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घंटों लैपटॉप पर बैठकर ऑफिस का काम करने या फिर ठीक से न सो पाने की वजह से अकसर लोग सिरदर्द की शिकायत करते हैं। जिससे राहत पाने के लिए ज्यादातर लोगों को पेनकिलर का सहारा लेना पड़ता है। लेकिन हर बार सिरदर्द को दूर करने के लिए पेनकिलर लेने की आदत आपकी सेहत पर भारी पड़ सकती है।
दरअसल, दर्द दबाने के लिए इस्तेमाल की जाने वाली इन दवाओं में एस्टेरॉएड का इस्तेमाल किया जाता है जो भविष्य में कई साइड इफेक्ट्स का कारण बन सकता है। यही वजह है कि घर के बड़े बुर्जुग सिर दर्द होने पर दवा लेने से पहले घरेलू उपाय आजमाने की सलाह पहले देते हैं।
अगर आप भी सिरदर्द से परेशान रहते हैं तो तुरंत राहत पाने के लिए घर पर ही बनाए ये असरदार बाम। जिसे लगाते ही कुछ ही देर में आपका सिरदर्द गायब हो जाएगा। इस बाम में एंटी इंफ्लेमेटरी गुण छुपे होते हैं जिससे दर्द कम होता है और सूजन दूर होती है। तो आइए देर किस बात की जान लेते हैं क्या है इसे बनाने का सही तरीका।
सिर दर्द दूर करने वाले बाम को बनाने के लिए सामग्री-
-मोम- 3 चम्मच
-नारियल तेल- 3 चम्मच
-शिया बटर- 3 चम्मच
-पिपरमिंट ऑयल- 20 बूंदे
-लैवेंडर ऑयल- 15 बूंदे
सिर दर्द दूर करने वाले बाम बनाने की विधि-
सिर दर्द को दूर भगाने वाले बाम को बनाने के लिए सबसे पहले एक बाउल में मोम, नारियल का तेल और शिया बटर ले लें। अब इसे माइक्रोवेव में 1 मिनट तक गर्म करें। जब यह पूरी तरह से पिघल जाए तब इसे निकालकर ठंडा होने के लिए रख दें। जब बाउल ठंडा हो जाए तो इसमें एक-एक करके सारे तेल मिलाएं।
अब इस मिश्रण को शीशी में भर दें और ठंडा होने दें। आप इसे कुछ देर के लिए ठंडा करके जमाने के लिए फ्रिज में भी रख सकती हैं।आपका होममेड सिरदर्द दूर करने वाला बाम बनकर तैयार है। जब कभी आपके सिर में दर्द हो आप इसे अपने माथे पर लगा लें। इसे लगाने के कुछ देर बाद ही आपको आराम महसूस होने लगेगा। -
आपकी बालकनी में लगा सदाबहार का पौधा न सर्फ घर की खूबसूरती बढ़ाने का काम करता है बल्कि आपको डायबिटीज और हाई ब्लड प्रेशर जैसे रोगों से दूर रखने में भी आपकी मदद करता है। पांच पंखुड़ियों वाला यह फूल सफेद, गुलाबी, फालसाई, जामुनी आदि रंगों का होता है, जिसे अंग्रेजी में विंका के नाम से जाना जाता है। सदाबहार के फूल के कई स्वास्थ्य लाभ होते हैं। आइए जानते हैं आखिर सदाबहार का ये पौधा कौन-कौन से रोग दूर रखने में मदद करता है।
डायबिटीज करता है दूर-
सदाबहार की जड़ों में रक्त शर्करा को कम करने का गुण मौजूद होता है। ये पैंक्रियास की बीटा सेल्स को शक्ति प्रदान करता है, जिस से पैंक्रियास सही मात्रा से इन्सुलिन निकालने लगती है। इन्सुलिन ही वो हॉर्मोन है जो ब्लड में शुगर की मात्र को संतुलित करके रखता है।हाई ब्लड प्रेशर-सदाबहार की जड़ में अजमलिसिन और सर्पटाइन नामक क्षाराभ पाए जाते हैं, जो के एंटी अतिसंवेदनशील होते हैं। ये गुण उच्च रक्तचाप के लिए बहुत फायदेमंद होते हैं। इसकी जड़ को साफ करके सुबह चबाकर के खाने से हाई ब्लड प्रेशर में काफी आराम मिलता है।पेट के लिए फायदेमंद-सदाबहार की जड़ का उपयोग पेट की सेहत को बनाए रखने के लिए भी किया जाता है। जिन लोगों को कब्ज रहता है या फिर पेट के अन्य रोग परेशान करते हैं, उनके लिए भी यह पौधा बहुत लाभदायक होता है।मुंह व नाक से खून निकलना-विकां का उल्लेख ब्रिटेन औषधीय शास्त्र में सातवीं शताब्दी में मिलता है। कल्पचर नामक ब्रिटिश औषधी विशेषज्ञ ने मुंह व नाक से खून निकलने इसके प्रयोग की सलाह दी थी। लॉर्ड बेकन ने भी अंगों की जकड़न में इसका प्रयोग को लाभदायक बताया। वैसे स्कर्वी, अतिसार, गले में दर्द, टांसिल्स में सूजन, रक्तस्नव आदि में भी यह लाभदायक होता है।डिप्थीरिया रोग में फायदेमंद-सदाबहार की पत्तियों में मौजूद विण्डोलीन नामक क्षार डिप्थीरिया के जीवाणु कारिनेबैक्टिीरियम डिप्थेरी के खिलाफ सक्रिय होता है। इसलिये इसकी पत्तियों के सत्व का उपयोग डिप्थिीरिया रोग के उपचार में किया जा सकता है। - ज्यादातर लोगों के बीच जोड़ों का दर्द और सूजन एक आम समस्या बन गया है। इसके पीछे कहीं न कहीं हमारा खानपान, हमारी खराब दिनचर्या और हमारा अनुशासन का पालन न करना शामिल है। सिर्फ बुजुर्ग ही नहीं, बल्कि युवा भी काफी संख्या में इस बीमारी से ग्रसित हैं। जोड़ों का दर्द एक ऐसी समस्या है जो किसी भी उम्र में आपको परेशान कर सकती है। इस दर्द के कारण पैरों या हाथों को हिलाना भी मुश्किल हो जाता है। हालांकि कई बार यह दर्द असहनीय हो जाता है जो इलाज के बाद भी बंद नहीं होता है। ऐसे में आप भी अगर जोड़ों के दर्द से परेशान रहते हैं तो राहत पाने के लिए इन 5 तेलों से रोजाना करें मालिश।जैतून का तेल-इस तेल से हड्डियों की मालिश करने से ब्लड सर्कुलेशन बढ़ने के साथ मांसपेशियों में ऐंठन, दर्द, तनाव को भी दूर किया जा सकता है। इसके अलावा यह स्किन में ऑक्सीडेटिव स्ट्रेस को भी कम करने में मदद कर सकता है।अरंडी का तेलअरंडी के तेल से मालिश करने से जोड़ों का दर्द कम होता है और सूजन की भी परेशानी कम होती है। इस तेल से मालिश करने से शरीर का दर्द धीरे-धीरे गायब हो जाता है।बादाम का तेल-हड्डियों की मजबूती के लिए बादाम तेल का भी इस्तेमाल किया जा सकता है। इस तेल में विटामिन ई पाया जाता है, जो अल्ट्रा-वॉयलेट किरणों से स्किन को सुरक्षा प्रदान करता है।नारियल का तेल-घुटने के दर्द के इलाज के लिए नारियल का तेल फायदेमंद हो सकता है। इसमें एंटी-इंफ्लेमेटरी और एनाल्जेसिक गुणों के साथ-साथ लॉरिक एसिड का उच्च स्तर होता है। जो आपके घुटने के दर्द को कम कर सकता है।तिल का तेलतिल के तेल में ओमेगा-3 फैटी एसिड, कॉपर, जिंक, कैल्शियम, मैग्नीशियम, प्रोटीन जैसे पोषक तत्व पाए जाते हैं। ऐसे में इस तेल से हड्डियों की मालिश करने से आपकी हड्डियों को मजबूती मिलती है। नियमित रूप से तिल के तेल का इस्तेमाल करने से आपकी स्किन भी मॉइस्चराइज रहती है।फिश ऑयल-हड्डियों और ज्वाइंट्स पेन की समस्याओं को दूर करने के लिए फिश ऑयल यानी मछली का तेल भी एक सप्लीमेंट्स के रूप में यूज किया जा सकता है। यह तेल ओमेगा -3 फैटी एसिड से भरपूर होता है। इस तेल का इस्तेमाल करने से सिर्फ हड्डियां ही मजबूत नहीं बनती बल्कि इम्यूनिटी भी अच्छी हो सकती है।सरसों का तेलसरसों का तेल हड्डियों की मजबूती के साथ शरीर की सूजन और ज्वाइंट पेन को भी कम करने में मदद करता है। इसके लिए आपको आधी कटोरी तेल को गर्म कर उसमें एक या दो लहसुन की कली डाल दें। अब तेल को ठंडा करें और फिर इस तेल से हाथों और पैरों की जमकर मालिश करें। इससे आपको जोड़ों के दर्द में आराम मिलेगा। हड्डियों की मजबूती के लिए आप इसे भोजन पकाते समय भी इस्तेमाल कर सकती हैं।
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स्किन केयर के लिए कोलेजन ट्रेंडी मंंत्र है। अगर इसका सही तरीके से इस्तेमाल किया जाए, तो आपकी कई स्किन प्रॉब्लम्स हील हो सकती है। आपकी स्किन प्रॉब्लम को ठीक करने के साथ एजिंग प्रोसेस को भी स्लो डाउन करने के लिए कोलेजन काफी फायदेमंद है। अगर आप उन लोगों में से हैं, जो अपनी स्किन की बहुत देखभाल करना पसंद करते हैं और अपनी स्किन को लेकर अवेयर हैं, तो यह आपके लिए है। कोलेजन की खुराक लेने से हाइड्रेट रहती है। कोलेजन मुख्य घटकों में से एक है जो आपकी स्किन को सॉफ्ट बनाता है। कुछ फूड्स ऐसे हैं, जिन्हें खाने से आपकी शरीर में कोलेजन का लेवल बढ़ता है।
अंडेअंडे में प्रोटीन की मात्रा अधिक होती है। खासकर अंडे की सफेदी में अमीनो एसिड ग्लाइसिन और प्रोलाइन की मात्रा विशेष रूप से अधिक होती है, ये दोनों ही शरीर में कोलेजन बनाने के लिए जरूरी हैं। अंडे का सेवन आपके शरीर को कोलेजन प्रदान करता है।मीटमीट जिनमें पोक और रेड मीट शामिल है, वे बहुत फायदेमंद है। इन जानवरों में बहुत सारे कनेक्टिव टिश्यू होते हैं, जो इंसानों के लिए बहुत फायदेमंद है। इससे कोलेजन लेवल बढ़ता है। साथ ही आपके बाल भी हेल्दी रहते हैं।फिशमीट और अंडे की तरह ही फिश भी बहुत फायदेमंद है। मछली खाने से न सिर्फ आपकी स्किन बेहतर होती है बल्कि आपकी आंखों और बालों के लिए भी फिश बहुत फायदेमंद है।संतरासंतरा विटामिन-सी का सबसे अच्छा स्त्रोत है। संतरे खाने से भी आप स्किन की कई प्रॉब्लम्स को दूर कर सकते हैं। जिस तरह डॉक्टर रोजाना एक सेब खाने की सलाह देते हैं, उसी तरह एक संतरा भी रोजाना खाना चाहिए। - पौष्टिक गुणों से भरपूर शलजम एक स्वास्थ्यवर्धक कन्दीय मूल सब्जी है। शलजम को सेहत के लिए बहुत फायदेमंद माना जाता है। मौसमी बीमारियों जैसे सर्दी, खांसी, बुखार से बचाने में शलजम मददगार है । इसे औषधीय गुणों की खान माना जाता है। शलजम एक ऐसा कंद (सब्जी) है जिसका सेवन शरीर में कई पोषक तत्वों की कमी को दूर करने के लिए किया जाता है। शलजम में विटामिन-सी, विटामिन-के, बीटा कैरोटिन और पोटैशियम जैसे पोषक तत्व पाए जाते हैं, जो शरीर को कई स्वास्थ्य समस्याओं से बचाने में मदद कर सकते हैं। शलजम को आहार में जूस और सलाद के रूप में इस्तेमाल किया जा सकता है। शलजम के सेवन से इम्यूनिटी को मजबूत बनाया जा सकता है। शलजम में एंटी-ऑक्सीडेंट गुण पाया जाता है, जो सेहत के साथ-साथ स्किन के लिए भी अच्छा माना जाता है।शासकीय आयुर्वेदिक महाविद्यालय, रायपुर के सह-प्राध्यापक डॉ. संजय शुक्ला ने बताया कि शलजम को आयुर्वेद में औषधि के रुप में प्रयोग किया जाता है। शलजम मधुर, थोड़ा गर्म, छोटा तथा वात, पित्त और कफ को दूर करने वाला होता है। यह खाने में रुचि बढ़ाने वाला, पेट संबंधी समस्या तथा ज्वर में फायदेमंद होता है। इसकी जड़ें और पत्तियां पित्त को बढ़ाने वाला और कृमि से निजात दिलाने वाला होता है। शलजम श्वास संबंधी समस्या, खांसी, अश्मरी या पथरी, अर्श या बवासीर, अरुचि व गर्भावस्था के बाद के रक्तस्राव में हितकर होता है। शलजम खाने से शरीर में खून की कमी नही रहती है क्योंकि इसमें आयरन प्रचुर मात्रा में होता है जिससे अनीमिया के रोगियों को फायदा मिलता है।शलजम के सेवन के अनेक फायदे हैं। इससे शरीर की सुस्ती व भारीपन दूर होता है। यह नेत्रों के लिए उपयोगी और पेट संबंधी बीमारियों को दूर करता है। यह शरीर की मांसपेशियों एवं हड्डियों के लिए बहुत फायदेमंद होती है। इसके सेवन से चेहरे पर चमक आती है। हाथ व पैरों के नाखून मजबूत होते हैं । बालों के लिए भी यह काफी फायदेमंद होता है। इसका उपयोग हाजमे को दुरूस्त करता है व पेशाब संबंधी रोगों के लिए भी लाभदायक है। सुजाक आतशक के रोगों में पेशाब की रूकावट को दूर करती है। गले में सूजन एवं आवाज भारी होने पर शलजम का उपयोग लाभकारी है।शलजम के जड़ तथा पत्ते का प्रयोग सलाद के रुप में तथा सब्जी के रुप में किया जाता है। इसके पत्ते मूली के पत्ते जैसे होते हैं। इसके फूल पीले रंग के होते हैं। इसकी जड़ कुंभरुपी, गोल, सफेद तथा हल्के बैंगनी व गुलाबी रंग की आभा से युक्त होती है। शलजम के अनेक औषधीय गुण हैं किंतु बीमारियों के उपचार के लिए शलजम का प्रयोग चिकित्सकीय परामर्श के अनुसार ही करें।
- मॉनसून के दौरान त्वचा के रोग और बीमारियां बढ़ने लगती हैं। मौसमी बीमारियों से बचने के लिए इम्यूनिटी का मजबूत होना जरूरी है। इम्यूनिटी को बेहतर करने के लिए तुलसी और काली मिर्च फायदेमंद मानी जाती है। तुलसी और काली मिर्च में एंटीबैक्टीरियल गुण होते हैं। इंफेक्शन, सूजन, चोट आदि समस्याओं को दूर करने के लिए आप तुलसी और काली मिर्च का सेवन कर सकते हैं। काली मिर्च की मदद से शरीर में ई-कोलाई जैसे बैक्टीरिया को दूर करने में मदद मिलती है। वहीं तुलसी में एंटीऑक्सीडेंट कंपाउंड्स पाए जाते हैं। इन कंपाउंड्स की मदद से माइक्रोब्स के खिलाफ शरीर को सुरक्षा मिलती है। आप मॉनसून के दौरान तुलसी और काली मिर्च की मदद से कुछ हेल्दी ड्रिंक्स बना सकते हैं। जानते हैं ऐसी 5 हेल्दी ड्रिंक्स के बारे में।1. हर्बल टी-तुलसी और काली मिर्च से बनने वाली चाय पीने में स्वादिष्ट और सेहत के लिए फायदेमंद होती है। मॉनसून के दौरान होने वाली सर्दी-खांसी और गले में इंफेक्शन जैसी समस्याओं को दूर करने के लिए आप चाय की पत्तियों के साथ तुलसी और काली मिर्च को उबालें और छानकर चाय का सेवन करें।2. काढ़ामॉनसून में इम्यूनिटी बढ़ाने, बैक्टीरियल इंफेक्शन और बुखार आदि समस्याओं से बचने के लिए आप तुलसी और काली मिर्च से बनने वाले काढ़े का सेवन करें। काढ़ा बनाने के लिए एक बर्तन में पानी को उबालें। उसमें लौंग, काली मिर्च, अदरक और तुलसी को डालकर उबालें। धीमी आंच पर पकाने के बाद जब पानी आधा हो जाए, तो उसमें शहद डालकर काढ़े का सेवन करें।3. काली मिर्च- तुलसी का पानीकाली मिर्च और तुलसी का पानी पीने से मॉनसून में गले की खराश दूर होती है। शरीर से जहरीले पदार्थ निकल जाते हैं। इस पानी का सेवन करने से इम्यूनिटी मजबूत होती है। सुबह-सुबह खाली पेट तुलसी और काली मिर्च से बने पानी का सेवन कर सकते हैं। इस पानी को बनाने के लिए काली मिर्च और तुलसी को पानी में डालकर उबालें और छानकर पी लें।4. बेसिल लेमोनेडतुलसी की मदद से आप लेमोनेड तैयार कर सकते हैं। मॉनसून में इसका सेवन करने से पाचन तंत्र बेहतर रहेगा। खास बात ये है कि इस ड्रिंक में आप काली मिर्च को भी शामिल कर सकते हैं। काली मिर्च, नींबू और तुलसी से बनने वाला ये लेमोनेड पीने में बेहद रिफ्रेशिंग लगता है। इस ड्रिंक को बनाने के लिए एक गिलास पानी में नींबू का रस मिलाएं। उसमें एक चुटकी पीसी काली मिर्च और तुलसी का रस मिलाएं। फिर आप इस ड्रिंक में मिक्सी में चलाकर पी सकते हैं।5. काली मिर्च तुलसी सूपमॉनसून के मौसम में शरीर को गरम रखने वाले पेय पदार्थ ज्यादा लाभदायक होते हैं। आपने काली मिर्च और तुलसी की चाय (tulsi tea), तो कई बार पी होगी पर क्या कभी तुलसी से बनने वाले सूप का सेवन किया है? अगर नहीं, तो इस मॉनसून में तुलसी और काली मिर्च से बनने वाले सूप (soup) का सेवन जरूर करें। तुलसी का सूप बनाने के लिए तुलसी की पत्तियों को पानी में उबाल लें। फिर उसमें उबले हुए टमाटर की प्यूरी मिलाएं। धीमी आंच पर पकाएं फिर उसमें नमक और काली मिर्च डालकर पकाएं। सूप को गरम-गरम पिएं।इन आसान ड्रिंक्स की मदद से आप मॉनसून में मौसमी बीमारियों से बच पाएंगे। इन्हें अपनी डाइट में शामिल करें।
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अदरक का इस्तेमाल कई तरह की परेशानियों से छुटकारा पाने के लिए किया जाता है। इसके कई मेडिकल फायदे हैं, जिसमें से एक यह है कि ये गले की खराश को दूर करने में मदद करता है। गले में खराश होने पर आपको जो दर्द होता है वह गले में सूजन और खुजली के कारण होता है। सूजन आपके शरीर की संक्रमण के प्रति प्रतिक्रिया करने वाली इम्यूनिटी का परिणाम है। ऐसे में अदरक शरीर में प्रो-इंफ्लेमेटरी प्रोटीन को ब्लॉक करने में मदद करता है। ये प्रोटीन सूजन दर्द और खुजली का कारण बनते हैं। इसे अलग अलग तरह से इस्तेमाल किया जा सकता है।
सोंठ को चबाएं
गले की खराश से छुटकारा पाने के लिए आप सोंठ यानी कच्चे अदरक का इस्तेमाल कर सकते हैं। ये आपकों किसी भी किराना स्टोर पर मिल जाएगा। इले हल्का सा छील लें और फिर एक इंच अदरक के टुकड़े को काट कर चबा लें। थाड़ी देर चबाने के बाद इसका रस खत्म हो जाए तब आप इसकी जड़ को निगल सकते हैं।
अदरक की चाय
सबसे बेस्ट और आसान तरीकों की बात करें तो आप अदरक की चाय पी सकते हैं। गर्म अदरक की चाय गले की खराश को शांत करने का एक फेमस और इफेक्टिव तरीका है। ये चाय गले की सूजन में आराम देती है। इसे बनाने के लिए एक कप पानी में 2 इंच कच्ची अदरक को घिसकर डालें और चाय बनाएं। चाय को पांच मिनट तक ऐसे ही रहने दें, फिर छान लें।
सेक कर खाएं अदरक
अगर गले में बहुत ज्यादा खराश है और चाय नहीं पी सकते हैं तो अदरक के छोटे टुकड़े कर लें। फिर इसे सेकें और इस पर काला नमक डालें। इसे कुछ देर तक मुंह में रखें और इसके रस को निगलते रहें। दादी-नानी का ये नुस्खा बड़े काम का है। -
एड़ी का दर्द पैर की एक आम स्थिति है। यह आमतौर पर चलते समय एड़ी का उपयोग करते समय तीव्र दर्द के रूप में महसूस किया जाता है। एड़ी का दर्द आमतौर पर धीरे-धीरे बढ़ता है और समय के साथ खराब होता जाता है। जब भी चलते समय आप अपनी एड़ी पर भार डालती हैं, तो ये बहुत तेजी के साथ होता है और लगातार बढ़ता जाता है। इस दर्द को नजरंदाज करने से बेहतर है, इसके कारणों को जानना। ताकि आप इसका समय रहते समाधान किया जा सके। ज्यादातर मामलों में, केवल एक एड़ी प्रभावित होती है, हालांकि अनुमान बताते हैं कि लगभग एक तिहाई लोगों को दोनों एड़ियों में दर्द होता है।
ये हो सकते हैं एड़ी में दर्द के कुछ सामान्य कारण---
00 कैल्शियम
00 मोटापा
00 कठिन एक्सरसाइज़
1. प्लांटर फशिया
आपकी एड़ी के नीचे दर्द का सबसे आम कारण, यह स्थिति हर साल 2 मिलियन लोगों को प्रभावित करती है। न्यूयॉर्क शहर में एनवाईयू लैंगोन मेडिकल सेंटर में हुए एक शोध के अनुसार प्लांटर फशिया ऊतक का एक बैंड है जो आपके पैर के आर्च को नीचे की ओर चलाता है, पैर की उंगलियों को एड़ी से जोड़ता है। यह पैर को झटके को अवशोषित करने में मदद करता है, लेकिन चलने या दौड़ने से बार-बार दबाव पड़ने से इसमें सूजन पैदा हो सकती है। यह दर्द अक्सर सुबह सुबह होता है, खासकर बैठने या खड़े होने के बाद।
2. फैट पैड एट्रोफी
जीवन भर में, हमारे पैर 100,000 मील से अधिक की दूरी तय करते हैं। तो इसमें कोई आश्चर्य की बात नहीं है कि प्राकृतिक कुशनिंग खराब हो जाती है, जैसे आपके स्नीकर्स की। एनल्स ऑफ रिहैबिलिटेशन मेडिसिन में प्रकाशित एक अध्ययन के अनुसार, पतले फैट पैड आपकी एड़ी पर दबाव बढ़ाते हैं। यही कारण है कि यह एड़ी के दर्द का दूसरा सबसे आम कारण है।
3. अकिलीज़ टेंडन
आपके शरीर का सबसे बड़ा हिस्सा, अकिलीज़ टेंडन आपके काल्व्स को आपकी एड़ी की हड्डी से जोड़ता है। इनमें अक्सर चलने और जॉगिंग जैसी गतिविधियों के कारण होता है। काल्व्स की तंग मांसपेशियां भी इसमें तनाव जोड़ सकती हैं। इसलिए, यदि आपको बहुत ज़्यादा दर्द है तो डॉक्टर को दिखाएं। - बढ़ती उम्र के साथ आपके चेहरे पर दाग-धब्बे और झुर्रियां दिखाई देने लगते हैं। इन लक्षणों को कम करने के लिए कई लोग बाजार में पाए जाने वाले स्किन केयर प्रोडक्ट्स का इस्तेमाल करते हैं। लेकिन इन प्रोडक्ट्स में मौजूद केमिकल आपकी त्वचा को खराब कर सकते हैं। ऐसे में आप स्किन पर नारियल तेल और हल्दी का पैक लगा सकते हैं। इससे स्किन ग्लोइंग और साफ नजर आती है। हल्दी और नारियल में एंटीबैक्टीरियल, एंटीइंफ्लेमेटरी और एंटीसेप्टिक गुण पाए जाते हैं, जो त्वचा को इंफेक्शन और रैशेज से बचा सकता है। हल्दी में करक्यूमिन होता है, जो घाव को जल्द ठीक करने में मदद करता है। इसके अलावा इसमें पाए जाने वाले एंटीऑक्सीडेंट्स स्किन को लचीला और टाइट बनाए रखते हैं। इससे स्किन में झुर्रियां, फाइन लाइन्स और रिंकल्स नजर नहीं आते हैं। आइए नारियल तेल और हल्दी के फायदे और इस्तेमाल के बारे में विस्तार से जानते हैं।स्किन के लिए नारियल तेल और हल्दी के फायदे1. ग्लोइंग स्किनहल्दी और नारियल तेल में एंटीऑक्सीडेंट्स और एंटीइंफ्लेमेटरी गुण पाए जाते हैं। जो स्किन को चमकदार बनाए रखने में मदद करता है। ये नैचुरली स्किन में निखार लाता है और बेदाग बनाता है। इसके लिए आप एक कटोरी में दही, नारियल तेल और हल्दी ले लें। इन तीनों चीजों को अच्छे से मिला लें। इस पेस्ट को चेहरे और गर्दन वाले हिस्से पर लगाकर 20 मिनट तक छोड़ दें। फिर ठंडे पानी से चेहरे को धो लें।2. कील-मुहांसों से छुटकाराकील-मुहांसों की समस्या कई लोगों को होती है। हल्दी और नारियल तेल में एंटीसेप्टिक गुण होते हैं, जो त्वचा में मौजूद बैक्टीरिया और सूजन को कम कर सकता है। इसके लिए आप एक चम्मच नारियल तेल और आधा चम्मच हल्दी लेकर उसे अच्छे से मिक्स कर लें। फिर उसे चेहरे पर मसाज कराते हुए लगाएं। इसके अलावा चेहरे के कील-मुहांसों पर हल्दी और नारियल तेल का पेस्ट रातभर रखकर छोड़ दें। सुबह उठकर इसे साफ कर लें।3. डार्क सर्कल्स की समस्याहल्दी और नारियल तेल का इस्तेमाल आपके आँखों के नीचे आने वाले डार्क सर्कल्स से छुटकारा दिला सकता है। दरअसल यह आंखों को आराम दिलाता है और इससे नींद अच्छी आ सकती है। इसलिए रात को सोने से पहले आप आंखों के नीचे आप हल्दी और नारियल तेल का पेस्ट लगाकर सो सकते हैं। इससे आपको काफी आराम मिलता है। हालांकि आप चाहे तो आंखों के नीच हल्के हाथों से मसाज भी कर सकते हैं।4. सनबर्न से बचाएनारियल तेल और हल्दी का पैक लगाने से आपकी सनबर्न की समस्या खत्म हो सकती है। यह स्किन के टैन को दूर करके निखार लाता है। इसके लिए आप आधा चम्मच हल्दी, एक चम्मच नारियल तेल और एक चम्मच ऑलिव ऑयल ले लें। इससे स्किन पर पडऩे वाली धूप का असर आप पर कम पड़ता है।5. स्ट्रेच माक्र्स हल्का करेआप स्ट्रेच माक्र्स को दूर करने के लिए हल्दी और नारियल तेल का इस्तेमाल कर सकते है। यह दाग के निशान को हल्का बनाने और रंगत निखारने में मदद करता है। हल्दी और नारियल तेल आपके लिए काफी फायदेमंद हो सकता है।
- चेहरे पर घी लगाने त्वचा की कई समस्याओं से छुटकारा मिलता है। हम त्वचा पर दो तरह के घी का सबसे ज्यादा प्रयोग एक भैंस के दूध से बना घी और दूसरा गाय के दूध से बना घी। दोनों ही त्वचा के लिए बहुत फायदेमंद होता है। लेकिन गाय का घी चेहरे पर लगाने थोड़ा ज्यादा फायदेमंद होता है। गाय का घी हेल्दी फैट्स के साथ ही लिनोलिक एसिड से भरपूर होता है। यह मॉइस्चराइजिंग और एंटी इंफ्लेमेटरी गुणों से भी भरपूर होता है, जिससे यह त्वचा की कई समस्याओं को दूर करने में बहुत प्रभावी है। इस लेख में हम आपको चेहरे पर गाय का लगाने के 5 फायदे.....-प्राकृतिक मॉइस्चराइजर है: चेहरे पर गाय का घी लगाने से त्वचा नैचुरली मॉइस्चराइज होती है। यह ड्राई स्किन की समस्या से छुटकारा दिलाता है और त्वचा को कोमल बनाता है।-एजिंग के लक्षण कम होते हैं: यह त्वचा को टाइट करने में मदद करता है, जिससे झुर्रियां, फाइन लाइन्स और रोम छिद्र कम होते हैं और आप जवां नजर आते हैं।-त्वचा के घाव ठीक करता है: रात में सोने से पहले अगर आप चेहरे पर गाय का घी लगाकर सोते हैं, तो इससे चेहरे की दरारें, त्वचा पर कट या घाव और फटी त्वचा को ठीक करने में मदद मिलती है। यह फटे होंठों से भी छुटकारा दिलाता है।-मुंहासे की समस्या में फायदेमंद है: चेहरे की गहराई से सफाई करने में गाय का घी बहुत प्रभावी है। यह त्वचा के रोम की गंदगी को साफ करता है साथ ही हानिकारक बैक्टीरिया को हटाता है। यह त्वचा पर अतिरिक्त तेल के उत्पादन को कंट्रोल करता है, जिससे मुंहासे कम होते हैं।-त्वचा में निखार आता है: गाय का घी त्वचा पर त्वचा पर लगाने से त्वचा की रंगत में सुधार होता है। यह त्वचा के मृत कोशिकाओं को हटाने में भी मदद करता है। त्वचा के दाग-धब्बों, टैनिंग, पिगमेंटेशन और कालेपन के लिए यह बहुत प्रभावी उपाय है।चेहरे पर गाय की घी कैसे लगाएं-चेहरे पर गाय का घी लगाने के लिए आपको सबसे पहले घी को थोड़ा गर्म कर लेना है। गुनगुने घी से चेहरे की अच्छी तरह मालिश करनी है। रात में चेहरे पर घी लगाना ज्यादा फायदेमंद होता है। बस रात को फेस वॉश करने के बाद चेहरे पर गाय का घी लगाएं और रात भर के लिए छोड़ दें। सुबह सादे पानी से धो लें।
- रक्षाबंधन का त्योहार 11 अगस्त को मनाया जाएगा। इस त्योहार में पूरा परिवार साथ होता है, ऐसे में इस दिन मीठा अवश्य बनाया जाता है। रक्षाबंधन के मौके पर अगर आप भी कुछ मीठा लेकिन हेल्दी बनाने की सोच रही हैं, तो हम आपको बता रहे हैं 5 स्पेशल खीर की रेसिपीज, जो स्वाद में तो अनूठी हैं ही, साथ ही सेहत के लिए भी फायदेमंद साबित होंगी। ये 5 तरह की खीर बनाकर घर पर आए मेहमानों को आसानी से खिला सकती हैं। ये सभी खीर आसानी से बन जाती हैं, साथ ही हेल्थ के लिए काफी अच्छी होती हैं। ये खीर बच्चों से लेकर बड़ों तक सभी को काफी पसंद आती हैं। आइये जानते है कैसे बनाएं ये खीर।साबूदाना खीरसाबूदाना सेहत के लिए काफी फायदेमंद होता है। साबूदाना खीर बनाने के लिए साबूदाना को पानी में 2-3 बार अच्छे से धो कर 1-2 घंटे के लिए भिगो कर रख दें। अब एक पैन में दूध को चढ़ाएं। जब दूध अच्छे से गर्म हो जाए, तो उसमें साबूदाना डालें। साबूदाना को अच्छे से उबलने के बाद इसमें चीनी, इलायची पाउडर डालकर अच्छे से मिक्स कर लें। थोड़ी देर बाद जब साबूदाना पक जाए, तो गैस का फ्लेम बंद कर दें। साबूदाना खीर तैयार है। गर्निश करने के लिए किशमिश का इस्तेमाल करें।मखाने की खीरमखाने की खीर बनाने के लिए एक पैन में मखाने को भून लें और उसे ठंडा होने के लिए अलग रख दें। अब एक पैन में दूध को गर्म करें। दूध जब अच्छे से गर्म हो जाए, तो उसमें घी में तले हुए या ड्राई रोस्ट हुए मखाने डालें। जब मखाना अच्छे से पक जाए तो उसमें इलायची पाउडर और ड्राई फ्रूट्स डाल कर अच्छे से मिक्स करें। धीमी गैस पर कुछ देर मखाने की खीर को पकने दें। फिर गैस बंद करें और मखाने की खीर तैयार है।एप्पल खीरएप्पल खीर स्वादिष्ट होने के साथ- साथ सेहत के लिए भी काफी फायदेमंद होती है। इसे बनाने के लिए सेब को कद्दूकस कर लें और घी में अच्छे से भूनकर अलग रख लें। अब गैस पर एक पैन में दूध को अच्छे से गर्म करें। गैस को बंद करने के बाद दूध को ठंडा होने के लिए कुछ देर के लिए रखें। दूध ठंडा होने के बाद उसमें कद्दूकस किया हुआ सेब मिक्स करें। फ्लेवर के लिए इलायची पाउडर और ड्राई फ्रूट्स इसमें मिक्स करें। ठंडा करके इस खीर को परोसें।लौकी की खीरलौकी की खीर सेहत के लिए काफी पौष्टिक होती है। इसे बनाने के लिए सबसे पहले लौकी को कद्दूकस करके भून लें। एक पैन में दूध को उबालें। दूध उबलने के बाद उसमें लौकी डालकर 10 मिनट तक पकाएं। ठंडा होने के बाद उसमें इलायची और ड्राईफ्रूट्स डालकर सर्व करें।पाइनएप्पल की खीरपाइनएप्पल की खीर बनाने के लिए पाइनप्पल को छोटे-छोटे टुकड़ों में काट लें। अब पाइनएप्पल और चीनी को साथ में मिलाकर पीसें। कड़ाही में अनानास का पेस्ट डालें और उसे अच्छे से पकाएं। जब पेस्ट गाढ़ा हो जाए, तो उसमें दूध डालकर अच्छे से मिलाएं। दूध और पेस्ट को अच्छे से मिलाएं। ध्यान रखें उसमें कोई गांठ न पड़े। अब इसमें खोया डालकर मिक्स करें। 4 से 5 मिनट में ये तैयार हो जायेगा। सूखे मेवे डालकर गर्निश करें।
- जई, गेहूं, राई और चावल जैसे अनाज हमारी डाइट में अहम भूमिका निभाते हैं क्योंकि साबुत अनाजों में भरपूर पोषक तत्व होते हैं। इनमें प्रोटीन, फाइबर, बी विटामिन समेत आयरन, जिंक जैसे मिनरल्स भी शामिल हैं। इन्हीं अनाजों में से एक जौ भी है जिसे बार्ले भी कहा जाता है। आज के लेख में हम जानते हैं जौ खाने के फायदे-वजन कम करने में मददगारजौ काफी स्वस्थ होते हैं और जब वजन घटाने की बात आती है तो इन्हें बेहद अच्छा माना जाता है। जौ भूख को कम करने में मदद कर सकते हैं और आपके पेट को लंबे समय तक भरे रखते हैं। इसलिए यह वजन कम करने में मदद कर सकते हैं।डाइजेशन में सुधारजौ आपके डाइजेशन में सुधार करते हैं। इनमें हाई फाइबर कंटेन्ट होता है, विशेष तौर पर इनसोल्यूबल फाइबर। ये फाइबर अघुलनशील होते हैं जो पानी में नहीं घुलते जिससे ये आपके बोवेल मूवमेंट्स में सुधार करते हैं और कब्ज की संभावनाओं को कम करते है।कोलेस्ट्रॉल कंट्रोल होता हैजौ आपके कोलेस्ट्रॉल के स्तर को भी कम करने में मदद कर सकते हैं। जौ में पाए जाने वाले बीटा-ग्लूकन्स बाइल एसिड को कम करके 'खराबÓ एलडीएल कोलेस्ट्रॉल को कंट्रोल करते हैं। एक अध्ययन में देखा गया है कि हाई कोलेस्ट्रॉल वाले पुरुषों को साबुत गेहूं, ब्राउन राइस या जौ से भरपूर डाइट दी गई। पांच हफ्तों के बाद, जौ का सेवन करने वाले पुरुषों में कोलेस्ट्रॉल का स्तर 7 प्रतिशत कम हुआ।शुगर लेवल नियंत्रित होता हैजौ ब्लड शुगर के स्तर को कम करके और इंसुलिन रिलीजमें सुधार करके टाइप 2 डायबिटीज के रिस्क को कम कर सकता है। ऐसा जौ में मौजूद मैग्नीशियम कंटेन्ट के कारण होता है। यह मिनरल इंसुलिन उत्पादन और शरीर द्वारा शुगर के उपयोग में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।भरपूर विटामिन्स और एंटीऑक्सीडेंट्सजौ में विटामिन और एंटीऑक्सीडेंट भरपूर होते हैं जो सेल्स की स्वस्थ ग्रोथ में मदद करते हैं। इसमें फोलेट, आयरन, सोडियम, कॉपर और मैंगनीज और बी विटामिन्स होते हैं। साथ ही इसमें फाइबर और प्रोटीन की भी अच्छी मात्रा होती है। जौ 'खराबÓ एलडीएल कोलेस्ट्रॉल के स्तर को कम करते हैं और साथ ही जौ में मौजूद फाइबर रक्तचाप के स्तर को कम करते हैं।ब्रेकफास्ट के लिए परफेक्टजौ पोषक तत्वों से भरपूर होते है और नाश्ते के लिए एक परफेक्ट मील है। इसमें फाइबर और आवश्यक मिनरल्स होते हैं जैसे सेलेनियम, कॉपर, ट्रिप्टोफैन और मैंगनीज। ये आपको दिनभर के लिए एनर्जी देते हैं और आपको दिन भर तक संतुष्ट महसूस कराते हैं। जौ में मैंगनीज होने से यह खुश और ऊर्जावान महसूस कराता है, और यह आपके नर्वस सिस्टम को भी शांत करता है।अर्थराइटिस के लक्षण कम करेंजौ में कॉपर अच्छी मात्रा होता है, जो गठिया के लक्षणों को कम करने में भी सहायक हो सकता है। कॉपर फ्री रेडिकल्स को बेअसर करता है जिससे यह सेल्स को रेनोवेट करने में मदद करता है। क्रॉस-लिंकिंग कोलेजन के उत्पादन में भी कॉपर आवश्यक है।इम्यून सिस्टम को बूस्ट करता हैजौ के पौधे में लिगनन्स होते हैं, जो आपकी आंतों के लिए अच्छे होते हैं। जौ आपके इम्यून सिस्टम को बूस्ट करता है। इसके अतिरिक्त, जौ विटामिन सी में हाई होते हैं जो इम्यूनिटी को बढ़ाते हैं। जौ आपको पूर्ण, संतुष्ट और तनाव मुक्त रखते हैं।
- चने पोषक तत्वों से भरपूर होते हैं। चने में प्रोटीन, काब्र्स, आयरन, फाइबर और फोलेट अच्छी मात्रा में पाए जाते हैं। फिट और हेल्दी रहने के लिए हेल्थ एक्सपट्र्स भी काले चने खाने की सलाह देते हैं। यही वजह है कि अधिकतर लोग अकसर चने खाते भी हैं। कुछ लोग चने भूनकर खाते हैं, तो कुछ अंकुरित करके या फिर उबालकर खाना पसंद करते हैं। ऐसे में अकसर लोगों मन में सवाल रहता है कि किस तरह के चने खाना अधिक फायदेमंद होते हैं?भुने हुए चनेअधिकतर लोग चने भूनकर खाना पसंद करते हैं। क्योंकि भुने हुए चने स्वाद में काफी अच्छे लगते हैं। अगर आपको सर्दी-जुकाम या कोई अन्य कफ विकार है, तो आप भुने हुए चने खा सकते हैं। डायबिटीज और थायराइड रोगियों के लिए भी भुने हुए चने अधिक फायदेमंद होते हैं। ओवरवेट होने पर भी आप भुने हुए चने खा सकते हैं। लेकिन जो लोग पतले हैं, उन्हें चने से परहेज करना चाहिए।अंकुरित चनेहेल्थ एक्सपट्र्स हमेशा अंकुरित चने खाने की सलाह देते हैं। दरअसल, अंकुरित चने खाने से शरीर को अधिक लाभ मिल सकता है। अंकुरित चने में अधिक पोषक तत्व पाए जाते हैं। अंकुरित चने खाने से आपको पर्याप्त मात्रा में विटामिन बी कॉम्पलेक्स मिल सकता है। चने को अंकुरित करके खाने से प्रोटीन की मात्रा भी बढ़ जाती है। इससे आपकी मसल्स स्ट्रान्ग बनती हैं। अंकुरित चने को पचाने में थोड़ी दिक्कत आती है, इसलिए अगर आपको कोई दिक्कत होती है तो आपको अंकुरित चने खाने से बचना चाहिए। अंकुरित चने में आप प्याज, खीरा और टमाटर मिलाकर खा सकते हैं।उबले हुए चनेआप उबले हुए चने भी खा सकते हैं। उबले हुए चने खाने में स्वादिष्ट होते हैं, साथ ही पोषक तत्वों से भी भरपूर होते हैं। अगर आप उबले हुए चने खाना चाहते हैं, तो इसके लिए इन्हें घी में रोस्ट कर लें। रोस्टेड चने में नमक डालकर खाया जा सकता है। आप इनमें ऊपर से नींबू भी निचोड़ सकते हैं। इससे उबले हुए चने खाने से शरीर में इम्यूनिटी बढ़ेगी और आपको स्वाद भी पसंद आएगा।चना किसे नहीं खाना चाहिए?वैसे तो चना खाना सेहत के लिए फायदेमंद होता है। लेकिन कुछ खास लोगों को चना खाने से परहेज करना चाहिए। आयुर्वेद के अनुसार वात प्रकृति के लोगों को चने नहीं खाने चाहिए। इसके अलावा जो लोग काफी दुबले-पतले और कमजोर हैं, उन्हें भी काले चने खाने से बचना चाहिए। जिन लोगों को अकसर ही कब्ज रहती है, उन्हें काले चने से परहेज करना चाहिए। अगर आपकी स्किन ड्राई या रूखी रहती है, तो आपको भी चने नहीं खाने चाहिए। आप भी अपनी डाइट में चने शामिल कर सकते हैं, लेकिन अगर आपको कब्ज रहती है तो चने खाने से बचें।
- डायबिटीज के मरीजों को अपने खानपान का खास ध्यान रखने की जरूरत होती है। ऐसे में ड्राई नट्स का सेवन करना उनके लिए काफी उपयोगी साबित हो सकता है। डायबिटीज के मरीजों के लिए कुछ खास प्रकार के नट्स काफी फायदेमंद होता है। इनके सेवन से ब्लड शुगर लेवल कंट्रोल रहता है और अन्य फूड्स की तुलना में ये लाभकारी हो सकता है। दरअसल ड्राई नट्स में अनसैचुरेटेड फैट, विटामिन, थायमिन, कैरोटीनॉयड, एंटीऑक्सीडेंट और फाइटोस्टेरॉल और प्रोटीन से भरपूर होते हैं। इसके सेवन से डायबिटीज, टाइप-2 डायबिटीज, हृदय रोगों और हाई ब्लड प्रेशर की समस्या से बचा जा सकता है। साथ ही ये सेहत के लिए भी काफी फायदेमंद हो सकता है। आइए डायबिटीज में ड्राई नट्स खाने के फायदे के बारे में विस्तार से जानते हैं।डायबिटीज में ड्राई नट्स खाने के फायदे1. बादामबादाम का सेवन करने से आपको कई तरह के लाभ मिल सकते हैं। इससे टाइप-2 डायबिटीज का खतरा कम हो सकता है। बादाम में मौजूद पोषक तत्व ब्लड शुगर को कंट्रोल कर शरीर में कोलेस्ट्रॉल के स्तर को कम करता है, जिससे धमनियों में रक्त का प्रवाह अच्छे से हो पाता है। इसके अलावा बादाम एचडीएल की मात्रा बढ़ाते हैं, जिससे हाई ब्लड प्रेशर और हृदय समस्याओं का खतरा कम हो सकता है।2. अखरोटदरअसल अखरोट में कैलोरी की मात्रा बहुत कम पाई जाती है। इसके सेवन से डायबिटीज के मरीजों का वजन संतुलित रहता है। इसमें प्रोटीन, कार्बोहाइड्रेट, शुगर, डाइटरी फाइबर, कैल्शियम, आयरन और फास्फोरस पाए जाते हैं। इससे आपका पाचन तंत्र भी सही रहता है और हड्डियां भी मजबूत होती है।3. मूंगफलीमूंगफली के सेवन से मोटापा का खतरा कम हो सकता है। इसके सेवन से डायबिटीज के मरीजों का ब्लड शुगर कंट्रोल हो सकता है और भूख भी कम लगती है। इसमें प्रोटीन भरपूर मात्रा में पाया जाता है, जो कोशिकाओं के विकास के लिए आवश्यक है। डायबिटीज के मरीज कम मात्रा में मूंगफली का सेवन करें क्योंकि इसमें कैलोरी की मात्रा बहुत अधिक होती है।4. पिस्तापिस्ता खाने से शरीर को भरपूर एनर्जी मिलती है। इसमें फाइबर, फैट्स और ओमेगा 3 फैटी एसिड पाए जाते हैं, जो पेट को अधिक देर तक भरा हुआ महसूस कराते हैं। डायबिटीज के रोगी अपने कोलेस्ट्रॉल लेवल को संतुलित करने के लिए पिस्ता का सेवन कर सकते हैं। पिस्ता खाने से शरीर में ट्राइग्लिसराइड का स्तर काफी कम हो जाता है, जो हृदय समस्याओं को दूर कर सकता है।5. काजूकाजू टाइप-2 डायबिटीज के जोखिमों को कम करने में मदद कर सकता है। इससे ब्लड प्रेशर की समस्या कम हो सकती है। इसमें मैग्नीशियम, जिंक, कॉपर, फास्फोरस, कैल्शियम, विटामिन बी और पोटैशियम जैसे तत्व पाए जाते हैं। ये सभी डायबिटीज के लक्षणों को कम कर सकते हैं। डायबिटीज के मरीज रोजाना एक मु_ी काजू खा सकते हैं।
- कोचई यानी अरबी के पत्ते सेहत के लिए काफी फायदेमंद रहते हैं। ये पत्ते स्वादिष्ट होने के साथ-साथ शरीर के लिए काफी पौष्टिक भी होते हैं। मानसून के मौसम में आप इसकी सब्जी और पकौड़े बनाकर खा सकते हैं। अरबी के पत्तों में विटामिन ए, बी, सी, कैल्शियम, पोटैशियम और एंटीऑक्सीडेंट्स आदि भरपूर मात्रा में पाए जाते हैं। इसका सेवन करने से पेट संबंधी बीमारी से बचा जा सकता है और वजन कम किया जा सकता है। आइए जानते हैं अरबी के पत्तों के फायदों के बारे में।150 ग्राम अरबी के पत्तों में मौजूद पोषक तत्वकैलोरीज- 35, काब्र्स- 6 ग्राम, प्रोटीन- 4 ग्राम, फाइबर- 3 ग्राम, फैट- 1 ग्राम, विटामिन सी- 57 प्रतिशत, विटामिन ए- 34 प्रतिशत, फोलेट- 17 प्रतिशत, पोटेशियम- 14 प्रतिशत, कैल्शियम- 13 प्रतिशत, आयरन- 10 प्रतिशत।अरबी के पत्ते खाने के फायदेब्लड प्रेशर कम करेअरबी के पत्तों के सेवन से ब्लड प्रेशर कंट्रोल रहता है। अरबी के पत्तों में एंटी-हाइपरटेंसिव गुण मौजूद होता है, जो ब्लड प्रेशर को नियंत्रित करने में सहायता करता है। इसके लगातर सेवन से तनाव में भी कमी आती है। अरबी के पत्तों का सेवन आप सब्जी और पकौड़े के तौर पर कर सकते हैं।वजन कम करने में मददगारअरबी के पत्तों में भरपूर मात्रा में फाइबर पाया जाता है। फाइबर के सेवन से भूख कम लगती है और शरीर में एनर्जी बनी रहती है। इसलिए वजन कम करने की इच्छा रखने वाले लोगों के लिए अरबी के पत्ते काफी लाभदायक हो सकते हैं।आंखों के लिएअरबी के पत्तों में बीटा-कैरोटीन पाया जाता है, जो आंखों के लिए काफी फायदेमंद होता है। इसके सेवन से आंखो की रोशनी तेज होती है। इसमें भरपूर मात्रा में विटामिन ए पाया जाता है, जो शरीर की हड्डियों को मजबूत बनाता है और आंखों की रोशनी को तेज करता है।हृदय के लिएकई रिसर्च बताती हैं कि हरी पत्तेदार सब्जियों के सेवन से दिल की बीमारियों का खतरा लगभग 16 प्रतिशत तक कम हो जाता है। अरबी के पत्तों में नाइट्रेट होता है, जो ब्लड प्रेशर को कंट्रोल रखने में मदद करता है। इसलिए दिल को स्वस्थ रखने के लिएअरबी के पत्ते खाएं। ध्यान रखें जब भी अरबी के पत्तों का सेवन करें, तो उसे तेल में ज्यादा न तलें। हल्के तेल में ही सेंक कर खाएं।एनीमिया में लाभकारीअरबी के पत्तों में भरपूर मात्रा में आयरन होता है, जो एनीमिया की समस्या दो दूर करता है। इसके सेवन से हीमोग्लोबीन का स्तर सही रहता है। इसके लगातार सेवन से आपको कमजोरी बिल्कुल अनुभव नहीं होगी। अरबी के पत्तों में आयरन, फाइबर और अन्य आवश्यक पोषक तत्व प्रचुर मात्रा में पाए जाते हैं।
- अजवाइन और सौंफ का पानी पीने आपकी सेहत के लिए बहुत फायदेमंद होते हैं। इनके मिश्रण में एंटीऑक्सीडेंट, प्रोटीन, फाइबर, आयरन, मैग्नीशियम, पोटैशियम और कैल्शियम पाए जाते हैं। इसके अलावा सौंफ और अजवाइन में मैगनीज, जिंक, विटामिन सी, विटामिन के और ई पाए जाते हैं। इनका इस्तेमाल करने से आपका वजन कम हो सकता है और साथ ही पाचन तंत्र भी सही रहता है। अजवाइन और सौंफ का पानी सर्दी-जुकाम और गले की खराश भी ठीक कर सकता है। इससे आपका इम्यून सिस्टम भी मजबूत होता है। आइए अजवाइन और सौंफ का पानी पीने के फायदे और इस्तेमाल के बारे में विस्तार से जानते हैं।अजवाइन और सौंफ का पानी पीने के फायदे1. इम्यून सिस्टम मजबूत बनाएबारिश के मौसम में आपका इम्यून सिस्टम कमजोर हो सकता है। अपने आपको अंदर से मजबूत बनाने के लिए अजवाइन और सौंफ का पानी पी सकते हैं। दरअसल इसमें विटामिन सी, एंटीऑक्सीडेंट और आयरन पाए जाते हैं। जो वायरल बीमारियों और अन्य समस्याओं को दूर कर सकते हैं। इसे आप सुबह खाली पेट में पी सकते हैं।2. कोलेस्ट्रोल कम करेअजवाइन और सौंफ का पानी पीने से कोलेस्ट्रॉल लेवल नियंत्रित किया जा सकता है। यह आपके शरीर में जमा अतिरिक्त फैट को कम कर सकता है। अजवाइन और सौंफ का पानी वजन कम करने में भी मददगार साबित हो सकता है। इसमें काफी कम मात्रा में कैलोरी पाई जाती है।3. पेट की समस्याओं में कारगरपेट की समस्याओं के लिए सौंफ और अजवाइन काफी फायदेमंद होता है। इस मिश्रण में फाइबर और एंटीऑक्सीडेंट पाए जाते हैं, यह पाचन तंत्र को ठीक कर सकता है। इसके सेवन से पेट में अपच, गैस, कब्ज और एसिडिटी की दिक्कत नहीं होती है। इसे आप दिन में दो बार पी सकते हैं।4. मार्निंग सिकनेसकई लोगों को सुबह उठने पर मार्निंग सिकनेस की समस्या होती है। अगर सुबह उठने पर आपको भी उल्टी, जी मिचलाना और मतली की दिक्कत होती है, तो आप अजवाइन और सौंफ का पानी जरूर पिएं। इससे सुबह उठने पर आप फ्रेश और ताजगी का अनुभव करते हैं।5. स्किन के लिए फायदेमंदस्किन को ग्लोइंग बनाने के लिए आप अजवाइन और सौंफ का पानी पी सकते हैं। यह स्किन को डिटॉक्स करने में मदद करते हैं। इनका मिश्रण आपको पिंपल फ्री और बेदाग त्वचा दे सकता है।
- - विटामिन-सी, एंटी-ऑक्सिडेंट्स और फाइबर से भरपूर है पपीतारायपुर। पपीते को सेहत के लिए बहुत फायदेमंद माना जाता है। पपीते को आयुर्वेद में एक औषधि के रूप में इस्तेमाल किया जाता है। सिर्फ पपीते को ही नहीं, बल्कि इसके पत्ते और बीजों का भी इस्तेमाल आयुर्वेदिक उपचार के लिए किया जाता है। पपीते के सेवन से शरीर को कई स्वास्थ्य समस्याओं से बचाया जा सकता है। पपीते की एक अच्छी बात ये है कि ये हर मौसम में आसानी से मिल जाता है। पपीते में पोषक, विटामिन, प्रोटीन, एनर्जी आयरन, कैल्शियम और मैग्नीशियम प्रचूर मात्रा में पाया जाता है जो शरीर को सेहतमंद बनाए रखने में सहायक होता है। पपीते को पेट के लिए काफी अच्छा माना जाता है। पपीते में एंटी-बैक्टीरियल गुण मौजूद होते हैं जो हमारे पाचन में मदद करते हैं। इसके साथ ही यह फूड पॉइजनिंग जैसी बीमारियों से लड़ने में भी हमारी मदद करता है।पके पपीते के समान ही कच्चे पपीते के भी कई औषधीय गुण हैं। कच्चा पपीता लीवर के लिए काफी फायदेमंद होता है। यह लीवर को शक्ति प्रदान करता है और पीलिया आदि में लीवर के कमजोर पड़ जाने की स्थिति में इसके सेवन से या कच्चे पपीते की सब्जी बनाकर खाने से पीलिया रोगियों को काफी फायदा होता है। इसमें मौजूद फाइबर कोलेस्ट्रॉल के स्तर को कम करने में बेहद कारगर साबित होते हैं। पपीते का दूसरा सबसे बड़ा फायदा है कि यह वजन को नियंत्रित रखता है। यदि वजन कम करना चाहते हैं, तो एक मध्यम आकार के पपीते का सेवन फायदेमंद है।शासकीय आयुर्वेदिक महाविद्यालय, रायपुर के सह-प्राध्यापक डॉ. संजय शुक्ला ने पपीते के सेवन संबंधी दिशा-निर्देश बताएं हैं। उन्होंने बताया कि इसमें एसिडिक गुण कम होने के कारण सुबह के समय खाने से इसका पाचन आसानी से हो जाता है और इसमें मौजूद पानी की ज्यादा मात्रा और फाइबर की प्रचुरता भी शरीर की मेटाबोलिक रेट को संतुलित करती है। लेकिन यह ध्यान रखें कि इसका सेवन सीमित मात्रा में ही करें। कच्चे पपीते और इसके बीजों में काफी मात्रा में विटामिन ‘ए’ ‘सी’ और ‘ई’ होता है जो शरीर की प्रतिरक्षा प्रणाली अर्थात् इम्यून सिस्टम को मजबूत बनाता है। कच्चा पपीता सर्दी और जुकाम के साथ कई अन्य प्रकार के इन्फेक्शन से भी लड़ने में मददगार साबित होता है। यह मूत्र संबंधी समस्याओं में भी फायदा पहुंचा सकता है। पपीते में पोटैशियम की भरपूर मात्रा पाई जाती है। पोटैशियम एक प्रकार का खनिज है जो हमारे शरीर में सोडियम से होने वाले प्रभावों को कम करता है जिससे हमारा रक्तचाप नियंत्रित रहता है। इसलिए आहार विशेषज्ञ भी उच्च रक्तचाप के मरीजों को पपीता खाने की सलाह देते हैं।बीमारियों से लडऩे में है मददगारपपीता हमारे शरीर में विटामिन-सी की मात्रा को पूरा करता है। इससे हमारे शरीर में रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ती है जिससे हमें कई प्रकार की बीमारियों से लड़ने में मदद मिलती है। पपीते के नियमित सेवन से शरीर के रोगग्रस्त होने आशंका कम हो जाती है। कच्चा पपीता एवं पका हुआ पपीता दोनों ही स्वास्थ्य की दृष्टि से फायदेमंद हैं। एक छोटे पपीते में लगभग 60 कैलोरी होती है।
- अलसी के बीज और मेथी का सेवन करने से आपको कई फायदे मिलते हैं। नियमित रूप से इसे खाने से आप कई गंभीर बीमारियों से बच सकते हैं। जो लोग मोटापे या अधिक वजन की दिक्कत से परेशान हैं, तो आपको अलसी के बीज और मेथी का सेवन जरूर करना चाहिए। इससे आपकी हार्ट हेल्थ और हाई ब्लड प्रेशर की समस्या ठीक हो सकती है। मेथी में प्रोटीन, वसा, कार्बोहाइड्रेट, कैल्शियम, आयरन, फाइबर, मैग्नीशियम, फास्फोरस, पोटैशियम, जिंक, विटामिन सी, थायमिन, नियासिन, राइबोफ्लेविन, विटामिन-बी 6, विटामिन ए, विटामिन के, फोलेट, एंटीओक्सीडेंट, सेलेनियम, एंटी इंफ्लेमेटरी और एंटीबैक्टीरियल गुण पाए जाते हैं। इसके अलावा अलसी में हेल्दी फैट, सोडियम, पोटैशियम और मैग्नीशियम, फाइबर, प्रोटीन और कैल्शियम पाए जाते हैं। ये पोषक तत्व आपके शरीर के लिए काफी फायदेमंद हो सकता है। आइए इसके फायदे और उपयोग के बारे में विस्तार से जानते हैं।अलसी और मेथी के फायदे1. हृदय रोगों में लाभकारीअलसी और मेथी में कई गुणकारी पोषक तत्व होते हैं। इनमें मौजूद ओमेगा-3 फैटी एसिड, प्रोटीन, फाइबर, विटामिन्स और मिनरल्स पाए जाते हैं। इससे हृदय रोग की संभावनाएं कम हो जाती है। साथ ही स्ट्रोक और हार्ट अटैक के जोखिम से बच सकते हैं।2. कोलेस्ट्रॉल लेवल नियंत्रित करेअलसी और मेथी के बीज का सेवन करने से आपके शरीर में बैड कोलेस्ट्रॉल का स्तर संतुलित रहता है। रोजाना इन दोनों के मिश्रण के सेवन से आपको हाई ब्लड प्रेशर और अन्य समस्याएं हो सकती है। दरअसल इसमें मौजूद फाइबर और गुड फैट मददगार साबित हो सकता है।3. पाचन शक्ति में मददगारअलसी और मेथी के बीज का सेवन करने से आपकी पाचन शक्ति बेहतर होती है। इनमें पर्याप्त मात्रा में फाइबर और एंटीऑक्सीडेंट पाए जाते हैं, इससे गैस और एसिडिटी की समस्या नहीं होती है। साथ ही आपको कब्ज की दिक्कत भी नहीं होती है।4. त्वचा के लिए उपयोगीअलसी और मेथी का उपयोग त्वचा के लिए काफी फायदेमंद हो सकता है। इसमें मौजूद प्रोटीन, एंटीऑक्सीडेंट्स और फाइटोकैमिकल्स विटामिन्स और मिनरल्स आपकी स्किन को क्लीयर और बेदाग बनाते हैं। आप हफ्ते में एक बार अलसी और मेथी का पैक चेहरे पर लगा सकते हैं। इससे आपकी स्किन जवां और खूबसूरत नजर आती है।5. बालों के लिए लाभकारीअगर आपके बाल रूखे और बेजान नजर आते हैं, तो मेथी और अलसी का उपयोग काफी साबित हो सकता है। इसमें मौजूद विटामिन ए, विटामिन के और प्रोटीन पाया जाता है, जो बालों को खूबसूरत और शाइनी बनाता है।
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टमाटर का इस्तेमाल भारतीय करी में आमतौर से किया जाता है. ये खाने के स्वाद को बढ़ाने में मदद करता है. ये न केवल खाने के स्वाद को बढ़ाने का काम करता है बल्कि ये सेहत के लिहाज से भी काफी फायदेमंद है. ये कई सारे पोषक तत्वों से भरपूर होता है. इसमें विटामिन सी, विटामिन ए, फाइबर, फोलेट और कैल्शियम जैसे पोषक तत्व होते हैं. करी के अलावा सलाद के रूप में भी आप टमाटर का सेवन कर सकते हैं. इसके अलावा आप टमाटर का जूस में नियमित रूप से पी सकते हैं. ये स्वास्थ्य संबंधित कई समस्याओं को दूर करने का काम करता है. आइए जानें ये सेहत के लिए कैसे फायदेमंद है.
आंखों के लिए फायदेमंद
टमाटर के जूस में विटामिन सी भरपूर मात्रा में होता है. ये आंखों के लिए बहुत ही फायदेमंद है. ये आंखों की रोशनी को बढ़ाने का काम करता है. आंखों को स्वस्थ बनाए रखने के लिए आप नियमित रूप से इसका सेवन कर सकते हैं.
डायबिटीज
टमाटर के जूस में विटामिन सी, पोटैशियम, कैरोटीन, विटामिन ई, फोलेट, कैरोटीन और फ्लेवोनोइड जैसे पोषक तत्व होते हैं. ये डायबिटीज को कंट्रोल करने में मदद करता है.
इम्युनिटी को बढ़ाता है
टमाटर के जूस में विटामिन सी होता है. इसमें एंटीऑक्सीडेंट गुण होते हैं. इसमें लाइकोपीन और बीटा-कैरोटीन जैसे पोषक तत्व होते हैं. ये इम्यून सिस्टम को मजबूत बनाने में मदद करते हैं. इम्यून सिस्टम बनाए रखने के लिए आप टमाटर के जूस का सेवन कर सकते हैं.
वजन कम करने के लिए
टमाटर के जूस में फाइबर होता है. ये जूस सेहत के लिए बहुत ही फायदेमंद होता है. इसका सेवन वजन कम करने में भी मदद करता है.
बैड कोलेस्ट्रॉल को कम करता है
टमाटर में फाइबर होता है. ये बैड कोलेस्ट्रॉल को कम करने में मदद करता है. अगर आप बढ़ते हुए कोलेस्ट्रॉल से परेशान हैं तो आप रोजाना एक गिलास टमाटर के जूस का सेवन कर सकते हैं.
डिटॉक्सीफाई
टमाटर का जूस शरीर से टॉक्सिन बाहर निकालने का काम भी करता है. इसका रोजाना सेवन करने से किडनी और लिवर के कार्यों को बेहतर बनाने में मदद मिलती है.
हृदय के लिए फायदेमंद
टमाटर में एंटीऑक्सीडेंट गुण होते हैं. ये हृदय के लिए बहुत ही फायदेमंद है. इसमें लाइकोपीन, बीटा-कैरोटीन और विटामिन सी जैसे पोषक तत्व भी होते हैं. ये हृदय को स्वस्थ रखने में मदद करते हैं. -
तरोई की सब्जी पोषक तत्वों से भरपूर होती है। इस मौसम में अधिकतर घरों में तरोई की सब्जी जरूर बनती है। तरोई की सब्जी सेहत के साथ ही त्वचा के लिए भी फायदेमंद मानी जाती है। अधिकतर लोग तरोई के छिलकों को निकाल देते हैं और फिर इसकी सब्जी बनाते हैं। इसके बाद तरोई के छिलकों को फेंक दिया जाता है। लेकिन आप तरोई के छिलकों की सब्जी और चटनी बनाकर खा सकते हैं, जो स्वादिष्ट होने के साथ ही फायदेमंद भी है।
तरोई के छिलकों के फायदे1. इम्यूनिटी बढ़ाएतरोई के छिलकों की सब्जी और चटनी खाने से रोग प्रतिरोधक क्षमता मजबूत बनती है। यह शरीर को रोगों से लडऩे की शक्ति प्रदान करता है। तरोई के छिलकों की सब्जी खाने से आप हमेशा मौसमी बीमारियों से दूर रह सकते हैं।2. त्वचा के लिए लाभकारीतरोई के साथ ही इसके छिलके भी त्वचा के लिए फायदेमंद होते हैं। तरोई के छिलकों की सब्जी और चटनी खाने से त्वचा की समस्याएं दूर होती हैं। इससे त्वचा में निखार आता है और खूबसूरत बनती है।3. कब्ज से छुटकारा दिलाएअगर आपको कब्ज बनी रहती है, तो आप तरोई के छिलकों की सब्जी को अपनी डाइट में शामिल कर सकते हैं। तरोई के छिलके भोजन को पचाने में मदद करते हैं। ये मल को नरम बनाते हैं और कब्ज से छुटकारा दिलाते हैं। तरोई की सब्जी में पानी अधिक होता है, इससे कब्ज दूर होती है।4. पाचन मजबूत बनाएतरोई के छिलकों की सब्जी खाने से पाचन बेहतर बन सकता है। इसमें मौजूद तत्व पाचन को बेहतर बनाने में मदद कर सकते हैं। कभी-कभार तरोई के छिलकों की सब्जी या चटनी खाने से पाचन से जुड़ी समस्याओं से बचाव हो सकता है।5. वेट लॉस में मददगारअगर आप वजन घटाना चाहते हैं, तो तरोई के छिलकों की सब्जी खा सकते हैं। तरोई के छिलकों की सब्जी खाने से आपको पर्याप्त ऊर्जा मिलेगी। साथ ही वेट लॉस में भी मदद मिलेगी। लेकिन सिर्फ तरोई के छिलकों को खाने से आपका वेट लॉस नहीं हो सकता है।तरोई के छिलकों की सब्जी-तरोई की सब्जी बनाने के लिए सबसे पहले उसके छिलके निकाल लें। कड़ाही में तेल गर्म करें। अब इसमें जीरा, हींग डालें। इसके बाद कटा हुआ प्याज डालकर भून लें। फिर टमाटर, हल्दी, नमक, मिर्च और धनिया पाउडर डालकर अच्छी तरह से मिला लें। अब आप इसमें तरोई के छिलकों को डालें। फिर ढंककर 10 मिनट के लिए छोड़ दें। तैयार तरोई के छिलकों की सब्जी को आप रोटी के साथ खा सकते हैं।तरोई के छिलके की चटनीतरोई के छिलकों की चटनी बनाने के लिए सबसे पहले छिलके निकाल लें और धो लें। इसके बाद छिलकों को छोटे-छोटे टुकड़ों में काट लें। एक पैन में तेल गर्म करें। इसमें साबुत लाल मिर्च डालें। इसके बाद कटी हुआ हरी मिर्च, हल्दी और नमक डालकर मिलाएं। अब इसमें उड़द की दाल, मेथी, धनिया, तिल, जीरा और तरोई के छिलके डालकर भून लें। इन सभी मसालों को ठंडा होने दें और फिर पीस लें। अब इसे पैन में डालें, फिर गुड़ डालें और गैस बंद कर दें। इसके बाद इसमें इमली पल्प डालकर अच्छी तरह से मिला लें। आखिर में आप इसका स्वाद बढ़ाने के लिए तड़का लगा सकते हैं। ये चटनी स्वादिष्ट होने के साथ ही पौष्टिक भी होती है। - किशमिश सेहत के लिए बहुत फायदेमंद ड्राई फ्रूट माना जाता है। इसका सेवन शरीर के लिए बहुत फायदेमंद माना जाता है। खानपान में गड़बड़ी और खराब लाइफस्टाइल के कारण पाचन से जुड़ी समस्याएं जन्म लेती हैं। पाचन से जुड़ी सबसे कॉमन समस्या है कब्ज। कब्ज और अपच जैसी समस्या में किशमिश का सेवन बहुत फायदेमंद माना जाता है। किशमिश में मौजूद गुण शरीर को पोषण देने के साथ ही पाचन से जुड़ी कई समस्याओं को दूर करने का काम करते हैं। किशमिश में पर्याप्त मात्रा में आयरन, पोटैशियम, विटामिन, कैल्शियम और फाइबर पाया जाता है। फाइबर पाचन तंत्र को दुरुस्त रखने और कब्ज को दूर करने के लिए बहुत फायदेमंद होता है। इसके अलावा किशमिश का सेवन शरीर को डिटॉक्स करने के लिए भी बहुत फायदेमंद होता है।कब्ज दूर करने के लिए किशमिश के फायदे-1. किशमिश में फाइबर का पर्याप्त मात्रा होती है, फाइबर पेट को साफ रखने और कब्ज की समस्या को कम करने में बहुत फायदेमंद होता है।2. रोजाना किशमिश का सेवन करने से आपका पाचन तंत्र दुरुस्त रहता है और अपच, पेट की गैस और कई अन्य समस्याओं में भी फायदा मिलता है।3. वजन कम करने के लिए भी किशमिश का सेवन बहुत फायदेमंद होता है, इसमें मौजूद फाइबर पेट को भरा रखते हैं और बार-बार भूख नहीं लगती है।4. पेट में गैस बनने और एसिडिटी की समस्या में भी किशमिश का सेवन बहुत फायदेमंद होता है। किशमिश का पानी पीने से पेट साफ रहता है।5. शरीर में खून की कमी दूर करने के लिए भी किशमिश का सेवन बहुत फायदेमंद होता है, किशमिश में आयरन पर्याप्त मात्रा में पाया जाता है।कब्ज दूर करने के लिए कैसे खाएं किशमिश?कब्ज की समस्या दूर करने के लिए किशमिश का सेवन कई तरीकों से किया जा सकता है। इसके लिए आप रात में एक मु_ी किशमिश लेकर इसे पानी में भिगोएं। सुबह खाली पेट किशमिश को छानकर इसका सेवन करें। इसके अलावा किशमिश के पानी का सेवन भी सेहत के लिए फायदेमंद होता है। कब्ज दूर करने के अलावा कई अन्य समस्याओं में भी किशमिश का सेवन बहुत फायदेमंद होता है। डायबिटीज के मरीजों को किशमिश का सेवन करने से पहले अपने डॉक्टर की सलाह जरूर लेनी चाहिए।----
- हरियाली तीज के दिन महिलाएं नए कपड़े पहनती हैं. मेहंदी लगाती हैं. सोलह श्रृंगार करती हैं. पति की लंबी उम्र के लिए व्रत रखती हैं. इस दिन बहुत से स्वादिष्ट व्यंजन भी बनाए जाते हैं. अगर आप मीठे खाने के शौकीन हैं तो आप इस मौके पर लौकी की बर्फी भी बना सकते हैं. लौकी की बर्फी बहुत ही स्वादिष्ट और हेल्दी होती हैं. इसे बनाना भी बहुत आसान है. बच्चे हों या बड़े ये बर्फी सभी को बहुत पसंद आएंगी. आप अपने परिवार और दोस्तों के लिए खास मौकों और त्योहारों पर भी ये बर्फी बना सकते हैं. आपको घर पर एक बार लौकी की बर्फी जरूर ट्राई करनी चाहिए. आइए जानें इसकी आसान रेसिपी.लौकी बर्फी की सामग्री1 कप छिला हुआ कद्दूकस लें125 ग्राम खोया1 बड़ा चम्मच घी1/4 कप चीनीआधा लीटर फुल क्रीम दूध1 छोटा चम्मच हरी इलायची पाउडरसजाने के लिएकटे बादामकटे हुए पिस्तेलौकी बर्फी बनाने की विधिस्टेप – 1 एक पैन में दूध उबाल लेंइस स्वादिष्ट डेजर्ट को बनाने के लिए एक गहरे तले के नॉन स्टिक कढ़ाई गैस पर रखें. इसे मध्यम आंच पर रहने दें. इसमें दूध डालें. दूध में उबाल आने दें. इसमें कद्दूकस किया लौकी डालें. इसे अच्छी तरह से मिलाएं. इसे लगभग 10 से 15 मिनट के लिए उबलने दें.स्टेप – 2 चीनी डालेंअब एक पैन में चीनी डालें. इसे अच्छी तरह से मिलाएं. लौकी में दूध सोखने और गाढ़ा होने तक अच्छी तरह से पकाएं. इसके बाद कढ़ाई में घी और इलाइची पाउडर के साथ खोया डाल दें. एक बार फिर इसे अच्छे से मिलाएं.स्टेप – 3 हलवे को प्लेट में फैला देंअब एक बड़ी प्लेट लें. इसमें थोड़ा घी लगाकर इसे चिकना कर लें. दूध पूरी तरह से सोख लेने के बाद गैस बंद कर दें. अब हलवे को प्लेट में निकाल लें. इसे समान रूप से फैलाएं. इसे कटे हुए पिस्ता और बादाम से गार्निश करें. इसे थोड़ा ठंडा होने दें.स्टेप- 4 सेट करने के लिए रेफ्रिजरेट करेंहलवे के पर्याप्त ठंडा होने के बाद बर्फी को सेट करने के लिए इसे 4 से 5 घंटे के लिए फ्रिज में रख दें. इसके बाद बाहर निकाल कर इसे अपनी पसंद के अनुसार आकार में काट लें.स्टेप – 5 परोसेंअब आपकी बर्फी परोसने के लिए तैयार है. आप इन्हें स्टोर भी करके रख सकते हैं. इसे आप एक एयरटाइट कंटेनर में रखें.
- पान या खैनी में कई लोग चूना लगाकर खाते हैं, लेकिन यह हमारे स्वास्थ्य के लिए ज्यादा हेल्दी नहीं माना जाता है। खासतौर पर खैनी स्वास्थ्य के लिए काफी नुकसानदेह होती है. लेकिन क्या आप जानते हैं कि चूना खाने से स्वास्थ्य को कई फायदे हो सकते हैं। जिन लोगों के शरीर में कैल्शियम की कमी होती है, उन्हें चूना खाने की सलाह दी जाती है। आइए जानते हैं चूना का सेवन करने से शरीर को होने वाले लाभ क्या हैं?1. चूना से दांत हो सकते हैं स्वस्थदांतों में किसी तरह की परेशानी होने पर चूना का इस्तेमाल किया जा सकता है। इससे आपके दांत स्वस्थ रहते हैं। इसका इस्तेमाल करने के लिए चूना पाउडर को थोड़ा सा टूथपेस्ट में लगा लें। अब इसे दांत दर्द से प्रभावित हिस्से पर लगाएं। इससे आपके शरीर को थोड़ी सी मात्रा में कैल्शियम मिलता है, जो दांतों को मजबूत और स्वस्थ रखने में प्रभावी है।2. इम्यूनिटी करे बूस्टइसमें विटामिन सी होता है। यह एक ऐसा पोषक तत्व है जो इम्युनिटी को बढ़ाता है। विटामिन सी श्वेत रक्त कोशिकाओं का प्रोडक्शन बढ़ाने में मददद करता है। यह शरीर को संक्रमण और बीमारी से बचाने में कारगर है। चूना सूजन को कम कर कोलेजन उत्पादन को उत्तेजित करता है। जिससे घाव जल्दी ठीक हो जाते है कोलेजन घाव की मरम्मत करता है। यह एंटीऑक्सिडेंट का भी एक बड़ा स्रोत है। जो प्रतिरक्षा प्रणाली को मजबूत करने में मदद करता है।3. शरीर के दर्द से आरामशरीर में कैल्शियम की कमी की वजह से अगर आपको घुटनों, कमर में दर्द जैसा महसूस हो रहा है, तो चूने का सेवन करें। चूने के सेवन से इन दर्द से आराम मिल सकता है। हालांकि, ध्यान रखें कि एक्सपर्ट की सलाह पर ही चूना का सेवन करें।4. बच्चों की बढ़ाए हाइटहड्डियों के बेहतर ग्रोथ के लिए बच्चों को चूना दे सकते हैं। इससे बच्चों की लंबाई बढ़ती है। बच्चों को इसका सेवन कराने के लिए आप दाल या दही में थोड़ा सा चूना मिलाकर उन्हें खिलाएं। इससे बच्चों की हाइट बेहतर हो सकती है।5. दिल को रखे स्वस्थचूना कैल्शियम के अलावा विटामिन सी से भरपूर होता है, जो हाई ब्लड प्रेशर को कम करने में प्रभावी हो सकता है। चूने के सेवन से हाई ब्लड प्रेशर कम होता है, जो हार्ट हेल्थ को सुरक्षित रख सकता है। चूना खाने से हार्ट डिजीज के जोखिमों को कम किया जा सकता है।6. आयरन की कमी करे दूरचूना शरीर में आयरन की कमी को दूर कर सकता है। शरीर में आयरन की कमी होने पर थकान, कमजोरी, स्किन का पीलापन जैसी परेशानियां होने लगती है। ऐसे में इन सभी परेशानियों को दूर करने के लिए आप चूने का सेवन कर सकते हैं।कैसे करें चूने का सेवन?आयुर्वेदाचार्य का कहना है कि आप चूने को डायरेक्ट रूप से खा सकते हैं। आप पूरे दिन में 100 से 200 एमजी के बीच ले सकते हैं। लेकिन इससे अधिक चूने का सेवन न करें। इसका सेवन आप गर्म पानी के साथ या फिर खाने में मिलाकर खा सकते हैं। चूने से स्वास्थ्य को कई लाभ हो सकते हैं। इससे शरीर को कई लाभ हो सकते हैं। हालांकि, एक्सपर्ट की सलाह पर ही चूने का सेवन करें।
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अगर एक बार पथरी की बीमारी हो जाए, तो इंसान को काफी दर्द और परेशानियों का सामना करना पड़ता है। ऐसे में लोग फिर ऑपरेशन का सहारा लेते है। लेकिन क्या आप जानते हैं बिना ऑपरेशन के भी पथरी का इलाज किया जा सकता है। लेकिन आप इन कुछ घरेलू नुस्खों के इस्तेमाल से पथरी की समस्या को कम कर सकते हैं।
जाने माने आयुर्वेदिक चिकित्सक डॉ अबरार मुल्तानी ने हमें 10 ऐसी घरेलू चीजें बताई हैं जिससे पथरी होने की संभावना कम हो सकती है।
ज़्यादा से ज़्यादा पानी पिएं:
किडनी स्टोन होने पर ज्यादा से ज्यादा पानी पीने की कोशिश करें। दिन में कम से कम 10 से 12 गिलास पानी पिएं। पानी स्टोन बनाने वाले केमिकल को गलाने में मदद करता है और जितनी ज्यादा मात्रा में मूत्र बनेगा उतनी ही कम मात्रा में पथरी बनेगी।
केला खाएं :
पथरी की समस्या से निपटने के लिए केला जरूर खाना चाहिए। केले में विटामिन बी भरपूर मात्रा में पायी जाती है। ये शरीर में पत्थर बनने से रोकता है और बने हुए पत्थर को छोटे छोटे हिस्सों में तोड़ने में मदद करता है। अगर किडनी के मरीज रोज़ाना 100 से 150 ग्राम तक विटामिन बी का सेवन करें तो उन्हें किडनी की पथरी कभी नही होती.
एप्पल खाएं पथरी भगाएं:
पथरी से बचाव करने के लिए सेब बहुत फायदेमंद है। इसका रोज़ाना सेवन पथरी के दर्द में भी आराम देता है। 1 गिलास एप्पल जूस अगर रोज़ाना पीया जाये तो पथरी नहीं बनती।
जौ का पानी:
जौ का पानी पीने से काफी फायदा होता है। जौ के पानी में मौजूद न्यूट्रिएंट्स पथरी को हटाने में बेहद मददगार हैं। जिन लोगों को किडनी प्रॉब्लम हैं, उन्हें रोज सुबह इसे पानी में भिगोकर पीना चाहिए। इससे पथरी निकल जाती है।
कलौंजी का कमाल :
किडनी स्टोन की समस्या में कलौंजी का सेवन फायदा पहुंचाता है.कलौंजी के बीज पथरी की एक शानदार औषधि है। इसे रोज़ाना सुबह एक चम्मच खाया जाये तो पथरी बनना रुक जाती है।
धनिया:
धनिया सिर्फ खाने में स्वाद का ही तड़का नहीं लगती, बल्कि पथरी में भी बेहद असरदार है। धनिये में डिटॉक्सिफिकेशन के गुण पाए जाते हैं, जो आपके शरीर को डिटॉक्स करने में बेहद असरदार है। धनिये के बीज और हरा धनिया दोनों ही किडनी और पथरी के रोगियों के लिए अमृत है। -
फूड और शुगर की क्रेविंग कुछ लोगों पर इस कदर हावी होती है कि वे चाहकर भी खुद पर कंट्रोल नहीं कर पाते हैं. फूड क्रेविंग का सबसे बड़ा नुकसान ये है कि इसकी वजह से तेजी से वजन बढ़ने लगता है. फूड क्रेविंग के भी कई टाइप होते हैं, जिनमें से एक स्पाइसी फूड की क्रेविंग भी है. स्पाइसी फूड या तीखा फूड कुछ लोगों को इतना पसंद होता है कि वे इसे ही अपना टेस्ट बना लेते हैं. रूटीन के अलावा भी वे बाहर से ऐसा फूड मंगाकर खाते हैं और क्रेविंग को शांत करते हैं. मार्केट में मिलने वाले फास्ट फूड या जंक फूड का चलन आजकल बहुत ज्यादा चल गया है. तीखा और टेस्टी होने के चलते ज्यादातर लोगों को इसकी क्रेविंग रहती है.
वैसे एक्सपर्ट्स का मानना है कि तीखे फूड की क्रेविंग शरीर के लिए अच्छी नहीं होती. यहां हम आपको कुछ ऐसे कारण बताने जा रहे हैं, जो ये बताते हैं कि आपको क्यों तीखे खाने की क्रेविंग सताती है. जानें इनके बारे में…
स्ट्रेस
जिस तरह स्ट्रेस में शुगर की क्रेविंग सताने लगती है, उसी तरह इस सिचुएशन में तीखा खाने की इच्छा भी होने लगती है. रिपोर्ट्स के मुताबिक जो लोग तीखा खाना पसंद करते हैं उन्हें टेंशन में इसका सेवन करने की ज्यादा इच्छा होने लगती है. ये भी देखा गया है कि टेंशन में तीखा खाने से लोगों को आराम भी मिलता है. अगर आप इस तरह की सिचुएशन को पेस कर रहे हैं, तो इसका इलाज जरूर कराएं.
बॉडी टेंपरेचर
ये भी देखा गया है कि बॉडी टेंपरेचर में चेंज आने के दौरान भी लोगों को तीखा खाने की इच्छा हो सकती है. टेंपरेचर के बढ़ने पर ऐसा होता है, लेकिन एक्सपर्ट्स का मानना है कि तीखा खाने पर बॉडी टेंपरेचर और ज्यादा बढ़ सकता है. ज्यादा तीखा खाने से शरीर में गर्मी बन सकती है और आपको कई हेल्थ प्रॉब्लम जैसे पाइल्स भी हो सकती है.
प्रेगनेंसी
इस पीरियड में महिलाओं को मूड स्विंग्स का सामना करना पड़ता है. वैसे खानपान से जुड़ी कई चीजें महिलाओं को परेशान करती हैं. किसी केस में एक महिला को मीठे की क्रेविंग होती है, तो कभी खट्टे. देखा जाए, तो प्रेगनेंसी में तीखा खाने की क्रेविंग भी हो सकती है. कहा जाता है कि आप तीखा खाएं, लेकिन इसकी मात्रा को सीमित ही रखें.