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 शतरंज खिलाड़ियो का करियर छोटा होता जा रहा: आनंद
चेन्नई । पांच बार के विश्व चैम्पियन विश्वनाथ आनंद ने सोमवार को कहा कि मुश्किल प्रतिस्पर्धा की वजह से खिलाड़ियो को अधिक मेहनत करनी पड़ रही है जिससे पहले की तुलना में उनका करियर छोटा हो रहा है। इस दिग्गज खिलाड़ी ने कहा कि इन दिनों पहले की तुलना में ‘शारीरिक तनाव' का स्तर बहुत अधिक है और इसलिए खिलाड़ियों को शारीरिक रूप से फिट रहने की जरूरत है। आनंद ने भारतीय क्रिकेटर रविचंद्रन अश्विन के यू-ट्यूब कार्यक्रम ‘डीआरएस विद ऐश' पर कहा, ‘‘ आपके जीवन की शारीरिक फिटनेस का काफी महत्व है। शारीरिक तनाव का स्तर अब बहुत अधिक है। आजकल फिटनेस पर काफी ध्यान देना होता है।'' उन्होंने कहा, ‘‘ कड़ी मेहनत के लिए बहुत ऊर्जा की जरूरत होती है। इसलिए, करियर की अवधि कम हो रही है। इसमें कोई संदेह नहीं है।'' इस 51 साल के महान खिलाड़ी से जब युवाओं से प्रतिस्पर्धा में अनुभव के इस्तेमाल के बारे में पूछा गया तो उन्होंने कहा, ‘‘ युवा खिलाड़ियों के लिए आप कैसी भी परिस्थिति बनाये , वे बेहतर तरीके से उसका आकलन करते है। वे रणनीतियों में बदलाव को समझते है। कम्प्यूटर के कारण काफी बदलाव आया है क्योंकि उससे खेल का समय कम हुआ है। इसके लिए आपको अनुभव की जरूरत होती है।'' आनंद ने कहा कि महान बॉबी फिशर एक कारण है जिसकी वजह से कि कई लोगों ने शतरंज को करियर के रूप में अपनाने का फैसला किया। उन्होने कहा, ‘‘ दूसरे कई खेलों की तरह1970 और 80 के दशक में शतरंज में भी करियर बनने लगा था। इसके सबसे बड़े कारण बॉबी फिशर थे। सोवियत संघ में लोग पहले से ही इसे करियर के रूप में अपनाने लगे थे लेकिन फिशर के आने के बाद सभी के लिए दरवाजे खुल गये। फिशर 14 साल की उम्र में अमेरिकी शतरंज चैम्पियन बने थे और 15 साल की उम्र में उस समय के सबसे युवा ग्रैंडमास्टर थे। वह 1972 में विश्व शतरंज चैम्पियन बने थे।

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