रहे हैं। इस लेख में हम आपको शरीर में सोडियम की अधिकता के लक्षण बता रहे हैं -
शरीर में सूजन
अगर सुबह उठने के बाद आपका चेहरा फूला या सूजा हुआ नजर आता है, तो यह शरीर में हाई सोडियम लेवल का संकेत हो सकता है। ज्यादा मात्रा में नमक का सेवन करने से शरीर के अलग-अलग हिस्सों में सूजन की समस्या हो सकती है। अगर आपको सुबह उठने के बाद उंगलियों और टखनों के आसपास सूजन दिखाई दे, तो इसे सामान्य समझकर नजरअंदाज न करें। यह सूजन शरीर के टिश्यू में ज्यादा तरल पदार्थ की वजह से हो सकती है, जिसे एडिमा के रूप में जाना जाता है।बार-बार पेशाब आनाबार-बार पेशाब आना भी हाई सोडियम लेवल का एक लक्षण हो सकता है। अगर आपको रात में भी बार-बार पेशाब करने जाने की जरूरत पड़ती है, तो यह खाने में ज्यादा नमक का एक बड़ा संकेत है। हालांकि, डायबिटीज या यूटीआई जैसी समस्याओं में भी यह लक्षण महसूस हो सकता है। इसलिए, ऐसी स्थिति में आपको डॉक्टर से जांच करवानी चाहिए।ज्यादा प्यास लगनाअगर आपको बार-बार प्यास लगती रहती है, तो यह भी ज्यादा नमक के सेवन का संकेत है। अधिक मात्रा में नमक का सेवन करने से आपको हर समय प्यास लग सकती है। दरअसल, हाई सोडियम वाले खाद्य पदार्थ आपके शरीर के द्रव संतुलन को बिगाड़ सकता है। इसके कारण आप हर समय डिहाइड्रेटेड महसूस करते हैं। इस समयसा से निपटने का सबसे अच्छा तरीका है कि आप भरपूर मात्रा में पानी पिएं।मांसपेशियों में कमजोरीमांसपेशियों में कमजोरी महसूस होना भी शरीर में सोडियम की अधिकता का लक्षण हो सकता है। दरअसल, मांसपेशियों के बेहतर कामकाज के लिए सोडियम बहुत जरूरी है। शरीर में सोडियम का स्तर बढऩे के कारण आपकी हड्डियां भी कमजोर हो सकती हैं। अगर आपको मांसपेशियों में कमजोरी या ऐंठन जैसे लक्षण महसूस हो रहे हैं, तो डॉक्टर से अपने सोडियम लेवल की जांच करवाएं।बार-बार सिरदर्द होनाअगर आपको बार-बार सिरदर्द की समस्या हो रही है, तो यह भी हाई सोडियम लेवल का संकेत हो सकता है। दरअसल, ज्यादा नमक खाने से डिहाइड्रेशन हो सकता है। जिसकी वजह से आपको बार-बार हल्का सिरदर्द हो सकता है। इस समस्या से बचने के लिए नमक का सेवन कम कर दें और खूब पानी पिएं।ये कुछ ऐसे लक्षण हैं, जो बताते हैं कि आप खाने में ज्यादा नमक का सेवन कर रहे हैं। इसलिए, अगर आपको इनमें से कोई भी लक्षण महसूस हो, तो तुरंत डॉक्टर से परामर्श करें। - सेहत के लिए पानी फायदेमंद होता है। हमारे शरीर के कुल वजन में 60 फीसदी पानी का होता है। शरीर को जितना पोषण तत्वों की जरूरत होती है, उससे ज्यादा पानी की होती है। स्वास्थ्य विशेषज्ञों के मुताबिक,एक व्यक्ति को रोजाना आठ से 10 गिलास पानी पीना चाह्ए। वहीं पानी पीने का तरीका और सही समय कई तरह की बीमारियों को भी दूर रखता है। अक्सर लोग ठंडा पानी पीना पसंद करते हैं, हालांकि कुछ लोग गुनगुना पानी पीते हैं। लेकिन अगर आप सुबह-सुबह खाली पेट गर्म पानी पीते हैं तो ये सेहत के लिए काफी फायदेमंद माना जाता है। इससे शरीर से विषाक्त पदार्थों को बाहर निकालने में मदद मिलती है। सुबह गर्म पानी पीने से पाचन क्रिया दुरुस्त रहती है। ऐसे में आपको खाली पेट पानी पीने की आदत डालनी चाहिए। आइए जानते हैं सुबह खाली पेट गर्म पानी पीने के फायदों के बारे में...पाचन तंत्र रहता है सहीखाली पेट एक गिलास गुनगुना पानी पीने से आपका पाचन तंत्र सही रहता है। रोजाना सुबह सुबह पानी पीने की आदत होने से गैस की समस्या और पेट फूलने की समस्या से राहत मिलती है। शरीर से विषाक्त पदार्थ भी बाहर निकल जाते हैं।भूख बढ़ती हैस्वास्थ्य विशेषज्ञ के मुताबिक, खाली पेट गर्म पानी पीने से भूख भी बढ़ती है। इससे सुबह का नाश्ता करने में आपको परेशानी नहीं होती और भरपूर नाश्ता करने के कारण शरीर में दिनभर ऊर्जा बनी रहती है। थकान भी नहीं लगती।सिर दर्द से राहतअगर आपको सिर दर्द की समस्या है तो रोजाना सुबह खाली पेट गुनगुना पानी पीने की आदत डालें। दरअसल, शरीर में पर्याप्त मात्रा में पानी न होने से सिर दर्द होता है। इसलिए भरपूर मात्रा में पानी पिएं और रोज सुबह एक गिलास पानी के साथ दिन की शुरुआत करें।त्वचा में आता है निखारगुनगुना पानी पीने से त्वचा में निखार आता है। शरीर में अधिक विषाक्त पदार्थ होते हैं, तो इससे त्वचा पर दाग धब्बे हो जाते हैं। त्वचा मुरझा जाती है और चमक चली जाती है। पानी तो त्वचा में निखार लाने में मददगार होती ही है। रोज सुबह उठकर एक गिलास पानी पीने से दाग-धब्बे से भी मुक्ति मिलती है।
- दिनों दिन बदलती जीवनशैली और खराब आदतें लोगों के ब्लड शुगर को बढ़ा रही है। अपने ब्लड शुगर को मैनेज करना बहुत जरूरी है। ऐसा न किए जाने की वजह से कई अन्य बीमारियां भी आपको हो सकती हैं। ब्लड शुगर को मैनेज करने का सबसे आसान तरीका है अपनी खराब आदतों को दूर कर लिया जाए। सवाल है कि वो आदतें कौनसी हैं, जिन्हें बदला जाना जरूरी है। इस लेख में हम आपको उन्हीं आदतों के बारे में बता रहे हैं, जिन्हें बदलकर आप न सिर्फ अपने ब्लड शुगर के स्तर को नियंत्रित कर सकेंगे बल्कि स्वस्थ जिंदगी जी सकेंगे।रात भर जगनाआजकल हर उम्र वर्ग के लोग फिर चाहे वह बच्चे हों या वयस्क। रात को देर से सोते हैं। कई लोग तो ऐसे भी हैं, जो रात-रात भर जगहर मोबाइल देखते रहते हैं। जबकि रात को गहरी नींद सोना बहुत जरूरी है। विशेषज्ञों का कहना है कि कम से कम 7 से 8 घंटे की नींद औसतन एक व्यक्ति को जरूर लेनी चाहिए। इससे न सिर्फ शरीर सुचारू रूप से चलता है बल्कि मन-मस्तिष्क भी स्वस्थ रहता है। साथ ही ब्लड शुगर नियंत्रित रहने में भी मदद मिलती है। इसके अलावा विशेषज्ञों का कहना है कि रात को अगर आप मोबाइल या लैपटॉप लगातार काम करते हैं, तो इससे रक्त में शर्करा का स्तर बढ़ जाता है। इससे भूख भी लगती है, जो ब्लड शुगर पर विपरीत असर डालता है। ब्लड शुगर को मेंटेन रखना है तो अपनी रात को न सोने वाली आदत में सुधार करें।एक्सरसाइज न करनाज्यादातर लोग फिजीकली कम और मेंटल वर्क जयादा करते हैं। शारीरिक रूप से ज्यादा सक्रिय नहीं रहने की वजह से बहुत सारी बीमारियां आपको अपनी चपेट में ले लेती है। हद तो तब हो जाती है जब आप एक्सरसाइज भी नहीं करते हैं। अगर आप स्वस्थ रहना चाहते हैं तो एक्सरसाइज को अपनी लाइफस्टाइल का हिस्सा बनाएं। एक्सरसाइज करने की वजह से ब्लड शुगर लेवल को मैनेज किया जा सकता है। दरअसल, एक्सरसाइज इंसुलिन सेंसेटिविटी को बेहतर बनाता है। साथ ही आपको कई अन्य स्वास्थ्य लाभ मिलते हैं जैसे मसल्स स्ट्रॉनग होती हैं, बोंस मजबूत होते हैं आदि।बहुत ज्यादा तनाव लेनाकाम का प्रेशर अक्सर लोगों को तनाव से भर देता है। इसके अलावा निजी जिंदगी में भी इतने बदलाव होते रहते हैं, जो परेशानियों का कारण बन जाते हैं। ऐसे में न चाहते हुए भी तनाव का स्तर बढ़ने लगता है। लेकिन आपको चाहिए कि तनाव के स्तर को कम करें। अगर आप अपनी समस्याओं का समधान नहीं खोज पा रहे हैं, तो बेहतर होगा कि आप डीप ब्रीदिंग एक्सरसाइज करें, दोस्तों से बातचीत करें। इन सबसे तनाव कम करने में मदद मिलती है। आपको बता दें कि तनाव लेने की वजह से शरीर इंसुलिन के स्तर को गिराकर और एपिनेफ्रीन और कोर्टिसोल जैसे तनाव हार्मोन को बढ़ाता है, जो सभी रक्त शर्करा को बढ़ाते हैं। यह सब आपके साथ न हो, इसके लिए तनाव कम से कम लें।कैलोरी काउंट पर ध्यान देनाअपने वेट लॉस के लिए कैलोरी काउंट पर ध्यान दिया जाना जरूरी है। लेकिन जब यह आपकी आदत बन जाए और हर अपने लंच-डिनर से पहले कैलोरी काउंट करने लग जाना, स्वास्थ्य के लिए बिल्कुल सही नहीं होता है। आपको बता दें कि सिर्फ कैलोरी काउंट पर फोकस करने की वजजह से ब्लड शुगर का स्तर मैनेज नहीं हो पाता है। ब्लड शुगर को मैनेज करने के लिए प्रोटीन, फैट, कार्बोहाइड्रेट को भी बैलेंस करना जरूरी है। इसके साथ ही अपनी डाइट में पर्याप्त मात्रा में फाइबर, प्रोटीन भी लेना जरूरी होता है। आपको अपनी डाइट में नट्स, बीज, बीन्स, दाल, फल और सब्जियों को शामिल करना चाहिए।
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30 साल के बाद त्वचा की देखभाल अलग तरीके से करने की जरूरत होती है। जिससे कि समय से पहले फाइन लाइंस और रिंकल ना दिखने लगे। अक्सर त्वचा को ठीक से हाइड्रेट ना करने की वजह से रिंकल और फाइन लाइंस दिखना शुरू हो जाते हैं। अगर आप समय से पहले खुद को बूढ़ा नहीं दिखाना चाहती हैं तो रोजाना बादाम के तेल को चेहरे पर लगाएं। इसे लगाने का ये दो तरीका बहुत कारगर है और लंबे समय तक चेहरे पर फर्क नजर आता रहेगा।
बादाम का तेल लगाने के फायदे
बादाम के तेल में पर्याप्त मात्रा में विटामिन ई और एंटी ऑक्सीडेंट होते हैं। जो त्वचा में एजिंग की स्पीड को कम करता है। चेहरे पर दिख रहीं लाइंस को ये खत्म करता है और त्वचा को अंदर से हाइड्रेट करता है। जिससे स्किन यूथफुल नजर आती है।
कैसे लगाएं
बादाम के तेल को चेहरे पर लगाने का दो तरीका कारगर है। तेल काफी हैवी होते हैं इसलिए इन्हें कभी भी दिन में नहीं लगाना चाहिए। तेल की वजह से चेहरे पर धूल-मिट्टी जम जाती है और गंदगी दिखने लगती है।
लगाएं रात को
रोजाना रात को सोने से पहले बादाम के तेल की हल्की सी मालिश चेहरे पर करने से ये त्वचा को अंदर से नेचुरली हाइट्रेड करता है। साथ ही मसाज करने के ब्लड सर्कुलेशन बढ़ता है। जिससे स्किन यंग एंड यूथफुल दिखती है। साथ ही चेहरे पर ग्लो बढ़ता है।
सोकर उठने के बाद लगाएं
अगर आप सुबह जल्दी उठने की हैबिट रखती हैं तो चेहरे को फेसवॉश से क्लीन करने के बाद बादाम के तेल को दोनों हाथों की हथेलियों पर लगाकर रगड़ें। फिर इसे चेहरे पर हल्के हाथों से लगाकर छोड़ दें। ये तरीका बेहद कारगर है। रोजाना इस तेल की मालिश करने से चेहरे पर फर्क अपने आप दिखने लगेगा। - छुहारा शरीर के लिए बहुत फायदेमंद होता है। इसमें प्रचुर मात्रा में आयरन, पोटेशियम, विटामिन बी6, फॉस्फोरस और विटामिन सी आदि पाए जाते हैं। इसको खाने से शरीर में आयरन की मात्रा बढ़ती है और शरीर की थकावट भी दूर होती है। खाली पेट छुहारे का सेवन करने से हड्डियां मजबूत बनती है और मौसमी बीमारियों से भी शरीर की रक्षा होती हैं। खाली पेट इसको नियमित खाने से शरीर की कमजोरी आसानी से दूर होती है और शरीर भी हेल्दी रहता है। छुहारे को सुबह खाली पेट आसानी से खाया जा सकता है। आप चाहे, तो रात को इसे पानी में भिगो कर भी रख सकते हैं। आइए जानते हैं सुबह खाली पेट छुहारे खाने के अन्य फायदों के बारे में।कब्ज की समस्या होती है दूरखजूर में भरपूर मात्रा में फाइबर पाया जाता है। ये पाचन तंत्र को मजबूत करके कब्ज की समस्या को आसानी से दूर करता है। खाली पेट नियमित खजूर खाने से मल त्यागने में आसानी होती है और पेट भी हेल्दी बनता है। इसके सेवन से पेट में गैस भी नहीं बनती है।डायबिटीज को करे कंट्रोलखाली पेट छुहारा खाने से शरीर का ब्लड शुगर लेवल कंट्रोल रहता है। क्योंकि इसमें ग्लाइसेमिक इंडेक्स का लेवल काफी हम होता है। जिस कारण इसको खाने से ब्लड शुगर लेवल नहीं बढ़ता है। डायबिटीज मरीज इसका सेवन सीमित मात्रा में आसानी से कर सकते हैं।यौन कमजोरी को करे दूरनियमित खाली पेट छुहारा खाने से पुरुषों में यौन कमजोरी आसानी से दूर होती है और पुरुष प्रजनन क्षमता भी बढ़ती है। ये पुरुषों में स्टैमिना को भी आसानी से बढ़ाता है। पुरुषों को शरीर को हेल्दी रखने के लिए इसका सेवन आसानी से कर सकते हैं।बालों को रखें स्वस्थखाली पेट छुहारा खाने से बाल हेल्दी रहते है और मजबूत भी बनते है। खाली पेट छुहारे के सेवन से स्कैल्प का ब्लड सर्कुलेशन बढ़ता है और बाल भी तेजी से बढ़ते हैं। बालों को हेल्दी रखने के लिए नियमित खाली पेट छुहारे का सेवन किया जा सकता है।दिल को रखें नियमितरोज सुबह खाली पेट छुहारा खाने से दिल हेल्दी रहता है। इसमें पाए जाने वाले एंटी-इंफ्लेमेटरी गुण दिल संबंधी बीमारियां होने के खतरे को आसानी से कम करते हैं। इसके नियमित सेवन से हार्ट अटैक, हार्ट स्ट्रोक होने का खतरा कम होता है।खाली पेट छुहारा के सेवन से कई तरह की परेशानियां आसानी से दूर होती हैं। लेकिन ध्यान रखें अगर आपको कोई बीमारी या एलर्जी की समस्या है, तो डॉक्टर से पूछ कर ही इसका सेवन करें।
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काले चने को ज्यादातर लोग सुबह के नाश्ते में खाना पसंद करते हैं। इसकी मदद से चाट बनाई जा सकती है, सब्जी बनाई जाती है और कुछ लोग इसके पराठे भी तैयार करते हैं। प्रोटीन से भरपूर होने की वजह से ये हेल्थ के लिए फायदेमंद होते हैं। यहां हम काले चने से कबाब बनाने का तरीका बता रहे हैं। ये डिश स्वाद में बहुत टेस्टी और चटपटी लगती है। इसको आप स्नैक से लेकर स्टार्टर डिश में सर्व कर सकते हैं।
काले चने से कबाब बनाने के लिए आपको चाहिए...
इसे बनाने के लिए काले चने (भीगे हुए), पनीर, आलू (उबले), जीरा, धनिया पाउडर, गरम मसाला, अमचूर पाउडर, लाल मिर्च पाउडर, नमक, चाट मसाला, हरा धनिया, हरी मिर्च, अदरक, घी और तेल चाहिए।
कैसे बनाएं
काले चने से कबाब बनाने के लिए सबसे पहले भीगे हुए काले चने को हल्का उबाल लें। फिर इसको पानी से निकाल लें और छन्नी में कुछ देर के लिए रहने दें।
अब कढ़ाई में तेल गर्म करें और उसमें जीरा चटकाएं। फिर धनिया पाउडर, कटा हुआ अदरक और कटी हुई हरी मिर्च डालकर भून लें।
इसमें चने के साथ गरम मसाला, अमचूर पाउडर, लाल मिर्च और नमक डालें। फिर पानी डालें और ढककर पकाएं।
पकने के बाद आंच बंद करें और चने को ठंडा होने के लिए छोड़ दें।
जब ये ठंडा हो जाए तो इस ब्लेंड करें। फिर पिसे हुए चने में कद्दूकस किया आलू और पनीर मिलाएं। अच्छे से मिक्स करें। अब इसमें हरा धनिया डालें और मिला दें।
इस पेस्ट से टिक्की बनाएं और कबाब तैयार कर लें। पैन घी डालें और एक-एक करके कबाब गोल्डन होने तक सेक लें। कबाब तैयार हैं, इसे चटना प्याज के साथ सर्व करें। - हड्डियों को मजबूत और स्वस्थ रखने के लिए कैल्शियम शरीर के लिए बहुत जरूरी होता है। कैल्शियम की मात्रा शरीर में सही होने से मांसपेशियों का दर्द ठीक होता है, हड्डियां मजबूत बनती है और शरीर भी स्वस्थ रहता है। लेकिन कई बार वेजिटेरिन लोगों के लिए इस बात की काफी परेशानी हो जाती है कि वह कैल्शियम फूड्स में क्या खाएं। अधिकतर कैल्शियम रिच फूड्स नॉन वेजिटेरियन ही होते हैं। ऐसे में शरीर में कैल्शियम की पूर्ति के लिए वेजिटेरिन लोग कुछ फूड्स को डाइट में शामिल कर सकते हैं। ये फूड्स खाने से शरीर स्वस्थ रहने के साथ गठिया और ऑस्टियोपोरोसिस जैसी बीमारियों भी आसानी से दूर होंगी। आइए जानते हैं कैल्शियम रिच वेजिटेरियन फूड्स के बारे में।बादामबादाम पोषक तत्वों का भंडार होते हैं। इसमें प्रचुर मात्रा में फाइबर, प्रोटीन, कैल्शियम और आयरन पाया जाता हैं। नियमित बादाम खाने से मांसपेशियों का दर्द कम होने के साथ हड्डियां भी मजबूत होती हैं। बादाम खाने से मैमोरी भी शार्प बनती है। इसको भिगो कर या ऐसे ही आसानी से खा सकते हैं।रागी फूड्सहड्डियों को मजबूत करने के लिए रागी से बनी चीजों को आसानी से खा सकते हैं। रागी में भरपूर मात्रा में कैल्शियम, फाइबर, आयरन और पोटेशियम आदि पए जाते हैं। इसको खाने से मांसपेशियां स्वस्थ रहने के साथ शरीर का दर्द भी दूर होता हैं। रागी फूड्स पाचन तंत्र को भी मजबूत करते हैं।अंकुरित मूंगअंकुरित मूंग शरीर के लिए बहुत फायदेमंद होते हैं। इसको खाने से इम्यूनिटी मजबूत होने के साथ शरीर भी लंबे समय तक हेल्दी रहता है। अंकुरित मूंग खाने से वजन कम करने में मदद मिलती है और मांसपेशियां भी मजबूत होती हैं।अंजीरअंजीर शरीर के लिए बहुत फायदेमंद होती है। इसमें भरपूर मात्रा में कैल्शियम के साथ फाइबर और प्रोटीन भी पाया जाता है। नियमित अंजीर खाने से हड्डियां मजबूत होने के साथ पाचन तंत्र भी हेल्दी रहता है। अंजीर खाने से कब्ज की परेशानी आसानी से दूर होती है। ये हड्डियों को स्ट्रांग रखने में मददगार है।आंवलाआंवला शरीर के लिए बहुत फायदेमंद होता है। इसमें प्रचुर मात्रा में फाइबर, कैल्शियम, आयरन और ओमेगा 3 आदि पाए जाते हैं। आंवले का सेवन करने से हड्डियां मजबूत होने के साथ शरीर में मौसमी बीमारियों का खतरा भी कम होता हैं। इसके सेवन से ऑस्ट्रोपोरोसिस और अर्थराइटिस जैसी बीमारियों में भी आराम मिलता हैं।हड्डियों को मजबूत रखने के लिए इन वेजिटेरियन फूड्स का सेवन किया जा सकता हैं। लेकिन ध्यान रखें अगर आपको कोई बीमारी या एलर्जी की समस्या है, तो डॉक्टर से पूछ कर ही इसका सेवन करें।
- क्या आप भी पेट फूलने को वजन बढऩे का कारण समझते हैं। ऐसा नहीं है। पेट फूलना और वजन बढऩा दो अलग प्रक्रिया है। लोग बाहर ुनिकले पेट को वजन बढऩे का संकेत समझते हैं। जब उन्हें लगता है कि पेट का साइज पहले से ज्यादा बढ़ गया है, तो वे इसे कैलोरीज इंटेक बढऩे और मोटे होने का संकेत मानते हैं। हम आपको बता दें कि बाहर निकला हुआ पेट कई बार मोटापा नहीं बल्कि पेट फूलने का एक कारण होता है। पेट तब फूल जाता है जब पेट में गैस हो या पेट में पानी ज्यादा हो। पेट फूलने के दौरान आपको असहज महसूस होता है। हर समय व्यक्ति को पेट भरा हुआ महसूस होता है।पेट फूलने की समस्याअगर खाना खाने के तुरंत बाद पेट बाहर की तरफ निकला हुआ महसूस होता है, तो ये पेट फूलने का संकेत है। पीरियड्स के दौरान महिलाओं को भी ये समस्या होती है। कभी-कभी ज्यादा नमक का सेवन कर लेने के कारण भी पेट फूलने की समस्या होती है। अगर आप लंंबे समय तक यूरिन को रोके रहेंगे, तो भी पेट फूलने की समस्या हो सकती है।अगर आपका वजन बढ़ गया है और इस कारण से पेट बाहर की तरफ निकला है, तो कमर का साइज हमेशा बढ़ा हुआ ही नजर आएगा। जब पेट वजन बढऩे के कारण बढ़ता है, तो शरीर के अन्य हिस्सों में भी फैट नजर आ सकता है। आप पेट को हाथ लगाकर चेक करें। अगर पेट टाइट हो, तो समझ जाएं कि पेट फूला हुआ है। लेकिन पेट नरम है, तो समझ जाए कि ये वजन बढऩे का लक्षण है।पेट फूलने की समस्या को कैसे दूर करें?-पानी की कमी से कब्ज हो जाता है और पेट फूलने की समस्या हो सक-ती है। इसलिए पानी का सेवन करते रहें।-अगर आप कसरत नहीं करेंगे, तो भी कब्ज या ब्लोटिंग हो सकती है जिसके कारण पेट फूल सकता है।-नमक और कॉब्र्स का सेवन कम कर दें। इसका ज्यादा सेवन करने से पेट फूल सकता है।-पेट पर जमा चर्बी को कैसे कम करें?-मीठी चीजों का सेवन न करें। मीठी चीजों का सेवन करने से पेट का साइज बढ़ जाता है।-एक ही जगह बैठे रहने की गलती न करें। एक ही पोजिशन पर बैठे रहने के कारण पेट की चर्बी तेजी से बढ़ती है।-नींद न पूरी करने के कारण भी शरीर में फैट की मात्रा बढ़ सकती है। हर दिन 7 से 8 घंटे की नींद पूरी करें।ऊपर बताई टिप्स की मदद से आप ब्लोटिंग और पेट बढऩे की समस्या से बच सकते हैं।
- असंतुलित खानपान और खराब जीवनशैली के कारण लोगों में एसिडिटी की समस्या होती है। बहुत ज्यादा तला-भुना, मसालेदार और जंक फूड आदि का सेवन करने से आपको एसिडिटी की समस्या हो सकती है। एसिडिटी की वजह से आपको पेट में दर्द, सूजन, उल्टी, गले में भोजन फंसने जैसी समस्या का अनुभव करना पड़ सकता है। अगर आप लंबे समय से एसिडिटी की समस्या के शिकार हैं, आगे चलकर यह गंभीर बीमारी का रूप ले सकती है। पेट में भोजन सही से न पच पाने की स्थिति में ही आपको एसिडिटी या पेट में गैस बनने की समस्या होती है। एसिडिटी से बचने के लिए आमतौर पर लोग दवाओं का सेवन करते हैं। लेकिन इन दवाओं का नियमित रूप से सेवन करना आपके लिए नुकसानदायक हो सकता है। अगर आप एसिडिटी की समस्या से छुटकारा पाना चाहते हैं, तो यह लेख आपके लिए ही है। आइए जानते हैं एसिडिटी की समस्या में फायदेमंद इंडियन (भारतीय) फूड्स के बारे में।एसिडिटी कंट्रोल करने के लिए डाइट में सुधार सबसे जरूरी है। हेल्दी और पौष्टिक भोजन का संतुलित मात्रा में सेवन करने और शारीरिक रूप से एक्टिव रहने से आप एसिडिटी जैसी गंभीर समस्या से बच सकते हैं। कम अम्लीय या कम एसिडिक भोजन करने से आपके पेट में एसिड बैकफ्लो रोकने में बहुत फायदा मिलता है।एसिडिटी से छुटकारा पाने के लिए आप डाइट में इन इंडियन फूड्स को जरूर शामिल करें-1. दही के साथ भिगोए हुए पोहेभीगे हुए पोहे के साथ दही का सेवन एसिडिटी की समस्या में बहुत फायदेमंद होता है। दही में मौजूद गुण पेट को शांत करने और एसिड फ्लो को कंट्रोल करने में बहुत उपयोगी होते हैं। इसके अलावा पोहे में फाइबर की मात्रा होती है, जो पाचन तंत्र को मजबूत बनाने में फयदेमद होते हैं। रोजाना सुबह या दोपहर के समय आप इसका सेवन कर सकते हैं।2. भिगोए किशमिशभिगोए हुए किशमिश का सेवन शरीर के लिए बहुत उपयोगी माना जाता है। किशमिश में मौजूद फाइबर और अन्य पोषक तत्व कब्ज, अपच और एसिडिटी को दूर करने में बहुत उपयोगी होते हैं। किशमिश का पानी पीने से भी एसिडिटी की समस्या में बहुत फायदा मिलता है। इसके लिए रात में मुट्ठी भर किशमिश पानी में भिगो लें, सुबह इसका सेवन करें। ऐसा करने से पेट से जुड़ी समस्याओं से छुटकारा मिलेगा।3. गुलकंद का सेवनपेट में एसिड फ्लो को कंट्रोल करने और पाचन तंत्र को मजबूती देने के लिए गुलकंद का सेवन बहुत फायदेमंद होता है। गुलाब की पंखुड़ियों से बने गुलकंद का सेवन करने से आपको एसिडिटी और नींद से जुड़ी परेशानियों में भी फायदा मिलता है। 1 चम्मच गुलकंद को 1 गिलास पानी में मिक्स कर दिन या रात में सोने से पहले खाना फायदेमंद होता है।4. छाछ पिएंछाछ का सेवन शरीर के लिए बहुत फायदेमंद होता है। छाछ में मौजूद लैक्टिक एसिड पेट से जुड़ी परेशानियों और एसिडिटी की समस्या में बहुत फायदेमंद होता है। एसिडिटी की समस्या में खाना खाने के बाद एक गिलास छाछ पीने से बहुत फायदा मिलता है।एसिडिटी की समस्या खानपान में गड़बड़ी और खराब जीवनशैली के कारण होती है। बहुत ज्यादा चाय या कॉफी आदि का सेवन करने से भी आप गंभीर रूप से एसिडिटी की समस्या के शिकार हो सकते हैं। एसिडिटी से छुटकारा पाने के लिए इन इंडियन फूड्स को डाइट में जरूर शामिल करें।
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बचपन से आप यह कहावत सुनते आए होंगे कि रोजाना एक सेब खाने से व्यक्ति खुद को कई रोगों से दूर रख सकता है। सेब खाने से न सिर्फ व्यक्ति की कब्ज की शिकायत दूर होती है बल्कि बढ़ते वजन से भी छुटकारा मिल सकता है। लेकिन कई बार सेब खाने का सही तरीका और समय पता न होने की वजह से व्यक्ति को फायदे की जगह नुकसान होने लगता है। ऐसे में आइए जान लेते हैं खाली पेट सेब खाने से व्यक्ति को मिलते हैं कौन से गजब के फायदे और क्या है इसे खाने का सही समय।
खाली पेट सेब खाने के फायदे-खून की कमी-सेब में आयरन की भरपूर मात्रा पाई जाती है, जो खून साफ करने के साथ शरीर में पर्याप्त मात्रा में आयरन का निर्माण भी करती है। जिससे व्यक्ति के शरीर में खून की कमी दूर होती है।कब्ज से छुटकारा-अगर आप कब्ज, गैस और पाचन क्रिया से परेशान हैं तो खाली पेट सेब का सेवन करें। सेब में मौजूद फाइबर धीरे-धीरे कब्ज को कम करता है। अगर आप चाहें तो सेब की जगह उसका मुरब्बा भी खा सकते हैं।ब्लड शुगर रखता है कंट्रोल-सेब डायबिटीज रोगी के लिए सबसे बढ़िया विकल्प हो सकता है। सेब को छिलके समेत खाने से डायबिटीज रोगियों को ब्लड शुगर लेवल कंट्रोल रखने में मदद मिल सकती है।वेट लॉस में फायदेमंद-वजन कम करने के लिए रोज सुबह खाली पेट एक सेब का सेवन करना बहुत ही फायदेमंद माना जाता है। क्योंकि सेब में फाइबर भरपूर पाया जाता है। जिसकी वजह से पेट लंबे समय तक भरा हुआ महसूस होता है और भूख भी कम लगती है। जिससे वजन को कम करने में मदद मिलती है।इम्यूनिटी करें बूस्ट-इम्यून सिस्टम को मजबूत बनाए रखने के लिए रोज सुबह खाली पेट सेब का सेवन करें। सेब में मौजूद कई पोषक तत्व इम्यूनिटी मजबूत बनाने में मदद करते हैं।सेब खाने का सही तरीका-कभी भी सेब के छिलके उतारकर नहीं खाना चाहिए। इसका सेवन सुबह खाली पेट करें। सेब के छिलके में पेक्टिन पाया जाता है। सेब के छिलके में मौजूद पेक्टिन फाइबर के साथ मिलकर दिल के रोगों और ब्लड वैसल्स में मुक्त कणों से होने वाले नुकसान से बचाने में मददगार है। सेब का सेवन करने से कोलेस्ट्रॉल कंट्रोल रहता है और दिल के रोगों का खतरा कम होता है। ध्यान रखें, सेब का सेवन कभी भी शाम या सोते समय नहीं करना चाहिए। -
आज हाइपरटेंशन और हाई ब्लड प्रेशर की समस्या से ज्यादातर लोग जूझ रहे हैं। वर्ल्ड हेल्थ ऑर्गेनाइजेशन (WHO) की रिपोर्ट के मुताबिक, दुनियाभर में 12.8 फीसदी मौतें सिर्फ हाई ब्लड प्रेशर के कारण होती हैं। समय रहते अगर इस समस्या का इलाज नहीं किया जाए तो व्यक्ति को स्ट्रोक और हार्ट अटैक होने का खतरा बना रहता है। ऐसे में हाई ब्लड प्रेशर के रोगियों को अपना बीपी कंट्रोल रखने के लिए अपनी डाइट का खास ख्याल रखने की सलाह दी जाती है।
कई ऐसे ड्राई फ्रूट्स हैं, जिनमें मौजूद पोषक तत्व हाई ब्लड प्रेशर की समस्या को कंट्रोल करने में मदद करते हैं। इन ड्राई फ्रूट्स में हेल्दी फैट्स के साथ ओमेगा-3 फैटी एसिड, पोटैशियम, मैग्नीशियम, डाइट्री फाइबर, कैल्शियम, कॉपर, आयरन, विटामिन A, C, E, K जैसे जरूरी पोषक तत्व मौजूद होते हैं। जो व्यक्ति के बीपी को सामान्य बनाए रखने में काफी फायदेमंद हो सकते हैं। ऐसे में आइए जानते हैं 5 ऐसे ड्राई फ्रूट्स के बारे में जिनका सेवन हाई बीपी के रोगियों के लिए बेहद फायदेमंद हो सकता है।
ब्लडप्रेशर कंट्रोल करने के लिए रोजाना खाएं ये 5 ड्राई फ्रूट्स-
पिस्ता-
हाई बीपी के रोगियों को पिस्ता का सेवन करने से काफी लाभ मिल सकता है। पिस्ता में पोटेशियम, मैग्नीशियम और मोनोअनसैचुरेटेड फैट जैसे तत्व होते हैं, जो ब्लड प्रेशर को कंट्रोल करने में मदद करते हैं। आप पिस्ता को सलाद या स्मूदी में डालकर खा सकते हैं।
काजू-
काजू खाने से खराब कोलेस्ट्रॉल को कम करने और अच्छे कोलेस्ट्रॉल को बढ़ाने में मदद मिलती है। इसमें सोडियम का स्तर कम होने के साथ पोटेशियम की अच्छी मात्रा मौजूद होती है। जिसकी वजह से हाई बीपी को कंट्रोल करने में मदद मिलती है।
बादाम-
बादाम में मौजूद अल्फा टोकोफेरोल नामक यौगिक शरीर में ब्लड प्रेशर को सामान्य स्तर पर बनाए रखने के लिए जाना जाता है। इसके अलावा ये हेल्दी फैट्स और विटामिन ई का बेहतरीन स्रोत हैं। हाई ब्लड प्रेशर के रोगी रातभर 7-8 भीगे हुए बादाम का सेवन कर सकते हैं।
सूखे अंजीर-
सूखे अंजीर में डाइट्री फाइबर, मैग्नीशियम, पोटैशियम की अच्छी मात्रा मौजूद होती है। जो ब्लड प्रेशर के रोगियों के लिए फायदेमंद हो सकती है। इसका सेवन करने के लिए आप रात भर सूखे अंजीर का सेवन कर सकते हैं।
सूखे आलूबुखारा-
आलूबुखारा पोटेशियम का रिच सोर्स है। जो ब्लड प्रेशर को कंट्रोल रखने में अहम भूमिका निभाता है। इसके लिए आप रात भर भीगे हुए सूखे आलूबुखारे का सेवन सुबह कर सकते हैं। इसके अलावा आप नाश्ते में या सुबह खाली पेट दूध के साथ भी सूखे आलूबुखारा का सेवन कर सकते हैं -
साल दर साल उम्र का बढ़ना तो कोई नहीं रोक सकता। लेकिन शरीर और दिमाग को मजबूत जरूर बना सकता है। उम्र ढलने के साथ याददाश्त में कमी और तमाम तरह की बीमारियों का होना आम बात है। लेकिन सही डाइट की मदद से बुढ़ापे तक शरीर को फिट और दिमाग को तंदरुस्त रखा जा सकता है।
नई रिसर्च में बात सामने आई है कि अलग तरह की डाइट का असर लंबे समय में बीमारियों और डेथ पर दिखता है। बढ़ती उम्र में भी फिट और रोगों से दूर रहना है तो इस तरह की डाइट को अपने रूटीन का हिस्सा बना लें। हर डाइट के अलग फायदे होते हैं। जिन्हें अपनाने से दिमाग और दिल के साथ सेहत को दुरुस्त रखा जा सकता है। यहां तक कि असमय बीमारियों से होने वाली मौत पर भी असर पड़ता है।
मेडिटेरेनियन डाइट
मेडिटेरेनियन डाइट प्लांट बेस्ड डाइट है। जिसमे फल, सब्जियों के साथ नट्स शामिल होते हैं। जिन्हें पकाने के लिए ऑलिव ऑयल का इस्तेमाल किया जाता है। इन फूड्स में सैचुरेटेड फैट बहुत कम होता है। जो हेल्दी रहने के लिए जरूरी है। दिमाग के जल्दी कमजोर होने के पीछे सैचुरेटेड फैट जिम्मेदार होता है। ऐसे में मेडिटेरेनियन डाइट दिमाग को समय से पहले बूढ़ा होने से बचाती है।
डैश डाइट
डैश डाइट हाई बीपी को ध्यान में रखकर दी जाती है। इसमे भी फ्रूट्स, वेजिटेबल्स, अनाज और बींस शामिल होते हैं। जिसमे फैट और सोडियम की मात्रा कम होती है। इस डाइट को फॉलो करने से हाइपर टेंशन और हाई बीपी की समस्या को कम किया जाता है। जिससे इंसान की उम्र बढ़ने के साथ भी हाई बीपी की समस्या परेशान नहीं करती है। रिसर्च में सामने आया है कि डैश डाइट शरीर में उम्र बढ़ने की गति को कम करता है।
MIND डाइट
मेडिटेरेनियन और डैश डाइट का काम्बिनेशन है माइंड डाइट। जिसमे हरी पत्तेदार सब्जियों और बेरीज को शामिल करते हैं। जो दिमाग की सेहत को तंदरुस्त रखने के लिए जरूरी होते हैं। स्टडी में खुलासा हुआ है कि मिडिल एज की महिलाएं जिनमे अल्जाइमर का खतरा ज्यादा होता है। वो इस डाइट को फॉलो करने से 35% इस रिस्क को कम कर सकती हैं। हालांकि पूरी तरह से इस डाइट को फॉलो करने की बजाय आप मॉडरेट तरीके से फॉलो करें।
हाइड्रेशन है जरूरी
नेशनल हार्ट, लंग एंड ब्लड इंस्टीट्यूट के रिसर्चर्स ने पाया कि शरीर में सीरम सोडियम का हाई रेट डिहाइड्रेशन की निशानी होता है। डिहाइड्रेशन की वजह से हॉर्मोंस को तेजी से और ज्यादा मेहनत से काम करना पड़ता है। जिससे शरीर के अंग उम्र से भी ज्यादा बूढ़े हो जाते हैं। हेल्दी रहना चाहते हैं तो पानी पीने की मात्रा पर खास ध्यान दें और डिहाइड्रेशन से बचें। -
बच्चे के 6 महीने के होने के बाद माएं अक्सर उन्हें ठोस आहार देना शुरू कर देती हैं। इस तरह के आहार में मूंग दाल खिचड़ी या दलिया ज्यादातर मां अपने बच्चे को देने के लिए पसंद करती हैं। लेकिन क्या आप जानते हैं इन दोनों ही चीजों से अलग बाजरे की खिचड़ी भी इस उम्र के बच्चों को दी जा सकती है।
बाजरे की खिचड़ी में विटामिन-बी, फाइबर, प्रोटीन, कैल्शियम, कार्बोहाइड्रेट, आयरन और एंटीऑक्सीडेंट्स की अच्छी मात्रा मौजूद होती है। ये सभी पोषक तत्व शिशु के विकास के लिए जरूरी होते हैं। आइए जानते हैं शिशु को बाजरे की खिचड़ी खिलाने से मिलते हैं कौन से गजब के फायदे।
खून की कमी होगी दूर-
जो बच्चे एनीमिया रोग से जुझ रहे होते हैं आप उन्हें बाजरे की खिचड़ी खिला सकते हैं। इसमें पाया जाने वाला आयरन उनके शरीर में एनीमिया की कमी पूरी करने में मदद कर सकता है।
हड्डियां बनेंगी मजबूत-
बाजरे की खिचड़ी में कैल्शियम काफी अच्छी मात्रा में पाया जाता है जो बच्चे की हड्डियों का विकास करने में मदद करता है। इसके अलावा बाजरे की खिचड़ी देने से बच्चे की हड्डियां भी मजबूत होती हैं।
मजबूत पाचन तंत्र-
बाजरे की खिचड़ी बच्चों को खिलाने से उनका पाचन तंत्र भी मजबूत बनता है। इसमें पाया जाने वाला फाइबर बच्चों के पाचन को दुरुस्त रखता है। इसके अलावा बच्चे को पेट में अपच, कब्ज, गैस और बदहजमी जैसी समस्याओं में भी राहत दिलाता है।
बच्चों की ग्रोथ-
बाजरे की खिचड़ी बच्चे को खिलाने से उनका विकास भी अच्छा होता है। इसमें मौजूद प्रोटीन, फाइबर, आयरन, विटामिन जैसे पोषक तत्व बच्चों को शरीर की ग्रोथ में मदद करते हैं।